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Erotica सोलवां सावन

chodumahan

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another story/plot with excellent dialogues and presentation.
but do include chudaai of other female characters in between the story (like purvi, chanda, other bhaujai etc)
to add more spices.
hoping for more to come from your side.
 
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komaalrani

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another story/plot with excellent dialogues and presentation.
but do include chudaai of other female characters in between the story (like purvi, chanda, other bhaujai etc)
to add more spices.
hoping for more to come from your side.


thanks very good suggestion will try to weave it in the plot
 

komaalrani

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तड़पाओगे , तड़पा लो




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लेकिन तड़पाने में रॉकी भी कम नहीं था ,

बस उसकी जीभ , मेरी खुली गोरी गोरी चिकनी मखमली जाँघों के एकदम ऊपरी हिस्से में , लपड़ लपड़, सपड़ सपड ,चाट रहा था। लेकिन वहां से इंच दो इंच दूर , मुझे लग रहां था उसकी जीभ अब वहां पहुंचेगी , अब पहुंचेगी , … लेकिन नहीं।

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मैं तड़प रही थी , सिसक रही थी , जोर से आँखे भींचे , बस दोनों हाथों से फर्श को दबाये , जांघे पूरी तरह खोले…


मन भी कर रहा था , डरभी लग रहा था ,...

जैसे पहली बार उस रात अमराई में अजय के साथ ,...

मेरी देह मेरी नहीं रही ,... बस जीभ के छूते ही , मैं गिनगीना रही थी , काँप रही थी , सिसक रही थी ,

मैंने आँखे जोर से बंद कर ली थी , कस कर मुट्ठी भींच ली थी , पर खुली जाँघे अपने आप फैलती जा रही थीं , मेरी छोटी सी स्कर्ट बस छल्ले ऐसी मेरी कमर के चारों ओर सिकुड़ के रह गयी थी ,


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लग रहा था अब , अब ,.... अब ,...अब ,...

सावन की भीगी हवा भी करेंट की तरह देह पर लग रही थी ,

और , .... ओह्ह्ह ओह्ह्ह

और जब उसकी जीभ वहां पहुंची , तो बस , मैं बेहोश नहीं हुयी और सब होगया।




क्या चाट रहा था वो , मैंने रवि से भी चटवाया था। चंदा उसकी बहुत तारीफ़ करती थी , नंबरी चूत चटोरा , और वो क्या गाँव की सभी लडकियां , मैं भी , ....


लेकिन आज … मैंने आपा खो दिया था। बस उस की ताल पे नीचे से बहुत हलके हलके चूतड़ उचका रही थी।


मैं पूरी देह का अहसास खो चुकी थी , बस सिरफ उसी जगह पर , जीभ और ,...

हल्का सा लिसलिसा लग रहा था , जाँघे फैलती जा रही थी , यौन द्वार खुलता जा रहा था और जीभ ठीक वहीँ ,

मेरी सांस तेजी से ऊपर नीचे हो रही थी , आँखे एकदम बंद , और वो ,....

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एक पल के लिए बसंती की बाद याद आयी , चंपा भाभी के साथ वही मिल के मेरे लिए रॉकी का जोड़ा बांधने का रोज प्रोग्राम बनाती थी , बोलती थी पहले जैसे कुतिया को चाट चाट के गीला करता है न ,...

उफ़ ओह , एक लहर देह में उठती थी और उसके ख़तम होने के पहले देह में दूसरी लहर , फिर तीसरी ,... मेरी पूरी देह सावन की बूंदो की तरह रिमझिम रिमझिम

मस्ती से मेरी चूंचियां पत्थर की हो गयीं थी , निपल एकदम खड़े और अपने आप मेरा एक हाथ मेरे निपल्स पे, कभी उसे फ्लिक करता , कभी गोल गोल रोल करता।


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जीभ भी तो उसकी खूब लम्बी थी , और खुरदुरी जैसे हजारों डॉट्स हों , और जब वो ऊपर से नीचे मेरी गुलाबी चिकनी चूत पे रगड़ती , क्लिट ,लेबिया और यहां तक की आलमोस्ट पिछवाड़े के छेद तक , …जान नहीं निकल रही थी बस , .... कभी मन करता था रुक जाय , और नहीं ,थोड़ी सांस लेने दे , तो कभी मन करता और चाटे , और चाटे ,रुके नहीं ,चाटता रहे ,चाटता रहे ,…

चूत मेरी लसलसी तो पहले ही हो गयी थी अब तो जैसे कीचड़ हो उसमें , धीरे धीरे पानी छोड़ना शुरू कर रही थी।





मैंने बहुत कोशीश करके , आँखे खोलीं और मेरी निगाह सीधे 'वहीँ ' पड़ी।

कल रात भी जब मैं चंपा भाभी के साथ गयी थी उसे खिलाने , और वो मेरी पिंडलियाँ चाटने लगा था , उसका एकदम टनटना गया था।


देख के मैं डर गयी , लाल लिपस्टिक की नोक सा जो बाहर निकला था वो बढ़ कर एकदम मूसल चंद हो गया था।

लेकिन आज तो , दिन में दिनेश का ८ इंच का घोंट के मेरी हिम्मत अचानक बढ़ गयी थी ,मुझे लगा रहा था भले मैं खूब चीखी चिल्लायी , दर्द भी बहुत हुआ , लेकिन आखिर जड़ तक उसका घोंट तो लिया ही और सारा रस भी पीया ,

लेकिन जब ' वहां ' मेरी निगाह पड़ी , दिनेश से २० नहीं , २५-२६ रहा होगा उसका।

रात में शायद अँधेरे में ठीक से नहीं देख पायी मैं या फिर शायद चम्पा भाभी साथ थीं तो मैं थोड़ा शंर्मा रही थी ,

या इस समय अब वो अपने असली रूप में आया है , जिसकी तारीफ़ चम्पा भाभी , मेरी भाभी और भाभी की माँ तक कर रही थीं।

मेरी चाट चाट के एकदम टनटना गया है।

लम्बा भी और मोटा भी ,…

और शायद मुझे वहां देखते उसने अपनी चाटने की रफ़्तार बढ़ा दी , और मैं झड़ने लगी ,

उह्ह्ह्ह्ह आह्ह नहीं रुक रुक जाओ , प्लीज आह्ह्हह्ह नहीईईईईईईई ,

लेकिन उस पे कोई असर नहीं हुआ और थोड़ी देर में मैं फिर गरमा गयी और अबकी तो बस पांच छः मिनट में ही दूसरी बार झड़ गयी।

लेकिन वो चाटता रहा ,चाटता रहा , जब मेरा झड़ना बंद हुआ तो हटा।


धीमे धीमे मेरे सांस लौटी।

और अब उसको देख के मुस्कराई। आखिर उसको इस मेहनत का इनाम तो मिलना चाहिए थे। और एक तरह से भाभी का भाई ही तो लगेगा





मेरी चूत ने जो कटोरी भर शहद उंडेला था , वो अच्छी तरह से मैंने अपनी हथेली में लपेटा , फिर उसको दिखा के दो ऊँगली से अपनी चूत का छेद मुश्किल से खोला और उसमें ऊँगली डाल के जोर जोर से गोल गोल घुमा के , अच्छीखटखट तरह रस निकाला , और सीधे उसके नथुने पे।



ये मेरी बारी थी या मेरा थैंक्स कहने का तरीका ,

जैसे उसके ऊपर दो बोतल शराब का नशा हो गया हो और वहीँ आँगन में नीम के नीचे एकदम लेट गया।

मैं भी एकदम निढाल , जैसे पूरी देह का रस निचुड़ कर वहीँ से बूँद बूँद शहद बन कर
 
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komaalrani

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चंपा भाभी

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मुझे भी पांच दस मिनट लगा नार्मल होने में , और वह वहीँ पेड़ के नीचे से मुझे देख रहा था।


बदमास

मेरी चुनमुनिया अभी भी दुबदुबा रही थी, निप्स एकदम खड़े थे , जोबन पथराया , बार बार खुद अपनी जाँघे भींच लेती थी , बस लग रहा था की ,....

पूरी देह की ताकत जैसे निचुड़ कर निकल गयी हो,


तभी सांकल बजी और झट से घबड़ाकर मैंने अपनी स्कर्ट ठीक की और जाकर दरवाजा खोला।

चम्पा भाभी थीं अकेले।

“क्यों भाभी नहीं आयीं कहां रह गयीं। वो…”

मैंने पूछा।

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जब सुबह मैं नदी नहाकर आयी थी , तो घर में बसंती थी उसी ने बताया था की चंपा भाभी और मेरी भाभी मुन्ना के साथ कहीं गयी हैं और माँ बगल के गाँव ,... और कुछ देर बाद बसंती भी चली गयी थी।

“अपने भैया से चुदवा रही हैं…” अपने अंदाज में हँसकर चम्पा भाभी बोली।

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पता चला की रास्ते में चमेली भाभी और उनके पति मिल गये थे तो भाभी वहीं चली गयीं।

" अरे इतने दिन तोहरे भैया से बिना नागा चोदवावत रहिन , ता कुछ दिन अपने भइयों क मजा लूट लें ,पुरानी बचपन की याद ताजा हो जायेगी। हमारी ननद छिनार सब , बचपन की चूतमरानो , चुदवासी, भाईचोद हैं। "

मेरी भाभी को अगर चिढ़ाने की , गरियाने की बात होती तो मैं और चंपा भाभी एक हो जाते ,... आखिर मेरी भाभी थीं तो उनकी भी ननद , और दोनों का रिश्ता ही मजाक वाला , और गाँव में तो एकदम खुल्लमखुल्ला।

खिलखिलाती हुयी चम्पा भाभी बोलीं और , थोड़ा और सरक के मुझसे सट के ,एकदम चिपक के बैठ गयीं , उनका एक हाथ मेरे कंधे पे था , जो सरक के सीधे मेरे टिकोरे पे पहुँच गया।

घर में हमीं दोनों तो थे।


" उ तो ठीक है , लेकिन चमेली भाभी क्या करेंगी , उनका तो उपवास हो जाएगा। "


उसी अंदाज में खिलखिलाती मैं भी बोली और चम्पा भाभी से थोड़ा और चिपक गयी।

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" नहीं नहीं , चमेली भाभी क पांच दिन वाली छुट्टी चल रही है , एह लिए तोहार भौजी क एवजी में ड्यूटी लगी है। "

मुस्करा के चम्पा भाभी बोलीं , फिर जो हाथ उनका मेरे टिकोरे पे था , उससे मेरे निपल को हलके से फ्लिक करते बोलीं ,



" आज तोहरी भौजी क नंबर लगा है न ,तो कल तुम्हारा नंबर लगवा देंगे , और चमेली भाभी क छुट्टी का तो आज पहिला दिन है अबहीं चार दिन बाकी है।

अरे लड़कन के साथ मर्दों का मजा लो तब असली मजा आएगा। खूब रगड़ रगड़ के चोदीहैं। मर्द और लड़कन में इहै फरक है।

मर्द मजा देना और लेना दोनों जानते हैं और ओन्हे कौनो जल्दी बाजी ना होत , समझलु। फिर तोहरे जोबन का जलवा खाली गांव के लड़कन प नहीं , गाँव के के मरदन पे भी है। "


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और इसी के साथ शाथ चम्पा भाभी की उंगलियां , एक बार मेरे टिकोरे से हट के सीधे मेरे रसीले होंठों पे पहुंच गयीं



और जैसे कोई तितली पल भर के लिए किसी फूल पे बैठ के उड़ जाय बस उसी तरह ,

और कुछ देर में वो उंगलिया उनका हाथ मेरे कंधे पे था ,

मेरे कंधे की गोलाइयाँ सहला रहा था , मेरे साँसे लम्बी हो रही थीं और , .... और , सरकते हुए उनका हाथ एक बार फिर मेरे टिकोरे पे ,

लेकिन अबकी टॉप के अंदर ( गांव आने के बाद तो मैंने ब्रा और पैंटी पहनना छोड़ दिया था ) सीधे निपल पे ,


मैं गिनगिना गयी।

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" बहुत मजा आएगा मर्दन के साथ और एक बात कहूँ ,कामिनी भाभी क मर्द मेले में तुमको देखे थे तबसे रोज एक्के गुहार लगाते हैं ,

कम से कम एक बार , कामिनी भाभी हमसे भी बोल चुकी है "

और खाली कामिनी भाभी थोड़े , अब तो कुल मेहरारुन क मर्दन क लार टपकत हो , वो तो मेले से ही , लेकिन रतजगे के बाद से ,... और मसहूर ,... "

हलके से मेरे निपल को फ्लिक करते चंपा भाभी बोलीं , और मैं सिसक उठी ,

रतजगे की बात अब मेरी समझ में आयी ,... और ये भी की ये बदमासी किसकी थी ,... नहीं चम्पा भाभी की नहीं , मेरी भाभी की तो एकदम नहीं ,...

माँ, भाभी की माँ ,...


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उनका मुझसे चिपकना दुलराना , टॉप के अंदर हाथ डालकर मेरी पीठ सहलाना ,... अब मैं समझ रही थी ये वात्स्लय नहीं , बल्कि जो बड़ी उम्र की औरतों की कच्ची जवान होती कलियों का शौक लगता है , एकदम उसी तरह का,... पर सोच बोलूं ,... मुझे भी अच्छा लगता था ,
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अरे जब मैं मेले में जा रही थी , गाँव की गुजरिया की तरह मेरा सिंगार ,... भाभी ने मुझे नथ पहनाई और मैं नाक भौं सिकोड़ रही थी तो चंपा भाभी ने चिढ़ाया की नथ पहनोगी नहीं तो उतरेगी क्या , तो माँ ने मेरी सहेली चंदा को हड़काते हुए कहा , ... चंदा ये तेरी जिम्मेदारी है , २४ घण्टे के अंदर नथ उतर जानी चाहिए ,... तो चंदा भी पक्की कमीनी बोली , अरे २४ घण्टे तो बहुत होते हैं , १२ घंटे में ही उतर जायेगी ,... और हुआ भी यही उसी दिन रात को गाँव की अमराई में , बरसते सावन में , अजय ने मेरी नथ उतार दी,...

और रतजगे में भी , सब लोग मेरे पीछे पड़े थे नाचने के लिए , मुन्ने की बुआ को नचाओ , मुन्ने की बुआ को नचाओ ,... तो मैंने भी बोल दिया , ठीक है पहले मुन्ने की मौसी को नचाओ तो मुन्ने की बुआ भी नाचेंगी ,... मुन्ने की मौसी मेरा साथ दें ,

पूरबी मेरे साथ नाचने खड़ी हुयी ,

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लेकिन थोड़ी देर नाचने के बाद ,.... गीता और चंदा दोनों में मेरे हाथ कस के पकड़ लिए ,

अब मुझे याद आ रहा था , कामिनी भाभी के साथ माँ ने इशारा किया था , बल्कि माँ ने ही चंदा को उकसाया था ,... और पूरबी ने आराम से धीरे धीरे मेरी साडी सीधे कमर तक ,

एकदम मक्खन मलाई ,... आने के पहले ही रिमूवर लगाया था ,...



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गाँव की सब औरतों ने , भरतपुर का , मैं अब याद कर रही थीं , माँ सब औरतों के साथ खुसपुस , बल्कि उनके बगल में बैठी , शायद भाभी की बुआ लगती थीं , पूरबी को हड़काया ,... अरे जरा भरतपुर खोल के तो दिखाओ ,...

अब मैं समझ रही थी , उसके बाद भाभी की सब भाभियों ने , और औरतों ने ,... और रतजगा में तो सब काम वाली भी रहती हैं , नाउन कहाईन

निपल रोल करते हुए अचानक उन्होंने बात बदल दी और मुड के मेरे चेहरे की ओर देखते हुए , पूछ बैठीं ,



"तोहार पांच दिन वाली छुट्टी कब थी। "



" भाभी , जिस दिन यहाँ आई उस के एक दिन पहले खत्म हुयी थी ,इसलिए अभी चिंता की बात नहीं "

उनका मतलब समझ मुस्कराते मैं बोली।



'" सही है , तो पूरा प्लानिंग कर के आई थी तुम , फिर क्या, …



फिर चम्पा भाभी भी चौखट पर बैठ गयीं थी और मैं भी।


चाय के गिलास को अपने होंठों से लगाकर सेक्सी अंदाज में भाभी ने पूछा- “ले लूं…”




मेरे चेहरे को मुश्कुराहट दौड़ गयी और मैंने कहा- “एकदम…”
 
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chodumahan

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बेचारा रॉकी ...उसकी तो चंपा भाभी ने कर दी...
खैर अभी और मौके आएंगे...
फिर तो रॉकी घिर्रा घिर्रा के लेगा...:bounce::applause::applause:
 
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बेचारा रॉकी ...उसकी तो चंपा भाभी ने कर दी...
खैर अभी और मौके आएंगे...
फिर तो रॉकी घिर्रा घिर्रा के लेगा...:bounce::applause::applause:


एकदम सही कहा आपने , घिर्रा घिर्रा के ,
 
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नया स्वाद


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चाय के गिलास को अपने होंठों से लगाकर सेक्सी अंदाज में भाभी ने पूछा- “ले लूं…”




मेरे चेहरे को मुश्कुराहट दौड़ गयी और मैंने कहा- “एकदम…”



तभी उनकी निगाह, नीचे बैठे राकी पर और उसके खड़े शिश्न पर पड़ गयी-

“अच्छा, तो इससे नैन मटक्का हो रहा था…”

चम्पा भाभी ने मुझे छेड़ा।

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मैं लाज से गुलाल हो उठी , जैसे मेरी चोरी पकड़ी गयी हो।



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उनका जो हाथ , टॉप के अंदर ,मेरे अभी नए नए आ रहे उभार पे था ,

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उन्होंने इस तरह रगड़ना मसलना शुरू किया की क्या कोई मर्द मसलेगा।



और उनका दूसरा हाथ मेरी गोरी जांघ पर था। उन्होंने जैसे उसे सहलाना शुरू किया, मुझे लगा मैं पिघल जाऊँगी, मेरी जांघें अपने आप फैल गयीं।

उन्होंने सहलाते-सहलाते मेरी स्कर्ट को पूरी कमर तक उठा दिया और जैसे, राकी को दिखाकर मेरी रसीली चूत एक झपट्टे में पकड़ लिया।



पहले तो वह उसे सहलाती रहीं फिर उनकी दो उंगलियां मेरे भगोष्ठों को बाहर से प्यार से रगड़ने लगीं।


मेरी चूत अच्छी तरह गीली हो रही थी।



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भाभी ने एक उंगली धीरे से मेरी चूत में घुसा दी और आगे पीछे करने लगी


भाभी की उंगली अब खूब तेजी से मेरी बुर में जा रही थी।

उनकी उंगली अब पूरी तेजी से सटासट-सटासट, मेरी बुर में आ जा रही थी

भाभी ने फिर कैंची ऐसी अपनी उंगली फैला दी और मैं उचक गयी, मेरी चूत पूरी तरह खुल गयी थी।


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“देख कैसी मस्त गुलाबी चूत है, उस दिन रतजगा में जो गाँव की औरतों ने देखा और जाके अपने अपने मर्दों से बोला न तब से , गाँव के मरद छुनछियाये फिर रहे हैं, अरे ननद रानी जउने दिन मरदों के नीचे आओगी न तब असली मज़ा आएगा , फिर तो भरौटी , चमरौटी , पठान टोला ,... सब कबड्डी खेलेंगे "

और उचकने से भाभी ने अपनी हथेली मेरे चूतड़ के नीचे कर दी। थोड़ी देर के लिये उन्होंने उंगली निकालकर मेरा गीला पानी मेरे पीछे के छेद पे लगाना शुरू कर दिया।

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“नहीं भाभी उधर नहीं…” मैं चिहुंक गयी।

“क्यों… इतने मस्त चूतड़ हैं तेरे, तू क्या सोचती है तेरी गाण्ड बची रहेगी…”

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उन्होंने उंगलियां तो वापस मेरी चूत में डाल दीं पर अब उन्होंने अपना अंगूठा मेरी गाण्ड के छेद पर रगड़ना शुरू कर दिया। और फिर एक झटके में अपना अंगूठा, मेरी कोरी गाण्ड में डाल दिया। उनके इस दोहरे हमले को मैं नहीं झेल सकी और जोर से झड़ गयी पर उनका अंगूठा, गाण्ड में और उंगलियां बुर का मंथन करती रहीं।



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जब मैं झड़ कर शांत हो गयी तो उन्होंने, अपनी उंगलियों में लगा मेरी चूत का सारा रस,मेरे ही मुंह पर पोत दिया




मैंने स्कर्ट को ठीक करने की कोशिश की पर भाभी ने मुझे मना कर दिया।


और थोड़ी देर में उनकी उँगलियाँ फिर चालू हो गयीं.


" अरे गुड्डी रानी ई उमर न ढंकने की है ,न छुपाने की। ऐसी मस्त मखमली जांघ है ,चिक्कन चिक्कन , तू बंद भी करना चाहोगी न टी ई त्त ई गाँव का लड़िकन ,मरद कौनो बंद न करने देंगे, इतने दिन बाद तो इतना मस्त माखन मलाई माल एह गाँव में आया है। "

अब यहां तोहार मर्जी न चली , खाली लौंडन क मर्जी चली समझलु। "


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चम्पा भाभी को कौन समझाये की अब मेरी मर्जी भी वही थी ,जो उन लड़कों की थी चार दिनों में अजय ,सुनील ,रवी ,दिनेश सभी तो
और ऊपर से उन्होंने आज ये हाल भी खुलासा कर दिया की मेरे इस नए नए जुबना के गाँव के मरद भी दीवाने है , कामिनी भाभी के पति ,और भी ,.... "


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तब तक चम्पा भाभी की उँगलियाँ कहीं और पहुँच गयी , मेरी सहेली को छेड़ती , पुचकारती , और उन्होंने एक और दरवाजा खोल दिया ,

" और तोहार भौजाई सब भी बौराई हैं एह रूप का मजा लेय खातिर , .चूस के चुसाय के , चाट के , चटाय के ,... "


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मेरे कानो की लर को चूमती , हलके से हँसतीं वो बोलीं।

लेकिन उनकी उंगली ने अब जो बदमाशी शुरू कर दी थी उसका कोई भी जवाब मेरे पास नहीं थी ,
बस देह गिनगिना रही थी ,आँखे बंद हो रहीं थी जाँधे पिघल रही थी।


उनकी इस बात से और मेरा मन

तब तक उनकी ऊँगली ने जो हरकत की बस , मेरी हालत खराब हो गयी।

उनकी तरजनी के टिप ने मेरे 'यूरेथ्रा ( मूत्र छिद्र ) ' को छेड़ना शुरू कर दिया था , और उसके पहले से ही मुझे जोर से लगी थी ,


( परेशानी ये थी की भाभी के घर में एक चार पांच साल पहले बना बाथरूम तो था , लेकिन वो 'पक्की खंद' या घर के दूसरे हिस्से में था ,और जिधर मेरे हिस्सा था और औरतों वाला इलाका ,उधर बस आँगन था , जो आधा कच्चा था , और चारों ओर खूब ऊँची दीवारे थीं ,


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बरामदे थे , दो तीन कुठारिया थी , और एक छोटा सा किचेन। जब मैं लौटी नदी से तो चंपा भाभी और मेरी भाभी निकल गयी थीं ,इसलिए पक्की वाले हिस्से में उन्होंने ताला बंद कर दिया था और कच्ची वाले हिस्से में बसंती थी मेरा इन्तजार करती। )

मैंने अब चम्पा भाभी को कुछ प्यार से कुछ झिडकते हुए मुंह बना के बोला ,


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" भाभी हाथ हटाइये न प्लीज , वरना मुझे बहुत जोर से आ रही है , कहीं आपके हाथ में हो जायेगी तो ,... "

भाभी तो एकदम निहाल , पहले तो उन्होंने मेरे गाल को हलके से चूमा , फिर डिम्पल पे जोर से काट के बोलीं ,

" अरे मेरी बिन्नो हो जाने दे न , अब तो मैं तभी रुकूँगी जब हो जायेगी। "


मेरी हालत खराब हो रही थी अचानक मेरी चमकी ,

" भाभी , आप चाभी लायी हैं क्या उधर की। "पक्की खंद ' की ओर इशारा करके मैंने पूछा।

" नहीं वो तो तोहरे भौजी के पास है उ लौटहैं तो मिली "


और इसके साथ उन्होंने उस जगह जोर जोर से रगड़ना शुरू कर दिया ,...

मैं आलमोस्ट अब गिड़गिड़ा रही ,

" भाभी ,छोड़ दीजिये , बहुत जोर से , ... "

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वास्तव में अब मुझे कंट्रोल नहीं हो रहा था।

बजाय ऊँगली के उन्होंने वहां अपने नाख़ून से खुरदना शुरू कर दिया और बोलीं ,



" अरे यार , आ तो मुझे भी बहुत जोर से रही है , लेकिन इसमें परेशानी की क्या बात है चल आँगन में नाली में, ... "

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उनके लिए तो नहीं लेकिन मेरे लिए तो नयी बात थी और परेशानी की भी , हाँ यहाँ औरतों को कितनी बार मैंने देखा था ,

यहीं आँगन में ,बस साडी उठाया और , ... आधे से ज्यादा गाँव में तो अभी भी सभी खेत में औरते ,लड़कियां सब , और अक्सर साथ साथ ,


मेरे पास रास्ता भी क्या था , नाली के मुहाने पे , और अभी ऊपर से कुछ देर पहले बंद हुयी बरसात का पानी परनाले की तरह नाली में तेजी से गिर रहा था।

थोड़ी देर तो मैं हिचकिचाई , लेकिन चम्पा भाभी तो एकदम से ,...

और वो मुझे देख के मुस्कराईं , फिर मैं भी ,....

देर तक ,...

बहुत जोर की सांस आई , और फिर हम दोनों एक साथ वहीँ बैठ गए जहाँ बैठे थे

हम दोनों के बीच एक दीवार और ढह गयी।

थोड़ी देर हम दोनों ऐसे ही बैठे रहे बिन बोले , चुपचाप।

अचानक चम्पा भाभी मुस्करा के बोलीं ,

" गुड्डी यार तू बोलेगी की भाभी ने मेरा तो देख भी लिया , छू भी लिया ,मजे भी ले लिए और अपना नहीं दिखाया , तो चल मेरी बी देख ले पट्टा पट्टी हो जाय।

और जब तक मैं समझू उन्होंने अपने बड़े बड़े चूतड़ उचकाए और , साडी सीधे कमर के ऊपर।

मोती मोटी मांसल जांघे भी खूब फैला लीं और मुझे अच्छी तरह अपनी ओर खींच लिया और मेरा सर पकड़ के झुका के बोलीं ,

" अरे छिनरों जरा पास से देख न "

" झान्टो से भरी , लेकिन चूत के दोनों दरवाजे , मांसल पपोटे ,पुतीयां खूब गद्देदार , भरी भरी थी , छेद एक दम बंद था हाँ बस थोड़ा सा बहुत छोटा सा हलका सा सुराख दिख रहा था।

गोरी गुलाबी , गुलाब के पंखुड़ी ऐसी मखमली लेकिन बस जहाँ 'आने जाने ' का रास्ता था, वहां रगड़ खा खा कर,घिस घिस कर थोड़ी 'सांवली सलोनी ' हो गयी थी।





लेकिन थी बहुत मस्त।
 
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komaalrani

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खारा स्वाद, मस्त गंध


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" झान्टो से भरी , लेकिन चूत के दोनों दरवाजे , मांसल पपोटे ,पुतीयां खूब गद्देदार , भरी भरी थी , छेद एक दम बंद था हाँ बस थोड़ा सा बहुत छोटा सा हलका सा सुराख दिख रहा था।

गोरी गुलाबी , गुलाब के पंखुड़ी ऐसी मखमली लेकिन बस जहाँ 'आने जाने ' का रास्ता था, वहां रगड़ खा खा कर,घिस घिस कर थोड़ी 'सांवली सलोनी ' हो गयी थी।




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लेकिन थी बहुत मस्त।

" अरी ननद रानी , तनी नजदीक से देखा न , अरे छुवा सहलावा , तब तो ,... "

चम्पा भाभी बोलीं। और साथ साथ अपनी केले के तने ऐसी चिकनी जांघो को और फैला दिया।

अब उनकी बुरिया एकदम खुलकर दिख रही थी ,थोड़ी फैल भी गयी थी।

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मैंने सर और झुकाया , आलमोस्ट दोनों जाँघों के बीच लेकिन तभी चम्पा भाभी ने अपने दोनों हाथों से मेरा सर पकड़ के सीधे अपनी जांघो के बीच ,


लोग कहते हैं की चंपा भाभी के हाथों में दस मर्दों की ताकत है और आज मैंने महसूस भी कर लिया , मैं सोच भी नहीं सकती थी सर छुड़ाने को।


" अरे चूतमरानो , कुत्ता चोदी , तेरे सारे खानदान की गांड मारूं , तानी चाट के तो देख क्या स्वाद है ,"


अपनी स्टाइल में चंपा भाभी बोलीं ,

लेकिन चाटने के पहले महक ,....





एक तेज भभका , बहुत तेज तीखा , मुश्किल से बर्दास्त करने वाला ,


अगर मेरा सर चंपा भाभी के कब्जे में नहीं होता तो मैं कब का सर हटा चुकी होती। लेकिन न नाकबंद कर सकती थी न सर हटा सकती थी , और चम्पा भाभी दबाव तेजी से बढ़ता जा रहा था ,

उनकी काली काली घनी झांटे , थोड़ी सी गीली , और ,.... वो भभका और तेज होगया ,

लेकिन तब तक कुछ भी दिखना बंद हो गया क्योंकि मेरा सर अब सीधे उनकी बुर पे


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और उनके हाथों से भी तगड़ी पकड़ उनकी रसीली मोटी मोटी जाँघों की थी , मेरा सर अब उनकी जाँघों के बीच दबा था।

" चाट चूत मरानो , भाईचोद , छिनार चाट , हमार बुरिया , चाट ,... "

और अब मेरा सर उनकी जाँघों के बीच में था इसलिए एक हाथ से उन्होंने जोर से मेरे नथुने दबा दिए ,

और पल भर में सांस लेने के लिए बेचैन मेरे होंठ जैसे खुले चूतड़ उचका कर उन्होंने ,अपनी बुर के मोटे मोटे पपोटे सीधे मेरे किशोर होंठो के बीच ,

अब उस भभके के साथ , एक अजब सा खारा कसैला स्वाद भी मेरे होंठों पे लग रहा था , चंपा भाभी का एक हाथ मेरे नथुने दबाये था
और दूसरा जोर जोर से सर अपनी बुर पे रगड़ रहा था।

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वो भभका और स्वाद ,

पहले तो मैंने अपने होंठ कस के भींच लिए थे , लेकिन जब चंपा भाभी की उँगलियों ने नथुनों को दबोच लिया , फिर कोई रास्ता नहीं था ,

मुझे अपनी सहेली चंदा की बात याद आई , एक दिन उसे 'जोर से लगी थी ' और जैसे ही खेत से 'कर के ' उठी ,
रवी ने उसे वहीँ पटक दिया , और जोर जबरदस्ती , चंदा की चाटने लगा , चंदा लाख कह रही थी ,'छोड़ छोड़ , लगी है वहां '

लेकिन रवी चाटता चूसता रहा , और चंदा को झाड़ के ही अलग हुआ , बोला आज अलग स्वाद मिला।


मैं कौन रवी से कम थी और कौन पहली बार चूत चाट रही थी।

चन्दा की तो मैंने कितनी बार


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और आज सुबह ही जब नदी नहाने गयी थी , तो पूरबी की कितनी जम के ,


चम्पा भाभी के दोनों मांसल पुत्तियाँ मेर मुंह में थी और मैंने जोर जोर से उनकी बुर चूसनी शुरू कर दी।

बहुत ही अलग ढंग का खारा ,कसैला सा स्वाद था , ऐसा वैसा ,

लेकिन कुछ देर बाद जब भाभी की बुर का रस उस स्वाद से मिलकर जाने लगा तो फिर तो ,


कुछ ही देर में मैं जोर जोर से , चुसुक चुसुक कर ,झान्टो भरी बुर चूसने लगी। मुझे भी मजा आने लगा ,

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चम्पा भाभी ने मेरे बंद नथुनो को छोड़ दिया था , और अब वह तेज भभका के बार फिर मेरे नथुनों में घुस रहा था , लेकिन अब तो वो एक अलग ढंग का तेज नशा मेरे तन मन में जगा रहा था , मुझे पागल कर रहा था , मन मथ रहा था , बस मैं पागल नहीं हुयी थी मस्ती से ,


लेकिन अब जिस तरह से मैं बूर चूस रही थी , चाट रही थी , चंपा भाभी जरूर पागल हो रही थीं।

चूतड़ पटक रही थीं , एक से एक मस्त गालियां और कब उनके हाथों ने मेरे सर को छोड़ दिया था ,न उन्हें पता चला न मुझे।


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उनके हाथ का पता मुझे तब चला , जब वो मेरे भारी भारी किशोर चूतड़ों को सहला रहा था , मसल रहा था , और साथ साथ चंपा भाभी बोल रही थी ,





' तुझे निहुरा के लेने में मर्दों को कितना मजा अायेगा। "



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जवाब में मैंने उनकी बुर की पुत्तियों को फैलाके , अपनी मांसल जीभ अंदर ठेल दी। रस छलक रहा था और मेरी जीभ भाभी की बुर का रसपान कर रही थी। और दोनों होंठ उनकी मोटी मोटी पुत्तियों को चूसने में लगे थे।

और अब गोल गोल चूतड़ों के कटाव से ,एक ऊँगली गांड की दरार के बीच सरक गयी और कसी सील बंद गांड के छेद को सहलाते उन्होंने ऊँगली की टिप अंदर ठेलने की कोशिश की पर वह तो एकदम बंद ,


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" क्या मस्त गांड है , एकदम कोरी लड़कन से भले बचाय लो , लेकिन गाँव क मर्द बिना गांड मारे न छोड़िहें। "






और उधर जो चीज मेरे होंठ ढूंढ रहे थे ,मिल गयी , उनकी झांटों में छुपी क्लिट और हलके से होंठो के बीच दबा के जो मैंने जोर से चूसा तो बस मारे मस्ती के ,


चम्पा भाभी के मुंह से गालियों की झड़ी बरसानी शुरू हो गयी और साथ में मस्ती भरी सिसकियाँ भी ,

" अरी छिनार गदहा चोदी क्या मस्त चूसती है , हरामी। हाँ और जोर से चूस और , लगा अपनी गांड की पूरी ताकत , पूरे गाँव के मरदन से तुम्हारी गांड मरवाउंगी। अरे ऐसा ट्रेंड कर के भेजूंगी सब रंडी मात , तोहरे शहर की। हाँ हाँ , चूस साल्ली , मजा आ रहा है नए स्वाद में। "






मैं भी चूसने में मगन थी।

बीच बीच में चम्पा भाभी बुदबुदा रही थीं ,

बसंती , खारा शर्बत और न जाने क्या क्या ,


फिर बुदबुदाती बुदबुदाती खुल के बोलीं ,

" स्साली छिनार गुस्सा तो नहीं हो हमसे ,... गलती हो गयी हमसे ,... "

मुझे कुछ समझ में नहीं आया , और मैं उस तरह तेज भभका मार रही , गीली भीगी , भाभी की बुर को जोर जोर से चूसती रही, लेकिन फिर भाभी ने अब अरथा के बता दिया ,....

" अरे गिलास भर से ज्यादा खारा सरबत , नाली में बहा दिया , तुझे यहीं आंगन में लिटा के चढ़ के पिला देती ,... "

अंदाज तो मुझे पहले भी हल्का था लेकिन भाभी की इस बात से पक्का हो गया , क्या है खारा नमकीन , मैंने जीभ से फिर बची खुची बूँदें चाट के किसी तरह अपने को छुड़ाकर बोला , आखिर ननद थी ,

" भौजी न आपकी ननद कहीं गयी है न आपका शरबत का घड़ा ,... जब चाहे ,... " लेकिन मैंने कहा था न चंपा भौजी में दस मरद की ताकत थी , दुबारा मेरे होंठों को कस कस के अपनी गीली , खारे रस से भीगी बुर पर रगड़ती बोलीं ,

" घबड़ा जिन , अरे जउने दिन आई थी न बसंती तो ओहि दिन से बौराई थी , लेकिन माँ ने समझा बुझा के , अरे दो चार दिन सबुर करो , ओकरे बाद तो एही अँगने में , रोज बिना नागा , सुबह साँझ ,... पिलाना खिलाना , आखिर तोहार ननद है ,... बसंतिया तो न छोड़ी तोहके बिना पियाये ,... सोच दू चार बून्द चाटने में इतना मजा आ रहा है तो जब गिलास भर बंसतिया , पटक के हाथ पैर छान के ,... "

भौजी की बात सुन के और जोस बढ़ गया था मैं कस कस के चूस रही थी भौजी की बुर ,...

" और सुन एको बूँद कहीं एहर ओहर गयी तो मार चांटा , ... गाल और चूतड़ दोनों लाल, सीधे उँहा से मुंह , मुंह से पेट , अरे अपने सहर क सबसे नमकीन लौंडिया हो जाओगी गाँव क भौजाई लोगन क सरबत पी पी के



फिर अचानक गांड सहलाती उनकी ऊँगली मेरी चूत में घुस गयी और अब सिसकने की बारी मेरी थी


और कुछ ही देर मेरे होंठ और उनकी ऊँगली एक सुर ताल में


ऊँगली गचागच अंदर

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चंपा भाभी अब एक साथ दो ऊँगली, ...उन्हें भी अंदाज लग गया था की न मेरी सिर्फ फट गयी है उनके गांव में आकर बल्कि ४-५ मूसल दनादन चल चुके हैं

लेकिन दिनेश और अजय के मोटे मोटे मूसल घोंटने के बाद भी , चंपा भाभी की उँगलियाँ जान ले रही थीं ,

मैं चीख रही थी , सिसक रही थी चूतड़ पटक रही थी , पर उनकी दोनों उँगलियाँ गोल गोल , ... और फिर चीखने से भौजाइयां छोड़ दें तो फिर सारी ननदें बच न जाएँ ,... और चंपा भाभी तो भौजाइयों की भौजाई, ... मुझे उनकी और मेरी भाभी की बात याद आ रही थी , वो मेरी भाभी को चिढ़ा रही थीं , ... अब तो बच्चा हो गया है , ऊँगली नहीं पूरी मुट्ठी , और कामिनी भाभी के साथ मिल कर , डबल फिस्टिंग , भाभी की चूत और गाँड़ दोनों में ,

और मेरी जीभ होंठ भी कभी चूसते कभी चाटते ,


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१०- १२ मिनट तक ऐसे ही चला और हम दोनों साथ साथ झड़े।

कुछ देर तक हम ऐसे ही पड़े रहे फिर उठ के बैठे , मैंने अपनी स्कर्ट ठीक की और भाभी ने साडी
 
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गाँव के मरद


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चंपा भाभी ने मुझे स्कर्ट नीचे नहीं करने दिया तो मैं उन्हें पेटीकोट साड़ी क्यों करने देती ,

पहली बार हम ननद भौजाई , दिन दहाड़े , घर के आँगन में इस तरह, खुल्लम खुल्ला,... सावन की तिझरिया की भीगी भीगी नम नम हवा मेरी गुलाबो को और गीली कर रही थी ,

पहले तो रॉकी ने जो चटाई की थी , उसके बाद चंपा भाभी की बातें और ऊँगली ,... मेरी चुनमुनिया चासनी से लिपटी पड़ी थी ,



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रस में लिपटी जलेबी की तरह , और अब एकदम खुली , ... एकदम खुली तो नहीं भौजी की हथेली अभी भी उसी के ऊपर थे , कभी वो हलके से सहला देतीं , तो कभी बस दबा देतीं ,

हम दोनों जबरदस्त झड़े थे ,... मैं उनकी ऊँगली से और वो मेरी चुसाई से ,... इसलिए थोड़ी देर तक बस ऐसे ही बैठे सावन की हवा का मजा लेते रहे फिर बात चंपा भाभी ने ही शुरू की , ...

" बड़ी मस्त हौ तोहार ,... " मेरी चूत को खूब हलके हलके सहलाते दुलराते वो बोलीं , फिर जोड़ा

" यह गाँव के मरद बड़े जबरदस्त ,... " और कह कर चुप हो गयीं,


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मैंने बोला नहीं ये सोच के की आधे से ज्यादा तो चंपा भाभी के देवर लगते हैं तो जरूर उन्होंने कबड्डी खेली होगी और फिर जेठ भी तो साल में एक महीने में ,...

चंपा भाभी की हथेली में जादू था , वो हलके हलके ही मेरी एकदम खुली चूत सहला रही थीं लेकिन वो फिर पनियाने लगी,

' सबका लम्बा और लम्बे ज्यादा खूब मोटा और कड़ा , लेकिन सब ज्यादा जिस तरह पटक कर बेरहमी से रगड़ते हैं ,... तेरे पीछे तो सब पड़े हैं , रोज दो चार मेरी देवरानी और जेठानी आ के अर्जी लगा जाती है तेरे जोबन रस के लिए ,... "

मैं भी कुछ सोच रही थी ,चंपा भाभी ने ही बताया था और बसंती ने तो पूरे डिटेल में ,...

" कामिनी भाभी के मरद भाभी ,... " मेरे मुंह से निकल गया,

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और चम्पा भाभी हंसने लगी , देर तक हंसने लगीं , फिर मुझे अँकवार में भर कर चूम लिया ,...

" क्या सुना है ,... यही न की बालक प्रेमी हैं , अभी तक चिकने लौंडे की तलाश में ,... बात सही है , लेकिन आधी है , अरे ये बात तू समझ ले ज्यादा मरद कबड्डी कम उम्र में लौंडों की ही गाँड़ मार के ,... तो इसमें क्या , और वो असल में वो भेद नहीं करते , लेकिन उन्हें पिछवाड़ा बहुत पसंद है , लेकिन जिस बेरहमी से वो गांड मारते हैं , काम वाली भी , कटाई रोपाई वाली भी उनसे बचती हैं ,


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बेचारी कामिनी भाभी जिस दिन टांग फैला के चलें समझों उनके पिछवाड़े का बाजा बज गया , तुझे तो मेले में जिस दिन से देखा था उन्होंने ,... और वो आगे पीछे के छेद में भी भेद नहीं करते ,... तेरा पिछवाड़े वाला अभी खुला की नहीं , ... "

मैं शरमा गयी , आगे वाले में ही जान निकल जाती है , पिछवाड़ा , कतई नहीं ,... जान चली जायेगी पक्का ,...



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अच्छा हुआ चंपा भाभी की बात फिर गाँव के मरदों पर आ गयीं , ...

" अरे कामिनी भाभी के मरद तो मशहूर हैं लेकिन चमेली भाभी के भी कम नहीं है , और जो रतजगे में नाच रही थी न बिलसिया , उस मरद भी ,... सब कहते हैं गदहे का है उसका ,... "

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उसके बात उन्होंने कम से कम दर्जन भर मरदो का नाम बताया , और उन भौजाइयों से तो मैं रतजगा में कभी झूले पर मिल ही चुकी थी ,

" और सबसे बड़ी बात ये की वो गन्ना अरहर का खेत भी नहीं ढूंढते , बँसवाड़ी में सरपत के पीछे कहीं भी ,.... अरे आज कल धान की रोपनी हो रही है न , बस जो रोपनी करने वाली आती हैं , उसमे से दो चार का रोज नाड़ा खुलता है , और सबको मालूम है ,


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रोपनी ख़तम होते होते कउनो लड़की औरत नहीं बचेगी , जिसपर चार पांच मरद आठ दस बार न चढ़ चुके हों ,... "



अब तक भाभी की एक ऊँगली फिर मेरी बिल में घुस चुकी थी जैसे कोई गाँव का मरद चढ़ कर हचक हचक कर चोद रहा हो एकदम उसी तरह पूरी तेजी से

" जउने दिन गाँव का कोई मरद चढ़ेगा न तेरे ऊपर फेचकुर फेंक दोगी , फिर बंसतिया पाव भर कडुआ तेल पिलाएगी बुरिया में , और गाय के घी से रगडेगी न तब अगली बार के लिए ,... लेकिन जल्दिये ,... "


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भौजी की बात सुन सुन के मैं गीली हो गयी थी और ऊपर से ऊँगली ,

रॉकी जैसे उठ गया और उस की निगाह हम दोनों की ओर , बल्कि सिर्फ मेरी ओर ,

चंपा भाभी जोर से मुस्करायी , ... लेकिन जानती हो गाँव का सबसे तगड़ा मरद कौन है ,...

मेरी चूत से चासनी एक बार फिर बह रही थी , मैं बोली , नहीं , बताओ न भौजी ,...

रॉकी की ओर इशारा करके बोलीं ,

" ये तेरा असल यार "


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उन्होंने सहलाते-सहलाते मेरी स्कर्ट को पूरी कमर तक उठा दिया और जैसे, राकी को दिखाकर मेरी रसीली चूत एक झपट्टे में पकड़ लिया।



पहले तो वह उसे सहलाती रहीं फिर उनकी दो उंगलियां मेरे भगोष्ठों को बाहर से प्यार से रगड़ने लगीं।


मेरी चूत अच्छी तरह गीली हो रही थी।


भाभी ने एक उंगली धीरे से मेरी चूत में घुसा दी और आगे पीछे करने लगी।

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जैसे वो राकी से बोल रहीं हों, उसे दिखाकर, भाभी कह रह थीं-

“क्यों, देख ले ठीक से, पसंद आया माल, मुझे मालूम है… जैसे तू जीभ निकाल रहा है, ठीक है…

दिलवाऊँगीं तुझे अबकी कातिक में। बल्कि कातिक में क्यों , अरे ई तो बारहों महीने गरमाने वाला माल है , बस जल्द ही ,

बिना तुम्हारा घोंटे इसे जाने नहीं देना है अब सासू माँ का हुकुम है . और मन तो इस का भी बहुत कर रहा है.


हां एक बार ये लेगा न… तो बाकी सब कुतिया भूल जायेगा, देशी, बिलायती सभी… हां हां सिर्फ एक बार नहीं रोज, चाहे जितनी बार… अपना माल है…”


भाभी की उंगली अब खूब तेजी से मेरी बुर में जा रही थी।



और राकी भी… वह इतना नजदीक आ गया था कि उसकी सांस मुझे अपनी बुर पे महसूस हो रही थी और इससे मैं और उत्तेजित हो रही थी।
 
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चंपा भाभी ,ट्रेनिंग




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मेरी निगाह, ये जानते हुये भी कि भाभी मुझे ध्यान से देख रही हैं, बड़ी बेशरमी से, राकी के अब खूब मोटे, लंबे, पूरी तरह बाहर निकले शिश्न पर गड़ी थी।



“पर भाभी… इतना बड़ा… मोटा… कैसे जायेगा…” मैंने सहमते हुये पूछा।


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“अरे पगली, ये जो मुन्ना हुआ है तेरी भाभी के कहां से हुआ है, उसकी बुर से, या मुँह से… या कान से…”

भाभी ने हड़काते हुये पूछा।

“मैं क्या जानू, मेरा मतलब है, मैंने देखा थोड़े ही… ठीक है भाभी उनकी बुर से ही निकला है…”

मैंने सहमते हुए बोला।

“और कितना बड़ा है… कितना वजन था कितना लंबा रहा होगा तू तो थी ना वहां…”

भाभी ने दूसरा सवाल दागा।
“हां भाभी, 4 किलो से थोड़ा ज्यादा और एक डेढ फीट का तो होगा ही…”

मैंने स्वीकार किया।

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“तो मेरी प्यारी गुड्डी रानी, जिस बुर से 4 किलो और डेढ फीट का बच्चा निकल सकता है तो उसमें एक फीट का लण्ड भी जा सकता है,

तू चूत रानी की महिमा जानती नहीं…” और फिर मेरे कान में बोलीं-





“अरे कुत्ता क्या, अगर तू हिम्मत करे तो गदहे का भी लण्ड अंदर ले सकती है और मैं मजाक नहीं कर रही,

बस ट्रेनिंग चाहिये और हिम्मत, ट्रेनिंग मैं करवा दूंगी, और हिम्मत तो तेरे अंदर है ही…”

अपनी बात जैसे सिद्ध करने के लिये, अब उन्होंने दो उंगलियां मेरी बुर में डाल दी थीं और फुल स्पीड में चुदाई कर रहीं थीं।


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पर मुझे अभी भी विश्वास नहीं हो रहा था।


भाभी से मैंने खुलकर पूछ लिया-

“पर भाभी… मरद की बात और है… और वो कैसे… और वो ,... मेरा मतलब वो ,... कैसे कर सकता है…”

हिचकते झिझकते मैंने किसी तरह पूछा



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“अरे, घबड़ा क्यों रही है, बड़ी आसानी से करवा दूंगी पर इसका मतलब है कि मन तेरा भी कर रहा है… अरे इसमें क्या है, बस चारों पैरों पर, कुतिया की तरह खड़ी हो जाना,


(मुझे याद आया, दिनेश ने तो मुझे इसी तरह चोदा था, इसी आँगन में , और दर्द तो बहुत हुआ था , लेकिन मज़ा भी बहुत आया )

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टांगें अच्छी तरह फैला लो, फिर ये, (राकी की ओर उन्होंने इशारा किया) पास आकर तेरी बुर चाटेगा,भाभी ने समझाया और हिम्मत बंधाते आगे बोला

और अगर एक बार इसने चाट लिया तो तुम बिना चुदे रह नहीं सकती, एकदम गीली हो जाओगी। जब अपनी मोटी खुरदुरी जीभ से चाटेगा ना… उतना मजा तो किसी भी मर्द से चुदाई में नहीं आता जित्ता चटवाने में आता है,

( मुझसे ज्यादा उसके चाटने का असर कौन बता सकता अभी थोड़े देर पहले ही तो , और, अभी तक मेरी चूत अंदर तक लसलसी थी। )


मैं मस्ती से अब उसे ही देख रही थी और चम्पा भाभी मुझे समझाने में लगी थीं ,

“और फिर जैसे कोई मर्द चोदता है, तुम्हारी पीठ पर चढ़कर ये अपना लण्ड डाल देगा। इसका पहला धक्का ही इतना तगड़ा होता है…

इसलिये आंगन में वह चुल्ला देख रही हो ना, गले की चेन को हम लोग उसी में बांध देते हैं जिससे कोई छुड़ा ना सके।

बस एक बार जब तुमने पहला धक्का सह लिया ना, और उसका लण्ड थोड़ा भी अंदर घुस गया ना, तो फिर क्या…

आगे सब राकी करेगा, तुम्हें कुछ नहीं करना। तुम लाख चूतड़ पटको, लण्ड बाहर नहीं निकलने वाला…

काफी देर चोदने के बाद उसका लण्ड फूलकर, गांठ बन जायेगा, तुमने देखा होगा कितनी बिचारी कुतियों को… जब वह फँस जाता है ना…
बस असली मजा वही है… कोई मर्द कितनी देर तक करेगा 15 मिनट, 20 मिनट।

पर राकी तो गांठ बनने के बाद कम से कम एक घंटे के पहले नहीं छोड़ता… तो तुम्हें कुछ नहीं करना… बस …”


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बल्कि ननद रानी , उसके पहले भी तुझे कुछ नहीं करना पडेगा , आखिर भौजाइयां होती किस लिए हैं , बस मैं और बंसती मिल के , नहीं होगा तो गुलबिया भी ,...


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जबरदस्ती पकड़ के तोहें , एही आंगन में निहुराय देंगे , जैसे गन्ने के खेत में गाँव क लौंडन तोहें निहराते हैं , अब गाँव में आके निहुरने की प्रैक्टिस तो अच्छी हो गयी होगी , नहीं तो बाकी हम भौजाई लोग हैं ही, जैसे रॉकी के गले में पट्टा और चेन देख रही हो न , बस वैसे ही पट्टा और चेन गुलबिया तोहरी गर्दन में , और बंसतिया वही चेन चुल्ला में बाँध देगी ,

फिर हम तीनो पकड़ के निहुरा देंगे , बंसती नहीं तो मैं खुद रॉकी को ला के , ...


वैसे तो बंसतिया करवाती है गाँठ जोड़ने का नाउन वाला काम , लेकिन तोहरे खातिर हम करवाए देंगे , बस एक बार अंदर घुस जाए ,... हाँ चीखना चिल्लाना रोना धोना चाहे जितना लेकिन ज्यादा उछल कूद मत करना वरना ,... और ननद क चीख चोदवाते समय कोयल क बोली लगती है ,...

भाभी की इस बात से अब मुझे लगा गया था कि ये सिर्फ मज़ाक नहीं है।


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उनकी उंगली अब पूरी तेजी से सटासट-सटासट, मेरी बुर में आ जा रही थी और राकी के लण्ड की टिप पे मैं कुछ गीला देख रही थी।

भाभी ने फिर कैंची ऐसी अपनी उंगली फैला दी और मैं उचक गयी, मेरी चूत पूरी तरह खुल गयी थी।

उसे राकी को दिखाते हुये, वो बोलीं-



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“देख कैसी मस्त गुलाबी चूत है, इस माल का पूरी ताकत से चोदना तेरी गुलाम हो जायेगी…”

और उचकने से भाभी ने अपनी हथेली मेरे चूतड़ के नीचे कर दी। थोड़ी देर के लिये उन्होंने उंगली निकालकर मेरा गीला पानी मेरे पीछे के छेद पे लगाना शुरू कर दिया।

“नहीं भाभी उधर नहीं…” मैं चिहुंक गयी।

“क्यों… इतने मस्त चूतड़ हैं तेरे, तू क्या सोचती है तेरी गाण्ड बची रहेगी…”

उन्होंने उंगलियां तो वापस मेरी चूत में डाल दीं पर अब उन्होंने अपना अंगूठा मेरी गाण्ड के छेद पर रगड़ना शुरू कर दिया। और फिर एक झटके में अपना अंगूठा, मेरी कोरी गाण्ड में डाल दिया। उनके इस दोहरे हमले को मैं नहीं झेल सकी और जोर से झड़ गयी पर उनका अंगूठा, गाण्ड में और उंगलियां बुर का मंथन करती रहीं।



जब मैं झड़ कर शांत हो गयी तो उन्होंने, अपनी उंगलियों में लगा मेरी चूत का सारा रस,

राकी के नथुनों पर खूब अच्छी तरह पोत दिया। उसे लगा कि, दो बोतल शराब का नशा हो आया हो।


मैंने स्कर्ट को ठीक करने की कोशिश की पर भाभी ने मुझे मना कर दिया।
 
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