• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Romance श्राप [Completed]

avsji

कुछ लिख लेता हूँ
Supreme
4,027
22,413
159
Update #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15, Update #16, Update #17, Update #18, Update #19, Update #20, Update #21, Update #22, Update #23, Update #24, Update #25, Update #26, Update #27, Update #28, Update #29, Update #30, Update #31, Update #32, Update #33, Update #34, Update #35, Update #36, Update #37, Update #38, Update #39, Update #40, Update #41, Update #42, Update #43, Update #44, Update #45, Update #46, Update #47, Update #48, Update #49, Update #50, Update #51, Update #52.

Beautiful-Eyes
* इस चित्र का इस कहानी से कोई लेना देना नहीं है! एक AI सॉफ्टवेयर की मदद से यह चित्र बनाया है। सुन्दर लगा, इसलिए यहाँ लगा दिया!
 
Last edited:

park

Well-Known Member
11,013
13,288
213
Update #37


“क्या?!” आज जब भारत से टेलीफोन आया, तब उधर से कही गई बात को सुन कर आदित्य का दिल धक् हो गया, “क्या कह रहे हैं काका आप?”

“...”

“कैसे...”

“...”

“कब हुआ?”

“...”

“माँ कैसी हैं?”

“...”

“किस हॉस्पिटल में हैं?”

“...”

“उनके पास कौन है अभी?”

“...”

“ये ठीक नहीं है काका,” आदित्य ने उद्विग्नता से कहा, “मैं आता हूँ, जल्दी ही!”

“...”

“नहीं नहीं... ऐसे कैसे रुक जाऊँगा? आता हूँ, जो फ्लाइट मिलती है, उसे ले कर...”

“...”

“जी काका, मैं आपको फ़ोन करता रहूँगा...”

“...”

“नहीं मैं खुद ही आ जाऊँगा...”

“...”

“हाँ, हम सभी आ जाएँगे...”

“...”

“वो भी ठीक है!”

“...”

“ये माँ ने कहा है?”

“...”

“हाँ... मीना को इस समय ट्रेवल तो नहीं करना चाहिए!”

“...”

“जी ठीक है!”

“...”

“जी काका!”

“...”

“प्रणाम काका,” आदित्य बोला, “आप माँ का ध्यान रखिए... क्लेयर और मैं आते हैं जल्दी ही!”

“...”

“जी काका, मिलते हैं!”

“...”

“प्रणाम काका!”

“...”

क्लेयर जो आदित्य की उद्विग्नता भरी आवाज़ सुन कर उसके पास ही चली आई थी, बोली, “क्या हुआ आदि?”

“माँ की कार का एक्सीडेंट हो गया है...”

“क्या? कैसी हैं वो अब?”

“काका बता रहे थे कि कोई सीरियस चोट नहीं लगी है... लेकिन उनके पैर और हाथ में फ्रैक्चर हो गया है... प्लास्टर भी चढ़ाया गया है।”

“ओह गॉड!” वो चिंतित होती हुई बोली, “पक्का न, और कोई चोट नहीं है?”

“काका ने और तो कुछ भी नहीं बताया।”

“हमको जाना चाहिए! तुरंत!”

“हाँ!”

“कब निकलना है?”

“जो भी फ्लाइट मिले! टाइम भी तो लगेगा ही!”

“हाँ! लेकिन जाना है!”

“हाँ क्लेयर! सोच रहा हूँ कि कौन कौन जाएगा!”

“हम सभी, और कौन कौन?”

“मीना कैसे जाएगी? शी इस ओन्ली इन हर फर्स्ट ट्राईमेस्टर... इट इस नॉट सेफ़ फॉर हर टू ट्रेवल, हनी!”

“अच्छा, लेकिन जय तो आ सकता है, न?”

“अगर जय इंडिया चला आया हमारे साथ, तो फिर मीना को कौन देखेगा? वो पूरी तरह अकेली हो जाएगी यहाँ... और बच्चे? उनके भी तो एक्साम्स आने वाले हैं न! व्ही कांट डिस्टर्ब देम!”

“यस... आई ऍम सॉरी! यू आर राइट! नर्वसनेस में आ कर दिमाग ने काम करना बंद कर दिया। ... ओके, तो केवल हम दोनों चलते हैं, फिलहाल?”

“हाँ, यही ठीक रहेगा! ... वैसे भी, माँ ने जय और मीना को न लाने को कहा है।”

“वो क्यों?”

“एक तो प्रेग्नेंसी, और दूसरी बात... वो कह रही थीं कि नई बहू अपने घर तब आएगी, जब वो खुद उसको लिवाने दरवाज़े पर खड़ी होंगी!”

“ओह्हो! माँ भी कभी कभी ज़िद्दी हो जाती हैं!”

“नहीं नहीं... इट इस फेयर! बेचारी, न उनकी शादी में शामिल हो पाईं और अब ये सब... छोटी छोटी ख़्वाहिशें हैं उनकी! कुछ तो पूरी हों! ... बहू को ले कर वो कितनी एक्साइटेड थीं...”

“आई नो,” क्लेयर दुःखी होती हुई बोली, “आई ऍम सॉरी, लव!”

“नहीं नहीं! ऐसे मत सोचो। ... अभी हम दोनों चलते हैं... जय और मीना बच्चों को देख लेंगे!”

“हम्म्म ओके! लेकिन मीना सुनेगी, तो बहुत बुरा मानेगी!”

“ऑब्वियसली...”


*


जय और मीना ने जब माँ के एक्सीडेंट के बारे में सुना तो वाकई उन दोनों को बहुत बुरा लगा। वो दोनों तुरंत ही भारत आने को राज़ी हो गए, लेकिन क्लेयर ने साफ़ मना कर दिया।

“बट व्हाई, भाभी?” जय ने प्रतिकार किया।

“वो इसलिए बेटू, क्योंकि एक तो मीना का पहला ट्राईमेस्टर चल रहा है, एंड व्ही मस्ट अवॉयड एनी लॉन्ग, स्ट्रेनुअस जर्नीस... डॉक्टर्स ऑर्डर्स! समझे? और सेकंड, ये खुद माँ का हुकुम है कि वो मीना का बहू के रूप खुद स्वागत करना चाहती हैं!”

“लेकिन भाभी,”

“यू काँट डिप्राइव हर ऑफ़ दैट सिंपल हैप्पीनेस, कैन यू?”

इस बात से जय निरुत्तर हो गया।

“सॉरी भाभी,”

“बेटा, माँ ने ही हमको मना किया है... वो बोलीं हैं कि छोटी बहू को यात्रा न करने देना!” आदित्य ने समझाया।

“आपने उनसे बात करी क्या?” मीना का चेहरा उदासी से उतर गया था।

“नहीं मीना... लेकिन, काका से बात हुई, तो उन्होंने ही बताया... और काका को माँ ने ऐसा कहने को बोला था।”

“मेरी किस्मत ही खराब है...” मीना ने रुआँसी होते हुए कहा।

“हे... मीना... क्या बकवास बोल रही हो! हाँ?” क्लेयर ने उसको प्यार से झिड़का, “ऐसे क्यों कह रही हो?”

“और नहीं तो क्या! ... लाइफ में पहली बार माँ का प्यार मिला, और वो भी...”

“ओह मीना,” क्लेयर ने मीना को अपने आलिंगन में प्यार से भरते हुए, और स्वांत्वना देते हुए कहा, “माँ को कुछ नहीं हुआ है... ठीक हैं वो... बस उनको थोड़ी चोट लगी है... और कुछ नहीं हुआ। ऐसा वैसा मत सोचो... ओके? ... और वैसे भी फ़ोन पर बात तो हो ही सकती है न उनसे... दो तीन दिन में? ठीक है?”

क्लेयर उसको समझा तो रही थी, लेकिन मीना का रोना रुक ही नहीं रहा था। गर्भावस्था में स्त्रियाँ वैसे भी अधिक भावुक हो जाती हैं। मीना के मामले में बात यह हुई थी कि इतने समय के बाद अब उसको माँ से मिलने का अवसर मिल रहा था - लेकिन अब उस पर भी झाड़ू चल गया था।

ये सब रोना धोना चलता रहता, इसलिए आदित्य ने जय से कहा,

“और भी एक रीज़न है... अजय और अमर के एक्साम्स पास आ रहे हैं। वो दोनों तुम दोनों की निगरानी में रहेंगे, तो ठीक रहेगा! ... और किस पर भरोसा करें हम? ... फुल टाइम नैनी मिलना बहुत मुश्किल है फिलहाल तो!”

“नहीं, नैनी क्यों चाहिए...” मीना ने रोने के बीच हिचकियाँ लेते हुए कहा।

“ठीक है भैया! ... आई डोंट लाइक इट... लेकिन क्या करें!” जय बोला।

“नो वन लाइक्स इट मेरे भाई,” आदित्य ने उसको समझाते हुए कहा, “... बट दैट इस लाइफ! कहाँ माँ दो हफ़्ते में यहाँ आने वाली थीं, और कहाँ ये सब...”

“माँ ठीक तो हैं न?” मीना ने रोते रोते, हिचकियाँ भरते हुए कहा, “कुछ छुपाया तो नहीं जा रहा है न हमसे?”

“काका ऐसा करेंगे तो नहीं... लेकिन जब तक हमारी खुद माँ से बात नहीं हो जाती, कुछ कह नहीं सकते!”


*


माँ से उसकी बात दो दिनों बाद ही हो पाई।

उन्होंने अपनी दुर्घटना को एक मज़ाक के तौर पर लिया था और उसकी गंभीरता को हँसी में उड़ा रही थीं।

“जानती है बहू,” वो मीना से मज़ाक करती हुई बोलीं, “बचपन में मेरा बड़ा मन होता था कि मेरा भी हाथ टूट जाए और उस पर प्लास्टर चढ़ जाए!”

“वो क्यों माँ!”

“वो इसलिए कि एक बार मेरी क्लास की एक लड़की का हाथ टूटा था, और वो जब प्लास्टर बंधवा के आई, तब हमने रंग-बिरंगी पेन्सिल से उस पर खूब चित्रकारी करी... हा हा हा!”

“आप भी न माँ!” मीना उनकी बात पर हँसना चाहती थी, लेकिन हँस न सकी, “जाईए हम आपसे बात नहीं करेंगे!”

“अरे! अब अपने बच्चे ही रूठ जायेंगे, तो कैसे चलेगा?”

“कैसे क्या चलेगा माँ? परेशानी में ही तो अपने काम आते हैं! ... और इस समय मैं आपके पास ही नहीं हूँ!”

“अरे, जब तू यहाँ आएगी न, तब अपनी हर बात मानवाऊँगी तुझसे! सास वाले सारे हुकुम चलाऊंगी... हाँ नहीं तो!” माँ ने बड़े लाड़ से कहा, “अब तो मेरे आराम करने और सासू माँ बन के हुकुम चलाने के दिन हैं...”

“आई विल होल्ड यू टू इट...” मीना ने बच्चों के जैसे ठुनकते हुए कहा।

“हा हा... कैसी किस्मत वाली माँ हूँ मैं... दोनों बहुएँ कितनी अच्छी हैं!”

“लव यू माँ,”

“लव यू सो मच, बेटे!”

“माँ आप किसको अधिक प्यार करती हैं? मुझे या क्लेयर को?” उसने किसी बच्चे जैसी चंचलता से पूछा।

मीना भी जानती थी कि मूर्खतापूर्ण सवाल है उसका - लेकिन न जाने कैसे, वो माँ के सामने ऐसी मूर्खताएँ कर सकती थी। और माँ भी उसके हर बचपने को बड़े प्यार से स्वीकार लेती थीं।

“तुझसे बेटू... तू तो मेरी छोटी बहू है न! वो तो घर में सबसे अधिक दुलारी होती है!”

“सच में माँ?”

“सच में... लेकिन मुझे क्लेयर से भी तेरे जितना ही प्यार है... उसने हमारे परिवार को बहुत ठहराव दिया है... बहुत सारे त्याग किये हैं उसने...”

“हाँ... मुझे भी क्लेयर बहुत अच्छी लगती है...” मीना सोचती हुई बोली, “बहुत अच्छी है वो...”

“तुम दोनों ही बहुत अच्छी हो... आई ऍम वैरी लकी मदर इन लॉ!”

“माँ, अब चलिए! बहुत बातें हो गई आज... अब आराम कीजिए!” मीना खुश होती हुई बोली, “कल दोपहर में आदि और क्लेयर जा रहे हैं इंडिया!”

“हाँ रे! देख न... उन दोनों से मिले हुए भी कितने ही दिन हो गए!”

“आप जल्दी से ठीक हो जाइए... फिर मुझको भी देख लीजिए... मुझसे भी मिल लीजिए!”

“अरे तेरी सब तस्वीरें मेरे पास हैं... तेरा जय मुझे भेजता रहता है सब!”

माँ की बात सुन कर मीना की मुस्कान बढ़ गई - सच में, अपनी सासू माँ में उसको जैसे अपनी माँ मिल गई थी!

“आई नो... मैं उसको मेरी बेस्ट फ़ोटोज़ सेलेक्ट कर के आपको भेजने को देती हूँ।”

“हा हा... खुश रह बच्चे!”

“लव यू माँ!”


*


अगली दोपहर आदित्य और क्लेयर भारत जाने की फ्लाइट में बैठ गए। भारतीय दूतावास से वीसा इत्यादि लेने में दो दिनों का समय लग गया था, नहीं तो वो दोनों उसी दिन निकल जाने वाले थे। चौबीस घंटे की थकाऊ यात्रा पूरी करने के बाद दोनों उस अस्पताल में पहुँचे जहाँ जय और आदित्य की माँ भर्ती थीं।

माँ को अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया था और वो अपने दिल्ली वाले आवास में ही थीं। डॉक्टरों ने उनको जबरदस्ती कर के ही दो दिन भर्ती कर रखा था कि दुर्घटना के कारण उनके सर के अंदर कहीं कोई चोट न लग गई हो। लेकिन जब सारे टेस्ट्स नकारात्मक आए, तब वो स्वयं भी अस्पताल में रुकने वाली नहीं थीं। वैसे भी उनके बच्चे आ रहे थे, ऐसे में वो अस्पताल में रह ही नहीं सकती थीं।

माँ को अपेक्षाकृत सुरक्षित और स्वस्थ देख कर दोनों की जान में जान आई। हाँलाकि पैर टूटने के कारण वो चलने फिरने में असमर्थ हो गई थीं, लेकिन इसका एक लाभ भी था - कम से कम अब वो जबरदस्ती ही सही, आराम करतीं। हाथ की हड्डी भी चटक गई थी, इसलिए उसमें भी प्लास्टर चढ़ा हुआ था। बढ़िया बात यह थी कि माँ की चोटें गंभीर नहीं थीं। चार पाँच महीनों में उनके लगभग पूरी तरह से स्वस्थ होने की सम्भावना थी।

*
Nice and superb update.....
 

Bittoo

Member
308
409
63
Update #37


“क्या?!” आज जब भारत से टेलीफोन आया, तब उधर से कही गई बात को सुन कर आदित्य का दिल धक् हो गया, “क्या कह रहे हैं काका आप?”

“...”

“कैसे...”

“...”

“कब हुआ?”

“...”

“माँ कैसी हैं?”

“...”

“किस हॉस्पिटल में हैं?”

“...”

“उनके पास कौन है अभी?”

“...”

“ये ठीक नहीं है काका,” आदित्य ने उद्विग्नता से कहा, “मैं आता हूँ, जल्दी ही!”

“...”

“नहीं नहीं... ऐसे कैसे रुक जाऊँगा? आता हूँ, जो फ्लाइट मिलती है, उसे ले कर...”

“...”

“जी काका, मैं आपको फ़ोन करता रहूँगा...”

“...”

“नहीं मैं खुद ही आ जाऊँगा...”

“...”

“हाँ, हम सभी आ जाएँगे...”

“...”

“वो भी ठीक है!”

“...”

“ये माँ ने कहा है?”

“...”

“हाँ... मीना को इस समय ट्रेवल तो नहीं करना चाहिए!”

“...”

“जी ठीक है!”

“...”

“जी काका!”

“...”

“प्रणाम काका,” आदित्य बोला, “आप माँ का ध्यान रखिए... क्लेयर और मैं आते हैं जल्दी ही!”

“...”

“जी काका, मिलते हैं!”

“...”

“प्रणाम काका!”

“...”

क्लेयर जो आदित्य की उद्विग्नता भरी आवाज़ सुन कर उसके पास ही चली आई थी, बोली, “क्या हुआ आदि?”

“माँ की कार का एक्सीडेंट हो गया है...”

“क्या? कैसी हैं वो अब?”

“काका बता रहे थे कि कोई सीरियस चोट नहीं लगी है... लेकिन उनके पैर और हाथ में फ्रैक्चर हो गया है... प्लास्टर भी चढ़ाया गया है।”

“ओह गॉड!” वो चिंतित होती हुई बोली, “पक्का न, और कोई चोट नहीं है?”

“काका ने और तो कुछ भी नहीं बताया।”

“हमको जाना चाहिए! तुरंत!”

“हाँ!”

“कब निकलना है?”

“जो भी फ्लाइट मिले! टाइम भी तो लगेगा ही!”

“हाँ! लेकिन जाना है!”

“हाँ क्लेयर! सोच रहा हूँ कि कौन कौन जाएगा!”

“हम सभी, और कौन कौन?”

“मीना कैसे जाएगी? शी इस ओन्ली इन हर फर्स्ट ट्राईमेस्टर... इट इस नॉट सेफ़ फॉर हर टू ट्रेवल, हनी!”

“अच्छा, लेकिन जय तो आ सकता है, न?”

“अगर जय इंडिया चला आया हमारे साथ, तो फिर मीना को कौन देखेगा? वो पूरी तरह अकेली हो जाएगी यहाँ... और बच्चे? उनके भी तो एक्साम्स आने वाले हैं न! व्ही कांट डिस्टर्ब देम!”

“यस... आई ऍम सॉरी! यू आर राइट! नर्वसनेस में आ कर दिमाग ने काम करना बंद कर दिया। ... ओके, तो केवल हम दोनों चलते हैं, फिलहाल?”

“हाँ, यही ठीक रहेगा! ... वैसे भी, माँ ने जय और मीना को न लाने को कहा है।”

“वो क्यों?”

“एक तो प्रेग्नेंसी, और दूसरी बात... वो कह रही थीं कि नई बहू अपने घर तब आएगी, जब वो खुद उसको लिवाने दरवाज़े पर खड़ी होंगी!”

“ओह्हो! माँ भी कभी कभी ज़िद्दी हो जाती हैं!”

“नहीं नहीं... इट इस फेयर! बेचारी, न उनकी शादी में शामिल हो पाईं और अब ये सब... छोटी छोटी ख़्वाहिशें हैं उनकी! कुछ तो पूरी हों! ... बहू को ले कर वो कितनी एक्साइटेड थीं...”

“आई नो,” क्लेयर दुःखी होती हुई बोली, “आई ऍम सॉरी, लव!”

“नहीं नहीं! ऐसे मत सोचो। ... अभी हम दोनों चलते हैं... जय और मीना बच्चों को देख लेंगे!”

“हम्म्म ओके! लेकिन मीना सुनेगी, तो बहुत बुरा मानेगी!”

“ऑब्वियसली...”


*


जय और मीना ने जब माँ के एक्सीडेंट के बारे में सुना तो वाकई उन दोनों को बहुत बुरा लगा। वो दोनों तुरंत ही भारत आने को राज़ी हो गए, लेकिन क्लेयर ने साफ़ मना कर दिया।

“बट व्हाई, भाभी?” जय ने प्रतिकार किया।

“वो इसलिए बेटू, क्योंकि एक तो मीना का पहला ट्राईमेस्टर चल रहा है, एंड व्ही मस्ट अवॉयड एनी लॉन्ग, स्ट्रेनुअस जर्नीस... डॉक्टर्स ऑर्डर्स! समझे? और सेकंड, ये खुद माँ का हुकुम है कि वो मीना का बहू के रूप खुद स्वागत करना चाहती हैं!”

“लेकिन भाभी,”

“यू काँट डिप्राइव हर ऑफ़ दैट सिंपल हैप्पीनेस, कैन यू?”

इस बात से जय निरुत्तर हो गया।

“सॉरी भाभी,”

“बेटा, माँ ने ही हमको मना किया है... वो बोलीं हैं कि छोटी बहू को यात्रा न करने देना!” आदित्य ने समझाया।

“आपने उनसे बात करी क्या?” मीना का चेहरा उदासी से उतर गया था।

“नहीं मीना... लेकिन, काका से बात हुई, तो उन्होंने ही बताया... और काका को माँ ने ऐसा कहने को बोला था।”

“मेरी किस्मत ही खराब है...” मीना ने रुआँसी होते हुए कहा।

“हे... मीना... क्या बकवास बोल रही हो! हाँ?” क्लेयर ने उसको प्यार से झिड़का, “ऐसे क्यों कह रही हो?”

“और नहीं तो क्या! ... लाइफ में पहली बार माँ का प्यार मिला, और वो भी...”

“ओह मीना,” क्लेयर ने मीना को अपने आलिंगन में प्यार से भरते हुए, और स्वांत्वना देते हुए कहा, “माँ को कुछ नहीं हुआ है... ठीक हैं वो... बस उनको थोड़ी चोट लगी है... और कुछ नहीं हुआ। ऐसा वैसा मत सोचो... ओके? ... और वैसे भी फ़ोन पर बात तो हो ही सकती है न उनसे... दो तीन दिन में? ठीक है?”

क्लेयर उसको समझा तो रही थी, लेकिन मीना का रोना रुक ही नहीं रहा था। गर्भावस्था में स्त्रियाँ वैसे भी अधिक भावुक हो जाती हैं। मीना के मामले में बात यह हुई थी कि इतने समय के बाद अब उसको माँ से मिलने का अवसर मिल रहा था - लेकिन अब उस पर भी झाड़ू चल गया था।

ये सब रोना धोना चलता रहता, इसलिए आदित्य ने जय से कहा,

“और भी एक रीज़न है... अजय और अमर के एक्साम्स पास आ रहे हैं। वो दोनों तुम दोनों की निगरानी में रहेंगे, तो ठीक रहेगा! ... और किस पर भरोसा करें हम? ... फुल टाइम नैनी मिलना बहुत मुश्किल है फिलहाल तो!”

“नहीं, नैनी क्यों चाहिए...” मीना ने रोने के बीच हिचकियाँ लेते हुए कहा।

“ठीक है भैया! ... आई डोंट लाइक इट... लेकिन क्या करें!” जय बोला।

“नो वन लाइक्स इट मेरे भाई,” आदित्य ने उसको समझाते हुए कहा, “... बट दैट इस लाइफ! कहाँ माँ दो हफ़्ते में यहाँ आने वाली थीं, और कहाँ ये सब...”

“माँ ठीक तो हैं न?” मीना ने रोते रोते, हिचकियाँ भरते हुए कहा, “कुछ छुपाया तो नहीं जा रहा है न हमसे?”

“काका ऐसा करेंगे तो नहीं... लेकिन जब तक हमारी खुद माँ से बात नहीं हो जाती, कुछ कह नहीं सकते!”


*


माँ से उसकी बात दो दिनों बाद ही हो पाई।

उन्होंने अपनी दुर्घटना को एक मज़ाक के तौर पर लिया था और उसकी गंभीरता को हँसी में उड़ा रही थीं।

“जानती है बहू,” वो मीना से मज़ाक करती हुई बोलीं, “बचपन में मेरा बड़ा मन होता था कि मेरा भी हाथ टूट जाए और उस पर प्लास्टर चढ़ जाए!”

“वो क्यों माँ!”

“वो इसलिए कि एक बार मेरी क्लास की एक लड़की का हाथ टूटा था, और वो जब प्लास्टर बंधवा के आई, तब हमने रंग-बिरंगी पेन्सिल से उस पर खूब चित्रकारी करी... हा हा हा!”

“आप भी न माँ!” मीना उनकी बात पर हँसना चाहती थी, लेकिन हँस न सकी, “जाईए हम आपसे बात नहीं करेंगे!”

“अरे! अब अपने बच्चे ही रूठ जायेंगे, तो कैसे चलेगा?”

“कैसे क्या चलेगा माँ? परेशानी में ही तो अपने काम आते हैं! ... और इस समय मैं आपके पास ही नहीं हूँ!”

“अरे, जब तू यहाँ आएगी न, तब अपनी हर बात मानवाऊँगी तुझसे! सास वाले सारे हुकुम चलाऊंगी... हाँ नहीं तो!” माँ ने बड़े लाड़ से कहा, “अब तो मेरे आराम करने और सासू माँ बन के हुकुम चलाने के दिन हैं...”

“आई विल होल्ड यू टू इट...” मीना ने बच्चों के जैसे ठुनकते हुए कहा।

“हा हा... कैसी किस्मत वाली माँ हूँ मैं... दोनों बहुएँ कितनी अच्छी हैं!”

“लव यू माँ,”

“लव यू सो मच, बेटे!”

“माँ आप किसको अधिक प्यार करती हैं? मुझे या क्लेयर को?” उसने किसी बच्चे जैसी चंचलता से पूछा।

मीना भी जानती थी कि मूर्खतापूर्ण सवाल है उसका - लेकिन न जाने कैसे, वो माँ के सामने ऐसी मूर्खताएँ कर सकती थी। और माँ भी उसके हर बचपने को बड़े प्यार से स्वीकार लेती थीं।

“तुझसे बेटू... तू तो मेरी छोटी बहू है न! वो तो घर में सबसे अधिक दुलारी होती है!”

“सच में माँ?”

“सच में... लेकिन मुझे क्लेयर से भी तेरे जितना ही प्यार है... उसने हमारे परिवार को बहुत ठहराव दिया है... बहुत सारे त्याग किये हैं उसने...”

“हाँ... मुझे भी क्लेयर बहुत अच्छी लगती है...” मीना सोचती हुई बोली, “बहुत अच्छी है वो...”

“तुम दोनों ही बहुत अच्छी हो... आई ऍम वैरी लकी मदर इन लॉ!”

“माँ, अब चलिए! बहुत बातें हो गई आज... अब आराम कीजिए!” मीना खुश होती हुई बोली, “कल दोपहर में आदि और क्लेयर जा रहे हैं इंडिया!”

“हाँ रे! देख न... उन दोनों से मिले हुए भी कितने ही दिन हो गए!”

“आप जल्दी से ठीक हो जाइए... फिर मुझको भी देख लीजिए... मुझसे भी मिल लीजिए!”

“अरे तेरी सब तस्वीरें मेरे पास हैं... तेरा जय मुझे भेजता रहता है सब!”

माँ की बात सुन कर मीना की मुस्कान बढ़ गई - सच में, अपनी सासू माँ में उसको जैसे अपनी माँ मिल गई थी!

“आई नो... मैं उसको मेरी बेस्ट फ़ोटोज़ सेलेक्ट कर के आपको भेजने को देती हूँ।”

“हा हा... खुश रह बच्चे!”

“लव यू माँ!”


*


अगली दोपहर आदित्य और क्लेयर भारत जाने की फ्लाइट में बैठ गए। भारतीय दूतावास से वीसा इत्यादि लेने में दो दिनों का समय लग गया था, नहीं तो वो दोनों उसी दिन निकल जाने वाले थे। चौबीस घंटे की थकाऊ यात्रा पूरी करने के बाद दोनों उस अस्पताल में पहुँचे जहाँ जय और आदित्य की माँ भर्ती थीं।

माँ को अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया था और वो अपने दिल्ली वाले आवास में ही थीं। डॉक्टरों ने उनको जबरदस्ती कर के ही दो दिन भर्ती कर रखा था कि दुर्घटना के कारण उनके सर के अंदर कहीं कोई चोट न लग गई हो। लेकिन जब सारे टेस्ट्स नकारात्मक आए, तब वो स्वयं भी अस्पताल में रुकने वाली नहीं थीं। वैसे भी उनके बच्चे आ रहे थे, ऐसे में वो अस्पताल में रह ही नहीं सकती थीं।

माँ को अपेक्षाकृत सुरक्षित और स्वस्थ देख कर दोनों की जान में जान आई। हाँलाकि पैर टूटने के कारण वो चलने फिरने में असमर्थ हो गई थीं, लेकिन इसका एक लाभ भी था - कम से कम अब वो जबरदस्ती ही सही, आराम करतीं। हाथ की हड्डी भी चटक गई थी, इसलिए उसमें भी प्लास्टर चढ़ा हुआ था। बढ़िया बात यह थी कि माँ की चोटें गंभीर नहीं थीं। चार पाँच महीनों में उनके लगभग पूरी तरह से स्वस्थ होने की सम्भावना थी।

*
अद्भुत कहानी । भावुक हास्य और हल्के सेक्स युक्त। ऐसा लगा एक पारिवारिक फ़िल्म देख रहा हूँ
बहुत बधाई 👍
ऐसा
 

avsji

कुछ लिख लेता हूँ
Supreme
4,027
22,413
159
अद्भुत कहानी । भावुक हास्य और हल्के सेक्स युक्त। ऐसा लगा एक पारिवारिक फ़िल्म देख रहा हूँ
बहुत बधाई 👍
ऐसा

धन्यवाद भाई!
आपको कहानी पसंद आई, जान कर बहुत अच्छा लगा।
साथ बने रहें :)
 
10,036
41,946
258
कुछ तो जरूर है जो मीना मैडम अपने सासू मां से मिल नही पा रही है । वो अपने छोटे पुत्र के विवाह अवसर पर भी न आ सकी । वो मीना के गर्भ धारण खबर सुनकर भी अपने बहू से मिलने नही आई और अब जब मिलने का एक और मौका मिला तो अपना एक्सिडेंट करवा बैठी ।
इतने संयोग बार-बार नही होते । कुछ तो इसका कारण अवश्य है।
लेकिन यह भी हैरानी की बात है कि सुहासिनी मैडम ने दो संतान- आदित्य और जय को जन्म कब और कैसे दे दिया ? जब उनके हसबैंड की मृत्यु हुई थी , उस दौरान वो प्रेगनेंट थी । और आदित्य और जय के उम्र के बीच का जो अंतराल है , उससे यह भी नही कहा जा सकता कि उन्होने ट्विन बच्चों को जन्म दिया था । इसका मतलब यह हुआ कि आदित्य और जय मे कोई एक ही इनका सगा पुत्र है ।
कौन है वो पुत्र ?

बहुत ही खूबसूरत अपडेट avsji भाई।
आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग।
 

Sanju@

Well-Known Member
4,708
18,911
158
Update #35


“माँ होतीं, तो पूरे ट्रेडिशनल तरीके से तुम्हारा इस घर में स्वागत करतीं, मीना...” क्लेयर ने मीना से कहा - उसकी बोली में खेद का थोड़ा पुट अवश्य था, लेकिन इस बात का गर्व भी था कि उसने अपने ससुराल की संस्कृति को अमेरिका में भी जीवित रखा हुआ है, “... मुझे उनके जितना नहीं आता...”

“क्लेयर,” मीना ने उसका हाथ अपने हाथ में लेते हुए कहा, “आप ऐसे क्यों सोच रही हैं? आप सभी ने आज मुझे मेरी ज़िन्दगी की सबसे बड़ी ख़ुशी दी है...”

“ओह मीना, तुम किसी बात की कोई चिंता न करो! ... बस, अपनी शादी-शुदा ज़िन्दगी को पूरे तरीक़े से एन्जॉय करो... जय को खूब प्यार दो... हम सभी से तुमको बहुत प्यार मिलेगा... इस घर में प्यार की कोई कमी नहीं है...”

मीना ने बड़े स्नेह से क्लेयर के हाथों को चूम लिया।

“... तुम्हारा घर है ये! अब यह कभी न कहना कि तुम्हारा कोई नहीं! हम सब तुम्हारा परिवार हैं, और तुम हमारे परिवार की! अब बस खूब मज़े करो! अपनी ज़िन्दगी का आनंद लो। ... कोई समस्या हो, तो हम सब में बाँट लो!”

“क्लेयर... आई ऍम स्पीचलेस!” मीना की आँखों में आँसू आ गए, “यू आर द बेस्ट... आई रियली विश दैट आई हैड अ मदर लाइक यू... अ सिस्टर लाइक यू...”

“ठीक है फिर,” क्लेयर ने अपने परिचित, खुशनुमा अंदाज़ में कहा, “तो मुझे अपनी माँ ही मान लो! या बड़ी बहन?”

“ओह क्लेयर... थैंक यू थैंक यू थैंक यू...” कह कर मीना क्लेयर के सीने से लग गई।

“आSSSS... कम हीयर यू...” कह कर क्लेयर ने भी मीना को अपने आलिंगन में भींच लिया।

फिर मीना को थोड़े देर यूँ आलिंगन में लिए हुए वो बोली, “... अरे, सारा टाइम मेरे ही पास रहोगी, तो बेचारा जय क्या सोचेगा!”

“सोचने दो उसे जो सोचना है...” मीना ने हँसते हुए कहा।

“हा हा... बेचारा कब से तुम्हारा वेट कर रहा है। डिनर के बाद से सीधा तुम दोनों के कमरे में चला गया था...” क्लेयर ने जैसे राज़ की बात कही हो, “तुम भी जाओ! कल सवेरे मिलेंगे! ओके?”

“ओके क्लेयर... गुड नाईट!” मीना ने उठते हुए कहा।

“गुड नाईट मीना... एंड यू... हैव अ वंडरफुल नाईट!”

क्लेयर ने बड़े अर्थपूर्वक कहा, तो मीना के गालों पर लज्जा की लालिमा छा गई।


*


जब मीना “अपने” - मतलब, जय और उसके कमरे में प्रविष्ट हुई, तो जय वहाँ पहले से ही मौज़ूद था।

इन्तेहाँ हो गई, इंतज़ार की...” उसको देखते ही जय गाने लगा।

मीना की मुस्कान उस गाने को सुनते ही चौड़ी हो गई।

आये ना कुछ खबर... मेरे यार की...” जय उसकी तरफ़ आते हुए गाता रहा,

ये हमें है यक़ीन... बेवफा वो नहीं...” उसने मीना की बाँह थामी और उसको नृत्य के अंदाज़ में घुमाया,

फ़िर वजह क्या हुई... इंतज़ार की? ... हम्म?”

“ओह मेरे जय... मेरे हुकुम... आई ऍम सॉरी!” मीना ने बड़े प्यार से उसके गले में गलबैयाँ डाल कर कहा, “क्लेयर के साथ थोड़ा समय लग गया!”

“आय हाय...” जय ने मीना को चूमते हुए कहा, “जब तुम इस अदा से मुझे ‘हुकुम’ कहती हो न, तो दिल में कुछ कुछ होने लगता है!”

“क्या क्या?”

“कुछ कुछ!”

“हा हा... फ़िर? क्या करें आपके दिल की इस ‘कुछ कुछ’ का?”

“वही, जो न्यूली वेडेड हस्बैंड एंड वाइफ अपनी पहली रात में करते हैं...”

“अच्छा जी, तो आपको मेरे साथ बदमाशियाँ करनी हैं...”

“ओह, तो न्यूली वेडेड हस्बैंड एंड वाइफ अपनी पहली रात में ‘बदमाशियाँ’ करते हैं?”

“अरे मेरे भोले हुकुम... आप कह तो ऐसे रहे हैं कि जैसे आपको कुछ पता ही नहीं!”

“हमको कैसे पता होगा राजकुमारी जी? ... हम तो सीधे सादे शरीफ़ हैं!”

“हा हा... हाँ, वो तो है!” मीना ने कहा और जय के होंठों को चूम कर बोली, “आप मुझे दो मिनट दीजिए... मैं चेंज कर के आती हूँ।”

“चेंज क्यों करना है कुछ भी?” जय ने न समझते हुए कहा, “सब कुछ तो उतर ही जाना है न कुछ देर में,”

“ओओओओओह्ह्ह्ह... तो ये इरादे हैं आपके!” मीना उसके संग खिलवाड़ करती हुई बोली, “मैं तो आपके घर आई यह सोच कर कि मेरे सर पर छत होगी, तन पर कपड़े और ज़ेवर होंगे, मेरा पेट भरा रहेगा... और आप... आप ये साज़िश रच रहे हैं मेरे लिए...”

“साज़िश? अरे बेग़म, आपके लिए तो हमने बढ़िया बढ़िया प्लान बना रखे थे!”

“प्लान? बताईये हमको भी अपने प्लान के बारे में?”

“हाँ, लेकिन आपका डाउट थोड़ा दूर कर देते हैं हम... आपके सर पर छत ज़रूर होगी... लेकिन केवल ईंट लकड़ी की नहीं, बल्कि मेरे साए की, जो आप पर एक तकलीफ भी नहीं आने देगा।” जय ने मीना अपने आलिंगन में कस कर भींचते हुए कहा, “... आपका तन और... मन भी... हमेशा मेरे प्यार के कपड़ों से लिपटा रहेगा...”

जय की बातों को सुन कर मीना ने आनंद से अपनी आँखें बंद कर लीं और उसके आलिंगन में जितना संभव था, उतना समां गई।

“... और मेरी थाली से उठाया गया पहला निवाला आपको खिलाया जाएगा... आज से और आज से ले कर मेरी पूरी ज़िन्दगी भर... मेरे वज़ूद पर आपका पहला अधिकार होगा... यह आपके जय का प्रॉमिस है!”

“ओह जय... मेरे जय!” मीना जय के आलिंगन में और भी अधिक दुबक कर बोली, “... आपका जो भी प्लान है मेरे लिए, आप एक्सीक्यूट कर सकते हैं!”

“पक्की बात?”

हंड्रेड परसेंट!”

मीना ने इस समय एक ड्रेस पहनी हुई थी। दिन भर उसने यही कपड़े पहने हुए थे, क्योंकि उनको बदलने का मौका ही नहीं मिला। जय ने जल्दबाज़ी करते हुए मीना की ड्रेस उतार दी, और मीना ने भी उसको उतरवाने में जय की मदद करी। मीना ने अंदर कजरारी नीली सांझ के रंग की, सफ़ेद लेस लगी ब्रा और उसी से मैचिंग चड्ढी पहनी हुई थी। अपने अधोवस्त्रों में वो काम की देवी लग रही थी। उसका बहुत मन हुआ कि एक ही झटके में वो मीना की ब्रा और पैंटीज़ उतार फेंके, लेकिन न जाने कैसे उसने अपने ऊपर नियंत्रण बनाए रखा।

उत्तेजना में उसके हाथ काँपने लगे थे।

“हुकुम,” मीना ने उसकी दशा देखी, और उसकी हालत समझते हुए बड़ी कोमलता से बोली, “मैं अब आपकी हूँ... आपको हर तरह की ख़ुशी दूँगी... इसलिए कुछ भी सोचिये नहीं...”

जय उसकी बात पर मुस्कुराया - वो समझ रहा था कि मीना क्या कर रही थी, और उसको मीना पर गर्व भी हो आया, “आई लव यू मीना... यू आर सो ब्यूटीफुल...”

“आई नो...” मीना ने अदा से कहा।

“कैसे?” जय ने उसकी ब्रा के पीछे, उसके क्लास्प को खोलते हुए पूछा।

“आपकी आँखों में दिखता है...”

“क्या?”

“कि मैं आपके लिए दुनिया की सबसे सुन्दर लड़की हूँ...”

तब तक जय ने उसकी ब्रा उतार दी थी। यह दृश्य वो अपने जीवन के हर पल देख सकता था! मीना के सुन्दर और आकर्षक स्तनों की जोड़ी उसके सम्मुख अनावृत उपस्थित थी। यौवन के घमण्ड से उन्नत उसके स्तन, ठोस और गोल टीलों जैसे थे! देखने में ठोस, लेकिन छूने में मुलायम! कैसा घोर विरोधाभास! दोनों स्तनों के गोलार्द्धों पर मिल्क चॉकलेट वाले गहरे भूरे रंग के चूचक शोभायमान थे, और उसी से मिलते जुलते रंग के कोई दो इंच के व्यास वाले एरोला! मीना के स्तन देखने में ऐसे थे, कि जैसे वो पीने के लिए ही बने हों! बस, उनको पकड़ कर उनका सारा रस पी जाओ - यही ख़याल आता था उनको देख कर!

वो वही काम जय ने भी किया। मीना जानती थी कि जय यही करेगा। लेकिन फिर भी जैसे ही उसका होंठ उसके चूचक को स्पर्श किया, उसका पूरा शरीर सिहर गया।

परफेक्ट...” दोनों स्तनों को चूमने, चूसने के बीच में अलप-विश्राम लेते हुए जय मीना के स्तनों की सुंदरता की बढ़ाई करते हुए बोला, “द बेस्ट! वैरी वैरी ब्यूटीफुल!”

एन्जॉय देन...” मीना के दोनों गाल शर्म से लाल हो गए थे, लेकिन वो इस बात से खुश थी कि जय को आनंद रहा था!

जय पूरी तरह से उत्तेजित हो गया था। उसके लिंग में वही परिचित कठोरता आ गई थी, जो बिना स्खलन हुए, शांत होने वाली नहीं थी। हाँ, अवश्य ही आज उनकी सुहागरात थी, लेकिन फिर भी उतावलापन सही नहीं होता। उसको भी आनंद आना चाहिए और मीना को भी!

“मीना... यू आर सो प्रीटी! तुम सच में मेरे लिए इस दुनिया की सबसे सुन्दर लड़की हो!”

मीना यह सुन कर मुस्कुराई।

फिर अचानक से ही जय ने उसके स्तनों को प्यार करना बंद कर के, उसके चेहरे को अपने दोनों हाथों में लेकर, उसके होंठों पर एक गहरा चुम्बन दिया, और फिर ताबड़तोड़ चुम्बनों की बौछार लगा दी। मीना के होंठ नर्म और मुलायम थे - और उनसे उसकी उत्तेजना की गर्मी भी महसूस हो रही थी! उसके मुख से मीठी सी महक आ रही थी। चुम्बन करते हुए जय ने अपनी जीभ को उसके मुँह में डालने का प्रयास किया। मीना को संभवतः यह बात समझ में आ गई, लिहाज़ा, उसने अपने होंठ थोड़ा खोल दिए। जय को मीना के मुँह का स्वाद बहुत अच्छा लगा - अलग तरीके की मिठास और सुगंध। यह एक कामुक चुम्बन था, जिसके उन्माद में अब दोनों ही बहे जा रहे थे। उस कामुक चुम्बन की उत्तेजनावश जय ने मीना को अपनी तरफ खींच लिया। एक और आनंददायक एहसास - जय को अपने सीने पर मीना के स्तनों का ठोस और कोमल एहसास होने लगा। मीना को अपने आलिंगन में बाँधे, इस तरह से चूमना, उसको और भी सुखद लगने लगा।

जब तक चुम्बन टूटा, तब तक मीना की हालत खराब हो गई थी। अति-उत्तेजना के कारण उसको एक रति-निष्पत्ति (ओर्गास्म) हो गया था। उसका पूरा शरीर काँपने लगा था और साँसें उखड़ने लगीं थीं। जय को इस बारे में कोई ज्ञान नहीं था। जब अनुभव नहीं होता, तो समझ भी नहीं होती। और वैसे भी, उसका अपना सिंगल-माइंडेड एजेंडा चल रहा था। अब वो और रुकना नहीं चाहता था। वो मीना की चड्ढी को अपने एक हाथ से खींच कर उतारने का प्रयास करने लगा। लेकिन उसकी इस जल्दबाज़ी में मीना का संतुलन बिगड़ गया और वो बगल ही लगे बिस्तर पर चित होकर गिर गई।

“अरे...” मीना ने हँसते हुए कहा, “आराम से करिए, हुकुम... मैं कहीं भागी थोड़े ही जा रही हूँ...”

“सॉरी मेरी जान... बट आई ऍम सो एक्साइटेड...”

“आई नो... बट टेक इट ईज़ी...” मीना ने थोड़ा हिचकते हुए पूछा, “... यू डू नो राइट?”

व्हाट?”

“... दैट आई जस्ट... हैड... ऐन... ओर्गास्म?” जय की नासमझी पर मीना की झिझक और बढ़ गई!

व्हाट! यू डिड? वाओ! एक्सीलेंट!”

“हा हा... ओह मेरे भोले सैयां...”

जय ने ताबड़तोड़ तरीके से मीना को खूब चूमा - उसके पूरे शरीर को चूमा। नटखट नादानी से भरा हुआ खेल चल रहा था, और दोनों को ही बहुत आनंद आ रहा था। उधर जय के लिंग का स्तम्भन और उसके कारण उसके नीचे के कपड़े पर स्तम्भन का कसाव बढ़ता ही जा रहा था, और वो अब मीना के अंदर समाहित होने के लिए व्याकुल हुआ जा रहा था। थोड़ा थोड़ा डर भी लग रहा था कि कहीं अपने अनाड़ीपन के कारण कुछ ‘गड़बड़’ न हो जाए।

उसने तेजी से अपने कपड़े उतारे - लेकिन, काम के कपड़े छोड़ दिए।

“मीना ..?” उसने मीना को आवाज़ लगाई।

“हुकुम?” उसने कहा।

“तुमको मेरा एक काम करना होगा...”

“जी... बोलिए?” अपने पति के लगभग नग्न, लेकिन कसाव लिए हुए शरीर को देख कर उसको लज्जा भी आई, और गर्व भी हुआ।

“अपने हाथ मुझे दीजिए...”

मीना ने अपने हाथ आगे बढ़ाए, जिनको जय ने अपने हाथों में थाम लिया, और फिर अपनी पैंट के कमर पर रख दिया।

“इसे आपको उतारना होगा... आपके कपड़े उतार-उतार कर मैं तो थक गया।” जय ने मुस्कुराते हुए उससे कहा।

“हा हा...”

मीना हँसी, और फिर उसने पैंट का बक्कल ढीला किया, और उसको नीचे सरका दिया। जय की चड्ढी के अन्दर उसका लिंग बुरी तरह से कसमसा रहा था। मीना जानती थी कि वो बाहर आने को उद्धत है। उसने जय की चड्ढी की इलास्टिक को पकड़ कर उसको नीचे की तरफ़ खींच लिया... और उस एक हरक़त से जय का अति-उत्तेजित लिंग मुक्त हो गया। उसने कुछ देर तक जैसे जय के लिंग का निरीक्षण किया।

फिर,

“हुकुम,” मीना के मुँह से निकल ही गया।

“हम्म?”

दिस इस वैरी हैंडसम...” उसने शर्माते हुए कहा, “जस्ट लाइक यू!”

“थैंक यू...”

मीना ने अपना हाथ उसके लिंग पर रख दिया और अपनी उँगलियों को उसके लिंग के गिर्द लपेट लिया। अपने हाथ से यूँ ही पकड़े हुए मीना ने अपना हाथ तीन चार बार आगे पीछे किया।

वैरी हैंडसम...” वो फुसफुसाते हुए बोली, “एंड वैरी स्ट्रांग...”

फिर अपनी बड़ी बड़ी आँखों से जय को देखती हुई उसने उसके लिंग को चूम लिया।

अपने लिंग पर मीना के होंठों का स्पर्श पा कर जय का दिल धमक उठा - उसको एक पल को लगा कि कहीं उसको स्खलन न हो जाए! उसको समझ में आ गया था कि अगर उसने यूँ ही मटरगश्ती जारी रखी, तो बिना मेल हुए ही स्खलन होने की सम्भावना तो है। लिहाज़ा यह खिलवाड़ रोकना पड़ेगा और असल काम शुरू करना पड़ेगा। जल्दी!

“जानेमन,” उसने मीना से कहा, “मेन-कोर्स शुरू करें?”

“मैं तो कब से ही तैयार हूँ, हुकुम...”

“लवली...”

वो बोला, और काम पर लग गया। उसने एक हाथ से मीना के एक स्तन को पकड़ा और उसको अपने होंठो और जीभ से दुलारने और छेड़ने लगा, तो दूसरे हाथ से उसकी योनि को टटोलने लगा। उसकी योनि पर हाथ जाते ही गीलेपन का एहसास हुआ। कुछ देर तक उसने मीना की योनि के दोनों होंठों, और उसके भगनासे को सहलाया, और फिर अपनी उँगली धीरे से उसकी योनि में सरका दी। जय के ऐसा करते ही मीना के गले से आह निकल गई।

“सब ठीक है?” उसने पूछा।

मीना ने जल्दी जल्दी ‘हाँ’ में सर हिलाया, “एन्टिसिपेशन इस किलिंग मी...”

जय को पता था कि मीना को बस कुछ ही मिनटों पहले ओर्गास्म का आनंद मिल चुका है, लेकिन फिर भी वो इस अनुभव को उसके लिए ‘ख़ास’ बना देना चाहता था। हाँ, वो इस खेल में अनाड़ी था, लेकिन अपनी बीवी को खुश करने के लिए उसको किसी प्रकार के पूर्व अनुभव की आवश्यकता नहीं थी। जहाँ प्रेम है, वहां आनंद भी है। उसने धीरे धीरे से अपनी उँगली को उसकी योनि के अन्दर-बाहर करना शुरू कर दिया। मीना को अवश्य ही ओर्गास्म हुआ था, लेकिन उसकी तीव्रता कम थी। लेकिन जय के इस नए क्रिया कलाप से उसकी कामेच्छाओं का बाँध टूटने लगा और उसकी योनि से कामरस की बरसात होने लगी। जय की उँगली पूरी तरह से भीग चुकी थी, और अब बड़ी आसानी से उसकी योनि के अन्दर-बाहर हो पा रही थी।

इस बार जय सतर्क था - वो अपनी हरकतों के साथ साथ मीना के शरीर की हरकतों पर भी ध्यान रखे हुए था। उंगली अन्दर बाहर होते हुए बमुश्किल तीन चार मिनट हुए होंगे, कि मीना को एक और बार अपने ओर्गास्म का आनंद होने लगा। इस बार का अनुभव बड़ा प्रबल था। उसकी साँस एक पल को थम गई, और जब वापस आई तो उसके गले से एक गहरी, सिसकी भरी आह के रूप में निकली। अगर उनके कमरे के आस पास कोई होता, तो मीना की यह आह ज़रूर सुन लेता! वो निढाल होकर बिस्तर पर गिर गई, और गहरी गहरी साँसे भरने लगी। जय ने अपनी उँगली की रफ़्तार धीमी कर दी, जिससे उसकी योनि की उत्तेजना ख़तम न हो।

“ब्ब्ब्बस्स्स्स...” वो हाँफती हुई बोली।

“अभी कहाँ बस, मेरी राजकुमारी... असली काम तो अभी बाकी ही है।” उसने विजयी मुस्कान धरे, लेकिन बड़े प्यार से कहा।

मीना सच में अभी अभी मिले आनंद से आनंदित हो गई थी! वो समझ रही थी कि जय उसको यथासंभव आनंद देने की कोशिश कर रहा था। उसके लिए मीना के मन में अपार प्यार उमड़ आया। अगर जय चाहे तो उसको जब तक मन करे, भोगे!

उसने ‘हाँ’ में सर हिलाया।

जय ने मीना की जाँघों को चूमते हुए उनको फ़ैलाया। उसकी उत्तेजना बहुत अधिक बढ़ गई थी, इसलिए खुद को थोड़ा शांत करने के लिए उसने कुछ गहरी गहरी साँसें भरीं। लेकिन उसका लिंग अभी भी अपने गंतव्य में जाने को व्याकुल था।

मीना की आँखें अब बंद थी, लेकिन दोनों के ही शरीर बुरी तरह थरथरा रहे थे। अब वाकई सही समय आ गया था। जय ने मीना की जाँघों को फैला दिया, और उसकी योनि के खुले हुए, काम-रस से भीगे, चमकते मुख को देखा।

हियर आई कम, मिसेज़ सिंह...”

कह कर जय ने एक हाथ से उसकी योनि को थोड़ा फैलाया, और अपने लिंग को उसकी योनि मुख से सटा कर ज़ोर लगाया। और इसी के साथ दोनों पति-पत्नी का मेल हो गया। जय का लिंग मीना की योनि के भीतर चल पड़ा। उतावलेपन से मीना को तकलीफ़ होने की आशंका थी, लेकिन वासना के अंधे को रोक पाना बड़ा दुष्कर कार्य है। जय में अब इतना धैर्य नहीं बचा हुआ था। उसका पहला धक्का तो सामान्य था, लेकिन अगला धक्का बलपूर्वक आया! उसके कठोर लिंग के बलवान प्रहार के सामने मीना की कोमल योनि के प्रहरी पल भर में ढेर हो गए। लगभग पूरा लिंग मीना की योनि में समां गया।

“आआह्ह्ह ...” मीना के गले से गहरी चीख निकल गई।

जय को तो मानो काटो खून नहीं! वो एकदम से सकपका गया,

‘कहीं मीना को चोट तो नहीं लग गई?’ उसने एक दो क्षण ठहर कर मीना की प्रतिक्रिया भांपी - उसने अपना निचला होंठ अपने दाँतों के भीतर पकड़ रखा था और उसके चेहरे पर पीड़ा के भाव स्पष्ट थे। लेकिन उसने कुछ पल सम्हल कर ‘हाँ’ में सर हिलाया, और जय को प्रोत्साहित किया।

लिहाज़ा उसको हरी झंडी मिल गई। अब जय ने रुकने का कोई उपक्रम नहीं किया। उसने कई बार अपना लिंग मीना की योनि से बाहर निकाल कर वापस डालने का उपक्रम किया। ऐसा उसने सात आठ बार किया। मीना के चेहरे पर पीड़ा के भाव तो नहीं थे, लेकिन उसके हर धक्के पर वो कराह ज़रूर रही थी। इस बात से जय को सम्बल मिला। उसने इस बार अपना पूरे का पूरा लिंग मीना के और भीतर तक घुसा दिया, और आदि-काल से प्रतिष्ठित पद्धति से सम्भोग क्रीड़ा आरम्भ कर दी।

मीना का चेहरा देखने लायक था - उसकी आँखें बंद थीं, लेकिन मुँह कामुक तरीके से खुला हुआ था। शायद इस समय उसके लिए साँस लेने और कामुक सिसकियाँ निकालने का यही एकमात्र द्वार था! हर धक्के से उसके स्तन हिल रहे थे। हर धक्के से चिहुँक भरी आवाज़ आ रही थी। जय और मीना ने सम्भोग की गति तेज़ कर दी। स्वस्थ युवा शरीर इस खेल में समय ले सकते हैं, लेकिन दोनों के भीतर भावनाओं का ज्वार ऐसा उमड़ा हुआ था कि बहुत देर तक दोनों अपने प्रेम रसायनों के मिलन को रोकना नहीं चाहते थे। मीना ने अपनी बाहों और टांगों को जय के इर्द गिर्द लपेट लिया था - मीना भी अपनी उत्तेजना के चरम पर आने वाली थी, और जय भी। दोनों के सम्भोग की गति और भी तेज़ हो गई - मीना की रस से भीगी योनि में जय के लिंग के अन्दर-बाहर आने जाने से अब ‘पच-पच’ की आवाज़ आ रही थी। और उसी के साथ उनकी कामुक आहें भी निकल रही थीं। कमरे का माहौल कामुक हो चला।

अब दोनों का ही इस खेल में कुछ क्षणों से अधिक टिकना संभव नहीं था, और हुआ भी वही! जय के लिंग से एक विस्फोटक स्खलन हुआ, और उसके बाद तीन चार बार और! हर स्खलन में वो अपना लिंग मीना की योनि के और भीतर तक ठेलने का प्रयत्न कर रहा था - मानों वीर्य को सीधे उसके गर्भ में स्थापित कर देना चाहता हो। जय के चरमोत्कर्ष प्राप्त करने के साथ ही मीना भी एक बार फिर से अपने चरमोत्कर्ष पर पहुँच गई। अपने चरमोत्कर्ष के उन्माद की पराकाष्ठा पर पहुँच कर मीना की पीठ एक चाप में मुड़ गई, जिससे कारण उसके स्तन थोड़ा और ऊपर उठ गए। जय ने उसका एक चूचक सहर्ष अपने मुँह में ले लिया, और उसके ऊपर ही निढाल होकर उसका आस्वादन करने लगा।

“मज़ा आया मेरी जान?” कुछ देर की चुप्पी के बाद, थोड़ा संयत हो कर मीना ने पूछा।

जय ने मीठी मुस्कान के साथ ‘हाँ’ में सर हिला कर अपने आनंद की अभिव्यक्ति करी।

“आई लव यू!” कह कर मीना ने उसको अपने आलिंगन में भर लिया, और फिर दोनों ही एक दूसरे की बाहों में समां कर गहरी नींद सो गए।

*
Awesome
Erotic
Fantastic update
मीना और जय की सुहागरात का जो चित्रण किया है वह बहुत ही शानदार लाज़वाब और कबीले तारीफ है है
 
Last edited:

Sanju@

Well-Known Member
4,708
18,911
158
Update #36


“मीना,” क्लेयर ने थोड़ा चिंतित होते हुए पूछा, “तुम ठीक हो?”

मीना के चेहरे पर बारह बजे हुए थे - वो ठीक तो नहीं लग रही थी। उसके चेहरे पर एक अजीब सा डर बना हुआ लग रहा था।

“पता नहीं क्लेयर... क्वीसी (मितली) सा लग रहा है... कुछ उल्टा पुल्टा भी नहीं खाया रात में! फिर भी...”

“प्यारी बहना,” क्लेयर ने मीना के चेहरे पर डर का भाव देखा, तो वो उसका मन बहलाने की मकसद से मज़ाकिया अंदाज़ में बोली, “... तुम दोनों की शादी के तीन महीने हो गए हैं...”

“अरे तो?”

“तो?” क्लेयर ने हँसते हुए कहा, “मेरी भोली मीना, ये मितली वाली फ़ीलिंग... हमेशा इसलिए नहीं होता कि ऊपर वाले होंठों से उल्टा पुल्टा खाया गया हो... बल्कि इसलिए भी आ सकता है क्योंकि तुम्हारे नीचे वाले होंठ रोज़ कुछ खाते हैं...”

“नीचे वाले होंठ...” मीना ने न समझते हुए बुदबुदाया, फिर उसको क्लेयर की बात का मतलब समझा, “... धत्त... गन्दी!”

“अच्छा जी!” क्लेयर ने उसको छेड़ते हुए कहा, “हम कहने भर से गन्दी हो गईं... और आप रोज़ रात में, जो आहें भर भर कर मज़े करती हैं, उसके कारण गन्दी नहीं हुईं?”

“ओह क्लेयर...”

“अरे बुरा न मानो मेरी बहना... लेकिन पॉसिबल है न? यू मे बी प्रेग्नेंट...”

“इतनी जल्दी?”

“क्यों? तीन महीने हो गए हैं तुम्हारी शादी के... और क्या जल्दी चाहिए?”

“ओह गॉड...”

“तुम खुश नहीं हो?”

“हम्म? क्या? नहीं नहीं!” मीना ने अचकचाते हुए कहा, “बहुत खुश हूँ... इफ़ आई ऍम रियली प्रेग्नेंट... लेकिन, लेकिन... डर भी लग रहा है क्लेयर... न जाने क्यों!”

“डरना किस बात का, लव?” क्लेयर ने सहानुभूति वाले अंदाज़ में कहा, “हम सब हैं न तुम्हारे साथ! ... देखना, जय और आदित्य को पता चलेगा न, तो दोनों तुमको अपने सर आँखों पर बिठा लेंगे!”

क्लेयर की बात सुन कर मीना की मुस्कान चौड़ी हो गई।

“... और माँ, वो तो भागी भागी चली आएँगी यहाँ!”

“डॉक्टर से कन्फर्म कर लें?” मीना ने सुझाया!

सही बात भी है - सही समय से पहले खुशियाँ नहीं मनाने लगना चाहिए।

“हाँ हाँ! तुम बैठो - आराम से नाश्ता कर लो! मॉर्निंग सिकनेस का यह मतलब नहीं कि खाना पीना छोड़ दो! ... बल्कि तुमको तो अब अपनी सेहत का पहले से भी अधिक ख़याल रखना चाहिए!”

“ओह्हो क्लेयर! पहले पता तो चले!”

“हाँ... क्यों नहीं!” क्लेयर बोली, “लेकिन एक बात बताओ... डिड यू मिस योर पीरियड्स?”

“हाँ... लेकिन एक ही!”

“बधाई हो मीना!”

“क्लेयर... ओह, आई विल बी द हैप्पीएस्ट वुमन टुडे! ... लेकिन प्लीज एक बार डॉक्टर के यहाँ चलते हैं न?”

“हाँ... आज ही! खाना खा लो, देन आई विल टेक यू देयर...”


*


जय ने घर आते ही, बिना कुछ कहे, सुने, मीना को अपनी गोदी में उठा लिया और उसके शरीर पर जहाँ जहाँ भी संभव था, चूमने लगा। उसके पीछे आदित्य और क्लेयर हँसने लगे। खुद मीना भी अपनी हँसी रोक न सकी।

“अरे अरे!” क्लेयर ने हँसते हुए जय को समझाया, “आराम से! जस्ट बी केयरफुल जय!”

“ओह भाभी! मैं खुद को कैसे रोकूँ! ... आई ऍम सो हैप्पी! सो वैरी हैप्पी!” जय ने मीना के पेट को चूमते हुए कहा, “आई ऍम द हैप्पीएस्ट मैन ऑन दिस गुड अर्थ टुडे!”

“हाँ हाँ! आई नो... व्ही आल आर वैरी वैरी हैप्पी टुडे!” क्लेयर ने कहा, “लेकिन जस्ट बी केयरफुल!”

जय ने समझते हुए मीना को बहुत सम्हाल कर अपनी गोदी से उतारा और फिर उसके होंठों को चूम लिया।

आई लव यू, माय लव!”

उसके चुम्बन में इतना प्यार था कि मीना की आँखें बंद हो गईं। जय के बच्चे की माँ बनने का सोच कर उसको जितनी ख़ुशी मिल रही थी, जितने गर्व का एहसास हो रहा था, वो बयान कर पाना संभव नहीं था। असफ़ल प्रेम-संबंधों के कारण, उसके मन में एक अलग ही तरह का अपराध-बोध जागृत हो गया था। लेकिन जब से जय उसके जीवन में आया था, एक अलग ही तरह की कोमल बयार महसूस होने लगी थी मीना को! उड़ती रहती वो हमेशा! प्रेम में पगा होना ऐसा ही होता है।

अब उसी प्रेम का चिन्ह उसके गर्भ में जीवन ले रहा था। डॉक्टर ने अल्ट्रासाउंड कर के स्क्रीन पर दिखाया था उसको! उसने देखा कि कैसे जय और उसके प्रेम की निशानी का दिल धड़क रहा था! वो आज से पहले इतनी खुश कभी नहीं हुई। अपनी शादी के दिन भी नहीं! इतनी खुश कि उसकी आँखों से आँसू टपक पड़े! बड़ी मुश्किल से क्लेयर ने मीना को मनाया था वहाँ... नहीं तो मीना बुक्का फाड़ कर रोने लगती।

लव यू सो मच माय हार्ट !” मीना ने उसको वापस चूमते हुए कहा।

“अहेम अहेम...” क्लेयर ने अंत में दोनों के कबाब में हड्डी बनने का निर्णय ले ही लिया।

दोनों वापस धरातल पर आ गए और एक दूसरे के आलिंगन से अलग हो गए।

कॉन्ग्रैचुलेशन्स मीना,” आदित्य ने मीना को गले से लगा कर और उसके गालों को चूम कर उसको बधाई दी।

थैंक यू सो मच आदि!”

“अब सुनो मीना,” क्लेयर ने जैसे उसको आदेश देते हुए कहा, “... अब तुम अपना वर्कलोड कम करोगी। नो स्ट्रेस! नो ट्रेवल्स! नो रनिंग अराउंड द कंट्री... अपना पूरा ख़याल रखोगी, और ढंग से खाना पीना सोना करोगी! ... ओके?”

“यस मैम...” मीना ने सैल्यूट मार कर क्लेयर से कहा।

“और तुम, जय, इसका पूरा ख़याल रखोगे! इसको कभी दुःख हुआ, इसने कभी रोया, या इसको कोई भी तकलीफ़ हुई न, तो तुमको कॉर्पोरल पनिशमेंट मिलेगा!”

“यस कर्नल...” जय ने भी अटेंशन में आ कर क्लेयर को सैल्यूट मारा।

“अरे वाह!” क्लेयर ने हँसते हुए कहा, “दोनों बच्चे तुरंत मान गए!”

“क्यों नहीं मानेंगे?” आदित्य भी उनकी हँसी में शामिल हो गया, “तुम इनकी भाभी ही नहीं, माँ भी हो और बड़ी बहन भी!”


*


रात में बिस्तर पर मीना पूर्ण नग्न हो कर जय का सहारा ले कर, अधलेटी अवस्था में लेटी हुई थी। जय बड़े कोमल अंदाज़ में उसके पेट को सहला रहा था।

“मीना, मेरी जान...” वो बोला, “मैं वाक़ई बहुत खुश हूँ आज...”

मीना मुस्कुराई।

“मेरा खून... मेरा बच्चा... और उसको पैदा करने वाली तुम... द मोस्ट वंडरफुल पर्सन ऑन अर्थ!” उसने मीना को चूमा, “क्यों न इतना खुश होऊँ?”

यह सब सुन कर मीना को बहुत सुकून आ रहा था। उसने कुछ भी कहने की आवश्यकता नहीं समझी।

“अजय और अमर के बाद मैंने भाभी और भैया से खूब रिक्वेस्ट करी थी कि वो और बच्चे करें... लेकिन भाभी को कॉम्प्लिकेशन हो गया था... इसलिए कुछ हो नहीं सका!”

“मैं हूँ न हुकुम...” मीना ने कहा, “जो सब आपको चाहिए, वो मैं आपको दूँगी...”

“तीन चार बच्चे?” जय ने बड़ी आशा भरे अंदाज़ में पूछा।

“हाँ... बिल्कुल!”

जय मुस्कुराया, “मेरी जान...”

“हम्म्म?”

“इनमें दूध आने लगेगा न?” उसने मीना के दोनों स्तनों को थाम कर थोड़ा सा दबाया।

“हा हा... हाँ! ... ये आपके खेलने के लिए नहीं, हमारे बच्चों के पीने के लिए बनाए गए हैं!”

“हा हा हा... आई नो! लेकिन क्या करूँ!! ये हैं ही इतने सुन्दर!” वो मीना के स्तनों को सहलाते हुए बोला, “... मेरा भी मन होता है इनको पीने का!”

“मैंने कब रोका है आपको?”

“कभी नहीं...”

“तो फिर?”

दोनों कुछ देर कुछ नहीं बोले। फिर मीना ने ही चुप्पी तोड़ी,

“जान?”

“हम्म? बोलो माय लव?”

“आई नो कि मुझे खुश होना चाहिए... और मैं हूँ खुश! खुश क्या, बहुत अधिक खुश...” मीना ने हिचकते हुए कहा, “लेकिन...”

“लेकिन?”

“लेकिन... न जाने क्यों मन में डर सा लग रहा है! ... अजीब सा डर!”

“पहली बार माँ बनने वाली हो न! पॉसिबल है... इसमें इतना क्या सोचना?”

“हाँ... मैंने भी वही सोचा... लेकिन ये वो वाला डर नहीं है... कुछ और ही... ओह! आई डोंट नो माय लव!”

“हे!” जय ने मीना को अपने आलिंगन में भरते हुए कहा, “तुम कुछ उल्टा पुल्टा मत सोचो! समझी? ... नहीं तो भाभी मुझे बहुत मारेंगी! ... तुम बस खुश रहो! अपने सब डर... अपने सब चिंताएँ मुझको दे दो!”

मीना मुस्कुराई।

“ओके?”

“जी हुकुम!” वो बोली।

फिर कुछ याद कर के, “माँ से बात नहीं हुई... उनको कॉल करिए न!”

“हाँ, उनको कॉल किया तो था... लेकिन लगा नहीं। ... कभी कभी हो जाता है! पैची कनेक्शन, यू नो?”

“हम्म... आई फील सो बैड!”

“क्यों?”

“न तो शादी के समय उनका आशीर्वाद मिल पाया और न ही आज!” मीना ने उदास होते हुए कहा, “... अभागी हूँ मैं! कभी भी माँ का प्यार नहीं मिल सका...”

बोलते बोलते उसकी आँखों से आँसू ढलकने लगे।

गर्भवती हो कर लड़कियाँ अत्यधिक भावुक हो जाती हैं - यह जय ने सुना ही था, आज देख भी लिया।

“मीना... माय लव... क्या हो गया तुमको? क्यों ऐसी बातें कर रही हो?” जय ने उसको अपने में समेटते हुए कहा, “किसने कहा तुमको माँ का प्यार नहीं मिलता? ... वो बेचारी अपनी सारी ममता तुम पर न्यौछावर करती रहती हैं! ... बस आ ही तो नहीं पातीं! कोई बात नहीं... जैसे ही तुम ट्रेवल करने लायक हो जाओगी, हम वैसे ही इंडिया चलेंगे!”

“पक्की बात?”

“पक्की पक्की बात!” वो मुस्कुराया।

जय का मुस्कुराता हुआ चेहरा देख कर मीना मुस्कुराए बिना नहीं रह पाती थी। आज भी कोई अपवाद नहीं था। जो प्रेम उसने जय के लिए पहले दिन महसूस किया था, वो आज भी बरकरार था - बल्कि और भी प्रगाढ़ हो गया था।


*


मीना की माँ से बातें दो दिन बाद ही हो पाईं। कारण? उनका टेलीफोन कनेक्शन खराब था।

जब उन्होंने मीना के गर्भवती होने की खबर सुनी, तो आनंद से निहाल हो गईं। आनंद और भावातिरेक से निकलते हुए उनके हर शब्द मीना के लिए मानों आशीर्वाद समान थे। आज तक माँ को उसने देखा भी नहीं था - बस उनकी तस्वीरें ही देखी थीं। लेकिन उनसे बातें कर के ऐसा लगता था कि साक्षात देवी माँ की ममता भरी गोद में वो बैठी हुई हो, और वो प्यार से उसको दुलार रही हैं!

उन्होंने वायदा किया कि यथाशीघ्र शिकागो आ जाएँगी! क्योंकि वैसे भी अब उनका मन भारत में नहीं लगने वाला।


*
बहुत ही शानदार और लाज़वाब अपडेट है
मीना और जय के लिए यह पल बहुत ही सुखद होगा जब वो मां बाप बनेंगे। यह एक ऐसा ऐहसास है जिसको शब्दो में बया नही किया जा सकता है यक्लेयर ने मीना को देवरानी न मानकर एक मां के साथ एक बहन का फर्ज बखूबी निभाया है मीना को मां के अभी तक दर्शन नही हुए हैं
 

Sanju@

Well-Known Member
4,708
18,911
158
Update #37


“क्या?!” आज जब भारत से टेलीफोन आया, तब उधर से कही गई बात को सुन कर आदित्य का दिल धक् हो गया, “क्या कह रहे हैं काका आप?”

“...”

“कैसे...”

“...”

“कब हुआ?”

“...”

“माँ कैसी हैं?”

“...”

“किस हॉस्पिटल में हैं?”

“...”

“उनके पास कौन है अभी?”

“...”

“ये ठीक नहीं है काका,” आदित्य ने उद्विग्नता से कहा, “मैं आता हूँ, जल्दी ही!”

“...”

“नहीं नहीं... ऐसे कैसे रुक जाऊँगा? आता हूँ, जो फ्लाइट मिलती है, उसे ले कर...”

“...”

“जी काका, मैं आपको फ़ोन करता रहूँगा...”

“...”

“नहीं मैं खुद ही आ जाऊँगा...”

“...”

“हाँ, हम सभी आ जाएँगे...”

“...”

“वो भी ठीक है!”

“...”

“ये माँ ने कहा है?”

“...”

“हाँ... मीना को इस समय ट्रेवल तो नहीं करना चाहिए!”

“...”

“जी ठीक है!”

“...”

“जी काका!”

“...”

“प्रणाम काका,” आदित्य बोला, “आप माँ का ध्यान रखिए... क्लेयर और मैं आते हैं जल्दी ही!”

“...”

“जी काका, मिलते हैं!”

“...”

“प्रणाम काका!”

“...”

क्लेयर जो आदित्य की उद्विग्नता भरी आवाज़ सुन कर उसके पास ही चली आई थी, बोली, “क्या हुआ आदि?”

“माँ की कार का एक्सीडेंट हो गया है...”

“क्या? कैसी हैं वो अब?”

“काका बता रहे थे कि कोई सीरियस चोट नहीं लगी है... लेकिन उनके पैर और हाथ में फ्रैक्चर हो गया है... प्लास्टर भी चढ़ाया गया है।”

“ओह गॉड!” वो चिंतित होती हुई बोली, “पक्का न, और कोई चोट नहीं है?”

“काका ने और तो कुछ भी नहीं बताया।”

“हमको जाना चाहिए! तुरंत!”

“हाँ!”

“कब निकलना है?”

“जो भी फ्लाइट मिले! टाइम भी तो लगेगा ही!”

“हाँ! लेकिन जाना है!”

“हाँ क्लेयर! सोच रहा हूँ कि कौन कौन जाएगा!”

“हम सभी, और कौन कौन?”

“मीना कैसे जाएगी? शी इस ओन्ली इन हर फर्स्ट ट्राईमेस्टर... इट इस नॉट सेफ़ फॉर हर टू ट्रेवल, हनी!”

“अच्छा, लेकिन जय तो आ सकता है, न?”

“अगर जय इंडिया चला आया हमारे साथ, तो फिर मीना को कौन देखेगा? वो पूरी तरह अकेली हो जाएगी यहाँ... और बच्चे? उनके भी तो एक्साम्स आने वाले हैं न! व्ही कांट डिस्टर्ब देम!”

“यस... आई ऍम सॉरी! यू आर राइट! नर्वसनेस में आ कर दिमाग ने काम करना बंद कर दिया। ... ओके, तो केवल हम दोनों चलते हैं, फिलहाल?”

“हाँ, यही ठीक रहेगा! ... वैसे भी, माँ ने जय और मीना को न लाने को कहा है।”

“वो क्यों?”

“एक तो प्रेग्नेंसी, और दूसरी बात... वो कह रही थीं कि नई बहू अपने घर तब आएगी, जब वो खुद उसको लिवाने दरवाज़े पर खड़ी होंगी!”

“ओह्हो! माँ भी कभी कभी ज़िद्दी हो जाती हैं!”

“नहीं नहीं... इट इस फेयर! बेचारी, न उनकी शादी में शामिल हो पाईं और अब ये सब... छोटी छोटी ख़्वाहिशें हैं उनकी! कुछ तो पूरी हों! ... बहू को ले कर वो कितनी एक्साइटेड थीं...”

“आई नो,” क्लेयर दुःखी होती हुई बोली, “आई ऍम सॉरी, लव!”

“नहीं नहीं! ऐसे मत सोचो। ... अभी हम दोनों चलते हैं... जय और मीना बच्चों को देख लेंगे!”

“हम्म्म ओके! लेकिन मीना सुनेगी, तो बहुत बुरा मानेगी!”

“ऑब्वियसली...”


*


जय और मीना ने जब माँ के एक्सीडेंट के बारे में सुना तो वाकई उन दोनों को बहुत बुरा लगा। वो दोनों तुरंत ही भारत आने को राज़ी हो गए, लेकिन क्लेयर ने साफ़ मना कर दिया।

“बट व्हाई, भाभी?” जय ने प्रतिकार किया।

“वो इसलिए बेटू, क्योंकि एक तो मीना का पहला ट्राईमेस्टर चल रहा है, एंड व्ही मस्ट अवॉयड एनी लॉन्ग, स्ट्रेनुअस जर्नीस... डॉक्टर्स ऑर्डर्स! समझे? और सेकंड, ये खुद माँ का हुकुम है कि वो मीना का बहू के रूप खुद स्वागत करना चाहती हैं!”

“लेकिन भाभी,”

“यू काँट डिप्राइव हर ऑफ़ दैट सिंपल हैप्पीनेस, कैन यू?”

इस बात से जय निरुत्तर हो गया।

“सॉरी भाभी,”

“बेटा, माँ ने ही हमको मना किया है... वो बोलीं हैं कि छोटी बहू को यात्रा न करने देना!” आदित्य ने समझाया।

“आपने उनसे बात करी क्या?” मीना का चेहरा उदासी से उतर गया था।

“नहीं मीना... लेकिन, काका से बात हुई, तो उन्होंने ही बताया... और काका को माँ ने ऐसा कहने को बोला था।”

“मेरी किस्मत ही खराब है...” मीना ने रुआँसी होते हुए कहा।

“हे... मीना... क्या बकवास बोल रही हो! हाँ?” क्लेयर ने उसको प्यार से झिड़का, “ऐसे क्यों कह रही हो?”

“और नहीं तो क्या! ... लाइफ में पहली बार माँ का प्यार मिला, और वो भी...”

“ओह मीना,” क्लेयर ने मीना को अपने आलिंगन में प्यार से भरते हुए, और स्वांत्वना देते हुए कहा, “माँ को कुछ नहीं हुआ है... ठीक हैं वो... बस उनको थोड़ी चोट लगी है... और कुछ नहीं हुआ। ऐसा वैसा मत सोचो... ओके? ... और वैसे भी फ़ोन पर बात तो हो ही सकती है न उनसे... दो तीन दिन में? ठीक है?”

क्लेयर उसको समझा तो रही थी, लेकिन मीना का रोना रुक ही नहीं रहा था। गर्भावस्था में स्त्रियाँ वैसे भी अधिक भावुक हो जाती हैं। मीना के मामले में बात यह हुई थी कि इतने समय के बाद अब उसको माँ से मिलने का अवसर मिल रहा था - लेकिन अब उस पर भी झाड़ू चल गया था।

ये सब रोना धोना चलता रहता, इसलिए आदित्य ने जय से कहा,

“और भी एक रीज़न है... अजय और अमर के एक्साम्स पास आ रहे हैं। वो दोनों तुम दोनों की निगरानी में रहेंगे, तो ठीक रहेगा! ... और किस पर भरोसा करें हम? ... फुल टाइम नैनी मिलना बहुत मुश्किल है फिलहाल तो!”

“नहीं, नैनी क्यों चाहिए...” मीना ने रोने के बीच हिचकियाँ लेते हुए कहा।

“ठीक है भैया! ... आई डोंट लाइक इट... लेकिन क्या करें!” जय बोला।

“नो वन लाइक्स इट मेरे भाई,” आदित्य ने उसको समझाते हुए कहा, “... बट दैट इस लाइफ! कहाँ माँ दो हफ़्ते में यहाँ आने वाली थीं, और कहाँ ये सब...”

“माँ ठीक तो हैं न?” मीना ने रोते रोते, हिचकियाँ भरते हुए कहा, “कुछ छुपाया तो नहीं जा रहा है न हमसे?”

“काका ऐसा करेंगे तो नहीं... लेकिन जब तक हमारी खुद माँ से बात नहीं हो जाती, कुछ कह नहीं सकते!”


*


माँ से उसकी बात दो दिनों बाद ही हो पाई।

उन्होंने अपनी दुर्घटना को एक मज़ाक के तौर पर लिया था और उसकी गंभीरता को हँसी में उड़ा रही थीं।

“जानती है बहू,” वो मीना से मज़ाक करती हुई बोलीं, “बचपन में मेरा बड़ा मन होता था कि मेरा भी हाथ टूट जाए और उस पर प्लास्टर चढ़ जाए!”

“वो क्यों माँ!”

“वो इसलिए कि एक बार मेरी क्लास की एक लड़की का हाथ टूटा था, और वो जब प्लास्टर बंधवा के आई, तब हमने रंग-बिरंगी पेन्सिल से उस पर खूब चित्रकारी करी... हा हा हा!”

“आप भी न माँ!” मीना उनकी बात पर हँसना चाहती थी, लेकिन हँस न सकी, “जाईए हम आपसे बात नहीं करेंगे!”

“अरे! अब अपने बच्चे ही रूठ जायेंगे, तो कैसे चलेगा?”

“कैसे क्या चलेगा माँ? परेशानी में ही तो अपने काम आते हैं! ... और इस समय मैं आपके पास ही नहीं हूँ!”

“अरे, जब तू यहाँ आएगी न, तब अपनी हर बात मानवाऊँगी तुझसे! सास वाले सारे हुकुम चलाऊंगी... हाँ नहीं तो!” माँ ने बड़े लाड़ से कहा, “अब तो मेरे आराम करने और सासू माँ बन के हुकुम चलाने के दिन हैं...”

“आई विल होल्ड यू टू इट...” मीना ने बच्चों के जैसे ठुनकते हुए कहा।

“हा हा... कैसी किस्मत वाली माँ हूँ मैं... दोनों बहुएँ कितनी अच्छी हैं!”

“लव यू माँ,”

“लव यू सो मच, बेटे!”

“माँ आप किसको अधिक प्यार करती हैं? मुझे या क्लेयर को?” उसने किसी बच्चे जैसी चंचलता से पूछा।

मीना भी जानती थी कि मूर्खतापूर्ण सवाल है उसका - लेकिन न जाने कैसे, वो माँ के सामने ऐसी मूर्खताएँ कर सकती थी। और माँ भी उसके हर बचपने को बड़े प्यार से स्वीकार लेती थीं।

“तुझसे बेटू... तू तो मेरी छोटी बहू है न! वो तो घर में सबसे अधिक दुलारी होती है!”

“सच में माँ?”

“सच में... लेकिन मुझे क्लेयर से भी तेरे जितना ही प्यार है... उसने हमारे परिवार को बहुत ठहराव दिया है... बहुत सारे त्याग किये हैं उसने...”

“हाँ... मुझे भी क्लेयर बहुत अच्छी लगती है...” मीना सोचती हुई बोली, “बहुत अच्छी है वो...”

“तुम दोनों ही बहुत अच्छी हो... आई ऍम वैरी लकी मदर इन लॉ!”

“माँ, अब चलिए! बहुत बातें हो गई आज... अब आराम कीजिए!” मीना खुश होती हुई बोली, “कल दोपहर में आदि और क्लेयर जा रहे हैं इंडिया!”

“हाँ रे! देख न... उन दोनों से मिले हुए भी कितने ही दिन हो गए!”

“आप जल्दी से ठीक हो जाइए... फिर मुझको भी देख लीजिए... मुझसे भी मिल लीजिए!”

“अरे तेरी सब तस्वीरें मेरे पास हैं... तेरा जय मुझे भेजता रहता है सब!”

माँ की बात सुन कर मीना की मुस्कान बढ़ गई - सच में, अपनी सासू माँ में उसको जैसे अपनी माँ मिल गई थी!

“आई नो... मैं उसको मेरी बेस्ट फ़ोटोज़ सेलेक्ट कर के आपको भेजने को देती हूँ।”

“हा हा... खुश रह बच्चे!”

“लव यू माँ!”


*


अगली दोपहर आदित्य और क्लेयर भारत जाने की फ्लाइट में बैठ गए। भारतीय दूतावास से वीसा इत्यादि लेने में दो दिनों का समय लग गया था, नहीं तो वो दोनों उसी दिन निकल जाने वाले थे। चौबीस घंटे की थकाऊ यात्रा पूरी करने के बाद दोनों उस अस्पताल में पहुँचे जहाँ जय और आदित्य की माँ भर्ती थीं।

माँ को अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया था और वो अपने दिल्ली वाले आवास में ही थीं। डॉक्टरों ने उनको जबरदस्ती कर के ही दो दिन भर्ती कर रखा था कि दुर्घटना के कारण उनके सर के अंदर कहीं कोई चोट न लग गई हो। लेकिन जब सारे टेस्ट्स नकारात्मक आए, तब वो स्वयं भी अस्पताल में रुकने वाली नहीं थीं। वैसे भी उनके बच्चे आ रहे थे, ऐसे में वो अस्पताल में रह ही नहीं सकती थीं।

माँ को अपेक्षाकृत सुरक्षित और स्वस्थ देख कर दोनों की जान में जान आई। हाँलाकि पैर टूटने के कारण वो चलने फिरने में असमर्थ हो गई थीं, लेकिन इसका एक लाभ भी था - कम से कम अब वो जबरदस्ती ही सही, आराम करतीं। हाथ की हड्डी भी चटक गई थी, इसलिए उसमें भी प्लास्टर चढ़ा हुआ था। बढ़िया बात यह थी कि माँ की चोटें गंभीर नहीं थीं। चार पाँच महीनों में उनके लगभग पूरी तरह से स्वस्थ होने की सम्भावना थी।

*
Nice update
मीना इस एक्सीडेंट के लिए खुद की किस्मत को दोषी मान रही है लेकिन मां से बात करने पर अपने ऊपर का बोझ कम हुआ है उसे एक अच्छा परिवार मिला है उसकी खुशियां ऐसे ही बनी रहे
 

avsji

कुछ लिख लेता हूँ
Supreme
4,027
22,413
159
कुछ तो जरूर है जो मीना मैडम अपने सासू मां से मिल नही पा रही है ।

Divine providence है संजू भाई!
जब universe ही आपके पीछे हाथ पैर धो कर पड़ जाए, तो क्या कर सकते हैं!

वो अपने छोटे पुत्र के विवाह अवसर पर भी न आ सकी । वो मीना के गर्भ धारण खबर सुनकर भी अपने बहू से मिलने नही आई और अब जब मिलने का एक और मौका मिला तो अपना एक्सिडेंट करवा बैठी ।
इतने संयोग बार-बार नही होते । कुछ तो इसका कारण अवश्य है।

हाँ न!

लेकिन यह भी हैरानी की बात है कि सुहासिनी मैडम ने दो संतान- आदित्य और जय को जन्म कब और कैसे दे दिया ? जब उनके हसबैंड की मृत्यु हुई थी , उस दौरान वो प्रेगनेंट थी । और आदित्य और जय के उम्र के बीच का जो अंतराल है , उससे यह भी नही कहा जा सकता कि उन्होने ट्विन बच्चों को जन्म दिया था । इसका मतलब यह हुआ कि आदित्य और जय मे कोई एक ही इनका सगा पुत्र है ।
कौन है वो पुत्र ?


309891485-425263803079115-4152781433233548367-n

बहुत ही खूबसूरत अपडेट avsji भाई।
आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग।

धन्यवाद भाई!
साथ बने रहें... काला नाग भाई जैसे सस्पेंस तो बना नहीं सकता!
और आप पाठकों ने मिल कर इस कहानी की सिलाई बुनाई उधेड़ दी है।
कैसे सम्हालूँ इसको! 😂
 
Top