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क्लास खत्म होने के बाद उसने अपुन को स्पष्ट रूप से उसके केबिन में आ कर मिलने को कहा और चली गई। अपुन चाहता था तो न भी जाता वो अपुन का कुछ उखाड़ नहीं लेती लेकिन फिर अपुन ने सोचा कि इस तरह उससे दूर भागने से क्या हासिल होगा? बोले तो उसके केबिन में जा कर देखना ही चाहिए कि वो अपुन से क्या बोलती है?
अब आगे....
लंच टाइम अपुन कैंटीन की तरफ विधी और दिव्या को लिए जा ही रेला था कि जाने कहां से अनुष्का अपुन के सामने आ गई लौड़ी। उसने अपुन को अपने साथ चलने को कहा तो अपुन को मजबूरन उसके साथ जाना ही पड़ा। अपुन ने शरद से विधी और दिव्या को कैंटीन ले कर जाने को कहा और खुद अनुष्का के पीछे चल पड़ा।
कुछ ही देर में अपुन उसके साथ एक केबिन में पहुंच गया। अपुन की धड़कनें बढ़ गईली थी। मन में बस यही खयाल उभर रेले थे कि आखिर क्या बोलेगी वो अपुन से? खैर रूम में पहुंचते ही वो एक कुर्सी पर बैठ गई और अपुन को भी एक कुर्सी पर बैठ जाने का इशारा किया तो अपुन बैठ गया।
अनुष्का ─ हां, तो अब बताओ भाई कि तुम्हारी नाराजगी दूर करने के लिए मैं क्या करूं? वैसे मैं बता दूं कि उस दिन मैंने अपने हसबैंड का गुस्सा तुम पर उतार दिया था।
अपुन ─ आप अपने हसबैंड से किस बात पर गुस्सा थीं जिसका शिकार अपुन को होना पड़ा था?
अनुष्का ─ वो एक्चुअली उनकी जॉब छूट गई है जोकि उनकी ही गलती से छूटी है। जब मुझे इस बात का पता चला तो मैंने पहले तो उन्हें समझाना चाहा था लेकिन जब वो अपनी गलती मानने को तैयार न हुए तो मुझे उन पर गुस्सा आ गया। इससे बात बढ़ गई और फिर वो मुझे उल्टा सीधा बोलने लगे और तो और मुझ पर हाथ भी उठा दिया।
अपुन ─ क्या???
अनुष्का ─ हां भाई, तुम्हें तो पता है कि मैंने उनसे लव मैरिज की थी। हालांकि पापा इस रिश्ते से ज्यादा खुश नहीं थे लेकिन फिर भी उन्होंने मेरी खुशी के लिए अजीत से मेरी शादी करवा दी। खैर अब तक तो सब अच्छा ही चल रहा था लेकिन अपने गुस्से की वजह से उन्होंने मैनेजर को गाली दे दी और तो और उसे जान से मार देने की धमकी तक दे दी जिससे मैनेजर ने उन्हें जॉब से निकलवा दिया।
अपुन ─ ओह! कब हुआ ऐसा?
अनुष्का ─ एक हफ्ता हो गया भाई। मैंने अब तक तुम्हारे अलावा किसी को इस बारे में नहीं बताया है। यहां तक कि अपने मम्मी पापा या भाई बहन को भी नहीं बताया। मुझे पता है कि ये बात उन्हें पता चलेगी तो कोई और भले ही कुछ न कहे लेकिन पापा बहुत कुछ सुनाना शुरू कर देंगे।
अपुन ─ तो जीजा जी एक हफ्ते से घर पर ही बैठे हैं?
अनुष्का ─ हां भाई, शुरू में तो दो चार दिन मूड खराब होने की वजह से कहीं दूसरी जगह जॉब खोजने गए ही नहीं। फिर जब मैंने कुछ ज्यादा ही जोर दिया तो एक दो जगह गए मगर बात नहीं बनी। उनके गुस्सैल नेचर के बारे में यहां कई कंपनी के लोगों को पता है इस लिए कुछ तो इस वजह से भी उन्हें जॉब में कोई नहीं रखना चाहता। बस इसी वजह से हर रोज हमारी बहस होने लगी थी। उस दिन भी यही हो रहा था और फिर उन्होंने गुस्से में मुझ पर हाथ उठा दिया था। मैं उनकी इस हरकत से दुखी भी थी और गुस्सा भी इस लिए यहां क्लास में तुम पर गुस्सा किया और फिर तुम्हें क्लास से आउट कर दिया था। प्लीज भाई, उसके लिए माफ कर दो मुझे।
उनकी ये सब बातें सुन कर अपुन ये सोचने लग गया कि अपुन तो कुछ और ही मंसूबे बनाए था लौड़ा और यहां तो मामला ही कुछ और निकला। बोले तो अपुन को समझ ही न आया कि अब क्या बोले अपुन? एक तरफ अपुन का मूड भी खराब हो गयला था कि बेटीचोद ये क्या बवासीर हो गया? खैर इस मामले में कुछ तो अपुन को कहना ही था इस लिए अभी अपुन कुछ बोलने ही वाला था कि तभी अपुन को एक खयाल आया।
अपुन ─ बात तो सच में सीरियस है दी लेकिन आई थिंक आपको इस बारे में साक्षी दी से बात करनी चाहिए। बोले तो वो इस मामले में आपकी हेल्प भी कर सकती हैं।
अनुष्का ─ मैंने कई बार उसे इस बारे में बताने का सोचा लेकिन फिर ये सोच कर नहीं बताया कि वो भी मुझे जाने क्या क्या सुनाना शुरू कर देगी। एक्चुअली उसने भी अजीत से शादी करने से मना किया था मुझे लेकिन क्योंकि उस समय मुझ पर अजीत के प्यार का भूत सवार था इस लिए मैंने किसी की भी नहीं सुनी थी।
अपुन ─ देखो जो होना था वो तो हो ही गयला है। अब उस बारे में कुछ बोलने का कोई फायदा नहीं है। आपके लिए इस वक्त जो जरूरी है वहीं आपको करना चाहिए। साक्षी दी से आप बात करो और उन्हें सारी सिचुएशन के बारे में बताओ। अपुन को पूरा यकीन है कि वो आपकी हेल्प जरूर करेंगी। हो सकता है कि वो डैड से कह कर अजीत जीजा जी की जॉब अपनी ही कंपनी में लगवा दें।
अनुष्का ─ हां इस बात का तो मुझे भी यकीन है भाई। साक्षी को जब मेरी प्रॉब्लम का पता चलेगा तो वो पहले तो मुझे चार बातें ही सुनाएगी लेकिन बाद में मेरी हेल्प जरूर करेगी।
अपुन ─ बस तो फिर अब आप कुछ मत सोचिए और साक्षी दी को कॉल कर के उनसे बात कीजिए।
अनुष्का ─ थैंक्स भाई, तुमने मुझे थोड़ी राहत दे दी है। मैं जरूर साक्षी से बात करूंगी आज।
अपुन ─ ठीक है, और उनकी हेल्प से जब जीजा जी की जॉब लग जाए तो अपुन को ट्रीट देना मत भूलना।
अनुष्का ─ नहीं भूलूंगी मेरे प्यारे भाई और हां तुमने ये तो बताया ही नहीं कि तुम्हारी नाराजगी दूर करने के लिए मैं क्या करूं?
अपुन ─ फिलहाल कुछ नहीं। अपुन को आपकी प्रॉब्लम का पता नहीं था इस लिए बेकार में ही नाराज था आपसे लेकिन हां जीजा जी की जॉब लगने के बाद तो आपको वैसी ही ट्रीट देनी होगी जिससे अपुन खुश हो जाए।
अनुष्का ─ मुझे मंजूर है भाई।
उसके बाद अपुन रूम से निकल गया। मन में थोड़ी निराशा तो थी लेकिन ये उम्मीद भी हो गईली थी कि आने वाले समय में अनुष्का से कुछ न कुछ ऐसा जरूर हासिल होगा जो अपुन चाहता है।
अपुन फौरन ही कैंटीन पहुंचा। थोड़ा ही टाइम रह गयला था लंच टाइम ओवर होने में इस लिए विधी और दिव्या के साथ ही बैठ कर अपुन ने थोड़ा बहुत खाया और फिर अपन लोग वापस क्लास की तरफ चल पड़े।
दिव्या ─ भैया, अनुष्का दी आपको किस लिए अपने साथ ले गईं थी?
अपुन उसके इस सवाल पर सोचने लगा कि क्या जवाब दे अपुन? फिर अपुन ने सोचा कि सच ही बता देता है अपुन क्योंकि इसमें कुछ गलत तो था नहीं।
ये सोच कर अपुन ने उसे सब कुछ बता दिया और ये भी कहा कि इस बारे में वो दोनों किसी को न बताएं। खैर उसके बाद दिव्या अपनी क्लास की तरफ चली गई जबकि अपुन और विधी एक साथ अपने क्लास की तरफ चल पड़े।
विधी बार बार अपुन को देखती और मुस्कुरा देती थी। फिर जैसे ही उसने देखा कि दिव्या चली गई है तो उसने अपुन से कुछ कहना चाहा मगर तभी पीछे से रीना ने उसे आवाज दी जिससे उसने पलट कर उसकी तरफ देखा।
विधी ─ इस चुहिया को भी अभी ही आना था। सारा मूड खराब कर दिया, हां नहीं तो।
अपुन उसकी इस बात पर मन ही मन मुस्कुरा उठा। तभी रीना मुस्कुराते हुए अपन लोग के पास आ गई। उसे देखते ही विधी का मुंह बन गयला था।
रीना ─ हाय! कैसे हो विराट?
अपुन ─ वैसे ही जैसा नजर आ रेला है अपुन। तू अपनी बता।
अपुन की बात सुन कर जहां एक तरफ वो थोड़ा सकपका गई वहीं विधी हंस पड़ी लेकिन फिर जल्दी ही हंसना बंद कर दिया उसने।
रीना ─ सेम हेयर।
विधी के सामने रीना ज्यादा कुछ बोल नहीं सकती थी। इधर एकदम से अपुन को साधना का खयाल आ गया लौड़ा। अपुन सोचने लगा कि बेटीचोद अनुष्का से तो कोई बात नहीं बनी तो क्यों न कॉलेज से निकल लिया जाए और अमित के घर जा कर साधना के साथ मस्त मजा किया जाए।
अपुन ने विधी से कहा कि अपुन को एक जरूरी काम से बाहर जाने का है इस लिए वो क्लास जाए और अगर अपुन आने में लेट हो जाए तो अपुन का बैग तथा दिव्या को साथ ले कर घर चली जाएगी।
विधी को ये सुन के हैरानी हुई और उसने पूछना भी चाहा लेकिन अपुन तब तक कॉलेज के बाहर की तरफ निकल लिया। बोले तो अभी अपुन के पास पूरे दो घंटे का टाइम था इस लिए अब इस टाइम को बर्बाद नहीं करना चाहता था अपुन।
पार्किंग में आ कर अपुन ने साधना को मैसेज किया कि अपुन आ रेला है इस लिए जब अपुन उसके घर का दरवाजा खटखटाए तो वो उसी तरह खोलने आए जैसे उस रात आईली थी। बोले तो एकदम नंगी।
मैसेज कर के अपुन ने मोबाइल जेब में डाला और बाइक में चाभी लगा कर उसे स्टार्ट ही करने लगा था कि तभी अपुन का मोबाइल वाइब्रेट होने लगा। अपुन समझ गया कि साधना का ही कॉल होगा इस लिए जेब से मोबाइल निकाल कर कॉल पिक किया।
साधना ─ मैं मार्केट आई हुई हूं बाबू। एक्चुअली दूध फट गया था तो लेने आई हूं। तुम कब तक पहुंचोगे मेरे घर?
अपुन ─ अपुन को ज्यादा से ज्यादा आठ दस मिनट लगेंगे पहुंचने में।
साधना ─ ओह! फिर तो कोई बात ही नहीं है बाबू। तुमसे पहले ही पहुंच जाऊंगी मैं।
अपुन ─ अपुन का मैसेज ठीक से पढ़ा है कि नहीं तुमने?
साधना ─ हां पढ़ लिया है बाबू। फिक्र मत करो, मैं वैसे ही दरवाज़ा खोलूंगी जैसे मेरा बाबू चाहता है।
अपुन ─ गुड। अच्छा अब रखता है अपुन।
कॉल डिस्कनेक्ट कर के अपुन ने मोबाइल वापस जेब में डाला और बाइक स्टार्ट कर के निकल पड़ा उसके घर की तरफ। बोले तो अब मन में काफी रोमांचित करने वाले खयाल उभरने लग गएले थे लौड़ा। बाइक चलाते हुए अपुन सोचता जा रेला था कि अमित के घर पहुंच कर अपुन साधना को आज कैसे कैसे चोदेगा।
बेटीचोद, साधना को चोदने की खुशी इतनी ज्यादा हुई कि अपुन और भी तेज स्पीड में बाइक चलाने लगा लौड़ा। कच्छे के अंदर कैद अपुन का लन्ड भी खुश हो गयला था जिसके चलते उसने अपना सिर उठा लिया था।
अपुन पांच मिनट में ही अमित के घर के पास पहुंच गया बेटीचोद। बाइक को एक जगह स्टैंड पर लगा कर अपुन इधर उधर निगाह घुमाते हुए तेजी से उसके घर की तरफ बढ़ा।
घर के दरवाजे पर पहुंच कर अपुन ने दरवाजा खटखटाने के लिए हाथ बढ़ाया ही था कि तभी अंदर से खिलखिला कर हंसने की आवाज सुनाई दी जिससे अपुन का हाथ रुक गया। हंसने की आवाज लड़की की थी लेकिन वो लड़की साधना नहीं थी क्योंकि उसकी आवाज पहचानता था अपुन।
अभी अपुन समझने की कोशिश ही कर रेला था कि तभी कुछ कदमों की आवाजों के साथ साथ बोलने की भी आवाजें सुनाई दी। आवाजें हर पल के साथ दरवाजे की तरफ ही बढ़ती आ रेली थी। अपुन ये तो समझ गयला था कि साधना के साथ कोई दूसरी लड़की भी दरवाजे की तरफ आ रेली है लेकिन एक पल पहले उसने जो कहा था उसे सुन कर अपुन सन्न रह गया था लौड़ा।
लड़की ─ वैसे मानना पड़ेगा साधना क्या मस्त आडिया सोचा है तूने विराट से शादी करने का।
साधना ─ क्या करूं अंजली, ऐसा करने का दिल तो नहीं किया था लेकिन फिर खयाल आया कि प्यार और जंग में तो सब जायज होता है। वैसे भी मैं उससे इतना प्यार करती हूं कि उसे किसी कीमत पर खोना नहीं चाहती। बस इसी लिए ये रास्ता चुना।
अंजली ─ चल तेरा तो काम बन गया अब। अच्छा किया जो उसे सेक्स के लिए उकसाया और फिर उसकी वीडियो बना ली।
साधना ─ मैं जानती थी कि वो ऐसे तो मुझे या मेरे प्यार को एक्सेप्ट करेगा नहीं इस लिए सोच लिया था कि जब भी मौका मिलेगा तो उसे खुल कर सौंप दूंगी। वैसे मुझे उम्मीद नहीं थी कि ये सब इतना जल्दी और इतना परफेक्ट तरीके से हो जाएगा।
अंजली ─ अच्छा जब उसे इस सबके बारे में पता चलेगा तो तू जानती है न कि वो कैसा बिहेव करेगा? आई मीन हो सकता है कि वो तुझसे नफरत करने लगे। आखिर तू उसे ब्लैकमेल करके जो उसे शादी करने को मजबूर करेगी।
साधना ─ हां जानती हूं कि ऐसा हो सकता है लेकिन मैं उसे प्यार से समझाऊंगी कि मेरे पास इसके सिवा कोई और रास्ता नहीं था। मुझे यकीन है कि वो मेरी बात समझेगा।
अंजली ─ और अगर न समझा तो?
साधना ─ फिर तो मजबूरन उसे उस वीडियो के आधार पर ब्लैकमेल करना पड़ेगा यार जोकि मैं नहीं चाहती।
अंजली ─ चल ठीक है जैसा तुझे बेहतर लगे कर। अच्छा अब जा रही हूं मैं। तेरे बाबू सोना के आने का भी तो टाइम हो गया है और तुझे उसके लिए नंगी हो कर दरवाजा खोलना है, ही ही ही।
साधना ─ अरे! हां यार मैं तो भूल ही गई थी उसे। तू जल्दी से निकल यहां से। तेरी वजह से मुझे उससे झूठ कहना पड़ा कि मैं मार्केट दूध लेने आई हूं।
अंजली ─ अच्छा चल बाय। बाद में जो कुछ हो सब बताना मुझे।
अपुन समझ गया कि अब अंजली नाम की लड़की बाहर आने वाली है इस लिए अपुन का यूं खड़े रहना सही नहीं था। अपुन झट से पलटा और लगभग भागते हुए एक ऐसी जगह जा कर खड़ा हो गया जहां से वो दोनों अपुन को देख नहीं सकती थीं।
बेटीचोद, अभी अपुन ने जो कुछ सुना था उसे सुन के अपुन के पैरों के नीचे से जमीन ही खिसक गईली थी। बोले तो पूरी की पूरी गांड़ फट के हाथ में आ गईली थी अपुन की। साधना लौड़ी ने इतना बड़ा गेम खेला था अपुन के साथ। अपुन तो समझ रेला था कि वो सीधी सादी लौंडिया है और अपुन से प्यार करती है।
अपुन सोचने पर मजबूर हो गया लौड़ा कि इसी लिए अपुन को उसके साथ सेक्स करने में कोई मुश्किल नहीं आईली थी। बेटीचोद आती भी कैसे? उस रण्डी ने तो पहले से ही सब सोच रखा था, तभी तो अपुन के साथ इतना कुछ कर गईली थी। वो तो अच्छा हुआ कि अपुन ने किसी जन्म में भारी पुण्य कर्म किएले थे जिसके चलते आज अपुन को वक्त रहते उसका सच पता चल गया वरना उस लौड़ी ने तो अपुन को लपेट लेने का गांड़ फाड़ इंतजाम कर लिएला था।
खैर, इस वक्त अपुन की सच में बहुत ज्यादा फटी पड़ी थी। उसके पास अपुन की सेक्स वीडियो थी और इतना तो अपुन उन दोनों की बातों से समझ ही गयला था कि साधना ने वो सेक्स वीडियो अपुन की जानकारी में आए बिना किस लिए बना लिया है।
मतलब कि अब अगर अपुन उससे शादी करने से इंकार करेगा तो वो अपुन को उस सेक्स वीडियो के आधार पर ब्लैकमेल करेगी। ज़ाहिर है अपुन की उस वीडियो की वजह से इतनी ज्यादा गांड़ फट जाएगी कि अपुन उसकी बात मानने पर मजबूर हो जाएगा बेटीचोद।
अपुन ये सब सोच के भारी टेंशन में आ गयला था बेटीचोद। बोले तो उसके साथ मजा लेने से सच में अपुन की मां बहन एक हो गईली थी। अपुन ने मन ही मन खुद से कहा─ और साधना को पेल ले बेटीचोद। बहुत मजा आ रेला था न तो ले अब भुगत उसके साथ मजा करने की सजा।
अभी अपुन ये सब सोच के कुढ़ ही रेला था कि तभी अपुन का मोबाइल वाइब्रेट होने लगा। अपुन ने झट से मोबाइल निकाल कर स्क्रीन पर देखा। साधना रण्डी का ही कॉल था बेटीचोद।
लौड़ी ने जब देखा होगा कि अपुन अभी तक नहीं पहुंचा है तो उसने अपुन को कॉल कर दिया है। अपुन सोचने लगा कि अब क्या करे बेटीचोद? बोले तो अब अपुन की कंडीशन न घर के रहे और ना ही घाट के रहे जैसी हो गईली थी। पर...लौड़ा कुछ तो करना ही पड़ेगा वरना ऐसे तो सच में वो लौड़ी अपुन की गांड़ में मोटा सा डंडा डाले रहेगी। खैर अपुन ने खुद को शांत करके उसका कॉल पिक किया।
साधना ─ कहां पहुंचे बाबू? तुम तो बोले थे कि आठ दस मिनट में पहुंच जाओगे?
अपुन (मन में) ─ पहुंच तो अपुन पांच मिनट में ही गयला था लौड़ी और अच्छा ही हुआ कि पहले ही पहुंच गयला था वरना तेरे सच को कैसे जान पाता?
अपुन (रियल में) ─ बस पहुंच ही गया यार। तुम रेडी हो न?
साधना ─ हां बाबू। मैं तो कब से रेडी हूं दरवाजा खोलने के लिए। प्लीज जल्दी आओ न अपनी साधना के पास।
अपुन ने मन ही मन सोचा कि हां बेटीचोद बुला ले जल्दी और फिर मार ले अपुन की गांड़, हट लौड़ी।
अपुन ─ बस पहुंच ही गया।
कहने के साथ ही अपुन ने कॉल डिस्कनेक्ट की और फिर मोबाइल जेब में डालते हुए सोचने लगा कि कुछ तो करना ही पड़ेगा लौड़ा। मतलब कि उसके पास वीडियो के रूप में तगड़ा एटम बम था जो अपुन को कभी भी और कहीं भी बर्बाद कर सकता था। इस लिए जरूरी था कि उस एटम बम को किसी भी तरह उसके पास से मिटा दिया जाए वरना अपुन की तो समझो लंका लगनी तय ही है बेटीचोद।
यही सब सोचते हुए अपुन उसके घर की तरफ तेजी से चल पड़ा। कुछ ही देर में अपुन दरवाजे के पास पहुंच गया और फिर धड़कते दिल से दरवाजे को खटखटाया।
बेटीचोद, वो जैसे अपुन के द्वारा दरवाज़ा खटखटाने का ही वेट कर रेली थी। तभी तो अपुन ने जैसे ही दरवाज़ा खटखटाया तो अगले ही पल झट से दरवाजा खुला लेकिन ज्यादा नहीं बल्कि करीब दस इंच के लगभग। उस दस इंच खुले दरवाजे से भी अपुन को अंदर नंगी खड़ी साधना साफ साफ दिखी।
अगर अपुन को उसका सच पता न चल गया होता या ये कहें कि अपुन की गांड़ न फटी पड़ी होती तो उसे इस रूप में देख कर पक्का अपुन का लन्ड पल में ही टनटना गया होता पर इस वक्त ऐसा कुछ भी तो नहीं हुआ बेटीचोद। आँखें जरूर उसके नंगे बूब्स और हल्के रेशमी बालों से घिरी चूत पर जम गईली थीं लेकिन ये सब देख कर अपुन के लन्ड में करेंट नहीं लगा था। इसी से जाहिर है कि किस कदर अपुन की फटी पड़ी थी बेटीचोद।
साधना ─ ओह! बाबू अंदर आ कर मुझे अच्छे से देख लो बाबू। किसी ने मुझे इस तरह नंगी खड़े देख लिया तो गजब ही हो जाएगा।
अपुन उसकी बात सुन कर चुपचाप अंदर दाखिल हो गया। अपुन ने महसूस किया कि अंदर आते ही अपुन की धड़कनें धाड़ धाड़ कर के बजने लग गईली थीं लौड़ा और मन में उथल पुथल शुरू हो गईली थी।
अपुन ने सोचना शुरू कर दिया था कि अपुन के पास ज्यादा समय नहीं है। मतलब कि शाम को अमित भी अपनी मम्मी को ले कर घर आ जाएगा। उसके बाद इस घर में सबके रहते ऐसा मौका हर्गिज नहीं मिलेगा कि कुछ किया जा सके। यानि जो करना था अभी करना था वरना अपुन की गांड़ फटना पक्का था बेटीचोद।
इस वक्त अपुन का दिमाग बड़ी तेजी से चल रेला था। अपुन इतना समझ गयला था कि साधना ने अगर सेक्स वीडियो बनाया है तो उसने अपने मोबाइल से ही बनाया होगा। तो अब अपुन को उसका मोबाइल हासिल करना था और उसके अंदर से उस वीडियो को डिलीट मारना था। इतना ही नहीं वॉट्सएप से अपन लोग की सारी चैटिंग भी क्लियर करनी थी। हालांकि अपुन तो अपने मोबाइल से हर रोज चैटिंग क्लियर कर देता था लेकिन अपुन को यकीन था कि साधना ने अपने मोबाइल में अपन दोनों की चैटिंग को सम्हाल के रखा होगा। आखिर वो उसके हिसाब से सबूत जो है।
साधना ─ क्या हुआ बाबू? कहां खोए हुए हो? कुछ हुआ है क्या?
साधना की ये बात सुन कर अपुन बुरी तरह हड़बड़ा गया लौड़ा। पलक झपकते ही अपुन के मन में खयाल उभरा कि इस वक्त अगर अपुन इस तरह सोचो में गुम दिखेगा तो वो लौड़ी कहीं ताड़ ही न ले या उसे शक ही न हो जाए कि अपुन को उसका सच पता चल गयला है। यानि अपुन को उसके सामने वैसा ही बर्ताव करना चाहिए जैसे कि उसे नंगी देखने के बाद नॉर्मल हालत में अपुन करता।
अपुन ─ अरे! यार क्या बताए अपुन। बोले तो जल्दी आने के चक्कर में अपुन ने अभी थोड़ी देर पहले एक आदमी पर बाइक ठोकते ठोकते बचायला है।
साधना ─ ओह माय गॉड! ये क्या कह रहे हो बाबू?
अपुन ─ हां यार, वो तो अच्छा था कि अपुन भारी टैलेंटेड ड्राइवर है इस लिए बचा लिया उसको वरना अपुन की जगह कोई दूसरा होता तो आज उस आदमी का ऊपर की टिकट कट जाना पक्का था बेटीचोद।
अपुन ने झूठ मूठ की ये कहानी पल में बना के उसे सुना दी ताकि वो लौड़ी यही समझे कि अपुन के द्वारा इतनी बड़ी बात होने के चलते ही अपुन इस वक्त सोचो में गुम हो जा रेला है। जैसा कि अपुन को पूरा यकीन था अपुन की इस बात ने गाड़ फाड़ असर किया था उस पर। फिर अपुन ने अगले ही पल ऐसा शो किया जैसे अब अपुन ठीक है।
अगले ही पल अपुन ने झपट कर उसे पकड़ा और उसके होठों को चूमना चूसना शुरू कर दिया। अपुन ये भी नहीं चाहता था कि वो कुछ ऐसा सोचे जो इस वक्त उसे स्वाभाविक न लगे। ज़ाहिर है वो पूरी नंगी खड़ी थी अपुन के सामने तो अपुन को उसके साथ ऐसा करना जरूरी भी था।
अपुन ने उसे चूमना चूसना शुरू किया तो वो भी पूरे जोश के साथ अपुन का साथ देने लगी लौड़ी। इधर अपुन उसके होठों को मुंह में लिए एक हाथ से उसकी एक छाती को मसलना शुरू कर दिया जिससे वो मचलने लगी। बोले तो मजा तो आ रेला था अपुन को लेकिन अपुन इस मजे के चक्कर में अपनी गाड़ फाड़ देने वाले सामान को भी भूलना नहीं चाहता था इस लिए जल्दी ही उसे खुद से अलग किया।
अपुन ─ बेडरूम में चलो मेरी जान। यहां मजा नहीं आएगा।
साधना ─ हां सही कह रहे हो जान। चलो बेड रूम में चलते हैं।
उसे शक न हो इस लिए अपुन ने झट से उसे अपनी बाहों में उठा लिया और उसे बेडरूम की तरफ ले कर चल पड़ा। उसका नंगा नाजुक बदन अपुन की मजबूत बाहों में था। उसने अपुन के गले में अपनी बाहें डाल ली थी और अपुन को अपलक देखते हुए मुस्कुराए जा रेली थी। इधर अपुन मन ही मन उसे गालियां दे रेला था।
खैर थोड़ी ही देर में अपुन उसे ले कर बेडरूम में आ गया और उसे बेड पर आहिस्ता से लेटा दिया। अपुन ने बड़े ध्यान से बेडरूम में इधर उधर नज़र दौड़ाई। असल में अपुन को उसके मोबाइल की तलाश थी लेकिन इधर उधर वो कहीं न दिखा अपुन को।
साधना ─ आज मुझे बहुत सारा प्यार करो बाबू। मैं चाहती हूं कि अमित और मम्मी के आने से पहले मैं तुम्हारे प्यार से बहुत ज्यादा तृप्त हो जाऊं।
अपुन ─ अपुन भी यही सोच रेला है डियर लेकिन..।
साधना ─ लेकिन क्या बाबू?
अपुन ─ बहुत भूख लगी है यार। एक्चुअली आज कंटीन में कुछ नहीं खाया। सुबह भी अच्छे से ब्रेकफास्ट नहीं किया था तो अब अपुन को कुछ ज्यादा ही भूख फील हो रेली है।
साधना ─ ओह! बाबू, पहले क्यों नहीं बताया मुझे। बता देते तो तुम्हारे लिए तब तक खाना गर्म कर देती।
अपुन ─ यार ध्यान ही नहीं आया था अपुन को।
साधना ─ क्या सच में ज्यादा भूख लगी है मेरे बाबू को?
अपुन ─ हां यार, पर अगर तुम कहती तो चलो पहले अपन लोग एक राउंड चुदाई कर लेते हैं।
साधना (बेड से उठ कर) ─ नहीं बाबू। तुम भूखे हो और ऐसे में अगर मैं तुमसे ये करने कहूंगी तो ये अच्छी बात नहीं होगी। रुको, मैं पांच मिनट में तुम्हारे लिए खाना गर्म कर के लाती हूं।
अपुन ─ यार खामाखा अपुन की वजह से परेशान हो रेली हो तुम।
साधना ─ तुम्हारे लिए कुछ भी करना परेशानी नहीं बल्कि खुशी की बात है मेरे लिए। अच्छा अब तुम बैठो यहीं, मैं बस पांच मिनट में आती हूं।
कहने के साथ ही साधना ने फटाफट अपने नंगे बदन पर एक कुर्ता डाल लिया और फिर वो वैसे ही रूम से चली गई। इधर अपुन ये सोच के खुश हो गया कि बेटीचोद क्या ही गजब का भेजा पाया है अपुन ने। बोले तो एकदम सही टाइम पर क्या मस्त भूख लगने का बहाना बनाया था अपुन ने जिसके चलते साधना अपुन के लिए खाना गर्म करने रूम से चली गईली थी।
उसके जाने के बाद अपुन का दिमाग बिजली की तरह तेजी से दौड़ने लगा और अपुन खुद भी फटाफट साधना का मोबाइल खोजने लगा। इत्तेफाक से उसका मोबाइल खोजने में ज्यादा टाइम नहीं लगा अपुन को। बोले तो वो बेटीचोद अपुन को बेड पर ही तकिया के नीचे रखा मिल गया।
अपुन ने झट से उसकी स्क्रीन जलाई और उसे ओपेन करने का सोचा तो देखा लौड़ी ने पैटर्न लॉक लगा रखा था उसमें। अब ये नई प्रॉब्लम आ गईली थी। पैटर्न लॉक था उसमें इस लिए अपुन सोचने लगा कि उसने क्या पैटर्न डाला होगा? अपुन ने एक दो पैटर्न डाले लेकिन वो गलत निकले लौड़ा।
अपुन ने कितनी होशियारी से उसे रूम से निकाला था और अब जब उसका मोबाइल मिल गयला था तो बेटीचोद उसके पैटर्न लॉक ने प्रॉब्लम खड़ी कर दी थी। अपुन एकदम से टेंशन में आ गया लौड़ा। समझ में ही नहीं आ रेला था कि अब क्या करे?
तभी अपुन को एक खयाल आया। अपुन ने सोचा कि कहीं उसने अपुन के नाम के पहले वर्ड यानी V का पैटर्न तो नहीं डाला होगा? अपुन ने सोचा कि वो अपुन को प्यार करती है तो हो सकता है कि उसने अपुन के नाम के पहले वर्ड का ही पैटर्न बना कर मोबाइल का लॉक बनाया हो।
अपुन ने झट अपनी एक उंगली से उसमें अपने नाम का पहला वर्ड V बनाया लेकिन बेटीचोद वो पैटर्न बाकी बिंदुओं पर छू जा रेला था जिससे पैटर्न बन नहीं रेला था। अपुन ने कई बार ट्राई किया पर नाकाम रहा लौड़ा। तभी अपुन को खयाल आया कि हो सकता है उसने V को किसी दूसरे तरीके से बनाया हो, क्योंकि सीधा V बनाने से पैटर्न बन नहीं रेला था। खैर अपुन ने V को थोड़ा टेढ़ा कर के बनाया, जैसे कि सही का सिंबल होता है।
अपुन ने जैसे ही इस तरीके से V या ये कहें कि का सिंबल बनाया तो काम कर गया लौड़ा। बेटीचोद स्क्रीन लॉक के खुलते ही अपुन को इतनी ज्यादा खुशी हुई कि जैसे अपुन ने कारून का खजाना हासिल कर लिया हो।
मोबाइल का लॉक ओपेन हो गयला था इस लिए अपुन अब फौरन उसमें देखने लगा कि अपुन का वो सेक्स वीडियो कहां पर है। अपुन वीडियो भी खोजता जा रेला था और बार बार दरवाजे की तरफ भी देख लेता था। दिल की धड़कनें तो पहले से ही बेटीचोद धाड़ धाड़ कर के बज रेली थीं।
आखिर अपुन को वो वीडियो मिल ही गया। अपुन ने वॉल्यूम कम कर के उसे प्ले किया तो लौड़ा अपुन ये देख के हैरान रह गया कि सच में वो अपुन और साधना का सेक्स वीडियो था। यकीन नहीं हुआ कि साधना इतना खतरनाक काम कर सकती थी लौड़ी। खैर अपुन ने फौरन ही उसे डिलीट किया और फिर डिलीट फाइल से भी उसे उड़ा दिया ताकि वो दुबारा उसे रिस्टोर न कर सके। अपुन इसके बाद भी ये सोच कर चेक करने लगा कि कहीं और भी तो कोई वीडियो नहीं पड़ा है इसमें? कुछ ही पलों में अपुन ने मोबाइल की पूरी गैलरी और फोल्डर छान मारा। जब ऐसा दूसरा कोई वीडियो नहीं मिला तो अपुन संतुष्ट हो गया लौड़ा।
उसके बाद अपुन ने उसका वॉट्सएप ओपन किया तो उसमें भी पैटर्न लॉक था। अपुन ने उसमें भी के सिंलब का पैटर्न डाला लेकिन उसमें ये काम न किया। फिर अपुन ने सोचा कि कहीं साधना ने इसमें अपने नाम के पहले वर्ड यानी S का पैटर्न तो नहीं डाला होगा। अपुन ने फौरन ही S बनाया तो वो खुल गया लौड़ा।
वॉट्सएप खुला तो सबसे पहले अपुन ने अपना नाम खोजा। जल्दी ही अपुन को वो मिल गया। उसमें जब अपुन ने क्लिक किया तो देखा उसमें अपुन की ढेर सारी चैट भरी पड़ी थी बेटीचोद। अपुन ने एक पल भी न लगाया क्लियर चैट पर क्लिक करने में। जैसे ही अपुन ने ऐसा किया पलक झपकते ही सारी चैट साफ हो गई। अब उसमें एक भी मैसेज नहीं बचा था। पर इतने पर भी अपुन का मन नहीं भरा था तो अपुन ने अपने नाम को ही डिलीट मार दिया लौड़ा। अब जा के शांति मिली थी बेटीचोद।
अपुन का काम पूरा हो चुका था लेकिन फिर भी अपुन उसके मोबाइल को ये सोच के देखने लगा कि साधना लौड़ी ने और क्या क्या सम्हाल कर रखा है इसमें। अपुन वॉट्सएप पर अलग अलग लोगों के साथ की गई उसकी चैटिंग पर नजर डाल रेला था कि तभी अपुन अजीत नाम पर रुक गया। अजीत उसकी सौतेली बहन यानी अनुष्का का हसबैंड था। अपुन ने उसे ओपन किया तो देखा उसमें भी कई सारे मैसेज पड़े थे। उन मैसेजेस से यही समझ आया कि अजीत थोड़ा रंगीन मिजाज है जो अपनी साली से डबल मीनिंग में बात करता था लौड़ा।
खैर उसके बाद अपुन एक नाम पर और रुका, यानि अंजली नाम पर। पहले तो अपुन ने उसकी डीपी पर क्लिक कर उसकी शक्ल देखी। बोले तो अंजली नाम की लड़की मस्त माल थी। होठ मस्त रसीले थे उसके। सीने में मौजूद उसके मम्मे स्पष्ट नहीं दिख रेले थे क्योंकि उसने अजीब एंगल से सेल्फी ली थी लेकिन हां बूब्स का उपरी भाग दिख रेला था जिसमें उसके बूब्स की बीच वाली दरार बस हल्की सी ही दिख रेली थी। खैर अपुन ने चैट देखना शुरू किया तो पता चला उसमें उसने और साधना ने अपुन के बारे में भी काफी कुछ बातें की थीं।
अभी अपुन वो सब पढ़ने ही लगा था कि तभी अपुन को रूम के बाहर से साधना की आवाज सुनाई दी। शायद वो रूम की तरफ ही आ रेली थी। उसने बाहर से ही मारे खुशी के अपुन से कहा था कि लो बाबू खाना गर्म कर दिया है मैंने।
साधना की आवाज सुनते ही अपुन ने झट से उसके मोबाइल की स्क्रीन पर से क्लियर ऑल पर क्लिक किया जिससे ये न पता चले कि अपुन ने उसमें क्या खोल रखा था। उसके बाद स्क्रीन लॉक कर के अपुन ने उसके मोबाइल को पहले जैसे ही तकिए के नीचे रख कर आराम से बेड पर लेट गया और दिखाने के लिए अपना मोबाइल चलाने लगा। अभी अपुन ने अपने मोबाइल का स्क्रीन लॉक ही खोला था कि तभी हाथों में थाली पकड़े साधना रूम में आ गई।
साधना ─ लो बाबू, खाना गर्म कर के ले आई हूं। चलो जल्दी से हाथ धो कर आओ और फिर खाना शुरू करो।
अपुन ─ यार तुम बेकार ही अपुन के लिए परेशान हुई।
उसके लिए फिक्र दिखाने के लिए अपुन को ऐसा बोलना जरूरी था।
साधना ─ ऐसा मत कहो जान। मुझे तुम्हारे लिए ये सब कर के बहुत अच्छा फील हो रहा है। अब चलो बातें बाद में कर लेना, पहले वॉशरूम में जा कर हाथ धो लो।
अपुन ने मोबाइल वापस जेब में डाला और मन ही मन खुश होते हुए अटैच बाथरूम में घुस गया। थोड़ी ही देर में अपुन हाथ धो कर आया और साधना द्वारा लाया हुआ खाना खाना शुरू कर दिया।
जब तक अपुन खाता रहा तब तक साधना अपुन को बड़ी ही मोहब्बत से देखती रही और इधर अपुन ये सोच के खुश होता रहा कि जिस होशियारी से उसने अपुन की गांड़ फाड़ने का इंतजाम किएला था उस इंतजाम की अपुन ने अपनी होशियारी से मां चोद दी है। बोले तो अब वो अपुन को किसी भी आधार पर ब्लैकमेल नहीं कर सकती थी। वाह! गजब स्मार्ट लौंडा है अपुन।
क्लास खत्म होने के बाद उसने अपुन को स्पष्ट रूप से उसके केबिन में आ कर मिलने को कहा और चली गई। अपुन चाहता था तो न भी जाता वो अपुन का कुछ उखाड़ नहीं लेती लेकिन फिर अपुन ने सोचा कि इस तरह उससे दूर भागने से क्या हासिल होगा? बोले तो उसके केबिन में जा कर देखना ही चाहिए कि वो अपुन से क्या बोलती है?
अब आगे....
लंच टाइम अपुन कैंटीन की तरफ विधी और दिव्या को लिए जा ही रेला था कि जाने कहां से अनुष्का अपुन के सामने आ गई लौड़ी। उसने अपुन को अपने साथ चलने को कहा तो अपुन को मजबूरन उसके साथ जाना ही पड़ा। अपुन ने शरद से विधी और दिव्या को कैंटीन ले कर जाने को कहा और खुद अनुष्का के पीछे चल पड़ा।
कुछ ही देर में अपुन उसके साथ एक केबिन में पहुंच गया। अपुन की धड़कनें बढ़ गईली थी। मन में बस यही खयाल उभर रेले थे कि आखिर क्या बोलेगी वो अपुन से? खैर रूम में पहुंचते ही वो एक कुर्सी पर बैठ गई और अपुन को भी एक कुर्सी पर बैठ जाने का इशारा किया तो अपुन बैठ गया।
अनुष्का ─ हां, तो अब बताओ भाई कि तुम्हारी नाराजगी दूर करने के लिए मैं क्या करूं? वैसे मैं बता दूं कि उस दिन मैंने अपने हसबैंड का गुस्सा तुम पर उतार दिया था।
अपुन ─ आप अपने हसबैंड से किस बात पर गुस्सा थीं जिसका शिकार अपुन को होना पड़ा था?
अनुष्का ─ वो एक्चुअली उनकी जॉब छूट गई है जोकि उनकी ही गलती से छूटी है। जब मुझे इस बात का पता चला तो मैंने पहले तो उन्हें समझाना चाहा था लेकिन जब वो अपनी गलती मानने को तैयार न हुए तो मुझे उन पर गुस्सा आ गया। इससे बात बढ़ गई और फिर वो मुझे उल्टा सीधा बोलने लगे और तो और मुझ पर हाथ भी उठा दिया।
अपुन ─ क्या???
अनुष्का ─ हां भाई, तुम्हें तो पता है कि मैंने उनसे लव मैरिज की थी। हालांकि पापा इस रिश्ते से ज्यादा खुश नहीं थे लेकिन फिर भी उन्होंने मेरी खुशी के लिए अजीत से मेरी शादी करवा दी। खैर अब तक तो सब अच्छा ही चल रहा था लेकिन अपने गुस्से की वजह से उन्होंने मैनेजर को गाली दे दी और तो और उसे जान से मार देने की धमकी तक दे दी जिससे मैनेजर ने उन्हें जॉब से निकलवा दिया।
अपुन ─ ओह! कब हुआ ऐसा?
अनुष्का ─ एक हफ्ता हो गया भाई। मैंने अब तक तुम्हारे अलावा किसी को इस बारे में नहीं बताया है। यहां तक कि अपने मम्मी पापा या भाई बहन को भी नहीं बताया। मुझे पता है कि ये बात उन्हें पता चलेगी तो कोई और भले ही कुछ न कहे लेकिन पापा बहुत कुछ सुनाना शुरू कर देंगे।
अपुन ─ तो जीजा जी एक हफ्ते से घर पर ही बैठे हैं?
अनुष्का ─ हां भाई, शुरू में तो दो चार दिन मूड खराब होने की वजह से कहीं दूसरी जगह जॉब खोजने गए ही नहीं। फिर जब मैंने कुछ ज्यादा ही जोर दिया तो एक दो जगह गए मगर बात नहीं बनी। उनके गुस्सैल नेचर के बारे में यहां कई कंपनी के लोगों को पता है इस लिए कुछ तो इस वजह से भी उन्हें जॉब में कोई नहीं रखना चाहता। बस इसी वजह से हर रोज हमारी बहस होने लगी थी। उस दिन भी यही हो रहा था और फिर उन्होंने गुस्से में मुझ पर हाथ उठा दिया था। मैं उनकी इस हरकत से दुखी भी थी और गुस्सा भी इस लिए यहां क्लास में तुम पर गुस्सा किया और फिर तुम्हें क्लास से आउट कर दिया था। प्लीज भाई, उसके लिए माफ कर दो मुझे।
उनकी ये सब बातें सुन कर अपुन ये सोचने लग गया कि अपुन तो कुछ और ही मंसूबे बनाए था लौड़ा और यहां तो मामला ही कुछ और निकला। बोले तो अपुन को समझ ही न आया कि अब क्या बोले अपुन? एक तरफ अपुन का मूड भी खराब हो गयला था कि बेटीचोद ये क्या बवासीर हो गया? खैर इस मामले में कुछ तो अपुन को कहना ही था इस लिए अभी अपुन कुछ बोलने ही वाला था कि तभी अपुन को एक खयाल आया।
अपुन ─ बात तो सच में सीरियस है दी लेकिन आई थिंक आपको इस बारे में साक्षी दी से बात करनी चाहिए। बोले तो वो इस मामले में आपकी हेल्प भी कर सकती हैं।
अनुष्का ─ मैंने कई बार उसे इस बारे में बताने का सोचा लेकिन फिर ये सोच कर नहीं बताया कि वो भी मुझे जाने क्या क्या सुनाना शुरू कर देगी। एक्चुअली उसने भी अजीत से शादी करने से मना किया था मुझे लेकिन क्योंकि उस समय मुझ पर अजीत के प्यार का भूत सवार था इस लिए मैंने किसी की भी नहीं सुनी थी।
अपुन ─ देखो जो होना था वो तो हो ही गयला है। अब उस बारे में कुछ बोलने का कोई फायदा नहीं है। आपके लिए इस वक्त जो जरूरी है वहीं आपको करना चाहिए। साक्षी दी से आप बात करो और उन्हें सारी सिचुएशन के बारे में बताओ। अपुन को पूरा यकीन है कि वो आपकी हेल्प जरूर करेंगी। हो सकता है कि वो डैड से कह कर अजीत जीजा जी की जॉब अपनी ही कंपनी में लगवा दें।
अनुष्का ─ हां इस बात का तो मुझे भी यकीन है भाई। साक्षी को जब मेरी प्रॉब्लम का पता चलेगा तो वो पहले तो मुझे चार बातें ही सुनाएगी लेकिन बाद में मेरी हेल्प जरूर करेगी।
अपुन ─ बस तो फिर अब आप कुछ मत सोचिए और साक्षी दी को कॉल कर के उनसे बात कीजिए।
अनुष्का ─ थैंक्स भाई, तुमने मुझे थोड़ी राहत दे दी है। मैं जरूर साक्षी से बात करूंगी आज।
अपुन ─ ठीक है, और उनकी हेल्प से जब जीजा जी की जॉब लग जाए तो अपुन को ट्रीट देना मत भूलना।
अनुष्का ─ नहीं भूलूंगी मेरे प्यारे भाई और हां तुमने ये तो बताया ही नहीं कि तुम्हारी नाराजगी दूर करने के लिए मैं क्या करूं?
अपुन ─ फिलहाल कुछ नहीं। अपुन को आपकी प्रॉब्लम का पता नहीं था इस लिए बेकार में ही नाराज था आपसे लेकिन हां जीजा जी की जॉब लगने के बाद तो आपको वैसी ही ट्रीट देनी होगी जिससे अपुन खुश हो जाए।
अनुष्का ─ मुझे मंजूर है भाई।
उसके बाद अपुन रूम से निकल गया। मन में थोड़ी निराशा तो थी लेकिन ये उम्मीद भी हो गईली थी कि आने वाले समय में अनुष्का से कुछ न कुछ ऐसा जरूर हासिल होगा जो अपुन चाहता है।
अपुन फौरन ही कैंटीन पहुंचा। थोड़ा ही टाइम रह गयला था लंच टाइम ओवर होने में इस लिए विधी और दिव्या के साथ ही बैठ कर अपुन ने थोड़ा बहुत खाया और फिर अपन लोग वापस क्लास की तरफ चल पड़े।
दिव्या ─ भैया, अनुष्का दी आपको किस लिए अपने साथ ले गईं थी?
अपुन उसके इस सवाल पर सोचने लगा कि क्या जवाब दे अपुन? फिर अपुन ने सोचा कि सच ही बता देता है अपुन क्योंकि इसमें कुछ गलत तो था नहीं।
ये सोच कर अपुन ने उसे सब कुछ बता दिया और ये भी कहा कि इस बारे में वो दोनों किसी को न बताएं। खैर उसके बाद दिव्या अपनी क्लास की तरफ चली गई जबकि अपुन और विधी एक साथ अपने क्लास की तरफ चल पड़े।
विधी बार बार अपुन को देखती और मुस्कुरा देती थी। फिर जैसे ही उसने देखा कि दिव्या चली गई है तो उसने अपुन से कुछ कहना चाहा मगर तभी पीछे से रीना ने उसे आवाज दी जिससे उसने पलट कर उसकी तरफ देखा।
विधी ─ इस चुहिया को भी अभी ही आना था। सारा मूड खराब कर दिया, हां नहीं तो।
अपुन उसकी इस बात पर मन ही मन मुस्कुरा उठा। तभी रीना मुस्कुराते हुए अपन लोग के पास आ गई। उसे देखते ही विधी का मुंह बन गयला था।
रीना ─ हाय! कैसे हो विराट?
अपुन ─ वैसे ही जैसा नजर आ रेला है अपुन। तू अपनी बता।
अपुन की बात सुन कर जहां एक तरफ वो थोड़ा सकपका गई वहीं विधी हंस पड़ी लेकिन फिर जल्दी ही हंसना बंद कर दिया उसने।
रीना ─ सेम हेयर।
विधी के सामने रीना ज्यादा कुछ बोल नहीं सकती थी। इधर एकदम से अपुन को साधना का खयाल आ गया लौड़ा। अपुन सोचने लगा कि बेटीचोद अनुष्का से तो कोई बात नहीं बनी तो क्यों न कॉलेज से निकल लिया जाए और अमित के घर जा कर साधना के साथ मस्त मजा किया जाए।
अपुन ने विधी से कहा कि अपुन को एक जरूरी काम से बाहर जाने का है इस लिए वो क्लास जाए और अगर अपुन आने में लेट हो जाए तो अपुन का बैग तथा दिव्या को साथ ले कर घर चली जाएगी।
विधी को ये सुन के हैरानी हुई और उसने पूछना भी चाहा लेकिन अपुन तब तक कॉलेज के बाहर की तरफ निकल लिया। बोले तो अभी अपुन के पास पूरे दो घंटे का टाइम था इस लिए अब इस टाइम को बर्बाद नहीं करना चाहता था अपुन।
पार्किंग में आ कर अपुन ने साधना को मैसेज किया कि अपुन आ रेला है इस लिए जब अपुन उसके घर का दरवाजा खटखटाए तो वो उसी तरह खोलने आए जैसे उस रात आईली थी। बोले तो एकदम नंगी।
मैसेज कर के अपुन ने मोबाइल जेब में डाला और बाइक में चाभी लगा कर उसे स्टार्ट ही करने लगा था कि तभी अपुन का मोबाइल वाइब्रेट होने लगा। अपुन समझ गया कि साधना का ही कॉल होगा इस लिए जेब से मोबाइल निकाल कर कॉल पिक किया।
साधना ─ मैं मार्केट आई हुई हूं बाबू। एक्चुअली दूध फट गया था तो लेने आई हूं। तुम कब तक पहुंचोगे मेरे घर?
अपुन ─ अपुन को ज्यादा से ज्यादा आठ दस मिनट लगेंगे पहुंचने में।
साधना ─ ओह! फिर तो कोई बात ही नहीं है बाबू। तुमसे पहले ही पहुंच जाऊंगी मैं।
अपुन ─ अपुन का मैसेज ठीक से पढ़ा है कि नहीं तुमने?
साधना ─ हां पढ़ लिया है बाबू। फिक्र मत करो, मैं वैसे ही दरवाज़ा खोलूंगी जैसे मेरा बाबू चाहता है।
अपुन ─ गुड। अच्छा अब रखता है अपुन।
कॉल डिस्कनेक्ट कर के अपुन ने मोबाइल वापस जेब में डाला और बाइक स्टार्ट कर के निकल पड़ा उसके घर की तरफ। बोले तो अब मन में काफी रोमांचित करने वाले खयाल उभरने लग गएले थे लौड़ा। बाइक चलाते हुए अपुन सोचता जा रेला था कि अमित के घर पहुंच कर अपुन साधना को आज कैसे कैसे चोदेगा।
बेटीचोद, साधना को चोदने की खुशी इतनी ज्यादा हुई कि अपुन और भी तेज स्पीड में बाइक चलाने लगा लौड़ा। कच्छे के अंदर कैद अपुन का लन्ड भी खुश हो गयला था जिसके चलते उसने अपना सिर उठा लिया था।
अपुन पांच मिनट में ही अमित के घर के पास पहुंच गया बेटीचोद। बाइक को एक जगह स्टैंड पर लगा कर अपुन इधर उधर निगाह घुमाते हुए तेजी से उसके घर की तरफ बढ़ा।
घर के दरवाजे पर पहुंच कर अपुन ने दरवाजा खटखटाने के लिए हाथ बढ़ाया ही था कि तभी अंदर से खिलखिला कर हंसने की आवाज सुनाई दी जिससे अपुन का हाथ रुक गया। हंसने की आवाज लड़की की थी लेकिन वो लड़की साधना नहीं थी क्योंकि उसकी आवाज पहचानता था अपुन।
अभी अपुन समझने की कोशिश ही कर रेला था कि तभी कुछ कदमों की आवाजों के साथ साथ बोलने की भी आवाजें सुनाई दी। आवाजें हर पल के साथ दरवाजे की तरफ ही बढ़ती आ रेली थी। अपुन ये तो समझ गयला था कि साधना के साथ कोई दूसरी लड़की भी दरवाजे की तरफ आ रेली है लेकिन एक पल पहले उसने जो कहा था उसे सुन कर अपुन सन्न रह गया था लौड़ा।
लड़की ─ वैसे मानना पड़ेगा साधना क्या मस्त आडिया सोचा है तूने विराट से शादी करने का।
साधना ─ क्या करूं अंजली, ऐसा करने का दिल तो नहीं किया था लेकिन फिर खयाल आया कि प्यार और जंग में तो सब जायज होता है। वैसे भी मैं उससे इतना प्यार करती हूं कि उसे किसी कीमत पर खोना नहीं चाहती। बस इसी लिए ये रास्ता चुना।
अंजली ─ चल तेरा तो काम बन गया अब। अच्छा किया जो उसे सेक्स के लिए उकसाया और फिर उसकी वीडियो बना ली।
साधना ─ मैं जानती थी कि वो ऐसे तो मुझे या मेरे प्यार को एक्सेप्ट करेगा नहीं इस लिए सोच लिया था कि जब भी मौका मिलेगा तो उसे खुल कर सौंप दूंगी। वैसे मुझे उम्मीद नहीं थी कि ये सब इतना जल्दी और इतना परफेक्ट तरीके से हो जाएगा।
अंजली ─ अच्छा जब उसे इस सबके बारे में पता चलेगा तो तू जानती है न कि वो कैसा बिहेव करेगा? आई मीन हो सकता है कि वो तुझसे नफरत करने लगे। आखिर तू उसे ब्लैकमेल करके जो उसे शादी करने को मजबूर करेगी।
साधना ─ हां जानती हूं कि ऐसा हो सकता है लेकिन मैं उसे प्यार से समझाऊंगी कि मेरे पास इसके सिवा कोई और रास्ता नहीं था। मुझे यकीन है कि वो मेरी बात समझेगा।
अंजली ─ और अगर न समझा तो?
साधना ─ फिर तो मजबूरन उसे उस वीडियो के आधार पर ब्लैकमेल करना पड़ेगा यार जोकि मैं नहीं चाहती।
अंजली ─ चल ठीक है जैसा तुझे बेहतर लगे कर। अच्छा अब जा रही हूं मैं। तेरे बाबू सोना के आने का भी तो टाइम हो गया है और तुझे उसके लिए नंगी हो कर दरवाजा खोलना है, ही ही ही।
साधना ─ अरे! हां यार मैं तो भूल ही गई थी उसे। तू जल्दी से निकल यहां से। तेरी वजह से मुझे उससे झूठ कहना पड़ा कि मैं मार्केट दूध लेने आई हूं।
अंजली ─ अच्छा चल बाय। बाद में जो कुछ हो सब बताना मुझे।
अपुन समझ गया कि अब अंजली नाम की लड़की बाहर आने वाली है इस लिए अपुन का यूं खड़े रहना सही नहीं था। अपुन झट से पलटा और लगभग भागते हुए एक ऐसी जगह जा कर खड़ा हो गया जहां से वो दोनों अपुन को देख नहीं सकती थीं।
बेटीचोद, अभी अपुन ने जो कुछ सुना था उसे सुन के अपुन के पैरों के नीचे से जमीन ही खिसक गईली थी। बोले तो पूरी की पूरी गांड़ फट के हाथ में आ गईली थी अपुन की। साधना लौड़ी ने इतना बड़ा गेम खेला था अपुन के साथ। अपुन तो समझ रेला था कि वो सीधी सादी लौंडिया है और अपुन से प्यार करती है।
अपुन सोचने पर मजबूर हो गया लौड़ा कि इसी लिए अपुन को उसके साथ सेक्स करने में कोई मुश्किल नहीं आईली थी। बेटीचोद आती भी कैसे? उस रण्डी ने तो पहले से ही सब सोच रखा था, तभी तो अपुन के साथ इतना कुछ कर गईली थी। वो तो अच्छा हुआ कि अपुन ने किसी जन्म में भारी पुण्य कर्म किएले थे जिसके चलते आज अपुन को वक्त रहते उसका सच पता चल गया वरना उस लौड़ी ने तो अपुन को लपेट लेने का गांड़ फाड़ इंतजाम कर लिएला था।
खैर, इस वक्त अपुन की सच में बहुत ज्यादा फटी पड़ी थी। उसके पास अपुन की सेक्स वीडियो थी और इतना तो अपुन उन दोनों की बातों से समझ ही गयला था कि साधना ने वो सेक्स वीडियो अपुन की जानकारी में आए बिना किस लिए बना लिया है।
मतलब कि अब अगर अपुन उससे शादी करने से इंकार करेगा तो वो अपुन को उस सेक्स वीडियो के आधार पर ब्लैकमेल करेगी। ज़ाहिर है अपुन की उस वीडियो की वजह से इतनी ज्यादा गांड़ फट जाएगी कि अपुन उसकी बात मानने पर मजबूर हो जाएगा बेटीचोद।
अपुन ये सब सोच के भारी टेंशन में आ गयला था बेटीचोद। बोले तो उसके साथ मजा लेने से सच में अपुन की मां बहन एक हो गईली थी। अपुन ने मन ही मन खुद से कहा─ और साधना को पेल ले बेटीचोद। बहुत मजा आ रेला था न तो ले अब भुगत उसके साथ मजा करने की सजा।
अभी अपुन ये सब सोच के कुढ़ ही रेला था कि तभी अपुन का मोबाइल वाइब्रेट होने लगा। अपुन ने झट से मोबाइल निकाल कर स्क्रीन पर देखा। साधना रण्डी का ही कॉल था बेटीचोद।
लौड़ी ने जब देखा होगा कि अपुन अभी तक नहीं पहुंचा है तो उसने अपुन को कॉल कर दिया है। अपुन सोचने लगा कि अब क्या करे बेटीचोद? बोले तो अब अपुन की कंडीशन न घर के रहे और ना ही घाट के रहे जैसी हो गईली थी। पर...लौड़ा कुछ तो करना ही पड़ेगा वरना ऐसे तो सच में वो लौड़ी अपुन की गांड़ में मोटा सा डंडा डाले रहेगी। खैर अपुन ने खुद को शांत करके उसका कॉल पिक किया।
साधना ─ कहां पहुंचे बाबू? तुम तो बोले थे कि आठ दस मिनट में पहुंच जाओगे?
अपुन (मन में) ─ पहुंच तो अपुन पांच मिनट में ही गयला था लौड़ी और अच्छा ही हुआ कि पहले ही पहुंच गयला था वरना तेरे सच को कैसे जान पाता?
अपुन (रियल में) ─ बस पहुंच ही गया यार। तुम रेडी हो न?
साधना ─ हां बाबू। मैं तो कब से रेडी हूं दरवाजा खोलने के लिए। प्लीज जल्दी आओ न अपनी साधना के पास।
अपुन ने मन ही मन सोचा कि हां बेटीचोद बुला ले जल्दी और फिर मार ले अपुन की गांड़, हट लौड़ी।
अपुन ─ बस पहुंच ही गया।
कहने के साथ ही अपुन ने कॉल डिस्कनेक्ट की और फिर मोबाइल जेब में डालते हुए सोचने लगा कि कुछ तो करना ही पड़ेगा लौड़ा। मतलब कि उसके पास वीडियो के रूप में तगड़ा एटम बम था जो अपुन को कभी भी और कहीं भी बर्बाद कर सकता था। इस लिए जरूरी था कि उस एटम बम को किसी भी तरह उसके पास से मिटा दिया जाए वरना अपुन की तो समझो लंका लगनी तय ही है बेटीचोद।
यही सब सोचते हुए अपुन उसके घर की तरफ तेजी से चल पड़ा। कुछ ही देर में अपुन दरवाजे के पास पहुंच गया और फिर धड़कते दिल से दरवाजे को खटखटाया।
बेटीचोद, वो जैसे अपुन के द्वारा दरवाज़ा खटखटाने का ही वेट कर रेली थी। तभी तो अपुन ने जैसे ही दरवाज़ा खटखटाया तो अगले ही पल झट से दरवाजा खुला लेकिन ज्यादा नहीं बल्कि करीब दस इंच के लगभग। उस दस इंच खुले दरवाजे से भी अपुन को अंदर नंगी खड़ी साधना साफ साफ दिखी।
अगर अपुन को उसका सच पता न चल गया होता या ये कहें कि अपुन की गांड़ न फटी पड़ी होती तो उसे इस रूप में देख कर पक्का अपुन का लन्ड पल में ही टनटना गया होता पर इस वक्त ऐसा कुछ भी तो नहीं हुआ बेटीचोद। आँखें जरूर उसके नंगे बूब्स और हल्के रेशमी बालों से घिरी चूत पर जम गईली थीं लेकिन ये सब देख कर अपुन के लन्ड में करेंट नहीं लगा था। इसी से जाहिर है कि किस कदर अपुन की फटी पड़ी थी बेटीचोद।
साधना ─ ओह! बाबू अंदर आ कर मुझे अच्छे से देख लो बाबू। किसी ने मुझे इस तरह नंगी खड़े देख लिया तो गजब ही हो जाएगा।
अपुन उसकी बात सुन कर चुपचाप अंदर दाखिल हो गया। अपुन ने महसूस किया कि अंदर आते ही अपुन की धड़कनें धाड़ धाड़ कर के बजने लग गईली थीं लौड़ा और मन में उथल पुथल शुरू हो गईली थी।
अपुन ने सोचना शुरू कर दिया था कि अपुन के पास ज्यादा समय नहीं है। मतलब कि शाम को अमित भी अपनी मम्मी को ले कर घर आ जाएगा। उसके बाद इस घर में सबके रहते ऐसा मौका हर्गिज नहीं मिलेगा कि कुछ किया जा सके। यानि जो करना था अभी करना था वरना अपुन की गांड़ फटना पक्का था बेटीचोद।
इस वक्त अपुन का दिमाग बड़ी तेजी से चल रेला था। अपुन इतना समझ गयला था कि साधना ने अगर सेक्स वीडियो बनाया है तो उसने अपने मोबाइल से ही बनाया होगा। तो अब अपुन को उसका मोबाइल हासिल करना था और उसके अंदर से उस वीडियो को डिलीट मारना था। इतना ही नहीं वॉट्सएप से अपन लोग की सारी चैटिंग भी क्लियर करनी थी। हालांकि अपुन तो अपने मोबाइल से हर रोज चैटिंग क्लियर कर देता था लेकिन अपुन को यकीन था कि साधना ने अपने मोबाइल में अपन दोनों की चैटिंग को सम्हाल के रखा होगा। आखिर वो उसके हिसाब से सबूत जो है।
साधना ─ क्या हुआ बाबू? कहां खोए हुए हो? कुछ हुआ है क्या?
साधना की ये बात सुन कर अपुन बुरी तरह हड़बड़ा गया लौड़ा। पलक झपकते ही अपुन के मन में खयाल उभरा कि इस वक्त अगर अपुन इस तरह सोचो में गुम दिखेगा तो वो लौड़ी कहीं ताड़ ही न ले या उसे शक ही न हो जाए कि अपुन को उसका सच पता चल गयला है। यानि अपुन को उसके सामने वैसा ही बर्ताव करना चाहिए जैसे कि उसे नंगी देखने के बाद नॉर्मल हालत में अपुन करता।
अपुन ─ अरे! यार क्या बताए अपुन। बोले तो जल्दी आने के चक्कर में अपुन ने अभी थोड़ी देर पहले एक आदमी पर बाइक ठोकते ठोकते बचायला है।
साधना ─ ओह माय गॉड! ये क्या कह रहे हो बाबू?
अपुन ─ हां यार, वो तो अच्छा था कि अपुन भारी टैलेंटेड ड्राइवर है इस लिए बचा लिया उसको वरना अपुन की जगह कोई दूसरा होता तो आज उस आदमी का ऊपर की टिकट कट जाना पक्का था बेटीचोद।
अपुन ने झूठ मूठ की ये कहानी पल में बना के उसे सुना दी ताकि वो लौड़ी यही समझे कि अपुन के द्वारा इतनी बड़ी बात होने के चलते ही अपुन इस वक्त सोचो में गुम हो जा रेला है। जैसा कि अपुन को पूरा यकीन था अपुन की इस बात ने गाड़ फाड़ असर किया था उस पर। फिर अपुन ने अगले ही पल ऐसा शो किया जैसे अब अपुन ठीक है।
अगले ही पल अपुन ने झपट कर उसे पकड़ा और उसके होठों को चूमना चूसना शुरू कर दिया। अपुन ये भी नहीं चाहता था कि वो कुछ ऐसा सोचे जो इस वक्त उसे स्वाभाविक न लगे। ज़ाहिर है वो पूरी नंगी खड़ी थी अपुन के सामने तो अपुन को उसके साथ ऐसा करना जरूरी भी था।
अपुन ने उसे चूमना चूसना शुरू किया तो वो भी पूरे जोश के साथ अपुन का साथ देने लगी लौड़ी। इधर अपुन उसके होठों को मुंह में लिए एक हाथ से उसकी एक छाती को मसलना शुरू कर दिया जिससे वो मचलने लगी। बोले तो मजा तो आ रेला था अपुन को लेकिन अपुन इस मजे के चक्कर में अपनी गाड़ फाड़ देने वाले सामान को भी भूलना नहीं चाहता था इस लिए जल्दी ही उसे खुद से अलग किया।
अपुन ─ बेडरूम में चलो मेरी जान। यहां मजा नहीं आएगा।
साधना ─ हां सही कह रहे हो जान। चलो बेड रूम में चलते हैं।
उसे शक न हो इस लिए अपुन ने झट से उसे अपनी बाहों में उठा लिया और उसे बेडरूम की तरफ ले कर चल पड़ा। उसका नंगा नाजुक बदन अपुन की मजबूत बाहों में था। उसने अपुन के गले में अपनी बाहें डाल ली थी और अपुन को अपलक देखते हुए मुस्कुराए जा रेली थी। इधर अपुन मन ही मन उसे गालियां दे रेला था।
खैर थोड़ी ही देर में अपुन उसे ले कर बेडरूम में आ गया और उसे बेड पर आहिस्ता से लेटा दिया। अपुन ने बड़े ध्यान से बेडरूम में इधर उधर नज़र दौड़ाई। असल में अपुन को उसके मोबाइल की तलाश थी लेकिन इधर उधर वो कहीं न दिखा अपुन को।
साधना ─ आज मुझे बहुत सारा प्यार करो बाबू। मैं चाहती हूं कि अमित और मम्मी के आने से पहले मैं तुम्हारे प्यार से बहुत ज्यादा तृप्त हो जाऊं।
अपुन ─ अपुन भी यही सोच रेला है डियर लेकिन..।
साधना ─ लेकिन क्या बाबू?
अपुन ─ बहुत भूख लगी है यार। एक्चुअली आज कंटीन में कुछ नहीं खाया। सुबह भी अच्छे से ब्रेकफास्ट नहीं किया था तो अब अपुन को कुछ ज्यादा ही भूख फील हो रेली है।
साधना ─ ओह! बाबू, पहले क्यों नहीं बताया मुझे। बता देते तो तुम्हारे लिए तब तक खाना गर्म कर देती।
अपुन ─ यार ध्यान ही नहीं आया था अपुन को।
साधना ─ क्या सच में ज्यादा भूख लगी है मेरे बाबू को?
अपुन ─ हां यार, पर अगर तुम कहती तो चलो पहले अपन लोग एक राउंड चुदाई कर लेते हैं।
साधना (बेड से उठ कर) ─ नहीं बाबू। तुम भूखे हो और ऐसे में अगर मैं तुमसे ये करने कहूंगी तो ये अच्छी बात नहीं होगी। रुको, मैं पांच मिनट में तुम्हारे लिए खाना गर्म कर के लाती हूं।
अपुन ─ यार खामाखा अपुन की वजह से परेशान हो रेली हो तुम।
साधना ─ तुम्हारे लिए कुछ भी करना परेशानी नहीं बल्कि खुशी की बात है मेरे लिए। अच्छा अब तुम बैठो यहीं, मैं बस पांच मिनट में आती हूं।
कहने के साथ ही साधना ने फटाफट अपने नंगे बदन पर एक कुर्ता डाल लिया और फिर वो वैसे ही रूम से चली गई। इधर अपुन ये सोच के खुश हो गया कि बेटीचोद क्या ही गजब का भेजा पाया है अपुन ने। बोले तो एकदम सही टाइम पर क्या मस्त भूख लगने का बहाना बनाया था अपुन ने जिसके चलते साधना अपुन के लिए खाना गर्म करने रूम से चली गईली थी।
उसके जाने के बाद अपुन का दिमाग बिजली की तरह तेजी से दौड़ने लगा और अपुन खुद भी फटाफट साधना का मोबाइल खोजने लगा। इत्तेफाक से उसका मोबाइल खोजने में ज्यादा टाइम नहीं लगा अपुन को। बोले तो वो बेटीचोद अपुन को बेड पर ही तकिया के नीचे रखा मिल गया।
अपुन ने झट से उसकी स्क्रीन जलाई और उसे ओपेन करने का सोचा तो देखा लौड़ी ने पैटर्न लॉक लगा रखा था उसमें। अब ये नई प्रॉब्लम आ गईली थी। पैटर्न लॉक था उसमें इस लिए अपुन सोचने लगा कि उसने क्या पैटर्न डाला होगा? अपुन ने एक दो पैटर्न डाले लेकिन वो गलत निकले लौड़ा।
अपुन ने कितनी होशियारी से उसे रूम से निकाला था और अब जब उसका मोबाइल मिल गयला था तो बेटीचोद उसके पैटर्न लॉक ने प्रॉब्लम खड़ी कर दी थी। अपुन एकदम से टेंशन में आ गया लौड़ा। समझ में ही नहीं आ रेला था कि अब क्या करे?
तभी अपुन को एक खयाल आया। अपुन ने सोचा कि कहीं उसने अपुन के नाम के पहले वर्ड यानी V का पैटर्न तो नहीं डाला होगा? अपुन ने सोचा कि वो अपुन को प्यार करती है तो हो सकता है कि उसने अपुन के नाम के पहले वर्ड का ही पैटर्न बना कर मोबाइल का लॉक बनाया हो।
अपुन ने झट अपनी एक उंगली से उसमें अपने नाम का पहला वर्ड V बनाया लेकिन बेटीचोद वो पैटर्न बाकी बिंदुओं पर छू जा रेला था जिससे पैटर्न बन नहीं रेला था। अपुन ने कई बार ट्राई किया पर नाकाम रहा लौड़ा। तभी अपुन को खयाल आया कि हो सकता है उसने V को किसी दूसरे तरीके से बनाया हो, क्योंकि सीधा V बनाने से पैटर्न बन नहीं रेला था। खैर अपुन ने V को थोड़ा टेढ़ा कर के बनाया, जैसे कि सही का सिंबल होता है।
अपुन ने जैसे ही इस तरीके से V या ये कहें कि का सिंबल बनाया तो काम कर गया लौड़ा। बेटीचोद स्क्रीन लॉक के खुलते ही अपुन को इतनी ज्यादा खुशी हुई कि जैसे अपुन ने कारून का खजाना हासिल कर लिया हो।
मोबाइल का लॉक ओपेन हो गयला था इस लिए अपुन अब फौरन उसमें देखने लगा कि अपुन का वो सेक्स वीडियो कहां पर है। अपुन वीडियो भी खोजता जा रेला था और बार बार दरवाजे की तरफ भी देख लेता था। दिल की धड़कनें तो पहले से ही बेटीचोद धाड़ धाड़ कर के बज रेली थीं।
आखिर अपुन को वो वीडियो मिल ही गया। अपुन ने वॉल्यूम कम कर के उसे प्ले किया तो लौड़ा अपुन ये देख के हैरान रह गया कि सच में वो अपुन और साधना का सेक्स वीडियो था। यकीन नहीं हुआ कि साधना इतना खतरनाक काम कर सकती थी लौड़ी। खैर अपुन ने फौरन ही उसे डिलीट किया और फिर डिलीट फाइल से भी उसे उड़ा दिया ताकि वो दुबारा उसे रिस्टोर न कर सके। अपुन इसके बाद भी ये सोच कर चेक करने लगा कि कहीं और भी तो कोई वीडियो नहीं पड़ा है इसमें? कुछ ही पलों में अपुन ने मोबाइल की पूरी गैलरी और फोल्डर छान मारा। जब ऐसा दूसरा कोई वीडियो नहीं मिला तो अपुन संतुष्ट हो गया लौड़ा।
उसके बाद अपुन ने उसका वॉट्सएप ओपन किया तो उसमें भी पैटर्न लॉक था। अपुन ने उसमें भी के सिंलब का पैटर्न डाला लेकिन उसमें ये काम न किया। फिर अपुन ने सोचा कि कहीं साधना ने इसमें अपने नाम के पहले वर्ड यानी S का पैटर्न तो नहीं डाला होगा। अपुन ने फौरन ही S बनाया तो वो खुल गया लौड़ा।
वॉट्सएप खुला तो सबसे पहले अपुन ने अपना नाम खोजा। जल्दी ही अपुन को वो मिल गया। उसमें जब अपुन ने क्लिक किया तो देखा उसमें अपुन की ढेर सारी चैट भरी पड़ी थी बेटीचोद। अपुन ने एक पल भी न लगाया क्लियर चैट पर क्लिक करने में। जैसे ही अपुन ने ऐसा किया पलक झपकते ही सारी चैट साफ हो गई। अब उसमें एक भी मैसेज नहीं बचा था। पर इतने पर भी अपुन का मन नहीं भरा था तो अपुन ने अपने नाम को ही डिलीट मार दिया लौड़ा। अब जा के शांति मिली थी बेटीचोद।
अपुन का काम पूरा हो चुका था लेकिन फिर भी अपुन उसके मोबाइल को ये सोच के देखने लगा कि साधना लौड़ी ने और क्या क्या सम्हाल कर रखा है इसमें। अपुन वॉट्सएप पर अलग अलग लोगों के साथ की गई उसकी चैटिंग पर नजर डाल रेला था कि तभी अपुन अजीत नाम पर रुक गया। अजीत उसकी सौतेली बहन यानी अनुष्का का हसबैंड था। अपुन ने उसे ओपन किया तो देखा उसमें भी कई सारे मैसेज पड़े थे। उन मैसेजेस से यही समझ आया कि अजीत थोड़ा रंगीन मिजाज है जो अपनी साली से डबल मीनिंग में बात करता था लौड़ा।
खैर उसके बाद अपुन एक नाम पर और रुका, यानि अंजली नाम पर। पहले तो अपुन ने उसकी डीपी पर क्लिक कर उसकी शक्ल देखी। बोले तो अंजली नाम की लड़की मस्त माल थी। होठ मस्त रसीले थे उसके। सीने में मौजूद उसके मम्मे स्पष्ट नहीं दिख रेले थे क्योंकि उसने अजीब एंगल से सेल्फी ली थी लेकिन हां बूब्स का उपरी भाग दिख रेला था जिसमें उसके बूब्स की बीच वाली दरार बस हल्की सी ही दिख रेली थी। खैर अपुन ने चैट देखना शुरू किया तो पता चला उसमें उसने और साधना ने अपुन के बारे में भी काफी कुछ बातें की थीं।
अभी अपुन वो सब पढ़ने ही लगा था कि तभी अपुन को रूम के बाहर से साधना की आवाज सुनाई दी। शायद वो रूम की तरफ ही आ रेली थी। उसने बाहर से ही मारे खुशी के अपुन से कहा था कि लो बाबू खाना गर्म कर दिया है मैंने।
साधना की आवाज सुनते ही अपुन ने झट से उसके मोबाइल की स्क्रीन पर से क्लियर ऑल पर क्लिक किया जिससे ये न पता चले कि अपुन ने उसमें क्या खोल रखा था। उसके बाद स्क्रीन लॉक कर के अपुन ने उसके मोबाइल को पहले जैसे ही तकिए के नीचे रख कर आराम से बेड पर लेट गया और दिखाने के लिए अपना मोबाइल चलाने लगा। अभी अपुन ने अपने मोबाइल का स्क्रीन लॉक ही खोला था कि तभी हाथों में थाली पकड़े साधना रूम में आ गई।
साधना ─ लो बाबू, खाना गर्म कर के ले आई हूं। चलो जल्दी से हाथ धो कर आओ और फिर खाना शुरू करो।
अपुन ─ यार तुम बेकार ही अपुन के लिए परेशान हुई।
उसके लिए फिक्र दिखाने के लिए अपुन को ऐसा बोलना जरूरी था।
साधना ─ ऐसा मत कहो जान। मुझे तुम्हारे लिए ये सब कर के बहुत अच्छा फील हो रहा है। अब चलो बातें बाद में कर लेना, पहले वॉशरूम में जा कर हाथ धो लो।
अपुन ने मोबाइल वापस जेब में डाला और मन ही मन खुश होते हुए अटैच बाथरूम में घुस गया। थोड़ी ही देर में अपुन हाथ धो कर आया और साधना द्वारा लाया हुआ खाना खाना शुरू कर दिया।
जब तक अपुन खाता रहा तब तक साधना अपुन को बड़ी ही मोहब्बत से देखती रही और इधर अपुन ये सोच के खुश होता रहा कि जिस होशियारी से उसने अपुन की गांड़ फाड़ने का इंतजाम किएला था उस इंतजाम की अपुन ने अपनी होशियारी से मां चोद दी है। बोले तो अब वो अपुन को किसी भी आधार पर ब्लैकमेल नहीं कर सकती थी। वाह! गजब स्मार्ट लौंडा है अपुन।
कपड़े पहन कर अपुन उसके घर से चला तो उसने अपुन को जाने देने से पहले स्मूच किस किया और फिर किसी बहाने हर रोज घर आने का बोल कर उसने अपुन को बाय किया।
उसके घर से बाहर आया तो देखा मोबाइल में साक्षी दी के दो मिस कॉल पड़े थे। ये देख अपुन एकदम से टेंशन में आ गया लौड़ा।
अब आगे....
कार की ड्राइविंग सीट पर बैठ कर अपुन ने साक्षी दी की कॉल पिक की। मन में कई सारे खयालों का अंबार लगेला था लौड़ा और थोड़ा घबरा भी रेला था लेकिन बात तो करना ही था।
साक्षी दी ─ कितनी देर से तुझे कॉल कर रही हूं। फोन क्यों नहीं उठा रहा था? कहां था तू?
अपुन ने महसूस किया कि उनकी नाराजगी कॉल न उठाने की वजह से थी। मतलब कि अभी फिलहाल वो अपुन की उन बातों पर गुस्सा नहीं थीं। अपुन ने थोड़ा राहत की सांस ली फिर बोला।
अपुन ─ सॉरी दी, वो अपु...आई मीन मैं ड्राइविंग करते आउटर में काफी दूर चला गया था। उसके बाद फिर अमित के घर चला गया। एक्चुअली अमित ने बोला था कि एक बार मैं उसके घर का चक्कर लगा लूं क्योंकि साधना दी घर पर अकेली हैं।
साक्षी दी ─ ओके फाईन, तू जल्दी से कंपनी पहुंच। मैं बहुत देर से वेट कर रही हूं तेरा।
अपुन ─ ओके मैं आ रहा हूं।
कॉल कट कर के अपुन ने कार स्टार्ट की और फुल स्पीड में दौड़ा दिया उसे। अपुन सोचने लगा था कि अगर अपुन इतनी देर से साक्षी दी का कॉल नहीं उठा रेला था तो वो किसी ऑटो या टैक्सी से भी तो घर जा सकती थीं। बोले तो इतने टाइम तक अपुन के कॉल पिक करने का वेट क्यों करती रहीं?
इसका तो यही मतलब हो सकता है कि वो अपुन के साथ ही कंपनी से घर जाना चाहती थीं। अब सवाल है कि..क्यों? क्या इस लिए कि वो उन बातों के बारे में अपुन से बात करना चाह रेली थीं? अपुन को याद आया कि उन्होंने बाद में इस बारे में बात करने को बोला था। घर में इस बारे में वो खुल कर अपुन से बात नहीं कर सकतीं थी, शायद इसी लिए उन्होंने किसी ऑटो या टैक्सी से घर जाना बेहतर नहीं समझा था।
अपुन को अपना ये विचार एकदम सही लगा। मतलब कि सच में वो उसी बारे में बात करना चाहती हैं अपुन से। खैर, अपुन भी सोचने लगा कि अगर वो सच में उस बारे में ही अपुन से बात करेंगी तो अपुन उन्हें क्या जवाब देगा? मतलब कि उनके सवालों के अपुन को क्या जवाब देने चाहिए लौड़ा?
सारे रास्ते अपुन सोच विचार करता रहा और फिर करीब पंद्रह मिनट में अपुन कंपनी पहुंच गया। कंपनी के गेट के पास पहुंच कर अपुन ने उन्हें कॉल कर के बताया कि अपुन गेट पर है इस लिए वो जल्दी आएं।
बेटीचोद, एकदम से धड़कनें बढ़ गईली थी अपुन की। बार बार यही खयाल आ रेला था कि साक्षी दी अपुन से क्या बात करेंगी और किस लहजे में बात करेंगी? खैर पांच मिनट बाद ही वो अपुन को आती नजर आईं।
थोड़ी ही देर में वो अपुन के पास पहुंच गईं और दूसरी तरफ का दरवाजा खोल कर कार में अपुन के बगल से बैठ गईं। अपुन ने थोड़ा डरते डरते ध्यान से उनके चेहरे को देखा। लौड़ा, कुछ समझ न आया कि इस वक्त उनके अंदर क्या चल रेला है।
साक्षी दी (सपाट लहजे में) ─ चलो।
अपुन ने बिना उनसे कोई बात किए कार स्टार्ट किया और यू टर्न ले कर घर की तरफ चल पड़ा। अपुन की धड़कनें बढ़ी हुईं थी और अपुन खामोशी से कार ड्राइव कर रेला था। अपुन चाहता था कि साक्षी दी खुद ही बात करना शुरू करें। इस लिए अपुन बार बार उम्मीद भरी नजर से उनकी तरफ देख लेता था। उधर साक्षी दी के चेहरे पर कोई भाव ही नहीं थे लौड़ा।
कार के अंदर छाई खामोशी बहुत अजीब लग रेली थी बेटीचोद लेकिन क्या कर सकता था अपुन। करीब दस मिनट बाद एकाएक अपुन दी की आवाज से चौंका। उन्होंने अपुन को आगे से लेफ्ट साइड कार मोड़ने को कहा। अपुन ने कहा तो कुछ नहीं लेकिन मन ही मन सोचने लगा कि लेफ्ट साइड कार को मोड़ने का क्यों बोलीं हैं वो? मतलब कि अगर उन्हें घर ही जाना है तो सीधा ही जाना चाहिए न, फिर लेफ्ट साइड मुड़ने का क्या मतलब है?
लेफ्ट साइड जो रास्ता जाता था वो सिटी से बाहर वाला था। उसके करीब पांच किलो मीटर पर एक तरफ जंगल था और दूसरी तरफ पहाड़, बाकी रास्ता सुनसान था। अचानक अपुन के दिमाग की बत्ती जली। अपुन को समझ आ गयला था कि दी ने अपुन को इस तरफ कार मोड़ने को क्यों बोला था। यानि इस तरफ सुनसान जगह पर वो अपुन को ले जा कर शायद उस बारे में बात करना चाहती थीं।
खैर अपुन ने लेफ्ट साइड कार को मोड़ दिया और खामोशी से कार ड्राइव करता रहा। साक्षी दी फिर से खामोश हो गईं लेकिन इस बार उनके चेहरे पर अपुन ने सोचो के भाव देखे। मतलब कि अब शायद वो भी गहराई से सोचने लगीं थी कि अपुन से वो क्या बात करेंगी?
कुछ देर बाद अपुन ने साक्षी दी के कहने पर ही कार को सड़क से उतार कर जंगल की तरफ मोड़ दिया। अपुन अब ये सोचने लगा कि सिर्फ उस बारे में बात करने के लिए उन्होंने अपुन को इतना दूर आने को क्यों कहा या ये कहें कि ऐसी जगह पर लाने का क्या मतलब था? अगर उन्हें उसी बारे में अपुन से बात करनी थी तो वो कार के अंदर कहीं भी कर सकती थीं। खैर अपन लोग जंगल के थोड़ा ही अंदर आए थे कि साक्षी दी ने कार रोक देने को कहा।
अपुन ने कार रोक दी और एकाएक फिर से बढ़ चली अपनी धड़कनों को काबू करने का प्रयास करने लगा। मन में तरह तरह के विचार उभरने लग गएले थे बेटीचोद।
कार के रुकते ही साक्षी दी ने अपनी तरफ का दरवाजा खोला और नीचे उतर गईं। फिर अपुन को भी नीचे उतर आने का इशारा किया तो अपुन भी धड़कते दिल के साथ उतर आया। फिर आगे से घूम कर थोड़ा उनके पास आ कर खड़ा हो गया। साक्षी दी के चेहरे पर गंभीरता के भाव उभर आएले थे।
साक्षी दी ─ पता है मैं यहां क्यों लाई हूं तुझे?
अपुन ─ आप बताओ, अपु...आई मीन मुझे कैसे पता होगा भला?
साक्षी दी ─ आज से पहले मुझे यही लगता था कि तू बस मुझे खुश करने के लिए ही मेरी तारीफें करता रहता है लेकिन आज कंपनी में तूने जो बोला उसने मुझे अंदर तक हिला दिया था। मैं सोच भी नहीं सकती थी कि जिस भाई को मैं इतना प्यार और स्नेह करती हूं वो मेरे बारे में ऐसा सोचता है।
अपुन के अंदर डर और घबराहट तो थी लौड़ा लेकिन उनकी ये बात सुन कर अपुन ने सोचा कि देखते हैं साक्षी दी आखिर क्या सोचती हैं और अपुन को क्या क्या बोलती हैं? इस लिए अपुन ने इस बार बिना किसी डर के बेझिझक कहा।
अपुन ─ तो क्या गलत सोचता हूं दी? मतलब कि आपके लिए मेरे दिल में जैसी फीलिंग्स हैं वही तो बताया था मैंने आपसे।
साक्षी दी ─ हां पर तुझे ये भी तो सोचना चाहिए था न भाई कि ऐसी फीलिंग्स एक भाई अपनी बहन के लिए नहीं रख सकता।
अपुन ─ जानता हूं दी लेकिन अब दिल पर भला किसका जोर चलता है। वैसे भी दिल कहां ये सोचता है कि जिसके बारे में वो अपने अंदर ऐसी फीलिंग्स रख रहा है वो रिश्ते में उसकी क्या लगती है।
साक्षी दी अपुन की ये बात सुन कर एकदम वैसे ही परेशान नजर आने लगीं जैसे कंपनी में हुईं थी। कुछ पलों तक वो बेचैनी और परेशानी से अपुन को देखती रहीं फिर बोलीं।
साक्षी दी ─ ये गलत है मेरे भाई। तू नासमझ नहीं है कि तुझे सही गलत का ज्ञान दिया जाए। तू अच्छी तरह जानता है कि भाई बहन के बीच इस तरह की फीलिंग्स होना कितना गलत है। देख, मैंने हमेशा तुझ पर नाज किया है और दिव्या विधी से ज़्यादा तुझे प्यार और स्नेह किया है। मैं चाहती हूं कि तू पढ़ाई कंप्लीट कर के डैड का बिज़नेस सम्हाले।
अपुन ─ ये सब तो मैं करूंगा ही दी लेकिन आपके लिए जो फीलिंग्स मेरे दिल में हैं उन्हें निकालना मेरे बस में नहीं है।
साक्षी दी ─ देख मेरे भाई, मैं नहीं चाहती कि तेरी इस बात के चलते हमारे बीच कोई प्रॉब्लम पैदा हो जाए। मैं नहीं चाहती कि मॉम डैड को मुझे इस बारे में बताना पड़े और वो तुझ पर गुस्सा करें। इस लिए तुझे समझा रही हूं कि जितना जल्दी हो सके तू अपने अंदर से ऐसी फीलिंग्स को खत्म कर दे। ये अच्छी बात नहीं है मेरे भाई। समझने की कोशिश कर।
अपुन समझ गया कि साक्षी दी इस वक्त अपुन से उस बात के चलते गुस्सा नहीं हैं। जिस तरह वो अपुन को समझा रेली थीं उससे तो अपुन को यही लग रेला था। अपुन ने ये भी सोचा कि अगर अपुन थोड़ा और जिद्द करे तो शायद बात बन जाएगी लौड़ा। ये सोच कर अपुन ने कहा।
अपुन ─ कोशिश कर चुका हूं दी लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। बोले तो ऐसा लगता है जैसे अपु...मतलब कि मेरे दिल में आपके लिए ये जो फीलिंग्स हैं वो सच्ची हैं। आई थिंक...आई एम इन लव विद यू।
साक्षी दी आश्चर्य से अपुन को आँखें फाड़ के देखने लगीं। फिर एकदम से उनके चेहरे पर सीरियस भाव उभर आए।
साक्षी दी ─ नहीं नहीं, तू ऐसा नहीं कर सकता भाई। प्लीज इसे यहीं पर स्टॉप कर दे। तुझे अंदाजा भी नहीं है कि इसका कितना भयानक रिजल्ट निकलेगा।
अपुन ─ काश! मेरे दिल को इसके रिजल्ट की परवाह होती। ये तो जैसे हर अंजाम से बेफिक्र हो के बैठ गया है।
साक्षी दी ─ देख मेरे भाई तू प्लीज समझने की कोशिश कर। मैं तेरी बड़ी बहन हूं और बहन के साथ इस तरह का लव करना बिल्कुल भी ठीक नहीं होता। हमारे समाज में इसे बहुत ही गलत माना जाता है।
अपुन ─ मोहब्बत सही गलत ही तो नहीं देखती दी। शायद यही वजह है कि मेरा दिल आपसे प्यार कर बैठा है। मुझे भी पता है कि ये गलत है लेकिन दिल के हाथों मजबूर हूं। आप भले ही मेरे प्यार को एक्सेप्ट न करो लेकिन मेरे दिल से ये प्यार वाली फीलिंग्स नहीं जाएंगी।
साक्षी दी अब बहुत ज्यादा चिंतित और परेशान दिखने लगीं थी। इधर अपुन भी ये बात समझ रेला था कि वो अपुन से बहुत प्यार और स्नेह करती हैं और चाहती हैं कि अपुन पर कोई संकट न आए इस लिए वो अपुन को इस तरह ठंडे दिमाग से समझा रेली थीं। दूसरी तरफ अपुन था जो उनकी नरमी का फायदा उठा रेला था।
वैसे सच तो यही था कि अपुन को साक्षी दी दुनिया की सबसे हसीन लड़की लगती थीं और उनके प्रति अपुन के दिल में सॉफ्ट फीलिंग्स थीं लेकिन वैसी नहीं जैसे कि किसी प्रेमी, पागल या आशिक वाली होती हैं। हो सकता है कि दी के प्रति ये अपुन का सिर्फ आकर्षण ही हो पर था तो सही।
अपुन ─ आप टेंशन मत लो दी। आपका काम था समझाना लेकिन अब इसका क्या किया जाए कि मेरा दिल कुछ समझना ही नहीं चाहता।
साक्षी दी ─ क्यों मुझे सख्त कदम उठाने पर मजबूर कर रहा है भाई? क्यों तू कुछ समझना नहीं चाहता? क्या तू सच में चाहता है कि तेरी इस फिलिंग की वजह से हमारे हंसते खेलते संसार में कोई भारी मुसीबत आ जाए?
अपुन ─ आप बहुत दूर का सोच रही हैं दी जबकि मैं ऐसा कुछ भी नहीं चाहता। हां ये सच है कि मेरी फीलिंग्स रियल हैं और मैं चाहता हूं कि आप इसे एक्सेप्ट करें लेकिन अगर आप इसे एक्सेप्ट नहीं करेंगी तो इसके लिए आपको मैं कभी मजबूर नहीं करूंगा। फीलिंग्स ही तो हैं न, मेरे दिल के किसी कोने में मौजूद रहेंगी, क्या फर्क पड़ता है? मतलब कि जब इस बारे में किसी को कुछ पता ही नहीं चलेगा तो कोई मुसीबत कैसे आएगी भला?
साक्षी दी अपुन को बड़े ध्यान से देख रेली थीं। उनके चेहरे पर अभी भी परेशानी, चिंता और बेचैनी के भाव थे।
साक्षी दी ─ नहीं भाई, ये ठीक नहीं है। मैं चाहती हूं कि तू अपने अंदर से ऐसी फीलिंग्स को जड़ से ही मिटा दे और पूरी तरह मेरा भाई बन जा।
अपुन ─ भाई तो कुदरत ने ही बना के भेजा है दी तो आपका भाई ही रहूंगा न।
साक्षी दी ─ हां लेकिन यहां तू मेरा आशिक भी बनने की कोशिश कर रहा है, उसका क्या? नहीं प्यारे भाई, मुझे तेरा ये रूप मंजूर नहीं है। मैं चाहती हूं कि तू अपने दिल से ये बेमतलब की फीलिंग्स जड़ से मिटा दे और सिर्फ मेरा प्यारा भाई बना रह। इसी में हम सबका भला है और इसी में सबकी खुशी भी है।
अपुन ─ छोड़ो दी, जो हो ही नहीं सकता वो कैसे कर सकता हूं मैं? चलिए घर चलते हैं अब।
साक्षी दी ─ नहीं, अभी मेरी बात खत्म नहीं हुई है।
अपुन ─ इस बारे में आपका बात करना या मुझे समझाना बेकार है दी। तो बेहतर यही है कि घर चला जाए।
साक्षी दी बहुत ज्यादा चिंतित और परेशान नजर आ रेली थीं। बेचैनी और कशमकश में घिरी वो अपुन को देखती रहीं, फिर बिना कुछ कहे कार का दरवाजा खोल कर सीट पर बैठ गईं। अपुन भी मन ही मन मुस्कुराते हुए आ आकर ड्राइविंग सीट पर बैठ गया।
बोले तो इतनी सारी बातों के बाद अपुन एक बात समझ गयला था कि साक्षी दी अपुन की फीलिंग्स वाली बात घर में किसी को बताएंगी नहीं क्योंकि वो बता ही चुकी थीं कि वो अपुन को किसी मुसीबत में पड़ गया नहीं देखना चाहती थीं। यही वजह थी कि उन्होंने अपुन से ऐसे बात की थी। अब अपुन ने सोच लिया था कि उनकी नरमी का अपुन को कैसे फायदा उठाना था।
कार स्टार्ट कर के अपन लोग वापस चल दिए वहां से। इस बार कार के अंदर ऐसी खामोशी छाई कि घर पहुंचने तक वो खामोशी कायम रही। यानि पूरे रास्ते न दी ने कोई बात की थी और न ही अपुन ने।
अपुन तो लौड़ा सारे रास्ते यही सोचते आया था कि आगे अपुन ऐसा क्या करे कि दुनिया की सबसे हसीन लड़की यानि कि अपुन की दी अपुन की झोली में आ गिरे? खैर घर पहुंच कर जब कार रुकी तो दी चुपचाप उतर कर मेन गेट की तरफ बढ़ गईं और इधर अपुन कार को गैरेज में खड़ी करने लगा।
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अभी अपुन गैरेज में कार लगा कर मेन गेट की तरफ चला ही था कि अपुन को ऐसा फील हुआ जैसे अपुन के पेंट में पड़ा मोबाइल वाइब्रेट कर रेला है। अपुन ने मोबाइल निकाल कर उसकी स्क्रीन पर फ्लैश कर रहे नाम और नंबर को देखा।
कॉल अमित की सौतेली बहन अनुष्का का था। अपुन सोचने लगा कि ये लौड़ी क्यों कॉल कर रेली है अपुन को? अगले ही पल अपुन को याद आया कि इसने अपुन को एक्स्ट्रा क्लास के लिए शाम को अपने घर आने को बोला था।
अपुन सोचने लगा कि इसका कॉल पिक करे या नहीं? बोले तो इसके बारे में भी अपुन के मन में बहुत कुछ था लेकिन ये साक्षी दी की बेस्ट फ्रेंड भी थी इस लिए अपुन थोड़ा डरता भी था कि कहीं कुछ गड़बड़ न हो जाए। फिर अपुन ने सोचा कि बिना कुछ किए थोड़े न गड़बड़ होगी, यानि गड़बड़ होने के लिए कुछ करना जरूरी है।
अपुन ─ हेलो।
अनुष्का ─ ओह! थैंक गॉड तुमने कॉल उठा लिया। यूं नो, ये पांचवीं बार कॉल किया है मैंने तुम्हें।
अपुन ─ मोबाइल साइलेंट में था इस लिए कॉल आने का पता नहीं चला अपुन को। एनीवे, किस लिए कॉल किया है आपने अपुन को?
अनुष्का ─ दस मिनट में मेरे घर पहुंचो।
अपुन ─ क्यों?
अनुष्का ─ यहां आओ, सब पता चल जाएगा।
अपुन सोचने लगा कि लौड़ी सस्पेंस क्रिएट कर रेली है और तो और हुकुम ऐसे दे रेली है जैसे अपुन उसका गुलाम हो, हट लौड़ी।
अपुन ─ टाइम नहीं है अपुन के पास।
बोले तो इस तरह उसके द्वारा हुकुम देने पर अपुन की झांठें सुलग गईंली थी इस लिए अपुन ने टाइम नहीं है बोला और उसकी कोई बात सुने बिना ही कॉल डिस्कनेक्ट कर दिया लौड़ा।
कॉल कट कर के अपुन मोबाइल को जेब में डालने ही लगा था कि लौड़ा फिर से वाइब्रेट होने लगा बेटीचोद। अपुन ने एक नज़र स्क्रीन में फ्लैश हो रहे अनुष्का के नाम को देखा और फिर वैसे ही जेब में डाल दिया मोबाइल को। उसके बाद अपुन मस्त चाल में मेन गेट की तरफ बढ़ चला।
थोड़ी ही देर में अपुन सेकंड फ्लोर पर मौजूद अपने रूम पहुंच गया। फिर कपड़े उतार कर अपुन बाथरूम में घुस गया। फ्रेश होने के बाद अपुन ने दूसरे कपड़े पहने और मोबाइल ले कर बेड पर लेट गया।
अभी मोबाइल का लॉक ओपन ही किया था कि अनुष्का का कॉल फिर से आने लगा लौड़ा। ये देख अपुन का दिमाग खराब हो गया बेटीचोद। अपुन सोचने लगा कि अब इसकी चूत में इतनी खुजली क्यों हो रेली है? खैर अपुन ने ये सोच कर कॉल पिक कर लेने का सोच कि लौड़ी बार बार कॉल कर के अपुन को इरिटेट करेगी।
अपुन ─ बोला न टाइम नहीं है अपुन के पास।
अनुष्का ─ हद है भाई, अपनी उस गलती के लिए तुमसे कितनी बार माफी मांग चुकी हूं फिर भी तुम्हारी नाराजगी नहीं जा रही?
अपुन ─ अपुन ऐसा ही है। अपुन की नाराजगी इतना जल्दी नहीं जाती।
अनुष्का ─ ओके तो बताओ तुम्हारी नाराजगी दूर करने के लिए अब क्या करूं मैं? वैसे एक्स्ट्रा क्लास देने के लिए अपने घर बुला तो रही हूं तो क्यों नहीं आ रहे तुम?
अपुन ─ क्योंकि अपुन को एक्स्ट्रा क्लास लेने की जरूरत ही नहीं है।
अनुष्का ─ तो फिर बताओ और क्या करूं मैं?
उसकी ये बात सुन कर अपुन के मन में एक ही बात आई लौड़ा। बोले तो अपुन के अंदर चीख चीख के आवाज आने लगी कि बोल दे....अपनी चूत दे दे। पर अपुन अच्छी तरह जानता था कि अगर अपुन ने ऐसा बोला तो अपुन की गाड़ तोड़ पेलाई होने में ज्यादा टाइम नहीं लगेगा। मादरचोद, कुछ समझ नहीं आ रेला था कि क्या बोले अपुन? तभी अनुष्का की आवाज अपुन के कान में पड़ी।
अनुष्का ─ क्या हुआ चुप क्यों हो गए? बताओ न तुम्हारी नाराजगी दूर करने के लिए क्या करूं मैं?
अपुन ─ बोल तो ऐसे रही हो आप जैसे अगर अपुन बताएगा तो आप कर ही दोगी।
अनुष्का ─ अरे! तुम बोलो तो भाई। तुम साक्षी के प्यारे भाई हो तो मेरे भी प्यारे भाई ही हो। तुम जो बोलोगे करूंगी मैं।
बेटीचोद यही तो प्रॉब्लम थी। बोले तो प्यारे भाई ही तो नहीं बोलना था अपुन को। साधना को चोदने के बाद भला अब वो अपुन की बहन कैसे हो सकती थी? खैर अपुन सोचने लगा कि क्या जवाब दे उसे, या ऐसा क्या करने को बोले जिसे वो झट से करने के लिए तैयार हो जाए? दूसरी तरफ अपुन की ये सोच के भी फट रेली थी कि अगर अपुन ने अपने मन की बात उसे बोली तो कहीं वो गुस्सा न हो जाए या साक्षी दी को न बता दे। अगर ऐसा हुआ तो समझ ही सकते हो कि कितना बड़ा कांड हो जाना था लौड़ा।
अपुन ─ कुछ ऐसा करने का सोचो जिसके बाद अपुन आपके घर आने के लिए मजबूर हो जाए।
अनुष्का ─ अरे! ये क्या बात हुई भाई? मैं तुझसे पूछ रही हूं और तू ऐसे बोल रहा है?
अपुन ─ आपने ही बोला है कि अपुन की नाराजगी दूर करने के लिए कुछ भी करोगी तो अब करो।
अनुष्का ─ अरे! मैं तो तब करूं न जब तुम बताओ कि क्या करूं मैं?
अपुन ─ ना, अपुन अपनी तरफ से कुछ करने को नहीं बोलेगा। ये आप सोचो कि आपको ऐसा क्या करना चाहिए जिसकी वजह से अपुन आपके पास आने को एकदम मजबूर ही हो जाए।
अनुष्का शायद सोच में पड़ गईली थी, इसी लिए फौरन उसकी कोई आवाज नहीं आई थी। इधर अपुन भी धड़कते दिल से सोचने लगा कि अब क्या करेगी वो लौड़ी? ये भी सोचने लगा कि कहीं कुछ गलत न सोच बैठे? हालांकि गलत सोचने का सवाल तो तब पैदा होता जब अपुन ने कुछ गलत बोला होता।
अनुष्का ─ भाई मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा। प्लीज तुम ही बताओ न कि क्या करूं मैं?
अपुन का जी तो किया कि खुल के बोल दे कि अपुन के लिए अपनी चूत खोल के रख दे पर लौड़ा ऐसा बोल देने का मतलब था बड़ी भयानक आफत को अपने ऊपर गिरा लेना।
अपुन ─ अपुन कुछ नहीं बताएगा। आप खुद सोचो। अच्छा अब रखता है अपुन। जब सोच लेना तभी कॉल करना अपुन को, गुड लुक।
अभी अपुन ने कॉल कट कर के मोबाइल एक तरफ रखा ही था कि तभी अपुन के रूम का दरवाजा खुला और विधी अंदर दाखिल हुई। उसने ऊपर एक टी शर्ट पहन रखी थी और नीचे ढीला सा सलवार। टी शर्ट में उसके सीने के उभार साफ दिख रेले थे।
विधी को आया देख अपुन सोचने लगा कि अब ये लौड़ी किस लिए आई है अपुन के रूम में? बोले तो जरूर अपुन से बात करने या सुलह करने आई होगी। अपुन ने सोच लिया कि अपुन उसे कोई भाव नहीं देगा। इस लिए उसे एक नज़र देखा और वापस मोबाइल उठा कर उसमें अपनी नजरें जमा दी।
विधी ने जब देखा कि अपुन ने उसे फिर से इग्नोर कर दिया है तो उसके चेहरे पर मायूसी के भाव तो उभरे ही लेकिन इस बार उसे दुख भी हुआ। अगले ही पल उसने पलट कर रूम का दरवाजा बंद किया और फिर एकदम से भागते हुए बेड पर अपुन के पास आई। अपुन मोबाइल में जरूर देख रेला था लेकिन अपुन का ध्यान उसकी तरफ ही था लौड़ा।
अपुन के पास आते ही वो बिना कुछ बोले बेड पर चढ़ी और फिर एकदम से अपुन के ऊपर ही, मतलब कि पेट में ही बैठ गई। अपुन उसकी इस हरकत से बौखला ही गया लौड़ा। इससे पहले कि अपुन कुछ कर पाता वो एकदम से झुकी और दोनों हाथों से अपुन का चेहरा पकड़ कर अपुन के होठों पर अपने होठों को रख दिया।
बेटीचोद, अपुन तो उसकी इस हरकत से शॉक ही हो गया। उधर उसने पहले तो अपुन के होठों को हल्के से चूमा और फिर अपुन के निचले होठ को मुंह में ले कर चूसना शुरू कर दिया। अगले ही पल अपुन के पूरे जिस्म में एक अलग ही तरह की झुरझुरी दौड़ती हुई चली गई लौड़ा।
इससे पहले कि अपुन एक अलग ही दुनिया में खो जाता अपुन को एकदम से खयाल आया कि अपुन को इसने इसी बात पर गुस्सा हो के थप्पड़ मारा था। इस लिए फ़ौरन ही अपुन ने उसे ताकत लगा कर अपने से दूर कर दिया। इतना ही नहीं उसे अपने ऊपर से भी धकेल दिया, उसके बाद अपुन बेड से उतर कर खड़ा हो गया और फिर गुस्सा दिखाते हुए बोला।
अपुन ─ ये क्या बेहूदगी है? शर्म नहीं आती तुझे अपने भाई के साथ ऐसा करने में?
विधी अपुन की गुस्से में कही गई इस बात को सुन कर एकदम से सुबकने लगी। उसके सुबकने की आवाज पूरे कमरे में गूंजने लगी। उसके अचानक से यूं रो पड़ने पर अपुन को एकदम से झटका लगा। बोले तो अपुन ने तो झूठ मूठ का ही गुस्सा हुआ था लेकिन जब वो अपुन की उम्मीद के विपरीत सुबकने ही लगी तो अपुन एकदम से घबरा ही गया लौड़ा। घबरा इस लिए गया क्योंकि अगर किसी को उसके रोने का सीन पता चल गया तो इससे कई सवाल ऐसे खड़े हो जाते जिनका जवाब देते न बनता बेटीचोद।
अपुन ने देखा विधी कि आंखों से आंसुओं की मोटी मोटी धार बह रेली थी। मतलब कि वो सच में अपुन के गुस्सा होने पर और ऐसा बोलने पर दुखी हो गईली थी। और शायद उसे ये भी एहसास हो चुका था कि उसने बेवजह ही अपुन को गुस्सा हो के थप्पड़ मारा था। खैर मामला थोड़ा सीरियस हो गयला था लेकिन अपुन इतना जल्दी पिघल जाने वाला नहीं था लौड़ा। बोले तो थोड़ा भाव खाने का था अपुन को।
अपुन ─ अब ये क्या नाटक है?
विधी ─ प्लीज माफ कर दे भाई। आज के बाद कभी तुझ पर गुस्सा नहीं करूंगी और न ही कभी तुझे थप्पड़ मारूंगी।
अपुन ─ ऐसा तो तब करेगी न तू जब अपुन वैसा काम करेगा। अपुन ने सोच लिया है कि अपुन तेरे से कोई मतलब ही नहीं रखेगा। तू जा यहां से।
विधी रोते हुए ही झट से बेड से नीचे उतरी और फिर अपुन के पास आ कर रोते हुए बोली।
विधी ─ बस एक बार माफ कर दे प्लीज। आगे से कभी ऐसा नहीं करूंगी और....और तुझे किस करने से भी नहीं रोकूंगी। प्लीज इस बार माफ कर दे भाई। मैं तो तेरी जान हूं ना?
अपुन ─ तू भी तो अपुन को अपनी जान बोलती थी ना। तभी अपनी जान को इतना जोर से थप्पड़ मारा था न तूने।
विधी ─ वो...वो मैंने गलती से तुझे थप्पड़ मार दिया था। मैं अपनी गलती एक्सेप्ट करती हूं। उस वक्त मुझे लगा था कि तू वो गलत करने लगा था इस लिए मैं घबरा गई थी और फिर गुस्सा हो कर तुझे थप्पड़ मार दिया था। बाद में जब मैंने हमारे न्यू रिलेशन के बारे में सोचा तो मुझे रियलाइज हुआ कि मुझे थप्पड़ नहीं मारना चाहिए था तुझे। प्लीज भाई, मेरी लास्ट मिस्टेक समझ कर माफ कर दे मुझे। अब से मैं तुझे किसी चीज़ के लिए नहीं रोकूंगी।
जिस तरह से वो दुखी मन से अपुन से माफियां मांग रेली थी उसे देख अपुन को एकदम से ये सोच के ग्लानि होने लगी कि एक तो अपुन ने खुद गलत किएला था ऊपर से खुद ही उसे इस तरह से रुला रेला है। क्या अपनी चाहतों और अपनी हवस के चलते अपुन ये ठीक कर रेला है? बेटीचोद, एकदम से दिमाग खराब हो गया अपुन का। खुद पर बहुत ज्यादा गुस्सा आया।
अपुन ने झपट कर उसे अपने सीने से लगा लिया। जैसे ही उसे अपुन ने सीने से लगाया तो वो अपुन को जकड़ कर फिर से रोने लगी। उसका यूं रोना अपुन का कलेजा हिलाए जा रेला था लौड़ा।
अपुन ─ प्लीज मत रो यार। तेरी कोई ग़लती नहीं थी। सब अपुन की ही गलती थी।
विधी ─ नहीं मेरी गलती थी। मुझे अपनी जान को थप्पड़ नहीं मारना चाहिए था।
अपुन उसकी बात सुन कर एक बार फिर से ये सोच के हिल गया कि वो अब भी अपनी ही गलती मार रेली है। ज़ाहिर है इससे ये पता चलता है कि वो अपुन से कितना प्यार करती है। खैर अपुन की कोशिश से कुछ ही देर में वो नॉर्मल हो गई।
अपुन ने उसे खुद से अलग कर उसके आंसू पोछे। वो मासूम सी शक्ल बनाए बस अपुन को ही देखे जा रेली थी। इतने में ही उसका चेहरा सुर्ख पड़ गयला था। अपुन का जी चाहा कि उसका सारा दुख ले ले और उसे दुनिया भर की खुशियां दे दे।
विधी ─ चल अब अपनी गर्ल फ्रेंड को किस कर न भाई।
अपुन ─ नहीं यार, ये ठीक नहीं है। अपन लोग को ये नहीं भूलना चाहिए कि अपन लोग को ऊपर वाले ने भाई बहन बना के पैदा किएला है। उस टाइम अपुन का तुझे उस तरह से किस करना सच में गलत था।
विधी अपुन की ये बात सुन के मायूस सी हो गई। शायद वो ये सोच बैठी थी कि अपुन अभी भी उससे नाराज है।
विधी ─ इसका मतलब तूने मुझे पूरी तरह माफ नहीं किया भाई?
अपुन ─ अरे! माफ़ करने की बात तो तब पैदा होती है जब तूने कोई गलती की हो।
विधी ─ तो फिर अपनी गर्ल फ्रेंड को किस क्यों नहीं करता तू? देख, मैं खुद बोल रही हूं न तो किस कर न मुझे....प्लीज।
अपुन को समझ न आया कि अब क्या करे? बोले तो इस वक्त अपुन के मन में सही गलत वाले खयाल आ रेले थे। इस वक्त अपुन के मन में कोई गलत खयाल नहीं थे वरना इतना हसीन मौका अपुन बिल्कुल भी नहीं छोड़ता।
विधी ─ क्या हुआ? क्या सोच रहा है भाई? प्लीज अपनी गर्ल फ्रेंड को किस कर न। मेरा भी मन कर रहा है कि मैं अपने बॉय फ्रेंड को किस करूं।
सच तो ये था लौड़ा कि उसकी बात सुन कर अब अपुन का दिमाग खराब होने लग गयला था। एक बार फिर से अपुन के मन में गलत खयाल आने लग गएले थे। सही गलत वाली सोच जैसे मां चुदाने को बेताब होने लग गईली थी। अपुन सोचने लगा कि जब वो खुद ही ऐसा करने को बोल रेली है तो अपुन को भी अब सही गलत नहीं सोचना चाहिए बेटीचोद।
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Sakshi se izhar bhi ho gaya ab dekhte hai kab tak dono control karte hai
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क्लास खत्म होने के बाद उसने अपुन को स्पष्ट रूप से उसके केबिन में आ कर मिलने को कहा और चली गई। अपुन चाहता था तो न भी जाता वो अपुन का कुछ उखाड़ नहीं लेती लेकिन फिर अपुन ने सोचा कि इस तरह उससे दूर भागने से क्या हासिल होगा? बोले तो उसके केबिन में जा कर देखना ही चाहिए कि वो अपुन से क्या बोलती है?
अब आगे....
लंच टाइम अपुन कैंटीन की तरफ विधी और दिव्या को लिए जा ही रेला था कि जाने कहां से अनुष्का अपुन के सामने आ गई लौड़ी। उसने अपुन को अपने साथ चलने को कहा तो अपुन को मजबूरन उसके साथ जाना ही पड़ा। अपुन ने शरद से विधी और दिव्या को कैंटीन ले कर जाने को कहा और खुद अनुष्का के पीछे चल पड़ा।
कुछ ही देर में अपुन उसके साथ एक केबिन में पहुंच गया। अपुन की धड़कनें बढ़ गईली थी। मन में बस यही खयाल उभर रेले थे कि आखिर क्या बोलेगी वो अपुन से? खैर रूम में पहुंचते ही वो एक कुर्सी पर बैठ गई और अपुन को भी एक कुर्सी पर बैठ जाने का इशारा किया तो अपुन बैठ गया।
अनुष्का ─ हां, तो अब बताओ भाई कि तुम्हारी नाराजगी दूर करने के लिए मैं क्या करूं? वैसे मैं बता दूं कि उस दिन मैंने अपने हसबैंड का गुस्सा तुम पर उतार दिया था।
अपुन ─ आप अपने हसबैंड से किस बात पर गुस्सा थीं जिसका शिकार अपुन को होना पड़ा था?
अनुष्का ─ वो एक्चुअली उनकी जॉब छूट गई है जोकि उनकी ही गलती से छूटी है। जब मुझे इस बात का पता चला तो मैंने पहले तो उन्हें समझाना चाहा था लेकिन जब वो अपनी गलती मानने को तैयार न हुए तो मुझे उन पर गुस्सा आ गया। इससे बात बढ़ गई और फिर वो मुझे उल्टा सीधा बोलने लगे और तो और मुझ पर हाथ भी उठा दिया।
अपुन ─ क्या???
अनुष्का ─ हां भाई, तुम्हें तो पता है कि मैंने उनसे लव मैरिज की थी। हालांकि पापा इस रिश्ते से ज्यादा खुश नहीं थे लेकिन फिर भी उन्होंने मेरी खुशी के लिए अजीत से मेरी शादी करवा दी। खैर अब तक तो सब अच्छा ही चल रहा था लेकिन अपने गुस्से की वजह से उन्होंने मैनेजर को गाली दे दी और तो और उसे जान से मार देने की धमकी तक दे दी जिससे मैनेजर ने उन्हें जॉब से निकलवा दिया।
अपुन ─ ओह! कब हुआ ऐसा?
अनुष्का ─ एक हफ्ता हो गया भाई। मैंने अब तक तुम्हारे अलावा किसी को इस बारे में नहीं बताया है। यहां तक कि अपने मम्मी पापा या भाई बहन को भी नहीं बताया। मुझे पता है कि ये बात उन्हें पता चलेगी तो कोई और भले ही कुछ न कहे लेकिन पापा बहुत कुछ सुनाना शुरू कर देंगे।
अपुन ─ तो जीजा जी एक हफ्ते से घर पर ही बैठे हैं?
अनुष्का ─ हां भाई, शुरू में तो दो चार दिन मूड खराब होने की वजह से कहीं दूसरी जगह जॉब खोजने गए ही नहीं। फिर जब मैंने कुछ ज्यादा ही जोर दिया तो एक दो जगह गए मगर बात नहीं बनी। उनके गुस्सैल नेचर के बारे में यहां कई कंपनी के लोगों को पता है इस लिए कुछ तो इस वजह से भी उन्हें जॉब में कोई नहीं रखना चाहता। बस इसी वजह से हर रोज हमारी बहस होने लगी थी। उस दिन भी यही हो रहा था और फिर उन्होंने गुस्से में मुझ पर हाथ उठा दिया था। मैं उनकी इस हरकत से दुखी भी थी और गुस्सा भी इस लिए यहां क्लास में तुम पर गुस्सा किया और फिर तुम्हें क्लास से आउट कर दिया था। प्लीज भाई, उसके लिए माफ कर दो मुझे।
उनकी ये सब बातें सुन कर अपुन ये सोचने लग गया कि अपुन तो कुछ और ही मंसूबे बनाए था लौड़ा और यहां तो मामला ही कुछ और निकला। बोले तो अपुन को समझ ही न आया कि अब क्या बोले अपुन? एक तरफ अपुन का मूड भी खराब हो गयला था कि बेटीचोद ये क्या बवासीर हो गया? खैर इस मामले में कुछ तो अपुन को कहना ही था इस लिए अभी अपुन कुछ बोलने ही वाला था कि तभी अपुन को एक खयाल आया।
अपुन ─ बात तो सच में सीरियस है दी लेकिन आई थिंक आपको इस बारे में साक्षी दी से बात करनी चाहिए। बोले तो वो इस मामले में आपकी हेल्प भी कर सकती हैं।
अनुष्का ─ मैंने कई बार उसे इस बारे में बताने का सोचा लेकिन फिर ये सोच कर नहीं बताया कि वो भी मुझे जाने क्या क्या सुनाना शुरू कर देगी। एक्चुअली उसने भी अजीत से शादी करने से मना किया था मुझे लेकिन क्योंकि उस समय मुझ पर अजीत के प्यार का भूत सवार था इस लिए मैंने किसी की भी नहीं सुनी थी।
अपुन ─ देखो जो होना था वो तो हो ही गयला है। अब उस बारे में कुछ बोलने का कोई फायदा नहीं है। आपके लिए इस वक्त जो जरूरी है वहीं आपको करना चाहिए। साक्षी दी से आप बात करो और उन्हें सारी सिचुएशन के बारे में बताओ। अपुन को पूरा यकीन है कि वो आपकी हेल्प जरूर करेंगी। हो सकता है कि वो डैड से कह कर अजीत जीजा जी की जॉब अपनी ही कंपनी में लगवा दें।
अनुष्का ─ हां इस बात का तो मुझे भी यकीन है भाई। साक्षी को जब मेरी प्रॉब्लम का पता चलेगा तो वो पहले तो मुझे चार बातें ही सुनाएगी लेकिन बाद में मेरी हेल्प जरूर करेगी।
अपुन ─ बस तो फिर अब आप कुछ मत सोचिए और साक्षी दी को कॉल कर के उनसे बात कीजिए।
अनुष्का ─ थैंक्स भाई, तुमने मुझे थोड़ी राहत दे दी है। मैं जरूर साक्षी से बात करूंगी आज।
अपुन ─ ठीक है, और उनकी हेल्प से जब जीजा जी की जॉब लग जाए तो अपुन को ट्रीट देना मत भूलना।
अनुष्का ─ नहीं भूलूंगी मेरे प्यारे भाई और हां तुमने ये तो बताया ही नहीं कि तुम्हारी नाराजगी दूर करने के लिए मैं क्या करूं?
अपुन ─ फिलहाल कुछ नहीं। अपुन को आपकी प्रॉब्लम का पता नहीं था इस लिए बेकार में ही नाराज था आपसे लेकिन हां जीजा जी की जॉब लगने के बाद तो आपको वैसी ही ट्रीट देनी होगी जिससे अपुन खुश हो जाए।
अनुष्का ─ मुझे मंजूर है भाई।
उसके बाद अपुन रूम से निकल गया। मन में थोड़ी निराशा तो थी लेकिन ये उम्मीद भी हो गईली थी कि आने वाले समय में अनुष्का से कुछ न कुछ ऐसा जरूर हासिल होगा जो अपुन चाहता है।
अपुन फौरन ही कैंटीन पहुंचा। थोड़ा ही टाइम रह गयला था लंच टाइम ओवर होने में इस लिए विधी और दिव्या के साथ ही बैठ कर अपुन ने थोड़ा बहुत खाया और फिर अपन लोग वापस क्लास की तरफ चल पड़े।
दिव्या ─ भैया, अनुष्का दी आपको किस लिए अपने साथ ले गईं थी?
अपुन उसके इस सवाल पर सोचने लगा कि क्या जवाब दे अपुन? फिर अपुन ने सोचा कि सच ही बता देता है अपुन क्योंकि इसमें कुछ गलत तो था नहीं।
ये सोच कर अपुन ने उसे सब कुछ बता दिया और ये भी कहा कि इस बारे में वो दोनों किसी को न बताएं। खैर उसके बाद दिव्या अपनी क्लास की तरफ चली गई जबकि अपुन और विधी एक साथ अपने क्लास की तरफ चल पड़े।
विधी बार बार अपुन को देखती और मुस्कुरा देती थी। फिर जैसे ही उसने देखा कि दिव्या चली गई है तो उसने अपुन से कुछ कहना चाहा मगर तभी पीछे से रीना ने उसे आवाज दी जिससे उसने पलट कर उसकी तरफ देखा।
विधी ─ इस चुहिया को भी अभी ही आना था। सारा मूड खराब कर दिया, हां नहीं तो।
अपुन उसकी इस बात पर मन ही मन मुस्कुरा उठा। तभी रीना मुस्कुराते हुए अपन लोग के पास आ गई। उसे देखते ही विधी का मुंह बन गयला था।
रीना ─ हाय! कैसे हो विराट?
अपुन ─ वैसे ही जैसा नजर आ रेला है अपुन। तू अपनी बता।
अपुन की बात सुन कर जहां एक तरफ वो थोड़ा सकपका गई वहीं विधी हंस पड़ी लेकिन फिर जल्दी ही हंसना बंद कर दिया उसने।
रीना ─ सेम हेयर।
विधी के सामने रीना ज्यादा कुछ बोल नहीं सकती थी। इधर एकदम से अपुन को साधना का खयाल आ गया लौड़ा। अपुन सोचने लगा कि बेटीचोद अनुष्का से तो कोई बात नहीं बनी तो क्यों न कॉलेज से निकल लिया जाए और अमित के घर जा कर साधना के साथ मस्त मजा किया जाए।
अपुन ने विधी से कहा कि अपुन को एक जरूरी काम से बाहर जाने का है इस लिए वो क्लास जाए और अगर अपुन आने में लेट हो जाए तो अपुन का बैग तथा दिव्या को साथ ले कर घर चली जाएगी।
विधी को ये सुन के हैरानी हुई और उसने पूछना भी चाहा लेकिन अपुन तब तक कॉलेज के बाहर की तरफ निकल लिया। बोले तो अभी अपुन के पास पूरे दो घंटे का टाइम था इस लिए अब इस टाइम को बर्बाद नहीं करना चाहता था अपुन।
पार्किंग में आ कर अपुन ने साधना को मैसेज किया कि अपुन आ रेला है इस लिए जब अपुन उसके घर का दरवाजा खटखटाए तो वो उसी तरह खोलने आए जैसे उस रात आईली थी। बोले तो एकदम नंगी।
मैसेज कर के अपुन ने मोबाइल जेब में डाला और बाइक में चाभी लगा कर उसे स्टार्ट ही करने लगा था कि तभी अपुन का मोबाइल वाइब्रेट होने लगा। अपुन समझ गया कि साधना का ही कॉल होगा इस लिए जेब से मोबाइल निकाल कर कॉल पिक किया।
साधना ─ मैं मार्केट आई हुई हूं बाबू। एक्चुअली दूध फट गया था तो लेने आई हूं। तुम कब तक पहुंचोगे मेरे घर?
अपुन ─ अपुन को ज्यादा से ज्यादा आठ दस मिनट लगेंगे पहुंचने में।
साधना ─ ओह! फिर तो कोई बात ही नहीं है बाबू। तुमसे पहले ही पहुंच जाऊंगी मैं।
अपुन ─ अपुन का मैसेज ठीक से पढ़ा है कि नहीं तुमने?
साधना ─ हां पढ़ लिया है बाबू। फिक्र मत करो, मैं वैसे ही दरवाज़ा खोलूंगी जैसे मेरा बाबू चाहता है।
अपुन ─ गुड। अच्छा अब रखता है अपुन।
कॉल डिस्कनेक्ट कर के अपुन ने मोबाइल वापस जेब में डाला और बाइक स्टार्ट कर के निकल पड़ा उसके घर की तरफ। बोले तो अब मन में काफी रोमांचित करने वाले खयाल उभरने लग गएले थे लौड़ा। बाइक चलाते हुए अपुन सोचता जा रेला था कि अमित के घर पहुंच कर अपुन साधना को आज कैसे कैसे चोदेगा।
बेटीचोद, साधना को चोदने की खुशी इतनी ज्यादा हुई कि अपुन और भी तेज स्पीड में बाइक चलाने लगा लौड़ा। कच्छे के अंदर कैद अपुन का लन्ड भी खुश हो गयला था जिसके चलते उसने अपना सिर उठा लिया था।
अपुन पांच मिनट में ही अमित के घर के पास पहुंच गया बेटीचोद। बाइक को एक जगह स्टैंड पर लगा कर अपुन इधर उधर निगाह घुमाते हुए तेजी से उसके घर की तरफ बढ़ा।
घर के दरवाजे पर पहुंच कर अपुन ने दरवाजा खटखटाने के लिए हाथ बढ़ाया ही था कि तभी अंदर से खिलखिला कर हंसने की आवाज सुनाई दी जिससे अपुन का हाथ रुक गया। हंसने की आवाज लड़की की थी लेकिन वो लड़की साधना नहीं थी क्योंकि उसकी आवाज पहचानता था अपुन।
अभी अपुन समझने की कोशिश ही कर रेला था कि तभी कुछ कदमों की आवाजों के साथ साथ बोलने की भी आवाजें सुनाई दी। आवाजें हर पल के साथ दरवाजे की तरफ ही बढ़ती आ रेली थी। अपुन ये तो समझ गयला था कि साधना के साथ कोई दूसरी लड़की भी दरवाजे की तरफ आ रेली है लेकिन एक पल पहले उसने जो कहा था उसे सुन कर अपुन सन्न रह गया था लौड़ा।
लड़की ─ वैसे मानना पड़ेगा साधना क्या मस्त आडिया सोचा है तूने विराट से शादी करने का।
साधना ─ क्या करूं अंजली, ऐसा करने का दिल तो नहीं किया था लेकिन फिर खयाल आया कि प्यार और जंग में तो सब जायज होता है। वैसे भी मैं उससे इतना प्यार करती हूं कि उसे किसी कीमत पर खोना नहीं चाहती। बस इसी लिए ये रास्ता चुना।
अंजली ─ चल तेरा तो काम बन गया अब। अच्छा किया जो उसे सेक्स के लिए उकसाया और फिर उसकी वीडियो बना ली।
साधना ─ मैं जानती थी कि वो ऐसे तो मुझे या मेरे प्यार को एक्सेप्ट करेगा नहीं इस लिए सोच लिया था कि जब भी मौका मिलेगा तो उसे खुल कर सौंप दूंगी। वैसे मुझे उम्मीद नहीं थी कि ये सब इतना जल्दी और इतना परफेक्ट तरीके से हो जाएगा।
अंजली ─ अच्छा जब उसे इस सबके बारे में पता चलेगा तो तू जानती है न कि वो कैसा बिहेव करेगा? आई मीन हो सकता है कि वो तुझसे नफरत करने लगे। आखिर तू उसे ब्लैकमेल करके जो उसे शादी करने को मजबूर करेगी।
साधना ─ हां जानती हूं कि ऐसा हो सकता है लेकिन मैं उसे प्यार से समझाऊंगी कि मेरे पास इसके सिवा कोई और रास्ता नहीं था। मुझे यकीन है कि वो मेरी बात समझेगा।
अंजली ─ और अगर न समझा तो?
साधना ─ फिर तो मजबूरन उसे उस वीडियो के आधार पर ब्लैकमेल करना पड़ेगा यार जोकि मैं नहीं चाहती।
अंजली ─ चल ठीक है जैसा तुझे बेहतर लगे कर। अच्छा अब जा रही हूं मैं। तेरे बाबू सोना के आने का भी तो टाइम हो गया है और तुझे उसके लिए नंगी हो कर दरवाजा खोलना है, ही ही ही।
साधना ─ अरे! हां यार मैं तो भूल ही गई थी उसे। तू जल्दी से निकल यहां से। तेरी वजह से मुझे उससे झूठ कहना पड़ा कि मैं मार्केट दूध लेने आई हूं।
अंजली ─ अच्छा चल बाय। बाद में जो कुछ हो सब बताना मुझे।
अपुन समझ गया कि अब अंजली नाम की लड़की बाहर आने वाली है इस लिए अपुन का यूं खड़े रहना सही नहीं था। अपुन झट से पलटा और लगभग भागते हुए एक ऐसी जगह जा कर खड़ा हो गया जहां से वो दोनों अपुन को देख नहीं सकती थीं।
बेटीचोद, अभी अपुन ने जो कुछ सुना था उसे सुन के अपुन के पैरों के नीचे से जमीन ही खिसक गईली थी। बोले तो पूरी की पूरी गांड़ फट के हाथ में आ गईली थी अपुन की। साधना लौड़ी ने इतना बड़ा गेम खेला था अपुन के साथ। अपुन तो समझ रेला था कि वो सीधी सादी लौंडिया है और अपुन से प्यार करती है।
अपुन सोचने पर मजबूर हो गया लौड़ा कि इसी लिए अपुन को उसके साथ सेक्स करने में कोई मुश्किल नहीं आईली थी। बेटीचोद आती भी कैसे? उस रण्डी ने तो पहले से ही सब सोच रखा था, तभी तो अपुन के साथ इतना कुछ कर गईली थी। वो तो अच्छा हुआ कि अपुन ने किसी जन्म में भारी पुण्य कर्म किएले थे जिसके चलते आज अपुन को वक्त रहते उसका सच पता चल गया वरना उस लौड़ी ने तो अपुन को लपेट लेने का गांड़ फाड़ इंतजाम कर लिएला था।
खैर, इस वक्त अपुन की सच में बहुत ज्यादा फटी पड़ी थी। उसके पास अपुन की सेक्स वीडियो थी और इतना तो अपुन उन दोनों की बातों से समझ ही गयला था कि साधना ने वो सेक्स वीडियो अपुन की जानकारी में आए बिना किस लिए बना लिया है।
मतलब कि अब अगर अपुन उससे शादी करने से इंकार करेगा तो वो अपुन को उस सेक्स वीडियो के आधार पर ब्लैकमेल करेगी। ज़ाहिर है अपुन की उस वीडियो की वजह से इतनी ज्यादा गांड़ फट जाएगी कि अपुन उसकी बात मानने पर मजबूर हो जाएगा बेटीचोद।
अपुन ये सब सोच के भारी टेंशन में आ गयला था बेटीचोद। बोले तो उसके साथ मजा लेने से सच में अपुन की मां बहन एक हो गईली थी। अपुन ने मन ही मन खुद से कहा─ और साधना को पेल ले बेटीचोद। बहुत मजा आ रेला था न तो ले अब भुगत उसके साथ मजा करने की सजा।
अभी अपुन ये सब सोच के कुढ़ ही रेला था कि तभी अपुन का मोबाइल वाइब्रेट होने लगा। अपुन ने झट से मोबाइल निकाल कर स्क्रीन पर देखा। साधना रण्डी का ही कॉल था बेटीचोद।
लौड़ी ने जब देखा होगा कि अपुन अभी तक नहीं पहुंचा है तो उसने अपुन को कॉल कर दिया है। अपुन सोचने लगा कि अब क्या करे बेटीचोद? बोले तो अब अपुन की कंडीशन न घर के रहे और ना ही घाट के रहे जैसी हो गईली थी। पर...लौड़ा कुछ तो करना ही पड़ेगा वरना ऐसे तो सच में वो लौड़ी अपुन की गांड़ में मोटा सा डंडा डाले रहेगी। खैर अपुन ने खुद को शांत करके उसका कॉल पिक किया।
साधना ─ कहां पहुंचे बाबू? तुम तो बोले थे कि आठ दस मिनट में पहुंच जाओगे?
अपुन (मन में) ─ पहुंच तो अपुन पांच मिनट में ही गयला था लौड़ी और अच्छा ही हुआ कि पहले ही पहुंच गयला था वरना तेरे सच को कैसे जान पाता?
अपुन (रियल में) ─ बस पहुंच ही गया यार। तुम रेडी हो न?
साधना ─ हां बाबू। मैं तो कब से रेडी हूं दरवाजा खोलने के लिए। प्लीज जल्दी आओ न अपनी साधना के पास।
अपुन ने मन ही मन सोचा कि हां बेटीचोद बुला ले जल्दी और फिर मार ले अपुन की गांड़, हट लौड़ी।
अपुन ─ बस पहुंच ही गया।
कहने के साथ ही अपुन ने कॉल डिस्कनेक्ट की और फिर मोबाइल जेब में डालते हुए सोचने लगा कि कुछ तो करना ही पड़ेगा लौड़ा। मतलब कि उसके पास वीडियो के रूप में तगड़ा एटम बम था जो अपुन को कभी भी और कहीं भी बर्बाद कर सकता था। इस लिए जरूरी था कि उस एटम बम को किसी भी तरह उसके पास से मिटा दिया जाए वरना अपुन की तो समझो लंका लगनी तय ही है बेटीचोद।
यही सब सोचते हुए अपुन उसके घर की तरफ तेजी से चल पड़ा। कुछ ही देर में अपुन दरवाजे के पास पहुंच गया और फिर धड़कते दिल से दरवाजे को खटखटाया।
बेटीचोद, वो जैसे अपुन के द्वारा दरवाज़ा खटखटाने का ही वेट कर रेली थी। तभी तो अपुन ने जैसे ही दरवाज़ा खटखटाया तो अगले ही पल झट से दरवाजा खुला लेकिन ज्यादा नहीं बल्कि करीब दस इंच के लगभग। उस दस इंच खुले दरवाजे से भी अपुन को अंदर नंगी खड़ी साधना साफ साफ दिखी।
अगर अपुन को उसका सच पता न चल गया होता या ये कहें कि अपुन की गांड़ न फटी पड़ी होती तो उसे इस रूप में देख कर पक्का अपुन का लन्ड पल में ही टनटना गया होता पर इस वक्त ऐसा कुछ भी तो नहीं हुआ बेटीचोद। आँखें जरूर उसके नंगे बूब्स और हल्के रेशमी बालों से घिरी चूत पर जम गईली थीं लेकिन ये सब देख कर अपुन के लन्ड में करेंट नहीं लगा था। इसी से जाहिर है कि किस कदर अपुन की फटी पड़ी थी बेटीचोद।
साधना ─ ओह! बाबू अंदर आ कर मुझे अच्छे से देख लो बाबू। किसी ने मुझे इस तरह नंगी खड़े देख लिया तो गजब ही हो जाएगा।
अपुन उसकी बात सुन कर चुपचाप अंदर दाखिल हो गया। अपुन ने महसूस किया कि अंदर आते ही अपुन की धड़कनें धाड़ धाड़ कर के बजने लग गईली थीं लौड़ा और मन में उथल पुथल शुरू हो गईली थी।
अपुन ने सोचना शुरू कर दिया था कि अपुन के पास ज्यादा समय नहीं है। मतलब कि शाम को अमित भी अपनी मम्मी को ले कर घर आ जाएगा। उसके बाद इस घर में सबके रहते ऐसा मौका हर्गिज नहीं मिलेगा कि कुछ किया जा सके। यानि जो करना था अभी करना था वरना अपुन की गांड़ फटना पक्का था बेटीचोद।
इस वक्त अपुन का दिमाग बड़ी तेजी से चल रेला था। अपुन इतना समझ गयला था कि साधना ने अगर सेक्स वीडियो बनाया है तो उसने अपने मोबाइल से ही बनाया होगा। तो अब अपुन को उसका मोबाइल हासिल करना था और उसके अंदर से उस वीडियो को डिलीट मारना था। इतना ही नहीं वॉट्सएप से अपन लोग की सारी चैटिंग भी क्लियर करनी थी। हालांकि अपुन तो अपने मोबाइल से हर रोज चैटिंग क्लियर कर देता था लेकिन अपुन को यकीन था कि साधना ने अपने मोबाइल में अपन दोनों की चैटिंग को सम्हाल के रखा होगा। आखिर वो उसके हिसाब से सबूत जो है।
साधना ─ क्या हुआ बाबू? कहां खोए हुए हो? कुछ हुआ है क्या?
साधना की ये बात सुन कर अपुन बुरी तरह हड़बड़ा गया लौड़ा। पलक झपकते ही अपुन के मन में खयाल उभरा कि इस वक्त अगर अपुन इस तरह सोचो में गुम दिखेगा तो वो लौड़ी कहीं ताड़ ही न ले या उसे शक ही न हो जाए कि अपुन को उसका सच पता चल गयला है। यानि अपुन को उसके सामने वैसा ही बर्ताव करना चाहिए जैसे कि उसे नंगी देखने के बाद नॉर्मल हालत में अपुन करता।
अपुन ─ अरे! यार क्या बताए अपुन। बोले तो जल्दी आने के चक्कर में अपुन ने अभी थोड़ी देर पहले एक आदमी पर बाइक ठोकते ठोकते बचायला है।
साधना ─ ओह माय गॉड! ये क्या कह रहे हो बाबू?
अपुन ─ हां यार, वो तो अच्छा था कि अपुन भारी टैलेंटेड ड्राइवर है इस लिए बचा लिया उसको वरना अपुन की जगह कोई दूसरा होता तो आज उस आदमी का ऊपर की टिकट कट जाना पक्का था बेटीचोद।
अपुन ने झूठ मूठ की ये कहानी पल में बना के उसे सुना दी ताकि वो लौड़ी यही समझे कि अपुन के द्वारा इतनी बड़ी बात होने के चलते ही अपुन इस वक्त सोचो में गुम हो जा रेला है। जैसा कि अपुन को पूरा यकीन था अपुन की इस बात ने गाड़ फाड़ असर किया था उस पर। फिर अपुन ने अगले ही पल ऐसा शो किया जैसे अब अपुन ठीक है।
अगले ही पल अपुन ने झपट कर उसे पकड़ा और उसके होठों को चूमना चूसना शुरू कर दिया। अपुन ये भी नहीं चाहता था कि वो कुछ ऐसा सोचे जो इस वक्त उसे स्वाभाविक न लगे। ज़ाहिर है वो पूरी नंगी खड़ी थी अपुन के सामने तो अपुन को उसके साथ ऐसा करना जरूरी भी था।
अपुन ने उसे चूमना चूसना शुरू किया तो वो भी पूरे जोश के साथ अपुन का साथ देने लगी लौड़ी। इधर अपुन उसके होठों को मुंह में लिए एक हाथ से उसकी एक छाती को मसलना शुरू कर दिया जिससे वो मचलने लगी। बोले तो मजा तो आ रेला था अपुन को लेकिन अपुन इस मजे के चक्कर में अपनी गाड़ फाड़ देने वाले सामान को भी भूलना नहीं चाहता था इस लिए जल्दी ही उसे खुद से अलग किया।
अपुन ─ बेडरूम में चलो मेरी जान। यहां मजा नहीं आएगा।
साधना ─ हां सही कह रहे हो जान। चलो बेड रूम में चलते हैं।
उसे शक न हो इस लिए अपुन ने झट से उसे अपनी बाहों में उठा लिया और उसे बेडरूम की तरफ ले कर चल पड़ा। उसका नंगा नाजुक बदन अपुन की मजबूत बाहों में था। उसने अपुन के गले में अपनी बाहें डाल ली थी और अपुन को अपलक देखते हुए मुस्कुराए जा रेली थी। इधर अपुन मन ही मन उसे गालियां दे रेला था।
खैर थोड़ी ही देर में अपुन उसे ले कर बेडरूम में आ गया और उसे बेड पर आहिस्ता से लेटा दिया। अपुन ने बड़े ध्यान से बेडरूम में इधर उधर नज़र दौड़ाई। असल में अपुन को उसके मोबाइल की तलाश थी लेकिन इधर उधर वो कहीं न दिखा अपुन को।
साधना ─ आज मुझे बहुत सारा प्यार करो बाबू। मैं चाहती हूं कि अमित और मम्मी के आने से पहले मैं तुम्हारे प्यार से बहुत ज्यादा तृप्त हो जाऊं।
अपुन ─ अपुन भी यही सोच रेला है डियर लेकिन..।
साधना ─ लेकिन क्या बाबू?
अपुन ─ बहुत भूख लगी है यार। एक्चुअली आज कंटीन में कुछ नहीं खाया। सुबह भी अच्छे से ब्रेकफास्ट नहीं किया था तो अब अपुन को कुछ ज्यादा ही भूख फील हो रेली है।
साधना ─ ओह! बाबू, पहले क्यों नहीं बताया मुझे। बता देते तो तुम्हारे लिए तब तक खाना गर्म कर देती।
अपुन ─ यार ध्यान ही नहीं आया था अपुन को।
साधना ─ क्या सच में ज्यादा भूख लगी है मेरे बाबू को?
अपुन ─ हां यार, पर अगर तुम कहती तो चलो पहले अपन लोग एक राउंड चुदाई कर लेते हैं।
साधना (बेड से उठ कर) ─ नहीं बाबू। तुम भूखे हो और ऐसे में अगर मैं तुमसे ये करने कहूंगी तो ये अच्छी बात नहीं होगी। रुको, मैं पांच मिनट में तुम्हारे लिए खाना गर्म कर के लाती हूं।
अपुन ─ यार खामाखा अपुन की वजह से परेशान हो रेली हो तुम।
साधना ─ तुम्हारे लिए कुछ भी करना परेशानी नहीं बल्कि खुशी की बात है मेरे लिए। अच्छा अब तुम बैठो यहीं, मैं बस पांच मिनट में आती हूं।
कहने के साथ ही साधना ने फटाफट अपने नंगे बदन पर एक कुर्ता डाल लिया और फिर वो वैसे ही रूम से चली गई। इधर अपुन ये सोच के खुश हो गया कि बेटीचोद क्या ही गजब का भेजा पाया है अपुन ने। बोले तो एकदम सही टाइम पर क्या मस्त भूख लगने का बहाना बनाया था अपुन ने जिसके चलते साधना अपुन के लिए खाना गर्म करने रूम से चली गईली थी।
उसके जाने के बाद अपुन का दिमाग बिजली की तरह तेजी से दौड़ने लगा और अपुन खुद भी फटाफट साधना का मोबाइल खोजने लगा। इत्तेफाक से उसका मोबाइल खोजने में ज्यादा टाइम नहीं लगा अपुन को। बोले तो वो बेटीचोद अपुन को बेड पर ही तकिया के नीचे रखा मिल गया।
अपुन ने झट से उसकी स्क्रीन जलाई और उसे ओपेन करने का सोचा तो देखा लौड़ी ने पैटर्न लॉक लगा रखा था उसमें। अब ये नई प्रॉब्लम आ गईली थी। पैटर्न लॉक था उसमें इस लिए अपुन सोचने लगा कि उसने क्या पैटर्न डाला होगा? अपुन ने एक दो पैटर्न डाले लेकिन वो गलत निकले लौड़ा।
अपुन ने कितनी होशियारी से उसे रूम से निकाला था और अब जब उसका मोबाइल मिल गयला था तो बेटीचोद उसके पैटर्न लॉक ने प्रॉब्लम खड़ी कर दी थी। अपुन एकदम से टेंशन में आ गया लौड़ा। समझ में ही नहीं आ रेला था कि अब क्या करे?
तभी अपुन को एक खयाल आया। अपुन ने सोचा कि कहीं उसने अपुन के नाम के पहले वर्ड यानी V का पैटर्न तो नहीं डाला होगा? अपुन ने सोचा कि वो अपुन को प्यार करती है तो हो सकता है कि उसने अपुन के नाम के पहले वर्ड का ही पैटर्न बना कर मोबाइल का लॉक बनाया हो।
अपुन ने झट अपनी एक उंगली से उसमें अपने नाम का पहला वर्ड V बनाया लेकिन बेटीचोद वो पैटर्न बाकी बिंदुओं पर छू जा रेला था जिससे पैटर्न बन नहीं रेला था। अपुन ने कई बार ट्राई किया पर नाकाम रहा लौड़ा। तभी अपुन को खयाल आया कि हो सकता है उसने V को किसी दूसरे तरीके से बनाया हो, क्योंकि सीधा V बनाने से पैटर्न बन नहीं रेला था। खैर अपुन ने V को थोड़ा टेढ़ा कर के बनाया, जैसे कि सही का सिंबल होता है।
अपुन ने जैसे ही इस तरीके से V या ये कहें कि का सिंबल बनाया तो काम कर गया लौड़ा। बेटीचोद स्क्रीन लॉक के खुलते ही अपुन को इतनी ज्यादा खुशी हुई कि जैसे अपुन ने कारून का खजाना हासिल कर लिया हो।
मोबाइल का लॉक ओपेन हो गयला था इस लिए अपुन अब फौरन उसमें देखने लगा कि अपुन का वो सेक्स वीडियो कहां पर है। अपुन वीडियो भी खोजता जा रेला था और बार बार दरवाजे की तरफ भी देख लेता था। दिल की धड़कनें तो पहले से ही बेटीचोद धाड़ धाड़ कर के बज रेली थीं।
आखिर अपुन को वो वीडियो मिल ही गया। अपुन ने वॉल्यूम कम कर के उसे प्ले किया तो लौड़ा अपुन ये देख के हैरान रह गया कि सच में वो अपुन और साधना का सेक्स वीडियो था। यकीन नहीं हुआ कि साधना इतना खतरनाक काम कर सकती थी लौड़ी। खैर अपुन ने फौरन ही उसे डिलीट किया और फिर डिलीट फाइल से भी उसे उड़ा दिया ताकि वो दुबारा उसे रिस्टोर न कर सके। अपुन इसके बाद भी ये सोच कर चेक करने लगा कि कहीं और भी तो कोई वीडियो नहीं पड़ा है इसमें? कुछ ही पलों में अपुन ने मोबाइल की पूरी गैलरी और फोल्डर छान मारा। जब ऐसा दूसरा कोई वीडियो नहीं मिला तो अपुन संतुष्ट हो गया लौड़ा।
उसके बाद अपुन ने उसका वॉट्सएप ओपन किया तो उसमें भी पैटर्न लॉक था। अपुन ने उसमें भी के सिंलब का पैटर्न डाला लेकिन उसमें ये काम न किया। फिर अपुन ने सोचा कि कहीं साधना ने इसमें अपने नाम के पहले वर्ड यानी S का पैटर्न तो नहीं डाला होगा। अपुन ने फौरन ही S बनाया तो वो खुल गया लौड़ा।
वॉट्सएप खुला तो सबसे पहले अपुन ने अपना नाम खोजा। जल्दी ही अपुन को वो मिल गया। उसमें जब अपुन ने क्लिक किया तो देखा उसमें अपुन की ढेर सारी चैट भरी पड़ी थी बेटीचोद। अपुन ने एक पल भी न लगाया क्लियर चैट पर क्लिक करने में। जैसे ही अपुन ने ऐसा किया पलक झपकते ही सारी चैट साफ हो गई। अब उसमें एक भी मैसेज नहीं बचा था। पर इतने पर भी अपुन का मन नहीं भरा था तो अपुन ने अपने नाम को ही डिलीट मार दिया लौड़ा। अब जा के शांति मिली थी बेटीचोद।
अपुन का काम पूरा हो चुका था लेकिन फिर भी अपुन उसके मोबाइल को ये सोच के देखने लगा कि साधना लौड़ी ने और क्या क्या सम्हाल कर रखा है इसमें। अपुन वॉट्सएप पर अलग अलग लोगों के साथ की गई उसकी चैटिंग पर नजर डाल रेला था कि तभी अपुन अजीत नाम पर रुक गया। अजीत उसकी सौतेली बहन यानी अनुष्का का हसबैंड था। अपुन ने उसे ओपन किया तो देखा उसमें भी कई सारे मैसेज पड़े थे। उन मैसेजेस से यही समझ आया कि अजीत थोड़ा रंगीन मिजाज है जो अपनी साली से डबल मीनिंग में बात करता था लौड़ा।
खैर उसके बाद अपुन एक नाम पर और रुका, यानि अंजली नाम पर। पहले तो अपुन ने उसकी डीपी पर क्लिक कर उसकी शक्ल देखी। बोले तो अंजली नाम की लड़की मस्त माल थी। होठ मस्त रसीले थे उसके। सीने में मौजूद उसके मम्मे स्पष्ट नहीं दिख रेले थे क्योंकि उसने अजीब एंगल से सेल्फी ली थी लेकिन हां बूब्स का उपरी भाग दिख रेला था जिसमें उसके बूब्स की बीच वाली दरार बस हल्की सी ही दिख रेली थी। खैर अपुन ने चैट देखना शुरू किया तो पता चला उसमें उसने और साधना ने अपुन के बारे में भी काफी कुछ बातें की थीं।
अभी अपुन वो सब पढ़ने ही लगा था कि तभी अपुन को रूम के बाहर से साधना की आवाज सुनाई दी। शायद वो रूम की तरफ ही आ रेली थी। उसने बाहर से ही मारे खुशी के अपुन से कहा था कि लो बाबू खाना गर्म कर दिया है मैंने।
साधना की आवाज सुनते ही अपुन ने झट से उसके मोबाइल की स्क्रीन पर से क्लियर ऑल पर क्लिक किया जिससे ये न पता चले कि अपुन ने उसमें क्या खोल रखा था। उसके बाद स्क्रीन लॉक कर के अपुन ने उसके मोबाइल को पहले जैसे ही तकिए के नीचे रख कर आराम से बेड पर लेट गया और दिखाने के लिए अपना मोबाइल चलाने लगा। अभी अपुन ने अपने मोबाइल का स्क्रीन लॉक ही खोला था कि तभी हाथों में थाली पकड़े साधना रूम में आ गई।
साधना ─ लो बाबू, खाना गर्म कर के ले आई हूं। चलो जल्दी से हाथ धो कर आओ और फिर खाना शुरू करो।
अपुन ─ यार तुम बेकार ही अपुन के लिए परेशान हुई।
उसके लिए फिक्र दिखाने के लिए अपुन को ऐसा बोलना जरूरी था।
साधना ─ ऐसा मत कहो जान। मुझे तुम्हारे लिए ये सब कर के बहुत अच्छा फील हो रहा है। अब चलो बातें बाद में कर लेना, पहले वॉशरूम में जा कर हाथ धो लो।
अपुन ने मोबाइल वापस जेब में डाला और मन ही मन खुश होते हुए अटैच बाथरूम में घुस गया। थोड़ी ही देर में अपुन हाथ धो कर आया और साधना द्वारा लाया हुआ खाना खाना शुरू कर दिया।
जब तक अपुन खाता रहा तब तक साधना अपुन को बड़ी ही मोहब्बत से देखती रही और इधर अपुन ये सोच के खुश होता रहा कि जिस होशियारी से उसने अपुन की गांड़ फाड़ने का इंतजाम किएला था उस इंतजाम की अपुन ने अपनी होशियारी से मां चोद दी है। बोले तो अब वो अपुन को किसी भी आधार पर ब्लैकमेल नहीं कर सकती थी। वाह! गजब स्मार्ट लौंडा है अपुन।