• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Erotica सोलवां सावन

komaalrani

Well-Known Member
22,409
58,473
259
Komal ji jitne female character hai sabki ek se ek mote musal se ghapaghap karwana
aage aage dekhiye
 
  • Like
Reactions: shivangi pachauri

komaalrani

Well-Known Member
22,409
58,473
259
  • Like
Reactions: shivangi pachauri

komaalrani

Well-Known Member
22,409
58,473
259
ऐसी कहानी की क्या कहना!
बहुत ही बढ़िया।
Thanks so much
 

komaalrani

Well-Known Member
22,409
58,473
259
It's like a sweet humiliation 🙈
Thanks so much
 

komaalrani

Well-Known Member
22,409
58,473
259
***** *****अड़तालीसवीं फुहार - गुलबिया


Teej-megha-shree-half-saree-ragalahari30.jpg


उसकी उंगलियों में गदोरी में जैसे कोई दर्द खींचने की मशीन लगी हो, सारा दर्द, थकान एक झटके में उसने खींच लिया।



जिस तरह से दिनेश ने गन्ने के खेत में मिट्टी के ढेलों के ऊपर रगड़ा था, पोर-पोर दुःख रहा था, चला नहीं जा रहा था। एक कदम रखती तो चिल्हक उठती, लगता था गाण्ड में किसी ने लकड़ी का मोटा पिच्चड़ ठोंक दिया हो। थकान से देह टूट रही थी।

लेकिन सबसे पहले पैर के तलुओं में फिर पैर की उंगलियों और मेरी मांसल पिंडलियों पे जिस तरह उसने अपनी उंगलियों से कस के दबा-दबा के मालिश की, बस कुछ दी देर में थकान गायब।

feet-msg1-a4dc566bce9414124c135bf619e6e819.jpg


थोड़ी ही देर में गुलबिया के खेले खाये हाथ मेरे किशोर घुटनों के ऊपर तक पहुँच गए थे और वो बोली-


“अरे आई स्कर्ट तो बहुत महंगी होई, कहीं तेल वेल लगा गया तो?” झिझकते हुए वो बोली।



और डांट खा गई मां से जो मेरे बगल में बैठी मेरा सर सहला रही थीं-

“अरे आई बिचारी इतनी थकी है, तू कइसन भौजाई हो, आई सब बात कहीं ननद से पूछी जाती है, उतार दो…”


Teej-Karunya-Chowdary-Teej-Hot-Cleavage-Photos-In-Transparent-Saree-At-3-Monkeys-Pre-Release-Event-3.jpg




मैंने आँखें कब की बंद कर रही थी और बस इतना लगा की सरसराती स्कर्ट मेरी जाँघों से फिसल कर नीचे सरक गई। असली थकान जाँघों में थी, कितनी ताकत लगाकर सुनील के मोटे खूंटे के ऊपर मैं चढ़ी थी, फिर पूरी ताकत से धक्के भी मैंने मारे थे। लेकिन गुलबिया के हाथ वहां पहुँचते ही दर्द, थकान एकदम जैसे उड़न छू। मुझे नींद आने लगी।

आँखें वैसे ही बंद थी और अब नींद के मारे खोलना मुश्किल हो रहा था। बहुत आराम मिल रहा था।



पता नहीं कित्ते देर तक वो ऐसे ही, फिर उसने दोनों जाँघों को खूब दूर-दूर फैला दिया और एकदम ऊपरी हिस्से में भी अंगूठे और तरजनी से दबा दबा के,



टाइम का अहसास कब का खत्म हो गया था। माँ भी हल्के-हल्के मेरा माथा दबा रही थी, सहला रही थी। मैं एकदम से सो गई थी, फिर भी पता नहीं शायद सपने में या सच में, माँ के फुसफुसाने की आवाज सुनी। वो गुलबिया से बोल रही थीं-


“अरे अइसन कच्ची कली रोज-रोज नहीं मिलती अरे होंठों का इश्तेमाल करो, चूस कस के, पूरा शहद निकाल ले…”

Teej-Karunya-Chowdary-Hot-Cleavage-Photos-In-Transparent-Saree-At-3-Monkeys-Pre-Release-Event-5-333x.jpg


बस मुझे गुलबिया की जीभ की नोक का अहसास हुआ, ‘वहां’ नहीं बस उसके ठीक बगल में जैसे वो योनि द्वीप की परिक्रमा कर रही हो, देर तक। नींद में भी मैं गिनगिनाती रही, सिसकती रही, बस लगता था कब वो अपनी जीभ सीधे वहां ले जाए। थकान तो वहां भी थी, लेकिन गुलबिया को कौन समझाए समझाये उसे तो बस तड़पाने में मजा मिल रहा था।



और फिर अचानक, सड़प-सड़प, जैसे कोई लंगड़े आम की फांक फैला के चाटे बस वैसे, नीचे से ऊपर तक, फिर ऊपर से नीचे तक,

pussy-licking-lesb.jpg


सच में इस ‘मालिश’ से मेरी गुलाबो की थकान भी एकदम दूर हो गई बल्की कुछ ही देर में वो रस बहाने लगी। मैं अभी भी आधी से ज्यादा नींद में थी, और गुलबिया ने जो गुलाबो की थकान दूर की तो नींद और गहरी सी हो गई। आँखें एकदम चिपक गई थी, देह इतनी हल्की थी की जैसे हवा में उड़ रही हूँ। बस सिर्फ गुलबिया की जीभ का अहसास मेरी गुलाबो पर हो रहा था।



उसे मुझे झड़ाने की जल्दी नहीं थी, आराम से धीमे-धीमे बस वो चाट रही थी। हाँ कभी छेड़ते हुए जैसे कोई लौंडा लण्ड ठेले, जीभ की नोक बुर में ठेल देती। पांच मिनट, पचास मिनट मुझे कुछ अंदाज नहीं था, मैंने एक बार भी आँख नहीं खोली।


guddi-lez-lick-tumblr-n20dxtd0jr1tsyj9jo1-500.gif


और फिर कुछ ऐसा हुआ जो सोलह सावन में आज तक नहीं हुआ था। चन्दा, बसंती, कामिनी भाभी, चम्पा भाभी, कितनों ने न जाने कितनी बार मेरी मखमली गुलाबो का रस चाटा था, चूसा था, लेकिन जैसा लग रहा था, वैसे आज तक कभी नहीं लगा था।
 

komaalrani

Well-Known Member
22,409
58,473
259
चुस्सम चुसाई

lez-licks-gu.jpg



उसे मुझे झड़ाने की जल्दी नहीं थी, आराम से धीमे-धीमे बस वो चाट रही थी। हाँ कभी छेड़ते हुए जैसे कोई लौंडा लण्ड ठेले, जीभ की नोक बुर में ठेल देती। पांच मिनट, पचास मिनट मुझे कुछ अंदाज नहीं था, मैंने एक बार भी आँख नहीं खोली।

और फिर कुछ ऐसा हुआ जो सोलह सावन में आज तक नहीं हुआ था। चन्दा, बसंती, कामिनी भाभी, चम्पा भाभी, कितनों ने न जाने कितनी बार मेरी मखमली गुलाबो का रस चाटा था, चूसा था, लेकिन जैसा लग रहा था, वैसे आज तक कभी नहीं लगा था।

और मस्ती में चूर मैं आँख भी नहीं खोल सकती थी। पूरी देह काँप रही थी, मस्ती में चूर थी। कुछ समझ में नहीं आ रहा था क्या हो रहा है। लग रहा था अब झड़ी तब झड़ी। थोड़ी खुरदुरे दार जीभ, खूब कस के रगड़-रगड़कर, और रफ़्तार कितनी तेज थी, मैं ऐसी गीली हो गई थी की बस।



“गुलबिया, प्लीज थोड़ा सा रुक जाओ न… क्या कर रही है, नहीं करो न, लगता है, ओह्ह… आह्ह… नहीं आई आई आईई…”

मैं आँखें बंद किये बुदबुदा रही थी, बड़बड़ा रही थी।


Girl-923b3b364ed4136e6092da2bc372ba2f.jpg




लेकिन कुछ असर नहीं पड़ा। चाटना और तेज हो गया, उसी की संगत में मेरे मोटे-मोटे चूतड़ भी ऊपर-नीचे, ऊपर-नीचे… जब नहीं रहा गया तो मैं जोर से चीखी- “ओह्ह… आह्ह… नहीं नहीं रुको न… बस्स गुलबिया, मेरी अच्छी भौजी, मेरी प्यारी भौजी, बस एक मिनट, रुक जाओ…”



किसी ने जोर से मेरे निपल खींचे और कान के पास आवाज आई, गुलबिया की, मेरे कुछ समझ में नहीं आया, बजाय टांगों के बीच, गुलबिया सर के पास-

“अरे मेरी बाँकी छिनार ननदो, जरा आँख खोल के देख न…”

Teej-Manvitha-Kamath-Hot-Cleavage-Photos-In-Half-Saree-3-333x500.jpg
 
Last edited:

komaalrani

Well-Known Member
22,409
58,473
259
***** *****राकी

मेरी आँखें फटी रह गईं, राकी था। राकी ने अब तक कितनी बार पिंडलियों को, कई बार घुटनों से ऊपर भी, लेकिन सीधे वहां, आज पहली बार।

Pussy-tumblr-pgbwbt-ZEfr1t8w951o1-1280.jpg


भाभी की माँ वहीं बैठी थी और मेरी भाभी, चम्पा भाभी, नीम के पेड़ से टंगे झूले पे, बसंती और गुलबिया मेरे सर के पास, लेकिन निगाहें सबकी वहीं,



लेकिन मेरी निगाह, राकी के… वो इस तरह खड़ा था की उसका पिछला हिस्सा मेरे चेहरे के एकदम पास,

और मेरी निगाहें वहीं, एकदम जोर से खड़ा लाल खूब कड़ा,



पहले भी कई बार मैंने देखा था, मुझे देखकर उसका खड़ा हो जाता था लेकिन आज तो एकदम मोटा सालिड खूंटा हो रहा था। लिपस्टिक की तरह नोंक निकली थी। मन तो कर रहा था पकड़ लूँ,



और गुलबिया से ज्यादा मेरे मन की बात कौन समझता, उसने मेरे कोमल-कोमल हाथ पकड़ के मेरी मुट्ठी में थमा दिया, और मैंने दबोच लिया। एकदम लोहे के राड ऐसा कड़ा सख्त, लेकिन खूब मांसल भी। मुझे गुलबिया ने जबरन पकड़ा तो दिया था राकी ‘का’, लेकिन मैं सकपका रही थी, झिझक रही थी।



“अरे तानी मुठियाओ, सहलाओ, दबाओ, तेरे यार का लण्ड है…” गुलबिया ने चढ़ाया



Teej-Manvitha-Kamath-Hot-Cleavage-Photos-In-Half-Saree-5-334x500.jpg


और अपने आप मेरे बिन चाहे, मेरी कोमल मुट्ठी उसके इर्द-गिर्द दबाने लगी सहलाने लगी।



असर राकी पर तेजी से हुआ, उसके सपड़-सपड़ चाटने की तेजी बढ़ गई और मेरी मस्ती भी। मेरे चूतड़ अपने आप ऊपर हो रहे थे, जोर-जोर से मैं सिसकियां ले रही थीं, मन बस यही कर रहा था की अब…



और माँ (भाभी की माँ) बोल ही पड़ी-

“अरे जो तुम मुठिया रही हो न, वो मुट्ठी में नहीं कहीं और लेने की चीज है। मौसम भी है, मौका भी है। हिम्मत करके बस एक बार निहुर जाओ ओकरे आगे, बाकी का काम तो उहे करेगा…”

Teej-b49a227047be6e4854ec59f6d3477436-collage-photo-photo-wallpaper.jpg


मेरी अंगूठा ‘उसके’ टिप तक जा पहुँचा और मैंने हल्के से सहला दिया। दो बूंदें प्री-कम की टपक गईं।



ऊपर आसमान में एक बार फिर से घने बादल छा गए थे। हल्की-हल्की हवा चल रही थी। धूप एकदम से गायब हो गई थी। हम सब हल्की-हल्की परछाईयों की तरह दिख रहे थे। मेरी भाभी और चम्पा भाभी भी माँ के पास आकर बैठ गए थे, मेरी उठी फैली टांगों के दोनों ओर।



तबतक माँ ने जैसी उनकी आदत थी, गुलबिया को हड़काया-

“तुँहुँ लोग न, चार-चार भौजाई बैठी हो, और बिचारी ननद ऐसी गरमाई, पियासी, अरे कच्ची कली है, नए जोबन वाली, चलो…”



माँ का इशारा काफी थी, तुरंत गुलबिया और बसंती ने मिलकर मुझे पलट दिया और चम्पा भाभी ने मेरे बड़े-बड़े चूतड़ हवा में उठा दिए, गुलबिया भी उधर पहुँच गई और एकदम मैं डागी पोज में, सिर के पास बसंती मेरे दोनों हाथ दबोचे, मुझे झुकाए और पीछे से गुलबिया, मैं एकदम निहुरी।

Guddi-doggy-16305671.jpg


राकी पल भर के लिए अलग हुआ होगा, लेकिन अब फिर उसने जैसे किसी कुतिया की चूत चाट-चाट करके उसे तैयार करे, एक बार फिर से उसकी जीभ मेरी रस की प्याली पे। मैं तैयार तो कब से थी, गरम भी, मेरे पैर अपने आप फैल गए थे, खूब चौड़े, जैसे उसे दावत दे रहे हों। मुझे लग रहा था वो अब सटायेगा, घुसाएगा, अब, अब…



राकी का ‘वो’ उसका टिप मैंने महसूस किया, लेकिन…



लेकिन कुछ नहीं हुआ।



मेरी भाभी, वो बीच में आगई, बोलीं- “अभी नहीं, बिचारी थकी है फिर कभी भी बारिश शुरू हो सकती है…”

लेकिन उनका असली कारण उन्होंने फुसफुसा के माँ और गुलबिया दोनों से बोला, लेकिन मैंने सुन लिया।



“आज नहीं, देख नहीं रही हो, आगे-पीछे दोनों छेदों में कम से कम दो कटोरी मलाई, दो-दो लौंडों से मरवा के आ रही है। मलाई देख न ऊपर तक बजबजा रही है, चू रही है।



creampie-CU-14117543.jpg


ऐसे में तो, ये सट्ट से घोंट लेगी, न कउनो दर्द, न चीख चिल्लाहट, क्या मजा आयेगा, हम लोगों को? अरे जब 10-12 घंटे तक कुछ गया न हो अंदर, एकदम सूखी हो, फाड़ते दरेरते अंदर जाए, इसकी परपराए, छरछराए, रो-रो के बेहाल हो जाए, आधे गाँव में एकर चीख पुकार न सुनाय पड़े तो क्या मजा राकी को एकरे ऊपर चढाने का?


Teej-Boobs-main-qimg-218068fb105e9070c7ef1e43f7dcd9ce.jpg



माँ से पहले गुलबिया ने ही बात समझ ली और उसने राकी को, हटा दिया।



लेकिन वो भी उसने चाट-चाट के ही मुझे झड़ा दिया। फिर तो मैं बस मजे से बेहोश ही हो गई।



शाम हुई। जब मेरी आँख खुली तो मैं अपने कमरे में थी अकेले और माँ मुझे बहुत प्यार से खिला रही थी अपने हाथ से, और बोलीं- “सो जाओ खा के,
 

UDaykr

New Member
67
106
33
दिल एक बार फिर बेचैन हो उठा था जब आप 9 तारीख के बाद नही आयीं थी तो....लगातार आते रहिये इसी तरह के गरमागरम अपडेट के साथ , सर्दी गुजारने में आसानी होगी।
 
Top