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Adultery शीला की लीला (५५ साल की शीला की जवानी)

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उस रात.. खरीदी हुई ब्रा ट्राय करते वक्त वैशाली ने पीयूष को बहोत याद किया.. काफी सारे हॉट मेसेज भेजें चैट पर.. सुबह जल्दी उठना था इसलिए दोनों ने एक दूसरे को गुड नाइट विश किया और सो गए..

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सुबह के साढ़े नौ बजे वो सब निकल गए.. रास्ते से पिंटू को भी ले लिया.. मदन अब शीला और वैशाली के साथ पीछे बैठ गया और पिंटू पीयूष के साथ.. ड्राइव करते हुए पीयूष पिंटू के साथ बातें कर रहा था.. पीछे बैठी वैशाली भी उनकी बातों में जुड़ रही थी.. अब वैशाली पिंटू के साथ काफी साहजीक हो चुकी थी..

रास्ते में एक बढ़िया से होटल में लंच लेने के बाद तीनों दोपहर के ढाई बजे मौसम के घर पहुंचे..

घर में प्रवेश करने से पहले.. ऊपर के मजले की बालकनी से मौसम ने पीयूष की तरफ देखा.. पीयूष और मौसम की आँखें चार हुई.. यादों के.. ख्वाबों के.. वादों के.. अनगिनत विचारों से दोनों के मन और दिल तरबतर थे.. कल मौसम की सगाई थी..

शीला के आते ही पूरा घर जैसे खुशी से जगमगा उठा था.. सुबोधकांत तैयारिओ में व्यस्त थे.. अब तक पीयूष इस घर का इकलौता दामाद होने का लुत्फ उठा रहा था लेकिन अब उसका ये एकाधिकार खत्म होने वाला था..

पिंटू तो गाड़ी से उतरकर अपने घर चला गया.. क्योंकि वो तो इसी शहर में रहता था.. हालांकि एक बार वैशाली ने उसे रुकने के लिए आग्रह जरूर किया पर पिंटू ने बड़ी ही नम्रता से इनकार करते हुए कहा की वो कल सगाई के वक्त पहुँच जाएगा

वैशाली दौड़कर ऊपर के कमरे में गई.. जहां मौसम और फाल्गुनी तैयारी में जुटे हुए थे.. वैशाली को देखकर दोनों की खुशी का ठिकाना न रहा.. दोनों को देखकर वैशाली भी भावुक हो गई.. तीनों एक दूसरे से गले मिलें..

फाल्गुनी: "वैशाली.. माउंट आबू की तरह आज रात को भी हम तीनों साथ ही सो जाएंगे.. "

मौसम: "वैसे भी आज महंदी की रात है.. देर तक जागना पड़ेगा.. और हम तीनों के सोने का इंतेजाम मेरे कमरे में ही किया गया है"

तीनों बातों में मशरूफ़ थी तभी मौसम के मोबाइल की रिंग बजी.. पीयूष का फोन था.. मौसम ने वैशाली और फाल्गुनी के सामने ही नॉर्मल-फॉर्मल बातचीत करके फोन रख दिया.. पर वैशाली के ध्यान में ये बात आई की फोन रखने के बाद मौसम एकदम से गंभीर हो गई थी

फाल्गुनी हर थोड़ी देर के बाद पानी या नाश्ता लाने के बहाने नीचे जाती और सुबोधकांत को अपना सुंदर सा मुखड़ा दिखाकर.. प्यार का एग्रीमेंट रीन्यू कर आती..

साढ़े आठ बजे सब ने डिनर खतम किया.. नौ बजे तक बातें करने के बाद सब सोने की तैयारी करने लगे.. शीला के भरे भरे पयोधरों ने मौसम के घर को जीवंत बना दिया था.. जैसे परवाने ने पूरे गुलशन को जवान कर दिया हो.. शीला को पता था की सुबोधकांत की नजर उस पर ही टिकी हुई थी.. और उसे अच्छा भी लग रहा था.. पिछली बार जब वो यहाँ आई थी तब जिस तरह सुबोधकांत ने उसे घोड़ी बनाकर गराज में चोद दिया था.. वो याद आ गया उसे..!!

पीयूष और सुबोधकान्त ऊपर के मजले में बने दूसरे बेडरूम में सोने वाले थे.. बगल वाले कमरे में फाल्गुनी, वैशाली और मौसम थे.. साथ में तीसरा कमरा जहां पर मदन और शीला की व्यवस्था की गई थी.. कविता अपनी मम्मी के साथ नीचे के कमरे में सोने वाली थी.. जानबूझकर कविता ने ऐसा सेटिंग किया था क्योंकी उसे पता था की मम्मी तो दस मिनट में सो जाएगी.. फिर वो आराम से बाहर झूले पर बैठे बैठे पिंटू से बात कर सकेगी..

महंदी लगाने वाली लड़की ग्यारह बजे आने वाली थी.. उसका इंतज़ार करते करते वैशाली, मौसम और फाल्गुनी बातें कर रहे थे.. कविता नीचे किचन का काम निपटा रही थी..

फाल्गुनी: "मौसम, तू आज अचानक इतनी सिरियस क्यों हो गई है?? कल तो तेरी सगाई है.. वहाँ भी ऐसा उतरा हुआ मुंह लेकर जाएगी तो तरुण को लगेगा की तू उससे खुश नहीं है"

मौसम: "नहीं यार.. ऐसा कुछ नहीं है.. "

वैशाली: "वो नहीं बताएगी फाल्गुनी.. शायद तरुण ने उसे बूब्स पर काट लिया है इसलिए दर्द के कारण वो अपसेट है.. !!"

मौसम: "अरे यार ऐसा कुछ भी नहीं है.. उस बेचारे ने तो देखें तक नहीं है..काटने की तो बात ही दूर है.."

फाल्गुनी ने मज़ाक करते हुए कहा "अच्छा तो इसलिए अपसेट है की अब तक वो देख नहीं पाया??"

इस मज़ाक मस्ती भारी बातचीत के बीच.. वैशाली नहाने के लिए बाथरूम में चली गई..

मौसम अब फाल्गुनी के एकदम करीब आकर बैठ गई और एकदम धीमी आवाज में बोली "फाल्गुनी, मुझे तुझसे कुछ बात करनी है.. एकदम टॉप सीक्रेट है.. वैशाली को भी नहीं पता चलना चाहिए"

फाल्गुनी: "अच्छा.. तो तू इसलिए टेंशन में लग रही थी.. !! क्या बात है मौसम.. ?? मैं किसी को नहीं बताऊँगी.. "

मौसम ने गला साफ किया.. मुश्किल बात की शुरुआत करने का ये एक तरीका है.. बात करने से पहले गला साफ करना.. बात का महत्व और बात करने वाले की हिम्मत/डर दर्शाता है

फाल्गुनी बेसब्री से मौसम की बात कहने का इंतज़ार कर रही थी.. उसे इतना तो पता चल गया की वो जो कुछ भी कहने वाली थी वो बड़ा ही स्फोटक था.. कहीं मौसम को उसके और अंकल के संबंध के बारे में तो पता नहीं चल गया?? सोचकर ही फाल्गुनी मौसम से भी ज्यादा गंभीर हो गई.. उसका दिल बड़ी जोरों से धड़कने लगा..

मौसम: "अब तुझे कैसे बताऊँ.. !! यार तू किसी को बताना मत.. वरना बहोत सारी ज़िंदगीयां बर्बाद हो जाएगी.. "

फाल्गुनी: "अब तू कुछ बता तो मुझे पता चलें"

मौसम: "बात दरअसल ऐसी है की.. (फाल्गुनी की हथेली अपने हाथ में लेकर दबाते हुए).. मैं पीयूष जीजू को लाइक करती हूँ.. हम जब माउंट आबू गए थे.. तब राजेश सर ने मुझे और जीजू को गिफ्ट लेने भेजा था.. तब जीजू ने मुझे प्रपोज किया था.. घर से दूर आजाद माहोल में.. मैं भी अपने होश गंवा बैठी और उन्हें रोका नहीं.. उन्हों ने मुझे किस किया था और मेरे दबाए भी थे.. "

फाल्गुनी: "ओ बाप रे.. फिर क्या हुआ?"

मौसम: "यार जीजू मेरे पीछे पागल हो गए है.. और सच कहूँ तो मैं भी उन्हें बहोत पसंद करती हूँ.. मैंने अपने आप को समझाने की और रोकने की बहोत कोशिश की पर.. जीजू के साथ एक बार सेक्स करने की मुझे बहोत इच्छा है पर चांस नहीं मिलता"

फाल्गुनी: 'उसमें मैं कैसे तेरी मदद करूँ?" मौसम, आई एम सॉरी पर तेरे गलत कामों में.. अगर मैंने तेरा साथ दिया तो कविता दीदी के साथ कितना बड़ा धोखा होगा.. !!"

मौसम: "मुझे पता है यार.. पर मैं जीजू को प्रोमिस कर चुकी हूँ की सगाई से पहले मैं उनके साथ एक बार सेक्स करूंगी.. तब मुझे कहाँ पता था की इतनी जल्दी सगाई हो जाएगी.. !! और सगाई के बाद मैं ऐसा कुछ नहीं करना चाहती जिससे तरुण की नज़रों में गिर जाऊँ.. तू मेरी सहेली है इसलिए तेरी मदद चाहती हूँ.. तू महंदी वाली उस लड़की के घर लेने जाने के बहाने वैशाली को साथ ले जा.. पापा तेरे साथ आएंगे कार लेकर.. उस लड़की का घर तूने देखा ही है.. पर उलटे सीधे रास्ते ले जाकर ऐसा कुछ कर की तुम लोगों को लौटने में एक घंटा लग जाए.. तब तक मैं अपना काम निपटा लूँगी"

फाल्गुनी: "यार मैं तेरी मदद करना तो चाहती हूँ.. पर तूने एक पल के लिए भी कविता दीदी के बारे में नहीं सोचा??"

फाल्गुनी की बातें सुनकर मौसम को अब गुस्सा आ रहा था.. बड़ी सती-सावित्री बन रही थी.. !!

मौसम: "फाल्गुनी तू मेरी मदद नहीं कर सकती तो कोई बात नहीं.. पर मुझे रोकने की कोशिश बिल्कुल मत करना.. मैं कितना तड़प रही हूँ.. तुझे क्या पता.. !! जीजू का स्पर्श मुझे रोज याद आकर सताता है.. "

फाल्गुनी: "तो तू मास्टरबेट कर ले ना..!! वैसे भी आज रात को हम तीनों साथ ही सोने वाले है.. तब जितना मर्जी मजे कर लेना.. सारी आग बुझा लेंगे हम तीनों.. पर कविता दीदी से ऐसा धोखा करने के लिए मेरा मन तो नहीं मान रहा"

अब मौसम अपना आपा खो बैठी

मौसम: "तेरे मुंह से ऐसी बातें अच्छी नहीं लगती, फाल्गुनी.. मेरे बाप के साथ सेंकड़ों बार चुदवाते वक्त तुझे मेरी मम्मी का कभी विचार नहीं आया था??"

स्तब्ध हो गई फाल्गुनी.. !! उसका चेहरा एकदम सफेद पड़ गया..

फाल्गुनी: "ये तू क्या बक रही है?? तुझे शर्म भी नहीं आती ऐसा आरोप लगाते हुए.. !!"

मौसम: "बहोत हुआ तेरा नाटक, फाल्गुनी.. मुझे सब पता है.. मैंने अपनी इन सगी आँखों से तुझे और वैशाली को पापा के साथ चुदाई करते.. उनकी ऑफिस में देखा है!!"

फाल्गुनी के पैरों तले से धरती खिसक गई.. भांडा फूट चुका था.. वो मौसम से नजरें नहीं मिला पा रही थी.. झूठ बोलने वाले का जब भंडाफोड़ होता है तब उनका चेहरा देखने लायक होता है.. वो आँखें झुकाकर सुनती रही.. और फिर इतना ही बोली "मौसम, तेरे पास एक घंटे का समय है.. हो जाएगा एक घंटे में सब?"

मौसम: "जैसा मैंने कहा.. तू वैशाली और पापा को लेकर गाड़ी में जाएगी.. फिर तू रास्ता भूल जाने का नाटक करना.. आधा घंटा गाड़ी में दोनों को यहाँ वहाँ घुमाना.. फिर महंदी वाली के घर उसे लेने पहुँच जाना.. जब तक मैं कॉल न करूँ.. तू उन लोगों के लेकर वापिस मत आना.. तेरा नाम सुनते ही पापा आने से मना नहीं करेंगे.. उसी बहाने तुझे और वैशाली को पापा का लंड चूसने का मौका भी मिल जाएगा" चेहरे पर घिन और थोड़ी सी नफरत के भाव के साथ मौसम ने कहा

मौसम के मुंह से अपने पापा के बारे में ऐसी बात सुनकर फाल्गुनी अंदर से हिल गई.. वो जवाब देने की स्थिति में नहीं थी..

काफी देर तक चुप्पी साधे रखने के बाद फाल्गुनी ने मौसम से पूछा "जब तुझे पहले से ही सब कुछ पता था तो इतने दिनों तक खामोश क्यों रही?"

मौसम: "वो सब बातें करने का अभी वक्त नहीं है.. वैसे मुझे अभी भी तुझसे कई सवालों के जवाब लेने है.. पर अभी नहीं.. अभी तो मुझे अपना प्रोमिस पूरा करना है.. तू अब जा फटाफट.. आज अगर ये मौका चूक गई तो फिर जीवन भर पछतावा रहेगा मुझे.. तू कुछ भी कर.. अपना दिमाग लगा.. और कम से कम एक घंटे के लिए मुझे प्रायवसी देना.. और हाँ.. वैशाली को इस बारे में पता नहीं चलना चाहिए.. वो कविता दीदी की सहेली है.. कहीं दीदी को बता देगी तो मुझसे कभी बात नहीं करेगी.. "

तभी बाथरूम का दरवाजा खुला.. अंदर से वैशाली बाहर निकली.. कमर के ऊपर सम्पूर्ण टॉप-लेस वैशाली ने केवल कमर पर तौलिया बांध रखा था.. उसके विशाल स्तन झूल रहे थे..

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देखकर ही पता चलता था की उन्हें आज तक कई लोगों ने रगड़ा होगा.. माउंट आबू की उस रात को तीनों ने जो लेस्बियन हनीमून का आनंद लिया था.. उसके बाद तीनों के बीच शर्म की सारी दीवारें ढह चुकी थी.. बिना ब्रा पहने ही वैशाली ने टीशर्ट चढ़ा दिया और अपने स्तनों के लाइव-शो पर पर्दा डाल दिया.. पर टीशर्ट में ढंके हुए मदमस्त बबले और भी खतरनाक लग रहे थे..

मौसम वैशाली के करीब गई और उसको कमर से पकड़कर बोली "बड़ी हॉट लग रही है तू.. !!"

वैशाली: "हॉट तो मैं पहले से हूँ.. जरूरत तो मुझे ठंडा होने की है.. जब नीचे आग लगती है तब हाहाकार मच जाता है.. तुझे भी जल्द ही इस बारे में पता लग जाएगा.. वैसे तुम दोनों कब से क्या खुसुर-पुसुर कर रही थी??"

मौसम: "अरे यार.. वो महंदी वाली लड़की को फोन किया था.. उसका स्कूटर खराब हो गया है.. और इतनी रात को वो ऑटो से आने में डर रही है.. फाल्गुनी ने उसका घर देखा हुआ है.. तो मैंने सोचा पापा को साथ ले जाकर, तुम और फाल्गुनी उसे घर से ले आओ.. फाल्गुनी ने उसका घर देखा हुआ है"

वैशाली: "ये बढ़िया काम किया.. जब घर में गाड़ी हो तब किसी बात के लिए क्यों झिझकना? फाल्गुनी तू अंकल को बता दे.. हम लोग अभी निकल जाते है.. " वैशाली ने मौसम का काम आसान कर दिया.. फाल्गुनी सुबोधकांत को बुलाने चली गई

ऐसा सुनहरा मौका मिलते ही, सुबोधकांत तुरंत तैयार हो गए.. वैशाली और फाल्गुनी उनकी गाड़ी में चले गए

मौसम ने तुरंत पीयूष को अपने कमरे में बुला लिया.. जैसे ही पीयूष अंदर आया.. मौसम ने अंदर से दरवाजा बंद कर दिया और पीयूष से लिपट पड़ी.. एक जबरदस्त लीप किस करते हुए दोनों एकाकार हो गए.. आवेश से गले लगने के कारण.. मौसम के बिना ब्रा के स्तन पीयूष की छाती से दबकर चपटे हो गए.. वह नरम और गद्देदार स्पर्श तो पीयूष की कमजोरी थी.. जबरदस्त उत्तेजना के बीच जरा सा भी समय बर्बाद किए बगैर.. पीयूष ने मौसम की शॉर्ट्स में हाथ डाल दिया और उसकी कुंवारी कमसिन चूत को सहलाने लगा..

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अब तक मौसम यही समझती थी की उत्तेजना को शांत करने के लिए किस और सहलाने से काम बन जाता होगा.. उसे कहाँ पता था की यह आग बुझाने के लिए तो गुप्तांगों को रगड़ रगड़कर तहस-नहस कर देना पड़ता है तब जाकर ये उत्तेजना शांत होती है..

"ओहह जीजू.. मुझे कुछ हो रहा है" मौसम ने पीयूष के कान में कहा

"मेरी जान.. उसे ही तो प्यार कहते है.. कुछ कुछ होने में ही बहोत कुछ होता है.. आह्ह मौसम.. तेरे ये बूब्स कितने कडक है यार.. !! तुझे तो पता ही है की मुझे ये कितने पसंद है.. !! मेरे इन पसंदीदा दोनों यारों के लिए मैं गिफ्ट लाया हूँ.. ये देख" कहते हुए पीयूष ने अपनी जेब से स्टाइलिश ब्रा निकाली जो उसने पिछले दिन खरीदी थी.. १२५० रुपये का चुना लगवाकर..

"वाऊ जीजू.. कितनी मस्त है.. !! वैसे तो मुझे व्हाइट रंग की ज्यादा पसंद है.. पर कोई बात नहीं.. ये लाल रंग तरुण का फेवरिट है.. उसे पसंद आएगा.. !! मौसम ने नादानी में कही बात.. पीयूष को कितनी तकलीफ पहुंचाएगी ये उसे पता नहीं था.. ऐसी स्थिति में तरुण का नाम सुनकर पीयूष को एक पल के लिए ऐसा लगा जैसे किसी ने उसके खड़े लंड पर तेजाब डाल दिया हो.. !!

तरुण के विचारों को दिमाग से हटाकर पीयूष ने वह ब्रा मौसम को पहना दी.. एकदम परफेक्ट फिट आ गई मौसम के स्तनों की गोलाइयों पर..

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दोनों ब्रा के कप को हाथों से दबाते हुए पीयूष ने कहा "यार, तेरे बूब्स तो मुझे पागल बना रहे है.. !!"

"आज की रात के लिए यह दोनों आपके ही है जीजू.. कल से ये तरुण के होकर रह जाएंगे.. " फिर से तरुण का नाम सुनकर पीयूष का मुंह कड़वा हो गया.. पर आज वो बेकार के विचारों मे समय गंवाना नहीं चाहता था.. ये हुस्न का जाम अब उसके लबों के बिल्कुल करीब था.. किसी भी प्रकार की गलती की गुंजाइश नहीं थी..

मौसम के गुलाबी अधरों को जीभ से चाटते हुए एकदम रोमेन्टीक अंदाज में पीयूष ने कहा "कितने वक्त के बाद जाकर तू आखिर मिली है तू.. तुझे याद कर रहे इस लंड को मैं रोज समझाता था.. देख तो जरा.. तेरी चूत की जुदाई में बेचारा कैसे आँसू बहा रहा है.. !!" अपनी शॉर्ट्स से लंड बाहर निकालकर.. सुपाड़े की नोक पर लगी उत्तेजना की बूंदों को दिखाते हुए मौसम के हाथ में थमा दिया..

"ओह्ह जीजू.. पहले मुझे जी भरकर किस तो कर लेने दीजिए.. मैं आपकी किस को बहोत मिस कर रही थी.. " कहते हुए मौसम ने पीयूष के होंठों पर अपने होंठ रख दीये.. प्यार का इजहार करने का सब से पुराना तरीका है ये..

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मौसम के मदमस्त कुँवारे संतरों को हाथों से मसलते हुए पीयूष ने काफी देर तक उसके होंठों को चूसा.. उस दौरान.. अपने पैरों के बीच गरम गरम लंड का स्पर्श होते ही मौसम के कुँवारे बदन में अजीब सी सिहरन उठने लगी.. आँखें बंद हो गई उसकी.. मौसम के उरोज पहले से भी ज्यादा सख्त हो गए.. उसने आँख बंद की.. तो उसे वो सीन याद आ गया.. जब फाल्गुनी उसके पापा का लंड चूस रही थी.. कितनी मस्ती से चूस रही थी.. कैसा लगता होगा लंड चूसने में.. ?? मुझे भी चूसना है.. पर जीजू से कैसे कहूँ.. माउंट आबू में वैशाली ने कहा था की जब हम लंड चूसते है तब हमारे पार्टनर को बहोत मज़ा आता है..

अनगिनत सवालों के बीच घिरी हुई मौसम की विचारधारा तब टूटी जब उसकी ब्रा की कटोरी ऊपर करके पीयूष उसके स्तन को चूसने लगा.. निप्पल पर लार की ठंडक और जीभ की गर्मी.. दोनों का एक साथ एहसास होने लगा..

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मौसम ने उत्तेजित होकर पीयूष का लोडा पकड़ लिया..

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मौसम के स्तनों को चूसते हुए पीयूष ने एक झटके में उसकी चड्डी उतारकर कमर से नीचे नंगा कर दिया.. और अपनी दो उंगली जैसे ही उसकी रिस रही बुर में डाली.. मौसम ऐसे मचलने लगी जैसे मदारी के बिन बजाते ही नागिन नाच रही हो.. !! सख्त लंड को चूसने के लिए मौसम बेकरार हो रही थी.. पर उसे बोलने में शर्म आ रही थी...

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आखिर उसने तय किया की जीजू सामने से कहेंगे तो ही मुंह में लूँगी.. पर शादी से पहले ये अनुभव करने का ये आखिरी मौका था.. और आज वो अपनी ज़िंदगी पूरी तरह जी लेना चाहती थी.. वो अब भी पीयूष के लाल सुपाड़े को तांक रही थी..

"मौसम, मेरी एक रीक्वेस्ट है.. अगर तुझे ऐतराज ना हो तो.. !!" पीयूष ने कहा

"आज किसी चीज का कोई बंधन मत रखना जीजू.. आपकी सारी रीक्वेस्ट मैं आज पूरी कर दूँगी.. आप सिर्फ कहिए एक बार.. हो जाएगा"

"तुझे ऑरल सेक्स के बारे में पता है?"

मौसम समझ गई की जीजू भी उसके मुंह में लंड देना चाहते है पर झिझक रहे है..

मौसम: "ओह जीजू.. वो सब तो मुझे नहीं पता.. पर आपकी जो इच्छा हो मैं पूरा करूंगी"

पीयूष: "पर मुझे लगता है की सुनकर तू नाराज हो जाएगी"

मौसम सोच रही थी.. की जीजू को कैसे समझाऊँ?? की आपका लंड चूसने के लिए तो मैं मर रही हूँ.. पर बोल नहीं पा रही

बहोत मन होने के बावजूद पीयूष ने कहा नहीं.. उसे डर था की लंड चुसवाने के चक्कर में कहीं कुंवारी चूत की चुदाई का मौका हाथ से ना निकल जाए.. !!

कुंवारी लड़की के संग चुदाई.. ये जरा पेचीदा मामला है.. सेक्स के अलावा भी उसमे बहोत कुछ होता है.. एक लड़की.. यौवन के द्वार तक पहुँचने तक.. अपनी इज्जत को जान की तरह संभालती है.. छाती से दुपट्टा सरक जाए तो भी शर्म से पानी पानी हो जाने वाली मुग्धा जब पहली बार अपने प्रेमी के सामने नंगी होती है.. तब बहोत कुछ होता है.. वो क्षण होती है विश्वास की.. समर्पण की.. प्रेम की.. पराकाष्ठा की.. जीवन में प्रथम बार किसी पुरुष के सामने नग्न हुई मौसम के सौन्दर्य में.. कौमार्य की खुमारी छलक रही थी.. उसके स्तनों का वैभव और कुँवारे बदन का जादू पीयूष को पागल कर रहा था..


2021


मौसम की चूत में उंगली अंदर बाहर करते हुए पीयूष उसके स्तनों को मसलता जा रहा था.. मौसम पीयूष के लंड को मुठ्ठी में पकड़कर हिलाते हुए इतनी बेकाबू हो गई की सिसकते हुए बोली "ओह्ह जीजू.. अब मैं और सह नहीं पाऊँगी.. जल्दी कुछ करो.. आह्ह.. !! नीचे कुछ कुछ हो रहा है "

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पीयूष और तेजी से अपनी उंगली अंदर बाहर करने लगा और उसके साथ ही मौसम ऑन ध स्पॉट झड़ गई.. ठंडी हो गई वो.. उसकी सांसें अब नियंत्रित होते देख पीयूष समझ गया.. की ठंडी होने के बाद मौसम फिर से शरीफ बन जाएगी.. जब चूत में खुजली उठी हो तब समय, स्थान दिन या रात न देखकर, गांड उछाल उछालकर चुदवाने वाली स्त्री.. खुजली शांत होते ही एकदम शालीन और संस्कारी बन जाती है..

थोड़ी ही देर में मौसम नॉर्मल हो गई.. उसके हाथ में जो पीयूष का लंड था वो और कडक हो गया पर मौसम की पकड़ ढीली हो गई.. वह एकदम धीमी आवाज में बोली "जीजू.. अब जो करना है जल्दी जल्दी करो... ताकि मेरा प्रोमिस पूरा हो जाएँ और टेंशन खतम हो"

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पीयूष ने मौसम को बेड पर लिटा दिया और उसकी दोनों जांघों के बीच पोजीशन ले ली.. जंघाओं को चौड़ी करके.. कामरस से लथबथ चूत के वर्टिकल होंठों क ओ उंगलियों से अलग किया.. अंदर का लाल लसलसित हिस्सा देखकर पीयूष से रहा नहीं गया और उसने झुककर मौसम की चूत को चूम लिया.. और उसके साथ ही मौसम का शरीर फिरसे तपने लगा.. वो ऐसे कांपने लगी जैसे उसे बुखार चढ़ गया हो.. लंड के कडक सुपाड़े को चूत पर रगड़कर.. मौसम को लंड के आक्रामक प्रहारों के लिए तैयार कर रहा था पीयूष

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"आई लव यू, मौसम" कहते ही पीयूष ने कसकर धक्का लगाया और मौसम की चूत में आधा लंड उतार दिया.. फिंगरिंग से स्निग्ध हो रखी चूत को ज्यादा दर्द तो नहीं हुआ.. पर वो प्रहार उसकी अपेक्षा से अधिक तीव्र था इसलिए मौसम दर्द और डर से सिसक पड़ी.. "ऊई माँ.. जीजू.. जरा आराम से.. और थोड़ा जल्दी करना.. कहीं कोई आ न जाएँ"

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पीयूष अब अपना आपा खो चुका था.. कुंवारी लड़की की चूत में आधा लंड घुसेड़कर भला कौन अपने आप पर काबू रख पाएगा.. !! पीयूष ने मौसम की चूत का उद्धार कर दिया.. ज़िंदगी का पहला पुरुष सहवास.. मौसम को ऐसा लग रहा था.. जैसे पहली बरसात.. !! उसकी चूत से उत्तेजना और सुख का झरना सा बहने लगा था.. जैसे जैसे पीयूष उसकी चूत में लंड अंदर बाहर करता गया वैसे वैसे मौसम, कली से खिलकर फूल बनती गई.. पीयूष को मौसम के स्तन खास तौर पर पसंद थे.. इसलिए इस सम्पूर्ण संभोग के दरमियान उसने एक बार भी अपने हाथ मौसम के स्तनों से नहीं हटाए.. वो इतनी सख्ती से मौसम के कडक संतरों को मसल रहा था की मौसम को दर्द होने लगा.. मौसम की अब स्त्री-जीवन की शुरुआत हो चुकी थी.. इसलिए संभोग का दर्द सहना अब आवश्यक था.. और इसी दर्द में ही बेइंतहाँ आनंद मिलने वाला था.. !!

मौसम के ऊपर हुमच हुमच कर कूद रहा पीयूष.. बार बार नीचे झुककर मौसम की छोटी सी निप्पलों को चूस लेता.. तब मौसम को पहली बार एहसास हुआ की.. क्यों वैशाली और फाल्गुनी.. उसके पापा के साथ ये सब करने के लिए इतने उत्सुक रहते थे.. !! कितना मज़ा आ रहा था.. !! उसने आज ये साहस न किया होता तो वह भी इस अलौकिक आनंद से वंचित रह जाती.. !!


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पीयूष अपनी मंजिल के आखिरी पड़ाव पर पहुँच गया था और उसकी धक्के लगाने की स्पीड चार गुना बढ़ चुकी थी.. मौसम को पता नहीं चल पा रहा था की अचानक पीयूष के हाव भाव.. धक्कों की गति.. बदल क्यों गई.. !! उसके लिए यह सब नया नया था.. यह पहली बार था की कोई पुरुष उसके ऊपर चढ़कर.. चूत में लंड डालकर.. धक्के लगाते हुए झड़ने की कगार पर था.. जो कुछ भी चल रहा था उसमें उसे बहोत मज़ा आ रहा था.. उसकी चूत ने अब तक ढेर सारा रस छोड़ दिया था.. बार बार उसकी चूत ने स्खलित होकर कुल्ले कर दीये थे.. आखिर थक कर वो सुस्त हो गई.. तब पीयूष ने चूत से लंड को बाहर खींच निकाला और मौसम के पेट पर.. वीर्य की जोरदार पिचकारी मार दी.. मौसम के ये द्रश्य अभिभूत कर गया.. !! गाढ़े वीर्य की गरमागरम पिचकारी जिस्म को छूते ही मौसम सिहर उठी..

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"ओह्ह जीजू.. आई लव यू.. " आज पहली बार मौसम ने खुलकर पीयूष को "लव यू" कहा था.. कडक लोड़े को वीर्य की बौछार करते देखने का पहला अनुभव मौसम के लिए बेहद उत्तेजक रहा था.. लंड की रचना से एक तो वो अनजान थी.. नरम लंड कैसे सख्त हो जाता है.. और सख्त होकर फिर से नरम क्यों हो जाता है.. ये सब जिज्ञासा संतुष्ट होना अभी बाकी था.. ऐसी सूरत में.. वीर्या का फव्वारा उसके स्तन तक उड़ता देख वो इतनी खुश हो गई की उसने पीयूष को खींचकर अपने गले लगा लिया..

थोड़ी देर तक उसी स्थिति में रहने के बाद दोनों पूर्ववत होने लगे.. उठकर दोनों ने कपड़े पहने.. और नॉर्मल होकर बेड पर बैठ गए..

मौसम ने फाल्गुनी को मेसेज किया "और कितनी देर लगेगी? मुझे तो नींद आ रही है.. !!"

जब फाल्गुनी ने ये मेसेज अपने मोबाइल पर पढ़ा तब वैशाली आगे की सीट पर बैठे बैठे झुककर सुबोधकांत का लंड चूस रही थी..

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और फाल्गुनी पीछे बैठे बैठे सुबोधकांत की छाती के घुँघराले बालों में हाथ फेर रही थी.. फाल्गुनी ने मेसेज पर रिप्लाय दिया "हम महंदी वाली के घर बस पहुँचने ही वाले है.. फिर घर आने में दस मिनट ही लगेंगे" परोक्ष तरीके से उसने मौसम को बता दिया की उसके पास सिर्फ उतना ही समय था..

नीचे के कमरे में.. रमिलाबहन के सो जाते ही.. कविता सरककर किचन से सटे स्टोररूम का दरवाजा अंदर से बंद कर.. पिंटू से बातें करने में व्यस्त थी.. उसे कहाँ अंदाजा था की ऊपर के मजले पर उसका पति पीयूष.. उसकी कुंवारी बहन को सेक्स के पाठ पढ़ा चुका था.. उसे तो ये भी पता नहीं था की उसके पापा, वैशाली और फाल्गुनी बाहर गए हुए थे.. वो तो यही सोच रही थी की पीयूष उसके पापा के साथ एक कमरे में है.. और दूसरे कमरे में मौसम के साथ वैशाली और फाल्गुनी बैठे है.. !!


जैसे ही सुबोधकांत की गाड़ी घर पहुंची.. गाड़ी की आवाज सुनकर पीयूष खड़ा हुआ और चुपचाप दूसरे कमरे में जाकर लेट गया.. मौसम ने अपने कपड़े ठीक किए और बेड के चादर की सिलवटें भी साफ कर दी.. चुदाई के सारे सबूत मिटा दीये उसने..
Hot update, but bahut jaldi jaldi me hua, pehle sex to aram se hona chahiye tha
 
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vakharia

Supreme
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मदहोश अंगड़ाई लेकर रेणुका कुर्सी से खड़ी हुई.. और अपने कूल्हे मटकाते हुए बाहर निकलकर दरवाजे की तरफ आई

दरवाजा खोलते ही देखा तो सामने रसिक खड़ा था..

रसिक: "शीला भाभी ने फोन कर मुझे बुलाया है.. कहाँ है भाभी?"

रसिक के कसे हुए मजबूत शरीर को पल भर के लिए रेणुका देखती ही रह गई.. !! काफी कोशिशों के बावजूद वह अपनी नजर को रसिक के लंड पर जाते हुए रोक नहीं पाई.. !!

रेणुका: "शीला तो घर पर नहीं है.. बाहर गई है"

तभी रसिक के पीछे से रूखी ने कहा "पर मदन भैया तो होंगे ना घर पर?"

मदन के सिखाए अनुसार रेणुका ने कहा "वो भी बाहर गए है.. शीला के साथ"

बेडरूम में बैठे बैठे अपने लंड को मसल रहे मदन ने जैसे ही रूखी की आवाज सुनी, वो दौड़कर बाहर ड्रॉइंग रूम में आ गया..

मदन: "अरे रसिक तुम?? आओ आओ.. और तुम बाहर क्यों खड़ी हो रूखी? अंदर आ जाओ.. "

रूखी अपने आँदामान निकोबार के केंद्रशासित प्रदेश जैसे बड़े बड़े स्तनों को पतली सी चुन्नी से ढँक कर घर के अंदर घुसी.. रसिक अभी भी बरामदे में खड़ा था..


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"अब अंदर आ भी जाओ.. तुम्हें अलग से न्योता दे क्या??" कतराते हुए रूखी ने रसिक से कहा

रसिक भी अंदर आ गया.. मदन की नजर अब रेणुका से हटकर रूखी पर चिपक गई थी.. तभी रेणुका की जांघों के बीच.. रसिक का राक्षस जैसा तगड़ा शरीर देखकर.. चुनचुनी होने लगी.. मन ही मन वो रसिक के गधे जैसे लंड की कल्पना करने लगी थी.. वो अब कैसे भी करके रसिक का रस लेना चाहती थी.. शीला ने रसिक की तारीफ के इतने पूल बाँधें थे.. रेणुका किसी भी तरह आज मिला चांस छोड़ना नहीं चाहती थी

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मदन को कंधे से खींचकर किचन में ले जाकर रेणुका ने कहा "मदन.. इस रसिक के साथ... न जाने कितनी रातें रंगीन की है शीला ने.. आज मुझे मौका मिला है.. हाथ जोड़कर विनती करती हूँ.. एक बार मुझे रसिक के साथ कर लेने दो.. फिर तुम जैसे चाहो वैसे मुझे रगड़ लेना.. !!"

रेणुका के दोनों स्तनों को अपने हाथों से मसलकर.. उसके होंठों की एक पप्पी लेकर मदन ने कहा "रेणु मेरी जान.. मैं भी रूखी के बदन का शहद चखने के लिए बेकरार हूँ.. एक काम करते है.. तू रूखी को मेरे लिए पटा.. मैं रसिक को तेरे लिए तैयार करता हूँ"

दोनों बाहर निकले.. रेणुका ने बाहर आते ही रसिक का हाथ पकड़ लिया और उसे खींचकर शीला-मदन के बेडरूम में ले गई.. रूखी तो स्तब्ध होकर उसे देखती ही रही..

रेणुका ने बेडरूम का दरवाजा बंद किया और रसिक से लिपट पड़ी.. और पाजामे के ऊपर से रसिक का लंड पकड़ लिया.. मोटी लौकी जैसा लंड हाथ में आते ही रेणुका पानी पानी हो गई

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रेणुका: "रसिक, तुझे शीला ने मेरे लिए ही यहाँ बुलाया है.. आज मुझे रगड़ दे.. तेरे मूसल जैसे लंड से चोदकर मेरे परखच्चे उड़ा दे.. ओह रसिक.. आज मुझे ऐसे खुश कर दे की एक महीने तक मैं चुदवाने के काबिल न रहूँ"

रसिक पहले तो झिझकता रहा.. पर जब खाना खुद चलकर सामने आया हो तो खाने वाले को क्या हर्ज होगा भला.. !! उसने रेणुका की पीठ पर अपना हाथ सहलाना शुरू कर दिया

"लेकिन रूखी.... !! उसे क्या कहूँगा मैं?"

तब तक तो रेणुका ने रसिक के पाजामे का नाड़ा खोलकर उसका पलंग-तोड़ लंड बाहर निकाल लिया था.. आहाहा.. देखकर रेणुका को धरती पर ही स्वर्ग नजर आ गया.. जैसा शीला ने वर्णन किया था बिल्कुल वैसा ही था.. बड़े टमाटर जैसा सुपाड़ा.. कलाई से भी मोटा.. और इतना लंबा.. उपर लगी काली काली नसें.. और टेनिस की गेंद जैसे दो अंडकोश.. !! मन ही मन वो शीला का आभार प्रकट करने लगी

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"रूखी अभी मदन भैया को दूध पीला रही होगी.. तू उसकी चिंता छोड़.. और ले.. मेरे बॉल दबा.. " कहते हुए रेणुका ने फटाफ़ट अपने ब्लाउज के सारे हुक खोलकर.. एक पल में ब्रा उतार दी.. दोनों मांसल स्तनों को हतप्रभ होकर देख रहे रसिक का चेहरा पकड़कर.. उसके स्तनों पर दबा दिया रेणुका ने.. छोटे बच्चे की तरह.. पच-पच आवाज़ें करते हुए रसिक उसकी निप्पल चूसने लगा.. !!

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शीला के घर में रेणुका और मदन..अलग अलग कमरों में.. भरी दोपहर में.. ३१ दिसंबर का आनंद ले रहे थे.. और वो भी अपने पसंदीदा पात्रों के साथ.. संयोग से ऐसा जबरदस्त सेटिंग हुआ था.. या फिर यूं कहिए की शीला ने सेटिंग किया था..

अभी एक घंटे पहले.. घर पर अकेले बैठे बैठे बोर हो रहे मदन ने.. रूखी को पूरी नंगी कर दिया था और बेड पर सुला दिया था.. पाँच-पाँच लीटर दूध भरे स्तनों की मालकिन रूखी.. लेटे लेटे मुस्कुरा रही थी.. उसके दोनों भारी स्तन दोनों तरफ ढल गए थे..

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मदन बस टूट पड़ा रूखी के दूध भरे मटके जैसे स्तनों पर.. !! उसे याद आ गया अमरीका में गुजारा वो वक्त.. जब वो मेरी के स्तनों को ऐसे ही चूसकर दूध पीता था.. !! तब से लेकर आज तक.. वैसा मौका नसीब ही नहीं हुआ था..

रूखी के मदमस्त स्तनों को दोनों हाथों में.. जितना हो सकें भरकर मसलने की कोशिश कर रहा था... रूखी के तड़बुच जैसे स्तनों के सामने मदन ऐसे देख रहा था जैसे छोटा सा बच्चा हाथी को देखकर आश्चर्य चकित खड़ा हो.. !!

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"रूखी, इतने बड़े बड़े बबलों का वज़न नहीं लगता तुझे?" निप्पल को चूसते हुए मदन ने रूखी से पूछा

सुनकर रूखी हंस पड़ी.. मदन के लंड को पकड़कर अपनी चूत पर रगड़ते हुए बोली "अपने ही शरीर का थोड़े ही वज़न लगता है कभी..?? कभी गधे को अपने लंड का वज़न लगता है क्या.. !!! आह्ह... जरा धीरे धीरे मसलिए साहब.. और थोड़ा नीचे भी रगड़िए मुझे.. बहुत दिन हो गए.. वो जीवा भी आजकल नजर नहीं आता"

मदन: "कौन जीवा?"

रूखी: "हैं एक दोस्त मेरा.. "

मदन: "तो क्या तुम उससे चुदवाती हो??"

मदन ने थोड़ा सा नीचे जाकर रूखी की चूत को चाटते ही.. रूखी ने अपने चूतड़ उठा लिए और बोली "अब आप जानकर क्या करेंगे साहब..आप जो कर रहे है वो करते रहिए.. !!"

मदन समझ गया.. रूखी जरूर कुछ छुपा रही थी.. इसलिए रूखी का मुंह खुलवाने के लिए उसने शीला के हथियार का इस्तेमाल किया

"मुझे सब पता है.. रघु और जीवा ने मेरे घर पर क्या क्या गुल खिलाए है.. सब जानता हूँ मैं.. तुझे न बताना हो तो मत बता"

रूखी: "ओह.. मतलब आप सबकुछ जानते हो साहब.. !! मैंने और शीला भाभी ने इस घर में बड़े मजे किए है.. शीला भाभी तो जीवा के लंड को छोड़ ही नहीं रही थी.. !! कमीने का लंड है ही ऐसा.. एक बार जो उसका स्वाद चख ले.. ज़िंदगी भर नहीं भूल सकता.. कितनी बार ठुकवाया भाभी ने.. फिर भी उनका तो मन ही नहीं भर रहा था.. !!"

"वैसे शीला ने मेरी गैर-मौजूदगी मैं कितनों के लंड लिए है??" हँसते हँसते मदन ने पूछा.. और फिर से रूखी की चूत के होंठों को उंगलियों से फैलाकर चाटने लगा

रूखी: "मेमसाब को कम मत समझना.. हाथ हिलाकर अपना घाघरा झटकाएगी तो अंदर से पचास लोडे निकलेंगे.. साहब.. अब आप वो सब बातें छोड़िए.. और मेरी भोस चाटिए.. जीवा की तरह.. चौड़ी कर के चाटिए.. आह्ह.. !!"

मदन को पता चल गया.. जब वो विदेश था तब उसने केवल मेरी के साथ ही संबंध बनाए थे.. पर यहाँ शीला ने तो लंडों के अंबार लगा दीये थे.. !! जीवा, रघु और रसिक के बारे में तो वो जान चुका था.. और भी न जाने कितने नाम होंगे.. !! अभी भी वो किसी पुराने आशिक से मिलने ही गई है.. बाप रे.. गुलछर्रे उड़ाने में शीला मर्दों से भी आगे निकल चुकी है.. !! पर उसका वो पुराना आशिक कौन होगा??

रूखी की चूत चाटते हुए.. मदन का दिमाग यह हिसाब लगा रहा था की आखिर शीला के भोसड़े को कितने लंडों ने पावन किया होगा.. !! उसने चाटते चाटते अपने हाथों से रूखी की निप्पलों को दबा दिया.. और दबाते ही दोनों निप्पलों से दूध की सफेद धार निकलकर रूखी के गदराए जिस्म को भिगोने लगी.. हथेली में थोड़ा सा दूध लेकर उसने रूखी की चूत पर लगाया.. और फिर चाटने लगा



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"आह्ह आह्ह.. बस बस साहब.. बहुत हुआ.. अब मेरे ऊपर आ जाइए.. आज तो चटवाकर मज़ा आ गया.. कितने दिनों से रसिक को चाटने के लिए कह कहकर थक गई.. पर वो साला चाटता ही नहीं है.. " रूखी ने मदन को खींचकर अपने ऊपर ले लिया.. और मदन का लंड पकड़कर अपने गरम सुराख पर सेट करने के बाद.. नीचे से अपनी गांड उठाकर.. लंड की सौगात को अपनी गुफा के अंदर प्रवेश करा दिया.. !!

लंड पतला हो या मोटा.. चूत को उस जीवंत अवयव का स्पर्श होते ही मज़ा आने लगता है.. चूत के अंदर की गर्माहट का एहसास होते ही मदन का लंड भी ताव में आ गया.. और वो रूखी के जिस्म को रौंदने लगा.. रूखी को अपनी चूत मैं मदन के लंड के घर्षण से बेहद मज़ा आ रहा था..

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और तभी अचानक.. !!!

उनके बेडरूम का दरवाजा खुला.. और बिस्तर के पास.. रेणुका और रसिक.. मादरजात नग्न अवस्था में आकर खड़े हो गए.. !! अपने चेहरे के बिल्कुल सामने मदन को रेणुका का पूर्ण नग्न जिस्म और रसिक का गधे जैसा लंड नजर आ रहा था.. !! फटी आँखों से मदन रेणुका के जबरदस्त सेक्सी बदन के नग्न अंगों को ताड़ता रहा.. रूखी की जांघें फैलाकर धनाधन शॉट मारते हुए वो रेणुका को झुककर रसिक का लंड चूसते हुए देखता ही रहा.. !!


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और रसिक का लंड.. !!! बाप रे.. !! मदन ने इतना तगड़ा और लंबा लंड आज तक नीली फिल्मों में भी नहीं देखा था.. !!! रेणुका का पूरा मुंह भर जाता फिर भी आधे से ज्यादा लंड बाहर ही था.. रेणुका के मुख से लंड को अंदर बाहर होता देख.. मदन और उत्तेजित होकर रूखी को चोदने लगा.. रसिक के लंड को मोटाई और लंबाई को देखकर नापते हुए मदन सोच रहा था की शीला ने इस रसिक के साथ पूरे पूरे मजे कीये होंगे.. !! भेनचोद लंड है या पत्थर तोड़ने का हथोड़ा.. !! रेणुका बार बार रसिक के टमाटर जीतने बड़े सुपाड़े को बाहर निकालकर चाट रही थी और फिर मुंह में अंदर डाल रही थी..

मदन का मन कर रहा था की वो रेणुका के करीब जाकर उसे चूम ले.. पर फिलहाल.. उसका कनेक्शन.. नीचे रूखी की चूत के साथ हो चुका था और वो अब इस स्थिति में आगे बढ़कर रेणुका को चूम सके ऐसी संभावना नही थी.. वैसे भी.. रेणुका तो रसिक के लंड में खो चुकी थी.. !!

रसिक ने रेणुका से कहा "भाभी.. अगर एक और बार नीचे चूत में लेने का मन हो तो अभी ले लीजिए.. मेरा अब निकलने को है.. !!"

रेणुका: "नहीं रसिक, मुझे थोड़ी देर चूस लेने दे.. दूसरी बार नीचे लेने की मेरी हिम्मत नहीं हो रही.. पहली बार डलवाया उसकी जलन अब तक हो रही है.. एक बार में ही फाड़ दी तूने तो.. दर्द हो रहा है मुझे"

रेणुका का अनुभव सुनकर मदन समझ गया की रसिक शीला का भी ऐसा ही हाल करता होगा.. !!

मदन: "रसिक, तेरा लंड तो वाकई जबरदस्त है.. देखकर ही मैं समझ गया की मेरी शीला की चूत का भोसड़ा कैसे बन गया.. !!"

रूखी: "अरे ये क्या भोसड़ा बनाएगा.. !! शीला भाभी के छेद की गुफा तो रघु और जीवा ने ही बनाई है.. जीवा का लंड तो इससे भी मोटा और लंबा है.. !!

रेणुका ने चूसते हुए कहा "क्या सच में?? इससे भी मोटा और बड़ा?? देखना पड़ेगा एक बार.. !!" रेणुका ने फिर से रसिक के सुपाड़े को मुंह में लेने की कोशिश की और तभी रसिक के लंड ने जोरदार पिचकारी मार कर रेणुका के शरीर, चेहरे और बालों पर सफेद रंगोली बना दी..

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इस तरफ मदन ने भी रूखी की तपतपाती चूत से लंड बाहर निकालकर उसके विशाल स्तनों पर वीर्य छोड़ दिया.. !! रूखी के दूध से भरे बबले वीर्य से सन गए.. और उसी के साथ चारों शांत हो गए..

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रसिक ने घड़ी के सामने देखकर कहा "अरे बाप रे.. !!! साढ़े तीन बज गए.. !! मुझे चार बजे खेत पर पहुंचना था.. !!" उसने फटाफट कपड़े पहने और रूखी को लेकर निकल गया..

अब बेडरूम में.. मदन और रेणुका ही बचे थे.. दोनों नंगे.. !! रेणुका मदन के बगल में बिस्तर पर लेट गई.. और उसके लंड से खेलते हुए बोली "अब इसे फिर से तैयार होने में कितना वक्त लगेगा?"

मदन: "वो तो थोड़ी देर में तैयार हो जाएगा.. पर मुझे तुमसे एक बात जाननी थी.. "

रेणुका: "यही ना.. की शीला अपने किस पुराने आशिक के साथ है.. !! वो तो मुझे भी नहीं पता.. जानना हो तो वहाँ जाकर ही देखना पड़ेगा"

मदन: "तो चलते है ना.. !! वहाँ जाकर सब साथ में इन्जॉय करेंगे"

रेणुका: "मुझे कोई प्रॉब्लेम नहीं है अगर तुम राजी हो तो"

दोनों फटाफट तैयार होकर साढ़े चार बजे निकाल गए.. दो घंटे के सुपर-फास्ट ड्राइविंग के बाद दोनों शीला की बताई हुई जगह पर पहुँच गए


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Ajju Landwalia

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मदहोश अंगड़ाई लेकर रेणुका कुर्सी से खड़ी हुई.. और अपने कूल्हे मटकाते हुए बाहर निकलकर दरवाजे की तरफ आई

दरवाजा खोलते ही देखा तो सामने रसिक खड़ा था..

रसिक: "शीला भाभी ने फोन कर मुझे बुलाया है.. कहाँ है भाभी?"

रसिक के कसे हुए मजबूत शरीर को पल भर के लिए रेणुका देखती ही रह गई.. !! काफी कोशिशों के बावजूद वह अपनी नजर को रसिक के लंड पर जाते हुए रोक नहीं पाई.. !!

रेणुका: "शीला तो घर पर नहीं है.. बाहर गई है"

तभी रसिक के पीछे से रूखी ने कहा "पर मदन भैया तो होंगे ना घर पर?"

मदन के सिखाए अनुसार रेणुका ने कहा "वो भी बाहर गए है.. शीला के साथ"

बेडरूम में बैठे बैठे अपने लंड को मसल रहे मदन ने जैसे ही रूखी की आवाज सुनी, वो दौड़कर बाहर ड्रॉइंग रूम में आ गया..

मदन: "अरे रसिक तुम?? आओ आओ.. और तुम बाहर क्यों खड़ी हो रूखी? अंदर आ जाओ.. "

रूखी अपने आँदामान निकोबार के केंद्रशासित प्रदेश जैसे बड़े बड़े स्तनों को पतली सी चुन्नी से ढँक कर घर के अंदर घुसी.. रसिक अभी भी बरामदे में खड़ा था..


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"अब अंदर आ भी जाओ.. तुम्हें अलग से न्योता दे क्या??" कतराते हुए रूखी ने रसिक से कहा

रसिक भी अंदर आ गया.. मदन की नजर अब रेणुका से हटकर रूखी पर चिपक गई थी.. तभी रेणुका की जांघों के बीच.. रसिक का राक्षस जैसा तगड़ा शरीर देखकर.. चुनचुनी होने लगी.. मन ही मन वो रसिक के गधे जैसे लंड की कल्पना करने लगी थी.. वो अब कैसे भी करके रसिक का रस लेना चाहती थी.. शीला ने रसिक की तारीफ के इतने पूल बाँधें थे.. रेणुका किसी भी तरह आज मिला चांस छोड़ना नहीं चाहती थी

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मदन को कंधे से खींचकर किचन में ले जाकर रेणुका ने कहा "मदन.. इस रसिक के साथ... न जाने कितनी रातें रंगीन की है शीला ने.. आज मुझे मौका मिला है.. हाथ जोड़कर विनती करती हूँ.. एक बार मुझे रसिक के साथ कर लेने दो.. फिर तुम जैसे चाहो वैसे मुझे रगड़ लेना.. !!"

रेणुका के दोनों स्तनों को अपने हाथों से मसलकर.. उसके होंठों की एक पप्पी लेकर मदन ने कहा "रेणु मेरी जान.. मैं भी रूखी के बदन का शहद चखने के लिए बेकरार हूँ.. एक काम करते है.. तू रूखी को मेरे लिए पटा.. मैं रसिक को तेरे लिए तैयार करता हूँ"

दोनों बाहर निकले.. रेणुका ने बाहर आते ही रसिक का हाथ पकड़ लिया और उसे खींचकर शीला-मदन के बेडरूम में ले गई.. रूखी तो स्तब्ध होकर उसे देखती ही रही..

रेणुका ने बेडरूम का दरवाजा बंद किया और रसिक से लिपट पड़ी.. और पाजामे के ऊपर से रसिक का लंड पकड़ लिया.. मोटी लौकी जैसा लंड हाथ में आते ही रेणुका पानी पानी हो गई

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रसिक पहले तो झिझकता रहा.. पर जब खाना खुद चलकर सामने आया हो तो खाने वाले को क्या हर्ज होगा भला.. !! उसने रेणुका की पीठ पर अपना हाथ सहलाना शुरू कर दिया

"लेकिन रूखी.... !! उसे क्या कहूँगा मैं?"

तब तक तो रेणुका ने रसिक के पाजामे का नाड़ा खोलकर उसका पलंग-तोड़ लंड बाहर निकाल लिया था.. आहाहा.. देखकर रेणुका को धरती पर ही स्वर्ग नजर आ गया.. जैसा शीला ने वर्णन किया था बिल्कुल वैसा ही था.. बड़े टमाटर जैसा सुपाड़ा.. कलाई से भी मोटा.. और इतना लंबा.. उपर लगी काली काली नसें.. और टेनिस की गेंद जैसे दो अंडकोश.. !! मन ही मन वो शीला का आभार प्रकट करने लगी

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शीला के घर में रेणुका और मदन..अलग अलग कमरों में.. भरी दोपहर में.. ३१ दिसंबर का आनंद ले रहे थे.. और वो भी अपने पसंदीदा पात्रों के साथ.. संयोग से ऐसा जबरदस्त सेटिंग हुआ था.. या फिर यूं कहिए की शीला ने सेटिंग किया था..

अभी एक घंटे पहले.. घर पर अकेले बैठे बैठे बोर हो रहे मदन ने.. रूखी को पूरी नंगी कर दिया था और बेड पर सुला दिया था.. पाँच-पाँच लीटर दूध भरे स्तनों की मालकिन रूखी.. लेटे लेटे मुस्कुरा रही थी.. उसके दोनों भारी स्तन दोनों तरफ ढल गए थे..

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मदन बस टूट पड़ा रूखी के दूध भरे मटके जैसे स्तनों पर.. !! उसे याद आ गया अमरीका में गुजारा वो वक्त.. जब वो मेरी के स्तनों को ऐसे ही चूसकर दूध पीता था.. !! तब से लेकर आज तक.. वैसा मौका नसीब ही नहीं हुआ था..

रूखी के मदमस्त स्तनों को दोनों हाथों में.. जितना हो सकें भरकर मसलने की कोशिश कर रहा था... रूखी के तड़बुच जैसे स्तनों के सामने मदन ऐसे देख रहा था जैसे छोटा सा बच्चा हाथी को देखकर आश्चर्य चकित खड़ा हो.. !!

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"रूखी, इतने बड़े बड़े बबलों का वज़न नहीं लगता तुझे?" निप्पल को चूसते हुए मदन ने रूखी से पूछा

सुनकर रूखी हंस पड़ी.. मदन के लंड को पकड़कर अपनी चूत पर रगड़ते हुए बोली "अपने ही शरीर का थोड़े ही वज़न लगता है कभी..?? कभी गधे को अपने लंड का वज़न लगता है क्या.. !!! आह्ह... जरा धीरे धीरे मसलिए साहब.. और थोड़ा नीचे भी रगड़िए मुझे.. बहुत दिन हो गए.. वो जीवा भी आजकल नजर नहीं आता"

मदन: "कौन जीवा?"

रूखी: "हैं एक दोस्त मेरा.. "

मदन: "तो क्या तुम उससे चुदवाती हो??"

मदन ने थोड़ा सा नीचे जाकर रूखी की चूत को चाटते ही.. रूखी ने अपने चूतड़ उठा लिए और बोली "अब आप जानकर क्या करेंगे साहब..आप जो कर रहे है वो करते रहिए.. !!"

मदन समझ गया.. रूखी जरूर कुछ छुपा रही थी.. इसलिए रूखी का मुंह खुलवाने के लिए उसने शीला के हथियार का इस्तेमाल किया

"मुझे सब पता है.. रघु और जीवा ने मेरे घर पर क्या क्या गुल खिलाए है.. सब जानता हूँ मैं.. तुझे न बताना हो तो मत बता"

रूखी: "ओह.. मतलब आप सबकुछ जानते हो साहब.. !! मैंने और शीला भाभी ने इस घर में बड़े मजे किए है.. शीला भाभी तो जीवा के लंड को छोड़ ही नहीं रही थी.. !! कमीने का लंड है ही ऐसा.. एक बार जो उसका स्वाद चख ले.. ज़िंदगी भर नहीं भूल सकता.. कितनी बार ठुकवाया भाभी ने.. फिर भी उनका तो मन ही नहीं भर रहा था.. !!"

"वैसे शीला ने मेरी गैर-मौजूदगी मैं कितनों के लंड लिए है??" हँसते हँसते मदन ने पूछा.. और फिर से रूखी की चूत के होंठों को उंगलियों से फैलाकर चाटने लगा

रूखी: "मेमसाब को कम मत समझना.. हाथ हिलाकर अपना घाघरा झटकाएगी तो अंदर से पचास लोडे निकलेंगे.. साहब.. अब आप वो सब बातें छोड़िए.. और मेरी भोस चाटिए.. जीवा की तरह.. चौड़ी कर के चाटिए.. आह्ह.. !!"

मदन को पता चल गया.. जब वो विदेश था तब उसने केवल मेरी के साथ ही संबंध बनाए थे.. पर यहाँ शीला ने तो लंडों के अंबार लगा दीये थे.. !! जीवा, रघु और रसिक के बारे में तो वो जान चुका था.. और भी न जाने कितने नाम होंगे.. !! अभी भी वो किसी पुराने आशिक से मिलने ही गई है.. बाप रे.. गुलछर्रे उड़ाने में शीला मर्दों से भी आगे निकल चुकी है.. !! पर उसका वो पुराना आशिक कौन होगा??

रूखी की चूत चाटते हुए.. मदन का दिमाग यह हिसाब लगा रहा था की आखिर शीला के भोसड़े को कितने लंडों ने पावन किया होगा.. !! उसने चाटते चाटते अपने हाथों से रूखी की निप्पलों को दबा दिया.. और दबाते ही दोनों निप्पलों से दूध की सफेद धार निकलकर रूखी के गदराए जिस्म को भिगोने लगी.. हथेली में थोड़ा सा दूध लेकर उसने रूखी की चूत पर लगाया.. और फिर चाटने लगा



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"आह्ह आह्ह.. बस बस साहब.. बहुत हुआ.. अब मेरे ऊपर आ जाइए.. आज तो चटवाकर मज़ा आ गया.. कितने दिनों से रसिक को चाटने के लिए कह कहकर थक गई.. पर वो साला चाटता ही नहीं है.. " रूखी ने मदन को खींचकर अपने ऊपर ले लिया.. और मदन का लंड पकड़कर अपने गरम सुराख पर सेट करने के बाद.. नीचे से अपनी गांड उठाकर.. लंड की सौगात को अपनी गुफा के अंदर प्रवेश करा दिया.. !!

लंड पतला हो या मोटा.. चूत को उस जीवंत अवयव का स्पर्श होते ही मज़ा आने लगता है.. चूत के अंदर की गर्माहट का एहसास होते ही मदन का लंड भी ताव में आ गया.. और वो रूखी के जिस्म को रौंदने लगा.. रूखी को अपनी चूत मैं मदन के लंड के घर्षण से बेहद मज़ा आ रहा था..

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और तभी अचानक.. !!!

उनके बेडरूम का दरवाजा खुला.. और बिस्तर के पास.. रेणुका और रसिक.. मादरजात नग्न अवस्था में आकर खड़े हो गए.. !! अपने चेहरे के बिल्कुल सामने मदन को रेणुका का पूर्ण नग्न जिस्म और रसिक का गधे जैसा लंड नजर आ रहा था.. !! फटी आँखों से मदन रेणुका के जबरदस्त सेक्सी बदन के नग्न अंगों को ताड़ता रहा.. रूखी की जांघें फैलाकर धनाधन शॉट मारते हुए वो रेणुका को झुककर रसिक का लंड चूसते हुए देखता ही रहा.. !!


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और रसिक का लंड.. !!! बाप रे.. !! मदन ने इतना तगड़ा और लंबा लंड आज तक नीली फिल्मों में भी नहीं देखा था.. !!! रेणुका का पूरा मुंह भर जाता फिर भी आधे से ज्यादा लंड बाहर ही था.. रेणुका के मुख से लंड को अंदर बाहर होता देख.. मदन और उत्तेजित होकर रूखी को चोदने लगा.. रसिक के लंड को मोटाई और लंबाई को देखकर नापते हुए मदन सोच रहा था की शीला ने इस रसिक के साथ पूरे पूरे मजे कीये होंगे.. !! भेनचोद लंड है या पत्थर तोड़ने का हथोड़ा.. !! रेणुका बार बार रसिक के टमाटर जीतने बड़े सुपाड़े को बाहर निकालकर चाट रही थी और फिर मुंह में अंदर डाल रही थी..

मदन का मन कर रहा था की वो रेणुका के करीब जाकर उसे चूम ले.. पर फिलहाल.. उसका कनेक्शन.. नीचे रूखी की चूत के साथ हो चुका था और वो अब इस स्थिति में आगे बढ़कर रेणुका को चूम सके ऐसी संभावना नही थी.. वैसे भी.. रेणुका तो रसिक के लंड में खो चुकी थी.. !!

रसिक ने रेणुका से कहा "भाभी.. अगर एक और बार नीचे चूत में लेने का मन हो तो अभी ले लीजिए.. मेरा अब निकलने को है.. !!"

रेणुका: "नहीं रसिक, मुझे थोड़ी देर चूस लेने दे.. दूसरी बार नीचे लेने की मेरी हिम्मत नहीं हो रही.. पहली बार डलवाया उसकी जलन अब तक हो रही है.. एक बार में ही फाड़ दी तूने तो.. दर्द हो रहा है मुझे"

रेणुका का अनुभव सुनकर मदन समझ गया की रसिक शीला का भी ऐसा ही हाल करता होगा.. !!

मदन: "रसिक, तेरा लंड तो वाकई जबरदस्त है.. देखकर ही मैं समझ गया की मेरी शीला की चूत का भोसड़ा कैसे बन गया.. !!"

रूखी: "अरे ये क्या भोसड़ा बनाएगा.. !! शीला भाभी के छेद की गुफा तो रघु और जीवा ने ही बनाई है.. जीवा का लंड तो इससे भी मोटा और लंबा है.. !!

रेणुका ने चूसते हुए कहा "क्या सच में?? इससे भी मोटा और बड़ा?? देखना पड़ेगा एक बार.. !!" रेणुका ने फिर से रसिक के सुपाड़े को मुंह में लेने की कोशिश की और तभी रसिक के लंड ने जोरदार पिचकारी मार कर रेणुका के शरीर, चेहरे और बालों पर सफेद रंगोली बना दी..

cm

इस तरफ मदन ने भी रूखी की तपतपाती चूत से लंड बाहर निकालकर उसके विशाल स्तनों पर वीर्य छोड़ दिया.. !! रूखी के दूध से भरे बबले वीर्य से सन गए.. और उसी के साथ चारों शांत हो गए..

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रसिक ने घड़ी के सामने देखकर कहा "अरे बाप रे.. !!! साढ़े तीन बज गए.. !! मुझे चार बजे खेत पर पहुंचना था.. !!" उसने फटाफट कपड़े पहने और रूखी को लेकर निकल गया..

अब बेडरूम में.. मदन और रेणुका ही बचे थे.. दोनों नंगे.. !! रेणुका मदन के बगल में बिस्तर पर लेट गई.. और उसके लंड से खेलते हुए बोली "अब इसे फिर से तैयार होने में कितना वक्त लगेगा?"

मदन: "वो तो थोड़ी देर में तैयार हो जाएगा.. पर मुझे तुमसे एक बात जाननी थी.. "

रेणुका: "यही ना.. की शीला अपने किस पुराने आशिक के साथ है.. !! वो तो मुझे भी नहीं पता.. जानना हो तो वहाँ जाकर ही देखना पड़ेगा"

मदन: "तो चलते है ना.. !! वहाँ जाकर सब साथ में इन्जॉय करेंगे"

रेणुका: "मुझे कोई प्रॉब्लेम नहीं है अगर तुम राजी हो तो"

दोनों फटाफट तैयार होकर साढ़े चार बजे निकाल गए.. दो घंटे के सुपर-फास्ट ड्राइविंग के बाद दोनों शीला की बताई हुई जगह पर पहुँच गए

Gazab ki kamuk update he vakharia Bhai,

Is hamam me to sab ke sab hi nange he........

Kaun kisase kitni baar chuda he koi farq nahi padata..........

Keep rocking Bro
 

bstyhw

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मदहोश अंगड़ाई लेकर रेणुका कुर्सी से खड़ी हुई.. और अपने कूल्हे मटकाते हुए बाहर निकलकर दरवाजे की तरफ आई

दरवाजा खोलते ही देखा तो सामने रसिक खड़ा था..

रसिक: "शीला भाभी ने फोन कर मुझे बुलाया है.. कहाँ है भाभी?"

रसिक के कसे हुए मजबूत शरीर को पल भर के लिए रेणुका देखती ही रह गई.. !! काफी कोशिशों के बावजूद वह अपनी नजर को रसिक के लंड पर जाते हुए रोक नहीं पाई.. !!

रेणुका: "शीला तो घर पर नहीं है.. बाहर गई है"

तभी रसिक के पीछे से रूखी ने कहा "पर मदन भैया तो होंगे ना घर पर?"

मदन के सिखाए अनुसार रेणुका ने कहा "वो भी बाहर गए है.. शीला के साथ"

बेडरूम में बैठे बैठे अपने लंड को मसल रहे मदन ने जैसे ही रूखी की आवाज सुनी, वो दौड़कर बाहर ड्रॉइंग रूम में आ गया..

मदन: "अरे रसिक तुम?? आओ आओ.. और तुम बाहर क्यों खड़ी हो रूखी? अंदर आ जाओ.. "

रूखी अपने आँदामान निकोबार के केंद्रशासित प्रदेश जैसे बड़े बड़े स्तनों को पतली सी चुन्नी से ढँक कर घर के अंदर घुसी.. रसिक अभी भी बरामदे में खड़ा था..


rukhi


"अब अंदर आ भी जाओ.. तुम्हें अलग से न्योता दे क्या??" कतराते हुए रूखी ने रसिक से कहा

रसिक भी अंदर आ गया.. मदन की नजर अब रेणुका से हटकर रूखी पर चिपक गई थी.. तभी रेणुका की जांघों के बीच.. रसिक का राक्षस जैसा तगड़ा शरीर देखकर.. चुनचुनी होने लगी.. मन ही मन वो रसिक के गधे जैसे लंड की कल्पना करने लगी थी.. वो अब कैसे भी करके रसिक का रस लेना चाहती थी.. शीला ने रसिक की तारीफ के इतने पूल बाँधें थे.. रेणुका किसी भी तरह आज मिला चांस छोड़ना नहीं चाहती थी

gd
मदन को कंधे से खींचकर किचन में ले जाकर रेणुका ने कहा "मदन.. इस रसिक के साथ... न जाने कितनी रातें रंगीन की है शीला ने.. आज मुझे मौका मिला है.. हाथ जोड़कर विनती करती हूँ.. एक बार मुझे रसिक के साथ कर लेने दो.. फिर तुम जैसे चाहो वैसे मुझे रगड़ लेना.. !!"

रेणुका के दोनों स्तनों को अपने हाथों से मसलकर.. उसके होंठों की एक पप्पी लेकर मदन ने कहा "रेणु मेरी जान.. मैं भी रूखी के बदन का शहद चखने के लिए बेकरार हूँ.. एक काम करते है.. तू रूखी को मेरे लिए पटा.. मैं रसिक को तेरे लिए तैयार करता हूँ"

दोनों बाहर निकले.. रेणुका ने बाहर आते ही रसिक का हाथ पकड़ लिया और उसे खींचकर शीला-मदन के बेडरूम में ले गई.. रूखी तो स्तब्ध होकर उसे देखती ही रही..

रेणुका ने बेडरूम का दरवाजा बंद किया और रसिक से लिपट पड़ी.. और पाजामे के ऊपर से रसिक का लंड पकड़ लिया.. मोटी लौकी जैसा लंड हाथ में आते ही रेणुका पानी पानी हो गई

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रेणुका: "रसिक, तुझे शीला ने मेरे लिए ही यहाँ बुलाया है.. आज मुझे रगड़ दे.. तेरे मूसल जैसे लंड से चोदकर मेरे परखच्चे उड़ा दे.. ओह रसिक.. आज मुझे ऐसे खुश कर दे की एक महीने तक मैं चुदवाने के काबिल न रहूँ"

रसिक पहले तो झिझकता रहा.. पर जब खाना खुद चलकर सामने आया हो तो खाने वाले को क्या हर्ज होगा भला.. !! उसने रेणुका की पीठ पर अपना हाथ सहलाना शुरू कर दिया

"लेकिन रूखी.... !! उसे क्या कहूँगा मैं?"

तब तक तो रेणुका ने रसिक के पाजामे का नाड़ा खोलकर उसका पलंग-तोड़ लंड बाहर निकाल लिया था.. आहाहा.. देखकर रेणुका को धरती पर ही स्वर्ग नजर आ गया.. जैसा शीला ने वर्णन किया था बिल्कुल वैसा ही था.. बड़े टमाटर जैसा सुपाड़ा.. कलाई से भी मोटा.. और इतना लंबा.. उपर लगी काली काली नसें.. और टेनिस की गेंद जैसे दो अंडकोश.. !! मन ही मन वो शीला का आभार प्रकट करने लगी

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"रूखी अभी मदन भैया को दूध पीला रही होगी.. तू उसकी चिंता छोड़.. और ले.. मेरे बॉल दबा.. " कहते हुए रेणुका ने फटाफ़ट अपने ब्लाउज के सारे हुक खोलकर.. एक पल में ब्रा उतार दी.. दोनों मांसल स्तनों को हतप्रभ होकर देख रहे रसिक का चेहरा पकड़कर.. उसके स्तनों पर दबा दिया रेणुका ने.. छोटे बच्चे की तरह.. पच-पच आवाज़ें करते हुए रसिक उसकी निप्पल चूसने लगा.. !!

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शीला के घर में रेणुका और मदन..अलग अलग कमरों में.. भरी दोपहर में.. ३१ दिसंबर का आनंद ले रहे थे.. और वो भी अपने पसंदीदा पात्रों के साथ.. संयोग से ऐसा जबरदस्त सेटिंग हुआ था.. या फिर यूं कहिए की शीला ने सेटिंग किया था..

अभी एक घंटे पहले.. घर पर अकेले बैठे बैठे बोर हो रहे मदन ने.. रूखी को पूरी नंगी कर दिया था और बेड पर सुला दिया था.. पाँच-पाँच लीटर दूध भरे स्तनों की मालकिन रूखी.. लेटे लेटे मुस्कुरा रही थी.. उसके दोनों भारी स्तन दोनों तरफ ढल गए थे..

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मदन बस टूट पड़ा रूखी के दूध भरे मटके जैसे स्तनों पर.. !! उसे याद आ गया अमरीका में गुजारा वो वक्त.. जब वो मेरी के स्तनों को ऐसे ही चूसकर दूध पीता था.. !! तब से लेकर आज तक.. वैसा मौका नसीब ही नहीं हुआ था..

रूखी के मदमस्त स्तनों को दोनों हाथों में.. जितना हो सकें भरकर मसलने की कोशिश कर रहा था... रूखी के तड़बुच जैसे स्तनों के सामने मदन ऐसे देख रहा था जैसे छोटा सा बच्चा हाथी को देखकर आश्चर्य चकित खड़ा हो.. !!

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"रूखी, इतने बड़े बड़े बबलों का वज़न नहीं लगता तुझे?" निप्पल को चूसते हुए मदन ने रूखी से पूछा

सुनकर रूखी हंस पड़ी.. मदन के लंड को पकड़कर अपनी चूत पर रगड़ते हुए बोली "अपने ही शरीर का थोड़े ही वज़न लगता है कभी..?? कभी गधे को अपने लंड का वज़न लगता है क्या.. !!! आह्ह... जरा धीरे धीरे मसलिए साहब.. और थोड़ा नीचे भी रगड़िए मुझे.. बहुत दिन हो गए.. वो जीवा भी आजकल नजर नहीं आता"

मदन: "कौन जीवा?"

रूखी: "हैं एक दोस्त मेरा.. "

मदन: "तो क्या तुम उससे चुदवाती हो??"

मदन ने थोड़ा सा नीचे जाकर रूखी की चूत को चाटते ही.. रूखी ने अपने चूतड़ उठा लिए और बोली "अब आप जानकर क्या करेंगे साहब..आप जो कर रहे है वो करते रहिए.. !!"

मदन समझ गया.. रूखी जरूर कुछ छुपा रही थी.. इसलिए रूखी का मुंह खुलवाने के लिए उसने शीला के हथियार का इस्तेमाल किया

"मुझे सब पता है.. रघु और जीवा ने मेरे घर पर क्या क्या गुल खिलाए है.. सब जानता हूँ मैं.. तुझे न बताना हो तो मत बता"

रूखी: "ओह.. मतलब आप सबकुछ जानते हो साहब.. !! मैंने और शीला भाभी ने इस घर में बड़े मजे किए है.. शीला भाभी तो जीवा के लंड को छोड़ ही नहीं रही थी.. !! कमीने का लंड है ही ऐसा.. एक बार जो उसका स्वाद चख ले.. ज़िंदगी भर नहीं भूल सकता.. कितनी बार ठुकवाया भाभी ने.. फिर भी उनका तो मन ही नहीं भर रहा था.. !!"

"वैसे शीला ने मेरी गैर-मौजूदगी मैं कितनों के लंड लिए है??" हँसते हँसते मदन ने पूछा.. और फिर से रूखी की चूत के होंठों को उंगलियों से फैलाकर चाटने लगा

रूखी: "मेमसाब को कम मत समझना.. हाथ हिलाकर अपना घाघरा झटकाएगी तो अंदर से पचास लोडे निकलेंगे.. साहब.. अब आप वो सब बातें छोड़िए.. और मेरी भोस चाटिए.. जीवा की तरह.. चौड़ी कर के चाटिए.. आह्ह.. !!"

मदन को पता चल गया.. जब वो विदेश था तब उसने केवल मेरी के साथ ही संबंध बनाए थे.. पर यहाँ शीला ने तो लंडों के अंबार लगा दीये थे.. !! जीवा, रघु और रसिक के बारे में तो वो जान चुका था.. और भी न जाने कितने नाम होंगे.. !! अभी भी वो किसी पुराने आशिक से मिलने ही गई है.. बाप रे.. गुलछर्रे उड़ाने में शीला मर्दों से भी आगे निकल चुकी है.. !! पर उसका वो पुराना आशिक कौन होगा??

रूखी की चूत चाटते हुए.. मदन का दिमाग यह हिसाब लगा रहा था की आखिर शीला के भोसड़े को कितने लंडों ने पावन किया होगा.. !! उसने चाटते चाटते अपने हाथों से रूखी की निप्पलों को दबा दिया.. और दबाते ही दोनों निप्पलों से दूध की सफेद धार निकलकर रूखी के गदराए जिस्म को भिगोने लगी.. हथेली में थोड़ा सा दूध लेकर उसने रूखी की चूत पर लगाया.. और फिर चाटने लगा



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"आह्ह आह्ह.. बस बस साहब.. बहुत हुआ.. अब मेरे ऊपर आ जाइए.. आज तो चटवाकर मज़ा आ गया.. कितने दिनों से रसिक को चाटने के लिए कह कहकर थक गई.. पर वो साला चाटता ही नहीं है.. " रूखी ने मदन को खींचकर अपने ऊपर ले लिया.. और मदन का लंड पकड़कर अपने गरम सुराख पर सेट करने के बाद.. नीचे से अपनी गांड उठाकर.. लंड की सौगात को अपनी गुफा के अंदर प्रवेश करा दिया.. !!

लंड पतला हो या मोटा.. चूत को उस जीवंत अवयव का स्पर्श होते ही मज़ा आने लगता है.. चूत के अंदर की गर्माहट का एहसास होते ही मदन का लंड भी ताव में आ गया.. और वो रूखी के जिस्म को रौंदने लगा.. रूखी को अपनी चूत मैं मदन के लंड के घर्षण से बेहद मज़ा आ रहा था..

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और तभी अचानक.. !!!

उनके बेडरूम का दरवाजा खुला.. और बिस्तर के पास.. रेणुका और रसिक.. मादरजात नग्न अवस्था में आकर खड़े हो गए.. !! अपने चेहरे के बिल्कुल सामने मदन को रेणुका का पूर्ण नग्न जिस्म और रसिक का गधे जैसा लंड नजर आ रहा था.. !! फटी आँखों से मदन रेणुका के जबरदस्त सेक्सी बदन के नग्न अंगों को ताड़ता रहा.. रूखी की जांघें फैलाकर धनाधन शॉट मारते हुए वो रेणुका को झुककर रसिक का लंड चूसते हुए देखता ही रहा.. !!


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और रसिक का लंड.. !!! बाप रे.. !! मदन ने इतना तगड़ा और लंबा लंड आज तक नीली फिल्मों में भी नहीं देखा था.. !!! रेणुका का पूरा मुंह भर जाता फिर भी आधे से ज्यादा लंड बाहर ही था.. रेणुका के मुख से लंड को अंदर बाहर होता देख.. मदन और उत्तेजित होकर रूखी को चोदने लगा.. रसिक के लंड को मोटाई और लंबाई को देखकर नापते हुए मदन सोच रहा था की शीला ने इस रसिक के साथ पूरे पूरे मजे कीये होंगे.. !! भेनचोद लंड है या पत्थर तोड़ने का हथोड़ा.. !! रेणुका बार बार रसिक के टमाटर जीतने बड़े सुपाड़े को बाहर निकालकर चाट रही थी और फिर मुंह में अंदर डाल रही थी..

मदन का मन कर रहा था की वो रेणुका के करीब जाकर उसे चूम ले.. पर फिलहाल.. उसका कनेक्शन.. नीचे रूखी की चूत के साथ हो चुका था और वो अब इस स्थिति में आगे बढ़कर रेणुका को चूम सके ऐसी संभावना नही थी.. वैसे भी.. रेणुका तो रसिक के लंड में खो चुकी थी.. !!

रसिक ने रेणुका से कहा "भाभी.. अगर एक और बार नीचे चूत में लेने का मन हो तो अभी ले लीजिए.. मेरा अब निकलने को है.. !!"

रेणुका: "नहीं रसिक, मुझे थोड़ी देर चूस लेने दे.. दूसरी बार नीचे लेने की मेरी हिम्मत नहीं हो रही.. पहली बार डलवाया उसकी जलन अब तक हो रही है.. एक बार में ही फाड़ दी तूने तो.. दर्द हो रहा है मुझे"

रेणुका का अनुभव सुनकर मदन समझ गया की रसिक शीला का भी ऐसा ही हाल करता होगा.. !!

मदन: "रसिक, तेरा लंड तो वाकई जबरदस्त है.. देखकर ही मैं समझ गया की मेरी शीला की चूत का भोसड़ा कैसे बन गया.. !!"

रूखी: "अरे ये क्या भोसड़ा बनाएगा.. !! शीला भाभी के छेद की गुफा तो रघु और जीवा ने ही बनाई है.. जीवा का लंड तो इससे भी मोटा और लंबा है.. !!

रेणुका ने चूसते हुए कहा "क्या सच में?? इससे भी मोटा और बड़ा?? देखना पड़ेगा एक बार.. !!" रेणुका ने फिर से रसिक के सुपाड़े को मुंह में लेने की कोशिश की और तभी रसिक के लंड ने जोरदार पिचकारी मार कर रेणुका के शरीर, चेहरे और बालों पर सफेद रंगोली बना दी..

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इस तरफ मदन ने भी रूखी की तपतपाती चूत से लंड बाहर निकालकर उसके विशाल स्तनों पर वीर्य छोड़ दिया.. !! रूखी के दूध से भरे बबले वीर्य से सन गए.. और उसी के साथ चारों शांत हो गए..

scum5
रसिक ने घड़ी के सामने देखकर कहा "अरे बाप रे.. !!! साढ़े तीन बज गए.. !! मुझे चार बजे खेत पर पहुंचना था.. !!" उसने फटाफट कपड़े पहने और रूखी को लेकर निकल गया..

अब बेडरूम में.. मदन और रेणुका ही बचे थे.. दोनों नंगे.. !! रेणुका मदन के बगल में बिस्तर पर लेट गई.. और उसके लंड से खेलते हुए बोली "अब इसे फिर से तैयार होने में कितना वक्त लगेगा?"

मदन: "वो तो थोड़ी देर में तैयार हो जाएगा.. पर मुझे तुमसे एक बात जाननी थी.. "

रेणुका: "यही ना.. की शीला अपने किस पुराने आशिक के साथ है.. !! वो तो मुझे भी नहीं पता.. जानना हो तो वहाँ जाकर ही देखना पड़ेगा"

मदन: "तो चलते है ना.. !! वहाँ जाकर सब साथ में इन्जॉय करेंगे"

रेणुका: "मुझे कोई प्रॉब्लेम नहीं है अगर तुम राजी हो तो"

दोनों फटाफट तैयार होकर साढ़े चार बजे निकाल गए.. दो घंटे के सुपर-फास्ट ड्राइविंग के बाद दोनों शीला की बताई हुई जगह पर पहुँच गए
Fantastic update
 

kamdev99008

FoX - Federation of Xossipians
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शीला कहीं राजेश के साथ तो नहीं
या रघु और जीवा???

देखते हैं
 

Rajizexy

Punjabi Doc, Rajiii
Supreme
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मदहोश अंगड़ाई लेकर रेणुका कुर्सी से खड़ी हुई.. और अपने कूल्हे मटकाते हुए बाहर निकलकर दरवाजे की तरफ आई

दरवाजा खोलते ही देखा तो सामने रसिक खड़ा था..

रसिक: "शीला भाभी ने फोन कर मुझे बुलाया है.. कहाँ है भाभी?"

रसिक के कसे हुए मजबूत शरीर को पल भर के लिए रेणुका देखती ही रह गई.. !! काफी कोशिशों के बावजूद वह अपनी नजर को रसिक के लंड पर जाते हुए रोक नहीं पाई.. !!

रेणुका: "शीला तो घर पर नहीं है.. बाहर गई है"

तभी रसिक के पीछे से रूखी ने कहा "पर मदन भैया तो होंगे ना घर पर?"

मदन के सिखाए अनुसार रेणुका ने कहा "वो भी बाहर गए है.. शीला के साथ"

बेडरूम में बैठे बैठे अपने लंड को मसल रहे मदन ने जैसे ही रूखी की आवाज सुनी, वो दौड़कर बाहर ड्रॉइंग रूम में आ गया..

मदन: "अरे रसिक तुम?? आओ आओ.. और तुम बाहर क्यों खड़ी हो रूखी? अंदर आ जाओ.. "

रूखी अपने आँदामान निकोबार के केंद्रशासित प्रदेश जैसे बड़े बड़े स्तनों को पतली सी चुन्नी से ढँक कर घर के अंदर घुसी.. रसिक अभी भी बरामदे में खड़ा था..


rukhi


"अब अंदर आ भी जाओ.. तुम्हें अलग से न्योता दे क्या??" कतराते हुए रूखी ने रसिक से कहा

रसिक भी अंदर आ गया.. मदन की नजर अब रेणुका से हटकर रूखी पर चिपक गई थी.. तभी रेणुका की जांघों के बीच.. रसिक का राक्षस जैसा तगड़ा शरीर देखकर.. चुनचुनी होने लगी.. मन ही मन वो रसिक के गधे जैसे लंड की कल्पना करने लगी थी.. वो अब कैसे भी करके रसिक का रस लेना चाहती थी.. शीला ने रसिक की तारीफ के इतने पूल बाँधें थे.. रेणुका किसी भी तरह आज मिला चांस छोड़ना नहीं चाहती थी

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मदन को कंधे से खींचकर किचन में ले जाकर रेणुका ने कहा "मदन.. इस रसिक के साथ... न जाने कितनी रातें रंगीन की है शीला ने.. आज मुझे मौका मिला है.. हाथ जोड़कर विनती करती हूँ.. एक बार मुझे रसिक के साथ कर लेने दो.. फिर तुम जैसे चाहो वैसे मुझे रगड़ लेना.. !!"

रेणुका के दोनों स्तनों को अपने हाथों से मसलकर.. उसके होंठों की एक पप्पी लेकर मदन ने कहा "रेणु मेरी जान.. मैं भी रूखी के बदन का शहद चखने के लिए बेकरार हूँ.. एक काम करते है.. तू रूखी को मेरे लिए पटा.. मैं रसिक को तेरे लिए तैयार करता हूँ"

दोनों बाहर निकले.. रेणुका ने बाहर आते ही रसिक का हाथ पकड़ लिया और उसे खींचकर शीला-मदन के बेडरूम में ले गई.. रूखी तो स्तब्ध होकर उसे देखती ही रही..

रेणुका ने बेडरूम का दरवाजा बंद किया और रसिक से लिपट पड़ी.. और पाजामे के ऊपर से रसिक का लंड पकड़ लिया.. मोटी लौकी जैसा लंड हाथ में आते ही रेणुका पानी पानी हो गई

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रेणुका: "रसिक, तुझे शीला ने मेरे लिए ही यहाँ बुलाया है.. आज मुझे रगड़ दे.. तेरे मूसल जैसे लंड से चोदकर मेरे परखच्चे उड़ा दे.. ओह रसिक.. आज मुझे ऐसे खुश कर दे की एक महीने तक मैं चुदवाने के काबिल न रहूँ"

रसिक पहले तो झिझकता रहा.. पर जब खाना खुद चलकर सामने आया हो तो खाने वाले को क्या हर्ज होगा भला.. !! उसने रेणुका की पीठ पर अपना हाथ सहलाना शुरू कर दिया

"लेकिन रूखी.... !! उसे क्या कहूँगा मैं?"

तब तक तो रेणुका ने रसिक के पाजामे का नाड़ा खोलकर उसका पलंग-तोड़ लंड बाहर निकाल लिया था.. आहाहा.. देखकर रेणुका को धरती पर ही स्वर्ग नजर आ गया.. जैसा शीला ने वर्णन किया था बिल्कुल वैसा ही था.. बड़े टमाटर जैसा सुपाड़ा.. कलाई से भी मोटा.. और इतना लंबा.. उपर लगी काली काली नसें.. और टेनिस की गेंद जैसे दो अंडकोश.. !! मन ही मन वो शीला का आभार प्रकट करने लगी

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"रूखी अभी मदन भैया को दूध पीला रही होगी.. तू उसकी चिंता छोड़.. और ले.. मेरे बॉल दबा.. " कहते हुए रेणुका ने फटाफ़ट अपने ब्लाउज के सारे हुक खोलकर.. एक पल में ब्रा उतार दी.. दोनों मांसल स्तनों को हतप्रभ होकर देख रहे रसिक का चेहरा पकड़कर.. उसके स्तनों पर दबा दिया रेणुका ने.. छोटे बच्चे की तरह.. पच-पच आवाज़ें करते हुए रसिक उसकी निप्पल चूसने लगा.. !!

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शीला के घर में रेणुका और मदन..अलग अलग कमरों में.. भरी दोपहर में.. ३१ दिसंबर का आनंद ले रहे थे.. और वो भी अपने पसंदीदा पात्रों के साथ.. संयोग से ऐसा जबरदस्त सेटिंग हुआ था.. या फिर यूं कहिए की शीला ने सेटिंग किया था..

अभी एक घंटे पहले.. घर पर अकेले बैठे बैठे बोर हो रहे मदन ने.. रूखी को पूरी नंगी कर दिया था और बेड पर सुला दिया था.. पाँच-पाँच लीटर दूध भरे स्तनों की मालकिन रूखी.. लेटे लेटे मुस्कुरा रही थी.. उसके दोनों भारी स्तन दोनों तरफ ढल गए थे..

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मदन बस टूट पड़ा रूखी के दूध भरे मटके जैसे स्तनों पर.. !! उसे याद आ गया अमरीका में गुजारा वो वक्त.. जब वो मेरी के स्तनों को ऐसे ही चूसकर दूध पीता था.. !! तब से लेकर आज तक.. वैसा मौका नसीब ही नहीं हुआ था..

रूखी के मदमस्त स्तनों को दोनों हाथों में.. जितना हो सकें भरकर मसलने की कोशिश कर रहा था... रूखी के तड़बुच जैसे स्तनों के सामने मदन ऐसे देख रहा था जैसे छोटा सा बच्चा हाथी को देखकर आश्चर्य चकित खड़ा हो.. !!

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"रूखी, इतने बड़े बड़े बबलों का वज़न नहीं लगता तुझे?" निप्पल को चूसते हुए मदन ने रूखी से पूछा

सुनकर रूखी हंस पड़ी.. मदन के लंड को पकड़कर अपनी चूत पर रगड़ते हुए बोली "अपने ही शरीर का थोड़े ही वज़न लगता है कभी..?? कभी गधे को अपने लंड का वज़न लगता है क्या.. !!! आह्ह... जरा धीरे धीरे मसलिए साहब.. और थोड़ा नीचे भी रगड़िए मुझे.. बहुत दिन हो गए.. वो जीवा भी आजकल नजर नहीं आता"

मदन: "कौन जीवा?"

रूखी: "हैं एक दोस्त मेरा.. "

मदन: "तो क्या तुम उससे चुदवाती हो??"

मदन ने थोड़ा सा नीचे जाकर रूखी की चूत को चाटते ही.. रूखी ने अपने चूतड़ उठा लिए और बोली "अब आप जानकर क्या करेंगे साहब..आप जो कर रहे है वो करते रहिए.. !!"

मदन समझ गया.. रूखी जरूर कुछ छुपा रही थी.. इसलिए रूखी का मुंह खुलवाने के लिए उसने शीला के हथियार का इस्तेमाल किया

"मुझे सब पता है.. रघु और जीवा ने मेरे घर पर क्या क्या गुल खिलाए है.. सब जानता हूँ मैं.. तुझे न बताना हो तो मत बता"

रूखी: "ओह.. मतलब आप सबकुछ जानते हो साहब.. !! मैंने और शीला भाभी ने इस घर में बड़े मजे किए है.. शीला भाभी तो जीवा के लंड को छोड़ ही नहीं रही थी.. !! कमीने का लंड है ही ऐसा.. एक बार जो उसका स्वाद चख ले.. ज़िंदगी भर नहीं भूल सकता.. कितनी बार ठुकवाया भाभी ने.. फिर भी उनका तो मन ही नहीं भर रहा था.. !!"

"वैसे शीला ने मेरी गैर-मौजूदगी मैं कितनों के लंड लिए है??" हँसते हँसते मदन ने पूछा.. और फिर से रूखी की चूत के होंठों को उंगलियों से फैलाकर चाटने लगा

रूखी: "मेमसाब को कम मत समझना.. हाथ हिलाकर अपना घाघरा झटकाएगी तो अंदर से पचास लोडे निकलेंगे.. साहब.. अब आप वो सब बातें छोड़िए.. और मेरी भोस चाटिए.. जीवा की तरह.. चौड़ी कर के चाटिए.. आह्ह.. !!"

मदन को पता चल गया.. जब वो विदेश था तब उसने केवल मेरी के साथ ही संबंध बनाए थे.. पर यहाँ शीला ने तो लंडों के अंबार लगा दीये थे.. !! जीवा, रघु और रसिक के बारे में तो वो जान चुका था.. और भी न जाने कितने नाम होंगे.. !! अभी भी वो किसी पुराने आशिक से मिलने ही गई है.. बाप रे.. गुलछर्रे उड़ाने में शीला मर्दों से भी आगे निकल चुकी है.. !! पर उसका वो पुराना आशिक कौन होगा??

रूखी की चूत चाटते हुए.. मदन का दिमाग यह हिसाब लगा रहा था की आखिर शीला के भोसड़े को कितने लंडों ने पावन किया होगा.. !! उसने चाटते चाटते अपने हाथों से रूखी की निप्पलों को दबा दिया.. और दबाते ही दोनों निप्पलों से दूध की सफेद धार निकलकर रूखी के गदराए जिस्म को भिगोने लगी.. हथेली में थोड़ा सा दूध लेकर उसने रूखी की चूत पर लगाया.. और फिर चाटने लगा



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"आह्ह आह्ह.. बस बस साहब.. बहुत हुआ.. अब मेरे ऊपर आ जाइए.. आज तो चटवाकर मज़ा आ गया.. कितने दिनों से रसिक को चाटने के लिए कह कहकर थक गई.. पर वो साला चाटता ही नहीं है.. " रूखी ने मदन को खींचकर अपने ऊपर ले लिया.. और मदन का लंड पकड़कर अपने गरम सुराख पर सेट करने के बाद.. नीचे से अपनी गांड उठाकर.. लंड की सौगात को अपनी गुफा के अंदर प्रवेश करा दिया.. !!

लंड पतला हो या मोटा.. चूत को उस जीवंत अवयव का स्पर्श होते ही मज़ा आने लगता है.. चूत के अंदर की गर्माहट का एहसास होते ही मदन का लंड भी ताव में आ गया.. और वो रूखी के जिस्म को रौंदने लगा.. रूखी को अपनी चूत मैं मदन के लंड के घर्षण से बेहद मज़ा आ रहा था..

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और तभी अचानक.. !!!

उनके बेडरूम का दरवाजा खुला.. और बिस्तर के पास.. रेणुका और रसिक.. मादरजात नग्न अवस्था में आकर खड़े हो गए.. !! अपने चेहरे के बिल्कुल सामने मदन को रेणुका का पूर्ण नग्न जिस्म और रसिक का गधे जैसा लंड नजर आ रहा था.. !! फटी आँखों से मदन रेणुका के जबरदस्त सेक्सी बदन के नग्न अंगों को ताड़ता रहा.. रूखी की जांघें फैलाकर धनाधन शॉट मारते हुए वो रेणुका को झुककर रसिक का लंड चूसते हुए देखता ही रहा.. !!


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और रसिक का लंड.. !!! बाप रे.. !! मदन ने इतना तगड़ा और लंबा लंड आज तक नीली फिल्मों में भी नहीं देखा था.. !!! रेणुका का पूरा मुंह भर जाता फिर भी आधे से ज्यादा लंड बाहर ही था.. रेणुका के मुख से लंड को अंदर बाहर होता देख.. मदन और उत्तेजित होकर रूखी को चोदने लगा.. रसिक के लंड को मोटाई और लंबाई को देखकर नापते हुए मदन सोच रहा था की शीला ने इस रसिक के साथ पूरे पूरे मजे कीये होंगे.. !! भेनचोद लंड है या पत्थर तोड़ने का हथोड़ा.. !! रेणुका बार बार रसिक के टमाटर जीतने बड़े सुपाड़े को बाहर निकालकर चाट रही थी और फिर मुंह में अंदर डाल रही थी..

मदन का मन कर रहा था की वो रेणुका के करीब जाकर उसे चूम ले.. पर फिलहाल.. उसका कनेक्शन.. नीचे रूखी की चूत के साथ हो चुका था और वो अब इस स्थिति में आगे बढ़कर रेणुका को चूम सके ऐसी संभावना नही थी.. वैसे भी.. रेणुका तो रसिक के लंड में खो चुकी थी.. !!

रसिक ने रेणुका से कहा "भाभी.. अगर एक और बार नीचे चूत में लेने का मन हो तो अभी ले लीजिए.. मेरा अब निकलने को है.. !!"

रेणुका: "नहीं रसिक, मुझे थोड़ी देर चूस लेने दे.. दूसरी बार नीचे लेने की मेरी हिम्मत नहीं हो रही.. पहली बार डलवाया उसकी जलन अब तक हो रही है.. एक बार में ही फाड़ दी तूने तो.. दर्द हो रहा है मुझे"

रेणुका का अनुभव सुनकर मदन समझ गया की रसिक शीला का भी ऐसा ही हाल करता होगा.. !!

मदन: "रसिक, तेरा लंड तो वाकई जबरदस्त है.. देखकर ही मैं समझ गया की मेरी शीला की चूत का भोसड़ा कैसे बन गया.. !!"

रूखी: "अरे ये क्या भोसड़ा बनाएगा.. !! शीला भाभी के छेद की गुफा तो रघु और जीवा ने ही बनाई है.. जीवा का लंड तो इससे भी मोटा और लंबा है.. !!

रेणुका ने चूसते हुए कहा "क्या सच में?? इससे भी मोटा और बड़ा?? देखना पड़ेगा एक बार.. !!" रेणुका ने फिर से रसिक के सुपाड़े को मुंह में लेने की कोशिश की और तभी रसिक के लंड ने जोरदार पिचकारी मार कर रेणुका के शरीर, चेहरे और बालों पर सफेद रंगोली बना दी..

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इस तरफ मदन ने भी रूखी की तपतपाती चूत से लंड बाहर निकालकर उसके विशाल स्तनों पर वीर्य छोड़ दिया.. !! रूखी के दूध से भरे बबले वीर्य से सन गए.. और उसी के साथ चारों शांत हो गए..

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रसिक ने घड़ी के सामने देखकर कहा "अरे बाप रे.. !!! साढ़े तीन बज गए.. !! मुझे चार बजे खेत पर पहुंचना था.. !!" उसने फटाफट कपड़े पहने और रूखी को लेकर निकल गया..

अब बेडरूम में.. मदन और रेणुका ही बचे थे.. दोनों नंगे.. !! रेणुका मदन के बगल में बिस्तर पर लेट गई.. और उसके लंड से खेलते हुए बोली "अब इसे फिर से तैयार होने में कितना वक्त लगेगा?"

मदन: "वो तो थोड़ी देर में तैयार हो जाएगा.. पर मुझे तुमसे एक बात जाननी थी.. "

रेणुका: "यही ना.. की शीला अपने किस पुराने आशिक के साथ है.. !! वो तो मुझे भी नहीं पता.. जानना हो तो वहाँ जाकर ही देखना पड़ेगा"

मदन: "तो चलते है ना.. !! वहाँ जाकर सब साथ में इन्जॉय करेंगे"

रेणुका: "मुझे कोई प्रॉब्लेम नहीं है अगर तुम राजी हो तो"

दोनों फटाफट तैयार होकर साढ़े चार बजे निकाल गए.. दो घंटे के सुपर-फास्ट ड्राइविंग के बाद दोनों शीला की बताई हुई जगह पर पहुँच गए
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