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Erotica सोलवां सावन

komaalrani

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Agar bdsm bhi add kar doo to aur accha rahega

meri story Joru ka Gullam me light Femdom ke scenes hain jo ek tarah ka bdsm hi hai

 
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komaalrani

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next post soon
 
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komaalrani

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Rocky ke sath klpd Nahi Hona Chahiye tha
maine kayi baar kaha hai,... 😢:sad::sad:😭 ham sab ki tarah rokcy bechara bhi forum ke niyam kanoon ki sankal se jakda hai ,...haan aur aur aur likh ke maine bahoot si baaten readers ki imagination par chhod di,...
 

Rajizexy

Punjabi Doc, Raji, ❤️ & let ❤️
Supreme
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तीनों छेदों में मोटे मूसल





mmf-gang-3-15133884.webp







और जब मेरी आँख खुली तो एक लौंडा और खड़ा था, अपना बियर कैन मार्का लण्ड मुठियाते हुये।

cock-thick-17395724.jpg


मेरी तो आँखें फटी रह गईं। आज तक इतना मोटा लण्ड नहीं देखा था और अभी पूरी तरह खड़ा भी नहीं था, बस वो मुझे देखकर मुठिया रहा था।

देखने में इतना गंवार, चेहरा भी एकदम, शायद वैसे तो मैं उसकी ओर मुँह उठा के भी नहीं देखती, लेकिन इस समय बस मेरी निगाहें उसके लण्ड से चिपकी रह गई।



मेरी निगाहें हटीं जब दो जोरदार चाँटे मेरे चूतड़ पर लगे और जो भरौटी का लौंडा मुझे चोद रहा था, उसने पहली बार बोला, मेरे चूतड़ पर झापड़ मारते-

“चल छिनार चढ़ मेरे लण्ड पे, चोद चढ़ के मुझे…”

spank-J-tumblr-ojodqoz-PHS1w36doyo1-500.gif


एक पल के लिए तो मैं सकपकायी लेकिन गुलबिया ने इशारा किया की मैं चुपचाप उसकी बात मान जाऊँ वरना, और बिना रुके उसने फिर दो जबरदस्त चाँटे मेरी गाण्ड पे मार दिए। चूतड़ पे जैसे गुलाब खिल आये।

बस बिना रुके, मैं अब ऊपर थी।


WOT-G-CU-tumblr-okfhgg-Q3141vtzi3vo1-1280.jpg


स्साले का लंड नहीं बांस था, बित्ते से बड़ा,... और मोटा मेरी मुट्ठी से भी ज्यादा, इत्ते लौंडो, मर्दों के लंड पर चढ़ी थी मैं , लेकिन इस का तो,...समझ में नहीं आ रहा था , जान पहले जायेगी या लंड पहले पूरा घुसेगा


कुछ देर तक तो मैं हल्के-हल्के उसे चोदती रही, लेकिन फिर उसने जोर से मुझे अपनी ओर खींच लिया, कचकचा के मेरे निपल काट लिए और हचाक से जैसे कोई भाले बींधे, अपना एक बित्ते का लण्ड मेरी चूत में पेल दिया।

WOT-G-9088624.gif


मैं फिर जोर से चीखी, चीखती रही, क्योंकी अब चूतड़ों पर झापड़ पूरी तेजी से बरस रहे थे।

गुलबिया की जेठानी, क्या लोहे के हाथ थे, उनके हाथों के तमाचे, पूरे चूतड़ पे जैसे किसी ने मिर्ची का लेप लगा दिया हो, ऐसे छरछरा रहा था।
spank-17958103.webp


मैं सोच रही थी , इसके पहले तो लौंडे बहलाते फुसलाते थे, चुम्मा चाटी, मीजना मसलना , रगड़ना और गरम हो के जब मैं गीली हो जाती थी , पिघलने लगती थी तब पेलते थे , दर्द तो होता था लेकिन मजा भी आता था , यहाँ तो ये सीधे सीधे , बस पेलना,...

और मेरे बिन कहे जैसे मेरे मन की बात समझ के, चार जबरदस्त चांटे उसी जगह पर चूतड़ पर जो चांटे खा खा के लाल हो गयी, गुलबिया की जेठानी ने लगाए और गरियाते हुए बोलीं,...
" छिनार, तोहार काम मज़ा देना है, मजा लेना नहीं ,जो तोहैं चोदे आएंगे सब अपने मजे के लिए, अरे रंडी के पास कोई काहें जाता है, ... मज़ा लेने,...मजा देने नहीं और तू चूतमरानो तो खानदानी रंडी है , सात पुश्त से,.. और आज जब भरौटी से लौटोगी न तो जो थोड़ी बहुत कसर है वो भी पूरी हो जायेगी, पक्की रंडी बना के भेजेंगे आज हम सब। "


mummy-hott.jpg



नीचे से वो हचक के चोद रहा था, चुदाई का मजा भी आ रहा था, दर्द भी हो रहा था। एक पल के लिए उसने चुदाई रोक दी, अपनी दोनों टाँगें मेरी कमर के ऊपर बाँध दी, हाथ भी, और पीछे से गुलबिया की जेठानी ने मेरी गाण्ड पूरी ताकत से खोल दी,



asshole-12921396.jpg


गुलबिया बिचारी मेरा सर सहला रही थी।

अचानक नीचे से उसने फिर मेरा निपल कस के काटा, दूसरा निपल गुलबिया ने पकड़ के उमेठ दिया। दर्द से मैं दुहरी हो गई थी, जोर से चीख निकली। लेकिन ये दर्द तो कुछ भी नहीं था।

जो लौंडा बियर कैन सा लण्ड मुठिया रहा था, उसने मेरी गाण्ड में सुपाड़ा पेल दिया, न कोई क्रीम, न कड़ुआ तेल, आप सोच सकते हैं की क्या हालत हुई होगी मेरी? खूब जोर से चीखी मैं। आँख में आंसू डबडबा आये। लेकिन वो ठेलता रहा, धकेलता रहा और कुछ ही देर में सुपाड़ा मेरी गाण्ड ने घोंट लिया।



anal-tumblr-muq71hj-VHN1ry89juo1-540.jpg


गुलबिया की जेठानी अब मेरे सर के पास बैठी थीं, गुलबिया के साथ, मुश्कुरा के गुलबिया से बोली-

“जो तुम कह रही थी, एकदम छिनार वैसे निकली। एह उमर में इतनी ताकत, आज तक हम कौनो लौंडिया में नहीं देखे थे, जबरदस्त रंडी बनेगी ये…”

दर्द तो अभी भी हो रहा था, लेकिन अब धक्के नीचे ऊपर दोनों ओर से बंद थे इसलिए थोड़ा कम, लेकिन मुझे क्या मालूम था ये तूफान के पहले की चुप्पी थी, अभी गाण्ड का छल्ला तो बाकी ही था, और पीछे से जो अबकी उसने जोर का धक्का मारा, मेरी दोनों चूचियां पकड़ के, बस…

गाण्ड के छल्ले को दरेरता फाड़ता, एक के बाद एक, दर्द से लग रहा था मैं बेहोश हो गई, लेकिन मैं चीख भी नहीं पाई।

MMF-tumblr-mg0ort8nr-U1rms87jo1-500.gif



मैंने देखा नहीं था एक और लौंडा,

और उसने अपना लण्ड मेरे मुँह में ठोंक दिया।


BJ-J-ruff-tumblr-odyqam6b-O51vf0bn3o1-400.gif



गुलबिया और उसकी जेठानी दोनों खिलखिला रही थी, गुलबिया बोली-


“अब आयेगा तोहें भरौटी क लौंडन क असली मजा…”

Teej-afbac35a4fec2bbef226f68d6e49ae47.jpg



यहाँ दर्द से जान निकली जा रही थी, तीनों छेदों में मोटे मूसल चल रहे थे और गुलबिया,



.......पर जिस चीज के लिए मैं रात भर तड़पती रही वो… दर्द से सिसकते, चीखते हुए भी बस पांच मिनट के अंदर मैं झड़ गई।

लेकिन उन तीनों पर कोई असर नहीं पड़ा। वो चोदते रहे, पेलते रहे, गाण्ड मारते रहे। दस मिनट के अंदर मैं दुबारा झड़ रही थी। और जब मैं तीन बार झड़ चुकी उसके बाद,



mmf-gnag-3-21667440.webp



वो तीनों, कहने की बात नहीं है की जिसने मेरी गाण्ड मारी, उसका लण्ड खुद गुलबिया की जेठानी ने पकड़ के मेरे मुँह में ठेल दिया।


मैं उसका चाट के साफ कर रही थी तब तक एक और लौंडा, मेरी गाण्ड में।

जिन दोनों ने मुँह और बुर चोदा था उन दोनों ने भी गाण्ड का भुरता बनाया।


anal-ruff-G-tumblr-nj081qd68-W1sprsjzo1-400.gif



और मेरी चूत और गाण्ड में तो लण्ड घुसे ही थे, अक्सर मुँह में भी। दो तीन घंटे तक उन लौंडों ने मेरी ऐसी की तैसी की। जब वो गए तो बस समझिये जैसे मैं किसी गाढ़ी रबड़ी के तालाब में गोते लगा रही थी।


उठा नहीं जा रहा था,
Fantastic update, gr8 👌👌👌
:good: all the three holes used very well sis adbhut update
Emoji Love GIF by ZIPENG ZHU

Lekin sis, please don't mind mujhe ye spanking achhi nhi lagi,I am against violence during love making.Me apni is feeling ko chhupa kar apni Komal sis se jhuth bhi to nahi bol sakti thi.Sorry Komal ji for expressing my feelings.
 
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Fantastic update, gr8 👌👌👌
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Emoji Love GIF by ZIPENG ZHU

Lekin sis, please don't mind mujhe ye spanking achhi nhi lagi,I am against violence during love making.Me apni is feeling ko chhupa kar apni Komal sis se jhuth bhi to nahi bol sakti thi.Sorry Komal ji for expressing my feelings.

with you on this point also,... will be careful next time,... but let me tell you even Kamsutra provides not only bites but light,... spanking,... not in anger but in love will try to search and share with you but i am with you, no violence in love
 
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और जब मेरी आँख खुली तो एक लौंडा और खड़ा था, अपना बियर कैन मार्का लण्ड मुठियाते हुये।

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मेरी तो आँखें फटी रह गईं। आज तक इतना मोटा लण्ड नहीं देखा था और अभी पूरी तरह खड़ा भी नहीं था, बस वो मुझे देखकर मुठिया रहा था।

देखने में इतना गंवार, चेहरा भी एकदम, शायद वैसे तो मैं उसकी ओर मुँह उठा के भी नहीं देखती, लेकिन इस समय बस मेरी निगाहें उसके लण्ड से चिपकी रह गई।



मेरी निगाहें हटीं जब दो जोरदार चाँटे मेरे चूतड़ पर लगे और जो भरौटी का लौंडा मुझे चोद रहा था, उसने पहली बार बोला, मेरे चूतड़ पर झापड़ मारते-

“चल छिनार चढ़ मेरे लण्ड पे, चोद चढ़ के मुझे…”

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एक पल के लिए तो मैं सकपकायी लेकिन गुलबिया ने इशारा किया की मैं चुपचाप उसकी बात मान जाऊँ वरना, और बिना रुके उसने फिर दो जबरदस्त चाँटे मेरी गाण्ड पे मार दिए। चूतड़ पे जैसे गुलाब खिल आये।

बस बिना रुके, मैं अब ऊपर थी।


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स्साले का लंड नहीं बांस था, बित्ते से बड़ा,... और मोटा मेरी मुट्ठी से भी ज्यादा, इत्ते लौंडो, मर्दों के लंड पर चढ़ी थी मैं , लेकिन इस का तो,...समझ में नहीं आ रहा था , जान पहले जायेगी या लंड पहले पूरा घुसेगा


कुछ देर तक तो मैं हल्के-हल्के उसे चोदती रही, लेकिन फिर उसने जोर से मुझे अपनी ओर खींच लिया, कचकचा के मेरे निपल काट लिए और हचाक से जैसे कोई भाले बींधे, अपना एक बित्ते का लण्ड मेरी चूत में पेल दिया।

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मैं फिर जोर से चीखी, चीखती रही, क्योंकी अब चूतड़ों पर झापड़ पूरी तेजी से बरस रहे थे।

गुलबिया की जेठानी, क्या लोहे के हाथ थे, उनके हाथों के तमाचे, पूरे चूतड़ पे जैसे किसी ने मिर्ची का लेप लगा दिया हो, ऐसे छरछरा रहा था।
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मैं सोच रही थी , इसके पहले तो लौंडे बहलाते फुसलाते थे, चुम्मा चाटी, मीजना मसलना , रगड़ना और गरम हो के जब मैं गीली हो जाती थी , पिघलने लगती थी तब पेलते थे , दर्द तो होता था लेकिन मजा भी आता था , यहाँ तो ये सीधे सीधे , बस पेलना,...

और मेरे बिन कहे जैसे मेरे मन की बात समझ के, चार जबरदस्त चांटे उसी जगह पर चूतड़ पर जो चांटे खा खा के लाल हो गयी, गुलबिया की जेठानी ने लगाए और गरियाते हुए बोलीं,...
" छिनार, तोहार काम मज़ा देना है, मजा लेना नहीं ,जो तोहैं चोदे आएंगे सब अपने मजे के लिए, अरे रंडी के पास कोई काहें जाता है, ... मज़ा लेने,...मजा देने नहीं और तू चूतमरानो तो खानदानी रंडी है , सात पुश्त से,.. और आज जब भरौटी से लौटोगी न तो जो थोड़ी बहुत कसर है वो भी पूरी हो जायेगी, पक्की रंडी बना के भेजेंगे आज हम सब। "


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नीचे से वो हचक के चोद रहा था, चुदाई का मजा भी आ रहा था, दर्द भी हो रहा था। एक पल के लिए उसने चुदाई रोक दी, अपनी दोनों टाँगें मेरी कमर के ऊपर बाँध दी, हाथ भी, और पीछे से गुलबिया की जेठानी ने मेरी गाण्ड पूरी ताकत से खोल दी,



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गुलबिया बिचारी मेरा सर सहला रही थी।

अचानक नीचे से उसने फिर मेरा निपल कस के काटा, दूसरा निपल गुलबिया ने पकड़ के उमेठ दिया। दर्द से मैं दुहरी हो गई थी, जोर से चीख निकली। लेकिन ये दर्द तो कुछ भी नहीं था।

जो लौंडा बियर कैन सा लण्ड मुठिया रहा था, उसने मेरी गाण्ड में सुपाड़ा पेल दिया, न कोई क्रीम, न कड़ुआ तेल, आप सोच सकते हैं की क्या हालत हुई होगी मेरी? खूब जोर से चीखी मैं। आँख में आंसू डबडबा आये। लेकिन वो ठेलता रहा, धकेलता रहा और कुछ ही देर में सुपाड़ा मेरी गाण्ड ने घोंट लिया।



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गुलबिया की जेठानी अब मेरे सर के पास बैठी थीं, गुलबिया के साथ, मुश्कुरा के गुलबिया से बोली-

“जो तुम कह रही थी, एकदम छिनार वैसे निकली। एह उमर में इतनी ताकत, आज तक हम कौनो लौंडिया में नहीं देखे थे, जबरदस्त रंडी बनेगी ये…”

दर्द तो अभी भी हो रहा था, लेकिन अब धक्के नीचे ऊपर दोनों ओर से बंद थे इसलिए थोड़ा कम, लेकिन मुझे क्या मालूम था ये तूफान के पहले की चुप्पी थी, अभी गाण्ड का छल्ला तो बाकी ही था, और पीछे से जो अबकी उसने जोर का धक्का मारा, मेरी दोनों चूचियां पकड़ के, बस…

गाण्ड के छल्ले को दरेरता फाड़ता, एक के बाद एक, दर्द से लग रहा था मैं बेहोश हो गई, लेकिन मैं चीख भी नहीं पाई।

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मैंने देखा नहीं था एक और लौंडा,

और उसने अपना लण्ड मेरे मुँह में ठोंक दिया।


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गुलबिया और उसकी जेठानी दोनों खिलखिला रही थी, गुलबिया बोली-


“अब आयेगा तोहें भरौटी क लौंडन क असली मजा…”

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यहाँ दर्द से जान निकली जा रही थी, तीनों छेदों में मोटे मूसल चल रहे थे और गुलबिया,



.......पर जिस चीज के लिए मैं रात भर तड़पती रही वो… दर्द से सिसकते, चीखते हुए भी बस पांच मिनट के अंदर मैं झड़ गई।

लेकिन उन तीनों पर कोई असर नहीं पड़ा। वो चोदते रहे, पेलते रहे, गाण्ड मारते रहे। दस मिनट के अंदर मैं दुबारा झड़ रही थी। और जब मैं तीन बार झड़ चुकी उसके बाद,



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वो तीनों, कहने की बात नहीं है की जिसने मेरी गाण्ड मारी, उसका लण्ड खुद गुलबिया की जेठानी ने पकड़ के मेरे मुँह में ठेल दिया।


मैं उसका चाट के साफ कर रही थी तब तक एक और लौंडा, मेरी गाण्ड में।

जिन दोनों ने मुँह और बुर चोदा था उन दोनों ने भी गाण्ड का भुरता बनाया।


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और मेरी चूत और गाण्ड में तो लण्ड घुसे ही थे, अक्सर मुँह में भी। दो तीन घंटे तक उन लौंडों ने मेरी ऐसी की तैसी की। जब वो गए तो बस समझिये जैसे मैं किसी गाढ़ी रबड़ी के तालाब में गोते लगा रही थी।


उठा नहीं जा रहा था,
Very hot update. Weekend ka maja aa gya apke update padhkar. Komal Ji
 
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भरौटी की औरतें

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वो तीनों, कहने की बात नहीं है की जिसने मेरी गाण्ड मारी, उसका लण्ड खुद गुलबिया की जेठानी ने पकड़ के मेरे मुँह में ठेल दिया।

मैं उसका चाट के साफ कर रही थी तब तक एक और लौंडा, मेरी गाण्ड में। जिन दोनों ने मुँह और बुर चोदा था उन दोनों ने भी गाण्ड का भुरता बनाया। और मेरी चूत और गाण्ड में तो लण्ड घुसे ही थे, अक्सर मुँह में भी। दो तीन घंटे तक उन लौंडों ने मेरी ऐसी की तैसी की। जब वो गए तो बस समझिये जैसे मैं किसी गाढ़ी रबड़ी के तालाब में गोते लगा रही थी।

उठा नहीं जा रहा था, और उठ पाई भी नहीं की दो-चार औरतें और भरौटी की आ गईं, फिर क्या-क्या नहीं करवाया मुझसे- बुर चटवाया, गाण्ड चटवायी, अंदर तक जीभ डाल के, सुनहला शरबत,

और सिर्फ मेरे साथ ही नहीं आपस में भी, एक जो उनकी ननद लगती थी उसे पटक कर मुझसे उसकी गाण्ड में तीन-तीन उंगलियां एक साथ, लेकिन फिर वो उंगलियां मेरे ही मुँह में जबरदस्ती,


मुझसे उम्र में थोड़ी ही बड़ी रही होगी, सावन में मायके आई थी। चार महीने पहले शादी हुई थी, उनकी ननद लगती थी लेकिन गाँव के रिश्ते में मेरी भाभी की बहन होने से मेरी भाभी ही, और फिर घर के पास कच्ची मिट्टी में हम दोनों की कुश्ती भी करायी, जो जीतता वो हारने वाली की गाण्ड मारता।

खूब तेज पानी बरस रहा था, कीचड़ हो रहा था। जीती मैं ही और उसकी गाण्ड भी मारी मैंने अपनी उंगलियों से। उनके जाने के बाद गुलबिया ने कुछ मुझे खिलाया पिलाया।

कुछ देर में सावन की धूप-छाँह खिल के धुप निकल आई, और गुलबिया मुझे खेत घुमाने ले गई। दोपहरिया अभी नहीं हुई थी। खेत में दो लौंडे, वो जो परसों मुझसे मिले थे उसके बाद, और किसी को गन्ने के खेत या अमराई का भी इन्तजार नहीं था, जहाँ दबोच लिया वहीं, और हर बार तीन-तीन एक साथ।


गुलबिया मुझे उनके बीच छोड़ के चली गई अपना काम निपटाने। जब वो लौटी तो तिजहरिया हो गई थी। जब वह लौटी तो तब तक मैं कम से कम 6-7 लौंडों के साथ, दो तीन बार से कम उनमें से किसी ने नहीं किया, एकाध ने तो बुर भले ही छोड़ दिया लेकिन गाण्ड सबने मारी, कभी कुतिया बना के,कभी अपने लण्ड पे बैठा के,

वहीं कुंए पे गुलबिया ने नहलाया मुझे मल-मल के, साथ में उसकी वो ननद भी थी जिसके साथ सुबह मेरी ‘कुश्ती’ हुई थी। मुझे नहलाते हुए वो अपने सैयां नन्दोईयों का खूब सुना रही थी। कैसे होली में आँगन में उसके देवर और दो ननदोइयों ने मिलकर उसके तीनों छेदों का बारी-बारी से मजा लिया। हाँ, उसकी ननदों और सास ने गाण्ड की चटनी चखाई, फिर गाँव में भी।

जब गुलबिया मुझे छोड़ने आई तो मुझसे चला नहीं जा रहा था। शाम अच्छी तरह ढल गई थी, बस गनीमत थी मेरी भाभी और चम्पा भाभी अभी भी कामनी भाभी के घर से नहीं आई थी।

हाँ, माँ ने मुझे देखा और गुलबिया की ओर तारीफ की नजर से, हल्के से बोलीं भी- “भौजाई हो तो ऐसी…”

मैं कटे पेड़ की तरह अपनी कुठरिया में बिस्तर पर गिर गई और मेरी आँख लग गई। मुझे बस इतना याद है की किसी समय माँ ने आकर अपनी गोद में मेरा सर रखकर प्यार से खाना खिलाया और फिर मैं उनकी गोद में सर रख के ही सो गई।

सुबह नींद खुली तो आसमान में अभी भी थोड़े-थोड़े तारे थे लेकिन बंसती गाय भैंस का काम निपटा रही थी। मैं फिर सो गई, मुझे इतना अंदाज है, बसन्ती आई, लेकिन मैंने आँख नहीं खोली।
 

komaalrani

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***** *****छप्पनवीं फुहार - बचे हुए दिन


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गाँव में दिन कपूर की तरह, पंख लगाकर उड़ गए। पता ही नहीं चलता था कब सुबह हुई कब शाम ढली। रोज मुँह अंधेरे, भिनसारे जब भोर का तारा अभी आसमान में ही रहता, प्रत्यूषा भी अपने नन्हे-नन्हे पग धरते नहीं आ पाती उस समय, खड़बड़-खड़बड़… कभी मेरी नींद खुल जाती, कभी नहीं भी खुलती।



मैंने बताया था न मेरा कमरा घर के पिछवाड़े वाली साइड में, कच्चे आँगन के पास था। कमरा क्या एक छोटी सी कुठरिया, जिसमें एक रोशनदान, एक खिड़की और एक ऐसा छोटा सा दरवाजा भी था (एकदम खिड़की की ही तरह) जो बाहर खुलता था और उसी के पास में ही गाय भैंसों के बाँधने की जगह। सुबह-सुबह वहीं बंसती आकर नाद साफ करना, चारा डालना, गाय भैंस दुहने से लेकर उनका सारा काम करती थी। उसी की खड़बड़, और उसके बाद सीधे मेरे पास।



मुँह अँधेरे, भिनसारे, मैं अक्सर जाग कर भी सोने का नाटक करती पर बसन्ती भौजी पर कोई फर्क नहीं पड़ता था। सुबह-सुबह, निखारे मुँह, घल-घल घल-घल, सुनहरी शराब की धार।



मैं थोड़ा नाटक करती, नखड़ा करती, लेकिन ये बात मुझे भी मालूम थी और बसन्ती भौजी को कि ये सिर्फ नाटक है। और जब मैं देर से उठकर, मंजन करके रसोई में पहुँचती तो हर बार चम्पा भाभी कभी इशारे से छेड़ती तो कभी साफ-साफ पूछती जरूर, लेकिन भाभी के सामने नहीं।



और अगर कभी भाभी आ भी गई तो वो और बसन्ती उनसे बस यही कहती की- “तेरी ननद को शहर की सबसे नमकीन लौंडिया बना के भेजेंगे हम…”



नमकीन तो पता नहीं, लेकिन वजन मेरा जरूर बढ़ गया था, कपड़े सब टाइट हो गए थे। इतने प्यार दुलार से चम्पा भाभी, भाभी की माँ, कभी मनुहार से तो कभी जबरदस्ती, खूब मक्खन डाला हुआ दूध का बड़ा सा ग्लास जरूर पिलातीं, उसके बाद जबरदस्त नाश्ता भी।


मैं कभी कहती की मेरे कपड़े टाइट हो गए हैं, वजन बढ़ गया है तो चम्पा भाभी का स्टैण्डर्ड जवाब था- “अरे ननद रानी, वजन बढ़ रहा है लेकिन सही जगह पे…” और मेरे उभारों को सबके सामने मसल देतीं।

मेरी भाभी भी उनका ही साथ देतीं कहतीं- “अरे टाइट, टाइट कर रही हो, वापस चलोगी न तो मिलेगा मेरा देवर रविन्द्र, उससे ढीला करवा दूंगी…”

मेरी आँखों के सामने रवींद्र की शक्ल घूम जाती और चन्दा की बात- “गाँव में जितने लौंडे हैं न, रवींद्र का उन सबसे 20 नहीं 22 है…”

(एक बार जब वह मेरे यहां आई थी तो उसने रवींद्र ‘का देखा’ था कभी बाथरूम में)।

सिर्फ घर में ही नहीं बाहर भी भाभियों का इतना प्यार दुलार मिला की, मैं कभी सोच भी नहीं सकती थी।



कामिनी भाभी की तो बात ही अलग थी, मेरा उनका अलग ही रिश्ता था, उन्होंने तो मुझे अपनी सगी ननद मान लिया था (सच में उनकी सगी क्या चचेरी, मौसेरी, फुफेरी ननद भी नहीं थी इसलिए ननद का अपना सब शौक वो मुझसे ही पूरा करती थी।)

मैंने बताया था न की उनके पिताजी मशहूर वैद्य थे और उनसे कामिनी भाभी ने जड़ी बूटी का ज्ञान ऐसा हासिल किया था की, बड़े डाक्टर हकीम फेल। खासतौर से लड़कियों औरतों की ‘खास परेशानी’ के मामले में। लड़का पैदा करना हो, न पैदा करना हो, पीरियड्स नहीं आते हों, या लेट करना हो, सब कुछ। और जो चीजें उन्होंने आज तक न किसी को बताई, न दी, वो अपना सारा खजाना मुझे दे दिया उन्होंने।

कुछ किशमिश दिखाई थी (चलने के पहले एक बड़ी बोतल दे दी थी मुझे उसकी) जो चार-चार अमावस की रात में सिद्ध की जाती थी, तमाम तरह की भस्म के साथ, स्वर्ण भस्म, शिलाजीत अश्वगन्धा सब कुछ, बस एक किशमिश भी किसी तरह खिला दो, जिसका खड़ा भी न होता उसका रात भर खड़ा रहेगा, एकदम सांड बन जायेगा। और अगर कहीं पूनम की रात को खिला दो तो न सिर्फ रात भर चढ़ा रहेगा बल्की जिंदगी भर दुम हिलाता घूमेगा।



अगली पूनम तो रक्षाबंधन की पड़ने वाली थी और मैंने तय कर लिया था उसका इश्तेमाल किसके ऊपर करूंगी।



ट्रेनिंग देने के मामले में भी, लड़कों को कैसे पटाया जाया रिझाया जाय से लेकर असली काम कला तक। बड़ा से बड़ा हथियार मुँह में कैसे लेकर चूस सकते हैं? भले ही वो गले तक उतर जाय लेकिन बिना गैग हुए, चोक हुए, और सिर्फ मुँह के अंदर लेना ही नहीं बल्की चूसना, चाटना, चूस-चूस के झड़ा देना। हाँ, उनकी सख्त वार्निंग थी, पुरुष की देह से निकला कुछ भी हो उसे अंदर ही घोंटना। इससे यौवन और निखरता है।



इसी तरह से नट क्रैकर भी उन्होंने मुझे सीखाया था, चूत में लण्ड को दबा-दबा के सिकोड़ निचोड़ के झड़ा देने की कला। जब मर्द रात भर के मैथुन से थका हो, उस समय लड़की को कैसे कमान अपनी हाथ में लेनी चाहिए (और इन सबकी प्रक्टिकल ट्रेनिंग भी अपने सामने करायी, उनके पति, ओह्ह… मेरा मतलब भैया थे न। और प्रैक्टिस के लिए गाँव में लौंडों की लाइन लगी थी)
 
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