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Incest हवस के कारनामे ~ A Tale of Lust

park

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Update ~ 14



कपड़े पहन कर अपुन उसके घर से चला तो उसने अपुन को जाने देने से पहले स्मूच किस किया और फिर किसी बहाने हर रोज घर आने का बोल कर उसने अपुन को बाय किया।

उसके घर से बाहर आया तो देखा मोबाइल में साक्षी दी के दो मिस कॉल पड़े थे। ये देख अपुन एकदम से टेंशन में आ गया लौड़ा।



अब आगे....


कार की ड्राइविंग सीट पर बैठ कर अपुन ने साक्षी दी की कॉल पिक की। मन में कई सारे खयालों का अंबार लगेला था लौड़ा और थोड़ा घबरा भी रेला था लेकिन बात तो करना ही था।

साक्षी दी ─ कितनी देर से तुझे कॉल कर रही हूं। फोन क्यों नहीं उठा रहा था? कहां था तू?

अपुन ने महसूस किया कि उनकी नाराजगी कॉल न उठाने की वजह से थी। मतलब कि अभी फिलहाल वो अपुन की उन बातों पर गुस्सा नहीं थीं। अपुन ने थोड़ा राहत की सांस ली फिर बोला।

अपुन ─ सॉरी दी, वो अपु...आई मीन मैं ड्राइविंग करते आउटर में काफी दूर चला गया था। उसके बाद फिर अमित के घर चला गया। एक्चुअली अमित ने बोला था कि एक बार मैं उसके घर का चक्कर लगा लूं क्योंकि साधना दी घर पर अकेली हैं।

साक्षी दी ─ ओके फाईन, तू जल्दी से कंपनी पहुंच। मैं बहुत देर से वेट कर रही हूं तेरा।

अपुन ─ ओके मैं आ रहा हूं।

कॉल कट कर के अपुन ने कार स्टार्ट की और फुल स्पीड में दौड़ा दिया उसे। अपुन सोचने लगा था कि अगर अपुन इतनी देर से साक्षी दी का कॉल नहीं उठा रेला था तो वो किसी ऑटो या टैक्सी से भी तो घर जा सकती थीं। बोले तो इतने टाइम तक अपुन के कॉल पिक करने का वेट क्यों करती रहीं?

इसका तो यही मतलब हो सकता है कि वो अपुन के साथ ही कंपनी से घर जाना चाहती थीं। अब सवाल है कि..क्यों? क्या इस लिए कि वो उन बातों के बारे में अपुन से बात करना चाह रेली थीं? अपुन को याद आया कि उन्होंने बाद में इस बारे में बात करने को बोला था। घर में इस बारे में वो खुल कर अपुन से बात नहीं कर सकतीं थी, शायद इसी लिए उन्होंने किसी ऑटो या टैक्सी से घर जाना बेहतर नहीं समझा था।

अपुन को अपना ये विचार एकदम सही लगा। मतलब कि सच में वो उसी बारे में बात करना चाहती हैं अपुन से। खैर, अपुन भी सोचने लगा कि अगर वो सच में उस बारे में ही अपुन से बात करेंगी तो अपुन उन्हें क्या जवाब देगा? मतलब कि उनके सवालों के अपुन को क्या जवाब देने चाहिए लौड़ा?

सारे रास्ते अपुन सोच विचार करता रहा और फिर करीब पंद्रह मिनट में अपुन कंपनी पहुंच गया। कंपनी के गेट के पास पहुंच कर अपुन ने उन्हें कॉल कर के बताया कि अपुन गेट पर है इस लिए वो जल्दी आएं।

बेटीचोद, एकदम से धड़कनें बढ़ गईली थी अपुन की। बार बार यही खयाल आ रेला था कि साक्षी दी अपुन से क्या बात करेंगी और किस लहजे में बात करेंगी? खैर पांच मिनट बाद ही वो अपुन को आती नजर आईं।

थोड़ी ही देर में वो अपुन के पास पहुंच गईं और दूसरी तरफ का दरवाजा खोल कर कार में अपुन के बगल से बैठ गईं। अपुन ने थोड़ा डरते डरते ध्यान से उनके चेहरे को देखा। लौड़ा, कुछ समझ न आया कि इस वक्त उनके अंदर क्या चल रेला है।

साक्षी दी (सपाट लहजे में) ─ चलो।

अपुन ने बिना उनसे कोई बात किए कार स्टार्ट किया और यू टर्न ले कर घर की तरफ चल पड़ा। अपुन की धड़कनें बढ़ी हुईं थी और अपुन खामोशी से कार ड्राइव कर रेला था। अपुन चाहता था कि साक्षी दी खुद ही बात करना शुरू करें। इस लिए अपुन बार बार उम्मीद भरी नजर से उनकी तरफ देख लेता था। उधर साक्षी दी के चेहरे पर कोई भाव ही नहीं थे लौड़ा।

कार के अंदर छाई खामोशी बहुत अजीब लग रेली थी बेटीचोद लेकिन क्या कर सकता था अपुन। करीब दस मिनट बाद एकाएक अपुन दी की आवाज से चौंका। उन्होंने अपुन को आगे से लेफ्ट साइड कार मोड़ने को कहा। अपुन ने कहा तो कुछ नहीं लेकिन मन ही मन सोचने लगा कि लेफ्ट साइड कार को मोड़ने का क्यों बोलीं हैं वो? मतलब कि अगर उन्हें घर ही जाना है तो सीधा ही जाना चाहिए न, फिर लेफ्ट साइड मुड़ने का क्या मतलब है?

लेफ्ट साइड जो रास्ता जाता था वो सिटी से बाहर वाला था। उसके करीब पांच किलो मीटर पर एक तरफ जंगल था और दूसरी तरफ पहाड़, बाकी रास्ता सुनसान था। अचानक अपुन के दिमाग की बत्ती जली। अपुन को समझ आ गयला था कि दी ने अपुन को इस तरफ कार मोड़ने को क्यों बोला था। यानि इस तरफ सुनसान जगह पर वो अपुन को ले जा कर शायद उस बारे में बात करना चाहती थीं।

खैर अपुन ने लेफ्ट साइड कार को मोड़ दिया और खामोशी से कार ड्राइव करता रहा। साक्षी दी फिर से खामोश हो गईं लेकिन इस बार उनके चेहरे पर अपुन ने सोचो के भाव देखे। मतलब कि अब शायद वो भी गहराई से सोचने लगीं थी कि अपुन से वो क्या बात करेंगी?

कुछ देर बाद अपुन ने साक्षी दी के कहने पर ही कार को सड़क से उतार कर जंगल की तरफ मोड़ दिया। अपुन अब ये सोचने लगा कि सिर्फ उस बारे में बात करने के लिए उन्होंने अपुन को इतना दूर आने को क्यों कहा या ये कहें कि ऐसी जगह पर लाने का क्या मतलब था? अगर उन्हें उसी बारे में अपुन से बात करनी थी तो वो कार के अंदर कहीं भी कर सकती थीं। खैर अपन लोग जंगल के थोड़ा ही अंदर आए थे कि साक्षी दी ने कार रोक देने को कहा।

अपुन ने कार रोक दी और एकाएक फिर से बढ़ चली अपनी धड़कनों को काबू करने का प्रयास करने लगा। मन में तरह तरह के विचार उभरने लग ग‌एले थे बेटीचोद।

कार के रुकते ही साक्षी दी ने अपनी तरफ का दरवाजा खोला और नीचे उतर गईं। फिर अपुन को भी नीचे उतर आने का इशारा किया तो अपुन भी धड़कते दिल के साथ उतर आया। फिर आगे से घूम कर थोड़ा उनके पास आ कर खड़ा हो गया। साक्षी दी के चेहरे पर गंभीरता के भाव उभर आएले थे।

साक्षी दी ─ पता है मैं यहां क्यों लाई हूं तुझे?

अपुन ─ आप बताओ, अपु...आई मीन मुझे कैसे पता होगा भला?

साक्षी दी ─ आज से पहले मुझे यही लगता था कि तू बस मुझे खुश करने के लिए ही मेरी तारीफें करता रहता है लेकिन आज कंपनी में तूने जो बोला उसने मुझे अंदर तक हिला दिया था। मैं सोच भी नहीं सकती थी कि जिस भाई को मैं इतना प्यार और स्नेह करती हूं वो मेरे बारे में ऐसा सोचता है।

अपुन के अंदर डर और घबराहट तो थी लौड़ा लेकिन उनकी ये बात सुन कर अपुन ने सोचा कि देखते हैं साक्षी दी आखिर क्या सोचती हैं और अपुन को क्या क्या बोलती हैं? इस लिए अपुन ने इस बार बिना किसी डर के बेझिझक कहा।

अपुन ─ तो क्या गलत सोचता हूं दी? मतलब कि आपके लिए मेरे दिल में जैसी फीलिंग्स हैं वही तो बताया था मैंने आपसे।

साक्षी दी ─ हां पर तुझे ये भी तो सोचना चाहिए था न भाई कि ऐसी फीलिंग्स एक भाई अपनी बहन के लिए नहीं रख सकता।

अपुन ─ जानता हूं दी लेकिन अब दिल पर भला किसका जोर चलता है। वैसे भी दिल कहां ये सोचता है कि जिसके बारे में वो अपने अंदर ऐसी फीलिंग्स रख रहा है वो रिश्ते में उसकी क्या लगती है।

साक्षी दी अपुन की ये बात सुन कर एकदम वैसे ही परेशान नजर आने लगीं जैसे कंपनी में हुईं थी। कुछ पलों तक वो बेचैनी और परेशानी से अपुन को देखती रहीं फिर बोलीं।

साक्षी दी ─ ये गलत है मेरे भाई। तू नासमझ नहीं है कि तुझे सही गलत का ज्ञान दिया जाए। तू अच्छी तरह जानता है कि भाई बहन के बीच इस तरह की फीलिंग्स होना कितना गलत है। देख, मैंने हमेशा तुझ पर नाज किया है और दिव्या विधी से ज़्यादा तुझे प्यार और स्नेह किया है। मैं चाहती हूं कि तू पढ़ाई कंप्लीट कर के डैड का बिज़नेस सम्हाले।

अपुन ─ ये सब तो मैं करूंगा ही दी लेकिन आपके लिए जो फीलिंग्स मेरे दिल में हैं उन्हें निकालना मेरे बस में नहीं है।

साक्षी दी ─ देख मेरे भाई, मैं नहीं चाहती कि तेरी इस बात के चलते हमारे बीच कोई प्रॉब्लम पैदा हो जाए। मैं नहीं चाहती कि मॉम डैड को मुझे इस बारे में बताना पड़े और वो तुझ पर गुस्सा करें। इस लिए तुझे समझा रही हूं कि जितना जल्दी हो सके तू अपने अंदर से ऐसी फीलिंग्स को खत्म कर दे। ये अच्छी बात नहीं है मेरे भाई। समझने की कोशिश कर।

अपुन समझ गया कि साक्षी दी इस वक्त अपुन से उस बात के चलते गुस्सा नहीं हैं। जिस तरह वो अपुन को समझा रेली थीं उससे तो अपुन को यही लग रेला था। अपुन ने ये भी सोचा कि अगर अपुन थोड़ा और जिद्द करे तो शायद बात बन जाएगी लौड़ा। ये सोच कर अपुन ने कहा।

अपुन ─ कोशिश कर चुका हूं दी लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। बोले तो ऐसा लगता है जैसे अपु...मतलब कि मेरे दिल में आपके लिए ये जो फीलिंग्स हैं वो सच्ची हैं। आई थिंक...आई एम इन लव विद यू।

साक्षी दी आश्चर्य से अपुन को आँखें फाड़ के देखने लगीं। फिर एकदम से उनके चेहरे पर सीरियस भाव उभर आए।

साक्षी दी ─ नहीं नहीं, तू ऐसा नहीं कर सकता भाई। प्लीज इसे यहीं पर स्टॉप कर दे। तुझे अंदाजा भी नहीं है कि इसका कितना भयानक रिजल्ट निकलेगा।

अपुन ─ काश! मेरे दिल को इसके रिजल्ट की परवाह होती। ये तो जैसे हर अंजाम से बेफिक्र हो के बैठ गया है।

साक्षी दी ─ देख मेरे भाई तू प्लीज समझने की कोशिश कर। मैं तेरी बड़ी बहन हूं और बहन के साथ इस तरह का लव करना बिल्कुल भी ठीक नहीं होता। हमारे समाज में इसे बहुत ही गलत माना जाता है।

अपुन ─ मोहब्बत सही गलत ही तो नहीं देखती दी। शायद यही वजह है कि मेरा दिल आपसे प्यार कर बैठा है। मुझे भी पता है कि ये गलत है लेकिन दिल के हाथों मजबूर हूं। आप भले ही मेरे प्यार को एक्सेप्ट न करो लेकिन मेरे दिल से ये प्यार वाली फीलिंग्स नहीं जाएंगी।

साक्षी दी अब बहुत ज्यादा चिंतित और परेशान दिखने लगीं थी। इधर अपुन भी ये बात समझ रेला था कि वो अपुन से बहुत प्यार और स्नेह करती हैं और चाहती हैं कि अपुन पर कोई संकट न आए इस लिए वो अपुन को इस तरह ठंडे दिमाग से समझा रेली थीं। दूसरी तरफ अपुन था जो उनकी नरमी का फायदा उठा रेला था।

वैसे सच तो यही था कि अपुन को साक्षी दी दुनिया की सबसे हसीन लड़की लगती थीं और उनके प्रति अपुन के दिल में सॉफ्ट फीलिंग्स थीं लेकिन वैसी नहीं जैसे कि किसी प्रेमी, पागल या आशिक वाली होती हैं। हो सकता है कि दी के प्रति ये अपुन का सिर्फ आकर्षण ही हो पर था तो सही।

अपुन ─ आप टेंशन मत लो दी। आपका काम था समझाना लेकिन अब इसका क्या किया जाए कि मेरा दिल कुछ समझना ही नहीं चाहता।

साक्षी दी ─ क्यों मुझे सख्त कदम उठाने पर मजबूर कर रहा है भाई? क्यों तू कुछ समझना नहीं चाहता? क्या तू सच में चाहता है कि तेरी इस फिलिंग की वजह से हमारे हंसते खेलते संसार में कोई भारी मुसीबत आ जाए?

अपुन ─ आप बहुत दूर का सोच रही हैं दी जबकि मैं ऐसा कुछ भी नहीं चाहता। हां ये सच है कि मेरी फीलिंग्स रियल हैं और मैं चाहता हूं कि आप इसे एक्सेप्ट करें लेकिन अगर आप इसे एक्सेप्ट नहीं करेंगी तो इसके लिए आपको मैं कभी मजबूर नहीं करूंगा। फीलिंग्स ही तो हैं न, मेरे दिल के किसी कोने में मौजूद रहेंगी, क्या फर्क पड़ता है? मतलब कि जब इस बारे में किसी को कुछ पता ही नहीं चलेगा तो कोई मुसीबत कैसे आएगी भला?

साक्षी दी अपुन को बड़े ध्यान से देख रेली थीं। उनके चेहरे पर अभी भी परेशानी, चिंता और बेचैनी के भाव थे।

साक्षी दी ─ नहीं भाई, ये ठीक नहीं है। मैं चाहती हूं कि तू अपने अंदर से ऐसी फीलिंग्स को जड़ से ही मिटा दे और पूरी तरह मेरा भाई बन जा।

अपुन ─ भाई तो कुदरत ने ही बना के भेजा है दी तो आपका भाई ही रहूंगा न।

साक्षी दी ─ हां लेकिन यहां तू मेरा आशिक भी बनने की कोशिश कर रहा है, उसका क्या? नहीं प्यारे भाई, मुझे तेरा ये रूप मंजूर नहीं है। मैं चाहती हूं कि तू अपने दिल से ये बेमतलब की फीलिंग्स जड़ से मिटा दे और सिर्फ मेरा प्यारा भाई बना रह। इसी में हम सबका भला है और इसी में सबकी खुशी भी है।

अपुन ─ छोड़ो दी, जो हो ही नहीं सकता वो कैसे कर सकता हूं मैं? चलिए घर चलते हैं अब।

साक्षी दी ─ नहीं, अभी मेरी बात खत्म नहीं हुई है।

अपुन ─ इस बारे में आपका बात करना या मुझे समझाना बेकार है दी। तो बेहतर यही है कि घर चला जाए।

साक्षी दी बहुत ज्यादा चिंतित और परेशान नजर आ रेली थीं। बेचैनी और कशमकश में घिरी वो अपुन को देखती रहीं, फिर बिना कुछ कहे कार का दरवाजा खोल कर सीट पर बैठ गईं। अपुन भी मन ही मन मुस्कुराते हुए आ आकर ड्राइविंग सीट पर बैठ गया।

बोले तो इतनी सारी बातों के बाद अपुन एक बात समझ गयला था कि साक्षी दी अपुन की फीलिंग्स वाली बात घर में किसी को बताएंगी नहीं क्योंकि वो बता ही चुकी थीं कि वो अपुन को किसी मुसीबत में पड़ गया नहीं देखना चाहती थीं। यही वजह थी कि उन्होंने अपुन से ऐसे बात की थी। अब अपुन ने सोच लिया था कि उनकी नरमी का अपुन को कैसे फायदा उठाना था।

कार स्टार्ट कर के अपन लोग वापस चल दिए वहां से। इस बार कार के अंदर ऐसी खामोशी छाई कि घर पहुंचने तक वो खामोशी कायम रही। यानि पूरे रास्ते न दी ने कोई बात की थी और न ही अपुन ने।

अपुन तो लौड़ा सारे रास्ते यही सोचते आया था कि आगे अपुन ऐसा क्या करे कि दुनिया की सबसे हसीन लड़की यानि कि अपुन की दी अपुन की झोली में आ गिरे? खैर घर पहुंच कर जब कार रुकी तो दी चुपचाप उतर कर मेन गेट की तरफ बढ़ गईं और इधर अपुन कार को गैरेज में खड़ी करने लगा।

~~~~~~

अभी अपुन गैरेज में कार लगा कर मेन गेट की तरफ चला ही था कि अपुन को ऐसा फील हुआ जैसे अपुन के पेंट में पड़ा मोबाइल वाइब्रेट कर रेला है। अपुन ने मोबाइल निकाल कर उसकी स्क्रीन पर फ्लैश कर रहे नाम और नंबर को देखा।

कॉल अमित की सौतेली बहन अनुष्का का था। अपुन सोचने लगा कि ये लौड़ी क्यों कॉल कर रेली है अपुन को? अगले ही पल अपुन को याद आया कि इसने अपुन को एक्स्ट्रा क्लास के लिए शाम को अपने घर आने को बोला था।

अपुन सोचने लगा कि इसका कॉल पिक करे या नहीं? बोले तो इसके बारे में भी अपुन के मन में बहुत कुछ था लेकिन ये साक्षी दी की बेस्ट फ्रेंड भी थी इस लिए अपुन थोड़ा डरता भी था कि कहीं कुछ गड़बड़ न हो जाए। फिर अपुन ने सोचा कि बिना कुछ किए थोड़े न गड़बड़ होगी, यानि गड़बड़ होने के लिए कुछ करना जरूरी है।

अपुन ─ हेलो।

अनुष्का ─ ओह! थैंक गॉड तुमने कॉल उठा लिया। यूं नो, ये पांचवीं बार कॉल किया है मैंने तुम्हें।

अपुन ─ मोबाइल साइलेंट में था इस लिए कॉल आने का पता नहीं चला अपुन को। एनीवे, किस लिए कॉल किया है आपने अपुन को?

अनुष्का ─ दस मिनट में मेरे घर पहुंचो।

अपुन ─ क्यों?

अनुष्का ─ यहां आओ, सब पता चल जाएगा।

अपुन सोचने लगा कि लौड़ी सस्पेंस क्रिएट कर रेली है और तो और हुकुम ऐसे दे रेली है जैसे अपुन उसका गुलाम हो, हट लौड़ी।

अपुन ─ टाइम नहीं है अपुन के पास।

बोले तो इस तरह उसके द्वारा हुकुम देने पर अपुन की झांठें सुलग गईंली थी इस लिए अपुन ने टाइम नहीं है बोला और उसकी कोई बात सुने बिना ही कॉल डिस्कनेक्ट कर दिया लौड़ा।

कॉल कट कर के अपुन मोबाइल को जेब में डालने ही लगा था कि लौड़ा फिर से वाइब्रेट होने लगा बेटीचोद। अपुन ने एक नज़र स्क्रीन में फ्लैश हो रहे अनुष्का के नाम को देखा और फिर वैसे ही जेब में डाल दिया मोबाइल को। उसके बाद अपुन मस्त चाल में मेन गेट की तरफ बढ़ चला।

थोड़ी ही देर में अपुन सेकंड फ्लोर पर मौजूद अपने रूम पहुंच गया। फिर कपड़े उतार कर अपुन बाथरूम में घुस गया। फ्रेश होने के बाद अपुन ने दूसरे कपड़े पहने और मोबाइल ले कर बेड पर लेट गया।

अभी मोबाइल का लॉक ओपन ही किया था कि अनुष्का का कॉल फिर से आने लगा लौड़ा। ये देख अपुन का दिमाग खराब हो गया बेटीचोद। अपुन सोचने लगा कि अब इसकी चूत में इतनी खुजली क्यों हो रेली है? खैर अपुन ने ये सोच कर कॉल पिक कर लेने का सोच कि लौड़ी बार बार कॉल कर के अपुन को इरिटेट करेगी।

अपुन ─ बोला न टाइम नहीं है अपुन के पास।

अनुष्का ─ हद है भाई, अपनी उस गलती के लिए तुमसे कितनी बार माफी मांग चुकी हूं फिर भी तुम्हारी नाराजगी नहीं जा रही?

अपुन ─ अपुन ऐसा ही है। अपुन की नाराजगी इतना जल्दी नहीं जाती।

अनुष्का ─ ओके तो बताओ तुम्हारी नाराजगी दूर करने के लिए अब क्या करूं मैं? वैसे एक्स्ट्रा क्लास देने के लिए अपने घर बुला तो रही हूं तो क्यों नहीं आ रहे तुम?

अपुन ─ क्योंकि अपुन को एक्स्ट्रा क्लास लेने की जरूरत ही नहीं है।

अनुष्का ─ तो फिर बताओ और क्या करूं मैं?

उसकी ये बात सुन कर अपुन के मन में एक ही बात आई लौड़ा। बोले तो अपुन के अंदर चीख चीख के आवाज आने लगी कि बोल दे....अपनी चूत दे दे। पर अपुन अच्छी तरह जानता था कि अगर अपुन ने ऐसा बोला तो अपुन की गाड़ तोड़ पेलाई होने में ज्यादा टाइम नहीं लगेगा। मादरचोद, कुछ समझ नहीं आ रेला था कि क्या बोले अपुन? तभी अनुष्का की आवाज अपुन के कान में पड़ी।

अनुष्का ─ क्या हुआ चुप क्यों हो गए? बताओ न तुम्हारी नाराजगी दूर करने के लिए क्या करूं मैं?

अपुन ─ बोल तो ऐसे रही हो आप जैसे अगर अपुन बताएगा तो आप कर ही दोगी।

अनुष्का ─ अरे! तुम बोलो तो भाई। तुम साक्षी के प्यारे भाई हो तो मेरे भी प्यारे भाई ही हो। तुम जो बोलोगे करूंगी मैं।

बेटीचोद यही तो प्रॉब्लम थी। बोले तो प्यारे भाई ही तो नहीं बोलना था अपुन को। साधना को चोदने के बाद भला अब वो अपुन की बहन कैसे हो सकती थी? खैर अपुन सोचने लगा कि क्या जवाब दे उसे, या ऐसा क्या करने को बोले जिसे वो झट से करने के लिए तैयार हो जाए? दूसरी तरफ अपुन की ये सोच के भी फट रेली थी कि अगर अपुन ने अपने मन की बात उसे बोली तो कहीं वो गुस्सा न हो जाए या साक्षी दी को न बता दे। अगर ऐसा हुआ तो समझ ही सकते हो कि कितना बड़ा कांड हो जाना था लौड़ा।

अपुन ─ कुछ ऐसा करने का सोचो जिसके बाद अपुन आपके घर आने के लिए मजबूर हो जाए।

अनुष्का ─ अरे! ये क्या बात हुई भाई? मैं तुझसे पूछ रही हूं और तू ऐसे बोल रहा है?

अपुन ─ आपने ही बोला है कि अपुन की नाराजगी दूर करने के लिए कुछ भी करोगी तो अब करो।

अनुष्का ─ अरे! मैं तो तब करूं न जब तुम बताओ कि क्या करूं मैं?

अपुन ─ ना, अपुन अपनी तरफ से कुछ करने को नहीं बोलेगा। ये आप सोचो कि आपको ऐसा क्या करना चाहिए जिसकी वजह से अपुन आपके पास आने को एकदम मजबूर ही हो जाए।

अनुष्का शायद सोच में पड़ गईली थी, इसी लिए फौरन उसकी कोई आवाज नहीं आई थी। इधर अपुन भी धड़कते दिल से सोचने लगा कि अब क्या करेगी वो लौड़ी? ये भी सोचने लगा कि कहीं कुछ गलत न सोच बैठे? हालांकि गलत सोचने का सवाल तो तब पैदा होता जब अपुन ने कुछ गलत बोला होता।

अनुष्का ─ भाई मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा। प्लीज तुम ही बताओ न कि क्या करूं मैं?

अपुन का जी तो किया कि खुल के बोल दे कि अपुन के लिए अपनी चूत खोल के रख दे पर लौड़ा ऐसा बोल देने का मतलब था बड़ी भयानक आफत को अपने ऊपर गिरा लेना।

अपुन ─ अपुन कुछ नहीं बताएगा। आप खुद सोचो। अच्छा अब रखता है अपुन। जब सोच लेना तभी कॉल करना अपुन को, गुड लुक।

अभी अपुन ने कॉल कट कर के मोबाइल एक तरफ रखा ही था कि तभी अपुन के रूम का दरवाजा खुला और विधी अंदर दाखिल हुई। उसने ऊपर एक टी शर्ट पहन रखी थी और नीचे ढीला सा सलवार। टी शर्ट में उसके सीने के उभार साफ दिख रेले थे।

विधी को आया देख अपुन सोचने लगा कि अब ये लौड़ी किस लिए आई है अपुन के रूम में? बोले तो जरूर अपुन से बात करने या सुलह करने आई होगी। अपुन ने सोच लिया कि अपुन उसे कोई भाव नहीं देगा। इस लिए उसे एक नज़र देखा और वापस मोबाइल उठा कर उसमें अपनी नजरें जमा दी।

विधी ने जब देखा कि अपुन ने उसे फिर से इग्नोर कर दिया है तो उसके चेहरे पर मायूसी के भाव तो उभरे ही लेकिन इस बार उसे दुख भी हुआ। अगले ही पल उसने पलट कर रूम का दरवाजा बंद किया और फिर एकदम से भागते हुए बेड पर अपुन के पास आई। अपुन मोबाइल में जरूर देख रेला था लेकिन अपुन का ध्यान उसकी तरफ ही था लौड़ा।

अपुन के पास आते ही वो बिना कुछ बोले बेड पर चढ़ी और फिर एकदम से अपुन के ऊपर ही, मतलब कि पेट में ही बैठ गई। अपुन उसकी इस हरकत से बौखला ही गया लौड़ा। इससे पहले कि अपुन कुछ कर पाता वो एकदम से झुकी और दोनों हाथों से अपुन का चेहरा पकड़ कर अपुन के होठों पर अपने होठों को रख दिया।

बेटीचोद, अपुन तो उसकी इस हरकत से शॉक ही हो गया। उधर उसने पहले तो अपुन के होठों को हल्के से चूमा और फिर अपुन के निचले होठ को मुंह में ले कर चूसना शुरू कर दिया। अगले ही पल अपुन के पूरे जिस्म में एक अलग ही तरह की झुरझुरी दौड़ती हुई चली गई लौड़ा।

इससे पहले कि अपुन एक अलग ही दुनिया में खो जाता अपुन को एकदम से खयाल आया कि अपुन को इसने इसी बात पर गुस्सा हो के थप्पड़ मारा था। इस लिए फ़ौरन ही अपुन ने उसे ताकत लगा कर अपने से दूर कर दिया। इतना ही नहीं उसे अपने ऊपर से भी धकेल दिया, उसके बाद अपुन बेड से उतर कर खड़ा हो गया और फिर गुस्सा दिखाते हुए बोला।

अपुन ─ ये क्या बेहूदगी है? शर्म नहीं आती तुझे अपने भाई के साथ ऐसा करने में?

विधी अपुन की गुस्से में कही गई इस बात को सुन कर एकदम से सुबकने लगी। उसके सुबकने की आवाज पूरे कमरे में गूंजने लगी। उसके अचानक से यूं रो पड़ने पर अपुन को एकदम से झटका लगा। बोले तो अपुन ने तो झूठ मूठ का ही गुस्सा हुआ था लेकिन जब वो अपुन की उम्मीद के विपरीत सुबकने ही लगी तो अपुन एकदम से घबरा ही गया लौड़ा। घबरा इस लिए गया क्योंकि अगर किसी को उसके रोने का सीन पता चल गया तो इससे कई सवाल ऐसे खड़े हो जाते जिनका जवाब देते न बनता बेटीचोद।

अपुन ने देखा विधी कि आंखों से आंसुओं की मोटी मोटी धार बह रेली थी। मतलब कि वो सच में अपुन के गुस्सा होने पर और ऐसा बोलने पर दुखी हो गईली थी। और शायद उसे ये भी एहसास हो चुका था कि उसने बेवजह ही अपुन को गुस्सा हो के थप्पड़ मारा था। खैर मामला थोड़ा सीरियस हो गयला था लेकिन अपुन इतना जल्दी पिघल जाने वाला नहीं था लौड़ा। बोले तो थोड़ा भाव खाने का था अपुन को।

अपुन ─ अब ये क्या नाटक है?

विधी ─ प्लीज माफ कर दे भाई। आज के बाद कभी तुझ पर गुस्सा नहीं करूंगी और न ही कभी तुझे थप्पड़ मारूंगी।

अपुन ─ ऐसा तो तब करेगी न तू जब अपुन वैसा काम करेगा। अपुन ने सोच लिया है कि अपुन तेरे से कोई मतलब ही नहीं रखेगा। तू जा यहां से।

विधी रोते हुए ही झट से बेड से नीचे उतरी और फिर अपुन के पास आ कर रोते हुए बोली।

विधी ─ बस एक बार माफ कर दे प्लीज। आगे से कभी ऐसा नहीं करूंगी और....और तुझे किस करने से भी नहीं रोकूंगी। प्लीज इस बार माफ कर दे भाई। मैं तो तेरी जान हूं ना?

अपुन ─ तू भी तो अपुन को अपनी जान बोलती थी ना। तभी अपनी जान को इतना जोर से थप्पड़ मारा था न तूने।

विधी ─ वो...वो मैंने गलती से तुझे थप्पड़ मार दिया था। मैं अपनी गलती एक्सेप्ट करती हूं। उस वक्त मुझे लगा था कि तू वो गलत करने लगा था इस लिए मैं घबरा गई थी और फिर गुस्सा हो कर तुझे थप्पड़ मार दिया था। बाद में जब मैंने हमारे न्यू रिलेशन के बारे में सोचा तो मुझे रियलाइज हुआ कि मुझे थप्पड़ नहीं मारना चाहिए था तुझे। प्लीज भाई, मेरी लास्ट मिस्टेक समझ कर माफ कर दे मुझे। अब से मैं तुझे किसी चीज़ के लिए नहीं रोकूंगी।

जिस तरह से वो दुखी मन से अपुन से माफियां मांग रेली थी उसे देख अपुन को एकदम से ये सोच के ग्लानि होने लगी कि एक तो अपुन ने खुद गलत किएला था ऊपर से खुद ही उसे इस तरह से रुला रेला है। क्या अपनी चाहतों और अपनी हवस के चलते अपुन ये ठीक कर रेला है? बेटीचोद, एकदम से दिमाग खराब हो गया अपुन का। खुद पर बहुत ज्यादा गुस्सा आया।

अपुन ने झपट कर उसे अपने सीने से लगा लिया। जैसे ही उसे अपुन ने सीने से लगाया तो वो अपुन को जकड़ कर फिर से रोने लगी। उसका यूं रोना अपुन का कलेजा हिलाए जा रेला था लौड़ा।

अपुन ─ प्लीज मत रो यार। तेरी कोई ग़लती नहीं थी। सब अपुन की ही गलती थी।

विधी ─ नहीं मेरी गलती थी। मुझे अपनी जान को थप्पड़ नहीं मारना चाहिए था।

अपुन उसकी बात सुन कर एक बार फिर से ये सोच के हिल गया कि वो अब भी अपनी ही गलती मार रेली है। ज़ाहिर है इससे ये पता चलता है कि वो अपुन से कितना प्यार करती है। खैर अपुन की कोशिश से कुछ ही देर में वो नॉर्मल हो गई।

अपुन ने उसे खुद से अलग कर उसके आंसू पोछे। वो मासूम सी शक्ल बनाए बस अपुन को ही देखे जा रेली थी। इतने में ही उसका चेहरा सुर्ख पड़ गयला था। अपुन का जी चाहा कि उसका सारा दुख ले ले और उसे दुनिया भर की खुशियां दे दे।

विधी ─ चल अब अपनी गर्ल फ्रेंड को किस कर न भाई।

अपुन ─ नहीं यार, ये ठीक नहीं है। अपन लोग को ये नहीं भूलना चाहिए कि अपन लोग को ऊपर वाले ने भाई बहन बना के पैदा किएला है। उस टाइम अपुन का तुझे उस तरह से किस करना सच में गलत था।

विधी अपुन की ये बात सुन के मायूस सी हो गई। शायद वो ये सोच बैठी थी कि अपुन अभी भी उससे नाराज है।

विधी ─ इसका मतलब तूने मुझे पूरी तरह माफ नहीं किया भाई?

अपुन ─ अरे! माफ़ करने की बात तो तब पैदा होती है जब तूने कोई गलती की हो।

विधी ─ तो फिर अपनी गर्ल फ्रेंड को किस क्यों नहीं करता तू? देख, मैं खुद बोल रही हूं न तो किस कर न मुझे....प्लीज।

अपुन को समझ न आया कि अब क्या करे? बोले तो इस वक्त अपुन के मन में सही गलत वाले खयाल आ रेले थे। इस वक्त अपुन के मन में कोई गलत खयाल नहीं थे वरना इतना हसीन मौका अपुन बिल्कुल भी नहीं छोड़ता।

विधी ─ क्या हुआ? क्या सोच रहा है भाई? प्लीज अपनी गर्ल फ्रेंड को किस कर न। मेरा भी मन कर रहा है कि मैं अपने बॉय फ्रेंड को किस करूं।

सच तो ये था लौड़ा कि उसकी बात सुन कर अब अपुन का दिमाग खराब होने लग गयला था। एक बार फिर से अपुन के मन में गलत खयाल आने लग गएले थे। सही गलत वाली सोच जैसे मां चुदाने को बेताब होने लग गईली थी। अपुन सोचने लगा कि जब वो खुद ही ऐसा करने को बोल रेली है तो अपुन को भी अब सही गलत नहीं सोचना चाहिए बेटीचोद।

To be continued...



Aaj ke liye itna hi bhai log,
Read and enjoy:declare:
Nice and superb update....
 

kas1709

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Update ~ 14



कपड़े पहन कर अपुन उसके घर से चला तो उसने अपुन को जाने देने से पहले स्मूच किस किया और फिर किसी बहाने हर रोज घर आने का बोल कर उसने अपुन को बाय किया।

उसके घर से बाहर आया तो देखा मोबाइल में साक्षी दी के दो मिस कॉल पड़े थे। ये देख अपुन एकदम से टेंशन में आ गया लौड़ा।



अब आगे....


कार की ड्राइविंग सीट पर बैठ कर अपुन ने साक्षी दी की कॉल पिक की। मन में कई सारे खयालों का अंबार लगेला था लौड़ा और थोड़ा घबरा भी रेला था लेकिन बात तो करना ही था।

साक्षी दी ─ कितनी देर से तुझे कॉल कर रही हूं। फोन क्यों नहीं उठा रहा था? कहां था तू?

अपुन ने महसूस किया कि उनकी नाराजगी कॉल न उठाने की वजह से थी। मतलब कि अभी फिलहाल वो अपुन की उन बातों पर गुस्सा नहीं थीं। अपुन ने थोड़ा राहत की सांस ली फिर बोला।

अपुन ─ सॉरी दी, वो अपु...आई मीन मैं ड्राइविंग करते आउटर में काफी दूर चला गया था। उसके बाद फिर अमित के घर चला गया। एक्चुअली अमित ने बोला था कि एक बार मैं उसके घर का चक्कर लगा लूं क्योंकि साधना दी घर पर अकेली हैं।

साक्षी दी ─ ओके फाईन, तू जल्दी से कंपनी पहुंच। मैं बहुत देर से वेट कर रही हूं तेरा।

अपुन ─ ओके मैं आ रहा हूं।

कॉल कट कर के अपुन ने कार स्टार्ट की और फुल स्पीड में दौड़ा दिया उसे। अपुन सोचने लगा था कि अगर अपुन इतनी देर से साक्षी दी का कॉल नहीं उठा रेला था तो वो किसी ऑटो या टैक्सी से भी तो घर जा सकती थीं। बोले तो इतने टाइम तक अपुन के कॉल पिक करने का वेट क्यों करती रहीं?

इसका तो यही मतलब हो सकता है कि वो अपुन के साथ ही कंपनी से घर जाना चाहती थीं। अब सवाल है कि..क्यों? क्या इस लिए कि वो उन बातों के बारे में अपुन से बात करना चाह रेली थीं? अपुन को याद आया कि उन्होंने बाद में इस बारे में बात करने को बोला था। घर में इस बारे में वो खुल कर अपुन से बात नहीं कर सकतीं थी, शायद इसी लिए उन्होंने किसी ऑटो या टैक्सी से घर जाना बेहतर नहीं समझा था।

अपुन को अपना ये विचार एकदम सही लगा। मतलब कि सच में वो उसी बारे में बात करना चाहती हैं अपुन से। खैर, अपुन भी सोचने लगा कि अगर वो सच में उस बारे में ही अपुन से बात करेंगी तो अपुन उन्हें क्या जवाब देगा? मतलब कि उनके सवालों के अपुन को क्या जवाब देने चाहिए लौड़ा?

सारे रास्ते अपुन सोच विचार करता रहा और फिर करीब पंद्रह मिनट में अपुन कंपनी पहुंच गया। कंपनी के गेट के पास पहुंच कर अपुन ने उन्हें कॉल कर के बताया कि अपुन गेट पर है इस लिए वो जल्दी आएं।

बेटीचोद, एकदम से धड़कनें बढ़ गईली थी अपुन की। बार बार यही खयाल आ रेला था कि साक्षी दी अपुन से क्या बात करेंगी और किस लहजे में बात करेंगी? खैर पांच मिनट बाद ही वो अपुन को आती नजर आईं।

थोड़ी ही देर में वो अपुन के पास पहुंच गईं और दूसरी तरफ का दरवाजा खोल कर कार में अपुन के बगल से बैठ गईं। अपुन ने थोड़ा डरते डरते ध्यान से उनके चेहरे को देखा। लौड़ा, कुछ समझ न आया कि इस वक्त उनके अंदर क्या चल रेला है।

साक्षी दी (सपाट लहजे में) ─ चलो।

अपुन ने बिना उनसे कोई बात किए कार स्टार्ट किया और यू टर्न ले कर घर की तरफ चल पड़ा। अपुन की धड़कनें बढ़ी हुईं थी और अपुन खामोशी से कार ड्राइव कर रेला था। अपुन चाहता था कि साक्षी दी खुद ही बात करना शुरू करें। इस लिए अपुन बार बार उम्मीद भरी नजर से उनकी तरफ देख लेता था। उधर साक्षी दी के चेहरे पर कोई भाव ही नहीं थे लौड़ा।

कार के अंदर छाई खामोशी बहुत अजीब लग रेली थी बेटीचोद लेकिन क्या कर सकता था अपुन। करीब दस मिनट बाद एकाएक अपुन दी की आवाज से चौंका। उन्होंने अपुन को आगे से लेफ्ट साइड कार मोड़ने को कहा। अपुन ने कहा तो कुछ नहीं लेकिन मन ही मन सोचने लगा कि लेफ्ट साइड कार को मोड़ने का क्यों बोलीं हैं वो? मतलब कि अगर उन्हें घर ही जाना है तो सीधा ही जाना चाहिए न, फिर लेफ्ट साइड मुड़ने का क्या मतलब है?

लेफ्ट साइड जो रास्ता जाता था वो सिटी से बाहर वाला था। उसके करीब पांच किलो मीटर पर एक तरफ जंगल था और दूसरी तरफ पहाड़, बाकी रास्ता सुनसान था। अचानक अपुन के दिमाग की बत्ती जली। अपुन को समझ आ गयला था कि दी ने अपुन को इस तरफ कार मोड़ने को क्यों बोला था। यानि इस तरफ सुनसान जगह पर वो अपुन को ले जा कर शायद उस बारे में बात करना चाहती थीं।

खैर अपुन ने लेफ्ट साइड कार को मोड़ दिया और खामोशी से कार ड्राइव करता रहा। साक्षी दी फिर से खामोश हो गईं लेकिन इस बार उनके चेहरे पर अपुन ने सोचो के भाव देखे। मतलब कि अब शायद वो भी गहराई से सोचने लगीं थी कि अपुन से वो क्या बात करेंगी?

कुछ देर बाद अपुन ने साक्षी दी के कहने पर ही कार को सड़क से उतार कर जंगल की तरफ मोड़ दिया। अपुन अब ये सोचने लगा कि सिर्फ उस बारे में बात करने के लिए उन्होंने अपुन को इतना दूर आने को क्यों कहा या ये कहें कि ऐसी जगह पर लाने का क्या मतलब था? अगर उन्हें उसी बारे में अपुन से बात करनी थी तो वो कार के अंदर कहीं भी कर सकती थीं। खैर अपन लोग जंगल के थोड़ा ही अंदर आए थे कि साक्षी दी ने कार रोक देने को कहा।

अपुन ने कार रोक दी और एकाएक फिर से बढ़ चली अपनी धड़कनों को काबू करने का प्रयास करने लगा। मन में तरह तरह के विचार उभरने लग ग‌एले थे बेटीचोद।

कार के रुकते ही साक्षी दी ने अपनी तरफ का दरवाजा खोला और नीचे उतर गईं। फिर अपुन को भी नीचे उतर आने का इशारा किया तो अपुन भी धड़कते दिल के साथ उतर आया। फिर आगे से घूम कर थोड़ा उनके पास आ कर खड़ा हो गया। साक्षी दी के चेहरे पर गंभीरता के भाव उभर आएले थे।

साक्षी दी ─ पता है मैं यहां क्यों लाई हूं तुझे?

अपुन ─ आप बताओ, अपु...आई मीन मुझे कैसे पता होगा भला?

साक्षी दी ─ आज से पहले मुझे यही लगता था कि तू बस मुझे खुश करने के लिए ही मेरी तारीफें करता रहता है लेकिन आज कंपनी में तूने जो बोला उसने मुझे अंदर तक हिला दिया था। मैं सोच भी नहीं सकती थी कि जिस भाई को मैं इतना प्यार और स्नेह करती हूं वो मेरे बारे में ऐसा सोचता है।

अपुन के अंदर डर और घबराहट तो थी लौड़ा लेकिन उनकी ये बात सुन कर अपुन ने सोचा कि देखते हैं साक्षी दी आखिर क्या सोचती हैं और अपुन को क्या क्या बोलती हैं? इस लिए अपुन ने इस बार बिना किसी डर के बेझिझक कहा।

अपुन ─ तो क्या गलत सोचता हूं दी? मतलब कि आपके लिए मेरे दिल में जैसी फीलिंग्स हैं वही तो बताया था मैंने आपसे।

साक्षी दी ─ हां पर तुझे ये भी तो सोचना चाहिए था न भाई कि ऐसी फीलिंग्स एक भाई अपनी बहन के लिए नहीं रख सकता।

अपुन ─ जानता हूं दी लेकिन अब दिल पर भला किसका जोर चलता है। वैसे भी दिल कहां ये सोचता है कि जिसके बारे में वो अपने अंदर ऐसी फीलिंग्स रख रहा है वो रिश्ते में उसकी क्या लगती है।

साक्षी दी अपुन की ये बात सुन कर एकदम वैसे ही परेशान नजर आने लगीं जैसे कंपनी में हुईं थी। कुछ पलों तक वो बेचैनी और परेशानी से अपुन को देखती रहीं फिर बोलीं।

साक्षी दी ─ ये गलत है मेरे भाई। तू नासमझ नहीं है कि तुझे सही गलत का ज्ञान दिया जाए। तू अच्छी तरह जानता है कि भाई बहन के बीच इस तरह की फीलिंग्स होना कितना गलत है। देख, मैंने हमेशा तुझ पर नाज किया है और दिव्या विधी से ज़्यादा तुझे प्यार और स्नेह किया है। मैं चाहती हूं कि तू पढ़ाई कंप्लीट कर के डैड का बिज़नेस सम्हाले।

अपुन ─ ये सब तो मैं करूंगा ही दी लेकिन आपके लिए जो फीलिंग्स मेरे दिल में हैं उन्हें निकालना मेरे बस में नहीं है।

साक्षी दी ─ देख मेरे भाई, मैं नहीं चाहती कि तेरी इस बात के चलते हमारे बीच कोई प्रॉब्लम पैदा हो जाए। मैं नहीं चाहती कि मॉम डैड को मुझे इस बारे में बताना पड़े और वो तुझ पर गुस्सा करें। इस लिए तुझे समझा रही हूं कि जितना जल्दी हो सके तू अपने अंदर से ऐसी फीलिंग्स को खत्म कर दे। ये अच्छी बात नहीं है मेरे भाई। समझने की कोशिश कर।

अपुन समझ गया कि साक्षी दी इस वक्त अपुन से उस बात के चलते गुस्सा नहीं हैं। जिस तरह वो अपुन को समझा रेली थीं उससे तो अपुन को यही लग रेला था। अपुन ने ये भी सोचा कि अगर अपुन थोड़ा और जिद्द करे तो शायद बात बन जाएगी लौड़ा। ये सोच कर अपुन ने कहा।

अपुन ─ कोशिश कर चुका हूं दी लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। बोले तो ऐसा लगता है जैसे अपु...मतलब कि मेरे दिल में आपके लिए ये जो फीलिंग्स हैं वो सच्ची हैं। आई थिंक...आई एम इन लव विद यू।

साक्षी दी आश्चर्य से अपुन को आँखें फाड़ के देखने लगीं। फिर एकदम से उनके चेहरे पर सीरियस भाव उभर आए।

साक्षी दी ─ नहीं नहीं, तू ऐसा नहीं कर सकता भाई। प्लीज इसे यहीं पर स्टॉप कर दे। तुझे अंदाजा भी नहीं है कि इसका कितना भयानक रिजल्ट निकलेगा।

अपुन ─ काश! मेरे दिल को इसके रिजल्ट की परवाह होती। ये तो जैसे हर अंजाम से बेफिक्र हो के बैठ गया है।

साक्षी दी ─ देख मेरे भाई तू प्लीज समझने की कोशिश कर। मैं तेरी बड़ी बहन हूं और बहन के साथ इस तरह का लव करना बिल्कुल भी ठीक नहीं होता। हमारे समाज में इसे बहुत ही गलत माना जाता है।

अपुन ─ मोहब्बत सही गलत ही तो नहीं देखती दी। शायद यही वजह है कि मेरा दिल आपसे प्यार कर बैठा है। मुझे भी पता है कि ये गलत है लेकिन दिल के हाथों मजबूर हूं। आप भले ही मेरे प्यार को एक्सेप्ट न करो लेकिन मेरे दिल से ये प्यार वाली फीलिंग्स नहीं जाएंगी।

साक्षी दी अब बहुत ज्यादा चिंतित और परेशान दिखने लगीं थी। इधर अपुन भी ये बात समझ रेला था कि वो अपुन से बहुत प्यार और स्नेह करती हैं और चाहती हैं कि अपुन पर कोई संकट न आए इस लिए वो अपुन को इस तरह ठंडे दिमाग से समझा रेली थीं। दूसरी तरफ अपुन था जो उनकी नरमी का फायदा उठा रेला था।

वैसे सच तो यही था कि अपुन को साक्षी दी दुनिया की सबसे हसीन लड़की लगती थीं और उनके प्रति अपुन के दिल में सॉफ्ट फीलिंग्स थीं लेकिन वैसी नहीं जैसे कि किसी प्रेमी, पागल या आशिक वाली होती हैं। हो सकता है कि दी के प्रति ये अपुन का सिर्फ आकर्षण ही हो पर था तो सही।

अपुन ─ आप टेंशन मत लो दी। आपका काम था समझाना लेकिन अब इसका क्या किया जाए कि मेरा दिल कुछ समझना ही नहीं चाहता।

साक्षी दी ─ क्यों मुझे सख्त कदम उठाने पर मजबूर कर रहा है भाई? क्यों तू कुछ समझना नहीं चाहता? क्या तू सच में चाहता है कि तेरी इस फिलिंग की वजह से हमारे हंसते खेलते संसार में कोई भारी मुसीबत आ जाए?

अपुन ─ आप बहुत दूर का सोच रही हैं दी जबकि मैं ऐसा कुछ भी नहीं चाहता। हां ये सच है कि मेरी फीलिंग्स रियल हैं और मैं चाहता हूं कि आप इसे एक्सेप्ट करें लेकिन अगर आप इसे एक्सेप्ट नहीं करेंगी तो इसके लिए आपको मैं कभी मजबूर नहीं करूंगा। फीलिंग्स ही तो हैं न, मेरे दिल के किसी कोने में मौजूद रहेंगी, क्या फर्क पड़ता है? मतलब कि जब इस बारे में किसी को कुछ पता ही नहीं चलेगा तो कोई मुसीबत कैसे आएगी भला?

साक्षी दी अपुन को बड़े ध्यान से देख रेली थीं। उनके चेहरे पर अभी भी परेशानी, चिंता और बेचैनी के भाव थे।

साक्षी दी ─ नहीं भाई, ये ठीक नहीं है। मैं चाहती हूं कि तू अपने अंदर से ऐसी फीलिंग्स को जड़ से ही मिटा दे और पूरी तरह मेरा भाई बन जा।

अपुन ─ भाई तो कुदरत ने ही बना के भेजा है दी तो आपका भाई ही रहूंगा न।

साक्षी दी ─ हां लेकिन यहां तू मेरा आशिक भी बनने की कोशिश कर रहा है, उसका क्या? नहीं प्यारे भाई, मुझे तेरा ये रूप मंजूर नहीं है। मैं चाहती हूं कि तू अपने दिल से ये बेमतलब की फीलिंग्स जड़ से मिटा दे और सिर्फ मेरा प्यारा भाई बना रह। इसी में हम सबका भला है और इसी में सबकी खुशी भी है।

अपुन ─ छोड़ो दी, जो हो ही नहीं सकता वो कैसे कर सकता हूं मैं? चलिए घर चलते हैं अब।

साक्षी दी ─ नहीं, अभी मेरी बात खत्म नहीं हुई है।

अपुन ─ इस बारे में आपका बात करना या मुझे समझाना बेकार है दी। तो बेहतर यही है कि घर चला जाए।

साक्षी दी बहुत ज्यादा चिंतित और परेशान नजर आ रेली थीं। बेचैनी और कशमकश में घिरी वो अपुन को देखती रहीं, फिर बिना कुछ कहे कार का दरवाजा खोल कर सीट पर बैठ गईं। अपुन भी मन ही मन मुस्कुराते हुए आ आकर ड्राइविंग सीट पर बैठ गया।

बोले तो इतनी सारी बातों के बाद अपुन एक बात समझ गयला था कि साक्षी दी अपुन की फीलिंग्स वाली बात घर में किसी को बताएंगी नहीं क्योंकि वो बता ही चुकी थीं कि वो अपुन को किसी मुसीबत में पड़ गया नहीं देखना चाहती थीं। यही वजह थी कि उन्होंने अपुन से ऐसे बात की थी। अब अपुन ने सोच लिया था कि उनकी नरमी का अपुन को कैसे फायदा उठाना था।

कार स्टार्ट कर के अपन लोग वापस चल दिए वहां से। इस बार कार के अंदर ऐसी खामोशी छाई कि घर पहुंचने तक वो खामोशी कायम रही। यानि पूरे रास्ते न दी ने कोई बात की थी और न ही अपुन ने।

अपुन तो लौड़ा सारे रास्ते यही सोचते आया था कि आगे अपुन ऐसा क्या करे कि दुनिया की सबसे हसीन लड़की यानि कि अपुन की दी अपुन की झोली में आ गिरे? खैर घर पहुंच कर जब कार रुकी तो दी चुपचाप उतर कर मेन गेट की तरफ बढ़ गईं और इधर अपुन कार को गैरेज में खड़ी करने लगा।

~~~~~~

अभी अपुन गैरेज में कार लगा कर मेन गेट की तरफ चला ही था कि अपुन को ऐसा फील हुआ जैसे अपुन के पेंट में पड़ा मोबाइल वाइब्रेट कर रेला है। अपुन ने मोबाइल निकाल कर उसकी स्क्रीन पर फ्लैश कर रहे नाम और नंबर को देखा।

कॉल अमित की सौतेली बहन अनुष्का का था। अपुन सोचने लगा कि ये लौड़ी क्यों कॉल कर रेली है अपुन को? अगले ही पल अपुन को याद आया कि इसने अपुन को एक्स्ट्रा क्लास के लिए शाम को अपने घर आने को बोला था।

अपुन सोचने लगा कि इसका कॉल पिक करे या नहीं? बोले तो इसके बारे में भी अपुन के मन में बहुत कुछ था लेकिन ये साक्षी दी की बेस्ट फ्रेंड भी थी इस लिए अपुन थोड़ा डरता भी था कि कहीं कुछ गड़बड़ न हो जाए। फिर अपुन ने सोचा कि बिना कुछ किए थोड़े न गड़बड़ होगी, यानि गड़बड़ होने के लिए कुछ करना जरूरी है।

अपुन ─ हेलो।

अनुष्का ─ ओह! थैंक गॉड तुमने कॉल उठा लिया। यूं नो, ये पांचवीं बार कॉल किया है मैंने तुम्हें।

अपुन ─ मोबाइल साइलेंट में था इस लिए कॉल आने का पता नहीं चला अपुन को। एनीवे, किस लिए कॉल किया है आपने अपुन को?

अनुष्का ─ दस मिनट में मेरे घर पहुंचो।

अपुन ─ क्यों?

अनुष्का ─ यहां आओ, सब पता चल जाएगा।

अपुन सोचने लगा कि लौड़ी सस्पेंस क्रिएट कर रेली है और तो और हुकुम ऐसे दे रेली है जैसे अपुन उसका गुलाम हो, हट लौड़ी।

अपुन ─ टाइम नहीं है अपुन के पास।

बोले तो इस तरह उसके द्वारा हुकुम देने पर अपुन की झांठें सुलग गईंली थी इस लिए अपुन ने टाइम नहीं है बोला और उसकी कोई बात सुने बिना ही कॉल डिस्कनेक्ट कर दिया लौड़ा।

कॉल कट कर के अपुन मोबाइल को जेब में डालने ही लगा था कि लौड़ा फिर से वाइब्रेट होने लगा बेटीचोद। अपुन ने एक नज़र स्क्रीन में फ्लैश हो रहे अनुष्का के नाम को देखा और फिर वैसे ही जेब में डाल दिया मोबाइल को। उसके बाद अपुन मस्त चाल में मेन गेट की तरफ बढ़ चला।

थोड़ी ही देर में अपुन सेकंड फ्लोर पर मौजूद अपने रूम पहुंच गया। फिर कपड़े उतार कर अपुन बाथरूम में घुस गया। फ्रेश होने के बाद अपुन ने दूसरे कपड़े पहने और मोबाइल ले कर बेड पर लेट गया।

अभी मोबाइल का लॉक ओपन ही किया था कि अनुष्का का कॉल फिर से आने लगा लौड़ा। ये देख अपुन का दिमाग खराब हो गया बेटीचोद। अपुन सोचने लगा कि अब इसकी चूत में इतनी खुजली क्यों हो रेली है? खैर अपुन ने ये सोच कर कॉल पिक कर लेने का सोच कि लौड़ी बार बार कॉल कर के अपुन को इरिटेट करेगी।

अपुन ─ बोला न टाइम नहीं है अपुन के पास।

अनुष्का ─ हद है भाई, अपनी उस गलती के लिए तुमसे कितनी बार माफी मांग चुकी हूं फिर भी तुम्हारी नाराजगी नहीं जा रही?

अपुन ─ अपुन ऐसा ही है। अपुन की नाराजगी इतना जल्दी नहीं जाती।

अनुष्का ─ ओके तो बताओ तुम्हारी नाराजगी दूर करने के लिए अब क्या करूं मैं? वैसे एक्स्ट्रा क्लास देने के लिए अपने घर बुला तो रही हूं तो क्यों नहीं आ रहे तुम?

अपुन ─ क्योंकि अपुन को एक्स्ट्रा क्लास लेने की जरूरत ही नहीं है।

अनुष्का ─ तो फिर बताओ और क्या करूं मैं?

उसकी ये बात सुन कर अपुन के मन में एक ही बात आई लौड़ा। बोले तो अपुन के अंदर चीख चीख के आवाज आने लगी कि बोल दे....अपनी चूत दे दे। पर अपुन अच्छी तरह जानता था कि अगर अपुन ने ऐसा बोला तो अपुन की गाड़ तोड़ पेलाई होने में ज्यादा टाइम नहीं लगेगा। मादरचोद, कुछ समझ नहीं आ रेला था कि क्या बोले अपुन? तभी अनुष्का की आवाज अपुन के कान में पड़ी।

अनुष्का ─ क्या हुआ चुप क्यों हो गए? बताओ न तुम्हारी नाराजगी दूर करने के लिए क्या करूं मैं?

अपुन ─ बोल तो ऐसे रही हो आप जैसे अगर अपुन बताएगा तो आप कर ही दोगी।

अनुष्का ─ अरे! तुम बोलो तो भाई। तुम साक्षी के प्यारे भाई हो तो मेरे भी प्यारे भाई ही हो। तुम जो बोलोगे करूंगी मैं।

बेटीचोद यही तो प्रॉब्लम थी। बोले तो प्यारे भाई ही तो नहीं बोलना था अपुन को। साधना को चोदने के बाद भला अब वो अपुन की बहन कैसे हो सकती थी? खैर अपुन सोचने लगा कि क्या जवाब दे उसे, या ऐसा क्या करने को बोले जिसे वो झट से करने के लिए तैयार हो जाए? दूसरी तरफ अपुन की ये सोच के भी फट रेली थी कि अगर अपुन ने अपने मन की बात उसे बोली तो कहीं वो गुस्सा न हो जाए या साक्षी दी को न बता दे। अगर ऐसा हुआ तो समझ ही सकते हो कि कितना बड़ा कांड हो जाना था लौड़ा।

अपुन ─ कुछ ऐसा करने का सोचो जिसके बाद अपुन आपके घर आने के लिए मजबूर हो जाए।

अनुष्का ─ अरे! ये क्या बात हुई भाई? मैं तुझसे पूछ रही हूं और तू ऐसे बोल रहा है?

अपुन ─ आपने ही बोला है कि अपुन की नाराजगी दूर करने के लिए कुछ भी करोगी तो अब करो।

अनुष्का ─ अरे! मैं तो तब करूं न जब तुम बताओ कि क्या करूं मैं?

अपुन ─ ना, अपुन अपनी तरफ से कुछ करने को नहीं बोलेगा। ये आप सोचो कि आपको ऐसा क्या करना चाहिए जिसकी वजह से अपुन आपके पास आने को एकदम मजबूर ही हो जाए।

अनुष्का शायद सोच में पड़ गईली थी, इसी लिए फौरन उसकी कोई आवाज नहीं आई थी। इधर अपुन भी धड़कते दिल से सोचने लगा कि अब क्या करेगी वो लौड़ी? ये भी सोचने लगा कि कहीं कुछ गलत न सोच बैठे? हालांकि गलत सोचने का सवाल तो तब पैदा होता जब अपुन ने कुछ गलत बोला होता।

अनुष्का ─ भाई मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा। प्लीज तुम ही बताओ न कि क्या करूं मैं?

अपुन का जी तो किया कि खुल के बोल दे कि अपुन के लिए अपनी चूत खोल के रख दे पर लौड़ा ऐसा बोल देने का मतलब था बड़ी भयानक आफत को अपने ऊपर गिरा लेना।

अपुन ─ अपुन कुछ नहीं बताएगा। आप खुद सोचो। अच्छा अब रखता है अपुन। जब सोच लेना तभी कॉल करना अपुन को, गुड लुक।

अभी अपुन ने कॉल कट कर के मोबाइल एक तरफ रखा ही था कि तभी अपुन के रूम का दरवाजा खुला और विधी अंदर दाखिल हुई। उसने ऊपर एक टी शर्ट पहन रखी थी और नीचे ढीला सा सलवार। टी शर्ट में उसके सीने के उभार साफ दिख रेले थे।

विधी को आया देख अपुन सोचने लगा कि अब ये लौड़ी किस लिए आई है अपुन के रूम में? बोले तो जरूर अपुन से बात करने या सुलह करने आई होगी। अपुन ने सोच लिया कि अपुन उसे कोई भाव नहीं देगा। इस लिए उसे एक नज़र देखा और वापस मोबाइल उठा कर उसमें अपनी नजरें जमा दी।

विधी ने जब देखा कि अपुन ने उसे फिर से इग्नोर कर दिया है तो उसके चेहरे पर मायूसी के भाव तो उभरे ही लेकिन इस बार उसे दुख भी हुआ। अगले ही पल उसने पलट कर रूम का दरवाजा बंद किया और फिर एकदम से भागते हुए बेड पर अपुन के पास आई। अपुन मोबाइल में जरूर देख रेला था लेकिन अपुन का ध्यान उसकी तरफ ही था लौड़ा।

अपुन के पास आते ही वो बिना कुछ बोले बेड पर चढ़ी और फिर एकदम से अपुन के ऊपर ही, मतलब कि पेट में ही बैठ गई। अपुन उसकी इस हरकत से बौखला ही गया लौड़ा। इससे पहले कि अपुन कुछ कर पाता वो एकदम से झुकी और दोनों हाथों से अपुन का चेहरा पकड़ कर अपुन के होठों पर अपने होठों को रख दिया।

बेटीचोद, अपुन तो उसकी इस हरकत से शॉक ही हो गया। उधर उसने पहले तो अपुन के होठों को हल्के से चूमा और फिर अपुन के निचले होठ को मुंह में ले कर चूसना शुरू कर दिया। अगले ही पल अपुन के पूरे जिस्म में एक अलग ही तरह की झुरझुरी दौड़ती हुई चली गई लौड़ा।

इससे पहले कि अपुन एक अलग ही दुनिया में खो जाता अपुन को एकदम से खयाल आया कि अपुन को इसने इसी बात पर गुस्सा हो के थप्पड़ मारा था। इस लिए फ़ौरन ही अपुन ने उसे ताकत लगा कर अपने से दूर कर दिया। इतना ही नहीं उसे अपने ऊपर से भी धकेल दिया, उसके बाद अपुन बेड से उतर कर खड़ा हो गया और फिर गुस्सा दिखाते हुए बोला।

अपुन ─ ये क्या बेहूदगी है? शर्म नहीं आती तुझे अपने भाई के साथ ऐसा करने में?

विधी अपुन की गुस्से में कही गई इस बात को सुन कर एकदम से सुबकने लगी। उसके सुबकने की आवाज पूरे कमरे में गूंजने लगी। उसके अचानक से यूं रो पड़ने पर अपुन को एकदम से झटका लगा। बोले तो अपुन ने तो झूठ मूठ का ही गुस्सा हुआ था लेकिन जब वो अपुन की उम्मीद के विपरीत सुबकने ही लगी तो अपुन एकदम से घबरा ही गया लौड़ा। घबरा इस लिए गया क्योंकि अगर किसी को उसके रोने का सीन पता चल गया तो इससे कई सवाल ऐसे खड़े हो जाते जिनका जवाब देते न बनता बेटीचोद।

अपुन ने देखा विधी कि आंखों से आंसुओं की मोटी मोटी धार बह रेली थी। मतलब कि वो सच में अपुन के गुस्सा होने पर और ऐसा बोलने पर दुखी हो गईली थी। और शायद उसे ये भी एहसास हो चुका था कि उसने बेवजह ही अपुन को गुस्सा हो के थप्पड़ मारा था। खैर मामला थोड़ा सीरियस हो गयला था लेकिन अपुन इतना जल्दी पिघल जाने वाला नहीं था लौड़ा। बोले तो थोड़ा भाव खाने का था अपुन को।

अपुन ─ अब ये क्या नाटक है?

विधी ─ प्लीज माफ कर दे भाई। आज के बाद कभी तुझ पर गुस्सा नहीं करूंगी और न ही कभी तुझे थप्पड़ मारूंगी।

अपुन ─ ऐसा तो तब करेगी न तू जब अपुन वैसा काम करेगा। अपुन ने सोच लिया है कि अपुन तेरे से कोई मतलब ही नहीं रखेगा। तू जा यहां से।

विधी रोते हुए ही झट से बेड से नीचे उतरी और फिर अपुन के पास आ कर रोते हुए बोली।

विधी ─ बस एक बार माफ कर दे प्लीज। आगे से कभी ऐसा नहीं करूंगी और....और तुझे किस करने से भी नहीं रोकूंगी। प्लीज इस बार माफ कर दे भाई। मैं तो तेरी जान हूं ना?

अपुन ─ तू भी तो अपुन को अपनी जान बोलती थी ना। तभी अपनी जान को इतना जोर से थप्पड़ मारा था न तूने।

विधी ─ वो...वो मैंने गलती से तुझे थप्पड़ मार दिया था। मैं अपनी गलती एक्सेप्ट करती हूं। उस वक्त मुझे लगा था कि तू वो गलत करने लगा था इस लिए मैं घबरा गई थी और फिर गुस्सा हो कर तुझे थप्पड़ मार दिया था। बाद में जब मैंने हमारे न्यू रिलेशन के बारे में सोचा तो मुझे रियलाइज हुआ कि मुझे थप्पड़ नहीं मारना चाहिए था तुझे। प्लीज भाई, मेरी लास्ट मिस्टेक समझ कर माफ कर दे मुझे। अब से मैं तुझे किसी चीज़ के लिए नहीं रोकूंगी।

जिस तरह से वो दुखी मन से अपुन से माफियां मांग रेली थी उसे देख अपुन को एकदम से ये सोच के ग्लानि होने लगी कि एक तो अपुन ने खुद गलत किएला था ऊपर से खुद ही उसे इस तरह से रुला रेला है। क्या अपनी चाहतों और अपनी हवस के चलते अपुन ये ठीक कर रेला है? बेटीचोद, एकदम से दिमाग खराब हो गया अपुन का। खुद पर बहुत ज्यादा गुस्सा आया।

अपुन ने झपट कर उसे अपने सीने से लगा लिया। जैसे ही उसे अपुन ने सीने से लगाया तो वो अपुन को जकड़ कर फिर से रोने लगी। उसका यूं रोना अपुन का कलेजा हिलाए जा रेला था लौड़ा।

अपुन ─ प्लीज मत रो यार। तेरी कोई ग़लती नहीं थी। सब अपुन की ही गलती थी।

विधी ─ नहीं मेरी गलती थी। मुझे अपनी जान को थप्पड़ नहीं मारना चाहिए था।

अपुन उसकी बात सुन कर एक बार फिर से ये सोच के हिल गया कि वो अब भी अपनी ही गलती मार रेली है। ज़ाहिर है इससे ये पता चलता है कि वो अपुन से कितना प्यार करती है। खैर अपुन की कोशिश से कुछ ही देर में वो नॉर्मल हो गई।

अपुन ने उसे खुद से अलग कर उसके आंसू पोछे। वो मासूम सी शक्ल बनाए बस अपुन को ही देखे जा रेली थी। इतने में ही उसका चेहरा सुर्ख पड़ गयला था। अपुन का जी चाहा कि उसका सारा दुख ले ले और उसे दुनिया भर की खुशियां दे दे।

विधी ─ चल अब अपनी गर्ल फ्रेंड को किस कर न भाई।

अपुन ─ नहीं यार, ये ठीक नहीं है। अपन लोग को ये नहीं भूलना चाहिए कि अपन लोग को ऊपर वाले ने भाई बहन बना के पैदा किएला है। उस टाइम अपुन का तुझे उस तरह से किस करना सच में गलत था।

विधी अपुन की ये बात सुन के मायूस सी हो गई। शायद वो ये सोच बैठी थी कि अपुन अभी भी उससे नाराज है।

विधी ─ इसका मतलब तूने मुझे पूरी तरह माफ नहीं किया भाई?

अपुन ─ अरे! माफ़ करने की बात तो तब पैदा होती है जब तूने कोई गलती की हो।

विधी ─ तो फिर अपनी गर्ल फ्रेंड को किस क्यों नहीं करता तू? देख, मैं खुद बोल रही हूं न तो किस कर न मुझे....प्लीज।

अपुन को समझ न आया कि अब क्या करे? बोले तो इस वक्त अपुन के मन में सही गलत वाले खयाल आ रेले थे। इस वक्त अपुन के मन में कोई गलत खयाल नहीं थे वरना इतना हसीन मौका अपुन बिल्कुल भी नहीं छोड़ता।

विधी ─ क्या हुआ? क्या सोच रहा है भाई? प्लीज अपनी गर्ल फ्रेंड को किस कर न। मेरा भी मन कर रहा है कि मैं अपने बॉय फ्रेंड को किस करूं।

सच तो ये था लौड़ा कि उसकी बात सुन कर अब अपुन का दिमाग खराब होने लग गयला था। एक बार फिर से अपुन के मन में गलत खयाल आने लग गएले थे। सही गलत वाली सोच जैसे मां चुदाने को बेताब होने लग गईली थी। अपुन सोचने लगा कि जब वो खुद ही ऐसा करने को बोल रेली है तो अपुन को भी अब सही गलत नहीं सोचना चाहिए बेटीचोद।

To be continued...



Aaj ke liye itna hi bhai log,
Read and enjoy:declare:
Nice update....
 
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I ÂM LÕSÉR ẞŪT.....
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Update ~ 14



कपड़े पहन कर अपुन उसके घर से चला तो उसने अपुन को जाने देने से पहले स्मूच किस किया और फिर किसी बहाने हर रोज घर आने का बोल कर उसने अपुन को बाय किया।

उसके घर से बाहर आया तो देखा मोबाइल में साक्षी दी के दो मिस कॉल पड़े थे। ये देख अपुन एकदम से टेंशन में आ गया लौड़ा।



अब आगे....


कार की ड्राइविंग सीट पर बैठ कर अपुन ने साक्षी दी की कॉल पिक की। मन में कई सारे खयालों का अंबार लगेला था लौड़ा और थोड़ा घबरा भी रेला था लेकिन बात तो करना ही था।

साक्षी दी ─ कितनी देर से तुझे कॉल कर रही हूं। फोन क्यों नहीं उठा रहा था? कहां था तू?

अपुन ने महसूस किया कि उनकी नाराजगी कॉल न उठाने की वजह से थी। मतलब कि अभी फिलहाल वो अपुन की उन बातों पर गुस्सा नहीं थीं। अपुन ने थोड़ा राहत की सांस ली फिर बोला।

अपुन ─ सॉरी दी, वो अपु...आई मीन मैं ड्राइविंग करते आउटर में काफी दूर चला गया था। उसके बाद फिर अमित के घर चला गया। एक्चुअली अमित ने बोला था कि एक बार मैं उसके घर का चक्कर लगा लूं क्योंकि साधना दी घर पर अकेली हैं।

साक्षी दी ─ ओके फाईन, तू जल्दी से कंपनी पहुंच। मैं बहुत देर से वेट कर रही हूं तेरा।

अपुन ─ ओके मैं आ रहा हूं।

कॉल कट कर के अपुन ने कार स्टार्ट की और फुल स्पीड में दौड़ा दिया उसे। अपुन सोचने लगा था कि अगर अपुन इतनी देर से साक्षी दी का कॉल नहीं उठा रेला था तो वो किसी ऑटो या टैक्सी से भी तो घर जा सकती थीं। बोले तो इतने टाइम तक अपुन के कॉल पिक करने का वेट क्यों करती रहीं?

इसका तो यही मतलब हो सकता है कि वो अपुन के साथ ही कंपनी से घर जाना चाहती थीं। अब सवाल है कि..क्यों? क्या इस लिए कि वो उन बातों के बारे में अपुन से बात करना चाह रेली थीं? अपुन को याद आया कि उन्होंने बाद में इस बारे में बात करने को बोला था। घर में इस बारे में वो खुल कर अपुन से बात नहीं कर सकतीं थी, शायद इसी लिए उन्होंने किसी ऑटो या टैक्सी से घर जाना बेहतर नहीं समझा था।

अपुन को अपना ये विचार एकदम सही लगा। मतलब कि सच में वो उसी बारे में बात करना चाहती हैं अपुन से। खैर, अपुन भी सोचने लगा कि अगर वो सच में उस बारे में ही अपुन से बात करेंगी तो अपुन उन्हें क्या जवाब देगा? मतलब कि उनके सवालों के अपुन को क्या जवाब देने चाहिए लौड़ा?

सारे रास्ते अपुन सोच विचार करता रहा और फिर करीब पंद्रह मिनट में अपुन कंपनी पहुंच गया। कंपनी के गेट के पास पहुंच कर अपुन ने उन्हें कॉल कर के बताया कि अपुन गेट पर है इस लिए वो जल्दी आएं।

बेटीचोद, एकदम से धड़कनें बढ़ गईली थी अपुन की। बार बार यही खयाल आ रेला था कि साक्षी दी अपुन से क्या बात करेंगी और किस लहजे में बात करेंगी? खैर पांच मिनट बाद ही वो अपुन को आती नजर आईं।

थोड़ी ही देर में वो अपुन के पास पहुंच गईं और दूसरी तरफ का दरवाजा खोल कर कार में अपुन के बगल से बैठ गईं। अपुन ने थोड़ा डरते डरते ध्यान से उनके चेहरे को देखा। लौड़ा, कुछ समझ न आया कि इस वक्त उनके अंदर क्या चल रेला है।

साक्षी दी (सपाट लहजे में) ─ चलो।

अपुन ने बिना उनसे कोई बात किए कार स्टार्ट किया और यू टर्न ले कर घर की तरफ चल पड़ा। अपुन की धड़कनें बढ़ी हुईं थी और अपुन खामोशी से कार ड्राइव कर रेला था। अपुन चाहता था कि साक्षी दी खुद ही बात करना शुरू करें। इस लिए अपुन बार बार उम्मीद भरी नजर से उनकी तरफ देख लेता था। उधर साक्षी दी के चेहरे पर कोई भाव ही नहीं थे लौड़ा।

कार के अंदर छाई खामोशी बहुत अजीब लग रेली थी बेटीचोद लेकिन क्या कर सकता था अपुन। करीब दस मिनट बाद एकाएक अपुन दी की आवाज से चौंका। उन्होंने अपुन को आगे से लेफ्ट साइड कार मोड़ने को कहा। अपुन ने कहा तो कुछ नहीं लेकिन मन ही मन सोचने लगा कि लेफ्ट साइड कार को मोड़ने का क्यों बोलीं हैं वो? मतलब कि अगर उन्हें घर ही जाना है तो सीधा ही जाना चाहिए न, फिर लेफ्ट साइड मुड़ने का क्या मतलब है?

लेफ्ट साइड जो रास्ता जाता था वो सिटी से बाहर वाला था। उसके करीब पांच किलो मीटर पर एक तरफ जंगल था और दूसरी तरफ पहाड़, बाकी रास्ता सुनसान था। अचानक अपुन के दिमाग की बत्ती जली। अपुन को समझ आ गयला था कि दी ने अपुन को इस तरफ कार मोड़ने को क्यों बोला था। यानि इस तरफ सुनसान जगह पर वो अपुन को ले जा कर शायद उस बारे में बात करना चाहती थीं।

खैर अपुन ने लेफ्ट साइड कार को मोड़ दिया और खामोशी से कार ड्राइव करता रहा। साक्षी दी फिर से खामोश हो गईं लेकिन इस बार उनके चेहरे पर अपुन ने सोचो के भाव देखे। मतलब कि अब शायद वो भी गहराई से सोचने लगीं थी कि अपुन से वो क्या बात करेंगी?

कुछ देर बाद अपुन ने साक्षी दी के कहने पर ही कार को सड़क से उतार कर जंगल की तरफ मोड़ दिया। अपुन अब ये सोचने लगा कि सिर्फ उस बारे में बात करने के लिए उन्होंने अपुन को इतना दूर आने को क्यों कहा या ये कहें कि ऐसी जगह पर लाने का क्या मतलब था? अगर उन्हें उसी बारे में अपुन से बात करनी थी तो वो कार के अंदर कहीं भी कर सकती थीं। खैर अपन लोग जंगल के थोड़ा ही अंदर आए थे कि साक्षी दी ने कार रोक देने को कहा।

अपुन ने कार रोक दी और एकाएक फिर से बढ़ चली अपनी धड़कनों को काबू करने का प्रयास करने लगा। मन में तरह तरह के विचार उभरने लग ग‌एले थे बेटीचोद।

कार के रुकते ही साक्षी दी ने अपनी तरफ का दरवाजा खोला और नीचे उतर गईं। फिर अपुन को भी नीचे उतर आने का इशारा किया तो अपुन भी धड़कते दिल के साथ उतर आया। फिर आगे से घूम कर थोड़ा उनके पास आ कर खड़ा हो गया। साक्षी दी के चेहरे पर गंभीरता के भाव उभर आएले थे।

साक्षी दी ─ पता है मैं यहां क्यों लाई हूं तुझे?

अपुन ─ आप बताओ, अपु...आई मीन मुझे कैसे पता होगा भला?

साक्षी दी ─ आज से पहले मुझे यही लगता था कि तू बस मुझे खुश करने के लिए ही मेरी तारीफें करता रहता है लेकिन आज कंपनी में तूने जो बोला उसने मुझे अंदर तक हिला दिया था। मैं सोच भी नहीं सकती थी कि जिस भाई को मैं इतना प्यार और स्नेह करती हूं वो मेरे बारे में ऐसा सोचता है।

अपुन के अंदर डर और घबराहट तो थी लौड़ा लेकिन उनकी ये बात सुन कर अपुन ने सोचा कि देखते हैं साक्षी दी आखिर क्या सोचती हैं और अपुन को क्या क्या बोलती हैं? इस लिए अपुन ने इस बार बिना किसी डर के बेझिझक कहा।

अपुन ─ तो क्या गलत सोचता हूं दी? मतलब कि आपके लिए मेरे दिल में जैसी फीलिंग्स हैं वही तो बताया था मैंने आपसे।

साक्षी दी ─ हां पर तुझे ये भी तो सोचना चाहिए था न भाई कि ऐसी फीलिंग्स एक भाई अपनी बहन के लिए नहीं रख सकता।

अपुन ─ जानता हूं दी लेकिन अब दिल पर भला किसका जोर चलता है। वैसे भी दिल कहां ये सोचता है कि जिसके बारे में वो अपने अंदर ऐसी फीलिंग्स रख रहा है वो रिश्ते में उसकी क्या लगती है।

साक्षी दी अपुन की ये बात सुन कर एकदम वैसे ही परेशान नजर आने लगीं जैसे कंपनी में हुईं थी। कुछ पलों तक वो बेचैनी और परेशानी से अपुन को देखती रहीं फिर बोलीं।

साक्षी दी ─ ये गलत है मेरे भाई। तू नासमझ नहीं है कि तुझे सही गलत का ज्ञान दिया जाए। तू अच्छी तरह जानता है कि भाई बहन के बीच इस तरह की फीलिंग्स होना कितना गलत है। देख, मैंने हमेशा तुझ पर नाज किया है और दिव्या विधी से ज़्यादा तुझे प्यार और स्नेह किया है। मैं चाहती हूं कि तू पढ़ाई कंप्लीट कर के डैड का बिज़नेस सम्हाले।

अपुन ─ ये सब तो मैं करूंगा ही दी लेकिन आपके लिए जो फीलिंग्स मेरे दिल में हैं उन्हें निकालना मेरे बस में नहीं है।

साक्षी दी ─ देख मेरे भाई, मैं नहीं चाहती कि तेरी इस बात के चलते हमारे बीच कोई प्रॉब्लम पैदा हो जाए। मैं नहीं चाहती कि मॉम डैड को मुझे इस बारे में बताना पड़े और वो तुझ पर गुस्सा करें। इस लिए तुझे समझा रही हूं कि जितना जल्दी हो सके तू अपने अंदर से ऐसी फीलिंग्स को खत्म कर दे। ये अच्छी बात नहीं है मेरे भाई। समझने की कोशिश कर।

अपुन समझ गया कि साक्षी दी इस वक्त अपुन से उस बात के चलते गुस्सा नहीं हैं। जिस तरह वो अपुन को समझा रेली थीं उससे तो अपुन को यही लग रेला था। अपुन ने ये भी सोचा कि अगर अपुन थोड़ा और जिद्द करे तो शायद बात बन जाएगी लौड़ा। ये सोच कर अपुन ने कहा।

अपुन ─ कोशिश कर चुका हूं दी लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। बोले तो ऐसा लगता है जैसे अपु...मतलब कि मेरे दिल में आपके लिए ये जो फीलिंग्स हैं वो सच्ची हैं। आई थिंक...आई एम इन लव विद यू।

साक्षी दी आश्चर्य से अपुन को आँखें फाड़ के देखने लगीं। फिर एकदम से उनके चेहरे पर सीरियस भाव उभर आए।

साक्षी दी ─ नहीं नहीं, तू ऐसा नहीं कर सकता भाई। प्लीज इसे यहीं पर स्टॉप कर दे। तुझे अंदाजा भी नहीं है कि इसका कितना भयानक रिजल्ट निकलेगा।

अपुन ─ काश! मेरे दिल को इसके रिजल्ट की परवाह होती। ये तो जैसे हर अंजाम से बेफिक्र हो के बैठ गया है।

साक्षी दी ─ देख मेरे भाई तू प्लीज समझने की कोशिश कर। मैं तेरी बड़ी बहन हूं और बहन के साथ इस तरह का लव करना बिल्कुल भी ठीक नहीं होता। हमारे समाज में इसे बहुत ही गलत माना जाता है।

अपुन ─ मोहब्बत सही गलत ही तो नहीं देखती दी। शायद यही वजह है कि मेरा दिल आपसे प्यार कर बैठा है। मुझे भी पता है कि ये गलत है लेकिन दिल के हाथों मजबूर हूं। आप भले ही मेरे प्यार को एक्सेप्ट न करो लेकिन मेरे दिल से ये प्यार वाली फीलिंग्स नहीं जाएंगी।

साक्षी दी अब बहुत ज्यादा चिंतित और परेशान दिखने लगीं थी। इधर अपुन भी ये बात समझ रेला था कि वो अपुन से बहुत प्यार और स्नेह करती हैं और चाहती हैं कि अपुन पर कोई संकट न आए इस लिए वो अपुन को इस तरह ठंडे दिमाग से समझा रेली थीं। दूसरी तरफ अपुन था जो उनकी नरमी का फायदा उठा रेला था।

वैसे सच तो यही था कि अपुन को साक्षी दी दुनिया की सबसे हसीन लड़की लगती थीं और उनके प्रति अपुन के दिल में सॉफ्ट फीलिंग्स थीं लेकिन वैसी नहीं जैसे कि किसी प्रेमी, पागल या आशिक वाली होती हैं। हो सकता है कि दी के प्रति ये अपुन का सिर्फ आकर्षण ही हो पर था तो सही।

अपुन ─ आप टेंशन मत लो दी। आपका काम था समझाना लेकिन अब इसका क्या किया जाए कि मेरा दिल कुछ समझना ही नहीं चाहता।

साक्षी दी ─ क्यों मुझे सख्त कदम उठाने पर मजबूर कर रहा है भाई? क्यों तू कुछ समझना नहीं चाहता? क्या तू सच में चाहता है कि तेरी इस फिलिंग की वजह से हमारे हंसते खेलते संसार में कोई भारी मुसीबत आ जाए?

अपुन ─ आप बहुत दूर का सोच रही हैं दी जबकि मैं ऐसा कुछ भी नहीं चाहता। हां ये सच है कि मेरी फीलिंग्स रियल हैं और मैं चाहता हूं कि आप इसे एक्सेप्ट करें लेकिन अगर आप इसे एक्सेप्ट नहीं करेंगी तो इसके लिए आपको मैं कभी मजबूर नहीं करूंगा। फीलिंग्स ही तो हैं न, मेरे दिल के किसी कोने में मौजूद रहेंगी, क्या फर्क पड़ता है? मतलब कि जब इस बारे में किसी को कुछ पता ही नहीं चलेगा तो कोई मुसीबत कैसे आएगी भला?

साक्षी दी अपुन को बड़े ध्यान से देख रेली थीं। उनके चेहरे पर अभी भी परेशानी, चिंता और बेचैनी के भाव थे।

साक्षी दी ─ नहीं भाई, ये ठीक नहीं है। मैं चाहती हूं कि तू अपने अंदर से ऐसी फीलिंग्स को जड़ से ही मिटा दे और पूरी तरह मेरा भाई बन जा।

अपुन ─ भाई तो कुदरत ने ही बना के भेजा है दी तो आपका भाई ही रहूंगा न।

साक्षी दी ─ हां लेकिन यहां तू मेरा आशिक भी बनने की कोशिश कर रहा है, उसका क्या? नहीं प्यारे भाई, मुझे तेरा ये रूप मंजूर नहीं है। मैं चाहती हूं कि तू अपने दिल से ये बेमतलब की फीलिंग्स जड़ से मिटा दे और सिर्फ मेरा प्यारा भाई बना रह। इसी में हम सबका भला है और इसी में सबकी खुशी भी है।

अपुन ─ छोड़ो दी, जो हो ही नहीं सकता वो कैसे कर सकता हूं मैं? चलिए घर चलते हैं अब।

साक्षी दी ─ नहीं, अभी मेरी बात खत्म नहीं हुई है।

अपुन ─ इस बारे में आपका बात करना या मुझे समझाना बेकार है दी। तो बेहतर यही है कि घर चला जाए।

साक्षी दी बहुत ज्यादा चिंतित और परेशान नजर आ रेली थीं। बेचैनी और कशमकश में घिरी वो अपुन को देखती रहीं, फिर बिना कुछ कहे कार का दरवाजा खोल कर सीट पर बैठ गईं। अपुन भी मन ही मन मुस्कुराते हुए आ आकर ड्राइविंग सीट पर बैठ गया।

बोले तो इतनी सारी बातों के बाद अपुन एक बात समझ गयला था कि साक्षी दी अपुन की फीलिंग्स वाली बात घर में किसी को बताएंगी नहीं क्योंकि वो बता ही चुकी थीं कि वो अपुन को किसी मुसीबत में पड़ गया नहीं देखना चाहती थीं। यही वजह थी कि उन्होंने अपुन से ऐसे बात की थी। अब अपुन ने सोच लिया था कि उनकी नरमी का अपुन को कैसे फायदा उठाना था।

कार स्टार्ट कर के अपन लोग वापस चल दिए वहां से। इस बार कार के अंदर ऐसी खामोशी छाई कि घर पहुंचने तक वो खामोशी कायम रही। यानि पूरे रास्ते न दी ने कोई बात की थी और न ही अपुन ने।

अपुन तो लौड़ा सारे रास्ते यही सोचते आया था कि आगे अपुन ऐसा क्या करे कि दुनिया की सबसे हसीन लड़की यानि कि अपुन की दी अपुन की झोली में आ गिरे? खैर घर पहुंच कर जब कार रुकी तो दी चुपचाप उतर कर मेन गेट की तरफ बढ़ गईं और इधर अपुन कार को गैरेज में खड़ी करने लगा।

~~~~~~

अभी अपुन गैरेज में कार लगा कर मेन गेट की तरफ चला ही था कि अपुन को ऐसा फील हुआ जैसे अपुन के पेंट में पड़ा मोबाइल वाइब्रेट कर रेला है। अपुन ने मोबाइल निकाल कर उसकी स्क्रीन पर फ्लैश कर रहे नाम और नंबर को देखा।

कॉल अमित की सौतेली बहन अनुष्का का था। अपुन सोचने लगा कि ये लौड़ी क्यों कॉल कर रेली है अपुन को? अगले ही पल अपुन को याद आया कि इसने अपुन को एक्स्ट्रा क्लास के लिए शाम को अपने घर आने को बोला था।

अपुन सोचने लगा कि इसका कॉल पिक करे या नहीं? बोले तो इसके बारे में भी अपुन के मन में बहुत कुछ था लेकिन ये साक्षी दी की बेस्ट फ्रेंड भी थी इस लिए अपुन थोड़ा डरता भी था कि कहीं कुछ गड़बड़ न हो जाए। फिर अपुन ने सोचा कि बिना कुछ किए थोड़े न गड़बड़ होगी, यानि गड़बड़ होने के लिए कुछ करना जरूरी है।

अपुन ─ हेलो।

अनुष्का ─ ओह! थैंक गॉड तुमने कॉल उठा लिया। यूं नो, ये पांचवीं बार कॉल किया है मैंने तुम्हें।

अपुन ─ मोबाइल साइलेंट में था इस लिए कॉल आने का पता नहीं चला अपुन को। एनीवे, किस लिए कॉल किया है आपने अपुन को?

अनुष्का ─ दस मिनट में मेरे घर पहुंचो।

अपुन ─ क्यों?

अनुष्का ─ यहां आओ, सब पता चल जाएगा।

अपुन सोचने लगा कि लौड़ी सस्पेंस क्रिएट कर रेली है और तो और हुकुम ऐसे दे रेली है जैसे अपुन उसका गुलाम हो, हट लौड़ी।

अपुन ─ टाइम नहीं है अपुन के पास।

बोले तो इस तरह उसके द्वारा हुकुम देने पर अपुन की झांठें सुलग गईंली थी इस लिए अपुन ने टाइम नहीं है बोला और उसकी कोई बात सुने बिना ही कॉल डिस्कनेक्ट कर दिया लौड़ा।

कॉल कट कर के अपुन मोबाइल को जेब में डालने ही लगा था कि लौड़ा फिर से वाइब्रेट होने लगा बेटीचोद। अपुन ने एक नज़र स्क्रीन में फ्लैश हो रहे अनुष्का के नाम को देखा और फिर वैसे ही जेब में डाल दिया मोबाइल को। उसके बाद अपुन मस्त चाल में मेन गेट की तरफ बढ़ चला।

थोड़ी ही देर में अपुन सेकंड फ्लोर पर मौजूद अपने रूम पहुंच गया। फिर कपड़े उतार कर अपुन बाथरूम में घुस गया। फ्रेश होने के बाद अपुन ने दूसरे कपड़े पहने और मोबाइल ले कर बेड पर लेट गया।

अभी मोबाइल का लॉक ओपन ही किया था कि अनुष्का का कॉल फिर से आने लगा लौड़ा। ये देख अपुन का दिमाग खराब हो गया बेटीचोद। अपुन सोचने लगा कि अब इसकी चूत में इतनी खुजली क्यों हो रेली है? खैर अपुन ने ये सोच कर कॉल पिक कर लेने का सोच कि लौड़ी बार बार कॉल कर के अपुन को इरिटेट करेगी।

अपुन ─ बोला न टाइम नहीं है अपुन के पास।

अनुष्का ─ हद है भाई, अपनी उस गलती के लिए तुमसे कितनी बार माफी मांग चुकी हूं फिर भी तुम्हारी नाराजगी नहीं जा रही?

अपुन ─ अपुन ऐसा ही है। अपुन की नाराजगी इतना जल्दी नहीं जाती।

अनुष्का ─ ओके तो बताओ तुम्हारी नाराजगी दूर करने के लिए अब क्या करूं मैं? वैसे एक्स्ट्रा क्लास देने के लिए अपने घर बुला तो रही हूं तो क्यों नहीं आ रहे तुम?

अपुन ─ क्योंकि अपुन को एक्स्ट्रा क्लास लेने की जरूरत ही नहीं है।

अनुष्का ─ तो फिर बताओ और क्या करूं मैं?

उसकी ये बात सुन कर अपुन के मन में एक ही बात आई लौड़ा। बोले तो अपुन के अंदर चीख चीख के आवाज आने लगी कि बोल दे....अपनी चूत दे दे। पर अपुन अच्छी तरह जानता था कि अगर अपुन ने ऐसा बोला तो अपुन की गाड़ तोड़ पेलाई होने में ज्यादा टाइम नहीं लगेगा। मादरचोद, कुछ समझ नहीं आ रेला था कि क्या बोले अपुन? तभी अनुष्का की आवाज अपुन के कान में पड़ी।

अनुष्का ─ क्या हुआ चुप क्यों हो गए? बताओ न तुम्हारी नाराजगी दूर करने के लिए क्या करूं मैं?

अपुन ─ बोल तो ऐसे रही हो आप जैसे अगर अपुन बताएगा तो आप कर ही दोगी।

अनुष्का ─ अरे! तुम बोलो तो भाई। तुम साक्षी के प्यारे भाई हो तो मेरे भी प्यारे भाई ही हो। तुम जो बोलोगे करूंगी मैं।

बेटीचोद यही तो प्रॉब्लम थी। बोले तो प्यारे भाई ही तो नहीं बोलना था अपुन को। साधना को चोदने के बाद भला अब वो अपुन की बहन कैसे हो सकती थी? खैर अपुन सोचने लगा कि क्या जवाब दे उसे, या ऐसा क्या करने को बोले जिसे वो झट से करने के लिए तैयार हो जाए? दूसरी तरफ अपुन की ये सोच के भी फट रेली थी कि अगर अपुन ने अपने मन की बात उसे बोली तो कहीं वो गुस्सा न हो जाए या साक्षी दी को न बता दे। अगर ऐसा हुआ तो समझ ही सकते हो कि कितना बड़ा कांड हो जाना था लौड़ा।

अपुन ─ कुछ ऐसा करने का सोचो जिसके बाद अपुन आपके घर आने के लिए मजबूर हो जाए।

अनुष्का ─ अरे! ये क्या बात हुई भाई? मैं तुझसे पूछ रही हूं और तू ऐसे बोल रहा है?

अपुन ─ आपने ही बोला है कि अपुन की नाराजगी दूर करने के लिए कुछ भी करोगी तो अब करो।

अनुष्का ─ अरे! मैं तो तब करूं न जब तुम बताओ कि क्या करूं मैं?

अपुन ─ ना, अपुन अपनी तरफ से कुछ करने को नहीं बोलेगा। ये आप सोचो कि आपको ऐसा क्या करना चाहिए जिसकी वजह से अपुन आपके पास आने को एकदम मजबूर ही हो जाए।

अनुष्का शायद सोच में पड़ गईली थी, इसी लिए फौरन उसकी कोई आवाज नहीं आई थी। इधर अपुन भी धड़कते दिल से सोचने लगा कि अब क्या करेगी वो लौड़ी? ये भी सोचने लगा कि कहीं कुछ गलत न सोच बैठे? हालांकि गलत सोचने का सवाल तो तब पैदा होता जब अपुन ने कुछ गलत बोला होता।

अनुष्का ─ भाई मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा। प्लीज तुम ही बताओ न कि क्या करूं मैं?

अपुन का जी तो किया कि खुल के बोल दे कि अपुन के लिए अपनी चूत खोल के रख दे पर लौड़ा ऐसा बोल देने का मतलब था बड़ी भयानक आफत को अपने ऊपर गिरा लेना।

अपुन ─ अपुन कुछ नहीं बताएगा। आप खुद सोचो। अच्छा अब रखता है अपुन। जब सोच लेना तभी कॉल करना अपुन को, गुड लुक।

अभी अपुन ने कॉल कट कर के मोबाइल एक तरफ रखा ही था कि तभी अपुन के रूम का दरवाजा खुला और विधी अंदर दाखिल हुई। उसने ऊपर एक टी शर्ट पहन रखी थी और नीचे ढीला सा सलवार। टी शर्ट में उसके सीने के उभार साफ दिख रेले थे।

विधी को आया देख अपुन सोचने लगा कि अब ये लौड़ी किस लिए आई है अपुन के रूम में? बोले तो जरूर अपुन से बात करने या सुलह करने आई होगी। अपुन ने सोच लिया कि अपुन उसे कोई भाव नहीं देगा। इस लिए उसे एक नज़र देखा और वापस मोबाइल उठा कर उसमें अपनी नजरें जमा दी।

विधी ने जब देखा कि अपुन ने उसे फिर से इग्नोर कर दिया है तो उसके चेहरे पर मायूसी के भाव तो उभरे ही लेकिन इस बार उसे दुख भी हुआ। अगले ही पल उसने पलट कर रूम का दरवाजा बंद किया और फिर एकदम से भागते हुए बेड पर अपुन के पास आई। अपुन मोबाइल में जरूर देख रेला था लेकिन अपुन का ध्यान उसकी तरफ ही था लौड़ा।

अपुन के पास आते ही वो बिना कुछ बोले बेड पर चढ़ी और फिर एकदम से अपुन के ऊपर ही, मतलब कि पेट में ही बैठ गई। अपुन उसकी इस हरकत से बौखला ही गया लौड़ा। इससे पहले कि अपुन कुछ कर पाता वो एकदम से झुकी और दोनों हाथों से अपुन का चेहरा पकड़ कर अपुन के होठों पर अपने होठों को रख दिया।

बेटीचोद, अपुन तो उसकी इस हरकत से शॉक ही हो गया। उधर उसने पहले तो अपुन के होठों को हल्के से चूमा और फिर अपुन के निचले होठ को मुंह में ले कर चूसना शुरू कर दिया। अगले ही पल अपुन के पूरे जिस्म में एक अलग ही तरह की झुरझुरी दौड़ती हुई चली गई लौड़ा।

इससे पहले कि अपुन एक अलग ही दुनिया में खो जाता अपुन को एकदम से खयाल आया कि अपुन को इसने इसी बात पर गुस्सा हो के थप्पड़ मारा था। इस लिए फ़ौरन ही अपुन ने उसे ताकत लगा कर अपने से दूर कर दिया। इतना ही नहीं उसे अपने ऊपर से भी धकेल दिया, उसके बाद अपुन बेड से उतर कर खड़ा हो गया और फिर गुस्सा दिखाते हुए बोला।

अपुन ─ ये क्या बेहूदगी है? शर्म नहीं आती तुझे अपने भाई के साथ ऐसा करने में?

विधी अपुन की गुस्से में कही गई इस बात को सुन कर एकदम से सुबकने लगी। उसके सुबकने की आवाज पूरे कमरे में गूंजने लगी। उसके अचानक से यूं रो पड़ने पर अपुन को एकदम से झटका लगा। बोले तो अपुन ने तो झूठ मूठ का ही गुस्सा हुआ था लेकिन जब वो अपुन की उम्मीद के विपरीत सुबकने ही लगी तो अपुन एकदम से घबरा ही गया लौड़ा। घबरा इस लिए गया क्योंकि अगर किसी को उसके रोने का सीन पता चल गया तो इससे कई सवाल ऐसे खड़े हो जाते जिनका जवाब देते न बनता बेटीचोद।

अपुन ने देखा विधी कि आंखों से आंसुओं की मोटी मोटी धार बह रेली थी। मतलब कि वो सच में अपुन के गुस्सा होने पर और ऐसा बोलने पर दुखी हो गईली थी। और शायद उसे ये भी एहसास हो चुका था कि उसने बेवजह ही अपुन को गुस्सा हो के थप्पड़ मारा था। खैर मामला थोड़ा सीरियस हो गयला था लेकिन अपुन इतना जल्दी पिघल जाने वाला नहीं था लौड़ा। बोले तो थोड़ा भाव खाने का था अपुन को।

अपुन ─ अब ये क्या नाटक है?

विधी ─ प्लीज माफ कर दे भाई। आज के बाद कभी तुझ पर गुस्सा नहीं करूंगी और न ही कभी तुझे थप्पड़ मारूंगी।

अपुन ─ ऐसा तो तब करेगी न तू जब अपुन वैसा काम करेगा। अपुन ने सोच लिया है कि अपुन तेरे से कोई मतलब ही नहीं रखेगा। तू जा यहां से।

विधी रोते हुए ही झट से बेड से नीचे उतरी और फिर अपुन के पास आ कर रोते हुए बोली।

विधी ─ बस एक बार माफ कर दे प्लीज। आगे से कभी ऐसा नहीं करूंगी और....और तुझे किस करने से भी नहीं रोकूंगी। प्लीज इस बार माफ कर दे भाई। मैं तो तेरी जान हूं ना?

अपुन ─ तू भी तो अपुन को अपनी जान बोलती थी ना। तभी अपनी जान को इतना जोर से थप्पड़ मारा था न तूने।

विधी ─ वो...वो मैंने गलती से तुझे थप्पड़ मार दिया था। मैं अपनी गलती एक्सेप्ट करती हूं। उस वक्त मुझे लगा था कि तू वो गलत करने लगा था इस लिए मैं घबरा गई थी और फिर गुस्सा हो कर तुझे थप्पड़ मार दिया था। बाद में जब मैंने हमारे न्यू रिलेशन के बारे में सोचा तो मुझे रियलाइज हुआ कि मुझे थप्पड़ नहीं मारना चाहिए था तुझे। प्लीज भाई, मेरी लास्ट मिस्टेक समझ कर माफ कर दे मुझे। अब से मैं तुझे किसी चीज़ के लिए नहीं रोकूंगी।

जिस तरह से वो दुखी मन से अपुन से माफियां मांग रेली थी उसे देख अपुन को एकदम से ये सोच के ग्लानि होने लगी कि एक तो अपुन ने खुद गलत किएला था ऊपर से खुद ही उसे इस तरह से रुला रेला है। क्या अपनी चाहतों और अपनी हवस के चलते अपुन ये ठीक कर रेला है? बेटीचोद, एकदम से दिमाग खराब हो गया अपुन का। खुद पर बहुत ज्यादा गुस्सा आया।

अपुन ने झपट कर उसे अपने सीने से लगा लिया। जैसे ही उसे अपुन ने सीने से लगाया तो वो अपुन को जकड़ कर फिर से रोने लगी। उसका यूं रोना अपुन का कलेजा हिलाए जा रेला था लौड़ा।

अपुन ─ प्लीज मत रो यार। तेरी कोई ग़लती नहीं थी। सब अपुन की ही गलती थी।

विधी ─ नहीं मेरी गलती थी। मुझे अपनी जान को थप्पड़ नहीं मारना चाहिए था।

अपुन उसकी बात सुन कर एक बार फिर से ये सोच के हिल गया कि वो अब भी अपनी ही गलती मार रेली है। ज़ाहिर है इससे ये पता चलता है कि वो अपुन से कितना प्यार करती है। खैर अपुन की कोशिश से कुछ ही देर में वो नॉर्मल हो गई।

अपुन ने उसे खुद से अलग कर उसके आंसू पोछे। वो मासूम सी शक्ल बनाए बस अपुन को ही देखे जा रेली थी। इतने में ही उसका चेहरा सुर्ख पड़ गयला था। अपुन का जी चाहा कि उसका सारा दुख ले ले और उसे दुनिया भर की खुशियां दे दे।

विधी ─ चल अब अपनी गर्ल फ्रेंड को किस कर न भाई।

अपुन ─ नहीं यार, ये ठीक नहीं है। अपन लोग को ये नहीं भूलना चाहिए कि अपन लोग को ऊपर वाले ने भाई बहन बना के पैदा किएला है। उस टाइम अपुन का तुझे उस तरह से किस करना सच में गलत था।

विधी अपुन की ये बात सुन के मायूस सी हो गई। शायद वो ये सोच बैठी थी कि अपुन अभी भी उससे नाराज है।

विधी ─ इसका मतलब तूने मुझे पूरी तरह माफ नहीं किया भाई?

अपुन ─ अरे! माफ़ करने की बात तो तब पैदा होती है जब तूने कोई गलती की हो।

विधी ─ तो फिर अपनी गर्ल फ्रेंड को किस क्यों नहीं करता तू? देख, मैं खुद बोल रही हूं न तो किस कर न मुझे....प्लीज।

अपुन को समझ न आया कि अब क्या करे? बोले तो इस वक्त अपुन के मन में सही गलत वाले खयाल आ रेले थे। इस वक्त अपुन के मन में कोई गलत खयाल नहीं थे वरना इतना हसीन मौका अपुन बिल्कुल भी नहीं छोड़ता।

विधी ─ क्या हुआ? क्या सोच रहा है भाई? प्लीज अपनी गर्ल फ्रेंड को किस कर न। मेरा भी मन कर रहा है कि मैं अपने बॉय फ्रेंड को किस करूं।

सच तो ये था लौड़ा कि उसकी बात सुन कर अब अपुन का दिमाग खराब होने लग गयला था। एक बार फिर से अपुन के मन में गलत खयाल आने लग गएले थे। सही गलत वाली सोच जैसे मां चुदाने को बेताब होने लग गईली थी। अपुन सोचने लगा कि जब वो खुद ही ऐसा करने को बोल रेली है तो अपुन को भी अब सही गलत नहीं सोचना चाहिए बेटीचोद।

To be continued...


Aaj ke liye itna hi bhai log,
Read and enjoy :declare:
Bahut hi badhiya update Bhai 💯
 
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Iron Man

Try and fail. But never give up trying
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साधना दी─ मुझे तुम्हारे होठ बहुत अच्छे लगते हैं। बार बार इनको किस करने का मन करता है। प्लीज हर रोज यहां आया करो न।

अपुन─ लेट्स सी। ओके बाय।

अपुन ने बाहर आ कर बाइक स्टार्ट की और फुर्र से निकल लिया। अपुन बार बार ये सोच के खुश हो रेला था कि आज पहली बार आखिर अपुन ने भी किसी लड़की के साथ मजा कर ही लिया। बोले तो पहली बार किसी लड़की के होठ चूमे। उसके बूब्स दबाए, बूब्स कै नंगा देखा और उन्हें चूसा भी। बेटीचोद, ऐसा लग रेला था जैसे अपुन हवाओं में उड़ रेला है।



अब आगे....


घर पहुंच कर बाइक को खड़ी ही किया था कि अपुन का फोन रिंग करने लगा। अपुन आज बहुत खुश था इस लिए फोन करने वाले को कोई गाली नहीं दी और जेब से मोबाइल निकाल कर स्क्रीन पर देखा। दिव्या का नाम फ्लैश हो रेला था।

अपुन समझ गया कि कॉलेज की छुट्टी होने का टाईम हो गया है और दिव्या ने जब देखा होगा कि अपुन कॉलेज में नहीं है तो उसने अपुन को कॉल किया। खैर अपुन ने झट से उसका कॉल उठाया।

अपुन─ बस पाँच मिनिट में आ रेला है अपुन।

दिव्या─ ये क्या बात हुई भैया? कब से आपको कॉल कर रहीं हूं और आप फोन ही नहीं उठा रहे?

अपुन─ अरे अपुन बाइक चला रेला था इस लिए रिंग सुनाई नहीं दी। तू बस पांच मिनट रुक, अपुन जल्दी पहुंचता है कॉलेज।

दिव्या─ जल्दी के चक्कर में बाइक स्पीड से मत चलाना। पांच की जगह दस मिनट वेट कर लूंगी मैं।

अपुन ने फोन कट किया और वापस बाइक को दौड़ा दिया। आज पता नहीं क्यों अपुन का ध्यान मोबाइल पर नहीं जा रेला था। पता नहीं कितने लोगों के कॉल्स और मैसेजेस पड़े होंगे और अपुन ने अभी तक उन्हें देखा नहीं है। ख़ैर बाद में देखने का सोच कर अपुन बाइक चलाता रहा।

अपुन को बार बार साधना दी के साथ हुआ रोमांस याद आ रेला था और अपुन खुशी से झूम उठता था। अपुन सोचने लगा कि सच में वो अपुन को बहुत प्यार करती हैं तभी तो इतनी आसानी से खुद को अपुन के हवाले कर दिया था।

कॉलेज के गेट के पास ही अपुन को दिव्या दिख गई। वो अकेली नहीं थी बल्कि उसके साथ में अमित की सौतेली बहन अनुष्का भी थी। अपुन को देखते ही वो हल्के से मुस्कुराई मगर अपुन ने उसे इग्नोर कर दिया जिससे उसकी मुस्कान गायब हो गई।

दिव्या─ अनुष्का दी मुझे ड्रॉप कर देने को बोल रहीं थी लेकिन मैंने इन्हें बता दिया कि आप आ रहे हैं।

अपुन ने बिना कुछ कहे उसको बाइक में बैठने का इशारा किया जिस पर पहले तो उसने अपुन को हैरानी से देखा लेकिन फिर बिना कुछ कहे बैठ गई।

दिव्या (अनुष्का से)─ बाय दी।

अनुष्का─ बाय दिव्या, सी यू।

उसके सी यू कहते ही अपुन ने बाइक को आगे बढ़ा दिया। पता नहीं क्यों पर अनुष्का को देख के अपुन का मूड खराब हो गयला था। जबकि इसके पहले अपुन खुश था और यही सोचे बैठा था कि आज किसी को गाली नहीं देगा अपुन।

वैसे देखा जाए तो साधना दी के इतने करीब पहुंचने में कहीं न कहीं अनुष्का का भी हाथ था। मतलब कि अगर उसने अपुन को क्लास से गेट आउट न किया होता तो आज अपुन अमित के घर नहीं जाता और जब जाता ही नहीं तो साधना दी के साथ इतना कुछ कैसे हो पाता? इसका मतलब ये भी हुआ कि इसके लिए अपुन को अनुष्का का एहसान मानना चाहिए था पर नहीं माना, हट लौड़ा।

तभी अपुन को अपनी पीठ पर दिव्या के बूब्स महसूस हुए तो अपुन खयालों से बाहर आया। पता नहीं उसको ये एहसास होता था या नहीं कि उसके बूब्स अपुन की पीठ पर थोड़ा नहीं बल्कि ज्यादा ही चुभने लगते हैं मगर उसने कभी फासला बना के बैठने का नहीं सोचा था। वो हमेशा ऐसे ही बैठती थी। बोले तो एकदम चिपक के।

दिव्या─ आपने अनुष्का दी को इग्नोर क्यों किया था भैया? कुछ हुआ है क्या?

अपुन─ क्यों? उसने बताया नहीं तुझे?

दिव्या─ नहीं, पर हुआ क्या है? बताइए न।

अपुन ने उसे शॉर्ट में बता दिया जिसे सुन कर उसे शॉक लगा।

दिव्या─ यकीन नहीं होता भैया कि उन्होंने आपको क्लास से आउट किया था।

अपुन─ जाने दे, अपुन को घंटा फर्क नहीं पड़ता।

दिव्या─ कोई तो वजह रही होगी भैया, वरना वो आपको इस तरह क्लास से आउट नहीं करतीं। अभी उस टाइम वो आपसे बात करने की उम्मीद लिए खड़ीं थी पर आपने उन्हें पूरी तरह इग्नोर ही कर दिया था।

अपुन ने कुछ नहीं कहा। असल में अपुन इस बारे में कुछ कहना ही नहीं चाहता था क्योंकि इससे अपुन का मूड खराब होता और अपुन आज अपना मूड खराब नहीं करना चाहता था। साधना दी की वजह से जो खुशी अपुन को मिली थी उसी में डूबे रहना चाहता था लौड़ा।

दिव्या ने और तो कुछ न कहा लेकिन ये ज़रूर पूछा कि विधी दी भी क्यों कॉलेज से चली आईं थी? अपुन ने उसे बता दिया कि वो अपुन की वजह से आ गई थी।

अपन लोग थोड़ी ही देर में घर पहुंच गए। दिव्या बाइक से उतर कर अपना बैग लिए दरवाज़े की तरफ बढ़ गई और अपुन गैरेज में बाइक खड़ी करने लगा। अपुन जल्द से जल्द अपने रूम में पहुंचना चाहता था क्योंकि अपुन को ये देखना था कि किन किन लोगों ने अपुन को कॉल्स और मैसेजेस किए थे...खास कर साधना दी का मैसेज देखने को बेताब था अपुन। अपुन को पूरा यकीन था कि वो सब होने के बाद उन्होंने अपुन को मैसेज में कुछ न कुछ तो लिख के भेज ही होगा।

खैर दो मिनट के अंदर ही अपुन अपने रूम में पहुंच गया। शुक्र था कि विधी नहीं थी अपुन के रूम में। उस टाइम वो गुस्सा हो के चली गई थी और अब सोच रेली होगी कि अपुन उसे मनाने आए पर फिलहाल अपुन उसे मनाने के बारे में नहीं बल्कि किसी और के बारे में सोचना चाह रेला था।

रूम को बंद कर अपुन ने फटाफट अपने कपड़े चेंज किए और फिर मोबाइल ले कर बेड पर पसर गया। उसके बाद मोबाइल देखना शुरू किया।

बेटीचोद, सच में बहुत सारे कॉल्स और मैसेजेस पड़े थे उसमें। अपुन ने सबको इग्नोर किया और वॉट्सएप में सबसे पहले साधना दी के मैसेजेस देखना शुरू किया।

उनके कई सारे मैसेज थे जिसमें उन्होंने सबसे पहले यही कहा था कि उन्हें अपुन की बहुत याद आ रेली है और अकेले घर में उनका मन नहीं लग रेला है। एक मैसेज में लिखा था कि काश! अपुन जादू की तरह उनके पास पहुंच जाए और वो अपुन के साथ बेड पर फिर से प्यार करें।

सच तो ये था कि उनके मैसेज पढ़ के अपुन खुश भी हो रेला था और मस्त भी। एक मैसेज में लिखा था कि लाइफ में पहली बार किसी ने उनके बूब्स को नंगा देखा है और उन्हें प्रेस किया है। एक मैसेज में लिखा था कि उन्हें अभी भी ऐसा लग रेला है जैसे अपुन के हाथ उनके बूब्स दबा रेले हैं। आखिर के मैसेज में लिखा था कि क्या हुआ, कुछ तो बोलो, कुछ तो कहो बाबू।

अपुन ने झट से उन्हें रिप्लाई करने का सोच लिया।

अपुन─ सॉरी दी, अपुन को टाइम ही नहीं मिला आपके मैसेजेस देखने का क्योंकि अभी अभी कॉलेज से दिव्या को ले के घर पहुंचा है अपुन।

अपुन को लगा था कि अपुन के इस मैसेज का रिप्लाई कुछ देर में आएगा मगर आधे मिनिट से पहले ही उनका रिप्लाई आ गया।

साधना दी─ कोई बात नहीं।

अपुन─ और बताओ, क्या कर रही हो आप?

साधना दी─ बस तुम्हें याद कर रही हूं।

अपुन─ और?

साधना दी─ और...और वो भी जो हमने किया था।

अपुन को मैसेज में उनसे ऐसी बातें करने में एक अलग ही तरह का मजा महसूस हुआ। बोले तो अलग ही सुरूर आ रेला था अपुन के अंदर।

अपुन─ क्या किया था हमने?

साधना दी─ क्या तुम्हें नहीं पता?

अपुन─ पता है, पर आपसे जानना चाहता है अपुन।

साधना दी─ उफ्फ! नहीं न, मुझे शर्म आ रही है।

अपुन─ वाह! करने में शर्म नहीं आई और बताने में शर्म आ रेली है?

साधना दी─ प्लीज ऐसा मत कहो। मैं खुद हैरान हूं कि इतना कुछ कैसे हो गया?

अपुन─ जैसे भी हुआ, हो तो गया न? अब बताओ न कि क्या किया था हमने?

साधना दी का कुछ पलों बाद मैसेज आया। अपुन बड़ी बेसब्री से उनके रिप्लाई का वेट कर रेला था।

साधना दी─ प्लीज मत पूछो न। सच में बहुत शर्म आ रही है मुझे। अच्छा तुम्हीं बता दो न कि क्या किया था हमने?

अपुन─ अपुन सिर्फ आपसे जानना चाहता है। अगर नहीं बताना तो मत बताइए।

साधना दी─ प्लीज गुस्सा मत करो, बताती हूं।

थोड़ी देर वो टाइपिंग करती रहीं और अपुन इंतज़ार करता रहा। तभी उनका मैसेज आया।

साधना दी─ तुम्हें शायद यकीन न हो लेकिन बात ये है कि मुझे सिर्फ इतना याद है कि मैं एक बहुत ही गहरे आनंद में डूबी हुई थी। मन कर रहा था कि वो आनंद कभी खत्म ही न हो।

साधना दी का ये मैसेज पढ़ कर अपुन मुस्कुरा उठा। अपुन सोचने लगा कि लौड़ी ने कितनी सफाई से बात को घुमा दिया है और अपनी बात कह दी है।

अपुन─ ये तो गलत बात है दी। आपको एक एक कर के सब कुछ बताना था।

साधना दी─ बहुत बेशर्म हो तुम। अच्छा मुझे ये याद है कि तुम मेरे होठों को चूम रहे थे और फिर मेरे ब्रेस्ट को प्रेस करने लगे थे। उसके बाद तो जैसे मैं होश में ही नहीं रही थी।

अपुन─ और फिर लास्ट में आपको क्या हो गया था?

साधना दी─ लास्ट में?? मतलब?

अपुन─ याद कीजिए लास्ट में आप झटके खा रेलीं थी और फिर एकदम से शांत पड़ गईं थी। अपुन उसी के बारे में पूछ रेला है आपसे।

साधना दी─ धत् बदमाश।

अपुन उनके इस मैसेज को देख कर एकदम से हंस पड़ा। वो अपुन की बात समझ गईं थी।

अपुन─ अरे! बताओ न दी...प्लीज।

साधना दी─ वो...वो तो...ऑर्गेस्म की वजह से ऐसा हुआ था। बस इससे आगे कुछ मत पूछना, प्लीज।

अपुन─ ठीक है नहीं पूछेगा अपुन लेकिन आपको पता है, एक बार फिर से अपुन के साथ ना इंसाफी हो गई।

साधना दी─ ये क्या कह रहे हो और...और किस तरह की ना इंसाफी हो गई?

अपुन─ उस टाइम आपने तो संतुष्टि पा ली थी पर अपुन तो बीच में ही लटका रह गया था।

साधना दी─ ओह! गॉड ये क्या बोल रहे हो तुम?

अपुन─ सच बोल रेला है अपुन। आपको पता है कितना दर्द में था अपुन।

साधना दी─ दर्द में थे? वो कैसे?

अपुन─ जो चीज़ पैंट के और अंडरवियर के अंदर कैद होगी उसकी तो यही हालत होगी न दी? ऊपर से उस टाइम जो अपन लोग कर रेले थे उससे अपुन की वो चीज अपने फुल में मूड आ गईली थी।

अपुन ने ये लिख के भेज तो दिया था लौड़ा लेकिन अब डर भी लग रेला था कि साधना दी कहीं नाराज़ न हो जाएं और कुछ बोले न। अपुन की धड़कनें बढ़ चलीं थी और अपुन सांसें रोके उनके रिप्लाई का वेट कर रेला था। करीब दो मिनट बाद उनका रिप्लाई आया।

साधना दी─ सॉरी मेरी वजह से तुम्हें ये तकलीफ उठानी पड़ी। क्या अभी भी दर्द में हो?

साधना दी को शायद अपुन की फिक्र होने लगी थी इस लिए पूछ रेलीं थी। ये देख अपुन को राहत भी मिली और अच्छा भी लगा।

अपुन─ दर्द होगा भी तो क्या कर सकता है अपुन?

साधना दी─ अरे! उसका दर्द दूर करने के लिए उसे शांत कर सकते हो न।

अपुन को ये सोच के थोड़ी हैरानी हुई कि वो ये क्या लिख के भेजी थीं। फिर अपुन ने सोचा कि शायद अपुन की फिक्र में उन्होंने अपनी शर्म को किनारे पर रख दिया होगा।

अपुन─ आप ही बताओ, कैसे शांत करे अपुन उसको?

साधना दी─ जैसे ब्वॉयज़ लोग करते हैं।

अपुन (शॉक)─ और ब्वॉयज़ लोग कैसे करते हैं?

साधना दी─ मास्टरबेट कर के। ओह गॉड ये तुम मुझसे क्या बुलवाए जा रहे हो?

अपुन (मन ही मन हंसा)─ तो आपको पता है कि ब्वॉयज़ लोग मास्टरबेट कर के उसे शांत करते हैं?

साधना दी─ हां, इतनी बुद्धू नहीं हूं। मत भूलो कि मेडिकल स्टूडेंट रही हूं मैं।

अपुन─ ओके फाईन। वैसे गर्ल्स भी तो मास्टरबेट करती हैं। आपने भी तो किया होगा कभी।

साधना दी─ प्लीज ये मत पूछो न।

अपुन─ अब इतना बताने में क्या हर्ज है? इतनी सारी बातें जब हमने कर ली तो ये भी सही।

साधना दी─ ओके, हां किया है पर कभी कभार। क्या तुम नहीं करते?

अपुन─ हां, दो तीन बार किया है लेकिन ये दो महीने पहले की बात है।

साधना दी─ ओह!

अपुन─ आपने लास्ट टाइम कब किया था?

साधना दी─ याद नहीं।

अपुन─ अच्छा, वैसे अब तो शायद आपको कुछ दिनों तक करने की जरूरत भी न पड़े।

साधना दी─ ऐसा क्यों?

अपुन─ क्योंकि आज आपका कोटा पूरा जो हो गया है।

साधना दी─ धत् बेशर्म।

अपुन─ हां, बस अपुन के साथ ही एक बार फिर से ना इंसाफी हो गई।

साधना दी─ प्लीज ऐसा मत कहो। मुझे अच्छा नहीं लग रहा। बताओ कैसे तुम्हारे साथ इंसाफ करूं?

अपुन सोचने लगा कि अब क्या जवाब दे उनको। मन तो किया कि बोल दे कि अपुन के पास आ जाओ और अपुन के लौड़े को हाथ में ले कर मुठ मार दो लेकिन ऐसा सच में लिख के भेज नहीं सकता था लौड़ा।

अपुन─ जाने दो, अब भला इसमें आप कर ही क्या सकती हैं?

साधना दी─ नहीं, तुम प्लीज बताओ। मुझे अच्छा नहीं लग रहा कि इतना कुछ होने के बाद भी तुम खुश न रहो।

अपुन─ कोई बात नहीं दी। आप टेंशन न लो, आई एम ओके।

साधना दी─ नो, यू आर नॉट ओके। तुम मेरा दिल रखने के लिए ऐसा बोल रहे हो। प्लीज बताओ न क्या करूं?

अपुन─ अच्छा अगर आप कुछ करना ही चाहती हैं तो सिर्फ इतना ही कीजिए कि अपने बूब्स की एक अच्छी सी पिक भेज दीजिए। जब से आपके खूबसूरत बूब्स को देखा है तब से अपुन की आंखों के सामने वो ही बार बार दिख रेले हैं।

साधना दी─ ओह! विराट, ये क्या कह रहे हो? कुछ तो शर्म करो।

अपुन─ हां दी, कितने सुंदर थे आपके बूब्स। प्लीज उनकी एक पिक भेजिए न। समझ लीजिए इसी से अपुन के साथ इंसाफ हो जाएगा।

साधना दी─ ओके वेट।

अपुन वेट करने लगा लौड़ा। सच में कमाल ही हो रेला था आज। बोले तो जो नहीं सोचा था वो हो रेला था और अब तो लौड़ा ऐसा लग रेला था कि अगर आज अपुन साधना दी से उनकी चूत भी मांग लेता तो वो खुशी से दे देतीं।

अपुन सोचने लगा कि एक दिन उनकी चूत भी मांग लेगा अपुन। अब इतना तो भरोसा हो ही गएला था कि वो अब किसी भी चीज़ के लिए अपुन को मना नहीं करेंगी।

तभी अपुन का मोबाइल बीप हुआ और साधना दी का मैसेज आया। अपुन की ये सोच के धड़कनें बढ़ गईं कि क्या सच में उन्होंने अपने बूब्स की पिक भेजी होगी? अपुन से सबर न हुआ लौड़ा और झट से उनके मैसेज को ओपन किया। उसमें कोई पिक डली थी जो ब्लर थी और डाउनलोड मांग रेली थी। अपुन ने झट से डाउनलोड पर क्लिक किया तो वो एक ही पल में डाउनलोड हो के क्लियर दिखने लगी।

साधना दी ने सच में अपने बूब्स की पिक भेजी थी अपुन को। पिक में उन्होंने अपने कुर्ते को सीने के ऊपर तक उठा रखा था जिसकी वजह से सफेद ब्रा में कैद उनके खूबसूरत बूब्स अपुन को साफ दिख रेले थे।

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अभी अपुन पिक में उनके बूब्स को ही देख रेला था कि तभी उनका मैसेज आया।

साधना दी─ ये क्या क्या करवा रहे हो मुझसे? खैर तुम्हारे लिए कुछ भी। अब ठीक है न?

अपुन─ हां दी, थैंक्यू सो मच।

साधना दी─ थैंक्यू मत कहो। तुम भी अपनी एक पिक भेज दो मुझे।

अपुन─ अच्छा, आपको कैसी पिक चाहिए अपुन की?

साधना दी─ जिसमें तुम्हारे गुलाबी होठ अच्छे से दिखें। जब भी मन करेगा पिक में तुम्हारे होठों को चूम लिया करूंगी।

अपुन उनका ये मैसेज देख मुस्कुरा उठा। वैसे अपुन को उनसे यही उम्मीद थी। खैर उनकी खुशी के लिए अपुन ने झट से अपनी एक सेल्फी ली और उसे सेंड कर दिया उन्हें।

अभी अपुन मैसेज टाइप ही करने वाला था कि तभी अपुन के रूम का दरवाजा किसी ने खटखटाया जिससे अपुन को ऐसा लगा जैसे अपुन का मजा ही खराब हो गया है लौड़ा।

ख़ैर अपुन ने जा कर दरवाजा खोला तो देखा बाहर दिव्या थी। अपुन को देखते ही बोली कि अपुन चाय पीने नीचे आएगा या वो यहीं पर अपुन के लिए चाय ले आए? अपुन ने उसे कहा कि अपुन नीचे ही आ रेला है।

दिव्या के जाने के बाद अपुन वापस बेड पर आया और जल्दी से साधना दी को मैसेज कर बताया कि बाद में बात होगी। उसके बाद अपुन पहले बाथरूम में मूतने गया और फिर कमरे से निकल कर नीचे चाय पीने चला गया।

~~~~~~~

नीचे आया तो देखा ड्राइंग रूम में रखे एक सोफे पर विधी बैठी टीवी देख रेली थी और दूसरे सोफे पर दिव्या बैठी थी। अपुन जा के विधी के बगल से उससे एकदम चिपक कर बैठ गया। ये देख उसने अपुन को गुस्से से घूरा।

अपुन─ अरे! गुस्सा क्यों हो रेली है? क्या इतना जल्दी भूल गई कि तू अपुन की जान है?

अपुन की ये बात सुन जहां विधि और भी गुस्से से देखने लगी वहीं दिव्या अपुन की तरफ हैरानी से देखने लगी। उसे लगा होगा कि आज अपुन विधि को जान कैसे बोल रेला है जबकि अपन दोनों का तो आपस में जमता ही नहीं है।

विधी─ दूर हो जा मुझसे, झूठा कहीं का।

अपुन─ तू अपनी जान को झूठा बोल रेली है?

विधी─ झूठा है तो झूठा ही बोलूंगी न तुझे, हां नहीं तो।

अपुन─ अच्छा सॉरी, चल गुस्सा थूक दे अब।

विधी─ बोला न दूर हट जा। मुझे तुझसे कोई बात नहीं करना।

विधी सच में गुस्सा थी। होना ही था, क्योंकि अपुन ने उसे रूम से जो जाने को कह दिया था। इधर दिव्या अभी भी ये सोच के हैरानी में थी कि अपुन ने विधी को जान क्यों कहा?

अपुन─ अच्छा सुन न, कल संडे है और अपुन सोच रेला है कि क्यों न अपन लोग थिएटर में मूवी देखने चलें? मतलब कि तू और अपुन साथ में। क्या बोलती है?

इस बार विधी पर थोड़ा असर हुआ। मतलब कि इस बार उसके चेहरे पर मौजूद गुस्सा कम होता नजर आया। इधर मूवी देखने जाने की बात सुन दिव्या चुप न रह सकी।

दिव्या─ वॉव भैया, मैं भी आप दोनों के साथ मूवी देखने चलूंगी और हां, मैं न विधी दी के बगल में बैठूंगी।

विधी ने उसे घूर कर देखा जिससे वो थोड़ा सकपका गई। अपुन ने उसे इशारे से चुप रहने को कहा तो वो चुपचाप टीवी की तरफ देखने लगी। तभी सीमा हम लोगों के लिए चाय ले कर आ गई। उसने एक एक कर के हम तीनों को चाय का कप दिया।

अपुन (विधी के कान में चुपके से)─ फ़िक्र मत कर। आज रात अपन दोनों एक साथ मोबाइल में डीडीएलजे मूवी देखेंगे और कल थिएटर में तो चलेंगे ही। (लौड़ी, हकले शाहरुख की जबर फैन थी)

विधी के चेहरे का गुस्सा झट से फुर्र हो गया और उसके होठों पर मुस्कान उभर आई। बस, मामला सुलझ गया और अपुन बेफिक्र हो गया। उसके बाद अपन लोगों ने चाय खत्म की। मामला सुलझ जाने के बाद से विधी खुद ही अपुन से चिपक के बैठ गईली थी। इधर दिव्या बार बार हम दोनों को देखती और मुस्कुरा कर टीवी की तरफ देखने लगती।

विधी (दिव्या को देख कर अपुन के कान में)─ इस छिपकली को कल हम अपने साथ मूवी देखने नहीं ले जाएंगे, हां नहीं तो।

अपुन समझ गया कि वो दिव्या से बदला लेने के मूड में आ गईली थी। आखिर उससे उसका बहुत सारा हिसाब किताब जो बाकी था लेकिन अपुन ये नहीं चाहता था क्योंकि विधी को तो कोई फर्क नहीं पड़ता मगर अपुन को यही लगता कि इससे दिव्या के साथ अन्याय हो गयला है।

अपुन (धीमी आवाज में)─ अरे! ये क्या कह रही है तू? देख वो तेरी छोटी बहन है। माना कि तेरा उससे नहीं जमता लेकिन तुझसे छोटी तो है ही। वैसे भी बेचारी अपने मॉम डैड से इतना दूर हमारे साथ हमारे ही भरोसे रहती है। ऐसे में क्या उसका दिल दुखाना ठीक लगता है तुझे?

विधी─ हम्म्म ये सही कहा तूने। अच्छा ठीक है, हम उसे भी कल ले चलेंगे।

अपुन─ अपुन को अपनी जान से इसी समझदारी की उम्मीद थी।

विधी─ हां वो तो मैं हूं ही समझदार, हां नहीं तो।

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शाम के सवा सात बजे के करीब साक्षी दी कंपनी से वापस आईं। आते ही उन्होंने अपन लोगों का हाल चाल पूछा और फिर वो अपने रूम में फ्रेश होने चलीं गईं। सीमा डिनर बना कर चली गई थी।

अपुन ने सोचा आज सारा दिन पढ़ाई नहीं की इस लिए थोड़ा पढ़ लिया जाए उसके बाद ही डिनर करेगा अपुन। ये सोच के अपुन अपने रूम में जा कर पढ़ाई में लग गया। पढ़ते पढ़ते समय का पता ही न चला लौड़ा। होश तब आया जब अपुन के कानों में साक्षी दी कि मधुर आवाज पड़ी।

अपुन ने सिर उठा कर उनकी तरफ देखा। कितनी प्यारी लग रेली थीं वो। आज के युग में भी वो ज्यादातर कुर्ता शलवार ही पहनती थीं। पहनती तो वो हर तरह के कपड़े थीं लेकिन मोस्टली कुर्ता शलवार ही उनका पसंदीदा लिबास था।

साक्षी दी─ अब ऐसे मत देख जैसे कभी कोई लड़की ही नहीं देखी। चल अब पढ़ाई बंद कर और डिनर कर ले।

अपुन (मस्का लगाते हुए)─ देखो दी ऐसा मत बोला करो आप। इस दुनिया में सिर्फ आप ही हो जिन्हें देखते रहने का अपुन का मन करता है। अपुन का बस चले तो आपको अपने सामने बैठा के रात दिन आपको ही देखता रहे।

साक्षी दी (हंसते हुए)─ अब बस कर मेरे भाई। कितनी बार तो बोल चुका है ये डायलॉग।

अपुन─ हां तो क्या हुआ? जब तक आप अपुन के सामने रहेंगी तब तक अपुन यही डायलॉग बोलता रहेगा।

साक्षी─ हां ठीक है लेकिन मुझे तेरी एक बात अच्छी नहीं लगती।

अपुन─ मालूम है अपुन को। आपको अपुन का टपोरी भाषा में बात करना अच्छा नहीं लगता। कसम से दी, अपुन बहुत कोशिश करता है कि ऐसी भाषा में किसी से बात न करे लेकिन लौ....मतलब कि जाने कैसे अपुन के मुख से ये सब निकल ही जाता है।

साक्षी─ आदत भी तो तूने खुद ही डाली है। बड़ा शौक था न तुझे टपोरी भाषा में बात करने का। क्या क्या नहीं किया इसके लिए तूने। टपोरी भाषा वाली फिल्में देखी और यूट्यूब में ढूंढ ढूंढ कर टपोरी लोगों की वीडियोज देखी। भाई प्लीज़ अब ये बंद कर दे न। मुझे बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगता कि मेरा इतना स्मार्ट और हैंडसम भाई इतनी बेकार लैंग्वेज में बातें करे। लोग भी सुनते होंगे तो क्या सोचते होंगे कि इतने बड़े घर का लड़का हो कर ऐसी भाषा में बात करता है।

साक्षी दी कि ये बातें सुन के एक बार फिर अपुन का सिर झुक गया लौड़ा। बात तो सच थी, ये आदत अपुन ने ही जान बूझ के डाली थी। अपुन में दूसरी कोई खराबी नहीं थी लेकिन अपुन की सभी अच्छाइयों पर अपुन की ये भाषा अब भारी पड़ रेली थी। बोले तो अपुन के कैरेक्टर पर दाग ही लगा रेली थी बेटीचोद।

साक्षी दी ने जब अपुन को सिर झुकाए देखा तो वो आईं और अपुन के पास ही बेड पर बैठ गईं। उसके बाद अपुन का कंधा थाम कर उन्होंने अपुन को खुद से छुपका लिया।

उनके ऐसा करने से अपुन का लेफ्ट बाजू उनके राइट बूब से छू गया और सिर्फ छू नहीं गया बल्कि ऐसा लगा जैसे उनका बूब अपुन के बाजू में दब ही गया लौड़ा। पर जैसे उन्हें इसकी कोई परवाह ही नहीं थी।

साक्षी दी─ तुझे पता है न कि तेरी ये दी तुझसे कितना प्यार करती है और तुझे इस तरह उदास होते नहीं देख सकती। चल अब ये सब मन से निकाल दे और मुस्कुरा के दिखा मुझे।

अपुन उनसे अलग हुआ और उनकी तरफ घूम गया। इतने करीब से हर रोज ही उन्हें देखता था लेकिन आज कुछ अलग ही महसूस हुआ अपुन को।

कितना सुंदर था उनका चेहरा। बड़ी बड़ी कजरारी आँखें, सुंदर गोरा मुखड़ा, कमान सी भौंहें, सुतवा नाक और गुलाब की पंखुड़ियों पर शबनम गिरे जैसे होठ।

सच तो ये था कि अपुन को पता ही न चला कब अपुन उनकी खूबसूरती में खो गया। उनके जिस्म से आती परफ्यूम की खुशबू ने जैसे और भी अपुन के होश गुम कर दिए थे। अपुन को इस हालत में देख वो हल्के से हंसी और फिर अपुन के गाल पर हल्के से एक चपत लगा दी।

साक्षी─ अब अगर अपनी दीदी को जी भर के देख लिया हो तो चलें? डिनर करना है कि नहीं?

अपुन बुरी तरह झेंप गया लौड़ा। बेशक उन्हें यही पता था कि अपुन कभी उनके बारे में गलत नहीं सोच सकता लेकिन आज का सच जैसे बदल ही गया था लौड़ा। दी को देखने का नजरिया बदल रेला था। उनके चेहरे पर दो बार साधना दी का चेहरा चमक उठा था और अपुन का मन किया था कि झट से आगे बढ़ कर उनके होठों को मुंह में भर चूसने लगे।

मगर हकीकत का एहसास होते ही अपुन को बड़ी शर्म महसूस हुई और अपुन चुपचाप उनसे दूर हो कर बेड से उतर कर खड़ा हो गया। बिजली की तरह मन में खयाल उभरा कि एक वो हैं जो अपुन को इतना प्यार करती हैं और एक अपुन है जो उनके बारे में गलत सोच बैठा।

साक्षी दी─ अब क्या हुआ तुझे? इस तरह सीरियस चेहरा क्यों बना रखा है तूने? ओह! हां याद आया, दिव्या ने बताया कि आज कॉलेज में अनुष्का ने तुझे क्लास से गेट आउट कर दिया था जिसकी वजह से तू गुस्सा हो के घर ही चला आया था।

साक्षी दी की इस बात से अपुन ने मन ही मन राहत की सांस ली। उधर वो बेड से उतर कर अपुन के सामने आ कर खड़ी हो गईं। वो बिना दुपट्टे के थीं जिससे उनके सीने के उभार कसे हुए साफ दिख रेले थे। न चाहते हुए भी अपुन की नजर एक बार उनके उभारों पर चली ही गई।

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पलक झपकते ही मन में गलत खयाल उभर उठे लेकिन जल्दी ही अपुन ने उन्हें झटक दिया।

साक्षी दी─ डोंट वरी, मैंने अनुष्का को फोन कर के खूब डांटा है। मुझसे सॉरी बोल रही थी और कह रही थी कि उसने गलती से अपने हसबैंड का गुस्सा तुझ पर निकाल दिया था। उसने तुझे मैसेज भी किया था पर शायद तूने देखा नहीं है।

अपुन─ अब से अपुन....सॉरी...आई मीन मैं कोशिश करूंगा कि किसी से भी टपोरी वाली लैंग्वेज में बात न करूं। अपुन...सॉरी..मैं नहीं चाहता कि अपु...मतलब कि मेरी इस लैंग्वेज की वजह से आपको या किसी को शर्मिंदा होना पड़े।

साक्षी दी─ वाह! क्या बात है। ये हुई न बात। मेरा सबसे अच्छा भाई, मेरा सबसे प्यारा भाई और मेरा सबसे स्मार्ट भाई। मुझे बहुत अच्छा लगा कि तू सबसे अच्छे से बात करने की कोशिश करेगा। खैर, अब चल जल्दी वरना फिर से मुझे खाने को गर्म करना पड़ेगा।

उसके बाद अपुन और साक्षी दी खुशी खुशी कमरे से निकल कर नीचे आ गए। डायनिंग टेबल में विधी और दिव्या पहले से ही बैठी हुईं थी। अपुन भी जा के एक कुर्सी पर बैठ गया। थोड़ी देर में साक्षी दी ने हम सबके सामने थाली रखी और फिर खुद के लिए भी रख कर एक कुर्सी में बैठ गईं। उसके बाद हम सबने खुशी खुशी डिनर किया और डिनर के बाद अपने अपने रूम में सोने चले गए।

आज का दिन सच में अलग था। अब देखना ये था कि आने वाले दिन कैसे होने वाले थे। अपने रूम में बेड पर लेटा अपुन यही सोच रेला था कि एक बार फिर से साधना दी का खयाल आ गया। अपुन को याद आया कि उन्होंने अपने बूब्स की पिक भेजी थी।

अपुन ने फौरन चार्जिंग से मोबाइल निकाला और फिर जैसे ही बेड पर लेट कर उसकी स्क्रीन जलाई तो भक्क से रूम का दरवाजा खुला और विधी दनदनाते हुए अंदर दाखिल हुई। उसे देख अपुन चौंक गया। मन ही मन सोचा कि इस लौड़ी को तो भूल ही गयला था अपुन। इसे तो अब सारी रात अपुन के साथ ही रूम में रहना है लौड़ा।



Aaj ke liye itna hi bhai log.. :cool:
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Saadhna viraj dono jaldi hai :sex:
Sakshi ki jawani kahar dha rahi hai 😊 🔥
Anushka husband se khoosh nahi ab Virat Babu ko hi karna padega 🤣🤣
 

Iron Man

Try and fail. But never give up trying
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अपुन ने फौरन चार्जिंग से मोबाइल निकाला और फिर जैसे ही बेड पर लेट कर उसकी स्क्रीन जलाई तो भक्क से रूम का दरवाजा खुला और विधी दनदनाते हुए अंदर दाखिल हुई। उसे देख अपुन चौंक गया। मन ही मन सोचा कि इस लौड़ी को तो भूल ही गयला था अपुन। इसे तो अब सारी रात अपुन के साथ ही रूम में रहना है लौड़ा।


अब आगे....


विधी को आया देख अपुन ये सोचने लग गयला था कि काश ये न आती तो कितना अच्छा होता। वहीं दूसरी तरफ उसने रूम में आते ही जल्दी से दरवाजा बंद किया और फिर खुशी से उछलते हुए बेड पर आ कर सीधे पसर ही गई। अपुन क्योंकि बेड के सिरहाने से टिका हुआ अधलेटा पड़ा था इस लिए जैसे ही वो अपुन से थोड़ा नीचे लेटी तो एकदम से अपुन की नज़र उसके कुर्ते के गले में पड़ गई।

उसके कुर्ते का गला उसके उभारों की वजह से काफी उठा हुआ था जिससे अपुन को साफ साफ उसके दोनों बूब्स दिखने लगे थे। अपुन की तो लौड़ा नजरें ही जम गईं उसके बूब्स पर और सांसें तो जैसे अटक ही गईं। जबकि उसे इस बात की खबर ही नहीं थी। वो तो खुशी के मारे में सिर को हल्का पीछे कर अपुन को देखते हुए मुस्कुराए जा रेली थी।

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पलक झपकते ही अपुन का दिमाग खराब हो गया। आज पहली बार अपुन अपनी छोटी बहन के गुप्त अंग को इस तरह देख रेला था। वैसे थोड़ा बहुत तो इसके पहले भी अपुन की नज़र पड़ जाती थी लेकिन तब अपुन के अंदर गलत खयाल नहीं उभरते थे।

अपुन एकटक विधी के बूब्स को देखे जा रेला था और जब कुछ देर तक अपुन ने कोई रिएक्ट न किया तो विधी का मुस्कुराना बंद हो गया। उसे थोड़ा अजीब भी लगा। उसने अपुन की नज़रों का पीछा किया और फिर जैसे ही उसकी नज़र अपने कुर्ते के खुले गले से दिख रहे बूब्स पर पड़ी तो वो उछल ही पड़ी। अगले ही पल एक झटके से उठ कर बैठ गई वो।

उसके यूं उठ जाने पर अपुन को एकदम से होश आया तो अपुन ने उसकी तरफ देखा। ठीक उसी वक्त उसने भी अपुन को देखा और अगले ही पल वो बुरी तरह शर्मा कर नज़रें चुराने लगी।

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अपुन को भी एहसास हुआ कि लौड़ा ये क्या हो गया? फिर विधी ने जल्दी ही खुद को सम्हाल लिया।

विधी ─ भाई कितना गंदा है तू।

अपुन (चौंक कर) ─ क्या मतलब?

विधी ─ तू मेरे वहां पर ऐसे घूर के क्यों देख रहा था? शर्म नहीं आई तुझे?

अपुन ने जब देखा कि वो गुस्सा होने के बजाय शर्मा रेली है और झूठा गुस्सा दिखा रेली है तो अपुन भी रिलैक्स हो गया लौड़ा। इतना ही नहीं उसे छेड़ने का मन भी बना लिया। (भारी स्मार्ट लौंडा है अपुन)

अपुन ─ अब इसमें अपुन का क्या दोष है भला? तू खुद ही इस तरह से दिखा रेली थी तो अपुन की नज़र पड़ गई तेरे बूब्...आई मीन तेरे चेस्ट पर।

विधी अपुन की ये बात सुन कर फिर से बुरी तरह शर्मा गई। उसके गाल कान तक लाल सुर्ख हो ग‌ए। कुछ पलों तक जैसे उसे समझ ही न आया कि क्या कहे लेकिन फिर जैसे उसने इस बार भी खुद को सम्हाल लिया।

विधी ─ तू सच में बहुत गंदा है। माना कि मेरी गलती थी लेकिन तुझे तो ख्याल रखना चाहिए था? ऐसे घूरते रहने की क्या जरूरत थी तुझे?

अपुन ─ अब इतनी खूबसूरत चीज़ सामने होगी तो भला कैसे किसी की नजर जमी न रह जाएगी उस पर?

विधी फिर से बुरी तरह शर्मा गई लेकिन इस बार उसने अपनी झूठी नाराजगी दिखाते हुए अपुन के बाजू में मुक्का मार दिया।

विधी ─ कुछ तो शर्म कर बेशर्म। मैं तेरी बहन हूं, तेरी गर्लफ्रेंड नहीं, हां नहीं तो।

अपुन ─ अच्छा, तो गर्लफ्रेंड बन जा न।

विधी (शॉक्ड) ─ क्या कहा???

अपुन─ वही जो तूने सुना।

विधी ─ पागल है क्या? बहन को गर्लफ्रेंड बन जाने को कैसे बोल सकता है तू?

अपुन ─ अरे! तो इसमें क्या हो गया? बहन को भी तो गर्लफ्रेंड बना सकते हैं। मतलब कि भाई बहन दोस्त भी तो बन सकते हैं।

विधी ─ ऐसा कैसे हो सकता है? गर्लफ्रेंड का मतलब तो वही सब होता है न?

अपुन समझ गया कि वो दूसरे टाइप की गर्लफ्रेंड का सोच रेली है।

अपुन ─ हां एक वैसी भी गर्लफ्रेंड होती है लेकिन वैसे गर्लफ्रेंड और बॉयफ्रेंड के बीच कभी कभी फिजिकल रिलेशन भी बन जाते हैं...यू नो? लेकिन जो सिर्फ दोस्त होते हैं उनके बीच ऐसा नहीं होता।

विधी (शॉक) ─ क्या बात कर रहा है? भला ऐसा भी कहीं होता है? मतलब कि लड़का लड़की सिर्फ दोस्त रहें क्या ये पॉसिबल है?

अपुन─ हां क्यों नहीं। अगर दोनों चाहें तो, और अगर दोनों रिलेशन में भाई बहन हों तो।

विधी अब भी जैसे उलझन में थी। उसके चेहरे पर सोचो के भाव थे। वो ये बात जैसे भूल ही गई थी कि अपन दोनों के बीच शुरुआत किस बात से हुई थी।

अपुन ─ चल ज़्यादा मत सोच। अपुन तो मज़ाक कर रेला था। अपुन को तुझे अपनी गर्लफ्रेंड बनाने का कोई शौक नहीं है। अपुन तो किसी ऐसी लड़की को अपनी गर्लफ्रेंड बनाएगा जो तुझसे ज़्यादा ब्यूटीफुल हो और तेरी तरह अपुन से बात बात पर झगड़ा न करे और ना ही ज्यादा नखरे दिखाए।

विधी ने जब अपुन की ये बात सुनी तो वो अपुन को घूर कर देखने लगी। ऐसा लगा जैसे अपुन की ये बात उसे अच्छी न लगी हो।

विधी ─ ज्यादा मत बोल। मैंने अच्छे से देखा है, पूरे कॉलेज में मुझसे ज्यादा ब्यूटीफुल लड़की नहीं है। बड़ा आया मुझसे ज्यादा ब्यूटीफुल लड़की को गर्लफ्रेंड बनाने वाला, हां नहीं तो।

अपुन ─ अरे! कॉलेज में नहीं है तो क्या हुआ? इतने बड़े शहर में कहीं तो होगी ही। अपुन कल से ही ऐसी ब्यूटीफुल लड़की को खोजना शुरू करेगा और उसे अपनी गर्लफ्रेंड बनाएगा। वाह! जब वो अपुन की गर्लफ्रेंड बन जाएगी तो अपुन उसे अपनी बाइक में बैठा कर मस्त मस्त जगह घूमने जाया करेगा और...और दोनों साथ में...।

विधी ─ बस बस, इतने सपने मत देख। तेरे जैसे लंगूर को कोई अपना बॉयफ्रेंड नहीं बनाएगी, हां नहीं तो।

अपुन ─ अरे! अपुन को अपना ब्वॉयफ्रेंड बनाने के लिए कॉलेज की जाने कितनी लड़कियां मरी जा रेली हैं। एक तो तेरी फ्रेंड रीना ही है जो अपुन की गर्लफ्रेंड बनने के लिए मरी जा रेली है।

विधी ─ कुत्ती कमीनी है वो। तुझे बोला था न कि उससे दूर रह। वो अच्छी लड़की नहीं है।

अपुन ─ कोई बात नहीं। जब तक तुझसे ज़्यादा ब्यूटीफुल लड़की नहीं मिल जाती तब तक उसे ही अपनी गर्लफ्रेंड बना कर काम चला लेगा अपुन।

विधी (गुस्से से) ─ मैंने कहा न वो अच्छी लड़की नहीं है, फिर क्यों उसे अपनी गर्लफ्रेंड बनाने को बोल रहा है तू?

अपुन ─ अरे! बताया तो कि तब तक उसी से काम चलाएगा अपुन।

विधी ─ ठीक है, फिर मैं भी अब किसी को अपना ब्वॉयफ्रेंड बनाऊंगी।

अपुन (मुस्कुरा कर) ─ बिल्कुल बना ले।

विधी ─ क्या??? मतलब कि क्या तुझे बिल्कुल भी बुरा नहीं लग रहा कि मैं तेरे सामने किसी लड़के को अपना ब्वॉयफ्रेंड बनाने को बोल रही हूं?

अपुन ─ अरे! अपुन को बुरा क्यों लगेगा भला? जैसे अपुन अपने तरीके से लाइफ जीना चाहता है वैसे ही तू भी तो जीना चाहती है। जब अपुन किसी को अपनी गर्लफ्रेंड बनाना चाहता है तो तू भी किसी को अपना ब्वॉयफ्रेंड बना ले, सिंपल।

विधी ने इस बार सच में बेहद गुस्से से देखा अपुन को। फिर एकदम से उसके चेहरे के भाव बदले। ऐसा लगा जैसे उसे किसी बात से तकलीफ हो रही है। उसकी आंखों में आसूं झलकने लगे। अपुन तो असल में उसे छेड़ रेला था और अब जब उसकी ये हालत देखी तो अपुन को अच्छा नहीं लगा लौड़ा। अपुन ने एकदम से उसे पकड़ कर खुद से छुपका लिया।

अपुन ─ अरे! सेंटी क्यों हो रेली है? अपुन तो बस तुझे छेड़ रेला था।

विधी ─ मुझसे दूर रह। एक तरफ तो मुझे अपनी जान कहता है और दूसरी तरफ मुझे रुलाता है। सच में गंदा है तू, मुझे तुझसे अब बता ही नहीं करना। जा रही हूं मैं, हां नहीं तो।

ये कहते हुए वो एक झटके से अपुन से अलग हुई और फिर बेड से भी उतर गई। जब वो दरवाजे की तरफ जाने लगी तो अपुन एकदम से चौंक पड़ा।

अपुन ─ अरे! रुक जा, कहां जा रेली है?

विधी दरवाजे का कुंडा पकड़े पलटी और रूठे हुए लहजे से बोली ─ मुझे तुझ जैसे गंदे इंसान के पास नहीं रहना। इस लिए जा रही हूं अपने रूम में। तुझे जिसे अपनी गर्लफ्रेंड बनाना है बना, मुझसे बात मत करना।

इससे पहले कि दरवाजा खोल कर वो सच में ही चली जाती अपुन बेड से कूद कर बिजली की स्पीड से उसके पास पहुंचा। फिर उसका हाथ पकड़ कर अपनी तरफ खींचा तो वो झोंक में सीधा आ कर अपुन के सीने से टकराई। उसके मध्यम आकार के बूब्स अपुन की छाती में धंस गए जिससे अपुन के जिस्म में झुरझुरी दौड़ गई।

विधी ─ छोड़ दे मुझे गंदे इंसान।

अपुन ─ कैसे छोड़ दूं? तू तो अपुन की जान है। तू अपुन से रूठ के दूर जाएगी तो कैसे जी पाएगा अपुन?

विधी ─ अगर सच में मैं तेरी जान होती तो तू मुझे ऐसे न रुलाया और ना ही मेरे सामने किसी और को अपनी गर्लफ्रेंड बनाने को कहता।

अपुन ─ वो तो इस लिए कहा क्योंकि तूने अपुन की गर्लफ्रेंड बनने से इंकार कर दिया था।

विधी जो अभी तक अपुन से छूटने की कोशिश कर रेली थी वो अपुन की ये बात सुन के एकदम शांत पड़ गई और हैरानी से देखने लगी।

विधी ─ क्या मतलब है तेरा?

अपुन ─ क्या अब भी नहीं समझी?

विधी ─ नहीं, तू समझा।

अपुन ─ अपुन ने शुरू में ही तुझे अपनी गर्लफ्रेंड बन जाने को बोला था पर तूने मना किया।

विधी ─ मैंने ऐसा कब कहा?

अपुन ─ अरे! लेकिन हां भी तो नहीं कहा था। खैर, तुझे ये सोचना चाहिए था कि जब तू अपुन की जान है तो अपुन किसी और को अपनी जान कैसे बना सकता है? पर अगर तू सच में अपुन की जान नहीं बनेगी तो अपुन को फिर कुछ और तो सोचना ही पड़ेगा न?

विधी एक बार फिर बुरी तरह उलझ गई। कुछ देर तक वो सोचती रही। अपुन उसी को देखे जा रेला था। अपुन ने अभी भी उसे खुद से छुपका रखा था और उसके बूब्स अपुन के सीने में धंसे हुए थे।

अपुन के मन में अजीब अजीब से खयाल उभर रहे थे। एक तरफ अपुन के अंदर हवस जाग रेली थी तो दूसरी तरफ ये सोच के ग्लानि भी होती कि वो अपुन की बहन है और अपुन ये कैसे उसके बारे में गलत सोच रेला है? तभी विधी की आवाज अपुन के कानों में पड़ी।

विधी ─ मुझे समझ नहीं आ रहा कि तू कहना क्या चाहता है?

अपुन ─ जब ठीक से समझेगी तभी तो समझ आएगा तुझे।

विधी ─ तो ठीक से तू ही समझा दे न।

अपुन ने उसे खुद से अलग किया और फिर बेड पर ले आया। वो बिना किसी विरोध के चुपचाप बेड पर बैठ गई थी। अपुन भी बेड पर उसके सामने बैठ गया और सोचने लगा कि आखिर किन शब्दों से समझाए उसको?

असल में अपुन एक कन्फ्यून में पड़ गयला था। इस सबके पहले दूर दूर तक अपुन के मन में उससे ऐसा कुछ कहने का या सोचने का खयाल नहीं था लेकिन अब जब बात यहां तक पहुंच गईली थी तो अपुन सोच में पड़ गयला था कि इस रास्ते में आगे बढ़े या नहीं? तभी विधी की आवाज से अपुन सोचो से बाहर आया।

विधी ─ अब कुछ बोलेगा भी या ऐसे ही बैठा रहेगा?

अपुन ─ एक बात बता, जैसे अपुन तुझे अपनी जान मानता है तो क्या तू भी अपुन को अपनी जान मानती है?

विधी ─ हां क्यों नहीं। तू भी मेरी जान है, हां नहीं तो।

अपुन ─ अच्छा, तो बता क्यों है अपुन तेरी जान?

विधी ─ बस है तो है। तू भी तो मुझे अपनी जान कहता है।

अपुन ─ हां कहता है अपुन लेकिन वो इस लिए क्योंकि तू अपुन की बहन है और अपुन तुझे बहुत चाहता है। एक दूसरे से लड़ना झगड़ना अलग बात है।

विधी ─ हां तो मैं भी तो इसी लिए तुझे अपनी जान मानती हूं, इसमें क्या है?

अपुन समझ गया कि उसके मन में जान मानने वाली बात के प्रति कोई गंभीर बात नहीं है या हो भी सकती है पर फिलहाल वो इस बात को न तो कबूल कर रही थी और ना ही ज़ाहिर कर रही थी। खैर अपुन ने कुछ सोचा और फिर उससे कहा।

अपुन ─ तुझे इसमें कुछ नहीं फील हो रहा?

विधी ─ ये तू क्या गोल मोल और घुमा फिरा के बोल रहा है? सीधे सीधे बोल न क्या बोल रहा है?

अपुन ─ ओके। अगर तुझे सच में कुछ फील नहीं हो रहा तो फिर तुझे अपुन के कुछ भी करने से प्रॉब्लम नहीं होनी चाहिए। यानि अपुन जिस लड़की को चाहे अपनी गर्लफ्रेंड बना सकता है।

विधी ─ ऐसे कैसे बना सकता तू?

अपुन ─ अरे! तो तुझे इससे प्रॉब्लम क्या है? यही तो तुझसे पूछ रेला है अपुन।

विधी फ़ौरन कोई जवाब न दे सकी। वो हकबकाई सी दिखी और नज़रें चुराती नजर आई। कुछ पलों तक जाने क्या सोचती रही फिर बोली।

विधी ─ बस ऐसे ही, मुझे अच्छा नहीं लगता कि तू किसी लड़की से कोई रिलेशन रखे। देख, मैं सिर्फ ये चाहती हूं कि तू बस अपनी पढ़ाई पर ध्यान दे। हां हां...यही..यही चाहती हूं मैं, हां नहीं तो।

अपुन ─ पढ़ाई तो अपुन करता ही है लेकिन पढ़ाई के साथ साथ लाइफ में एंटरटेनमेंट भी तो जरूरी है।

विधी ─ हां तो इसके लिए तू मूवीज़ देख लिया कर, और क्या?

अपुन ─ मूवीज़ देख देख के बोर हो गया है अपुन। अब तो बस एक ही इच्छा है कि अपुन भी दूसरे लड़कों की तरह किसी लड़की को गर्लफ्रेंड बनाए और फिर उसके साथ मस्त एंजॉय करे।

अपुन की ये बात सुन कर विधी का चेहरा देखने लायक हो गया। वो बहुत बेचैन सी दिखने लगी। जैसे समझ न आ रहा हो कि क्या करे अब?

विधी ─ देख ये तू अच्छा नहीं कर रहा है। तुझे अभी पता नहीं है कि बाहर की लड़कियां कितनी खराब होती हैं। नहीं नहीं, तू किसी लड़की को अपनी गर्लफ्रेंड नहीं बनाएगा। तू बस अपनी पढ़ाई पर ही ध्यान दे, हां नहीं तो।

अपुन समझ गया कि कुछ तो गड़बड़ है लौड़ा। बोले तो अब अपुन को यकीन भी हो गयला था कि वो अपुन के प्रति कुछ तो ऐसा फील करती थी जिसे वो अपुन के सामने एक्सेप्ट करने से या तो कतरा रही है या शायद डर रही है। अपुन ने भी सोचा कि इस वक्त उसे और ज्यादा परेशान करना ठीक नहीं है।

अपुन ─ ठीक है, अगर अपुन की जान यही चाहती है तो अपुन किसी लड़की को गर्लफ्रेंड नहीं बनाएगा, लेकिन..अपुन की भी एक शर्त है।

विधी ─ कैसी शर्त?

अपुन ─ तुझे अपुन की गर्लफ्रेंड बन के रहना होगा।

विधी (शॉक) ─ क्या??? मतलब ये क्या कह रहा है तू?

अपुन ─ सोच ले अब। वो क्या है न कि अपुन जब दूसरे लड़कों को अपनी अपनी गर्लफ्रेंड के साथ एंजॉय करते देखता है तो अपुन का भी वैसा करने का मन करने लगता है। अब तू तो चाहती नहीं है कि अपुन बाहर किसी लड़की को गर्लफ्रेंड बनाए तो तुझे ही अपुन की गर्लफ्रेंड बनना होगा न।

विधी सोच में पड़ गई। यूं तो उसके चेहरे पर खुशी के भाव भी तैर रेले थे लेकिन वो अपनी खुशी को छुपाने का प्रयास कर रेली थी और साथ में सोच में पड़ जाने का नाटक भी कर रेली थी। फिर जैसे उसने कोई फैसला कर लिया।

विधी ─ देख, तू भी मेरी जान है इस लिए तेरे लिए मैं तेरी गर्लफ्रेंड बनना एक्सेप्ट करती हूं लेकिन...।

अपुन ─ लेकिन??

विधी ─ लेकिन अब से तू न तो उस कमीनी रीना की तरफ देखेगा और ना ही किसी और लड़की को। अगर तूने ऐसा किया तो तेरे लिए अच्छा नहीं होगा, हां नहीं तो।

अपुन ─ अरे! जिसके पास तेरे जैसी ब्यूटीफुल हॉट एंड सेक्सी गर्लफ्रेंड हो वो किसी और को क्यों देखेगा भला?

विधी (आंखें फैला कर) ─ तू..तूने मुझे हॉट एंड सेक्सी कहा??? अरे! कुछ तो शर्म कर, बहन हूं तेरी।

अपुन ─ हां पर अभी अभी तू अपुन की गर्लफ्रेंड भी तो बन गईली है और गर्लफ्रेंड अगर हॉट एंड सेक्सी हो तो उसे यही तो बोलेगा न अपुन?

विधी खुश तो बहुत थी लेकिन ज़ाहिर नहीं करना चाहती थी। इस लिए हैरान होने का नाटक जारी था उसका और झूठा गुस्सा भी।

विधी ─ तू न बहुत गंदा है। अभी एक मिनट भी नहीं हुआ मुझे गर्लफ्रेंड बने हुए और तू मुझे ऐसे बोलने लगा। देख नेक्स्ट टाइम से किसी के सामने ऐसा नहीं बोलना वरना गर्लफ्रेंड का कॉन्ट्रैक्ट खत्म कर दूंगी, हां नहीं तो।

अपुन उसकी ये बातें सुन कर मन ही मन हंसा। वो अपने आपको बहुत स्मार्ट समझ रेली थी जबकि स्मार्ट थी नहीं। वो समझती थी कि अपुन को उसकी असलियत का एहसास ही नहीं हुआ है। यानि अपुन को बुद्धू समझ रेली थी, हट लौड़ी। खैर अब क्योंकि अपुन को उसके हिसाब से ही चलना था इस लिए ऐसा दिखाना भी था।

अपुन ─ हां किसी के सामने नहीं बोलेगा अपुन लेकिन जब अपन लोग अकेले होंगे तब तो बोलेगा ही न अपुन।

विधी ─ क्या ऐसा बोलना जरूरी है?

अपुन ─ अरे! बहुत जरूरी है। क्या तू नहीं चाहती कि तेरा ब्वॉयफ्रेंड तेरी तारीफ़ करे?

विधी (खुश हो कर) ─ हां हां, चाहती हूं। अच्छा सुन, तू तो अब मेरा ब्वॉयफ्रेंड है न तो अब से तू मेरी बहुत सारी तारीफ किया करना।

अपुन ─ बिल्कुल, अपुन अपनी जान की तारीफ करने में कोई कसर नहीं छोड़ेगा। तू एक काम कर, अपुन को लिस्ट बना के दे दे कि अपुन तारीफ में तुझे क्या क्या बोले?

विधी (आँखें दिखा कर) ─ लिस्ट क्यों? ये तो तू खुद से ही करेगा न। अगर तुझे लिस्ट बना के देना पड़े तो तू फिर अपने से कैसे कोई वर्ड तारीफ में बोलेगा?

अपुन समझ गया कि वो इतनी भी येड़ी नहीं है जितना अपुन उसे समझ रेला है।

अपुन ─ ठीक है फिर, लेकिन तारीफ में तुझे सब कुछ सुनना पड़ेगा। बोले तो अगर अपुन कुछ ऐसा वैसा बोले तो तू गुस्सा मत करना, समझी?

विधी ─ अरे! पर तू ऐसा वैसा बोलेगा ही क्यों मुझे? मुझे पता है, तू मेरी तारीफ में सब अच्छा ही बोलेगा, हां नहीं तो।

अपुन ─ अच्छा सुन, अपन लोग अब एक दूसरे के गर्लफ्रेंड ब्वॉयफ्रेंड तो बन गएले हैं लेकिन इस नए रिलेशनशिप की खुशी में मुंह मीठा तो किया ही नहीं अपन लोग ने।

विधी ─ हां ये तो तूने सही कहा। रुक अभी मैं किचेन से मिठाई ले के आती हूं।

कहने के साथ ही वो बेड से नीचे उतरने लगी तो अपुन ने झट से उसे रोक लिया। वो अपुन को सवालिया नजरों से देखने लगी।

अपुन ─ अरे! मिठाई लेने किचेन में क्यों जा रेली है?

विधी ─ अरे! मिठाई तो किचेन में ही रखी है बुद्धू। मैंने शाम को फ्रिज में देखा था, उसमें मिठाई का एक पैकेट रखा था। तू रुक मैं एक मिनिट से भी पहले उसे ले कर आ जाऊंगी।

अपुन ─ पर अपुन को उस मिठाई से मुंह मीठा नहीं करना।

विधी (हैरानी से) ─ क्या?? तो फिर कैसे मुंह मीठा करेगा तू?

अपुन जो सोच रेला था उससे अपुन की धड़कनें ट्रेन के इंजन के माफिक तेज हो गईली थीं। मन में ये सोच के घबराहट भी होने लगी थी कि कहीं अपुन के मुख वो बात सुन के वो गुस्सा न हो जाए।

खैर अपुन ने सोचा जो होगा देखा जाएगा। इस लिए अपुन ने डरते डरते अपने एक हाथ को उसकी तरफ बढ़ाया और उसके गुलाबी होठों को एक उंगली से छू कर कहा।

अपुन ─ तेरे इन होठों को चख के मुंह मीठा करेगा अपुन।

विधी अपुन की बात सुन कर बुरी तरह उछल पड़ी। आश्चर्य से आंखें फाड़ कर देखा अपुन को।

विधी (आँखें फाड़ कर) ─ ये...ये क्या कह रहा है तू? पागल है क्या?

अपुन ─ देख अब तू अपुन की गर्लफ्रेंड है तो तुझे इतना तो अपुन के लिए करना ही पड़ेगा। वैसे भी ऐसे रिलेशन में इतना सब करना तो नॉर्मल बात होती है और हां जरूरी भी होता है क्योंकि इससे रिलेशन बना रहता है वरना लड़के लोग बोर हो जाते हैं और ब्रेकअप भी कर लेते हैं।

विधी बुरी तरह हैरान नज़र आई। उसका मुंह भाड़ की तरह खुला हुआ था। अपुन लौड़ा जो पहले घबराया हुआ था अब उसके इस रिएक्शन पर थोड़ा रिलैक्स हो गयला था।

विधी ─ तू...तू ऐसा कैसे बोल सकता है? मत भूल कि हम दोनों सगे भाई बहन हैं और भाई बहन के बीच ये करना गलत है।

अपुन ─ हां पर अब अपन के बीच एक नया रिलेशन भी तो बन गयला है और उसमें ये करना गलत नहीं है। इसके बाद भी अगर तुझे ये गलत लगता है तो फिर अपन लोग के बीच ये रिलेशन भी नहीं होना चाहिए। मतलब कि अपुन के लिए यही अच्छा है कि अपुन बाहर की किसी लड़की को गर्लफ्रेंड बना ले और उसी के साथ ये सब करे।

विधी ये सुन कर थोड़ा परेशान दिखने लगी। उसे समझ नहीं आ रेला था कि अब क्या करे? ऐसा लगा जैसे वो किसी धर्म संकट में फंस गईली है। अपुन भी अब ये सोचने लगा कि देखें तो सही वो क्या फैसला करती है? कुछ देर तक वो असमंजस में फंसी रही, फिर अपुन की तरफ परेशानी से देख कहा

विधी ─ क्या तू सच में ये करना चाहता है? क्या सच में तुझे अपनी बहन के साथ ये करना सही लगता है?

अपुन ─ देख, अपुन ज्यादा तो नहीं जानता लेकिन इतना फील करता है कि अगर दो लोग का मन किसी बात के लिए हां कर दे तो वो सही ही होता है। अपुन मानता है कि तू अपुन की बहन है और बहन के साथ किस विस करना गलत है लेकिन अब क्योंकि तू अपुन की गर्लफ्रेंड भी बन गईली है तो अपुन को इस रिलेशन के बेस पर भी चलना होगा और इस रिलेशन में ये करना गलत नहीं है। साफ शब्दों में बोले तो अपुन को ये गलत नहीं लगता, बाकी अगर तुझे गलत लगता है तो मत कर।

विधी फिर से सोच में पड़ गई। कुछ देर तक वो अपुन को एकटक देखती रही। अपुन भी उसे ही देखे जा रेला था और सोच भी रेला था कि अपुन जिस बात के लिए उसे उकसा रेला है क्या वो सही है? कहीं ऐसा तो नहीं कि आगे चल कर इसका कोई भयंकर परिणाम भोगना पड़े? बेटीचोद, इस खयाल ने गाड़ फाड़ के रख दी अपुन की लेकिन फिर अगले ही पल अपुन ये सोच के रिलैक्स हो गया कि जो होगा देखा जाएगा लौड़ा।

उधर विधी ने जैसे कोई फैसला कर लिया था। बोली तो कुछ नहीं लेकिन धीरे से अपुन की तरफ खिसक आई और फिर बैठे ही बैठे वो अपुन के चेहरे के एकदम पास आ गई। ये देख लौड़ा अपुन की धड़कनें बढ़ गईं। मन में यही खयाल उभरा कि कहीं ये सच में अपुन को किस तो नहीं देने जा रेली है? उधर वो अपुन के चेहरे के एकदम पास आ कर रुकी।

विधी ─ तू मुझे अपनी जान कहता है और मैं भी तुझे अपनी जान मानती हूं। मतलब कि हम दोनों एक दूसरे को एक जैसा ही मानते हैं तो अब जब तू इसे गलत नहीं मानता तो मैं भी नहीं मानूंगी।

अपुन के एकदम पास ही वो चेहरा किए बैठी थी। उसकी सांसें अपुन के चेहरे से टकरा रेलीं थी। उसके गुलाब की पंखुड़ियों जैसे होठ बिल्कुल एक अंगुल की दूरी पर थे जिन पर अपुन की नज़रें टिकी हुईं थी।

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लौड़ा, अपुन की तो प्रतिपल हालत ही खराब हुई जा रेली थी। फिर भी उसकी बात सुन कर धीरे से बोला।

अपुन ─ तो फिर देर क्यों कर रेली है मेरी जान। मुंह मीठा करवा न जल्दी।

और जैसे वो भी अपुन के ऐसा कहने का ही इंतजार कर रेली थी। झट से उसने अपुन का चेहरा हल्के हाथों से पकड़ा और अपने गुलाबी होठ रख दिए अपुन के होठों पर।

पलक झपकते ही अपुन के जिस्म में सनसनी सी दौड़ गई। इससे पहले कि विधी अपुन के होठों से अपने होठ अलग करती अपुन ने जल्दी से उसका चेहरा थाम लिया और फिर उसके होठों को मुंह में ले कर चूमने चूसने लगा।

अपुन की इस हरकत से उसे बड़ा तेज झटका लगा। वो फ़ौरन ही अपुन से अलग होने को हुई लेकिन अपुन ने मजबूती से उसका चेहरा थाम रखा था जिससे वो अपने होठों को अपुन के चंगुल से छुड़ा न पाई।

विधी छटपटाने लग गईली थी लेकिन अपुन मजे से उसके होठ चूसे जा रेला था। सच तो ये था लौड़ा कि अपुन एक ही पल में मजे के सातवें आसमान में पहुंच गयला था और एक ही पल में सब कुछ भूल भी गयला था। उसके होठ बहुत ही सॉफ्ट थे और बहुत ही मीठे भी। मन तो कर रेला था कि सारी रात उन्हें इसी तरह चूसता रहे लेकिन फिर अलग होना पड़ गया लौड़ा।

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विधी जब खुद को अपुन से न छुड़ा पाई थी तो उसने अपुन के सिर के बाल बहुत जोर से खींचे थे जिससे अपुन को दर्द हुआ और अपुन ने होश में आ कर फ़ौरन ही उसे छोड़ दिया था।

उसे छोड़ा तो वो बुरी तरह हांफती दिखी और साथ ही गुस्से में भी। फिर अचानक उसने खींच के एक तमाचा जड़ दिया अपुन के गाल पर।

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विधी ─ कुत्ते कमीने, ये क्या कर रहा था तू? एक बार भी नहीं सोचा कि तेरी बहन हूं मैं।आज के बाद अपनी शक्ल मत दिखाना मुझे।

अपुन तो लौड़ा शॉक ही हो गया। मतलब कि ये क्या बवासीर हो गया? लौड़ा जो बात सोचा ही नहीं था वो हो गयला था। अपुन तो यही सोच बैठा था कि अपुन की तरह शायद अब वो भी यही चाहती है लेकिन उसका अचानक से बदला ये रूप देख अपुन का तो जैसे फ्यूज ही उड़ गयला था।

उधर अपुन को ये सब बोल कर वो बेड से उतर गई और फिर गुस्से में ही पैर पटकता हुए रूम से बाहर निकल गई। दरवाजे के बड़े जोर से झटक कर बंद किया था उसने। इधर अपुन बेड पर ऐसे बैठा था जैसे किसी ने अपुन की गांड़ ही मार ली हो बेटीचोद।

To be continued...




Aaj ke liye itna hi bhai log...
Read and enjoy.. :declare:
Shaandar super hot Romantic Lovely update 💓💓💓🔥🔥🔥💋💋💋
Jaldibaji me kaam kharab ho gaya :kiss: Vidhi flower 🌺 se fire 🔥 ban gayi ab kaise nipte hai Virat Babu 😀😀😀
 

TheBlackBlood

शरीफ़ आदमी, मासूमियत की मूर्ति
Supreme
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Update ~ 15



विधी ─ क्या हुआ? क्या सोच रहा है भाई? प्लीज अपनी गर्ल फ्रेंड को किस कर न। मेरा भी मन कर रहा है कि मैं अपने बॉय फ्रेंड को किस करूं।

सच तो ये था लौड़ा कि उसकी बात सुन कर अब अपुन का दिमाग खराब होने लग गयला था। एक बार फिर से अपुन के मन में गलत खयाल आने लग गएले थे। सही गलत वाली सोच जैसे मां चुदाने को बेताब होने लग गईली थी। अपुन सोचने लगा कि जब वो खुद ही ऐसा करने को बोल रेली है तो अपुन को भी अब सही गलत नहीं सोचना चाहिए बेटीचोद।



अब आगे....


अभी अपुन मूड में ही आया था कि तभी किसी ने दरवाजे को खटखटाया जिससे अपन दोनों ही चौंक कर थोड़ा दूर हो गए। ये सोच कर थोड़ा घबरा भी गए कि कहीं किसी ने हमारी बातें तो न सुन ली होंगी? अगर ऐसा हुआ तो गजब ही हो जाएगा लौड़ा।

खैर अपुन ने जा कर दरवाजा खोला तो देखा बाहर दिव्या थी। उसे देखते ही अपुन ने राहत की सांस ली। हालांकि उसके चेहरे के भाव देख अपुन मन ही मन झटका सा खा गया लौड़ा। बोले तो अपुन को ऐसा लगा जैसे उसने अपन लोग की बातें सुन ली हैं। बड़े अजीब से भाव लिए वो अपुन को देखे जा रेली थी।

अपुन ─ क्या हुआ, ऐसे क्यों देख रेली है अपुन को?

दिव्या अपुन की ये बात सुन हड़बड़ाई फिर जल्दी से खुद को सम्हालते हुए मुस्कुरा कर बोली।

दिव्या ─ वो...वो मैं आपको चाय पीने के लिए कहने आई थी। विधी दी के रूम में गई तो वो वहां नहीं थीं। क्या वो आपके रूम में हैं?

इससे पहले कि अपुन कोई जवाब देता वो झट से रूम में आ गई। इधर अपुन ये सोचने में लग गयला था कि क्या सच में उसने अपन लोग की बातें सुन ली होंगी? बोले तो एकदम से ही टेंशन में आ गयला था अपुन। उधर विधी को देखते ही दिव्या उससे बोली।

दिव्या ─ अरे! दी आप यहां हो? मैं आपके रूम में गई थी।

विधी ने अब तक खुद को अच्छे से सम्हाल लिया था और नॉर्मल ही दिख रेली थी।

विधी ─ हां वो मैं भाई को चाय पीने का बोलने आई थी। ये थोड़ा मुझसे नाराज था इस लिए इसे मनाने में टाइम लग गया। तू चल हम आ रहे हैं।

दिव्या ने कुछ पलों तक उसे गौर से देखा और फिर पलट कर अपुन को एक नज़र देखने के बाद रूम से चली गई। कहने की जरूरत नहीं कि अपन दोनों ने ही राहत की सांस ली। हालांकि अपुन ये सोच के थोड़ा टेंशन में था कि कहीं दिव्या ने बाहर से अपन लोग की बातें न सुन ली हों। उसका इस तरह से बर्ताव करना भी यही जाहिर कर रेला था।

विधी ─ क्या हुआ भाई? तू अचानक से टेंशन में क्यों दिखने लगा है?

अपुन ─ यार मुझे लगता है कि दिव्या ने अपन लोग की बातें सुन ली हैं।

विधी ये सुन कर बुरी तरह घबरा गई। पलक झपकते ही उसका नॉर्मल चेहरा टेंशन से घिर गया लौड़ा। अपुन ने आगे बढ़ कर उसे कंधों से पकड़ा और फिर कहा।

अपुन ─ टेंशन मत ले और हां, तू उसके सामने बिल्कुल नॉर्मल ही रहना। अगर वो तुझसे इस बारे में कुछ पूछे तो नॉर्मली ही कोई जवाब दे देना, ओके?

विधी ─ भाई ये नहीं होना चाहिए था। अगर सच में उसने सब सुन लिया होगा तो क्या सोच रही होगी वो हम दोनों के बारे में। ओह! माय गॉड पता नहीं अब क्या होगा?

अपुन ─ कुछ नहीं होगा। तू बस खुद को नॉर्मल रख। सब कुछ अपुन पर छोड़ दे। अपुन सब सम्हाल लेगा, ओके?

विधी टेंशन से अपुन को देखे जा रेली थी। आखिर अपुन के समझाने पर वो थोड़ी नॉर्मल हुई लेकिन पूरी तरह नहीं। उसके बाद अपन दोनों रूम से निकल कर नीचे आ गए।

नीचे ड्राइंग रूम में रखे सोफे पर दिव्या और साक्षी दी बैठी टीवी देख रेलीं थी जबकि सीमा किचेन में थी। अपन दोनों को आते देख साक्षी दी ने सीमा को आवाज दे कर बोल दिया कि अपन दोनों के लिए चाय ले आए।

अपुन ने देखा कि साक्षी दी एकदम नॉर्मल थीं लेकिन अपुन की तरफ सिर्फ एक बार देखने के बाद उन्होंने अपनी नजरें टीवी पर जमा दी थीं। उधर दिव्या एक बार फिर अपन दोनों को ध्यान से देखने लग गईली थी।

अपुन ने बेशक विधी को नॉर्मल रहने को बोला था लेकिन दिव्या जब अपन दोनों को इस तरह ध्यान से देखने लगी तो बेटीचोद पलक झपकते ही अपुन को टेंशन होने लगी लौड़ा। बड़ी मुश्किल से अपुन ने खुद को नॉर्मल किया और जा कर एक सोफे पर बैठ गया। विधी भी अपुन के साथ ही बैठ गई।

तभी सीमा ट्रे में अपन दोनों के लिए चाय ले कर आ गई। अपन दोनों ने चाय का एक एक कप उठा लिया और पीने लगे। टीवी जरूर चल रेली थी लेकिन अपुन अच्छी तरह समझ रेला था कि उसे देखने में इस वक्त किसी की भी दिलचस्पी नहीं थी।

साक्षी दी भले ही नॉर्मल शो करते हुए टीवी पर नजरें जमाए थीं लेकिन अपुन अच्छी तरह जानता था कि उनके मन में अपुन और अपुन की बातें ही गूंज रेली होंगी। वहीं दिव्या के मन में भी कुछ न कुछ चल रेला होगा और इधर विधी पक्का अंदर से बेहद घबराई हुई होगी।

खैर ऐसे ही हम सब की चाय खत्म हुई। किसी ने किसी से कोई बात नहीं की थी। चाय खत्म कर के अपुन उठा और वापस अपने रूम में आ गया।

मन बहलाने के लिए अपुन ने मोबाइल खोला तो देखा उसमें साधना और अनुष्का के मैसेज पड़े थे। साधना ने अपने मैसेज में लिखा था कि आज उसे अपुन के साथ इस तरह वक्त बिता कर बहुत अच्छा लगा है। काश! ऐसा वक्त बिताने का हर रोज मौक मिले। अपुन ने रिप्लाई में उससे कह दिया कि अपन लोग को थोड़ा सम्हल कर रहना होगा और सबसे बड़ी बात इस सबके चलते अपुन नहीं चाहता कि अपुन की पढ़ाई पर बुरा असर हो। इस लिए वो भी समझे इस बात को।

अनुष्का ने मैसेज में लिखा था कि उसे कुछ समझ नहीं आ रहा कि वो ऐसा क्या करे जिससे अपुन उसके पास आने के लिए मजबूर हो जाए। अपुन ने उसे सिर्फ इतना ही लिख के भेजा कि─ सोचती रहो।

उसके बाद अपुन ने मोबाइल साइड पर रखा और पढ़ाई करने के लिए किताबें खोल ली। देर से ही सही पर अपुन का मन पढ़ाई में लग गया। जिसका नतीजा ये हुआ कि अपुन को वक्त के गुजरने का पता ही नहीं चला लौड़ा।

जब डिनर का टाइम हुआ तो दिव्या अपुन को बुलाने आई। अपुन ने गौर किया कि अब वो नॉर्मल थी और अपुन को अजीब तरह से नहीं देख रेली थी। अपुन को इस बात से थोड़ी हैरानी हुई पर अपुन ने कहा कुछ नहीं।

उसके जाने के बाद अपुन भी थोड़ी देर में डिनर करने के लिए नीचे आ गया। डायनिंग टेबल पर एक तरफ साक्षी दी और दिव्या बैठी हुईं थी और दूसरी तरफ अपुन के बगल से विधी कुर्सी पर बैठेली थी।

दिव्या ─ अच्छा भैया, आप मुझे फिजिक्स का वो चैप्टर एक बार फिर से बता देना। पता नहीं क्यों वो मेरे दिमाग में बैठ ही नहीं रहा।

दिव्या की इस बात से लगभग सबने ही उसकी तरफ देखा। हालांकि इसमें कोई बड़ी बात नहीं थी लेकिन इस वक्त इस लिए भी थी क्योंकि सबके बीच खामोशी थी। आम तौर पर डिनर के टाइम दिव्या या विधी कुछ न कुछ बोलती ही रहती थीं जबकि आज सन्नाटा छाया था लौड़ा। यही वजह थी कि जब दिव्या ने अपुन से ये कहा तो सबने उसकी तरफ देखा था।

अपुन ─ ठीक है कल बता दूंगा।

दिव्या ─ कल क्यों भैया, आज क्यों नहीं? डिनर के बाद मैं आपके रूम में आ जाऊंगी तब आप मुझे समझा देना।

अपुन ─ न आज नहीं। थोड़ी थकान है आज इस लिए डिनर के बाद सिर्फ सोऊंगा मैं।

अपुन के मुख से शुद्ध हिन्दी में और सभ्य तरीके में शब्द निकलते देख दिव्या और विधी दोनों को ही हैरानी हुई। विधी ने तो कुछ नहीं कहा लेकिन दिव्या पूछ बैठी।

दिव्या (मुस्कुराते हुए) ─ ओहो! क्या बात है भैया, इस वक्त आप अपनी फेवरेट टपोरी भाषा में बात नहीं कर रहे?

उसकी ये बात सुन अपुन को थोड़ा धक्का सा लगा। अपुन ने झट से साक्षी दी की तरफ देखा। इत्तेफाक से उन्होंने भी अपुन को देखा। हालांकि जल्दी ही उन्होंने अपुन से नजरें हटा कर डिनर करना जारी रखा। इधर अपुन ने दिव्या को जवाब दिया।

अपुन ─ हां वो मैं कोशिश कर रहा हूं कि हर किसी की तरह सभ्य भाषा में ही बात करूं।

दिव्या ─ पर भैया, टपोरी भाषा तो आपकी फेवरेट है न?

अपुन ─ इस दुनिया में मेरा फेवरेट सिर्फ एक ही इंसान है दिव्या। उस इंसान के लिए मैं कुछ भी कर सकता हूं। मतलब कि किसी को भी छोड़ सकता हूं और किसी भी चीज़ का त्याग कर सकता हूं।

अपुन की ये बात सुन कर साक्षी दी का डिनर करना रुक गया और वो अपुन को अजीब भाव से देखने लगीं। चेहरे पर सख्त भाव उभर आए थे लेकिन अपुन को घंटा परवाह नहीं थी। तभी दिव्या ने कहा।

दिव्या ─ वाह! भैया क्या बात है। वैसे ऐसा वो कौन इंसान है, मुझे भी बताइए न।

दिव्या की ये बात सुन साक्षी दी थोड़ा घबराई सी नजर आईं। शायद वो ये सोच बैठी थीं कि कहीं अपुन दिव्या को बता न दे कि वो इंसान वो ही हैं। इधर अपुन ने एक नज़र उनकी तरफ देखा और फिर कहा।

अपुन ─ ऐसे खास इंसान के बारे में बता कर उसे रुसवा नहीं किया जाता दिव्या। इस लिए उसके बारे में नहीं बता सकता। चल अब चुपचाप डिनर कर।

साक्षी दी ने राहत की सांस तो ली लेकिन उनके चेहरे पर बहुत ही गंभीर और बेचैनी जैसे भाव आ गएले थे। इधर दिव्या थोड़ी मायूस हुई और चुपचाप डिनर करने लगी। इसके बाद कोई बात नहीं हुई।

डिनर के बाद सब अपने अपने रूम में चले गए। अपुन के मन में यही चल रेला था कि साक्षी दी सच में अपुन की वजह से परेशान हो चुकी हैं। बोले तो ये ऐसी बात थी जिसकी उन्होंने कल्पना नहीं की थी। कल्पना तो अपुन ने भी नहीं की थी लेकिन उनके प्रति ये जो आकर्षण था उससे दूर भी नहीं भाग सकता था अपुन।

लौड़ा समझ में नहीं आ रेला था कि अचानक से अपुन को ये क्या हो गयला है? मतलब कि साक्षी दी अपुन को सबसे अच्छी तो लगतीं थी लेकिन इसके लिए उनसे ये सब कह देने का अपुन ने सोचा तक नहीं था। दूसरी बात, जब से अपुन ने साधना के साथ चुदाई की थी तब से अपुन के मन में अजीब सी सोच भर गईली थी।

यही सब सोचते हुए पता नहीं कब अपुन की आंख लग गई लौड़ा। पता नहीं कितनी देर से सोया हुआ था कि तभी अपुन को ऐसा फील हुआ जैसे कोई अपुन के चेहरे पर झुका हुआ है और हौले हौले अपुन के होठ चूम रेला है?

अपुन को गर्मी का एहसास हो रेला था। पूरे जिस्म में रोमांच की लहरें उठ रेलीं थी। अचानक अपुन नींद के आगोश से बाहर आ गया। आँखें हल्के से खुलीं तो कुछ समझ न आया। बोले तो धुंधला सा दिखा अपुन को।

अपुन ने दिमाग पर ज़ोर डाला तो याद आया कि अपुन अपने रूम में बेड पर सोया था लेकिन उस टाइम रूम में लाइट जल रेली थी। जबकि इस वक्त नीम अंधेरा था। तभी अपुन चौंक उठा।

अपुन के ऊपर झुके हुए व्यक्ति ने फिर से अपुन के होठों पर चूमा था। उसकी गर्म सांसों को अपुन ने अपने चेहरे पर फील किएला था। पलक झपकते ही ये सोच कर अपुन के रोंगटे खड़े हो गए कि बेटीचोद कौन है जो इस तरह नीम अंधेरे में अपुन की इज्जत लूट रेला है?

अगले ही पल अपुन ने हड़बड़ा कर अपने दोनों हाथ से उस झुके हुए इंसान को पकड़ कर खुद से दूर किया। अपुन के ऐसा करते ही वो इंसान बुरी तरह गड़बड़ा गया लौड़ा। इधर अपुन झट से उठ बैठा।

नीम अंधेरे में अब अपुन को थोड़ा अच्छे से दिखने लगा था इस लिए जब अपुन ने अच्छे से देखा तो पता चला कि अपुन के होठों को चूमने वाला कोई और नहीं बल्कि अपुन की जुड़वा बहन विधी थी। उधर अपुन को इस तरह उठ गया देख पहले तो वो गड़बड़ा ही गईली थी लेकिन फिर नॉर्मल हो गई।

अपुन ─ ये तू है? और....और ये क्या रेली थी अपुन के साथ?

विधी ─ वो...वो मैं न अपने बॉय फ्रेंड को किस कर रही थी। सॉरी...अगर तुझे इससे बुरा लगा हो तो।

अपुन ने अपनी तेज चलती धड़कनों को नियंत्रित किया और सबसे पहले रूम के दरवाज़े को देखा। दरवाजा अंदर से बंद था। फिर अपुन ने मोबाइल में टाइम देखा। रात के एक बज रेले थे। ये देख अपुन ये सोच के हैरान हुआ कि लौड़ा कितना जल्दी एक बज गयला है और इतना ही नहीं विधी इतनी रात को अपुन के रूम में अपुन को किस कर रेली थी।

अपुन ने देखा वो थोड़ी घबराई हुई बेड के किनारे पर बैठ गईली थी और अपलक अपुन को ही देखे जा रेली थी। अपुन ने सिचुएशन को समझा और फिर उसकी तरफ देखते हुए बोला।

अपुन ─ तू इतनी रात को ये करने यहां आईली थी? क्या तुझे अंदाजा नहीं है कि दिव्या ने शायद अपन लोग की बातें सुन ली हैं?

विधी ─ उसकी टेंशन मत ले। मैंने उसे सब समझा दिया है।

अपुन (शॉक) ─ क्या मतलब???

विधी ─ वो...जब तू शाम को अपने रूम में स्टडी कर रहा था न तब वो मेरे रूम में आई थी और फिर पूछें लगी थी कि तू और मैं उस टाइम रूम के अंदर ये कैसी बातें कर रहे थे? पहले तो उसकी ये बात सुन कर मैं बहुत डर गई थी लेकिन फिर उसे कसम दे कर कहा कि वो इस बारे में किसी को न बताए तो बताऊंगी। फिर जब उसने कसम खा ली तब मैंने उसे बता दिया कि हम दोनों ने एक दूसरे को गर्लफ्रेंड बॉयफ्रेंड बना लिया है।

सच तो ये था लौड़ा कि विधी क्या बोले जा रेली थी वो सब अब अपुन के सिर के ऊपर से जा रेला था। मतलब कि अपुन इतना ज्यादा शॉक हो गयला था कि बेटीचोद दिमाग ने काम करना ही बंद कर दिया था। अपुन ने सपने में भी नहीं सोचा था कि उसने इतनी आसानी से दिव्या को सब कुछ बता दिया है।

अपुन ─ माय गॉड तूने दिव्या को सब कुछ बता दिया?

विधी ─ मैं क्या करती भाई? उसके पूछने पर मैं अंदर से इतना डर गई थी कि लगा अगर उसे सच सच नहीं बताया तो जाने वो क्या क्या सोच बैठेगी और फिर कहीं वो घर में किसी को बता न दे। इस लिए पहले उसे कसम दी फिर सब सच सच बता दिया।

अपुन समझ गया कि इसी लिए दिव्या जब अपुन को डिनर के लिए बुलाने आईली थी तब वो नॉर्मल थी। पर लौड़ा उसे इस बारे में पता नहीं चलना चाहिए था।

अपुन ─ तो फिर क्या कहा उसने? मतलब कि जब उसे ये सब पता चला तब क्या बोली वो तुझसे?

विधी ─ पहले तो वो बहुत शॉक हुई थी फिर मैंने उसे समझाया कि हम दोनों बस नॉर्मली किस करने को बोल रहे थे क्योंकि अब हम न्यू रिलेशन में हैं, हां नहीं तो।

अपुन ─ फिर क्या बोली वो?

विधी ─ पूछ रही थी कि क्या भाई बहन आपस में ऐसा रिलेशन रख सकते हैं तो मैंने कहा कि रख सकते हैं लेकिन हमारे बीच एक लिमिट रहेगी। मतलब कि हम इस रिलेशन में सिर्फ किस कर सकते हैं बाकी कुछ नहीं।

अपुन ─ फिर क्या कहा उसने?

विधी ─ और तो कुछ नहीं कहा लेकिन हां उसने ये जरूर पूछा कि मैं तुम्हें किस तरह किस करने को बोल रही थी?

अपुन ─ मतलब??

विधी ─ अरे! उसका मतलब ये था कि क्या मैं तुम्हें अपने होठों पर किस करने को कह रही थी तो मैंने उसे बताया कि हम लोग भाई बहन हैं इस लिए होठों पर किस नहीं कर सकते। मतलब कि मैं तुम्हें चिक पर किस करने को कह रही थी। मेरी ये बात सुन कर वो हंसने लगी थी।

अपुन ─ क्यों? आई मीन वो हंसने क्यों लग गईली थी?

विधी ─ चिक पर किस करने की बात सुन कर हंसी थी वो। फिर मजाक में बोलने लगी कि गर्लफ्रेंड बॉयफ्रेंड के रिलेशन में किस चिक पर नहीं लिप पर की जाती है। उसकी बात सुन कर मैंने उससे कहा कि पागल है क्या तो कहने लगी कि चिक पर किस तो कोई भी कर सकता है। मतलब कि उसके लिए गर्लफ्रेंड बॉयफ्रेंड होना जरूरी नहीं है लेकिन अगर हम गर्लफ्रेंड बॉयफ्रेंड वाला रिलेशन रखते हैं तो इसमें लिप पर ही किस करना चाहिए। और पता है तुझे, कह रही थी कि अगर वो तेरी गर्लफ्रेंड होती तो वो तुझे अपने होठों पर ही किस करने को कहती। झल्ली कहीं की, हां नहीं तो।

बेटीचोद ये क्या बवासीर हो गयला था? मतलब कि दिव्या इतना कुछ विधी से बोल रेली थी। अपुन का दिमाग तो सुन के ही हैंग होने लग गयला था लौड़ा।

अपुन ─ फिर तूने क्या कहा उससे?

विधी ─ मैंने कह दिया कि नहीं लिप पर किस करना गलत है। एक्चुअली भाई...मैंने उससे ये नहीं कहा कि हम दोनों लिप पर ही किस करने की बात कर रहे थे। मुझे लगा अगर मैं उसे ये बताऊंगी तो वो कहीं हमारे कैरेक्टर को गंदा न कहने लगे, हां नहीं तो।

अपुन ─ ये बहुत अच्छा किया तूने जो उससे ऐसा कहा।

विधी अपुन की ये बात सुन कर एकदम खुश हो गई। पलक झपकते ही उसका चेहरा खुशी से चमक उठा। फिर उसी खुशी से इतराते हुए बोली।

विधी ─ देखा न भाई, कितनी समझदारी से मैंने उस चुहिया दिव्या को हैंडल कर लिया। तू बेकार ही टेंशन ले रहा था, हां नहीं तो।

अपुन उसकी ये बात सुन कर मन ही मन ये सोच के हंस पड़ा कि लौड़ी इतने में ही खुद को स्मार्ट समझने लगी। खैर अपुन जानता था कि वो अभी कितनी मासूम और भोली थी।

अपुन ─ ज्यादा उड़ मत और खुद को इतना तीसमार खां न समझ। तुझे एक बात अच्छी तरह समझनी है कि इस बारे में तुझे बहुत ज्यादा सतर्क रहना होगा और दिव्या को भूल कर भी इस बारे में कुछ नहीं बताना है।

विधी ─ अरे! तू बेकार में ही उसकी टेंशन ले रहा है भाई। मैंने उसे समझा दिया है। देखना वो किसी से कुछ नहीं बताएगी। पता है, मैंने उसे कसम दी है, हां नहीं तो।

अपुन ─ हां ठीक है लेकिन फिर भी सतर्क रहना जरूरी है कि नहीं? भले ही तूने उसे कसम दी है लेकिन किसी दिन कसम को भूल कर उसने किसी से इस बारे में बता ही दिया तो? सोच तब क्या होगा? तुझे तो शायद ज्यादा कोई कुछ नहीं कहेगा लेकिन अपुन का इस घर से बोरिया बिस्तर निकाल दिया जाएगा। इतना ही नहीं मॉम डैड अपुन से हर रिश्ता तोड़ कर अपुन को घर से निकाल देंगे।

विधी अपुन की ये बात सुन कर अंदर तक कांप गई। पलक झपकते ही उसका चेहरा टेंशन से भर गया।

विधी ─ क्या तू सच कह रहा है भाई? मतलब क्या सच में इतनी बड़ी गड़बड़ हो जाएगी?

अपुन ─ हां मेरी जान। इसी लिए कह रेला है अपुन कि आज के बाद इस बारे में दिव्या को ही नहीं बल्कि किसी को भी कुछ मत बताना।

विधी ─ तेरी कसम भाई। आज के बाद किसी को नहीं बताऊंगी, हां नहीं तो।

अपुन ─ ठीक है। चल अब तू अपने रूम में जा और सो जा।

विधी ─ भाई क्या मैं तेरे साथ बेड पर सो जाऊं?

अपुन ─ नहीं, तू अपने रूम में ही जा के सो। अभी कुछ दिन तेरा अपुन के रूम में सोना ठीक नहीं है। दिव्या तुझसे भले ही छोटी है लेकिन वो तेरी तरह मासूम और भोली नहीं है। बोले तो बड़ी चालू है वो। अगर उसने तुझे अपुन के रूम में सोते देख लिया तो फौरन समझ जाएगी कि अपन लोग ने आपस में कुछ गड़बड़ किया होगा।

विधी (आश्चर्य से आंखें फाड़ कर) ─ क्या सच में वो चुहिया इतनी चालू है भाई?

अपुन ─ हां, इसी लिए तो बोल रेला है अपुन कि तू अपने रूम में जा। चल अब देर मत कर। वैसे भी रात बहुत ज्यादा हो गईली है।

विधी बेमन से बेड पर से उठ गई। उसका चेहरा एकदम से उतर गयला था। अपुन समझ गया कि उसका अपुन के रूम से जाने का बिल्कुल भी मन नहीं है। बस, मजबूरी के चलते ही जाने को तैयार हो गईली थी। फिर एकदम से उसके चेहरे के भाव बदले।

विधी ─ भाई प्लीज यहीं सो जाने दे न। मैं मॉर्निंग में छह बजने से पहले ही यहां से चली जाऊंगी तो दिव्या को पता ही नहीं चलेगा, हां नहीं तो।

अपुन ने सोचा बात तो ठीक है। मतलब कि ऐसा बिल्कुल हो सकता है। वैसे भी वो इतना जोर दे रेली थी और इसी में उसकी खुशी भी थी तो अपुन ने भी इस बार उसे मजबूर नहीं किया।

अपुन ─ अच्छा ठीक है। चल आ जा और हां, सिर्फ सोना ही। वैसे भी रात के सवा एक बज गएले हैं।

विधी ये सुन के खुशी से उछलने ही लगी लौड़ी। फिर एकदम से उसे सिचुएशन का खयाल आया तो पलक झपकते ही भीगी बिल्ली बन गई और चुपचाप आ कर बेड पर अपुन के बगल से लेट गई। इधर अपुन ने पास ही टेबल लैंप पर रखी अलार्म क्लॉक को उठा कर उसमें पांच बजे का अलार्म सेट कर दिया। असल में अपुन सच में नहीं चाहता था कि किसी बात का पतंगड़ बन जाए लौड़ा।

विधी (धीरे से) ─ भाई सुन न।

अपुन ─ अब सो जा न यार।

विधी ─ मुझे न तेरे से चिपक के सोना है। क्या मैं तुझसे चिपक जाऊं, प्लीज प्लीज।

उसके मुख से चिपक के सोने वाली बात सुन कर अपुन के पूरे जिस्म में झुरझुरी सी दौड़ गई लौड़ा। शांत मन में एकदम से तरह तरह के खयालों का बवंडर चल पड़ा। लड़की के नाजुक बदन का एहसास अच्छी तरह पा चुका था अपुन, साधना के रूप में। इस लिए पलक झपकते ही अपुन के अंदर भी उससे चिपकने की इच्छा जाग उठी।

अपुन ─ अच्छा ठीक है लेकिन उसके बाद सो जाएगी न?

विधी ये सुनते ही खुशी से मुस्कुराते हुए झट से अपुन की तरफ खिसक आई और फिर सचमुच अपुन से किसी जोंक की तरह चिपक गई।

विधी ─ हां अब अच्छे से नींद आएगी भाई। तू न सच में मेरी जान है, हां नहीं तो।

अपुन उसकी बात पर मन ही मन मुस्कुरा उठा। इधर उसके नाजुक बदन का स्पर्श होते ही अपुन के समूचे जिस्म में करेंट दौड़ने लगा। अजीब सी सनसनी होने लगी। अपुन के लाख रोकने के बाद भी वो सनसनी दौड़ते हुए अपुन के लन्ड को जगा बैठी बेटीचोद। मन में तरह तरह के खयालों का जो बवंडर उठा था वो और भी तेजी से जैसे हिलोरे मारने लगा लौड़ा।

अपुन बेड पर सीधा लेटा हुआ था। अपुन के जिस्म में इस वक्त ऊपर एक बनियान था और नीचे हॉफ लोवर। इधर विधी ने एक टी शर्ट और ढीला सा सलवार पहन रखा था। वो अपुन की तरफ करवट ले कर बिल्कुल अपुन से चिपक गईली थी। बोले तो उसका एक बूब अपुन की लेफ्ट छाती में छू नहीं रेला था बल्कि पूरा दब रेला था। एक हाथ को उसने अपने सिर के नीचे तकिया सा बना कर रखा हुआ था जबकि दूसरे हाथ को अपुन के सीने में रख दिया था।

अभी अपुन उसके नाजुक जिस्म के स्पर्श में ही खोया था कि अचानक वो उठ गई तो अपुन को समझ न आया कि अब क्या हुआ इसे? अपुन उससे पूछने ही वाला था कि तभी उसने अपुन के लेफ्ट हैंड को पकड़ा और उसे तकिए की शक्ल बना कर अपने सिर के नीचे रख दिया और फिर से वैसे ही लेट गई। हालांकि इस बार थोड़ा अंतर था। मतलब कि अपुन का लेफ्ट हैंड भले ही उसके लिए तकिया बन गयला था लेकिन उसका सिर एकदम से अपुन के गले और सीने के बीच आ गयला था। खुद को उसने ऐसे एडजस्ट किया कि अब वो लगभग आधा अपुन के ऊपर ही लेट गईली थी।

इस बार उसके दोनों बूब्स अपुन के सीने से बस थोड़ा सा ही नीचे दब रेले थे। अपुन के जिस्म में एक बार फिर से सनसनी दौड़ गई और मस्त कर देने वाली झुरझुरी दौड़ते हुए सीधा लन्ड को छू गई जिससे अपुन के लंड ने एक झटका मारा।

कुछ ही देर में अपुन की हालत अजीब सी होने लगी लौड़ा। बोले तो अब नींद आने का सवाल ही नहीं रह गया था। अपुन का मन इतना ज्यादा विचलित हो गयला था कि बार बार उसके नाजुक जिस्म के लम्स को और साथ ही उसकी अधपकी आम जैसी छातियों पर ही जा रेला था। बात अगर सिर्फ इतनी ही होती तो शायद अपुन सम्हाल भी लेता खुद को लेकिन तभी एक और गजब काम कर दिया उसने।

उसने अपनी एक टांग उठाई और अपुन के जांघ पर रख दी। रखते समय उसका घुटना अपुन के लन्ड को रगड़ गयला था जिसके चलते अपुन अंदर तक हिल गयला था लौड़ा। अपुन की धड़कनें ट्रेन के इंजन के माफिक तेज हो गईली थीं।

एक तरफ अपुन का मन जाने क्या क्या सोचने पर उतारू था और दूसरी तरफ अपुन एक भाई होने के नाते इस सबको रोकना भी चाहता था। बेटीचोद हर गुजरते पल के साथ अपुन के अंदर गर्मी सी भरती जा रेली थी। अपुन से जब न रहा गया तो अपुन ने धीरे से कहा।

अपुन ─ अच्छे से लेट जा न यार।

विधी ने हौले से सिर उठा कर अपुन की तरफ देखा। नीम अंधेरे में भी उसके गुलाबी होठ अपुन को स्पष्ट दिख रेले थे। वो इतने करीब थे कि अपुन की धड़कनें और भी तेज हो गईं लौड़ा। विधी की गर्म सांसों को अपुन ने अपने चेहरे पर फील किया। तभी वो धीरे से ही बोली।

विधी ─ मुझे तो अच्छा लग रहा है भाई। क्या तुझे कोई प्रॉब्लम है?

अपुन ─ हां, तू अपुन से ऐसे चिपकी है कि इस तरह तो अपुन को नींद आ ही नहीं सकती।

विधी ─ पर मुझे तो आ जाएगी भाई। तुझे क्यों नहीं आ सकती?

अपुन उसे अब कैसे बताता या ये कहें कि कैसे समझाता कि अपुन को नींद क्यों नहीं आ सकती लौड़ा? पर कुछ तो जवाब देना ही था उसे इस लिए बोला।

अपुन ─ क्योंकि अपुन को किसी से चिपक के सोने की आदत नहीं है। इस वक्त तू अपुन से ऐसे चिपकी है तो अपुन बहुत ज्यादा अनकंफर्टेबल फील कर रेला है। प्लीज ट्राय टू अंडरस्टैंड।

विधी ये सुन कर अपुन को अपलक देखने लगी। शायद वो समझने की कोशिश कर रेली थी कि अपुन के कहने का क्या मतलब है?

विधी ─ पर भाई मुझे तो कुछ भी अनकंफर्टेबल नहीं फील हो रहा।

अपुन ─ वो इस लिए क्योंकि तू अपुन के ऊपर है, अपुन तेरे ऊपर नहीं है।

विधी ─ ओह! तो ये बात है। चल तू ही मेरे ऊपर आ जा।

अपुन ─ पागल है क्या तू? तुझे लगता है कि तू अपुन का भार सह लेगी?

विधी ─ अपनी जान के लिए सह लूंगी, हां नहीं तो।

कहने के साथ ही विधी अपुन से अलग हुई और सीधा लेट गई। उसकी ये हरकत देख अपुन मन ही मन बड़ा हैरान हुआ। ये भी सोचने लेगा कि क्या उसने ऐसा स्वाभाविक रूप से कहा था या उसके मन में भी अपुन के जैसे कुछ चल रेला है?

To be continued...


Aaj ke liye itna hi bhai log,

Read and enjoy :declare:
 

TheBlackBlood

शरीफ़ आदमी, मासूमियत की मूर्ति
Supreme
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Bhai story zabardast hai par aapne pics or gif dalna band kyun kar diya.plz pics or gif bhi add karo plz plz plz
Pic/gif net se khojne me time lagta hai bhai aur apne paas itna time nahi hai. Agar ju ko story me pic/gif chahiye to khud hi khoj kar apan ko inbox me send kar diya karo, apan update me add kar dega... :D
Nice update....
Bhai kisi se toh pyaar karle ..sab ko hawas se dkhna hain kya
Thanks all

Next update posted :declare:
 
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