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Incest संस्कारी घर - परिवार

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1) इस कहानी का इंग्लिश संस्करण पूरी लिख दी गई है, अगर किसी को इस कहानी का पूरा संस्करण पढ़ना है तब वो इस लिंक से पढ़ सकता है Sanskari Ghar - Parivaar (Completed)

2) और अगर कोई मेंबर इस कहानी को देवनागरी/हिंदी में पूरा करना चाहता है तब वो इसे पूरा कर सकता है

Reason - Evanstonehot ने नही किया है पूरा + ये स्टोरी पहले ही पूरी हो चुकी है
 
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सुबह राधा की नींद खुलती है । वो संजय और सुमन की तरफ़ देखती है ।

दोनो एक दूसरे से लिपट कर सो रहे थे । राधा उन्हें देख कर मुस्कुराती है ।

राधा उठ कर कमरे से बाहर निकलती है ।

अचानक उसका ध्यान नीरज के कमरे के बाहर पड़े कोमल के कपड़ों पर जाता है ।

वो मुस्कुरा पड़ती है ।

राधा झुक कर कोमल की कच्छी को हाथ में उठाती ही है कि पीछे से संजय आ जाता है ।

संजय को झुकी हुई राधा का पिछवाड़ा दिखता है । वो उसपे अपना लण्ड गड़ा के उसे अपनी बाहों में लेता हुआ पूछता है ।

संजय - ये किसकी कच्छी है ?

राधा - आपकी प्यारी बेटी की है ।

संजय - ज़रा दिखाना !

राधा - हाँ , क्यूँ नही ये लो !!

ये कहते हुए राधा कोमल की कच्छी को संजय के सिर में पहना देती है और हंस पड़ती है ।

सामने से नीरज के रूम का दरवाज़ा खुलता है और नंगी कोमल बाहर आती है तभी कोमल की नज़र उसके मम्मी पापा पर पड़ती है , और वो झट से कमरे के अंदर घुस जाती है ।

कोमल दरवाज़े के पीछे से अपना हाथ बाहर निकालते हुए राधा से बोलती है :

कोमल - मॉम मेरी कच्छी कहाँ है ?

राधा हंसते हुए - तेरे पापा के पास है । ले ले !!

कोमल - मॉम ! दो ना प्लीज़

राधा - तू नज़र उठा कर एक बार अपने पापा को देख तो सही ।

कोमल शर्माते हुए अपनी नज़र उठा कर संजय को देखती है , और अपनी कच्छी उसके सिर में पहने देख कर फिर शर्मा जाती है ।

पीछे से धीरज भी अपने कमरे से बाहर निकालता हुआ बोलता है

धीरज - गुड मोर्निंग ...

तभी अचानक उसकी नज़र वहाँ एकदम नंगी खड़ी उसकी बहन की गांड पर जाती है ।

कोमल को मादरजात नंगी खड़ी देख कर धीरज का मुँह खुल जाता है ।

अचानक से कोमल जींस उठाने के लिए नीचे झुकती है

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उसकी गोल गांड का दीदार वहाँ खड़े तीनो लोगों को हो जाता है

ये देख कर संजय और धीरज का मुँह खुल्ला का खुला रह जाता है ।

धीरज को तो ज़्यादा हैरानी कोमल के फटे हुए गांड के छेद को देखकर होती है ।

कोमल झट से अपनी जींस उठा कर नीरज के कमरे में घुस जाती है ।

राधा कोमल की कच्छी को संजय के सिर से उतार कर उसके खुले हुए मुँह में ठूँस देती है ।

फिर राधा आगे बढ़ कर धीरज की नीचे लटकी ठुड्डी को अपनी हथेली का सहारा देकर ऊपर करती है

और हंसने लगती है ।

संजय - वाह !! क्या नजारा था ! आज तो लगता है मेरा दिन बहुत शुभ गुजरेगा ।

धीरज को तो विश्वास ही नही हो रहा था कि उसने अभी अभी कोमल की फटी गांड देख ली ।

उसका तो सपना था कोमल की सील पैक गांड खोलने का ।

कोमल जब इठला के चलती थी तब धीरज ही उसकी मटकती हुई गांड सबसे ज़्यादा देखता था ।

थोड़ी देर में संजय और धीरज फ़्रेश होने चले जाते है और कोमल नीरज के कमरे से निकल कर अपने कमरे में चली जाती है ।

राधा नीरज को उठाने उसके कमरे में जाती है । नीरज नंगा सो रहा होता है । उसका लण्ड ९० डिग्री पे खड़ा होता है ।

ये देख कर राधा मुस्कुराती हुई नीरज के लण्ड को हाथ में पकड़ कर , उसे अपने मुँह में लेकर १ तगड़ा सा चुपप्पा लगाती है ।

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नीरज की आँखे एकदम से खुल जाती है ।

अपनी माँ को अपना लण्ड चूसते देखकर नीरज हड़बड़ा कर देखता हुआ पूछता है :

नीरज - मॉम !!!! आप यहाँ ???

राधा हंसते हुए अपने होंठ साफ़ करते कहती है :

राधा - अरे घबरा क्यूँ रहा है ! कोमल गयी अपने कमरे में ।

तू ये बता तेरे लण्ड का ज़ायक़ा आज कुछ अलग अलग सा क्यूँ लग रहा है ?

नीरज घबरा जाता है । कुछ सोचते हुए वो बोलता है

नीरज - मुझे कैसे पता होगा मॉम !

मैं थोड़े ना अपना लण्ड चूसता हूँ , और हंसने लगता है ।

राधा भी हंसती है और उसे उठने के लिए बोलकर खाना बनाने चली जाती है ।

थोड़ी देर में सुमन भी तैयार हो कर रसोई में आती है और राधा की खाना बनाने में मदद करने लगती है ।

तभी कोमल ज़रा सा लंगड़ाते हुए रसोई में प्रवेश करती है ।

राधा और सुमन एक दूसरे को देख कर कोमल पर हंसने लगती है

कोमल को समझने में देर नही लगती वो बोलती है :

कोमल - हाँ ! हाँ ! हंस लो आप दोनो मेरी हालत पर.

सुमन - दीदी लगता है कल रात नीरज ने कुछ ऐसा देख लिया था जिसकी वजह से उसने कोमल को इतनी बुरी तरह से रगड़ दिया ।

राधा कोमल को छेड़ते हुए - हाँ छोटी मुझे भी यही लगता है , सुबह जब मैंने नीरज का लण्ड चूस कर उठाया तो उसमें भी अलग ही ख़ुशबू आ रही थी ।

कोमल - MOM YOU ARE SO MEAN

कल रात नीरज भाई के रूम में आप को जाना चाहिए था ।

आपने जान बूझकर मुझे फँसा दिया ।

ऐसे ही घर की हसीनाओं में हल्की फ़ुल्की छेढ़खानी होती है ।

तभी वहाँ नीरज और धीरज आ जाते है । दोनो भाइयों की नज़र कोमल की गांड पर जाती है ।

कोमल ने जींस पहनी होती है जिसमें उसके खुबशूरत उभार दोनो भाइयों को उतावला कर देते है

नीरज ये सोच कर ख़ुश होता है कि इसी गांड को रात उसने फाड़ा था जो अब उसके सामने जींस में पैक है ।

राधा कोमल के पीछे खड़ी हो जाती है । अपनी बहन की गांड के सामने अपनी माँ की बड़ी चौड़ी गांड देख कर दोनो भाई ऊपर देखते है ।

सुमन यह देख कर हंसते हुए कहती है :

सुमन - कहाँ खो गये तुम दोनो । चलो बाहर जाके बैठो खाना बाहर मिलेगा ।

दोनो भाई कोमल की गांड के दर्शन ही करने के लिए रसोई में घुसे थे ।

पर अब उन्हें बाहर जाकर ही बैठना पड़ेगा ये सोचकर दोनो मुँह लटकाए संजय के पास जाकर बैठ जाते है ।

नीरज ने तो कोमल की सील पैक गांड मार ली थी पर धीरज को राधा पर ग़ुस्सा आता है ।

वो अपने खाने का इंतेज़ार करने लगता है । थोड़ी देर बाद राधा खाना परोसती है ।

धीरज खाना खाते हुए अपना एक हाथ नीचे ले जाकर अपनी जीप खोल कर अपना लण्ड बाहर निकाल लेता है ।

राधा जब उसे चपाती देने जाती है तो वो एक चमच्च नीचे गिरा देता है ।

नीचे झुक कर उठाने वाला होता है तभी राधा उससे बोलती है

राधा - रुको धीरज ....बेटा तुम खाने पर ध्यान दो मैं उठा देती हूँ

ये कहकर राधा नीचे जैसे ही झुकती है उसे धीरज का फुँकार मारता लण्ड दिख जाता है ।

राधा बड़ी बड़ी आँख कर लण्ड को देखते हुए रुक जाती है ।

राधा ऊपर मुँह कर के धीरज को ग़ुस्से से देखती है ।

धीरज अपना लण्ड एक हाथ से पकड़ कर राधा को उसे चूसने का इशारा करता है ।

राधा धीरज को आँखे दिखाती है ।

धीरज - मॉम प्लीज़ ....... २-४ चुपप्पे बस

राधा टेबल के नीचे घुस कर धीरज का लण्ड पकड़ कर अपना मुँह उसके ऊपर लाकर खोल देती है ।

राधा मुँह में लेने वाली थी कि उसे अपने सिर के पीछे एक हाथ का अहसास हुआ ।

जब तक वो कुछ समझ पाती उस हाथ ने झटके से उसके सिर को लण्ड पर दबा दिया ।

लण्ड राधा के मुँह में जड़ तक घुस गया ।

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राधा अपना सिर पीछे को दखेलने लगी ।

धीरज ने राधा को पूरे १ मिनट तक ऐसे ही रखा । और अपना लण्ड आगे पीछे किया ।

१ मिनट तक ऐसे ही अपनी माँ का मुँह चोदने के बाद धीरज ने राधा को छोड़ दिया ।

राधा चमच्च हाथ में लिए जल्दी से टेबल के नीचे से निकली ।

नीरज ने राधा की हालत देख कर पूछा :

नीरज - क्या हुआ मॉम आप इतना हाँफ क्यूँ रही हो.

राधा जो धीरज को ग़ुस्से से देख रही थी कहती है :

राधा - कुछ नही बेटा ! टेबल के नीचे अंधेरा था मुझे डर लगने लगा था ।

धीरज हंसते हुए राधा के हाथ से चमच्च ले कर खाना खाने लगा

राधा धीरज को घूरते हुए रसोई में चली गई । खाना खाने के बाद सब तैयार हो कर अपने अपने काम पर निकल जाते है ।

____________________

नए पात्र :

दीपिका
- धीरज की नयी पर्सनल सेक्रेटेरी
उम्र - २०
ये कोमल जैसी दिखती है । बिलकुल वैसी ही शकल । यहाँ तक कि चूच्चे और गांड भी ।

नरेंद्र गुप्ता - संजय के पर्सनल असिस्टंट
उम्र - ८०
उम्रदराज़ आदमी है । अच्छा काम सम्भालते है ।

संजय के पिताजी के मुलाजिम थे । कम्पनी में सबसे ज़्यादा वफ़ादार है ।

सब इन्हें सम्मान से गुप्ताजी कहकर पुकारते है । धर्मपत्नी का निधन हाल ही में हुआ है ।

एक बेटा समीर और एक शादीशुदा बेटी सोनम है ।
___________________

संजय का दफ़्तर :

संजय अपने केबिन में बैठा हुआ है तभी गुप्ताजी बाहर से अंदर आने के लिए संजय से पूछते है ।

संजय उन्हें आने के लिए बोलता है ।

गुप्ताजी - सर फ़ेविकोल वालों का फ़ोन आया था । वो आज आपसे मिलना चाहते है ।

कोई २ करोड़ का कॉंट्रैक्ट है । मैंने उन्हें दोपहर १२ बजे का समय दिया है । वो आज आपसे मिलने आ रहे है ।

संजय - ये तो गुप्ताजी आपने बहुत अच्छी ख़बर सुनायी है । आपने सारी तैयारी कर ली है ना ।

गुप्ताजी - जी मैंने अपनी पूरी तैयारी कर ली है । धीरज सर के पास कुछ फ़ाइल्ज़ पड़ी है ।

आप उन्हें मँगवा कर एक बार मुझे चेक करने के लिए दे दोगे तो अच्छा होगा ।

संजय - अरे गुप्ताजी आपके बेटे के उम्र का है धीरज बड़ी इज्जत करता है आपकी ।

आप उसे सर कहकर बुलाते हैं तो वो मेरे पीछे पड जाता है जैसे मैंने आपसे कहा है उसे सर बोलने के लिए ।

दोनो हंसने लगते है ।

फिर संजय धीरज को फ़ोन लगाता है । उधर से धीरज जवाब देता है ।

संजय उसे ज़रूरी फ़ाइल्ज़ लाने को कहता है । धीरज सारी फ़ाइल्ज़ इक्खट्टी करता है ।

फ़ाइल्ज़ ले कर वो अपने केबिन से निकलता है तभी उसकी टक्कर एक लड़की से हो जाती है ।

धीरज के हाथ से फ़ाइल्ज़ छूट कर नीचे गिर जाती है

सामने कुछ डॉक्युमेंट्स थामे कोमल की हमशकल लड़की कोट पैंट पहने खड़ी थी ।

धीरज उसे देख कर खो सा जाता है । वो लड़की उसके चेहरे के सामने अपना दायां हाथ हिला कर उसे होश में लाने की कोशिश करती है , लेकिन धीरज कुछ नही बोलता है बस उसे देखे चला जाता है ।

कोमल हंसती है , फिर नीचे बैठकर फ़ाइल्ज़ उठाने लगती है ।

उसके बैठने से उसके चूचियों का दीदार धीरज को होता है ।

उसका लण्ड खड़ा होने लगता है ।

फिर वो लड़की दूर पड़ी एक फ़ाइल उठाने के लिए झुकती है ।

इस बार धीरज को उस लड़की का पिछवाड़ा पैंट के ऊपर से दिखता है ।

सुबह जो कोमल की नंगी गांड और गांड में फटा हुआ छेद जो उसने देखा था , बिलकुल वैसा ही पिछवाड़ा अब उसकी आँखो के सामने था ।

धीरज कोमल की गांड की कल्पनाओं में घुसा हुआ था ।

एकदम से उसको एक आवाज़ आयी ..ए ... मिस्टर ..... हेल्लो

उसने आँख खोल कर देखा तो सामने वो लड़की उसको वो फ़ाइल्ज़ थमा रही थी जो उसके हाथ से उसे देखकर गिर गयी थी

धीरज होश में आकर उससे वो फ़ाइल्ज़ लेता है और उसे हैरानी से देखने लगता है ।

फिर वो उससे कहता है तुम यहाँ बैठो मैं ये फ़ाइल देकर अभी आया ।

ज़रूरी है ।

वो लड़की वहीं सोफ़े पर गांड टिका कर बैठ जाती है

धीरज संजय के केबिन में जाता है ।

गुप्ताजी को वहाँ खड़े देखकर धीरज उनके पैर छूकर उनका आशीर्वाद लेता है ।

गुप्ताजी उसे गले लगा लेते है ।

संजय गुप्ताजी को फ़ेविकोल वाली बात धीरज को बताने के लिए कहते है ।

इस नए प्रोजेक्ट के बारे में सुनकर धीरज अपनी ख़ुशी ज़ाहिर करता है और आस्वाशन देता है कि ये प्रोजेक्ट हमारी कम्पनी को ही मिलेगा ।

संजय धीरज के कंधो पर हाथ रख कर कहता है

संजय - “ I AM SO PROUD OF YOU MY SON ”

धीरज गुप्ताजी से - अरे हाँ अंकल वो आपने मेरी पर्सनल सेक्रेटेरी के लिए कोई आवेदन दिया था क्या

गुप्ताजी - हाँ संजय सर ने मुझसे कहा था एक पर्सनल रांड सॉरी पर्सनल सेक्रेटेरी रखने के लिए ।

संजय गुप्ताजी की तरफ़ शैतानी हंसी से देखते है जैसे उन्होंने पहले जो बोला वो कोई गलती नही बल्कि सच बात है

संजय धीरज को आगे बताता है कि काम का बोझ हल्का करने के लिए ही उन्होंने गुप्ताजी को तुम्हारे लिए एक सेक्रेटेरी ढूँढने के लिए कहा था ।

धीरज गुप्ताजी का आभार व्यक्त करता है और उन्हें बताता है कि वो लड़की उसके केबिन में बैठकर उसका इंतेज़ार कर रही है ।

गुप्ताजी - हाँ बेटा उसने आने से पहले मुझे सम्पर्क किया था ।

मैंने ही उसे आज का समय दिया था । मुझे विश्वास है ये लड़की इस कम्पनी को एक नयी ऊँचाई प्रदान करने में हमारे काम आएगी ।

और हाँ मुझे उसके परिवार के बारे में भी तुमसे ज़रूरी बात करनी थी ।

धीरज - अंकल जी सारी बात अभी करोगे तो मैं उस लड़की का इंटर्व्यू कब लूँगा ।

गुप्ताजी - हाँ बेटा बिलकुल सही कहा आपने जाओ उसके परिवार के बारे में बाद में आपको बता दिया जाएगा ।

धीरज चला जाता है । गुप्ताजी संजय से पूछते है कि क्या ये सही समय होगा धीरज को सबकूछ बताने के लिए ।

संजय गुप्ताजी को समझाते है कि एक ना एक दिन तो धीरज को सब बताना ही पड़ेगा और इस बात को जानने का हक़ धीरज को भी है ।

_______________________________________

धीरज के केबिन में

दीपिका को बैठे हुए कुछ समय बीत गया था । थोड़ी देर बाद धीरज आता है और दीपिका से हाथ मिला कर अपना नाम धीरज बताता है ।

दीपिका भी अपना नाम बताती है । धीरज दीपिका को सामने बैठने के लिए कहता है ।

धीरज - तो दीपिका जी आप यहाँ मेरी पर्सनल सेक्रेटेरी की नौकरी पाने आयी है ।

दीपिका - YES SIR

धीरज - तो समझ लीजिए आपकी यह नौकरी पक्की !!!

दीपिका हैरानी से - क्या मतलब सर आप मज़ाक़ तो नही कर रहे है । आपने मेरे डॉक्युमेंट्स तो देखे ही नही है ।

धीरज - दीपिका जी आपकी शकल ही ये नौकरी पाने के लिए काफ़ी है ।

दीपिका सब समझ जाती है । वो हंसते हुए धीरज का धन्यवाद करती है ।

धीरज उसे कल से ही आने के लिए कहता है ।

दीपिका इससे सहमत हो जाती है और निकल जाती है ।

धीरज जाते जाते दीपिका की एक बार फिर से गांड घूरने लगता है ।

दीपिका भी पीछे मुड़के ये देख कर हस्ती है ।

१२ बजे फ़ेविकोल वालों से बातचीत में ये तैय हो जाता है कि ये कॉंट्रैक्ट संजय की कम्पनी को ही मिलेगा ।

संजय और गुप्ताजी ख़ुशी से उछल पड़ते है लेकिन धीरज दीपिका के मायाजाल में अभी फंशा हुआ था

संजय गुप्ताजी से कारण पूछते है । गुप्ताजी दीपिका वाली बात संजय को बता देते है ।

शाम होते ही संजय और धीरज अपने घर की तरफ़ अपनी अपनी गाड़ी लेकर निकल पड़ते है ।





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Naren

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मज़ा आ गया भी शुरुआत में ही
कहानी को केवल एक घर तक ही सीमित रखना और घर के हर एक कार्य और त्यौहार में सेक्स का मज़ा मिलना चाहिए।
 

ashish_1982_in

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सुबह राधा की नींद खुलती है । वो संजय और सुमन की तरफ़ देखती है । दोनो एक दूसरे से लिपट कर सो रहे थे । राधा उन्हें देख कर मुस्कुराती है । राधा उठ कर कमरे से बाहर निकलती है । अचानक उसका ध्यान नीरज के कमरे के बाहर पड़े कोमल के कपड़ों पर जाता है । वो मुस्कुरा पड़ती है ।



राधा झुक कर कोमल की कच्छी को हाथ में उठाती ही है कि पीछे से संजय आ जाता है । संजय को झुकी हुई राधा का पिछवाड़ा दिखता है । वो उसपे अपना लण्ड गड़ा के उसे अपनी बाहों में लेता हुआ पूछता है ।



संजय - ये किसकी कच्छी है ?



राधा - आपकी प्यारी बेटी की है ।



संजय - ज़रा दिखाना !



राधा - हाँ , क्यूँ नही ये लो !!



ये कहते हुए राधा कोमल की कच्छी को संजय के सिर में पहना देती है और हंस पड़ती है । सामने से नीरज के रूम का दरवाज़ा खुलता है और नंगी कोमल बाहर आती है तभी कोमल की नज़र उसके मम्मी पापा पर पड़ती है , और वो झट से कमरे के अंदर घुस जाती है । कोमल दरवाज़े के पीछे से अपना हाथ बाहर निकालते हुए राधा से बोलती है ....



कोमल - मॉम मेरी कच्छी कहाँ है ?



राधा हंसते हुए - तेरे पापा के पास है । ले ले !!



कोमल - मॉम ! दो ना प्लीज़



राधा - तू नज़र उठा कर एक बार अपने पापा को देख तो सही ।



कोमल शर्माते हुए अपनी नज़र उठा कर संजय को देखती है , और अपनी कच्छी उसके सिर में पहने देख कर फिर शर्मा जाती है ।



पीछे से धीरज भी अपने कमरे से बाहर निकालता हुआ बोलता है ....



धीरज - GOOD MORNING..... !



तभी अचानक उसकी नज़र वहाँ एकदम नंगी खड़ी उसकी बहन की गांड पर जाती है । कोमल को मादरजात नंगी खड़ी देख कर धीरज का मुँह खुल जाता है । अचानक से कोमल स्कर्ट उठाने के लिए नीचे झुकती है ... जिससे उसकी गोल गांड का दीदार वहाँ खड़े तीनो लोगों को हो जाता है । ये देख कर संजय और धीरज का मुँह खुल्ला का खुला रह जाता है । धीरज को तो ज़्यादा हैरानी कोमल के फटे हुए गांड के छेद को देखकर होती है ।



कोमल झट से अपनी स्कर्ट उठा कर नीरज के कमरे में घुस जाती है । राधा कोमल की कच्छी को संजय के सिर से उतार कर , संजय के खुले हुए मुँह में ठूँस देती है । फिर राधा आगे बढ़ कर धीरज की नीचे लटकी ठुड्डी को अपनी हथेली का सहारा देकर ऊपर करती है और हंसने लगती है ।



संजय - वाह !! क्या नजारा था ! आज तो लगता है मेरा दिन बहुत शुभ गुजरेगा ।



धीरज को तो विश्वास ही नही हो रहा था कि उसने अभी अभी कोमल की फटी गांड देख ली । उसका तो सपना था कोमल की सील पैक गांड खोलने का । कोमल जब इठला के चलती थी तब धीरज ही उसकी मटकती हुई गांड सबसे ज़्यादा देखता था ।



थोड़ी देर में संजय और धीरज फ़्रेश होने चले जाते है और कोमल नीरज के कमरे से निकल कर अपने कमरे में चली जाती है । राधा नीरज को उठाने उसके कमरे में जाती है । नीरज नंगा सो रहा होता है । उसका लण्ड ९० डिग्री पे खड़ा होता है । ये देख कर राधा मुस्कुराती हुई नीरज के लण्ड को हाथ में पकड़ कर , उसे अपने मुँह में लेकर १ तगड़ा सा चुपप्पा लगाती है ।



नीरज की आँखे एकदम से खुल जाती है । अपनी माँ को अपना लण्ड चूसते देखकर नीरज हड़बड़ा कर देखता हुआ पूछता है ....



नीरज - मॉम !!!! आप यहाँ ???



राधा हंसते हुए अपने होंठ साफ़ करते हुए कहती है - अरे घबरा क्यूँ रहा है ! कोमल गयी अपने कमरे में । तू ये बता तेरे लण्ड का ज़ायक़ा आज कुछ अलग अलग सा क्यूँ लग रहा है ?



नीरज घबरा जाता है । कुछ सोचते हुए वो बोलता है ....



नीरज - मुझे कैसे पता होगा मॉम ! मैं थोड़े ना अपना लण्ड चूसता हूँ , और हंसने लगता है । राधा भी हंसती है और उसे उठने के लिए बोलकर खाना बनाने चली जाती है ।



थोड़ी देर में सुमन भी तैयार हो कर रसोई में आती है और राधा की खाना बनाने में मदद करने लगती है , तभी कोमल ज़रा सा लंगड़ाते हुए रसोई में प्रवेश करती है । राधा और सुमन एक दूसरे को देख कर कोमल पर हंसने लगती है । कोमल को समझने में देर नही लगती वो बोलती है ....



कोमल - हाँ ! हाँ ! हंस लो आप दोनो मेरी हालत पर ।



सुमन - दीदी लगता है कल रात नीरज ने कुछ ऐसा देख लिया था जिसकी वजह से उसने कोमल को इतनी बुरी तरह रगड़ा ।



राधा कोमल को छेड़ते हुए - हाँ छोटी मुझे भी यही लगता है , सुबह जब मैंने नीरज का लण्ड चूस के उठाया तो उसमें से भी अलग ही ख़ुशबू आ रही थी ।



कोमल - मॉम U are so mean आप को जाना चाहिए था कल रात नीरज भाई के साथ । और आपने मुझे फँसा दिया । It’s not the good idea ?



ऐसे ही घर की हसीनाओं में हल्की फ़ुल्की छेढ़खानी होती है । तभी वहाँ नीरज और धीरज आ जाते है । दोनो भाइयों की नज़र कोमल की गांड पर जाती है । कोमल ने जींस पहनी होती है जिसमें उसके खुबशूरत उभार दोनो भाइयों को उतावला कर देते है । नीरज ये सोच कर ख़ुश होता है कि इसी गांड को रात उसने फाड़ा था जो अब उसके सामने जींस में पैक है ।



राधा कोमल के पीछे खड़ी हो जाती है । अपनी बहन की गांड के सामने अपनी माँ की बड़ी चौड़ी गांड देख कर दोनो भाई ऊपर देखते है । सुमन यह देख कर हंसते हुए कहती है .....



सुमन - कहाँ खो गये तुम दोनो । चलो बाहर जाके बैठो खाना बाहर मिलेगा ।



दोनो भाई कोमल की गांड के दर्शन ही करने के लिए रसोई में घुसे थे पर अब उन्हें बाहर जाकर ही बैठना पड़ेगा ये सोचकर दोनो मुँह लटकाए संजय के पास जाकर बैठ जाते है ।



नीरज ने तो कोमल की गांड मार ली थी पर धीरज को राधा पर ग़ुस्सा आता है । वो अपने खाने का इंतेज़ार करने लगता है । थोड़ी देर बाद राधा खाना परोसती है । धीरज खाना खाते हुए अपना एक हाथ नीचे ले जाकर अपनी जीप खोल कर अपना लण्ड बाहर निकाल लेता है ।



राधा जब उसे चपाती देने जाती है तो वो एक चमच्च नीचे गिरा देता है । वो नीचे झुक कर उठाने वाला होता है तभी राधा उससे बोलती है ....



राधा - रुको धीरज .... तुम खाने पर ध्यान दो मैं उठा देती हूँ ।



ये कहकर राधा नीचे जैसे ही झुकती है उसे धीरज का फुँकार मारता लण्ड दिख जाता है । राधा रुक जाती है । वो ऊपर मुँह कर कर धीरज को ग़ुस्से से देखती है । धीरज अपना लण्ड एक हाथ से पकड़ कर राधा को उसे चूसने का इशारा करता है । राधा धीरज को आँखे दिखाती है ।



धीरज - मॉम प्लीज़ ....... २-४ चुपप्पे बस ...



राधा टेबल के नीचे घुस कर धीरज का लण्ड पकड़ कर अपना मुँह उसके ऊपर लाकर खोल देती है । राधा मुँह में लेने वाली थी कि उसे अपने सिर के पीछे एक हाथ का अहसास हुआ । जब तक वो कुछ समझ पाती उस हाथ ने झटके से उसके सिर को लण्ड पर दबा दिया । लण्ड राधा के मुँह में जड़ तक घुस गया । राधा अपना सिर पीछे को दखेलने लगी । धीरज ने राधा को पूरे १ मिनट तक ऐसे ही रखा । और अपना लण्ड आगे पीछे किया । १ मिनट तक ऐसे ही अपनी माँ का मुँह चोदने के बाद धीरज ने राधा को छोड़ दिया ।



राधा चमच्च हाथ में लिए जल्दी से टेबल के नीचे से निकली । नीरज ने राधा की हालत देख कर पूछा .....



नीरज - क्या हुआ मॉम आप इतना हाँफ क्यूँ रही हो ?



राधा जो धीरज को ग़ुस्से से देख रही थी कहती है - कुछ नही बेटा टेबल के नीचे अंधेरा था मुझे डर लगने लगा था ।



धीरज हंसते हुए राधा के हाथ से चमच्च ले कर खाना खाने लगा । राधा धीरज को घूरते हुए रसोई में चली गई । खाना खाने के बाद सब तैयार हो कर अपने अपने काम पर निकल जाते है ।



नए पात्र :

दीपिका
- धीरज की नयी पर्सनल सेक्रेटेरी

उम्र - २०

ये कोमल जैसी दिखती है । बिलकुल वैसी ही शकल । यहाँ तक कि चूच्चे और गांड भी ।



नरेंद्र गुप्ता - संजय के पर्सनल असिस्टंट

उम्र - ८०

उम्रदराज़ आदमी है । अच्छा काम सम्भालते है । संजय के पिताजी के मुलाजिम थे । कम्पनी में सबसे ज़्यादा वफ़ादार है । सब इन्हें सम्मान से गुप्ताजी कहकर पुकारते है । धर्मपत्नी का निधन हाल ही में हुआ । एक बेटा समीर और एक शादीशुदा बेटी सोनम है ।



संजय का दफ़्तर :

संजय अपने केबिन में बैठा हुआ है तभी गुप्ताजी बाहर से अंदर आने के लिए संजय से पूछते है । संजय उन्हें आने के लिए बोलता है ।



गुप्ताजी - सर फ़ेविकोल वालों का फ़ोन आया था । वो आज आपसे मिलना चाहते है । कोई २ करोड़ का कॉंट्रैक्ट है । मैंने उन्हें दोपहर १२ बजे का समय दिया है । वो आज आपसे मिलने आ रहे है ।



संजय - ये तो गुप्ताजी आपने बहुत अच्छी ख़बर सुनायी है । आपने सारी तैयारी कर ली है ना ।


गुप्ताजी - जी मैंने अपनी पूरी तैयारी कर ली है । धीरज सर के पास कुछ फ़ाइल्ज़ पड़ी है । आप उन्हें मँगवा कर एक बार मुझे चेक करने के लिए दे दोगे तो अच्छा होगा ।



संजय - अरे गुप्ताजी आपके बेटे के उम्र का है धीरज ... बड़ी इज्जत करता है आपकी । आप उसे सर कहकर बुलाते हो और वो मेरे पीछे पड जाता है जैसे मैंने आपसे कहा है उसे सर बोलने के लिए ।



दोनो हंसने लगते है । फिर संजय धीरज को फ़ोन लगाता है । उधर से धीरज जवाब देता है । संजय उसे ज़रूरी फ़ाइल्ज़ लाने को कहता है । धीरज सारी फ़ाइल्ज़ इक्खट्टी करता है । फ़ाइल्ज़ ले कर वो अपने केबिन से निकलता है तभी उसकी टक्कर एक लड़की से हो जाती है । धीरज के हाथ से फ़ाइल्ज़ छूट कर नीचे गिर जाती है ।



सामने कुछ डॉक्युमेंट्स थामे कोमल की हमशकल लड़की कोट पैंट पहने खड़ी थी । धीरज उसे देख कर खो सा जाता है । वो लड़की उसके चेहरे के सामने अपना दायां हाथ हिला कर उसे होश में लाने की कोशिश करती है , लेकिन धीरज कुछ नही बोलता है बस उसे देखे चला जाता है । कोमल हंसती है , फिर नीचे बैठकर फ़ाइल्ज़ उठाने लगती है ।



उसके बैठने से उसके चूचियों का दीदार धीरज को होता है । उसका लण्ड खड़ा होने लगता है । फिर वो लड़की दूर पड़ी एक फ़ाइल उठाने के लिए झुकती है । इस बार धीरज को उस लड़की का पिछवाड़ा पैंट के ऊपर से दिखता है । सुबह जो कोमल की नंगी गांड और गांड में फटा हुआ छेद जो उसने देखा था , बिलकुल वैसा ही पिछवाड़ा अब उसकी आँखो के सामने था ।



धीरज कोमल की गांड की कल्पनाओं में घुसा हुआ था । एकदम से उसको एक आवाज़ आयी ..... ए ... मिस्टर ..... हेल्लो............ उसने आँख खोल कर देखा तो सामने वो लड़की उसको वो फ़ाइल्ज़ थमा रही थी जो उसके हाथ से उसे देखकर गिर गयी थी ।



धीरज होश में आकर उससे वो फ़ाइल्ज़ लेता है और उसे हैरानी से देखने लगता है । फिर वो उससे कहता है तुम यहाँ बैठो मैं ये फ़ाइल देकर अभी आया । ज़रूरी है । वो लड़की वहीं सोफ़े पर गांड टिका कर बैठ जाती है ।



धीरज संजय के केबिन में जाता है । गुप्ताजी को वहाँ खड़े देखकर धीरज उनके पैर छूकर उनका आशीर्वाद लेता है । गुप्ताजी उसे गले लगा लेते है । संजय गुप्ताजी को फ़ेविकोल वाली बात धीरज को बताने के लिए कहते है । इस नए प्रोजेक्ट के बारे में सुनकर धीरज अपनी ख़ुशी ज़ाहिर करता है , और आस्वाशन देता है कि ये प्रोजेक्ट हमारी कम्पनी को ही मिलेगा । संजय धीरज के कंधो पर हाथ रख कर कहता है ....



संजय - “ I AM SO PROUD OF YOU MY SON



धीरज गुप्ताजी से - अरे हाँ अंकल वो आपने मेरे पर्सनल सेक्रेटेरी के लिए कोई आवेदन दिया था क्या ?



गुप्ताजी - हाँ संजय सर ने मुझसे कहा था एक पर्सनल रांड सॉरी पर्सनल सेक्रेटेरी रखने के लिए ।



संजय गुप्ताजी की तरफ़ शैतानी हंसी से देखते है जैसे उन्होंने पहले जो बोला वो कोई गलती नही बल्कि सच बात है । संजय धीरज को आगे बताता है कि काम का बोझ हल्का करने के लिए ही उन्होंने गुप्ताजी को तुम्हारे लिए एक सेक्रेटेरी ढूँढने के लिए कहा था ।



धीरज गुप्ताजी का आभार व्यक्त करता है और उन्हें बताता है कि वो लड़की उसके केबिन में बैठकर उसका इंतेज़ार कर रही है ।



गुप्ताजी - हाँ बेटा उसने आने से पहले मुझे सम्पर्क किया था । मैंने ही उसे आज का समय दिया था । मुझे विश्वास है ये लड़की इस कम्पनी को एक नयी ऊँचाई प्रदान करने में हमारे काम आएगी । और हाँ मुझे उसके परिवार के बारे में भी तुमसे ज़रूरी बात करनी थी ।



धीरज - अंकल जी सारी बात अभी करोगे तो मैं उस लड़की का इंटर्व्यू कब लूँगा ।



गुप्ताजी - हाँ बेटा बिलकुल सही कहा आपने जाओ उसके परिवार के बारे में बाद में आपको बता दिया जाएगा ।



धीरज चला जाता है । गुप्ताजी संजय से पूछते है कि क्या ये सही समय होगा धीरज को सबकूछ बताने के लिए । संजय गुप्ताजी को समझाते है कि एक ना एक दिन तो धीरज को सब बताना ही पड़ेगा । और इस बात को जानने का हक़ धीरज को भी है




धीरज के केबिन में

दीपिका को बैठे हुए कुछ समय बीत गया था । थोड़ी देर बाद धीरज आता है और दीपिका से हाथ मिला कर अपना नाम धीरज बताता है । दीपिका भी अपना नाम बताती है । धीरज दीपिका को सामने बैठने के लिए कहता है ।



धीरज - तो दीपिका जी आप यहाँ मेरी पर्सनल सेक्रेटेरी की नौकरी पाने आयी है ।



दीपिका - YES SIR



धीरज - तो समझ लीजिए आपकी यह नौकरी पक्की !!!



दीपिका हैरानी से - क्या मतलब सर आप मज़ाक़ तो नही कर रहे । आपने मेरे डॉक्युमेंट्स तो देखे ही नही है ।



धीरज - दीपिका जी आपकी शकल ही ये नौकरी पाने के लिए काफ़ी है



दीपिका सब समझ जाती है । वो हंसते हुए धीरज का धन्यवाद करती है । धीरज उसे कल से ही आने के लिए कहता है । दीपिका इससे सहमत हो जाती है और निकल जाती है । धीरज जाते जाते दीपिका की एक बार फिर से गांड घूरने लगता है । दीपिका भी पीछे मुड़के ये देख कर हस्ती है ।



१२ बजे फ़ेविकोल वालों से बातचीत में ये तैय हो जाता है कि ये कॉंट्रैक्ट संजय की कम्पनी को ही मिलेगा । संजय और गुप्ताजी ख़ुशी से उछल पड़ते है लेकिन धीरज दीपिका के मायाजाल में अभी फंशा हुआ था । संजय गुप्ताजी से कारण पूछते है । गुप्ताजी दीपिका वाली बात संजय को बता देते है ।



शाम होते ही संजय और धीरज अपने घर की तरफ़ अपनी अपनी गाड़ी लेकर निकल पड़ते है ।

।।
very nice update bhai maza aa gya ab dekhte hai ki aage kya hota hai
 
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Evanstonehot

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मज़ा आ गया भी शुरुआत में ही
कहानी को केवल एक घर तक ही सीमित रखना और घर के हर एक कार्य और त्यौहार में सेक्स का मज़ा मिलना चाहिए।
सब एक साथ जुड़ेंगे
 
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