“आए हाय! कितनी प्यारी बच्ची है!” समीर की माँ, मीनाक्षी को देखते ही बोल पड़ीं!
“अरे तू इतनी किस्मत वाला है, मुझे तो नहीं पता था! इधर आ बिटिया, मेरे गले से लग जा - तुझे ज्यादा देखूंगी तो तुझे मेरी ही नज़र लग जाएगी!”
मीनाक्षी उनके पैर छूने को हुई तो रास्ते में ही समीर की माँ ने उसको थाम कर, अपने सीने में भींच लिया और उसके माथे पर कई बार चूम लिया। उनका ऐसा प्यार देख कर मीनाक्षी की आँखे भर आईं। वहीँ पर मीनाक्षी की माता जी भी खड़ीं थीं, उनके भी नैन भीगे बिना नहीं रह सके।
“बहन जी, आपको इस रिश्ते पर कोई ऐतराज़ नहीं?” उन्होंने आश्चर्यचकित होते हुए कहा। उनको अभी भी भरोसा नहीं हो रहा था कि कल की घटनाओं के तुरंत बाद, उनके घर में फिर से ख़ुशियाँ आ सकती हैं!
“ऐतराज़? अरे कैसी बातें करती हैं आप बहन जी! इतनी सुन्दर सी, गुड़िया जैसी बिटिया.... कैसी बड़ी किस्मत होगी मेरी कि ये यूँ ही मेरी झोली में आ गिरी है; इतना सुनहरा मौका क्या अपने हाथ से क्या यूँ ही चले जाने दूँगी?”
“लेकिन हमारी मीनाक्षी आपके बेटे से दस साल बड़ी है...”
“अरे भाग्यवान” वर्मा जी ने अपनी पत्नी को रोकना चाहा।
“बहन जी, सच में बताइएगा, पत्नी का उम्र में पति से छोटा होना क्यों ज़रूरी है?” समीर की माँ गंभीर होते हुए बोलीं।
“जी? बिलकुल नहीं! कोई ज़रूरी नहीं हैं। लेकिन, वो तो समाज की ऐसी ही रीति है न?”
“और वो रीति, वो रिवाज़ बनाने वाले भी तो हम ही हुए! है न? और अगर नहीं जम रही है रीतियाँ, तो तोड़ने वाले भी हम ही हुए!” यह बात समीर के पिता जी ने कही।
मीनाक्षी के माता पिता आश्चर्य से मुँह बाए समीर के माता पिता को देख रहे थे, जैसे उन्होंने कोई अनहोनी बात कर दी हो। क्या आज कल के जमाने में ऐसी बात करने वाले लोग बचे हैं? क्या वो सपना तो नहीं देख रहे हैं?
“भाई साहब,” समीर के पिता जी इस बहस में पहली बार उलझे, “मुझे तो लगता है कि ताउम्र पत्नियां अपने पति का सम्मान, लिहाज,और जी हुज़ूरी करती रहें, इसी शातिराना सोच के के कारण पति और पत्नी के बीच के उम्र के मामलों के सामाजिक कायदे बनाए गए हैं। ऐसा लगता है कि अगर औरत किसी भी मामले में मर्द से आगे निकल जाए तो मर्द को बर्दाश्त नहीं होता। क्योंकि किसी भी लिहाज से अपने बड़ी पत्नी - चाहे शिक्षा हो, नौकरी हो, या उम्र या ही कद-काठी - न तो उनसे दबती है और न ही उनकी ज्यादतियां बर्दाश्त करती है।”
“पति का पत्नी से उम्र में बड़ा होना अनिवार्यता क्यों है, इस बात का कोई तार्किक जवाब किसी के पास नहीं है। लोग यही कहेंगे कि ऐसा सदियों से होता चला आ रहा है या फिर यह कि संतानोत्पत्ति की क्रिया में आसानी रहती है। पहला तर्क एक कुतर्क है, लेकिन दूसरे तर्क का उत्तर यह है कि एक बच्चा पैदा करो! भारत की जनसंख्या की प्रॉब्लम सॉल्व हो जाएगी अपने आप!”
इस बात पर वहाँ उपस्थित सभी लोग मुस्कुराने लगे।
“सच में भाभी जी,” समीर के पिता जी पूरे रंग में थे, “सोचिए, अगर पत्नी उम्र में छोटी होगी तो बिना किसी चूं चपड़ के पति और उसके परिवार का सम्मान करती रहेगी। वहाँ का काम धंधा करती रहेगी। आप खुद ही देख लीजिए, किस तरह से लड़कियों को पति की इज़्ज़त करने पर मजबूर किया ही जाता रहा है। पति तुम्हारा देवता है! बताइए, कैसी कोरी बकवास है!”
“भाई साहब, बहन जी, आप लोग बहुत बड़े ख़यालात वाले लोग हैं! हम लोग धन्य है कि हमारी बेटी आपके यहाँ जाएगी!” आदेश की माँ बोलीं।
“भाभी जी, धन्य हम हैं जो ऐसी प्यारी बच्ची के पैर हमारे घर में पड़ेंगे!”
मीनाक्षी के पिता ने हाथ जोड़ कर पूछा, “और शादी?”
“आप कितनी जल्दी कर सकते हैं? मेरे बेचारे समीर से तो रहा नहीं जा रहा है, और आज ही करने पर ज़ोर दे रहा है! क्या करे बेचारा - उसकी पूरी लाइफ में आज पहली बार किसी लड़की ने उसको पसंद किया है! हा हा हा!!”
जिस तरह से समीर की माँ ने यह बात कही, वो सुन कर सभी लोग ठट्ठा मार कर हँसने लगे। मीनाक्षी बेचारी शर्म से गड़ गई।