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Adultery शीला की लीला (५५ साल की शीला की जवानी)

Ek number

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मदहोश अंगड़ाई लेकर रेणुका कुर्सी से खड़ी हुई.. और अपने कूल्हे मटकाते हुए बाहर निकलकर दरवाजे की तरफ आई

दरवाजा खोलते ही देखा तो सामने रसिक खड़ा था..

रसिक: "शीला भाभी ने फोन कर मुझे बुलाया है.. कहाँ है भाभी?"

रसिक के कसे हुए मजबूत शरीर को पल भर के लिए रेणुका देखती ही रह गई.. !! काफी कोशिशों के बावजूद वह अपनी नजर को रसिक के लंड पर जाते हुए रोक नहीं पाई.. !!

रेणुका: "शीला तो घर पर नहीं है.. बाहर गई है"

तभी रसिक के पीछे से रूखी ने कहा "पर मदन भैया तो होंगे ना घर पर?"

मदन के सिखाए अनुसार रेणुका ने कहा "वो भी बाहर गए है.. शीला के साथ"

बेडरूम में बैठे बैठे अपने लंड को मसल रहे मदन ने जैसे ही रूखी की आवाज सुनी, वो दौड़कर बाहर ड्रॉइंग रूम में आ गया..

मदन: "अरे रसिक तुम?? आओ आओ.. और तुम बाहर क्यों खड़ी हो रूखी? अंदर आ जाओ.. "

रूखी अपने आँदामान निकोबार के केंद्रशासित प्रदेश जैसे बड़े बड़े स्तनों को पतली सी चुन्नी से ढँक कर घर के अंदर घुसी.. रसिक अभी भी बरामदे में खड़ा था..


rukhi


"अब अंदर आ भी जाओ.. तुम्हें अलग से न्योता दे क्या??" कतराते हुए रूखी ने रसिक से कहा

रसिक भी अंदर आ गया.. मदन की नजर अब रेणुका से हटकर रूखी पर चिपक गई थी.. तभी रेणुका की जांघों के बीच.. रसिक का राक्षस जैसा तगड़ा शरीर देखकर.. चुनचुनी होने लगी.. मन ही मन वो रसिक के गधे जैसे लंड की कल्पना करने लगी थी.. वो अब कैसे भी करके रसिक का रस लेना चाहती थी.. शीला ने रसिक की तारीफ के इतने पूल बाँधें थे.. रेणुका किसी भी तरह आज मिला चांस छोड़ना नहीं चाहती थी

gd
मदन को कंधे से खींचकर किचन में ले जाकर रेणुका ने कहा "मदन.. इस रसिक के साथ... न जाने कितनी रातें रंगीन की है शीला ने.. आज मुझे मौका मिला है.. हाथ जोड़कर विनती करती हूँ.. एक बार मुझे रसिक के साथ कर लेने दो.. फिर तुम जैसे चाहो वैसे मुझे रगड़ लेना.. !!"

रेणुका के दोनों स्तनों को अपने हाथों से मसलकर.. उसके होंठों की एक पप्पी लेकर मदन ने कहा "रेणु मेरी जान.. मैं भी रूखी के बदन का शहद चखने के लिए बेकरार हूँ.. एक काम करते है.. तू रूखी को मेरे लिए पटा.. मैं रसिक को तेरे लिए तैयार करता हूँ"

दोनों बाहर निकले.. रेणुका ने बाहर आते ही रसिक का हाथ पकड़ लिया और उसे खींचकर शीला-मदन के बेडरूम में ले गई.. रूखी तो स्तब्ध होकर उसे देखती ही रही..

रेणुका ने बेडरूम का दरवाजा बंद किया और रसिक से लिपट पड़ी.. और पाजामे के ऊपर से रसिक का लंड पकड़ लिया.. मोटी लौकी जैसा लंड हाथ में आते ही रेणुका पानी पानी हो गई

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रेणुका: "रसिक, तुझे शीला ने मेरे लिए ही यहाँ बुलाया है.. आज मुझे रगड़ दे.. तेरे मूसल जैसे लंड से चोदकर मेरे परखच्चे उड़ा दे.. ओह रसिक.. आज मुझे ऐसे खुश कर दे की एक महीने तक मैं चुदवाने के काबिल न रहूँ"

रसिक पहले तो झिझकता रहा.. पर जब खाना खुद चलकर सामने आया हो तो खाने वाले को क्या हर्ज होगा भला.. !! उसने रेणुका की पीठ पर अपना हाथ सहलाना शुरू कर दिया

"लेकिन रूखी.... !! उसे क्या कहूँगा मैं?"

तब तक तो रेणुका ने रसिक के पाजामे का नाड़ा खोलकर उसका पलंग-तोड़ लंड बाहर निकाल लिया था.. आहाहा.. देखकर रेणुका को धरती पर ही स्वर्ग नजर आ गया.. जैसा शीला ने वर्णन किया था बिल्कुल वैसा ही था.. बड़े टमाटर जैसा सुपाड़ा.. कलाई से भी मोटा.. और इतना लंबा.. उपर लगी काली काली नसें.. और टेनिस की गेंद जैसे दो अंडकोश.. !! मन ही मन वो शीला का आभार प्रकट करने लगी

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"रूखी अभी मदन भैया को दूध पीला रही होगी.. तू उसकी चिंता छोड़.. और ले.. मेरे बॉल दबा.. " कहते हुए रेणुका ने फटाफ़ट अपने ब्लाउज के सारे हुक खोलकर.. एक पल में ब्रा उतार दी.. दोनों मांसल स्तनों को हतप्रभ होकर देख रहे रसिक का चेहरा पकड़कर.. उसके स्तनों पर दबा दिया रेणुका ने.. छोटे बच्चे की तरह.. पच-पच आवाज़ें करते हुए रसिक उसकी निप्पल चूसने लगा.. !!

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शीला के घर में रेणुका और मदन..अलग अलग कमरों में.. भरी दोपहर में.. ३१ दिसंबर का आनंद ले रहे थे.. और वो भी अपने पसंदीदा पात्रों के साथ.. संयोग से ऐसा जबरदस्त सेटिंग हुआ था.. या फिर यूं कहिए की शीला ने सेटिंग किया था..

अभी एक घंटे पहले.. घर पर अकेले बैठे बैठे बोर हो रहे मदन ने.. रूखी को पूरी नंगी कर दिया था और बेड पर सुला दिया था.. पाँच-पाँच लीटर दूध भरे स्तनों की मालकिन रूखी.. लेटे लेटे मुस्कुरा रही थी.. उसके दोनों भारी स्तन दोनों तरफ ढल गए थे..

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मदन बस टूट पड़ा रूखी के दूध भरे मटके जैसे स्तनों पर.. !! उसे याद आ गया अमरीका में गुजारा वो वक्त.. जब वो मेरी के स्तनों को ऐसे ही चूसकर दूध पीता था.. !! तब से लेकर आज तक.. वैसा मौका नसीब ही नहीं हुआ था..

रूखी के मदमस्त स्तनों को दोनों हाथों में.. जितना हो सकें भरकर मसलने की कोशिश कर रहा था... रूखी के तड़बुच जैसे स्तनों के सामने मदन ऐसे देख रहा था जैसे छोटा सा बच्चा हाथी को देखकर आश्चर्य चकित खड़ा हो.. !!

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"रूखी, इतने बड़े बड़े बबलों का वज़न नहीं लगता तुझे?" निप्पल को चूसते हुए मदन ने रूखी से पूछा

सुनकर रूखी हंस पड़ी.. मदन के लंड को पकड़कर अपनी चूत पर रगड़ते हुए बोली "अपने ही शरीर का थोड़े ही वज़न लगता है कभी..?? कभी गधे को अपने लंड का वज़न लगता है क्या.. !!! आह्ह... जरा धीरे धीरे मसलिए साहब.. और थोड़ा नीचे भी रगड़िए मुझे.. बहुत दिन हो गए.. वो जीवा भी आजकल नजर नहीं आता"

मदन: "कौन जीवा?"

रूखी: "हैं एक दोस्त मेरा.. "

मदन: "तो क्या तुम उससे चुदवाती हो??"

मदन ने थोड़ा सा नीचे जाकर रूखी की चूत को चाटते ही.. रूखी ने अपने चूतड़ उठा लिए और बोली "अब आप जानकर क्या करेंगे साहब..आप जो कर रहे है वो करते रहिए.. !!"

मदन समझ गया.. रूखी जरूर कुछ छुपा रही थी.. इसलिए रूखी का मुंह खुलवाने के लिए उसने शीला के हथियार का इस्तेमाल किया

"मुझे सब पता है.. रघु और जीवा ने मेरे घर पर क्या क्या गुल खिलाए है.. सब जानता हूँ मैं.. तुझे न बताना हो तो मत बता"

रूखी: "ओह.. मतलब आप सबकुछ जानते हो साहब.. !! मैंने और शीला भाभी ने इस घर में बड़े मजे किए है.. शीला भाभी तो जीवा के लंड को छोड़ ही नहीं रही थी.. !! कमीने का लंड है ही ऐसा.. एक बार जो उसका स्वाद चख ले.. ज़िंदगी भर नहीं भूल सकता.. कितनी बार ठुकवाया भाभी ने.. फिर भी उनका तो मन ही नहीं भर रहा था.. !!"

"वैसे शीला ने मेरी गैर-मौजूदगी मैं कितनों के लंड लिए है??" हँसते हँसते मदन ने पूछा.. और फिर से रूखी की चूत के होंठों को उंगलियों से फैलाकर चाटने लगा

रूखी: "मेमसाब को कम मत समझना.. हाथ हिलाकर अपना घाघरा झटकाएगी तो अंदर से पचास लोडे निकलेंगे.. साहब.. अब आप वो सब बातें छोड़िए.. और मेरी भोस चाटिए.. जीवा की तरह.. चौड़ी कर के चाटिए.. आह्ह.. !!"

मदन को पता चल गया.. जब वो विदेश था तब उसने केवल मेरी के साथ ही संबंध बनाए थे.. पर यहाँ शीला ने तो लंडों के अंबार लगा दीये थे.. !! जीवा, रघु और रसिक के बारे में तो वो जान चुका था.. और भी न जाने कितने नाम होंगे.. !! अभी भी वो किसी पुराने आशिक से मिलने ही गई है.. बाप रे.. गुलछर्रे उड़ाने में शीला मर्दों से भी आगे निकल चुकी है.. !! पर उसका वो पुराना आशिक कौन होगा??

रूखी की चूत चाटते हुए.. मदन का दिमाग यह हिसाब लगा रहा था की आखिर शीला के भोसड़े को कितने लंडों ने पावन किया होगा.. !! उसने चाटते चाटते अपने हाथों से रूखी की निप्पलों को दबा दिया.. और दबाते ही दोनों निप्पलों से दूध की सफेद धार निकलकर रूखी के गदराए जिस्म को भिगोने लगी.. हथेली में थोड़ा सा दूध लेकर उसने रूखी की चूत पर लगाया.. और फिर चाटने लगा



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"आह्ह आह्ह.. बस बस साहब.. बहुत हुआ.. अब मेरे ऊपर आ जाइए.. आज तो चटवाकर मज़ा आ गया.. कितने दिनों से रसिक को चाटने के लिए कह कहकर थक गई.. पर वो साला चाटता ही नहीं है.. " रूखी ने मदन को खींचकर अपने ऊपर ले लिया.. और मदन का लंड पकड़कर अपने गरम सुराख पर सेट करने के बाद.. नीचे से अपनी गांड उठाकर.. लंड की सौगात को अपनी गुफा के अंदर प्रवेश करा दिया.. !!

लंड पतला हो या मोटा.. चूत को उस जीवंत अवयव का स्पर्श होते ही मज़ा आने लगता है.. चूत के अंदर की गर्माहट का एहसास होते ही मदन का लंड भी ताव में आ गया.. और वो रूखी के जिस्म को रौंदने लगा.. रूखी को अपनी चूत मैं मदन के लंड के घर्षण से बेहद मज़ा आ रहा था..

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और तभी अचानक.. !!!

उनके बेडरूम का दरवाजा खुला.. और बिस्तर के पास.. रेणुका और रसिक.. मादरजात नग्न अवस्था में आकर खड़े हो गए.. !! अपने चेहरे के बिल्कुल सामने मदन को रेणुका का पूर्ण नग्न जिस्म और रसिक का गधे जैसा लंड नजर आ रहा था.. !! फटी आँखों से मदन रेणुका के जबरदस्त सेक्सी बदन के नग्न अंगों को ताड़ता रहा.. रूखी की जांघें फैलाकर धनाधन शॉट मारते हुए वो रेणुका को झुककर रसिक का लंड चूसते हुए देखता ही रहा.. !!


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और रसिक का लंड.. !!! बाप रे.. !! मदन ने इतना तगड़ा और लंबा लंड आज तक नीली फिल्मों में भी नहीं देखा था.. !!! रेणुका का पूरा मुंह भर जाता फिर भी आधे से ज्यादा लंड बाहर ही था.. रेणुका के मुख से लंड को अंदर बाहर होता देख.. मदन और उत्तेजित होकर रूखी को चोदने लगा.. रसिक के लंड को मोटाई और लंबाई को देखकर नापते हुए मदन सोच रहा था की शीला ने इस रसिक के साथ पूरे पूरे मजे कीये होंगे.. !! भेनचोद लंड है या पत्थर तोड़ने का हथोड़ा.. !! रेणुका बार बार रसिक के टमाटर जीतने बड़े सुपाड़े को बाहर निकालकर चाट रही थी और फिर मुंह में अंदर डाल रही थी..

मदन का मन कर रहा था की वो रेणुका के करीब जाकर उसे चूम ले.. पर फिलहाल.. उसका कनेक्शन.. नीचे रूखी की चूत के साथ हो चुका था और वो अब इस स्थिति में आगे बढ़कर रेणुका को चूम सके ऐसी संभावना नही थी.. वैसे भी.. रेणुका तो रसिक के लंड में खो चुकी थी.. !!

रसिक ने रेणुका से कहा "भाभी.. अगर एक और बार नीचे चूत में लेने का मन हो तो अभी ले लीजिए.. मेरा अब निकलने को है.. !!"

रेणुका: "नहीं रसिक, मुझे थोड़ी देर चूस लेने दे.. दूसरी बार नीचे लेने की मेरी हिम्मत नहीं हो रही.. पहली बार डलवाया उसकी जलन अब तक हो रही है.. एक बार में ही फाड़ दी तूने तो.. दर्द हो रहा है मुझे"

रेणुका का अनुभव सुनकर मदन समझ गया की रसिक शीला का भी ऐसा ही हाल करता होगा.. !!

मदन: "रसिक, तेरा लंड तो वाकई जबरदस्त है.. देखकर ही मैं समझ गया की मेरी शीला की चूत का भोसड़ा कैसे बन गया.. !!"

रूखी: "अरे ये क्या भोसड़ा बनाएगा.. !! शीला भाभी के छेद की गुफा तो रघु और जीवा ने ही बनाई है.. जीवा का लंड तो इससे भी मोटा और लंबा है.. !!

रेणुका ने चूसते हुए कहा "क्या सच में?? इससे भी मोटा और बड़ा?? देखना पड़ेगा एक बार.. !!" रेणुका ने फिर से रसिक के सुपाड़े को मुंह में लेने की कोशिश की और तभी रसिक के लंड ने जोरदार पिचकारी मार कर रेणुका के शरीर, चेहरे और बालों पर सफेद रंगोली बना दी..

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इस तरफ मदन ने भी रूखी की तपतपाती चूत से लंड बाहर निकालकर उसके विशाल स्तनों पर वीर्य छोड़ दिया.. !! रूखी के दूध से भरे बबले वीर्य से सन गए.. और उसी के साथ चारों शांत हो गए..

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रसिक ने घड़ी के सामने देखकर कहा "अरे बाप रे.. !!! साढ़े तीन बज गए.. !! मुझे चार बजे खेत पर पहुंचना था.. !!" उसने फटाफट कपड़े पहने और रूखी को लेकर निकल गया..

अब बेडरूम में.. मदन और रेणुका ही बचे थे.. दोनों नंगे.. !! रेणुका मदन के बगल में बिस्तर पर लेट गई.. और उसके लंड से खेलते हुए बोली "अब इसे फिर से तैयार होने में कितना वक्त लगेगा?"

मदन: "वो तो थोड़ी देर में तैयार हो जाएगा.. पर मुझे तुमसे एक बात जाननी थी.. "

रेणुका: "यही ना.. की शीला अपने किस पुराने आशिक के साथ है.. !! वो तो मुझे भी नहीं पता.. जानना हो तो वहाँ जाकर ही देखना पड़ेगा"

मदन: "तो चलते है ना.. !! वहाँ जाकर सब साथ में इन्जॉय करेंगे"

रेणुका: "मुझे कोई प्रॉब्लेम नहीं है अगर तुम राजी हो तो"

दोनों फटाफट तैयार होकर साढ़े चार बजे निकाल गए.. दो घंटे के सुपर-फास्ट ड्राइविंग के बाद दोनों शीला की बताई हुई जगह पर पहुँच गए
Fantastic update
 

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रसिक: "शीला भाभी ने फोन कर मुझे बुलाया है.. कहाँ है भाभी?"

रसिक के कसे हुए मजबूत शरीर को पल भर के लिए रेणुका देखती ही रह गई.. !! काफी कोशिशों के बावजूद वह अपनी नजर को रसिक के लंड पर जाते हुए रोक नहीं पाई.. !!

रेणुका: "शीला तो घर पर नहीं है.. बाहर गई है"

तभी रसिक के पीछे से रूखी ने कहा "पर मदन भैया तो होंगे ना घर पर?"

मदन के सिखाए अनुसार रेणुका ने कहा "वो भी बाहर गए है.. शीला के साथ"

बेडरूम में बैठे बैठे अपने लंड को मसल रहे मदन ने जैसे ही रूखी की आवाज सुनी, वो दौड़कर बाहर ड्रॉइंग रूम में आ गया..

मदन: "अरे रसिक तुम?? आओ आओ.. और तुम बाहर क्यों खड़ी हो रूखी? अंदर आ जाओ.. "

रूखी अपने आँदामान निकोबार के केंद्रशासित प्रदेश जैसे बड़े बड़े स्तनों को पतली सी चुन्नी से ढँक कर घर के अंदर घुसी.. रसिक अभी भी बरामदे में खड़ा था..


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"अब अंदर आ भी जाओ.. तुम्हें अलग से न्योता दे क्या??" कतराते हुए रूखी ने रसिक से कहा

रसिक भी अंदर आ गया.. मदन की नजर अब रेणुका से हटकर रूखी पर चिपक गई थी.. तभी रेणुका की जांघों के बीच.. रसिक का राक्षस जैसा तगड़ा शरीर देखकर.. चुनचुनी होने लगी.. मन ही मन वो रसिक के गधे जैसे लंड की कल्पना करने लगी थी.. वो अब कैसे भी करके रसिक का रस लेना चाहती थी.. शीला ने रसिक की तारीफ के इतने पूल बाँधें थे.. रेणुका किसी भी तरह आज मिला चांस छोड़ना नहीं चाहती थी

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मदन को कंधे से खींचकर किचन में ले जाकर रेणुका ने कहा "मदन.. इस रसिक के साथ... न जाने कितनी रातें रंगीन की है शीला ने.. आज मुझे मौका मिला है.. हाथ जोड़कर विनती करती हूँ.. एक बार मुझे रसिक के साथ कर लेने दो.. फिर तुम जैसे चाहो वैसे मुझे रगड़ लेना.. !!"

रेणुका के दोनों स्तनों को अपने हाथों से मसलकर.. उसके होंठों की एक पप्पी लेकर मदन ने कहा "रेणु मेरी जान.. मैं भी रूखी के बदन का शहद चखने के लिए बेकरार हूँ.. एक काम करते है.. तू रूखी को मेरे लिए पटा.. मैं रसिक को तेरे लिए तैयार करता हूँ"

दोनों बाहर निकले.. रेणुका ने बाहर आते ही रसिक का हाथ पकड़ लिया और उसे खींचकर शीला-मदन के बेडरूम में ले गई.. रूखी तो स्तब्ध होकर उसे देखती ही रही..

रेणुका ने बेडरूम का दरवाजा बंद किया और रसिक से लिपट पड़ी.. और पाजामे के ऊपर से रसिक का लंड पकड़ लिया.. मोटी लौकी जैसा लंड हाथ में आते ही रेणुका पानी पानी हो गई

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रेणुका: "रसिक, तुझे शीला ने मेरे लिए ही यहाँ बुलाया है.. आज मुझे रगड़ दे.. तेरे मूसल जैसे लंड से चोदकर मेरे परखच्चे उड़ा दे.. ओह रसिक.. आज मुझे ऐसे खुश कर दे की एक महीने तक मैं चुदवाने के काबिल न रहूँ"

रसिक पहले तो झिझकता रहा.. पर जब खाना खुद चलकर सामने आया हो तो खाने वाले को क्या हर्ज होगा भला.. !! उसने रेणुका की पीठ पर अपना हाथ सहलाना शुरू कर दिया

"लेकिन रूखी.... !! उसे क्या कहूँगा मैं?"

तब तक तो रेणुका ने रसिक के पाजामे का नाड़ा खोलकर उसका पलंग-तोड़ लंड बाहर निकाल लिया था.. आहाहा.. देखकर रेणुका को धरती पर ही स्वर्ग नजर आ गया.. जैसा शीला ने वर्णन किया था बिल्कुल वैसा ही था.. बड़े टमाटर जैसा सुपाड़ा.. कलाई से भी मोटा.. और इतना लंबा.. उपर लगी काली काली नसें.. और टेनिस की गेंद जैसे दो अंडकोश.. !! मन ही मन वो शीला का आभार प्रकट करने लगी

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शीला के घर में रेणुका और मदन..अलग अलग कमरों में.. भरी दोपहर में.. ३१ दिसंबर का आनंद ले रहे थे.. और वो भी अपने पसंदीदा पात्रों के साथ.. संयोग से ऐसा जबरदस्त सेटिंग हुआ था.. या फिर यूं कहिए की शीला ने सेटिंग किया था..

अभी एक घंटे पहले.. घर पर अकेले बैठे बैठे बोर हो रहे मदन ने.. रूखी को पूरी नंगी कर दिया था और बेड पर सुला दिया था.. पाँच-पाँच लीटर दूध भरे स्तनों की मालकिन रूखी.. लेटे लेटे मुस्कुरा रही थी.. उसके दोनों भारी स्तन दोनों तरफ ढल गए थे..

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मदन बस टूट पड़ा रूखी के दूध भरे मटके जैसे स्तनों पर.. !! उसे याद आ गया अमरीका में गुजारा वो वक्त.. जब वो मेरी के स्तनों को ऐसे ही चूसकर दूध पीता था.. !! तब से लेकर आज तक.. वैसा मौका नसीब ही नहीं हुआ था..

रूखी के मदमस्त स्तनों को दोनों हाथों में.. जितना हो सकें भरकर मसलने की कोशिश कर रहा था... रूखी के तड़बुच जैसे स्तनों के सामने मदन ऐसे देख रहा था जैसे छोटा सा बच्चा हाथी को देखकर आश्चर्य चकित खड़ा हो.. !!

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सुनकर रूखी हंस पड़ी.. मदन के लंड को पकड़कर अपनी चूत पर रगड़ते हुए बोली "अपने ही शरीर का थोड़े ही वज़न लगता है कभी..?? कभी गधे को अपने लंड का वज़न लगता है क्या.. !!! आह्ह... जरा धीरे धीरे मसलिए साहब.. और थोड़ा नीचे भी रगड़िए मुझे.. बहुत दिन हो गए.. वो जीवा भी आजकल नजर नहीं आता"

मदन: "कौन जीवा?"

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मदन ने थोड़ा सा नीचे जाकर रूखी की चूत को चाटते ही.. रूखी ने अपने चूतड़ उठा लिए और बोली "अब आप जानकर क्या करेंगे साहब..आप जो कर रहे है वो करते रहिए.. !!"

मदन समझ गया.. रूखी जरूर कुछ छुपा रही थी.. इसलिए रूखी का मुंह खुलवाने के लिए उसने शीला के हथियार का इस्तेमाल किया

"मुझे सब पता है.. रघु और जीवा ने मेरे घर पर क्या क्या गुल खिलाए है.. सब जानता हूँ मैं.. तुझे न बताना हो तो मत बता"

रूखी: "ओह.. मतलब आप सबकुछ जानते हो साहब.. !! मैंने और शीला भाभी ने इस घर में बड़े मजे किए है.. शीला भाभी तो जीवा के लंड को छोड़ ही नहीं रही थी.. !! कमीने का लंड है ही ऐसा.. एक बार जो उसका स्वाद चख ले.. ज़िंदगी भर नहीं भूल सकता.. कितनी बार ठुकवाया भाभी ने.. फिर भी उनका तो मन ही नहीं भर रहा था.. !!"

"वैसे शीला ने मेरी गैर-मौजूदगी मैं कितनों के लंड लिए है??" हँसते हँसते मदन ने पूछा.. और फिर से रूखी की चूत के होंठों को उंगलियों से फैलाकर चाटने लगा

रूखी: "मेमसाब को कम मत समझना.. हाथ हिलाकर अपना घाघरा झटकाएगी तो अंदर से पचास लोडे निकलेंगे.. साहब.. अब आप वो सब बातें छोड़िए.. और मेरी भोस चाटिए.. जीवा की तरह.. चौड़ी कर के चाटिए.. आह्ह.. !!"

मदन को पता चल गया.. जब वो विदेश था तब उसने केवल मेरी के साथ ही संबंध बनाए थे.. पर यहाँ शीला ने तो लंडों के अंबार लगा दीये थे.. !! जीवा, रघु और रसिक के बारे में तो वो जान चुका था.. और भी न जाने कितने नाम होंगे.. !! अभी भी वो किसी पुराने आशिक से मिलने ही गई है.. बाप रे.. गुलछर्रे उड़ाने में शीला मर्दों से भी आगे निकल चुकी है.. !! पर उसका वो पुराना आशिक कौन होगा??

रूखी की चूत चाटते हुए.. मदन का दिमाग यह हिसाब लगा रहा था की आखिर शीला के भोसड़े को कितने लंडों ने पावन किया होगा.. !! उसने चाटते चाटते अपने हाथों से रूखी की निप्पलों को दबा दिया.. और दबाते ही दोनों निप्पलों से दूध की सफेद धार निकलकर रूखी के गदराए जिस्म को भिगोने लगी.. हथेली में थोड़ा सा दूध लेकर उसने रूखी की चूत पर लगाया.. और फिर चाटने लगा



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मदन का मन कर रहा था की वो रेणुका के करीब जाकर उसे चूम ले.. पर फिलहाल.. उसका कनेक्शन.. नीचे रूखी की चूत के साथ हो चुका था और वो अब इस स्थिति में आगे बढ़कर रेणुका को चूम सके ऐसी संभावना नही थी.. वैसे भी.. रेणुका तो रसिक के लंड में खो चुकी थी.. !!

रसिक ने रेणुका से कहा "भाभी.. अगर एक और बार नीचे चूत में लेने का मन हो तो अभी ले लीजिए.. मेरा अब निकलने को है.. !!"

रेणुका: "नहीं रसिक, मुझे थोड़ी देर चूस लेने दे.. दूसरी बार नीचे लेने की मेरी हिम्मत नहीं हो रही.. पहली बार डलवाया उसकी जलन अब तक हो रही है.. एक बार में ही फाड़ दी तूने तो.. दर्द हो रहा है मुझे"

रेणुका का अनुभव सुनकर मदन समझ गया की रसिक शीला का भी ऐसा ही हाल करता होगा.. !!

मदन: "रसिक, तेरा लंड तो वाकई जबरदस्त है.. देखकर ही मैं समझ गया की मेरी शीला की चूत का भोसड़ा कैसे बन गया.. !!"

रूखी: "अरे ये क्या भोसड़ा बनाएगा.. !! शीला भाभी के छेद की गुफा तो रघु और जीवा ने ही बनाई है.. जीवा का लंड तो इससे भी मोटा और लंबा है.. !!

रेणुका ने चूसते हुए कहा "क्या सच में?? इससे भी मोटा और बड़ा?? देखना पड़ेगा एक बार.. !!" रेणुका ने फिर से रसिक के सुपाड़े को मुंह में लेने की कोशिश की और तभी रसिक के लंड ने जोरदार पिचकारी मार कर रेणुका के शरीर, चेहरे और बालों पर सफेद रंगोली बना दी..

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इस तरफ मदन ने भी रूखी की तपतपाती चूत से लंड बाहर निकालकर उसके विशाल स्तनों पर वीर्य छोड़ दिया.. !! रूखी के दूध से भरे बबले वीर्य से सन गए.. और उसी के साथ चारों शांत हो गए..

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रसिक ने घड़ी के सामने देखकर कहा "अरे बाप रे.. !!! साढ़े तीन बज गए.. !! मुझे चार बजे खेत पर पहुंचना था.. !!" उसने फटाफट कपड़े पहने और रूखी को लेकर निकल गया..

अब बेडरूम में.. मदन और रेणुका ही बचे थे.. दोनों नंगे.. !! रेणुका मदन के बगल में बिस्तर पर लेट गई.. और उसके लंड से खेलते हुए बोली "अब इसे फिर से तैयार होने में कितना वक्त लगेगा?"

मदन: "वो तो थोड़ी देर में तैयार हो जाएगा.. पर मुझे तुमसे एक बात जाननी थी.. "

रेणुका: "यही ना.. की शीला अपने किस पुराने आशिक के साथ है.. !! वो तो मुझे भी नहीं पता.. जानना हो तो वहाँ जाकर ही देखना पड़ेगा"

मदन: "तो चलते है ना.. !! वहाँ जाकर सब साथ में इन्जॉय करेंगे"

रेणुका: "मुझे कोई प्रॉब्लेम नहीं है अगर तुम राजी हो तो"

दोनों फटाफट तैयार होकर साढ़े चार बजे निकाल गए.. दो घंटे के सुपर-फास्ट ड्राइविंग के बाद दोनों शीला की बताई हुई जगह पर पहुँच गए
बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गया
31 दिसंबर के दिन शीला की गैरमौजुदगी में शीला के घर पर रेणुका ने रसिक के विकराल लंड का मजा लेकर अपनी रामप्यारी को फडवा लिया और जबरदस्त मजे किये वही मदन ने रुखी सें शीला के चुदाई की जानकारी लेकर और उसके डेअरी से दुध चुस चुस कर उसके भोसडे का भी मजा ले लिया
अब रेणुका और मदन निकल पडे शीला की बताई जगह पर जहा वो अपने पुराने आशिक से मिलने का कह रही हैं
खैर देखते हैं आगे क्या होता है
अगले रोमांचकारी धमाकेदार और चुदाईदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
 

Random2022

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Hot update bro, shuru me yeh story jyada achhi nhi lag rahi thi, kyun sheela kisi se bhi match khel rhi this, pehlu mulakat me hi, lekin ab story achhi ho gyi, sab character ek dusre ko jante hai or realistic si feeling hai,
 

arushi_dayal

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नीचे की गिले अधरो से जब अपने अधर लगाये

उन्नत नारम उरोजो को वो जब हाथों से सहलाये

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तन मन बहकने लगता है सुलग जाते है अरमान

कितनी ही दबी इच्छाए फिर से होने लगी जवान

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जीभ से जीभ लगी तब लडने रगड़े अंग से अंग

योनि पर दस्तक देता है प्रीतम का कठौर भुजंग

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साजन की देख व्याकुलता सजनी भी मुस्कुराए

हाथों में थाम के लिंग को जन्नत की राह दिखाये

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दधकती देहकती योनि में होते ही लिंग का प्रवेश

प्यार वासना पीड़ा संतुष्टि होता सबका समावेश

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kamdev99008

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उन्नत नारम उरोजो को वो जब हाथों से सहलाये

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साजन की देख व्याकुलता सजनी भी मुस्कुराए

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बहुत खूब
चित्रों से ज्यादा भी आपकी पंक्तियां उत्तेजक हैं
 

NehaRani9

मैं नेहारानी – एक असंतुष्ट औरत हूं
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Bahut mast kahani
 

vakharia

Supreme
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नीचे की गिले अधरो से जब अपने अधर लगाये

उन्नत नारम उरोजो को वो जब हाथों से सहलाये

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तन मन बहकने लगता है सुलग जाते है अरमान

कितनी ही दबी इच्छाए फिर से होने लगी जवान

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जीभ से जीभ लगी तब लडने रगड़े अंग से अंग

योनि पर दस्तक देता है प्रीतम का कठौर भुजंग

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साजन की देख व्याकुलता सजनी भी मुस्कुराए

हाथों में थाम के लिंग को जन्नत की राह दिखाये

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अद्भुत ♥️
 
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