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Romance संयोग का सुहाग [Completed]

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Ssking

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यह सोच कर मीनाक्षी को झुरझुरी हो गई। समीर से सम्भोग.... यह तो उसने अभी तक सोचा भी नहीं था। लेकिन वो अभी कुछ सोचने की हालत में नहीं थी। विवाह और फिर यात्रा की थकान की वजह से कपड़े गहने उतारने की शक्ति अब उसमें नहीं बची थी। बिस्तर पर लेटते ही उसको नींद आ गई।


(अब आगे)



“अच्छा, यह बताओ कि बहू को क्या पसंद है खाने में?” समीर की माँ ने उससे पूछा।

जवाब में वो सर खुजाने लगा।

“मतलब तुमको नहीं मालूम?”

“नहीं मम्मी।”

“उसके बारे में कुछ भी मालूम है? मतलब, नाम, शकलो-सूरत, और उसके घर के अलावा?”

जवाब में समीर की झेंपू मुस्कान निकल गई। उसकी माँ भी बिना हँसे न रह सकीं!

“बरखुरदार…. हमको तो लगा था कि तुमको वो पसंद है, तो कुछ तो जानकारी रखे होंगे! हा हा! तुम्हारी शादी! हा हहा! बढ़िया है। तुम्हारी मैरिड लाइफ मजेदार होने वाली है!”

“मुझे आदेश से जो मालूम हुआ, वो मालूम है।”

“अच्छा जी? क्या मालूम है?”

“मीनाक्षी को लिखना पसंद है। पोएट्री भी, और कहानियाँ भी। अखबार में अक्सर छपती है उसकी लिखी कहानियाँ!”

“हम्म्म! और क्या पसंद है?”

“हरा, पीला रंग! एक बार आदेश उसके लिए इसी रंग की ड्रेस खरीद रहा था।”

“गुड! मतलब पूरी तरह से भोंपू नहीं हो! और?”

“डांस करना।”

“अरे, खाने का कुछ मालूम है? या बहू को भूखे पेट ही नचवा दें?”

“खाने का नहीं मालूम! लेकिन आदेश को पुलाव, छोले, पराठे, पनीर की कोई भी डिश पसंद है।”

“मैगी पसंद है उसको?”

“किसको? आदेश को?” माँ ने हाँ में सर हिलाया।

“इसका मतलब तुमको मीनाक्षी को खाने में क्या पसंद है, नहीं पता। कोई बात नहीं, मैं अपनी ही पसंद का कुछ बना देती हूँ। और तू भी मेरी मदद कर दे। बहू जब सुनेगी कि तूने कुछ काम किया है, तो उसके मन में तेरे लिए कुछ प्रेम उमड़ आएगा।”

“क्या मम्मी!”

“क्या मम्मी वम्मी नहीं। तुम दोनों को ही मिल कर सम्हालनी है अपने जीवन की गाड़ी। कभी तुम उसकी, तो कभी वो तुम्हारी ऐसे ही सेवा कर दे, तो घिस नहीं जाओगे।”

“जो आज्ञा माते!” कह कर समीर ने जब माँ के सामने अपने दोनों हाथ जोड़े, तब दोनों ही खिलखिला कर हँसने लगे।

“तुम पायसम बनाओ। और मैं मलाई कोफ्ते, भिंडी दो प्याज़ा, पुलाव, रायता और पूरियाँ बना देती हूँ। बढ़िया रहेगा। हल्का भी, और फीस्ट भी! ठीक है?”

“मम्मी, मैं आपको इस बात के लिए क्या सलाह दूँ! सब बढ़िया है।”

“ठीक है फिर! रात का खाना बाहर खाएँगे। उसके लिए अभी से टेबल बुक कर लो।”

“जी!”

करीब तीन घंटे बाद जब खाना पक चुका, तब मीनाक्षी को उठाने के लिए समीर को भेजा गया।
Ghar also ki sochh ek dum shandar?
 

Lutgaya

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दिल खुश हो गया जी
मस्त कहानी लिंखी है
 

juhi gupta

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mene or forum par bhi apki sab kahaniya pdi he ,bahut khub likhte he aap,sabse achhi baat ki ham sabhi ak positive sidhi sadhi story padna bhi pasand karte he or aap jo saral bhasha me likhte he vo gajab he ,sahi kahu meri shadi 1 varsh purv hi hui he or kai jagah minakshi ki manostithi mere se milti julti thi me apne aansu nhi rok payi
 

piyanuan

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गहरी नींद में सांस भरने की जैसी आवाज़ें आती हैं, वैसी ही आवाज़ें आ रही थीं। ख़र्राटे तो बिलकुल भी नहीं भर रहा था वो।
jhutha :huh:
कई बार आपको मालूम होता है कि क्या करना चाहिए, लेकिन फिर भी आप वो काम करते नहीं। कई कारण होते हैं - झिझक, डर, शर्म इत्यादि!
true
वैसे डिनर तो आज मैं ही बनाऊँगा - शाही पनीर और आलू पराठा! आदेश ने बताया है… आपका फेवरेट!
mera b fav aloo paratha
 
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