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Romance संयोग का सुहाग [Completed]

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Chutiyadr

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शादी का रिसेप्शन दिखावे में भले ही कम रहा हो, लेकिन मौज मस्ती में अव्वल नंबर था।

मीनाक्षी ने एक रानी कलर का नया, हल्का लहँगा पहना हुआ था, और समीर ने सूट। दोनों को देख कर वहां उपस्थित कई लोगों को ईर्ष्या हो उठी। लड़के और अन्य आदमी इस बात से जल भुने कि ऐसी ख़ूबसूरत लड़की मिल गई इस मुए को, और अविवाहित लड़कियाँ इस बात से जल फुंकी कि जो शायद उनके हिस्से में आता, वो ये लड़की ले उड़ी। मैंने यह देखा है कि गैर-शादीशुदा लड़के को भले ही लड़कियाँ घास न डालती हों, जैसे ही वो शादी-शुदा हो जाते हैं, अचानक ही उनकी सेक्स अपील बढ़ जाती है। मेरा यह ऑब्जरवेशन गलत भी हो सकता है, क्योंकि उतनी दुनिया नहीं देखी है मैंने। लेकिन जितना देखा है, उससे तो यही समझा है। खैर, इस बात का इस कहानी से कोई लेना देना नहीं है।

आज मीनाक्षी को बहुत अच्छा लग रहा था। पिछले दिनों के मानसिक और भावनात्मक तनाव कहीं दूर जा छुपे थे और वो खुल कर अपने नए परिवेश, अपने नए स्टेटस का आनंद ले रही थी। डीजे एक से एक नाचने वाले संगीत बजा रहा था। और मेहमानों के उकसाने पर समीर और मीनाक्षी डांस-फ्लोर पर आए और थिरकने लगे। डांस करना तो उसके लिए वैसे भी सबसे पसंदीदा काम था। जब डांस-फ्लोर पर आए तो फालतू भीड़ वहां से हट गई। कहने को उनका डांस सबके सामने हो रहा था, लेकिन उन दोनों के लिए यह एक निहायत ही अंतरंग क्षण थे। शादी के बाद पहली बार दोनों एक दूसरे को इस तरह से स्पर्श कर रहे थे। इस समय दोनों को किसी की परवाह नहीं थी।

एक दूसरे के चेहरे पर उठने वाले ख़ुशी के भाव पढ़ कर, उन दोनों की ख़ुशी और बढ़ रही थी। और इसका प्रभाव कुछ ऐसा हुआ कि दोनों की नज़र एक दूसरे के चेहरे से हट ही नहीं रही थी। सच में, इस समय दोनों को किसी की परवाह नहीं थी। डीजे वाला यह सब देख रहा था, और समझ रहा था। उसने अपनी चालाकी दिखाते हुए संगीत को जारी रखा। उधर दोनों का डांस अपने पूरे शबाब पर पहुँच गया था। शुरुआती झिझक जाती रही थी। दोनों सिद्धहस्त कलाकारों के जैसे नाच रहे थे, और उनको देख कर सभी दर्शक-गण दाँतों तले उँगलियाँ दबा रहे थे।

मीनाक्षी की कमर को समीर ने दोनों हाथों से थाम रखा था, और मीनाक्षी के हाथ समीर के गले में माला बने झूल रहे थे। संगीत की लय और धुन अब गहरी होती जा रही थी। झंकार लगभग समाप्त थी, और सिर्फ ड्रम जैसे वाद्य की ही आवाज़ आ रही थी। मदहोश करने वाला संगीत!

समीर ने मीनाक्षी को देखा। वो मुस्कुरा रही थी। कैसी उन्मुक्त मुस्कान! साफ़! जब आप वर्तमान का आनंद उठाते हैं - अपना मनपसंद काम करते हैं - न भूतकाल में जीते हैं, और न ही भविष्य में, तब ऐसी उन्मुक्तता आती है।

‘ओह! कितनी सुन्दर! अप्सराएँ भी पानी भरें मेरी मीनाक्षी के सामने! कैसे भरे भरे होंठ! कैसी स्निग्ध मुस्कान! कैसी सरल चितवन!’

यह लड़की नहीं थी। न कोई अप्सरा थी। ये साक्षात् कामदेव की पत्नी रति थी, जो धरती पर उतर आई थी! इधर रति उसके बाहों में थी, और उधर कहीं से छोड़ा गया कामदेव का पुष्पवाण सीधा समीर के ह्रदय में उतर गया। ऐसी इच्छा उसको पहले कभी न हुई। संगीत और गहरा और निशब्द होता जा रहा था। अब सिर्फ ड्रम जैसे वाद्य की ही आवाज़ आ रही थी। इसका प्रभाव सभा में उपस्थित अन्य लोगों पर भी पड़ रहा था। वो पूरे कौतूहल से अपने सामने होते घटनाक्रम का साक्षात्कार कर रहे थे।

डांस-फ्लोर पर चक्कर-घिन्नी कर के नाचने वाली विभिन्न बत्तियाँ अब धीमी हो चली थीं। अब उनमे से मीनाक्षी के लहँगे के रंग वाली लाइट निकल रही थी, और बस उन दोनों पर ही केंद्रित थी। बाकी के फ्लोर पर अब अँधेरा छा गया था। समीर के हाथ अनायास ही ऊपर उठते हुए मीनाक्षी के कोमल कपोलों पर आ गए। उसी की तर्ज़ पर मीनाक्षी के हाथ भी समीर के गालों पर आ गए।

‘आह! कितना कोमल स्पर्श!’ समीर के शरीर में एक रोमांचक तरंग दौड़ गई।

वो मीनाक्षी को चूमने के लिए उसकी ओर झुका और तत्क्षण ही उसके और मीनाक्षी के होंठ मिल गए। दरअसल, मीनाक्षी पर भी समीर की ही भाँति डांस, और संगीत का सकारात्मक प्रभाव पड़ा था। जब समीर उसकी तरफ झुका, तब वो भी अपना चेहरा उठा कर उसको चूमने को हुई। कोई दो सेकण्ड चले चुम्बन को वहाँ उपस्थित फोटोग्राफर्स ने बख़ूबी उतारा। एक तरफ़ जहाँ ईर्ष्यालु लड़के, लड़कियों की छाती पर साँप लोट गए, वहीं दूसरी तरह उनके मुँह से आहें और सीटियाँ निकल गईं। दोनों की तन्द्रा तब टूटी, जब सभा में उपस्थित मेहमानों की तालियों की गड़गड़ाहट से हॉल गूँज उठा। तब उनको समझा कि दोनों का प्रथम चुम्बन अभी अभी हुआ है! शर्म से दोनों के ही गाल सुर्ख हो गए। उन दोनों ने एक दूसरे का हाथ पकड़ कर दर्शकों और शुभचिंतकों का अभिवादन किया। डीजे वाला वापस अपने पहले जैसे संगीत पर लौट आया। और ये दोनों वापस स्टेज पर अपने सोफे पर लौट आए।

समीर की माँ भागी भागी स्टेज पर आईं, और अपनी आँख के कोने से काजल निकाल कर मीनाक्षी के माथे के कोने में एक छोटा सा डिठौना (काला टीका) लगा दीं।

“हाय! मेरी प्यारी बिटिया को कहीं किसी की नज़र न लग जाए।” कह कर उन्होंने मीनाक्षी का माथा चूम लिया।

उसने सामने की तरफ देखा - उसकी माँ और पिता जी दोनों अपनी नम हो गई आँखों को रूमाल से पोंछ रहे थे। उसके ससुर एक चौड़ी मुस्कान लिए अपने बेटे को ‘थम्ब्स अप’ दिखा रहे थे। और आदेश भी उन्ही की ही तरह मुस्कुराते हुए अपनी हाथ की मुट्ठी बाँध कर वैसे दिखा रहा था जैसे जब कोई बल्लेबाज़ शतक बनता है, या कोई गेंदबाज़ विकेट चटकाता है।

आज की रात खुशियों वाली रात थी। रिसेप्शन के अंत में पूरे परिवार ने साथ में बैठ कर खाना खाया। और बड़ी फ़ुरसत में एक दूसरे से बात करी। फिर समीर के मम्मी डैडी के निमंत्रण पर मीनाक्षी में माँ बाप और आदेश उनके घर को चल दिए, और सारे उपहारों के साथ समीर और मीनाक्षी अपने घर को!
Atyant sundar :superb:
 
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Chutiyadr

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“तो फिर?”

“मैं अपने आपको रोक नहीं पाऊँगा!”

समीर के ऐसे स्पष्टीकरण को सुन कर मीनाक्षी का चेहरा शर्म से लाल हो गया। फिर भी उसको अपनी बात तो कहनी ही थी,

“रोकने को किसने कहा।”

समीर कुछ देर के लिए चुप हो गया। उसके धड़कनें अचानक ही तेज़ हो गईं। फिर उसने खुद पर थोड़ा नियंत्रण लाते हुए कहा, “आई डू लव यू! डू यू नो दैट?”

उसने सर हिला कर हामी भरी।

“मैं आपको ‘मिनी’ बुला सकता हूँ?”

मीनाक्षी मुस्कुराई, “आप प्यार से मुझे जिस नाम से भी बुलाएँगे, वो ही मेरा नाम होगा।”

समीर मुस्कुराया, “मिनी, आई लव यू। और इसमें कोई दो राय नहीं है। लेकिन यह भी सच है कि हम एक दूसरे के बारे में बहुत अंजान हैं। पति-पत्‍नी के प्‍यार में .... शारीरिक संबंध ही पति-पत्‍नी का असली संबंध नहीं है। मैं आपको जानना चाहता हूँ। अपने बारे में बताना चाहता हूँ। कुछ मंत्र पढ़ लिए, रीति रिवाज पूरे कर लिए। वो कोई शादी थोड़े ही है! वो तो बस, सामजिक शादी है। वो शादी तो हो गई।

लेकिन हमारा क्या? हमारी भावनात्मक शादी का क्या? उसके लिए मैं आपकी पसंद, नापसंद जानना चाहता हूँ। मैं जानना चाहता हूँ कि आप किन बातों पर हँसती हैं। किन बातों पर नाराज़ होती हैं। मैं आपको जानना चाहता हूँ। इतना कि बिना आपके कुछ बोले मुझे समझ में आ जाए कि आप क्या सोच रही हैं। मैं आपका ऐसा ख्याल रखना चाहता हूँ कि आप आगे आने वाली जिंदगी दुःख क्या होता है, यह भूल जाएँ!

मैं यह नहीं चाहता कि आप किसी भी तरह का कोम्प्रोमाईज़ करें, या मैं किसी तरह का कोम्प्रोमाईज़ करूँ। हमें कोम्प्रोमाईज़ नहीं करना है, बल्कि तार-तम्य बैठाना है। तबला अलग है, बाँसुरी अलग। अगर कोम्प्रोमाईज़ करेंगे तो उनमे से कोई एक कम बजेगा, और दूसरा ज्यादा। लेकिन अगर दोनों ने तार-तम्य बैठेगा, तो दोनों बराबर बजेंगे। और एक बढ़िया सिम्फनी बनेगी।

सच कहूँ, मैं मरा जा रहा हूँ आपका सान्निध्य पाने के लिए। लेकिन मैं इंतज़ार कर लूँगा। मुझे मालूम है कि उस इंतज़ार का फल बहुत मीठा होगा।”

समीर की ऐसी गंभीर समझ को सुन कर मीनाक्षी कुछ पल समझ नहीं सकी कि वो क्या बोले। फिर कुछ सोचने के बाद बोली, “मम्मी डैडी ने लड़का नहीं, हीरा बनाया है आपको!”

“हा हा हा हा हा हा”

“एक बात पूछूँ आपसे?”

“हाँ?”

“मिनी क्यों?”

“हा हा…. आप उम्र में मुझसे बड़ी हैं, लेकिन न जाने क्यों छोटी सी लगती हैं मुझे!” कह कर समीर कमरे से बाहर चला गया।

जब वो वापस लौट रहा था, तब मीनाक्षी ने उसको पुकारा, “सुनिए?”

जब समीर कमरे में आ गया तो उसने कहा, “इधर आइए? मेरे पास!”

समीर उसके पास आ कर बिस्तर पर बैठ गया, तब मीनाक्षी ने प्रेम से उसके गले में गलबैयाँ डाल कर उसके होंठों को चूम लिया। और अपनी बड़ी बड़ी आखों से उसके मुस्कुराते चेहरे को देखने लगी।

“गुड नाइट!”

“गुड नाइट!” समीर ने कहा, और अनिच्छा से कमरे से बाहर निकल आया। उसका दिल बल्लियों उछल रहा था। सुनहरा भविष्य सन्निकट था।
How romantic
 
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Chutiyadr

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तो लीजिए भाइयों और बहनों, "संयोग का सुहाग" समाप्त हुई।
पढ़ के बताइए कैसी लगी पूरी कहानी?
(दोबारा पढ़ने से कोई पाप नहीं लगेगा)
पुनश्च, सभी पाठकों को धन्यवाद! उम्मीद है कि कुछ लोग इस कहानी में बताई हुई बातों का अनुसरण करेंगे!

?????
Ho gaya khatam :what1:
Yar bada jaldi khatm kar diye ..
 
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Chutiyadr

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बहुत बढ़िया ............हालांकि बहुत सारी बातों पर मेरे विचार भिन्न हैं............. आपकी कथावस्तु से
लेकिन आपकी लेखन शैली, कहानी की विषयवस्तु और वर्णन का तरीका..................... अनूठा है आपका

बहुत खूब

आपकी आगामी कथा की प्रतीक्षा रहेगी
Koun si kahani aapke vichar se mel khati hai ,sab to bhinna hi rahti hai :lol:
 
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Koun si kahani aapke vichar se mel khati hai ,sab to bhinna hi rahti hai :lol:
Apki kahaniyan mere vichar se mel kha jati hain...
Bas forgiveness wali happy ending padhkar sara gud gobar ho jata hai :D
 
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Apki kahaniyan mere vichar se mel kha jati hain...
Bas forgiveness wali happy ending padhkar sara gud gobar ho jata hai :D
Ha yahi ham dono ki soch alag ho jati hai.. :lol1:
Real life me bhi mera aisa hi hai, logo ki badi badi galtiyo ko main maaf kar deta hu ,kyoki mujhe adhiktar unki majboori dikh jati hai,ya shayad mujhe lagta hai ki mera kuchh nahi bigadne wala ,ya shayad mein chutiya hi hu :lol1:
 
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Ha yahi ham dono ki soch alag ho jati hai.. :lol1:
Real life me bhi mera aisa hi hai, logo ki badi badi galtiyo ko main maaf kar deta hu ,kyoki mujhe adhiktar unki majboori dikh jati hai,ya shayad mujhe lagta hai ki mera kuchh nahi bigadne wala ,ya shayad mein chutiya hi hu :lol1:
Actually me sirf unki galtiyon ko nazarandaj ya maaf nahi karta... Jinse mera koi bhi kaisa bhi link hai.... Kyonki wo nischit rup se kabhi na kabhi mujhe kuchh nuksan pahuncha sakte hain
Ajnabi se to sampark todkar...bhulaya ja sakta hai....
 
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Chutiyadr

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Actually me sirf unki galtiyon ko nazarandaj ya maaf nahi karta... Jinse mera koi bhi kaisa bhi link hai.... Kyonki wo nischit rup se kabhi na kabhi mujhe kuchh nuksan pahuncha sakte hain
Ajnabi se to sampark todkar...bhulaya ja sakta hai....
Sahi hai 👍
 
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avsji

कुछ लिख लेता हूँ
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