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# 44 .
ऐमू को इस तरह से बोलते देख ना चाहते हुए भी सभी के चेहरे पर मुस्कान आ गई।
“ब्रैंडन...पहले तो शिप को उस दिशा में मोड़ने के लिए कह दो, जिधर से ये तोता........म...मेरा मतलब है कि यह ऐमू आया है।“ सुयश ने ऐमू को देखते हुए तुरंत अपनी बात सुधारी- “और हां ऐमू के खाने के लिए कुछ फल ले आओ।“
“फल नहीं खाता......ऐमू फल नहीं खाता..... फल उल्लू खाता.... ऐमू उल्लू नहीं.........मैं ऐमू.......ये ऐमू का दोस्त..... ऐमू टमाटर, मिर्ची खाता।“ ऐमू ने मुंह बनाते हुए कहा।
“अच्छा-अच्छा ! ऐमू जी के लिए टमाटर व मिर्ची भिजवा दो।“ इस बार सुयश के चेहरे पर भी मुस्कुराहट आ गई।
“अच्छा ऐमू जी, जब तक आप यहां बैठें और टमाटर मिर्ची खाएं। मैं अभी थोड़ी देर में आता हूं।“ सुयश ने ऐमू से कहा।
“जल्दी आना.....ऐमू के दोस्त...... तुम बार-बार ऐमू को छोड़ कर चले जाते हो।“
हालांकि सुयश ने ऐमू की बात सुनी जरुर, पर उसे कुछ समझ में नहीं आया कि ऐमू क्या बोल रहा है ?सुयश ऐमू को ब्रैंडन के हवाले कर, असलम को लेकर एक ओर बढ़ गया।
“कैप्टेन, मेरी समझ में नहीं आया कि आपने उस तोते की वजह से शिप क्यों मुड़वाया ?“ असलम ने चलते-चलते पूछा।
“क्यों ?“ सुयश ने ना समझने वाले भाव से कहा।
“क्यों कि कल जब आपने उस सुनहरे मानव की वजह से शिप को मुड़वाया था। तब से अभी तक हमारे ऊपर कोई मुसीबत नहीं आई है। फिर यह दोबारा से शिप को मोड़ना, मेरी समझ में नहीं आया।“ असलम ने कहा।
“तुम ऐमू को ध्यान से देखो असलम। वह कितनी साफ इंग्लिश बोलता हैं। इसका मतलब वह जिस दिशा से आया है, वहां पर सभ्य इंसान रहते हैं। इसलिए मैंने शिप को उस दिशा में मुड़वा दिया।“ सुयश ने असलम को समझाते हुए कहा।
“ठीक है कैप्टन, अगर आपने ऐसा सोचा है। तो सही ही सोचा होगा। पर जाने क्यों आज मेरा मन बहुत भारी-भारी सा हो रहा है। ऐसा लगता है जैसे आज कोई खतरनाक घटना घटने वाली है।“ असलम के चेहरे पर घबराहट साफ नजर आ रही थी।
“यह तुम्हारा भ्रम भी तो हो सकता है। अच्छा छोड़ो इस बात को।“ कहते हुए सुयश ने टॉपिक को चेंज किया- “यह बताओ कि अलबर्ट की स्थिति अब कैसी है? डॉक्टर निक्सन ने अलबर्ट के बारे में क्या बताया ?“
“अलबर्ट की स्थिति अब पहले से बहुत बेहतर है। कभी-कभी वो थोड़ा भावुक हो जाते हैं। लेकिन कोई ऐसी परेशानी की बात नहीं है। हम लोगों ने उन्हें पुरानी बातें भुलाने के लिए, उनके पुराने कमरे को बदलकर उन्हें नए कमरे में कर दिया है। आज सुबह से ही शैफाली और उसके मम्मी-पापा अलबर्ट के ही कमरे में हैं। डॉक्टर निक्सन के अनुसार भी वह पूरी तरह से नॉर्मल हैं। थोड़ी सी परेशानी उनके सिगरेट ना पीने की वजह से हुई थी क्यों कि वह काफी लंबे अरसे से सिगरेट पी रहे थे। लेकिन धीरे-धीरे वह अपने आप को कंट्रोल कर लेंगे।“ असलम ने कहा।
“चलो पहले मैं उन्हीं से मिल लूं। इसी बहाने थोड़ा उनका मन भी हल्का हो जाएगा।"
लेकिन इससे पहले की सुयश और असलम, अलबर्ट के नए कमरे की ओर बढ़ते, एक सिक्योरिटी गार्ड वहां दौड़ा-दौड़ा आया और बोला-
“कैप्टेन जल्दी चलिए, पता नहीं कैसे हमारी लैब में आग लग गई है?“
“क्या ऽऽऽ?“ सुयश ने आश्चर्य से कहा। यह खबर सुनते ही सुयश का दिमाग ब्लास्ट हो गया।
“असलम जल्दी चलो, लगता है कोई नयी मुसीबत हमारा इंतजार कर रही है।“ इतना कहकर सुयश, असलम को लेकर तेजी से लैब की ओर भागा।
चैपटर-14 6 जनवरी 2002, रविवार, 15:00;
थॉमस अपनी लैब में बैठा हुआ था। उसके बगल में रुमाल का एक ढेर लगा था। वह बार-बार अलग-अलग रुमाल उठाता और उस पर कोई केमिकल डालकर रुमाल को चेक कर रहा था। उसकी गहरी निगाहें रुमाल के ऊपर लगीं थीं।
अचानक एक रुमाल पर केमिकल डालते ही उसकी आंखें चमक उठीं। रुमाल पर कुछ छोटे-छोटे कण अब चमकने लगे थे। थॉमस ने एक बार पुनः वह रसायन उस रुमाल पर डाला और ध्यान से उसके रिएक्शन को देखने लगा। वह काले कण कुछ और ज्यादा गाढ़े हो गए।
“निश्चित ही यह बारूद के कण हैं।“ थॉमस मन ही मन बड़बड़ाया- “इसका मतलब है कि जिसने भी हॉल में लॉरेन को गोली मारी, यह रुमाल उसी का है और उसने रिवाल्वर को रुमाल से पकड़ रखा था।“
रुमाल का एक हिस्सा रिवाल्वर की नाल की वजह से थोड़ा जल भी गया था, जो अब थॉमस को साफ दिख रहा था। रुमाल से अभी भी संदल की खुशबू आ रही थी। थॉमस ने तुरंत रुमाल को उठाकर उसे पीछे पलटा। पीछे उस आदमी का नाम और रूम नंबर पड़ा था। थॉमस ने मन ही मन उस नाम को दोहराया।
“खाना खाने नहीं चलना है क्या सर?“ पीछे से उसके असिस्टेंट पीटर ने आवाज लगाई- “सभी लोग लंच के लिए जा चुके हैं, बस हम ही लोग बाकी बचे हैं।“
“2 मिनट रुक जाओ पीटर........या फिर ऐसा करो कि तुम खाने के लिए चलो, मैं बस थोड़ी ही देर में आ रहा हूं।“ थॉमस ने पीटर से कहा।
“ओ.के. सर।“ कहकर पीटर रुम से बाहर निकल गया, शायद उसे तेज भूख लगी थी।
“मुझे तुरंत कैप्टेन को कातिल का नाम बता देना चाहिए।“ थॉमस मन ही मन बड़बड़ाया।
यह सोचकर वह फोन की ओर बढ़ गया। थॉमस ने जैसे ही फोन को उठाकर अपने कान से लगाया, उसे फोन पर एक खरखराती आवाज सुनाई दी-
“तुझे अपनी जिंदगी प्यारी नहीं है क्या ? जो मेरे बारे में कैप्टन को बताने जा रहा है।“ एकदम से फोन पर आयी आवाज से थॉमस हैरान हो गया।
वह एक पल में समझ गया कि इस फोन के पैरलल में लगे किसी फोन पर कातिल मौजूद है और वह उसे भली भांति देख रहा है। यह अहसास ही उसे एक पल के लिए कंपा गया। थॉमस ने तुरंत आसपास के सभी फोन पर नजर मारी।
उसकी निगाह एक दिशा में जाकर ठहर गई। एक खंभे के पास अंधेरे में खड़ा, उसे एक साया नजर आया। जो उसी की तरफ देख रहा था। कातिल के सीधे हाथ में रिसीवर था, जो वह अपने कान पर लगाये था।
“कौन हो तुम?“ थॉमस ने हिम्मत करते हुए जोर से पूछा और फिर रिसीवर को धीरे से क्रैडल पर रख दिया।
“अभी-अभी तुमने मेरा नाम रुमाल पर से पढ़ा तो है, फिर भी भूल गए।“ कातिल की गुर्राती हुई आवाज वातावरण में गूंजी।
“तो क्या तुम......?“
“मेरा नाम लेने की कोशिश मत करो।“ कातिल ने थॉमस के शब्दों को बीच में ही काटते हुए, उसे चुप करा दिया- “क्यों कि मेरे हिसाब से हवा के भी कान होते हैं और मैं नहीं चाहता कि मेरी आवाज, मेरा नाम अभी किसी तक पहुंचे।“
“क्या चाहते हो तुम?“ थॉमस के शब्दों में भय साफ नजर आ रहा था।
“अजीब पागल हो तुम.....।“ कातिल के स्वर में खतरनाक भाव आ गये- “अब जब तुमने मेरा नाम ‘जान‘ लिया है, तो अब मैं भी तुम्हारी ‘जान‘ ही लूंगा।“
“तुम..... तुम मुझे नहीं मार सकते।“ थॉमस ने गिड़गिड़ाते हुए कहा ।
थॉमस की आँखें अब अंधेरे में भी कातिल के हाथ में थमे रिवाल्वर की स्पष्ट देख रहीं थीं। और इससे पहले कि थॉमस अपने बचाव में कुछ कर पाता, एक ‘पिट्‘ की आवाज हुई और एक गोली उसके गले में सुराख कर गई। थॉमस किसी कटे पेड़ की तरह धड़ाम से फर्श पर गिर गया। उसकी आंखों में आश्चर्य के भाव थे। शायद मरते दम तक उसे अपनी मौत पर विश्वास नहीं था।
कातिल ने रिवाल्वर की नाल से निकलते हुए धुंए को फूंक मारकर हवा में उड़ाया और फिर रिवाल्वर की नाल पर लगा साइलेंसर हटाकर, दोनों ही चीजें अपनी जेब के हवाले कर लीं। अब कातिल रुमाल के ढेर के पास पहुच गया। उसने अपनी जेब में हाथ डालकर एक लाईटर निकाल लिया। ‘खटाक‘ की आवाज के साथ लाइटर ऑन हुई और उससे निकलती हुई लौ ने तुरंत ही रुमाल के गठ्ठरों को अपने घेरे में ले लिया।
कातिल ने एक-दो जलते हुए रुमाल थॉमस के ऊपर व कुछ रुमाल कमरे में इधर-उधर फेंक दिये। धीरे-धीरे पूरे कमरे ने आग पकड़ ली। कुछ ज्वलनशील रसायनों को भी आग ने अपने घेरे में ले लिया। कातिल अब सधे कदमों से रुम के बाहर निकला और एक दिशा में चल दिया। कुछ आगे जाने पर उसकी स्पीड एका एक तेज हो गई। अब वह तेजी से चिल्ला रहा था-
“आग.....आग.....लैब में आग लग गई......गार्ड.....गार्ड..जल्दी सीजफायर लाओ।“ उसके चिल्लाते ही बहुत से लोगों का ध्यान उस ओर आकर्षित हो गया।
तब तक लैब से काला धुआं निकलने लगा था। बहुत से लोग लैब से धुंआ निकलते देख वहां पर एकत्रित हो गए। कुछ लोगों ने शीशे तोड़कर आग बुझाने के यंत्र निकाल लिए। वह सिलेण्डर हाथ में लेकर लैब में घुस गए। आग अभी इतनी ज्यादा नहीं फैली थी कि उसे बुझाया न जा सके।
धीरे-धीरे गार्ड्स ने आग पर काबू पा लिया। कातिल भी अब भीड़ में शामिल हो गया था। आग परशकंट्रोल होते देख उसके चेहरे पर एक दबी-दबी सी मुस्कान आ गयी। तभी वहां भागते हुए सुयश, असलम और ब्रैंडन दाखिल हुए।
“क्या हुआ? यह आग कैसे लग गई?“ सुयश ने एक गार्ड से पूछा।
“पता नहीं सर.......अभी इस बारे में कुछ मालूम नहीं हुआ है.... धुंआ छटे तो शायद कुछ समझ में आए।“
तभी पीटर वहां दौड़ता हुआ आया- “थॉमस सर तो ठीक हैं ना ?..... वो लैब के अंदर ही थे।“
“क्या ऽऽऽ?“ सुयश ने हैरानी से कहा। सुयश तुरंत छलांग लगाकर धुंए को हाथों से हटाता हुआ अंदर दाखिल हो गया।
धुंआ अब काफी कम हो गया था। लैब के सारे खिड़की दरवाजे खोल दिए गए और एग्जास्ट फैन चालू कर दिए गए। बामुश्किल 5 मिनट में ही धुंआ काफी हद तक छंट गया। पीटर भी अब अंदर दाखिल हो गया। तभी सुयश को दूर जमीन पर कुछ पड़ा दिखाई दिया।
पास पहुंचने पर पता चला कि वह थॉमस की लाश है। लाश बुरी तरह से जल गई थी, लेकिन फिर भी पीटर ने उसे पहचान लिया। लाश के कपड़ों से अभी भी कहीं-कहीं से धुआं निकल रहा था। धुंआ निकल जाने की वजह से अब रुम की सभी चीजें बिल्कुल साफ नजर आ रहीं थीं।
जारी रहेगा________
ऐमू को इस तरह से बोलते देख ना चाहते हुए भी सभी के चेहरे पर मुस्कान आ गई।
“ब्रैंडन...पहले तो शिप को उस दिशा में मोड़ने के लिए कह दो, जिधर से ये तोता........म...मेरा मतलब है कि यह ऐमू आया है।“ सुयश ने ऐमू को देखते हुए तुरंत अपनी बात सुधारी- “और हां ऐमू के खाने के लिए कुछ फल ले आओ।“
“फल नहीं खाता......ऐमू फल नहीं खाता..... फल उल्लू खाता.... ऐमू उल्लू नहीं.........मैं ऐमू.......ये ऐमू का दोस्त..... ऐमू टमाटर, मिर्ची खाता।“ ऐमू ने मुंह बनाते हुए कहा।
“अच्छा-अच्छा ! ऐमू जी के लिए टमाटर व मिर्ची भिजवा दो।“ इस बार सुयश के चेहरे पर भी मुस्कुराहट आ गई।
“अच्छा ऐमू जी, जब तक आप यहां बैठें और टमाटर मिर्ची खाएं। मैं अभी थोड़ी देर में आता हूं।“ सुयश ने ऐमू से कहा।
“जल्दी आना.....ऐमू के दोस्त...... तुम बार-बार ऐमू को छोड़ कर चले जाते हो।“
हालांकि सुयश ने ऐमू की बात सुनी जरुर, पर उसे कुछ समझ में नहीं आया कि ऐमू क्या बोल रहा है ?सुयश ऐमू को ब्रैंडन के हवाले कर, असलम को लेकर एक ओर बढ़ गया।
“कैप्टेन, मेरी समझ में नहीं आया कि आपने उस तोते की वजह से शिप क्यों मुड़वाया ?“ असलम ने चलते-चलते पूछा।
“क्यों ?“ सुयश ने ना समझने वाले भाव से कहा।
“क्यों कि कल जब आपने उस सुनहरे मानव की वजह से शिप को मुड़वाया था। तब से अभी तक हमारे ऊपर कोई मुसीबत नहीं आई है। फिर यह दोबारा से शिप को मोड़ना, मेरी समझ में नहीं आया।“ असलम ने कहा।
“तुम ऐमू को ध्यान से देखो असलम। वह कितनी साफ इंग्लिश बोलता हैं। इसका मतलब वह जिस दिशा से आया है, वहां पर सभ्य इंसान रहते हैं। इसलिए मैंने शिप को उस दिशा में मुड़वा दिया।“ सुयश ने असलम को समझाते हुए कहा।
“ठीक है कैप्टन, अगर आपने ऐसा सोचा है। तो सही ही सोचा होगा। पर जाने क्यों आज मेरा मन बहुत भारी-भारी सा हो रहा है। ऐसा लगता है जैसे आज कोई खतरनाक घटना घटने वाली है।“ असलम के चेहरे पर घबराहट साफ नजर आ रही थी।
“यह तुम्हारा भ्रम भी तो हो सकता है। अच्छा छोड़ो इस बात को।“ कहते हुए सुयश ने टॉपिक को चेंज किया- “यह बताओ कि अलबर्ट की स्थिति अब कैसी है? डॉक्टर निक्सन ने अलबर्ट के बारे में क्या बताया ?“
“अलबर्ट की स्थिति अब पहले से बहुत बेहतर है। कभी-कभी वो थोड़ा भावुक हो जाते हैं। लेकिन कोई ऐसी परेशानी की बात नहीं है। हम लोगों ने उन्हें पुरानी बातें भुलाने के लिए, उनके पुराने कमरे को बदलकर उन्हें नए कमरे में कर दिया है। आज सुबह से ही शैफाली और उसके मम्मी-पापा अलबर्ट के ही कमरे में हैं। डॉक्टर निक्सन के अनुसार भी वह पूरी तरह से नॉर्मल हैं। थोड़ी सी परेशानी उनके सिगरेट ना पीने की वजह से हुई थी क्यों कि वह काफी लंबे अरसे से सिगरेट पी रहे थे। लेकिन धीरे-धीरे वह अपने आप को कंट्रोल कर लेंगे।“ असलम ने कहा।
“चलो पहले मैं उन्हीं से मिल लूं। इसी बहाने थोड़ा उनका मन भी हल्का हो जाएगा।"
लेकिन इससे पहले की सुयश और असलम, अलबर्ट के नए कमरे की ओर बढ़ते, एक सिक्योरिटी गार्ड वहां दौड़ा-दौड़ा आया और बोला-
“कैप्टेन जल्दी चलिए, पता नहीं कैसे हमारी लैब में आग लग गई है?“
“क्या ऽऽऽ?“ सुयश ने आश्चर्य से कहा। यह खबर सुनते ही सुयश का दिमाग ब्लास्ट हो गया।
“असलम जल्दी चलो, लगता है कोई नयी मुसीबत हमारा इंतजार कर रही है।“ इतना कहकर सुयश, असलम को लेकर तेजी से लैब की ओर भागा।
चैपटर-14 6 जनवरी 2002, रविवार, 15:00;
थॉमस अपनी लैब में बैठा हुआ था। उसके बगल में रुमाल का एक ढेर लगा था। वह बार-बार अलग-अलग रुमाल उठाता और उस पर कोई केमिकल डालकर रुमाल को चेक कर रहा था। उसकी गहरी निगाहें रुमाल के ऊपर लगीं थीं।
अचानक एक रुमाल पर केमिकल डालते ही उसकी आंखें चमक उठीं। रुमाल पर कुछ छोटे-छोटे कण अब चमकने लगे थे। थॉमस ने एक बार पुनः वह रसायन उस रुमाल पर डाला और ध्यान से उसके रिएक्शन को देखने लगा। वह काले कण कुछ और ज्यादा गाढ़े हो गए।
“निश्चित ही यह बारूद के कण हैं।“ थॉमस मन ही मन बड़बड़ाया- “इसका मतलब है कि जिसने भी हॉल में लॉरेन को गोली मारी, यह रुमाल उसी का है और उसने रिवाल्वर को रुमाल से पकड़ रखा था।“
रुमाल का एक हिस्सा रिवाल्वर की नाल की वजह से थोड़ा जल भी गया था, जो अब थॉमस को साफ दिख रहा था। रुमाल से अभी भी संदल की खुशबू आ रही थी। थॉमस ने तुरंत रुमाल को उठाकर उसे पीछे पलटा। पीछे उस आदमी का नाम और रूम नंबर पड़ा था। थॉमस ने मन ही मन उस नाम को दोहराया।
“खाना खाने नहीं चलना है क्या सर?“ पीछे से उसके असिस्टेंट पीटर ने आवाज लगाई- “सभी लोग लंच के लिए जा चुके हैं, बस हम ही लोग बाकी बचे हैं।“
“2 मिनट रुक जाओ पीटर........या फिर ऐसा करो कि तुम खाने के लिए चलो, मैं बस थोड़ी ही देर में आ रहा हूं।“ थॉमस ने पीटर से कहा।
“ओ.के. सर।“ कहकर पीटर रुम से बाहर निकल गया, शायद उसे तेज भूख लगी थी।
“मुझे तुरंत कैप्टेन को कातिल का नाम बता देना चाहिए।“ थॉमस मन ही मन बड़बड़ाया।
यह सोचकर वह फोन की ओर बढ़ गया। थॉमस ने जैसे ही फोन को उठाकर अपने कान से लगाया, उसे फोन पर एक खरखराती आवाज सुनाई दी-
“तुझे अपनी जिंदगी प्यारी नहीं है क्या ? जो मेरे बारे में कैप्टन को बताने जा रहा है।“ एकदम से फोन पर आयी आवाज से थॉमस हैरान हो गया।
वह एक पल में समझ गया कि इस फोन के पैरलल में लगे किसी फोन पर कातिल मौजूद है और वह उसे भली भांति देख रहा है। यह अहसास ही उसे एक पल के लिए कंपा गया। थॉमस ने तुरंत आसपास के सभी फोन पर नजर मारी।
उसकी निगाह एक दिशा में जाकर ठहर गई। एक खंभे के पास अंधेरे में खड़ा, उसे एक साया नजर आया। जो उसी की तरफ देख रहा था। कातिल के सीधे हाथ में रिसीवर था, जो वह अपने कान पर लगाये था।
“कौन हो तुम?“ थॉमस ने हिम्मत करते हुए जोर से पूछा और फिर रिसीवर को धीरे से क्रैडल पर रख दिया।
“अभी-अभी तुमने मेरा नाम रुमाल पर से पढ़ा तो है, फिर भी भूल गए।“ कातिल की गुर्राती हुई आवाज वातावरण में गूंजी।
“तो क्या तुम......?“
“मेरा नाम लेने की कोशिश मत करो।“ कातिल ने थॉमस के शब्दों को बीच में ही काटते हुए, उसे चुप करा दिया- “क्यों कि मेरे हिसाब से हवा के भी कान होते हैं और मैं नहीं चाहता कि मेरी आवाज, मेरा नाम अभी किसी तक पहुंचे।“
“क्या चाहते हो तुम?“ थॉमस के शब्दों में भय साफ नजर आ रहा था।
“अजीब पागल हो तुम.....।“ कातिल के स्वर में खतरनाक भाव आ गये- “अब जब तुमने मेरा नाम ‘जान‘ लिया है, तो अब मैं भी तुम्हारी ‘जान‘ ही लूंगा।“
“तुम..... तुम मुझे नहीं मार सकते।“ थॉमस ने गिड़गिड़ाते हुए कहा ।
थॉमस की आँखें अब अंधेरे में भी कातिल के हाथ में थमे रिवाल्वर की स्पष्ट देख रहीं थीं। और इससे पहले कि थॉमस अपने बचाव में कुछ कर पाता, एक ‘पिट्‘ की आवाज हुई और एक गोली उसके गले में सुराख कर गई। थॉमस किसी कटे पेड़ की तरह धड़ाम से फर्श पर गिर गया। उसकी आंखों में आश्चर्य के भाव थे। शायद मरते दम तक उसे अपनी मौत पर विश्वास नहीं था।
कातिल ने रिवाल्वर की नाल से निकलते हुए धुंए को फूंक मारकर हवा में उड़ाया और फिर रिवाल्वर की नाल पर लगा साइलेंसर हटाकर, दोनों ही चीजें अपनी जेब के हवाले कर लीं। अब कातिल रुमाल के ढेर के पास पहुच गया। उसने अपनी जेब में हाथ डालकर एक लाईटर निकाल लिया। ‘खटाक‘ की आवाज के साथ लाइटर ऑन हुई और उससे निकलती हुई लौ ने तुरंत ही रुमाल के गठ्ठरों को अपने घेरे में ले लिया।
कातिल ने एक-दो जलते हुए रुमाल थॉमस के ऊपर व कुछ रुमाल कमरे में इधर-उधर फेंक दिये। धीरे-धीरे पूरे कमरे ने आग पकड़ ली। कुछ ज्वलनशील रसायनों को भी आग ने अपने घेरे में ले लिया। कातिल अब सधे कदमों से रुम के बाहर निकला और एक दिशा में चल दिया। कुछ आगे जाने पर उसकी स्पीड एका एक तेज हो गई। अब वह तेजी से चिल्ला रहा था-
“आग.....आग.....लैब में आग लग गई......गार्ड.....गार्ड..जल्दी सीजफायर लाओ।“ उसके चिल्लाते ही बहुत से लोगों का ध्यान उस ओर आकर्षित हो गया।
तब तक लैब से काला धुआं निकलने लगा था। बहुत से लोग लैब से धुंआ निकलते देख वहां पर एकत्रित हो गए। कुछ लोगों ने शीशे तोड़कर आग बुझाने के यंत्र निकाल लिए। वह सिलेण्डर हाथ में लेकर लैब में घुस गए। आग अभी इतनी ज्यादा नहीं फैली थी कि उसे बुझाया न जा सके।
धीरे-धीरे गार्ड्स ने आग पर काबू पा लिया। कातिल भी अब भीड़ में शामिल हो गया था। आग परशकंट्रोल होते देख उसके चेहरे पर एक दबी-दबी सी मुस्कान आ गयी। तभी वहां भागते हुए सुयश, असलम और ब्रैंडन दाखिल हुए।
“क्या हुआ? यह आग कैसे लग गई?“ सुयश ने एक गार्ड से पूछा।
“पता नहीं सर.......अभी इस बारे में कुछ मालूम नहीं हुआ है.... धुंआ छटे तो शायद कुछ समझ में आए।“
तभी पीटर वहां दौड़ता हुआ आया- “थॉमस सर तो ठीक हैं ना ?..... वो लैब के अंदर ही थे।“
“क्या ऽऽऽ?“ सुयश ने हैरानी से कहा। सुयश तुरंत छलांग लगाकर धुंए को हाथों से हटाता हुआ अंदर दाखिल हो गया।
धुंआ अब काफी कम हो गया था। लैब के सारे खिड़की दरवाजे खोल दिए गए और एग्जास्ट फैन चालू कर दिए गए। बामुश्किल 5 मिनट में ही धुंआ काफी हद तक छंट गया। पीटर भी अब अंदर दाखिल हो गया। तभी सुयश को दूर जमीन पर कुछ पड़ा दिखाई दिया।
पास पहुंचने पर पता चला कि वह थॉमस की लाश है। लाश बुरी तरह से जल गई थी, लेकिन फिर भी पीटर ने उसे पहचान लिया। लाश के कपड़ों से अभी भी कहीं-कहीं से धुआं निकल रहा था। धुंआ निकल जाने की वजह से अब रुम की सभी चीजें बिल्कुल साफ नजर आ रहीं थीं।
जारी रहेगा________