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Incest हवस के कारनामे ~ A Tale of Lust

kas1709

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Update ~ 17



अपुन ─ ठीक है। अच्छा अब मैसेज मत करना। अपुन अब कॉलेज के लिए निकलता है। जब अपुन को आना होगा तो अपुन खुद ही तुम्हें मैसेज कर देगा।

इस मैसेज के बाद अपुन ने सारी चैट को डिलीट मारा और फिर नेट ऑफ कर के मोबाइल जेब में डाल दिया। अपुन का लन्ड अभी भी अकड़ा हुआ था लौड़ा। अपुन जानता था कि जब तक अपुन का ध्यान कहीं और नहीं लगेगा तब तक ये बेटीचोद ऐसे ही अकड़ा रहेगा। खैर अपुन ने दिव्या और विधी को कॉलेज चलने को बोला तो वो फौरन ही टीवी बंद कर के सोफे से खड़ी हो गईं।



अब आगे....


अपन लोग कॉलेज जाने के लिए घर से निकले तो हमेशा की तरह दिव्या अपुन की बाइक में पीछे बैठ गई जबकि विधी अपनी स्कूटी से जाने लगी। असल में दिव्या को स्कूटी चलाना नहीं आता था और उसने कभी चलाना भी नहीं सीखा था।

खैर कुछ ही देर बाद रास्ते में दिव्या खिसक कर अपुन से चिपक गई। ये उसका रोज का ही था। घर से निकलते वक्त वो नॉर्मल ही बैठती थी लेकिन कुछ दूर आने के बाद वो एकदम चिपक कर बैठ जाती थी। उसके मध्यम आकार के बूब्स अपुन की पीठ पर चुभना शुरू हो जाते थे जिससे अपुन के बदन में रोमांच की लहरें दौड़ने लगती थी लौड़ा।

दिव्या ─ अच्छा भैया, आपसे एक बात पूछूं?

रास्ते में दिव्या ने अपुन से चिपके हुए ही अपना मुंह अपुन के कान के पास ला कर कहा। इस चक्कर में उसके बूब्स कुछ ज़्यादा ही अपुन की पीठ पर धंस गएले थे और अपुन के बदन में बड़ी तेज़ झुरझुरी हुई थी। यहां तक कि अपुन के लन्ड में भी सनसनी दौड़ गईली थी।

अपुन ─ हां पूछ ना।

दिव्या ─ विधी दी ने जो बताया क्या वो सच है? आई मीन क्या सच में आप दोनों गर्लफ्रेंड बॉयफ्रेंड बन गए हैं?

अपुन जानता था कि दिव्या अपुन से ये सवाल जरूर करेगी इस लिए जवाब पहले ही सोच लिया था अपुन ने।

अपुन ─ अरे! तो इसमें कौन सी बड़ी बात हो गईली है? भाई बहन दोस्त नहीं हो सकते क्या?

दिव्या ─ हां हो तो सकते हैं लेकिन गर्लफ्रेंड बॉयफ्रेंड तो अलग तरह के होते हैं न भैया?

अपुन ─ हां होते हैं पर अपन लोग उस तरह के नहीं हैं क्योंकि अपन लोग भाई बहन भी हैं।

दिव्या ─ तो फिर ऐसे गर्लफ्रेंड बॉयफ्रेंड बनने का क्या फायदा भैया?

अपुन ─ अपन लोग नफा नुकसान का सोच के थोड़े न एक दूसरे को गर्लफ्रेंड बॉयफ्रेंड बनाएले हैं। बस सिंपल से दोस्त बन गएले हैं जिससे दोनों लोग एक दोस्त की हैसियत से अपनी हर बात एक दूसरे से शेयर कर सकें।

दिव्या ─ हर बात? क्या सच में भैया? आई मीन क्या सच में आप दोनों अपनी हर बात एक दूसरे से शेयर कर सकते हैं?

अपुन ─ हां क्यों नहीं।

दिव्या ─ पर भैया, हर बात कैसे शेयर कर सकते हैं आप दोनों? आई मीन टू से कि कुछ बातें ऐसी भी होती हैं जो भाई बहन एक दूसरे से नहीं कह सकते।

अपुन ─ अरे! अपुन का मतलब ये था कि नॉर्मली हर बातें शेयर कर सकते हैं। बाकी जो बिल्कुल ही पर्सनल होंगी तो अपुन भी जानता है कि उन्हें एक दूसरे से शेयर नहीं कर सकते। ऑफ्टर ऑल भाई बहन के बीच एक लिमिट भी होती है।

दिव्या इस बार जल्दी कुछ न बोली। शायद वो कुछ सोचने लगी थी। इधर अपुन भी सोचने लग गयला था कि अब ये लौड़ी ऐसा क्या सोच रेली होगी? हालांकि अपुन अच्छी तरह समझ रेला था कि उसके मन में ऐसी कई बातें उभर रेली होंगी जिन्हें वो अपुन से खुल कर कहने में शायद झिझक रेली है।

दिव्या ─ अच्छा भैया, क्या आप नहीं चाहते कि आपकी कोई ऐसी गर्लफ्रेंड हो जिससे आप पर्सनल से पर्सनल बात भी शेयर कर सकें और तो और...वो सब भी कर सकें जो आज के गर्लफ्रेंड बॉयफ्रेंड करते हैं..यू नो?

अपुन अच्छी तरह समझ रेला था कि दिव्या के कहने का क्या मतलब था। हालांकि अपुन को ये सोच के थोड़ी हैरानी हुई थी कि वो अपुन से ये कैसी बातें कर रेली थी? अपुन सोचने पर मजबूर हो गया कि आखिर इसके मन में चल क्या रेला है?

अपुन ─ हां चाहता तो है अपुन लेकिन आज कल की लड़कियां कभी कभी लड़कों के गले भी पड़ जाती हैं। बोले तो जी का जंजाल बन जाती हैं। प्यार व्यार का बेकार का नाटक शुरू कर देती हैं जो अपुन को बिल्कुल पसंद नहीं है। इस लिए अपुन बाहर किसी लड़की को अपनी गर्लफ्रेंड बनाने का सोचा ही नहीं कभी।

दिव्या ─ अच्छा, वैसे कॉलेज में आपके फ्रेंड ग्रुप में प्रोफेसर रघुराज सिंह की बेटी शनाया भी तो है। और मैंने कई बार देखा है कि वो आपसे काफी अटैच हो के बात करने की कोशिश करती रहती है। उसके बारे में क्या कहेंगे आप?

अपुन ने मन ही मन सोचा कि ये तो अपुन की हर एक्टिविटी पर नजर रखती है लौड़ा।

अपुन ─ अरे! वो तो बस अपन लोग की फ्रैंड है। उससे अपुन का ज्यादा कोई लेना देना नहीं है। हालांकि वो तो चाहती है कि अपुन उसे अपनी गर्लफ्रेंड बना ले पर अपुन को वो ऐज ए गर्लफ्रेंड पसंद ही नहीं है। बोले तो अपुन अच्छी तरह जानता है कि वो गले पड़ने वाली लड़की ही है। इस लिए अपुन कभी उसे उस तरीके से भाव ही नहीं देता।

दिव्या ─ और विधी दी की फ्रैंड रीना? मैंने उसे भी कई बार देखा है कि वो आपको कैसी नजरों से देखती है।

अपुन ─ अरे! तो किसी के देखने से क्या होता है यार? ऐसे तो सारी दुनिया ही किसी न किसी को देखती है तो इसका मतलब ये थोड़ी न हो जाता है कि वो सब एक दूसरे से कनेक्ट हो गएले हैं। वैसे भी विधी को पसंद नहीं है कि अपुन उससे कोई मतलब रखे।

दिव्या (हैरानी से) ─ ऐसा क्यों भैया?

अपुन ─ उसका कहना है कि वो अच्छी लड़की नहीं है।

दिव्या ─ क्या सच में? आई मीन अगर वो अच्छी लड़की नहीं है तो विधी दी ने उसे अपनी बेस्ट फ्रेंड क्यों बना रखा है?

अपुन ─ अब ये तो वही जाने यार।

दिव्या इस बार कुछ न बोली। शायद सोचने में गुम हो गईली थी। इधर अचानक ही अपुन के मन में खयाल उभरा कि अपुन को दिव्या के बारे में भी पता करना चाहिए। हालांकि कॉलेज में उसका किसी लड़के से कोई चक्कर वक्कर नहीं था क्योंकि कॉलेज में सबको पता था कि विधी की तरह दिव्या भी अपुन की बहन है जिससे कोई दोनों के करीब आने की नहीं सोचता था। लेकिन इसके बावजूद दिव्या इस सबके बारे में क्या सोचती है ये जानना जरूरी था।

अपुन ─ ये सब छोड़ और तू अपनी बता। तेरा कोई बॉयफ्रेंड बना कॉलेज में?

दिव्या ─ क्या भैया ये कैसी बात कर रहे हैं आप? मैं क्या आपको ऐसी लड़की लगती हूं?

अपुन ─ अरे! आज कल तो हर कोई गर्लफ्रेंड बॉयफ्रेंड बनाते हैं। इस लिए पूछा कि क्या तेरा भी कोई बॉयफ्रेंड है या नहीं?

दिव्या ─ नहीं भैया। मुझे इसमें कोई इंटरेस्ट नहीं है और वैसे भी अभी मेरी उम्र सिर्फ पढ़ाई करने की है।

अपुन ─ पढ़ाई के साथ साथ इंसान के लिए एंटरटेनमेंट भी तो जरूरी होता है।

दिव्या ─ हां तो उसके लिए क्या यही जरूरी है कि मैं किसी लड़के को अपना ब्वॉयफ्रेंड बना लूं? नहीं भैया, मुझे ऐसा कुछ नहीं करना। रही बात एंटरटेनमेंट की तो आप सबके साथ मेरा एंटरटेनमेंट अच्छी तरह हो जाता है, खास कर आपके साथ।

अपुन ─ अपुन के साथ? वो कैसे?

दिव्या ─ अरे! मतलब कि आप विधी दी से ज्यादा मेरा सपोर्ट करते हैं जिससे विधी दी आपसे झगड़ती रहती हैं और आप भी उन्हें तंग करते रहते हैं। बस यही सब देख के मेरा एंटरटेनमेंट हो जाता है। दूसरी बात आप मेरे बड़े भाई तो हैं लेकिन कभी भी मुझे किसी बात पर डांटते नहीं हैं बल्कि हमेशा मेरे साथ अच्छा ही बर्ताव करते हैं। इससे मुझे बहुत अच्छा लगता है।

अपुन ─ अरे! तू भी विधी की तरह अपुन की लाडली बहन है इसी लिए तुझे भी उतना ही प्यार करता है अपुन जितना उसे करता है।

दिव्या ─ ना ना, मैं आपकी इस बात पर एग्री नहीं हूं।

अपुन ─ अरे! क्यों भला?

दिव्या ─ अगर आप सच में विधी दी के जैसे मुझसे प्यार करते तो सिर्फ उन्हें ही नहीं बल्कि मुझे भी अपनी गर्लफ्रेंड बना लिया होता आपने।

अपुन उसकी ये बात सुन के मन ही मन बड़ा हैरान हुआ लौड़ा। अपुन तो सोच भी नहीं सकता था कि वो ऐसा सोच सकती है।

अपुन ─ अरे! ये क्या बोल रेली है तू?

दिव्या ─ सच ही तो कह रही हूं भैया। आप विधी दी को ज्यादा प्यार करते हैं इस लिए उन्हें आपने अपनी गर्लफ्रेंड बना लिया है पर मुझे नहीं। इसी से साबित हो जाता है कि आपकी नजर में मेरी अहमियत विधी दी जितनी नहीं है।

अपुन ─ ऐसा नहीं है यार। अपुन तुझे भी उतना ही प्यार करता है जितना विधी को।

दिव्या ─ अच्छा, अगर सच में आप मुझे भी विधी दी जितना प्यार करते हैं तो जैसे आपने उनको अपनी गर्लफ्रेंड बनाया है तो मुझे भी बनाइए। पर मैं जानती हूं आप ऐसा नहीं करेंगे। करेंगे भी क्यों, मैं आपकी सगी जुड़वां बहन थोड़ी हूं।

ये तो इमोशनल ब्लैकमेल वाला मैटर हो गयला था बेटीचोद। अपुन सोच भी नहीं सकता था कि दिव्या के मन में ऐसी बात हो सकती है। हालांकि बाइक में इस तरह से उसका अपुन से चिपक के बैठना कभी कभी अपुन को सोच में डाल देता था पर फिर अपुन यही सोचता था कि शायद अभी बच्ची है इस लिए उसे ऐसी बातों का एहसास नहीं होता है। लेकिन इस वक्त उसकी ऐसी बात सुन कर अपुन अंदर तक हिल गयला था लौड़ा।

दिव्या ─ देखा, आपकी चुप्पी ने बता दिया कि सच वही है जो मैंने कहा।

अपुन ─ अरे! तू भी न एकदम पागल है। क्या तू ये समझती है कि गर्लफ्रेंड बना लेने से ही प्यार साबित होता है?

दिव्या ─ अगर ऐसा नहीं है तो मुझे भी अपनी गर्लफ्रेंड बना लीजिए। तब मानूंगी कि आप मुझे भी विधी दी की तरह प्यार करते हैं।

उसकी बात सुन कर अपुन की धड़कनें ट्रेन के इंजन के माफिक तेज हो गईं लौड़ा। बोले तो कुछ समझ में नहीं आ रेला था कि ये अचानक से ये क्या होने लग गयला है?

अपुन ─ यार तू सच में पागल हो गईली है।

दिव्या ─ कुछ भी कहिए लेकिन अगर आप मुझे भी विधी दी तरह अपनी गर्लफ्रेंड नहीं बनाएंगे तो मैं यही मानूंगी कि आप मुझसे प्यार नहीं करते।

कहने के साथ ही दिव्या अपुन की पीठ से अलग हो कर थोड़ा फासला बना कर बैठ गई। अपुन समझ गया कि वो रूठ गईली है और चाहती है कि विधी की तरह अपुन उसे भी अपनी गर्लफ्रेंड बना ले। वैसे देखा जाए तो वो गलत भी नहीं कह रेली थी। मतलब कि अगर अपुन विधी को अपनी गर्लफ्रेंड बना सकता है तो उसे क्यों नहीं?

अपुन सोचने लगा कि अगर उसको ये लगता है कि उसे अपनी गर्लफ्रेंड बनाने से ही अपुन का प्यार साबित होगा तो यही सही। मतलब कि अपुन उसे भी अपनी गर्लफ्रेंड बना लेता है। वैसे भी कहीं न कहीं अपुन के मन में ये चाहत भी पैदा हो गईली थी कि कल रात जब अपुन और विधी के बीच इतना कुछ हो गयला है तो इससे आगे भी हो सकता है। बोले तो वो सब कुछ भी जो अपुन ने साधना के साथ किएला था। हालांकि इस खयाल के साथ ही अपुन के अंदर एक साथ दो तरह की बातें उभर आती थीं।

पहली ये कि अपुन को अपनी बहनों के बारे में इस तरह के गलत खयाल भी मन में नहीं लाने चाहिए क्योंकि ये गलत ही नहीं बल्कि पाप भी है लौड़ा। दूसरी बात ये कि साधना के रूप में एक लड़की के साथ इतना कुछ मजा करने के बाद अब अपुन के मन में ये खयाल भी आने लगे थे कि अलग अलग लड़कियों के साथ ऐसा करने में किस किस तरह का मजा आएगा?

खैर ये तो फिलहाल अभी संभावनाओं की बात थी। इस वक्त अपुन को दिव्या की तरफ ध्यान देना जरूरी था क्योंकि वो अपुन से रूठ कर बाइक में थोड़ा फासले पर बैठ गईली थी।

अपुन ─ क्या यार, इतनी सी बात पर तू अपुन से रूठ गई? अच्छा ठीक है, अगर तू चाहती है कि अपुन तुझे भी अपनी गर्लफ्रेंड बना ले तो ठीक है। आज से तू भी अपुन की गर्लफ्रेंड है।

अपुन की ये बात सुनते ही दिव्या एकदम से खुश हो गई और झट से खिसक कर अपुन से वैसे ही चिपक गई जैसे पहले चिपकी बैठी थी। एक बार फिर से उसके बूब्स अपुन की पीठ पर धंस गए जिसके चलते अपुन के पूरे जिस्म में मजे की लहर दौड़ गई लौड़ा।

दिव्या ─ क्या सच में भैया? क्या सच में विधी दी की तरह मैं भी आपकी गर्लफ्रेंड हूं?

अपुन ─ हां बोल तो दिया है अपुन ने। क्या तुझे अपुन की बात पर यकीन नहीं हुआ?

दिव्या ─ हो गया है भैया और हां थैंक्यू सो मच। अब मैं भी विधी दी की तरह आपकी गर्लफ्रेंड बन गई हूं...ओह! मुझे तो यकीन ही नहीं हो रहा।

अपुन ─ तू अपुन की गर्लफ्रेंड तो बन गईली है लेकिन इसके साथ ही तुझे अपुन की एक बात भी माननी होगी।

दिव्या ─ बिल्कुल मानूंगी भैया। आप बताइए, कौन सी बात माननी होगी मुझे?

अपुन ─ देख, ये तो तू भी समझती है कि भाई बहन आपस में गर्लफ्रेंड बॉयफ्रेंड नहीं हो सकते। मतलब कि लोग भाई बहन के बीच इस रिश्ते को गलत मानते हैं।

दिव्या ─ हां भैया, ये तो मैं भी जानती हूं।

अपुन ─ ओके, तो अपुन तुझसे ये कहना चाहता है कि अपन लोग के बीच बने इस रिश्ते के बारे में कभी किसी को पता नहीं चलना चाहिए। बोले तो न घर वालों को और ना ही बाहर किसी को।

दिव्या ─ आप टेंशन न लीजिए भैया। मुझे पता है कि अगर इस रिश्ते के बारे में किसी को पता चल गया तो बहुत बड़ी गड़बड़ हो जाएगी। ट्रस्ट मी, मैं गलती से भी इस बारे में कभी किसी को नहीं बताऊंगी।

अपुन ─ विधी को भी मत बताना।

दिव्या (हैरानी से) ─ उन्हें भी? क्यों भैया? आई मीन वो भी तो आपकी गर्लफ्रेंड हैं और ये बात जब मुझे पता है तो उन्हें भी तो मेरे बारे में ये पता होना चाहिए?

अपुन भी समझ रेला था कि वो ठीक ही कह रेली है लेकिन अपुन नहीं चाहता था कि विधी को ये सब पता चले। क्योंकि वो अपुन के लिए थोड़ा ज्यादा ही प्रोटेक्टिव और सेंसटिव थी। बोले तो वो उन लड़कियों में से थी जो किसी पर सिर्फ अपना ही हक समझती हैं। दिव्या के साथ उसके झगड़े की एक वजह ये भी रही थी लौड़ा।

अपुन ─ तेरी बात ठीक है लेकिन तू भी जानती है कि वो किस तरह की लड़की है। मतलब कि वो उनमें से है जो किसी पर सिर्फ अपना ही हक समझती हैं। अगर उसे पता चल गया कि अपुन ने तुझे भी अपनी गर्लफ्रेंड बना लिया है तो वो अपन दोनों से नाराज़ हो जाएगी। ये भी हो सकता है कि गुस्से में वो कुछ ऐसा कर दे जिससे बाकी घर वालों को भी इस बारे में पता चल जाए।

दिव्या ─ हां ये तो आप बिल्कुल सही कह रहे हैं भैया। विधी दी सच में आपको ले कर ऐसी ही सोच रखती हैं। ओके तो ठीक है भैया, मैं उन्हें भी नहीं बताऊंगी।

अपुन जानता था कि दिव्या ऐसे मामलों में थोड़ा होशियार थी। वो जज्बातों से कहीं ज़्यादा समझदारी से काम लेती थी जबकि विधी इसके उलट थी। वो भले ही उम्र में दिव्या से बड़ी थी लेकिन उसमें बचपना अभी भी बहुत ज्यादा था। खैर कुछ सोचते हुए अपुन ने दिव्या से कहा।

अपुन ─ एक बात और, विधी के सामने ऐसी बातें या ऐसी हरकतें भी मत करना जिससे उसे इस बारे में शक हो जाए, ओके?

दिव्या ─ ठीक है भैया। मैं इस बात का अच्छे से खयाल रखूंगी।

अपुन ─ हां अपुन जानता है कि तू उससे ज्यादा समझदार है। खैर चल देख, अपन लोग का कॉलेज आ गया।

पार्किंग में बाइक खड़ी कर के अपन लोग चलने ही लगे थे कि तभी विधी भी अपनी स्कूटी से आ गई। उसने एक नजर अपुन को मुस्कुराते हुए देखा और फिर स्कूटी एक तरफ खड़ी कर अपन लोगों के साथ ही चलने लगी। कुछ ही देर में अपन लोग कॉलेज के अंदर आ गए।

अपुन की नजर शरद पर पड़ गईली थी जो इस तरफ ही आ रेला था। उसके साथ एक लड़का और था। अपुन ने दिव्या और विधी को जाने को कहा और खुद शरद की तरफ मुड़ गया।

अपुन ─ अब तेरी तबीयत कैसी है बे लौड़े? वैसे क्या हो गयला था तुझे?

शरद ─ फीवर हो गया था भाई। अब ठीक हूं।

अपुन (उसके साथ खड़े लड़के को देख) ─ ये कौन है?

शरद ─ अरे! ये तो मेरी मौसी का लड़का अंशुल है। कल शाम को ही मौसी के साथ आया था। कहने लगा कि मेरा कॉलेज देखना है तो ले आया इसे। अभी चला जाएगा यहां से।

शरद ने उस लड़के को बताया कि अपुन उसका दोस्त है तो उसने अपुन को नमस्ते किया और फिर चला गया।

शरद ─ अरे! हां वो शनाया पूछ रही थी तुझे।

अपुन ─ उसकी मां की चूत।

शरद ─ अरे! ऐसा क्यों बोल रहा है? हमारे फ्रेंड ग्रुप में तूने ही तो एड किया है उसे। फिर उसके बारे में ऐसा क्यों बोल रहा है?

अपुन ─ अबे तू बड़ा साइड ले रेला है उसकी। कहीं टांका वांका तो नहीं भिड़ा लिया है उसके साथ?

शरद ─ तू तो जानता है कि इस मामले में मेरी फटने लगती है। वैसे बहुत अच्छी लड़की है वो।

अपुन ─ तू कहे तो अपुन तेरे लिए बात करे उससे?

शरद ये सुन कर बुरी तरह हड़बड़ा गया। वो ऐसा ही था बेटीचोद। बोले तो लड़कियों के मामले में बहुत डरपोक था। अमित अक्सर अपुन से बोला करता था कि इतना डरपोक लड़का अपन लोग के ग्रुप में नहीं होना चाहिए लेकिन अपुन उसे इस लिए रखे हुए था क्योंकि वो पढ़ने में होशियार था और दिल का बहुत साफ था। बोले तो कभी किसी के बारे में गलत नहीं सोचता था।

शरद ─ अरे! यार कैसी बात कर रहा है तू। तुझे अच्छी तरह पता है कि मुझे इसमें इंटरेस्ट नहीं है।

अपुन ─ भोसड़ी के अपुन को पहले से ही शक था कि तू गे है, हट लौड़ा।

शरद ने इस बार गुस्से से देखा अपुन को। हर बार ऐसे ही होता था। अपुन जब उसको गे बोलता तो वो गुस्सा हो जाता था। खैर वो गुस्से से कुछ देर अपुन को घूरता रहा फिर नॉर्मल हो कर बोला।

शरद ─ तू कौन सा प्ले बॉय है। तूने भी तो आज तक किसी लड़की को गर्लफ्रेंड नहीं बनाया। मतलब तू भी गे है। चल दोनों मिल के आपस में गुलू गुलू करते हैं।

अपुन ─ हट बे। अपुन ने भले ही किसी लड़की को गर्लफ्रेंड नहीं बनाया लेकिन तेरी तरह किसी लड़की से बात करने में गांड़ नहीं फटती है अपुन की। अपुन चाहे तो कभी भी किसी लड़की को गर्लफ्रेंड बना के उसे चोद सकता है, समझा क्या?

शरद अपुन के मुख से खुले आम चोदने की बात सुन कर पहले तो शॉक हुआ, फिर हड़बड़ा कर इधर उधर ये सोच कर देखने लगा कि किसी ने सुन तो नहीं लिया बेटीचोद।

शरद ─ अबे पागल हो गया है क्या? धीरे नहीं बोल सकता?

अपुन ─ क्यों फट गई क्या तेरी?

शरद अभी कुछ बोलने ही वाला था कि तभी अपन दोनों ने ही देखा कि शनाया हाथ हिलाते हुए अपन लोग की तरफ ही तेजी से आ रेली थी। उसको देखते ही अपुन का दिमाग खराब होने लगा बेटीचोद।

ऐसा नहीं था कि वो दिखने में सुंदर नहीं थी। बोले तो मस्त चोदने लायक माल थी लेकिन पता नहीं क्यों अपुन उसे देखते ही बुरा सा मुंह बना लेता था। वैसे अपुन को पूरा यकीन था कि अगर अपुन उसे ये बोले कि अपुन को उसे चोदना है तो वो झट से तैयार हो जाएगी। बस, यही नेचर नहीं चाहिए था अपुन को। लौड़ा, कुछ तो क्लास होनी चाहिए थी उसमें, हट बेटीचोद।

शनाया ─ हाय विराट! कैसे हो?

अपुन ─ एकदम झक्कास, बोले तो एकदम टकाटक। तू बता इधर उधर कहां फुदक रेली है?

शरद ─ भाई तू शनाया से बात कर, मैं एक जरूरी काम से प्रिंसिपल के ऑफिस जा रहा हूं।

अपुन जानता था कि वो बहाना बना के जा रेला था। शनाया भले ही अपन लोग के ग्रुप में थी लेकिन वो लौड़ा इतने टाइम के बाद भी उसके सामने मौजूद रहने से अनकंफर्टेबल होने लगता था।

शनाया ─ परसों क्लास से क्यों चले थे?

अपुन ─ क्या तुझे नहीं पता?

शनाया ─ हां वो तो मैंने देखा था कि अनुष्का मैम ने तुम्हें क्लास से आउट कर दिया था लेकिन तुम तो कॉलेज से ही चले गए थे, क्यों?

अपुन ─ अपुन ऐसा ही है लौड़ा...सॉरी गलती से मुंह से निकल गया।

अपुन के मुख से लौड़ा सुन के शनाया की एकदम से आँखें फैल गईली थीं, फिर जल्दी ही नॉर्मल हो कर मुस्कुरा उठी।

शनाया ─ इट्स ओके। मुझे पता है कि तुम ऐसे ही लहजे में बात करते हो।

अपुन ─ क्या तुझे नहीं लगता कि अपुन जैसे टपोरी भाषा वाले लड़के के करीब नहीं रहना चाहिए तुझे?

शनाया ─ सच कहूं तो मुझे इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। तभी तो तुम्हारे फ्रेंड ग्रुप में हूं। अच्छा ये सब छोड़ो, क्या हम कहीं और चलें?

अपुन ─ अरे! क्लास का टाइम होने वाला है और तू कहीं और चलने को बोल रेली है?

शनाया ─ कभी तो अकेले में मेरे साथ टाइम स्पेंड करने के लिए हां कह दिया करो।

अपुन ─ इस वक्त भी तो अपन लोग अकेले ही टाइम स्पेंड कर रेले हैं।

शनाया ─ हां पर यहां बाकी लोग भी हैं और शोर शराबा भी है। मैं चाहती हूं कि हम दोनों किसी एकांत जगह पर चलें।

अपुन ─ ओए! तेरे इरादे तो नेक हैं न? कहीं तू एकांत में ले जा कर अपुन की इज्जत लूटने का इरादा तो नहीं बनाएली है?

शनाया ये सुन कर खिलखिला कर हंसने लगी। उसके सच्चे मोतियों जैसे दांत चमकने लगे थे। फिर एकदम से अपुन की नज़रें फिसल कर उसके सीने पर जम गईं। उसके हंसने पर उसके मम्मे हल्के हल्के हिल रेले थे लौड़ा। अपुन ने गौर किया कि उसके मम्मे साधना के मम्मों से बड़े थे।

अपुन के जिस्म में झुरझुरी सी दौड़ हुई बेटीचोद। तभी शायद उसने भी नोटिस कर लिया कि अपुन उसके मम्मों को घूर रेला है तो उसका हंसना बंद हो गया और उसके चेहरे पर हल्के शर्म के भाव उभर आए।

शनाया ─ वैसे तो खुद के लिए ये बोलते हो कि मैं तुम्हें एकांत में ले जा कर कहीं तुम्हारी इज्जत लूट लेने का इरादा तो नहीं बनाए हूं जबकि खुद की नजरों को कहीं और ही जमा रखा है तुमने। वाह! जनाब बहुत खूब।

अपुन उसकी इस बात से एकदम हड़बड़ा गया। चोरी पकड़ी जाने पर अपुन को बड़ा अजीब फील हुआ लेकिन फिर जल्दी ही अपुन ने खुद को नॉर्मल कर लिया।

अपुन ─ हां वो गलती से अपुन की नज़र पड़ गईली थी...सॉरी।

शनाया ─ इट्स ओके। वैसे अच्छे लगे कि नहीं?

अपुन (शॉक्ड) ─ क...क्या मतलब??

शनाया (हंस कर) ─ वही जो देख रहे थे।

अपुन सच में ये सोच के हैरान हुआ कि आज इस लौड़ी को क्या हो गयला है? मतलब कि आज इतना खुल के कैसे बोल रेली थी वो? वैसे जिस अंदाज से उसने पूछा था उससे अपुन भले ही हैरान हुआ था लेकिन अपुन के लन्ड में करेंट सा दौड़ गयला था। मन में खयाल उभरा कि क्या अपुन भी आज इससे थोड़ा खुल कर मजा ले?

अपुन ─ अपुन को क्या पता कैसे हैं? मतलब कि ऐसे छुपी हुई चीज के बारे में कोई कैसे अच्छे से बता सकता है?

शनाया ने इस बार आँखें फाड़ कर अपुन को देखा। शायद उसे यकीन नहीं हो रेला था कि अपुन ने भी आज खुल कर ऐसा बोल दिया है। इधर अपुन की धड़कनें पलक झपकते ही तेज गईली थीं लौड़ा।

शनाया ─ ओह! वि...विराट, आर यू रियली टॉकिंग अबाउट देम?

अपुन ─ नो नो, आई वाज जस्ट किडिंग। यस जस्ट किडिंग एंड आई थिंक वी शुड लीव नाउ।

इससे पहले कि शनाया कुछ कहती अपुन क्लास की तरफ चल पड़ा। शनाया हैरत से आँखें फाड़े कुछ पलों तक अपुन को जाता देखती रही, फिर एकदम से जैसे उसे होश आया तो वो भी तेजी से अपुन के पीछे आने लगी। इधर अपुन के मन में यही चल रेला था कि बेटीचोद ये क्या बकचोदी पेलने लग गयला था अपुन?

~~~~~~

अपुन शरद के साथ क्लास में बैठा था। सभी लड़के लड़कियां टीचर के द्वारा बोले जा रहे लेक्चर को ध्यान से सुन रेले थे। पर अपुन का ध्यान उसके लेक्चर में नहीं था लौड़ा। बोले तो अपुन अभी भी शनाया को बोले गए अपने वर्ड में अटका हुआ था बेटीचोद और ये हाल सिर्फ अपुन का ही बस नहीं था बल्कि शनाया का भी था शायद। वो लौड़ी बार बार गर्दन घुमा कर अपुन को देखती और हल्के से स्माइल मार देती। अपुन उसे नहीं देख रेला था बल्कि टीचर को देख रेला था लेकिन अपुन का ध्यान उसके लेक्चर पर नहीं था।

टीचर का पीरियड कब खत्म हुआ अपुन को पता ही न चला लौड़ा। अपुन को होश तब आया जब शरद ने अपुन को हिलाया। अपुन उसके हिलाने पर चौंक ही पड़ा था बेटीचोद। खैर खुद को सम्हाल कर अपुन ने क्लास पर ध्यान दिया तो पता चला कि शनाया की तरह विधी भी बीच बीच में गर्दन घुमा कर अपुन को देख रेली थी और स्माइल मार देती थी। उसके साथ रीना जिंदल बैठी हुई थी। उससे दो कुर्सी पीछे शनाया बैठेली थी।

अगली क्लास अनुष्का की थी, इस लिए अपुन की ये सोच के धड़कनें बढ़ गईली थीं कि आज वो अपुन से क्या बोलने वाली है? खैर थोड़ी ही देर में वो क्लास में दाखिल हुई।

आज भी लौड़ी ने साड़ी पहन रखी थी। वैसे तो ज्यादातर अपुन ने उसे सलवार सूट या जींस पहने ही देखा था लेकिन शादी होने के बाद से उसने साड़ी पहनना भी शुरू कर दिया था। आज भी वो आसमानी रंग की पतली सी साड़ी पहने थी और हॉफ बाजू वाला ब्लाउज जिसमें उसकी गोरी गोरी बाहें अलग ही चमक रेली थीं।

क्लास में आते ही उसने सबसे पहले अपुन पर ही नजर डाली। अपुन ने उसे पहले ही देख लिया था इस लिए अपुन उसकी तरफ नहीं देख रेला था। उसने कुछ पल जाने क्या सोचा उसके बाद अपना सब्जेक्ट पढ़ाना शुरू कर दिया। उसकी मधुर आवाज क्लास में गूंजने लगी। वो पढ़ाते समय बार बार अपुन की तरफ देख रेली थी। अपुन लौड़ा कब तक उससे नज़रें हटाए रखता? अपुन की नजर जैसे ही उससे मिली तो उसने एक स्माइल पास की लेकिन अपुन ने कोई रिएक्ट नहीं किया।

क्लास खत्म होने के बाद उसने अपुन को स्पष्ट रूप से उसके केबिन में आ कर मिलने को कहा और चली गई। अपुन चाहता था तो न भी जाता वो अपुन का कुछ उखाड़ नहीं लेती लेकिन फिर अपुन ने सोचा कि इस तरह उससे दूर भागने से क्या हासिल होगा? बोले तो उसके केबिन में जा कर देखना ही चाहिए कि वो अपुन से क्या बोलती है?

To be continued....


Aaj ke liye itna hi bhai log,

Read and enjoy:declare:
Nice update....
 

only_me

I ÂM LÕSÉR ẞŪT.....
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Update ~ 17



अपुन ─ ठीक है। अच्छा अब मैसेज मत करना। अपुन अब कॉलेज के लिए निकलता है। जब अपुन को आना होगा तो अपुन खुद ही तुम्हें मैसेज कर देगा।

इस मैसेज के बाद अपुन ने सारी चैट को डिलीट मारा और फिर नेट ऑफ कर के मोबाइल जेब में डाल दिया। अपुन का लन्ड अभी भी अकड़ा हुआ था लौड़ा। अपुन जानता था कि जब तक अपुन का ध्यान कहीं और नहीं लगेगा तब तक ये बेटीचोद ऐसे ही अकड़ा रहेगा। खैर अपुन ने दिव्या और विधी को कॉलेज चलने को बोला तो वो फौरन ही टीवी बंद कर के सोफे से खड़ी हो गईं।



अब आगे....


अपन लोग कॉलेज जाने के लिए घर से निकले तो हमेशा की तरह दिव्या अपुन की बाइक में पीछे बैठ गई जबकि विधी अपनी स्कूटी से जाने लगी। असल में दिव्या को स्कूटी चलाना नहीं आता था और उसने कभी चलाना भी नहीं सीखा था।

खैर कुछ ही देर बाद रास्ते में दिव्या खिसक कर अपुन से चिपक गई। ये उसका रोज का ही था। घर से निकलते वक्त वो नॉर्मल ही बैठती थी लेकिन कुछ दूर आने के बाद वो एकदम चिपक कर बैठ जाती थी। उसके मध्यम आकार के बूब्स अपुन की पीठ पर चुभना शुरू हो जाते थे जिससे अपुन के बदन में रोमांच की लहरें दौड़ने लगती थी लौड़ा।

दिव्या ─ अच्छा भैया, आपसे एक बात पूछूं?

रास्ते में दिव्या ने अपुन से चिपके हुए ही अपना मुंह अपुन के कान के पास ला कर कहा। इस चक्कर में उसके बूब्स कुछ ज़्यादा ही अपुन की पीठ पर धंस गएले थे और अपुन के बदन में बड़ी तेज़ झुरझुरी हुई थी। यहां तक कि अपुन के लन्ड में भी सनसनी दौड़ गईली थी।

अपुन ─ हां पूछ ना।

दिव्या ─ विधी दी ने जो बताया क्या वो सच है? आई मीन क्या सच में आप दोनों गर्लफ्रेंड बॉयफ्रेंड बन गए हैं?

अपुन जानता था कि दिव्या अपुन से ये सवाल जरूर करेगी इस लिए जवाब पहले ही सोच लिया था अपुन ने।

अपुन ─ अरे! तो इसमें कौन सी बड़ी बात हो गईली है? भाई बहन दोस्त नहीं हो सकते क्या?

दिव्या ─ हां हो तो सकते हैं लेकिन गर्लफ्रेंड बॉयफ्रेंड तो अलग तरह के होते हैं न भैया?

अपुन ─ हां होते हैं पर अपन लोग उस तरह के नहीं हैं क्योंकि अपन लोग भाई बहन भी हैं।

दिव्या ─ तो फिर ऐसे गर्लफ्रेंड बॉयफ्रेंड बनने का क्या फायदा भैया?

अपुन ─ अपन लोग नफा नुकसान का सोच के थोड़े न एक दूसरे को गर्लफ्रेंड बॉयफ्रेंड बनाएले हैं। बस सिंपल से दोस्त बन गएले हैं जिससे दोनों लोग एक दोस्त की हैसियत से अपनी हर बात एक दूसरे से शेयर कर सकें।

दिव्या ─ हर बात? क्या सच में भैया? आई मीन क्या सच में आप दोनों अपनी हर बात एक दूसरे से शेयर कर सकते हैं?

अपुन ─ हां क्यों नहीं।

दिव्या ─ पर भैया, हर बात कैसे शेयर कर सकते हैं आप दोनों? आई मीन टू से कि कुछ बातें ऐसी भी होती हैं जो भाई बहन एक दूसरे से नहीं कह सकते।

अपुन ─ अरे! अपुन का मतलब ये था कि नॉर्मली हर बातें शेयर कर सकते हैं। बाकी जो बिल्कुल ही पर्सनल होंगी तो अपुन भी जानता है कि उन्हें एक दूसरे से शेयर नहीं कर सकते। ऑफ्टर ऑल भाई बहन के बीच एक लिमिट भी होती है।

दिव्या इस बार जल्दी कुछ न बोली। शायद वो कुछ सोचने लगी थी। इधर अपुन भी सोचने लग गयला था कि अब ये लौड़ी ऐसा क्या सोच रेली होगी? हालांकि अपुन अच्छी तरह समझ रेला था कि उसके मन में ऐसी कई बातें उभर रेली होंगी जिन्हें वो अपुन से खुल कर कहने में शायद झिझक रेली है।

दिव्या ─ अच्छा भैया, क्या आप नहीं चाहते कि आपकी कोई ऐसी गर्लफ्रेंड हो जिससे आप पर्सनल से पर्सनल बात भी शेयर कर सकें और तो और...वो सब भी कर सकें जो आज के गर्लफ्रेंड बॉयफ्रेंड करते हैं..यू नो?

अपुन अच्छी तरह समझ रेला था कि दिव्या के कहने का क्या मतलब था। हालांकि अपुन को ये सोच के थोड़ी हैरानी हुई थी कि वो अपुन से ये कैसी बातें कर रेली थी? अपुन सोचने पर मजबूर हो गया कि आखिर इसके मन में चल क्या रेला है?

अपुन ─ हां चाहता तो है अपुन लेकिन आज कल की लड़कियां कभी कभी लड़कों के गले भी पड़ जाती हैं। बोले तो जी का जंजाल बन जाती हैं। प्यार व्यार का बेकार का नाटक शुरू कर देती हैं जो अपुन को बिल्कुल पसंद नहीं है। इस लिए अपुन बाहर किसी लड़की को अपनी गर्लफ्रेंड बनाने का सोचा ही नहीं कभी।

दिव्या ─ अच्छा, वैसे कॉलेज में आपके फ्रेंड ग्रुप में प्रोफेसर रघुराज सिंह की बेटी शनाया भी तो है। और मैंने कई बार देखा है कि वो आपसे काफी अटैच हो के बात करने की कोशिश करती रहती है। उसके बारे में क्या कहेंगे आप?

अपुन ने मन ही मन सोचा कि ये तो अपुन की हर एक्टिविटी पर नजर रखती है लौड़ा।

अपुन ─ अरे! वो तो बस अपन लोग की फ्रैंड है। उससे अपुन का ज्यादा कोई लेना देना नहीं है। हालांकि वो तो चाहती है कि अपुन उसे अपनी गर्लफ्रेंड बना ले पर अपुन को वो ऐज ए गर्लफ्रेंड पसंद ही नहीं है। बोले तो अपुन अच्छी तरह जानता है कि वो गले पड़ने वाली लड़की ही है। इस लिए अपुन कभी उसे उस तरीके से भाव ही नहीं देता।

दिव्या ─ और विधी दी की फ्रैंड रीना? मैंने उसे भी कई बार देखा है कि वो आपको कैसी नजरों से देखती है।

अपुन ─ अरे! तो किसी के देखने से क्या होता है यार? ऐसे तो सारी दुनिया ही किसी न किसी को देखती है तो इसका मतलब ये थोड़ी न हो जाता है कि वो सब एक दूसरे से कनेक्ट हो गएले हैं। वैसे भी विधी को पसंद नहीं है कि अपुन उससे कोई मतलब रखे।

दिव्या (हैरानी से) ─ ऐसा क्यों भैया?

अपुन ─ उसका कहना है कि वो अच्छी लड़की नहीं है।

दिव्या ─ क्या सच में? आई मीन अगर वो अच्छी लड़की नहीं है तो विधी दी ने उसे अपनी बेस्ट फ्रेंड क्यों बना रखा है?

अपुन ─ अब ये तो वही जाने यार।

दिव्या इस बार कुछ न बोली। शायद सोचने में गुम हो गईली थी। इधर अचानक ही अपुन के मन में खयाल उभरा कि अपुन को दिव्या के बारे में भी पता करना चाहिए। हालांकि कॉलेज में उसका किसी लड़के से कोई चक्कर वक्कर नहीं था क्योंकि कॉलेज में सबको पता था कि विधी की तरह दिव्या भी अपुन की बहन है जिससे कोई दोनों के करीब आने की नहीं सोचता था। लेकिन इसके बावजूद दिव्या इस सबके बारे में क्या सोचती है ये जानना जरूरी था।

अपुन ─ ये सब छोड़ और तू अपनी बता। तेरा कोई बॉयफ्रेंड बना कॉलेज में?

दिव्या ─ क्या भैया ये कैसी बात कर रहे हैं आप? मैं क्या आपको ऐसी लड़की लगती हूं?

अपुन ─ अरे! आज कल तो हर कोई गर्लफ्रेंड बॉयफ्रेंड बनाते हैं। इस लिए पूछा कि क्या तेरा भी कोई बॉयफ्रेंड है या नहीं?

दिव्या ─ नहीं भैया। मुझे इसमें कोई इंटरेस्ट नहीं है और वैसे भी अभी मेरी उम्र सिर्फ पढ़ाई करने की है।

अपुन ─ पढ़ाई के साथ साथ इंसान के लिए एंटरटेनमेंट भी तो जरूरी होता है।

दिव्या ─ हां तो उसके लिए क्या यही जरूरी है कि मैं किसी लड़के को अपना ब्वॉयफ्रेंड बना लूं? नहीं भैया, मुझे ऐसा कुछ नहीं करना। रही बात एंटरटेनमेंट की तो आप सबके साथ मेरा एंटरटेनमेंट अच्छी तरह हो जाता है, खास कर आपके साथ।

अपुन ─ अपुन के साथ? वो कैसे?

दिव्या ─ अरे! मतलब कि आप विधी दी से ज्यादा मेरा सपोर्ट करते हैं जिससे विधी दी आपसे झगड़ती रहती हैं और आप भी उन्हें तंग करते रहते हैं। बस यही सब देख के मेरा एंटरटेनमेंट हो जाता है। दूसरी बात आप मेरे बड़े भाई तो हैं लेकिन कभी भी मुझे किसी बात पर डांटते नहीं हैं बल्कि हमेशा मेरे साथ अच्छा ही बर्ताव करते हैं। इससे मुझे बहुत अच्छा लगता है।

अपुन ─ अरे! तू भी विधी की तरह अपुन की लाडली बहन है इसी लिए तुझे भी उतना ही प्यार करता है अपुन जितना उसे करता है।

दिव्या ─ ना ना, मैं आपकी इस बात पर एग्री नहीं हूं।

अपुन ─ अरे! क्यों भला?

दिव्या ─ अगर आप सच में विधी दी के जैसे मुझसे प्यार करते तो सिर्फ उन्हें ही नहीं बल्कि मुझे भी अपनी गर्लफ्रेंड बना लिया होता आपने।

अपुन उसकी ये बात सुन के मन ही मन बड़ा हैरान हुआ लौड़ा। अपुन तो सोच भी नहीं सकता था कि वो ऐसा सोच सकती है।

अपुन ─ अरे! ये क्या बोल रेली है तू?

दिव्या ─ सच ही तो कह रही हूं भैया। आप विधी दी को ज्यादा प्यार करते हैं इस लिए उन्हें आपने अपनी गर्लफ्रेंड बना लिया है पर मुझे नहीं। इसी से साबित हो जाता है कि आपकी नजर में मेरी अहमियत विधी दी जितनी नहीं है।

अपुन ─ ऐसा नहीं है यार। अपुन तुझे भी उतना ही प्यार करता है जितना विधी को।

दिव्या ─ अच्छा, अगर सच में आप मुझे भी विधी दी जितना प्यार करते हैं तो जैसे आपने उनको अपनी गर्लफ्रेंड बनाया है तो मुझे भी बनाइए। पर मैं जानती हूं आप ऐसा नहीं करेंगे। करेंगे भी क्यों, मैं आपकी सगी जुड़वां बहन थोड़ी हूं।

ये तो इमोशनल ब्लैकमेल वाला मैटर हो गयला था बेटीचोद। अपुन सोच भी नहीं सकता था कि दिव्या के मन में ऐसी बात हो सकती है। हालांकि बाइक में इस तरह से उसका अपुन से चिपक के बैठना कभी कभी अपुन को सोच में डाल देता था पर फिर अपुन यही सोचता था कि शायद अभी बच्ची है इस लिए उसे ऐसी बातों का एहसास नहीं होता है। लेकिन इस वक्त उसकी ऐसी बात सुन कर अपुन अंदर तक हिल गयला था लौड़ा।

दिव्या ─ देखा, आपकी चुप्पी ने बता दिया कि सच वही है जो मैंने कहा।

अपुन ─ अरे! तू भी न एकदम पागल है। क्या तू ये समझती है कि गर्लफ्रेंड बना लेने से ही प्यार साबित होता है?

दिव्या ─ अगर ऐसा नहीं है तो मुझे भी अपनी गर्लफ्रेंड बना लीजिए। तब मानूंगी कि आप मुझे भी विधी दी की तरह प्यार करते हैं।

उसकी बात सुन कर अपुन की धड़कनें ट्रेन के इंजन के माफिक तेज हो गईं लौड़ा। बोले तो कुछ समझ में नहीं आ रेला था कि ये अचानक से ये क्या होने लग गयला है?

अपुन ─ यार तू सच में पागल हो गईली है।

दिव्या ─ कुछ भी कहिए लेकिन अगर आप मुझे भी विधी दी तरह अपनी गर्लफ्रेंड नहीं बनाएंगे तो मैं यही मानूंगी कि आप मुझसे प्यार नहीं करते।

कहने के साथ ही दिव्या अपुन की पीठ से अलग हो कर थोड़ा फासला बना कर बैठ गई। अपुन समझ गया कि वो रूठ गईली है और चाहती है कि विधी की तरह अपुन उसे भी अपनी गर्लफ्रेंड बना ले। वैसे देखा जाए तो वो गलत भी नहीं कह रेली थी। मतलब कि अगर अपुन विधी को अपनी गर्लफ्रेंड बना सकता है तो उसे क्यों नहीं?

अपुन सोचने लगा कि अगर उसको ये लगता है कि उसे अपनी गर्लफ्रेंड बनाने से ही अपुन का प्यार साबित होगा तो यही सही। मतलब कि अपुन उसे भी अपनी गर्लफ्रेंड बना लेता है। वैसे भी कहीं न कहीं अपुन के मन में ये चाहत भी पैदा हो गईली थी कि कल रात जब अपुन और विधी के बीच इतना कुछ हो गयला है तो इससे आगे भी हो सकता है। बोले तो वो सब कुछ भी जो अपुन ने साधना के साथ किएला था। हालांकि इस खयाल के साथ ही अपुन के अंदर एक साथ दो तरह की बातें उभर आती थीं।

पहली ये कि अपुन को अपनी बहनों के बारे में इस तरह के गलत खयाल भी मन में नहीं लाने चाहिए क्योंकि ये गलत ही नहीं बल्कि पाप भी है लौड़ा। दूसरी बात ये कि साधना के रूप में एक लड़की के साथ इतना कुछ मजा करने के बाद अब अपुन के मन में ये खयाल भी आने लगे थे कि अलग अलग लड़कियों के साथ ऐसा करने में किस किस तरह का मजा आएगा?

खैर ये तो फिलहाल अभी संभावनाओं की बात थी। इस वक्त अपुन को दिव्या की तरफ ध्यान देना जरूरी था क्योंकि वो अपुन से रूठ कर बाइक में थोड़ा फासले पर बैठ गईली थी।

अपुन ─ क्या यार, इतनी सी बात पर तू अपुन से रूठ गई? अच्छा ठीक है, अगर तू चाहती है कि अपुन तुझे भी अपनी गर्लफ्रेंड बना ले तो ठीक है। आज से तू भी अपुन की गर्लफ्रेंड है।

अपुन की ये बात सुनते ही दिव्या एकदम से खुश हो गई और झट से खिसक कर अपुन से वैसे ही चिपक गई जैसे पहले चिपकी बैठी थी। एक बार फिर से उसके बूब्स अपुन की पीठ पर धंस गए जिसके चलते अपुन के पूरे जिस्म में मजे की लहर दौड़ गई लौड़ा।

दिव्या ─ क्या सच में भैया? क्या सच में विधी दी की तरह मैं भी आपकी गर्लफ्रेंड हूं?

अपुन ─ हां बोल तो दिया है अपुन ने। क्या तुझे अपुन की बात पर यकीन नहीं हुआ?

दिव्या ─ हो गया है भैया और हां थैंक्यू सो मच। अब मैं भी विधी दी की तरह आपकी गर्लफ्रेंड बन गई हूं...ओह! मुझे तो यकीन ही नहीं हो रहा।

अपुन ─ तू अपुन की गर्लफ्रेंड तो बन गईली है लेकिन इसके साथ ही तुझे अपुन की एक बात भी माननी होगी।

दिव्या ─ बिल्कुल मानूंगी भैया। आप बताइए, कौन सी बात माननी होगी मुझे?

अपुन ─ देख, ये तो तू भी समझती है कि भाई बहन आपस में गर्लफ्रेंड बॉयफ्रेंड नहीं हो सकते। मतलब कि लोग भाई बहन के बीच इस रिश्ते को गलत मानते हैं।

दिव्या ─ हां भैया, ये तो मैं भी जानती हूं।

अपुन ─ ओके, तो अपुन तुझसे ये कहना चाहता है कि अपन लोग के बीच बने इस रिश्ते के बारे में कभी किसी को पता नहीं चलना चाहिए। बोले तो न घर वालों को और ना ही बाहर किसी को।

दिव्या ─ आप टेंशन न लीजिए भैया। मुझे पता है कि अगर इस रिश्ते के बारे में किसी को पता चल गया तो बहुत बड़ी गड़बड़ हो जाएगी। ट्रस्ट मी, मैं गलती से भी इस बारे में कभी किसी को नहीं बताऊंगी।

अपुन ─ विधी को भी मत बताना।

दिव्या (हैरानी से) ─ उन्हें भी? क्यों भैया? आई मीन वो भी तो आपकी गर्लफ्रेंड हैं और ये बात जब मुझे पता है तो उन्हें भी तो मेरे बारे में ये पता होना चाहिए?

अपुन भी समझ रेला था कि वो ठीक ही कह रेली है लेकिन अपुन नहीं चाहता था कि विधी को ये सब पता चले। क्योंकि वो अपुन के लिए थोड़ा ज्यादा ही प्रोटेक्टिव और सेंसटिव थी। बोले तो वो उन लड़कियों में से थी जो किसी पर सिर्फ अपना ही हक समझती हैं। दिव्या के साथ उसके झगड़े की एक वजह ये भी रही थी लौड़ा।

अपुन ─ तेरी बात ठीक है लेकिन तू भी जानती है कि वो किस तरह की लड़की है। मतलब कि वो उनमें से है जो किसी पर सिर्फ अपना ही हक समझती हैं। अगर उसे पता चल गया कि अपुन ने तुझे भी अपनी गर्लफ्रेंड बना लिया है तो वो अपन दोनों से नाराज़ हो जाएगी। ये भी हो सकता है कि गुस्से में वो कुछ ऐसा कर दे जिससे बाकी घर वालों को भी इस बारे में पता चल जाए।

दिव्या ─ हां ये तो आप बिल्कुल सही कह रहे हैं भैया। विधी दी सच में आपको ले कर ऐसी ही सोच रखती हैं। ओके तो ठीक है भैया, मैं उन्हें भी नहीं बताऊंगी।

अपुन जानता था कि दिव्या ऐसे मामलों में थोड़ा होशियार थी। वो जज्बातों से कहीं ज़्यादा समझदारी से काम लेती थी जबकि विधी इसके उलट थी। वो भले ही उम्र में दिव्या से बड़ी थी लेकिन उसमें बचपना अभी भी बहुत ज्यादा था। खैर कुछ सोचते हुए अपुन ने दिव्या से कहा।

अपुन ─ एक बात और, विधी के सामने ऐसी बातें या ऐसी हरकतें भी मत करना जिससे उसे इस बारे में शक हो जाए, ओके?

दिव्या ─ ठीक है भैया। मैं इस बात का अच्छे से खयाल रखूंगी।

अपुन ─ हां अपुन जानता है कि तू उससे ज्यादा समझदार है। खैर चल देख, अपन लोग का कॉलेज आ गया।

पार्किंग में बाइक खड़ी कर के अपन लोग चलने ही लगे थे कि तभी विधी भी अपनी स्कूटी से आ गई। उसने एक नजर अपुन को मुस्कुराते हुए देखा और फिर स्कूटी एक तरफ खड़ी कर अपन लोगों के साथ ही चलने लगी। कुछ ही देर में अपन लोग कॉलेज के अंदर आ गए।

अपुन की नजर शरद पर पड़ गईली थी जो इस तरफ ही आ रेला था। उसके साथ एक लड़का और था। अपुन ने दिव्या और विधी को जाने को कहा और खुद शरद की तरफ मुड़ गया।

अपुन ─ अब तेरी तबीयत कैसी है बे लौड़े? वैसे क्या हो गयला था तुझे?

शरद ─ फीवर हो गया था भाई। अब ठीक हूं।

अपुन (उसके साथ खड़े लड़के को देख) ─ ये कौन है?

शरद ─ अरे! ये तो मेरी मौसी का लड़का अंशुल है। कल शाम को ही मौसी के साथ आया था। कहने लगा कि मेरा कॉलेज देखना है तो ले आया इसे। अभी चला जाएगा यहां से।

शरद ने उस लड़के को बताया कि अपुन उसका दोस्त है तो उसने अपुन को नमस्ते किया और फिर चला गया।

शरद ─ अरे! हां वो शनाया पूछ रही थी तुझे।

अपुन ─ उसकी मां की चूत।

शरद ─ अरे! ऐसा क्यों बोल रहा है? हमारे फ्रेंड ग्रुप में तूने ही तो एड किया है उसे। फिर उसके बारे में ऐसा क्यों बोल रहा है?

अपुन ─ अबे तू बड़ा साइड ले रेला है उसकी। कहीं टांका वांका तो नहीं भिड़ा लिया है उसके साथ?

शरद ─ तू तो जानता है कि इस मामले में मेरी फटने लगती है। वैसे बहुत अच्छी लड़की है वो।

अपुन ─ तू कहे तो अपुन तेरे लिए बात करे उससे?

शरद ये सुन कर बुरी तरह हड़बड़ा गया। वो ऐसा ही था बेटीचोद। बोले तो लड़कियों के मामले में बहुत डरपोक था। अमित अक्सर अपुन से बोला करता था कि इतना डरपोक लड़का अपन लोग के ग्रुप में नहीं होना चाहिए लेकिन अपुन उसे इस लिए रखे हुए था क्योंकि वो पढ़ने में होशियार था और दिल का बहुत साफ था। बोले तो कभी किसी के बारे में गलत नहीं सोचता था।

शरद ─ अरे! यार कैसी बात कर रहा है तू। तुझे अच्छी तरह पता है कि मुझे इसमें इंटरेस्ट नहीं है।

अपुन ─ भोसड़ी के अपुन को पहले से ही शक था कि तू गे है, हट लौड़ा।

शरद ने इस बार गुस्से से देखा अपुन को। हर बार ऐसे ही होता था। अपुन जब उसको गे बोलता तो वो गुस्सा हो जाता था। खैर वो गुस्से से कुछ देर अपुन को घूरता रहा फिर नॉर्मल हो कर बोला।

शरद ─ तू कौन सा प्ले बॉय है। तूने भी तो आज तक किसी लड़की को गर्लफ्रेंड नहीं बनाया। मतलब तू भी गे है। चल दोनों मिल के आपस में गुलू गुलू करते हैं।

अपुन ─ हट बे। अपुन ने भले ही किसी लड़की को गर्लफ्रेंड नहीं बनाया लेकिन तेरी तरह किसी लड़की से बात करने में गांड़ नहीं फटती है अपुन की। अपुन चाहे तो कभी भी किसी लड़की को गर्लफ्रेंड बना के उसे चोद सकता है, समझा क्या?

शरद अपुन के मुख से खुले आम चोदने की बात सुन कर पहले तो शॉक हुआ, फिर हड़बड़ा कर इधर उधर ये सोच कर देखने लगा कि किसी ने सुन तो नहीं लिया बेटीचोद।

शरद ─ अबे पागल हो गया है क्या? धीरे नहीं बोल सकता?

अपुन ─ क्यों फट गई क्या तेरी?

शरद अभी कुछ बोलने ही वाला था कि तभी अपन दोनों ने ही देखा कि शनाया हाथ हिलाते हुए अपन लोग की तरफ ही तेजी से आ रेली थी। उसको देखते ही अपुन का दिमाग खराब होने लगा बेटीचोद।

ऐसा नहीं था कि वो दिखने में सुंदर नहीं थी। बोले तो मस्त चोदने लायक माल थी लेकिन पता नहीं क्यों अपुन उसे देखते ही बुरा सा मुंह बना लेता था। वैसे अपुन को पूरा यकीन था कि अगर अपुन उसे ये बोले कि अपुन को उसे चोदना है तो वो झट से तैयार हो जाएगी। बस, यही नेचर नहीं चाहिए था अपुन को। लौड़ा, कुछ तो क्लास होनी चाहिए थी उसमें, हट बेटीचोद।

शनाया ─ हाय विराट! कैसे हो?

अपुन ─ एकदम झक्कास, बोले तो एकदम टकाटक। तू बता इधर उधर कहां फुदक रेली है?

शरद ─ भाई तू शनाया से बात कर, मैं एक जरूरी काम से प्रिंसिपल के ऑफिस जा रहा हूं।

अपुन जानता था कि वो बहाना बना के जा रेला था। शनाया भले ही अपन लोग के ग्रुप में थी लेकिन वो लौड़ा इतने टाइम के बाद भी उसके सामने मौजूद रहने से अनकंफर्टेबल होने लगता था।

शनाया ─ परसों क्लास से क्यों चले थे?

अपुन ─ क्या तुझे नहीं पता?

शनाया ─ हां वो तो मैंने देखा था कि अनुष्का मैम ने तुम्हें क्लास से आउट कर दिया था लेकिन तुम तो कॉलेज से ही चले गए थे, क्यों?

अपुन ─ अपुन ऐसा ही है लौड़ा...सॉरी गलती से मुंह से निकल गया।

अपुन के मुख से लौड़ा सुन के शनाया की एकदम से आँखें फैल गईली थीं, फिर जल्दी ही नॉर्मल हो कर मुस्कुरा उठी।

शनाया ─ इट्स ओके। मुझे पता है कि तुम ऐसे ही लहजे में बात करते हो।

अपुन ─ क्या तुझे नहीं लगता कि अपुन जैसे टपोरी भाषा वाले लड़के के करीब नहीं रहना चाहिए तुझे?

शनाया ─ सच कहूं तो मुझे इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। तभी तो तुम्हारे फ्रेंड ग्रुप में हूं। अच्छा ये सब छोड़ो, क्या हम कहीं और चलें?

अपुन ─ अरे! क्लास का टाइम होने वाला है और तू कहीं और चलने को बोल रेली है?

शनाया ─ कभी तो अकेले में मेरे साथ टाइम स्पेंड करने के लिए हां कह दिया करो।

अपुन ─ इस वक्त भी तो अपन लोग अकेले ही टाइम स्पेंड कर रेले हैं।

शनाया ─ हां पर यहां बाकी लोग भी हैं और शोर शराबा भी है। मैं चाहती हूं कि हम दोनों किसी एकांत जगह पर चलें।

अपुन ─ ओए! तेरे इरादे तो नेक हैं न? कहीं तू एकांत में ले जा कर अपुन की इज्जत लूटने का इरादा तो नहीं बनाएली है?

शनाया ये सुन कर खिलखिला कर हंसने लगी। उसके सच्चे मोतियों जैसे दांत चमकने लगे थे। फिर एकदम से अपुन की नज़रें फिसल कर उसके सीने पर जम गईं। उसके हंसने पर उसके मम्मे हल्के हल्के हिल रेले थे लौड़ा। अपुन ने गौर किया कि उसके मम्मे साधना के मम्मों से बड़े थे।

अपुन के जिस्म में झुरझुरी सी दौड़ हुई बेटीचोद। तभी शायद उसने भी नोटिस कर लिया कि अपुन उसके मम्मों को घूर रेला है तो उसका हंसना बंद हो गया और उसके चेहरे पर हल्के शर्म के भाव उभर आए।

शनाया ─ वैसे तो खुद के लिए ये बोलते हो कि मैं तुम्हें एकांत में ले जा कर कहीं तुम्हारी इज्जत लूट लेने का इरादा तो नहीं बनाए हूं जबकि खुद की नजरों को कहीं और ही जमा रखा है तुमने। वाह! जनाब बहुत खूब।

अपुन उसकी इस बात से एकदम हड़बड़ा गया। चोरी पकड़ी जाने पर अपुन को बड़ा अजीब फील हुआ लेकिन फिर जल्दी ही अपुन ने खुद को नॉर्मल कर लिया।

अपुन ─ हां वो गलती से अपुन की नज़र पड़ गईली थी...सॉरी।

शनाया ─ इट्स ओके। वैसे अच्छे लगे कि नहीं?

अपुन (शॉक्ड) ─ क...क्या मतलब??

शनाया (हंस कर) ─ वही जो देख रहे थे।

अपुन सच में ये सोच के हैरान हुआ कि आज इस लौड़ी को क्या हो गयला है? मतलब कि आज इतना खुल के कैसे बोल रेली थी वो? वैसे जिस अंदाज से उसने पूछा था उससे अपुन भले ही हैरान हुआ था लेकिन अपुन के लन्ड में करेंट सा दौड़ गयला था। मन में खयाल उभरा कि क्या अपुन भी आज इससे थोड़ा खुल कर मजा ले?

अपुन ─ अपुन को क्या पता कैसे हैं? मतलब कि ऐसे छुपी हुई चीज के बारे में कोई कैसे अच्छे से बता सकता है?

शनाया ने इस बार आँखें फाड़ कर अपुन को देखा। शायद उसे यकीन नहीं हो रेला था कि अपुन ने भी आज खुल कर ऐसा बोल दिया है। इधर अपुन की धड़कनें पलक झपकते ही तेज गईली थीं लौड़ा।

शनाया ─ ओह! वि...विराट, आर यू रियली टॉकिंग अबाउट देम?

अपुन ─ नो नो, आई वाज जस्ट किडिंग। यस जस्ट किडिंग एंड आई थिंक वी शुड लीव नाउ।

इससे पहले कि शनाया कुछ कहती अपुन क्लास की तरफ चल पड़ा। शनाया हैरत से आँखें फाड़े कुछ पलों तक अपुन को जाता देखती रही, फिर एकदम से जैसे उसे होश आया तो वो भी तेजी से अपुन के पीछे आने लगी। इधर अपुन के मन में यही चल रेला था कि बेटीचोद ये क्या बकचोदी पेलने लग गयला था अपुन?

~~~~~~

अपुन शरद के साथ क्लास में बैठा था। सभी लड़के लड़कियां टीचर के द्वारा बोले जा रहे लेक्चर को ध्यान से सुन रेले थे। पर अपुन का ध्यान उसके लेक्चर में नहीं था लौड़ा। बोले तो अपुन अभी भी शनाया को बोले गए अपने वर्ड में अटका हुआ था बेटीचोद और ये हाल सिर्फ अपुन का ही बस नहीं था बल्कि शनाया का भी था शायद। वो लौड़ी बार बार गर्दन घुमा कर अपुन को देखती और हल्के से स्माइल मार देती। अपुन उसे नहीं देख रेला था बल्कि टीचर को देख रेला था लेकिन अपुन का ध्यान उसके लेक्चर पर नहीं था।

टीचर का पीरियड कब खत्म हुआ अपुन को पता ही न चला लौड़ा। अपुन को होश तब आया जब शरद ने अपुन को हिलाया। अपुन उसके हिलाने पर चौंक ही पड़ा था बेटीचोद। खैर खुद को सम्हाल कर अपुन ने क्लास पर ध्यान दिया तो पता चला कि शनाया की तरह विधी भी बीच बीच में गर्दन घुमा कर अपुन को देख रेली थी और स्माइल मार देती थी। उसके साथ रीना जिंदल बैठी हुई थी। उससे दो कुर्सी पीछे शनाया बैठेली थी।

अगली क्लास अनुष्का की थी, इस लिए अपुन की ये सोच के धड़कनें बढ़ गईली थीं कि आज वो अपुन से क्या बोलने वाली है? खैर थोड़ी ही देर में वो क्लास में दाखिल हुई।

आज भी लौड़ी ने साड़ी पहन रखी थी। वैसे तो ज्यादातर अपुन ने उसे सलवार सूट या जींस पहने ही देखा था लेकिन शादी होने के बाद से उसने साड़ी पहनना भी शुरू कर दिया था। आज भी वो आसमानी रंग की पतली सी साड़ी पहने थी और हॉफ बाजू वाला ब्लाउज जिसमें उसकी गोरी गोरी बाहें अलग ही चमक रेली थीं।

क्लास में आते ही उसने सबसे पहले अपुन पर ही नजर डाली। अपुन ने उसे पहले ही देख लिया था इस लिए अपुन उसकी तरफ नहीं देख रेला था। उसने कुछ पल जाने क्या सोचा उसके बाद अपना सब्जेक्ट पढ़ाना शुरू कर दिया। उसकी मधुर आवाज क्लास में गूंजने लगी। वो पढ़ाते समय बार बार अपुन की तरफ देख रेली थी। अपुन लौड़ा कब तक उससे नज़रें हटाए रखता? अपुन की नजर जैसे ही उससे मिली तो उसने एक स्माइल पास की लेकिन अपुन ने कोई रिएक्ट नहीं किया।

क्लास खत्म होने के बाद उसने अपुन को स्पष्ट रूप से उसके केबिन में आ कर मिलने को कहा और चली गई। अपुन चाहता था तो न भी जाता वो अपुन का कुछ उखाड़ नहीं लेती लेकिन फिर अपुन ने सोचा कि इस तरह उससे दूर भागने से क्या हासिल होगा? बोले तो उसके केबिन में जा कर देखना ही चाहिए कि वो अपुन से क्या बोलती है?

To be continued....


Aaj ke liye itna hi bhai log,

Read and enjoy :declare:

Bahut hi sundar update Bhai 💯🔥
 
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वो टीचर जो विराट साहब के बड़ी बहन की ही सहेली है , की एक छोटी सी झिड़की पर विराट साहब अपने आपा से बाहर हो गए ; ऐसे मे शनाया मैडम के साथ कुछ ऊंच-नीच हो गया , कहीं पेट फुल फल गया तो उसके प्रोफेसर पिता जी उनकी क्या गति बनायेंगे , यह कभी सोचा है या नही विराट सर ने !
जरूर यही सोच समझकर विराट साहब शनाया मैडम से दूर भाग रहे है ।

विधि गर्लफ्रेंड बन गई , दिव्या भी गर्लफ्रेंड बन गई पर ब्वॉयफ्रेंड और गर्लफ्रेंड वाली कोई बात ही अबतक नही दिखाई दिया । वैसे दोनो मोरनियां अपनी पंख फैला रही है पर विराट सर को एहसास नही हो रहा है ।
दिव्या मैडम अपने साढ़े चार सौ ग्राम के संतरे को यूं ही तो नही एकांत पाकर विराट साहब के पीठ पर रगड़ रही होगी !
फिलहाल देखते हैं स्कूल की हाॅट एंड ब्यूटीफुल टीचर अनुष्का मैडम किस तरह विराट साहब के दिल मे अपना जगह बना पाती है !

आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग अपडेट शुभम भाई ।
 

dhparikh

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Update ~ 17



अपुन ─ ठीक है। अच्छा अब मैसेज मत करना। अपुन अब कॉलेज के लिए निकलता है। जब अपुन को आना होगा तो अपुन खुद ही तुम्हें मैसेज कर देगा।

इस मैसेज के बाद अपुन ने सारी चैट को डिलीट मारा और फिर नेट ऑफ कर के मोबाइल जेब में डाल दिया। अपुन का लन्ड अभी भी अकड़ा हुआ था लौड़ा। अपुन जानता था कि जब तक अपुन का ध्यान कहीं और नहीं लगेगा तब तक ये बेटीचोद ऐसे ही अकड़ा रहेगा। खैर अपुन ने दिव्या और विधी को कॉलेज चलने को बोला तो वो फौरन ही टीवी बंद कर के सोफे से खड़ी हो गईं।



अब आगे....


अपन लोग कॉलेज जाने के लिए घर से निकले तो हमेशा की तरह दिव्या अपुन की बाइक में पीछे बैठ गई जबकि विधी अपनी स्कूटी से जाने लगी। असल में दिव्या को स्कूटी चलाना नहीं आता था और उसने कभी चलाना भी नहीं सीखा था।

खैर कुछ ही देर बाद रास्ते में दिव्या खिसक कर अपुन से चिपक गई। ये उसका रोज का ही था। घर से निकलते वक्त वो नॉर्मल ही बैठती थी लेकिन कुछ दूर आने के बाद वो एकदम चिपक कर बैठ जाती थी। उसके मध्यम आकार के बूब्स अपुन की पीठ पर चुभना शुरू हो जाते थे जिससे अपुन के बदन में रोमांच की लहरें दौड़ने लगती थी लौड़ा।

दिव्या ─ अच्छा भैया, आपसे एक बात पूछूं?

रास्ते में दिव्या ने अपुन से चिपके हुए ही अपना मुंह अपुन के कान के पास ला कर कहा। इस चक्कर में उसके बूब्स कुछ ज़्यादा ही अपुन की पीठ पर धंस गएले थे और अपुन के बदन में बड़ी तेज़ झुरझुरी हुई थी। यहां तक कि अपुन के लन्ड में भी सनसनी दौड़ गईली थी।

अपुन ─ हां पूछ ना।

दिव्या ─ विधी दी ने जो बताया क्या वो सच है? आई मीन क्या सच में आप दोनों गर्लफ्रेंड बॉयफ्रेंड बन गए हैं?

अपुन जानता था कि दिव्या अपुन से ये सवाल जरूर करेगी इस लिए जवाब पहले ही सोच लिया था अपुन ने।

अपुन ─ अरे! तो इसमें कौन सी बड़ी बात हो गईली है? भाई बहन दोस्त नहीं हो सकते क्या?

दिव्या ─ हां हो तो सकते हैं लेकिन गर्लफ्रेंड बॉयफ्रेंड तो अलग तरह के होते हैं न भैया?

अपुन ─ हां होते हैं पर अपन लोग उस तरह के नहीं हैं क्योंकि अपन लोग भाई बहन भी हैं।

दिव्या ─ तो फिर ऐसे गर्लफ्रेंड बॉयफ्रेंड बनने का क्या फायदा भैया?

अपुन ─ अपन लोग नफा नुकसान का सोच के थोड़े न एक दूसरे को गर्लफ्रेंड बॉयफ्रेंड बनाएले हैं। बस सिंपल से दोस्त बन गएले हैं जिससे दोनों लोग एक दोस्त की हैसियत से अपनी हर बात एक दूसरे से शेयर कर सकें।

दिव्या ─ हर बात? क्या सच में भैया? आई मीन क्या सच में आप दोनों अपनी हर बात एक दूसरे से शेयर कर सकते हैं?

अपुन ─ हां क्यों नहीं।

दिव्या ─ पर भैया, हर बात कैसे शेयर कर सकते हैं आप दोनों? आई मीन टू से कि कुछ बातें ऐसी भी होती हैं जो भाई बहन एक दूसरे से नहीं कह सकते।

अपुन ─ अरे! अपुन का मतलब ये था कि नॉर्मली हर बातें शेयर कर सकते हैं। बाकी जो बिल्कुल ही पर्सनल होंगी तो अपुन भी जानता है कि उन्हें एक दूसरे से शेयर नहीं कर सकते। ऑफ्टर ऑल भाई बहन के बीच एक लिमिट भी होती है।

दिव्या इस बार जल्दी कुछ न बोली। शायद वो कुछ सोचने लगी थी। इधर अपुन भी सोचने लग गयला था कि अब ये लौड़ी ऐसा क्या सोच रेली होगी? हालांकि अपुन अच्छी तरह समझ रेला था कि उसके मन में ऐसी कई बातें उभर रेली होंगी जिन्हें वो अपुन से खुल कर कहने में शायद झिझक रेली है।

दिव्या ─ अच्छा भैया, क्या आप नहीं चाहते कि आपकी कोई ऐसी गर्लफ्रेंड हो जिससे आप पर्सनल से पर्सनल बात भी शेयर कर सकें और तो और...वो सब भी कर सकें जो आज के गर्लफ्रेंड बॉयफ्रेंड करते हैं..यू नो?

अपुन अच्छी तरह समझ रेला था कि दिव्या के कहने का क्या मतलब था। हालांकि अपुन को ये सोच के थोड़ी हैरानी हुई थी कि वो अपुन से ये कैसी बातें कर रेली थी? अपुन सोचने पर मजबूर हो गया कि आखिर इसके मन में चल क्या रेला है?

अपुन ─ हां चाहता तो है अपुन लेकिन आज कल की लड़कियां कभी कभी लड़कों के गले भी पड़ जाती हैं। बोले तो जी का जंजाल बन जाती हैं। प्यार व्यार का बेकार का नाटक शुरू कर देती हैं जो अपुन को बिल्कुल पसंद नहीं है। इस लिए अपुन बाहर किसी लड़की को अपनी गर्लफ्रेंड बनाने का सोचा ही नहीं कभी।

दिव्या ─ अच्छा, वैसे कॉलेज में आपके फ्रेंड ग्रुप में प्रोफेसर रघुराज सिंह की बेटी शनाया भी तो है। और मैंने कई बार देखा है कि वो आपसे काफी अटैच हो के बात करने की कोशिश करती रहती है। उसके बारे में क्या कहेंगे आप?

अपुन ने मन ही मन सोचा कि ये तो अपुन की हर एक्टिविटी पर नजर रखती है लौड़ा।

अपुन ─ अरे! वो तो बस अपन लोग की फ्रैंड है। उससे अपुन का ज्यादा कोई लेना देना नहीं है। हालांकि वो तो चाहती है कि अपुन उसे अपनी गर्लफ्रेंड बना ले पर अपुन को वो ऐज ए गर्लफ्रेंड पसंद ही नहीं है। बोले तो अपुन अच्छी तरह जानता है कि वो गले पड़ने वाली लड़की ही है। इस लिए अपुन कभी उसे उस तरीके से भाव ही नहीं देता।

दिव्या ─ और विधी दी की फ्रैंड रीना? मैंने उसे भी कई बार देखा है कि वो आपको कैसी नजरों से देखती है।

अपुन ─ अरे! तो किसी के देखने से क्या होता है यार? ऐसे तो सारी दुनिया ही किसी न किसी को देखती है तो इसका मतलब ये थोड़ी न हो जाता है कि वो सब एक दूसरे से कनेक्ट हो गएले हैं। वैसे भी विधी को पसंद नहीं है कि अपुन उससे कोई मतलब रखे।

दिव्या (हैरानी से) ─ ऐसा क्यों भैया?

अपुन ─ उसका कहना है कि वो अच्छी लड़की नहीं है।

दिव्या ─ क्या सच में? आई मीन अगर वो अच्छी लड़की नहीं है तो विधी दी ने उसे अपनी बेस्ट फ्रेंड क्यों बना रखा है?

अपुन ─ अब ये तो वही जाने यार।

दिव्या इस बार कुछ न बोली। शायद सोचने में गुम हो गईली थी। इधर अचानक ही अपुन के मन में खयाल उभरा कि अपुन को दिव्या के बारे में भी पता करना चाहिए। हालांकि कॉलेज में उसका किसी लड़के से कोई चक्कर वक्कर नहीं था क्योंकि कॉलेज में सबको पता था कि विधी की तरह दिव्या भी अपुन की बहन है जिससे कोई दोनों के करीब आने की नहीं सोचता था। लेकिन इसके बावजूद दिव्या इस सबके बारे में क्या सोचती है ये जानना जरूरी था।

अपुन ─ ये सब छोड़ और तू अपनी बता। तेरा कोई बॉयफ्रेंड बना कॉलेज में?

दिव्या ─ क्या भैया ये कैसी बात कर रहे हैं आप? मैं क्या आपको ऐसी लड़की लगती हूं?

अपुन ─ अरे! आज कल तो हर कोई गर्लफ्रेंड बॉयफ्रेंड बनाते हैं। इस लिए पूछा कि क्या तेरा भी कोई बॉयफ्रेंड है या नहीं?

दिव्या ─ नहीं भैया। मुझे इसमें कोई इंटरेस्ट नहीं है और वैसे भी अभी मेरी उम्र सिर्फ पढ़ाई करने की है।

अपुन ─ पढ़ाई के साथ साथ इंसान के लिए एंटरटेनमेंट भी तो जरूरी होता है।

दिव्या ─ हां तो उसके लिए क्या यही जरूरी है कि मैं किसी लड़के को अपना ब्वॉयफ्रेंड बना लूं? नहीं भैया, मुझे ऐसा कुछ नहीं करना। रही बात एंटरटेनमेंट की तो आप सबके साथ मेरा एंटरटेनमेंट अच्छी तरह हो जाता है, खास कर आपके साथ।

अपुन ─ अपुन के साथ? वो कैसे?

दिव्या ─ अरे! मतलब कि आप विधी दी से ज्यादा मेरा सपोर्ट करते हैं जिससे विधी दी आपसे झगड़ती रहती हैं और आप भी उन्हें तंग करते रहते हैं। बस यही सब देख के मेरा एंटरटेनमेंट हो जाता है। दूसरी बात आप मेरे बड़े भाई तो हैं लेकिन कभी भी मुझे किसी बात पर डांटते नहीं हैं बल्कि हमेशा मेरे साथ अच्छा ही बर्ताव करते हैं। इससे मुझे बहुत अच्छा लगता है।

अपुन ─ अरे! तू भी विधी की तरह अपुन की लाडली बहन है इसी लिए तुझे भी उतना ही प्यार करता है अपुन जितना उसे करता है।

दिव्या ─ ना ना, मैं आपकी इस बात पर एग्री नहीं हूं।

अपुन ─ अरे! क्यों भला?

दिव्या ─ अगर आप सच में विधी दी के जैसे मुझसे प्यार करते तो सिर्फ उन्हें ही नहीं बल्कि मुझे भी अपनी गर्लफ्रेंड बना लिया होता आपने।

अपुन उसकी ये बात सुन के मन ही मन बड़ा हैरान हुआ लौड़ा। अपुन तो सोच भी नहीं सकता था कि वो ऐसा सोच सकती है।

अपुन ─ अरे! ये क्या बोल रेली है तू?

दिव्या ─ सच ही तो कह रही हूं भैया। आप विधी दी को ज्यादा प्यार करते हैं इस लिए उन्हें आपने अपनी गर्लफ्रेंड बना लिया है पर मुझे नहीं। इसी से साबित हो जाता है कि आपकी नजर में मेरी अहमियत विधी दी जितनी नहीं है।

अपुन ─ ऐसा नहीं है यार। अपुन तुझे भी उतना ही प्यार करता है जितना विधी को।

दिव्या ─ अच्छा, अगर सच में आप मुझे भी विधी दी जितना प्यार करते हैं तो जैसे आपने उनको अपनी गर्लफ्रेंड बनाया है तो मुझे भी बनाइए। पर मैं जानती हूं आप ऐसा नहीं करेंगे। करेंगे भी क्यों, मैं आपकी सगी जुड़वां बहन थोड़ी हूं।

ये तो इमोशनल ब्लैकमेल वाला मैटर हो गयला था बेटीचोद। अपुन सोच भी नहीं सकता था कि दिव्या के मन में ऐसी बात हो सकती है। हालांकि बाइक में इस तरह से उसका अपुन से चिपक के बैठना कभी कभी अपुन को सोच में डाल देता था पर फिर अपुन यही सोचता था कि शायद अभी बच्ची है इस लिए उसे ऐसी बातों का एहसास नहीं होता है। लेकिन इस वक्त उसकी ऐसी बात सुन कर अपुन अंदर तक हिल गयला था लौड़ा।

दिव्या ─ देखा, आपकी चुप्पी ने बता दिया कि सच वही है जो मैंने कहा।

अपुन ─ अरे! तू भी न एकदम पागल है। क्या तू ये समझती है कि गर्लफ्रेंड बना लेने से ही प्यार साबित होता है?

दिव्या ─ अगर ऐसा नहीं है तो मुझे भी अपनी गर्लफ्रेंड बना लीजिए। तब मानूंगी कि आप मुझे भी विधी दी की तरह प्यार करते हैं।

उसकी बात सुन कर अपुन की धड़कनें ट्रेन के इंजन के माफिक तेज हो गईं लौड़ा। बोले तो कुछ समझ में नहीं आ रेला था कि ये अचानक से ये क्या होने लग गयला है?

अपुन ─ यार तू सच में पागल हो गईली है।

दिव्या ─ कुछ भी कहिए लेकिन अगर आप मुझे भी विधी दी तरह अपनी गर्लफ्रेंड नहीं बनाएंगे तो मैं यही मानूंगी कि आप मुझसे प्यार नहीं करते।

कहने के साथ ही दिव्या अपुन की पीठ से अलग हो कर थोड़ा फासला बना कर बैठ गई। अपुन समझ गया कि वो रूठ गईली है और चाहती है कि विधी की तरह अपुन उसे भी अपनी गर्लफ्रेंड बना ले। वैसे देखा जाए तो वो गलत भी नहीं कह रेली थी। मतलब कि अगर अपुन विधी को अपनी गर्लफ्रेंड बना सकता है तो उसे क्यों नहीं?

अपुन सोचने लगा कि अगर उसको ये लगता है कि उसे अपनी गर्लफ्रेंड बनाने से ही अपुन का प्यार साबित होगा तो यही सही। मतलब कि अपुन उसे भी अपनी गर्लफ्रेंड बना लेता है। वैसे भी कहीं न कहीं अपुन के मन में ये चाहत भी पैदा हो गईली थी कि कल रात जब अपुन और विधी के बीच इतना कुछ हो गयला है तो इससे आगे भी हो सकता है। बोले तो वो सब कुछ भी जो अपुन ने साधना के साथ किएला था। हालांकि इस खयाल के साथ ही अपुन के अंदर एक साथ दो तरह की बातें उभर आती थीं।

पहली ये कि अपुन को अपनी बहनों के बारे में इस तरह के गलत खयाल भी मन में नहीं लाने चाहिए क्योंकि ये गलत ही नहीं बल्कि पाप भी है लौड़ा। दूसरी बात ये कि साधना के रूप में एक लड़की के साथ इतना कुछ मजा करने के बाद अब अपुन के मन में ये खयाल भी आने लगे थे कि अलग अलग लड़कियों के साथ ऐसा करने में किस किस तरह का मजा आएगा?

खैर ये तो फिलहाल अभी संभावनाओं की बात थी। इस वक्त अपुन को दिव्या की तरफ ध्यान देना जरूरी था क्योंकि वो अपुन से रूठ कर बाइक में थोड़ा फासले पर बैठ गईली थी।

अपुन ─ क्या यार, इतनी सी बात पर तू अपुन से रूठ गई? अच्छा ठीक है, अगर तू चाहती है कि अपुन तुझे भी अपनी गर्लफ्रेंड बना ले तो ठीक है। आज से तू भी अपुन की गर्लफ्रेंड है।

अपुन की ये बात सुनते ही दिव्या एकदम से खुश हो गई और झट से खिसक कर अपुन से वैसे ही चिपक गई जैसे पहले चिपकी बैठी थी। एक बार फिर से उसके बूब्स अपुन की पीठ पर धंस गए जिसके चलते अपुन के पूरे जिस्म में मजे की लहर दौड़ गई लौड़ा।

दिव्या ─ क्या सच में भैया? क्या सच में विधी दी की तरह मैं भी आपकी गर्लफ्रेंड हूं?

अपुन ─ हां बोल तो दिया है अपुन ने। क्या तुझे अपुन की बात पर यकीन नहीं हुआ?

दिव्या ─ हो गया है भैया और हां थैंक्यू सो मच। अब मैं भी विधी दी की तरह आपकी गर्लफ्रेंड बन गई हूं...ओह! मुझे तो यकीन ही नहीं हो रहा।

अपुन ─ तू अपुन की गर्लफ्रेंड तो बन गईली है लेकिन इसके साथ ही तुझे अपुन की एक बात भी माननी होगी।

दिव्या ─ बिल्कुल मानूंगी भैया। आप बताइए, कौन सी बात माननी होगी मुझे?

अपुन ─ देख, ये तो तू भी समझती है कि भाई बहन आपस में गर्लफ्रेंड बॉयफ्रेंड नहीं हो सकते। मतलब कि लोग भाई बहन के बीच इस रिश्ते को गलत मानते हैं।

दिव्या ─ हां भैया, ये तो मैं भी जानती हूं।

अपुन ─ ओके, तो अपुन तुझसे ये कहना चाहता है कि अपन लोग के बीच बने इस रिश्ते के बारे में कभी किसी को पता नहीं चलना चाहिए। बोले तो न घर वालों को और ना ही बाहर किसी को।

दिव्या ─ आप टेंशन न लीजिए भैया। मुझे पता है कि अगर इस रिश्ते के बारे में किसी को पता चल गया तो बहुत बड़ी गड़बड़ हो जाएगी। ट्रस्ट मी, मैं गलती से भी इस बारे में कभी किसी को नहीं बताऊंगी।

अपुन ─ विधी को भी मत बताना।

दिव्या (हैरानी से) ─ उन्हें भी? क्यों भैया? आई मीन वो भी तो आपकी गर्लफ्रेंड हैं और ये बात जब मुझे पता है तो उन्हें भी तो मेरे बारे में ये पता होना चाहिए?

अपुन भी समझ रेला था कि वो ठीक ही कह रेली है लेकिन अपुन नहीं चाहता था कि विधी को ये सब पता चले। क्योंकि वो अपुन के लिए थोड़ा ज्यादा ही प्रोटेक्टिव और सेंसटिव थी। बोले तो वो उन लड़कियों में से थी जो किसी पर सिर्फ अपना ही हक समझती हैं। दिव्या के साथ उसके झगड़े की एक वजह ये भी रही थी लौड़ा।

अपुन ─ तेरी बात ठीक है लेकिन तू भी जानती है कि वो किस तरह की लड़की है। मतलब कि वो उनमें से है जो किसी पर सिर्फ अपना ही हक समझती हैं। अगर उसे पता चल गया कि अपुन ने तुझे भी अपनी गर्लफ्रेंड बना लिया है तो वो अपन दोनों से नाराज़ हो जाएगी। ये भी हो सकता है कि गुस्से में वो कुछ ऐसा कर दे जिससे बाकी घर वालों को भी इस बारे में पता चल जाए।

दिव्या ─ हां ये तो आप बिल्कुल सही कह रहे हैं भैया। विधी दी सच में आपको ले कर ऐसी ही सोच रखती हैं। ओके तो ठीक है भैया, मैं उन्हें भी नहीं बताऊंगी।

अपुन जानता था कि दिव्या ऐसे मामलों में थोड़ा होशियार थी। वो जज्बातों से कहीं ज़्यादा समझदारी से काम लेती थी जबकि विधी इसके उलट थी। वो भले ही उम्र में दिव्या से बड़ी थी लेकिन उसमें बचपना अभी भी बहुत ज्यादा था। खैर कुछ सोचते हुए अपुन ने दिव्या से कहा।

अपुन ─ एक बात और, विधी के सामने ऐसी बातें या ऐसी हरकतें भी मत करना जिससे उसे इस बारे में शक हो जाए, ओके?

दिव्या ─ ठीक है भैया। मैं इस बात का अच्छे से खयाल रखूंगी।

अपुन ─ हां अपुन जानता है कि तू उससे ज्यादा समझदार है। खैर चल देख, अपन लोग का कॉलेज आ गया।

पार्किंग में बाइक खड़ी कर के अपन लोग चलने ही लगे थे कि तभी विधी भी अपनी स्कूटी से आ गई। उसने एक नजर अपुन को मुस्कुराते हुए देखा और फिर स्कूटी एक तरफ खड़ी कर अपन लोगों के साथ ही चलने लगी। कुछ ही देर में अपन लोग कॉलेज के अंदर आ गए।

अपुन की नजर शरद पर पड़ गईली थी जो इस तरफ ही आ रेला था। उसके साथ एक लड़का और था। अपुन ने दिव्या और विधी को जाने को कहा और खुद शरद की तरफ मुड़ गया।

अपुन ─ अब तेरी तबीयत कैसी है बे लौड़े? वैसे क्या हो गयला था तुझे?

शरद ─ फीवर हो गया था भाई। अब ठीक हूं।

अपुन (उसके साथ खड़े लड़के को देख) ─ ये कौन है?

शरद ─ अरे! ये तो मेरी मौसी का लड़का अंशुल है। कल शाम को ही मौसी के साथ आया था। कहने लगा कि मेरा कॉलेज देखना है तो ले आया इसे। अभी चला जाएगा यहां से।

शरद ने उस लड़के को बताया कि अपुन उसका दोस्त है तो उसने अपुन को नमस्ते किया और फिर चला गया।

शरद ─ अरे! हां वो शनाया पूछ रही थी तुझे।

अपुन ─ उसकी मां की चूत।

शरद ─ अरे! ऐसा क्यों बोल रहा है? हमारे फ्रेंड ग्रुप में तूने ही तो एड किया है उसे। फिर उसके बारे में ऐसा क्यों बोल रहा है?

अपुन ─ अबे तू बड़ा साइड ले रेला है उसकी। कहीं टांका वांका तो नहीं भिड़ा लिया है उसके साथ?

शरद ─ तू तो जानता है कि इस मामले में मेरी फटने लगती है। वैसे बहुत अच्छी लड़की है वो।

अपुन ─ तू कहे तो अपुन तेरे लिए बात करे उससे?

शरद ये सुन कर बुरी तरह हड़बड़ा गया। वो ऐसा ही था बेटीचोद। बोले तो लड़कियों के मामले में बहुत डरपोक था। अमित अक्सर अपुन से बोला करता था कि इतना डरपोक लड़का अपन लोग के ग्रुप में नहीं होना चाहिए लेकिन अपुन उसे इस लिए रखे हुए था क्योंकि वो पढ़ने में होशियार था और दिल का बहुत साफ था। बोले तो कभी किसी के बारे में गलत नहीं सोचता था।

शरद ─ अरे! यार कैसी बात कर रहा है तू। तुझे अच्छी तरह पता है कि मुझे इसमें इंटरेस्ट नहीं है।

अपुन ─ भोसड़ी के अपुन को पहले से ही शक था कि तू गे है, हट लौड़ा।

शरद ने इस बार गुस्से से देखा अपुन को। हर बार ऐसे ही होता था। अपुन जब उसको गे बोलता तो वो गुस्सा हो जाता था। खैर वो गुस्से से कुछ देर अपुन को घूरता रहा फिर नॉर्मल हो कर बोला।

शरद ─ तू कौन सा प्ले बॉय है। तूने भी तो आज तक किसी लड़की को गर्लफ्रेंड नहीं बनाया। मतलब तू भी गे है। चल दोनों मिल के आपस में गुलू गुलू करते हैं।

अपुन ─ हट बे। अपुन ने भले ही किसी लड़की को गर्लफ्रेंड नहीं बनाया लेकिन तेरी तरह किसी लड़की से बात करने में गांड़ नहीं फटती है अपुन की। अपुन चाहे तो कभी भी किसी लड़की को गर्लफ्रेंड बना के उसे चोद सकता है, समझा क्या?

शरद अपुन के मुख से खुले आम चोदने की बात सुन कर पहले तो शॉक हुआ, फिर हड़बड़ा कर इधर उधर ये सोच कर देखने लगा कि किसी ने सुन तो नहीं लिया बेटीचोद।

शरद ─ अबे पागल हो गया है क्या? धीरे नहीं बोल सकता?

अपुन ─ क्यों फट गई क्या तेरी?

शरद अभी कुछ बोलने ही वाला था कि तभी अपन दोनों ने ही देखा कि शनाया हाथ हिलाते हुए अपन लोग की तरफ ही तेजी से आ रेली थी। उसको देखते ही अपुन का दिमाग खराब होने लगा बेटीचोद।

ऐसा नहीं था कि वो दिखने में सुंदर नहीं थी। बोले तो मस्त चोदने लायक माल थी लेकिन पता नहीं क्यों अपुन उसे देखते ही बुरा सा मुंह बना लेता था। वैसे अपुन को पूरा यकीन था कि अगर अपुन उसे ये बोले कि अपुन को उसे चोदना है तो वो झट से तैयार हो जाएगी। बस, यही नेचर नहीं चाहिए था अपुन को। लौड़ा, कुछ तो क्लास होनी चाहिए थी उसमें, हट बेटीचोद।

शनाया ─ हाय विराट! कैसे हो?

अपुन ─ एकदम झक्कास, बोले तो एकदम टकाटक। तू बता इधर उधर कहां फुदक रेली है?

शरद ─ भाई तू शनाया से बात कर, मैं एक जरूरी काम से प्रिंसिपल के ऑफिस जा रहा हूं।

अपुन जानता था कि वो बहाना बना के जा रेला था। शनाया भले ही अपन लोग के ग्रुप में थी लेकिन वो लौड़ा इतने टाइम के बाद भी उसके सामने मौजूद रहने से अनकंफर्टेबल होने लगता था।

शनाया ─ परसों क्लास से क्यों चले थे?

अपुन ─ क्या तुझे नहीं पता?

शनाया ─ हां वो तो मैंने देखा था कि अनुष्का मैम ने तुम्हें क्लास से आउट कर दिया था लेकिन तुम तो कॉलेज से ही चले गए थे, क्यों?

अपुन ─ अपुन ऐसा ही है लौड़ा...सॉरी गलती से मुंह से निकल गया।

अपुन के मुख से लौड़ा सुन के शनाया की एकदम से आँखें फैल गईली थीं, फिर जल्दी ही नॉर्मल हो कर मुस्कुरा उठी।

शनाया ─ इट्स ओके। मुझे पता है कि तुम ऐसे ही लहजे में बात करते हो।

अपुन ─ क्या तुझे नहीं लगता कि अपुन जैसे टपोरी भाषा वाले लड़के के करीब नहीं रहना चाहिए तुझे?

शनाया ─ सच कहूं तो मुझे इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। तभी तो तुम्हारे फ्रेंड ग्रुप में हूं। अच्छा ये सब छोड़ो, क्या हम कहीं और चलें?

अपुन ─ अरे! क्लास का टाइम होने वाला है और तू कहीं और चलने को बोल रेली है?

शनाया ─ कभी तो अकेले में मेरे साथ टाइम स्पेंड करने के लिए हां कह दिया करो।

अपुन ─ इस वक्त भी तो अपन लोग अकेले ही टाइम स्पेंड कर रेले हैं।

शनाया ─ हां पर यहां बाकी लोग भी हैं और शोर शराबा भी है। मैं चाहती हूं कि हम दोनों किसी एकांत जगह पर चलें।

अपुन ─ ओए! तेरे इरादे तो नेक हैं न? कहीं तू एकांत में ले जा कर अपुन की इज्जत लूटने का इरादा तो नहीं बनाएली है?

शनाया ये सुन कर खिलखिला कर हंसने लगी। उसके सच्चे मोतियों जैसे दांत चमकने लगे थे। फिर एकदम से अपुन की नज़रें फिसल कर उसके सीने पर जम गईं। उसके हंसने पर उसके मम्मे हल्के हल्के हिल रेले थे लौड़ा। अपुन ने गौर किया कि उसके मम्मे साधना के मम्मों से बड़े थे।

अपुन के जिस्म में झुरझुरी सी दौड़ हुई बेटीचोद। तभी शायद उसने भी नोटिस कर लिया कि अपुन उसके मम्मों को घूर रेला है तो उसका हंसना बंद हो गया और उसके चेहरे पर हल्के शर्म के भाव उभर आए।

शनाया ─ वैसे तो खुद के लिए ये बोलते हो कि मैं तुम्हें एकांत में ले जा कर कहीं तुम्हारी इज्जत लूट लेने का इरादा तो नहीं बनाए हूं जबकि खुद की नजरों को कहीं और ही जमा रखा है तुमने। वाह! जनाब बहुत खूब।

अपुन उसकी इस बात से एकदम हड़बड़ा गया। चोरी पकड़ी जाने पर अपुन को बड़ा अजीब फील हुआ लेकिन फिर जल्दी ही अपुन ने खुद को नॉर्मल कर लिया।

अपुन ─ हां वो गलती से अपुन की नज़र पड़ गईली थी...सॉरी।

शनाया ─ इट्स ओके। वैसे अच्छे लगे कि नहीं?

अपुन (शॉक्ड) ─ क...क्या मतलब??

शनाया (हंस कर) ─ वही जो देख रहे थे।

अपुन सच में ये सोच के हैरान हुआ कि आज इस लौड़ी को क्या हो गयला है? मतलब कि आज इतना खुल के कैसे बोल रेली थी वो? वैसे जिस अंदाज से उसने पूछा था उससे अपुन भले ही हैरान हुआ था लेकिन अपुन के लन्ड में करेंट सा दौड़ गयला था। मन में खयाल उभरा कि क्या अपुन भी आज इससे थोड़ा खुल कर मजा ले?

अपुन ─ अपुन को क्या पता कैसे हैं? मतलब कि ऐसे छुपी हुई चीज के बारे में कोई कैसे अच्छे से बता सकता है?

शनाया ने इस बार आँखें फाड़ कर अपुन को देखा। शायद उसे यकीन नहीं हो रेला था कि अपुन ने भी आज खुल कर ऐसा बोल दिया है। इधर अपुन की धड़कनें पलक झपकते ही तेज गईली थीं लौड़ा।

शनाया ─ ओह! वि...विराट, आर यू रियली टॉकिंग अबाउट देम?

अपुन ─ नो नो, आई वाज जस्ट किडिंग। यस जस्ट किडिंग एंड आई थिंक वी शुड लीव नाउ।

इससे पहले कि शनाया कुछ कहती अपुन क्लास की तरफ चल पड़ा। शनाया हैरत से आँखें फाड़े कुछ पलों तक अपुन को जाता देखती रही, फिर एकदम से जैसे उसे होश आया तो वो भी तेजी से अपुन के पीछे आने लगी। इधर अपुन के मन में यही चल रेला था कि बेटीचोद ये क्या बकचोदी पेलने लग गयला था अपुन?

~~~~~~

अपुन शरद के साथ क्लास में बैठा था। सभी लड़के लड़कियां टीचर के द्वारा बोले जा रहे लेक्चर को ध्यान से सुन रेले थे। पर अपुन का ध्यान उसके लेक्चर में नहीं था लौड़ा। बोले तो अपुन अभी भी शनाया को बोले गए अपने वर्ड में अटका हुआ था बेटीचोद और ये हाल सिर्फ अपुन का ही बस नहीं था बल्कि शनाया का भी था शायद। वो लौड़ी बार बार गर्दन घुमा कर अपुन को देखती और हल्के से स्माइल मार देती। अपुन उसे नहीं देख रेला था बल्कि टीचर को देख रेला था लेकिन अपुन का ध्यान उसके लेक्चर पर नहीं था।

टीचर का पीरियड कब खत्म हुआ अपुन को पता ही न चला लौड़ा। अपुन को होश तब आया जब शरद ने अपुन को हिलाया। अपुन उसके हिलाने पर चौंक ही पड़ा था बेटीचोद। खैर खुद को सम्हाल कर अपुन ने क्लास पर ध्यान दिया तो पता चला कि शनाया की तरह विधी भी बीच बीच में गर्दन घुमा कर अपुन को देख रेली थी और स्माइल मार देती थी। उसके साथ रीना जिंदल बैठी हुई थी। उससे दो कुर्सी पीछे शनाया बैठेली थी।

अगली क्लास अनुष्का की थी, इस लिए अपुन की ये सोच के धड़कनें बढ़ गईली थीं कि आज वो अपुन से क्या बोलने वाली है? खैर थोड़ी ही देर में वो क्लास में दाखिल हुई।

आज भी लौड़ी ने साड़ी पहन रखी थी। वैसे तो ज्यादातर अपुन ने उसे सलवार सूट या जींस पहने ही देखा था लेकिन शादी होने के बाद से उसने साड़ी पहनना भी शुरू कर दिया था। आज भी वो आसमानी रंग की पतली सी साड़ी पहने थी और हॉफ बाजू वाला ब्लाउज जिसमें उसकी गोरी गोरी बाहें अलग ही चमक रेली थीं।

क्लास में आते ही उसने सबसे पहले अपुन पर ही नजर डाली। अपुन ने उसे पहले ही देख लिया था इस लिए अपुन उसकी तरफ नहीं देख रेला था। उसने कुछ पल जाने क्या सोचा उसके बाद अपना सब्जेक्ट पढ़ाना शुरू कर दिया। उसकी मधुर आवाज क्लास में गूंजने लगी। वो पढ़ाते समय बार बार अपुन की तरफ देख रेली थी। अपुन लौड़ा कब तक उससे नज़रें हटाए रखता? अपुन की नजर जैसे ही उससे मिली तो उसने एक स्माइल पास की लेकिन अपुन ने कोई रिएक्ट नहीं किया।

क्लास खत्म होने के बाद उसने अपुन को स्पष्ट रूप से उसके केबिन में आ कर मिलने को कहा और चली गई। अपुन चाहता था तो न भी जाता वो अपुन का कुछ उखाड़ नहीं लेती लेकिन फिर अपुन ने सोचा कि इस तरह उससे दूर भागने से क्या हासिल होगा? बोले तो उसके केबिन में जा कर देखना ही चाहिए कि वो अपुन से क्या बोलती है?

To be continued....


Aaj ke liye itna hi bhai log,

Read and enjoy:declare:
Nice update....
 

Iron Man

Try and fail. But never give up trying
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Update ~ 12




साक्षी दी ─ मैं तो हमेशा तेरे साथ ही हूं प्यारे भाई लेकिन हां हर वक्त तेरे साथ रह पाना संभव नहीं है और ये तू भी समझ सकता है।

अपुन ─ हां ये तो है दी।

साक्षी दी ─ अच्छा अब चल ये सब बातें छोड़ और जा कर फ्रेश हो ले।

उसके बाद दी चली गईं। अपुन अब चाह कर भी उन्हें रोक नहीं सकता था। खैर अपुन भी उठा और बाथरूम में फ्रेश होने चला गया।



अब आगे....


लंच करते समय विधी बार बार अपुन को देख रेली थी पर अपुन हर बार उसे इग्नोर कर दे रेला था जिससे उसके चेहरे पर मायूसी छा जाती थी। वैसे तो रात की घटना पर उसने गुस्से में अपुन को थप्पड़ मारा था और अपुन को कभी शकल न दिखाने की बात कही थी लेकिन अब उसके चेहरे पर अलग ही भाव थे। बोले तो ऐसा लग रेला था जैसे अब वो अपने किए पर पछता रेली थी और अपुन से बात करना चाहती थी पर लौड़ा अपुन इतना जल्दी उससे बात नहीं करना चाहता था।

दूसरी तरफ दिव्या अपुन दोनों को ही गौर से देख रेली थी और समझने की कोशिश कर रेली थी कि आखिर अपन दोनों के बीच क्या चल रेला है। जबकि साक्षी दी हर बात से बेखबर और बेफिक्र हो कर लंच करने में व्यस्त थीं। अपुन विधि को इग्नोर कर के बार बार साक्षी दी को ही देखने लगता था। पता नहीं क्यों पर आज वो अपुन को कुछ अलग ही दिख रेली थीं। बोले तो दुनिया की सबसे खूबसूरत लड़की लग रेली थीं। हालांकि ये सच भी था लेकिन आज वो अपुन को दी नहीं बल्कि लड़की लग रेली थीं और अपुन का दिल बार बार उन्हें देख के तेज तेज धड़कने लगता था।

साक्षी दी ─ क्या बात है मेरे प्यारे भाई। तू खाना कम खा रहा है और मुझे ज्यादा देख रहा है? सब ठीक तो है ना?

अचानक साक्षी दी की ये बात सुन कर अपुन बुरी तरह हड़बड़ा गया और झेंप भी गया। उधर वो हल्के से मुस्कुरा उठीं। विधी और दिव्या का भी ध्यान इस बात पर गया। लेकिन अपुन को उनके सवाल का कुछ तो जवाब देना ही था इस लिए बोला।

अपुन ─ वो तो अपु...मतलब कि मैं इस लिए आपको देख रहा हूं क्योंकि आज आप बाकी दिनों से ज़्यादा खूबसूरत और प्यारी दिख रही हैं।

साक्षी दी ─ अच्छा, आज ऐसा क्या खास है मेरे प्यारे भाई?

अपुन की धड़कनें तेज हो गईं। विधी और दिव्या की मौजूदगी में अपुन थोड़ा झिझक रेला था मगर जवाब देने के लिए जल्दी ही कुछ सोचना शुरू किया। लौड़ा कुछ समझ ही नहीं आ रेला था कि क्या जवाब दे? फिर एकदम से अपुन को कुछ सूझा।

अपुन ─ आज आपने ऑरेंज कलर का सलवार सूट पहना है ना इस लिए। इसमें आप बहुत प्यारी लग रही हैं।

साक्षी दी मुस्कुरा उठीं और फिर जैसे ही कुछ कहने को मुंह खोला तो तभी दिव्या बोल पड़ी।

दिव्या ─ भैया सही कह रहे हैं दी। ये कलर आप पर बहुत सुंदर लग रहा है।

साक्षी दी ─ ओह! थैंक्यू, और हां तुम दोनों भी बहुत प्यारी लग रही हो। तुम दोनों मेरी गुड़िया हो और मुझे बहुत प्यारी लगती हो।

दिव्या और विधी दोनों ही खुशी से मुस्कुरा उठीं। तभी विधी ने मुस्कुराते हुए फिर से अपुन की तरफ देखा लेकिन अपुन ने फिर से उसे इग्नोर कर दिया जिससे उसका चेहरा उतर गया। दिव्या ने फौरन ये नोट कर लिया। उसने एक बार अपुन की तरफ देखा लेकिन बोली कुछ नहीं। शायद दी की मौजूदगी में वो कुछ पूछना नहीं चाहती थी। फिर कुछ सोच कर अपुन से बोली।

दिव्या ─ अच्छा भैया, हम मूवी देखने कब जा रहे हैं?

दिव्या की बात सुन मैंने उसकी तरफ देखा, वहीं विधी ने भी उम्मीद भरी नजरों से अपुन की तरफ देखा लेकिन साक्षी के चेहरे पर थोड़े चौंकने के भाव उभरे।

साक्षी दी ─ तुम लोग मूवी देखने जा रहे हो क्या?

दिव्या (खुशी से) ─ हां दी, कल रात भैया ने हमसे कहा था कि आज थिएटर में मूवी देखने चलेंगे।

दिव्या की बात सुन दी ने अपुन की तरफ देखा फिर बोलीं।

साक्षी दी ─ क्यों भाई, अगर तेरा मूवी देखने का प्रोग्राम था तो बताया क्यों नहीं मुझे? और...और तुम तो मेरे साथ कंपनी जाने वाले हो न?

साक्षी दी की बात से दिव्या और विधी का चेहरा थोड़ा उतर सा गया। इधर मैंने कुछ सोचते हुए कहा।

अपुन ─ मूवी देखना जरूरी नहीं है दी। वैसे भी मॉम डैड यहां नहीं हैं तो मेरा आपके साथ कंपनी चलना ज्यादा जरूरी है। मूवी का प्रोग्राम फिर कभी बना लेंगे।

अपुन की इस बात से दिव्या और विधी को भी एहसास हुआ कि अपुन की बात उचित है इस लिए इस बार उन दोनों के चेहरे से मायूसी के भाव दूर हो गए। इधर साक्षी दी के चेहरे पर खुशी की चमक उछर आई।

साक्षी दी ─ ओह! थैंक्स मेरे प्यारे भाई। मुझे तुझसे ऐसी ही समझदारी की उम्मीद थी। रही बात मूवी देखने की तो मॉम डैड के आने के बाद हम चारों किसी दिन चलेंगे मूवी देखने। क्या बोलते हो तुम सब?

साक्षी दी कि इस बात से सब खुश हो गए। अपुन को भी अच्छा लगा कि साक्षी दी हमारे साथ मूवी देखने चलेंगी। वैसे इसके पहले वो हमारे साथ सिर्फ एक बार गईं थी। असल में उन्हें मूवी देखना पसंद ही नहीं था। हमेशा या तो पढ़ाई में ध्यान रहता था उनका या फिर घर में सबके साथ प्रेम से रहना। सादगी में रहना उन्हें बहुत पसंद था लेकिन जरूरत के हिसाब से खुद को ढाल लेने में भी वो पीछे नहीं हटती थीं।

खैर दी ने दिव्या और विधी को समझाया कि उनके न रहने पर वो दोनों घर में सिर्फ पढ़ाई करेंगी जबकि वो अपुन के साथ कंपनी जाएंगी। दिव्या और विधी को इससे कोई प्रॉब्लम नहीं थी लेकिन हां अपुन के द्वारा बार बार इग्नोर किए जाने से विधी का चेहरा कुछ ज्यादा ही मायूस हो गयला था।

लंच के बाद दी ने अपुन से कहा कि वो तैयार हो कर थोड़ी देर में आ जाएंगी इस लिए अपुन भी रेडी हो ले। अपुन खुशी मन से अपने रूम में गया और तैयार होने लगा।

अपुन जानता था कि दी कंपनी पर जाने के लिए हमेशा जींस और शर्ट पहनती थीं और उसके ऊपर कोट डाल लेती थीं। कभी कभी सलवार सूट में भी जाती थीं लेकिन ऐसा बहुत ही कम होता था। अपुन ने भी सोचा कि कंपनी में जाने के लिए कोई अच्छे कपड़े पहन लेता है अपुन, पर अपुन को समझ न आया कि क्या पहने? असल में आज से पहले अपुन ऑफिसियल तौर पर कभी कंपनी नहीं गया था। वो तो बस दो चार बार यूं ही मॉम के साथ गया था। कंपनी के लोग अपुन को पहचानते थे।

अपुन फ़ौरन ही दी के रूम के पास पहुंचा और गेट के बाहर से ही आवाज दे कर दी से पूछा कि अपुन क्या पहने तो दी ने कहा जो अपुन का दिल करे पहन लूं क्योंकि अपुन हर कपड़े में चार्मिंग लगता है लौड़ा।

खैर करीब दस मिनट बाद अपुन ब्ल्यू जींस और हॉफ बाजू वाली व्हाइट शर्ट पहने रूम से नीचे आया। आंखों में एक गॉगल्स भी लगा लिया था अपुन ने। हॉफ बाजू की शर्ट में अपुन के मसल्स साफ दिख रेले थे। बोले तो मस्त पर्सनालिटी थी अपुन की, एकदम हीरो के माफिक लौड़ा।

नीचे ड्राइंग रूम में रखे सोफे पर अपुन बैठा दी के आने इंतजार करने लगा। फिर टाइम पास करने के लिए अपुन ने जेब से मोबाइल निकाल लिया।

मोबाइल का नेट ऑन किया तो उसमें ढेर सारे मैसेजेस आने शुरू हो गए लौड़ा। अमित, शरद, रीना, अनुष्का, साधना और शनाया इन सबके मैसेजेस आ ग‌एले थे बेटीचोद। अपुन ने एक एक कर के सबके मैसेज देखना शुरू किया।

पहले अपुन ने अनुष्का का मैसेज देखा। उसने रिप्लाई में कहा था कि आज शाम को अपुन उसके घर आए। अपुन सोचने लगा कि उसके पास एक्स्ट्रा क्लास लेने जाए या न जाए? बोले तो हो सकता है कि उसके पास रहने से उसको पेलने का कोई जुगाड़ बन जाए।

वैसे ये काम तो मुश्किल था पर क्या पता लौड़ा बात बन ही जाए। वैसे भी उसकी सौतेली बहन साधना को पेलने के बाद से अपुन को लगने लगा था कि अपुन की किस्मत इस मामले में अब थोड़ा मेहरबान हो गईली है। इस लिए अपुन उससे एक्स्ट्रा क्लास लेने का मन बना लिया लेकिन तभी अपुन के मन में खयाल आया कि लौड़ा कुछ बातों पर पहले से करार हो जाए तो ज्यादा अच्छा होगा बेटीचोद।

अपुन ने उसके रिप्लाई पर मैसेज लिखा।

अपुन ─ अपुन की नाराजगी दूर करने के लिए आपको कुछ खास करना होगा तभी अपुन आएगा वरना नहीं और रही बात एक्स्ट्रा क्लास की तो उसकी अपुन को ज़रूरत नहीं है।

अपुन ने ये लिख के तो भेज दिया लौड़ा लेकिन अपुन का दिल भी धक धक करने लगा। थोड़ा डर भी होने लगा कि कहीं वो गलत न समझ जाए और साक्षी दी को बता दे। हालांकि इसी लिए अपुन ने क्लियरली कुछ भी उल्टा सीधा नहीं लिखा था। अब ये उस पर था कि वो अपुन की नाराजगी दूर करने के लिए क्या कहती है या क्या करती है?

फिर अपुन ने अमित का मैसेज देखा। उस लौड़े ने लिखा था कि वो आज भी नहीं आ पाएगा। उसने ये भी बताया कि आज संडे होने की वजह से बैंक बंद रहेगा इस लिए पापा भी शाम को ही आएंगे। फिर उसने आखिर में जो लिख के भेज था उसे पढ़ते ही अपुन का लन्ड खुश हो गया लौड़ा। उसने लिखा था कि यार साधना दी घर में अकेली हैं तो एक बार घर जा कर उनका हाल चाल ले लूं। अपुन तो ये पढ़ के खुश ही हो गयला लौड़ा। फिर अपुन ने उसको रिप्लाई भेजा कि लौड़े चौकीदार बना दे अपुन को अपने घर का। अपन लोग के बीच ऐसा चलता रहता था इस लिए अपुन के इस मैसेज में उसे कुछ गलत नहीं सोचना था। वैसे भी वो जानता था कि अपुन गलत लड़का है ही नहीं लौड़ा। बोले तो अपुन ने अब तक अपनी जो इमेज बनाई हुई थी उसका फायदा होने वाला था अपुन को।

शरद लौड़े का मैसेज कुछ खास नहीं था। लौड़े ने लिखा था कि अब तबीयत पहले से ठीक है तो कल कॉलेज आ सकता है, हट लौड़ा।

फिर अपुन ने रीना का मैसेज देखा। उस लौड़ी को अपुन से हमेशा ही फ्लर्ट करना होता था इस लिए वही भेजा था उसने। अपुन ने सोचा चलो रिप्लाई दे दिया जाए लौड़ी को।

अपुन (मैसेज में) ─ हर बात विधी को बताती है इसी लिए अब तक अपुन से दूर है तू।

अपुन जानता था कि अपुन का ये मैसेज इस बार काम करेगा। डबल क्लिक हुआ तो अपुन समझ गया कि उसका नेट ऑन है लेकिन ऑनलाइन नहीं है वो, वरना ब्ल्यू कलर में डबल क्लिक शो करता।

फिर अपुन ने शनाया का मैसेज देखा। वो लौड़ी भी डबल मीनिंग वाले मैसेज भेजा करती थी पर अपुन उसको कम ही रिप्लाई करता था क्योंकि अपुन को पूरा यकीन था कि उसका बाप अपनी बेटी की शादी अपुन से करने की फिराक में है और इसी लिए वो अपनी बेटी को अपुन के साथ आगे बढ़ने से या अपुन के साथ रहने से कभी मना नहीं करता है, हट बेटीचोद।

अपुन ने इस बार भी उसे इग्नोर किया और दूसरा मैसेज देखने लगा जोकि साधना का था। उसके कई सारे मैसेज पड़ेले थे। फर्स्ट मैसेज में उसने भेजा था गुड मॉर्निंग बाबू, लव यू। फिर जब अपुन ने उसके किसी भी मैसेज का जवाब नहीं भेजा तो आखिर में वो शायद परेशान और चिंतित हो गईली थी इस लिए अपने हर मैसेज में यही भेजा था कि क्या हुआ बाबू, जवाब क्यों नहीं दे रहे? क्या कोई गड़बड़ हो गई है? कुछ तो जवाब दो बाबू, बहुत टेंशन हो रेली है? इस तरह के ढेर सारे मैसेज थे उसके। अपुन ने फौरन उसको रिप्लाई भेजा, जिसमें अपुन ने उसे बताया कि कोई गड़बड़ नहीं हुई है। असल में अपुन दोपहर तक सोता ही रहा।

दो मिनट के अंदर ही उसका रिप्लाई आ गया।

साधना ─ ओह! थैंक गॉड। तुमने रिप्लाई तो किया बाबू। मेरी तो हालत ही खराब थी।

अपुन ─ अरे! तुम बेकार ही अपनी हालत खराब हुए हुए थी। तुम्हें सोचना चाहिए था कि अपुन जब रात भर जगा था तो दिन में तो सोता ही रहेगा न?

साधना ─ हां ये तो है पर फिर भी मैं बहुत घबरा गई थी। तुम्हें कॉल करने का भी सोचा था लेकिन फिर ये सोच के कॉल नहीं किया कि कहीं कोई दूसरा व्यक्ति तुम्हारा मोबाइल न लिए हो।

अपुन ─ अपुन का मोबाइल कोई नहीं छूता। सबके पास अपना अपना मोबाइल है।

साधना ─ चलो ठीक है। अच्छा आज तो संडे है तो क्या तुम मेरे पास नहीं आ सकते? अमित ने फोन कर के बताया है कि वो मम्मी को ले कर कल आएगा और पापा शाम को आएंगे। मतलब सारा दिन हम एक दूसरे के साथ रह सकते हैं। प्लीज आ जाओ न बाबू, तुम्हारी बहुत याद आ रही है।

अपुन ─ नहीं आ सकता यार क्योंकि यहां भी अपुन के मॉम डैड गांव गए हुए हैं। उनके न रहने पर साक्षी दी को कंपनी जाना है और आज अपुन को भी दी अपने साथ ले जा रेली हैं। ऐसे में नहीं आ पाएगा अपुन, सॉरी डियर।

साधना ─ ओह! कोई बात नहीं बाबू लेकिन अगर मौका मिले तो ज़रूर आ जाना, प्लीज।

अपुन भी चाहता था कि आज सारा दिन साधना के साथ मजा करे लेकिन फिलहाल ये संभव नहीं था इस लिए उसे मैसेज में बोला।

अपुन ─ अगर कंपनी से टाइम से आ पाया तो जरूर आ जाएगा अपुन, बाकी तुम अपुन का इंतज़ार मत करना।

तभी अपुन की नज़र अनायास ही साक्षी दी पर पड़ गई। वो अभी अभी सीढ़ियों से उतर कर नीचे आईं थी और इत्तेफाक से अपुन ने सिर उठा कर उस तरफ देख लिया था।

साक्षी दी तैयार हो के आईं थी। अपुन की नज़रें तो जैसे उन पर ही जम गईं। अपुन की तरह उन्होंने भी ब्ल्यू कलर का जींस और ऊपर व्हाइट शर्ट पहन रखा था जिसके ऊपर के दो बटन खुले हुए थे। फर्क सिर इतना था कि शर्ट के बाजू हॉफ नहीं थे बल्कि कलाई के थोड़ा ऊपर तक थे। व्हाइट शर्ट का कपड़ा कुछ ऐसा था कि उसके अंदर पहनी व्हाइट कलर की ही ब्रा के स्ट्रैप हल्का हल्का झलक रेले थे।

खूबसूरत मुखड़े पर ताजे खिले गुलाब की मानिंद ताजगी थी। हल्का सा मेकअप किया था उन्होंने। हालांकि बिना मेकअप के ही वो ब्यूटी क्वीन थीं लेकिन बाहर कहीं जाने पर बस हल्का सा मेकअप कर लेती थीं। नेचुरली हल्के सुर्ख होठों पर ऐसी लिपस्टिक थी जिससे उनके होठ ऐसे लग रेले थे जैसे शहद की चाशनी में डुबोए गए हों। अपुन का दिल किया कि अभी जा के चूस ले पर अपुन ने अपने जज्बातों को काबू किया। नीचे टाइट ब्ल्यू कलर के जींस में उनकी गुदाज जांघें स्पष्ट समझ आ रेली थीं। शर्ट को क्योंकि उन्होंने शॉर्टिंग किया हुआ था इस लिए पीछे की तरफ उभरे हुए उनके नितंब साफ दिख रेले थे। अपुन लौड़ा उन्हें ही देखने में खोया था कि तभी उनकी मधुर आवाज से अपुन हकीकत में आया।

साक्षी दी (मुस्कुराते हुए) ─ अब अगर अपनी दी को जी भर के देख लिया हो तो चलें?

अपुन एकदम से झेंप गया लौड़ा। खुद को सम्हाल कर अपुन ने मुस्कुराते हुए कहा।

अपुन ─ वाह! दी हम दोनों का ड्रेस कोड एक जैसा। ऐसा लगता है जैसे हम दोनों इस एक ही ड्रेस कोड में कहीं रैंप वॉक पर चलने वाले हैं।

साक्षी दी (मुस्कुरा कर) ─ हां सही कहा। तूने भी ब्ल्यू जींस और व्हाइट शर्ट पहन रखा है और मैंने भी। व्हाट ए को-इंसीडेंस।

अपुन ने मौके पर चौका मारा।

अपुन ─ इसे को-इंसीडेंस नहीं दी बल्कि हम दोनों की एक जैसी थिंकिंग कह सकते हैं। मतलब कि आपने भी वही सोचा जो अपु...मतलब कि मैंने सोचा। इसका मतलब ये भी हुआ कि हम दोनों में काफी सिमिलारिटी है, है ना?

साक्षी दी (हल्के से हंस कर) ─ हां शायद ऐसा ही है। खैर अब चल, बाकी बातें कार में बैठ के कर लेना।

अपन दोनों थोड़ी ही देर में कार से कंपनी के निकल पड़े। कार अपुन ही चला रेला था। साक्षी दी अपुन के बगल से बैठी थीं। सीट बेल्ट को उन्होंने बांध लिया था जिससे बेल्ट उनके दोनों बूब्स के बीच में थी जिसके चलते उनके बूब्स थोड़े उभर से गएले थे और अपुन की धड़कनें बढ़ा रेले थे। अपुन बार बार कभी उनके खूबसूरत चेहरे को देखता तो कभी उनके सीने पर चिपके बेल्ट को। उनके सुर्ख रसीले होठों पर मुस्कान थी। इधर अपुन का मन बार बार भटके जा रेला था बेटीचोद। बोले तो मन में बार बार गलत खयाल उभर रेले थे।

साक्षी दी (मुस्कुरा कर) ─ सामने देख के कार चलाओ प्यारे भाई वरना एक्सीडेंट हो जाएगा।

अपुन (चौंक कर) ─ सामने ही तो देख रहा हूं दी?

साक्षी दी ─ अच्छा जी, सफेद झूठ?

अपुन ─ क..क्या झूठ? नहीं तो।

साक्षी दी अपुन को गड़बड़ा गया देख खिलखिला कर हंसने लगीं। कार के अंदर जैसे मन्दिर की घंटियां बज उठीं और इससे पहले कि अपुन उनकी हंसी में खोता वो जल्दी ही हंसना बंद कर के बोलीं।

साक्षी दी ─ झूठ ऐसा बोलो जिसे कोई पकड़ न सके। तू हर बार मुझे ऐसे देखने लगता है जैसे पहले कभी देखा ही न हो। ऐसा क्यों करता है भाई?

अपुन की धड़कनें तेज हो गईली थीं। पर जब अपुन ने देखा कि दी गुस्सा नहीं हैं तो अपुन ने उन्हें खुश करने के लिए वही पुराना नुस्खा आजमाया। यानि तारीफ वाला।

अपुन ─ क्या करूं दी? आप हो ही इतनी ब्यूटीफुल कि बार बार आपको ही देखने का दिल करता है। काश! आप मेरी दी न होती।

साक्षी दी ने चौंक कर अपुन की तरफ देखा। फिर होठों पर अपनी प्यारी सी मुस्कान सजा कर बोलीं।

साक्षी दी ─ मेरी दी न होती से क्या मतलब है तेरा?

अपुन ने सोचा सच ही बोल देता है अपुन, जो होगा देखा जाएगा। वैसे भी इस बारे में पहले भी तो उन्हें बता चुका है अपुन।

अपुन ─ बताया तो था आपको कि अगर आप मेरी दी न होती तो आपसे लैला मजनूं की तरह प्यार करता। आपकी मोहब्बत में फना हो जाता।

साक्षी दी ─ तू न मार खाएगा मुझसे। ऐसा नहीं बोलते प्यारे भाई।

अपुन ─ बेशक मुझे जी भर के मार लो। आप मेरी जान से भी ज्यादा प्यारी दी हैं तो आपसे शौक से मार खा लूंगा लेकिन दिल की सच्चाई को कैसे आपसे छुपाऊं?

साक्षी दी अपलक अपुन की तरफ देखने लगीं। उनके होठों की मुस्कान एकदम से गायब हो गई थी। इधर अपुन की भी धड़कनें तेज हो गईली थी लौड़ा।

साक्षी दी ─ ये तू कैसी बातें कर रहा है भाई?

अपुन ─ अपने दिल का सच बता रहा हूं दी। क्या मैने कुछ गलत कहा आपसे?

साक्षी दी खामोशी से और थोड़ा उलझन से अपुन को देखती रहीं। चेहरे पर ऐसे भाव उभर आए थे जैसे समझने की कोशिश कर रही हों कि आखिर अपुन आज ये कैसी बातें कर रेला है? तभी अपुन ने कहा।

अपुन ─ अरे! आप तो लगता है सीरियस हो गईं दी। मैं तो मज़ाक कर रहा था।

साक्षी दी ने हैरानी से अपुन को देखा। चेहरे पर कई तरह के भाव आते जाते नज़र आए फिर बोलीं।

साक्षी दी ─ इस तरह का मजाक मत किया कर भाई। कुछ देर के लिए तो तूने मुझे भारी उलझन में ही डाल दिया था।

अपुन ─ किस तरह की उलझन में दी?

साक्षी दी ─ बस ऐसे ही। तू कार चला और अब प्लीज कोई बात मत करना।

अपुन को थोड़ा अजीब लगा। आम तौर पर दी ऐसा कभी नहीं कहती थीं। अपुन ने महसूस किया कि वो थोड़ा परेशान हो गईं थी। इस वक्त भी वो कुछ सोच रेली थीं और साइड विंडो की तरफ चेहरा किए हुए थीं।

अपुन तो यही चाहता था कि हमारे बीच बातचीत होती रहे लेकिन अपुन ने सोचा कि कहीं बातों का चक्र ऐसी दिशा में न चला जाए जिससे मामला बिगड़ जाए अथवा अपुन के सम्हाले न सम्हले। इस लिए अपुन ने भी खामोशी अख्तियार कर ली और कार चलाता रहा। उसके बाद सच में कोई बात नहीं हुई।

करीब आधे घंटे में हम कंपनी पहुंच गए। साक्षी दी अपनी तरफ का दरवाजा खोल कर कार से उतर गईं और अपुन अपनी तरफ से।

साक्षी दी ─ तुझे अगर कहीं जाना हो तो कार ले कर जा सकता है भाई। मैं तुझे कॉल कर के बुला लूंगी।

अपुन ये सुन कर एकदम से दी की तरफ हैरानी से देखने लगा। साक्षी दी ने एक नज़र अपुन की तरफ देखा फिर बोली।

साक्षी दी ─ अरे! वो क्या है न कि यहां मुझे बहुत टाइम तक रहना पड़ेगा इस लिए ऐसा कहा।

अपुन ─ बहाना मत बनाईए दी। सच तो ये है कि आप मुझे किसी और वजह से यहां से जाने को बोल रही हैं।

साक्षी दी ने बेचैनी से अपुन को देखा फिर बोलीं।

साक्षी दी ─ ऐसी कोई बात नहीं है प्यारे भाई। मैं तो बस ये सोच रही थी कि तू यहां अकेले बैठे बोर होगा। इससे बेहतर ये है कि तू कहीं घूम ले।

अपुन ─ अगर आप नहीं चाहती कि मैं यहां रहूं तो फ़ौरन चला जाता हूं लेकिन ये बताइए कि मुझे साथ लाने से पहले इस बारे में क्यों नहीं सोचा था आपने?

साक्षी दी नजरें चुराने लगीं। मतलब साफ था कि वो किसी और वजह से अपुन को जाने को बोल रेली थीं और वो वजह अपुन कहीं न कहीं समझ भी रेला था।

अपुन ─ अगर वही वजह है जो मैं समझ रहा हूं तो आप जान लीजिए दी कि आप मुझसे दूर नहीं भाग सकेंगी।

साक्षी दी ने हड़बड़ा कर मेरी तरफ देखा।

साक्षी दी ─ क्या मतलब है तेरा?

अपुन ─ मुझमें यही खराबी है कि मैं कोई बात छुपा के नहीं रख सकता। खास कर वो बात जो आपसे ताल्लुक रखती हो। पहले नहीं समझता था लेकिन अब समझ गया हूं कि मेरा दिल क्यों सिर्फ आपकी ही तरफ खिंचता है। क्यों मेरा दिल ये चाहता है कि काश! आप मेरी दी न होती।

साक्षी दी ने घबरा कर इधर उधर देखा। अपन दोनों पार्किंग के पास ही खड़े थे और थोड़ी ही दूरी पर कुछ लोग खड़े दिख रेले थे।

साक्षी दी ─ तू अभी जा यहां से। इस बारे में बाद में बात करेंगे।

अपुन ─ मेरा दिल दे दीजिए चला जाऊंगा।

साक्षी दी ─ दिल दे दूं? इसका क्या मतलब हुआ?

अपुन ─ आपने मेरा दिल ले लिया है, उसी को मांग रहा हूं आपसे।

साक्षी दी आश्चर्य से अपुन को देखने लगीं। फिर एकदम से उनके चेहरे पर घबराहट के भाव उभर आए। इधर अपुन भी हैरान हुआ कि बेटीचोद ये क्या बोल रेला है अपुन? पर अब बोल दिया था तो पीछे नहीं हट सकता था। वैसे भी दी ने अब तक गुस्सा नहीं किएला था तो अपुन को थोड़ा कॉन्फिडेंस आ गयला था। तभी उन्होंने थोड़ा गुस्से में कहा।

साक्षी दी ─ तू पागल हो गया है क्या भाई? ये क्या बकवास कर रहा है तू?

पता नहीं क्या हो गयला था लौड़ा अपुन को? बोले तो भेजे की मां चुद गईली थी। जितना हैरान परेशान साक्षी दी थीं उतना ही हैरान परेशान अपुन भी हो गयला था। मतलब कि अपुन ने सोचा भी नहीं था कि ऐसा कुछ हो जाएगा। उधर दी इस बार सच में गुस्सा हो गईं थी। उनके चेहरे पर सच में गुस्सा दिखने लगा था अपुन को। ये देख अपुन के होठों पर फीकी सी मुस्कान उभर आई।

अपुन ─ काश! ये बकवास ही होती। अच्छा, अब जा रहा हूं। यहां का काम खत्म हो जाए तो कॉल कर देना, बाय।

उसके बाद अपुन उनका कोई जवाब सुने बिना वापस कार की ड्राइविंग सीट पर बैठा और दौड़ा दिया उसे सड़क की तरफ। पीछे साक्षी दी हैरान परेशान खड़ी रह गईं।

To be continued...



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Shaandar super Lovely Romantic Update 💓 💓 🔥 🔥 🔥
Sakshi ki kuchh jyada hi tarif kar rahe hai 🤣 🤣 🤣 aur sakshi ke man bhi kuchh Jo rok tok na ka rahi hai :love:
Sakshi ne bhaga diya 😃 ab shayad sadhana ke pass jayenge
 
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अपुन ─ काश! ये बकवास ही होती। अच्छा, अब जा रहा हूं। यहां का काम खत्म हो जाए तो कॉल कर देना, बाय।

उसके बाद अपुन उनका कोई जवाब सुने बिना वापस कार की ड्राइविंग सीट पर बैठा और दौड़ा दिया उसे सड़क की तरफ। पीछे साक्षी दी हैरान परेशान खड़ी रह गईं।



अब आगे....


रास्ते में अपुन यही सब सोचे जा रेला था कि आज साक्षी दी से जिस तरह की बातें हुईं हैं उसका क्या नतीजा निकलेगा? कहीं ऐसा तो नहीं होएगा कि साक्षी दी ये सब बातें मॉम को बता दें और अपुन की गांड़ तोड़ाई होने में बिल्कुल भी देर न लगे?

वैसे तो अपुन को यकीन था कि साक्षी दी इतना जल्दी इस बारे में किसी को कुछ बताने वाली नहीं थीं लेकिन इसके बावजूद लौड़ा अपनी फटी पड़ी थी। बोले तो अपुन अंदर से बुरी तरह घबरा रेला था और डर रेला था। कुछ समझ नहीं आ रेला था कि अब क्या करे अपुन?

अपुन को अब जा के रियलाइज हो रेला था कि अपुन को साक्षी दी से ऐसी बातें नहीं करनी चाहिए थी बेटीचोद। माना कि वो अपुन से बहुत प्यार करती हैं लेकिन उनका वो प्यार भाई बहन वाला है ना कि प्रेमी प्रेमिका वाला।

खैर जोश जोश में और तारीफ करने के चक्कर में अपुन के मुख से जो निकल गयला था वो अब वापस नहीं हो सकता था। वैसे ये तो सच था कि अपुन के अंदर साक्षी दी के लिए कुछ ऐसी ही फीलिंग्स थी पर अपुन को ये भी यकीन है कि वो प्यार वाली फीलिंग्स तो कतई नहीं हो सकतीं।

बेटीचोद अपुन के दिमाग से ये सब बातें जा ही नहीं रेली थी और इस वजह से अपुन के दिमाग की ही नहीं बल्कि अपुन की भी मां बहन हुई पड़ी थी। साक्षी दी ने अपुन को वापस कर दिया था तो अब ये भी सोच रेला था कि कहां जाए अपुन? घर जा नहीं सकता था क्योंकि जाने का मन ही नहीं कर रेला था। तभी अपुन को साधना का खयाल आ गया लौड़ा।

साधना का खयाल आते ही अपुन को आभास हुआ कि दिमाग से डर और घबराहट को निकालने का फिलहाल यही एक तरीका है कि अपुन साधना के साथ टाइम स्पेंड करे या उसके साथ मजा करे। बाकी जो होगा देखा जाएगा।

अपुन ने कार चलाते चलाते ही मोबाइल निकाल कर उसे फोन लगा दिया। थोड़ी ही देर में उसने कॉल पिक कर लिया और बोली।

साधना ─ ओह! बाबू, मैं दुआ ही कर रही थी कि काश तुम्हारा कॉल आए और मैं तुमसे ढेर सारी बातें करूं।

अपुन ─ क्या कर रेली हो मेरी जान?

साधना ─ ओहो! मेरी जान? लगता है मेरा बाबू बहुत अच्छे मूड में है।

अपुन ने मन में सोचा कि मूड की तो मां चुदी पड़ी है लौड़ी लेकिन फिर प्रत्यक्ष में बोला।

अपुन ─ मूड तो अच्छा नहीं है लेकिन अगर तुम अपुन का मूड अच्छा कर सको तो पांच मिनट में तुम्हारे पास आ सकता है अपुन।

साधना ─ क्या सच में आ सकते हो बाबू?

अपुन ─ हां, लेकिन शर्त यही है कि तुम्हें अपुन का मूड अच्छे से भी अच्छा बनाना होगा।

साधना ─ बिल्कुल बनाऊंगी बाबू। तुम आओ तो जान।

अपुन ─ कैसे बनाओगी? पहले ये बताओ।

साधना ─ जैसा तुम चाहोगे माई लव।

अपुन ─ अपुन तो तुम्हें जी भर के चोदना चाहता है, बोलो चुदवाओगी अपुन से?

साधना अपुन की बात सुन कर शायद बुरी तरह शर्मा गई थी इस लिए फ़ौरन कुछ बोल न सकी थी लौड़ी। कुछ पलों बाद बोली।

साधना ─ ठीक है बाबू, जैसा तुम चाहो।

अपुन ─ ऐसे नहीं, खुल के जवाब दो और पूरा पूरा सेंटेंस में बोल कर जवाब दो।

साधना समझ गई कि अपुन उसके मुख से खुल कर चुदाई जैसे शब्द सुनना चाहता है इस लिए बोली।

साधना ─ हां बाबू, मैं तुमसे चु..चुदवाऊंगी। प्लीज जल्दी से आ जाओ और मुझे जी भर के चोदो।

उसके मुख से ऐसा सुनते ही बेटीचोद अपुन का लौड़ा जैसे झटके मारने लगा। पलक झपकते ही अपुन अलग ही दुनिया में पहुंच गया लौड़ा। बोले तो अभी अपुन जिस टेंशन में था वो सब पलक झपकते ही दूर ग‌ई बेटीचोद।

अपुन ─ अब बताओ कि कैसे कैसे चुदवाओगी अपुन से?

साधना ─ जैसा तुम चाहोगे वैसे चुदवाऊंगी बाबू।

अपुन ─ ऐसे नहीं, कुछ ऐसे बताओ कि अपुन तुम्हें चोदने के लिए इसी वक्त मजबूर हो जाए।

साधना कुछ देर सोचती रही। इधर अपुन भी सोचने लगा कि अब ये लौड़ी क्या बोलेगी? बोले तो एक तरफ उत्सुकता भी थी और अपुन एक अद्भुत रोमांच फील कर रेला था। तभी साधना की आवाज अपुन के कान में पड़ी।

साधना ─ अच्छा सुनो, जब तुम मेरे पास आओगे तो सबसे पहले तो मैं तुम्हारे होठों को चूमूंगी...चूसूंगी। फिर तुम्हें अपने कमरे में ले जा कर तुम्हें पूरा नंगा कर दूंगी और खुद भी नंगी हो जाऊंगी। उसके बाद हम दोनों एक दूसरे को स्मूच किसिंग करेंगे। तुम मेरी छातियों को मसलोगे और उन्हें चूसोगे, काटोगे भी। फिर अपना एक हाथ मेरी चू..चूत में ले जा कर उसे सहलाना शुरू कर दोगे। इससे मुझे बहुत मजा आने लगेगा और मैं मचलने लगूंगी। फिर तुम नीचे जा कर मेरी चूत को जीभ से चाटोगे, मेरी चूत का नमकीन पानी पियोगे। जब तुम ऐसा करोगे तो मेरी हालत मजे के चलते खराब होने लगेगी और मैं पागल सी हो कर तुमसे कहूंगी कि प्लीज बाबू अब अपना लं..लंड मेरी चूत में डाल कर जोर जोर से चोदो मुझे।

साधना लौड़ी ने तो सच में अपुन का मूड बना दियेला था। उसकी बातें सुन कर अपुन का लन्ड सच में अब उसकी चूत में जाने के लिए मचलने लगा था।

अपुन ─ ये सब तो ठीक है लेकिन तुम अपुन से अपनी चूत तो चटवाओगी पर क्या अपुन का लन्ड नहीं चूसोगी?

साधना ─ ओह! सॉरी बाबू। ये तो मैं भूल ही गई थी। हां बाबू, मैं तुम्हारा लन्ड भी चूसूंगी। अब प्लीज जल्दी से आ जाओ न। मेरी चूत ऐसी बातों से ही पानी छोड़ने लगी है और तुम्हारे लन्ड को अपने अंदर सामने के लिए तड़पने लगी है।

अपुन ─ बस दो मिनट में पहुंच जाएगा अपुन तुम्हारे पास। अपुन चाहता है कि जब अपुन तुम्हारे घर का दरवाजा खटखटाए तो तुम पूरी नंगी हो कर दरवाजा खोलो।

साधना ─ ओह! बाबू ये क्या कह रहे हो? किसी ने देख लिया तो गजब हो जाएगा। प्लीज ये करने को मत कहो न जान।

अपुन ─ ना, अब अपुन ने कह दिया तो अब तुम्हें ऐसाइच करना होगा। मंजूर हो तो बोलो आए अपुन वरना नहीं।

साधना सच में मजबूर हो गईली थी। इस लिए फौरन ही मान गई लौड़ी। इधर अपुन ने झट से कॉल कट किया और कार को फुल स्पीड में दौड़ा दिया। बोले तो अब अपुन के अंदर उसे चोदने का भूत सवार हो गयला था बेटीचोद।

दो मिनट तो नहीं लेकिन पांच मिनट में जरूर पहुंच गया अपुन उसके घर। इस बीच अपुन ने उसके भाई अमित को भी मैसेज कर के बता दिया कि अपुन उसके घर जा रेला है। अपुन ने ऐसा इस लिए किया ताकि अगर अपुन को आस पड़ोस वाला कोई उसके घर गया देखे भी तो अमित या उसके मम्मी पापा को पहले से ही ये पता रहे और वो अपुन के बारे में गलत न सोचें।

अपुन ने कार को बाहर ही खड़ी किया और लपक कर दरवाज़े के पास पहुंच कर दरवाजा खटखटा दिया। लौड़ा, अपुन की धड़कनें ट्रेन के इंजन के माफिक दौड़ रेली थीं और अपुन के अंदर जाने क्या क्या सोच के रोमांच भरता जा रेला था।

आधे मिनट से पहले ही दरवाजा हल्के से खुला लेकिन पूरा नहीं खुला। अपुन ये देख के शॉक रह गया कि साधना सचमुच पूरी नंगी हो कर दरवाजा खोलने आईली थी। उसका गोरा और चिकना बदन साफ दिख रेला था अपुन को। अपुन की नज़र पहले तो उसके चेहरे पर ही पड़ी लेकिन फिर चेहरे से फिसल कर उसके गोरे और गोल मम्मों पर पड़ी। कितने सुंदर मम्मे थे लौड़ी के। बोले तो पके हुए आम की तरह। कोई लचक नहीं। बीच में भूरे रंग के निप्पल यू लग रेले थे जैसे फूले हुए चने रख दिए गए हों। अपुन का मन तो किया कि एक ही पल में लपक कर उन्हें मुंह में भर कर चूसना शुरू कर दे।

फिर सीने से फिसल कर अपुन की नज़र उसके चिकने सपाट पेट तथा गहरी नाभी पर पड़ी और फिर एकदम से उसकी सुडौल जांघों के बीच हल्के रेशमी बालों से घिरी गुलाबी चूत पर। बेटीचोद अपुन को वो लौड़ी एकदम सेक्स और मादकता की कामदेवी लगी। अपुन का लन्ड तो जैसे फटने को आ गया लौड़ा। तभी उसकी मधुर आवाज से अपुन होश में आया।

साधना ─ ओह! बाबू अंदर आ कर जी भर के देख लेना। ऐसे में अगर कोई आ गया तो बहुत बड़ी मुसीबत हो जाएगी।

अपुन को भी लगा कि वो सच कर रेली है। इस लिए जल्दी से बाकी का दरवाजा खोला और झट से अंदर दाखिल हुआ। जैसे ही अपुन अंदर आया तो साधना ने भी झट से दरवाजा बंद कर दिया।

अगले ही पल जैसे ही दरवाज़ा बंद कर के वो पलटी तो अपुन ने उसे दबोच लिया। शायद उसे भी अपुन से यही उम्मीद थी इस लिए अपुन के दबोचने पर वो जरा भी नहीं चौंकी बल्कि खुद ही अपुन की बाहों में सिमटती चली गई लौड़ी।

अपुन बेतहाशा उसके गुलाबी और रसीले होठों को चूसने में लग गयला था। वो खुद भी पूरे जोश में साथ दे रेली थी। बोले तो पलक झटकते ही अपन लोग मजे की दुनिया में पहुंच गए बेटीचोद।

साधना ─ ओह! बाबू, तुम्हारे होठ क्यों इतने प्यारे और मीठे हैं?

साधना एक पल अपुन के होठों से अलग होते ही बोली और फिर से लपक कर जैसे टूट पड़ी। वो अपुन से जोंक की तरह लिपटी हुई थी और अपुन के चेहरे को थामे होठ चूसने में लगी थी। इधर अपुन भी जैसे उसके होठों को चूसने के साथ साथ खा जाने की कोशिश में लगा था लौड़ा। दूसरी तरफ अपुन के हाथ उसके नंगे जिस्म के हर हिस्से को सहलाते जा रेले थे। कभी उसकी पीठ को, कभी कमर को तो कभी उसके गोरे चिकने और मुलायम चूतड़ों को।

अपुन के हाथ जब उसके चूतड़ों पर आते तो अपुन उनके दोनों पार्ट्स को एक एक हाथ में दबोच कर पहले तो हल्के से सहलाता और फिर बुरी तरह मसल देता जिससे साधना मचल सी जाती और उसके मुख से सिसकी निकल जाती।

कुछ ही देर में अपन दोनों की सांसें फूल गईं और अपन लोग का सांस लेना जैसे मुश्किल हो गया। अपुन ने झट से उसके होठ छोड़े और उसके गले को चूमते हुए थोड़ा नीचे उसकी छातियों पर आ गया। अपुन ने एक हाथ से उसकी पीठ को थाम कर दूसरे हाथ से उसकी एक छाती को थाम लिया। साधना की सांसें बहुत भारी हो चलीं थी और वो बुरी तरह मचल रेली थी।

साधना ─ इन्हें मुंह में ले कर चूसो बाबू। मेरे ये बूब्स तुम्हें बहुत पसंद हैं न?

अपुन ─ हां डियर। तुम्हारे ये मम्मे अपुन को बहुत पसंद हैं। मन करता है कि इन्हें हर पल चूसता ही रहे अपुन।

साधना ─ तो चूसो न बाबू। जी भर के चूसो और हां मेरे मम्मे में अपनी लव बाइट भी करो। मेरी इच्छा है कि मेरे मम्मे पर तुम्हारे दांतों का एक गहरा निशान हो। मैं जब भी नहाते समय अपने मम्मे देखूं तो मुझे तुम्हारी याद आए।

साधना की बात सुन अपुन को और भी जोश आया लौड़ा। अपुन ने लपक कर उसके निप्पल को मुंह में भर लिया और इस तरह चूसने लगा जैसे उसमें से उसका दूध खींच लेना चाहता हो अपुन। अपुन के ऐसा करते ही साधना बुरी तरह सिसकी लेते हुए मचल उठी। एक हाथ से अपुन का सिर पकड़ वो अपने मम्मे पर दबाने लगी।

साधना ─ शश्श्श्श आह्ह्ह्ह् बाबू, ऐसे ही जोर जोर से चूसो। उफ्फ बहुत मजा आता है जब तुम मेरे निप्पल को मुंह में भर कर इस तरह चूसते हो। शश्श्श्श आह्ह्ह्ह् हां बाबू ऐसे ही शश्श्श्श खा जाओ ना।

साधना इतना बुरी तरह मचल रेली थी कि अपुन से खड़े खड़े उसे सम्हालना मुश्किल होने लगा पर मजा इतना आ रेला था कि अपुन उसे छोड़ने को भी तैयार नहीं था। जब एक मम्मे को चूस के मन भर गया तो दूसरे को मुंह में भर लिया।

साधना ─ शश्श्श्श आह्ह्ह्ह् बाबू। हां इसे भी ऐसे ही चूसो। शश्श्श्श तुम्हारे इस तरह चूसने से मैं पागल सी होने लगती हूं। आह्ह्ह्ह् शश्श्श्श हां ऐसे ही जोर से अपने दांत गड़ा दो जान....शश्श्श्श।

पागल तो अपुन भी हो गयला लौड़ा और अब अपुन को उसे सम्हालने में भी तकलीफ होने लगी थी इस लिए उसके मम्मे को मुंह से निकाल कर अपुन सीधा खड़ा हुआ।

अपुन ─ ड्राइंग रूम में चलो साधना। वहां सोफे पर बाकी का काम करेंगे।

साधना ─ हां जल्दी चलो बाबू। मुझसे भी अब रहा नहीं जा रहा।

अपन दोनों लोग जल्दी ही ड्राइंग में रखे सोफे पर आ गए। साधना तो पहले से ही पूरी नंगी थी इस लिए अपुन ने भी झट से अपने सारे कपड़े उतार कर फेंक दिए। जैसे ही अपुन का कच्छा उतरा तो अपुन का बुरी तरह भन्नाया हुआ लन्ड किसी स्प्रिंग की तरह उछल कर बाहर आ गया। साधना की नज़र जैसे ही उस पर पड़ी तो जैसे वो मदहोश ही हो गई लौड़ी।

अपुन जैसे ही सोफे पर बैठा तो वो झट से नीचे फर्श पर घुटने के बल बैठ गई और हाथ बढ़ा कर अपुन के लन्ड को पकड़ लिया।

साधना ─ ओह! बाबू तुम्हारा ये तो पूरा अकड़ गया है।

अपुन ─ हां, ये तुम्हारे चूत में जाने की खुशी में अकड़ गयला है। अब चलो इसे मुंह में ले कर चूसो मेरी जान।

साधना ने मुस्कुरा कर अपुन को देखा और फिर लन्ड को मुठियाने लगी। कुछ पलों तक मुठियाने के बाद वो झुकी और चमड़ी पीछे कर के लन्ड के टोपे को आहिस्ता से चूम लिया। उसके ऐसा करते ही अपुन के अंदर मजे की तरंग उठती चली गई।

अपुन ─ आह्ह्ह्ह् तुम्हारे होठों के स्पर्श से ही जब इतना मजा आ रेला है तो जब तुम इसे मुंह में ले कर चूसोगी तो कितना मजा आएगा। जल्दी से मुंह में लो डियर और हां आज अच्छे से और मन लगा कर चूसोगी तुम।

साधना ─ डोंट वरी बाबू। आज मैं तुम्हें शिकायत का मौका नहीं दूंगी।

कहने के साथ ही उसने एक बार और टोपे को चूमा और फिर मुंह खोल कर लन्ड को मुंह में भर लिया। बेटीचोद मजा ही आ गया लौड़ा। उसके मुझ का गर्म एहसास मिलते ही अपुन के पूरे जिस्म में मजे की लहर उठने लगी और अपुन की आँखें मजे की इंतिहां में बंद हो गईं।

अपुन ने झट से साधना का सिर पकड़ लिया था और उसे अपने लन्ड पर दबाने लगा था। साधना इस बार सच में अच्छे ढंग से लन्ड चूस रेली थी। वो करीब आधा लन्ड अपने मुंह में ले लेती थी लेकिन इससे ज़्यादा लेने में शायद उसे प्रॉब्लम थी। एक हाथ से लन्ड को पकड़े वो मजे से चूसे जा रेली थी।

इधर अपुन की हालत खराब होती जा रेली थी लौड़ा। थोड़ी ही देर में अपुन को लगने लगा कि अपुन की नशों में दौड़ता लहू लन्ड के रास्ते बाहर फट पड़ेगा।

अपुन ने जल्दी से साधना का सिर पकड़ कर उठा लिया जिससे अपुन का लन्ड उसके मुख से बाहर आ गया।

साधना ─ क्या हुआ बाबू? क्या अच्छे से नहीं चूस रही मैं?

अपुन ─ अरे! तुम तो अच्छे से चूस रेली थी यार लेकिन अपुन ने लन्ड इस लिए बाहर किया क्योंकि अपुन तुम्हारे चूसने से ही झड़ जाता।

साधना ─ तो क्या हो जाता बाबू? मैं तुम्हारा स्पर्म भी पी लेती।

अपुन को बड़ी हैरानी हुई उसकी ये बात सुन कर।

अपुन ─ क्या सच में?

साधना ─ हां बाबू। जब तुम मेरी चूत का पानी पी सकते हो तो क्या मैं तुम्हारे लन्ड का पानी नहीं पी सकती? वैसे भी अब मुझे लन्ड चूसने में बुरा नहीं फील हो रहा था बल्कि अच्छा लग रहा था। क्या मैं फिर से इसे चूसना शुरू करूं जान?

अपुन का मन तो था लेकिन अपुन नहीं चाहता था कि उसे चोदे बिना ही झड़ जाए अपुन।

अपुन ─ नहीं यार, बाद में चूस लेना। अभी अपुन तुम्हें चोदना चाहता है।

साधना ─ ओह! बाबू, मैं भी तुम्हारे इस लन्ड को अपनी चूत में लेने के लिए तड़प रही हूं। देखो न, कैसे मेरी ये निगोडी चूत तुम्हारे लन्ड को देखते ही पानी छोड़ती जा रही है।

कहने के साथ ही साधना ने अपना एक हाथ अपनी चूत पर लगाया और फिर वहां से हटा कर अपुन को दिखाया। उसकी तीन उंगलियों में उसकी चूत का कामरस लगा हुआ था। ये देख अपुन जैसे मचल ही उठा लौड़ा। फिर पता नहीं क्या हुआ कि अपुन ने झट उसका हाथ पकड़ा और उसकी तीनों उंगलियों को मुंह में भर कर उसका कामरस चाटने लगा। ये देख साधना ने मदहोशी में अपनी आँखें बंद कर लीं।

साधना ─ ओह! बाबू ये क्या कर रहे हो?

अपुन ─ वाह! क्या मजेदार टेस्ट है यार तुम्हारी चूत के पानी का। रुको थोड़ा अच्छे से इसका टेस्ट लेता है अपुन।

कहने के साथ ही अपुन उठा और झुक कर उसे उठाया, फिर उसे सोफे पर लिटा दिया। साधना पूरी तरह नंगी थी इस लिए उसका सब कुछ अपुन को क्लियर दिख रेला था। अपुन की नज़र पहले तो उसके बूब्स पर ही पड़ी लेकिन फिर अपुन ने अपनी निगाहें उसकी चूत पर जमा दी। हल्के रेशमी बालों से घिरी उसकी गुलाबी चूत सच में बहुत ज्यादा गीली दिख रेली थी।

अपुन के लन्ड ने जोर का झटका दिया, जैसे सलाम किया हो उसे। अपुन ने उसे हल्के से सहला कर मन ही मन कहा कि रुक जा थोड़ी देर। अगले ही पल अपुन साधना की चूत पर झुकता चला गया लौड़ा।

आज क्लियरली अपुन उसकी चूत देख रेला था। कल की पेलाई के बाद थोड़ा अलग ही दिख रेली थी वो। कल की सूजन काफी कम हो गईली थी। अपुन ने झट से जीभ निकाली और नीचे से ऊपर की तरफ घुमा दिया जिससे उसका ढेर सारा कामरस अपुन की जीभ में आ गया। अपुन ने बड़े मजे से उसका टेस्ट ले कर निगल लिया। उसके बाद दोनों हाथों से उसकी जांघों को थाम कर उसकी चूत को चाटना शुरू कर दिया।

साधना ─ शश्श्श्श आह्ह्ह्ह् बाबू।

साधना की सिसकियां गूंजने लगीं। वो मजे की मस्ती से सिर पटकने लगी और अपनी जांघों को सिकोड़ अपुन का सिर भी जकड़ने लगी। अपुन ने जोर लगा कर उसकी जांघों को फैलाया और जीभ को उसकी चूत के दाने पर रगड़ना शुरू कर दिया जिससे साधना और भी ज़्यादा सिसकी लेते हुए मचलने लगी।

साधना ─ उफ्फ बाबू शश्श्श्श आह्ह्ह्ह् बहुत मजा आ रहा है। शश्श्श्श खा जाओ जान। इसमें सुबह से बहुत शश्श्श्श खु...जली हो रही है।

अपुन ने उसे मुख से कोई जवाब नहीं दिया, बस जीभ से लगातार उसके दाने को छेड़ता रहा और साधना मचलती रही। उसे इतना ज्यादा मजा आ रेला था कि अपुन के सिर को पकड़ कर वो अपनी चूत में दबाती जा रेली थी।

साधना ─ शश्श्श्श आह्ह्ह्ह् जान, ऐसा लगता है इस मजे से पागल हो जाऊंगी मैं।

अपुन ने इस बार भी कुछ नहीं कहा बल्कि अपनी जीभ से उसके दाने को छेड़ना छोड़ जीभ को नुकीला कर के उसके रस छोड़ते छेद में घुसा दिया। ऐसा करते ही साधना की कमर सोफे से उठ गई। वो मजे के चरम पर थी और अगले कुछ ही पलों में वो तेज तेज झटके खाते हुए झड़ने लगी।

उसका ढेर सारा कामरस बाहर निकला जिसे अपुन जितना हो सका निगलता चला गया। थोड़ी देर बाद जब साधना ठंडी पड़ गई और गहरी गहरी सांसें लेने लगी तो अपुन ने उसकी चूत से मुंह हटा लिया। अपुन का होठ ही नहीं बल्कि पूरा चेहरा उसके कामरस से पुत गयला था।

अगले ही पल अपुन उसके ऊपर आ कर उसके कामरस से पुता अपना चेहरा उसके होठों से लगा दिया। कामरस की मादक गंध मिलते ही साधना के जिस्म में हलचल हुई और उसने धीरे से आंखें खोली तो अपुन को खुद पर झुका पाया। अगले ही पल उसने अपुन का चेहरा थाम लिया और अपुन के चेहरे पर लगे अपने ही कामरस को जीभ निकाल कर चाटने लगी। थोड़ी ही देर में वो सब चाट गई और फिर एकदम से अपुन के होठों को चूसने लगी।

इधर अपुन का लन्ड अब उसकी चूत‌ में जाने के लिए जैसे बुरी तरह मचल रेला था। अपुन ने उसी पोजिशन में खुद को एडजस्ट किया और अपने भन्नाए हुए लन्ड को एक हाथ से पकड़ कर साधना की चूत में सेट किया। उसके बाद तेजी से झटका दिया तो अगले ही पल वो दनदनाता हुआ आधे से ज्यादा उसकी चूत में घुस गया।

साधना ─ आह्ह्ह्ह् शश्श्श्श धीरे से बाबू। दर्द हो रहा है।

अपुन ─ पहले जैसा दर्द नहीं होगा डियर। अब तो बस मीठा दर्द होगा और मजा आएगा।

कहने के साथ ही अपुन ने लन्ड को थोड़ा बाहर निकाला और इस बार पहले से भी तेज झटका दिया जिससे इस बार पूरा लन्ड साधना की चूत में घुस गया। साधना एक बार फिर से दर्द और मजे से सिसक उठी। उसने अपनी टांगें उठा कर अपुन की कमर में फंसा लिया और हाथों को अपुन की पीठ पर जमा लिया।

साधना ─ आह्ह्ह्ह् शश्श्श्श चो..चोदो बाबू। अपनी साधना को आह्ह्ह्ह् शश्श्श्श जोर जोर से चोदो। तुम्हारी ये साधना सिर्फ तुम्हारी है।

अपुन को भयंकर मजा आ रेला था इस लिए जोरदार धक्के लगा रेला था। उधर साधना मजे और मस्ती में जाने क्या क्या बोलती जा रेली थी।

साधना ─ उफ्फ शश्श्श्श आह्ह्ह्ह् ऐसे ही बाबू। अपनी साधना को आज जी भर के चोदो। फाड़ डालो मेरी आह्ह्ह्ह् शश्श्श्श चूत को।

अपुन ─ हां लौड़ी, आज तेरी चूत को फाड़ ही डालेगा अपुन। बोले तो चोद चोद के तेरी चूत का भोसड़ा बना देगा अपुन।

साधना अपुन के मुख से गाली सुन पहले तो थोड़ा चौंकी मगर फिर से मस्ती में सिसकियां भरने लगी। अपने दोनों हाथों से कभी अपुन की पीठ सहलाती तो कभी अपुन के पिछवाड़ों को।

साधना ─ ओह! आह्हह्ह् शश्श्श्श मुझे ऐसे ही हर रोज तुम्हारे लंड से चुदना है बाबू। शश्श्श्श तुम मुझे रोज चोदोगे न जान?

अपुन ─ हां साधना, अपुन तुझे रोज इसी तरह चोदेगा। तेरे भाई अमित के सामने भी चोदेगा। तेरी मां के सामने भी चोदेगा। बोल चुदेगी न सबके सामने अपुन से?

साधना ─ आह्ह्ह्ह् शश्श्श्श हां बाबू। मैं मम्मी पापा और भाई सबके सामने तुमसे चुदूंगी।

अपुन ─ सोच ले। बाद में मुकर तो नहीं जाएगी न?

साधना ─ न..नहीं बाबू शश्श्श्श आह्ह्ह्ह् मैं नहीं मुकरूंगी।

अपुन ─ और अगर तेरे मम्मी पापा या भाई ने अपने सामने तुझे चोदने न दिया तो?

साधना ─ मैं...मैं आह्ह्ह्ह् शश्श्श्श मैं तब भी तुमसे चुदूंगी ब...बाबू।

अपुन ─ सच कह रही है न या इस वक्त बस मजे में ऐसा बोल रेली है?

साधना ─ शश्श्श्श बाबू थोड़ा और जोर से चोदो न मुझे। नहीं बाबू लेकिन क्या तुम...आह्हह्ह् शश्श्श्श आह्ह्ह्ह् सच में मेरे घर वालों के सामने मुझे चोदोगे?

अपुन ─ अगर तू सबके सामने चुदवाने को हां कहेगी तो बेशक सबके सामने तुझे चोदेगा अपुन।

साधना ─ ओह! बाबू शश्श्श्श ले..लेकिन इस तरह में तो हम दोनों बहुत बड़ी समस्या में पड़ जाएंगे।

अपुन ─ कैसी समस्या में?

साधना ─ हम दोनों के घर वाले शश्श्श्श आह्ह्ह्ह् हमें जान से मार देंगे बाबू।

अपुन ─ हां ये तो सही कहा तूने। फिर तू ही बता कि हर रोज कैसे चुदेगी अपुन से?

साधना ─ मुझे नहीं पता बाबू। शश्श्श्श आह्ह्ह्ह् तुम ही कोई सोल्यूशन ढूंढो।

अपुन ─ सोल्यूशन फिलहाल बाद में ढूंढेंगे। अभी तो अपुन तुझे पेल के चोदना चाहता है।

साधना ─ हां तो चोदो न बाबू। आह्ह्ह्ह् शश्श्श्श उफ्फ तुम्हारा लन्ड मेरे पेट तक फील होता है जान।

अपुन ने देखा साधना आँखें बंद किए ये सब बकचोदी किए जा रेली थी। अपुन के हर धक्के में उसके गोल गुब्बारे उछल जाते थे। अपुन ने झुक कर उसकी एक चूची के निप्पल को मुंह में भर लिया और जोर जोर से चूसना काटना शुरू कर दिया। इस दोहरे हमले से साधना और भी बुरी तरह मचलते हुए सिसकियां भरने लगी।

थोड़ी ही देर में अपुन को ऐसा लगने लगा जैसे अपुन भी चरम पर पहुंचने वाला है। पूरे जिस्म का लहू एक अद्भुत रोमांच पैदा करते हुए अपुन के लन्ड की तरफ दौड़ता हुआ आ रेला था। उधर साधना अब कुछ ज़्यादा ही आहें भर रेली थी। पूरे ड्राइंग रूम में उसकी आहें और सिसकियां गूंज रेली थीं।

अपुन ─ आह्ह्ह्ह् साधना, मेरी जान लगता है अपुन का होने वाला है।

साधना ─ आह्ह्ह्ह् शश्श्श्श बाबू मेरे अंदर अपना पानी मत छोड़ना।

अपुन ─ फिर कहां छोड़े अपुन?

साधना ─ शश्श्श्श आह्ह्ह्ह् मुझे तुम्हारा पानी पीना है बाबू।

अपुन ─ ठीक है।

अपुन अब अपने पीक पर आ गयला था इस लिए पूरी ताकत और जोश से धक्के लगा रेला था। अगले ही पल साधना तेज तेज आहें भरते हुए एकदम से ऐंठ गई और थरथराते हुए झड़ने लगी। अपुन भी झड़ने वाला था इस लिए जल्दी से अपने लन्ड को उसकी चूत से निकाला और ऊपर की तरफ सरक कर उसके मुख में अपना लन्ड घुसेड़ दिया।

साधना अभी अभी झड़ी थी जिसके चलते वो ठंडी सी पड़ गईली थी। पर जैसे ही उसे अपने मुंह में अपुन के लन्ड का आभास हुआ तो उसने बड़ी मुश्किल से आँखें खोल कर अपुन को देखा और थोड़ा ताकत लगा कर उठी।

अपुन ─ आह्ह्ह्ह् जल्दी करो। अपुन झड़ने वाला है।

साधना ने किसी तरह बैठ कर जल्दी ही अपुन के लन्ड को पकड़ कर मुंह में लिया और जोर जोर से चूसने लगी। एक तो अपुन पहले ही पीक पर था, ऊपर से उसके मुंह का गर्म स्पर्श तथा तीसरे उसके द्वारा जोरदार चूसे जाने से कुछ ही पलों में अपुन मजे के सातवें असमान में पहुंच गया।

बेटीचोद ऐसा लगा जैसे आनंद की पराकाष्ठा में अपुन के जिस्म से जान ही निकलने लगी हो लौड़ा। एक के बाद एक पिचकारी उसके मुख में गिरने लगी थी। अपुन ने झट से उसके सिर को थाम लिया था और झटके खाते हुए उसके मुख में झड़ता जा रेला था। अपुन को ये तक होश नहीं था कि मजे की तरंग में पागल हो कर अपुन ने अपना पूरा लन्ड उसके मुख में ठूस दिया है।

होश तब आया जब साधना बुरी तरह मचलते हुए अपुन के जांघों पर जोर जोर से मारने लगी। अपुन ने झट से पिछवाड़ा पीछे किया जिससे अपुन का लंड एक झटके में उसके मुख से बाहर आ गया लौड़ा।

लन्ड के निकलते ही साधना बुरी तरह खांसने लगी। उसकी सांसें बुरी तरह उखड़ी हुईं थी। अपुन का पानी तो वो पी ही गई थी लेकिन कुछ उसके मुंह के किनारों से बाहर भी टपक रेला था।

अपुन ─ सॉरी यार। पता ही नहीं चला बेटीचोद कि कब अपुन ने पूरा लन्ड तुम्हारे मुंह में घुसेड़ दिया।

साधना की खांसी तो अब कम हो गईली थी लेकिन सांसें अभी भी उखड़ी हुईं थी। कुछ देर लगा उसे अपनी सांसों को दुरुस्त करने में।

साधना ─ ओह! बाबू तुम आखिर में पागल से हो जाते हो।

अपुन ─ सॉरी साधना। उस वक्त मजे में कुछ होश ही नहीं था।

साधना ─ इट्स ओके। ये बताओ तुम्हें मजा आया न?

अपुन ─ बहुत मजा आया मेरी जान। यू आर टू गुड, बोले तो अमेजिंग...वंडरफुल।

साधना ─ मुझे भी बहुत मज़ा आया बाबू। तुमसे इस तरह मिलने से पहले ख्वाब में भी नहीं सोचा था कि चुदाई में इतना मजा आता होगा। थैंक्यू सो मच बाबू।

साधना अपुन को मोहब्बत की दीवानगी भरी निगाहों से देखने लगी थी और अपुन एक बार फिर उससे नज़रें मिलाने में कतराने लगा था।

साधना ─ अच्छा बाबू, तुम्हारा वीर्य तो सच में बहुत टेस्टी था। पता है आज मैं मोबाइल में कुछ चीजों के बारे में देख रही थी। गूगल में मैंने इस बारे में काफी कुछ खोजा और फिर पढ़ा। तब पता चला कि इसमें भी बहुत मज़ा आता है और पार्टनर्स को इससे सेटिस्फैक्शन मिलता है।

अपुन ─ ओह! ऐसा क्या। इसी लिए इतना मजे से और इतना बेझिझक हो के अपुन का लन्ड चूस रेली थी तुम।

साधना ये सुन कर पहले तो थोड़ा शरमाई फिर मुस्कुराते हुए बोली।

साधना ─ क्या करूं बाबू। कल तुम्हारा मूड खराब हो गया था इस लिए मैं चाहती थी कि नेक्स्ट टाइम जब हम दुबारा ये सब करें तो तुम्हारा मूड खराब न हो। बस इसी लिए नेट में खोज कर ये सब पढ़ा।

अपुन अच्छी तरह जानता था कि साधना अपुन से प्यार करती है और अपुन की खुशी के लिए सब कुछ करना चाहती है। असल में वो नहीं चाहती थी कि अपुन किसी भी वजह से उससे नाराज़ हो जाए या उससे दूर हो जाए। अपुन को थोड़ा ग्लानि हुई लेकिन फिर अपुन ने इस फीलिंग को झटक दिया।

ख़ैर अपुन ने जब देखा कि अभी दोपहर के तीन बज रेले हैं तो सोचा क्यों न एक बार और साधना को चोद लिया जाए। क्या पता बाद में उसके मम्मी पापा और अमित के आ जाने से हमें ये करने का मौका मिले न मिले।

ये सोच कर अपुन ने एक बार फिर आगे बढ़ कर उसकी चूचियों को थाम लिया और उन्हें हौले हौले मसलने लगा। ये देख साधना हौले से मुस्कुरा उठी।

साधना ─ लगता है मेरे बाबू का मन नहीं भरा है अभी?

अपुन ─ सही कहा मेरी जान। तुम्हें चोदने का फिर से मन हो रेला है। क्या तुम्हें नहीं लग रेला है कि अपन लोग को एक बार फिर से चुदाई कर लेनी चाहिए। शाम को तुम्हारे पापा आ जाएंगे और कल अमित के साथ तुम्हारी मम्मी भी आ जाएंगी तो क्या पता हमें इस तरह का मौका मिलेगा या नहीं।

साधना ─ हां सही कह रहे हो जान। ऐसा मौका शायद ही मिलेगा।

अपुन ─ इसी लिए तो बोल रेला है अपुन कि एक राउंड और हो जाए। वैसे अंकल जी कितने बजे तक आएंगे?

साधना ─ शायद पांच बजे तक।

अपुन ─ ओह! फिर तो अपन लोग को फ़ौरन एक राउंड कर लेना चाहिए। क्या कहती हो?

साधना ─ जो तुम्हें ठीक लगे जान लेकिन उससे पहले मैं वॉशरूम जाऊंगी। बड़ी जोर की लगी है न।

अपुन ─ ओह! अपुन भी तुम्हारे साथ चलेगा। अपुन को भी लगी है इस लिए दोनों एक साथ करेंगे।

साधना ─ क्या?? ओह! नहीं न बाबू। तुम्हारे सामने मुझे शर्म आएगी।

अपुन ─ यार अब शर्म करने लायक कुछ बचा है क्या हमारे बीच? चलो अब नखरे मत करो।

आखिर साधना को राजी होना ही पड़ा। थोड़ी ही देर में अपन दोनों उसके रूम के अटैच बाथरूम में पहुंच गए। दोनों ही नंगे थे इस लिए कपड़े या कच्छे उतारने का सवाल ही नहीं था। अपुन तो खड़े खड़े ही अपने लन्ड को पकड़ कर पिचकारी मारने का सोच लिया था लेकिन तभी अपुन को कुछ सूझा

अपुन ─ अपुन का लंड पकड़ो न साधना।

साधना ─ क्यों? मेरा मतलब है कि किस लिए?

अपुन ─ तुम अपने हाथों से पकड़ कर अपुन को पेशाब करवाओ।

साधना को पहले तो ये सुन के हैरानी भी हुई और शर्म भी आई लेकिन फिर उसने अपुन के लन्ड को पकड़ लिया। उसके कोमल हाथ का स्पर्श पाते ही लन्ड ने थोड़ा झटका दिया और फिर अगले कुछ ही पलों में उसके छेद से पेशाब की धार निकलने लगी। साधना बड़े गौर से ये देखने लगी थी।

साधना ─ माय गॉड इसकी धार तो बहुत दूर तक जा रही है बाबू।

अपुन ─ क्यों तुम लड़कियों की धार दूर तक नहीं जाती?

साधना (शर्म से मुस्कुराते हुए) ─ हम लड़कियां इस तरह खड़े खड़े नहीं कर सकतीं। इस लिए बैठ कर करती हैं तो बैठे बैठे ही पेशाब की धार थोड़ा दूर तक जाती है।

अपुन (गर्व से सीना चौड़ा कर के) ─ अपन मर्द लोग तो बेटीचोद दस फीट में बैठे आदमी को भी नहला सकते हैं।

साधना अपुन की बात सुन कर खिलखिला कर हंसने लगी। तभी अपुन के पेशाब की धार कमजोर होने लगी। अपुन समझ गया टंकी खाली होने वाली है लौड़ा। खैर कुछ ही पलों में अपुन का हो गया।

साधना ─ लो बाबू तुम्हारा तो हो गया। अब क्या हाथ हटा लूं?

अपुन ─ हां हटा लो और अब चलो अपुन तुम्हें भी पेशाब करवाता है।

साधना ये सुन कर फिर से शरमाई लेकिन फिर मुस्कुराते हुए बोली।

साधन ─ मुझे कैसे करवाओगे तुम? मेरा मतलब है कि मेरे पास तुम्हारे जैसे लन्ड थोड़ी है जिसे तुम आराम से पकड़ लोगे।

अपुन ─ हां बात तो तुम्हारी सही है पर फिर भी अपुन करवाएगा।

साधना (हैरानी से) ─ कैसे?

अपुन ─ कैसे क्या? अरे! अपुन तुम्हारी चूत के गुलाबी होठों के अगल बगल उंगलियां रख देगा और तुम मूतना शुरू कर देना।

साधना एक बार फिर से खिलखिला कर हंसने लगी। हालांकि पहले वो बुरी तरह शर्मा गईली थी।

साधना ─ न बाबू। ये ठीक नहीं है। मतलब कि ऐसे में मैं पेशाब नहीं कर पाऊंगी और अगर किसी तरह पेशाब निकला भी तो तुम्हारा हाथ ही गंदा हो जाएगा, आई मीन भींग जाएगा।

अपुन ─ कोई बात नहीं, भीगने दो। अपुन ने सोच लिया है कि तुम्हें इसी तरह पेशाब करवाएगा तो करवाएगा। चलो अब तुम भी नखरे न करो और शुरू हो जाओ।

साधना ने आगे भी कई बार मना किया लेकिन अपुन की जिद के आगे आखिर उसने हथियार डाल ही दिए। वैसे भी उसे जोरो की पेशाब लगी हुई थी इस लिए उसे करना ही पड़ा।

शर्म और झिझक के साथ वो बाथरूम के फर्श पर ही बैठने लगी तो अपुन ने उसे फौरन रोक लिया। बैठने से मुश्किल हो जानी थी इस लिए अपुन ने उसे खड़े खड़े ही मूतने को कहा। वो काफी झिझक रेली थी और शर्मा रेली थी लेकिन मारती क्या न करती वाली सिचुएशन में फंस गईली थी वो।

अपुन ने उसकी टांगों को थोड़ा फैला कर खड़ा होने को कहा तो वो वैसे ही खड़ी हो गई। उसके बाद अपुन के ही कहने पर वो मूतने को तैयार हुई लेकिन जोर का प्रेशर लगा होने के बाद भी उसकी चूत से पेशाब नहीं निकल रेला था। अपुन समझ गया कि लौड़ी अंदर से तैयार नहीं है। बोले तो शर्मा रेली है या झिझक रेली है....मगर कब तक?

थोड़ी ही देर में जब प्रेशर उसकी सहन शक्ति से बाहर हो गया तो उसने मूतना शुरू कर दिया। अपुन ने पहले ही उसकी चूत की गुलाबी पंखुड़ियों के अगल बगल उंगली लगा ली थी और थोड़ा फैला भी दिया था ताकि जब वो मूतना शुरू करे तो होठ चिपके होने की वजह से उसके पेशाब की धार यूं न निकले कि उसकी जांघों को ही भिंगोना शुरू कर दे।

साधना शर्म से आँखें बंद किए मूते जा रेली थी और उसके पेशाब की धार क्लियरली दोनों फैली जांघों के बीच गिरती जा रेली थी।

अपुन ─ अरे! लंबी छलांग लगाओ न यार। ये क्या है?

साधना का ये सुन कर मूतना रुक गया और वो आँखें बंद किए ही शर्म के मारे हंसने लगी।

साधना ─ ये तुम कैसी बातें कर रहे हो जान? तुम्हें बताया तो है मैंने कि हम लड़कियां खड़े होने पर दूर तक धार नहीं छोड़ सकतीं। अब प्लीज कुछ मत बोलना और मुझे पेशाब करने दो।

अपुन भी समझ रेला था कि वो सच ही बोल रेली थी। बोले तो ऊपर वाले ने ऐसी कलाकारी अपन मर्दों के लिए ही रची थी। खैर कुछ देर बाद उसका भी हो गया तो वो ठीक से खड़ी हो गई। उसके बाद उसने पानी से अपनी चूत साफ की। अपुन ने भी अपने लंड को धो कर साफ कर लिया।

बाथरूम से अपन दोनों बाहर आ गए और फिर से एक दूसरे में खोने लगे। साधना जब मूड में आई तो उसने कहा कि इस बार वो अपुन के ऊपर आ कर लन्ड पर उछल उछल कर चुदेगी। अपुन ने ऐसा ही किया।

इस बार अपन दोनों उसके कमरे में ही बेड पर चुदाई का कार्यक्रम कर रेले थे। साधना काफी देर तक मस्ती में अपुन के लन्ड पर उछलती रही। फिर जब वो थक गई तो अपुन ने उसे नीचे लिटाया और ताबड़तोड़ धक्कों की बरसात करने लगा लौड़ा। करीब पंद्रह मिनट की भीषण पलंगतोड़ चुदाई के बाद अपन दोनों ही झड़ गए बेटीचोद।

चार बजने वाले थे इस लिए अपन दोनों ने कार्यक्रम को यहीं पर विराम देने का सोचा और बाहर ड्राइंग रूम में आ कर अपने अपने कपड़े पहनने लगे।

कपड़े पहन कर अपुन उसके घर से चला तो उसने अपुन को जाने देने से पहले स्मूच किस किया और फिर किसी बहाने हर रोज घर आने का बोल कर उसने अपुन को बाय किया।

उसके घर से बाहर आया तो देखा मोबाइल में साक्षी दी के दो मिस कॉल पड़े थे। ये देख अपुन एकदम से टेंशन में आ गया लौड़ा।

To be continued...



Aaj ke liye itna hi bhai log,
Read and enjoy:declare:
Shaandar super hot erotic update 🔥 🔥 🔥
Saadhna ke sath khoob pelam pelai :sex: hua, Bahut mast jabardast 🔥🔥
Ab dekhte hai sakshi kahe khoj Rahi hai 😏
 

PS10

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Update ~ 17



अपुन ─ ठीक है। अच्छा अब मैसेज मत करना। अपुन अब कॉलेज के लिए निकलता है। जब अपुन को आना होगा तो अपुन खुद ही तुम्हें मैसेज कर देगा।

इस मैसेज के बाद अपुन ने सारी चैट को डिलीट मारा और फिर नेट ऑफ कर के मोबाइल जेब में डाल दिया। अपुन का लन्ड अभी भी अकड़ा हुआ था लौड़ा। अपुन जानता था कि जब तक अपुन का ध्यान कहीं और नहीं लगेगा तब तक ये बेटीचोद ऐसे ही अकड़ा रहेगा। खैर अपुन ने दिव्या और विधी को कॉलेज चलने को बोला तो वो फौरन ही टीवी बंद कर के सोफे से खड़ी हो गईं।



अब आगे....


अपन लोग कॉलेज जाने के लिए घर से निकले तो हमेशा की तरह दिव्या अपुन की बाइक में पीछे बैठ गई जबकि विधी अपनी स्कूटी से जाने लगी। असल में दिव्या को स्कूटी चलाना नहीं आता था और उसने कभी चलाना भी नहीं सीखा था।

खैर कुछ ही देर बाद रास्ते में दिव्या खिसक कर अपुन से चिपक गई। ये उसका रोज का ही था। घर से निकलते वक्त वो नॉर्मल ही बैठती थी लेकिन कुछ दूर आने के बाद वो एकदम चिपक कर बैठ जाती थी। उसके मध्यम आकार के बूब्स अपुन की पीठ पर चुभना शुरू हो जाते थे जिससे अपुन के बदन में रोमांच की लहरें दौड़ने लगती थी लौड़ा।

दिव्या ─ अच्छा भैया, आपसे एक बात पूछूं?

रास्ते में दिव्या ने अपुन से चिपके हुए ही अपना मुंह अपुन के कान के पास ला कर कहा। इस चक्कर में उसके बूब्स कुछ ज़्यादा ही अपुन की पीठ पर धंस गएले थे और अपुन के बदन में बड़ी तेज़ झुरझुरी हुई थी। यहां तक कि अपुन के लन्ड में भी सनसनी दौड़ गईली थी।

अपुन ─ हां पूछ ना।

दिव्या ─ विधी दी ने जो बताया क्या वो सच है? आई मीन क्या सच में आप दोनों गर्लफ्रेंड बॉयफ्रेंड बन गए हैं?

अपुन जानता था कि दिव्या अपुन से ये सवाल जरूर करेगी इस लिए जवाब पहले ही सोच लिया था अपुन ने।

अपुन ─ अरे! तो इसमें कौन सी बड़ी बात हो गईली है? भाई बहन दोस्त नहीं हो सकते क्या?

दिव्या ─ हां हो तो सकते हैं लेकिन गर्लफ्रेंड बॉयफ्रेंड तो अलग तरह के होते हैं न भैया?

अपुन ─ हां होते हैं पर अपन लोग उस तरह के नहीं हैं क्योंकि अपन लोग भाई बहन भी हैं।

दिव्या ─ तो फिर ऐसे गर्लफ्रेंड बॉयफ्रेंड बनने का क्या फायदा भैया?

अपुन ─ अपन लोग नफा नुकसान का सोच के थोड़े न एक दूसरे को गर्लफ्रेंड बॉयफ्रेंड बनाएले हैं। बस सिंपल से दोस्त बन गएले हैं जिससे दोनों लोग एक दोस्त की हैसियत से अपनी हर बात एक दूसरे से शेयर कर सकें।

दिव्या ─ हर बात? क्या सच में भैया? आई मीन क्या सच में आप दोनों अपनी हर बात एक दूसरे से शेयर कर सकते हैं?

अपुन ─ हां क्यों नहीं।

दिव्या ─ पर भैया, हर बात कैसे शेयर कर सकते हैं आप दोनों? आई मीन टू से कि कुछ बातें ऐसी भी होती हैं जो भाई बहन एक दूसरे से नहीं कह सकते।

अपुन ─ अरे! अपुन का मतलब ये था कि नॉर्मली हर बातें शेयर कर सकते हैं। बाकी जो बिल्कुल ही पर्सनल होंगी तो अपुन भी जानता है कि उन्हें एक दूसरे से शेयर नहीं कर सकते। ऑफ्टर ऑल भाई बहन के बीच एक लिमिट भी होती है।

दिव्या इस बार जल्दी कुछ न बोली। शायद वो कुछ सोचने लगी थी। इधर अपुन भी सोचने लग गयला था कि अब ये लौड़ी ऐसा क्या सोच रेली होगी? हालांकि अपुन अच्छी तरह समझ रेला था कि उसके मन में ऐसी कई बातें उभर रेली होंगी जिन्हें वो अपुन से खुल कर कहने में शायद झिझक रेली है।

दिव्या ─ अच्छा भैया, क्या आप नहीं चाहते कि आपकी कोई ऐसी गर्लफ्रेंड हो जिससे आप पर्सनल से पर्सनल बात भी शेयर कर सकें और तो और...वो सब भी कर सकें जो आज के गर्लफ्रेंड बॉयफ्रेंड करते हैं..यू नो?

अपुन अच्छी तरह समझ रेला था कि दिव्या के कहने का क्या मतलब था। हालांकि अपुन को ये सोच के थोड़ी हैरानी हुई थी कि वो अपुन से ये कैसी बातें कर रेली थी? अपुन सोचने पर मजबूर हो गया कि आखिर इसके मन में चल क्या रेला है?

अपुन ─ हां चाहता तो है अपुन लेकिन आज कल की लड़कियां कभी कभी लड़कों के गले भी पड़ जाती हैं। बोले तो जी का जंजाल बन जाती हैं। प्यार व्यार का बेकार का नाटक शुरू कर देती हैं जो अपुन को बिल्कुल पसंद नहीं है। इस लिए अपुन बाहर किसी लड़की को अपनी गर्लफ्रेंड बनाने का सोचा ही नहीं कभी।

दिव्या ─ अच्छा, वैसे कॉलेज में आपके फ्रेंड ग्रुप में प्रोफेसर रघुराज सिंह की बेटी शनाया भी तो है। और मैंने कई बार देखा है कि वो आपसे काफी अटैच हो के बात करने की कोशिश करती रहती है। उसके बारे में क्या कहेंगे आप?

अपुन ने मन ही मन सोचा कि ये तो अपुन की हर एक्टिविटी पर नजर रखती है लौड़ा।

अपुन ─ अरे! वो तो बस अपन लोग की फ्रैंड है। उससे अपुन का ज्यादा कोई लेना देना नहीं है। हालांकि वो तो चाहती है कि अपुन उसे अपनी गर्लफ्रेंड बना ले पर अपुन को वो ऐज ए गर्लफ्रेंड पसंद ही नहीं है। बोले तो अपुन अच्छी तरह जानता है कि वो गले पड़ने वाली लड़की ही है। इस लिए अपुन कभी उसे उस तरीके से भाव ही नहीं देता।

दिव्या ─ और विधी दी की फ्रैंड रीना? मैंने उसे भी कई बार देखा है कि वो आपको कैसी नजरों से देखती है।

अपुन ─ अरे! तो किसी के देखने से क्या होता है यार? ऐसे तो सारी दुनिया ही किसी न किसी को देखती है तो इसका मतलब ये थोड़ी न हो जाता है कि वो सब एक दूसरे से कनेक्ट हो गएले हैं। वैसे भी विधी को पसंद नहीं है कि अपुन उससे कोई मतलब रखे।

दिव्या (हैरानी से) ─ ऐसा क्यों भैया?

अपुन ─ उसका कहना है कि वो अच्छी लड़की नहीं है।

दिव्या ─ क्या सच में? आई मीन अगर वो अच्छी लड़की नहीं है तो विधी दी ने उसे अपनी बेस्ट फ्रेंड क्यों बना रखा है?

अपुन ─ अब ये तो वही जाने यार।

दिव्या इस बार कुछ न बोली। शायद सोचने में गुम हो गईली थी। इधर अचानक ही अपुन के मन में खयाल उभरा कि अपुन को दिव्या के बारे में भी पता करना चाहिए। हालांकि कॉलेज में उसका किसी लड़के से कोई चक्कर वक्कर नहीं था क्योंकि कॉलेज में सबको पता था कि विधी की तरह दिव्या भी अपुन की बहन है जिससे कोई दोनों के करीब आने की नहीं सोचता था। लेकिन इसके बावजूद दिव्या इस सबके बारे में क्या सोचती है ये जानना जरूरी था।

अपुन ─ ये सब छोड़ और तू अपनी बता। तेरा कोई बॉयफ्रेंड बना कॉलेज में?

दिव्या ─ क्या भैया ये कैसी बात कर रहे हैं आप? मैं क्या आपको ऐसी लड़की लगती हूं?

अपुन ─ अरे! आज कल तो हर कोई गर्लफ्रेंड बॉयफ्रेंड बनाते हैं। इस लिए पूछा कि क्या तेरा भी कोई बॉयफ्रेंड है या नहीं?

दिव्या ─ नहीं भैया। मुझे इसमें कोई इंटरेस्ट नहीं है और वैसे भी अभी मेरी उम्र सिर्फ पढ़ाई करने की है।

अपुन ─ पढ़ाई के साथ साथ इंसान के लिए एंटरटेनमेंट भी तो जरूरी होता है।

दिव्या ─ हां तो उसके लिए क्या यही जरूरी है कि मैं किसी लड़के को अपना ब्वॉयफ्रेंड बना लूं? नहीं भैया, मुझे ऐसा कुछ नहीं करना। रही बात एंटरटेनमेंट की तो आप सबके साथ मेरा एंटरटेनमेंट अच्छी तरह हो जाता है, खास कर आपके साथ।

अपुन ─ अपुन के साथ? वो कैसे?

दिव्या ─ अरे! मतलब कि आप विधी दी से ज्यादा मेरा सपोर्ट करते हैं जिससे विधी दी आपसे झगड़ती रहती हैं और आप भी उन्हें तंग करते रहते हैं। बस यही सब देख के मेरा एंटरटेनमेंट हो जाता है। दूसरी बात आप मेरे बड़े भाई तो हैं लेकिन कभी भी मुझे किसी बात पर डांटते नहीं हैं बल्कि हमेशा मेरे साथ अच्छा ही बर्ताव करते हैं। इससे मुझे बहुत अच्छा लगता है।

अपुन ─ अरे! तू भी विधी की तरह अपुन की लाडली बहन है इसी लिए तुझे भी उतना ही प्यार करता है अपुन जितना उसे करता है।

दिव्या ─ ना ना, मैं आपकी इस बात पर एग्री नहीं हूं।

अपुन ─ अरे! क्यों भला?

दिव्या ─ अगर आप सच में विधी दी के जैसे मुझसे प्यार करते तो सिर्फ उन्हें ही नहीं बल्कि मुझे भी अपनी गर्लफ्रेंड बना लिया होता आपने।

अपुन उसकी ये बात सुन के मन ही मन बड़ा हैरान हुआ लौड़ा। अपुन तो सोच भी नहीं सकता था कि वो ऐसा सोच सकती है।

अपुन ─ अरे! ये क्या बोल रेली है तू?

दिव्या ─ सच ही तो कह रही हूं भैया। आप विधी दी को ज्यादा प्यार करते हैं इस लिए उन्हें आपने अपनी गर्लफ्रेंड बना लिया है पर मुझे नहीं। इसी से साबित हो जाता है कि आपकी नजर में मेरी अहमियत विधी दी जितनी नहीं है।

अपुन ─ ऐसा नहीं है यार। अपुन तुझे भी उतना ही प्यार करता है जितना विधी को।

दिव्या ─ अच्छा, अगर सच में आप मुझे भी विधी दी जितना प्यार करते हैं तो जैसे आपने उनको अपनी गर्लफ्रेंड बनाया है तो मुझे भी बनाइए। पर मैं जानती हूं आप ऐसा नहीं करेंगे। करेंगे भी क्यों, मैं आपकी सगी जुड़वां बहन थोड़ी हूं।

ये तो इमोशनल ब्लैकमेल वाला मैटर हो गयला था बेटीचोद। अपुन सोच भी नहीं सकता था कि दिव्या के मन में ऐसी बात हो सकती है। हालांकि बाइक में इस तरह से उसका अपुन से चिपक के बैठना कभी कभी अपुन को सोच में डाल देता था पर फिर अपुन यही सोचता था कि शायद अभी बच्ची है इस लिए उसे ऐसी बातों का एहसास नहीं होता है। लेकिन इस वक्त उसकी ऐसी बात सुन कर अपुन अंदर तक हिल गयला था लौड़ा।

दिव्या ─ देखा, आपकी चुप्पी ने बता दिया कि सच वही है जो मैंने कहा।

अपुन ─ अरे! तू भी न एकदम पागल है। क्या तू ये समझती है कि गर्लफ्रेंड बना लेने से ही प्यार साबित होता है?

दिव्या ─ अगर ऐसा नहीं है तो मुझे भी अपनी गर्लफ्रेंड बना लीजिए। तब मानूंगी कि आप मुझे भी विधी दी की तरह प्यार करते हैं।

उसकी बात सुन कर अपुन की धड़कनें ट्रेन के इंजन के माफिक तेज हो गईं लौड़ा। बोले तो कुछ समझ में नहीं आ रेला था कि ये अचानक से ये क्या होने लग गयला है?

अपुन ─ यार तू सच में पागल हो गईली है।

दिव्या ─ कुछ भी कहिए लेकिन अगर आप मुझे भी विधी दी तरह अपनी गर्लफ्रेंड नहीं बनाएंगे तो मैं यही मानूंगी कि आप मुझसे प्यार नहीं करते।

कहने के साथ ही दिव्या अपुन की पीठ से अलग हो कर थोड़ा फासला बना कर बैठ गई। अपुन समझ गया कि वो रूठ गईली है और चाहती है कि विधी की तरह अपुन उसे भी अपनी गर्लफ्रेंड बना ले। वैसे देखा जाए तो वो गलत भी नहीं कह रेली थी। मतलब कि अगर अपुन विधी को अपनी गर्लफ्रेंड बना सकता है तो उसे क्यों नहीं?

अपुन सोचने लगा कि अगर उसको ये लगता है कि उसे अपनी गर्लफ्रेंड बनाने से ही अपुन का प्यार साबित होगा तो यही सही। मतलब कि अपुन उसे भी अपनी गर्लफ्रेंड बना लेता है। वैसे भी कहीं न कहीं अपुन के मन में ये चाहत भी पैदा हो गईली थी कि कल रात जब अपुन और विधी के बीच इतना कुछ हो गयला है तो इससे आगे भी हो सकता है। बोले तो वो सब कुछ भी जो अपुन ने साधना के साथ किएला था। हालांकि इस खयाल के साथ ही अपुन के अंदर एक साथ दो तरह की बातें उभर आती थीं।

पहली ये कि अपुन को अपनी बहनों के बारे में इस तरह के गलत खयाल भी मन में नहीं लाने चाहिए क्योंकि ये गलत ही नहीं बल्कि पाप भी है लौड़ा। दूसरी बात ये कि साधना के रूप में एक लड़की के साथ इतना कुछ मजा करने के बाद अब अपुन के मन में ये खयाल भी आने लगे थे कि अलग अलग लड़कियों के साथ ऐसा करने में किस किस तरह का मजा आएगा?

खैर ये तो फिलहाल अभी संभावनाओं की बात थी। इस वक्त अपुन को दिव्या की तरफ ध्यान देना जरूरी था क्योंकि वो अपुन से रूठ कर बाइक में थोड़ा फासले पर बैठ गईली थी।

अपुन ─ क्या यार, इतनी सी बात पर तू अपुन से रूठ गई? अच्छा ठीक है, अगर तू चाहती है कि अपुन तुझे भी अपनी गर्लफ्रेंड बना ले तो ठीक है। आज से तू भी अपुन की गर्लफ्रेंड है।

अपुन की ये बात सुनते ही दिव्या एकदम से खुश हो गई और झट से खिसक कर अपुन से वैसे ही चिपक गई जैसे पहले चिपकी बैठी थी। एक बार फिर से उसके बूब्स अपुन की पीठ पर धंस गए जिसके चलते अपुन के पूरे जिस्म में मजे की लहर दौड़ गई लौड़ा।

दिव्या ─ क्या सच में भैया? क्या सच में विधी दी की तरह मैं भी आपकी गर्लफ्रेंड हूं?

अपुन ─ हां बोल तो दिया है अपुन ने। क्या तुझे अपुन की बात पर यकीन नहीं हुआ?

दिव्या ─ हो गया है भैया और हां थैंक्यू सो मच। अब मैं भी विधी दी की तरह आपकी गर्लफ्रेंड बन गई हूं...ओह! मुझे तो यकीन ही नहीं हो रहा।

अपुन ─ तू अपुन की गर्लफ्रेंड तो बन गईली है लेकिन इसके साथ ही तुझे अपुन की एक बात भी माननी होगी।

दिव्या ─ बिल्कुल मानूंगी भैया। आप बताइए, कौन सी बात माननी होगी मुझे?

अपुन ─ देख, ये तो तू भी समझती है कि भाई बहन आपस में गर्लफ्रेंड बॉयफ्रेंड नहीं हो सकते। मतलब कि लोग भाई बहन के बीच इस रिश्ते को गलत मानते हैं।

दिव्या ─ हां भैया, ये तो मैं भी जानती हूं।

अपुन ─ ओके, तो अपुन तुझसे ये कहना चाहता है कि अपन लोग के बीच बने इस रिश्ते के बारे में कभी किसी को पता नहीं चलना चाहिए। बोले तो न घर वालों को और ना ही बाहर किसी को।

दिव्या ─ आप टेंशन न लीजिए भैया। मुझे पता है कि अगर इस रिश्ते के बारे में किसी को पता चल गया तो बहुत बड़ी गड़बड़ हो जाएगी। ट्रस्ट मी, मैं गलती से भी इस बारे में कभी किसी को नहीं बताऊंगी।

अपुन ─ विधी को भी मत बताना।

दिव्या (हैरानी से) ─ उन्हें भी? क्यों भैया? आई मीन वो भी तो आपकी गर्लफ्रेंड हैं और ये बात जब मुझे पता है तो उन्हें भी तो मेरे बारे में ये पता होना चाहिए?

अपुन भी समझ रेला था कि वो ठीक ही कह रेली है लेकिन अपुन नहीं चाहता था कि विधी को ये सब पता चले। क्योंकि वो अपुन के लिए थोड़ा ज्यादा ही प्रोटेक्टिव और सेंसटिव थी। बोले तो वो उन लड़कियों में से थी जो किसी पर सिर्फ अपना ही हक समझती हैं। दिव्या के साथ उसके झगड़े की एक वजह ये भी रही थी लौड़ा।

अपुन ─ तेरी बात ठीक है लेकिन तू भी जानती है कि वो किस तरह की लड़की है। मतलब कि वो उनमें से है जो किसी पर सिर्फ अपना ही हक समझती हैं। अगर उसे पता चल गया कि अपुन ने तुझे भी अपनी गर्लफ्रेंड बना लिया है तो वो अपन दोनों से नाराज़ हो जाएगी। ये भी हो सकता है कि गुस्से में वो कुछ ऐसा कर दे जिससे बाकी घर वालों को भी इस बारे में पता चल जाए।

दिव्या ─ हां ये तो आप बिल्कुल सही कह रहे हैं भैया। विधी दी सच में आपको ले कर ऐसी ही सोच रखती हैं। ओके तो ठीक है भैया, मैं उन्हें भी नहीं बताऊंगी।

अपुन जानता था कि दिव्या ऐसे मामलों में थोड़ा होशियार थी। वो जज्बातों से कहीं ज़्यादा समझदारी से काम लेती थी जबकि विधी इसके उलट थी। वो भले ही उम्र में दिव्या से बड़ी थी लेकिन उसमें बचपना अभी भी बहुत ज्यादा था। खैर कुछ सोचते हुए अपुन ने दिव्या से कहा।

अपुन ─ एक बात और, विधी के सामने ऐसी बातें या ऐसी हरकतें भी मत करना जिससे उसे इस बारे में शक हो जाए, ओके?

दिव्या ─ ठीक है भैया। मैं इस बात का अच्छे से खयाल रखूंगी।

अपुन ─ हां अपुन जानता है कि तू उससे ज्यादा समझदार है। खैर चल देख, अपन लोग का कॉलेज आ गया।

पार्किंग में बाइक खड़ी कर के अपन लोग चलने ही लगे थे कि तभी विधी भी अपनी स्कूटी से आ गई। उसने एक नजर अपुन को मुस्कुराते हुए देखा और फिर स्कूटी एक तरफ खड़ी कर अपन लोगों के साथ ही चलने लगी। कुछ ही देर में अपन लोग कॉलेज के अंदर आ गए।

अपुन की नजर शरद पर पड़ गईली थी जो इस तरफ ही आ रेला था। उसके साथ एक लड़का और था। अपुन ने दिव्या और विधी को जाने को कहा और खुद शरद की तरफ मुड़ गया।

अपुन ─ अब तेरी तबीयत कैसी है बे लौड़े? वैसे क्या हो गयला था तुझे?

शरद ─ फीवर हो गया था भाई। अब ठीक हूं।

अपुन (उसके साथ खड़े लड़के को देख) ─ ये कौन है?

शरद ─ अरे! ये तो मेरी मौसी का लड़का अंशुल है। कल शाम को ही मौसी के साथ आया था। कहने लगा कि मेरा कॉलेज देखना है तो ले आया इसे। अभी चला जाएगा यहां से।

शरद ने उस लड़के को बताया कि अपुन उसका दोस्त है तो उसने अपुन को नमस्ते किया और फिर चला गया।

शरद ─ अरे! हां वो शनाया पूछ रही थी तुझे।

अपुन ─ उसकी मां की चूत।

शरद ─ अरे! ऐसा क्यों बोल रहा है? हमारे फ्रेंड ग्रुप में तूने ही तो एड किया है उसे। फिर उसके बारे में ऐसा क्यों बोल रहा है?

अपुन ─ अबे तू बड़ा साइड ले रेला है उसकी। कहीं टांका वांका तो नहीं भिड़ा लिया है उसके साथ?

शरद ─ तू तो जानता है कि इस मामले में मेरी फटने लगती है। वैसे बहुत अच्छी लड़की है वो।

अपुन ─ तू कहे तो अपुन तेरे लिए बात करे उससे?

शरद ये सुन कर बुरी तरह हड़बड़ा गया। वो ऐसा ही था बेटीचोद। बोले तो लड़कियों के मामले में बहुत डरपोक था। अमित अक्सर अपुन से बोला करता था कि इतना डरपोक लड़का अपन लोग के ग्रुप में नहीं होना चाहिए लेकिन अपुन उसे इस लिए रखे हुए था क्योंकि वो पढ़ने में होशियार था और दिल का बहुत साफ था। बोले तो कभी किसी के बारे में गलत नहीं सोचता था।

शरद ─ अरे! यार कैसी बात कर रहा है तू। तुझे अच्छी तरह पता है कि मुझे इसमें इंटरेस्ट नहीं है।

अपुन ─ भोसड़ी के अपुन को पहले से ही शक था कि तू गे है, हट लौड़ा।

शरद ने इस बार गुस्से से देखा अपुन को। हर बार ऐसे ही होता था। अपुन जब उसको गे बोलता तो वो गुस्सा हो जाता था। खैर वो गुस्से से कुछ देर अपुन को घूरता रहा फिर नॉर्मल हो कर बोला।

शरद ─ तू कौन सा प्ले बॉय है। तूने भी तो आज तक किसी लड़की को गर्लफ्रेंड नहीं बनाया। मतलब तू भी गे है। चल दोनों मिल के आपस में गुलू गुलू करते हैं।

अपुन ─ हट बे। अपुन ने भले ही किसी लड़की को गर्लफ्रेंड नहीं बनाया लेकिन तेरी तरह किसी लड़की से बात करने में गांड़ नहीं फटती है अपुन की। अपुन चाहे तो कभी भी किसी लड़की को गर्लफ्रेंड बना के उसे चोद सकता है, समझा क्या?

शरद अपुन के मुख से खुले आम चोदने की बात सुन कर पहले तो शॉक हुआ, फिर हड़बड़ा कर इधर उधर ये सोच कर देखने लगा कि किसी ने सुन तो नहीं लिया बेटीचोद।

शरद ─ अबे पागल हो गया है क्या? धीरे नहीं बोल सकता?

अपुन ─ क्यों फट गई क्या तेरी?

शरद अभी कुछ बोलने ही वाला था कि तभी अपन दोनों ने ही देखा कि शनाया हाथ हिलाते हुए अपन लोग की तरफ ही तेजी से आ रेली थी। उसको देखते ही अपुन का दिमाग खराब होने लगा बेटीचोद।

ऐसा नहीं था कि वो दिखने में सुंदर नहीं थी। बोले तो मस्त चोदने लायक माल थी लेकिन पता नहीं क्यों अपुन उसे देखते ही बुरा सा मुंह बना लेता था। वैसे अपुन को पूरा यकीन था कि अगर अपुन उसे ये बोले कि अपुन को उसे चोदना है तो वो झट से तैयार हो जाएगी। बस, यही नेचर नहीं चाहिए था अपुन को। लौड़ा, कुछ तो क्लास होनी चाहिए थी उसमें, हट बेटीचोद।

शनाया ─ हाय विराट! कैसे हो?

अपुन ─ एकदम झक्कास, बोले तो एकदम टकाटक। तू बता इधर उधर कहां फुदक रेली है?

शरद ─ भाई तू शनाया से बात कर, मैं एक जरूरी काम से प्रिंसिपल के ऑफिस जा रहा हूं।

अपुन जानता था कि वो बहाना बना के जा रेला था। शनाया भले ही अपन लोग के ग्रुप में थी लेकिन वो लौड़ा इतने टाइम के बाद भी उसके सामने मौजूद रहने से अनकंफर्टेबल होने लगता था।

शनाया ─ परसों क्लास से क्यों चले थे?

अपुन ─ क्या तुझे नहीं पता?

शनाया ─ हां वो तो मैंने देखा था कि अनुष्का मैम ने तुम्हें क्लास से आउट कर दिया था लेकिन तुम तो कॉलेज से ही चले गए थे, क्यों?

अपुन ─ अपुन ऐसा ही है लौड़ा...सॉरी गलती से मुंह से निकल गया।

अपुन के मुख से लौड़ा सुन के शनाया की एकदम से आँखें फैल गईली थीं, फिर जल्दी ही नॉर्मल हो कर मुस्कुरा उठी।

शनाया ─ इट्स ओके। मुझे पता है कि तुम ऐसे ही लहजे में बात करते हो।

अपुन ─ क्या तुझे नहीं लगता कि अपुन जैसे टपोरी भाषा वाले लड़के के करीब नहीं रहना चाहिए तुझे?

शनाया ─ सच कहूं तो मुझे इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। तभी तो तुम्हारे फ्रेंड ग्रुप में हूं। अच्छा ये सब छोड़ो, क्या हम कहीं और चलें?

अपुन ─ अरे! क्लास का टाइम होने वाला है और तू कहीं और चलने को बोल रेली है?

शनाया ─ कभी तो अकेले में मेरे साथ टाइम स्पेंड करने के लिए हां कह दिया करो।

अपुन ─ इस वक्त भी तो अपन लोग अकेले ही टाइम स्पेंड कर रेले हैं।

शनाया ─ हां पर यहां बाकी लोग भी हैं और शोर शराबा भी है। मैं चाहती हूं कि हम दोनों किसी एकांत जगह पर चलें।

अपुन ─ ओए! तेरे इरादे तो नेक हैं न? कहीं तू एकांत में ले जा कर अपुन की इज्जत लूटने का इरादा तो नहीं बनाएली है?

शनाया ये सुन कर खिलखिला कर हंसने लगी। उसके सच्चे मोतियों जैसे दांत चमकने लगे थे। फिर एकदम से अपुन की नज़रें फिसल कर उसके सीने पर जम गईं। उसके हंसने पर उसके मम्मे हल्के हल्के हिल रेले थे लौड़ा। अपुन ने गौर किया कि उसके मम्मे साधना के मम्मों से बड़े थे।

अपुन के जिस्म में झुरझुरी सी दौड़ हुई बेटीचोद। तभी शायद उसने भी नोटिस कर लिया कि अपुन उसके मम्मों को घूर रेला है तो उसका हंसना बंद हो गया और उसके चेहरे पर हल्के शर्म के भाव उभर आए।

शनाया ─ वैसे तो खुद के लिए ये बोलते हो कि मैं तुम्हें एकांत में ले जा कर कहीं तुम्हारी इज्जत लूट लेने का इरादा तो नहीं बनाए हूं जबकि खुद की नजरों को कहीं और ही जमा रखा है तुमने। वाह! जनाब बहुत खूब।

अपुन उसकी इस बात से एकदम हड़बड़ा गया। चोरी पकड़ी जाने पर अपुन को बड़ा अजीब फील हुआ लेकिन फिर जल्दी ही अपुन ने खुद को नॉर्मल कर लिया।

अपुन ─ हां वो गलती से अपुन की नज़र पड़ गईली थी...सॉरी।

शनाया ─ इट्स ओके। वैसे अच्छे लगे कि नहीं?

अपुन (शॉक्ड) ─ क...क्या मतलब??

शनाया (हंस कर) ─ वही जो देख रहे थे।

अपुन सच में ये सोच के हैरान हुआ कि आज इस लौड़ी को क्या हो गयला है? मतलब कि आज इतना खुल के कैसे बोल रेली थी वो? वैसे जिस अंदाज से उसने पूछा था उससे अपुन भले ही हैरान हुआ था लेकिन अपुन के लन्ड में करेंट सा दौड़ गयला था। मन में खयाल उभरा कि क्या अपुन भी आज इससे थोड़ा खुल कर मजा ले?

अपुन ─ अपुन को क्या पता कैसे हैं? मतलब कि ऐसे छुपी हुई चीज के बारे में कोई कैसे अच्छे से बता सकता है?

शनाया ने इस बार आँखें फाड़ कर अपुन को देखा। शायद उसे यकीन नहीं हो रेला था कि अपुन ने भी आज खुल कर ऐसा बोल दिया है। इधर अपुन की धड़कनें पलक झपकते ही तेज गईली थीं लौड़ा।

शनाया ─ ओह! वि...विराट, आर यू रियली टॉकिंग अबाउट देम?

अपुन ─ नो नो, आई वाज जस्ट किडिंग। यस जस्ट किडिंग एंड आई थिंक वी शुड लीव नाउ।

इससे पहले कि शनाया कुछ कहती अपुन क्लास की तरफ चल पड़ा। शनाया हैरत से आँखें फाड़े कुछ पलों तक अपुन को जाता देखती रही, फिर एकदम से जैसे उसे होश आया तो वो भी तेजी से अपुन के पीछे आने लगी। इधर अपुन के मन में यही चल रेला था कि बेटीचोद ये क्या बकचोदी पेलने लग गयला था अपुन?

~~~~~~

अपुन शरद के साथ क्लास में बैठा था। सभी लड़के लड़कियां टीचर के द्वारा बोले जा रहे लेक्चर को ध्यान से सुन रेले थे। पर अपुन का ध्यान उसके लेक्चर में नहीं था लौड़ा। बोले तो अपुन अभी भी शनाया को बोले गए अपने वर्ड में अटका हुआ था बेटीचोद और ये हाल सिर्फ अपुन का ही बस नहीं था बल्कि शनाया का भी था शायद। वो लौड़ी बार बार गर्दन घुमा कर अपुन को देखती और हल्के से स्माइल मार देती। अपुन उसे नहीं देख रेला था बल्कि टीचर को देख रेला था लेकिन अपुन का ध्यान उसके लेक्चर पर नहीं था।

टीचर का पीरियड कब खत्म हुआ अपुन को पता ही न चला लौड़ा। अपुन को होश तब आया जब शरद ने अपुन को हिलाया। अपुन उसके हिलाने पर चौंक ही पड़ा था बेटीचोद। खैर खुद को सम्हाल कर अपुन ने क्लास पर ध्यान दिया तो पता चला कि शनाया की तरह विधी भी बीच बीच में गर्दन घुमा कर अपुन को देख रेली थी और स्माइल मार देती थी। उसके साथ रीना जिंदल बैठी हुई थी। उससे दो कुर्सी पीछे शनाया बैठेली थी।

अगली क्लास अनुष्का की थी, इस लिए अपुन की ये सोच के धड़कनें बढ़ गईली थीं कि आज वो अपुन से क्या बोलने वाली है? खैर थोड़ी ही देर में वो क्लास में दाखिल हुई।

आज भी लौड़ी ने साड़ी पहन रखी थी। वैसे तो ज्यादातर अपुन ने उसे सलवार सूट या जींस पहने ही देखा था लेकिन शादी होने के बाद से उसने साड़ी पहनना भी शुरू कर दिया था। आज भी वो आसमानी रंग की पतली सी साड़ी पहने थी और हॉफ बाजू वाला ब्लाउज जिसमें उसकी गोरी गोरी बाहें अलग ही चमक रेली थीं।

क्लास में आते ही उसने सबसे पहले अपुन पर ही नजर डाली। अपुन ने उसे पहले ही देख लिया था इस लिए अपुन उसकी तरफ नहीं देख रेला था। उसने कुछ पल जाने क्या सोचा उसके बाद अपना सब्जेक्ट पढ़ाना शुरू कर दिया। उसकी मधुर आवाज क्लास में गूंजने लगी। वो पढ़ाते समय बार बार अपुन की तरफ देख रेली थी। अपुन लौड़ा कब तक उससे नज़रें हटाए रखता? अपुन की नजर जैसे ही उससे मिली तो उसने एक स्माइल पास की लेकिन अपुन ने कोई रिएक्ट नहीं किया।

क्लास खत्म होने के बाद उसने अपुन को स्पष्ट रूप से उसके केबिन में आ कर मिलने को कहा और चली गई। अपुन चाहता था तो न भी जाता वो अपुन का कुछ उखाड़ नहीं लेती लेकिन फिर अपुन ने सोचा कि इस तरह उससे दूर भागने से क्या हासिल होगा? बोले तो उसके केबिन में जा कर देखना ही चाहिए कि वो अपुन से क्या बोलती है?

To be continued....


Aaj ke liye itna hi bhai log,

Read and enjoy:declare:

Nice update
 
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