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Incest हवस के कारनामे ~ A Tale of Lust

TheBlackBlood

शरीफ़ आदमी, मासूमियत की मूर्ति
Supreme
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Update ~ 14



कपड़े पहन कर अपुन उसके घर से चला तो उसने अपुन को जाने देने से पहले स्मूच किस किया और फिर किसी बहाने हर रोज घर आने का बोल कर उसने अपुन को बाय किया।

उसके घर से बाहर आया तो देखा मोबाइल में साक्षी दी के दो मिस कॉल पड़े थे। ये देख अपुन एकदम से टेंशन में आ गया लौड़ा।



अब आगे....


कार की ड्राइविंग सीट पर बैठ कर अपुन ने साक्षी दी की कॉल पिक की। मन में कई सारे खयालों का अंबार लगेला था लौड़ा और थोड़ा घबरा भी रेला था लेकिन बात तो करना ही था।

साक्षी दी ─ कितनी देर से तुझे कॉल कर रही हूं। फोन क्यों नहीं उठा रहा था? कहां था तू?

अपुन ने महसूस किया कि उनकी नाराजगी कॉल न उठाने की वजह से थी। मतलब कि अभी फिलहाल वो अपुन की उन बातों पर गुस्सा नहीं थीं। अपुन ने थोड़ा राहत की सांस ली फिर बोला।

अपुन ─ सॉरी दी, वो अपु...आई मीन मैं ड्राइविंग करते आउटर में काफी दूर चला गया था। उसके बाद फिर अमित के घर चला गया। एक्चुअली अमित ने बोला था कि एक बार मैं उसके घर का चक्कर लगा लूं क्योंकि साधना दी घर पर अकेली हैं।

साक्षी दी ─ ओके फाईन, तू जल्दी से कंपनी पहुंच। मैं बहुत देर से वेट कर रही हूं तेरा।

अपुन ─ ओके मैं आ रहा हूं।

कॉल कट कर के अपुन ने कार स्टार्ट की और फुल स्पीड में दौड़ा दिया उसे। अपुन सोचने लगा था कि अगर अपुन इतनी देर से साक्षी दी का कॉल नहीं उठा रेला था तो वो किसी ऑटो या टैक्सी से भी तो घर जा सकती थीं। बोले तो इतने टाइम तक अपुन के कॉल पिक करने का वेट क्यों करती रहीं?

इसका तो यही मतलब हो सकता है कि वो अपुन के साथ ही कंपनी से घर जाना चाहती थीं। अब सवाल है कि..क्यों? क्या इस लिए कि वो उन बातों के बारे में अपुन से बात करना चाह रेली थीं? अपुन को याद आया कि उन्होंने बाद में इस बारे में बात करने को बोला था। घर में इस बारे में वो खुल कर अपुन से बात नहीं कर सकतीं थी, शायद इसी लिए उन्होंने किसी ऑटो या टैक्सी से घर जाना बेहतर नहीं समझा था।

अपुन को अपना ये विचार एकदम सही लगा। मतलब कि सच में वो उसी बारे में बात करना चाहती हैं अपुन से। खैर, अपुन भी सोचने लगा कि अगर वो सच में उस बारे में ही अपुन से बात करेंगी तो अपुन उन्हें क्या जवाब देगा? मतलब कि उनके सवालों के अपुन को क्या जवाब देने चाहिए लौड़ा?

सारे रास्ते अपुन सोच विचार करता रहा और फिर करीब पंद्रह मिनट में अपुन कंपनी पहुंच गया। कंपनी के गेट के पास पहुंच कर अपुन ने उन्हें कॉल कर के बताया कि अपुन गेट पर है इस लिए वो जल्दी आएं।

बेटीचोद, एकदम से धड़कनें बढ़ गईली थी अपुन की। बार बार यही खयाल आ रेला था कि साक्षी दी अपुन से क्या बात करेंगी और किस लहजे में बात करेंगी? खैर पांच मिनट बाद ही वो अपुन को आती नजर आईं।

थोड़ी ही देर में वो अपुन के पास पहुंच गईं और दूसरी तरफ का दरवाजा खोल कर कार में अपुन के बगल से बैठ गईं। अपुन ने थोड़ा डरते डरते ध्यान से उनके चेहरे को देखा। लौड़ा, कुछ समझ न आया कि इस वक्त उनके अंदर क्या चल रेला है।

साक्षी दी (सपाट लहजे में) ─ चलो।

अपुन ने बिना उनसे कोई बात किए कार स्टार्ट किया और यू टर्न ले कर घर की तरफ चल पड़ा। अपुन की धड़कनें बढ़ी हुईं थी और अपुन खामोशी से कार ड्राइव कर रेला था। अपुन चाहता था कि साक्षी दी खुद ही बात करना शुरू करें। इस लिए अपुन बार बार उम्मीद भरी नजर से उनकी तरफ देख लेता था। उधर साक्षी दी के चेहरे पर कोई भाव ही नहीं थे लौड़ा।

कार के अंदर छाई खामोशी बहुत अजीब लग रेली थी बेटीचोद लेकिन क्या कर सकता था अपुन। करीब दस मिनट बाद एकाएक अपुन दी की आवाज से चौंका। उन्होंने अपुन को आगे से लेफ्ट साइड कार मोड़ने को कहा। अपुन ने कहा तो कुछ नहीं लेकिन मन ही मन सोचने लगा कि लेफ्ट साइड कार को मोड़ने का क्यों बोलीं हैं वो? मतलब कि अगर उन्हें घर ही जाना है तो सीधा ही जाना चाहिए न, फिर लेफ्ट साइड मुड़ने का क्या मतलब है?

लेफ्ट साइड जो रास्ता जाता था वो सिटी से बाहर वाला था। उसके करीब पांच किलो मीटर पर एक तरफ जंगल था और दूसरी तरफ पहाड़, बाकी रास्ता सुनसान था। अचानक अपुन के दिमाग की बत्ती जली। अपुन को समझ आ गयला था कि दी ने अपुन को इस तरफ कार मोड़ने को क्यों बोला था। यानि इस तरफ सुनसान जगह पर वो अपुन को ले जा कर शायद उस बारे में बात करना चाहती थीं।

खैर अपुन ने लेफ्ट साइड कार को मोड़ दिया और खामोशी से कार ड्राइव करता रहा। साक्षी दी फिर से खामोश हो गईं लेकिन इस बार उनके चेहरे पर अपुन ने सोचो के भाव देखे। मतलब कि अब शायद वो भी गहराई से सोचने लगीं थी कि अपुन से वो क्या बात करेंगी?

कुछ देर बाद अपुन ने साक्षी दी के कहने पर ही कार को सड़क से उतार कर जंगल की तरफ मोड़ दिया। अपुन अब ये सोचने लगा कि सिर्फ उस बारे में बात करने के लिए उन्होंने अपुन को इतना दूर आने को क्यों कहा या ये कहें कि ऐसी जगह पर लाने का क्या मतलब था? अगर उन्हें उसी बारे में अपुन से बात करनी थी तो वो कार के अंदर कहीं भी कर सकती थीं। खैर अपन लोग जंगल के थोड़ा ही अंदर आए थे कि साक्षी दी ने कार रोक देने को कहा।

अपुन ने कार रोक दी और एकाएक फिर से बढ़ चली अपनी धड़कनों को काबू करने का प्रयास करने लगा। मन में तरह तरह के विचार उभरने लग ग‌एले थे बेटीचोद।

कार के रुकते ही साक्षी दी ने अपनी तरफ का दरवाजा खोला और नीचे उतर गईं। फिर अपुन को भी नीचे उतर आने का इशारा किया तो अपुन भी धड़कते दिल के साथ उतर आया। फिर आगे से घूम कर थोड़ा उनके पास आ कर खड़ा हो गया। साक्षी दी के चेहरे पर गंभीरता के भाव उभर आएले थे।

साक्षी दी ─ पता है मैं यहां क्यों लाई हूं तुझे?

अपुन ─ आप बताओ, अपु...आई मीन मुझे कैसे पता होगा भला?

साक्षी दी ─ आज से पहले मुझे यही लगता था कि तू बस मुझे खुश करने के लिए ही मेरी तारीफें करता रहता है लेकिन आज कंपनी में तूने जो बोला उसने मुझे अंदर तक हिला दिया था। मैं सोच भी नहीं सकती थी कि जिस भाई को मैं इतना प्यार और स्नेह करती हूं वो मेरे बारे में ऐसा सोचता है।

अपुन के अंदर डर और घबराहट तो थी लौड़ा लेकिन उनकी ये बात सुन कर अपुन ने सोचा कि देखते हैं साक्षी दी आखिर क्या सोचती हैं और अपुन को क्या क्या बोलती हैं? इस लिए अपुन ने इस बार बिना किसी डर के बेझिझक कहा।

अपुन ─ तो क्या गलत सोचता हूं दी? मतलब कि आपके लिए मेरे दिल में जैसी फीलिंग्स हैं वही तो बताया था मैंने आपसे।

साक्षी दी ─ हां पर तुझे ये भी तो सोचना चाहिए था न भाई कि ऐसी फीलिंग्स एक भाई अपनी बहन के लिए नहीं रख सकता।

अपुन ─ जानता हूं दी लेकिन अब दिल पर भला किसका जोर चलता है। वैसे भी दिल कहां ये सोचता है कि जिसके बारे में वो अपने अंदर ऐसी फीलिंग्स रख रहा है वो रिश्ते में उसकी क्या लगती है।

साक्षी दी अपुन की ये बात सुन कर एकदम वैसे ही परेशान नजर आने लगीं जैसे कंपनी में हुईं थी। कुछ पलों तक वो बेचैनी और परेशानी से अपुन को देखती रहीं फिर बोलीं।

साक्षी दी ─ ये गलत है मेरे भाई। तू नासमझ नहीं है कि तुझे सही गलत का ज्ञान दिया जाए। तू अच्छी तरह जानता है कि भाई बहन के बीच इस तरह की फीलिंग्स होना कितना गलत है। देख, मैंने हमेशा तुझ पर नाज किया है और दिव्या विधी से ज़्यादा तुझे प्यार और स्नेह किया है। मैं चाहती हूं कि तू पढ़ाई कंप्लीट कर के डैड का बिज़नेस सम्हाले।

अपुन ─ ये सब तो मैं करूंगा ही दी लेकिन आपके लिए जो फीलिंग्स मेरे दिल में हैं उन्हें निकालना मेरे बस में नहीं है।

साक्षी दी ─ देख मेरे भाई, मैं नहीं चाहती कि तेरी इस बात के चलते हमारे बीच कोई प्रॉब्लम पैदा हो जाए। मैं नहीं चाहती कि मॉम डैड को मुझे इस बारे में बताना पड़े और वो तुझ पर गुस्सा करें। इस लिए तुझे समझा रही हूं कि जितना जल्दी हो सके तू अपने अंदर से ऐसी फीलिंग्स को खत्म कर दे। ये अच्छी बात नहीं है मेरे भाई। समझने की कोशिश कर।

अपुन समझ गया कि साक्षी दी इस वक्त अपुन से उस बात के चलते गुस्सा नहीं हैं। जिस तरह वो अपुन को समझा रेली थीं उससे तो अपुन को यही लग रेला था। अपुन ने ये भी सोचा कि अगर अपुन थोड़ा और जिद्द करे तो शायद बात बन जाएगी लौड़ा। ये सोच कर अपुन ने कहा।

अपुन ─ कोशिश कर चुका हूं दी लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। बोले तो ऐसा लगता है जैसे अपु...मतलब कि मेरे दिल में आपके लिए ये जो फीलिंग्स हैं वो सच्ची हैं। आई थिंक...आई एम इन लव विद यू।

साक्षी दी आश्चर्य से अपुन को आँखें फाड़ के देखने लगीं। फिर एकदम से उनके चेहरे पर सीरियस भाव उभर आए।

साक्षी दी ─ नहीं नहीं, तू ऐसा नहीं कर सकता भाई। प्लीज इसे यहीं पर स्टॉप कर दे। तुझे अंदाजा भी नहीं है कि इसका कितना भयानक रिजल्ट निकलेगा।

अपुन ─ काश! मेरे दिल को इसके रिजल्ट की परवाह होती। ये तो जैसे हर अंजाम से बेफिक्र हो के बैठ गया है।

साक्षी दी ─ देख मेरे भाई तू प्लीज समझने की कोशिश कर। मैं तेरी बड़ी बहन हूं और बहन के साथ इस तरह का लव करना बिल्कुल भी ठीक नहीं होता। हमारे समाज में इसे बहुत ही गलत माना जाता है।

अपुन ─ मोहब्बत सही गलत ही तो नहीं देखती दी। शायद यही वजह है कि मेरा दिल आपसे प्यार कर बैठा है। मुझे भी पता है कि ये गलत है लेकिन दिल के हाथों मजबूर हूं। आप भले ही मेरे प्यार को एक्सेप्ट न करो लेकिन मेरे दिल से ये प्यार वाली फीलिंग्स नहीं जाएंगी।

साक्षी दी अब बहुत ज्यादा चिंतित और परेशान दिखने लगीं थी। इधर अपुन भी ये बात समझ रेला था कि वो अपुन से बहुत प्यार और स्नेह करती हैं और चाहती हैं कि अपुन पर कोई संकट न आए इस लिए वो अपुन को इस तरह ठंडे दिमाग से समझा रेली थीं। दूसरी तरफ अपुन था जो उनकी नरमी का फायदा उठा रेला था।

वैसे सच तो यही था कि अपुन को साक्षी दी दुनिया की सबसे हसीन लड़की लगती थीं और उनके प्रति अपुन के दिल में सॉफ्ट फीलिंग्स थीं लेकिन वैसी नहीं जैसे कि किसी प्रेमी, पागल या आशिक वाली होती हैं। हो सकता है कि दी के प्रति ये अपुन का सिर्फ आकर्षण ही हो पर था तो सही।

अपुन ─ आप टेंशन मत लो दी। आपका काम था समझाना लेकिन अब इसका क्या किया जाए कि मेरा दिल कुछ समझना ही नहीं चाहता।

साक्षी दी ─ क्यों मुझे सख्त कदम उठाने पर मजबूर कर रहा है भाई? क्यों तू कुछ समझना नहीं चाहता? क्या तू सच में चाहता है कि तेरी इस फिलिंग की वजह से हमारे हंसते खेलते संसार में कोई भारी मुसीबत आ जाए?

अपुन ─ आप बहुत दूर का सोच रही हैं दी जबकि मैं ऐसा कुछ भी नहीं चाहता। हां ये सच है कि मेरी फीलिंग्स रियल हैं और मैं चाहता हूं कि आप इसे एक्सेप्ट करें लेकिन अगर आप इसे एक्सेप्ट नहीं करेंगी तो इसके लिए आपको मैं कभी मजबूर नहीं करूंगा। फीलिंग्स ही तो हैं न, मेरे दिल के किसी कोने में मौजूद रहेंगी, क्या फर्क पड़ता है? मतलब कि जब इस बारे में किसी को कुछ पता ही नहीं चलेगा तो कोई मुसीबत कैसे आएगी भला?

साक्षी दी अपुन को बड़े ध्यान से देख रेली थीं। उनके चेहरे पर अभी भी परेशानी, चिंता और बेचैनी के भाव थे।

साक्षी दी ─ नहीं भाई, ये ठीक नहीं है। मैं चाहती हूं कि तू अपने अंदर से ऐसी फीलिंग्स को जड़ से ही मिटा दे और पूरी तरह मेरा भाई बन जा।

अपुन ─ भाई तो कुदरत ने ही बना के भेजा है दी तो आपका भाई ही रहूंगा न।

साक्षी दी ─ हां लेकिन यहां तू मेरा आशिक भी बनने की कोशिश कर रहा है, उसका क्या? नहीं प्यारे भाई, मुझे तेरा ये रूप मंजूर नहीं है। मैं चाहती हूं कि तू अपने दिल से ये बेमतलब की फीलिंग्स जड़ से मिटा दे और सिर्फ मेरा प्यारा भाई बना रह। इसी में हम सबका भला है और इसी में सबकी खुशी भी है।

अपुन ─ छोड़ो दी, जो हो ही नहीं सकता वो कैसे कर सकता हूं मैं? चलिए घर चलते हैं अब।

साक्षी दी ─ नहीं, अभी मेरी बात खत्म नहीं हुई है।

अपुन ─ इस बारे में आपका बात करना या मुझे समझाना बेकार है दी। तो बेहतर यही है कि घर चला जाए।

साक्षी दी बहुत ज्यादा चिंतित और परेशान नजर आ रेली थीं। बेचैनी और कशमकश में घिरी वो अपुन को देखती रहीं, फिर बिना कुछ कहे कार का दरवाजा खोल कर सीट पर बैठ गईं। अपुन भी मन ही मन मुस्कुराते हुए आ आकर ड्राइविंग सीट पर बैठ गया।

बोले तो इतनी सारी बातों के बाद अपुन एक बात समझ गयला था कि साक्षी दी अपुन की फीलिंग्स वाली बात घर में किसी को बताएंगी नहीं क्योंकि वो बता ही चुकी थीं कि वो अपुन को किसी मुसीबत में पड़ गया नहीं देखना चाहती थीं। यही वजह थी कि उन्होंने अपुन से ऐसे बात की थी। अब अपुन ने सोच लिया था कि उनकी नरमी का अपुन को कैसे फायदा उठाना था।

कार स्टार्ट कर के अपन लोग वापस चल दिए वहां से। इस बार कार के अंदर ऐसी खामोशी छाई कि घर पहुंचने तक वो खामोशी कायम रही। यानि पूरे रास्ते न दी ने कोई बात की थी और न ही अपुन ने।

अपुन तो लौड़ा सारे रास्ते यही सोचते आया था कि आगे अपुन ऐसा क्या करे कि दुनिया की सबसे हसीन लड़की यानि कि अपुन की दी अपुन की झोली में आ गिरे? खैर घर पहुंच कर जब कार रुकी तो दी चुपचाप उतर कर मेन गेट की तरफ बढ़ गईं और इधर अपुन कार को गैरेज में खड़ी करने लगा।

~~~~~~

अभी अपुन गैरेज में कार लगा कर मेन गेट की तरफ चला ही था कि अपुन को ऐसा फील हुआ जैसे अपुन के पेंट में पड़ा मोबाइल वाइब्रेट कर रेला है। अपुन ने मोबाइल निकाल कर उसकी स्क्रीन पर फ्लैश कर रहे नाम और नंबर को देखा।

कॉल अमित की सौतेली बहन अनुष्का का था। अपुन सोचने लगा कि ये लौड़ी क्यों कॉल कर रेली है अपुन को? अगले ही पल अपुन को याद आया कि इसने अपुन को एक्स्ट्रा क्लास के लिए शाम को अपने घर आने को बोला था।

अपुन सोचने लगा कि इसका कॉल पिक करे या नहीं? बोले तो इसके बारे में भी अपुन के मन में बहुत कुछ था लेकिन ये साक्षी दी की बेस्ट फ्रेंड भी थी इस लिए अपुन थोड़ा डरता भी था कि कहीं कुछ गड़बड़ न हो जाए। फिर अपुन ने सोचा कि बिना कुछ किए थोड़े न गड़बड़ होगी, यानि गड़बड़ होने के लिए कुछ करना जरूरी है।

अपुन ─ हेलो।

अनुष्का ─ ओह! थैंक गॉड तुमने कॉल उठा लिया। यूं नो, ये पांचवीं बार कॉल किया है मैंने तुम्हें।

अपुन ─ मोबाइल साइलेंट में था इस लिए कॉल आने का पता नहीं चला अपुन को। एनीवे, किस लिए कॉल किया है आपने अपुन को?

अनुष्का ─ दस मिनट में मेरे घर पहुंचो।

अपुन ─ क्यों?

अनुष्का ─ यहां आओ, सब पता चल जाएगा।

अपुन सोचने लगा कि लौड़ी सस्पेंस क्रिएट कर रेली है और तो और हुकुम ऐसे दे रेली है जैसे अपुन उसका गुलाम हो, हट लौड़ी।

अपुन ─ टाइम नहीं है अपुन के पास।

बोले तो इस तरह उसके द्वारा हुकुम देने पर अपुन की झांठें सुलग गईंली थी इस लिए अपुन ने टाइम नहीं है बोला और उसकी कोई बात सुने बिना ही कॉल डिस्कनेक्ट कर दिया लौड़ा।

कॉल कट कर के अपुन मोबाइल को जेब में डालने ही लगा था कि लौड़ा फिर से वाइब्रेट होने लगा बेटीचोद। अपुन ने एक नज़र स्क्रीन में फ्लैश हो रहे अनुष्का के नाम को देखा और फिर वैसे ही जेब में डाल दिया मोबाइल को। उसके बाद अपुन मस्त चाल में मेन गेट की तरफ बढ़ चला।

थोड़ी ही देर में अपुन सेकंड फ्लोर पर मौजूद अपने रूम पहुंच गया। फिर कपड़े उतार कर अपुन बाथरूम में घुस गया। फ्रेश होने के बाद अपुन ने दूसरे कपड़े पहने और मोबाइल ले कर बेड पर लेट गया।

अभी मोबाइल का लॉक ओपन ही किया था कि अनुष्का का कॉल फिर से आने लगा लौड़ा। ये देख अपुन का दिमाग खराब हो गया बेटीचोद। अपुन सोचने लगा कि अब इसकी चूत में इतनी खुजली क्यों हो रेली है? खैर अपुन ने ये सोच कर कॉल पिक कर लेने का सोच कि लौड़ी बार बार कॉल कर के अपुन को इरिटेट करेगी।

अपुन ─ बोला न टाइम नहीं है अपुन के पास।

अनुष्का ─ हद है भाई, अपनी उस गलती के लिए तुमसे कितनी बार माफी मांग चुकी हूं फिर भी तुम्हारी नाराजगी नहीं जा रही?

अपुन ─ अपुन ऐसा ही है। अपुन की नाराजगी इतना जल्दी नहीं जाती।

अनुष्का ─ ओके तो बताओ तुम्हारी नाराजगी दूर करने के लिए अब क्या करूं मैं? वैसे एक्स्ट्रा क्लास देने के लिए अपने घर बुला तो रही हूं तो क्यों नहीं आ रहे तुम?

अपुन ─ क्योंकि अपुन को एक्स्ट्रा क्लास लेने की जरूरत ही नहीं है।

अनुष्का ─ तो फिर बताओ और क्या करूं मैं?

उसकी ये बात सुन कर अपुन के मन में एक ही बात आई लौड़ा। बोले तो अपुन के अंदर चीख चीख के आवाज आने लगी कि बोल दे....अपनी चूत दे दे। पर अपुन अच्छी तरह जानता था कि अगर अपुन ने ऐसा बोला तो अपुन की गाड़ तोड़ पेलाई होने में ज्यादा टाइम नहीं लगेगा। मादरचोद, कुछ समझ नहीं आ रेला था कि क्या बोले अपुन? तभी अनुष्का की आवाज अपुन के कान में पड़ी।

अनुष्का ─ क्या हुआ चुप क्यों हो गए? बताओ न तुम्हारी नाराजगी दूर करने के लिए क्या करूं मैं?

अपुन ─ बोल तो ऐसे रही हो आप जैसे अगर अपुन बताएगा तो आप कर ही दोगी।

अनुष्का ─ अरे! तुम बोलो तो भाई। तुम साक्षी के प्यारे भाई हो तो मेरे भी प्यारे भाई ही हो। तुम जो बोलोगे करूंगी मैं।

बेटीचोद यही तो प्रॉब्लम थी। बोले तो प्यारे भाई ही तो नहीं बोलना था अपुन को। साधना को चोदने के बाद भला अब वो अपुन की बहन कैसे हो सकती थी? खैर अपुन सोचने लगा कि क्या जवाब दे उसे, या ऐसा क्या करने को बोले जिसे वो झट से करने के लिए तैयार हो जाए? दूसरी तरफ अपुन की ये सोच के भी फट रेली थी कि अगर अपुन ने अपने मन की बात उसे बोली तो कहीं वो गुस्सा न हो जाए या साक्षी दी को न बता दे। अगर ऐसा हुआ तो समझ ही सकते हो कि कितना बड़ा कांड हो जाना था लौड़ा।

अपुन ─ कुछ ऐसा करने का सोचो जिसके बाद अपुन आपके घर आने के लिए मजबूर हो जाए।

अनुष्का ─ अरे! ये क्या बात हुई भाई? मैं तुझसे पूछ रही हूं और तू ऐसे बोल रहा है?

अपुन ─ आपने ही बोला है कि अपुन की नाराजगी दूर करने के लिए कुछ भी करोगी तो अब करो।

अनुष्का ─ अरे! मैं तो तब करूं न जब तुम बताओ कि क्या करूं मैं?

अपुन ─ ना, अपुन अपनी तरफ से कुछ करने को नहीं बोलेगा। ये आप सोचो कि आपको ऐसा क्या करना चाहिए जिसकी वजह से अपुन आपके पास आने को एकदम मजबूर ही हो जाए।

अनुष्का शायद सोच में पड़ गईली थी, इसी लिए फौरन उसकी कोई आवाज नहीं आई थी। इधर अपुन भी धड़कते दिल से सोचने लगा कि अब क्या करेगी वो लौड़ी? ये भी सोचने लगा कि कहीं कुछ गलत न सोच बैठे? हालांकि गलत सोचने का सवाल तो तब पैदा होता जब अपुन ने कुछ गलत बोला होता।

अनुष्का ─ भाई मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा। प्लीज तुम ही बताओ न कि क्या करूं मैं?

अपुन का जी तो किया कि खुल के बोल दे कि अपुन के लिए अपनी चूत खोल के रख दे पर लौड़ा ऐसा बोल देने का मतलब था बड़ी भयानक आफत को अपने ऊपर गिरा लेना।

अपुन ─ अपुन कुछ नहीं बताएगा। आप खुद सोचो। अच्छा अब रखता है अपुन। जब सोच लेना तभी कॉल करना अपुन को, गुड लुक।

अभी अपुन ने कॉल कट कर के मोबाइल एक तरफ रखा ही था कि तभी अपुन के रूम का दरवाजा खुला और विधी अंदर दाखिल हुई। उसने ऊपर एक टी शर्ट पहन रखी थी और नीचे ढीला सा सलवार। टी शर्ट में उसके सीने के उभार साफ दिख रेले थे।

विधी को आया देख अपुन सोचने लगा कि अब ये लौड़ी किस लिए आई है अपुन के रूम में? बोले तो जरूर अपुन से बात करने या सुलह करने आई होगी। अपुन ने सोच लिया कि अपुन उसे कोई भाव नहीं देगा। इस लिए उसे एक नज़र देखा और वापस मोबाइल उठा कर उसमें अपनी नजरें जमा दी।

विधी ने जब देखा कि अपुन ने उसे फिर से इग्नोर कर दिया है तो उसके चेहरे पर मायूसी के भाव तो उभरे ही लेकिन इस बार उसे दुख भी हुआ। अगले ही पल उसने पलट कर रूम का दरवाजा बंद किया और फिर एकदम से भागते हुए बेड पर अपुन के पास आई। अपुन मोबाइल में जरूर देख रेला था लेकिन अपुन का ध्यान उसकी तरफ ही था लौड़ा।

अपुन के पास आते ही वो बिना कुछ बोले बेड पर चढ़ी और फिर एकदम से अपुन के ऊपर ही, मतलब कि पेट में ही बैठ गई। अपुन उसकी इस हरकत से बौखला ही गया लौड़ा। इससे पहले कि अपुन कुछ कर पाता वो एकदम से झुकी और दोनों हाथों से अपुन का चेहरा पकड़ कर अपुन के होठों पर अपने होठों को रख दिया।

बेटीचोद, अपुन तो उसकी इस हरकत से शॉक ही हो गया। उधर उसने पहले तो अपुन के होठों को हल्के से चूमा और फिर अपुन के निचले होठ को मुंह में ले कर चूसना शुरू कर दिया। अगले ही पल अपुन के पूरे जिस्म में एक अलग ही तरह की झुरझुरी दौड़ती हुई चली गई लौड़ा।

इससे पहले कि अपुन एक अलग ही दुनिया में खो जाता अपुन को एकदम से खयाल आया कि अपुन को इसने इसी बात पर गुस्सा हो के थप्पड़ मारा था। इस लिए फ़ौरन ही अपुन ने उसे ताकत लगा कर अपने से दूर कर दिया। इतना ही नहीं उसे अपने ऊपर से भी धकेल दिया, उसके बाद अपुन बेड से उतर कर खड़ा हो गया और फिर गुस्सा दिखाते हुए बोला।

अपुन ─ ये क्या बेहूदगी है? शर्म नहीं आती तुझे अपने भाई के साथ ऐसा करने में?

विधी अपुन की गुस्से में कही गई इस बात को सुन कर एकदम से सुबकने लगी। उसके सुबकने की आवाज पूरे कमरे में गूंजने लगी। उसके अचानक से यूं रो पड़ने पर अपुन को एकदम से झटका लगा। बोले तो अपुन ने तो झूठ मूठ का ही गुस्सा हुआ था लेकिन जब वो अपुन की उम्मीद के विपरीत सुबकने ही लगी तो अपुन एकदम से घबरा ही गया लौड़ा। घबरा इस लिए गया क्योंकि अगर किसी को उसके रोने का सीन पता चल गया तो इससे कई सवाल ऐसे खड़े हो जाते जिनका जवाब देते न बनता बेटीचोद।

अपुन ने देखा विधी कि आंखों से आंसुओं की मोटी मोटी धार बह रेली थी। मतलब कि वो सच में अपुन के गुस्सा होने पर और ऐसा बोलने पर दुखी हो गईली थी। और शायद उसे ये भी एहसास हो चुका था कि उसने बेवजह ही अपुन को गुस्सा हो के थप्पड़ मारा था। खैर मामला थोड़ा सीरियस हो गयला था लेकिन अपुन इतना जल्दी पिघल जाने वाला नहीं था लौड़ा। बोले तो थोड़ा भाव खाने का था अपुन को।

अपुन ─ अब ये क्या नाटक है?

विधी ─ प्लीज माफ कर दे भाई। आज के बाद कभी तुझ पर गुस्सा नहीं करूंगी और न ही कभी तुझे थप्पड़ मारूंगी।

अपुन ─ ऐसा तो तब करेगी न तू जब अपुन वैसा काम करेगा। अपुन ने सोच लिया है कि अपुन तेरे से कोई मतलब ही नहीं रखेगा। तू जा यहां से।

विधी रोते हुए ही झट से बेड से नीचे उतरी और फिर अपुन के पास आ कर रोते हुए बोली।

विधी ─ बस एक बार माफ कर दे प्लीज। आगे से कभी ऐसा नहीं करूंगी और....और तुझे किस करने से भी नहीं रोकूंगी। प्लीज इस बार माफ कर दे भाई। मैं तो तेरी जान हूं ना?

अपुन ─ तू भी तो अपुन को अपनी जान बोलती थी ना। तभी अपनी जान को इतना जोर से थप्पड़ मारा था न तूने।

विधी ─ वो...वो मैंने गलती से तुझे थप्पड़ मार दिया था। मैं अपनी गलती एक्सेप्ट करती हूं। उस वक्त मुझे लगा था कि तू वो गलत करने लगा था इस लिए मैं घबरा गई थी और फिर गुस्सा हो कर तुझे थप्पड़ मार दिया था। बाद में जब मैंने हमारे न्यू रिलेशन के बारे में सोचा तो मुझे रियलाइज हुआ कि मुझे थप्पड़ नहीं मारना चाहिए था तुझे। प्लीज भाई, मेरी लास्ट मिस्टेक समझ कर माफ कर दे मुझे। अब से मैं तुझे किसी चीज़ के लिए नहीं रोकूंगी।

जिस तरह से वो दुखी मन से अपुन से माफियां मांग रेली थी उसे देख अपुन को एकदम से ये सोच के ग्लानि होने लगी कि एक तो अपुन ने खुद गलत किएला था ऊपर से खुद ही उसे इस तरह से रुला रेला है। क्या अपनी चाहतों और अपनी हवस के चलते अपुन ये ठीक कर रेला है? बेटीचोद, एकदम से दिमाग खराब हो गया अपुन का। खुद पर बहुत ज्यादा गुस्सा आया।

अपुन ने झपट कर उसे अपने सीने से लगा लिया। जैसे ही उसे अपुन ने सीने से लगाया तो वो अपुन को जकड़ कर फिर से रोने लगी। उसका यूं रोना अपुन का कलेजा हिलाए जा रेला था लौड़ा।

अपुन ─ प्लीज मत रो यार। तेरी कोई ग़लती नहीं थी। सब अपुन की ही गलती थी।

विधी ─ नहीं मेरी गलती थी। मुझे अपनी जान को थप्पड़ नहीं मारना चाहिए था।

अपुन उसकी बात सुन कर एक बार फिर से ये सोच के हिल गया कि वो अब भी अपनी ही गलती मार रेली है। ज़ाहिर है इससे ये पता चलता है कि वो अपुन से कितना प्यार करती है। खैर अपुन की कोशिश से कुछ ही देर में वो नॉर्मल हो गई।

अपुन ने उसे खुद से अलग कर उसके आंसू पोछे। वो मासूम सी शक्ल बनाए बस अपुन को ही देखे जा रेली थी। इतने में ही उसका चेहरा सुर्ख पड़ गयला था। अपुन का जी चाहा कि उसका सारा दुख ले ले और उसे दुनिया भर की खुशियां दे दे।

विधी ─ चल अब अपनी गर्ल फ्रेंड को किस कर न भाई।

अपुन ─ नहीं यार, ये ठीक नहीं है। अपन लोग को ये नहीं भूलना चाहिए कि अपन लोग को ऊपर वाले ने भाई बहन बना के पैदा किएला है। उस टाइम अपुन का तुझे उस तरह से किस करना सच में गलत था।

विधी अपुन की ये बात सुन के मायूस सी हो गई। शायद वो ये सोच बैठी थी कि अपुन अभी भी उससे नाराज है।

विधी ─ इसका मतलब तूने मुझे पूरी तरह माफ नहीं किया भाई?

अपुन ─ अरे! माफ़ करने की बात तो तब पैदा होती है जब तूने कोई गलती की हो।

विधी ─ तो फिर अपनी गर्ल फ्रेंड को किस क्यों नहीं करता तू? देख, मैं खुद बोल रही हूं न तो किस कर न मुझे....प्लीज।

अपुन को समझ न आया कि अब क्या करे? बोले तो इस वक्त अपुन के मन में सही गलत वाले खयाल आ रेले थे। इस वक्त अपुन के मन में कोई गलत खयाल नहीं थे वरना इतना हसीन मौका अपुन बिल्कुल भी नहीं छोड़ता।

विधी ─ क्या हुआ? क्या सोच रहा है भाई? प्लीज अपनी गर्ल फ्रेंड को किस कर न। मेरा भी मन कर रहा है कि मैं अपने बॉय फ्रेंड को किस करूं।

सच तो ये था लौड़ा कि उसकी बात सुन कर अब अपुन का दिमाग खराब होने लग गयला था। एक बार फिर से अपुन के मन में गलत खयाल आने लग गएले थे। सही गलत वाली सोच जैसे मां चुदाने को बेताब होने लग गईली थी। अपुन सोचने लगा कि जब वो खुद ही ऐसा करने को बोल रेली है तो अपुन को भी अब सही गलत नहीं सोचना चाहिए बेटीचोद।

To be continued...


Aaj ke liye itna hi bhai log,
Read and enjoy :declare:
 

TheBlackBlood

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Motaland2468

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कपड़े पहन कर अपुन उसके घर से चला तो उसने अपुन को जाने देने से पहले स्मूच किस किया और फिर किसी बहाने हर रोज घर आने का बोल कर उसने अपुन को बाय किया।

उसके घर से बाहर आया तो देखा मोबाइल में साक्षी दी के दो मिस कॉल पड़े थे। ये देख अपुन एकदम से टेंशन में आ गया लौड़ा।



अब आगे....


कार की ड्राइविंग सीट पर बैठ कर अपुन ने साक्षी दी की कॉल पिक की। मन में कई सारे खयालों का अंबार लगेला था लौड़ा और थोड़ा घबरा भी रेला था लेकिन बात तो करना ही था।

साक्षी दी ─ कितनी देर से तुझे कॉल कर रही हूं। फोन क्यों नहीं उठा रहा था? कहां था तू?

अपुन ने महसूस किया कि उनकी नाराजगी कॉल न उठाने की वजह से थी। मतलब कि अभी फिलहाल वो अपुन की उन बातों पर गुस्सा नहीं थीं। अपुन ने थोड़ा राहत की सांस ली फिर बोला।

अपुन ─ सॉरी दी, वो अपु...आई मीन मैं ड्राइविंग करते आउटर में काफी दूर चला गया था। उसके बाद फिर अमित के घर चला गया। एक्चुअली अमित ने बोला था कि एक बार मैं उसके घर का चक्कर लगा लूं क्योंकि साधना दी घर पर अकेली हैं।

साक्षी दी ─ ओके फाईन, तू जल्दी से कंपनी पहुंच। मैं बहुत देर से वेट कर रही हूं तेरा।

अपुन ─ ओके मैं आ रहा हूं।

कॉल कट कर के अपुन ने कार स्टार्ट की और फुल स्पीड में दौड़ा दिया उसे। अपुन सोचने लगा था कि अगर अपुन इतनी देर से साक्षी दी का कॉल नहीं उठा रेला था तो वो किसी ऑटो या टैक्सी से भी तो घर जा सकती थीं। बोले तो इतने टाइम तक अपुन के कॉल पिक करने का वेट क्यों करती रहीं?

इसका तो यही मतलब हो सकता है कि वो अपुन के साथ ही कंपनी से घर जाना चाहती थीं। अब सवाल है कि..क्यों? क्या इस लिए कि वो उन बातों के बारे में अपुन से बात करना चाह रेली थीं? अपुन को याद आया कि उन्होंने बाद में इस बारे में बात करने को बोला था। घर में इस बारे में वो खुल कर अपुन से बात नहीं कर सकतीं थी, शायद इसी लिए उन्होंने किसी ऑटो या टैक्सी से घर जाना बेहतर नहीं समझा था।

अपुन को अपना ये विचार एकदम सही लगा। मतलब कि सच में वो उसी बारे में बात करना चाहती हैं अपुन से। खैर, अपुन भी सोचने लगा कि अगर वो सच में उस बारे में ही अपुन से बात करेंगी तो अपुन उन्हें क्या जवाब देगा? मतलब कि उनके सवालों के अपुन को क्या जवाब देने चाहिए लौड़ा?

सारे रास्ते अपुन सोच विचार करता रहा और फिर करीब पंद्रह मिनट में अपुन कंपनी पहुंच गया। कंपनी के गेट के पास पहुंच कर अपुन ने उन्हें कॉल कर के बताया कि अपुन गेट पर है इस लिए वो जल्दी आएं।

बेटीचोद, एकदम से धड़कनें बढ़ गईली थी अपुन की। बार बार यही खयाल आ रेला था कि साक्षी दी अपुन से क्या बात करेंगी और किस लहजे में बात करेंगी? खैर पांच मिनट बाद ही वो अपुन को आती नजर आईं।

थोड़ी ही देर में वो अपुन के पास पहुंच गईं और दूसरी तरफ का दरवाजा खोल कर कार में अपुन के बगल से बैठ गईं। अपुन ने थोड़ा डरते डरते ध्यान से उनके चेहरे को देखा। लौड़ा, कुछ समझ न आया कि इस वक्त उनके अंदर क्या चल रेला है।

साक्षी दी (सपाट लहजे में) ─ चलो।

अपुन ने बिना उनसे कोई बात किए कार स्टार्ट किया और यू टर्न ले कर घर की तरफ चल पड़ा। अपुन की धड़कनें बढ़ी हुईं थी और अपुन खामोशी से कार ड्राइव कर रेला था। अपुन चाहता था कि साक्षी दी खुद ही बात करना शुरू करें। इस लिए अपुन बार बार उम्मीद भरी नजर से उनकी तरफ देख लेता था। उधर साक्षी दी के चेहरे पर कोई भाव ही नहीं थे लौड़ा।

कार के अंदर छाई खामोशी बहुत अजीब लग रेली थी बेटीचोद लेकिन क्या कर सकता था अपुन। करीब दस मिनट बाद एकाएक अपुन दी की आवाज से चौंका। उन्होंने अपुन को आगे से लेफ्ट साइड कार मोड़ने को कहा। अपुन ने कहा तो कुछ नहीं लेकिन मन ही मन सोचने लगा कि लेफ्ट साइड कार को मोड़ने का क्यों बोलीं हैं वो? मतलब कि अगर उन्हें घर ही जाना है तो सीधा ही जाना चाहिए न, फिर लेफ्ट साइड मुड़ने का क्या मतलब है?

लेफ्ट साइड जो रास्ता जाता था वो सिटी से बाहर वाला था। उसके करीब पांच किलो मीटर पर एक तरफ जंगल था और दूसरी तरफ पहाड़, बाकी रास्ता सुनसान था। अचानक अपुन के दिमाग की बत्ती जली। अपुन को समझ आ गयला था कि दी ने अपुन को इस तरफ कार मोड़ने को क्यों बोला था। यानि इस तरफ सुनसान जगह पर वो अपुन को ले जा कर शायद उस बारे में बात करना चाहती थीं।

खैर अपुन ने लेफ्ट साइड कार को मोड़ दिया और खामोशी से कार ड्राइव करता रहा। साक्षी दी फिर से खामोश हो गईं लेकिन इस बार उनके चेहरे पर अपुन ने सोचो के भाव देखे। मतलब कि अब शायद वो भी गहराई से सोचने लगीं थी कि अपुन से वो क्या बात करेंगी?

कुछ देर बाद अपुन ने साक्षी दी के कहने पर ही कार को सड़क से उतार कर जंगल की तरफ मोड़ दिया। अपुन अब ये सोचने लगा कि सिर्फ उस बारे में बात करने के लिए उन्होंने अपुन को इतना दूर आने को क्यों कहा या ये कहें कि ऐसी जगह पर लाने का क्या मतलब था? अगर उन्हें उसी बारे में अपुन से बात करनी थी तो वो कार के अंदर कहीं भी कर सकती थीं। खैर अपन लोग जंगल के थोड़ा ही अंदर आए थे कि साक्षी दी ने कार रोक देने को कहा।

अपुन ने कार रोक दी और एकाएक फिर से बढ़ चली अपनी धड़कनों को काबू करने का प्रयास करने लगा। मन में तरह तरह के विचार उभरने लग ग‌एले थे बेटीचोद।

कार के रुकते ही साक्षी दी ने अपनी तरफ का दरवाजा खोला और नीचे उतर गईं। फिर अपुन को भी नीचे उतर आने का इशारा किया तो अपुन भी धड़कते दिल के साथ उतर आया। फिर आगे से घूम कर थोड़ा उनके पास आ कर खड़ा हो गया। साक्षी दी के चेहरे पर गंभीरता के भाव उभर आएले थे।

साक्षी दी ─ पता है मैं यहां क्यों लाई हूं तुझे?

अपुन ─ आप बताओ, अपु...आई मीन मुझे कैसे पता होगा भला?

साक्षी दी ─ आज से पहले मुझे यही लगता था कि तू बस मुझे खुश करने के लिए ही मेरी तारीफें करता रहता है लेकिन आज कंपनी में तूने जो बोला उसने मुझे अंदर तक हिला दिया था। मैं सोच भी नहीं सकती थी कि जिस भाई को मैं इतना प्यार और स्नेह करती हूं वो मेरे बारे में ऐसा सोचता है।

अपुन के अंदर डर और घबराहट तो थी लौड़ा लेकिन उनकी ये बात सुन कर अपुन ने सोचा कि देखते हैं साक्षी दी आखिर क्या सोचती हैं और अपुन को क्या क्या बोलती हैं? इस लिए अपुन ने इस बार बिना किसी डर के बेझिझक कहा।

अपुन ─ तो क्या गलत सोचता हूं दी? मतलब कि आपके लिए मेरे दिल में जैसी फीलिंग्स हैं वही तो बताया था मैंने आपसे।

साक्षी दी ─ हां पर तुझे ये भी तो सोचना चाहिए था न भाई कि ऐसी फीलिंग्स एक भाई अपनी बहन के लिए नहीं रख सकता।

अपुन ─ जानता हूं दी लेकिन अब दिल पर भला किसका जोर चलता है। वैसे भी दिल कहां ये सोचता है कि जिसके बारे में वो अपने अंदर ऐसी फीलिंग्स रख रहा है वो रिश्ते में उसकी क्या लगती है।

साक्षी दी अपुन की ये बात सुन कर एकदम वैसे ही परेशान नजर आने लगीं जैसे कंपनी में हुईं थी। कुछ पलों तक वो बेचैनी और परेशानी से अपुन को देखती रहीं फिर बोलीं।

साक्षी दी ─ ये गलत है मेरे भाई। तू नासमझ नहीं है कि तुझे सही गलत का ज्ञान दिया जाए। तू अच्छी तरह जानता है कि भाई बहन के बीच इस तरह की फीलिंग्स होना कितना गलत है। देख, मैंने हमेशा तुझ पर नाज किया है और दिव्या विधी से ज़्यादा तुझे प्यार और स्नेह किया है। मैं चाहती हूं कि तू पढ़ाई कंप्लीट कर के डैड का बिज़नेस सम्हाले।

अपुन ─ ये सब तो मैं करूंगा ही दी लेकिन आपके लिए जो फीलिंग्स मेरे दिल में हैं उन्हें निकालना मेरे बस में नहीं है।

साक्षी दी ─ देख मेरे भाई, मैं नहीं चाहती कि तेरी इस बात के चलते हमारे बीच कोई प्रॉब्लम पैदा हो जाए। मैं नहीं चाहती कि मॉम डैड को मुझे इस बारे में बताना पड़े और वो तुझ पर गुस्सा करें। इस लिए तुझे समझा रही हूं कि जितना जल्दी हो सके तू अपने अंदर से ऐसी फीलिंग्स को खत्म कर दे। ये अच्छी बात नहीं है मेरे भाई। समझने की कोशिश कर।

अपुन समझ गया कि साक्षी दी इस वक्त अपुन से उस बात के चलते गुस्सा नहीं हैं। जिस तरह वो अपुन को समझा रेली थीं उससे तो अपुन को यही लग रेला था। अपुन ने ये भी सोचा कि अगर अपुन थोड़ा और जिद्द करे तो शायद बात बन जाएगी लौड़ा। ये सोच कर अपुन ने कहा।

अपुन ─ कोशिश कर चुका हूं दी लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। बोले तो ऐसा लगता है जैसे अपु...मतलब कि मेरे दिल में आपके लिए ये जो फीलिंग्स हैं वो सच्ची हैं। आई थिंक...आई एम इन लव विद यू।

साक्षी दी आश्चर्य से अपुन को आँखें फाड़ के देखने लगीं। फिर एकदम से उनके चेहरे पर सीरियस भाव उभर आए।

साक्षी दी ─ नहीं नहीं, तू ऐसा नहीं कर सकता भाई। प्लीज इसे यहीं पर स्टॉप कर दे। तुझे अंदाजा भी नहीं है कि इसका कितना भयानक रिजल्ट निकलेगा।

अपुन ─ काश! मेरे दिल को इसके रिजल्ट की परवाह होती। ये तो जैसे हर अंजाम से बेफिक्र हो के बैठ गया है।

साक्षी दी ─ देख मेरे भाई तू प्लीज समझने की कोशिश कर। मैं तेरी बड़ी बहन हूं और बहन के साथ इस तरह का लव करना बिल्कुल भी ठीक नहीं होता। हमारे समाज में इसे बहुत ही गलत माना जाता है।

अपुन ─ मोहब्बत सही गलत ही तो नहीं देखती दी। शायद यही वजह है कि मेरा दिल आपसे प्यार कर बैठा है। मुझे भी पता है कि ये गलत है लेकिन दिल के हाथों मजबूर हूं। आप भले ही मेरे प्यार को एक्सेप्ट न करो लेकिन मेरे दिल से ये प्यार वाली फीलिंग्स नहीं जाएंगी।

साक्षी दी अब बहुत ज्यादा चिंतित और परेशान दिखने लगीं थी। इधर अपुन भी ये बात समझ रेला था कि वो अपुन से बहुत प्यार और स्नेह करती हैं और चाहती हैं कि अपुन पर कोई संकट न आए इस लिए वो अपुन को इस तरह ठंडे दिमाग से समझा रेली थीं। दूसरी तरफ अपुन था जो उनकी नरमी का फायदा उठा रेला था।

वैसे सच तो यही था कि अपुन को साक्षी दी दुनिया की सबसे हसीन लड़की लगती थीं और उनके प्रति अपुन के दिल में सॉफ्ट फीलिंग्स थीं लेकिन वैसी नहीं जैसे कि किसी प्रेमी, पागल या आशिक वाली होती हैं। हो सकता है कि दी के प्रति ये अपुन का सिर्फ आकर्षण ही हो पर था तो सही।

अपुन ─ आप टेंशन मत लो दी। आपका काम था समझाना लेकिन अब इसका क्या किया जाए कि मेरा दिल कुछ समझना ही नहीं चाहता।

साक्षी दी ─ क्यों मुझे सख्त कदम उठाने पर मजबूर कर रहा है भाई? क्यों तू कुछ समझना नहीं चाहता? क्या तू सच में चाहता है कि तेरी इस फिलिंग की वजह से हमारे हंसते खेलते संसार में कोई भारी मुसीबत आ जाए?

अपुन ─ आप बहुत दूर का सोच रही हैं दी जबकि मैं ऐसा कुछ भी नहीं चाहता। हां ये सच है कि मेरी फीलिंग्स रियल हैं और मैं चाहता हूं कि आप इसे एक्सेप्ट करें लेकिन अगर आप इसे एक्सेप्ट नहीं करेंगी तो इसके लिए आपको मैं कभी मजबूर नहीं करूंगा। फीलिंग्स ही तो हैं न, मेरे दिल के किसी कोने में मौजूद रहेंगी, क्या फर्क पड़ता है? मतलब कि जब इस बारे में किसी को कुछ पता ही नहीं चलेगा तो कोई मुसीबत कैसे आएगी भला?

साक्षी दी अपुन को बड़े ध्यान से देख रेली थीं। उनके चेहरे पर अभी भी परेशानी, चिंता और बेचैनी के भाव थे।

साक्षी दी ─ नहीं भाई, ये ठीक नहीं है। मैं चाहती हूं कि तू अपने अंदर से ऐसी फीलिंग्स को जड़ से ही मिटा दे और पूरी तरह मेरा भाई बन जा।

अपुन ─ भाई तो कुदरत ने ही बना के भेजा है दी तो आपका भाई ही रहूंगा न।

साक्षी दी ─ हां लेकिन यहां तू मेरा आशिक भी बनने की कोशिश कर रहा है, उसका क्या? नहीं प्यारे भाई, मुझे तेरा ये रूप मंजूर नहीं है। मैं चाहती हूं कि तू अपने दिल से ये बेमतलब की फीलिंग्स जड़ से मिटा दे और सिर्फ मेरा प्यारा भाई बना रह। इसी में हम सबका भला है और इसी में सबकी खुशी भी है।

अपुन ─ छोड़ो दी, जो हो ही नहीं सकता वो कैसे कर सकता हूं मैं? चलिए घर चलते हैं अब।

साक्षी दी ─ नहीं, अभी मेरी बात खत्म नहीं हुई है।

अपुन ─ इस बारे में आपका बात करना या मुझे समझाना बेकार है दी। तो बेहतर यही है कि घर चला जाए।

साक्षी दी बहुत ज्यादा चिंतित और परेशान नजर आ रेली थीं। बेचैनी और कशमकश में घिरी वो अपुन को देखती रहीं, फिर बिना कुछ कहे कार का दरवाजा खोल कर सीट पर बैठ गईं। अपुन भी मन ही मन मुस्कुराते हुए आ आकर ड्राइविंग सीट पर बैठ गया।

बोले तो इतनी सारी बातों के बाद अपुन एक बात समझ गयला था कि साक्षी दी अपुन की फीलिंग्स वाली बात घर में किसी को बताएंगी नहीं क्योंकि वो बता ही चुकी थीं कि वो अपुन को किसी मुसीबत में पड़ गया नहीं देखना चाहती थीं। यही वजह थी कि उन्होंने अपुन से ऐसे बात की थी। अब अपुन ने सोच लिया था कि उनकी नरमी का अपुन को कैसे फायदा उठाना था।

कार स्टार्ट कर के अपन लोग वापस चल दिए वहां से। इस बार कार के अंदर ऐसी खामोशी छाई कि घर पहुंचने तक वो खामोशी कायम रही। यानि पूरे रास्ते न दी ने कोई बात की थी और न ही अपुन ने।

अपुन तो लौड़ा सारे रास्ते यही सोचते आया था कि आगे अपुन ऐसा क्या करे कि दुनिया की सबसे हसीन लड़की यानि कि अपुन की दी अपुन की झोली में आ गिरे? खैर घर पहुंच कर जब कार रुकी तो दी चुपचाप उतर कर मेन गेट की तरफ बढ़ गईं और इधर अपुन कार को गैरेज में खड़ी करने लगा।

~~~~~~

अभी अपुन गैरेज में कार लगा कर मेन गेट की तरफ चला ही था कि अपुन को ऐसा फील हुआ जैसे अपुन के पेंट में पड़ा मोबाइल वाइब्रेट कर रेला है। अपुन ने मोबाइल निकाल कर उसकी स्क्रीन पर फ्लैश कर रहे नाम और नंबर को देखा।

कॉल अमित की सौतेली बहन अनुष्का का था। अपुन सोचने लगा कि ये लौड़ी क्यों कॉल कर रेली है अपुन को? अगले ही पल अपुन को याद आया कि इसने अपुन को एक्स्ट्रा क्लास के लिए शाम को अपने घर आने को बोला था।

अपुन सोचने लगा कि इसका कॉल पिक करे या नहीं? बोले तो इसके बारे में भी अपुन के मन में बहुत कुछ था लेकिन ये साक्षी दी की बेस्ट फ्रेंड भी थी इस लिए अपुन थोड़ा डरता भी था कि कहीं कुछ गड़बड़ न हो जाए। फिर अपुन ने सोचा कि बिना कुछ किए थोड़े न गड़बड़ होगी, यानि गड़बड़ होने के लिए कुछ करना जरूरी है।

अपुन ─ हेलो।

अनुष्का ─ ओह! थैंक गॉड तुमने कॉल उठा लिया। यूं नो, ये पांचवीं बार कॉल किया है मैंने तुम्हें।

अपुन ─ मोबाइल साइलेंट में था इस लिए कॉल आने का पता नहीं चला अपुन को। एनीवे, किस लिए कॉल किया है आपने अपुन को?

अनुष्का ─ दस मिनट में मेरे घर पहुंचो।

अपुन ─ क्यों?

अनुष्का ─ यहां आओ, सब पता चल जाएगा।

अपुन सोचने लगा कि लौड़ी सस्पेंस क्रिएट कर रेली है और तो और हुकुम ऐसे दे रेली है जैसे अपुन उसका गुलाम हो, हट लौड़ी।

अपुन ─ टाइम नहीं है अपुन के पास।

बोले तो इस तरह उसके द्वारा हुकुम देने पर अपुन की झांठें सुलग गईंली थी इस लिए अपुन ने टाइम नहीं है बोला और उसकी कोई बात सुने बिना ही कॉल डिस्कनेक्ट कर दिया लौड़ा।

कॉल कट कर के अपुन मोबाइल को जेब में डालने ही लगा था कि लौड़ा फिर से वाइब्रेट होने लगा बेटीचोद। अपुन ने एक नज़र स्क्रीन में फ्लैश हो रहे अनुष्का के नाम को देखा और फिर वैसे ही जेब में डाल दिया मोबाइल को। उसके बाद अपुन मस्त चाल में मेन गेट की तरफ बढ़ चला।

थोड़ी ही देर में अपुन सेकंड फ्लोर पर मौजूद अपने रूम पहुंच गया। फिर कपड़े उतार कर अपुन बाथरूम में घुस गया। फ्रेश होने के बाद अपुन ने दूसरे कपड़े पहने और मोबाइल ले कर बेड पर लेट गया।

अभी मोबाइल का लॉक ओपन ही किया था कि अनुष्का का कॉल फिर से आने लगा लौड़ा। ये देख अपुन का दिमाग खराब हो गया बेटीचोद। अपुन सोचने लगा कि अब इसकी चूत में इतनी खुजली क्यों हो रेली है? खैर अपुन ने ये सोच कर कॉल पिक कर लेने का सोच कि लौड़ी बार बार कॉल कर के अपुन को इरिटेट करेगी।

अपुन ─ बोला न टाइम नहीं है अपुन के पास।

अनुष्का ─ हद है भाई, अपनी उस गलती के लिए तुमसे कितनी बार माफी मांग चुकी हूं फिर भी तुम्हारी नाराजगी नहीं जा रही?

अपुन ─ अपुन ऐसा ही है। अपुन की नाराजगी इतना जल्दी नहीं जाती।

अनुष्का ─ ओके तो बताओ तुम्हारी नाराजगी दूर करने के लिए अब क्या करूं मैं? वैसे एक्स्ट्रा क्लास देने के लिए अपने घर बुला तो रही हूं तो क्यों नहीं आ रहे तुम?

अपुन ─ क्योंकि अपुन को एक्स्ट्रा क्लास लेने की जरूरत ही नहीं है।

अनुष्का ─ तो फिर बताओ और क्या करूं मैं?

उसकी ये बात सुन कर अपुन के मन में एक ही बात आई लौड़ा। बोले तो अपुन के अंदर चीख चीख के आवाज आने लगी कि बोल दे....अपनी चूत दे दे। पर अपुन अच्छी तरह जानता था कि अगर अपुन ने ऐसा बोला तो अपुन की गाड़ तोड़ पेलाई होने में ज्यादा टाइम नहीं लगेगा। मादरचोद, कुछ समझ नहीं आ रेला था कि क्या बोले अपुन? तभी अनुष्का की आवाज अपुन के कान में पड़ी।

अनुष्का ─ क्या हुआ चुप क्यों हो गए? बताओ न तुम्हारी नाराजगी दूर करने के लिए क्या करूं मैं?

अपुन ─ बोल तो ऐसे रही हो आप जैसे अगर अपुन बताएगा तो आप कर ही दोगी।

अनुष्का ─ अरे! तुम बोलो तो भाई। तुम साक्षी के प्यारे भाई हो तो मेरे भी प्यारे भाई ही हो। तुम जो बोलोगे करूंगी मैं।

बेटीचोद यही तो प्रॉब्लम थी। बोले तो प्यारे भाई ही तो नहीं बोलना था अपुन को। साधना को चोदने के बाद भला अब वो अपुन की बहन कैसे हो सकती थी? खैर अपुन सोचने लगा कि क्या जवाब दे उसे, या ऐसा क्या करने को बोले जिसे वो झट से करने के लिए तैयार हो जाए? दूसरी तरफ अपुन की ये सोच के भी फट रेली थी कि अगर अपुन ने अपने मन की बात उसे बोली तो कहीं वो गुस्सा न हो जाए या साक्षी दी को न बता दे। अगर ऐसा हुआ तो समझ ही सकते हो कि कितना बड़ा कांड हो जाना था लौड़ा।

अपुन ─ कुछ ऐसा करने का सोचो जिसके बाद अपुन आपके घर आने के लिए मजबूर हो जाए।

अनुष्का ─ अरे! ये क्या बात हुई भाई? मैं तुझसे पूछ रही हूं और तू ऐसे बोल रहा है?

अपुन ─ आपने ही बोला है कि अपुन की नाराजगी दूर करने के लिए कुछ भी करोगी तो अब करो।

अनुष्का ─ अरे! मैं तो तब करूं न जब तुम बताओ कि क्या करूं मैं?

अपुन ─ ना, अपुन अपनी तरफ से कुछ करने को नहीं बोलेगा। ये आप सोचो कि आपको ऐसा क्या करना चाहिए जिसकी वजह से अपुन आपके पास आने को एकदम मजबूर ही हो जाए।

अनुष्का शायद सोच में पड़ गईली थी, इसी लिए फौरन उसकी कोई आवाज नहीं आई थी। इधर अपुन भी धड़कते दिल से सोचने लगा कि अब क्या करेगी वो लौड़ी? ये भी सोचने लगा कि कहीं कुछ गलत न सोच बैठे? हालांकि गलत सोचने का सवाल तो तब पैदा होता जब अपुन ने कुछ गलत बोला होता।

अनुष्का ─ भाई मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा। प्लीज तुम ही बताओ न कि क्या करूं मैं?

अपुन का जी तो किया कि खुल के बोल दे कि अपुन के लिए अपनी चूत खोल के रख दे पर लौड़ा ऐसा बोल देने का मतलब था बड़ी भयानक आफत को अपने ऊपर गिरा लेना।

अपुन ─ अपुन कुछ नहीं बताएगा। आप खुद सोचो। अच्छा अब रखता है अपुन। जब सोच लेना तभी कॉल करना अपुन को, गुड लुक।

अभी अपुन ने कॉल कट कर के मोबाइल एक तरफ रखा ही था कि तभी अपुन के रूम का दरवाजा खुला और विधी अंदर दाखिल हुई। उसने ऊपर एक टी शर्ट पहन रखी थी और नीचे ढीला सा सलवार। टी शर्ट में उसके सीने के उभार साफ दिख रेले थे।

विधी को आया देख अपुन सोचने लगा कि अब ये लौड़ी किस लिए आई है अपुन के रूम में? बोले तो जरूर अपुन से बात करने या सुलह करने आई होगी। अपुन ने सोच लिया कि अपुन उसे कोई भाव नहीं देगा। इस लिए उसे एक नज़र देखा और वापस मोबाइल उठा कर उसमें अपनी नजरें जमा दी।

विधी ने जब देखा कि अपुन ने उसे फिर से इग्नोर कर दिया है तो उसके चेहरे पर मायूसी के भाव तो उभरे ही लेकिन इस बार उसे दुख भी हुआ। अगले ही पल उसने पलट कर रूम का दरवाजा बंद किया और फिर एकदम से भागते हुए बेड पर अपुन के पास आई। अपुन मोबाइल में जरूर देख रेला था लेकिन अपुन का ध्यान उसकी तरफ ही था लौड़ा।

अपुन के पास आते ही वो बिना कुछ बोले बेड पर चढ़ी और फिर एकदम से अपुन के ऊपर ही, मतलब कि पेट में ही बैठ गई। अपुन उसकी इस हरकत से बौखला ही गया लौड़ा। इससे पहले कि अपुन कुछ कर पाता वो एकदम से झुकी और दोनों हाथों से अपुन का चेहरा पकड़ कर अपुन के होठों पर अपने होठों को रख दिया।

बेटीचोद, अपुन तो उसकी इस हरकत से शॉक ही हो गया। उधर उसने पहले तो अपुन के होठों को हल्के से चूमा और फिर अपुन के निचले होठ को मुंह में ले कर चूसना शुरू कर दिया। अगले ही पल अपुन के पूरे जिस्म में एक अलग ही तरह की झुरझुरी दौड़ती हुई चली गई लौड़ा।

इससे पहले कि अपुन एक अलग ही दुनिया में खो जाता अपुन को एकदम से खयाल आया कि अपुन को इसने इसी बात पर गुस्सा हो के थप्पड़ मारा था। इस लिए फ़ौरन ही अपुन ने उसे ताकत लगा कर अपने से दूर कर दिया। इतना ही नहीं उसे अपने ऊपर से भी धकेल दिया, उसके बाद अपुन बेड से उतर कर खड़ा हो गया और फिर गुस्सा दिखाते हुए बोला।

अपुन ─ ये क्या बेहूदगी है? शर्म नहीं आती तुझे अपने भाई के साथ ऐसा करने में?

विधी अपुन की गुस्से में कही गई इस बात को सुन कर एकदम से सुबकने लगी। उसके सुबकने की आवाज पूरे कमरे में गूंजने लगी। उसके अचानक से यूं रो पड़ने पर अपुन को एकदम से झटका लगा। बोले तो अपुन ने तो झूठ मूठ का ही गुस्सा हुआ था लेकिन जब वो अपुन की उम्मीद के विपरीत सुबकने ही लगी तो अपुन एकदम से घबरा ही गया लौड़ा। घबरा इस लिए गया क्योंकि अगर किसी को उसके रोने का सीन पता चल गया तो इससे कई सवाल ऐसे खड़े हो जाते जिनका जवाब देते न बनता बेटीचोद।

अपुन ने देखा विधी कि आंखों से आंसुओं की मोटी मोटी धार बह रेली थी। मतलब कि वो सच में अपुन के गुस्सा होने पर और ऐसा बोलने पर दुखी हो गईली थी। और शायद उसे ये भी एहसास हो चुका था कि उसने बेवजह ही अपुन को गुस्सा हो के थप्पड़ मारा था। खैर मामला थोड़ा सीरियस हो गयला था लेकिन अपुन इतना जल्दी पिघल जाने वाला नहीं था लौड़ा। बोले तो थोड़ा भाव खाने का था अपुन को।

अपुन ─ अब ये क्या नाटक है?

विधी ─ प्लीज माफ कर दे भाई। आज के बाद कभी तुझ पर गुस्सा नहीं करूंगी और न ही कभी तुझे थप्पड़ मारूंगी।

अपुन ─ ऐसा तो तब करेगी न तू जब अपुन वैसा काम करेगा। अपुन ने सोच लिया है कि अपुन तेरे से कोई मतलब ही नहीं रखेगा। तू जा यहां से।

विधी रोते हुए ही झट से बेड से नीचे उतरी और फिर अपुन के पास आ कर रोते हुए बोली।

विधी ─ बस एक बार माफ कर दे प्लीज। आगे से कभी ऐसा नहीं करूंगी और....और तुझे किस करने से भी नहीं रोकूंगी। प्लीज इस बार माफ कर दे भाई। मैं तो तेरी जान हूं ना?

अपुन ─ तू भी तो अपुन को अपनी जान बोलती थी ना। तभी अपनी जान को इतना जोर से थप्पड़ मारा था न तूने।

विधी ─ वो...वो मैंने गलती से तुझे थप्पड़ मार दिया था। मैं अपनी गलती एक्सेप्ट करती हूं। उस वक्त मुझे लगा था कि तू वो गलत करने लगा था इस लिए मैं घबरा गई थी और फिर गुस्सा हो कर तुझे थप्पड़ मार दिया था। बाद में जब मैंने हमारे न्यू रिलेशन के बारे में सोचा तो मुझे रियलाइज हुआ कि मुझे थप्पड़ नहीं मारना चाहिए था तुझे। प्लीज भाई, मेरी लास्ट मिस्टेक समझ कर माफ कर दे मुझे। अब से मैं तुझे किसी चीज़ के लिए नहीं रोकूंगी।

जिस तरह से वो दुखी मन से अपुन से माफियां मांग रेली थी उसे देख अपुन को एकदम से ये सोच के ग्लानि होने लगी कि एक तो अपुन ने खुद गलत किएला था ऊपर से खुद ही उसे इस तरह से रुला रेला है। क्या अपनी चाहतों और अपनी हवस के चलते अपुन ये ठीक कर रेला है? बेटीचोद, एकदम से दिमाग खराब हो गया अपुन का। खुद पर बहुत ज्यादा गुस्सा आया।

अपुन ने झपट कर उसे अपने सीने से लगा लिया। जैसे ही उसे अपुन ने सीने से लगाया तो वो अपुन को जकड़ कर फिर से रोने लगी। उसका यूं रोना अपुन का कलेजा हिलाए जा रेला था लौड़ा।

अपुन ─ प्लीज मत रो यार। तेरी कोई ग़लती नहीं थी। सब अपुन की ही गलती थी।

विधी ─ नहीं मेरी गलती थी। मुझे अपनी जान को थप्पड़ नहीं मारना चाहिए था।

अपुन उसकी बात सुन कर एक बार फिर से ये सोच के हिल गया कि वो अब भी अपनी ही गलती मार रेली है। ज़ाहिर है इससे ये पता चलता है कि वो अपुन से कितना प्यार करती है। खैर अपुन की कोशिश से कुछ ही देर में वो नॉर्मल हो गई।

अपुन ने उसे खुद से अलग कर उसके आंसू पोछे। वो मासूम सी शक्ल बनाए बस अपुन को ही देखे जा रेली थी। इतने में ही उसका चेहरा सुर्ख पड़ गयला था। अपुन का जी चाहा कि उसका सारा दुख ले ले और उसे दुनिया भर की खुशियां दे दे।

विधी ─ चल अब अपनी गर्ल फ्रेंड को किस कर न भाई।

अपुन ─ नहीं यार, ये ठीक नहीं है। अपन लोग को ये नहीं भूलना चाहिए कि अपन लोग को ऊपर वाले ने भाई बहन बना के पैदा किएला है। उस टाइम अपुन का तुझे उस तरह से किस करना सच में गलत था।

विधी अपुन की ये बात सुन के मायूस सी हो गई। शायद वो ये सोच बैठी थी कि अपुन अभी भी उससे नाराज है।

विधी ─ इसका मतलब तूने मुझे पूरी तरह माफ नहीं किया भाई?

अपुन ─ अरे! माफ़ करने की बात तो तब पैदा होती है जब तूने कोई गलती की हो।

विधी ─ तो फिर अपनी गर्ल फ्रेंड को किस क्यों नहीं करता तू? देख, मैं खुद बोल रही हूं न तो किस कर न मुझे....प्लीज।

अपुन को समझ न आया कि अब क्या करे? बोले तो इस वक्त अपुन के मन में सही गलत वाले खयाल आ रेले थे। इस वक्त अपुन के मन में कोई गलत खयाल नहीं थे वरना इतना हसीन मौका अपुन बिल्कुल भी नहीं छोड़ता।

विधी ─ क्या हुआ? क्या सोच रहा है भाई? प्लीज अपनी गर्ल फ्रेंड को किस कर न। मेरा भी मन कर रहा है कि मैं अपने बॉय फ्रेंड को किस करूं।

सच तो ये था लौड़ा कि उसकी बात सुन कर अब अपुन का दिमाग खराब होने लग गयला था। एक बार फिर से अपुन के मन में गलत खयाल आने लग गएले थे। सही गलत वाली सोच जैसे मां चुदाने को बेताब होने लग गईली थी। अपुन सोचने लगा कि जब वो खुद ही ऐसा करने को बोल रेली है तो अपुन को भी अब सही गलत नहीं सोचना चाहिए बेटीचोद।

To be continued...



Aaj ke liye itna hi bhai log,
Read and enjoy:declare:
Bhai story zabardast hai par aapne pics or gif dalna band kyun kar diya.plz pics or gif bhi add karo plz plz plz
 

dhparikh

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Update ~ 14



कपड़े पहन कर अपुन उसके घर से चला तो उसने अपुन को जाने देने से पहले स्मूच किस किया और फिर किसी बहाने हर रोज घर आने का बोल कर उसने अपुन को बाय किया।

उसके घर से बाहर आया तो देखा मोबाइल में साक्षी दी के दो मिस कॉल पड़े थे। ये देख अपुन एकदम से टेंशन में आ गया लौड़ा।



अब आगे....


कार की ड्राइविंग सीट पर बैठ कर अपुन ने साक्षी दी की कॉल पिक की। मन में कई सारे खयालों का अंबार लगेला था लौड़ा और थोड़ा घबरा भी रेला था लेकिन बात तो करना ही था।

साक्षी दी ─ कितनी देर से तुझे कॉल कर रही हूं। फोन क्यों नहीं उठा रहा था? कहां था तू?

अपुन ने महसूस किया कि उनकी नाराजगी कॉल न उठाने की वजह से थी। मतलब कि अभी फिलहाल वो अपुन की उन बातों पर गुस्सा नहीं थीं। अपुन ने थोड़ा राहत की सांस ली फिर बोला।

अपुन ─ सॉरी दी, वो अपु...आई मीन मैं ड्राइविंग करते आउटर में काफी दूर चला गया था। उसके बाद फिर अमित के घर चला गया। एक्चुअली अमित ने बोला था कि एक बार मैं उसके घर का चक्कर लगा लूं क्योंकि साधना दी घर पर अकेली हैं।

साक्षी दी ─ ओके फाईन, तू जल्दी से कंपनी पहुंच। मैं बहुत देर से वेट कर रही हूं तेरा।

अपुन ─ ओके मैं आ रहा हूं।

कॉल कट कर के अपुन ने कार स्टार्ट की और फुल स्पीड में दौड़ा दिया उसे। अपुन सोचने लगा था कि अगर अपुन इतनी देर से साक्षी दी का कॉल नहीं उठा रेला था तो वो किसी ऑटो या टैक्सी से भी तो घर जा सकती थीं। बोले तो इतने टाइम तक अपुन के कॉल पिक करने का वेट क्यों करती रहीं?

इसका तो यही मतलब हो सकता है कि वो अपुन के साथ ही कंपनी से घर जाना चाहती थीं। अब सवाल है कि..क्यों? क्या इस लिए कि वो उन बातों के बारे में अपुन से बात करना चाह रेली थीं? अपुन को याद आया कि उन्होंने बाद में इस बारे में बात करने को बोला था। घर में इस बारे में वो खुल कर अपुन से बात नहीं कर सकतीं थी, शायद इसी लिए उन्होंने किसी ऑटो या टैक्सी से घर जाना बेहतर नहीं समझा था।

अपुन को अपना ये विचार एकदम सही लगा। मतलब कि सच में वो उसी बारे में बात करना चाहती हैं अपुन से। खैर, अपुन भी सोचने लगा कि अगर वो सच में उस बारे में ही अपुन से बात करेंगी तो अपुन उन्हें क्या जवाब देगा? मतलब कि उनके सवालों के अपुन को क्या जवाब देने चाहिए लौड़ा?

सारे रास्ते अपुन सोच विचार करता रहा और फिर करीब पंद्रह मिनट में अपुन कंपनी पहुंच गया। कंपनी के गेट के पास पहुंच कर अपुन ने उन्हें कॉल कर के बताया कि अपुन गेट पर है इस लिए वो जल्दी आएं।

बेटीचोद, एकदम से धड़कनें बढ़ गईली थी अपुन की। बार बार यही खयाल आ रेला था कि साक्षी दी अपुन से क्या बात करेंगी और किस लहजे में बात करेंगी? खैर पांच मिनट बाद ही वो अपुन को आती नजर आईं।

थोड़ी ही देर में वो अपुन के पास पहुंच गईं और दूसरी तरफ का दरवाजा खोल कर कार में अपुन के बगल से बैठ गईं। अपुन ने थोड़ा डरते डरते ध्यान से उनके चेहरे को देखा। लौड़ा, कुछ समझ न आया कि इस वक्त उनके अंदर क्या चल रेला है।

साक्षी दी (सपाट लहजे में) ─ चलो।

अपुन ने बिना उनसे कोई बात किए कार स्टार्ट किया और यू टर्न ले कर घर की तरफ चल पड़ा। अपुन की धड़कनें बढ़ी हुईं थी और अपुन खामोशी से कार ड्राइव कर रेला था। अपुन चाहता था कि साक्षी दी खुद ही बात करना शुरू करें। इस लिए अपुन बार बार उम्मीद भरी नजर से उनकी तरफ देख लेता था। उधर साक्षी दी के चेहरे पर कोई भाव ही नहीं थे लौड़ा।

कार के अंदर छाई खामोशी बहुत अजीब लग रेली थी बेटीचोद लेकिन क्या कर सकता था अपुन। करीब दस मिनट बाद एकाएक अपुन दी की आवाज से चौंका। उन्होंने अपुन को आगे से लेफ्ट साइड कार मोड़ने को कहा। अपुन ने कहा तो कुछ नहीं लेकिन मन ही मन सोचने लगा कि लेफ्ट साइड कार को मोड़ने का क्यों बोलीं हैं वो? मतलब कि अगर उन्हें घर ही जाना है तो सीधा ही जाना चाहिए न, फिर लेफ्ट साइड मुड़ने का क्या मतलब है?

लेफ्ट साइड जो रास्ता जाता था वो सिटी से बाहर वाला था। उसके करीब पांच किलो मीटर पर एक तरफ जंगल था और दूसरी तरफ पहाड़, बाकी रास्ता सुनसान था। अचानक अपुन के दिमाग की बत्ती जली। अपुन को समझ आ गयला था कि दी ने अपुन को इस तरफ कार मोड़ने को क्यों बोला था। यानि इस तरफ सुनसान जगह पर वो अपुन को ले जा कर शायद उस बारे में बात करना चाहती थीं।

खैर अपुन ने लेफ्ट साइड कार को मोड़ दिया और खामोशी से कार ड्राइव करता रहा। साक्षी दी फिर से खामोश हो गईं लेकिन इस बार उनके चेहरे पर अपुन ने सोचो के भाव देखे। मतलब कि अब शायद वो भी गहराई से सोचने लगीं थी कि अपुन से वो क्या बात करेंगी?

कुछ देर बाद अपुन ने साक्षी दी के कहने पर ही कार को सड़क से उतार कर जंगल की तरफ मोड़ दिया। अपुन अब ये सोचने लगा कि सिर्फ उस बारे में बात करने के लिए उन्होंने अपुन को इतना दूर आने को क्यों कहा या ये कहें कि ऐसी जगह पर लाने का क्या मतलब था? अगर उन्हें उसी बारे में अपुन से बात करनी थी तो वो कार के अंदर कहीं भी कर सकती थीं। खैर अपन लोग जंगल के थोड़ा ही अंदर आए थे कि साक्षी दी ने कार रोक देने को कहा।

अपुन ने कार रोक दी और एकाएक फिर से बढ़ चली अपनी धड़कनों को काबू करने का प्रयास करने लगा। मन में तरह तरह के विचार उभरने लग ग‌एले थे बेटीचोद।

कार के रुकते ही साक्षी दी ने अपनी तरफ का दरवाजा खोला और नीचे उतर गईं। फिर अपुन को भी नीचे उतर आने का इशारा किया तो अपुन भी धड़कते दिल के साथ उतर आया। फिर आगे से घूम कर थोड़ा उनके पास आ कर खड़ा हो गया। साक्षी दी के चेहरे पर गंभीरता के भाव उभर आएले थे।

साक्षी दी ─ पता है मैं यहां क्यों लाई हूं तुझे?

अपुन ─ आप बताओ, अपु...आई मीन मुझे कैसे पता होगा भला?

साक्षी दी ─ आज से पहले मुझे यही लगता था कि तू बस मुझे खुश करने के लिए ही मेरी तारीफें करता रहता है लेकिन आज कंपनी में तूने जो बोला उसने मुझे अंदर तक हिला दिया था। मैं सोच भी नहीं सकती थी कि जिस भाई को मैं इतना प्यार और स्नेह करती हूं वो मेरे बारे में ऐसा सोचता है।

अपुन के अंदर डर और घबराहट तो थी लौड़ा लेकिन उनकी ये बात सुन कर अपुन ने सोचा कि देखते हैं साक्षी दी आखिर क्या सोचती हैं और अपुन को क्या क्या बोलती हैं? इस लिए अपुन ने इस बार बिना किसी डर के बेझिझक कहा।

अपुन ─ तो क्या गलत सोचता हूं दी? मतलब कि आपके लिए मेरे दिल में जैसी फीलिंग्स हैं वही तो बताया था मैंने आपसे।

साक्षी दी ─ हां पर तुझे ये भी तो सोचना चाहिए था न भाई कि ऐसी फीलिंग्स एक भाई अपनी बहन के लिए नहीं रख सकता।

अपुन ─ जानता हूं दी लेकिन अब दिल पर भला किसका जोर चलता है। वैसे भी दिल कहां ये सोचता है कि जिसके बारे में वो अपने अंदर ऐसी फीलिंग्स रख रहा है वो रिश्ते में उसकी क्या लगती है।

साक्षी दी अपुन की ये बात सुन कर एकदम वैसे ही परेशान नजर आने लगीं जैसे कंपनी में हुईं थी। कुछ पलों तक वो बेचैनी और परेशानी से अपुन को देखती रहीं फिर बोलीं।

साक्षी दी ─ ये गलत है मेरे भाई। तू नासमझ नहीं है कि तुझे सही गलत का ज्ञान दिया जाए। तू अच्छी तरह जानता है कि भाई बहन के बीच इस तरह की फीलिंग्स होना कितना गलत है। देख, मैंने हमेशा तुझ पर नाज किया है और दिव्या विधी से ज़्यादा तुझे प्यार और स्नेह किया है। मैं चाहती हूं कि तू पढ़ाई कंप्लीट कर के डैड का बिज़नेस सम्हाले।

अपुन ─ ये सब तो मैं करूंगा ही दी लेकिन आपके लिए जो फीलिंग्स मेरे दिल में हैं उन्हें निकालना मेरे बस में नहीं है।

साक्षी दी ─ देख मेरे भाई, मैं नहीं चाहती कि तेरी इस बात के चलते हमारे बीच कोई प्रॉब्लम पैदा हो जाए। मैं नहीं चाहती कि मॉम डैड को मुझे इस बारे में बताना पड़े और वो तुझ पर गुस्सा करें। इस लिए तुझे समझा रही हूं कि जितना जल्दी हो सके तू अपने अंदर से ऐसी फीलिंग्स को खत्म कर दे। ये अच्छी बात नहीं है मेरे भाई। समझने की कोशिश कर।

अपुन समझ गया कि साक्षी दी इस वक्त अपुन से उस बात के चलते गुस्सा नहीं हैं। जिस तरह वो अपुन को समझा रेली थीं उससे तो अपुन को यही लग रेला था। अपुन ने ये भी सोचा कि अगर अपुन थोड़ा और जिद्द करे तो शायद बात बन जाएगी लौड़ा। ये सोच कर अपुन ने कहा।

अपुन ─ कोशिश कर चुका हूं दी लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। बोले तो ऐसा लगता है जैसे अपु...मतलब कि मेरे दिल में आपके लिए ये जो फीलिंग्स हैं वो सच्ची हैं। आई थिंक...आई एम इन लव विद यू।

साक्षी दी आश्चर्य से अपुन को आँखें फाड़ के देखने लगीं। फिर एकदम से उनके चेहरे पर सीरियस भाव उभर आए।

साक्षी दी ─ नहीं नहीं, तू ऐसा नहीं कर सकता भाई। प्लीज इसे यहीं पर स्टॉप कर दे। तुझे अंदाजा भी नहीं है कि इसका कितना भयानक रिजल्ट निकलेगा।

अपुन ─ काश! मेरे दिल को इसके रिजल्ट की परवाह होती। ये तो जैसे हर अंजाम से बेफिक्र हो के बैठ गया है।

साक्षी दी ─ देख मेरे भाई तू प्लीज समझने की कोशिश कर। मैं तेरी बड़ी बहन हूं और बहन के साथ इस तरह का लव करना बिल्कुल भी ठीक नहीं होता। हमारे समाज में इसे बहुत ही गलत माना जाता है।

अपुन ─ मोहब्बत सही गलत ही तो नहीं देखती दी। शायद यही वजह है कि मेरा दिल आपसे प्यार कर बैठा है। मुझे भी पता है कि ये गलत है लेकिन दिल के हाथों मजबूर हूं। आप भले ही मेरे प्यार को एक्सेप्ट न करो लेकिन मेरे दिल से ये प्यार वाली फीलिंग्स नहीं जाएंगी।

साक्षी दी अब बहुत ज्यादा चिंतित और परेशान दिखने लगीं थी। इधर अपुन भी ये बात समझ रेला था कि वो अपुन से बहुत प्यार और स्नेह करती हैं और चाहती हैं कि अपुन पर कोई संकट न आए इस लिए वो अपुन को इस तरह ठंडे दिमाग से समझा रेली थीं। दूसरी तरफ अपुन था जो उनकी नरमी का फायदा उठा रेला था।

वैसे सच तो यही था कि अपुन को साक्षी दी दुनिया की सबसे हसीन लड़की लगती थीं और उनके प्रति अपुन के दिल में सॉफ्ट फीलिंग्स थीं लेकिन वैसी नहीं जैसे कि किसी प्रेमी, पागल या आशिक वाली होती हैं। हो सकता है कि दी के प्रति ये अपुन का सिर्फ आकर्षण ही हो पर था तो सही।

अपुन ─ आप टेंशन मत लो दी। आपका काम था समझाना लेकिन अब इसका क्या किया जाए कि मेरा दिल कुछ समझना ही नहीं चाहता।

साक्षी दी ─ क्यों मुझे सख्त कदम उठाने पर मजबूर कर रहा है भाई? क्यों तू कुछ समझना नहीं चाहता? क्या तू सच में चाहता है कि तेरी इस फिलिंग की वजह से हमारे हंसते खेलते संसार में कोई भारी मुसीबत आ जाए?

अपुन ─ आप बहुत दूर का सोच रही हैं दी जबकि मैं ऐसा कुछ भी नहीं चाहता। हां ये सच है कि मेरी फीलिंग्स रियल हैं और मैं चाहता हूं कि आप इसे एक्सेप्ट करें लेकिन अगर आप इसे एक्सेप्ट नहीं करेंगी तो इसके लिए आपको मैं कभी मजबूर नहीं करूंगा। फीलिंग्स ही तो हैं न, मेरे दिल के किसी कोने में मौजूद रहेंगी, क्या फर्क पड़ता है? मतलब कि जब इस बारे में किसी को कुछ पता ही नहीं चलेगा तो कोई मुसीबत कैसे आएगी भला?

साक्षी दी अपुन को बड़े ध्यान से देख रेली थीं। उनके चेहरे पर अभी भी परेशानी, चिंता और बेचैनी के भाव थे।

साक्षी दी ─ नहीं भाई, ये ठीक नहीं है। मैं चाहती हूं कि तू अपने अंदर से ऐसी फीलिंग्स को जड़ से ही मिटा दे और पूरी तरह मेरा भाई बन जा।

अपुन ─ भाई तो कुदरत ने ही बना के भेजा है दी तो आपका भाई ही रहूंगा न।

साक्षी दी ─ हां लेकिन यहां तू मेरा आशिक भी बनने की कोशिश कर रहा है, उसका क्या? नहीं प्यारे भाई, मुझे तेरा ये रूप मंजूर नहीं है। मैं चाहती हूं कि तू अपने दिल से ये बेमतलब की फीलिंग्स जड़ से मिटा दे और सिर्फ मेरा प्यारा भाई बना रह। इसी में हम सबका भला है और इसी में सबकी खुशी भी है।

अपुन ─ छोड़ो दी, जो हो ही नहीं सकता वो कैसे कर सकता हूं मैं? चलिए घर चलते हैं अब।

साक्षी दी ─ नहीं, अभी मेरी बात खत्म नहीं हुई है।

अपुन ─ इस बारे में आपका बात करना या मुझे समझाना बेकार है दी। तो बेहतर यही है कि घर चला जाए।

साक्षी दी बहुत ज्यादा चिंतित और परेशान नजर आ रेली थीं। बेचैनी और कशमकश में घिरी वो अपुन को देखती रहीं, फिर बिना कुछ कहे कार का दरवाजा खोल कर सीट पर बैठ गईं। अपुन भी मन ही मन मुस्कुराते हुए आ आकर ड्राइविंग सीट पर बैठ गया।

बोले तो इतनी सारी बातों के बाद अपुन एक बात समझ गयला था कि साक्षी दी अपुन की फीलिंग्स वाली बात घर में किसी को बताएंगी नहीं क्योंकि वो बता ही चुकी थीं कि वो अपुन को किसी मुसीबत में पड़ गया नहीं देखना चाहती थीं। यही वजह थी कि उन्होंने अपुन से ऐसे बात की थी। अब अपुन ने सोच लिया था कि उनकी नरमी का अपुन को कैसे फायदा उठाना था।

कार स्टार्ट कर के अपन लोग वापस चल दिए वहां से। इस बार कार के अंदर ऐसी खामोशी छाई कि घर पहुंचने तक वो खामोशी कायम रही। यानि पूरे रास्ते न दी ने कोई बात की थी और न ही अपुन ने।

अपुन तो लौड़ा सारे रास्ते यही सोचते आया था कि आगे अपुन ऐसा क्या करे कि दुनिया की सबसे हसीन लड़की यानि कि अपुन की दी अपुन की झोली में आ गिरे? खैर घर पहुंच कर जब कार रुकी तो दी चुपचाप उतर कर मेन गेट की तरफ बढ़ गईं और इधर अपुन कार को गैरेज में खड़ी करने लगा।

~~~~~~

अभी अपुन गैरेज में कार लगा कर मेन गेट की तरफ चला ही था कि अपुन को ऐसा फील हुआ जैसे अपुन के पेंट में पड़ा मोबाइल वाइब्रेट कर रेला है। अपुन ने मोबाइल निकाल कर उसकी स्क्रीन पर फ्लैश कर रहे नाम और नंबर को देखा।

कॉल अमित की सौतेली बहन अनुष्का का था। अपुन सोचने लगा कि ये लौड़ी क्यों कॉल कर रेली है अपुन को? अगले ही पल अपुन को याद आया कि इसने अपुन को एक्स्ट्रा क्लास के लिए शाम को अपने घर आने को बोला था।

अपुन सोचने लगा कि इसका कॉल पिक करे या नहीं? बोले तो इसके बारे में भी अपुन के मन में बहुत कुछ था लेकिन ये साक्षी दी की बेस्ट फ्रेंड भी थी इस लिए अपुन थोड़ा डरता भी था कि कहीं कुछ गड़बड़ न हो जाए। फिर अपुन ने सोचा कि बिना कुछ किए थोड़े न गड़बड़ होगी, यानि गड़बड़ होने के लिए कुछ करना जरूरी है।

अपुन ─ हेलो।

अनुष्का ─ ओह! थैंक गॉड तुमने कॉल उठा लिया। यूं नो, ये पांचवीं बार कॉल किया है मैंने तुम्हें।

अपुन ─ मोबाइल साइलेंट में था इस लिए कॉल आने का पता नहीं चला अपुन को। एनीवे, किस लिए कॉल किया है आपने अपुन को?

अनुष्का ─ दस मिनट में मेरे घर पहुंचो।

अपुन ─ क्यों?

अनुष्का ─ यहां आओ, सब पता चल जाएगा।

अपुन सोचने लगा कि लौड़ी सस्पेंस क्रिएट कर रेली है और तो और हुकुम ऐसे दे रेली है जैसे अपुन उसका गुलाम हो, हट लौड़ी।

अपुन ─ टाइम नहीं है अपुन के पास।

बोले तो इस तरह उसके द्वारा हुकुम देने पर अपुन की झांठें सुलग गईंली थी इस लिए अपुन ने टाइम नहीं है बोला और उसकी कोई बात सुने बिना ही कॉल डिस्कनेक्ट कर दिया लौड़ा।

कॉल कट कर के अपुन मोबाइल को जेब में डालने ही लगा था कि लौड़ा फिर से वाइब्रेट होने लगा बेटीचोद। अपुन ने एक नज़र स्क्रीन में फ्लैश हो रहे अनुष्का के नाम को देखा और फिर वैसे ही जेब में डाल दिया मोबाइल को। उसके बाद अपुन मस्त चाल में मेन गेट की तरफ बढ़ चला।

थोड़ी ही देर में अपुन सेकंड फ्लोर पर मौजूद अपने रूम पहुंच गया। फिर कपड़े उतार कर अपुन बाथरूम में घुस गया। फ्रेश होने के बाद अपुन ने दूसरे कपड़े पहने और मोबाइल ले कर बेड पर लेट गया।

अभी मोबाइल का लॉक ओपन ही किया था कि अनुष्का का कॉल फिर से आने लगा लौड़ा। ये देख अपुन का दिमाग खराब हो गया बेटीचोद। अपुन सोचने लगा कि अब इसकी चूत में इतनी खुजली क्यों हो रेली है? खैर अपुन ने ये सोच कर कॉल पिक कर लेने का सोच कि लौड़ी बार बार कॉल कर के अपुन को इरिटेट करेगी।

अपुन ─ बोला न टाइम नहीं है अपुन के पास।

अनुष्का ─ हद है भाई, अपनी उस गलती के लिए तुमसे कितनी बार माफी मांग चुकी हूं फिर भी तुम्हारी नाराजगी नहीं जा रही?

अपुन ─ अपुन ऐसा ही है। अपुन की नाराजगी इतना जल्दी नहीं जाती।

अनुष्का ─ ओके तो बताओ तुम्हारी नाराजगी दूर करने के लिए अब क्या करूं मैं? वैसे एक्स्ट्रा क्लास देने के लिए अपने घर बुला तो रही हूं तो क्यों नहीं आ रहे तुम?

अपुन ─ क्योंकि अपुन को एक्स्ट्रा क्लास लेने की जरूरत ही नहीं है।

अनुष्का ─ तो फिर बताओ और क्या करूं मैं?

उसकी ये बात सुन कर अपुन के मन में एक ही बात आई लौड़ा। बोले तो अपुन के अंदर चीख चीख के आवाज आने लगी कि बोल दे....अपनी चूत दे दे। पर अपुन अच्छी तरह जानता था कि अगर अपुन ने ऐसा बोला तो अपुन की गाड़ तोड़ पेलाई होने में ज्यादा टाइम नहीं लगेगा। मादरचोद, कुछ समझ नहीं आ रेला था कि क्या बोले अपुन? तभी अनुष्का की आवाज अपुन के कान में पड़ी।

अनुष्का ─ क्या हुआ चुप क्यों हो गए? बताओ न तुम्हारी नाराजगी दूर करने के लिए क्या करूं मैं?

अपुन ─ बोल तो ऐसे रही हो आप जैसे अगर अपुन बताएगा तो आप कर ही दोगी।

अनुष्का ─ अरे! तुम बोलो तो भाई। तुम साक्षी के प्यारे भाई हो तो मेरे भी प्यारे भाई ही हो। तुम जो बोलोगे करूंगी मैं।

बेटीचोद यही तो प्रॉब्लम थी। बोले तो प्यारे भाई ही तो नहीं बोलना था अपुन को। साधना को चोदने के बाद भला अब वो अपुन की बहन कैसे हो सकती थी? खैर अपुन सोचने लगा कि क्या जवाब दे उसे, या ऐसा क्या करने को बोले जिसे वो झट से करने के लिए तैयार हो जाए? दूसरी तरफ अपुन की ये सोच के भी फट रेली थी कि अगर अपुन ने अपने मन की बात उसे बोली तो कहीं वो गुस्सा न हो जाए या साक्षी दी को न बता दे। अगर ऐसा हुआ तो समझ ही सकते हो कि कितना बड़ा कांड हो जाना था लौड़ा।

अपुन ─ कुछ ऐसा करने का सोचो जिसके बाद अपुन आपके घर आने के लिए मजबूर हो जाए।

अनुष्का ─ अरे! ये क्या बात हुई भाई? मैं तुझसे पूछ रही हूं और तू ऐसे बोल रहा है?

अपुन ─ आपने ही बोला है कि अपुन की नाराजगी दूर करने के लिए कुछ भी करोगी तो अब करो।

अनुष्का ─ अरे! मैं तो तब करूं न जब तुम बताओ कि क्या करूं मैं?

अपुन ─ ना, अपुन अपनी तरफ से कुछ करने को नहीं बोलेगा। ये आप सोचो कि आपको ऐसा क्या करना चाहिए जिसकी वजह से अपुन आपके पास आने को एकदम मजबूर ही हो जाए।

अनुष्का शायद सोच में पड़ गईली थी, इसी लिए फौरन उसकी कोई आवाज नहीं आई थी। इधर अपुन भी धड़कते दिल से सोचने लगा कि अब क्या करेगी वो लौड़ी? ये भी सोचने लगा कि कहीं कुछ गलत न सोच बैठे? हालांकि गलत सोचने का सवाल तो तब पैदा होता जब अपुन ने कुछ गलत बोला होता।

अनुष्का ─ भाई मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा। प्लीज तुम ही बताओ न कि क्या करूं मैं?

अपुन का जी तो किया कि खुल के बोल दे कि अपुन के लिए अपनी चूत खोल के रख दे पर लौड़ा ऐसा बोल देने का मतलब था बड़ी भयानक आफत को अपने ऊपर गिरा लेना।

अपुन ─ अपुन कुछ नहीं बताएगा। आप खुद सोचो। अच्छा अब रखता है अपुन। जब सोच लेना तभी कॉल करना अपुन को, गुड लुक।

अभी अपुन ने कॉल कट कर के मोबाइल एक तरफ रखा ही था कि तभी अपुन के रूम का दरवाजा खुला और विधी अंदर दाखिल हुई। उसने ऊपर एक टी शर्ट पहन रखी थी और नीचे ढीला सा सलवार। टी शर्ट में उसके सीने के उभार साफ दिख रेले थे।

विधी को आया देख अपुन सोचने लगा कि अब ये लौड़ी किस लिए आई है अपुन के रूम में? बोले तो जरूर अपुन से बात करने या सुलह करने आई होगी। अपुन ने सोच लिया कि अपुन उसे कोई भाव नहीं देगा। इस लिए उसे एक नज़र देखा और वापस मोबाइल उठा कर उसमें अपनी नजरें जमा दी।

विधी ने जब देखा कि अपुन ने उसे फिर से इग्नोर कर दिया है तो उसके चेहरे पर मायूसी के भाव तो उभरे ही लेकिन इस बार उसे दुख भी हुआ। अगले ही पल उसने पलट कर रूम का दरवाजा बंद किया और फिर एकदम से भागते हुए बेड पर अपुन के पास आई। अपुन मोबाइल में जरूर देख रेला था लेकिन अपुन का ध्यान उसकी तरफ ही था लौड़ा।

अपुन के पास आते ही वो बिना कुछ बोले बेड पर चढ़ी और फिर एकदम से अपुन के ऊपर ही, मतलब कि पेट में ही बैठ गई। अपुन उसकी इस हरकत से बौखला ही गया लौड़ा। इससे पहले कि अपुन कुछ कर पाता वो एकदम से झुकी और दोनों हाथों से अपुन का चेहरा पकड़ कर अपुन के होठों पर अपने होठों को रख दिया।

बेटीचोद, अपुन तो उसकी इस हरकत से शॉक ही हो गया। उधर उसने पहले तो अपुन के होठों को हल्के से चूमा और फिर अपुन के निचले होठ को मुंह में ले कर चूसना शुरू कर दिया। अगले ही पल अपुन के पूरे जिस्म में एक अलग ही तरह की झुरझुरी दौड़ती हुई चली गई लौड़ा।

इससे पहले कि अपुन एक अलग ही दुनिया में खो जाता अपुन को एकदम से खयाल आया कि अपुन को इसने इसी बात पर गुस्सा हो के थप्पड़ मारा था। इस लिए फ़ौरन ही अपुन ने उसे ताकत लगा कर अपने से दूर कर दिया। इतना ही नहीं उसे अपने ऊपर से भी धकेल दिया, उसके बाद अपुन बेड से उतर कर खड़ा हो गया और फिर गुस्सा दिखाते हुए बोला।

अपुन ─ ये क्या बेहूदगी है? शर्म नहीं आती तुझे अपने भाई के साथ ऐसा करने में?

विधी अपुन की गुस्से में कही गई इस बात को सुन कर एकदम से सुबकने लगी। उसके सुबकने की आवाज पूरे कमरे में गूंजने लगी। उसके अचानक से यूं रो पड़ने पर अपुन को एकदम से झटका लगा। बोले तो अपुन ने तो झूठ मूठ का ही गुस्सा हुआ था लेकिन जब वो अपुन की उम्मीद के विपरीत सुबकने ही लगी तो अपुन एकदम से घबरा ही गया लौड़ा। घबरा इस लिए गया क्योंकि अगर किसी को उसके रोने का सीन पता चल गया तो इससे कई सवाल ऐसे खड़े हो जाते जिनका जवाब देते न बनता बेटीचोद।

अपुन ने देखा विधी कि आंखों से आंसुओं की मोटी मोटी धार बह रेली थी। मतलब कि वो सच में अपुन के गुस्सा होने पर और ऐसा बोलने पर दुखी हो गईली थी। और शायद उसे ये भी एहसास हो चुका था कि उसने बेवजह ही अपुन को गुस्सा हो के थप्पड़ मारा था। खैर मामला थोड़ा सीरियस हो गयला था लेकिन अपुन इतना जल्दी पिघल जाने वाला नहीं था लौड़ा। बोले तो थोड़ा भाव खाने का था अपुन को।

अपुन ─ अब ये क्या नाटक है?

विधी ─ प्लीज माफ कर दे भाई। आज के बाद कभी तुझ पर गुस्सा नहीं करूंगी और न ही कभी तुझे थप्पड़ मारूंगी।

अपुन ─ ऐसा तो तब करेगी न तू जब अपुन वैसा काम करेगा। अपुन ने सोच लिया है कि अपुन तेरे से कोई मतलब ही नहीं रखेगा। तू जा यहां से।

विधी रोते हुए ही झट से बेड से नीचे उतरी और फिर अपुन के पास आ कर रोते हुए बोली।

विधी ─ बस एक बार माफ कर दे प्लीज। आगे से कभी ऐसा नहीं करूंगी और....और तुझे किस करने से भी नहीं रोकूंगी। प्लीज इस बार माफ कर दे भाई। मैं तो तेरी जान हूं ना?

अपुन ─ तू भी तो अपुन को अपनी जान बोलती थी ना। तभी अपनी जान को इतना जोर से थप्पड़ मारा था न तूने।

विधी ─ वो...वो मैंने गलती से तुझे थप्पड़ मार दिया था। मैं अपनी गलती एक्सेप्ट करती हूं। उस वक्त मुझे लगा था कि तू वो गलत करने लगा था इस लिए मैं घबरा गई थी और फिर गुस्सा हो कर तुझे थप्पड़ मार दिया था। बाद में जब मैंने हमारे न्यू रिलेशन के बारे में सोचा तो मुझे रियलाइज हुआ कि मुझे थप्पड़ नहीं मारना चाहिए था तुझे। प्लीज भाई, मेरी लास्ट मिस्टेक समझ कर माफ कर दे मुझे। अब से मैं तुझे किसी चीज़ के लिए नहीं रोकूंगी।

जिस तरह से वो दुखी मन से अपुन से माफियां मांग रेली थी उसे देख अपुन को एकदम से ये सोच के ग्लानि होने लगी कि एक तो अपुन ने खुद गलत किएला था ऊपर से खुद ही उसे इस तरह से रुला रेला है। क्या अपनी चाहतों और अपनी हवस के चलते अपुन ये ठीक कर रेला है? बेटीचोद, एकदम से दिमाग खराब हो गया अपुन का। खुद पर बहुत ज्यादा गुस्सा आया।

अपुन ने झपट कर उसे अपने सीने से लगा लिया। जैसे ही उसे अपुन ने सीने से लगाया तो वो अपुन को जकड़ कर फिर से रोने लगी। उसका यूं रोना अपुन का कलेजा हिलाए जा रेला था लौड़ा।

अपुन ─ प्लीज मत रो यार। तेरी कोई ग़लती नहीं थी। सब अपुन की ही गलती थी।

विधी ─ नहीं मेरी गलती थी। मुझे अपनी जान को थप्पड़ नहीं मारना चाहिए था।

अपुन उसकी बात सुन कर एक बार फिर से ये सोच के हिल गया कि वो अब भी अपनी ही गलती मार रेली है। ज़ाहिर है इससे ये पता चलता है कि वो अपुन से कितना प्यार करती है। खैर अपुन की कोशिश से कुछ ही देर में वो नॉर्मल हो गई।

अपुन ने उसे खुद से अलग कर उसके आंसू पोछे। वो मासूम सी शक्ल बनाए बस अपुन को ही देखे जा रेली थी। इतने में ही उसका चेहरा सुर्ख पड़ गयला था। अपुन का जी चाहा कि उसका सारा दुख ले ले और उसे दुनिया भर की खुशियां दे दे।

विधी ─ चल अब अपनी गर्ल फ्रेंड को किस कर न भाई।

अपुन ─ नहीं यार, ये ठीक नहीं है। अपन लोग को ये नहीं भूलना चाहिए कि अपन लोग को ऊपर वाले ने भाई बहन बना के पैदा किएला है। उस टाइम अपुन का तुझे उस तरह से किस करना सच में गलत था।

विधी अपुन की ये बात सुन के मायूस सी हो गई। शायद वो ये सोच बैठी थी कि अपुन अभी भी उससे नाराज है।

विधी ─ इसका मतलब तूने मुझे पूरी तरह माफ नहीं किया भाई?

अपुन ─ अरे! माफ़ करने की बात तो तब पैदा होती है जब तूने कोई गलती की हो।

विधी ─ तो फिर अपनी गर्ल फ्रेंड को किस क्यों नहीं करता तू? देख, मैं खुद बोल रही हूं न तो किस कर न मुझे....प्लीज।

अपुन को समझ न आया कि अब क्या करे? बोले तो इस वक्त अपुन के मन में सही गलत वाले खयाल आ रेले थे। इस वक्त अपुन के मन में कोई गलत खयाल नहीं थे वरना इतना हसीन मौका अपुन बिल्कुल भी नहीं छोड़ता।

विधी ─ क्या हुआ? क्या सोच रहा है भाई? प्लीज अपनी गर्ल फ्रेंड को किस कर न। मेरा भी मन कर रहा है कि मैं अपने बॉय फ्रेंड को किस करूं।

सच तो ये था लौड़ा कि उसकी बात सुन कर अब अपुन का दिमाग खराब होने लग गयला था। एक बार फिर से अपुन के मन में गलत खयाल आने लग गएले थे। सही गलत वाली सोच जैसे मां चुदाने को बेताब होने लग गईली थी। अपुन सोचने लगा कि जब वो खुद ही ऐसा करने को बोल रेली है तो अपुन को भी अब सही गलत नहीं सोचना चाहिए बेटीचोद।

To be continued...



Aaj ke liye itna hi bhai log,
Read and enjoy:declare:
Nice update....
 

Iron Man

Try and fail. But never give up trying
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Update ~ 04
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जिस तरह वो खुश हो गईली थी और जिस तरह उतावली हो रेली थी उससे अपुन को लगा लौड़ी पगला तो नहीं गई? पर ख़ैर अपुन ने कॉल डिस्कनेक्ट किया और बेड से उठ कर कपड़े बदलने लगा।

मन में यही चल रेला था कि जब अपुन उसके घर पहुंचेगा और उसके सामने होगा तब वो क्या करेगी? ख़ैर ये तो अब जाने के बाद ही पता चलना था। अपुन फटाफट तैयार हुआ और बाइक की चाबी ले कर कमरे से निकल लिया। मन में खुशी के लड्डू फूटने से अपुन रोक नहीं पा रेला था लौड़ा।



अब आगे....


उस वक्त दोपहर के दो बज रेले थे जब अपुन अमित के घर पहुंचा। वैसे तो अपुन के मन में थोड़ा डर था लेकिन सोच लिया था कि अब जो होगा देखा जाएगा लौड़ा।

अपुन ने दरवाजे को खटखटाने के लिए हाथ रखा ही था कि तभी दरवाजा खुल गया। अपुन के सामने दरवाजे के बीचों बीच साधना दी खड़ी नजर आईं। अपुन पर नजर पड़ते ही उनका चेहरा खुशी से खिल उठा।

साधना दी─ ओह! विराट तुम सच में आ गए। मैं बता नहीं सकती कि तुम्हें फिर से देख कितना खुश हो गई हूं मैं। प्लीज अंदर आओ न।

अपुन चुपचाप अंदर दाखिल हुआ तो उन्होंने झट से दरवाजा बंद कर दिया। इधर अपुन की धड़कनें ट्रेन के इंजन के माफ़िक तेज़ हो गईलीं थी। मन में यही चलने लगा था कि अब क्या होगा, क्या नहीं होगा?

अपुन ड्राइंग रूम में पहुंचा ही था साधना दी भाग के आईं और एकदम से अपुन के गले लग गईं। अपुन तो अचानक हुई इस हरकत से थर्रा ही गया लौड़ा पर बोला कुछ नहीं और न ही उन्हें खुद से अलग किया।

साधना दी─ प्लीज, अब कभी इस तरह गुस्सा मत होना। तुम जो कहोगे वो करूंगी मैं।

अपुन को तो लौड़ा समझ में ही न आया कि क्या बोले? मतलब कि सब कुछ इतना जल्दी जल्दी हो रेला था कि अपुन को कुछ सूझ ही नहीं रहा था लौड़ा। उधर साधना दी अपुन से अलग हुईं और फिर बढ़ी मोहब्बत से देखने लगीं।

साधना दी─ उफ्फ! मेरा मन कर रहा है कि मैं फिर से तुम्हारे होठों को चूमने चूसने लगूं लेकिन डरती हूं कि कहीं तुम फिर से न नाराज़ हो जाओ।

अपुन सच कह रेला है, इस टाइम वो अपुन को बहुत ही प्यारी और मासूम लग रेली थी। मन तो अपुन का भी करने लगा कि लपक के उसके होठों को मुंह में भर ले लेकिन अपुन अभी खुद को रोके रखना चाहता था।

अपुन─ हां अपने ही मन का तो करोगी आप।

साधना दी─ नहीं नहीं, मैं कुछ नहीं करूंगी। तुम्हें जो करना है कर लो।

अपुन को उनकी बात सुन के थोड़ा शॉक लगा पर मन ही मन खुश भी हुआ कि अब मजा आएगा। अपुन ने देखा वो मासूमियत से अपुन को ही देखे जा रेलीं थी। फिर एकदम से शर्मा कर उसने अपनी नजरें फेर लीं।

उनकी सांसें एकाएक ही तेज चलने लगीं थी। शायद वो यही सोच रेली थीं कि उनके कहने के बाद अब अपुन उनकी चूची दबाना शुरू कर देगा। यही सोच के शायद उनकी सांसें तेज हो गईं थी।

अपुन थोड़ा झिझकते हुए आगे बढ़ा और दोनों हाथों से उनके चेहरे को थाम लिया। असल में अपुन को डायरेक्ट उनके बूब्स पर हाथ रखने में झिझक हो रेली थी इस लिए अपुन ने उनके चेहरे को थाम कर पहले उनके होठों का रस पीने का ही सोचा।

जैसे ही अपुन ने उनके चेहरे को थामा तो उनके जिस्म में हल्का सा कंपन हुआ। वो अब अपुन की आंखों में देखने लगीं। इधर चेहरा थाम कर जैसे ही अपुन ने अपना चेहरा उनके होठों की तरफ बढ़ाया तो उनकी आँखें बंद होती चली गईं।

अगले ही पल अपुन ने उनके सॉफ्ट और मीठे होठों को पहले हल्के से चूमा फिर उनके निचले होठ को मुंह में भर लिया। लौड़ा, ऐसा करते ही अपुन के जिस्म में अलग ही सनसनी होने लगी। उस सनसनी से अपुन के अंदर जोश चढ़ा तो अपुन अब थोड़ा बेसब्र सा हो कर उनके होठों को चूसने लगा।

पहले तो वो बुत सी ही बनी खड़ी रहीं लेकिन थोड़े ही पलों में वो भी अपुन का साथ देने लगीं। बोले तो अपन दोनों ही अब एक दूसरे के होठों को चूसने लगे थे।

देखते ही देखते अपन दोनों के अंदर हवस का तूफ़ान शुरू हो गया। अपुन तो जैसे अलग ही दुनिया में पहुंच गया था लौड़ा। साधना दी के होठ मीठे भी थे और नशीले भी, तभी तो अपुन के अंदर मदहोशी छाती चली जा रेली थी।

तभी अपुन ने अपना एक हाथ नीचे खिसकाया और साधना दी के उसी राइट बूब को थाम कर दबाया जिसे पहले दबाया था। चूची दबाए जाने से साधना दी को थोड़ा झटका लगा पर इस बार उन्होंने अपुन का हाथ नहीं हटाया। इधर अपुन को उनकी चूची दबाने में काफी मज़ा महसूस हुआ तो अपुन अब जोर जोर से उनकी उस चूची को दबाना शुरू कर दिया जिससे साधना दी की सिसकियां अपुन के मुंह में ही निकल कर दबने लगीं।

एक तरफ अपुन उनकी चूची दबाने में लग गयला था तो दूसरी तरफ उनके होठ चूसने में। साधना दी अब अपुन के होठ नहीं चूम रहीं थी बल्कि आहें भर रहीं थी। उनके मुंह से सिसकियां निकल रेलीं थी। जब जब अपुन उनकी चूची को जोर से मसलता तो वो ऐंठ सी जातीं और उनके मुख से सिसकी निकल जाती।

अपुन (मदहोशी में)─ ओह! दी कितने मीठे होंठ हैं आपके। मन करता है इसी तरह चूसता रहे अपुन।

साधना दी (सिसकी ले कर)─ शश्श्श्श थ...थो...थोड़ा ध..धीरे दबाओ वि..रा..ट। द..दर्द होता है।"

साधना दी की ये बात अपुन के कान में ऐसे पहुंची जैसे बहुत दूर से आई हो। अपुन को एकदम से थोड़ा होश आया तो अपुन को भी समझ आया कि लौड़ा अपुन जोश जोश में कुछ ज़्यादा ही जोर से उनकी चूची को दबाए जा रेला है।

अपुन─ सॉरी दी।

साधना दी─ क..कोई बा...त नहीं शश्श्श्श।

अपुन को एकदम से खयाल आया कि लौड़ा अपुन तो उनकी एक ही चूची को इतनी देर से दबाए जा रेला है। ऐसा सोच अपुन ने दूसरी चूची को झट से पकड़ा और दबाना शुरू कर दिया। साधना दी बड़े जोरो से छटपटा रहीं थी। उनकी सांसें उखड़ी हुईं थी। आँखें बंद किए बस सिसकियां ले रहीं थी।

खड़े खड़े ये सब हो रेला था और साधना दी की हालत ऐसी हो गई थी कि अब वो खुद से खड़े नहीं हो पा रेलीं थी। इस लिए अपुन को ही थामे रहना पड़ रेला था। अपुन को जब लगा कि उनको ज्यादा देर तक थामे रखना मुश्किल है तो अपुन ने उन्हें खींच कर वहीं सोफे पर बैठा लिया और खुद भी बैठ गया।

अब अपन दोनों सोफे पर अगल बगल बैठे थे लेकिन जल्दी ही अपुन उनकी तरफ घूम गया और फिर से उनके होठों को चूमते हुए उनकी चूची को दबाने लगा। साधना दी फिर से मचलने लगीं और सिसकियां लेने लगीं।

साधना दी─ आअ्ह्ह्ह‌‌ शश्श्श्श वि..राट प्... प्लीज़ स...म्हालो मु..मुझे। शश्श्श्श प..पता नहीं क्या हो र...रहा है मुझे।

अपुन ने चेहरा अलग कर उनकी तरफ देखा। सच में उनकी हालत खराब दिख रेली थी। मदहोशी में डूबी थीं वो। अपुन ने पहली बार गौर किया कि इतनी देर से होठ चूसने की वजह से उनके होंठ सूझ से गए थे। चेहरा अजीब सा हो गया था। कुछ तो गरम माहौल से निकला पसीना और दूसरे अपुन दोनों का थूक।

अपुन─ दी आप ठीक तो हैं न?

अपुन की आवाज सुन साधना दी ने जैसे मुश्किल से आँखें खोली। उनकी आंखों में खुमारी छाई हुई थी।

साधना दी─ रु..रुक क्यों गए? प्लीज करो न।

अपुन─ क्या करूं दी?

साधना दी─ व..वही जो कर रहे थे।

साधना दी बहुत अजीब बर्ताव करती दिख रेली थीं। अपुन को एकदम से खयाल आया कि लौड़ा कहीं ये अपनी आखिरी स्टेज पर तो नहीं पहुंच गईली है? हां यही बात हो सकती है लौड़ा। मतलब कि अपुन को रुकना नहीं चाहिए।

बस, अपुन फिर से शुरू हो गया। उनको फिर से चूमने लगा लेकिन इस बार अपुन सिर्फ उनके होठ नहीं चूम रेला था बल्कि होठ के अलावा गाल, चेहरा, ठुड्ढी और गला भी चूमता जा रेला था। दूसरी तरफ अपुन बारी बारी से उनकी दोनों चूचियां भी दबाए जा रेला था।

साधना दी एक बार फिर से आहें भरने लगीं। उनका मचलना फिर से शुरू हो गया। तभी अपुन उनके गले को चूमते हुए थोड़ा नीचे आया। कुर्ते के डीप गले से अपुन को उनकी चूचियों के किनारे दिखे जो उभरे हुए थे और जब अपुन उन्हें दबाता तो वो और भी दिखने लगते। अपुन ने लपक कर अपने होठ उन उभारों पर रख दिए।

वाह! क्या गजब का एहसास था लौड़ा। मस्त चिकना और मुलायम लग रेला था। अपुन तो जैसे होश ही खो बैठा। उनको चूमते हुए अपुन कुर्ते के अंदर समा जाने की कोशिश करता लेकिन कुर्ते का गला एक लिमिट तक ही सरकता जिससे अपुन उनकी चूची को ठीक से चूम नहीं पा रेला था।

उधर साधना दी अपुन के सिर को अपनी चूची पर दबा रेलीं थी। शायद चूची पर चूमने चाटने से उन्हें और भी मजा मिल रेला था। अपुन ने कुछ पल सोचा और फिर एकदम से अपने दोनों हाथ नीचे ला कर उनके कुर्ते को ऊपर करता चला गया।

साधना दी को तो जैसे कुछ होश ही नहीं था। अपुन ने कुर्ते को पूरा ऊपर उठा कर उनके सीने को बेपर्दा कर दिया था। अपुन ये देख के शॉक रह गया था कि कितना खूबसूरत बदन था उनका। एकदम गोरा और चिकना। कहीं कोई दाग नहीं। चिकना सपाट पेट और बीच में गहरी नाभी। उसके ऊपर ब्लैक ब्रा में कैद उनके बूब्स। अपुन तो ये देख के ही मस्त हो गया लौड़ा।

अपुन ने आव देखा न ताव साधना दी को पकड़ कर सोफे पर लिटा दिया। उसके बाद अपुन एकदम से उनके ऊपर छा गया। सबसे पहले अपुन ने उनके चिकने सपाट पेट को जी भर के चूमा, फिर उनकी नाभी को चूमते हुए अपनी जीभ नाभी में घुसा दिया। साधना दी बुरी तरह मचल रेलीं थी। उनके दोनों हाथ अपुन के सिर पर थे और वो अपुन के बाल खींच रेलीं थी।

ड्राइंग रूम में उनकी सिसकियां गूंज रहीं थी। अपुन का भी हाल कम बेहाल नहीं था लौड़ा। अपुन का लौड़ा जींस के अंदर इतना टाइट हो गयला था कि अब उसमें दर्द शुरू हो गया था।

साधना दी─ शश्श्श्श वि..विराट तु..तुम पागल कर दोगे मुझे। आह्हह्ह् शश्श्श्श इ... इसमें इतना मजा अ..आ...ता है इस...का अं..दाजा ही नहीं था..मुझे। आह्हह्ह् ये...ये क्या हो रहा है मुझे?

साधना दी पता नहीं क्या उल्टा सीधा बोले जा रेली थी। इधर अपुन उनकी नाभी से ऊपर आया और ब्रा के ऊपर से ही एक हाथ से उनके राइट बूब को पकड़ कर हौले हौले दबाना शुरू कर दिया जबकि अपना चेहरा अपुन ने उनके दोनों बूब्स के बीच जो हल्की लकीर थी उसमें रख दिया। साधना दी फिर से मचल उठीं और अपुन के सिर को थाम कर अपनी चूची पर दबाने लगीं। अपुन ने महसूस किया कि नीचे वो अपनी कमर को बार बार उठा रेलीं थी। आँखें बंद किए वो अपने चेहरे को इधर उधर कर रेलीं थी।

अपुन─ आपके बूब्स कितने सुंदर हैं दी। मन करता है इन्हें ब्रा से निकाल कर पीना शुरू कर दूं।

साधना दी─ शश्श्श्श तो...तो पी लो न। आह्हह्ह् उफ्फ मैं...मैंने कहां मना किया है।

अपुन─ थैंक्यू दी। आप बहुत अच्छी हैं। आपने वो दिया अपुन को जो कोई भी लड़की इतना आसानी से नहीं दे सकती।

साधना दी─ म...मैंने इस लिए दिया क्योंकि मैं तुमसे प्यार करती हूं...शश्श्श्श आह्हह्ह् तु..तुम्हें किसी चीज़ के लिए म...मना नहीं कर सकती मैं।

अपुन─ थैंक्यू दी।

ये कहते हुए अपुन ने एकदम से उनकी एक चूची ब्रा के अंदर से निकाल ली और बिना देर किए उनके भूरे निप्पल को मुंह में भर लिया।

साधना दी─ उफ्फ शश्श्श्श वि...रा..ट।

उन्होंने बड़े जोर से अपुन के बालों को खींचा जिससे अपुन को दर्द हुआ मगर अपुन ने दर्द की परवाह नहीं की। साधना दी के बूब्स उन्हीं की तरह खूबसूरत थे। एकदम गोरे, चिकने और जवानी के रस से भरे हुए। अपुन निप्पल को मुंह में भर के जोर जोर से चूसे जा रेला था। उधर साधना दी अब कुछ ज़्यादा ही मचल रेली थीं। बार बार अपनी कमर उठातीं और नीचे सोफे पर जैसे पटक देतीं।

अभी अपुन उनके निप्पल को चूस ही रेला था कि तभी साधना दी बड़े जोर से ऐंठ गईं। उनकी कमर ऊपर को उठ गई और फिर एकदम से उन्हें झटके लगने लगे। उनके मुख से बड़े जोर की आहें और सिसकियां निकल रेलीं थी। कुछ देर तक वो झटके खाती रहीं और फिर एकदम से मानो शांत पड़ गईं। उनकी सांसें बुरी तरह उखड़ी हुईं थी।

अपुन समझ गया कि उनका काम तमाम हो चुका है। अपुन की इतनी चुसाई ने उनकी हालत खराब कर दी थी जिसका ये नतीजा निकला था।

उन्हें इस हालत में देख अपुन रुक गया। अपुन को एकाएक सिचुएशन का भी एहसास हुआ। अपुन ने एक नज़र उनके खुले बूब को देखा और फिर उसे वापस ब्रा में कैद कर देने का सोचा।

साधना दी ने अपुन को इतना कुछ करने दिया था इस लिए अब इससे आगे अपनी मनमानी करने का अपुन का दिल न किया। हालांकि अपुन का लौड़ा पेंट में बुरी तरह अकड़ा हुआ था और उसका शांत होना भी जरूरी था लेकिन शायद उसके लिए ये सही वक्त नहीं था।

अपुन ने देखा, साधना दी आँखें बंद किए उसी हालत में गहरी गहरी सांसें ले रेलीं थी। चेहरे पर पसीना तो था ही लेकिन अजब सुर्खी भी छाई थी। होठों पर हल्की मुस्कान थी। शायद वो कुछ सोच रेलीं थी।

अपुन को वो बहुत मासूम और प्यारी लगीं। जाने क्यों ये सोच कर अपुन को खुद पर थोड़ा गुस्सा आया कि अपनी ज़िद में अपुन ने उनके साथ क्या क्या कर दिया है।

ख़ैर, अब जो होना था वो हो ही गया था इस लिए अपुन ने उनकी खुली छाती को पहले तो झुक के प्यार से चूमा और फिर सलीके से उसे ब्रा में वापस कैद कर दिया। उसके बाद अपुन ने उनके कुर्ते को नीचे खिसका दिया।

कुछ देर बाद जब उनकी सांसें दुरुस्त हुईं तो उन्होंने आंखें खोल कर अपुन को देखा। अपुन उन्हीं को देख रेला था। जैसे ही उनकी नजर अपुन की नजर से मिली तो वो बुरी तरह शर्मा गईं। झट से दोनों हाथों से उन्होंने अपना चेहरा छुपा लिया। ये देख अपुन मुस्कुरा उठा।

अपुन─ क्या हुआ दी? इस तरह चेहरा क्यों छुपा लिया आपने?

साधना दी─ मुझे बहुत शर्म आ रही है विराट। तुमसे नजर मिलाने की हिम्मत नहीं हो रही।

अपुन─ अगर ऐसा है तो फिर अपुन चला जाता है यहां से।

अपुन की ये बात सुन कर वो झट से उठ बैठीं। चेहरे पर टेंशन और घबराहट उभर आई थी उनके।

साधना दी─ क्या फिर से नाराज़ हो गए मुझसे?

अपुन─ अरे! नाराज़ नहीं हुआ है अपुन।

साधना दी─ फिर, जाने को क्यों कह रहे हो?

अपुन─ वो इस लिए क्योंकि आपको अपुन के सामने शर्म आ रेली है और जब तक अपुन यहां रहेगा तो आपको ऐसे ही शर्म आती रहेगी। तो अच्छा यही है न कि अपुन चला जाए यहां से?

साधना दी अपुन की बात सुन के मुस्कुराने लगीं। अपुन को अचानक से समय का खयाल आया तो अपुन ने मोबाइल निकाल कर टाइम देखा। लौड़ा, चार बजने वाले थे। मतलब अपन लोग इतनी देर से मजा कर रेले थे?

अपुन ने सोचा इससे पहले कि साधना दी के पापा बैंक से आएं अपुन को निकल जाना चाहिए। फिर अपुन को याद आया कि साधना दी ने तो अब तक कुछ खाया भी नहीं है। इस लिए अपुन ने उनसे कहा कि वो खाना खा लें।

उनके जोर देने पर अपुन को थोड़ी देर और रुकना पड़ा। इस बीच अपुन ने दो तीन निवाला खुद ही उन्हें खिलाया जिससे वो बहुत खुश हो गईं। जब वो खा चुकीं तो अपुन जाने लगा।

साधना दी─ काश! ऐसा होता कि तुम हमेशा मेरे करीब रहते।

अपुन─ जो बात संभव नहीं उसके बारे में ज़्यादा सोचना नहीं चाहिए।

साधना दी (उदास हो कर)─ तुम ऐसा इस लिए कह रहे हो क्योंकि तुम्हारे दिल में मेरे प्रति लव वाली फीलिंग्स नहीं हैं। अगर होती तो क्या मेरी तरह तुम भी यही नहीं चाहते?

अपुन─ हां हो सकता है। वैसे आपके प्रति अपुन के दिल में प्यार वाली फीलिंग्स भले नहीं हैं लेकिन ऐसा भी नहीं है कि अपुन को आप अच्छी नहीं लगतीं। खैर अब चलता है अपुन। अपना खयाल रखना और हां, थैंक यूं वंस अगेन फॉर ऑल दैट। दोज मोमेंट्स विल ऑलवेज बी ब्यूटीफुल फॉर मी एंड विल बी रिमेंबर्ड। लव यू दी, यू आर सो स्वीट।

साधना दी अपुन की ये बात सुन कर फीकी सी मुस्कान से मुस्कुराई। अपन दोनों जब दरवाजे के पास आ गए तो वो एकदम से अपुन से लिपट गईं। फिर कुछ पलों में वो अलग हुईं। फिर एकदम से अपनी एड़ी उठा कर अपुन के होठों को चूमा और फिर दूर हट गईं।

साधना दी─ मुझे तुम्हारे होठ बहुत अच्छे लगते हैं। बार बार इनको किस करने का मन करता है। प्लीज हर रोज यहां आया करो न।

अपुन─ लेट्स सी। ओके बाय।

अपुन ने बाहर आ कर बाइक स्टार्ट की और फुर्र से निकल लिया। अपुन बार बार ये सोच के खुश हो रेला था कि आज पहली बार आखिर अपुन ने भी किसी लड़की के साथ मजा कर ही लिया। बोले तो पहली बार किसी लड़की के होठ चूमे। उसके बूब्स दबाए, बूब्स कै नंगा देखा और उन्हें चूसा भी। बेटीचोद, ऐसा लग रेला था जैसे अपुन हवाओं में उड़ रेला है।


To be continued...

Bhai log aaj ke liye itna hi.
Read & enjoy..
Shaandar jabardast Mast Lajwab Update 🔥 💓 🔥 💓 🔥 💓
Sadhana & Virat dono annadi hai dekhte hai kha Tak jaynge :sex: 🤣🤣
 

parkas

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कपड़े पहन कर अपुन उसके घर से चला तो उसने अपुन को जाने देने से पहले स्मूच किस किया और फिर किसी बहाने हर रोज घर आने का बोल कर उसने अपुन को बाय किया।

उसके घर से बाहर आया तो देखा मोबाइल में साक्षी दी के दो मिस कॉल पड़े थे। ये देख अपुन एकदम से टेंशन में आ गया लौड़ा।



अब आगे....


कार की ड्राइविंग सीट पर बैठ कर अपुन ने साक्षी दी की कॉल पिक की। मन में कई सारे खयालों का अंबार लगेला था लौड़ा और थोड़ा घबरा भी रेला था लेकिन बात तो करना ही था।

साक्षी दी ─ कितनी देर से तुझे कॉल कर रही हूं। फोन क्यों नहीं उठा रहा था? कहां था तू?

अपुन ने महसूस किया कि उनकी नाराजगी कॉल न उठाने की वजह से थी। मतलब कि अभी फिलहाल वो अपुन की उन बातों पर गुस्सा नहीं थीं। अपुन ने थोड़ा राहत की सांस ली फिर बोला।

अपुन ─ सॉरी दी, वो अपु...आई मीन मैं ड्राइविंग करते आउटर में काफी दूर चला गया था। उसके बाद फिर अमित के घर चला गया। एक्चुअली अमित ने बोला था कि एक बार मैं उसके घर का चक्कर लगा लूं क्योंकि साधना दी घर पर अकेली हैं।

साक्षी दी ─ ओके फाईन, तू जल्दी से कंपनी पहुंच। मैं बहुत देर से वेट कर रही हूं तेरा।

अपुन ─ ओके मैं आ रहा हूं।

कॉल कट कर के अपुन ने कार स्टार्ट की और फुल स्पीड में दौड़ा दिया उसे। अपुन सोचने लगा था कि अगर अपुन इतनी देर से साक्षी दी का कॉल नहीं उठा रेला था तो वो किसी ऑटो या टैक्सी से भी तो घर जा सकती थीं। बोले तो इतने टाइम तक अपुन के कॉल पिक करने का वेट क्यों करती रहीं?

इसका तो यही मतलब हो सकता है कि वो अपुन के साथ ही कंपनी से घर जाना चाहती थीं। अब सवाल है कि..क्यों? क्या इस लिए कि वो उन बातों के बारे में अपुन से बात करना चाह रेली थीं? अपुन को याद आया कि उन्होंने बाद में इस बारे में बात करने को बोला था। घर में इस बारे में वो खुल कर अपुन से बात नहीं कर सकतीं थी, शायद इसी लिए उन्होंने किसी ऑटो या टैक्सी से घर जाना बेहतर नहीं समझा था।

अपुन को अपना ये विचार एकदम सही लगा। मतलब कि सच में वो उसी बारे में बात करना चाहती हैं अपुन से। खैर, अपुन भी सोचने लगा कि अगर वो सच में उस बारे में ही अपुन से बात करेंगी तो अपुन उन्हें क्या जवाब देगा? मतलब कि उनके सवालों के अपुन को क्या जवाब देने चाहिए लौड़ा?

सारे रास्ते अपुन सोच विचार करता रहा और फिर करीब पंद्रह मिनट में अपुन कंपनी पहुंच गया। कंपनी के गेट के पास पहुंच कर अपुन ने उन्हें कॉल कर के बताया कि अपुन गेट पर है इस लिए वो जल्दी आएं।

बेटीचोद, एकदम से धड़कनें बढ़ गईली थी अपुन की। बार बार यही खयाल आ रेला था कि साक्षी दी अपुन से क्या बात करेंगी और किस लहजे में बात करेंगी? खैर पांच मिनट बाद ही वो अपुन को आती नजर आईं।

थोड़ी ही देर में वो अपुन के पास पहुंच गईं और दूसरी तरफ का दरवाजा खोल कर कार में अपुन के बगल से बैठ गईं। अपुन ने थोड़ा डरते डरते ध्यान से उनके चेहरे को देखा। लौड़ा, कुछ समझ न आया कि इस वक्त उनके अंदर क्या चल रेला है।

साक्षी दी (सपाट लहजे में) ─ चलो।

अपुन ने बिना उनसे कोई बात किए कार स्टार्ट किया और यू टर्न ले कर घर की तरफ चल पड़ा। अपुन की धड़कनें बढ़ी हुईं थी और अपुन खामोशी से कार ड्राइव कर रेला था। अपुन चाहता था कि साक्षी दी खुद ही बात करना शुरू करें। इस लिए अपुन बार बार उम्मीद भरी नजर से उनकी तरफ देख लेता था। उधर साक्षी दी के चेहरे पर कोई भाव ही नहीं थे लौड़ा।

कार के अंदर छाई खामोशी बहुत अजीब लग रेली थी बेटीचोद लेकिन क्या कर सकता था अपुन। करीब दस मिनट बाद एकाएक अपुन दी की आवाज से चौंका। उन्होंने अपुन को आगे से लेफ्ट साइड कार मोड़ने को कहा। अपुन ने कहा तो कुछ नहीं लेकिन मन ही मन सोचने लगा कि लेफ्ट साइड कार को मोड़ने का क्यों बोलीं हैं वो? मतलब कि अगर उन्हें घर ही जाना है तो सीधा ही जाना चाहिए न, फिर लेफ्ट साइड मुड़ने का क्या मतलब है?

लेफ्ट साइड जो रास्ता जाता था वो सिटी से बाहर वाला था। उसके करीब पांच किलो मीटर पर एक तरफ जंगल था और दूसरी तरफ पहाड़, बाकी रास्ता सुनसान था। अचानक अपुन के दिमाग की बत्ती जली। अपुन को समझ आ गयला था कि दी ने अपुन को इस तरफ कार मोड़ने को क्यों बोला था। यानि इस तरफ सुनसान जगह पर वो अपुन को ले जा कर शायद उस बारे में बात करना चाहती थीं।

खैर अपुन ने लेफ्ट साइड कार को मोड़ दिया और खामोशी से कार ड्राइव करता रहा। साक्षी दी फिर से खामोश हो गईं लेकिन इस बार उनके चेहरे पर अपुन ने सोचो के भाव देखे। मतलब कि अब शायद वो भी गहराई से सोचने लगीं थी कि अपुन से वो क्या बात करेंगी?

कुछ देर बाद अपुन ने साक्षी दी के कहने पर ही कार को सड़क से उतार कर जंगल की तरफ मोड़ दिया। अपुन अब ये सोचने लगा कि सिर्फ उस बारे में बात करने के लिए उन्होंने अपुन को इतना दूर आने को क्यों कहा या ये कहें कि ऐसी जगह पर लाने का क्या मतलब था? अगर उन्हें उसी बारे में अपुन से बात करनी थी तो वो कार के अंदर कहीं भी कर सकती थीं। खैर अपन लोग जंगल के थोड़ा ही अंदर आए थे कि साक्षी दी ने कार रोक देने को कहा।

अपुन ने कार रोक दी और एकाएक फिर से बढ़ चली अपनी धड़कनों को काबू करने का प्रयास करने लगा। मन में तरह तरह के विचार उभरने लग ग‌एले थे बेटीचोद।

कार के रुकते ही साक्षी दी ने अपनी तरफ का दरवाजा खोला और नीचे उतर गईं। फिर अपुन को भी नीचे उतर आने का इशारा किया तो अपुन भी धड़कते दिल के साथ उतर आया। फिर आगे से घूम कर थोड़ा उनके पास आ कर खड़ा हो गया। साक्षी दी के चेहरे पर गंभीरता के भाव उभर आएले थे।

साक्षी दी ─ पता है मैं यहां क्यों लाई हूं तुझे?

अपुन ─ आप बताओ, अपु...आई मीन मुझे कैसे पता होगा भला?

साक्षी दी ─ आज से पहले मुझे यही लगता था कि तू बस मुझे खुश करने के लिए ही मेरी तारीफें करता रहता है लेकिन आज कंपनी में तूने जो बोला उसने मुझे अंदर तक हिला दिया था। मैं सोच भी नहीं सकती थी कि जिस भाई को मैं इतना प्यार और स्नेह करती हूं वो मेरे बारे में ऐसा सोचता है।

अपुन के अंदर डर और घबराहट तो थी लौड़ा लेकिन उनकी ये बात सुन कर अपुन ने सोचा कि देखते हैं साक्षी दी आखिर क्या सोचती हैं और अपुन को क्या क्या बोलती हैं? इस लिए अपुन ने इस बार बिना किसी डर के बेझिझक कहा।

अपुन ─ तो क्या गलत सोचता हूं दी? मतलब कि आपके लिए मेरे दिल में जैसी फीलिंग्स हैं वही तो बताया था मैंने आपसे।

साक्षी दी ─ हां पर तुझे ये भी तो सोचना चाहिए था न भाई कि ऐसी फीलिंग्स एक भाई अपनी बहन के लिए नहीं रख सकता।

अपुन ─ जानता हूं दी लेकिन अब दिल पर भला किसका जोर चलता है। वैसे भी दिल कहां ये सोचता है कि जिसके बारे में वो अपने अंदर ऐसी फीलिंग्स रख रहा है वो रिश्ते में उसकी क्या लगती है।

साक्षी दी अपुन की ये बात सुन कर एकदम वैसे ही परेशान नजर आने लगीं जैसे कंपनी में हुईं थी। कुछ पलों तक वो बेचैनी और परेशानी से अपुन को देखती रहीं फिर बोलीं।

साक्षी दी ─ ये गलत है मेरे भाई। तू नासमझ नहीं है कि तुझे सही गलत का ज्ञान दिया जाए। तू अच्छी तरह जानता है कि भाई बहन के बीच इस तरह की फीलिंग्स होना कितना गलत है। देख, मैंने हमेशा तुझ पर नाज किया है और दिव्या विधी से ज़्यादा तुझे प्यार और स्नेह किया है। मैं चाहती हूं कि तू पढ़ाई कंप्लीट कर के डैड का बिज़नेस सम्हाले।

अपुन ─ ये सब तो मैं करूंगा ही दी लेकिन आपके लिए जो फीलिंग्स मेरे दिल में हैं उन्हें निकालना मेरे बस में नहीं है।

साक्षी दी ─ देख मेरे भाई, मैं नहीं चाहती कि तेरी इस बात के चलते हमारे बीच कोई प्रॉब्लम पैदा हो जाए। मैं नहीं चाहती कि मॉम डैड को मुझे इस बारे में बताना पड़े और वो तुझ पर गुस्सा करें। इस लिए तुझे समझा रही हूं कि जितना जल्दी हो सके तू अपने अंदर से ऐसी फीलिंग्स को खत्म कर दे। ये अच्छी बात नहीं है मेरे भाई। समझने की कोशिश कर।

अपुन समझ गया कि साक्षी दी इस वक्त अपुन से उस बात के चलते गुस्सा नहीं हैं। जिस तरह वो अपुन को समझा रेली थीं उससे तो अपुन को यही लग रेला था। अपुन ने ये भी सोचा कि अगर अपुन थोड़ा और जिद्द करे तो शायद बात बन जाएगी लौड़ा। ये सोच कर अपुन ने कहा।

अपुन ─ कोशिश कर चुका हूं दी लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। बोले तो ऐसा लगता है जैसे अपु...मतलब कि मेरे दिल में आपके लिए ये जो फीलिंग्स हैं वो सच्ची हैं। आई थिंक...आई एम इन लव विद यू।

साक्षी दी आश्चर्य से अपुन को आँखें फाड़ के देखने लगीं। फिर एकदम से उनके चेहरे पर सीरियस भाव उभर आए।

साक्षी दी ─ नहीं नहीं, तू ऐसा नहीं कर सकता भाई। प्लीज इसे यहीं पर स्टॉप कर दे। तुझे अंदाजा भी नहीं है कि इसका कितना भयानक रिजल्ट निकलेगा।

अपुन ─ काश! मेरे दिल को इसके रिजल्ट की परवाह होती। ये तो जैसे हर अंजाम से बेफिक्र हो के बैठ गया है।

साक्षी दी ─ देख मेरे भाई तू प्लीज समझने की कोशिश कर। मैं तेरी बड़ी बहन हूं और बहन के साथ इस तरह का लव करना बिल्कुल भी ठीक नहीं होता। हमारे समाज में इसे बहुत ही गलत माना जाता है।

अपुन ─ मोहब्बत सही गलत ही तो नहीं देखती दी। शायद यही वजह है कि मेरा दिल आपसे प्यार कर बैठा है। मुझे भी पता है कि ये गलत है लेकिन दिल के हाथों मजबूर हूं। आप भले ही मेरे प्यार को एक्सेप्ट न करो लेकिन मेरे दिल से ये प्यार वाली फीलिंग्स नहीं जाएंगी।

साक्षी दी अब बहुत ज्यादा चिंतित और परेशान दिखने लगीं थी। इधर अपुन भी ये बात समझ रेला था कि वो अपुन से बहुत प्यार और स्नेह करती हैं और चाहती हैं कि अपुन पर कोई संकट न आए इस लिए वो अपुन को इस तरह ठंडे दिमाग से समझा रेली थीं। दूसरी तरफ अपुन था जो उनकी नरमी का फायदा उठा रेला था।

वैसे सच तो यही था कि अपुन को साक्षी दी दुनिया की सबसे हसीन लड़की लगती थीं और उनके प्रति अपुन के दिल में सॉफ्ट फीलिंग्स थीं लेकिन वैसी नहीं जैसे कि किसी प्रेमी, पागल या आशिक वाली होती हैं। हो सकता है कि दी के प्रति ये अपुन का सिर्फ आकर्षण ही हो पर था तो सही।

अपुन ─ आप टेंशन मत लो दी। आपका काम था समझाना लेकिन अब इसका क्या किया जाए कि मेरा दिल कुछ समझना ही नहीं चाहता।

साक्षी दी ─ क्यों मुझे सख्त कदम उठाने पर मजबूर कर रहा है भाई? क्यों तू कुछ समझना नहीं चाहता? क्या तू सच में चाहता है कि तेरी इस फिलिंग की वजह से हमारे हंसते खेलते संसार में कोई भारी मुसीबत आ जाए?

अपुन ─ आप बहुत दूर का सोच रही हैं दी जबकि मैं ऐसा कुछ भी नहीं चाहता। हां ये सच है कि मेरी फीलिंग्स रियल हैं और मैं चाहता हूं कि आप इसे एक्सेप्ट करें लेकिन अगर आप इसे एक्सेप्ट नहीं करेंगी तो इसके लिए आपको मैं कभी मजबूर नहीं करूंगा। फीलिंग्स ही तो हैं न, मेरे दिल के किसी कोने में मौजूद रहेंगी, क्या फर्क पड़ता है? मतलब कि जब इस बारे में किसी को कुछ पता ही नहीं चलेगा तो कोई मुसीबत कैसे आएगी भला?

साक्षी दी अपुन को बड़े ध्यान से देख रेली थीं। उनके चेहरे पर अभी भी परेशानी, चिंता और बेचैनी के भाव थे।

साक्षी दी ─ नहीं भाई, ये ठीक नहीं है। मैं चाहती हूं कि तू अपने अंदर से ऐसी फीलिंग्स को जड़ से ही मिटा दे और पूरी तरह मेरा भाई बन जा।

अपुन ─ भाई तो कुदरत ने ही बना के भेजा है दी तो आपका भाई ही रहूंगा न।

साक्षी दी ─ हां लेकिन यहां तू मेरा आशिक भी बनने की कोशिश कर रहा है, उसका क्या? नहीं प्यारे भाई, मुझे तेरा ये रूप मंजूर नहीं है। मैं चाहती हूं कि तू अपने दिल से ये बेमतलब की फीलिंग्स जड़ से मिटा दे और सिर्फ मेरा प्यारा भाई बना रह। इसी में हम सबका भला है और इसी में सबकी खुशी भी है।

अपुन ─ छोड़ो दी, जो हो ही नहीं सकता वो कैसे कर सकता हूं मैं? चलिए घर चलते हैं अब।

साक्षी दी ─ नहीं, अभी मेरी बात खत्म नहीं हुई है।

अपुन ─ इस बारे में आपका बात करना या मुझे समझाना बेकार है दी। तो बेहतर यही है कि घर चला जाए।

साक्षी दी बहुत ज्यादा चिंतित और परेशान नजर आ रेली थीं। बेचैनी और कशमकश में घिरी वो अपुन को देखती रहीं, फिर बिना कुछ कहे कार का दरवाजा खोल कर सीट पर बैठ गईं। अपुन भी मन ही मन मुस्कुराते हुए आ आकर ड्राइविंग सीट पर बैठ गया।

बोले तो इतनी सारी बातों के बाद अपुन एक बात समझ गयला था कि साक्षी दी अपुन की फीलिंग्स वाली बात घर में किसी को बताएंगी नहीं क्योंकि वो बता ही चुकी थीं कि वो अपुन को किसी मुसीबत में पड़ गया नहीं देखना चाहती थीं। यही वजह थी कि उन्होंने अपुन से ऐसे बात की थी। अब अपुन ने सोच लिया था कि उनकी नरमी का अपुन को कैसे फायदा उठाना था।

कार स्टार्ट कर के अपन लोग वापस चल दिए वहां से। इस बार कार के अंदर ऐसी खामोशी छाई कि घर पहुंचने तक वो खामोशी कायम रही। यानि पूरे रास्ते न दी ने कोई बात की थी और न ही अपुन ने।

अपुन तो लौड़ा सारे रास्ते यही सोचते आया था कि आगे अपुन ऐसा क्या करे कि दुनिया की सबसे हसीन लड़की यानि कि अपुन की दी अपुन की झोली में आ गिरे? खैर घर पहुंच कर जब कार रुकी तो दी चुपचाप उतर कर मेन गेट की तरफ बढ़ गईं और इधर अपुन कार को गैरेज में खड़ी करने लगा।

~~~~~~

अभी अपुन गैरेज में कार लगा कर मेन गेट की तरफ चला ही था कि अपुन को ऐसा फील हुआ जैसे अपुन के पेंट में पड़ा मोबाइल वाइब्रेट कर रेला है। अपुन ने मोबाइल निकाल कर उसकी स्क्रीन पर फ्लैश कर रहे नाम और नंबर को देखा।

कॉल अमित की सौतेली बहन अनुष्का का था। अपुन सोचने लगा कि ये लौड़ी क्यों कॉल कर रेली है अपुन को? अगले ही पल अपुन को याद आया कि इसने अपुन को एक्स्ट्रा क्लास के लिए शाम को अपने घर आने को बोला था।

अपुन सोचने लगा कि इसका कॉल पिक करे या नहीं? बोले तो इसके बारे में भी अपुन के मन में बहुत कुछ था लेकिन ये साक्षी दी की बेस्ट फ्रेंड भी थी इस लिए अपुन थोड़ा डरता भी था कि कहीं कुछ गड़बड़ न हो जाए। फिर अपुन ने सोचा कि बिना कुछ किए थोड़े न गड़बड़ होगी, यानि गड़बड़ होने के लिए कुछ करना जरूरी है।

अपुन ─ हेलो।

अनुष्का ─ ओह! थैंक गॉड तुमने कॉल उठा लिया। यूं नो, ये पांचवीं बार कॉल किया है मैंने तुम्हें।

अपुन ─ मोबाइल साइलेंट में था इस लिए कॉल आने का पता नहीं चला अपुन को। एनीवे, किस लिए कॉल किया है आपने अपुन को?

अनुष्का ─ दस मिनट में मेरे घर पहुंचो।

अपुन ─ क्यों?

अनुष्का ─ यहां आओ, सब पता चल जाएगा।

अपुन सोचने लगा कि लौड़ी सस्पेंस क्रिएट कर रेली है और तो और हुकुम ऐसे दे रेली है जैसे अपुन उसका गुलाम हो, हट लौड़ी।

अपुन ─ टाइम नहीं है अपुन के पास।

बोले तो इस तरह उसके द्वारा हुकुम देने पर अपुन की झांठें सुलग गईंली थी इस लिए अपुन ने टाइम नहीं है बोला और उसकी कोई बात सुने बिना ही कॉल डिस्कनेक्ट कर दिया लौड़ा।

कॉल कट कर के अपुन मोबाइल को जेब में डालने ही लगा था कि लौड़ा फिर से वाइब्रेट होने लगा बेटीचोद। अपुन ने एक नज़र स्क्रीन में फ्लैश हो रहे अनुष्का के नाम को देखा और फिर वैसे ही जेब में डाल दिया मोबाइल को। उसके बाद अपुन मस्त चाल में मेन गेट की तरफ बढ़ चला।

थोड़ी ही देर में अपुन सेकंड फ्लोर पर मौजूद अपने रूम पहुंच गया। फिर कपड़े उतार कर अपुन बाथरूम में घुस गया। फ्रेश होने के बाद अपुन ने दूसरे कपड़े पहने और मोबाइल ले कर बेड पर लेट गया।

अभी मोबाइल का लॉक ओपन ही किया था कि अनुष्का का कॉल फिर से आने लगा लौड़ा। ये देख अपुन का दिमाग खराब हो गया बेटीचोद। अपुन सोचने लगा कि अब इसकी चूत में इतनी खुजली क्यों हो रेली है? खैर अपुन ने ये सोच कर कॉल पिक कर लेने का सोच कि लौड़ी बार बार कॉल कर के अपुन को इरिटेट करेगी।

अपुन ─ बोला न टाइम नहीं है अपुन के पास।

अनुष्का ─ हद है भाई, अपनी उस गलती के लिए तुमसे कितनी बार माफी मांग चुकी हूं फिर भी तुम्हारी नाराजगी नहीं जा रही?

अपुन ─ अपुन ऐसा ही है। अपुन की नाराजगी इतना जल्दी नहीं जाती।

अनुष्का ─ ओके तो बताओ तुम्हारी नाराजगी दूर करने के लिए अब क्या करूं मैं? वैसे एक्स्ट्रा क्लास देने के लिए अपने घर बुला तो रही हूं तो क्यों नहीं आ रहे तुम?

अपुन ─ क्योंकि अपुन को एक्स्ट्रा क्लास लेने की जरूरत ही नहीं है।

अनुष्का ─ तो फिर बताओ और क्या करूं मैं?

उसकी ये बात सुन कर अपुन के मन में एक ही बात आई लौड़ा। बोले तो अपुन के अंदर चीख चीख के आवाज आने लगी कि बोल दे....अपनी चूत दे दे। पर अपुन अच्छी तरह जानता था कि अगर अपुन ने ऐसा बोला तो अपुन की गाड़ तोड़ पेलाई होने में ज्यादा टाइम नहीं लगेगा। मादरचोद, कुछ समझ नहीं आ रेला था कि क्या बोले अपुन? तभी अनुष्का की आवाज अपुन के कान में पड़ी।

अनुष्का ─ क्या हुआ चुप क्यों हो गए? बताओ न तुम्हारी नाराजगी दूर करने के लिए क्या करूं मैं?

अपुन ─ बोल तो ऐसे रही हो आप जैसे अगर अपुन बताएगा तो आप कर ही दोगी।

अनुष्का ─ अरे! तुम बोलो तो भाई। तुम साक्षी के प्यारे भाई हो तो मेरे भी प्यारे भाई ही हो। तुम जो बोलोगे करूंगी मैं।

बेटीचोद यही तो प्रॉब्लम थी। बोले तो प्यारे भाई ही तो नहीं बोलना था अपुन को। साधना को चोदने के बाद भला अब वो अपुन की बहन कैसे हो सकती थी? खैर अपुन सोचने लगा कि क्या जवाब दे उसे, या ऐसा क्या करने को बोले जिसे वो झट से करने के लिए तैयार हो जाए? दूसरी तरफ अपुन की ये सोच के भी फट रेली थी कि अगर अपुन ने अपने मन की बात उसे बोली तो कहीं वो गुस्सा न हो जाए या साक्षी दी को न बता दे। अगर ऐसा हुआ तो समझ ही सकते हो कि कितना बड़ा कांड हो जाना था लौड़ा।

अपुन ─ कुछ ऐसा करने का सोचो जिसके बाद अपुन आपके घर आने के लिए मजबूर हो जाए।

अनुष्का ─ अरे! ये क्या बात हुई भाई? मैं तुझसे पूछ रही हूं और तू ऐसे बोल रहा है?

अपुन ─ आपने ही बोला है कि अपुन की नाराजगी दूर करने के लिए कुछ भी करोगी तो अब करो।

अनुष्का ─ अरे! मैं तो तब करूं न जब तुम बताओ कि क्या करूं मैं?

अपुन ─ ना, अपुन अपनी तरफ से कुछ करने को नहीं बोलेगा। ये आप सोचो कि आपको ऐसा क्या करना चाहिए जिसकी वजह से अपुन आपके पास आने को एकदम मजबूर ही हो जाए।

अनुष्का शायद सोच में पड़ गईली थी, इसी लिए फौरन उसकी कोई आवाज नहीं आई थी। इधर अपुन भी धड़कते दिल से सोचने लगा कि अब क्या करेगी वो लौड़ी? ये भी सोचने लगा कि कहीं कुछ गलत न सोच बैठे? हालांकि गलत सोचने का सवाल तो तब पैदा होता जब अपुन ने कुछ गलत बोला होता।

अनुष्का ─ भाई मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा। प्लीज तुम ही बताओ न कि क्या करूं मैं?

अपुन का जी तो किया कि खुल के बोल दे कि अपुन के लिए अपनी चूत खोल के रख दे पर लौड़ा ऐसा बोल देने का मतलब था बड़ी भयानक आफत को अपने ऊपर गिरा लेना।

अपुन ─ अपुन कुछ नहीं बताएगा। आप खुद सोचो। अच्छा अब रखता है अपुन। जब सोच लेना तभी कॉल करना अपुन को, गुड लुक।

अभी अपुन ने कॉल कट कर के मोबाइल एक तरफ रखा ही था कि तभी अपुन के रूम का दरवाजा खुला और विधी अंदर दाखिल हुई। उसने ऊपर एक टी शर्ट पहन रखी थी और नीचे ढीला सा सलवार। टी शर्ट में उसके सीने के उभार साफ दिख रेले थे।

विधी को आया देख अपुन सोचने लगा कि अब ये लौड़ी किस लिए आई है अपुन के रूम में? बोले तो जरूर अपुन से बात करने या सुलह करने आई होगी। अपुन ने सोच लिया कि अपुन उसे कोई भाव नहीं देगा। इस लिए उसे एक नज़र देखा और वापस मोबाइल उठा कर उसमें अपनी नजरें जमा दी।

विधी ने जब देखा कि अपुन ने उसे फिर से इग्नोर कर दिया है तो उसके चेहरे पर मायूसी के भाव तो उभरे ही लेकिन इस बार उसे दुख भी हुआ। अगले ही पल उसने पलट कर रूम का दरवाजा बंद किया और फिर एकदम से भागते हुए बेड पर अपुन के पास आई। अपुन मोबाइल में जरूर देख रेला था लेकिन अपुन का ध्यान उसकी तरफ ही था लौड़ा।

अपुन के पास आते ही वो बिना कुछ बोले बेड पर चढ़ी और फिर एकदम से अपुन के ऊपर ही, मतलब कि पेट में ही बैठ गई। अपुन उसकी इस हरकत से बौखला ही गया लौड़ा। इससे पहले कि अपुन कुछ कर पाता वो एकदम से झुकी और दोनों हाथों से अपुन का चेहरा पकड़ कर अपुन के होठों पर अपने होठों को रख दिया।

बेटीचोद, अपुन तो उसकी इस हरकत से शॉक ही हो गया। उधर उसने पहले तो अपुन के होठों को हल्के से चूमा और फिर अपुन के निचले होठ को मुंह में ले कर चूसना शुरू कर दिया। अगले ही पल अपुन के पूरे जिस्म में एक अलग ही तरह की झुरझुरी दौड़ती हुई चली गई लौड़ा।

इससे पहले कि अपुन एक अलग ही दुनिया में खो जाता अपुन को एकदम से खयाल आया कि अपुन को इसने इसी बात पर गुस्सा हो के थप्पड़ मारा था। इस लिए फ़ौरन ही अपुन ने उसे ताकत लगा कर अपने से दूर कर दिया। इतना ही नहीं उसे अपने ऊपर से भी धकेल दिया, उसके बाद अपुन बेड से उतर कर खड़ा हो गया और फिर गुस्सा दिखाते हुए बोला।

अपुन ─ ये क्या बेहूदगी है? शर्म नहीं आती तुझे अपने भाई के साथ ऐसा करने में?

विधी अपुन की गुस्से में कही गई इस बात को सुन कर एकदम से सुबकने लगी। उसके सुबकने की आवाज पूरे कमरे में गूंजने लगी। उसके अचानक से यूं रो पड़ने पर अपुन को एकदम से झटका लगा। बोले तो अपुन ने तो झूठ मूठ का ही गुस्सा हुआ था लेकिन जब वो अपुन की उम्मीद के विपरीत सुबकने ही लगी तो अपुन एकदम से घबरा ही गया लौड़ा। घबरा इस लिए गया क्योंकि अगर किसी को उसके रोने का सीन पता चल गया तो इससे कई सवाल ऐसे खड़े हो जाते जिनका जवाब देते न बनता बेटीचोद।

अपुन ने देखा विधी कि आंखों से आंसुओं की मोटी मोटी धार बह रेली थी। मतलब कि वो सच में अपुन के गुस्सा होने पर और ऐसा बोलने पर दुखी हो गईली थी। और शायद उसे ये भी एहसास हो चुका था कि उसने बेवजह ही अपुन को गुस्सा हो के थप्पड़ मारा था। खैर मामला थोड़ा सीरियस हो गयला था लेकिन अपुन इतना जल्दी पिघल जाने वाला नहीं था लौड़ा। बोले तो थोड़ा भाव खाने का था अपुन को।

अपुन ─ अब ये क्या नाटक है?

विधी ─ प्लीज माफ कर दे भाई। आज के बाद कभी तुझ पर गुस्सा नहीं करूंगी और न ही कभी तुझे थप्पड़ मारूंगी।

अपुन ─ ऐसा तो तब करेगी न तू जब अपुन वैसा काम करेगा। अपुन ने सोच लिया है कि अपुन तेरे से कोई मतलब ही नहीं रखेगा। तू जा यहां से।

विधी रोते हुए ही झट से बेड से नीचे उतरी और फिर अपुन के पास आ कर रोते हुए बोली।

विधी ─ बस एक बार माफ कर दे प्लीज। आगे से कभी ऐसा नहीं करूंगी और....और तुझे किस करने से भी नहीं रोकूंगी। प्लीज इस बार माफ कर दे भाई। मैं तो तेरी जान हूं ना?

अपुन ─ तू भी तो अपुन को अपनी जान बोलती थी ना। तभी अपनी जान को इतना जोर से थप्पड़ मारा था न तूने।

विधी ─ वो...वो मैंने गलती से तुझे थप्पड़ मार दिया था। मैं अपनी गलती एक्सेप्ट करती हूं। उस वक्त मुझे लगा था कि तू वो गलत करने लगा था इस लिए मैं घबरा गई थी और फिर गुस्सा हो कर तुझे थप्पड़ मार दिया था। बाद में जब मैंने हमारे न्यू रिलेशन के बारे में सोचा तो मुझे रियलाइज हुआ कि मुझे थप्पड़ नहीं मारना चाहिए था तुझे। प्लीज भाई, मेरी लास्ट मिस्टेक समझ कर माफ कर दे मुझे। अब से मैं तुझे किसी चीज़ के लिए नहीं रोकूंगी।

जिस तरह से वो दुखी मन से अपुन से माफियां मांग रेली थी उसे देख अपुन को एकदम से ये सोच के ग्लानि होने लगी कि एक तो अपुन ने खुद गलत किएला था ऊपर से खुद ही उसे इस तरह से रुला रेला है। क्या अपनी चाहतों और अपनी हवस के चलते अपुन ये ठीक कर रेला है? बेटीचोद, एकदम से दिमाग खराब हो गया अपुन का। खुद पर बहुत ज्यादा गुस्सा आया।

अपुन ने झपट कर उसे अपने सीने से लगा लिया। जैसे ही उसे अपुन ने सीने से लगाया तो वो अपुन को जकड़ कर फिर से रोने लगी। उसका यूं रोना अपुन का कलेजा हिलाए जा रेला था लौड़ा।

अपुन ─ प्लीज मत रो यार। तेरी कोई ग़लती नहीं थी। सब अपुन की ही गलती थी।

विधी ─ नहीं मेरी गलती थी। मुझे अपनी जान को थप्पड़ नहीं मारना चाहिए था।

अपुन उसकी बात सुन कर एक बार फिर से ये सोच के हिल गया कि वो अब भी अपनी ही गलती मार रेली है। ज़ाहिर है इससे ये पता चलता है कि वो अपुन से कितना प्यार करती है। खैर अपुन की कोशिश से कुछ ही देर में वो नॉर्मल हो गई।

अपुन ने उसे खुद से अलग कर उसके आंसू पोछे। वो मासूम सी शक्ल बनाए बस अपुन को ही देखे जा रेली थी। इतने में ही उसका चेहरा सुर्ख पड़ गयला था। अपुन का जी चाहा कि उसका सारा दुख ले ले और उसे दुनिया भर की खुशियां दे दे।

विधी ─ चल अब अपनी गर्ल फ्रेंड को किस कर न भाई।

अपुन ─ नहीं यार, ये ठीक नहीं है। अपन लोग को ये नहीं भूलना चाहिए कि अपन लोग को ऊपर वाले ने भाई बहन बना के पैदा किएला है। उस टाइम अपुन का तुझे उस तरह से किस करना सच में गलत था।

विधी अपुन की ये बात सुन के मायूस सी हो गई। शायद वो ये सोच बैठी थी कि अपुन अभी भी उससे नाराज है।

विधी ─ इसका मतलब तूने मुझे पूरी तरह माफ नहीं किया भाई?

अपुन ─ अरे! माफ़ करने की बात तो तब पैदा होती है जब तूने कोई गलती की हो।

विधी ─ तो फिर अपनी गर्ल फ्रेंड को किस क्यों नहीं करता तू? देख, मैं खुद बोल रही हूं न तो किस कर न मुझे....प्लीज।

अपुन को समझ न आया कि अब क्या करे? बोले तो इस वक्त अपुन के मन में सही गलत वाले खयाल आ रेले थे। इस वक्त अपुन के मन में कोई गलत खयाल नहीं थे वरना इतना हसीन मौका अपुन बिल्कुल भी नहीं छोड़ता।

विधी ─ क्या हुआ? क्या सोच रहा है भाई? प्लीज अपनी गर्ल फ्रेंड को किस कर न। मेरा भी मन कर रहा है कि मैं अपने बॉय फ्रेंड को किस करूं।

सच तो ये था लौड़ा कि उसकी बात सुन कर अब अपुन का दिमाग खराब होने लग गयला था। एक बार फिर से अपुन के मन में गलत खयाल आने लग गएले थे। सही गलत वाली सोच जैसे मां चुदाने को बेताब होने लग गईली थी। अपुन सोचने लगा कि जब वो खुद ही ऐसा करने को बोल रेली है तो अपुन को भी अब सही गलत नहीं सोचना चाहिए बेटीचोद।

To be continued...



Aaj ke liye itna hi bhai log,
Read and enjoy:declare:
Bahut hi badhiya update diya hai TheBlackBlood bhai....
Nice and beautiful update....
 
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कपड़े पहन कर अपुन उसके घर से चला तो उसने अपुन को जाने देने से पहले स्मूच किस किया और फिर किसी बहाने हर रोज घर आने का बोल कर उसने अपुन को बाय किया।

उसके घर से बाहर आया तो देखा मोबाइल में साक्षी दी के दो मिस कॉल पड़े थे। ये देख अपुन एकदम से टेंशन में आ गया लौड़ा।



अब आगे....


कार की ड्राइविंग सीट पर बैठ कर अपुन ने साक्षी दी की कॉल पिक की। मन में कई सारे खयालों का अंबार लगेला था लौड़ा और थोड़ा घबरा भी रेला था लेकिन बात तो करना ही था।

साक्षी दी ─ कितनी देर से तुझे कॉल कर रही हूं। फोन क्यों नहीं उठा रहा था? कहां था तू?

अपुन ने महसूस किया कि उनकी नाराजगी कॉल न उठाने की वजह से थी। मतलब कि अभी फिलहाल वो अपुन की उन बातों पर गुस्सा नहीं थीं। अपुन ने थोड़ा राहत की सांस ली फिर बोला।

अपुन ─ सॉरी दी, वो अपु...आई मीन मैं ड्राइविंग करते आउटर में काफी दूर चला गया था। उसके बाद फिर अमित के घर चला गया। एक्चुअली अमित ने बोला था कि एक बार मैं उसके घर का चक्कर लगा लूं क्योंकि साधना दी घर पर अकेली हैं।

साक्षी दी ─ ओके फाईन, तू जल्दी से कंपनी पहुंच। मैं बहुत देर से वेट कर रही हूं तेरा।

अपुन ─ ओके मैं आ रहा हूं।

कॉल कट कर के अपुन ने कार स्टार्ट की और फुल स्पीड में दौड़ा दिया उसे। अपुन सोचने लगा था कि अगर अपुन इतनी देर से साक्षी दी का कॉल नहीं उठा रेला था तो वो किसी ऑटो या टैक्सी से भी तो घर जा सकती थीं। बोले तो इतने टाइम तक अपुन के कॉल पिक करने का वेट क्यों करती रहीं?

इसका तो यही मतलब हो सकता है कि वो अपुन के साथ ही कंपनी से घर जाना चाहती थीं। अब सवाल है कि..क्यों? क्या इस लिए कि वो उन बातों के बारे में अपुन से बात करना चाह रेली थीं? अपुन को याद आया कि उन्होंने बाद में इस बारे में बात करने को बोला था। घर में इस बारे में वो खुल कर अपुन से बात नहीं कर सकतीं थी, शायद इसी लिए उन्होंने किसी ऑटो या टैक्सी से घर जाना बेहतर नहीं समझा था।

अपुन को अपना ये विचार एकदम सही लगा। मतलब कि सच में वो उसी बारे में बात करना चाहती हैं अपुन से। खैर, अपुन भी सोचने लगा कि अगर वो सच में उस बारे में ही अपुन से बात करेंगी तो अपुन उन्हें क्या जवाब देगा? मतलब कि उनके सवालों के अपुन को क्या जवाब देने चाहिए लौड़ा?

सारे रास्ते अपुन सोच विचार करता रहा और फिर करीब पंद्रह मिनट में अपुन कंपनी पहुंच गया। कंपनी के गेट के पास पहुंच कर अपुन ने उन्हें कॉल कर के बताया कि अपुन गेट पर है इस लिए वो जल्दी आएं।

बेटीचोद, एकदम से धड़कनें बढ़ गईली थी अपुन की। बार बार यही खयाल आ रेला था कि साक्षी दी अपुन से क्या बात करेंगी और किस लहजे में बात करेंगी? खैर पांच मिनट बाद ही वो अपुन को आती नजर आईं।

थोड़ी ही देर में वो अपुन के पास पहुंच गईं और दूसरी तरफ का दरवाजा खोल कर कार में अपुन के बगल से बैठ गईं। अपुन ने थोड़ा डरते डरते ध्यान से उनके चेहरे को देखा। लौड़ा, कुछ समझ न आया कि इस वक्त उनके अंदर क्या चल रेला है।

साक्षी दी (सपाट लहजे में) ─ चलो।

अपुन ने बिना उनसे कोई बात किए कार स्टार्ट किया और यू टर्न ले कर घर की तरफ चल पड़ा। अपुन की धड़कनें बढ़ी हुईं थी और अपुन खामोशी से कार ड्राइव कर रेला था। अपुन चाहता था कि साक्षी दी खुद ही बात करना शुरू करें। इस लिए अपुन बार बार उम्मीद भरी नजर से उनकी तरफ देख लेता था। उधर साक्षी दी के चेहरे पर कोई भाव ही नहीं थे लौड़ा।

कार के अंदर छाई खामोशी बहुत अजीब लग रेली थी बेटीचोद लेकिन क्या कर सकता था अपुन। करीब दस मिनट बाद एकाएक अपुन दी की आवाज से चौंका। उन्होंने अपुन को आगे से लेफ्ट साइड कार मोड़ने को कहा। अपुन ने कहा तो कुछ नहीं लेकिन मन ही मन सोचने लगा कि लेफ्ट साइड कार को मोड़ने का क्यों बोलीं हैं वो? मतलब कि अगर उन्हें घर ही जाना है तो सीधा ही जाना चाहिए न, फिर लेफ्ट साइड मुड़ने का क्या मतलब है?

लेफ्ट साइड जो रास्ता जाता था वो सिटी से बाहर वाला था। उसके करीब पांच किलो मीटर पर एक तरफ जंगल था और दूसरी तरफ पहाड़, बाकी रास्ता सुनसान था। अचानक अपुन के दिमाग की बत्ती जली। अपुन को समझ आ गयला था कि दी ने अपुन को इस तरफ कार मोड़ने को क्यों बोला था। यानि इस तरफ सुनसान जगह पर वो अपुन को ले जा कर शायद उस बारे में बात करना चाहती थीं।

खैर अपुन ने लेफ्ट साइड कार को मोड़ दिया और खामोशी से कार ड्राइव करता रहा। साक्षी दी फिर से खामोश हो गईं लेकिन इस बार उनके चेहरे पर अपुन ने सोचो के भाव देखे। मतलब कि अब शायद वो भी गहराई से सोचने लगीं थी कि अपुन से वो क्या बात करेंगी?

कुछ देर बाद अपुन ने साक्षी दी के कहने पर ही कार को सड़क से उतार कर जंगल की तरफ मोड़ दिया। अपुन अब ये सोचने लगा कि सिर्फ उस बारे में बात करने के लिए उन्होंने अपुन को इतना दूर आने को क्यों कहा या ये कहें कि ऐसी जगह पर लाने का क्या मतलब था? अगर उन्हें उसी बारे में अपुन से बात करनी थी तो वो कार के अंदर कहीं भी कर सकती थीं। खैर अपन लोग जंगल के थोड़ा ही अंदर आए थे कि साक्षी दी ने कार रोक देने को कहा।

अपुन ने कार रोक दी और एकाएक फिर से बढ़ चली अपनी धड़कनों को काबू करने का प्रयास करने लगा। मन में तरह तरह के विचार उभरने लग ग‌एले थे बेटीचोद।

कार के रुकते ही साक्षी दी ने अपनी तरफ का दरवाजा खोला और नीचे उतर गईं। फिर अपुन को भी नीचे उतर आने का इशारा किया तो अपुन भी धड़कते दिल के साथ उतर आया। फिर आगे से घूम कर थोड़ा उनके पास आ कर खड़ा हो गया। साक्षी दी के चेहरे पर गंभीरता के भाव उभर आएले थे।

साक्षी दी ─ पता है मैं यहां क्यों लाई हूं तुझे?

अपुन ─ आप बताओ, अपु...आई मीन मुझे कैसे पता होगा भला?

साक्षी दी ─ आज से पहले मुझे यही लगता था कि तू बस मुझे खुश करने के लिए ही मेरी तारीफें करता रहता है लेकिन आज कंपनी में तूने जो बोला उसने मुझे अंदर तक हिला दिया था। मैं सोच भी नहीं सकती थी कि जिस भाई को मैं इतना प्यार और स्नेह करती हूं वो मेरे बारे में ऐसा सोचता है।

अपुन के अंदर डर और घबराहट तो थी लौड़ा लेकिन उनकी ये बात सुन कर अपुन ने सोचा कि देखते हैं साक्षी दी आखिर क्या सोचती हैं और अपुन को क्या क्या बोलती हैं? इस लिए अपुन ने इस बार बिना किसी डर के बेझिझक कहा।

अपुन ─ तो क्या गलत सोचता हूं दी? मतलब कि आपके लिए मेरे दिल में जैसी फीलिंग्स हैं वही तो बताया था मैंने आपसे।

साक्षी दी ─ हां पर तुझे ये भी तो सोचना चाहिए था न भाई कि ऐसी फीलिंग्स एक भाई अपनी बहन के लिए नहीं रख सकता।

अपुन ─ जानता हूं दी लेकिन अब दिल पर भला किसका जोर चलता है। वैसे भी दिल कहां ये सोचता है कि जिसके बारे में वो अपने अंदर ऐसी फीलिंग्स रख रहा है वो रिश्ते में उसकी क्या लगती है।

साक्षी दी अपुन की ये बात सुन कर एकदम वैसे ही परेशान नजर आने लगीं जैसे कंपनी में हुईं थी। कुछ पलों तक वो बेचैनी और परेशानी से अपुन को देखती रहीं फिर बोलीं।

साक्षी दी ─ ये गलत है मेरे भाई। तू नासमझ नहीं है कि तुझे सही गलत का ज्ञान दिया जाए। तू अच्छी तरह जानता है कि भाई बहन के बीच इस तरह की फीलिंग्स होना कितना गलत है। देख, मैंने हमेशा तुझ पर नाज किया है और दिव्या विधी से ज़्यादा तुझे प्यार और स्नेह किया है। मैं चाहती हूं कि तू पढ़ाई कंप्लीट कर के डैड का बिज़नेस सम्हाले।

अपुन ─ ये सब तो मैं करूंगा ही दी लेकिन आपके लिए जो फीलिंग्स मेरे दिल में हैं उन्हें निकालना मेरे बस में नहीं है।

साक्षी दी ─ देख मेरे भाई, मैं नहीं चाहती कि तेरी इस बात के चलते हमारे बीच कोई प्रॉब्लम पैदा हो जाए। मैं नहीं चाहती कि मॉम डैड को मुझे इस बारे में बताना पड़े और वो तुझ पर गुस्सा करें। इस लिए तुझे समझा रही हूं कि जितना जल्दी हो सके तू अपने अंदर से ऐसी फीलिंग्स को खत्म कर दे। ये अच्छी बात नहीं है मेरे भाई। समझने की कोशिश कर।

अपुन समझ गया कि साक्षी दी इस वक्त अपुन से उस बात के चलते गुस्सा नहीं हैं। जिस तरह वो अपुन को समझा रेली थीं उससे तो अपुन को यही लग रेला था। अपुन ने ये भी सोचा कि अगर अपुन थोड़ा और जिद्द करे तो शायद बात बन जाएगी लौड़ा। ये सोच कर अपुन ने कहा।

अपुन ─ कोशिश कर चुका हूं दी लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। बोले तो ऐसा लगता है जैसे अपु...मतलब कि मेरे दिल में आपके लिए ये जो फीलिंग्स हैं वो सच्ची हैं। आई थिंक...आई एम इन लव विद यू।

साक्षी दी आश्चर्य से अपुन को आँखें फाड़ के देखने लगीं। फिर एकदम से उनके चेहरे पर सीरियस भाव उभर आए।

साक्षी दी ─ नहीं नहीं, तू ऐसा नहीं कर सकता भाई। प्लीज इसे यहीं पर स्टॉप कर दे। तुझे अंदाजा भी नहीं है कि इसका कितना भयानक रिजल्ट निकलेगा।

अपुन ─ काश! मेरे दिल को इसके रिजल्ट की परवाह होती। ये तो जैसे हर अंजाम से बेफिक्र हो के बैठ गया है।

साक्षी दी ─ देख मेरे भाई तू प्लीज समझने की कोशिश कर। मैं तेरी बड़ी बहन हूं और बहन के साथ इस तरह का लव करना बिल्कुल भी ठीक नहीं होता। हमारे समाज में इसे बहुत ही गलत माना जाता है।

अपुन ─ मोहब्बत सही गलत ही तो नहीं देखती दी। शायद यही वजह है कि मेरा दिल आपसे प्यार कर बैठा है। मुझे भी पता है कि ये गलत है लेकिन दिल के हाथों मजबूर हूं। आप भले ही मेरे प्यार को एक्सेप्ट न करो लेकिन मेरे दिल से ये प्यार वाली फीलिंग्स नहीं जाएंगी।

साक्षी दी अब बहुत ज्यादा चिंतित और परेशान दिखने लगीं थी। इधर अपुन भी ये बात समझ रेला था कि वो अपुन से बहुत प्यार और स्नेह करती हैं और चाहती हैं कि अपुन पर कोई संकट न आए इस लिए वो अपुन को इस तरह ठंडे दिमाग से समझा रेली थीं। दूसरी तरफ अपुन था जो उनकी नरमी का फायदा उठा रेला था।

वैसे सच तो यही था कि अपुन को साक्षी दी दुनिया की सबसे हसीन लड़की लगती थीं और उनके प्रति अपुन के दिल में सॉफ्ट फीलिंग्स थीं लेकिन वैसी नहीं जैसे कि किसी प्रेमी, पागल या आशिक वाली होती हैं। हो सकता है कि दी के प्रति ये अपुन का सिर्फ आकर्षण ही हो पर था तो सही।

अपुन ─ आप टेंशन मत लो दी। आपका काम था समझाना लेकिन अब इसका क्या किया जाए कि मेरा दिल कुछ समझना ही नहीं चाहता।

साक्षी दी ─ क्यों मुझे सख्त कदम उठाने पर मजबूर कर रहा है भाई? क्यों तू कुछ समझना नहीं चाहता? क्या तू सच में चाहता है कि तेरी इस फिलिंग की वजह से हमारे हंसते खेलते संसार में कोई भारी मुसीबत आ जाए?

अपुन ─ आप बहुत दूर का सोच रही हैं दी जबकि मैं ऐसा कुछ भी नहीं चाहता। हां ये सच है कि मेरी फीलिंग्स रियल हैं और मैं चाहता हूं कि आप इसे एक्सेप्ट करें लेकिन अगर आप इसे एक्सेप्ट नहीं करेंगी तो इसके लिए आपको मैं कभी मजबूर नहीं करूंगा। फीलिंग्स ही तो हैं न, मेरे दिल के किसी कोने में मौजूद रहेंगी, क्या फर्क पड़ता है? मतलब कि जब इस बारे में किसी को कुछ पता ही नहीं चलेगा तो कोई मुसीबत कैसे आएगी भला?

साक्षी दी अपुन को बड़े ध्यान से देख रेली थीं। उनके चेहरे पर अभी भी परेशानी, चिंता और बेचैनी के भाव थे।

साक्षी दी ─ नहीं भाई, ये ठीक नहीं है। मैं चाहती हूं कि तू अपने अंदर से ऐसी फीलिंग्स को जड़ से ही मिटा दे और पूरी तरह मेरा भाई बन जा।

अपुन ─ भाई तो कुदरत ने ही बना के भेजा है दी तो आपका भाई ही रहूंगा न।

साक्षी दी ─ हां लेकिन यहां तू मेरा आशिक भी बनने की कोशिश कर रहा है, उसका क्या? नहीं प्यारे भाई, मुझे तेरा ये रूप मंजूर नहीं है। मैं चाहती हूं कि तू अपने दिल से ये बेमतलब की फीलिंग्स जड़ से मिटा दे और सिर्फ मेरा प्यारा भाई बना रह। इसी में हम सबका भला है और इसी में सबकी खुशी भी है।

अपुन ─ छोड़ो दी, जो हो ही नहीं सकता वो कैसे कर सकता हूं मैं? चलिए घर चलते हैं अब।

साक्षी दी ─ नहीं, अभी मेरी बात खत्म नहीं हुई है।

अपुन ─ इस बारे में आपका बात करना या मुझे समझाना बेकार है दी। तो बेहतर यही है कि घर चला जाए।

साक्षी दी बहुत ज्यादा चिंतित और परेशान नजर आ रेली थीं। बेचैनी और कशमकश में घिरी वो अपुन को देखती रहीं, फिर बिना कुछ कहे कार का दरवाजा खोल कर सीट पर बैठ गईं। अपुन भी मन ही मन मुस्कुराते हुए आ आकर ड्राइविंग सीट पर बैठ गया।

बोले तो इतनी सारी बातों के बाद अपुन एक बात समझ गयला था कि साक्षी दी अपुन की फीलिंग्स वाली बात घर में किसी को बताएंगी नहीं क्योंकि वो बता ही चुकी थीं कि वो अपुन को किसी मुसीबत में पड़ गया नहीं देखना चाहती थीं। यही वजह थी कि उन्होंने अपुन से ऐसे बात की थी। अब अपुन ने सोच लिया था कि उनकी नरमी का अपुन को कैसे फायदा उठाना था।

कार स्टार्ट कर के अपन लोग वापस चल दिए वहां से। इस बार कार के अंदर ऐसी खामोशी छाई कि घर पहुंचने तक वो खामोशी कायम रही। यानि पूरे रास्ते न दी ने कोई बात की थी और न ही अपुन ने।

अपुन तो लौड़ा सारे रास्ते यही सोचते आया था कि आगे अपुन ऐसा क्या करे कि दुनिया की सबसे हसीन लड़की यानि कि अपुन की दी अपुन की झोली में आ गिरे? खैर घर पहुंच कर जब कार रुकी तो दी चुपचाप उतर कर मेन गेट की तरफ बढ़ गईं और इधर अपुन कार को गैरेज में खड़ी करने लगा।

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अभी अपुन गैरेज में कार लगा कर मेन गेट की तरफ चला ही था कि अपुन को ऐसा फील हुआ जैसे अपुन के पेंट में पड़ा मोबाइल वाइब्रेट कर रेला है। अपुन ने मोबाइल निकाल कर उसकी स्क्रीन पर फ्लैश कर रहे नाम और नंबर को देखा।

कॉल अमित की सौतेली बहन अनुष्का का था। अपुन सोचने लगा कि ये लौड़ी क्यों कॉल कर रेली है अपुन को? अगले ही पल अपुन को याद आया कि इसने अपुन को एक्स्ट्रा क्लास के लिए शाम को अपने घर आने को बोला था।

अपुन सोचने लगा कि इसका कॉल पिक करे या नहीं? बोले तो इसके बारे में भी अपुन के मन में बहुत कुछ था लेकिन ये साक्षी दी की बेस्ट फ्रेंड भी थी इस लिए अपुन थोड़ा डरता भी था कि कहीं कुछ गड़बड़ न हो जाए। फिर अपुन ने सोचा कि बिना कुछ किए थोड़े न गड़बड़ होगी, यानि गड़बड़ होने के लिए कुछ करना जरूरी है।

अपुन ─ हेलो।

अनुष्का ─ ओह! थैंक गॉड तुमने कॉल उठा लिया। यूं नो, ये पांचवीं बार कॉल किया है मैंने तुम्हें।

अपुन ─ मोबाइल साइलेंट में था इस लिए कॉल आने का पता नहीं चला अपुन को। एनीवे, किस लिए कॉल किया है आपने अपुन को?

अनुष्का ─ दस मिनट में मेरे घर पहुंचो।

अपुन ─ क्यों?

अनुष्का ─ यहां आओ, सब पता चल जाएगा।

अपुन सोचने लगा कि लौड़ी सस्पेंस क्रिएट कर रेली है और तो और हुकुम ऐसे दे रेली है जैसे अपुन उसका गुलाम हो, हट लौड़ी।

अपुन ─ टाइम नहीं है अपुन के पास।

बोले तो इस तरह उसके द्वारा हुकुम देने पर अपुन की झांठें सुलग गईंली थी इस लिए अपुन ने टाइम नहीं है बोला और उसकी कोई बात सुने बिना ही कॉल डिस्कनेक्ट कर दिया लौड़ा।

कॉल कट कर के अपुन मोबाइल को जेब में डालने ही लगा था कि लौड़ा फिर से वाइब्रेट होने लगा बेटीचोद। अपुन ने एक नज़र स्क्रीन में फ्लैश हो रहे अनुष्का के नाम को देखा और फिर वैसे ही जेब में डाल दिया मोबाइल को। उसके बाद अपुन मस्त चाल में मेन गेट की तरफ बढ़ चला।

थोड़ी ही देर में अपुन सेकंड फ्लोर पर मौजूद अपने रूम पहुंच गया। फिर कपड़े उतार कर अपुन बाथरूम में घुस गया। फ्रेश होने के बाद अपुन ने दूसरे कपड़े पहने और मोबाइल ले कर बेड पर लेट गया।

अभी मोबाइल का लॉक ओपन ही किया था कि अनुष्का का कॉल फिर से आने लगा लौड़ा। ये देख अपुन का दिमाग खराब हो गया बेटीचोद। अपुन सोचने लगा कि अब इसकी चूत में इतनी खुजली क्यों हो रेली है? खैर अपुन ने ये सोच कर कॉल पिक कर लेने का सोच कि लौड़ी बार बार कॉल कर के अपुन को इरिटेट करेगी।

अपुन ─ बोला न टाइम नहीं है अपुन के पास।

अनुष्का ─ हद है भाई, अपनी उस गलती के लिए तुमसे कितनी बार माफी मांग चुकी हूं फिर भी तुम्हारी नाराजगी नहीं जा रही?

अपुन ─ अपुन ऐसा ही है। अपुन की नाराजगी इतना जल्दी नहीं जाती।

अनुष्का ─ ओके तो बताओ तुम्हारी नाराजगी दूर करने के लिए अब क्या करूं मैं? वैसे एक्स्ट्रा क्लास देने के लिए अपने घर बुला तो रही हूं तो क्यों नहीं आ रहे तुम?

अपुन ─ क्योंकि अपुन को एक्स्ट्रा क्लास लेने की जरूरत ही नहीं है।

अनुष्का ─ तो फिर बताओ और क्या करूं मैं?

उसकी ये बात सुन कर अपुन के मन में एक ही बात आई लौड़ा। बोले तो अपुन के अंदर चीख चीख के आवाज आने लगी कि बोल दे....अपनी चूत दे दे। पर अपुन अच्छी तरह जानता था कि अगर अपुन ने ऐसा बोला तो अपुन की गाड़ तोड़ पेलाई होने में ज्यादा टाइम नहीं लगेगा। मादरचोद, कुछ समझ नहीं आ रेला था कि क्या बोले अपुन? तभी अनुष्का की आवाज अपुन के कान में पड़ी।

अनुष्का ─ क्या हुआ चुप क्यों हो गए? बताओ न तुम्हारी नाराजगी दूर करने के लिए क्या करूं मैं?

अपुन ─ बोल तो ऐसे रही हो आप जैसे अगर अपुन बताएगा तो आप कर ही दोगी।

अनुष्का ─ अरे! तुम बोलो तो भाई। तुम साक्षी के प्यारे भाई हो तो मेरे भी प्यारे भाई ही हो। तुम जो बोलोगे करूंगी मैं।

बेटीचोद यही तो प्रॉब्लम थी। बोले तो प्यारे भाई ही तो नहीं बोलना था अपुन को। साधना को चोदने के बाद भला अब वो अपुन की बहन कैसे हो सकती थी? खैर अपुन सोचने लगा कि क्या जवाब दे उसे, या ऐसा क्या करने को बोले जिसे वो झट से करने के लिए तैयार हो जाए? दूसरी तरफ अपुन की ये सोच के भी फट रेली थी कि अगर अपुन ने अपने मन की बात उसे बोली तो कहीं वो गुस्सा न हो जाए या साक्षी दी को न बता दे। अगर ऐसा हुआ तो समझ ही सकते हो कि कितना बड़ा कांड हो जाना था लौड़ा।

अपुन ─ कुछ ऐसा करने का सोचो जिसके बाद अपुन आपके घर आने के लिए मजबूर हो जाए।

अनुष्का ─ अरे! ये क्या बात हुई भाई? मैं तुझसे पूछ रही हूं और तू ऐसे बोल रहा है?

अपुन ─ आपने ही बोला है कि अपुन की नाराजगी दूर करने के लिए कुछ भी करोगी तो अब करो।

अनुष्का ─ अरे! मैं तो तब करूं न जब तुम बताओ कि क्या करूं मैं?

अपुन ─ ना, अपुन अपनी तरफ से कुछ करने को नहीं बोलेगा। ये आप सोचो कि आपको ऐसा क्या करना चाहिए जिसकी वजह से अपुन आपके पास आने को एकदम मजबूर ही हो जाए।

अनुष्का शायद सोच में पड़ गईली थी, इसी लिए फौरन उसकी कोई आवाज नहीं आई थी। इधर अपुन भी धड़कते दिल से सोचने लगा कि अब क्या करेगी वो लौड़ी? ये भी सोचने लगा कि कहीं कुछ गलत न सोच बैठे? हालांकि गलत सोचने का सवाल तो तब पैदा होता जब अपुन ने कुछ गलत बोला होता।

अनुष्का ─ भाई मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा। प्लीज तुम ही बताओ न कि क्या करूं मैं?

अपुन का जी तो किया कि खुल के बोल दे कि अपुन के लिए अपनी चूत खोल के रख दे पर लौड़ा ऐसा बोल देने का मतलब था बड़ी भयानक आफत को अपने ऊपर गिरा लेना।

अपुन ─ अपुन कुछ नहीं बताएगा। आप खुद सोचो। अच्छा अब रखता है अपुन। जब सोच लेना तभी कॉल करना अपुन को, गुड लुक।

अभी अपुन ने कॉल कट कर के मोबाइल एक तरफ रखा ही था कि तभी अपुन के रूम का दरवाजा खुला और विधी अंदर दाखिल हुई। उसने ऊपर एक टी शर्ट पहन रखी थी और नीचे ढीला सा सलवार। टी शर्ट में उसके सीने के उभार साफ दिख रेले थे।

विधी को आया देख अपुन सोचने लगा कि अब ये लौड़ी किस लिए आई है अपुन के रूम में? बोले तो जरूर अपुन से बात करने या सुलह करने आई होगी। अपुन ने सोच लिया कि अपुन उसे कोई भाव नहीं देगा। इस लिए उसे एक नज़र देखा और वापस मोबाइल उठा कर उसमें अपनी नजरें जमा दी।

विधी ने जब देखा कि अपुन ने उसे फिर से इग्नोर कर दिया है तो उसके चेहरे पर मायूसी के भाव तो उभरे ही लेकिन इस बार उसे दुख भी हुआ। अगले ही पल उसने पलट कर रूम का दरवाजा बंद किया और फिर एकदम से भागते हुए बेड पर अपुन के पास आई। अपुन मोबाइल में जरूर देख रेला था लेकिन अपुन का ध्यान उसकी तरफ ही था लौड़ा।

अपुन के पास आते ही वो बिना कुछ बोले बेड पर चढ़ी और फिर एकदम से अपुन के ऊपर ही, मतलब कि पेट में ही बैठ गई। अपुन उसकी इस हरकत से बौखला ही गया लौड़ा। इससे पहले कि अपुन कुछ कर पाता वो एकदम से झुकी और दोनों हाथों से अपुन का चेहरा पकड़ कर अपुन के होठों पर अपने होठों को रख दिया।

बेटीचोद, अपुन तो उसकी इस हरकत से शॉक ही हो गया। उधर उसने पहले तो अपुन के होठों को हल्के से चूमा और फिर अपुन के निचले होठ को मुंह में ले कर चूसना शुरू कर दिया। अगले ही पल अपुन के पूरे जिस्म में एक अलग ही तरह की झुरझुरी दौड़ती हुई चली गई लौड़ा।

इससे पहले कि अपुन एक अलग ही दुनिया में खो जाता अपुन को एकदम से खयाल आया कि अपुन को इसने इसी बात पर गुस्सा हो के थप्पड़ मारा था। इस लिए फ़ौरन ही अपुन ने उसे ताकत लगा कर अपने से दूर कर दिया। इतना ही नहीं उसे अपने ऊपर से भी धकेल दिया, उसके बाद अपुन बेड से उतर कर खड़ा हो गया और फिर गुस्सा दिखाते हुए बोला।

अपुन ─ ये क्या बेहूदगी है? शर्म नहीं आती तुझे अपने भाई के साथ ऐसा करने में?

विधी अपुन की गुस्से में कही गई इस बात को सुन कर एकदम से सुबकने लगी। उसके सुबकने की आवाज पूरे कमरे में गूंजने लगी। उसके अचानक से यूं रो पड़ने पर अपुन को एकदम से झटका लगा। बोले तो अपुन ने तो झूठ मूठ का ही गुस्सा हुआ था लेकिन जब वो अपुन की उम्मीद के विपरीत सुबकने ही लगी तो अपुन एकदम से घबरा ही गया लौड़ा। घबरा इस लिए गया क्योंकि अगर किसी को उसके रोने का सीन पता चल गया तो इससे कई सवाल ऐसे खड़े हो जाते जिनका जवाब देते न बनता बेटीचोद।

अपुन ने देखा विधी कि आंखों से आंसुओं की मोटी मोटी धार बह रेली थी। मतलब कि वो सच में अपुन के गुस्सा होने पर और ऐसा बोलने पर दुखी हो गईली थी। और शायद उसे ये भी एहसास हो चुका था कि उसने बेवजह ही अपुन को गुस्सा हो के थप्पड़ मारा था। खैर मामला थोड़ा सीरियस हो गयला था लेकिन अपुन इतना जल्दी पिघल जाने वाला नहीं था लौड़ा। बोले तो थोड़ा भाव खाने का था अपुन को।

अपुन ─ अब ये क्या नाटक है?

विधी ─ प्लीज माफ कर दे भाई। आज के बाद कभी तुझ पर गुस्सा नहीं करूंगी और न ही कभी तुझे थप्पड़ मारूंगी।

अपुन ─ ऐसा तो तब करेगी न तू जब अपुन वैसा काम करेगा। अपुन ने सोच लिया है कि अपुन तेरे से कोई मतलब ही नहीं रखेगा। तू जा यहां से।

विधी रोते हुए ही झट से बेड से नीचे उतरी और फिर अपुन के पास आ कर रोते हुए बोली।

विधी ─ बस एक बार माफ कर दे प्लीज। आगे से कभी ऐसा नहीं करूंगी और....और तुझे किस करने से भी नहीं रोकूंगी। प्लीज इस बार माफ कर दे भाई। मैं तो तेरी जान हूं ना?

अपुन ─ तू भी तो अपुन को अपनी जान बोलती थी ना। तभी अपनी जान को इतना जोर से थप्पड़ मारा था न तूने।

विधी ─ वो...वो मैंने गलती से तुझे थप्पड़ मार दिया था। मैं अपनी गलती एक्सेप्ट करती हूं। उस वक्त मुझे लगा था कि तू वो गलत करने लगा था इस लिए मैं घबरा गई थी और फिर गुस्सा हो कर तुझे थप्पड़ मार दिया था। बाद में जब मैंने हमारे न्यू रिलेशन के बारे में सोचा तो मुझे रियलाइज हुआ कि मुझे थप्पड़ नहीं मारना चाहिए था तुझे। प्लीज भाई, मेरी लास्ट मिस्टेक समझ कर माफ कर दे मुझे। अब से मैं तुझे किसी चीज़ के लिए नहीं रोकूंगी।

जिस तरह से वो दुखी मन से अपुन से माफियां मांग रेली थी उसे देख अपुन को एकदम से ये सोच के ग्लानि होने लगी कि एक तो अपुन ने खुद गलत किएला था ऊपर से खुद ही उसे इस तरह से रुला रेला है। क्या अपनी चाहतों और अपनी हवस के चलते अपुन ये ठीक कर रेला है? बेटीचोद, एकदम से दिमाग खराब हो गया अपुन का। खुद पर बहुत ज्यादा गुस्सा आया।

अपुन ने झपट कर उसे अपने सीने से लगा लिया। जैसे ही उसे अपुन ने सीने से लगाया तो वो अपुन को जकड़ कर फिर से रोने लगी। उसका यूं रोना अपुन का कलेजा हिलाए जा रेला था लौड़ा।

अपुन ─ प्लीज मत रो यार। तेरी कोई ग़लती नहीं थी। सब अपुन की ही गलती थी।

विधी ─ नहीं मेरी गलती थी। मुझे अपनी जान को थप्पड़ नहीं मारना चाहिए था।

अपुन उसकी बात सुन कर एक बार फिर से ये सोच के हिल गया कि वो अब भी अपनी ही गलती मार रेली है। ज़ाहिर है इससे ये पता चलता है कि वो अपुन से कितना प्यार करती है। खैर अपुन की कोशिश से कुछ ही देर में वो नॉर्मल हो गई।

अपुन ने उसे खुद से अलग कर उसके आंसू पोछे। वो मासूम सी शक्ल बनाए बस अपुन को ही देखे जा रेली थी। इतने में ही उसका चेहरा सुर्ख पड़ गयला था। अपुन का जी चाहा कि उसका सारा दुख ले ले और उसे दुनिया भर की खुशियां दे दे।

विधी ─ चल अब अपनी गर्ल फ्रेंड को किस कर न भाई।

अपुन ─ नहीं यार, ये ठीक नहीं है। अपन लोग को ये नहीं भूलना चाहिए कि अपन लोग को ऊपर वाले ने भाई बहन बना के पैदा किएला है। उस टाइम अपुन का तुझे उस तरह से किस करना सच में गलत था।

विधी अपुन की ये बात सुन के मायूस सी हो गई। शायद वो ये सोच बैठी थी कि अपुन अभी भी उससे नाराज है।

विधी ─ इसका मतलब तूने मुझे पूरी तरह माफ नहीं किया भाई?

अपुन ─ अरे! माफ़ करने की बात तो तब पैदा होती है जब तूने कोई गलती की हो।

विधी ─ तो फिर अपनी गर्ल फ्रेंड को किस क्यों नहीं करता तू? देख, मैं खुद बोल रही हूं न तो किस कर न मुझे....प्लीज।

अपुन को समझ न आया कि अब क्या करे? बोले तो इस वक्त अपुन के मन में सही गलत वाले खयाल आ रेले थे। इस वक्त अपुन के मन में कोई गलत खयाल नहीं थे वरना इतना हसीन मौका अपुन बिल्कुल भी नहीं छोड़ता।

विधी ─ क्या हुआ? क्या सोच रहा है भाई? प्लीज अपनी गर्ल फ्रेंड को किस कर न। मेरा भी मन कर रहा है कि मैं अपने बॉय फ्रेंड को किस करूं।

सच तो ये था लौड़ा कि उसकी बात सुन कर अब अपुन का दिमाग खराब होने लग गयला था। एक बार फिर से अपुन के मन में गलत खयाल आने लग गएले थे। सही गलत वाली सोच जैसे मां चुदाने को बेताब होने लग गईली थी। अपुन सोचने लगा कि जब वो खुद ही ऐसा करने को बोल रेली है तो अपुन को भी अब सही गलत नहीं सोचना चाहिए बेटीचोद।

To be continued...



Aaj ke liye itna hi bhai log,
Read and enjoy:declare:

Nice update
 
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