Update #35
“माँ होतीं, तो पूरे ट्रेडिशनल तरीके से तुम्हारा इस घर में स्वागत करतीं, मीना...” क्लेयर ने मीना से कहा - उसकी बोली में खेद का थोड़ा पुट अवश्य था, लेकिन इस बात का गर्व भी था कि उसने अपने ससुराल की संस्कृति को अमेरिका में भी जीवित रखा हुआ है, “... मुझे उनके जितना नहीं आता...”
“क्लेयर,” मीना ने उसका हाथ अपने हाथ में लेते हुए कहा, “आप ऐसे क्यों सोच रही हैं? आप सभी ने आज मुझे मेरी ज़िन्दगी की सबसे बड़ी ख़ुशी दी है...”
“ओह मीना, तुम किसी बात की कोई चिंता न करो! ... बस, अपनी शादी-शुदा ज़िन्दगी को पूरे तरीक़े से एन्जॉय करो... जय को खूब प्यार दो... हम सभी से तुमको बहुत प्यार मिलेगा... इस घर में प्यार की कोई कमी नहीं है...”
मीना ने बड़े स्नेह से क्लेयर के हाथों को चूम लिया।
“... तुम्हारा घर है ये! अब यह कभी न कहना कि तुम्हारा कोई नहीं! हम सब तुम्हारा परिवार हैं, और तुम हमारे परिवार की! अब बस खूब मज़े करो! अपनी ज़िन्दगी का आनंद लो। ... कोई समस्या हो, तो हम सब में बाँट लो!”
“क्लेयर... आई ऍम स्पीचलेस!” मीना की आँखों में आँसू आ गए, “यू आर द बेस्ट... आई रियली विश दैट आई हैड अ मदर लाइक यू... अ सिस्टर लाइक यू...”
“ठीक है फिर,” क्लेयर ने अपने परिचित, खुशनुमा अंदाज़ में कहा, “तो मुझे अपनी माँ ही मान लो! या बड़ी बहन?”
“ओह क्लेयर... थैंक यू थैंक यू थैंक यू...” कह कर मीना क्लेयर के सीने से लग गई।
“आSSSS... कम हीयर यू...” कह कर क्लेयर ने भी मीना को अपने आलिंगन में भींच लिया।
फिर मीना को थोड़े देर यूँ आलिंगन में लिए हुए वो बोली, “... अरे, सारा टाइम मेरे ही पास रहोगी, तो बेचारा जय क्या सोचेगा!”
“सोचने दो उसे जो सोचना है...” मीना ने हँसते हुए कहा।
“हा हा... बेचारा कब से तुम्हारा वेट कर रहा है। डिनर के बाद से सीधा तुम दोनों के कमरे में चला गया था...” क्लेयर ने जैसे राज़ की बात कही हो, “तुम भी जाओ! कल सवेरे मिलेंगे! ओके?”
“ओके क्लेयर... गुड नाईट!” मीना ने उठते हुए कहा।
“गुड नाईट मीना... एंड यू... हैव अ वंडरफुल नाईट!”
क्लेयर ने बड़े अर्थपूर्वक कहा, तो मीना के गालों पर लज्जा की लालिमा छा गई।
*
जब मीना “अपने” - मतलब, जय और उसके कमरे में प्रविष्ट हुई, तो जय वहाँ पहले से ही मौज़ूद था।
“इन्तेहाँ हो गई, इंतज़ार की...” उसको देखते ही जय गाने लगा।
मीना की मुस्कान उस गाने को सुनते ही चौड़ी हो गई।
“आये ना कुछ खबर... मेरे यार की...” जय उसकी तरफ़ आते हुए गाता रहा,
“ये हमें है यक़ीन... बेवफा वो नहीं...” उसने मीना की बाँह थामी और उसको नृत्य के अंदाज़ में घुमाया,
“फ़िर वजह क्या हुई... इंतज़ार की? ... हम्म?”
“ओह मेरे जय... मेरे हुकुम... आई ऍम सॉरी!” मीना ने बड़े प्यार से उसके गले में गलबैयाँ डाल कर कहा, “क्लेयर के साथ थोड़ा समय लग गया!”
“आय हाय...” जय ने मीना को चूमते हुए कहा, “जब तुम इस अदा से मुझे ‘हुकुम’ कहती हो न, तो दिल में कुछ कुछ होने लगता है!”
“क्या क्या?”
“कुछ कुछ!”
“हा हा... फ़िर? क्या करें आपके दिल की इस ‘कुछ कुछ’ का?”
“वही, जो न्यूली वेडेड हस्बैंड एंड वाइफ अपनी पहली रात में करते हैं...”
“अच्छा जी, तो आपको मेरे साथ बदमाशियाँ करनी हैं...”
“ओह, तो न्यूली वेडेड हस्बैंड एंड वाइफ अपनी पहली रात में ‘बदमाशियाँ’ करते हैं?”
“अरे मेरे भोले हुकुम... आप कह तो ऐसे रहे हैं कि जैसे आपको कुछ पता ही नहीं!”
“हमको कैसे पता होगा राजकुमारी जी? ... हम तो सीधे सादे शरीफ़ हैं!”
“हा हा... हाँ, वो तो है!” मीना ने कहा और जय के होंठों को चूम कर बोली, “आप मुझे दो मिनट दीजिए... मैं चेंज कर के आती हूँ।”
“चेंज क्यों करना है कुछ भी?” जय ने न समझते हुए कहा, “सब कुछ तो उतर ही जाना है न कुछ देर में,”
“ओओओओओह्ह्ह्ह... तो ये इरादे हैं आपके!” मीना उसके संग खिलवाड़ करती हुई बोली, “मैं तो आपके घर आई यह सोच कर कि मेरे सर पर छत होगी, तन पर कपड़े और ज़ेवर होंगे, मेरा पेट भरा रहेगा... और आप... आप ये साज़िश रच रहे हैं मेरे लिए...”
“साज़िश? अरे बेग़म, आपके लिए तो हमने बढ़िया बढ़िया प्लान बना रखे थे!”
“प्लान? बताईये हमको भी अपने प्लान के बारे में?”
“हाँ, लेकिन आपका डाउट थोड़ा दूर कर देते हैं हम... आपके सर पर छत ज़रूर होगी... लेकिन केवल ईंट लकड़ी की नहीं, बल्कि मेरे साए की, जो आप पर एक तकलीफ भी नहीं आने देगा।” जय ने मीना अपने आलिंगन में कस कर भींचते हुए कहा, “... आपका तन और... मन भी... हमेशा मेरे प्यार के कपड़ों से लिपटा रहेगा...”
जय की बातों को सुन कर मीना ने आनंद से अपनी आँखें बंद कर लीं और उसके आलिंगन में जितना संभव था, उतना समां गई।
“... और मेरी थाली से उठाया गया पहला निवाला आपको खिलाया जाएगा... आज से और आज से ले कर मेरी पूरी ज़िन्दगी भर... मेरे वज़ूद पर आपका पहला अधिकार होगा... यह आपके जय का प्रॉमिस है!”
“ओह जय... मेरे जय!” मीना जय के आलिंगन में और भी अधिक दुबक कर बोली, “... आपका जो भी प्लान है मेरे लिए, आप एक्सीक्यूट कर सकते हैं!”
“पक्की बात?”
“हंड्रेड परसेंट!”
मीना ने इस समय एक ड्रेस पहनी हुई थी। दिन भर उसने यही कपड़े पहने हुए थे, क्योंकि उनको बदलने का मौका ही नहीं मिला। जय ने जल्दबाज़ी करते हुए मीना की ड्रेस उतार दी, और मीना ने भी उसको उतरवाने में जय की मदद करी। मीना ने अंदर कजरारी नीली सांझ के रंग की, सफ़ेद लेस लगी ब्रा और उसी से मैचिंग चड्ढी पहनी हुई थी। अपने अधोवस्त्रों में वो काम की देवी लग रही थी। उसका बहुत मन हुआ कि एक ही झटके में वो मीना की ब्रा और पैंटीज़ उतार फेंके, लेकिन न जाने कैसे उसने अपने ऊपर नियंत्रण बनाए रखा।
उत्तेजना में उसके हाथ काँपने लगे थे।
“हुकुम,” मीना ने उसकी दशा देखी, और उसकी हालत समझते हुए बड़ी कोमलता से बोली, “मैं अब आपकी हूँ... आपको हर तरह की ख़ुशी दूँगी... इसलिए कुछ भी सोचिये नहीं...”
जय उसकी बात पर मुस्कुराया - वो समझ रहा था कि मीना क्या कर रही थी, और उसको मीना पर गर्व भी हो आया, “आई लव यू मीना... यू आर सो ब्यूटीफुल...”
“आई नो...” मीना ने अदा से कहा।
“कैसे?” जय ने उसकी ब्रा के पीछे, उसके क्लास्प को खोलते हुए पूछा।
“आपकी आँखों में दिखता है...”
“क्या?”
“कि मैं आपके लिए दुनिया की सबसे सुन्दर लड़की हूँ...”
तब तक जय ने उसकी ब्रा उतार दी थी। यह दृश्य वो अपने जीवन के हर पल देख सकता था! मीना के सुन्दर और आकर्षक स्तनों की जोड़ी उसके सम्मुख अनावृत उपस्थित थी। यौवन के घमण्ड से उन्नत उसके स्तन, ठोस और गोल टीलों जैसे थे! देखने में ठोस, लेकिन छूने में मुलायम! कैसा घोर विरोधाभास! दोनों स्तनों के गोलार्द्धों पर मिल्क चॉकलेट वाले गहरे भूरे रंग के चूचक शोभायमान थे, और उसी से मिलते जुलते रंग के कोई दो इंच के व्यास वाले एरोला! मीना के स्तन देखने में ऐसे थे, कि जैसे वो पीने के लिए ही बने हों! बस, उनको पकड़ कर उनका सारा रस पी जाओ - यही ख़याल आता था उनको देख कर!
वो वही काम जय ने भी किया। मीना जानती थी कि जय यही करेगा। लेकिन फिर भी जैसे ही उसका होंठ उसके चूचक को स्पर्श किया, उसका पूरा शरीर सिहर गया।
“परफेक्ट...” दोनों स्तनों को चूमने, चूसने के बीच में अलप-विश्राम लेते हुए जय मीना के स्तनों की सुंदरता की बढ़ाई करते हुए बोला, “द बेस्ट! वैरी वैरी ब्यूटीफुल!”
“एन्जॉय देन...” मीना के दोनों गाल शर्म से लाल हो गए थे, लेकिन वो इस बात से खुश थी कि जय को आनंद रहा था!
जय पूरी तरह से उत्तेजित हो गया था। उसके लिंग में वही परिचित कठोरता आ गई थी, जो बिना स्खलन हुए, शांत होने वाली नहीं थी। हाँ, अवश्य ही आज उनकी सुहागरात थी, लेकिन फिर भी उतावलापन सही नहीं होता। उसको भी आनंद आना चाहिए और मीना को भी!
“मीना... यू आर सो प्रीटी! तुम सच में मेरे लिए इस दुनिया की सबसे सुन्दर लड़की हो!”
मीना यह सुन कर मुस्कुराई।
फिर अचानक से ही जय ने उसके स्तनों को प्यार करना बंद कर के, उसके चेहरे को अपने दोनों हाथों में लेकर, उसके होंठों पर एक गहरा चुम्बन दिया, और फिर ताबड़तोड़ चुम्बनों की बौछार लगा दी। मीना के होंठ नर्म और मुलायम थे - और उनसे उसकी उत्तेजना की गर्मी भी महसूस हो रही थी! उसके मुख से मीठी सी महक आ रही थी। चुम्बन करते हुए जय ने अपनी जीभ को उसके मुँह में डालने का प्रयास किया। मीना को संभवतः यह बात समझ में आ गई, लिहाज़ा, उसने अपने होंठ थोड़ा खोल दिए। जय को मीना के मुँह का स्वाद बहुत अच्छा लगा - अलग तरीके की मिठास और सुगंध। यह एक कामुक चुम्बन था, जिसके उन्माद में अब दोनों ही बहे जा रहे थे। उस कामुक चुम्बन की उत्तेजनावश जय ने मीना को अपनी तरफ खींच लिया। एक और आनंददायक एहसास - जय को अपने सीने पर मीना के स्तनों का ठोस और कोमल एहसास होने लगा। मीना को अपने आलिंगन में बाँधे, इस तरह से चूमना, उसको और भी सुखद लगने लगा।
जब तक चुम्बन टूटा, तब तक मीना की हालत खराब हो गई थी। अति-उत्तेजना के कारण उसको एक रति-निष्पत्ति (ओर्गास्म) हो गया था। उसका पूरा शरीर काँपने लगा था और साँसें उखड़ने लगीं थीं। जय को इस बारे में कोई ज्ञान नहीं था। जब अनुभव नहीं होता, तो समझ भी नहीं होती। और वैसे भी, उसका अपना सिंगल-माइंडेड एजेंडा चल रहा था। अब वो और रुकना नहीं चाहता था। वो मीना की चड्ढी को अपने एक हाथ से खींच कर उतारने का प्रयास करने लगा। लेकिन उसकी इस जल्दबाज़ी में मीना का संतुलन बिगड़ गया और वो बगल ही लगे बिस्तर पर चित होकर गिर गई।
“अरे...” मीना ने हँसते हुए कहा, “आराम से करिए, हुकुम... मैं कहीं भागी थोड़े ही जा रही हूँ...”
“सॉरी मेरी जान... बट आई ऍम सो एक्साइटेड...”
“आई नो... बट टेक इट ईज़ी...” मीना ने थोड़ा हिचकते हुए पूछा, “... यू डू नो राइट?”
“व्हाट?”
“... दैट आई जस्ट... हैड... ऐन... ओर्गास्म?” जय की नासमझी पर मीना की झिझक और बढ़ गई!
“व्हाट! यू डिड? वाओ! एक्सीलेंट!”
“हा हा... ओह मेरे भोले सैयां...”
जय ने ताबड़तोड़ तरीके से मीना को खूब चूमा - उसके पूरे शरीर को चूमा। नटखट नादानी से भरा हुआ खेल चल रहा था, और दोनों को ही बहुत आनंद आ रहा था। उधर जय के लिंग का स्तम्भन और उसके कारण उसके नीचे के कपड़े पर स्तम्भन का कसाव बढ़ता ही जा रहा था, और वो अब मीना के अंदर समाहित होने के लिए व्याकुल हुआ जा रहा था। थोड़ा थोड़ा डर भी लग रहा था कि कहीं अपने अनाड़ीपन के कारण कुछ ‘गड़बड़’ न हो जाए।
उसने तेजी से अपने कपड़े उतारे - लेकिन, काम के कपड़े छोड़ दिए।
“मीना ..?” उसने मीना को आवाज़ लगाई।
“हुकुम?” उसने कहा।
“तुमको मेरा एक काम करना होगा...”
“जी... बोलिए?” अपने पति के लगभग नग्न, लेकिन कसाव लिए हुए शरीर को देख कर उसको लज्जा भी आई, और गर्व भी हुआ।
“अपने हाथ मुझे दीजिए...”
मीना ने अपने हाथ आगे बढ़ाए, जिनको जय ने अपने हाथों में थाम लिया, और फिर अपनी पैंट के कमर पर रख दिया।
“इसे आपको उतारना होगा... आपके कपड़े उतार-उतार कर मैं तो थक गया।” जय ने मुस्कुराते हुए उससे कहा।
“हा हा...”
मीना हँसी, और फिर उसने पैंट का बक्कल ढीला किया, और उसको नीचे सरका दिया। जय की चड्ढी के अन्दर उसका लिंग बुरी तरह से कसमसा रहा था। मीना जानती थी कि वो बाहर आने को उद्धत है। उसने जय की चड्ढी की इलास्टिक को पकड़ कर उसको नीचे की तरफ़ खींच लिया... और उस एक हरक़त से जय का अति-उत्तेजित लिंग मुक्त हो गया। उसने कुछ देर तक जैसे जय के लिंग का निरीक्षण किया।
फिर,
“हुकुम,” मीना के मुँह से निकल ही गया।
“हम्म?”
“दिस इस वैरी हैंडसम...” उसने शर्माते हुए कहा, “जस्ट लाइक यू!”
“थैंक यू...”
मीना ने अपना हाथ उसके लिंग पर रख दिया और अपनी उँगलियों को उसके लिंग के गिर्द लपेट लिया। अपने हाथ से यूँ ही पकड़े हुए मीना ने अपना हाथ तीन चार बार आगे पीछे किया।
“वैरी हैंडसम...” वो फुसफुसाते हुए बोली, “एंड वैरी स्ट्रांग...”
फिर अपनी बड़ी बड़ी आँखों से जय को देखती हुई उसने उसके लिंग को चूम लिया।
अपने लिंग पर मीना के होंठों का स्पर्श पा कर जय का दिल धमक उठा - उसको एक पल को लगा कि कहीं उसको स्खलन न हो जाए! उसको समझ में आ गया था कि अगर उसने यूँ ही मटरगश्ती जारी रखी, तो बिना मेल हुए ही स्खलन होने की सम्भावना तो है। लिहाज़ा यह खिलवाड़ रोकना पड़ेगा और असल काम शुरू करना पड़ेगा। जल्दी!
“जानेमन,” उसने मीना से कहा, “मेन-कोर्स शुरू करें?”
“मैं तो कब से ही तैयार हूँ, हुकुम...”
“लवली...”
वो बोला, और काम पर लग गया। उसने एक हाथ से मीना के एक स्तन को पकड़ा और उसको अपने होंठो और जीभ से दुलारने और छेड़ने लगा, तो दूसरे हाथ से उसकी योनि को टटोलने लगा। उसकी योनि पर हाथ जाते ही गीलेपन का एहसास हुआ। कुछ देर तक उसने मीना की योनि के दोनों होंठों, और उसके भगनासे को सहलाया, और फिर अपनी उँगली धीरे से उसकी योनि में सरका दी। जय के ऐसा करते ही मीना के गले से आह निकल गई।
“सब ठीक है?” उसने पूछा।
मीना ने जल्दी जल्दी ‘हाँ’ में सर हिलाया, “एन्टिसिपेशन इस किलिंग मी...”
जय को पता था कि मीना को बस कुछ ही मिनटों पहले ओर्गास्म का आनंद मिल चुका है, लेकिन फिर भी वो इस अनुभव को उसके लिए ‘ख़ास’ बना देना चाहता था। हाँ, वो इस खेल में अनाड़ी था, लेकिन अपनी बीवी को खुश करने के लिए उसको किसी प्रकार के पूर्व अनुभव की आवश्यकता नहीं थी। जहाँ प्रेम है, वहां आनंद भी है। उसने धीरे धीरे से अपनी उँगली को उसकी योनि के अन्दर-बाहर करना शुरू कर दिया। मीना को अवश्य ही ओर्गास्म हुआ था, लेकिन उसकी तीव्रता कम थी। लेकिन जय के इस नए क्रिया कलाप से उसकी कामेच्छाओं का बाँध टूटने लगा और उसकी योनि से कामरस की बरसात होने लगी। जय की उँगली पूरी तरह से भीग चुकी थी, और अब बड़ी आसानी से उसकी योनि के अन्दर-बाहर हो पा रही थी।
इस बार जय सतर्क था - वो अपनी हरकतों के साथ साथ मीना के शरीर की हरकतों पर भी ध्यान रखे हुए था। उंगली अन्दर बाहर होते हुए बमुश्किल तीन चार मिनट हुए होंगे, कि मीना को एक और बार अपने ओर्गास्म का आनंद होने लगा। इस बार का अनुभव बड़ा प्रबल था। उसकी साँस एक पल को थम गई, और जब वापस आई तो उसके गले से एक गहरी, सिसकी भरी आह के रूप में निकली। अगर उनके कमरे के आस पास कोई होता, तो मीना की यह आह ज़रूर सुन लेता! वो निढाल होकर बिस्तर पर गिर गई, और गहरी गहरी साँसे भरने लगी। जय ने अपनी उँगली की रफ़्तार धीमी कर दी, जिससे उसकी योनि की उत्तेजना ख़तम न हो।
“ब्ब्ब्बस्स्स्स...” वो हाँफती हुई बोली।
“अभी कहाँ बस, मेरी राजकुमारी... असली काम तो अभी बाकी ही है।” उसने विजयी मुस्कान धरे, लेकिन बड़े प्यार से कहा।
मीना सच में अभी अभी मिले आनंद से आनंदित हो गई थी! वो समझ रही थी कि जय उसको यथासंभव आनंद देने की कोशिश कर रहा था। उसके लिए मीना के मन में अपार प्यार उमड़ आया। अगर जय चाहे तो उसको जब तक मन करे, भोगे!
उसने ‘हाँ’ में सर हिलाया।
जय ने मीना की जाँघों को चूमते हुए उनको फ़ैलाया। उसकी उत्तेजना बहुत अधिक बढ़ गई थी, इसलिए खुद को थोड़ा शांत करने के लिए उसने कुछ गहरी गहरी साँसें भरीं। लेकिन उसका लिंग अभी भी अपने गंतव्य में जाने को व्याकुल था।
मीना की आँखें अब बंद थी, लेकिन दोनों के ही शरीर बुरी तरह थरथरा रहे थे। अब वाकई सही समय आ गया था। जय ने मीना की जाँघों को फैला दिया, और उसकी योनि के खुले हुए, काम-रस से भीगे, चमकते मुख को देखा।
“हियर आई कम, मिसेज़ सिंह...”
कह कर जय ने एक हाथ से उसकी योनि को थोड़ा फैलाया, और अपने लिंग को उसकी योनि मुख से सटा कर ज़ोर लगाया। और इसी के साथ दोनों पति-पत्नी का मेल हो गया। जय का लिंग मीना की योनि के भीतर चल पड़ा। उतावलेपन से मीना को तकलीफ़ होने की आशंका थी, लेकिन वासना के अंधे को रोक पाना बड़ा दुष्कर कार्य है। जय में अब इतना धैर्य नहीं बचा हुआ था। उसका पहला धक्का तो सामान्य था, लेकिन अगला धक्का बलपूर्वक आया! उसके कठोर लिंग के बलवान प्रहार के सामने मीना की कोमल योनि के प्रहरी पल भर में ढेर हो गए। लगभग पूरा लिंग मीना की योनि में समां गया।
“आआह्ह्ह ...” मीना के गले से गहरी चीख निकल गई।
जय को तो मानो काटो खून नहीं! वो एकदम से सकपका गया,
‘कहीं मीना को चोट तो नहीं लग गई?’ उसने एक दो क्षण ठहर कर मीना की प्रतिक्रिया भांपी - उसने अपना निचला होंठ अपने दाँतों के भीतर पकड़ रखा था और उसके चेहरे पर पीड़ा के भाव स्पष्ट थे। लेकिन उसने कुछ पल सम्हल कर ‘हाँ’ में सर हिलाया, और जय को प्रोत्साहित किया।
लिहाज़ा उसको हरी झंडी मिल गई। अब जय ने रुकने का कोई उपक्रम नहीं किया। उसने कई बार अपना लिंग मीना की योनि से बाहर निकाल कर वापस डालने का उपक्रम किया। ऐसा उसने सात आठ बार किया। मीना के चेहरे पर पीड़ा के भाव तो नहीं थे, लेकिन उसके हर धक्के पर वो कराह ज़रूर रही थी। इस बात से जय को सम्बल मिला। उसने इस बार अपना पूरे का पूरा लिंग मीना के और भीतर तक घुसा दिया, और आदि-काल से प्रतिष्ठित पद्धति से सम्भोग क्रीड़ा आरम्भ कर दी।
मीना का चेहरा देखने लायक था - उसकी आँखें बंद थीं, लेकिन मुँह कामुक तरीके से खुला हुआ था। शायद इस समय उसके लिए साँस लेने और कामुक सिसकियाँ निकालने का यही एकमात्र द्वार था! हर धक्के से उसके स्तन हिल रहे थे। हर धक्के से चिहुँक भरी आवाज़ आ रही थी। जय और मीना ने सम्भोग की गति तेज़ कर दी। स्वस्थ युवा शरीर इस खेल में समय ले सकते हैं, लेकिन दोनों के भीतर भावनाओं का ज्वार ऐसा उमड़ा हुआ था कि बहुत देर तक दोनों अपने प्रेम रसायनों के मिलन को रोकना नहीं चाहते थे। मीना ने अपनी बाहों और टांगों को जय के इर्द गिर्द लपेट लिया था - मीना भी अपनी उत्तेजना के चरम पर आने वाली थी, और जय भी। दोनों के सम्भोग की गति और भी तेज़ हो गई - मीना की रस से भीगी योनि में जय के लिंग के अन्दर-बाहर आने जाने से अब ‘पच-पच’ की आवाज़ आ रही थी। और उसी के साथ उनकी कामुक आहें भी निकल रही थीं। कमरे का माहौल कामुक हो चला।
अब दोनों का ही इस खेल में कुछ क्षणों से अधिक टिकना संभव नहीं था, और हुआ भी वही! जय के लिंग से एक विस्फोटक स्खलन हुआ, और उसके बाद तीन चार बार और! हर स्खलन में वो अपना लिंग मीना की योनि के और भीतर तक ठेलने का प्रयत्न कर रहा था - मानों वीर्य को सीधे उसके गर्भ में स्थापित कर देना चाहता हो। जय के चरमोत्कर्ष प्राप्त करने के साथ ही मीना भी एक बार फिर से अपने चरमोत्कर्ष पर पहुँच गई। अपने चरमोत्कर्ष के उन्माद की पराकाष्ठा पर पहुँच कर मीना की पीठ एक चाप में मुड़ गई, जिससे कारण उसके स्तन थोड़ा और ऊपर उठ गए। जय ने उसका एक चूचक सहर्ष अपने मुँह में ले लिया, और उसके ऊपर ही निढाल होकर उसका आस्वादन करने लगा।
“मज़ा आया मेरी जान?” कुछ देर की चुप्पी के बाद, थोड़ा संयत हो कर मीना ने पूछा।
जय ने मीठी मुस्कान के साथ ‘हाँ’ में सर हिला कर अपने आनंद की अभिव्यक्ति करी।
“आई लव यू!” कह कर मीना ने उसको अपने आलिंगन में भर लिया, और फिर दोनों ही एक दूसरे की बाहों में समां कर गहरी नींद सो गए।
*