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Sexul to sach me nahi haiकामदेव भाई ,
टल्ली होने का टाइम शाम सात बजे के बाद होता है जब कि मेरा यह पोस्ट दिन मे ही हुआ था ।
वैसे भी दो घूंट पीने के बाद कुछ ज्यादा ही होश मे आ जाता हूं मै ।
" निगाहें " फिल्म के जिस गीत की बात कर रहा हूं वह मेरे सोच के हिसाब से शैफाली पर सही बैठता है । आखिर वह अपने घर ही तो आई है । झाड़ और जंगल उसे अपने आगोश मे लेते हैं और उसकी आंखे ठीक हो जाती है ।
( इस गीत को सुनिएगा )
नयनतारा , नो डाऊट हंसी-मजाक मे कहा था , क्योंकि
हर वक्त सीरियस नही हुआ जाता । वैसे यह अभिनेत्री न सिर्फ खुबसूरत है बल्कि इनकी एक्टिंग भी अद्भुत है ।
फिल्मों का रसिया रहा हूं मै ।
पंडित जी की यह कहानी , वास्तव मे उन दिनों की याद दिला रही है जब मै अपने दादा जी , पिता जी और चाचा जी के गोद मे लेटकर सुना करता था ।
पंडित जी की इस कहानी मे कोई सेक्सुअल पहलू नही है और जब कोई सेक्सुअल पहलू नही है तो समीक्षा मे सेक्सुअल रिव्यू कैसे आ सकता !![]()
Tum dono hi kaafi bade rasiya lag rahe ho sukhi bhaiyaमें भी मजा ही ले रहा था
गाना मुझे शैफाली की बजाय शलाका पर याद आ रहा है
"मेरे घर आई एक नन्ही परी"
और फिल्मों का मैं भी बहुत बड़ा शौकीन हूं..... नयनतारा की बात करुं तो अभी शाम को जी सिनेमा पर 'हकले' की घटिया फिल्म 'जवान' आ रही थी, देखने लगा सिर्फ इसलिए क्योंकि उस कीचड़ में 'नयनतारा' हां जी अपनी नयनतारा....कमल की तरह खिली हुई थी
![]()
ये रिव्यू नहीं लगा क्या आपको?Ek review to diya nahi aur itna bada reply easily de diya
![]()
इतनी तो तारीफ कर दी बल्कि तारीफों के पुल बांध दिएराज शर्मा भाई ने ऐसी कहानी लिखी है जिसका रिव्यू लिखना मुश्किल हो रहा है मुझे.... कहानी में चमत्कार की वजह से संभावना व्यक्त कर पाना तो संभव ही नहीं ......और लिखी हुई घटनाओं को दूसरे शब्दों में लिखना मुझे पसन्द नहीं
बस इतना है कि बहुत दिन बाद ऐसी कहानी पढ़ने को मिली जो कल्पना से परे है, वरना तो सत्य घटनाएं ही कल्पनातीत मानी जाती हैं...... इसलिए मन लगाकर कहानी पढ़ने में लगा रहता हूं![]()
भाई आप सबके शब्दों से ही मुझे प्रेरणा मिलती है।यह मायावी नगरी जिस तरह से शेफाली पर मेहरबान है, उसको देख कर युगाका का चकित होना यह दर्शाता है कि कम से कम उसने तो शेफाली / सुप्रीम को यहाँ नहीं बुलाया।
शायद कलाट ने बुलाया हो? या किसी अन्य ने? लेकिन इतना तो है कि शेफाली इस द्वीप और सभ्यता से कनेक्टेड है। वो क्या माइकल और मार्था वाक़ई उसके असली माँ बाप हैं?
अच्छी बात यह है कि उसको दृष्टि मिल गई है अब। विलक्षण प्रतिभा की धनी वो पहले से ही थी, लिहाज़ा, यह नई शक्ति पा कर वो अब न जाने क्या क्या करेगी! शायद युगाका ने ही उसको यहाँ लाया हुआ हो, क्योंकि वो एक वैज्ञानिक और आविष्कारक है। अपने किसी आविष्कार का इस्तेमाल कर के वो शेफाली से बात करता होगा… उसको उकसाता होगा कि अब ये करो। देखा नहीं, कि कैसे वो स्वतः ही उस नयनतारा वृक्ष के निकट चली गई!
गुरूदेव पहली बात तो ये है की सुयश मर नही सकतालेकिन उसका कोई ख़ास लाभ नहीं हुआ - सुयश अब ख़तरे में पड़ा हुआ लग रहा है। शलाका देवी का ‘भाई’ इस सुयश की माँ बहन करने ही वाला है। अगर उसको कोई बचा सकता है तो या तो युगाका या फिर शेफ़ाली। वैसे, इवान के पास तो अग्नि की शक्ति है… तो ये चुम्बकीय शक्ति का मुज़ाहिरा क्यों हो रहा है?
उधर वेगा को ज़ोडिएक घड़ी मिल गई है। उसका और वीनस का क्या लफड़ा है, समझ में नहीं आ रहा है। वैसे भी इस कहानी में जिस तरह से थोक के भाव लोगों की बलि चढ़ रही है, उसके हिसाब से बता पाना मुश्किल ही है कि किस किरदार में मन लगाया जाए! अब देखिये न, अपने पुरुष ‘मिस मार्पल’ की बत्ती लगने ही वाली है, इवान भैया के हाथों, या जो भी वो इस्तेमाल करते हैं…
आश्चर्य इस बात को जान कर भी हुआ कि शलाका का मंदिर है वहाँ, क्लिटो का नहीं। नई देवी के मिलते ही लोग पुरानी देवी को भूल गए।
बहुत ही रोमाँचक चल रही है कहानी भाई Raj_sharma. Keep it up!![]()
Chaliye Aap sabke liye Aaj Raat ko hi agla update post kar deta hu, mujhe lagta hai wo padh kar aapko aage ki hints mil jaayegiयह मायावी नगरी जिस तरह से शेफाली पर मेहरबान है, उसको देख कर युगाका का चकित होना यह दर्शाता है कि कम से कम उसने तो शेफाली / सुप्रीम को यहाँ नहीं बुलाया।
शायद कलाट ने बुलाया हो? या किसी अन्य ने? लेकिन इतना तो है कि शेफाली इस द्वीप और सभ्यता से कनेक्टेड है। वो क्या माइकल और मार्था वाक़ई उसके असली माँ बाप हैं?
अच्छी बात यह है कि उसको दृष्टि मिल गई है अब। विलक्षण प्रतिभा की धनी वो पहले से ही थी, लिहाज़ा, यह नई शक्ति पा कर वो अब न जाने क्या क्या करेगी! शायद युगाका ने ही उसको यहाँ लाया हुआ हो, क्योंकि वो एक वैज्ञानिक और आविष्कारक है। अपने किसी आविष्कार का इस्तेमाल कर के वो शेफाली से बात करता होगा… उसको उकसाता होगा कि अब ये करो। देखा नहीं, कि कैसे वो स्वतः ही उस नयनतारा वृक्ष के निकट चली गई!
लेकिन उसका कोई ख़ास लाभ नहीं हुआ - सुयश अब ख़तरे में पड़ा हुआ लग रहा है। शलाका देवी का ‘भाई’ इस सुयश की माँ बहन करने ही वाला है। अगर उसको कोई बचा सकता है तो या तो युगाका या फिर शेफ़ाली। वैसे, इवान के पास तो अग्नि की शक्ति है… तो ये चुम्बकीय शक्ति का मुज़ाहिरा क्यों हो रहा है?
उधर वेगा को ज़ोडिएक घड़ी मिल गई है। उसका और वीनस का क्या लफड़ा है, समझ में नहीं आ रहा है। वैसे भी इस कहानी में जिस तरह से थोक के भाव लोगों की बलि चढ़ रही है, उसके हिसाब से बता पाना मुश्किल ही है कि किस किरदार में मन लगाया जाए! अब देखिये न, अपने पुरुष ‘मिस मार्पल’ की बत्ती लगने ही वाली है, इवान भैया के हाथों, या जो भी वो इस्तेमाल करते हैं…
आश्चर्य इस बात को जान कर भी हुआ कि शलाका का मंदिर है वहाँ, क्लिटो का नहीं। नई देवी के मिलते ही लोग पुरानी देवी को भूल गए।
बहुत ही रोमाँचक चल रही है कहानी भाई Raj_sharma. Keep it up!![]()
#70.
चैपटर-5 (शलाका मंदिर)
(8 जनवरी 2002, मंगलवार, 12:30, मायावन, अराका द्वीप)
सूर्य अब सिर पर चढ़ आया था। पर कोई रुकने का नाम ही नहीं ले रहा था। सभी विचित्र से पेड़-पौधो को देखते हुए आगे बढ़ रहे थे। पीठ पर लदे बैग को सभी आदमी बारी-बारी से उठा रहे थे।
सुबह से दोपहर होने को आ गयी थी मगर कोई भी विचित्र घटना नहीं घटी थी।
“लगता है इस जंगल का कहीं अंत नहीं है?" जॉनी ने अपने होंठ पर जीभ फिराते हुए कहा- “कहीं चलते-चलते ही ना मर जाएं।"
“मर जा!" जैक ने मजा लेते हुए कहा- “वैसे भी अब तेरी जिंदगी में रखा क्या है?"
“खोपड़ी मत चाट।" जॉनी अब थोड़ा झुंझला कर बोला- “एक तो वैसे ही शराब ना मिलने से मेरे तो सिर में दर्द भी होने लगा है, जी चाहता है किसी पत्थर पर अपना सिर मार लूं।"
“ये आइिडया भी बुरा नहीं है। जा पत्थर मार कर फोड़ ले अपना सिर।" जैक तो जैसे जॉनी के पीछे ही पड़ गया था- “थोड़ा खून निकलते ही तुझे शांति मिल जायेगी।"
यह सुनते ही जॉनी ने सच में रास्ते में पड़ा एक पत्थर उठा लिया।
“अरे-अरे, क्या कर रहा है नशेड़ी?" जैक ने जॉनी को पत्थर उठाते देख चीख कर कहा- “मैं तो मजाक कर रहा था। तू इसे सच समझ बैठा क्या?"
“मैं कौन सा सीरियस हुं।" जॉनी ने भी ‘ही-ही’ करते हुए अपने दाँत चमकाये।
यह कहकर जॉनी ने पत्थर को पास के एक पेड़ पर जोर से मार दिया। पेड़ पर जहां पत्थर लगा था अचानक एलेक्स की निगाह उधर गई।
“यह तीर का निशान कैसा?" एलेक्स ने सबका ध्यान पेड़ पर उस निशान की ओर ले जाते हुए कहा।
एलेक्स के शब्द सुन अब सबकी निगाह उस पेड़ पर गयी। पेड़ पर सफेद रंग से एक तीर का निशान बना दिखाई दे रहा था। यह देख सभी पेड़ के पास पहुंच गये।
वह सफेद तीर का निशान बांयी तरफ जाने का इशारा कर रहा था। उस तीर के निशान के नीचे कुछ ना समझ में आने वाली कूट भाषा में लिखा भी था।
कूट भाषा को देख सभी की निगाहें स्वतः शैफाली की ओर चली गयी।
“क्या तुम इन निशानो को भी जानती हो शैफाली?" सुयश ने शैफाली की ओर देखते हुए पूछा।
“हां कैप्टन अंकल। मैं तीर के नीचे लिखी भाषा को पढ़ सकती हुं।" शैफाली ने पेड़ की ओर देखते हुए कहा- “इस पर लिखा है- “शलाका मंदिर!“
“शलाका मंदिर!“ सभी ने मन ही मन बुदबुदाया।
“लगता है इस द्वीप पर रहने वाले लोगों की देवी का नाम शलाका है।“ क्रिस्टी ने कहा- “और यह तीर बताता है की अवश्य ही आगे कहीं पर देवी शलाका का मंदिर है।“
“फ़िर तो हमें अवश्य ही उस दिशा में चलना चाहिए।“ अल्बर्ट ने कहा- “शायद वहां पर कोई इंसान भी हमें मिल जाए? और उसे इस द्वीप से निकलने का कोई रास्ता भी पता हो?“
अल्बर्ट की बात सभी को सही लगी अतः वह सभी उस तीर की दिशा में चल दिये।
सभी सावधानीपूर्वक इधर-उधर देखते हुए अपने कदम बढ़ा रहे थे।
“वो देखो सामने।“ जेनिथ ने सभी को एक दिशा की ओर इशारा करते हुए कहा- “वहां पर एक और तीर बना है। वह तीर भी पिछले वाले तीर के जैसा ही है।"
जेनिथ की बात सुनकर सभी की निगाहें सामने बने तीर की ओर गयी। सभी लोग दूसरे बने तीर के हिसाब से फ़िर से मुड़ गये।
ये सभी इस बात से बेखबर थे की एक रहस्यमय साया काफ़ी देर से इनका पीछा कर रहा था जो निश्चय ही युगाका का था।
युगाका के चलने से, उसके पैरों से बिल्कुल भी आवाज नही हो रही थी।
रास्ते में कई और तीर के निशान मिले जिसका पीछा करते हुए सभी लोग एक विशालकाय मंदिर के पास पहुंच गये।
मंदिर इतना विशालकाय था कि उसे पूरा घूमने में 4 से 5 घंटे का समय लग जाता। मंदिर सुनहरे पत्थर और धातु से बना था।
ऐसा लग रहा था जैसे किसी विशालकाय पहाड़ को काटकर वह मंदिर बनाया गया था।
दूर से देखने पर मंदिर की बनावट लगभग किसी हि..दू मंदिर के जैसी लग रही थी।
मंदिर के मुख्य मंडप के शीर्ष पर नटराज का एक चित्र उकेरा था। मुख्य मंडप के अगल-बगल 2 विशाल आदमकद मूर्तियाँ लगी थी।
मंदिर के पिछले हिस्से में 2 धातुओं के विशालकाय खंभे बने थे, जिन पर विचित्र सी आकृतियां बनी थी
और अजीब सी भाषा में कुछ लिखा हुआ था।
मंदिर के मुख्य मंडप में जाने के लिये लगभग 25 सीढ़ियाँ बनी हुई थी।
“यह तो कोई हि..दू मंदिर लग रहा है?" सुयश ने मंदिर को देखते हुए कहा- “और इसकी बनावट से लग रहा है की यह सैकडो साल पुराना है। इतना प्राचीन और भव्य मंदिर किसने इस जंगल में बनवाया होगा?"
सभी चमतकृत होकर इस भव्य मंदिर को निहार रहे थे।
“तो क्या देवी शलाका कोई हिं..दू देवी है?" जेनिथ ने सुयश की ओर देखते हुए पूछ लिया- “परंतु यह मंदिर तो भारत से हजारों किलोमीटर दूर है।"
“इंडिया की सभ्यता भी हजारो साल पुरानी है, हो सकता है इस द्वीप पर पहले कोई इंडियन रहता हो?" अल्बर्ट ने कहा।
सुयश ने अपने जूतों को सीढ़ियो के नीचे ही उतारा और नंगे पैर ही सीढ़ियाँ चढ़ने लगा। सुयश को ऐसा करते देख सभी ने अपने जूते सीढ़ियो के नीचे ही उतार दिये और सुयश के पीछे-पीछे चल पड़े।
मंदिर का मुख्य मंडप काफ़ी ऊंचा बना था। मुख्य मंडप के बीच का भाग, एक 10 मीटर त्रिज्या के घेरे में, 7 ऊंचे-ऊंचे स्तंभो से घिरा था। उन सातों खंभो पर एक-एक योद्धा का चित्र बना था। हर योद्धा अपने हाथो में एक खतरनाक अस्त्र पकड़े हुए था।
उन खंभो के बीचोबीच में एक पत्थर का चबूतरा बना था, जिस पर एक 6 फुट ऊंची संगमरमर की किसी देवी की प्रतिमा लगी थी।
उस प्रतिमा के चारो तरफ 7 फुट ऊंचे गोलाकार आकृती में पेड़ लगे थे, जो चारो तरफ से प्रतिमा के ऊपर झुके हुए थे। पेड़ो के ऊपर झुके होने की वजह से उस प्रतिमा का चेहरा साफ नजर नहीं आ रहा था।
शैफाली पहले घूम-घूम कर खंभे पर बने योद्धाओ को देखने लगी।
“ये कैसे योद्धा है ? और इन खंभो पर क्या लिखा है शैफाली?" अल्बर्ट ने शैफाली की ओर देखते हुए पूछा।
“देवी शलाका के 7 भाई है। हर एक खंभा एक भाई का प्रतीक है।" शैफाली ने खंभो की ओर देखते हुए कहा- “और हर एक भाई के पास एक तत्व की शक्ति है।"
“पर यह तो 7 है। हमने तो सिर्फ पंच-तत्व के बारे में सुन रखा है, यह बाकी के 2 तत्व क्या है?" सुयश ने शैफाली से पूछा।
“यह पहले भाई का खंभा है। इस भाई का नाम ‘इवान’ है, इसके पास ‘अग्नि’ की शक्तियां है।" शैफाली ने पहले खंभे की ओर देखते हुए कहा।
सभी की नजर उस खंभे की ओर गयी, जिस पर इवान कोई अग्नि का हथियार हाथ में पकड़े दिखाई दे रहा था। इसके बाद शैफाली दूसरे खंभे के पास जाकर खड़ी हो गयी और सबके पास आने का इंतजार करने लगी।
“यह देवी शलाका का दूसरा भाई ‘ओरियन’ है, इसके पास ‘वायु’ की शक्तियां है।" यह बोल शैफाली किसी गाइड की तरह तीसरे खंभे के पास पहुंच गयी।
सभी फ़िर से शैफाली के पास आ गये।
“यह तीसरा भाई ‘डोरिक्स’ है, इसके पास ‘जल’ की शक्तियां है, फ़िर चौथा भाई ‘कैलीक्स’ है, जिसके पास ‘पृथ्वी’ की शक्तियां है, फ़िर पांचवे भाई का नाम ‘नेरिस’ है, जिसके पास ‘आकाश’ की शक्तियां है, फ़िर छठा भाई ‘डेल्फी’ जिसके पास ‘ध्वनि’ की शक्तियां है और आख़िर में सातवां भाई ‘नियो’ जिसके पास ‘प्रकाश’ की शक्तियां है।"
सभी मंत्रमुग्ध से शैफाली के शब्द सुनते हुए खंभो को देख रहे थे।
उधर मंदिर के द्वार पर छिपा युगाका भी आश्चर्य से शैफाली को खंभो पर लिखी विवरण को पढ़ते हुए देख रहा था। उसे समझ में नहीं आ रहा था कि शैफाली ‘एरकान’ भाषा को कैसे पढ़ सकती है? वो तो ‘अटलांटियन’ है ही नहीं।"
“अच्छा तो यहां पर ‘ध्वनि’ और ‘प्रकाश’ को 2 तत्व और माना गया है।" सुयश ने कहा।
“इसका मतलब सामने चबूतरे पर खड़ी प्रतिमा जरूर शलाका की होगी? जिसे सातो भाइयो ने अपने बीच सुरक्षित रखा है।" क्रिस्टी ने मंदिर के बीच में खड़ी प्रतिमा को देखते हुए कहा।
अब सभी का ध्यान उस प्रतिमा की ओर गया। जो आधा पेड़ से ढकी होने की वजह से नजर नहीं आ रही थी।
“कैप्टन, जरा ध्यान दीजिये।" ब्रेंडन ने कहा- “उस प्रतिमा तक जाने के रास्ते में जमीन पर 7 वर्गाकार
सफेद पत्थर है। कहीं ये भी सात भाइयो के प्रतीक तो नहीं है?"
सुयश ने ध्यान से उन पत्थरो को देखा और कुछ सोचने के बाद पहले पत्थर पर कदम रख दिया।
सुयश के पहले पत्थर पर पैर रखते ही पहला पत्थर बैंगनी रंग से चमकने लगा और इसी के साथ पहले भाई ‘इवान’ का खंभा भी बैंगनी रंग का हो गया।
इसी के साथ उस खंभे से एक बैंगनी रंग की किरण निकली और शलाका की प्रतिमा को घेरे एक पेड़ पर पड़ी। रोशनी के पड़ते ही प्रतिमा के पास लगा वह पेड़ सीधा हो गया। उस पेड़ पर अब बैंगनी रंग के फूल दिखाई देने लगे।
यह देखकर असलम चीख उठा- “रुक जाइये कैप्टन। मुझे यहां पर कोई खतरा दिख रहा है? अब आप आगे मत बढिये।"
“असलम सर सही कह रहे है कैप्टन।" ब्रेंडन ने भी असलम की बात में अपनी सहमित जताई-
“आप वापस आ जाइये।"
सबको चिल्लाते देख सुयश ने अपना कदम पीछे की तरफ करना चाहा, सुयश का पैर पत्थर से उठा तो पर वह पीछे की तरफ नहीं गया। यह देख सुयश ने थोड़ा और ताकत लगायी, पर नतीजा वही रहा। सुयश पीछे ना जा सका।
“प्रोफेसर, मैं पीछे नहीं आ पा रहा।" सुयश ने अल्बर्ट की ओर देखते हुए कहा- “शायद यहां कोई ऐसी अदृश्य ताकत है जो मुझे पीछे नहीं जाने दे रही है।"
जारी रहेगा________![]()
Shaandar jabardast Romanchak Update#69.
तौफीक ने यह देख तुरंत चाकू को नीचे फेका और बिना अपनी जान की परवाह किये, भागकर शैफाली को उठाकर पेड़ से दूर चला गया। अब सभी भागकर शैफाली के करीब आ गये।
“तुम ठीक तो हो ना?" अल्बर्ट ने शैफाली के सिर पर हाथ फेरते हुए पूछा।
“ग्रैंड अंकल, मेरी आँखो में बहुत तेज जलन हो रही है।" शैफाली ने अल्बर्ट की आवाज और उसके स्पर्श को पहचान लिया।
“धीरे-धीरे अपनी आँखो को खोलने की कोशिश करो। मैं तुम्हारी आँखें देखने के बाद ही बता पाऊंगा कि क्या परेशानी हुई है।" अल्बर्ट के शब्दो में प्यार और दर्द की साफ झलक मिल रही थी।
अल्बर्ट के शब्द सुन शैफाली ने धीरे-धीरे अपनी आँखो को खोलना शुरू कर दिया।
आँखें खुलने के बाद शैफाली ने फ़िर मिचमिचाकर अपनी आँखें बंद कर ली।
लेकिन तुरंत ही शैफाली ने अपनी आँखें दोबारा खोल दी। इसी के साथ वह खुशी से चीख पड़ी-
“ग्रैंड अंकल ... ग्रैंड अंकल ... मेरी आँखें ठीक हो गयी। मैं ... मैं अब देख सकती हू ... मुझे अब सबकुछ दिखाई दे रहा है।"
यह सुन सभी भोचक्के से खड़े रह गये।
“ये ... ये कैसे संभव है?" सुयश के स्वर में दुनियां भर का आश्चर्य दिख रहा था- 4a“जन्म से अंधे व्यक्ती की आँखें अपने आप कैसे आ सकती है?"
उधर शैफाली अल्बर्ट के गले लगी हुई ऐसे चारो तरफ का दृश्य देखने लगी मानो वह एक पल में दुनियां की हर चीज देख लेना चाहती हो।
शैफाली के चेहरे पर खुशी ही खुशी नजर आ रही थी। अब ब्रूनो भी शैफाली के पास आ गया था और प्यार से उसका हाथ चाट रहा था।
शैफाली ने खुशी से बारी-बारी सबको देखा और सूंघकर सबका नाम बताया। लगभग 10 मिनट तक यह खुशी का सेलिब्रेसन चलता रहा।
अब अल्बर्ट से ना रहा गया। वह धीरे-धीरे उस झाड़ीनुमा पेड़ के पास पहुंच गया।
सभी का ध्यान अब अल्बर्ट पर था। शैफाली भी पेड़ के पास पहुंच गयी।
कुछ सोचकर शैफाली ने एक कदम आगे बढ़ाया। शैफाली को पास आता देख पेड़ की लताएं पुनः हिली, पर इस बार उसने शैफाली को नहीं पकड़ा, बल्कि उसे प्यार से सहलाने लगी।
यह देख डरते-डरते अल्बर्ट ने भी अपना दाहिना हाथ आगे बढ़ाया, पर पेड़ ने अल्बर्ट को भी कुछ नहीं कहा। यह देख अल्बर्ट ने पेड़ से 2 फल तोड़ लिये।
“इस फल का क्या करेंगे प्रोफेसर?" ब्रेंडन ने अल्बर्ट से पूछा।
“मुझे भी अभी पता नहीं है।" अल्बर्ट ने एक गहरी साँस लेते हुए कहा- “पर अगर मैं कभी भी अपनी दुनियां में वापस पहुंचा, तो सबको यह फल जरूर दिखाऊंगा और बताऊंगा की कैसे इस फल ने एक जन्म से अंधी लड़की की आँखें सही कर दी।"
“प्रोफेसर!" तौफीक ने आगे बढ़कर अल्बर्ट से पूछा- “क्या आपने ऐसे किसी पेड़ का जिक्र कहीं सुना है?"
“नहीं!" अल्बर्ट ने जवाब दिया- “मैंने ऐसे किसी पेड़ का जिक्र कहीं नहीं सुना। वैसे बच्चे की तरह रोने
वाला पेड़ तो अफ़्रीका में पाया जाता है, जिसे ‘मेंड्रेक’ कहते है। मगर इस पौधे से तो हंसने, रोने और चिल्लाने की भी आवाज आ नहीं थी और ऐसा पेड़ तो कभी नहीं सुना जो किसी जन्म से अंधे व्यक्ति को आँख दे सकता हो।"
“कैप्टन!" इस बार असलम ने कहा- “मुझे तो लगता है की यहां सबकुछ ‘अपग्रेडेड’ है। मतलब हमारी दुनियां से 10 गुना ज्यादा ताकतवर और विकसित।"
“तुम सही कह रहे हो असलम।" सुयश ने भी असलम की बात पर हामी भरते हुए कहा।
“कैप्टन ।" एलेक्स ने सुयश को देखते हुए कहा- “एक बात समझ में नही आयी की ब्रूनो ने शैफाली को रोका क्यों नहीं था? क्या उसे यह अहसास हो गया था की यह पेड़ शैफाली का कोई आहित नहीं करेगा।"
“हो सकता है।" सुयश ने ब्रूनो के सिर पर हाथ फेरते हुए कहा- “वैसे पहले भी ब्रूनो ने शैफाली की जान बचाई थी। वैसे शैफाली तुम यह बताओ कि सबके पुकारने पर भी तुम रुक क्यों नहीं रही थी?"
“अंकल, उस समय जब आप सभी लोग आपस में बात कर रहे थे, तभी मेरे कानो में एक अद्रस्य आवाज सुनाई दी थी। मुझे ऐसा लगा कि जैसे किसी ने मेरे कानो में ‘नयनतारा’ शब्द बोला था। उसके बाद का मुझे कुछ याद नहीं है। इसके बाद मुझे होश तब आया, जब उस पेड़ ने मेरी आँखो में वह रसीला फल निचोड़ दिया था।" शैफाली ने कहा।
“नयनतारा!" सुयश ने बड़बड़ाते हुए यह शब्द दोहराया- “यह तो हिन्दी शब्द लग रहा है और ऐसा लग रहा है जैसे मैंने इस शब्द को कहीं सुना हो?"
“हिन्दी शब्द! और वह भी सुना हुआ।" जेनिथ ने आश्चर्य से कहा- “आपने यह शब्द कहां सुना है कैप्टन? याद करने की कोशिश करें।"
“नयनतारा ..... नयनतारा ....।" सुयश ने अपने दिमाग पर जोर डालना शुरु कर दिया। अचानक वह खुशी से चीख उठा- “याद आया ...यह शब्द मैंने अपने दादाजी की कहानियो में, अपने बचपन में सुना था।
जब मैं छोटा था तो मेरे दादाजी मुझे ‘यति’ और ‘उड़ने वाले घोड़े’ की कहानियाँ सुनाते थे, उसी एक कहानी में उन्होंने मुझे इस नयनतारा पेड़ के बारे में बताया था कि यह पौधा ‘हिमालय’ की पहाड़ीयो में पाया जाता है, जो आँखो की किसी भी तरह की परेशानी को जड़ से ख़तम कर सकता है और इसीलिये इसका नाम नयनतारा रखा गया था क्यों कि हिन्दी में ‘नयन’ का मतलब ‘आँखे’ होती है और ‘तारा’ का मतलब ‘स्टार’ होता है।
अब अगर इस पौधे के फल के आकार पर ध्यान दिया जाये तो वह एक स्टार की ही आकृति का है और उसमें किसी की आँखो को सही करने की छमता भी है। इस हिसाब से इस पौधे का नाम इसके कार्य को देखते हुए बिल्कुल फिट बैठता है।"
“अब यहां पर 2 बातें निकल कर आ रही है कैप्टन।" क्रिस्टी ने कहा- “नंबर 1 कि हिमालय की पौराणिक कथाओ का पौधा यहां पर कैसे आया? और दूसरा कि शैफाली को बार-बार यह रहस्य कौन बता रहा है?"
काफ़ी देर सोचने के बाद भी किसी की कुछ समझ में नहीं आया, अंततः उन्होने फ़िर से आगे बढ़ने का निश्चय किया। और सुयश का इशारा देख फ़िर सब जंगल के अंदर की ओर चल दिये।
जोड़ीयाक-घड़ी (8 जनवरी 2002, मंगलवार, 11:00, वाशिंगटन डी.सी., अमेरिका)
वेगा अपने फ्लैट में बैठा कंप्यूटर पर काम कर रहा था, तभी उसके मोबाइल की घंटी बज उठी।
वेगा ने एक बार अपने मोबाइल को देखा। कॉल वीनस का था। वीनस का कॉल देख वेगा के चेहरे पर
एक मुस्कान आ गयी।
उसने रिलेक्स होने के अंदाज से एक गहरी साँस भरी और वीनस का कॉल रिसीव कर लिया।
“हाय वेगा! कैसे हो?" दूसरी तरफ से वीनस का मधुर स्वर फोन पर गूंजा- “पुस्तकालय के बाद तो तुमने मुझे याद ही नहीं किया। ऐसा क्या लिख रहे हो अपने प्रोजेक्ट में जिसकी वजह से तुम्हें
अपने दोस्तों की याद ही नहीं आ रही है।"
“नहीं वीनस ... ऐसी कोई बात नहीं है।" वेगा ने सफाई देते हुए कहा- “मैं आज तुम्हें कॉल करने ही वाला था।"
“अरे वाह! पार्टी देने का इरादा है क्या?" वीनस ने खुश होते हुए कहा।
“पार्टी भी देंगे पर आज नहीं बल्की कल।" वेगा फोन को हाथ में लेते हुए वहीं बेड पर पसर गया-
“क्यों की कल मेरा जन्मदिन है।"
“वाह ... वाह! कल जन्मदिन है तुम्हारा। फ़िर तो पार्टी भी विशेष होनी चाहिए।" वीनस ने अपनी डिमांड रखते हुए कहा।
“हां-हां क्यों नहीं।" वेगा ने भी अपनी सहमित जताई- “बताओ क्या प्लान करें कल का?"
“ऊंऽऽऽऽऽ।" वीनस ने सोचते हुए कहा- “कल ‘जॉर्ज टाउन वाटर फ़्रैट पार्क’ चलते है, वहां पार्टी करने में मजा आयेगा। वहां पर बहुत सारे थीम एक साथ मिल जायेंगे।"
“ओ. के. तो कल के लिये ‘जॉर्ज टाउन वाटर फ़्रैट पार्क’ डन।" वेगा ने पार्टी पर मोहर लगाते हुए कहा।
“और कोई तो नहीं रहेगा ना पार्टी में?" वीनस ने शोखी बिखेरते हुए कहा।
“हम दो के बीच में किसी तीसरे का क्या काम?" वेगा ने वीनस को छेड़ते हुए कहा। लेकिन इसके
पहले कि वीनस और कुछ बोल पाती वेगा के कमरे की बेल बज उठी।
“लगता है कोई आया है? चलो कल सुबह की पार्टी पक्की। बाकी बातें बाद में करुंगा। बाय-बाय।" वेगा ने फोन को काटने वाले अंदाज में कहा।
“बाय-बाय वेगा! कल पार्क में मिलते है।" इतना कहकर वीनस ने फोन को काट दिया। फोन कटने के बाद वेगा बेड से उतरकर दरवाजे की ओर बढ़ गया।
वेगा ने दरवाजा खोलकर बाहर देखा। बाहर एक कूरियर वाला लड़का खड़ा था।
“आपका कूरियर है।" कूरियर वाले ने वेगा को एक छोटा सा पैकेट पकड़ाते हुए कहा।
वेगा ने वह पैकेट अपने हाथों में पकड़ लिया। कूरियर को देकर कूरियर वाला वहां से चला गया।
वेगा की नजर अब हाथ में पकड़े पैकेट पर थी। पैकेट पर भेजने वाले के नाम की जगह पर युगाका लिखा था। वेगा यह देखकर धीरे से मुस्कुरा दिया।
“कोई भी भूल जाए, पर भैया मेरा जन्म दिन कभी नहीं भूलते। लव यू भाई!" यह कहते हुए वेगा ने एक फ्लाइंग किस हवा में उछाला और पैकेट के सुनहरे रैपर को फाड़ने लगा-
“देखें तो इस बार भाई ने क्या भेजा है मेरे लिये?"
सुनहरे रैपर के नीचे एक शानदार धातु का डिब्बा था, जिस्में एक चमचमाती हुई गोल्डेन कलर की
स्मार्ट-वॉच रखी थी।
“वाह!" वेगा अपनी खुशी का इजहार करते हुए जोर से चिल्लाया-“ क्या शानदार वॉच है!“
वेगा ने ‘जोडियाक वॉच’ को ऑन कर लिया।
जोडियाक वॉच का डायल, साधारण वॉच से थोड़ा सा ज्यादा बड़ा था और उसकी स्क्रीन टच करने पर बदल रही थी। वेगा ने जल्दी- जल्दी जोडियाक वॉच के सारे वॉलपेपर को चेक कर लिया।
घड़ी में 12 वॉलपेपर थे और हर एक वॉलपेपर एक राशि का प्रतिनिधित्व कर रहा था। चूंकी वेगा की राशि ‘मकर’ थी इसिलये उसने ‘मकर’ राशि वाला वॉलपेपर वॉच पर लगा लिया।
उस वॉलपेपर पर एक मगरमच्छ मानव बना था जो कि किसी योद्धा कीतरह एक हाथ में तलवार पकड़े था। वेगा ने वॉलपेपर बदलने के बाद वॉच को अपनी कलाई पर बांध लिया।
जारी रहेगा_______![]()
Thanks brothernice update