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Romance श्रृष्टि की गजब रित

Funlover

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Bahut hi shandar update he Funlover Ji,

Raghav ne is meeting ke jariye apne staff se shrishti ke baare me jo kuch bhi janana tha jaan liya.............

Ab vo sakshi ke baare me jo bhi man me tha use wo confirm kar chuka he..........

Is project ne shrishti ko ek behtareen team member ke rup me establish kar diya he.............aur sath hi sath sakshi ki tarif karke shrishti ne apni leadership quality ka parichay bhi de diya he.............

Keep rocking Dear
जी आप से मै बिलकुल सहमत हु

आपके इस राय में कोई दोराय नहीं !!!!!!
 

Funlover

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चलो चलते है अगले भाग की ओर, और जानते है कहानी में आगे क्या होता है .............
 

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चलो चलते है अगले भाग की ओर, और जानते है कहानी में आगे क्या होता है .............
 

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भाग - 9
राघव के कहने पर एक एक कर सभी चलते बने सभी के जाते ही राघव एक बार फ़िर से अपने रिवोल्विंग चेयर को पीछे खिसकाकर एक पैर पर दुसरा पैर चढ़ाकर दोनों हाथों को सिर के पीछे टिकाए हाथ सहित सिर को चेयर के पुस्त से टिका लिया फ़िर रहस्यमई मुस्कान बिखेरते हुए मुस्कुराने लग गया।
दिन भर की कामों से निजात पाकर शाम को श्रृष्टि घर पहुंची, थकान से परिपूर्ण बेटी का चेहरा देखकर माताश्री बोलीं... श्रृष्टि बेटा जाओ कपड़े बदलकर आओ फिर तेरी सिर की मालिश करके दिन भर की थकान दूर कर देती हूं।

"बस अभी आई" बोलकर श्रृष्टि कमरे में चली गई। श्रुष्टि को ये सुजाव बचपन से ही अच्छा लगता था! मा के हाथ से मालिश वाह क्या बात है! कुछ ही देर में कपड़े बदलकर बहार आई। तब तक माताश्री कटोरी में तेल लिए मालिश की तैयारी कर चुकी थीं।

माताश्री के सामने जाकर श्रृष्टि पलथी मारकर जमीन पर बैठ गई और मताश्री तेल डालकर बालों में अच्छे से फैला दिया फ़िर.. ठप.. ठप, ठप ठपाठप, ठप ठप…


"अहा मां दर्द होता हैं।" मा से नाटक करते हुए

"उमहु रूक न मालिश वाले गाने की सज ढूंढ़ रहीं हूं।"

"उसके लिए बाध्य यंत्र बजाओ मेरा सिर क्यों बजा रहीं हो।"

"अहा तू कुछ देर चुप बैठ न"

ठप.. ठप, ठप ठपाठप, ठप ठप…


हूं हूं हूं हूं…
बम अकड बम के
मैं चम्पी करूं जमके
तो बंद अकल सबकी खुल जाये...
बम अकड बम के
मैं चम्पी करूं जमके
तो बंद अकल सबकी खुल जाये...
तन की थकन मैं दूर करूं
मन में नयी उमंग भरूं
ताक धीना धीन, ताक धीना धीन
ताक धीना धीन, दीधीन दीधीन...
बम अकड बम के
मैं चम्पी करूं जमके
तो बंद अकल सबकी खुल जाये
बम अकड बम के….
दुनिया है क्या सर्कस नया
कुछ भी नहीं जोकर है हम…


"मां रूको इससे आगे मैं गाऊंगी"


दुनिया है क्या सर्कस नया
कुछ भी नहीं जोकर है हम
तुम जो बोलो वो करके दिखाऊं
उंगली पे सारे जग को नचाऊँ
कह रहे है ज़मीन आसमान
ऐसा परिवार होगा कहा
इस घर पे मेरा
सब कुछ निसार है…


आगे के बोल मां बेटी ने साथ में गया


बम अकड बम के
मैं चम्पी करूं जमके
तो बंद अकल सबकी खुल जाये…
बूम अकड बूम के
मैं चम्पी करून जमके
तो बंद अकल सबकी खुल जाये
मालिक हो तुम….


"मां रूको ऐसे नहीं आगे का मै गाकर सुनती हूं।"


मां हो तुम, बेटी हूं मैं
इस बात की मुझको है खुशी
मां हो तुम, बेटी हूं मैं
इस बात की मुझको है खुशी
कहना मानूं सदा आपकी
खिदमत में आपकी शीश झुकाऊं
माँ ने दी है मुझे जिंदगी
मेहनत ही शौहरत हैं मेरी
ये बात आपने सिखाया
बम अकड बम के
चम्पी करो जमके
तो बंद अकल मेरी खुल जाये…


(नोट:- यहां गाना अपने जमाने का एक मशहूर गाना है जिसे समीर साहब ने लिखा। मैं इस गाने में कुछ फेर बदल किया जो कि गलत हैं इसके लिए मैं आप सभी प्रिय पाठक बंधुओं से माफी मांगती हूं।)

अंत के जितने भी बोल श्रृष्टि ने ख़ुद से बनाया फिर गाकर सुनाया उसे सुनकर माताश्री के हाथ स्वत ही रूक गए और आंखो से कुछ बूंद आंसू के मोती श्रृष्टि के सिर पर गिर गया।

माताश्री के हाथ रूकते ही अच्छी खासी चल रही मालिश में विघ्न पड़ गया। जिसका आभास होते ही श्रृष्टि बोलीं... मां रूक क्यों गईं। मालिश करो न बड़ा सकून मिल रहा था।

श्रृष्टि की आवाज कानों को छूते ही। माताश्री ने बहते आसुओं को पोछकार फिर से मालिश करने में लग गईं। कुछ देर की मालिश के बाद श्रृष्टि मां की ओर पलटी फ़िर उनके गोद में सिर रखकर बोलीं... मां आपको पता है आज ऑफिस में क्या हुआ?

"मुझे कैसे पाता चलेगा। तू ने अभी तक बताया ही नहीं।" बेटी के सिर पर हाथ फिरते हुए माताश्री बोलीं।

श्रृष्टि.. मां आप तो जानती हों पहले ही दिन मेरे सहयोगियों ने मेरे साथ कैसा व्यवहार किया था लेकिन आज जब सर मेरा रिपोर्ट कार्ड जानने सभी को बुलाया तब चमत्कार हों गया सभी ने सिर्फ मेरी तारीफ़ किया। उनकी बातें सुनकर मैं हैरान रह गई।

"मेरी बेटी इतनी हुनरमंद और मेहनती हैं कि उन्हें तारीफ तो करना ही था।" शाबाशी का भाव शब्दों में घोलकर माताश्री बोलीं।

"पर मां वो साक्षी मैम मूझसे बिलकुल भी खुश नही थी। जब सर ने मुझे खास उपहार देने की बात कहीं उसके बाद मेरे सभी सहयोगियों ने मुझे बधाई दिया मगर साक्षी मैम ने कुछ भी नहीं बोला सिर्फ़ इतना ही नहीं वो दिन भर मूझसे ठीक से बात भी नहीं किया , मूझसे रूठी रूठी सी रहीं।" शिकायती लहजे में माताश्री को सारा सार सुना दिया।

"श्रृष्टि बेटा ये जो श्रृष्टि है न ये बड़ा अजीब है इसे जितना समझना चाहो उतना ही उलझा देती हैं। जैसे हाथ की पांचों उंगलियां एक बराबर नहीं होती वैसे ही सभी लोग एक जैसे नहीं होते। किसी को तुम्हारा काम पसन्द आयेगा किसी को नहीं, जिन्हे तुम्हारा काम पसन्द नहीं आ रहा है उन पर तुम्हें खास ध्यान देने की जरूरत हैं क्योंकि ऐसे लोगों के मन में तुम्हारे लिए द्वेष उत्पन्न हों जायेगा फ़िर द्वेष के चलते तुम्हें सभी के नजरों में गिराने की ताक में लगे रहेंगे।" ज्ञान का घोल बेटी को पिलाते हुए माताश्री बोलीं।

माताश्री की बातों का जवाब सिर्फ़ हां में दिया फिर कुछ देर की चुप्पी के बाद श्रृष्टि बोलीं... मां साक्षात्कार वाले दिन जिन अंकल ने मेरी मदद किया था मैं उन्हें धन्यवाद कहना चहती हूं। मगर मेरे पास उनका पता ठिकाना नहीं हैं।

"तो क्या तुम खाली हाथ धन्यवाद देने जाओगी। उन्होंने तुम पर बहुत बड़ा अहसान किया हैं। सिर्फ़ उन्हीं के कारण तुम्हें नौकरी मिली है इसलिए मुझे लगाता हैं तुम्हें खाली हाथ नहीं बल्की कुछ लेकर जाना चाहिए"

श्रृष्टि…मां मैं उनका अहसान जिंदगी भर उतार नहीं पाऊंगी फ़िर भी मैं सोच रहीं थी जब मेरी पहली सेलरी मिलेगी तब सबसे पहले उनके लिए मिठाई और एक जोड़ी पैंट शर्ट का कपड़ा लेकर जाऊं क्योंकि उस दिन मैंने देखा था उनका शार्ट कई जगह से फटा हुआ था जिसे सिल रखे थे मगर कहां जाने पर वो मिलेंगे यहीं तो पता नहीं हैं।

"पहले तुम्हें सैलरी मिल जाएं फ़िर क्या करना हैं बता दूंगी। अगर इस बीच वो दिख जाएं तो उनसे उनका पता ठिकाना या फ़िर नम्बर मांग लेना।"

"ये आपने सही कहा। अच्छा मां मैं बाल धोकर आती हूं तब तक आप कड़क चाय बना लो।"
सब मुझे ही करके देना पड़ेगा ??? क्या तुम अपनी आप कुछ नहीं कर सकती ??? एक जूठा और घिसापिटा डायलोग माताश्री ने सुनाया जो श्रुति के लिए रोज का था.
क्या करेगी ये लड़की कही जाके ?? अपने पति, बच्चे और घर को कैसे संभालेगी ???
सब जगह तेरी मा आएगी क्या ??? वो ही सब कहती हुई रसोई की तरफ चल दी!
जाते जाते श्रुष्टि के बोल मा के कर्णपटल पर पड़े
"सब से पहले शादी का कोई इरादा नहीं दूसरा अगर जाना ही हुआ तो दहेज़ में आप को लेके जाउंगी " हा हा हा हा


बने रहिए
 

Funlover

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अब आगे......

अगले दिन से श्रृष्टि की कर्म यात्रा एक बार फिर सुचारू हो गई। श्रृष्टि का एक मात्र लक्ष्य था कैसे भी करके अपूर्ण रह गए काम को चार दिन से पहले खत्म कर लिया जाएं। जिसमें उसके सहयोगी भरपूर साथ दे रहें थे मगर साक्षी के मन में द्वेष का पर्दा पड़ चुका था।

साक्षी किसी भी कीमत पर अपूर्ण रह गए काम को पूर्ण होने से रोकना चाहती थीं। और वो भी कम से कम 5 दिन जो श्रुष्टि ने राघव सर को कामिट किया था! इसलिए कभी वो कमरे की लाइट बंद कर देती थी जो की एक बचकाना हरकत थी फ़िर भी कुछ वक्त का नुकसान हों ही जाता था।

कभी वो चाय नाश्ते के बहाने सहयोगियों को बातो में माजा लेती तो कभी जरुरी फाइल कही छुपा देती। जिस वजह से सिर्फ समय की बर्बादी हों रहा था।

जीतना समय श्रृष्टि के हाथ में बच रहा था उतने समय का सदुपयोग करते हुए ओर ज्यादा लगन और रफ़्तार से ख़ुद भी काम कर रहीं थी और सहयोगियों से काम करवा रहीं थीं।

इतनी लगन और रफ़्तार से काम करने का कोई फायदा नहीं हुआ। अंतः साक्षी अपने मकसद में कामियाब हों ही गई। श्रृष्टि को दिए समय से तीन दिन ऊपर हों चुका था। देर होने का जीतना पछतावा श्रृष्टि को हों रहा था उतना ही साक्षी मन ही मन खुश हों रहीं थीं।

बीते एक हफ्ते से राघव रोजाना शाम के चाय के वक्त वहा आता रहा मगर भीतर न जाकर बहार से ही छुप छुप कर श्रृष्टि को देखकर चला जाया करता था। आज फिर शाम के वक्त आया और श्रृष्टि को छुप कर देख रहा था कि सहसा श्रृष्टि को आभास हुआ। द्वार पर कोई हैं।

"
द्वार पर कौन हैं।" बोलकर चाय का कप रखा और द्वार की और चल दिया।


अब यहाँ तो सवाल यही उठता है की क्या श्रुष्टि अपने कमिटमेंट को पूरा कर पाएगी ???
अगर हां तो अच्छी बात है श्रुष्टि के लिए
पर अगर ना तो साक्षी पूरी शक्ति से अपने हाथ खोल सकेगी ????????
ऑफिस में सभी काम करते है पर गेम हर कोई खेलता है, सब को अपने अपने तरीके से आगे की ओर बढ़ना है और सभी यही कोशिश करते है श्रुष्टि भी वही करने की कोशिश में है देखते है आगे श्रुष्टि के नसीब में आगे क्या है ????????
जानिये मेरे साथ अगले भाग में
जारी रहेगा
…..
 

sunoanuj

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Bhaut he jabardast… ek dum aisa lag raha hai jaise kisi office ki live feeding chal rahi hai… Sakshi or shruti dono apne apne kaam mein mann laga kar rahi hai… dekhten hai jeet kis ki hoti hai….


Bahut hi adhbhut likh rahe ho aap…. 👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻
 

Bittoo

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अब आगे......

अगले दिन से श्रृष्टि की कर्म यात्रा एक बार फिर सुचारू हो गई। श्रृष्टि का एक मात्र लक्ष्य था कैसे भी करके अपूर्ण रह गए काम को चार दिन से पहले खत्म कर लिया जाएं। जिसमें उसके सहयोगी भरपूर साथ दे रहें थे मगर साक्षी के मन में द्वेष का पर्दा पड़ चुका था।

साक्षी किसी भी कीमत पर अपूर्ण रह गए काम को पूर्ण होने से रोकना चाहती थीं। और वो भी कम से कम 5 दिन जो श्रुष्टि ने राघव सर को कामिट किया था! इसलिए कभी वो कमरे की लाइट बंद कर देती थी जो की एक बचकाना हरकत थी फ़िर भी कुछ वक्त का नुकसान हों ही जाता था।

कभी वो चाय नाश्ते के बहाने सहयोगियों को बातो में माजा लेती तो कभी जरुरी फाइल कही छुपा देती। जिस वजह से सिर्फ समय की बर्बादी हों रहा था।

जीतना समय श्रृष्टि के हाथ में बच रहा था उतने समय का सदुपयोग करते हुए ओर ज्यादा लगन और रफ़्तार से ख़ुद भी काम कर रहीं थी और सहयोगियों से काम करवा रहीं थीं।

इतनी लगन और रफ़्तार से काम करने का कोई फायदा नहीं हुआ। अंतः साक्षी अपने मकसद में कामियाब हों ही गई। श्रृष्टि को दिए समय से तीन दिन ऊपर हों चुका था। देर होने का जीतना पछतावा श्रृष्टि को हों रहा था उतना ही साक्षी मन ही मन खुश हों रहीं थीं।

बीते एक हफ्ते से राघव रोजाना शाम के चाय के वक्त वहा आता रहा मगर भीतर न जाकर बहार से ही छुप छुप कर श्रृष्टि को देखकर चला जाया करता था। आज फिर शाम के वक्त आया और श्रृष्टि को छुप कर देख रहा था कि सहसा श्रृष्टि को आभास हुआ। द्वार पर कोई हैं।

"
द्वार पर कौन हैं।" बोलकर चाय का कप रखा और द्वार की और चल दिया।


अब यहाँ तो सवाल यही उठता है की क्या श्रुष्टि अपने कमिटमेंट को पूरा कर पाएगी ???
अगर हां तो अच्छी बात है श्रुष्टि के लिए
पर अगर ना तो साक्षी पूरी शक्ति से अपने हाथ खोल सकेगी ????????
ऑफिस में सभी काम करते है पर गेम हर कोई खेलता है, सब को अपने अपने तरीके से आगे की ओर बढ़ना है और सभी यही कोशिश करते है श्रुष्टि भी वही करने की कोशिश में है देखते है आगे श्रुष्टि के नसीब में आगे क्या है ????????
जानिये मेरे साथ अगले भाग में
जारी रहेगा
…..
केवल सेक्स कहानियों और वीभत्सता के बीच एक सुंदर कहानी का प्रारंभ। 👌👌
 
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Bhaut he jabardast… ek dum aisa lag raha hai jaise kisi office ki live feeding chal rahi hai… Sakshi or shruti dono apne apne kaam mein mann laga kar rahi hai… dekhten hai jeet kis ki hoti hai….


Bahut hi adhbhut likh rahe ho aap…. 👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻
ये बात अपने बहोत अच्छी कही sunoanuj जी काम कोई भी हो अच्छा या बुरा मन लगा के ही करना पड़ता है, वर्ना ये श्रुष्टि की ही अजब वृत्ति है की आप को समाज से नज़रंदाज़ होने से खुद आप भी नहीं रोक सकते ....................समाज के प्रति या विपरीत जो भी हो सब में मेहनत तो लगती ही है कुछ भी आसान नहीं जीवन में ...............खेर ये कहानी तो फ़क्त एक उदाहरण के तौर पे है .......

आपका बहोत बहोत धन्यवाद के आपने मेरी लिखावट को सराहा ...........आगे भी कोशिश यही रहेगी की इस से भी कुछ बेहतर कर सकू .....................

बस साथ देते रहिए...........
 

Funlover

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केवल सेक्स कहानियों और वीभत्सता के बीच एक सुंदर कहानी का प्रारंभ। 👌👌
जी Bittoo जी आपने बिलकुल सही कहा, और शायद इसीलिए मेरे पास पाठक की संख्या बहोत ही कम है और मै ये जानती भी थी जब कहानी शुरू की थी.... या ये कहानी का प्लोट बन रहा था

बस लिखना चाहती थी तो लिख रही हु ............

अब सेक्स कहानी की बात करे तो मै आगे सेक्स कहानी भी लिखूंगी पर शायद मै उसमे उतनी बीभत्सता को उतना उपयोग नहीं करुँगी (या नहीं कर पाउंगी) जैसा आप तौर पे होता है मै एक नारी हु तो जाहिर है की नारी सन्मान के साथ लिखूंगी, और शायद मै ये
ग़लतफहमी में भी हु की सेक्स (चुदाई) एक कुदरती प्रक्रिया है और जरुरी भी है लेकिन उस प्रक्रिया में दोनों को आनंद मिलना चाहिए (खास कर नारी को)
और मै ये भी
ग़लतफ़हमी में हु की यहाँ मेल डोमिनेशन नहीं पर दोनों बराबर के हक़दार है......... मेरी कहानीमे नारी को अपमानित होते शब्द (या शब्दों) का प्रयोग नहीं होगा (जहा तक हो सके)
तो मुझे लगता है की ऐसी मेरी कहानी में भी मुझे उतने पाठक नहीं मिलेंगे (
शायद नारी होना गुनाह है)....... वैसे मै इस कहानीको भी सेक्स का स्वरुप दे सकती थी (जैसे दो सहेली की ओपन बातचीत या कलिग से सम्बन्ध या फिर साक्षी और राघव का सेक्स . पर पता नहीं मेरा मन नहीं मान रहा ( हां शायद कुछ शब्द आपको मिल सकते है जो आम तौर पर बोले जाते है)

लेकिन आपका बहोत बहोत धन्यवाद के आप ये कहानी पढ़ रहे है जहा लोगो की उम्मीदों से विपरीत है

उम्मीद रखती हु की अंत तक बने रहेंगे ................

शुक्रिया बने रहने के लिए ............
 

sunoanuj

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Waiting for next update please….
 
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