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Sexul to sach me nahi haiकामदेव भाई ,
टल्ली होने का टाइम शाम सात बजे के बाद होता है जब कि मेरा यह पोस्ट दिन मे ही हुआ था ।
वैसे भी दो घूंट पीने के बाद कुछ ज्यादा ही होश मे आ जाता हूं मै ।
" निगाहें " फिल्म के जिस गीत की बात कर रहा हूं वह मेरे सोच के हिसाब से शैफाली पर सही बैठता है । आखिर वह अपने घर ही तो आई है । झाड़ और जंगल उसे अपने आगोश मे लेते हैं और उसकी आंखे ठीक हो जाती है ।
( इस गीत को सुनिएगा )
नयनतारा , नो डाऊट हंसी-मजाक मे कहा था , क्योंकि
हर वक्त सीरियस नही हुआ जाता । वैसे यह अभिनेत्री न सिर्फ खुबसूरत है बल्कि इनकी एक्टिंग भी अद्भुत है ।
फिल्मों का रसिया रहा हूं मै ।
पंडित जी की यह कहानी , वास्तव मे उन दिनों की याद दिला रही है जब मै अपने दादा जी , पिता जी और चाचा जी के गोद मे लेटकर सुना करता था ।
पंडित जी की इस कहानी मे कोई सेक्सुअल पहलू नही है और जब कोई सेक्सुअल पहलू नही है तो समीक्षा मे सेक्सुअल रिव्यू कैसे आ सकता !![]()




Aur ye to meri sabse badi story hogi,

