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Erotica सोलवां सावन

komaalrani

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दिल एक बार फिर बेचैन हो उठा था जब आप 9 तारीख के बाद नही आयीं थी तो....लगातार आते रहिये इसी तरह के गरमागरम अपडेट के साथ , सर्दी गुजारने में आसानी होगी।
एकदम ,

मैंने असल में सोचा की पोस्ट के बाद तो मैं हर थ्रेड पर, हर बार इन्तजार करती हूँ, कई बार तो बिना किसी कमेंट के अगली पोस्ट भी डाल देती हूँ ,

तो मैंने सोचा एक बार थोड़ा इंतजार करवाने का भी लुत्फ़ ले लूँ , इन्तजार का मजा तो लेती ही हूँ , पोस्ट तो मैंने अपने दोनों थ्रेड्स पर कर दिया था, कल ही , इस पोस्ट को आपके एकलौते कमेंट का सौभाग्य मिला,... तो

बस अब नियमित पोस्ट करुँगी मैं इन दोनों थ्रेडस पर, कमेंट्स आये तो मेरा अहोभाग्य, न आए तो उसे भी मैं कमेंट मानूंगी की वो पोस्ट इस काबिल नहीं थी की कोई अपना टाइम और मेहनत खर्च करे,...
 
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komaalrani

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माँ


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बहुत गहरी नींद लगी थी, ऐसी सोई की सुधबुध खो के, जब उठी तो एकदम अँधेरा सांझ गहरा गयी थी, कुछ समझ में नहीं आ रहा था, किसी की आवाज भी नहीं सुनाई पड़ रही थी , फिर अचकचा के मैं उठ बैठी , सुनील ने बोला था , शाम को , ... देह अभी भी खूब टूट रही थी,



लेकिन तभी मुझे याद आया आज नहीं कल के लिए सुनील ने बोला था, आज तो उसको अजय को और चंदा को शहर जाना था , चंदा ने बोला तो था , किसी काम से, कल दोपहर तक तीनो लौटेंगे ,

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मैंने इधर उधर देखा तो न तो मेरी भाभी दिख रही थीं, न चंपा भाभी हाँ माँ थी लेकिन वो भी सज संवर के, जैसे कहीं जाने को तैयार हो रही थीं,... माँ तैयार होकर बहुत जबरदस्त लग रही थीं. वैसे भी खूब गोरी चिट्ठी थीं , देह थोड़ी भरी भरी थी, लेकिन मोटी नहीं थीं, जहाँ भरी भरी होनी चाहिए वहीँ , और आज तो खूब सिंगार पटार भी किया था, खूब जबरदस्त लिपस्टिक, टाइट चोली , खूब गहरी कटी हुयी, और दोनों जोबन छलक छलक कर, बस लग रहा था , आँचल भी एकदम उसी तरह, ...

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बिन बोले मेरे मन की बात समझ जाती थीं, मुस्करा के मेरे बिन पूछे सवाल का जवाब दे दिया उन्होंने,



" अरे एक जगह आज गाना है और फिर खाना, बिरादरी का २१ सुहागिनों का,... इसलिए वो दोनों वहीँ गयी हैं , तुम्हारी दोनों भाभियाँ, मुझे भी जाना है तुम सो रही थी, इसलिए रुक गयी लेकिन मैं थोड़ी देर में जाउंगी, ... और क्योंकि सुहागिनों का सिर्फ बुलौवा है , इसलिए तोहैं नहीं ले जा सकती। "

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मुझे दुलराते हुए गले से उन्होंने लगा लिया,... और अबकी मैं भी उसी तरह से उनसे चिपक गयी, जिस तरह से उनके चोली से छलकते जोबन मेरे कच्चे उभारों से रगड़ रहे थे, मैं भी उन की मन बात समझ रही थी, पर बजाय झिझकने अलग होने के मैंने भी उसी तरह उलटा उनसे और ज्यादा सट गयी, अपने उभारों को उनके उभार पर दबाते,...

बसंती वहीँ आंगन में खड़ी हम दोनों की लीला देख देख के मंद मंद मुस्करा रही थी, लेकिन उससे न तो कोई दुराव छिपाव माँ को था न मुझे।

" अरे ई कौन सुहागिन से कम , बाकी के तो एक मरद होते हैं, इसके दस दस हैं , दस सुहागिन के बराबर,... " बसंती ने चिढ़ाया ,

" काहें बेचारी के पीछे पड़ी है , एक तो तोहन लोगन के देवरन क बेचारी इतना ख्याल रखती है, ऊपर से उसके पीछे पड़ी हो , अरे जब तक गाँठ न बँधाये तब तक सुहागिन में कैसे "


माँ मेरी ओर से बोली।

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अब माँ का एक हाथ मेरे पिछवाड़े था, मेरी फ्राक को उठा के मेरे छोटे छोटे खुले नितम्बों को सहलाता रगड़ता,...

आज बसंती जोर से मस्ता रही थीं,... जोर से मेरे खुले चूतड़ पर एक हाथ मार के बोली,... "

" अरे तोहरे बिटिया क पिछवाड़ा इतना जबरदस्त है, पूरा गाँव जवार एकरे पिछवाड़े के पीछे पड़ा है, एक निकालेगा तो दूसरा डालेगा और तीसरा थूक लगा के मुठियाता रहेगा, ... "

बसंती मेरी पिछवाड़े की दरार में ऊँगली जोर जोर से रगड़ते बोली, लेकिन माँ कौन चुप रहने वाली थी ,

" अरे तेरे मुंह में घी गुड़ एह उमर में लौंडन पीछे न पड़िहें तो कब पड़िहें,... तबे तो आज रात भर तोहरे हवाले कर के जा रही हूँ , "

जैसे दुलार से उन्होंने मेरे गाल कस के चूम बलैया लेते बोलीं,... और फिर मुझ से मुड़ के कहा,

" तोहैं छोड़ क जाने का मन तो नहीं कर रहा था , लेकिन गाँव बिरादरी क बात है, कल हम लोग दोपहर तक आएंगी, तब तक बसंतिया क कुल बात मानना,... "

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" एकदम " मुड़कर बसंती को अपनी अँकवार में भरती मैं बोली,

" हमार ऐसी मीठी भौजी है , इनकी बात नहीं मानूंगी मेरी हिम्मत लेकिन भौजी आज हमार भाभी की , ... जब तू कुँवार रहलू कै गो रखले भतार रहलू ' वाला पूरा किस्सा , बिना कउनो कांट छांट के, ' जा पहिरत सूट सलवार रहलू, मइके क ,... " वो ,वाला ...



लेकिन बजाय मुझे जवाब देने के बसंती माँ की ओर मुड़ गयी और पूछने लगी,



" बोलिये सुनाय दूँ , नैहर क किस्सा कुल,... "



माँ जाते जाते दरवाजे पर ठहर गयीं और खूब मीठी मीठी मुस्कान से मेरी ओर देखते बोलीं,...



" ननद भौजाई के बीच में मैं नहीं पड़ूँगी , पूछ ननद रही है बताना भौजी को है,... लेकिन जब तक बताओगी नहीं ये तोहार छिनार ननद छोड़ने वाली नहीं है "



जाते जाते भी माँ ठिठक के रुक गयीं और एक पल के लिए ललचायी निगाहों से मेरे छोटे छोटे चूजों को देखने लगीं,


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मैं भी शैतान, मैंने भी उन्हें हलके से और उभार दिया और उनकी ओर देख के मुस्कराने लगी.


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" और आज एकर गाँठ भी जुड़वाय दूंगी , बियाह क कुल रस्म, गुलबिया और अपनी चार पांच गोतिन क बुलाये के ,... आज से इहो सुहागिन हो जायँ ,... "


बसंती मुझे भींचते हुए बोली।


" ठीक है लेकिन पहले भाभी क किस्सा और केकरे साथ गाँठ जुड़वाएंगी " मैंने हँसते हुए बंसती से पूछा ।

माँ ध्यान से सुन रही थीं , मुस्करा रही थी।


" और केकरे साथ, रॉकी के साथ तोहार असली यार तो यही है " बंसती बोली,...


" लेकिन सुहागरात रॉकी वाली हमारे सामने होनी चाहिए और वैसे भी सुहागरात तो बियाह के अगले दिन होती है। "

हँसते हुए माँ बोली और वो भी सुहागन वाले प्रोग्राम के लिए चल दी.



बसंती ने दरवाजा बंद करते ही, मुड़के कस के मुझे अपनी बाहों में भींच लिया और चूमते बोली,...

" तो आज रॉकी के साथ तोहार,... लेकिन असली काम धाम तो सबके सामने ही होगा वरना उ का कहते हैं , जंगल में मोर नाचा,... "

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" अरे भौजी तोहरे हवाले ई ननद है लेकिन ओकरे पहले नयहर में जब तू कुँवार रहलू, हमरे भाभी क किस्सा कहानी " मैंने जिद की.

" लेकिन ओकरे पहले चाय " वो हंस के बोलीं,
 

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नयहर में जब तू कुँवार रहलू,



उर्फ़ मेरी भाभी के बालापन के किस्से






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" अरे भौजी तोहरे हवाले ई ननद है लेकिन ओकरे पहले नयहर में जब तू कुँवार रहलू, हमरे भाभी क किस्सा कहानी " मैंने जिद की.

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" लेकिन ओकरे पहले चाय " वो हंस के बोलीं,


और थोड़ी देर में पिछवाड़े वाले कच्चे आंगन में नीम के पेड़ के नीचे मैं बसंती की गोद में सर रखे अधलेटी थी, वो कभी मेरे गाल सहलाती कभी फ्राक के ऊपर से छोटे छोटे उभार दबा देतीं, और झुक के मुझे चूमते बोलीं,...

"अरे तोहूँ से उमरिया में बारी रही होंगी जब पहिला धक्का खायीं, ... तोहसे दुई हाथ आगे थीं,... "

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उनके चुम्मे का हलके से जवाब चुम्मे से देते मैंने धीरे से पूछा, कौन था भौजी।

मेरे छोटे छोटे जोबन हलके हलके सहलाते बोलीं,

" तुमको नहीं मालूम अरे देखी तो होगी कइयों बार तुम, अबहियों तो नैन मटक्का चलता है, ... समुवा,... "



" अरे वही जो गइया भैसिया का काम करता है , जउन चार पांच दिन के लिए कही गया है और आज कल तोहें ,... "मुझे बिस्वास नहीं हुआ, मैंने पूछ लिया।

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बसंती ने बात बीच में काट दी और बोली , "हाँ एकदम वहीँ , अरे तोहरी भाभी के समौरिये है नहीं तो दो चार साल बड़ा होगा। ओकर भौजाई हमें कुल किस्सा बताई , गुलबिया क गोतिन हैं , आती है कई बार,..."



रॉकी हम दोनों को टुकुर टुकुर देख रहा था , आसमान कभी एकदम काला हो जाता था जब आवारा बादल चाँदनी को घेर लेते थे और चांदनी उन सब को मुंह चिढ़ाती , छुपती छिपाती , बच के निकल जाती थीं तो आंगन में रौशनी छिटक जाती थी।

लगता था हम लोगों के इसी आंगन वाले नीम के पेड़ पर, अटक गया है, छुप छुप के हम ननद भौजाई की बात सुन रहा है,

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और बसंती ने भाभी के पहले चक्कर का किस्सा आगे बढ़ाया लेकिन साथ में मना भी कर दिया की बीच में टोका टोकी न करूँ, चुपचाप सुनूं।

मैं ध्यान से बसंती का मुंह देख रही थी, एक एक बात सुन रही थी और जैसे सामूआ की बड़की भौजी ने आँखों देखा सुनाया था, सब का सब एकदम सच्च,... आँखों देखी, वैसे ही सुना रही थीं



" तुमसे भी उमरिया में बारी थी, और जब समुआ गाय भैंस दूहने सबरे शाम आता था, वो भी वहीँ जहाँ गाय भैस बंधती है , तोहरी कुठरिया के पीछे वहीँ, पहुँच जाती थी, और कभी उसे चिढ़ाए, कभी उसे तंग करे कभी,... अपने छोटे छोटे जोबना भी जाने अनजाने रगड़ देती। कभी झुक झुक के बस आ रहे छोटे छोटे चूजे उसे दिखातीं ललचातीं,

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समझता तो समुआ भी था थोड़ा बहुत, लेकिन लजाता भी था , हिम्मत भी नहीं पड़ती थी आगे बढ़ने की , पर उसकी बड़की भाभी जो उसके साथ गाय भैंस की सानी पानी करती थीं , उनसे अपने देवर की ये हालत नहीं देखी जाती थी, और कनखियों से वो ये भी देखती थीं की तोहरी भाभी क बदमाशी से उनके देवर का खूंटा टनटना के खड़ा हो जाता था,.. अच्छा ख़ासा बांस,... एक दिन नहीं रहा गया,... तोहार भाभी आपन उभार ओकरे पिठिया प रगड़त रहीं , तो वो बोल दीं,



" अरे बाकी कुल गाय भैंस तो रोज दुहते हो , एक दिन ई बछिया भी दुह दो, बहुत गरमाय रही है '

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समुआ क खूंटा तो खड़ा हो गया लेकिन बोलने क हिम्मत नहीं पड़ी , पर तोहार भाभी टपर टपर बोल पड़ीं,...

" अरे भौजी, आपके देवर की हिम्मत ही नहीं है, बेचारा,... "


गाँव के रिश्ते से समुआ के भौजी से तोहरी भाभी का तो ननद भौजी का ही रिश्ता था और मजाक का भी।



दो तीन दिन तक ऐसे ही , समुआ क भौजी उकसाती रही , जब एक दिन बोल दी की देवर इज्जत का सवाल है आज तो दुह ही लो,... तो हिम्मत कर के समुआ ने पीछे हाथ कर के कच्चे टिकोरे दबोच लिए , और तोहार भाभी लजाय के , छुड़ाय के घर में भाग गयीं।



अगले दिन भिन्सारे तो तोहार भाभी नहीं आयीं सांझी क टाइम फिर आ गयीं ,

समुआ का भौजी उनको चिढ़ायीं,

" फिर आय गयी दुहाने का "

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लेकिन तोहार भाभी पटर पटर खिलखिलात क जवाब उलटे दीं,

"अरे भौजी, आपके देवर को दुहना आता ही नहीं, कभी कपडे के ऊपर ऊपर दुहा जाता है का, जरा इसको सिखाइये पढ़ाइये न "

भौजी चुप रहने वाली नहीं थी , समुआ से बोली,

" अरे जोन गाय दुहाने में हाथ पैर फेंकती हैं , उनका हाथ गोड़ छान के दुह लेते हैं,... समझ लो "

ऐसे ही छेड़ छाड़ चलती थी एकदिन जब कुछ तोहार भाभी बोलीं, तो समुआ क भौजी बोलीं,

" अरे बहुत दूध देने का मन है, ... पहले सांड़ बछिया के ऊपर चढ़ता है और एक बार सांड़ चढ़ गया न तो सोचो बछिया केतना भी उछले कूदे, बिना घुसेड़े छोड़ता नहीं ,... और ओकरे बाद दूध,... "

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अब तोहरे भाभी लजा गयीं लेकिन धीरे से भौजी के पास आ के बोलीं, ;

"लेकिन भौजी बछिया थोड़े सांड़ के पास जाती है , सांड़ आ आके चढ़ता है।"

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और एक दिन सांड़ बछिया पर चढ़ गया, घर में कोई था नहीं, वहीँ भुसियौरा में जहाँ पुवाल के गट्ठर रहते हैं वहीँ पुवाल पे

" हे बसंती भौजी ऐसे ना चली, हमारे बारी तो उँगरी डार, कुरोद कुरोद के एक एक बात, लम्बाई मोटाई कुल चीज़ पूछ ली थी और अब हमारी भाभी की बारी ऐसे काट पीट के आधा तिहा हाल,... "


मैंने बंसती के उभारों पर कस के चिकोटी काट के छेड़ते हुए पूछा।
 

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सोलवां सावन

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पहली फुहार







सैयां जिन मांगो, ननदी, सैयां जिन मांगो, ननदी, सेज का सिंगार रे,
अरे, सैयां के बदले, अरे, सैयां के बदले, भैया दूंगी, चोदी चूत तुम्हार रे,
अरे, दिल खोल के मांगो, अरे बुर खोल के मांगो ननदी
अरे बुर खोल के मांगो ननदी जो मांगो सो दूंगी।



सोहर (पुत्र जन्म के अवसर पर गाये जाने वाले गाने) में, सावन में भाभी के मायके में मुझे ही टारगेट किया जा रहा था, आखिर मैं उनकी एकलौती छोटी ननद जो थी।

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भाभी ने मुश्कुराते हुये पूछा-

“क्यों ननद रानी, मेरा कौन सा भाई पसंद है, अजय, सुनील, रवी या दिनेश… किससे चुदवाओगी…”


मेरे कुछ बोलने के पहले ही भाभी की अम्मा बोल पड़ी-


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“अरे किससे क्या… चारों से चुदवायेगी। मेरी ये प्यारी बिन्नो सबका मन रखेगी…”

और यह कहते-कहते, मेरे गोरे, गुलाबी गालों पर चिकोटी काट ली।

मैं शर्म से लाल हो गयी।

हमारी हम उमर भाभी की छोटी कजिन, चन्दा ने मुझे फिर चिढ़ाया-



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“मन-मन भाये, मूड़ हिलाये, मौका मिलते ही सटासट गप्प कर लोगी, अभी शर्मा रही हो…”

तब तक चन्दा की भाभी, चमेली भाभी ने दूसरा सोहर शुरू कर दिया, सब औरतें उनका साथ दे रही थीं।





कहां से आयी सोंठ, कहां से आया जीरा,
अरे, कहां से आयी ननदी हो मेरी गुंइयां।
अरे पटना से आयी सोंठ, बनारस से आया जीरा,
अरे आज़मगढ़ से, आयीं ननदी, हो मेरी गुंइयां।

क्या हुई सोंठ, क्या हुआ जीरा,
अरे क्या हुई ननदी, ओ मेरी गुंइयां।
अरे जच्चा ने खाई सोंठ, बच्चा ने, बच्चा ने खाया जीरा,
अरे, मेरे भैय्या ने, अरे, मेरे भैय्या ने चोदी ननदी रात मोरी गुंइयां।


अरे, मेरे देवर ने चोदी ननदी, हो मेरी गुंइयां, (भाभी ने जोड़ा।)
अरे राकी ने चोदी ननदी, हो मेरी गुंइयां, (भाभी की भाभी, चम्पा भाभी ने जोड़ा।)




जब भाभी की शादी हुई थी, तब मैं 10वें में पढ़ती थी, आज से करीब दो साल पहले .चौदह की थी तब , पर बरात में सबसे ज्यादा गालियां मुझे ही दी गयीं, आखिर एकलौती ननद जो थी, और उसी समय चन्दा से मेरी दोस्ती हो गई थी।

भाभी भी बस… गाली गाने और मजाक में तो अकेले वो सब पर भारी पड़ती थीं। पर शुरू से ही वो मेरा टांका किसी से भिड़वाने के चक्कर में पड़ गई।


शादी के बाद चौथी लेकर उनके घर से उनके कजिन, अजय और सुनील आये (वह एकलौती लड़की थीं, कोई सगे भाई बहन नहीं थे, चन्दा उनकी कजिन बहन थी और अजय, सुनील कजिन भाई थे, रवी और दिनेश पड़ोसी थे, पर घर की ही तरह थे।

वैसे भी गांव में, गांव के रिश्ते से सारी लड़कियां बहनें और बहुयें भाभी होती हैं)। उन दोनों के साथ भाभी ने मेरा नंबर…

दोनों वैसे भी बरात से ही मेरे दीवाने हो गये थे, पर अजय तो एकदम पीछे ही पड़ा था। रात में तो हद ही हो गई, जब भाभी ने दूध लेकर मुझे उनके कमरे में भेजा और बाहर से दरवाजा बंद कर दिया। पर कुछ ही दिनों में भाभी अपने देवर और मेरे कजिन रवीन्द्र से मेरा चक्कर चलवाने के…


रवीन्द्र मुझसे 4-5 साल बड़ा था, पढ़ाई में बहुत तेज था, और खूबसूरत भी था, पर बहुत शर्मीला था। पहले तो मजाक, मजाक में… हर गाली में मेरा नाम वह उसी के साथ जोड़तीं,

मेरी ननद रानी बड़ी हरजायी,
अरे गुड्डी छिनार बड़ी हरजायी,
हमरे देवर से नैना लड़ायें,
अरे रवीन्द्र से जुबना दबवायें, अरे जुबना दबवायें,
वो खूब चुदवायें।



पर धीरे-धीरे सीरीयसली वह मुझे उकसाती। अरे कब तक ऐसे बची रहोगी… घर का माल घर में… रवीन्द्र से करवाओगी तो किसी को पता भी नहीं चलेगा।

मुन्ने के होने पर जब मैंने भाभी से अपना नेग मांगा, तो उन्होंने बगल में बैठे रवीन्द्र की जांघों के बीच में मेरा हाथ जबर्दस्ती रखकर बोला- “ले लो, इससे अच्छा नेग नहीं हो सकता…”

“धत्त…” कहकर मैं भाग गई। और रवीन्द्र भी शर्मा के रह गया।
……
मुन्ने के होने पर, बरही में भाभी के मायके से, चन्दा भी आयी थी। हम लोगों ने उसे खूब चुन-चुन कर गाने सुनाये, और जो मैं सुनाने में शरमाती, वह मैंने औरों को चढ़ाकर सुनवाये-

“मुन्ने की मौसी बड़ी चुदवासी, चन्दा रानी बड़ी चुदवासी…”


एक माह बाद जब सावन लगा तो भाभी मुन्ने को लेकर मायके आयीं और साथ में मैं भी आयी।




“अरे राकी ने चोदी ननदी, रात मोरी गुंइयां…”


चम्पा भाभी जोर-जोर से गा रही थीं।


किसी औरत ने भाभी से पूछा-

“अरे राकी से भी… बड़ी ताकत है तुम्हारी ननद में नीलू…”

अरे, वह भी तो इस घर का मर्द है, वही क्यों घाटे में रह जाय…”

चमेली भाभी बोलीं-

“और क्या तभी तो जब ये आयी तो कैसे प्यार से चूम चाट रहा था, बेचारे मेरे देवर तरसकर रह जाते हैं…”

चम्पा भाभी ने छेड़ा।



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“नहीं भाभी, मेरी सहेली बहुत अच्छी है, वह आपके देवरों का भी दिल रखेगी और राकी का भी, क्यों…”

कहकर चन्दा ने मुझे जोर से पकड़ लिया।


सावन की झड़ी थोड़ी हल्की हो चली थी। खूब मस्त हवा बह रही थी। छत से आंगन में जोर से पानी अभी भी टपक रहा था। किसी ने कहा एक बधावा गा दो फिर चला जाये। चम्पा भाभी ने शुरू किया-



आंगन में बतासा लुटाय दूंगी, आंगन में… मुन्ने की बधाई।
अरे जच्चा क्या दोगी, आंगन में… मुन्ने की बधाई।

अरे मैं तो अपनी ननदी लुटाय दूंगी, मुन्ने की बधाई।
अरे मुन्ने की बुआ क्या दोगी, मुन्ने की बधाई

अरे मैं तो दोनों जोबना लुटाय दूंगी, मुन्ने की बधाई
मुन्ने के मामा से चुदवाय लूंगी, मुन्ने की बधाई।





बारिश खतम सी हो गई थी। सब लोग चलने के लिये कहने लगे।

चमेली भाभी ने कहा- “हां, देर भी हो गई है…”


मेरी भाभी ने हँसकर चुटकी ली- “और क्या… चमेली भाभी, वहां भैय्या भी बरसने के लिये तड़पते होंगे…”


चमेली भाभी हँसकर बोली- “और क्या… बाहर बारिश हो, अंदर जांघों के बीच बारिश हो, तभी तो सावन का असली मजा है…”


मैंने चन्दा से रुकने के लिये कहा।

पर वह नखड़ा करने लगी- “नहीं कल आ जाऊँगी।


चम्पा भाभी ने उसे डांट लगायी-

“अरे तेरी भाभी तो सावन में चुदवासी हो रही हैं पर तेरे कौन से यार वहां इंतजार कर रहे हैं…”

आखिर चन्दा इस शर्त पर तैयार हो गई कि कल मैं उसके और उसकी सहेलियों के साथ मेला जाऊँगी।


चन्दा, भाभी के साथ मुन्ने को सम्हालने चली गई और मैं कमरे में आकर अपना सामान अनपैक करने लगी।



मेरे सामने सुबह से अब तक का दृश्य घूम रहा था…


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Erotic writers main aap ka koi zwaab nahi komal ji aap erotic storie ki qween ho aap
Awesome shuruaat
 
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सामने सुबह से अब तक का दृश्य घूम रहा था…



सुबह जब मैं भाभी के साथ उनके मायके पहुँची, तभी सायत अच्छी हो गई थी।


सामने अजय मिला और उसने सामान ले लिया।


चम्पा भाभी ने हँसकर पूछा-

“अरे, इस कुली को सामान उठाने की फ़ीस क्या मिलेगी…”


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भाभी ने हँसकर धक्का देते हुये मुझे आगे कर दिया और अजय की ओर देखते हुए पूछा-

“क्यों पसंद है, फीस…”

अजय जो मेरे उभारों को घूर रहा था, मुश्कुराते हुए बोला-



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“एकदम दीदी, इस फीस के बदले तो आप चाहे जो काम करा लीजिये…”


मुन्ना मेरी गोद में था। तभी किसी ने मुझे चिढ़ाया-

“अरे, बिन्नो तेरी ननद की गोद में बच्चा… अभी तो इसकी शादी भी नहीं हुई…”


मैं शर्मा गयी।
पीछे से किसी का हाथ मेरे कंधे को धप से पड़ा और वह बोली-

“अरे भाभी, बच्चा होने के लिये शादी की क्या जरुरत… हां, उसके लिये जो जरूरी है, वो करवाने लायक यह अच्छी तरह हो गई है…”


पीछे मुड़कर मैंने देखा तो मेरी सहेली, हम उमर चन्दा थी।

भाभी अपनी सहेलियों और भाभियों के बीच जाकर बैठ गयीं। अजय मेरे पास आया और मुन्ने को लेने के लिये हाथ बढ़ाया। मुन्ने को लेने के बहाने से उसकी उंगलियां, मेरे गदराते उभारों को न सिर्फ छू गयीं बल्कि उसने उन्हें अच्छी तरह रगड़ दिया। जहां उसकी उंगली ने छुआ था, मुझे लगा कि मुझे बिज़ली का करेंट लगा गया है। मैं गिनिगना गई।


चन्दा ने मेरे गुलाबी गालों पर चिकोटी काटते हुए कहा-

“अरे गुड्डो, जरा सा जोबन पर हाथ लगाने पर ये हाल हो गया, जब वह जोबन पकड़कर रगड़ेगा, मसलेगा तब क्या हाल होगा तेरा…”

मेरी आँख अजय की ओर मुड़ी, अभी भी मेरे जोबन को घूरते हुए वह शरारत के साथ मुश्कुरा रहा था।

मैं भी अपनी मुश्कुराहट रोक नहीं पायी। भाभी ने मुझे अपने पास बुलाकर बैठा लिया।

एक भाभी ने, भाभी से कहा- “बिन्नो… तेरी ननद तो एकदम पटाखा लगा रही है। उसे देखकर तो मेरे सारे देवरों के हिथयार खड़े रहेंगे…”

मुझे लगा कि शायद, मुझे ऐसा ड्रेस पहनकर गांव नहीं आना चाहिये था। टाप मेरी थोड़ी टाइट थी उभार खूब उभरकर दिख रहे थे।


स्कर्ट घुटने से ऊपर तो थी ही पर मुड़कर बैठने से वह और ऊपर हो गयी थी और मेरी गोरी-गोरी गुदाज जाघें भी दिख रही थीं।


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मेरी भाभी ने हँसकर जवाब दिया- “अरे, मेरी ननद तो जब अपनी गली से बाहर निकलती है तो उसे देखकर उसकी गली के गदहों के भी हिथयार खड़े हो जातें हैं…”

तो चमेली भाभी उनकी बात काटकर बोलीं-

“अच्छा किया जो इसे ले आयीं इस सावन में मेरे देवर, इसके सारे तालाब पोखर भर देंगे…”

तभी राकी आ आया और मेरे पैर चाटने लगा। डरकर, सिमटकर मैं और पीछे दीवाल से सटकर बैठ आयी। राकी बहुत ही तगड़ा किसी विदेशी ब्रीड का था।


चम्पा भाभी ने कहा- “अरे ननद रानी डरो नहीं वह भी मिलने आया है…”

चाटते-चाटते वह मेरी गोरी पिंडलियों तक पहुँच गया। मैं भी उसे सहलाने लगी। तभी उसने अपना मुँह खुली स्कर्ट के अंदर तक डाल दिया, डर के मारे मैं उसे हटा भी नहीं पा रही थी।

मेरी भाभी ने कहा-



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“अरे गुड्डी, लगता है इसका भी दिल तेरे ऊपर आ आया है जो इतना चूम चाट रहा है…”


चम्पा भाभी बोलीं-


“अरे बिन्नो, तेरी ननद माल ही इतना मस्त है…”

चमेली भाभी कहां चुप रहतीं, उन्होंने छेड़ा-


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“अरे घुसाने के पहले तो यह चूत को अच्छी तरह चूम चाटकर गीली कर देगा तब
पेलेगा । बिना कातिक के तुम्हें देख के ये इतना गर्मा रहा है तो कातिक में तो बिना चोदे छोड़ेगा नहीं।

लेकिन मैं कह रही हूँ कि एक बार ट्राई कर लो, अलग ढंग का स्वाद मिलेगा…”


मैंने देखा कि राकी का शिश्न उत्तेजित होकर थोड़ा-थोड़ा बाहर निकाल रहा था।

बसंती जो नाउन थी, तभी आयी। सबके पैर में महावर और हाथों में मेंहदी लगायी गयी।

मैंने देखा कि अजय के साथ, सुनील भी आ गया था और दोनों मुझे देख-देखकर रस ले रहे थे।

मेरी भी हिम्मत भाभियों का मजाक सुनकर बढ़ गयी थी और मैं भी उन दोनों को देखकर मुश्कुरा दी।
Awesome update
 
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मज़ा झूले का , भाभी के गाँव में


भाभी ने चमेली भाभी से कहा-

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“अरे जरा मेरी ननद को कसके पकड़े …रहिएगा ”


और चमेली भाभी ने टाप के ऊपर से मेरे उभारों को कस के पकड़ लिया। भाभी ने और सबने जोर से गाना शुरू कर दिया-




कैसे खेलन जैयो कजरिया, सावन में, बदरिया घिर आयी ननदी,
गुंडा घेर लेहिंयें तोर डगरिया, सावन में बदरिया घिर आयी ननदी,

चोली खोलिहें, जोबना दबइहें, मजा लुटिहें तोर संग, बदरिया घिर आयी ननदी
कैसे खेलन जैयो कजरिया, सावन में, बदरिया घिर आयी ननदी







तब तक चमेली भाभी का हाथ अच्छी तरह मेरे टाप में घुस गया था,



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पहले तो कुछ देर तक वह टीन ब्रा के ऊपर से ही मेरे उभारों की नाप जोख करती रहीं, फिर उन्होंने हुक खोल दिया और मेरे जोबन सहलाने मसलने लगीं।


झूले की पेंग इत्ती तेज चल रही थी कि मेरे लिये कुछ रेजिस्ट करना मुश्किल था। और जिस तरह की आवाजें निकल रहीं थी कि मैं समझ गयी कि मैं सिर्फ अकेली नहीं हूँ जिसके साथ ये हो रहा है।



कुछ देर में बिन्द्रा भाभी और चन्दा की छोटी बहन कजली पेंग मारने के काम में लगा गयीं, पर उन्होंने स्पीड और बढ़ा दी।



इधर चमेली भाभी के हाथ, अब मेरे जोबन खूब खुलकर मसल, रगड़ रहे थे और आगे से चन्दा ने भी मुझे दबा रखा था। मैं भी अब खुलकर मस्ती ले रही थी।


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चानक बादल एकदम काले हो गये और कुछ भी दिखना बंद हो गया। हवा भी खूब ठंडी और तेज चलने लगी। चम्पा भाभी ने छेड़ा-

अरे रामा, आयी सावन की बाहर
लागल मेलवा बजार,
ननदी छिनार, चलें जोबना उभार,
लागें छैला हजार, रस लूटें, बार-बार,
अरे रामा, मजा लूटें उनके यार, आयी सावन की बहार






मेरी स्कर्ट तो झूले पर बैठने के साथ ही अच्छी तरह फैलकर खुल गयी थी। तभी एक उंगली मेरी पैंटी के अंदर घुसकर मेरी चूत के होंठों के किनारे सहलाने लगी।



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घना अंधेरा, हवा का शोर, जोर-जोर से कजरी के गाने की आवाज। अब कजरी भी उसी तरह “खुल” कर होने लगी थी।





रिमझिम बरसे सवनवां, सजन संग मजा लूटब हो ननदी,
चोलिया खोलिहें, जोबना दबईहें, अरे रात भर चुदवाईब हो ननदी।
तोहार बीरन रात भर सोवें ना दें, कस-कस के चोदें हो ननदी।
अरे नवां महीने होरिल जब होइंहें, तोहे अपने भैया से चुदवाइब हो ननदी।







जब उंगली मेरे निचले होंठों के अंदर घुसी तो मेरी तो सिसकी निकल गयी।

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अब धीरे-धीरे सावन की बूंदे भी पड़ने लगी थीं और उसके साथ उंगली का टिप भी अब तेजी से मेरी योनी में अंदर-बाहर हो रहा था। ऊपर से चमेली भाभी ने अब मेरे टाप को पूरी तरह खोल दिया था और ब्रा ने तो कब का साथ छोड़ दिया था।






किसी ने कहा कि अब घर चलते हैं पर मेरी भाभी ने हँसकर कहा कि अब कोई फायदा नहीं, रास्ते में अच्छी तरह भीग जययेंगे, यहीं सावन का मजा लेते हैं।

तेज होती बरसात के साथ, मेरी चूत में उंगली भी तेजी से चल रही थी।



कपड़े सारे भीग गये और बदन पर पूरी तरह चिपक गये थे। चूत में उंगली के साथ अब क्लिट की भी अंगूठे से रगड़ाई शुरू हो गयी और थोड़ी देर में ही मैं झड़ गयी और उसी के साथ बरसात भी रुक गयी।




लौटते समय भाभी, चमेली भाभी के घर चली गयी और मैं चम्पा के साथ लौट रही थी कि रास्ते में अजय और सुनील मिले। भीगे कपड़ों में मेरा पूरा बदन लगभग दिख रहा था, ब्रा हटने से मेरे उभार, सिंथेटिक टाप से चिपक गये थे और मेरी स्कर्ट भी जांघों के बीच चिपकी थी।


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चन्दा जानबूझ कर रुक कर उनसे बात करने लगी और वो दोनों बेशर्मी से मेरे उभारों को घूर रहे थे।





मैंने चन्दा से कहा- “हे चलो, मैं गीली हो रही हूं…”



चन्दा ने हँसकर कहा- “अरे, बिन्नो देखकर ही गीली हो रही हो तो अगर ये कहीं पकड़ा-पकड़ी करेंगे तो, तुम तो तुरंत ही चिपट जाओगी…”



सुनील और अजय दोनों ने कहा- “कब मिलोगी…”



मैं कुछ नहीं बोली।

चन्दा बोली- “अरे, तुमसे ही कह रहे हैं…”



हँसकर मैंने कहा- “मिलूंगी…” और चन्दा का हाथ पकड़कर चल दी।


पीछे से सुनील की आवाज सुनाई पड़ी-

“अरे, हँसी तो फँसी…”
Shandaar update
 

Tiger 786

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चन्दा

तब तक चन्दा की आवाज ने मुझे वापस ला दिया। उसने अंदर से दरवाजा बंद कर लिया था और साड़ी उतार रही थी।


मैंने उसे छेड़ा- “क्यों मेरे चक्कर में घाटा तो नहीं हो गया…”

“और क्या, लेकिन अब तेरे साथ उसकी भरपायी करूंगी…”

और उसने मेरे उभारों को फ्राक के ऊपर से पकड़ लिया। हम दोनों साथ-साथ लेटे तो उसने फिर फ्राक के अंदर हाथ डालकर मेरे रसभरे उभारों को पकड़ लिया और कसकर मसलने लगी।

“हे, नहीं प्लीज छोड़ो ना…”

मैंने बोला।


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पर मेरे खड़े चूचुकों को पकड़कर खींचते हुए वह बोली-

“झूठी, तेरे ये कड़े कड़े चूचुक बता रहें हैं कि तू कित्ती मस्त हो रही है और मुझसे छोड़ने के लिये बोल रही है। लेकीन सच में यार असली मजा तो तब आता है जब किसी मर्द का हाथ लगे…”

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मेरी चूचियों को पूरे हाथ में लेकर दबाते हुए वो बोली कि कल मेले में चलेगी ना, देख कित्ते छैले तेरे जोबन का रस लूटेंगे।

उसने मेरे हाथ को खींचकर अपने ब्लाउज़ के ऊपर कर दिया और उसकी बटन एक झटके में खुल गयीं।


“मैं अपने यारों को ज्यादा मेहनत नहीं करने देना चाहती, उन्हें जहां मेहनत करना है वहां करें…” चन्दा बोली।

उसका दूसरा हाथ मेरी पैंटी के अंदर घुसकर मेरे भगोष्ठों को छेड़ रहा था। थोड़ी देर दोनों भगोष्ठों को छेड़ने के बाद उसकी एक उंगली मेरी चूत के अंदर घुस गयी और अंदर-बाहर होने लगी।


चन्दा बोली-

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“यार, सुनील का बड़ा मोटा है, मैं इत्ते दिनों से करवा रही हूँ पर अभी भी लगाता है, फट जायेगी
और एक तो वह नंबरी चोदू भी है, झड़ने के थोड़ी देर के अंदर ही उसका मूसल फिर फनफना कर खड़ा हो जाता है…”



उसका अंगूठा अब मेरी क्लिट को भी रगड़ रहा था और मैं मस्ती में गीली हो रही थी।


“और अजय का…”

मैं अपने को पूछने से नहीं रोक पायी।

अच्छा, तो गुड्डो रानी, अजय से चुदवाना चाहती हैं…”


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चन्दा ने कसकर मेरी क्लिट को पिंच कर लिया और मेरी सिसकी निकल गयी।

“तुम्हारी पसंद सही है, मुझे भी सबसे ज्यादा मजा अजय के ही साथ आता है, और उसे सिर्फ चोदने से ही मतलब नहीं रहता,
वह मजा देना भी जानता है, जब वह एक निपल मुँह में लेकर चूसते और दूसरा हाथ से रगड़ते हुए चोदता है

ना तो बस मन करता है कि चोदता ही रहे।

तुम्हारा तो वह एकदम दीवाना है, और वैसे दीवाने तो सभी लड़के हैं तुम पर…”


चन्दा की उंगली अब फुल स्पीड में मेरा चूत मंथन कर रही थी और उसने मेरा भी हाथ खींच कर अपनी चूत पर रख लिया था।

“और रवी तो… वह चाटने और चूसने में एक्सपर्ट है, नंबरी चूत चटोरा है, वह…”


मैं खूब मस्त हो रही थी।

मेरी एक चूची चन्दा के हाथ से मसली जा रही थी और उसके दूसर हाथ की उंगली मेरी चूत में अंदर-बाहर हो रही थी। ऐसा नहीं था कि मेरी चूत रानी को कभी किसी उंगली से वास्ता न पड़ा हो, पिछली होली में ही भाभी ने जब मेरी स्कर्ट के अंदर हाथ डालकर मेरी चूत पर गुलाल रगड़ा मसला था तो उन्होंने उंगली भी की थी

और वह तो ऐसे भांग के नशे में थीं की कैंडलिंग भी कर देतीं पर भला हो कि रवीन्द्र, उनका देवर आ आया तो, मुझे छोड़कर उसके पीछे पड़ गयीं।


पर जैसे चन्दा एक साथ, चूची, चूत और क्लिट कि रगड़ाई कर रही थी वैसे पहले कभी नहीं हुई थी और एक रसीले नशे से मेरी आँखें मुदी जा रही थीं।


चन्दा साथ में मुझे समझा भी रही थी-

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“सुन, मेरी बात मान ले, यहां जमकर मजा लूट ले, देखो यहां दो फ़ायदे हैं। अपने शहर में किसी और से करवायेगी तो ये डर रहेगा की बात कहीं फैल ना जाय, वह फिर तुम्हारे पीछे ना पड़ जाय, पर यहां तो तुम हफ्ते दस दिन में चली जाओगी फिर कहां किससे मुलाकात होगी।

और फिर शहर में चांस मिलना भी टेढ़ा काम है, जब भी बाहर निकलोगी कोई भी टोकेगा की कहां जा रही हो, जल्दी आना, और फिर अगर किसी ने किसी के साथ देख लिया और घर आके शिकायत कर दी तो अलग मुसीबत, और यहां तो दिन रात चाहे जहां घूमो, फिरो, मौज मस्ती करो, और फिर तुम्हारी भाभी तो चाहती ही हैं कि तेरी ये कोरी कली जल्द से जल्द फूल बन जाये…”

ये कह के उसने कस के मेरी क्लिट को दबा दिया।


मैं मस्ती से कांप गयी-

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“पर… मैंने सुना है कि पहली बार दर्द बहुत होता है…”

मस्ती ने मेरी भी शर्म शत्म कर दी थी।

“अरे मेरी बिन्नो… बिना दर्द के मजा कहां आता है, और कभी तो इसको फड़वाओगी, जब फटेगी… तभी दर्द होगा… वह तो एक बार होना ही है… आखिर तुमने कान छिदवाया, नाक छिदवायी कित्ता दर्द हुआ, पर बाद में कित्ते मजे से कान में बाला और नाक में कील पहनती हो।

ये सोचो न कि मेरी उंगली से जब तुम्हें इतना मजा आ रहा है… तो मोटा लण्ड जायेगा तो कित्ता मजा आयेगा। और अगर तुम्हें इतना डर लगा रहा है तो मैं तो कहती हूँ तुम सबसे पहले अजय से चुदवाओ, वह बहुत सम्हाल-सम्हाल कर चोदेगा…”


सेक्सी बातों और उंगली के मथने से मैं एकदम चरम के पास पहुँच गयी थी, पर चन्दा इत्ती बदमाश थी… वह मुझे कगार तक ले जाकर रोक देती और मैं पागल हो रही थी।


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“हे चन्दा प्लीज, रुको नहीं हो जाने दो… मेरा…” मैंने विनती की।


“नहीं पहले तुम प्रामिस करो कि अब तुम सब शर्म छोड़कर…”
“हां हां मैं अजय, रवी, सुनील, दिनेश, जिससे कहोगी, करवा लूंगी… बस प्लीज़ रुको नहीं…” उसे बीच में रोककर मैंने बोला।


“नहीं ऐसे थोड़े ही… साफ-साफ बोलो और आगे से जैसे खुलकर चम्पा भाभी बोलती हैं ना तुम भी बस ऐसे ही
बोलोगी…” चन्दा ने धीरे-धीरे, मेरी क्लिट रगड़ते हुए कहा।


“हां… हां… हां… मैं अजय से, सुनील से तुम जिससे कहोगी सबसे चुदवाऊँगी… ओह… ओह्ह्ह्ह…”



मैं एकदम कगार पर पहुँच गयी थी।


चन्दा ने अब तेजी से मेरी चूत में उंगली अंदर-बाहर करना शुरू कर दिया और मेरी क्लिट कसकर पिंच कर ली और मैं बस… झड़ती रही… झड़ती रही… मेरी आँखें बहुत देर तक बंद रहीं।


जब मेरी आँख खुली तो मैंने देखा कि चन्दा ने मुझे अपनी बाहों में भर रखा है और वह धीरे-धीरे मेरे उभारों को सहला रही है। मैंने भी उसके जोबन को जो मेरे जोबन से थोड़े बड़े थे, को हल्के-हल्के दबाने शुरू कर दिया।

थोड़ी देर में ही हम दोनों फिर गर्म हो गये। अबकी चन्दा मेरी दोनों टांगों को फैलाकर, किसी मर्द की तरह, सीधे मेरे ऊपर चढ़ गयी और मेरे सख्त मम्मों को दबाना शुरू कर दिया।

“जानती हो अब तक सबसे मोटा और मस्त लण्ड किसका देखा है मैंने…”


चन्दा ने कहा।

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“किसका…” उत्सुकता से भरकर मैंने पूछा।
Bohot hi kamuk update
 

Tiger 786

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तीसरी फुहार

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कौन है वो


“किसका…” उत्सुकता से भरकर मैंने पूछा।











आगे


“जानती हो अब तक सबसे मोटा और मस्त लण्ड किसका देखा है मैंने…” चन्दा ने कहा।

“किसका…” उत्सुकता से भरकर मैंने पूछा।


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मेरी चूत पर अपनी चूत हल्के से रगड़ते हुये, चन्दा बोली-


“तुम्हारे कजिन कम आशिक का… रवीन्द्र का…”

“उसका… पर वह तो बहुत सीधा… शर्मीला… और तुमने उसका कैसे देखा… फिर वह मेरा आशिक कहां से हो गया…”



“बताती हूं…”
मेरी चूत की रगड़ाई अपनी चूत से करते हुए उसने बताना शुरू किया-

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“तुम्हें याद है, अभी जब मैं मुन्ने के होने पे गयी थी, मैंने रवीन्द्र पे बहुत डोरे डालने की कोशिश की…

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मुझे लगता था कि भले ही वह सीधा हो पर बहुत मस्त चुदक्कड़ होगा, उसका बाडी-बिल्ड मुझे बहुत आकर्षक लगता था…
पर उसने मुझे लिफ्ट नहीं दी…

मैं समझ गयी कि उसका किसी से चक्कर है… पर एक दिन दरवाजे के छेद से मैंने उसे मुट्ठ मारते देखा…


मैं तो देखती ही रह गयी, कम से कम बित्ते भर लंबा लण्ड होगा और मोटा इतना कि मुट्ठी में ना समाये…

और वह किसी फोटो को देखकर मुट्ठ मार रहा था… कम से कम आधे घंटे बाद झड़ा होगा…

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और बाद में अंदर जाकर मैंने देखा तो…

जानती हो वह फोटो किसकी थी…”
“किसकी… विपाशा बसु या ऐश की…” मेरी आँखों के सामने तो उसकी मुट्ठ मारती हुई तस्वीर घूम रही थी।

“जी नहीं… तुम्हारी… और मुझे लगा की पहले भी वह तुम्हारी फोटो के साथ कई बार मुट्ठ मार चुका है… यहां मैं अपनी चूत लिये लिये घूम रही हूँ वहां वह बेचारा… तुम्हारी याद में मुट्ठ मार रहा… अगर तुम दे देती तो…”


मुझे याद आ रहा था कि कई बार मैं उसको अपने उभारों को घूरते देख चुकी हूँ और जैसे ही हमारी निगाहें चार होती हैं वह आँखें हटा लेता है…

और एक बार तो मैं सोने वाली थी कि मैंने पाया कि वह हल्के-हल्के मेरे सीने के उभारों को छू रहा है… मैं आँख बंद किये रही और वह हल्के-हल्के सहलाता रहा…

पर उसे लगा कि शायद मैं जगने वाली हूँ तो उसने अपना हाथ हटा लिया। मुझे भी वह बहुत अच्छा लगता था।
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“क्यों नहीं चुदवा लेती उससे…” मेरी चूत पर कसकर घिस्सा मारते हुये, चन्दा ने पूछा।


“आखिर… कैसे… मेरा कजिन है…”



मैंने कुछ झिझकते कुछ लजाते पूछा।
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“अरे लोग सगे को नहीं छोड़ते… तुम कजिन की बात कर रही हो, तुम्हें कुछ ख्याल है कि नहीं उसका, अगर कहीं इधर-उधर जाना शुरू कर दिया… कोई ऐसा वैसा रोग लगा बैठा…”

चंदा ने जोर देकर समझाया।

मुझे भी उसकी बात में दम लग रहा था ,लेकिन चंदा से कैसे हामी भरती ?

चन्दा ने फिर मुझे पहली बार की तरह कगार पे ले जाके छोड़ना शुरू कर दिया,


और जब मैंने खुलके कसम खाकर ये प्रामिस किया कि न मैं सिर्फ रवीन्द्र से चुदवाऊँगी बलकी

रवीन्द्र से उसकी भी चूत चुदवाऊँगी तभी उसने मुझे झड़ने दिया।

जब सुबह होने को थी तब जाकर हम दोनों सोये।
Full night dono ladkio ka khel.
Superb update komal ji👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻
 

malikarman

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***** *****राकी

मेरी आँखें फटी रह गईं, राकी था। राकी ने अब तक कितनी बार पिंडलियों को, कई बार घुटनों से ऊपर भी, लेकिन सीधे वहां, आज पहली बार।

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भाभी की माँ वहीं बैठी थी और मेरी भाभी, चम्पा भाभी, नीम के पेड़ से टंगे झूले पे, बसंती और गुलबिया मेरे सर के पास, लेकिन निगाहें सबकी वहीं,



लेकिन मेरी निगाह, राकी के… वो इस तरह खड़ा था की उसका पिछला हिस्सा मेरे चेहरे के एकदम पास,

और मेरी निगाहें वहीं, एकदम जोर से खड़ा लाल खूब कड़ा,



पहले भी कई बार मैंने देखा था, मुझे देखकर उसका खड़ा हो जाता था लेकिन आज तो एकदम मोटा सालिड खूंटा हो रहा था। लिपस्टिक की तरह नोंक निकली थी। मन तो कर रहा था पकड़ लूँ,



और गुलबिया से ज्यादा मेरे मन की बात कौन समझता, उसने मेरे कोमल-कोमल हाथ पकड़ के मेरी मुट्ठी में थमा दिया, और मैंने दबोच लिया। एकदम लोहे के राड ऐसा कड़ा सख्त, लेकिन खूब मांसल भी। मुझे गुलबिया ने जबरन पकड़ा तो दिया था राकी ‘का’, लेकिन मैं सकपका रही थी, झिझक रही थी।



“अरे तानी मुठियाओ, सहलाओ, दबाओ, तेरे यार का लण्ड है…” गुलबिया ने चढ़ाया



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और अपने आप मेरे बिन चाहे, मेरी कोमल मुट्ठी उसके इर्द-गिर्द दबाने लगी सहलाने लगी।



असर राकी पर तेजी से हुआ, उसके सपड़-सपड़ चाटने की तेजी बढ़ गई और मेरी मस्ती भी। मेरे चूतड़ अपने आप ऊपर हो रहे थे, जोर-जोर से मैं सिसकियां ले रही थीं, मन बस यही कर रहा था की अब…



और माँ (भाभी की माँ) बोल ही पड़ी-

“अरे जो तुम मुठिया रही हो न, वो मुट्ठी में नहीं कहीं और लेने की चीज है। मौसम भी है, मौका भी है। हिम्मत करके बस एक बार निहुर जाओ ओकरे आगे, बाकी का काम तो उहे करेगा…”

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मेरी अंगूठा ‘उसके’ टिप तक जा पहुँचा और मैंने हल्के से सहला दिया। दो बूंदें प्री-कम की टपक गईं।



ऊपर आसमान में एक बार फिर से घने बादल छा गए थे। हल्की-हल्की हवा चल रही थी। धूप एकदम से गायब हो गई थी। हम सब हल्की-हल्की परछाईयों की तरह दिख रहे थे। मेरी भाभी और चम्पा भाभी भी माँ के पास आकर बैठ गए थे, मेरी उठी फैली टांगों के दोनों ओर।



तबतक माँ ने जैसी उनकी आदत थी, गुलबिया को हड़काया-

“तुँहुँ लोग न, चार-चार भौजाई बैठी हो, और बिचारी ननद ऐसी गरमाई, पियासी, अरे कच्ची कली है, नए जोबन वाली, चलो…”



माँ का इशारा काफी थी, तुरंत गुलबिया और बसंती ने मिलकर मुझे पलट दिया और चम्पा भाभी ने मेरे बड़े-बड़े चूतड़ हवा में उठा दिए, गुलबिया भी उधर पहुँच गई और एकदम मैं डागी पोज में, सिर के पास बसंती मेरे दोनों हाथ दबोचे, मुझे झुकाए और पीछे से गुलबिया, मैं एकदम निहुरी।

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राकी पल भर के लिए अलग हुआ होगा, लेकिन अब फिर उसने जैसे किसी कुतिया की चूत चाट-चाट करके उसे तैयार करे, एक बार फिर से उसकी जीभ मेरी रस की प्याली पे। मैं तैयार तो कब से थी, गरम भी, मेरे पैर अपने आप फैल गए थे, खूब चौड़े, जैसे उसे दावत दे रहे हों। मुझे लग रहा था वो अब सटायेगा, घुसाएगा, अब, अब…



राकी का ‘वो’ उसका टिप मैंने महसूस किया, लेकिन…



लेकिन कुछ नहीं हुआ।



मेरी भाभी, वो बीच में आगई, बोलीं- “अभी नहीं, बिचारी थकी है फिर कभी भी बारिश शुरू हो सकती है…”

लेकिन उनका असली कारण उन्होंने फुसफुसा के माँ और गुलबिया दोनों से बोला, लेकिन मैंने सुन लिया।



“आज नहीं, देख नहीं रही हो, आगे-पीछे दोनों छेदों में कम से कम दो कटोरी मलाई, दो-दो लौंडों से मरवा के आ रही है। मलाई देख न ऊपर तक बजबजा रही है, चू रही है।



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ऐसे में तो, ये सट्ट से घोंट लेगी, न कउनो दर्द, न चीख चिल्लाहट, क्या मजा आयेगा, हम लोगों को? अरे जब 10-12 घंटे तक कुछ गया न हो अंदर, एकदम सूखी हो, फाड़ते दरेरते अंदर जाए, इसकी परपराए, छरछराए, रो-रो के बेहाल हो जाए, आधे गाँव में एकर चीख पुकार न सुनाय पड़े तो क्या मजा राकी को एकरे ऊपर चढाने का?


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माँ से पहले गुलबिया ने ही बात समझ ली और उसने राकी को, हटा दिया।



लेकिन वो भी उसने चाट-चाट के ही मुझे झड़ा दिया। फिर तो मैं बस मजे से बेहोश ही हो गई।



शाम हुई। जब मेरी आँख खुली तो मैं अपने कमरे में थी अकेले और माँ मुझे बहुत प्यार से खिला रही थी अपने हाथ से, और बोलीं- “सो जाओ खा के,
Jaldi rocky se karwa do....maza aa jayega
 

snidgha12

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आसमान कभी एकदम काला हो जाता था जब आवारा बादल चाँदनी को घेर लेते थे और चांदनी उन सब को मुंह चिढ़ाती , छुपती छिपाती , बच के निकल जाती थीं तो आंगन में रौशनी छिटक जाती थी।

लगता था हम लोगों के इसी आंगन वाले नीम के पेड़ पर, अटक गया है, छुप छुप के हम ननद भौजाई की बात सुन रहा है,

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