dhalchandarun
[Death is the most beautiful thing.]
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Ye toh pata tha ki Suyash yahan ka wasi hai jaisa ki Shefali ne sapne mein yahan par Suyash ki statue dekhi thi.#71.
यह देख अल्बर्ट चीख कर बोला- “यह किसी प्रकार का कोई तिलिस्म है। यहां खतरा भी हो सकता है।" यह सुन सुयश चुपचाप उसी पत्थर पर खड़ा हो गया।
“प्रोफेसर, ये तिलिस्म क्या होता है?" एलेक्स ने अल्बर्ट से पूछा।
“विज्ञान के प्रयोगो को अति आधुनिक तरीके से मैकेनिज्जम के द्वारा एक घटनाक्रम में बदल दिया जाता है, जो एक जादू की तरह दिखाई देने लगता है। इस मैकेनिज्जम को डीकोड करने का एक ही तरीका होता है, अगर किसी ने कोई गलत तरीका अपनाया तो वह तिलिस्म से बाहर नहीं आ सकता।
सरल शब्दो में ये समझ लो कि तुम अगर किसी कमरे में बंद हो गये हो और उस कमरे के दरवाजे पर अगर कोई नंबर वाला ताला लगा है तो तुम बिना सही नंबर को लगाये, ना तो ताला खोल सकते हो और ना ही कमरे से बाहर आ सकते हो।"
अल्बर्ट ने इतने सरल तरीके से समझाया कि एलेक्स तो क्या जॉनी की भी सब समझ में आ गया।
यह सुन तौफीक ने सुयश को कहा- “कैप्टन अगर आप वापस नहीं आ सकते तो एक बार आगे जाने की कोशिश करके देख लीजिये।"
तौफीक की बात सुन सुयश ने अपना दाहिना पैर आगे की ओर बढ़ाया और दूसरे पत्थर पर रख दिया।
तुरंत दूसरे पत्थर का रंग आसमानी हो गया। इसी के साथ शलाका के दूसरे भाई ‘ओरियन’ का खंभा भी आसमानी हो गया और उससे निकली किरण ने दूसरे पेड़ को भी सीधा कर दिया।
अब उस पेड़ पर लगे फूल भी आसमानी रंग के हो गए।
दूसरे पेड़ के सीधे होते ही शलाका की मूर्ति का चेहरा थोड़ा-थोड़ा नजर आने लगा। सुयश ने फ़िर पीछे पलटने की कोशिश की, पर वो फ़िर से पलट नहीं पाया।
अब सुयश ने फैसला कर लिया था कि उसे अब आगे ही बढ़ना है। यह सोच सुयश ने एक साथ सभी
पत्थरो को पार कर लिया। सभी साँस रोके सुयश के हर कदम पर कुछ ना कुछ नया होते देख रहे थे।
शलाका के भाईयों के सभी खंभे अब अलग-अलग रंगो से रोशन हो गये और इसी के साथ हट गये शलाका को घेरे, पेड़ रुपी सभी पर्दे।
अब सातों पेड़ पर भी अलग-अलग रंग के फूल खिल गये थे। परंतु सुयश की निगाह अब सिर्फ और सिर्फ शलाका की मूर्ति पर थी।
6 फुट की शलाका की मूर्ति संगमरमर के सफेद पत्थर से निर्मित थी।
मूर्ति के सिर पर एक सुनहरे रंग का छोटा सा मुकुट था। उसकी आँखो किसी हिरनी के समान लंबी और चमकीली थी। उसके बाल अग्नि के समान हवा में लहरा रहे थे। उसने किसी भारतीय नारी के समान, लंबी सी साड़ी अपने बदन पर लपेट रखी थी। उसने अपने दोनों हाथो को जोड़कर, उसमें एक फुटबाल के आकार का काले रंग का एक मोती पकड़ रखा था।
सभी मन्त्रमुग्ध से सुंदरता की उस देवी को निहार रहे थे।
तभी जैसे अल्बर्ट को कुछ याद आया। उसने अपनी जेब से अटलांटिस वाला सोने का सिक्का निकालकर अपने हाथ में ले लिया। उसमें बनी फोटो को अल्बर्ट ने मूर्ति से मिलाकर देखा।
“बिल्कुल वही है।" अल्बर्ट मन ही मन बड़बड़ाया- “सिक्के पर देवी शलाका की ही फोटो बनी है। इसका मतलब हम इस समय अटलांटिस में ही है।"
उधर सुयश शलाका का सौंदर्य देखने में इतना मग्न हो गया कि उसे आसपास का कुछ याद ही नहीं रह गया।
तभी सुयश को उस मूर्ति की आँखो में कुछ हरकत होती दिखाई दी। पता नहीं कितनी देर तक सुयश उस मूर्ति को देखता रहा और फ़िर उस मूर्ति की ओर बढ़ने लगा।
जैसे ही सुयश के पांव उस गोल चबूतरे पर पड़े, अचानक सारे पेड़ झूमकर देवी शलाका पर फूलो की बारिश करने लगे। सभी साँस रोके सुयश को देख रहे थे।
सुयश शलाका की मूर्ति के बिल्कुल पास पहुंच गया था। सुयश को अब उस मूर्ति से भीनी-भीनी सी खुशबू आती भी प्रतीत हो रही थी।
“रुक जाइये कैप्टन।" अल्बर्ट ने तेज आवाज में कहा।
इस बार सुयश ने बिना अल्बर्ट को देखे हुए अपना दाहिना हाथ उठाया, जो कि इस बात का संकेत था
कि वह होश में है और बाकी सभी लोग को वहीं रुकने का इशारा कर रहा है।
सुयश का संकेत समझ अल्बर्ट शांत हो गया। अब सभी साँस रोके हुए सुयश को देख रहे थे।
पता नहीं इस समय क्यों युगाका की भी साँस रुकी हुई थी।
सुयश ने धीरे से हाथ बढ़ाकर उस मूर्ति को स्पर्श कर लिया। मूर्ति को स्पर्श करने पर उसे ऐसा महसूस हुआ, जैसे वह पत्थर की मूर्ति ना होकर जीवित कोई शरीर हो।
इस अजीब मुलायम से स्पर्श से घबराकर सुयश ने अपना दाहिना हाथ पीछे खींच लिया।
अचानक सातों खम्भो से एक साथ अलग-अलग रंग की किरने निकली और सुयश के शरीर से टकराकर गायब हो गई।
इसी के साथ वहां से हज़ारों किलोमीटर दूर, अंटार्कटिका के बर्फ़ में दफन, शलाका महल में मौजूद, शलाका के चेहरे पर एक भीनी सी मुस्कान बिखर गयी और वह धीरे से बुदबुदाई-
“मुझे तुम्हारा हज़ारों सालो से इंतजार था। आख़िर तुम आ ही गये ‘आर्यन’। अब तिलिस्मा को टूटने से कोई भी नहीं रोक सकता।"
इधर रोशनी के पड़ते ही सुयश के शरीर को तेज झटका लगा। इस झटके की वजह से सुयश 2 कदम पीछे हो गया।
यह देखकर युगाका के चेहरे पर आश्चर्य के भाव आ गये और वह मन ही मन बड़बड़ाया-
“ये जिंदा कैसे बच गया?"
इधर सुयश के पीछे आते ही पुनः सभी पेड़ देवी शलाका की ओर झुक गये और सब कुछ पहले कि तरह सामान्य हो गया। यह देख ब्रेंडन ने भागकर सुयश को अपनी ओर खींच लिया।
“क्या कर रहे थे कैप्टन?" असलम ने सुयश की ओर देखते हुए कहा- “ इस द्वीप पर कोई भी चीज सामान्य नहीं है, ऐसे में किसी भी चीज को छूना खतरे से खाली नहीं है।"
“मेरे हिसाब से हमें इस मंदिर से बाहर चलना चाहिए।" एलेक्स ने कहा- “मुझे तो यह मंदिर भी तिलिस्म लग रहा है।"
एलेक्स की बात पर सभी ने सहमित जताई और सभी मंदिर के द्वार की ओर चल दिये। उन सभी को बाहर निकलता देख, युगाका मंदिर की सीढ़ियाँ उतरा और भाग कर एक पेड़ के पीछे छिप गया।
सभी मंदिर के मुख्य द्वार से बाहर आ गये।
“मैंने देवी शलाका की ऐसी ही एक मूर्ति को अपने सपने में देखा था और ऐमू भी एक डोरी के द्वारा इनके हाथ से बंधा था। फ़िर इस देवी ने ऐमू की डोरी को अपने हाथ से छोड़ दिया था, जिससे ऐमू स्वतंत्र हो गया था।" शैफाली ने कहा।
एक छण के लिये सबकी आँखो में ऐमू का ख़याल आ गया।
“इसका मतलब है कि हमारे जहाज पर घट रही हर रहस्यमयी घटना का जिम्मेदार ये द्वीप ही था।" जेनिथ ने कहा।
“शायद आप लोग सही कह रहे हो।" अल्बर्ट ने यह कहकर अटलांटिस का सिक्का सुयश के हाथों में रख दिया- “यह देखिए कैप्टन, इस सिक्के पर भी देवी शलाका का ही चित्र बना है।"
सुयश ने ध्यान से सिक्के को देखा और फ़िर धीरे से सिर हिलाकर उसे अल्बर्ट को वापस कर दिया।
सुयश की आँखो में तो बस शलाका का सौंदर्य बस गया था। वह बहुत कोशिशों के बाद भी शलाका का चेहरा अपनी आँखो के आगे से हटा नहीं पा रहा था।
“यहां पर मंदिर तो है, पर एक भी इंसान यहां पर नहीं है। यह कैसे संभव हो सकता है? यहां के सारे लोग कहीं चले गये है? या फ़िर जानबूझकर हमसे छिप रहे है।" क्रिस्टी ने कहा।
“लगता है देवी शलाका के सौंदर्य के जादू ने सबको गायब कर दिया यहां से।" एलेक्स ने क्रिस्टी को चिढ़ाते हुए कहा- “जो भी हो पर देवी थी बहुत सुंदर। इतना खूबसूरत चेहरा भुलाए नहीं भूल रहा।"
“अच्छा जी! सुंदरता भुलाए नहीं भूल रही तुम्हे।"
क्रिस्टी ने गुस्से से एलेक्स को देखते हुए कहा- “सिर पर डंडा पड़ते ही सब कुछ भूल जायेगा।"
यह कहकर क्रिस्टी ने अपनी आँखे नचाते हुए एलेक्स के सिर पर धीरे से अपने हाथ में पकड़ी लकड़ी मार दी। सभी के चेहरे पर मुस्कान आ गयी।
जेनिथ को क्रिस्टी और एलेक्स की जोड़ी बहुत अच्छी लग रही थी। उसने एक नजर तौफीक को प्यार से देखा, पर बोली कुछ नहीं। जेनिथ की आँखो ने ही सबकुछ बोल दिया था। तौफीक की नजरें भी जेनिथ से मिली, पर उसकी आँखो के भाव बिल्कुल सपाट थे।
जेनिथ जानती थी कि तौफीक उससे प्यार तो करता है, पर वह उतना एक्सप्रेसिव नहीं है।
चलते-चलते जेनिथ ने भी धीरे से तौफीक का हाथ पकड़ लिया।
सभी फ़िर से अब आगे की ओर बढ़ गये।
रहस्यमय पिरामिड
(आज से 7 दिन पहले) 1 जनवरी 2002, मंगलवार, 08:15, अटलांटिक महासागर
“रोजर!" सुयश ने रोजर को संबोधित करते हुए कहा- “तुम तुरंत एक पायलेट के साथ इस हैलीकाप्टर से जाओ और देखो, शायद आसपास से जाता हुआ, कोई और शिप दिखाई दे जाए या फ़िर कोई और सुराग मिल जाए। जिससे यह पता चल जाए कि हम इस समय किस जगह पर है? और हां यह वॉकी-टॉकी सेट भी लेते जाओ। इससे मेरे संपर्क में रहना और मुझे सारी सूचना देते रहना।" यह कहते हुए सुयश ने जेम्स हुक से, वॉकी-टॉकी सेट लेकर, रोजर को दे दिया।
रोजर, सुयश से वॉकी-टॉकी सेट लेकर, पायलेट के साथ, हैलीकाप्टर में प्रवेश कर गया।
हैलीकाप्टर में बैठने के साथ, रोजर ने एक नजर वहां खड़े सभी लोगो पर मारी और फ़िर सुयश की तरफ देखते हुए, एक झटके से ‘थम्स-अप’ की शैली में अपना अंगूठा, जोश के साथ झटका देकर उठाया और फ़िर धीरे से पायलेट की ओर देखकर, उसे हैलीकाप्टर को उड़ाने का इशारा किया।
थोड़ी ही देर में, एक गड़गड़ाहट के साथ, हैलीकाप्टर रोजर को लेकर आसमान में था।
रोजर की नजर आसमान में चारो ओर घूम रही थी। दूर-दूर तक अथाह समुंदर के सिवा कुछ नजर नहीं आ रहा था।
“सर, मुझे नहीं लगता कि इतने अथाह समुंदर में, हमें ऐसी खतरनाक जगह पर कोई दूसरा जहाज नजर भी आयेगा।" हैलीकाप्टर के पायलेट ने रोजर से कहा।
“पर कोशिश करके देखने में क्या परेशानी है?" रोजर ने वॉकी-टॉकी सेट को हाथ में नचाते हुए जवाब दिया- “तुम हैलीकाप्टर को आसमान में थोड़ा और ऊंचा लो। मैं ऊंचाई से दूरबीन से देखने की कोशिश करता हू । शायद कुछ नजर आ ही जाए।"
“ठीक है सर।" यह कहकर पायलेट ने हैलीकाप्टर को थोड़ा और ऊंचे कर लिया।
लगभग 15 मिनट तक रोजर समुंदर में चारो ओर देखता रहा, पर उसे लहरो के सिवा कुछ भी नजर ना आया।
“थोड़ा और देखते है उसके बाद वापस चलते है।" यह कहकर रोजर ने पायलेट को बांयी तरफ हैलीकाप्टर को मोड़ने का इशारा किया।
10 मिनट और बीत गये, फ़िर भी कुछ नजर नहीं आया।
यह देखकर रोजर ने वॉकी-टॉकी सेट को ऑन करते हुए कहा- “हैलो-हैलो कैप्टन! क्या आप मेरी आवाज सुन रहे है? ओवर।"
“यस रोजर सर! हमें आपकी आवाज सुनाई दे रही है। ओवर!" दूसरी तरफ से असलम की आवाज सुनाई दी। असलम की आवाज सुन रोजर थोड़ा सोच में पड़ गया।
तभी रोजर को सुयश की आवाज सुनाई दी- “यस रोजर! बताओ, क्या कहना चाहते हो तुम? ओवर!" अब शायद सुयश ने वॉकी-टॉकी सेट असलम से ले लिया था।
रोजर ने सुयश कीआवाज पहचान ली। वह बोला- “कैप्टन हम लोग इस समय शिप से काफ़ी दूर आ चुके है। पर अभी दूर-दूर तक कुछ नजर नहीं आ रहा है। लगता है कि हम वास्तव में भटक गए है।"
पायलेट का भी पूरा ध्यान सिर्फ और सिर्फ वॉकी-टॉकी सेट पर था।
रोजर का बोलना जारी रहा- “अब हम लोग और आगे बढ़ रहे है सर। हर तरफ सिर्फ समुद्र की लहरें ही नजर आ रही है। नीला समुद्र...... पानी ही पानी।"
जारी रहेगा_______![]()
Suyash pahle Aryan tha matlab Shalaka ka premi matlab Suyash bhi ek devta jaisa hai.
Phir Shefali kaun hogi ye janne ke liye aur bhi excitement badh rahi hai.
Brother par bich mein ye Roger aur helicopter kahan se aa gaya, lagta hai pahle wala update yahan aa gaya hai. Roger toh bahut pahle hi mar chuka hai.
Nice and beautiful update.