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Thank you so much for your valuable review bhai Ye yljhan har update me bhadegi bhaiBas dekhte jaao aage-2kya hota haiBhut shandaar update ...
Kahani uljhti huyi सुप्रीम को anjan manjil ki taraf ले जा रही हैं
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Kahani uljhti huyi सुप्रीम को anjan manjil ki taraf ले जा रही हैं
# 30 .
लोथार के इस जवाब पर सुयश को उससे कुछ कहते ना बना अतः वह पुनः जेनिथ की तरफ मुड़कर बोला-
“क्या आप या लॉरेन सिगरेट पीती थीं ?“
“जी नहीं ।“ जेनिथ ने संक्षिप्त सा उत्तर दिया।
“फिर तो यह सिगरेट का टुकड़ा जरुर उसी व्यक्ति का होगा, जिसने छिपकर रुम की तलाशी ली है।“ ब्रैंडन ने सुयश को देखते हुए धीमे स्वर में कहा।
सुयश ने ब्रैंडन की बात सुन धीरे से हाँ मे अपना सिर हिलाया और सिगरेट का वह टुकड़ा ब्रैंडन के हवाले करता हुआ ब ला-
“इसे भी लैब में भिजवा दो और इस पर से फिंगर प्रिंट उठाने की कोशिश करो। हो सकता है कि कातिल का को ई सुराग इस पर से भी मिल जाए।“ ब्रैंडन ने सिगरेट का वह टुकड़ा टिश्यू पेपर सहित ले लिया और अपनी जेब के हवाले कर दिया। अब सभी जेनिथ के रुम से बाहर आ गये।
“एक बात बताइये कैप्टेन कि लॉरेन की लाश तो चलिए उसके बॉयफ्रेंड या कातिल जो भी हो, वह ले गया। लेकिन जो गार्ड की लाश अभी तुरंत रखी गई थी, वह कहां चली गई? और इतनी जल्दी उसे कौन ले गया ?“ तौफीक ने सुयश से सवाल किया।
तौफीक की बातों में दम था। सुयश सहित अब सभी सस्पेंस के झूले में झूलने लगे।
“लगता है एक बार फिर स्टोर रूम में चलना पड़ेगा।“ सुयश ने जवाब दिया। एक बार फिर सभी स्टोर रूम की तरफ चल दिए।
“गार्ड की लाश कहां रखी थी ?“ सुयश ने स्टोर रुम में प्रवेश करते हुए, दोनों गार्डों से मुखातिब होते हुए कहा।
दोनों गार्डों ने डरते-डरते एक दिशा की ओर इशारा कर दिया। सुयश पहले तो उस स्थान को ध्यान से देखता रहा फिर उसने ब्रूनो को वहां सूंघने का इशारा किया। ब्रूनो धीरे-धीरे आगे बढ़ा और उस जगह को सूंघने लगा, जहां सुयश ने इशारा किया था। ब्रूनो ने कई बार जमीन को सूंघा और फिर अपनी नाक को हवा में उठा कर कुछ सूंघने की कोशिश की। पर ऐसा लग रहा था, जैसे वह कुछ समझ ना पा रहा हो।
काफी देर सूंघने के बाद ब्रूनो धीरे-धीरे एक दिशा की ओर बढ़ा और स्टोर रुम में मौजूद लगभग 4 फुट ऊंचे लगी, एक खिड़की की ओर मुंह करके भौंकने लगा।
“इसका क्या मतलब हुआ?“ सुयश ने ना समझ में आने वाले लहजे में कहा- “यह खिड़की तो समुद्र की ओर खुलती है।“
“शायद किसी ने गार्ड की लाश इस खिड़की से समुद्र की ओर फेंकी है?“ असलम ने जवाब दिया।
सुयश ने धीरे से उस खिड़की के दरवाजे को हल्का सा धक्का दिया। दरवाजा बिना आवाज किए समुद्र की ओर खुल गया। एकदम से आदमी को गला देने वाली ठंडी हवा का झोंका तेजी से अंदर आया। एक पल के लिए सभी सिहर से गये।
सुयश ने खिड़की के बाहर झांक कर देखा, लेकिन लहरों के सिवा उसे दूर-दूर तक कुछ ना दिखाई दिया। हाँ, ‘सुप्रीम’ के चलने से छिटक कर दूर होता हुआ, समुद्र का पानी जरूर आवाज कर रहा था। हर तरफ मौत की काली चादर के समान दहशत बिछी थी। कुछ देर तक देखते रहने के बाद सुयश उस खिड़की से दूर हट गया।
“कैप्टेन, यह खिड़की के नीचे पानी कैसा है?“ ऐलेक्स ने खिड़की के नीचे फर्श पर पड़े पानी की ओर इशारा करते हुए कहा। अब सभी का ध्यान नीचे पड़े पानी पर था।
“यह पानी तो समुद्र का है।“ अलबर्ट ने आगे बढ़कर पानी की एक बूंद को हाथों में लेकर देखते हुए कहा।
“आप क्या कहना चाहते हैं प्रोफेसर? कि कोई समुद्र से निकलकर इस खिड़की को खोल कर आया था और लाश को लेकर वापस समुद्र में चला गया ?“ असलम ने कहा।
“क्या बेवकूफी है? समुद्र की सतह यहां से लगभग 48 मीटर नीचे है। भला इतनी ऊंचाई तक बिना सहारे के कोई कैसे ऊपर आ सकता है?“ सुयश ने अजीब सी नजरों से असलम को देखते हुए कहा।
“तो फिर समुद्र का पानी यहां पर कैसे आया ?“ लारा ने कहा। लेकिन अब इसका जवाब किसी के पास नहीं था।
तभी अलबर्ट आगे बढ़ा और खिड़की के पास जा कर दूसरी ओर देखने लगा। थोड़ी देर देखने के बाद अलबर्ट ने अपने हाथ से, समुद्र की ओर से, खिड़की के कुछ नीचे हाथ लगाया और फिर अपना हाथ अंदर कर लिया। किसी के समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या कर रहा है? पर सभी की निगाहें अब अलबर्ट पर ही थीं। अंदर आकर अलबर्ट ने अपने अंगूठे से, अपनी दोनों उंगलियों को रगड़ा। अब उसके हाथ में पानी की बूंदों के समान कुछ नमी थी। सभी का ध्यान अब कुछ इस तरह से अलबर्ट की ओर था, जैसे वो किसी रहस्य को खोलने जा रहा हो। और आखिरकार अलबर्ट ने अपना मुंह खोला-
“बात कुछ समझ में नहीं आती, पर मेरे हाथों में लगी नमी यह साबित करती है कि कोई ना कोई समुद्र के अंदर से होकर खिड़की के रास्ते अवश्य आया था।“
“पर गार्ड की लाश को छोड़कर और दोबारा स्टोर रूम में आने में बामुश्किल 5 मिनट का समय लगा था। इस 5 मिनट में कौन इतनी तेजी से 48 मीटर चढ़कर लाश ले जा सकता है। ऐसा तो कोई जानवर भी नहीं कर सकता और वह भी तब, जबकि शिप अपनी पूरी स्पीड से चल रहा है।“ सुयश ने अपने दिमाग की सारी नसों पर जोर डालते हुए कहा।
कुछ देर किसी के मुंह से कुछ नहीं निकला। स्टोर रुम में एक सन्नाटा सा छा गया।
“यह भी तो हो सकता है कि जब गार्ड यहां लाश छोड़ने आये, उस समय कोई स्टोर रूम में पहले से ही रहा हो। और जब ये घबरा कर यहां से भागे हों तो उसने गार्ड की लाश खिड़की से पानी में फेंक दी हो या फिर स्वयं लेकर पानी में कूद गया हो।“ लोथार जो कि बहुत देर से चुप था, बोल उठा।
“हो सकता है कि कुछ ऐसा ही हुआ हो ?“ सुयश ने सिर पर पहनी कैप को उतार, बालों में हाथ से कंघी करते हुए कहा- “लेकिन फिर यह समुद्र का पानी खिड़की के नीचे कैसे आ गया और गार्ड की लाश का भला किसी को क्या काम?“
“यह भी हो सकता है कि लॉरेन का कातिल इस पूरे घटना क्रम को सुपरनेचुरल प्रॉब्लम शो करना चाहता हो, इसलिए उसने पहले जानबूझकर समुद्र का पानी खिड़की के नीचे बिखेर दिया हो। जिससे हमारा ध्यान गलत दिशा में लग जाए। और जानबूझकर गार्ड की लाश गायब की हो। जिससे हम लोग इसे सीरियल किलर या किसी जानवर का कारनामा समझें।“ अलबर्ट ने एक नया तथ्य पेश किया।
“हूं.......ऐसा हो सकता है।“ सुयश ने सिर हिलाते हुए कहा - “इसका मतलब है, कि हो सकता है कि वह हरा कीड़ा भी कोई अपने साथ दहशत फैलाने के लिए लाया हो। .. ........अब हम लोगों को आगे घटने वाली किसी भी घटना को सुपरनेचुरल ना मानकर एक मानवीय घटना माननी चाहिए और उसी हिसाब से समस्या को देखना चाहिए।“
किसी के पास अब बहस करने के लिए कुछ ना बचा था। पूरी रात बहस और सुराग ढूंढने में चली गई थी। इस समय सुबह का लगभग 9:00 बज चुका था। सभी रात भर के थके थे इसलिए अब सुयश ने सभी को अपने-अपने कमरों में जाने के लिए कह दिया।
जाते-जाते सबको हिदायत दे दी गई कि वह लोग तब तक सावधान रहें, जब तक कि उन्हें कोई किनारा ना मिल जाए।
3 जनवरी 2002, गुरुवार, 11:00; सूर्य की किरणें धीरे-धीरे सागर की लहरों पर तैरती हुई आगे बढीं और
“सुप्रीम” का एक हल्का सा चुंबन ले उसे अपने आगोश में समेट लिया ।।
एक सुबह हो गयी थी। जो रात भर के सोए थे, वह सभी जाग गये थे और जो रात भर के जागे थे, वह नींद के आगोश में चले गये थे।
‘सुप्रीम’ अपनी अंजानी डगर पर हौले-हौले चला जा रहा था। ना तो अब उसे मंजिल का पता था और ना ही दूरी का।
धीरे-धीरे अब शिप के सभी लोगों को पता चल गया था कि इस रहस्यमय क्षेत्र से बचकर निकलना मुश्किल है। सभी आपस में अटकलें लगा रहे थे कि अगली मुसीबत किस पर आयेगी ? और किस तरह की होगी ? सुप्रीम की भांति सूर्य भी अपने सफर पर चला जा रहा था, फर्क था तो सिर्फ इतना कि सूर्य को अपनी मंजिल का पता था जबकि सुप्रीम को अपनी मंजिल का कोई पता नहीं था।
सुप्रीम बिल्कुल एक अन्जाने सफर पर था। सुबह अब दोपहर में बदल चुकी थी। सुबह के सोए हुए लोग भी उठ चुके थे।
“तौफीक! तुम्हारा क्या ख्याल है? जेनिथ ने तौफीक की ओर देखते हुए कहा- “इन सब मुसीबतों के पीछे क्या कारण हो सकता है?“
“कुछ पक्के तौर पर कह नहीं सकता।“ तौफीक भी सोफे पर जेनिथ के बगल में बैठता हुआ बोला- “वैसे भी इस बारामूडा त्रिकोण के रहस्यमय क्षेत्र में जो ना हो जाए वह कम है।“
“तुम तो आर्मी में रह चुके हो और पापा कहते हैं कि आर्मी के लोग बहुत ही कठिन परिस्थितियों का भी बहादुरी से डटकर सामना करते हैं। क्या तुम्हें कभी ऐसा एहसास हुआ कि अगले किसी भी क्षण में हम लोगों की मौत भी हो सकती है?“ जेनिथ ने अपना चेहरा, तौफीक के चेहरे के पास लाते हुए कहा।
“मौत और हमारा तो चोली दामन का साथ है। पर यहां पर अफसोस यही है कि हमें दुश्मन का पता नहीं है। यानि कि हम मर तो सकते हैं, पर दुश्मन को मार नहीं सकते।“ तौफीक के शब्दों में निराशा के भाव झलके।
“वैसे तुम्हें क्या लगता है कि हम बचकर अपनी सभ्यता तक वापस पहुंच पायेंगे? क्या हमारे प्यार को दुनिया वाले नहीं देख पाएंगे?“ इस बार जेनिथ के शब्दों में हसरत की एक झलक साफ दिखाई दी।
“पता नहीं, पर मौत से पहले जो जिंदगी से हार गया, उसे डरपोक कहा जाता है। हम अंतिम दम तक इस ना दिखने वाली मौत से लड़ेंगे और वैसे भी मैं अपना काम खत्म किए बिना, इस दुनिया से नहीं जाने वाला।“ तौफीक ने रोष में आते हुए कहा।
जारी रहेगा……......
Yahi to dikkat hai bhai, lekin fikar notSacchai ek na ek din saamne aa hi jaati hai Thank you very much for your valuable review and support bhai Agla update aaj raat ko hi aayega,Bahut hi shandar updates he Raj_sharma Bhai,
Jitna suljhti he kahani utna hi ulajh jati he...........
Bruno ko opposite direction me bhi le ja kar dekh liya..............lekin result zero
Upar se Jenith ka room bhi pehle se hi khangala ja chuka he................
Qatil kaho ya mujrim jo loi bhi he bada hi shatir he............kuch bhi surag nahi chhodta
Keep rocking Bro
Sajis bhi ho sakti hai Lekin jaha ship khada hai us jagah kuch bhi sambhav hai bade bhai, aage ke updates is baat ki pusthi kar dengeAgla update Raat meसवालों का जंगल है जिसमें जवाबों के खरगोश कहीं छुपे बैठे हैं
समन्दर से किसी के जहाज के केबिन की खिड़की में घुसना तो सम्भव नहीं लगता
लेकिन
ऊपर के डेक से रस्सी के सहारे उतरना मुश्किल जरुर है, असंभव नहीं
यहां जो कुछ भी हो रहा है प्राकृतिक नहीं इन्सानी साजिश है
Awesome update# 30 .
लोथार के इस जवाब पर सुयश को उससे कुछ कहते ना बना अतः वह पुनः जेनिथ की तरफ मुड़कर बोला-
“क्या आप या लॉरेन सिगरेट पीती थीं ?“
“जी नहीं ।“ जेनिथ ने संक्षिप्त सा उत्तर दिया।
“फिर तो यह सिगरेट का टुकड़ा जरुर उसी व्यक्ति का होगा, जिसने छिपकर रुम की तलाशी ली है।“ ब्रैंडन ने सुयश को देखते हुए धीमे स्वर में कहा।
सुयश ने ब्रैंडन की बात सुन धीरे से हाँ मे अपना सिर हिलाया और सिगरेट का वह टुकड़ा ब्रैंडन के हवाले करता हुआ ब ला-
“इसे भी लैब में भिजवा दो और इस पर से फिंगर प्रिंट उठाने की कोशिश करो। हो सकता है कि कातिल का को ई सुराग इस पर से भी मिल जाए।“ ब्रैंडन ने सिगरेट का वह टुकड़ा टिश्यू पेपर सहित ले लिया और अपनी जेब के हवाले कर दिया। अब सभी जेनिथ के रुम से बाहर आ गये।
“एक बात बताइये कैप्टेन कि लॉरेन की लाश तो चलिए उसके बॉयफ्रेंड या कातिल जो भी हो, वह ले गया। लेकिन जो गार्ड की लाश अभी तुरंत रखी गई थी, वह कहां चली गई? और इतनी जल्दी उसे कौन ले गया ?“ तौफीक ने सुयश से सवाल किया।
तौफीक की बातों में दम था। सुयश सहित अब सभी सस्पेंस के झूले में झूलने लगे।
“लगता है एक बार फिर स्टोर रूम में चलना पड़ेगा।“ सुयश ने जवाब दिया। एक बार फिर सभी स्टोर रूम की तरफ चल दिए।
“गार्ड की लाश कहां रखी थी ?“ सुयश ने स्टोर रुम में प्रवेश करते हुए, दोनों गार्डों से मुखातिब होते हुए कहा।
दोनों गार्डों ने डरते-डरते एक दिशा की ओर इशारा कर दिया। सुयश पहले तो उस स्थान को ध्यान से देखता रहा फिर उसने ब्रूनो को वहां सूंघने का इशारा किया। ब्रूनो धीरे-धीरे आगे बढ़ा और उस जगह को सूंघने लगा, जहां सुयश ने इशारा किया था। ब्रूनो ने कई बार जमीन को सूंघा और फिर अपनी नाक को हवा में उठा कर कुछ सूंघने की कोशिश की। पर ऐसा लग रहा था, जैसे वह कुछ समझ ना पा रहा हो।
काफी देर सूंघने के बाद ब्रूनो धीरे-धीरे एक दिशा की ओर बढ़ा और स्टोर रुम में मौजूद लगभग 4 फुट ऊंचे लगी, एक खिड़की की ओर मुंह करके भौंकने लगा।
“इसका क्या मतलब हुआ?“ सुयश ने ना समझ में आने वाले लहजे में कहा- “यह खिड़की तो समुद्र की ओर खुलती है।“
“शायद किसी ने गार्ड की लाश इस खिड़की से समुद्र की ओर फेंकी है?“ असलम ने जवाब दिया।
सुयश ने धीरे से उस खिड़की के दरवाजे को हल्का सा धक्का दिया। दरवाजा बिना आवाज किए समुद्र की ओर खुल गया। एकदम से आदमी को गला देने वाली ठंडी हवा का झोंका तेजी से अंदर आया। एक पल के लिए सभी सिहर से गये।
सुयश ने खिड़की के बाहर झांक कर देखा, लेकिन लहरों के सिवा उसे दूर-दूर तक कुछ ना दिखाई दिया। हाँ, ‘सुप्रीम’ के चलने से छिटक कर दूर होता हुआ, समुद्र का पानी जरूर आवाज कर रहा था। हर तरफ मौत की काली चादर के समान दहशत बिछी थी। कुछ देर तक देखते रहने के बाद सुयश उस खिड़की से दूर हट गया।
“कैप्टेन, यह खिड़की के नीचे पानी कैसा है?“ ऐलेक्स ने खिड़की के नीचे फर्श पर पड़े पानी की ओर इशारा करते हुए कहा। अब सभी का ध्यान नीचे पड़े पानी पर था।
“यह पानी तो समुद्र का है।“ अलबर्ट ने आगे बढ़कर पानी की एक बूंद को हाथों में लेकर देखते हुए कहा।
“आप क्या कहना चाहते हैं प्रोफेसर? कि कोई समुद्र से निकलकर इस खिड़की को खोल कर आया था और लाश को लेकर वापस समुद्र में चला गया ?“ असलम ने कहा।
“क्या बेवकूफी है? समुद्र की सतह यहां से लगभग 48 मीटर नीचे है। भला इतनी ऊंचाई तक बिना सहारे के कोई कैसे ऊपर आ सकता है?“ सुयश ने अजीब सी नजरों से असलम को देखते हुए कहा।
“तो फिर समुद्र का पानी यहां पर कैसे आया ?“ लारा ने कहा। लेकिन अब इसका जवाब किसी के पास नहीं था।
तभी अलबर्ट आगे बढ़ा और खिड़की के पास जा कर दूसरी ओर देखने लगा। थोड़ी देर देखने के बाद अलबर्ट ने अपने हाथ से, समुद्र की ओर से, खिड़की के कुछ नीचे हाथ लगाया और फिर अपना हाथ अंदर कर लिया। किसी के समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या कर रहा है? पर सभी की निगाहें अब अलबर्ट पर ही थीं। अंदर आकर अलबर्ट ने अपने अंगूठे से, अपनी दोनों उंगलियों को रगड़ा। अब उसके हाथ में पानी की बूंदों के समान कुछ नमी थी। सभी का ध्यान अब कुछ इस तरह से अलबर्ट की ओर था, जैसे वो किसी रहस्य को खोलने जा रहा हो। और आखिरकार अलबर्ट ने अपना मुंह खोला-
“बात कुछ समझ में नहीं आती, पर मेरे हाथों में लगी नमी यह साबित करती है कि कोई ना कोई समुद्र के अंदर से होकर खिड़की के रास्ते अवश्य आया था।“
“पर गार्ड की लाश को छोड़कर और दोबारा स्टोर रूम में आने में बामुश्किल 5 मिनट का समय लगा था। इस 5 मिनट में कौन इतनी तेजी से 48 मीटर चढ़कर लाश ले जा सकता है। ऐसा तो कोई जानवर भी नहीं कर सकता और वह भी तब, जबकि शिप अपनी पूरी स्पीड से चल रहा है।“ सुयश ने अपने दिमाग की सारी नसों पर जोर डालते हुए कहा।
कुछ देर किसी के मुंह से कुछ नहीं निकला। स्टोर रुम में एक सन्नाटा सा छा गया।
“यह भी तो हो सकता है कि जब गार्ड यहां लाश छोड़ने आये, उस समय कोई स्टोर रूम में पहले से ही रहा हो। और जब ये घबरा कर यहां से भागे हों तो उसने गार्ड की लाश खिड़की से पानी में फेंक दी हो या फिर स्वयं लेकर पानी में कूद गया हो।“ लोथार जो कि बहुत देर से चुप था, बोल उठा।
“हो सकता है कि कुछ ऐसा ही हुआ हो ?“ सुयश ने सिर पर पहनी कैप को उतार, बालों में हाथ से कंघी करते हुए कहा- “लेकिन फिर यह समुद्र का पानी खिड़की के नीचे कैसे आ गया और गार्ड की लाश का भला किसी को क्या काम?“
“यह भी हो सकता है कि लॉरेन का कातिल इस पूरे घटना क्रम को सुपरनेचुरल प्रॉब्लम शो करना चाहता हो, इसलिए उसने पहले जानबूझकर समुद्र का पानी खिड़की के नीचे बिखेर दिया हो। जिससे हमारा ध्यान गलत दिशा में लग जाए। और जानबूझकर गार्ड की लाश गायब की हो। जिससे हम लोग इसे सीरियल किलर या किसी जानवर का कारनामा समझें।“ अलबर्ट ने एक नया तथ्य पेश किया।
“हूं.......ऐसा हो सकता है।“ सुयश ने सिर हिलाते हुए कहा - “इसका मतलब है, कि हो सकता है कि वह हरा कीड़ा भी कोई अपने साथ दहशत फैलाने के लिए लाया हो। .. ........अब हम लोगों को आगे घटने वाली किसी भी घटना को सुपरनेचुरल ना मानकर एक मानवीय घटना माननी चाहिए और उसी हिसाब से समस्या को देखना चाहिए।“
किसी के पास अब बहस करने के लिए कुछ ना बचा था। पूरी रात बहस और सुराग ढूंढने में चली गई थी। इस समय सुबह का लगभग 9:00 बज चुका था। सभी रात भर के थके थे इसलिए अब सुयश ने सभी को अपने-अपने कमरों में जाने के लिए कह दिया।
जाते-जाते सबको हिदायत दे दी गई कि वह लोग तब तक सावधान रहें, जब तक कि उन्हें कोई किनारा ना मिल जाए।
3 जनवरी 2002, गुरुवार, 11:00; सूर्य की किरणें धीरे-धीरे सागर की लहरों पर तैरती हुई आगे बढीं और
“सुप्रीम” का एक हल्का सा चुंबन ले उसे अपने आगोश में समेट लिया ।।
एक सुबह हो गयी थी। जो रात भर के सोए थे, वह सभी जाग गये थे और जो रात भर के जागे थे, वह नींद के आगोश में चले गये थे।
‘सुप्रीम’ अपनी अंजानी डगर पर हौले-हौले चला जा रहा था। ना तो अब उसे मंजिल का पता था और ना ही दूरी का।
धीरे-धीरे अब शिप के सभी लोगों को पता चल गया था कि इस रहस्यमय क्षेत्र से बचकर निकलना मुश्किल है। सभी आपस में अटकलें लगा रहे थे कि अगली मुसीबत किस पर आयेगी ? और किस तरह की होगी ? सुप्रीम की भांति सूर्य भी अपने सफर पर चला जा रहा था, फर्क था तो सिर्फ इतना कि सूर्य को अपनी मंजिल का पता था जबकि सुप्रीम को अपनी मंजिल का कोई पता नहीं था।
सुप्रीम बिल्कुल एक अन्जाने सफर पर था। सुबह अब दोपहर में बदल चुकी थी। सुबह के सोए हुए लोग भी उठ चुके थे।
“तौफीक! तुम्हारा क्या ख्याल है? जेनिथ ने तौफीक की ओर देखते हुए कहा- “इन सब मुसीबतों के पीछे क्या कारण हो सकता है?“
“कुछ पक्के तौर पर कह नहीं सकता।“ तौफीक भी सोफे पर जेनिथ के बगल में बैठता हुआ बोला- “वैसे भी इस बारामूडा त्रिकोण के रहस्यमय क्षेत्र में जो ना हो जाए वह कम है।“
“तुम तो आर्मी में रह चुके हो और पापा कहते हैं कि आर्मी के लोग बहुत ही कठिन परिस्थितियों का भी बहादुरी से डटकर सामना करते हैं। क्या तुम्हें कभी ऐसा एहसास हुआ कि अगले किसी भी क्षण में हम लोगों की मौत भी हो सकती है?“ जेनिथ ने अपना चेहरा, तौफीक के चेहरे के पास लाते हुए कहा।
“मौत और हमारा तो चोली दामन का साथ है। पर यहां पर अफसोस यही है कि हमें दुश्मन का पता नहीं है। यानि कि हम मर तो सकते हैं, पर दुश्मन को मार नहीं सकते।“ तौफीक के शब्दों में निराशा के भाव झलके।
“वैसे तुम्हें क्या लगता है कि हम बचकर अपनी सभ्यता तक वापस पहुंच पायेंगे? क्या हमारे प्यार को दुनिया वाले नहीं देख पाएंगे?“ इस बार जेनिथ के शब्दों में हसरत की एक झलक साफ दिखाई दी।
“पता नहीं, पर मौत से पहले जो जिंदगी से हार गया, उसे डरपोक कहा जाता है। हम अंतिम दम तक इस ना दिखने वाली मौत से लड़ेंगे और वैसे भी मैं अपना काम खत्म किए बिना, इस दुनिया से नहीं जाने वाला।“ तौफीक ने रोष में आते हुए कहा।
जारी रहेगा……......
Thank you very much for your valuable review and support Rekha ji per log to bol rahe hai ki kahani ek jagah hi ruk gai hai Batao, hum kya kare, aapke pas koi suggestions ho to? Waise agla update aane hi wala hai , sath bane rahiyeAwesome update
Har update ke SATH kuchh na kuchh Naya hi रहस्य सामने आ रहे हैं