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Erotica सोलवां सावन

komaalrani

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Are are are aapke updates ke kya kahne lajawab update hai
thanks
 

komaalrani

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komaalrani

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Speechless .....
Aapka andaaz likne ka.... Sach much nirala hai....

Simply superb.....


No words are enough to show my gratitude
 

komaalrani

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निशाना चूक न जाए

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बड़ी हिम्मत कर के अजय ने अपना हाथ मेरी कमर पे रख के मुझे और अपने पास खींच लिया।



लेकिन सामने पूरबी कजरी और रवी दिखाई दिए और उसने झट से हाथ हटा लिया।



हम लोग निशाने वाले की दूकान के सामने थे और चंदा भी हमारे साथ आ गयी थी।





पूरबी ,कजरी और गीता के साथ रवी ,दिनेश और एक दो लड़के और थे।

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दस निशाने सही लगाने पर दस निशाने और फ्री लगाने को मिलते।



लड़के अजय को लेकर उकसाने लगे। मैं एकदम अजय के साथ ही खड़ी थी ,आलमोस्ट चिपकी सी। चंदा हम दोनों के पीछे और उसकी कमेंट्री चालू थी ।



" निशाना असली ,ठीक बगल में हैं "


चंदा ने मेरी ओर इशारा करके अजय को छेड़ा।



अजय ने मुस्कारते हुए शूट करना शुरू किया और देखते देखते दस के दस एकदम सही ,



अब चंदा मेरे पीछे पड़ गयी , अब तेरा नंबर। और उसके साथ पूरबी ,कजरी ,गीता सब,…



मैं लाख मना करती रही लेकिंन अजय ने शॉटगन मुझे पकड़ा दी , और जैसे ही मैंने पकड़ा ,पूरबी और चंदा दोनों मिल के ,



" देखा अजय ने पकड़ाया तो कैसे झट से पकड़ लिया। "


पूरबी ने छेड़ा।

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" अरे अजय का माल है , तो पकड़ लिया उस ने प्यार से , और क्या। "

चंदा क्यों मौका छोड़ती।



" सिर्फ अजय का पकड़ेगी या बाकी लोगों का भी "


सुनील अब पीछे पड़ा।



" तेरी सहेली का निशाना तो वैसे ही गजब का है ,मेले में डेढ़ सौ लोग घायल हो चुके हैं। "


रवी ने चंदा को सुनाया।



सब कमेंट मुझे अच्छे लग रहे थे और मैंने निशाना लगाया ,



दस में दस मेरे भी।





सब लड़कियों ने खूब जोर की ताली बजायी , और ये तय हुआ की हम दोनों का मुकाबला होगा।





" ऐसे नहीं , जो हारेगा , वो मिठायी खिलायेगा ,"



पूरबी और कजरी बोलीं।



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अजय ने झट मान लिया।



और हम दोनों के मुकाबले के चक्कर में ,...


पहला राउंड बराबर रहा , दस मेरे दस अजय के।



दूसरे राउंड में फिर ९ मेरे लेकिन अजय के दो निशाने चूक गए , और मैं तो नजदीक से देख रही थी ,

जान बूझ के उसने आखिरी दो शॉट गलत मारे थे।



लड़कियों ने शोर से आसमान गूंजा दिया ,लेकिन ये तो मैं जानती थी की सच में कौन जीता।


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और जिस तरह से अजय ने मुझे देखा , मेरी आँखों में झांक के ,

मैं हार गयी और उसका हाथ दबा के मैंने अपनी हार कबूल कर ली।



इसके बाद फिर सब लोग अलग थलग ,





चंदा सुनील के साथ ,



अजय भी कुछ लड़कों के साथ ,



मैं कुछ देर पूरबी और कजरी के साथ , इधर उधर मस्ती से ,....



तब तक मैंने एक किताबों की दुकान देखी और रुक गयी ,



जमीन पर बिछा के , ढेर सारी ,


किस्सा तोता मैना , सारंगा सदाब्रिज , आल्हा , बेताल पच्चीसी ,सिंहासन बत्तीसी , शादी के गाने ,
 

komaalrani

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मेले में खोयी गुजरिया

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तब तक मैंने एक किताबों की दुकान देखी और रुक गयी ,



जमीन पर बिछा के , ढेर सारी ,

किस्सा तोता मैना , सारंगा सदाब्रिज , आल्हा , बेताल पच्चीसी ,सिंहासन बत्तीसी , शादी के गाने ,



मैं झुक के पन्ने पलट रही थी, पता ही नहीं चला कैसे टाइम गुजर रहा था , तब तक जोर से नितम्बो पे किसी ने चिकोटी काटी , और बोला तुम दोनों मिल के ये कौन सी किताब पढ़ रहे हो।



और मेरी निगाह बगल की ओर मुड़ गयी।

अजय हलके हलके मुस्कराता हुआ ,



और फिर मेरी निगाह उस किताब की ओर पड़ गयी, जिसकी ओर चंदा इशारा कर रही थी।



असली कोकशास्त्र , बड़ी साइज ,८४ आसन ,सचित्र।

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मैं गुलाल हो गयी , और अजय बदमाशी से मुस्करा रहा था।



" सही तो कह रही हूँ , साथ साथ पढ़ लो तो साथ साथ प्रैक्टिस करने में भी आसानी होगी। "

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मैं उसे मारने दौड़ी तो वो एक दो तीन , और मेले की भीड़ में गायब।



लेकिन मेरी पकड़ से कहाँ बाहर आती



आखिर पकड़ लिया , लेकिन उसी समय कामिनी भाभी और दो चार भाभियाँ मिल गयीं , और वो बच गयी।



बात बातें करते हम लोग मेले के दूसरी ओर पहुँच गए थे।

वहां एक बहुत संकरी गली सी थी , दुकानों के बीच में से। और मेला करीब करीब खत्म सा हो गया था वहां , पीछे उसके खूब घनी बाग़,



तभी मैंने देखा दो लड़कियां निकलीं , उसी संकरी गली में से , खिलखिलाती , खूब खुश और उसके पीछे थोड़ी देर बाद दो लड़के।



मैंने शक की निगाह से चंदा की ओर देखा तो उसने मुस्कराते हुए सर हिलाके हामी भरी।



फिर इधर उधर देख के फुसफुसाते हुए मेरे कान में कहा ,

" यही तो मेले का मजा है। अरे गन्ने के खेत के अलावा भी बहुत जगहें होती हैं ,उस के पीछे कुछ पुराने खँडहर है , जिधर कोई आता जाता नहीं है , सरपत और ऊँची ऊँची मेंडे फिर पीछे बाग़ और सीवान है। "



पूरबी चूड़ी की एक दूकान से इशारे कर के मुझे बुला रही थी , और मैं उसके पास चली गयी।



वहां कजरी भी थी और दोनों उस दूकान दार से खूब लसी थीं ,

मैं भी उन की छेड़छाड़ में शामिल हो गयी। वहां से फिर मैं चंदा को ढूंढने निकली , तो उस ओर पहुँच गयी जहां दुकानो के बीच की वो संकरी सी गली , एक एक करके कोई उसमें जा सकता था ,



तभी अचानक भगदड़ मची , खूब जोर की , कोई कहता लड़ाई हो गयी , कोई कहता सांप निकला।



सब लोगों की तरह मैं भी भागी , और भीड़ के एक रेले के धक्के के साथ मैं भी ,



कुछ देर में जब मैं रुकी तो मैंने देखा की मैं उसी संकरी गली के अंदर हूँ.

,

मैं आगे बढती रही , वह आगे इतनी संकरी होगयी थी की तिरछे हो के ही निकला जा सकता था ,रगड़ते दरेरते।



मैं अंदर घुस गयी , और थोड़ी देर बाद एक दम खुली जगह , ज्यादा नहीं , १००- २०० फीट।



उसमें कुछ पुराने अध टूटे कमरे , और खूब ऊँची मेड जिस पे सरपत लगी थी और उस के पार वो घनी बाग़।



बाहर से एक बार फिर मेले का शोर सुनाई देने लगा था।



मैं एकदम अकेली थी वहां।



आसमान में काले बादल भी घिर आये थे , काफी अँधेरा हो गया था।





और जब मैं वापस निकलने लगी तो , रास्ता बंद।





दो मोटे तगड़े मुस्टंडे , उस संकरे रास्ते को रोक के खड़े थे।



मेरी तो घिघ्घी बंध गयी।



अगर मैं चिल्लाऊं तो भी वहां कोई सुनने वाला नहीं थी।



उन में से एक आगे बढ़ने लगा , और मैं पीछे हटने लगी।



दूसरा रास्ता घेरे खड़ा था।



मैं आलमोस्ट उस खँडहर के पास पहुँच गयी।



वह कुछ बोल नहीं रहे थे पर उनका इरादा साफ था और मैं कुछ कर भी नहीं सकती थी।



" तेरी सोन चिरैया तो आज लूटी , कोई चाहने वाला लूटता पहली फुहार का मजा लेकिन यहाँ ये दो ,"



कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था।



तबतक एकदम फिल्मी हीरो की तरह , अजय



और पहली बार मैंने नोटिस किया , उसकी चौड़ी छाती , खूब बनी हुयी मसल्स ,कसरती देह , ताकत छलक रही थी।



और अब उसके आगे तो दोनों जमूरे एकदम पिद्दी लग रहे थे।



उसने उन दोनों को नोटिस ही नहीं किया , और सीधे आके मेरा हाथ पकड़ के बोला ,



" अरे हम सब लोग तुमको ढूंढ रहे हैं , चलो न "


मैंने अपना सर उसके सीने पे रख दिया।
 

komaalrani

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मजा झूले पे ,


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" अरे हम सब लोग तुमको ढूंढ रहे हैं , चलो न "



मैंने अपना सर उसके सीने पे रख दिया।





थोड़ी देर में हम लोग फिर मेले की गहमागहमी के बीच , वहीं मस्ती ,छेड़छाड़। और पूरा गुट ।



गीता ,पूरबी ,कजरी , चंदा , रवि ,दिनेश और सुनील।





एक बड़ी सी स्काई व्हील के पास।



" झूले पे चढ़ने के डर से भाग गयी थी क्या "
पूरबी ने चिढ़ाया।

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" अरे मेरी सहेली इत्ती डरने वाली नहीं है , झूला क्या हर चीज पे चढ़ेगी देखना ,क्यों हैं न "

चंदा क्यों पीछे रहती द्विअर्थी डायलॉग बोलने में।



और अब झूले वाले ने बैठाना शुरू किया ,मुझे लगा मैं और चंपा एक साथ बैठ जायंगे , लेकिन जैसे ही चंदा बैठी , धप्प से उसके बगल में सुनील बैठ गया।



और अब मेरा नंबर था लेकिन जब मैं बैठी तो देखा , की सब लड़कियां किसी न किसी लड़के के साथ ,

और कोई नहीं बची थी मेरे साथ बैठने के लिए।



बस अजय , और वो झिझक रहा था।



झूलेवाले ने झुंझला के उससे पूछा , तुम्हे चढ़ना है या किसी और को चढाउँ ,बहुत लोग खड़े हैं पीछे।



मैंने खुद हाथ बढ़ा के अजय को खीँच लिया पास में।



चंदा और सुनील अगली सीट पे साफ दिख रहे थे।

चंदा एकदम उससे सटी चिपकी बैठीं थी और सुनील ने भी हाथ उसके उभारों पर , और सीधे चोली के अंदर

और झूला चलने के पहले ही दोनों चालू हो गए।


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सुनील का एक हाथ सीधे चंदा की चोली अंदर , जोबन की रगड़ाई ,मसलाई चालू हो गयी और चंदा कौन कम थी , वो भी लिफाफे पे टिकट की तरह सुनील से चिपक गयी।



और झूला चलते हुए इधर उधर जो मैंने देखा तो सारी लड़कियों की यही हालत थी।



मैं पहली बार जायंट व्हील पे बैठी थी और जैसे ही वो नीचे आया, जोर की आवाज उठी , होओओओओओओओओओओ हूऊऊओ



और इन आवाजों में डर से ज्यादा मस्ती और सेक्सी सिसकियाँ थीं।





डर तो मैं भी रही थी ,पहली बार जायंट व्हील पे बैठी थी और जैसे ही झूला नीचे आया मेरी फट के , … मैं एकदम अजय से चिपक गयी।



लेकिन एक तो मैं कुछ शर्मा रही और अजय भी थोड़ा ज्यादा ही सीधा , झिझक रहा था की कहीं मैं बुरा न ,



लेकिन फिर भी जब अगली बार झूला नीचे आया , डर के मारे मैंने आँखें मिची , अजय ने अपना हाथ मेरे कंधे पर रख दिया।

अब मैं और उहापोह में उसके हाथ को हटाऊँ या नही। अगर न हटाऊं तो कहीं वो मुझे ,…

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हाथ तो मैंने नहीं हटाया ,हाँ थोड़ा दूर जरूर खिसक गयी , बस अजय ने हाथ हटा लिया।



अब मुझे अहसास हुआ , कितनी बड़ी गलती कर दी मैंने। एक तो वो वैसे ही थोड़ा ,बुद्ध और सीधा ऊपर से मैं भी न ,



फिर बाकी लड़कियां कित्ता खुल के मजे ले रही थीं , चंदा के तो चोली के आधे बटन भी खुल गए थे और सुनील का हाथ सीधा अंदर , खुल के चूंची मिजवा रही थी। और मैं इतने नखड़े दिखा रही थी। क्या करूँ कुछ समझ में नहीं आ रहां था ,खुद तो उससे खुल के बोल नहीं सकती थी।



लेकिन सब कुछ अपने आप हो गया ,एकदम नेचुरल।



झूले की रफ्तार एकदम से तेज होगयी और मैं डर के अजय के पास दुबक गयी ,मैंने अपना सर उसके सीने में छुपा लिया , और अब जब उसने अपना हाथ सपोर्ट देने के लिए जैसे , मेरे कंधे पे रखा।



ख़ुशी से मैंने उसे मुस्करा के देखा और अपनी उंगलिया उसके हाथ पे रख के दबा दी।



और जब झूला नीचे आया तो अबकी सबकी सिसकियों में मेरी भी शामिल थी।



मैं समझ गयी थी ,हर बार लड़का ही पहल नहीं करता ,लड़की को भी उसका जवाब देना पड़ता है।



और अगर अजय ऐसा लड़का हो तो फिर और ज्यादा , आखिर मजा तो दोनों को आता है। फिर कुछ दिन में मैं शहर वापस चली जाउंगी , फिर कहाँ , और आज यहाँ अभी जो मौक़ा मिला है वैसा कहाँ ,… फिर









उसका हाथ पकड़ के मैंने नीचे खींच लिया सीधे अपने उभार पे , और हलके से दबा भी दिया।



और जैसे अपनी गलती की भरपाई कर दी हो , अजय की ओर मुस्करा के देखा भी।



फिर तो बस , उसकी शैतान उंगलियां ,मेरे कड़े कड़े किशोर उभारों के बेस पे , थोड़ी देर तो उसने बस जैसे थामे रखा ,फिर अपनी हथेली से हलके दबाना शुरू किया। हाथ का बेस मेरे निपल से थोड़े ऊपर , मैं साँस रोक के इन्तजार कर रही थी अब क्या करेगा वो ,



कुछ देर उसने कुछ नहीं किया , बस अपनी हथेली से हलके हलके दबाता , मेरी गोलाइयों का रस लेता , वो अभी खिली कलियाँ जिसके कितने ही भौंरे दीवाने यहाँ इस मेले में टहल रहे थे। पतली सी टाइट चोली से उसके हाथ का स्पर्श अंदर तक मुझे गीला कर रहा था।



मन तो मेरा कर रहा था बोल दूँ उससे जोर से बोल दूँ ,यार रगड़ दो मसल मेरे जोबन ,जैसे खुल के बाकी लड़कियां मजे ले रही हैं ,



पर ये साल्ली शरम भी न ,



लेकिन अबकी जब झूला नीचे आया तो बस मैंने अपनी हथेली उसकी हथेली के ऊपर रख के खूब जोर से दबा दिया , और उस प्यासी निगाह से देखा , जैसे सावन में प्यासी धरती काले बादलों की ओर देखती है।



और धरती की तरह मेरी भी मुराद पूरी हुयी।



अजय ने खूब जोर से मेरे जोबन दबा दिए।



इत्ता भी सीधा नहीं था वो , अब हलके हलके रगड़ मसल रहा था , और थोड़ी ही देर में दूसरा उभार भी उसके हथेली की पकड़ में ,



मेरी सिसकियाँ और चीखें और लड़कियों से भी अब तेज निकल रही थीं।



पहली बार मुझे ये मजा जो मिल रहा था , प्यार से कोई मेरे उभारों को सहला दबा रहा था , मसल रहा था ,रगड़ रहां था ,मीज रहा था।



और मैं भी उतने ही प्यार से , दबवा रही थी , मसलवा रही थी , रगड़वा रही थी ,मिजवा रही थी।



मैं आलमोस्ट उसके गोद में बैठी हुयी थीं ,मेरा एक हाथ जोर से उसके कमर को पकडे हुआ था , जैसे अब वही मेरा सहारा हो , आलमोस्ट कम्प्लीट सरेंडर।

अब मेरी सारी सहेलियां जिस तरह से खुल के अपने यारों के साथ मजा ले रही थीं ,उसी तरह





लेकिन अजय तो अजय ,उसकी उँगलियाँ हथेलियाँ अभी भी चोली के ऊपर से ही चूंची का रस ले रही थीं।



दो बटन तो मेरे पहले ही खुले थे , मेरी गोलाइयाँ , गहराइयाँ सब कुछ उसे दावत दे रही थीं लेकिन ,....



पर मेरे लिए चोली के ऊपर से भी जिस तरह से वो जोर जोर से दबा रहा था वही पागल करने के लिए बहुत था। अब मुझे अंदाज हो रहा था जवानी के उस लज्जत का जिसे लूटने के लिए सब लड़कियां कुछ भी , कभी गन्ने के खेत में तो कभी अपने घर में ही ,





उसकी डाकू उँगलियों ने हिम्मत की अंदर घुसने की , मैंने बहुत जोर से सिसकी भरी , जब उसके ऊँगली के पोर मेरे निपल से छू गए।



जैसे खूब गरम तवे पे किसी ने पानी के छींटे दे दिए हों





अंगूठा और तर्जनी के बीच वो मटर के दाने ,



लेकिन तबतक झूला धीमा होना शुरू हो गया था और उसने हाथ हटा लिया।





झूले के रूकने पे अजय ने मेरा हाथ पकड़ के उतारा और एक बार फिर उसकी हथेली मेरे उभारों पे रगड़ गयी।


वो बेशर्मों की तरह मुझे देख के मुस्करा रहा था , लेकिन मैं ऐसी शरमाई की , हिरनी की तरह अपने सहेलियों के झुण्ड से दूर।


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Jitu kumar

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Awesome updates komal ji,
behad hi shandaar, lajawab aur amazing update hai,
aapne jhule ke scene ko jis andaj me describe kiya hai vo adbhut hai,
ajay ke sath aakhir kar thodi si shuruwat ho hi gayi hai,
dekhte hai ab aage kya hota hai,
Waiting for next update
 
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