• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Incest हवस के कारनामे ~ A Tale of Lust

park

Well-Known Member
11,257
13,486
228
Update ~ 21




इधर अपुन ये सोचने लगा कि मॉम डैड के आने के बाद से अपुन को थोड़ा सम्हल कर ये सब करना होगा। इसके साथ ही अपुन ये भी सोचने लगा कि साक्षी दी ने अपुन की तरफ एक नजर देखा तो था लेकिन अपुन से कोई बात नहीं की थी। बेटीचोद अपुन की भी हिम्मत नहीं हो रेली थी कि अपुन खुद ही उनसे बात करे। खैर देखते हैं आने वाले समय में क्या होने वाला है?


अब आगे....


सीमा किचेन में रात के लिए डिनर बना रेली थी। वो सात या साढ़े सात बजे तक डिनर बना के चली जाती थी। हालांकि ऐसा तभी होता था जब मॉम नहीं होतीं थी। इधर साक्षी दी भी फ्रेश होने के बाद और चाय पीने के बाद किचेन में उसकी हेल्प के लिए चली गईली थीं।

अपुन ने नोटिस किया कि वो अपुन के सामने आने से परहेज कर रेली थीं। अपुन को थोड़ा बुरा तो लगा लेकिन अपुन कर भी क्या सकता था? तभी अपुन ने फील किया कि अपुन का मोबाइल वाइब्रेट हो रेला है।

अपुन ने मोबाइल निकाल कर स्क्रीन पर फ्लैश हो रहे अमित के नाम को देखा तो समझ गया कि वो शायद अपनी मम्मी को ले कर घर आ गया है। यहां आने के बाद अब वो अपुन से बात करने के लिए कॉल किएला है।

अपुन क्योंकि सोफे में दिव्या और विधी के बीच में बैठा था इस लिए उन दोनों ने भी एक नजर अपुन के मोबाइल स्क्रीन पर डाली और फिर वापस टीवी देखने लगीं। इधर अपुन ने सोचा बाहर जा के अमित से बात किया जाए इस लिए सोफे से उठ कर मेन गेट की तरफ बढ़ चला और साथ ही कॉल पिक कर के कान से लगाते ही बोला।

अपुन ─ घर पहुंच गया क्या बे लौड़े?

अगले ही पल उधर से अपुन के कान में जो आवाज सुनाई दी उसे सुन के अपुन गांड़ तक कांप गया बेटीचोद। अमित के मोबाइल पर दूसरी तरफ साधना थी लौड़ा। उसी की आवाज सुन के अपुन गांड़ तक कांप गयला था, खास कर उसकी बात सुन कर।

साधना ─ मेरे प्यार का क्या खूब सिला दिया है बाबू। तुमसे ये उम्मीद नहीं थी मुझे।

बेटीचोद, पलक झपकते ही अपुन के दिलो दिमाग में हड़कंप सा मच गयला था। अपुन को भी ये उम्मीद नहीं थी कि वो अपने भाई के फोन से अपुन को कॉल कर देगी।

अपुन सोचने लगा कि क्या उसने अपने भाई को सब कुछ बता दिया होगा? ऐसा संभव तो नहीं था लौड़ा लेकिन उसका अमित के मोबाइल से कॉल करना अपुन के मन में शंका पैदा कर रेला था। फिर अपुन ने सोचा कि हो सकता है कि उसने अपने भाई को कुछ भी न बताया हो। ऐसी बात वो उसे बता भी कैसे सकती थी जिसके बाद खुद उसकी भी जान पर बन आती लौड़ा?

इसका मतलब ये हो सकता है कि जब उसे पता चल गया होगा कि अपुन ने ये सब करने के बाद उसका नंबर भी ब्लॉक कर दियेला है तो उसने अपुन से बात करने के लिए अपने भाई से मोबाइल मांगा होगा और अब वो उसी के फोन से अपुन से बात कर रेली थी।

अपुन सोचने लगा कि भले ही उसने अपने भाई को कुछ न बताया हो लेकिन अपुन को तो सतर्क रहना ही होगा न। बोले तो कॉल पर ऐसा कुछ भी नहीं बोलना चाहिए जिससे प्रॉब्लम खड़ी हो जाए बेटीचोद। हो सकता है कि वो लौड़ी अपुन की बातें रिकार्ड कर ले। इस एहसास ने एक बार फिर से अपुन को गांड़ तक कंपा दिया लौड़ा। तभी उसकी आवाज फिर से अपुन के कान में उभरी।

साधना ─ कुछ बोलते क्यों नहीं बाबू? मुझे बताओ कि ऐसा क्यों किया तुमने?

अपुन समझ गया कि इस वक्त उससे कुछ भी बोलना खतरे से खाली नहीं है बेटीचोद। इस लिए अपुन ने सीधे कॉल ही डिस्कनेक्ट कर दिया लौड़ा। बात ये नहीं थी कि अपुन उससे डर गयला था बल्कि असल बात ये थी कि अपुन नहीं चाहता था कि वो इस मामले में अपुन की कोई भी बात रिकार्ड कर ले।

अपुन के मन में एक ही खयाल था कि जब वो लौड़ी अपुन को फंसाने के लिए अपुन के साथ खुद का सेक्स वीडियो बना सकती थी तो इसके अलावा भी कुछ भी कर सकती थी। बोले तो अब उस पर अपुन को कोई भरोसा नहीं था बेटीचोद।

कॉल कट करने के बाद अपुन ये सोच ही रेला था कि तभी फिर से उसका कॉल आने लगा लेकिन इस बार अपुन ने उसका कॉल पिक ही नहीं किया।

अब तक अपुन घर से बाहर आ गयला था और गार्डन में टहलते हुए यही सोच रेला था कि इतनी आसानी से इस लौड़ी से पीछा नहीं छूटेगा। मतलब साफ है कि जिसने अपुन का लाइफ पार्टनर बनने के लिए अपना सब कुछ अपुन को सौंप दिया हो और इसके साथ ही ऐसा कदम भी उठा लिया हो तो क्या वो अपुन के सिर्फ ऐसा कर देने से अपुन का पीछा छोड़ देगी?

अपुन ने जब इस बारे में अच्छे से, बोले तो गांड़ तक की गहराई से सोचा तो यही समझ आया कि वो इतनी आसानी से अपुन का पीछा नहीं छोड़ेगी। इस सच्चाई से अपुन एक बार फिर गांड़ तक कांप गया बेटीचोद।

खैर अपुन यही सब सोचते हुए गार्डन में टहलता रहा और साधना का बार बार कॉल आता रहा। अपुन ने दुबारा उसका कॉल पिक ही नहीं किया। वैसे देखा जाए तो सारी की सारी गलती उसी की थी। बोले तो अगर वो अपन दोनों के बीच इतना आसान माहौल न बना देती तो अपन दोनों के बीच ये सब होता ही नहीं।

दूसरी बात, उसको अपुन ने पहले ही बता दियेला था कि अपुन उसके प्यार को एक्सेप्ट नहीं कर सकता और ना ही उससे शादी करने का सोच सकता है। इसके बावजूद उसने खुद को इस तरह परोसा और अपुन को धोखा दे कर अपन दोनों के सेक्स का वीडियो बना लिया। तो कहने का मतलब यही है कि सारी की सारी गलती उसी की थी और अब जब अपुन ने उसका सारा खेल ही खत्म कर दिया तो उल्टा वो अपुन को ही ब्लेम कर रेली थी।

हालांकि अपुन चाहता तो उसे उसकी बातों का बेहतर जवाब दे देता लेकिन दिया इस लिए नहीं क्योंकि अपुन को शक था कि कहीं वो इस मामले में अपन लोग के बीच होने वाली बातें न रिकार्ड कर ले। जाहिर है इस मामले में हुई अपन लोग की बातें उसके लिए इस बात का सबूत बन जातीं कि हां अपुन का उससे इस तरह का संबंध रहा है। इसके बाद जब वो अपने घर वालों को वो सबूत सुनाती तो अपुन की बर्बादी होना तय था बेटीचोद।

खैर अभी के लिए तो अपुन ने इस मुसीबत से पीछा छुड़ा लिया था लेकिन हमेशा के लिए छुड़ाने के लिए कुछ न कुछ जरूर करना होगा। अपुन सोचने लगा कि ऐसा क्या किया जाए बेटीचोद?

हालांकि एक सच ये भी है कि वो अगर ढिंढोरा पीट कर भी सबको बताती तब भी अपुन का झांट बराबर भी कुछ न होता। बोले तो अपुन की फैमिली या ये कहें कि अपुन के डैड अपुन को इस मामले में कुछ भी न होने देते लेकिन ये भी सच है कि इस मामले के ओपन हो जाने से अपुन का कैरेक्टर अभी जो सबके लिए साफ सुथरा है वो गंदा हो जाता।

अमित जो अपुन का जिगरी दोस्त है वो अपुन का दुश्मन हो जाता। हालांकि वो भी अपुन का झांट बराबर भी कुछ न उखाड़ पाता लेकिन बेटीचोद अपुन को बददुआ तो देता ही, हर जगह बदनाम तो करता ही। इसके साथ साथ दोनों फैमिली के बीच जो बेहतर रिलेशन थे वो भी खराब हो जाते। बोले तो इस सबके बाद अपुन की लाइफ पर काफी असर पड़ता।

खैर ये सब तो अभी संभावनाओं की बातें थी लेकिन इस वक्त जो प्रॉब्लम आ कर खड़ी हो गईली थी उससे हमेशा के लिए छुटकारा पाना बहुत जरूरी था अपुन के लिए।

~~~~~~

रात डिनर टेबल पर अपन सब डिनर कर रेले थे। दिव्या और विधी आपस में कुछ न कुछ बोल रेली थीं। बीच बीच में अपुन भी उनसे बोल रेला था लेकिन साक्षी दी चुपचाप खाना खा रेली थीं।

अपुन ये तो समझता था कि वो अपुन से बात नहीं करना चाहती थीं लेकिन उन्हें ये भी तो समझना चाहिए था कि उनका एकदम से अपुन से बात करना बंद कर देना बाकी लोगों के मन में सवाल खड़े कर सकता है। घर के बाकी लोग ये सोचने पर मजबूर हो सकते हैं कि आखिर अपन दोनों के बीच ऐसा क्या हो गयला है जिसकी वजह से अपन दोनों एक दूसरे से बात नहीं कर रेले हैं?

अपुन ने यही सब सोच कर उनसे बात करने का मन बना लिया। बोले तो अपुन नहीं चाहता था कि किसी के मन में अपन दोनों के बारे में ऐसा कोई सवाल पैदा हो जाए बेटीचोद।

अपुन ─ क्या हुआ दी? मैं कल से देख रहा हूं कि आप हम सबके बीच एकदम चुप रहती हैं। कोई प्रॉब्लम हो गई है क्या? अगर ऐसा है तो आप हम लोगों से शेयर कीजिए न।

अपुन की ये बातें सुन कर साक्षी दी ने एकदम से चौंक कर अपुन की तरफ देखा और फिर दिव्या और विधी की तरफ भी। अब क्योंकि उन दोनों के सामने वो अपुन से उल्टा सीधा कुछ बोल नहीं सकती थीं इस लिए खुद को नॉर्मल कर के कहा।

साक्षी दी ─ नहीं भाई, ऐसी तो कोई बात नहीं है।

अपुन ─ अगर सच में ऐसी कोई बात नहीं है तो आप इस तरह हम लोगों के सामने चुप सी क्यों हैं?

साक्षी दी ने इस बार घूर कर देखा अपुन को। फिर जल्दी ही नॉर्मल हो गईं और बोली।

साक्षी दी ─ अरे! दिन भर कंपनी में लोगों से बक बक कर के थक जाती हूं न इस लिए तुम सबके बीच शांत हूं। वैसे भी जब कोई ज़रूरी बात करनी होती है तो करती ही हूं न। तू इस बारे में ज़्यादा मत सोच और आराम से खाना खा।

अपुन उनकी बात सुन कर मन ही मन मुस्कुराया। उन्होंने भले ही नॉर्मली ये सब कहा था लेकिन उनके चेहरे पर उभरी थोड़ी सख्ती इस बात का एविडेंस थी कि उन्हें अपुन का इस तरह से उनसे बात करना अच्छा नहीं लगा था। हालांकि अपुन ये सोच के भी हैरान था कि अपुन की सिर्फ उतनी सी बातों से उन्होंने ऐसा रुख अपना लिया था। बोले तो अगर वो सच में चाहती थीं कि अपुन के मन से उनके लिए ऐसी फीलिंग्स जड़ से ही मिट जाएं तो इसके लिए उन्हें कोई दूसरा रास्ता भी तो अपनाना चाहिए था? यूं एकदम से अपुन से बात करना बंद कर देना या अपुन की तरफ देखना बंद कर देने से क्या प्रॉब्लम मिट जाएगी?

खैर अपुन को अच्छा तो नहीं लग रेला था लेकिन कर भी क्या सकता था बेटीचोद? डिनर के बाद सब अपने अपने रूम की तरफ चल पड़े।

रात कुछ खास नहीं हुआ। अपुन के रूम में न विधी आई और ना ही दिव्या। हालांकि अपुन ऐसा चाहता भी नहीं था क्योंकि अपुन को साधना वाले मैटर पर सोच विचार करना था। बोले तो अपुन को जल्द से जल्द उससे हमेशा के लिए पीछा छुड़ाना था बेटीचोद।

~~~~~~

अगली सुबह काफी अच्छे तरीके से हुई। बोले तो अपुन सो रेला था और विधी अपुन के चेहरे पर झुकी अपुन के होठों पर किस कर रेली थी। उसकी गर्म सांसें अपुन के चेहरे पर पड़ रेली थीं जिससे कुछ ही देर में अपुन की आंख खुल गई।

अपुन ने जब उसे ये सब करते देखा तो पहले तो चौंक ही पड़ा लेकिन फिर खुश हो कर अपुन ने झट से उसे दोनों हाथ से पकड़ कर अपने ऊपर ही गिरा लिया। अपुन की इस हरकत से वो बुरी तरह डर गई और घबरा कर चीखने ही वाली थी कि अपुन ने झट से अपने होठ उसके गुलाबी होठों पर रख दिए जिससे उसकी चीख अपुन के मुंह में ही दब गई लौड़ा।

सुबह सुबह अपनी जुड़वा बहन के शहद जैसे मीठे होठों का स्वाद चखने से अलग ही फील आने लग गयला था। उधर वो अपुन की गिरफ्त से खुद को छुड़ाने की कोशिश में लगी थी। हालांकि उसकी कोशिश बस दिखावा जैसी ही लग रेली थी इसी लिए तो अपुन भी उसे नहीं छोड़ रेला था और उसके होठों को चूसने में लगा था बेटीचोद।

थोड़ी देर बाद जब अपन दोनों की ही सासें फूलने लग गईं तो अपुन ने उसे छोड़ दिया। अपुन के छोड़ देने पर भी वो बेसुध सी अपुन के ऊपर ही लेटी रही। उसके सीने के उभार अपुन के सीने में धंसे रहे। अपुन का लन्ड जो पहले ही पेशाब के प्रेसर से खड़ा था वो और भी ज्यादा अकड़ गयला था बेटीचोद। शुक्र था कि विधी के बदन का निचला हिस्सा अपुन के लन्ड के ऊपर नहीं था। वो बस पेट और सीने के साथ ही अपुन के ऊपर लेटी थी।

अपुन ─ क्या हुआ मेरी जान को? अब यूं ही अपुन के ऊपर लेटी रहेगी या उठेगी भी? या अगर और किस करने का मन हो तो बता।

अपुन की बात सुनते ही विधी हड़बड़ा कर अपुन के ऊपर से उठ कर नीचे फर्श पर खड़ी हो गई। उसका खिला हुआ चेहरा शर्म की वजह से हल्का सुर्ख पड़ गयला था। कुछ पलों तक वो अपुन से शर्म के मारे नजरें चुराती रही फिर जैसे उसने खुद को नॉर्मल किया और अपुन को घूरते हुए मुस्कुरा कर बोली।

विधी ─ तू न बहुत गंदा है। माना कि तेरी गर्लफ्रेंड हूं लेकिन इसका मतलब ये थोड़ी है कि तू मेरे साथ ऐसा करे। गंदा कहीं का, हां नहीं तो।

अपुन (हंस कर) ─ लो कर लो बात। खुद तो अपुन को सोते में किस किए जा रेली थी और जब अपुन ने कुछ किया तो अपुन को गंदा बोल रेली है। वाह! खुद को अच्छा और सच्चा साबित करने का क्या मस्त तरीका अपनाया है मेरी इस खूबसूरत गर्लफ्रेंड ने।

अपुन की ये बात सुन कर विधी फिर से शर्मा गई। उसके गुलाबी होठों की मुस्कान कुछ ज्यादा ही गहरी हो गई। फिर एकदम से बेड के किनारे पर बैठ कर बोली।

विधी ─ हां तो मैं क्या करती? तू सोते हुए इतना प्यारा लग रहा था तो मुझसे रहा ही नहीं गया और फिर मैं तुझे किस करने लगी। क्या तुझे मेरे किस करने से बुरा लगा?

अपुन ─ नहीं मेरी जान। अपुन को सच में बहुत अच्छा लगा। अपुन तो चाहता है कि अपुन की हर सुबह ऐसे ही हो। बोले तो हर सुबह जब अपुन की आंख खुले तो अपुन तुझे ही देखे और हां तू ऐसे ही अपुन को किस कर के उठाए।

विधी का चेहरा शर्म से वैसे ही सुर्ख था अब ये बातें सुन कर और भी हो गया। इस वक्त वो सच में बहुत प्यारी लग रेली थी। खिले हुए चेहरे पर शर्म की लाली। गुलाब की पंखुड़ियों पर गहरी मुस्कान और हल्के हल्के कांपते होठ। उफ्फ अपुन का मन मचल उठा। मन किया कि फिर से उसके होठों को मुंह में भर चूसना शुरू कर दे लेकिन फिर अपुन ने अपनी इस इच्छा को सख्ती से दबाया।

विधी ─ क्या तू सच कह रहा है भाई? मतलब क्या सच में तू यही चाहता है?

अपुन ─ हां, अगर तुझे कोई प्रॉब्लम न हो तो।

विधी ─ मुझे तो कोई प्रॉब्लम नहीं है।

अपुन ─ तो ठीक है फिर। अब से तू अपुन को हर सुबह ऐसे ही उठाएगी।

विधी का चेहरा खुशी के मारे और भी खिल उठा लौड़ा। फिर मुस्कुराते हुए बोली।

विधी ─ पक्का भाई। अब से मैं हर सुबह तुझे ऐसे ही उठाऊंगी, हां नहीं तो।

अपुन ─ अच्छा एक बात और है। मतलब कि अगर अपुन दिव्या को भी अपनी गर्लफ्रेंड बना लेगा तो तेरी तरह वो भी तो अपुन के साथ ऐसा ही करने का सोचेगी।

विधी ─ अरे! ऐसे कैसे सोचेगी वो? न, मैं उसे तेरे साथ कुछ भी नहीं करने दूंगी। मेरी जान को सिर्फ मैं ही किस करूंगी, हां नहीं तो।

अपुन समझ गया कि एक बार फिर से वो अपुन पर सिर्फ अपना ही हक जता रेली है और चाहती भी है कि हर कीमत पर ऐसा ही हो। जबकि अपुन अच्छी तरह समझता था कि अगर उसके अनुसार अपुन चला तो आगे मामला बिगड़ जाएगा लौड़ा।

अपुन ─ अच्छा तुझे एक बात बताता है अपुन।

विधी ─ कौन सी बात भाई?

अपुन ─ सुन तो। अपुन ने कहीं पढ़ा था कि सच्चा प्यार जो होता है न वो कभी भी किसी पर अपना हक नहीं जताता और ना ही प्यार करने वाला ये सोचता है कि अगर उसके प्रेमी को किसी और ने भी प्रेम कर लिया तो क्या होएगा? बोले तो सच्चा प्यार करने वाला ये सब सोचता ही नहीं है। वो तो सिर्फ प्यार करना जानता है। उसे तब भी खुशी मिलती है जब कोई और भी उसके प्रेमी को प्रेम करने लगता है।

विधी ─ ये तू कैसी बात कर रहा है भाई? कोई ऐसा कैसे हो सकता भला? और वो प्यार करने वाला ऐसे में कैसे खुश हो सकता है? तू न कुछ भी बोलता है और सोचता है कि मैं मान लूंगी? इतनी बुद्धू नहीं हूं मैं, हां नहीं तो।

अपुन उसकी इन बातों पर मन ही मन हंस पड़ा लेकिन फिर उसे समझाते हुए कहा।

अपुन ─ अभी तूने अपुन की बात को अच्छे से सुना ही नहीं है। बोले तो तुझे अपुन की इस बात की गहराई में जाना था और फिर समझना था कि अपुन की इन बातों में कितनी बड़ी बात छुपी है।

विधी ─ तू ये गोल मोल बात कर के मुझे कन्फ्यूज क्यों कर रहा है? साफ साफ बता न क्या कहना चाहता है?

अपुन ─ देख, अपुन का मतलब ये था कि जो किसी से सच्चा प्यार करता है उसकी नजर में उसका प्रेमी या प्रेमिका दुनिया में सबसे खास होते हैं। ये बात तू भी समझती है कि नहीं, बता?

विधी ─ हां ये तो तू सही कह रहा है।

अपुन ─ गुड, यानि प्यार करने वाला ये समझता है कि उसके प्रेमी से अच्छा दुनिया में कोई नहीं है। तभी तो उसके दिल में उसके लिए इतना प्रेम होता है। अब तू खुद सोच कि जिसकी नजर में उसका प्रेमी दुनिया का सबसे अच्छा इंसान हो उसे अगर कोई गलत बोले या गाली दे तो कैसा लगेगा?

विधी ─ फिर तो बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगेगा भाई।

अपुन ─ और अगर कोई उसके प्रेमी को सबसे अच्छा कहे और उसे नफरत की जगह प्यार से देखे तो कैसा लगेगा?

विधी ─ बहुत अच्छा लगेगा भाई।

अपुन ─ वेरी गुड। अब तू खुद सोच कि तू क्या कर रेली थी?

विधी एकदम से चकरा गई। जैसे उसे समझ ही न आया कि अपुन ने अभी क्या बोला उसको?

विधी ─ मैं कुछ समझी नहीं भाई? तू क्या कह रहा है ये?

अपुन ─ तुझे उस बात से प्रॉब्लम थी कि दिव्या अपुन को न प्यार करे और ना ही और कुछ करे। यानि अपुन के साथ जो भी करे सिर्फ तू ही करे। अरे! सिंपल सी बात है कि जब तेरा ब्वॉयफ्रेंड तेरी नजर में सबसे खास है तो उससे हर कोई प्यार करना चाहेगा न। अब अगर तेरे सामने कोई अपुन को ये कह देगा कि अपुन बहुत गंदा है और वो अपुन से नफरत करती है तो क्या तुझे ये अच्छा लगेगा, नहीं न? यानि तू यही चाहेगी कि जिसे तू पसंद करती है उससे कोई भी नापसंद न करे और ना ही उससे कोई नफरत करे।

विधी ─ हां मैं तो यही चाहूंगी भाई।

अपुन ─ तो अब तू खुद सोच कि जब तू यही चाहती है तो फिर लोग अपुन से क्या करेंगे? बोले तो प्यार ही करेंगे न? जैसे तू अपुन से करती है और अपुन के साथ किस करती है ठीक वैसे ही दिव्या भी तो चाहेगी। अब कुछ समझ आया तुझे?

विधी को शायद अब बात समझ आ गईली थी लेकिन फिर भी थोड़ी झिझक के साथ ही उसने हां में सिर हिलाया।

विधी ─ बात तो तू सही कह रहा भाई लेकिन पता नहीं क्यों मुझे ये अच्छा नहीं लगता कि मेरे सिवा कोई और भी तुझे मेरे जैसे पसंद करे।

अपुन ─ क्योंकि तू अपुन पर सिर्फ अपना हक समझती है। जबकि सच्चा प्रेम करने वाला कभी अपने चाहने वाले पर हक नहीं जताता। बल्कि वो यही चाहता है कि जैसे वो चाहती है उसी तरह हर कोई उसके चाहने वाले को चाहे। एक बात और, अगर सच्चाई की बात करे तो अपुन पर तेरे अलावा भी न जाने कितनों का हक है। सबसे पहले तो अपन लोग के मॉम डैड का, क्योंकि उन्होंने अपुन को पैदा किएला है, फिर दी लोग का, तेरा और अपन लोग के सभी फैमिली का। ऐसे में क्या तू ये कहेगी कि नहीं, वो सब लोग अपुन को न चाहें, सिर्फ तू अपुन पर अपना हक समझे?

विधी ─ तू सच कह रहा है भाई। मैं सच में सिर्फ अपने बारे में ही सोच रही थी। माय गॉड कितनी बुद्धू थी मैं। तुझ पर तो सच में सबका हक है। मॉम डैड, दी लोग भी तो तुझे प्यार करते हैं तो जाहिर है उनका भी तुझ पर हक होगा ही।

अपुन ─ वेरी गुड। अब जा कर तू अच्छे से समझ पाई है।

विधी ─ अरे! वो तो मैं पहले ही अच्छे से समझ जाती। इतनी बुद्धू नहीं हूं मैं। तुझे ही अच्छे से समझाना नहीं आ रहा था तो इसमें मेरी क्या गलती है, हां नहीं तो।

अपुन मन ही मन हंस पड़ा। खैर अपन लोग को फ्रेश होने के बाद और ब्रेकफास्ट करने के बाद कॉलेज भी जाने का था इस लिए अपुन ने विधी को जाने को बोला और खुद बाथरूम में घुस गया लौड़ा।

आज मॉम डैड आने वाले थे। उनके आने के बाद अपुन को थोड़ा सम्हल के रहना होगा, खास कर मॉम से क्योंकि वो घर पर ही रहती हैं और कभी भी किसी के भी रूम में आ जा सकती हैं।

ब्रेकफास्ट के लिए अपन लोग डायनिंग टेबल पर बैठेले थे। आज साक्षी दी भी अपन लोग के साथ ही बैठी थीं। अपुन को एक नज़र देखने के बाद उन्होंने अपना ब्रेकफास्ट करना शुरू कर दिया था। इधर अपुन सोच रेला था कि साक्षी दी से बात करने का जुगाड़ बनाना ही होगा। बोले तो उन्हें ये एहसास करवाना ही होगा कि अपुन से बात चीत न करने से बाकी लोग जाने कैसे कैसे सवाल खड़े करने लगेंगे। विधी और दिव्या ने तो फिलहाल अभी कुछ नहीं सोच था लेकिन मॉम जल्दी ही फील कर लेंगी कि अपन दोनों के बीच कोई प्रॉब्लम जरूर है।

कॉलेज जाने का टाइम हुआ तो अपन लोग निकल पड़े। हर रोज की तरह दिव्या अपुन के साथ बाइक में पीछे बैठ गई जबकि विधी अपनी स्कूटी से चल पड़ी।

~~~~~~

रास्ते में एक जगह प्लान के अनुसार अपुन ने अपनी बाइक की स्पीड कम कर दी ताकि विधी के साथ साथ ही चल सके और दिव्या उसके सामने अपुन से गर्लफ्रेंड बना लेने की बात बोल सके

थोड़ी देर में जब अपुन विधी के बराबर से बाइक चलाने लगा तो दिव्या ने थोड़ा ऊंची आवाज में अपुन से कहा।

दिव्या ─ भैया, विधी दी की तरह आप मुझे भी अपनी गर्लफ्रेंड बना लीजिए न।

उसकी बात सुनते ही स्कूटी चला रही विधी ने चौंक कर उसकी तरफ देखा और फिर अपुन की तरफ। इधर अपुन ने एक नजर विधी को देखने के बाद कहा।

अपुन ─ अरे! ये क्या बोल रेली है तू? पागल है क्या?

दिव्या ─ अच्छा तो अब आप मुझे पागल कहेंगे? वाह! भैया, मैं आपकी सगी बहन नहीं हूं इस लिए आप मुझे अपनी गर्लफ्रेंड नहीं बनाना चाहते और मुझे पागल कह रहे हैं।

अपुन ─ अरे! यार ऐसी कोई बात नहीं है।

दिव्या ─ ऐसी ही बात है भैया। मैं अच्छे से समझ गई हूं कि आप सिर्फ विधी दी को ही अपनी बहन मानते हैं और उन्हें दिल से प्यार करते हैं।

अपुन ─ यार तू कैसी बात कर रेली है? अपुन तुझे भी उतना ही प्यार करता है जितना विधी को।

दिव्या ─ अगर ये सच है तो फिर मुझे भी दी के जैसे अपनी गर्लफ्रेंड बनाईए, तभी मानूंगी नहीं तो नहीं।

विधी हैरानी से कभी दिव्या को देखती कभी अपुन को। अपुन जानता था कि विधी को ये उम्मीद नहीं थी कि दिव्या अचानक से इस तरह खुद को अपुन की गर्लफ्रेंड बना लेने की बात बोल देगी।

अपुन ─ अच्छा ठीक है। अगर तुझे गर्लफ्रेंड बना लेने पर ही यकीन आएगा तो ठीक है। अपुन तुझे भी अपनी गर्लफ्रेंड बना लेता है।

दिव्या ये सुन कर खुशी से उछलने लगी जिससे उसके बूब्स अपुन की पीठ पर रगड़ने लगे। अपुन के पूरे जिस्म में रोमांच की लहरें दौड़ने लगीं लौड़ा। उधर विधी स्कूटी चलाते हुए थोड़ा शॉक से देखने लगती थी अपन दोनों को। तभी दिव्या अपने बूब्स को और भी ज्यादा अपुन की पीठ पर धंसाती हुई बोली।

दिव्या ─ वॉव! भैया, क्या सच कह रहे हैं आप? मतलब क्या सच में आपने मुझे भी अपनी गर्लफ्रेंड बना किया है?

अपुन ─ हां यार। क्या अब भी तुझे अपुन पर यकीन नहीं है?

दिव्या ─ है भैया। अब मुझे यकीन हो गया है आप मुझे भी विधी दी के जैसे प्यार करते हैं।

विधी ─ चल इतना ज्यादा खुश होने की जरूरत नहीं है तुझे और हां ये बात घर में किसी को मत बताना वरना बहुत बड़ी गड़बड़ हो जाएगी, हां नहीं तो।

दिव्या ─ डोंट वरी दी। मुझे भी पता है कि ये बात किसी को पता चलने लायक नहीं है।

अपुन सोच रेला था कि अब इसके बाद पता नहीं क्या होने वाला है? बोले तो कुछ तो खास जरूर होगा ये पक्की बात है। मतलब कि कोई लड़की अगर किसी की गर्लफ्रेंड बन जाती है तो उस रिश्ते के चलते कुछ तो चेंज होता ही है।

खैर देखते हैं क्या होता है, फिलहाल तो अपुन मजे में था क्योंकि दिव्या कुछ ज्यादा ही अपुन से चिपकी हुई थी। उसके बूब्स के निप्पल तक अपुन को फील हो रेले थे। अपुन का लन्ड जाने कब का सिर उठा बैठा था बेटीचोद। तभी दिव्या ने थोड़ा ऊंची आवाज में मुझसे कहा।

दिव्या ─ अच्छा भैया, आपने और विधी दी ने तो गर्लफ्रेंड बॉयफ्रेंड बनने के बाद एक दूसरे को किस किया था तो क्या अब मैं भी आपको किस कर सकती हूं? और...और आप भी मुझे किस करेंगे न?

उसकी ये बात सुनते ही जहां अपुन की धड़कनें बढ़ गईं वहीं स्कूटी चला रही विधी ने उसको घूर कर देखा। जबकि विधी के घूरने की परवाह किए बिना दिव्या ने मुस्कुराते हुए फिर से कहा।

दिव्या ─ बताइए न भैया, अब हम भी एक दूसरे को किस करेंगे न?

अपुन ─ अच्छा ठीक है कर लेंगे लेकिन यहां नहीं बल्कि घर में और वो भी अपने सामने।

दिव्या ये सुन कर और भी ज्यादा खुशी से झूम उठी और इस बार अपने दोनों हाथों को अपुन की छाती और पेट के बीच ला कर अपुन को कस लिया। इससे उसके बूब्स और भी ज्यादा अपुन की पीठ पर जैसे पिस गए लौड़ा। अपुन के मन में खयाल उभरा कि ये लौड़ी अपुन को यहीं पर झड़ा देगी लगता है।

खैर ऐसी ही बातों के साथ अपन लोग कॉलेज पहुंच गए। दिव्या तो बहुत खुश थी लेकिन विधी का चेहरा थोड़ा मायूस था। शायद वो अभी भी अपुन को दिव्या के साथ बांटना नहीं चाहती थी लेकिन मजबूरी के चलते उसने इतना एक्सेप्ट कर लिया था।

पार्किंग में बाइक और स्कूटी खड़ी करने के बाद अपन लोग कॉलेज के अंदर की तरफ चल दिए। अपुन के अगल बगल दोनों कमसिन और नाजुक बदन की परियां चल रेली थीं और अपुन ऐसा फील कर रेला था जैसे अपुन कहीं का महाराज है बेटीचोद।

थोड़ी ही देर में जब दिव्या अपनी क्लास की तरफ चली गई तो विधी ने इधर उधर देखने के बाद अपुन से कहा।

विधी ─ तूने उसको किस करने के लिए हां क्यों किया?

अपुन ─ यार तू अभी भी उसी सोच को ले के बैठी है? खुद सोच कि दुनिया में ऐसी कौन सी लड़की है जो किसी की गर्लफ्रेंड बनने के बाद ऐसी चाहत नहीं करेगी? तू भी तो यही चाहती है न, इसके अलावा भी और न जाने क्या क्या।

विधी ─ हां ये तो तू सही कह रहा है। अच्छा ठीक है तू उसे भी किस कर लेना।

अपुन ─ देख, अब तू और वो दोनों ही एक जैसी सिचुएशन में हो इस लिए तुझे उसके साथ अच्छे से मिल जुल के रहना होगा। न तू उसे किसी बात के लिए रोकेगी और ना ही वो रोकेगी। ऐसे में होगा ये कि अपन लोग के बीच कभी भी कोई प्रॉब्लम नहीं आएगी और अपन लोग खूब एंजॉय कर सकेंगे।

विधी ─ अच्छा क्या सच में?

अपुन ─ और नहीं तो क्या?

विधी ─ फिर ठीक है। अब से मैं ऐसा ही करूंगी लेकिन तू सबसे पहले मुझे ही किस किया करेगा और....और मॉर्निंग में भी मैं ही तुझे जगाने आऊंगी। देख ये बात तो तुझे माननी ही होगी वरना मैं नाराज हो जाऊंगी तुझसे, हां नहीं तो।

अपुन ─ ठीक है। अब चल क्लास का टाइम हो रेला है।

उसके बाद अपन दोनों खुशी खुशी क्लास की तरफ चल दिए। अभी कुछ ही कदम चले थे कि सामने से रीना आती दिखी और उसके पीछे शनाया भी।

उन दोनों को देख विधी का मुंह बन गया लेकिन उसने कहा कुछ नहीं। थोड़ी ही देर में वो दोनों अपन लोग के पास आ गईं और अपन लोग को हैलो हाय करने लगीं।

अपुन लड़कियों के बीच से निकल कर आगे बढ़ गया। असल में अपुन को अमित से मिलने का था। अपुन उससे मिल के ये देखना चाहता था कि वो अपुन से कैसा बिहेव करता है? असल में अपुन ये सोच रेला था कि कहीं साधना ने उसे कुछ बता तो नहीं दिया है जिसकी वजह से अमित का बर्ताव अपुन के लिए चेंज हो गया हो।


To be continued....
Nice and superb update....
 

kas1709

Well-Known Member
9,559
10,057
173
Update ~ 21




इधर अपुन ये सोचने लगा कि मॉम डैड के आने के बाद से अपुन को थोड़ा सम्हल कर ये सब करना होगा। इसके साथ ही अपुन ये भी सोचने लगा कि साक्षी दी ने अपुन की तरफ एक नजर देखा तो था लेकिन अपुन से कोई बात नहीं की थी। बेटीचोद अपुन की भी हिम्मत नहीं हो रेली थी कि अपुन खुद ही उनसे बात करे। खैर देखते हैं आने वाले समय में क्या होने वाला है?


अब आगे....


सीमा किचेन में रात के लिए डिनर बना रेली थी। वो सात या साढ़े सात बजे तक डिनर बना के चली जाती थी। हालांकि ऐसा तभी होता था जब मॉम नहीं होतीं थी। इधर साक्षी दी भी फ्रेश होने के बाद और चाय पीने के बाद किचेन में उसकी हेल्प के लिए चली गईली थीं।

अपुन ने नोटिस किया कि वो अपुन के सामने आने से परहेज कर रेली थीं। अपुन को थोड़ा बुरा तो लगा लेकिन अपुन कर भी क्या सकता था? तभी अपुन ने फील किया कि अपुन का मोबाइल वाइब्रेट हो रेला है।

अपुन ने मोबाइल निकाल कर स्क्रीन पर फ्लैश हो रहे अमित के नाम को देखा तो समझ गया कि वो शायद अपनी मम्मी को ले कर घर आ गया है। यहां आने के बाद अब वो अपुन से बात करने के लिए कॉल किएला है।

अपुन क्योंकि सोफे में दिव्या और विधी के बीच में बैठा था इस लिए उन दोनों ने भी एक नजर अपुन के मोबाइल स्क्रीन पर डाली और फिर वापस टीवी देखने लगीं। इधर अपुन ने सोचा बाहर जा के अमित से बात किया जाए इस लिए सोफे से उठ कर मेन गेट की तरफ बढ़ चला और साथ ही कॉल पिक कर के कान से लगाते ही बोला।

अपुन ─ घर पहुंच गया क्या बे लौड़े?

अगले ही पल उधर से अपुन के कान में जो आवाज सुनाई दी उसे सुन के अपुन गांड़ तक कांप गया बेटीचोद। अमित के मोबाइल पर दूसरी तरफ साधना थी लौड़ा। उसी की आवाज सुन के अपुन गांड़ तक कांप गयला था, खास कर उसकी बात सुन कर।

साधना ─ मेरे प्यार का क्या खूब सिला दिया है बाबू। तुमसे ये उम्मीद नहीं थी मुझे।

बेटीचोद, पलक झपकते ही अपुन के दिलो दिमाग में हड़कंप सा मच गयला था। अपुन को भी ये उम्मीद नहीं थी कि वो अपने भाई के फोन से अपुन को कॉल कर देगी।

अपुन सोचने लगा कि क्या उसने अपने भाई को सब कुछ बता दिया होगा? ऐसा संभव तो नहीं था लौड़ा लेकिन उसका अमित के मोबाइल से कॉल करना अपुन के मन में शंका पैदा कर रेला था। फिर अपुन ने सोचा कि हो सकता है कि उसने अपने भाई को कुछ भी न बताया हो। ऐसी बात वो उसे बता भी कैसे सकती थी जिसके बाद खुद उसकी भी जान पर बन आती लौड़ा?

इसका मतलब ये हो सकता है कि जब उसे पता चल गया होगा कि अपुन ने ये सब करने के बाद उसका नंबर भी ब्लॉक कर दियेला है तो उसने अपुन से बात करने के लिए अपने भाई से मोबाइल मांगा होगा और अब वो उसी के फोन से अपुन से बात कर रेली थी।

अपुन सोचने लगा कि भले ही उसने अपने भाई को कुछ न बताया हो लेकिन अपुन को तो सतर्क रहना ही होगा न। बोले तो कॉल पर ऐसा कुछ भी नहीं बोलना चाहिए जिससे प्रॉब्लम खड़ी हो जाए बेटीचोद। हो सकता है कि वो लौड़ी अपुन की बातें रिकार्ड कर ले। इस एहसास ने एक बार फिर से अपुन को गांड़ तक कंपा दिया लौड़ा। तभी उसकी आवाज फिर से अपुन के कान में उभरी।

साधना ─ कुछ बोलते क्यों नहीं बाबू? मुझे बताओ कि ऐसा क्यों किया तुमने?

अपुन समझ गया कि इस वक्त उससे कुछ भी बोलना खतरे से खाली नहीं है बेटीचोद। इस लिए अपुन ने सीधे कॉल ही डिस्कनेक्ट कर दिया लौड़ा। बात ये नहीं थी कि अपुन उससे डर गयला था बल्कि असल बात ये थी कि अपुन नहीं चाहता था कि वो इस मामले में अपुन की कोई भी बात रिकार्ड कर ले।

अपुन के मन में एक ही खयाल था कि जब वो लौड़ी अपुन को फंसाने के लिए अपुन के साथ खुद का सेक्स वीडियो बना सकती थी तो इसके अलावा भी कुछ भी कर सकती थी। बोले तो अब उस पर अपुन को कोई भरोसा नहीं था बेटीचोद।

कॉल कट करने के बाद अपुन ये सोच ही रेला था कि तभी फिर से उसका कॉल आने लगा लेकिन इस बार अपुन ने उसका कॉल पिक ही नहीं किया।

अब तक अपुन घर से बाहर आ गयला था और गार्डन में टहलते हुए यही सोच रेला था कि इतनी आसानी से इस लौड़ी से पीछा नहीं छूटेगा। मतलब साफ है कि जिसने अपुन का लाइफ पार्टनर बनने के लिए अपना सब कुछ अपुन को सौंप दिया हो और इसके साथ ही ऐसा कदम भी उठा लिया हो तो क्या वो अपुन के सिर्फ ऐसा कर देने से अपुन का पीछा छोड़ देगी?

अपुन ने जब इस बारे में अच्छे से, बोले तो गांड़ तक की गहराई से सोचा तो यही समझ आया कि वो इतनी आसानी से अपुन का पीछा नहीं छोड़ेगी। इस सच्चाई से अपुन एक बार फिर गांड़ तक कांप गया बेटीचोद।

खैर अपुन यही सब सोचते हुए गार्डन में टहलता रहा और साधना का बार बार कॉल आता रहा। अपुन ने दुबारा उसका कॉल पिक ही नहीं किया। वैसे देखा जाए तो सारी की सारी गलती उसी की थी। बोले तो अगर वो अपन दोनों के बीच इतना आसान माहौल न बना देती तो अपन दोनों के बीच ये सब होता ही नहीं।

दूसरी बात, उसको अपुन ने पहले ही बता दियेला था कि अपुन उसके प्यार को एक्सेप्ट नहीं कर सकता और ना ही उससे शादी करने का सोच सकता है। इसके बावजूद उसने खुद को इस तरह परोसा और अपुन को धोखा दे कर अपन दोनों के सेक्स का वीडियो बना लिया। तो कहने का मतलब यही है कि सारी की सारी गलती उसी की थी और अब जब अपुन ने उसका सारा खेल ही खत्म कर दिया तो उल्टा वो अपुन को ही ब्लेम कर रेली थी।

हालांकि अपुन चाहता तो उसे उसकी बातों का बेहतर जवाब दे देता लेकिन दिया इस लिए नहीं क्योंकि अपुन को शक था कि कहीं वो इस मामले में अपन लोग के बीच होने वाली बातें न रिकार्ड कर ले। जाहिर है इस मामले में हुई अपन लोग की बातें उसके लिए इस बात का सबूत बन जातीं कि हां अपुन का उससे इस तरह का संबंध रहा है। इसके बाद जब वो अपने घर वालों को वो सबूत सुनाती तो अपुन की बर्बादी होना तय था बेटीचोद।

खैर अभी के लिए तो अपुन ने इस मुसीबत से पीछा छुड़ा लिया था लेकिन हमेशा के लिए छुड़ाने के लिए कुछ न कुछ जरूर करना होगा। अपुन सोचने लगा कि ऐसा क्या किया जाए बेटीचोद?

हालांकि एक सच ये भी है कि वो अगर ढिंढोरा पीट कर भी सबको बताती तब भी अपुन का झांट बराबर भी कुछ न होता। बोले तो अपुन की फैमिली या ये कहें कि अपुन के डैड अपुन को इस मामले में कुछ भी न होने देते लेकिन ये भी सच है कि इस मामले के ओपन हो जाने से अपुन का कैरेक्टर अभी जो सबके लिए साफ सुथरा है वो गंदा हो जाता।

अमित जो अपुन का जिगरी दोस्त है वो अपुन का दुश्मन हो जाता। हालांकि वो भी अपुन का झांट बराबर भी कुछ न उखाड़ पाता लेकिन बेटीचोद अपुन को बददुआ तो देता ही, हर जगह बदनाम तो करता ही। इसके साथ साथ दोनों फैमिली के बीच जो बेहतर रिलेशन थे वो भी खराब हो जाते। बोले तो इस सबके बाद अपुन की लाइफ पर काफी असर पड़ता।

खैर ये सब तो अभी संभावनाओं की बातें थी लेकिन इस वक्त जो प्रॉब्लम आ कर खड़ी हो गईली थी उससे हमेशा के लिए छुटकारा पाना बहुत जरूरी था अपुन के लिए।

~~~~~~

रात डिनर टेबल पर अपन सब डिनर कर रेले थे। दिव्या और विधी आपस में कुछ न कुछ बोल रेली थीं। बीच बीच में अपुन भी उनसे बोल रेला था लेकिन साक्षी दी चुपचाप खाना खा रेली थीं।

अपुन ये तो समझता था कि वो अपुन से बात नहीं करना चाहती थीं लेकिन उन्हें ये भी तो समझना चाहिए था कि उनका एकदम से अपुन से बात करना बंद कर देना बाकी लोगों के मन में सवाल खड़े कर सकता है। घर के बाकी लोग ये सोचने पर मजबूर हो सकते हैं कि आखिर अपन दोनों के बीच ऐसा क्या हो गयला है जिसकी वजह से अपन दोनों एक दूसरे से बात नहीं कर रेले हैं?

अपुन ने यही सब सोच कर उनसे बात करने का मन बना लिया। बोले तो अपुन नहीं चाहता था कि किसी के मन में अपन दोनों के बारे में ऐसा कोई सवाल पैदा हो जाए बेटीचोद।

अपुन ─ क्या हुआ दी? मैं कल से देख रहा हूं कि आप हम सबके बीच एकदम चुप रहती हैं। कोई प्रॉब्लम हो गई है क्या? अगर ऐसा है तो आप हम लोगों से शेयर कीजिए न।

अपुन की ये बातें सुन कर साक्षी दी ने एकदम से चौंक कर अपुन की तरफ देखा और फिर दिव्या और विधी की तरफ भी। अब क्योंकि उन दोनों के सामने वो अपुन से उल्टा सीधा कुछ बोल नहीं सकती थीं इस लिए खुद को नॉर्मल कर के कहा।

साक्षी दी ─ नहीं भाई, ऐसी तो कोई बात नहीं है।

अपुन ─ अगर सच में ऐसी कोई बात नहीं है तो आप इस तरह हम लोगों के सामने चुप सी क्यों हैं?

साक्षी दी ने इस बार घूर कर देखा अपुन को। फिर जल्दी ही नॉर्मल हो गईं और बोली।

साक्षी दी ─ अरे! दिन भर कंपनी में लोगों से बक बक कर के थक जाती हूं न इस लिए तुम सबके बीच शांत हूं। वैसे भी जब कोई ज़रूरी बात करनी होती है तो करती ही हूं न। तू इस बारे में ज़्यादा मत सोच और आराम से खाना खा।

अपुन उनकी बात सुन कर मन ही मन मुस्कुराया। उन्होंने भले ही नॉर्मली ये सब कहा था लेकिन उनके चेहरे पर उभरी थोड़ी सख्ती इस बात का एविडेंस थी कि उन्हें अपुन का इस तरह से उनसे बात करना अच्छा नहीं लगा था। हालांकि अपुन ये सोच के भी हैरान था कि अपुन की सिर्फ उतनी सी बातों से उन्होंने ऐसा रुख अपना लिया था। बोले तो अगर वो सच में चाहती थीं कि अपुन के मन से उनके लिए ऐसी फीलिंग्स जड़ से ही मिट जाएं तो इसके लिए उन्हें कोई दूसरा रास्ता भी तो अपनाना चाहिए था? यूं एकदम से अपुन से बात करना बंद कर देना या अपुन की तरफ देखना बंद कर देने से क्या प्रॉब्लम मिट जाएगी?

खैर अपुन को अच्छा तो नहीं लग रेला था लेकिन कर भी क्या सकता था बेटीचोद? डिनर के बाद सब अपने अपने रूम की तरफ चल पड़े।

रात कुछ खास नहीं हुआ। अपुन के रूम में न विधी आई और ना ही दिव्या। हालांकि अपुन ऐसा चाहता भी नहीं था क्योंकि अपुन को साधना वाले मैटर पर सोच विचार करना था। बोले तो अपुन को जल्द से जल्द उससे हमेशा के लिए पीछा छुड़ाना था बेटीचोद।

~~~~~~

अगली सुबह काफी अच्छे तरीके से हुई। बोले तो अपुन सो रेला था और विधी अपुन के चेहरे पर झुकी अपुन के होठों पर किस कर रेली थी। उसकी गर्म सांसें अपुन के चेहरे पर पड़ रेली थीं जिससे कुछ ही देर में अपुन की आंख खुल गई।

अपुन ने जब उसे ये सब करते देखा तो पहले तो चौंक ही पड़ा लेकिन फिर खुश हो कर अपुन ने झट से उसे दोनों हाथ से पकड़ कर अपने ऊपर ही गिरा लिया। अपुन की इस हरकत से वो बुरी तरह डर गई और घबरा कर चीखने ही वाली थी कि अपुन ने झट से अपने होठ उसके गुलाबी होठों पर रख दिए जिससे उसकी चीख अपुन के मुंह में ही दब गई लौड़ा।

सुबह सुबह अपनी जुड़वा बहन के शहद जैसे मीठे होठों का स्वाद चखने से अलग ही फील आने लग गयला था। उधर वो अपुन की गिरफ्त से खुद को छुड़ाने की कोशिश में लगी थी। हालांकि उसकी कोशिश बस दिखावा जैसी ही लग रेली थी इसी लिए तो अपुन भी उसे नहीं छोड़ रेला था और उसके होठों को चूसने में लगा था बेटीचोद।

थोड़ी देर बाद जब अपन दोनों की ही सासें फूलने लग गईं तो अपुन ने उसे छोड़ दिया। अपुन के छोड़ देने पर भी वो बेसुध सी अपुन के ऊपर ही लेटी रही। उसके सीने के उभार अपुन के सीने में धंसे रहे। अपुन का लन्ड जो पहले ही पेशाब के प्रेसर से खड़ा था वो और भी ज्यादा अकड़ गयला था बेटीचोद। शुक्र था कि विधी के बदन का निचला हिस्सा अपुन के लन्ड के ऊपर नहीं था। वो बस पेट और सीने के साथ ही अपुन के ऊपर लेटी थी।

अपुन ─ क्या हुआ मेरी जान को? अब यूं ही अपुन के ऊपर लेटी रहेगी या उठेगी भी? या अगर और किस करने का मन हो तो बता।

अपुन की बात सुनते ही विधी हड़बड़ा कर अपुन के ऊपर से उठ कर नीचे फर्श पर खड़ी हो गई। उसका खिला हुआ चेहरा शर्म की वजह से हल्का सुर्ख पड़ गयला था। कुछ पलों तक वो अपुन से शर्म के मारे नजरें चुराती रही फिर जैसे उसने खुद को नॉर्मल किया और अपुन को घूरते हुए मुस्कुरा कर बोली।

विधी ─ तू न बहुत गंदा है। माना कि तेरी गर्लफ्रेंड हूं लेकिन इसका मतलब ये थोड़ी है कि तू मेरे साथ ऐसा करे। गंदा कहीं का, हां नहीं तो।

अपुन (हंस कर) ─ लो कर लो बात। खुद तो अपुन को सोते में किस किए जा रेली थी और जब अपुन ने कुछ किया तो अपुन को गंदा बोल रेली है। वाह! खुद को अच्छा और सच्चा साबित करने का क्या मस्त तरीका अपनाया है मेरी इस खूबसूरत गर्लफ्रेंड ने।

अपुन की ये बात सुन कर विधी फिर से शर्मा गई। उसके गुलाबी होठों की मुस्कान कुछ ज्यादा ही गहरी हो गई। फिर एकदम से बेड के किनारे पर बैठ कर बोली।

विधी ─ हां तो मैं क्या करती? तू सोते हुए इतना प्यारा लग रहा था तो मुझसे रहा ही नहीं गया और फिर मैं तुझे किस करने लगी। क्या तुझे मेरे किस करने से बुरा लगा?

अपुन ─ नहीं मेरी जान। अपुन को सच में बहुत अच्छा लगा। अपुन तो चाहता है कि अपुन की हर सुबह ऐसे ही हो। बोले तो हर सुबह जब अपुन की आंख खुले तो अपुन तुझे ही देखे और हां तू ऐसे ही अपुन को किस कर के उठाए।

विधी का चेहरा शर्म से वैसे ही सुर्ख था अब ये बातें सुन कर और भी हो गया। इस वक्त वो सच में बहुत प्यारी लग रेली थी। खिले हुए चेहरे पर शर्म की लाली। गुलाब की पंखुड़ियों पर गहरी मुस्कान और हल्के हल्के कांपते होठ। उफ्फ अपुन का मन मचल उठा। मन किया कि फिर से उसके होठों को मुंह में भर चूसना शुरू कर दे लेकिन फिर अपुन ने अपनी इस इच्छा को सख्ती से दबाया।

विधी ─ क्या तू सच कह रहा है भाई? मतलब क्या सच में तू यही चाहता है?

अपुन ─ हां, अगर तुझे कोई प्रॉब्लम न हो तो।

विधी ─ मुझे तो कोई प्रॉब्लम नहीं है।

अपुन ─ तो ठीक है फिर। अब से तू अपुन को हर सुबह ऐसे ही उठाएगी।

विधी का चेहरा खुशी के मारे और भी खिल उठा लौड़ा। फिर मुस्कुराते हुए बोली।

विधी ─ पक्का भाई। अब से मैं हर सुबह तुझे ऐसे ही उठाऊंगी, हां नहीं तो।

अपुन ─ अच्छा एक बात और है। मतलब कि अगर अपुन दिव्या को भी अपनी गर्लफ्रेंड बना लेगा तो तेरी तरह वो भी तो अपुन के साथ ऐसा ही करने का सोचेगी।

विधी ─ अरे! ऐसे कैसे सोचेगी वो? न, मैं उसे तेरे साथ कुछ भी नहीं करने दूंगी। मेरी जान को सिर्फ मैं ही किस करूंगी, हां नहीं तो।

अपुन समझ गया कि एक बार फिर से वो अपुन पर सिर्फ अपना ही हक जता रेली है और चाहती भी है कि हर कीमत पर ऐसा ही हो। जबकि अपुन अच्छी तरह समझता था कि अगर उसके अनुसार अपुन चला तो आगे मामला बिगड़ जाएगा लौड़ा।

अपुन ─ अच्छा तुझे एक बात बताता है अपुन।

विधी ─ कौन सी बात भाई?

अपुन ─ सुन तो। अपुन ने कहीं पढ़ा था कि सच्चा प्यार जो होता है न वो कभी भी किसी पर अपना हक नहीं जताता और ना ही प्यार करने वाला ये सोचता है कि अगर उसके प्रेमी को किसी और ने भी प्रेम कर लिया तो क्या होएगा? बोले तो सच्चा प्यार करने वाला ये सब सोचता ही नहीं है। वो तो सिर्फ प्यार करना जानता है। उसे तब भी खुशी मिलती है जब कोई और भी उसके प्रेमी को प्रेम करने लगता है।

विधी ─ ये तू कैसी बात कर रहा है भाई? कोई ऐसा कैसे हो सकता भला? और वो प्यार करने वाला ऐसे में कैसे खुश हो सकता है? तू न कुछ भी बोलता है और सोचता है कि मैं मान लूंगी? इतनी बुद्धू नहीं हूं मैं, हां नहीं तो।

अपुन उसकी इन बातों पर मन ही मन हंस पड़ा लेकिन फिर उसे समझाते हुए कहा।

अपुन ─ अभी तूने अपुन की बात को अच्छे से सुना ही नहीं है। बोले तो तुझे अपुन की इस बात की गहराई में जाना था और फिर समझना था कि अपुन की इन बातों में कितनी बड़ी बात छुपी है।

विधी ─ तू ये गोल मोल बात कर के मुझे कन्फ्यूज क्यों कर रहा है? साफ साफ बता न क्या कहना चाहता है?

अपुन ─ देख, अपुन का मतलब ये था कि जो किसी से सच्चा प्यार करता है उसकी नजर में उसका प्रेमी या प्रेमिका दुनिया में सबसे खास होते हैं। ये बात तू भी समझती है कि नहीं, बता?

विधी ─ हां ये तो तू सही कह रहा है।

अपुन ─ गुड, यानि प्यार करने वाला ये समझता है कि उसके प्रेमी से अच्छा दुनिया में कोई नहीं है। तभी तो उसके दिल में उसके लिए इतना प्रेम होता है। अब तू खुद सोच कि जिसकी नजर में उसका प्रेमी दुनिया का सबसे अच्छा इंसान हो उसे अगर कोई गलत बोले या गाली दे तो कैसा लगेगा?

विधी ─ फिर तो बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगेगा भाई।

अपुन ─ और अगर कोई उसके प्रेमी को सबसे अच्छा कहे और उसे नफरत की जगह प्यार से देखे तो कैसा लगेगा?

विधी ─ बहुत अच्छा लगेगा भाई।

अपुन ─ वेरी गुड। अब तू खुद सोच कि तू क्या कर रेली थी?

विधी एकदम से चकरा गई। जैसे उसे समझ ही न आया कि अपुन ने अभी क्या बोला उसको?

विधी ─ मैं कुछ समझी नहीं भाई? तू क्या कह रहा है ये?

अपुन ─ तुझे उस बात से प्रॉब्लम थी कि दिव्या अपुन को न प्यार करे और ना ही और कुछ करे। यानि अपुन के साथ जो भी करे सिर्फ तू ही करे। अरे! सिंपल सी बात है कि जब तेरा ब्वॉयफ्रेंड तेरी नजर में सबसे खास है तो उससे हर कोई प्यार करना चाहेगा न। अब अगर तेरे सामने कोई अपुन को ये कह देगा कि अपुन बहुत गंदा है और वो अपुन से नफरत करती है तो क्या तुझे ये अच्छा लगेगा, नहीं न? यानि तू यही चाहेगी कि जिसे तू पसंद करती है उससे कोई भी नापसंद न करे और ना ही उससे कोई नफरत करे।

विधी ─ हां मैं तो यही चाहूंगी भाई।

अपुन ─ तो अब तू खुद सोच कि जब तू यही चाहती है तो फिर लोग अपुन से क्या करेंगे? बोले तो प्यार ही करेंगे न? जैसे तू अपुन से करती है और अपुन के साथ किस करती है ठीक वैसे ही दिव्या भी तो चाहेगी। अब कुछ समझ आया तुझे?

विधी को शायद अब बात समझ आ गईली थी लेकिन फिर भी थोड़ी झिझक के साथ ही उसने हां में सिर हिलाया।

विधी ─ बात तो तू सही कह रहा भाई लेकिन पता नहीं क्यों मुझे ये अच्छा नहीं लगता कि मेरे सिवा कोई और भी तुझे मेरे जैसे पसंद करे।

अपुन ─ क्योंकि तू अपुन पर सिर्फ अपना हक समझती है। जबकि सच्चा प्रेम करने वाला कभी अपने चाहने वाले पर हक नहीं जताता। बल्कि वो यही चाहता है कि जैसे वो चाहती है उसी तरह हर कोई उसके चाहने वाले को चाहे। एक बात और, अगर सच्चाई की बात करे तो अपुन पर तेरे अलावा भी न जाने कितनों का हक है। सबसे पहले तो अपन लोग के मॉम डैड का, क्योंकि उन्होंने अपुन को पैदा किएला है, फिर दी लोग का, तेरा और अपन लोग के सभी फैमिली का। ऐसे में क्या तू ये कहेगी कि नहीं, वो सब लोग अपुन को न चाहें, सिर्फ तू अपुन पर अपना हक समझे?

विधी ─ तू सच कह रहा है भाई। मैं सच में सिर्फ अपने बारे में ही सोच रही थी। माय गॉड कितनी बुद्धू थी मैं। तुझ पर तो सच में सबका हक है। मॉम डैड, दी लोग भी तो तुझे प्यार करते हैं तो जाहिर है उनका भी तुझ पर हक होगा ही।

अपुन ─ वेरी गुड। अब जा कर तू अच्छे से समझ पाई है।

विधी ─ अरे! वो तो मैं पहले ही अच्छे से समझ जाती। इतनी बुद्धू नहीं हूं मैं। तुझे ही अच्छे से समझाना नहीं आ रहा था तो इसमें मेरी क्या गलती है, हां नहीं तो।

अपुन मन ही मन हंस पड़ा। खैर अपन लोग को फ्रेश होने के बाद और ब्रेकफास्ट करने के बाद कॉलेज भी जाने का था इस लिए अपुन ने विधी को जाने को बोला और खुद बाथरूम में घुस गया लौड़ा।

आज मॉम डैड आने वाले थे। उनके आने के बाद अपुन को थोड़ा सम्हल के रहना होगा, खास कर मॉम से क्योंकि वो घर पर ही रहती हैं और कभी भी किसी के भी रूम में आ जा सकती हैं।

ब्रेकफास्ट के लिए अपन लोग डायनिंग टेबल पर बैठेले थे। आज साक्षी दी भी अपन लोग के साथ ही बैठी थीं। अपुन को एक नज़र देखने के बाद उन्होंने अपना ब्रेकफास्ट करना शुरू कर दिया था। इधर अपुन सोच रेला था कि साक्षी दी से बात करने का जुगाड़ बनाना ही होगा। बोले तो उन्हें ये एहसास करवाना ही होगा कि अपुन से बात चीत न करने से बाकी लोग जाने कैसे कैसे सवाल खड़े करने लगेंगे। विधी और दिव्या ने तो फिलहाल अभी कुछ नहीं सोच था लेकिन मॉम जल्दी ही फील कर लेंगी कि अपन दोनों के बीच कोई प्रॉब्लम जरूर है।

कॉलेज जाने का टाइम हुआ तो अपन लोग निकल पड़े। हर रोज की तरह दिव्या अपुन के साथ बाइक में पीछे बैठ गई जबकि विधी अपनी स्कूटी से चल पड़ी।

~~~~~~

रास्ते में एक जगह प्लान के अनुसार अपुन ने अपनी बाइक की स्पीड कम कर दी ताकि विधी के साथ साथ ही चल सके और दिव्या उसके सामने अपुन से गर्लफ्रेंड बना लेने की बात बोल सके

थोड़ी देर में जब अपुन विधी के बराबर से बाइक चलाने लगा तो दिव्या ने थोड़ा ऊंची आवाज में अपुन से कहा।

दिव्या ─ भैया, विधी दी की तरह आप मुझे भी अपनी गर्लफ्रेंड बना लीजिए न।

उसकी बात सुनते ही स्कूटी चला रही विधी ने चौंक कर उसकी तरफ देखा और फिर अपुन की तरफ। इधर अपुन ने एक नजर विधी को देखने के बाद कहा।

अपुन ─ अरे! ये क्या बोल रेली है तू? पागल है क्या?

दिव्या ─ अच्छा तो अब आप मुझे पागल कहेंगे? वाह! भैया, मैं आपकी सगी बहन नहीं हूं इस लिए आप मुझे अपनी गर्लफ्रेंड नहीं बनाना चाहते और मुझे पागल कह रहे हैं।

अपुन ─ अरे! यार ऐसी कोई बात नहीं है।

दिव्या ─ ऐसी ही बात है भैया। मैं अच्छे से समझ गई हूं कि आप सिर्फ विधी दी को ही अपनी बहन मानते हैं और उन्हें दिल से प्यार करते हैं।

अपुन ─ यार तू कैसी बात कर रेली है? अपुन तुझे भी उतना ही प्यार करता है जितना विधी को।

दिव्या ─ अगर ये सच है तो फिर मुझे भी दी के जैसे अपनी गर्लफ्रेंड बनाईए, तभी मानूंगी नहीं तो नहीं।

विधी हैरानी से कभी दिव्या को देखती कभी अपुन को। अपुन जानता था कि विधी को ये उम्मीद नहीं थी कि दिव्या अचानक से इस तरह खुद को अपुन की गर्लफ्रेंड बना लेने की बात बोल देगी।

अपुन ─ अच्छा ठीक है। अगर तुझे गर्लफ्रेंड बना लेने पर ही यकीन आएगा तो ठीक है। अपुन तुझे भी अपनी गर्लफ्रेंड बना लेता है।

दिव्या ये सुन कर खुशी से उछलने लगी जिससे उसके बूब्स अपुन की पीठ पर रगड़ने लगे। अपुन के पूरे जिस्म में रोमांच की लहरें दौड़ने लगीं लौड़ा। उधर विधी स्कूटी चलाते हुए थोड़ा शॉक से देखने लगती थी अपन दोनों को। तभी दिव्या अपने बूब्स को और भी ज्यादा अपुन की पीठ पर धंसाती हुई बोली।

दिव्या ─ वॉव! भैया, क्या सच कह रहे हैं आप? मतलब क्या सच में आपने मुझे भी अपनी गर्लफ्रेंड बना किया है?

अपुन ─ हां यार। क्या अब भी तुझे अपुन पर यकीन नहीं है?

दिव्या ─ है भैया। अब मुझे यकीन हो गया है आप मुझे भी विधी दी के जैसे प्यार करते हैं।

विधी ─ चल इतना ज्यादा खुश होने की जरूरत नहीं है तुझे और हां ये बात घर में किसी को मत बताना वरना बहुत बड़ी गड़बड़ हो जाएगी, हां नहीं तो।

दिव्या ─ डोंट वरी दी। मुझे भी पता है कि ये बात किसी को पता चलने लायक नहीं है।

अपुन सोच रेला था कि अब इसके बाद पता नहीं क्या होने वाला है? बोले तो कुछ तो खास जरूर होगा ये पक्की बात है। मतलब कि कोई लड़की अगर किसी की गर्लफ्रेंड बन जाती है तो उस रिश्ते के चलते कुछ तो चेंज होता ही है।

खैर देखते हैं क्या होता है, फिलहाल तो अपुन मजे में था क्योंकि दिव्या कुछ ज्यादा ही अपुन से चिपकी हुई थी। उसके बूब्स के निप्पल तक अपुन को फील हो रेले थे। अपुन का लन्ड जाने कब का सिर उठा बैठा था बेटीचोद। तभी दिव्या ने थोड़ा ऊंची आवाज में मुझसे कहा।

दिव्या ─ अच्छा भैया, आपने और विधी दी ने तो गर्लफ्रेंड बॉयफ्रेंड बनने के बाद एक दूसरे को किस किया था तो क्या अब मैं भी आपको किस कर सकती हूं? और...और आप भी मुझे किस करेंगे न?

उसकी ये बात सुनते ही जहां अपुन की धड़कनें बढ़ गईं वहीं स्कूटी चला रही विधी ने उसको घूर कर देखा। जबकि विधी के घूरने की परवाह किए बिना दिव्या ने मुस्कुराते हुए फिर से कहा।

दिव्या ─ बताइए न भैया, अब हम भी एक दूसरे को किस करेंगे न?

अपुन ─ अच्छा ठीक है कर लेंगे लेकिन यहां नहीं बल्कि घर में और वो भी अपने सामने।

दिव्या ये सुन कर और भी ज्यादा खुशी से झूम उठी और इस बार अपने दोनों हाथों को अपुन की छाती और पेट के बीच ला कर अपुन को कस लिया। इससे उसके बूब्स और भी ज्यादा अपुन की पीठ पर जैसे पिस गए लौड़ा। अपुन के मन में खयाल उभरा कि ये लौड़ी अपुन को यहीं पर झड़ा देगी लगता है।

खैर ऐसी ही बातों के साथ अपन लोग कॉलेज पहुंच गए। दिव्या तो बहुत खुश थी लेकिन विधी का चेहरा थोड़ा मायूस था। शायद वो अभी भी अपुन को दिव्या के साथ बांटना नहीं चाहती थी लेकिन मजबूरी के चलते उसने इतना एक्सेप्ट कर लिया था।

पार्किंग में बाइक और स्कूटी खड़ी करने के बाद अपन लोग कॉलेज के अंदर की तरफ चल दिए। अपुन के अगल बगल दोनों कमसिन और नाजुक बदन की परियां चल रेली थीं और अपुन ऐसा फील कर रेला था जैसे अपुन कहीं का महाराज है बेटीचोद।

थोड़ी ही देर में जब दिव्या अपनी क्लास की तरफ चली गई तो विधी ने इधर उधर देखने के बाद अपुन से कहा।

विधी ─ तूने उसको किस करने के लिए हां क्यों किया?

अपुन ─ यार तू अभी भी उसी सोच को ले के बैठी है? खुद सोच कि दुनिया में ऐसी कौन सी लड़की है जो किसी की गर्लफ्रेंड बनने के बाद ऐसी चाहत नहीं करेगी? तू भी तो यही चाहती है न, इसके अलावा भी और न जाने क्या क्या।

विधी ─ हां ये तो तू सही कह रहा है। अच्छा ठीक है तू उसे भी किस कर लेना।

अपुन ─ देख, अब तू और वो दोनों ही एक जैसी सिचुएशन में हो इस लिए तुझे उसके साथ अच्छे से मिल जुल के रहना होगा। न तू उसे किसी बात के लिए रोकेगी और ना ही वो रोकेगी। ऐसे में होगा ये कि अपन लोग के बीच कभी भी कोई प्रॉब्लम नहीं आएगी और अपन लोग खूब एंजॉय कर सकेंगे।

विधी ─ अच्छा क्या सच में?

अपुन ─ और नहीं तो क्या?

विधी ─ फिर ठीक है। अब से मैं ऐसा ही करूंगी लेकिन तू सबसे पहले मुझे ही किस किया करेगा और....और मॉर्निंग में भी मैं ही तुझे जगाने आऊंगी। देख ये बात तो तुझे माननी ही होगी वरना मैं नाराज हो जाऊंगी तुझसे, हां नहीं तो।

अपुन ─ ठीक है। अब चल क्लास का टाइम हो रेला है।

उसके बाद अपन दोनों खुशी खुशी क्लास की तरफ चल दिए। अभी कुछ ही कदम चले थे कि सामने से रीना आती दिखी और उसके पीछे शनाया भी।

उन दोनों को देख विधी का मुंह बन गया लेकिन उसने कहा कुछ नहीं। थोड़ी ही देर में वो दोनों अपन लोग के पास आ गईं और अपन लोग को हैलो हाय करने लगीं।

अपुन लड़कियों के बीच से निकल कर आगे बढ़ गया। असल में अपुन को अमित से मिलने का था। अपुन उससे मिल के ये देखना चाहता था कि वो अपुन से कैसा बिहेव करता है? असल में अपुन ये सोच रेला था कि कहीं साधना ने उसे कुछ बता तो नहीं दिया है जिसकी वजह से अमित का बर्ताव अपुन के लिए चेंज हो गया हो।


To be continued....
Nice update....
 
  • Like
Reactions: kamdev99008

TheBlackBlood

शरीफ़ आदमी, मासूमियत की मूर्ति
Supreme
79,615
116,632
354

TheBlackBlood

शरीफ़ आदमी, मासूमियत की मूर्ति
Supreme
79,615
116,632
354

TheBlackBlood

शरीफ़ आदमी, मासूमियत की मूर्ति
Supreme
79,615
116,632
354

Update ~ 22




उन दोनों को देख विधी का मुंह बन गया लेकिन उसने कहा कुछ नहीं। थोड़ी ही देर में वो दोनों अपन लोग के पास आ गईं और अपन लोग को हैलो हाय करने लगीं।

अपुन लड़कियों के बीच से निकल कर आगे बढ़ गया। असल में अपुन को अमित से मिलने का था। अपुन उससे मिल के ये देखना चाहता था कि वो अपुन से कैसा बिहेव करता है? असल में अपुन ये सोच रेला था कि कहीं साधना ने उसे कुछ बता तो नहीं दिया है जिसकी वजह से अमित का बर्ताव अपुन के लिए चेंज हो गया हो।



अब आगे....


अमित और शरद दोनों ही अपुन को एक जगह मिल गए। अपुन को देखते ही अमित का चेहरा खिल उठा। इसी से अपुन समझ गया कि मामला अपने फेवर में है। बोले तो साधना ने उसको कुछ नहीं बताया था वरना वो खुद ही अपुन को खोजता। खैर अपुन दोनों से ही मिला और थोड़ी देर इधर उधर की बातें करने के बाद अपन लोग क्लास में आ गए।

क्लास में अपन तीनों ही एक साथ ही बैठते थे। कुछ देर में टीचर आ गया और वो अपन लोग को पढ़ाने लगा। अपुन का ध्यान पढ़ने पर तो था लेकिन बीच बीच में ये भी सोच रेला था कि क्या अमित की बहन साधना चुप बैठेगी? अपुन का खयाल था कि नहीं। बोले तो वो इतना जल्दी हार मानने वाली नहीं थी। उससे जो हो सकेगा वो करेगी ही लौड़ी।

अभी अपुन ये सोच ही रेला था कि एकाएक अपुन की नजर गर्ल्स की तरफ चली गई और वो भी सीधा शनाया पर। अपुन से नजर मिलते ही वो मुस्कुराई और अपने हाथ को कान पर ले जा कर कोई इशारा किया। पहले तो अपुन को कुछ समझ न आया क्योंकि अपुन का ध्यान साधना पर था लेकिन जब अपुन ने थोड़ा गौर किया तो समझ आया कि वो अपुन को मोबाइल चेक करने का इशारा कर रेली थी शायद।

अपुन ने अमित और शरद की तरफ एक नजर डाली और फिर चुपके से मोबाइल निकाल कर चेक किया तो उसमें वॉट्सएप पर एक मैसेज पड़ा था जो किसी अंजान नंबर से आयला था। अंजान नंबर देख के अपुन की धड़कनें बढ़ गईं लौड़ा। पलक झपकते ही मन में साधना का खयाल उभर आया। हालांकि जल्दी ही अपुन ने सोचा कि शनाया ने अभी अभी अपुन को मोबाइल चेक करने का इशारा किएला है तो जाहिर है ये उसी का नंबर होगा।

अपुन ने सिर उठा कर उसकी तरफ देखा तो उसने भी अपुन को देखा और मुस्कुरा दी। साथ ही इशारा भी किया कि अपुन मैसेज देखे। इधर अपुन ये सोच के थोड़ा हैरान हुआ कि इसने ये कौन से नंबर से अपुन को मैसेज किएला है? बोले तो अपन लोग के पास तो नंबर था जोकि नाम से ही सेव था पर ये अलग नंबर था। एक बार फिर अपुन का भटकता मन साधना पर चला गया लौड़ा। अपुन सोचने लगा कि क्या शनाया का कनेक्शन साधना से हो सकता है? हालांकि ये संभव नहीं था पर क्या पता कहीं से कनेक्शन हो ही।

खैर अपुन ने टीचर पर एक नजर मारने के बाद मैसेज को ओपन किया तो देखा उसमें कुछ लिखा था।

अंजान नंबर (मैसेज) ─ हेलो विराट, ये मैं हूं शनाया। एक्चुअली मेरा कल ही शाम को रिचार्ज खत्म हो गया था इस लिए अपने नंबर से तुम्हें मैसेज नहीं कर पाई थी। ये अमृता का नंबर है जो मेरे बगल से बैठी है। मैसेज पढ़ने के बाद मैसेज को डिलीट कर देना। वैसे, मैंने तुम्हें ये बताने के लिए मैसेज किया है कि आज मेरे भाई का बर्थडे है तो शाम को पापा ने छोटी सी एक पार्टी रखी है। मैं चाहती हूं कि तुम भी मेरे भाई के बर्थडे पर आओ। प्लीज मना मत करना, इट्स माई हंबल रिक्वेस्ट, प्लीज विराट।

मैसेज पढ़ने के बाद अपुन ने सिर उठा कर शनाया की तरफ देखा। इत्तेफाक से उसने भी अपुन को देखा। अपुन को अपनी तरफ देखता देख उसने प्लीज और रिक्वेस्ट करने वाला रिएक्शन दिया।

अपुन सोच में पड़ गया कि अब इस लौड़ी को क्या जवाब दे अपुन? बोले तो एक तो पहले से ही अपुन साधना की वजह से टेंशन में है दूसरे ये भी अपुन को फांसने में कोई कसर नहीं छोड़ रेली है।

साधना के साथ सेक्स संबंध बना के अपुन को एक बात समझ में आ गईली थी कि बाहर की लड़कियां अपुन के लिए खतरा क्रिएट कर सकती हैं जबकि अपुन के घर की लड़कियां यानि कि विधी और दिव्या से कोई खतरा नहीं हो सकता। इसका मतलब ये हुआ कि अपुन को इन बाहर की लड़कियों से दूर ही रहना चाहिए बेटीचोद।

खैर, इस वक्त फिलहाल शनाया को कुछ तो जवाब देना ही था इस लिए चुपके से मैसेज टाइप करना शुरू किया।

अपुन (मैसेज) ─ सॉरी यार, अपुन नहीं आ सकता।

शायद शनाया ने अभी भी अमृता का मोबाइल हाथ में लिया हुआ था इस लिए जैसे ही मैसेज सेंड हुआ तो उसे पता चल गया। उसने सबसे नजर बचा कर मैसेज देखा और फिर अपुन को मायूसी से देखने के बाद मोबाइल में कुछ लिखने लगी। कुछ ही पलों में अपुन का मोबाइल बीप हुआ।

शनाया (मैसेज) ─ मैं तुम्हें अपना दोस्त समझ के इन्वाइट कर रही हूं विराट। प्लीज आ जाना न। प्रॉमिस करती हूं तुम्हें मेरी वजह से कोई प्रॉब्लम नहीं होगी।

अपुन ने उसका ये मैसेज पढ़ा और फिर सोचा कि उसके घर जाने में वैसे कोई बुराई नहीं है? बोले तो जब अपुन उसके साथ कुछ करेगा ही नहीं या उसे अपुन के साथ कुछ करने ही नहीं देगा तो भला कैसे कोई प्रॉब्लम वाली बात हो जाएगी लौड़ा? ये सोच कर अपुन ने उसे मैसेज लिख के भेजा कि ठीक है अगर टाइम मिला तो आ जाऊंगा।

इसके बाद अपुन ने देखा शनाया का चेहरा खिल उठा था। उसने पलकें झपका का अपुन को थैंक्स का रिएक्शन दिया और फिर शायद उसने अपन लोग के मैसेज डिलीट करके मोबाइल वापस अमृता को दे दिया।

उसके बाद कुछ खास नहीं हुआ। अगला पीरियड अनुष्का का था। उसने आते ही अपुन की तरफ एक स्माइल फेंकी और फिर पढ़ाना शुरू कर दिया उसने। ऐसे ही एक एक कर क्लास कंप्लीट हुई। लंच टाइम होने पर सब बाहर निकल पड़े। अपुन भी अमित और शरद के साथ बाहर आया तो देखा उधर से दिव्या भी चली आ रेली थी।

शरद लड़कियों के बीच रहने से असहज हो जाता था इस लिए विधी और दिव्या के आ जाने से वो अमित को भी ले कर कैंटीन तरफ चला गया। दोनों के जाने के बाद अपुन दिव्या और विधी के साथ वापस क्लास में ही आ गया और एक साथ लंच करने लगा। क्लास में और भी दो तीन लड़के लड़कियां थी इस लिए अपन लोग के बीच कोई भी उल्टी सीधी बातें नहीं हुईं।

लंच के बाद बाकी की क्लास अटेंड कर के अपन लोग घर की तरफ निकल पड़े। वापसी में विधी ने दिव्या को अपने साथ ही चलने को कहा और बहाना ये बनाया कि वो उसे स्कूटी चलाना सिखाएगी। खैर ऐसे ही अपन लोग घर पहुंच गए।

~~~~~~

घर पहुंचे तो देखा मॉम आ गईली थीं। सोनिया दी शायद अपने रूम में थीं। खैर अपुन ने बैग सोफे पर फेंका और सीधा जा कर मॉम से लिपट गया। उन्होंने भी अपुन को सीने से लगा लिया। ये अक्सर ही होता था और आज से पहले अपुन के मन में कभी कोई गलत बात नहीं आयली थी लेकिन इस वक्त आई बेटीचोद।

अपुन को मॉम के बड़े बड़े बूब्स कुछ ज्यादा ही फील हो रेले थे। उफ्फ कितने सॉफ्ट थे वो। पलक झपकते ही अपुन के पूरे जिस्म में रोमांच की लहर दौड़ गई लौड़ा। उधर मॉम अपुन की अंदर की सोच से बेखबर अपुन को दुलार रेली थीं।

अभी अपुन उनसे लिपटा ही हुआ था कि तभी एकदम से विधी और दिव्या भी आ कर मॉम से एक एक तरफ से लिपट गईं। मॉम ने उन दोनों को भी दुलार दिया। उसके बाद अपन लोग को उनसे अलग होना पड़ा।

मॉम ─ चलो, अब जा कर फ्रेश हो लो तुम तीनों। उसके बाद नीचे आ जाना। मैंने तुम तीनों के लिए गाजर का हलवा बनाया है।

अपुन ─ ओह! मॉम यू आर सो स्वीट।

मॉम ─ यू टू मेरे लाल। चलो अब जल्दी से जाओ तुम तीनों।

अपन तीनों खुशी खुशी बैग ले कर अपने अपने रूम की तरफ चल पड़े। थोड़ी देर में फ्रेश होने के बाद अपन लोग नीचे आ गए। मॉम ने खुद ही अपन लोग को प्लेट में ला कर हलवा दिया।

डैड और साक्षी दी कंपनी से अभी नहीं आए थे। खैर मॉम ने बताया कि गांव में समर चाचा ने संध्या दी के लिए जो रिश्ता देखा था उसे डैड ने भी देख लिया है और उन्हें भी रिश्ता पसंद आ गया है। जल्द ही शादी की लग्न बन जाएगी उसके बाद हम सबको गांव जाना पड़ेगा।

मॉम ने बताया कि शादी की लग्न एक हफ्ते के अंदर ही बन जाएगी और अगले महीने अक्टूबर में शादी की तारीख तय हो जाएगी। अपुन सोचने लगा कि इस बार गांव में क्या कुछ खास होगा? बोले तो अब तक तो अपुन एक शरीफ लौंडा ही था लेकिन अब जबकि अपुन की सोच बदल गईली है और अपुन अपनी बहनों को ही गर्लफ्रेंड बना लिया है तो क्या इस सोच के साथ गांव में अपुन को किसी को पेलने का मौका मिल पाएगा?

कुछ ही पलों में अपुन ने जाने कैसे कैसे सपने बुन लिए लौड़ा। समर चाचा की बाकी दो लड़कियां यानि संध्या और कुसुम का चेहरा अपुन की आंखों के सामने चमक उठा। यहां तक कि चाची सुगंधा का भी। तीनों को सोच कर ही अपुन के अंदर गुदगुदी होने लग गई बेटीचोद।

खैर मॉम के हाथ का बना हलवा हमेशा की तरह लाजवाब था। खाने के बाद अपन लोग वापस अपने अपने रूम में चले आए। अपुन सोच रेला था कि अपुन ने शनाया से कह तो दिया है कि अपुन उसके घर आएगा लेकिन अपुन का मन अभी भी उसके घर जाने से कतरा रेला था।

अभी अपुन ये सोच ही रेला था कि तभी अपुन के रूम का दरवाजा खुला और दिव्या दाखिल हुई। उसने झट से दरवाजा बंद किया और पलट कर मुस्कुराते हुए अपुन को देखने लगी। उसके यूं मुस्कुराते हुए देखने से अपुन की धड़कनें बढ़ने लगीं लौड़ा। अपुन को समझते देर न लगी कि ये लौड़ी यहां किस लिए आई है।

अपुन ─ क्या हुआ, आज भी तुझे फिजिक्स का कोई चैप्टर पूछने का है क्या? अगर ऐसा है तो अभी अपुन के पास टाइम नहीं है। बोले तो अपुन को थोड़ी देर पढ़ाई करने के बाद कहीं जाने का है।

दिव्या ─ नहीं भैया, मुझे फिजिक्स का कोई चैप्टर नहीं पूछना है। मैं तो बस ऐसे ही आपके पास आई थी लेकिन आपको कहां जाना है?

अपुन ─ अरे! एक दोस्त के दोस्त की बर्थडे पार्टी में जाने का है। वैसे तो अपुन का जाने का मन नहीं था पर उसने जब अपुन के पैर ही पकड़ लिए तो अपुन मान गया। क्या करे, अपुन किसी को निराश नहीं कर सकता न। बोले तो भारी इमोशनल आदमी है अपुन।

दिव्या ये सुन कर खिलखिला कर हंसने लगी। अब तक वो चल कर बेड पर आ कर बैठ गईली थी। कुछ पलों तक हंसने के बाद बोली।

दिव्या ─ अच्छा एक बात बताइए परसों आप बोल रहे थे कि आप किसी खास के लिए कुछ भी कर सकते हैं और उसी खास की वजह से आप अपनी फेवरेट टपोरी भाषा नहीं बोल रहे थे लेकिन ज्यादातर तो आप ऐसे ही बोलते हैं तो मेरा सवाल ये है कि वो खास इंसान कौन है जिसके लिए आप कुछ भी कर सकते हैं?

अपुन तो लौड़ा उसकी ये बातें सुन के अंदर तक ये सोच के कांप गया कि वो ये क्या बातें ले कर बैठ गईली है और अब ये कैसा सवाल कर बैठी है? कहीं ऐसा तो नहीं कि इसने समझ लिया हो कि अपुन किसके सामने टपोरी भाषा में बात नहीं कर रेला था और वो इंसान कौन है?

पलक झपकते ही अपुन अंदर ही अंदर घबरा गया लौड़ा। ये दिव्या तो सचमुच कहां से कहां पहुंच रेली थी। खैर अपुन ये नहीं चाहता था कि वो इस बात की तह तक पहुंचे इस लिए झूठ मूठ का बहाना बना के बोला।

अपुन ─ अरे! अपुन तो ऐसे ही बोल रेला था यार। क्या तू सोच सकती है कि अपुन अपनी ये फेवरेट टपोरी भाषा बोलना बंद कर देगा? वो तो अपुन ये सोच लेता है कि कभी कभी तुम सबके जैसे भी क्लियर हिंदी बोल लिया करे लौ..।

दिव्या ─ अच्छा तो ये बात है। तभी मैं सोचूं आप अपनी फेवरेट लैंग्वेज भला कैसे बोलना बंद कर सकते हैं? पर भैया, आप ये भी तो बोल रहे थे कि आप किसी खास के लिए कुछ भी कर सकते हैं तो फिर वो क्या था?

अपुन ने मन ही मन सोचा कि ये लौड़ी क्या अब बाल की खाल निकालने पर तुल गईली है? फिर अपुन ने सोचा कि चलो उसके इस सवाल का भी झूठ मूठ कोई जवाब दे देता है अपुन वरना इसके भेजे से ये बात कभी नहीं जाएगी बेटीचोद।

अपुन ─ अरे! ये भी अपुन ऐसे ही बोल रेला था। बाकी अपुन के लिए सबसे खास तो अब दो ही खूबसूरत लोग बन गएले हैं। एक तू और दूसरी विधी। बोले तो अभी नई नई बनी दो खूबसूरत गर्लफ्रेंड ही अपुन के लिए सबसे खास हैं।

दिव्या ये सुन कर खुशी से जैसे झूम ही उठी। उसके चेहरे पर शर्म की लाली भी छाने लगी थी। उसके गुलाब की पंखुड़ियों जैसे होठ हल्के हल्के कांपने लग ग‌एले थे। अधरों पर थोड़ी सी फैली मुस्कान उसकी खूबसूरती को और भी बढ़ा रेली थी। ये सब देख अपुन के अंदर हलचल सी मचने लग गई लौड़ा।

दिव्या ─ क्या आप सच कह रहे हैं भैया? आई मीन क्या सच में हम दोनों आपके लिए सबसे खास हैं?

अपुन ─ और नहीं तो क्या। क्या तुझे लगता है कि तेरे और विधी के सिवा अपुन के लिए कोई दूसरा इंसान खास हो सकता है?

दिव्या ─ सही कहा भैया। मुझे ऐसा बिल्कुल भी नहीं लगता अब।

अपुन ─ अच्छा अब तू जा। अपुन को थोड़ी देर पढ़ने का है उसके बाद अपुन पार्टी में जाएगा।

दिव्या ─ ठीक है भैया लेकिन...।

दिव्या थोड़ा झिझकती दिखी। अपुन को भी समझ न आया कि अचानक उसे क्या हुआ?

अपुन ─ लेकिन???

दिव्या ─ वो आपने विधी दी को अपनी गर्लफ्रेंड बनाने के बाद किस किया था न तो क्या अब आप मुझे भी किस नहीं करेंगे? आई मीन अब तो मैं भी आपकी गर्लफ्रेंड हूं न?

अपुन अब जा के समझा कि वो असल में अपुन के रूम में किस लिए आईली थी। बोले तो अपुन की गर्लफ्रेंड बनने के बाद अब वो भी चाहती थी कि विधी की तरह अपुन उसे भी किस करे। मतलब वो ये नहीं चाहती थी कि वो किसी मामले में विधी से पीछे रहे। वाह! क्या गजब की सोच थी उसकी, जिसमें हर तरह से अपुन का ही फायदा था बेटीचोद।

अगले ही पल अपुन के अंदर खुशी के लड्डू फूटने लगे लौड़ा। अपुन सोचने लगा कि लोग इस सबके लिए जाने कहां कहां भटकते हैं और जाने क्या क्या करते हैं लेकिन अपुन इतना खुशनसीब है कि बिना किसी मेहनत के ही ये सब कुछ अपुन को मिल रेला है।

किस वाली बात से ही अपुन के अंदर खुशी के साथ साथ हवस वाली फीलिंग्स आने लग गईली थीं। अपुन का मन मचलने लग गयला था। मन कर रेला था कि कितना जल्दी अब अपुन दिव्या को किस करे या उसके होठों को मुंह में भर कर चूसना शुरू कर दे।

हालांकि उसके होठों को चूमना या चूसना फिलहाल संभव नहीं था क्योंकि उसे तो यही पता था कि अपुन ने विधी के चिक पर ही किस किएला था तो जाहिर है अपुन उसके चिक पर ही किस करेगा। खैर अपुन ने देखा वो हसरत भरी निगाहों से अपुन को देखे जा रेली थी तो अपुन ने कहा।

अपुन ─ अच्छा ठीक है। आ तुझे भी किस कर देता है अपुन।

दिव्या ये सुनते ही थोड़ा शरमाई लेकिन फिर खुशी से मुस्कुराते हुए अपुन की तरफ खिसक आई। इतने करीब से जब अपुन ने उसे देखा तो अपुन की धड़कनें ट्रेन के इंजन के माफिक सरपट दौड़ने लगीं बेटीचोद।

खूबसूरत चेहरे पर हल्की शर्म की लाली। गोरे चिकने और सॉफ्ट से गाल। गुलाब की पंखुड़ियों जैसे होठ जो अपुन का मन बुरी तरह विचलित कर रेले थे।

अपुन ने धड़कते दिल के साथ उसके चेहरे को दोनो हथेलियों से थाम किया। अपुन के ऐसा करते ही दिव्या हल्के से कांप गई। करेंट तो अपुन को भी लगा था लेकिन अपुन जानता था कि उसकी चाहत पूरी करने के लिए अपुन को उसे छूना ही पड़ेगा।

अपुन ─ चल बता, तेरे कौन से चिक पर अपुन किस करे? बोले तो लेफ्ट वाले पर या राइट वाले पर?

दिव्या (शर्माते हुए) ─ जिस वाले पर आपका मन करे कर लीजिए भैया।

अपुन ─ अच्छा, क्या सच में?

दिव्या ─ हम्म्म।

अचानक अपुन के मन में खयाल उभरा कि इस मौके पर थोड़ा उसके मन को भी टटोला जाए। आखिर पता तो चले कि उसके मन में क्या क्या है?

अपुन ─ वैसे तुझे पता है न कि जो लोग गर्लफ्रेंड बॉयफ्रेंड होते हैं वो सिर्फ चिक पर ही किस नहीं करते। बोले तो वो लोग लिप्स पर भी किस करते हैं। तो अब जैसे कि तू अपुन की गर्लफ्रेंड बन गईली है तो बता क्या अपुन तेरे लिप्स पर भी किस करे?

दिव्या को ये सुन के जैसे झटका लगा। पहले तो हैरानी से अपुन को देखने लगी फिर एकदम से शर्माते हुए बोली।

दिव्या ─ आपको जो ठीक लगे कीजिए भैया लेकिन..।

अपुन ─ लेकिन???

दिव्या ─ क्या आपने विधी दी के लिप्स पर भी किस किया था?

अपुन ─ यार अपुन ने उसके लिप्स पर किया था या नहीं ये अलग बात है। तू अपनी बता कि तू चाहती है?

दिव्या एकदम से ही सोच में पड़ गई लौड़ी। इधर अपुन की भी धड़कनें थोड़ा बढ़ गईली थीं। अपुन तेजी से सोचने लग गया कि अब वो क्या जवाब देगी या ये कहे कि वो अपने मन की बात खुल कर बताएगी कि नहीं?

अपुन ─ जल्दी बता न। अपुन को पढ़ने का भी है।

दिव्या ─ मैं क्या बताऊं भैया? मुझे तो कुछ समझ ही नहीं आ रहा।

अपुन ─ यार इसमें इतना समझना क्या है? सिंपल सी बात है कि जब तू अपुन की गर्लफ्रेंड बन गईली है तो तू अपने ब्वॉयफ्रेंड से क्या क्या एक्सपेक्ट करती है? यहिच तो सोच के बताना है तुझे।

दिव्या ─ आपको जो ठीक लगे कीजिए न भैया।

अपुन ─ ओके! एक बात बता अगर अपुन तेरे चिक के साथ साथ तेरे लिप्स पर भी किस कर दे तो तुझे इससे कोई प्रॉब्लम तो नहीं होएगी न?

दिव्या ये सुन कर फिर से शरमाई फिर नजरें झुका कर मुस्कुराते हुए बोली।

दिव्या ─ नहीं भैया। मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं होगी।

अपुन तो ये सुन के शॉक ही हो गया लौड़ा। बोले तो अपुन को उससे ये सुनने की उम्मीद नहीं थी। अपुन सोचने लगा कि क्या उसने एक बार भी ये नहीं सोचा होगा कि भले ही अपन दोनों अपन लोग के सामने नाम के लिए बॉयफ्रेंड गर्लफ्रेंड बन गएले हैं लेकिन असली सच तो यही है न कि अपन लोग भाई बहन हैं। दुनिया की सच्चाई यही है कि भाई बहन एक दूसरे के लिप्स पर किस नहीं कर सकते। बोले तो ऐसा करना गलत माना जाता है बेटीचोद।

अपुन ─ ये क्या कह रेली है तू? मतलब कि सच में तुझे कोई प्रॉब्लम नहीं होगी?

दिव्या ─ जब आपको मेरे लिप्स पर किस करने की बात कहने में प्रॉब्लम नहीं हुई तो फिर मुझे क्यों होगी? वैसे भी मैं अपने इतने अच्छे बॉयफ्रेंड को किसी बात के लिए न नहीं कहना चाहती।

वाह! क्या डायलॉग बोला था उसने। सुन के ही अपुन का रोम रोम रोमांचित हो गया लौड़ा। पलक झपकते ही दिलो दिमाग में एक अलग ही एहसास भरता चला गया।

अपुन ─ वाह! क्या बात है। अपुन की गर्लफ्रेंड तो सच में लाजवाब है।

दिव्या ये सुन कर खुश भी हुई और थोड़ा शर्मा भी गई। अपुन ने सोचा कि अब जब क्लियर पता चल ही गया है तो अपुन को भी देर नहीं करना चाहिए लौड़ा। बोले तो दिव्या के साथ मजा करने की शुरुआत कर ही देना चाहिए।

अपुन ─ ओके! तो अब अपुन अपनी खूबसूरत गर्लफ्रेंड को किस करने जा रेला है। तू तैयार है न?

दिव्या ने सिर उठा कर अपुन को देखा लेकिन शर्म की वजह से ज्यादा देर तक देख न पाई। जल्दी ही शर्म से हां में सिर हिला कर उसने चेहरा झुका लिया।

अपुन धड़कते दिल के साथ थोड़ा आगे की तरफ खिसका और फिर से उसका चेहरा दोनों हथेलियों में थाम लिया। एक बार फिर से अपन दोनों के जिस्म में अजीब सी झुरझुरी दौड़ गई।

अपुन ने उसका चेहरा थाम कर थोड़ा उठा लिया था जिससे वो क्लियरली अपुन के सामने दिखने लग गईली थी। बड़ी बड़ी आंखों की पलकें उठीं और अपुन को देखने के बाद शर्म के चलते फिर से झुक गईं। तभी अपुन उसके चेहरे की तरफ झुकना शुरू किया।

उसे भी पता चल गया कि अपुन अब उसे किस करने जा रेला है और इधर अपुन की धड़कनें कुछ ज्यादा ही तेज चलने लगीं थी लौड़ा। जल्दी ही अपुन ने अपने होठ उसके राइट चिक पर रख कर उसके गाल को हल्के से चूम लिया। अपुन के ऐसा करते ही उसके बदन में झुरझुरी सी हुई।

चिक पर किस करने के बाद अपुन थोड़ा पीछे हुआ और उसे गौर से देखने लगा। उसने अपनी पलकें झपका के आँखें बंद कर लीं थी। उसके होठ हल्के हल्के कांप रेले थे। अपुन को ऐसा फील हुआ जैसे वो अपुन को इन्वाइट कर रेले हों कि आओ और हमें मुंह में भर लो।

अपुन ने भी देर नहीं की बेटीचोद। वैसे भी अब अपुन के अंदर इतनी हलचल मच गईली थी और अपुन इतना उतावला हो उठा था कि जल्द से जल्द उसके होठों को मुंह में भर लेना चाहता था लौड़ा।

अगले ही पल अपुन फिर से आगे को झुका और इस बार सीधा उसके कांपते होठों पर अपने होठ रख दिए। उफ्फ कितना सॉफ्ट एहसास था वो। उधर जैसे ही अपुन ने अपने होठ उसके होठों पर रखे तो दिव्या का समूचा जिस्म थरथरा गया।

अपुन ने पहले हौले से उसके होठों को एक दो बार चूमा और फिर एकदम से उसके निचले होठ को मुंह में भर लिया। दिव्या का जिस्म एक बार फिर से थरथरा उठा और साथ ही ऐसा लगा जैसे वो एकदम से बेचैन हो उठी हो। उसने ना तो कोई विरोध किया और ना ही कोई हरकत की। वो बस उसी पोजीशन में बुत सी बैठी रही लेकिन हां उसकी सांसें एकाएक जरूर तेज तेज चलने लग गईली थीं जिसके चलते अपुन को अपने मुंह के आसपास गर्म गर्म फील होने लग गयला था।

उसके नाजुक और मुलायम होठों को मुंह में ले कर अपुन हौले हौले चूसना शुरू कर दिया तो दिव्या और भी ज्यादा बेचैन होने लग गई। उसकी सांसें और भी तेज तेज चलने लगीं। इधर अपुन को उसके होठों को चूसने में एकदम से मजा आने लग गयला था इस लिए अब थोड़ा जोश के साथ अपुन उसके होठों को चूसने लगा।

पलक झपकते ही अपुन मजे की एक अलग ही दुनिया में पहुंच गया। बोले तो अब अपुन के अंदर हवस जागने लग गईली थी बेटीचोद। दिव्या के होठ चूसने में अपुन को इतना मजा आने लगा कि अपुन का मन अब उसके हर अंग को छूने का करने लगा। अगले ही पल अपुन ने मजे से मजबूर हो कर ऐसा ही किया।

अपुन का एक हाथ उसके चेहरे से हटा और नीचे सरक कर सीधा उसके राइट बूब्स पर पहुंच गया लौड़ा। जैसे ही अपुन ने उसके राइट बूब्स को पकड़ा और उसे मुट्ठी में लेने लगा तो दिव्या एकदम से उछल पड़ी।

वो एक झटके से अपुन से अलग हो गई। उखड़ी सांसों के साथ उसने अपुन को देखा। अपुन भी ये सोच के थोड़ा घबरा गया कि कहीं बूब्स पकड़ने से वो गुस्सा न हो जाए। दिव्या उखड़ी सांसों के साथ थोड़ा हैरानी से अपुन को देख रेली थी। फिर नजरें झुका कर बोली।

दिव्या ─ भ..भैया आप ये क्या करने लगे थे?

अपुन ─ सॉरी यार, अपुन को पता ही नहीं चला कि कब अपुन का हाथ तेरे बूब्...आई मीन तेरे चेस्ट पर चला गया।

दिव्या कुछ बोल न सकी। शर्म से उसका चेहरा लाल पड़ गयला था। इधर अपुन ने जब देखा कि वो गुस्सा नहीं हुई है तो अपुन ने राहत की सांस ली और फिर कुछ सोच कर बोला।

अपुन ─ वैसे इसमें अपुन का दोष नहीं था यार। बोले तो तेरे होठ इतने मीठे थे कि अपुन को भारी मजा आने लग गयला था और फिर उस मजे में अपुन को पता ही नहीं चला कि कब अपुन का हाथ तेरे उसमें चला गया। अगर तुझे इससे बुरा लगा हो तो सॉरी बोलता है अपुन।

दिव्या ─ नहीं नहीं भैया। आप प्लीज सॉरी मत बोलिए। मुझे यकीन है कि आपने ऐसा जान बूझ के नहीं किया है।

अपुन ─ हां यार, वैसे एक बात तो हैं जब अपुन ने तेरे उसमें हाथ रखा तो बड़ा ही अच्छा फील हुआ था अपुन को।

दिव्या ये सुन के बुरी तरह शर्मा गई। शर्म से नजरें झुका कर और मुस्कुराते हुए बोली।

दिव्या ─ धत्त। ये क्या कह रहे हैं आप?

अपुन ─ अपुन तो बस सच बोल रेला है यार। वैसे भी अब तू अपुन की गर्लफ्रेंड है तो तेरे से क्या शर्माना और तेरे से क्या छुपाना?

दिव्या ─ हां लेकिन मैं आपकी बहन भी तो हूं भैया।

अपुन ─ हां पर बहन का सोच कर गर्लफ्रेंड के साथ नाइंसाफी तो नहीं कर सकता न अपुन।

दिव्या ─ आप ये क्या कह रहे हैं? कैसी नाइंसाफी??

अपुन ─ अपुन का मतलब है कि आज कल बॉयफ्रेंड गर्लफ्रेंड आपस में जो करते हैं वो सब भले ही अपुन लोग न करें पर कुछ तो इस रिलेशन के साथ न्याय करना ही पड़ेगा न अपन लोग को।

दिव्या ─ क..क्या ये सही होगा भैया?

अपुन ─ सही तो ये भी नहीं है कि अपन लोग आपस में बॉयफ्रेंड गर्लफ्रेंड का रिलेशन बनाएं लेकिन फिर भी बन गए न? तो जब बन ही गएले हैं तो फिर इसके आगे सही गलत क्या सोचना?

दिव्या आश्चर्य से अपुन को देखने लगी। शायद उसे अपुन से ऐसी उम्मीद सपने में भी नहीं थी। अपुन भी सोचने लग गया कि कहीं अपुन ने ज्यादा तो नहीं बोल दिया बेटीचोद? फिर अपुन कुछ सोच कर बोला।

अपुन ─ देख अगर तुझे ये गलत लगता है तो तू अभी अपन लोग के बीच बने इस न्यू रिलेशन को खत्म कर सकती है।

दिव्या ─ अच्छा मुझे ये बताइए कि क्या आपने विधी दी को भी लिप्स पर किस किया है?

अपुन ─ हां किया है।

दिव्या ─ मुझे लगा ही था ऐसा। अच्छा ये भी बताइए कि क्या आपने उनके लिप्स पर किस करते हुए उनके चेस्ट पर भी ऐसे ही किया था?

अपुन सोचने लगा कि अपुन उसे सच बताए या नहीं? हालांकि अपुन उसके सवाल सुन कर समझ गयला था कि शायद वो भी वही करना चाहती है जो विधी ने किया है। बोले तो वो विधी के नक्शे कदम पर चलना चाह रेली है। इस बात का एहसास होते ही अपुन ने फैसला कर लिया कि अपुन उसे सच ही बता देता है। बाकी जो होगा देखा जाएगा लौड़ा।

अपुन ─ हां, शुरू शुरू में अपुन से ऐसा हो गयला था और जैसे तू अभी अपुन के ऐसा करने पर उछल पड़ी थी और अपुन से अलग हो गईली थी वैसे ही विधी ने भी किया था।

दिव्या को बड़ी हैरानी हुई। फिर कुछ सोच कर बोली।

दिव्या ─ फिर क्या विधी दी ने आपके ऐसा करने पर गुस्सा किया था?

अपुन ─ हां शुरू में उसने अपुन को थप्पड़ तक मार दिएला था।

दिव्या (शॉक्ड) ─ क्या?? सच में??

अपुन ने उसे शॉर्ट में वो किस्सा बता दिया। फिर ये भी बताया कि उसके बाद विधी को अपनी गलती का एहसास हुआ और वो खुद ही अपुन को कुछ भी करने को बोलने लग गईली थी। ये सब सुन कर दिव्या चकित थी।

दिव्या ─ तो क्या फिर आपने उनके कहने पर दुबारा ऐसा किया है?

अपुन ─ हां, तब से अब तक दो बार अपुन ऐसा कर चुका है। बोले तो अपन लोग अकेले में एक दूसरे के होठों को खूब चूमते चूसते हैं और उस मजे में अपुन का हाथ उसके ब्रेस्ट पर चला ही जाता है।

दिव्या इस बार कुछ ज्यादा ही आश्चर्यचकित हो गईली थी। इधर अपुन भी थोड़ा अजीब सा फील करने लग गयला था। खैर अब बस ये देखना था कि ये सब जानने के बाद दिव्या खुद के बारे में क्या फैसला करती है?

अपुन ─ अरे! तू इस बारे में ज्यादा मत सोच। कोई जरूरी नहीं है कि जो विधी करे वो तू भी करे। अगर तुझे ये सब गलत लगता है तू बिल्कुल ही ये मत कर। एक बात और, इस बारे में विधी को कुछ मत बताना और ना‌ ही उससे कुछ पूछना। वो क्या है न कि वो इससे नाराज हो जाएगी। अच्छा अब तू जा, अपुन को भी थोड़ा पढ़ाई करने का है। उसके बाद अपुन को पार्टी में भी जाना है।

दिव्या अभी भी आश्चर्य में थी और गहरी सोच में भी। अपुन के मुख से जाने की बात सुन कर वो गहरी सोच के साथ ही बेड से उतर गई और फिर अपुन से बिना कुछ बोले ही रूम से चली गई। उसके यूं चले जाने पर अपुन समझ गया कि शायद वो इस बारे में अकेले में सोचना चाहती है। हालांकि एक तरफ ये सोच के अपुन की गांड़ भी फटने लग ग‌ईली थी कि ये सब जानने के बाद दिव्या कहीं कुछ गड़बड़ न कर दे।


To be continued....
 

ellysperry

Humko jante ho ya hum bhi de apna introduction
3,555
14,133
144
Update ~ 18



क्लास खत्म होने के बाद उसने अपुन को स्पष्ट रूप से उसके केबिन में आ कर मिलने को कहा और चली गई। अपुन चाहता था तो न भी जाता वो अपुन का कुछ उखाड़ नहीं लेती लेकिन फिर अपुन ने सोचा कि इस तरह उससे दूर भागने से क्या हासिल होगा? बोले तो उसके केबिन में जा कर देखना ही चाहिए कि वो अपुन से क्या बोलती है?


अब आगे....


लंच टाइम अपुन कैंटीन की तरफ विधी और दिव्या को लिए जा ही रेला था कि जाने कहां से अनुष्का अपुन के सामने आ गई लौड़ी। उसने अपुन को अपने साथ चलने को कहा तो अपुन को मजबूरन उसके साथ जाना ही पड़ा। अपुन ने शरद से विधी और दिव्या को कैंटीन ले कर जाने को कहा और खुद अनुष्का के पीछे चल पड़ा।

कुछ ही देर में अपुन उसके साथ एक केबिन में पहुंच गया। अपुन की धड़कनें बढ़ गईली थी। मन में बस यही खयाल उभर रेले थे कि आखिर क्या बोलेगी वो अपुन से? खैर रूम में पहुंचते ही वो एक कुर्सी पर बैठ गई और अपुन को भी एक कुर्सी पर बैठ जाने का इशारा किया तो अपुन बैठ गया।

अनुष्का ─ हां, तो अब बताओ भाई कि तुम्हारी नाराजगी दूर करने के लिए मैं क्या करूं? वैसे मैं बता दूं कि उस दिन मैंने अपने हसबैंड का गुस्सा तुम पर उतार दिया था।

अपुन ─ आप अपने हसबैंड से किस बात पर गुस्सा थीं जिसका शिकार अपुन को होना पड़ा था?

अनुष्का ─ वो एक्चुअली उनकी जॉब छूट गई है जोकि उनकी ही गलती से छूटी है। जब मुझे इस बात का पता चला तो मैंने पहले तो उन्हें समझाना चाहा था लेकिन जब वो अपनी गलती मानने को तैयार न हुए तो मुझे उन पर गुस्सा आ गया। इससे बात बढ़ गई और फिर वो मुझे उल्टा सीधा बोलने लगे और तो और मुझ पर हाथ भी उठा दिया।

अपुन ─ क्या???

अनुष्का ─ हां भाई, तुम्हें तो पता है कि मैंने उनसे लव मैरिज की थी। हालांकि पापा इस रिश्ते से ज्यादा खुश नहीं थे लेकिन फिर भी उन्होंने मेरी खुशी के लिए अजीत से मेरी शादी करवा दी। खैर अब तक तो सब अच्छा ही चल रहा था लेकिन अपने गुस्से की वजह से उन्होंने मैनेजर को गाली दे दी और तो और उसे जान से मार देने की धमकी तक दे दी जिससे मैनेजर ने उन्हें जॉब से निकलवा दिया।

अपुन ─ ओह! कब हुआ ऐसा?

अनुष्का ─ एक हफ्ता हो गया भाई। मैंने अब तक तुम्हारे अलावा किसी को इस बारे में नहीं बताया है। यहां तक कि अपने मम्मी पापा या भाई बहन को भी नहीं बताया। मुझे पता है कि ये बात उन्हें पता चलेगी तो कोई और भले ही कुछ न कहे लेकिन पापा बहुत कुछ सुनाना शुरू कर देंगे।

अपुन ─ तो जीजा जी एक हफ्ते से घर पर ही बैठे हैं?

अनुष्का ─ हां भाई, शुरू में तो दो चार दिन मूड खराब होने की वजह से कहीं दूसरी जगह जॉब खोजने गए ही नहीं। फिर जब मैंने कुछ ज्यादा ही जोर दिया तो एक दो जगह गए मगर बात नहीं बनी। उनके गुस्सैल नेचर के बारे में यहां कई कंपनी के लोगों को पता है इस लिए कुछ तो इस वजह से भी उन्हें जॉब में कोई नहीं रखना चाहता। बस इसी वजह से हर रोज हमारी बहस होने लगी थी। उस दिन भी यही हो रहा था और फिर उन्होंने गुस्से में मुझ पर हाथ उठा दिया था। मैं उनकी इस हरकत से दुखी भी थी और गुस्सा भी इस लिए यहां क्लास में तुम पर गुस्सा किया और फिर तुम्हें क्लास से आउट कर दिया था। प्लीज भाई, उसके लिए माफ कर दो मुझे।

उनकी ये सब बातें सुन कर अपुन ये सोचने लग गया कि अपुन तो कुछ और ही मंसूबे बनाए था लौड़ा और यहां तो मामला ही कुछ और निकला। बोले तो अपुन को समझ ही न आया कि अब क्या बोले अपुन? एक तरफ अपुन का मूड भी खराब हो गयला था कि बेटीचोद ये क्या बवासीर हो गया? खैर इस मामले में कुछ तो अपुन को कहना ही था इस लिए अभी अपुन कुछ बोलने ही वाला था कि तभी अपुन को एक खयाल आया।

अपुन ─ बात तो सच में सीरियस है दी लेकिन आई थिंक आपको इस बारे में साक्षी दी से बात करनी चाहिए। बोले तो वो इस मामले में आपकी हेल्प भी कर सकती हैं।

अनुष्का ─ मैंने कई बार उसे इस बारे में बताने का सोचा लेकिन फिर ये सोच कर नहीं बताया कि वो भी मुझे जाने क्या क्या सुनाना शुरू कर देगी। एक्चुअली उसने भी अजीत से शादी करने से मना किया था मुझे लेकिन क्योंकि उस समय मुझ पर अजीत के प्यार का भूत सवार था इस लिए मैंने किसी की भी नहीं सुनी थी।

अपुन ─ देखो जो होना था वो तो हो ही गयला है। अब उस बारे में कुछ बोलने का कोई फायदा नहीं है। आपके लिए इस वक्त जो जरूरी है वहीं आपको करना चाहिए। साक्षी दी से आप बात करो और उन्हें सारी सिचुएशन के बारे में बताओ। अपुन को पूरा यकीन है कि वो आपकी हेल्प जरूर करेंगी। हो सकता है कि वो डैड से कह कर अजीत जीजा जी की जॉब अपनी ही कंपनी में लगवा दें।

अनुष्का ─ हां इस बात का तो मुझे भी यकीन है भाई। साक्षी को जब मेरी प्रॉब्लम का पता चलेगा तो वो पहले तो मुझे चार बातें ही सुनाएगी लेकिन बाद में मेरी हेल्प जरूर करेगी।

अपुन ─ बस तो फिर अब आप कुछ मत सोचिए और साक्षी दी को कॉल कर के उनसे बात कीजिए।

अनुष्का ─ थैंक्स भाई, तुमने मुझे थोड़ी राहत दे दी है। मैं जरूर साक्षी से बात करूंगी आज।

अपुन ─ ठीक है, और उनकी हेल्प से जब जीजा जी की जॉब लग जाए तो अपुन को ट्रीट देना मत भूलना।

अनुष्का ─ नहीं भूलूंगी मेरे प्यारे भाई और हां तुमने ये तो बताया ही नहीं कि तुम्हारी नाराजगी दूर करने के लिए मैं क्या करूं?

अपुन ─ फिलहाल कुछ नहीं। अपुन को आपकी प्रॉब्लम का पता नहीं था इस लिए बेकार में ही नाराज था आपसे लेकिन हां जीजा जी की जॉब लगने के बाद तो आपको वैसी ही ट्रीट देनी होगी जिससे अपुन खुश हो जाए।

अनुष्का ─ मुझे मंजूर है भाई।

उसके बाद अपुन रूम से निकल गया। मन में थोड़ी निराशा तो थी लेकिन ये उम्मीद भी हो ग‌ईली थी कि आने वाले समय में अनुष्का से कुछ न कुछ ऐसा जरूर हासिल होगा जो अपुन चाहता है।

अपुन फौरन ही कैंटीन पहुंचा। थोड़ा ही टाइम रह गयला था लंच टाइम ओवर होने में इस लिए विधी और दिव्या के साथ ही बैठ कर अपुन ने थोड़ा बहुत खाया और फिर अपन लोग वापस क्लास की तरफ चल पड़े।

दिव्या ─ भैया, अनुष्का दी आपको किस लिए अपने साथ ले गईं थी?

अपुन उसके इस सवाल पर सोचने लगा कि क्या जवाब दे अपुन? फिर अपुन ने सोचा कि सच ही बता देता है अपुन क्योंकि इसमें कुछ गलत तो था नहीं।

ये सोच कर अपुन ने उसे सब कुछ बता दिया और ये भी कहा कि इस बारे में वो दोनों किसी को न बताएं। खैर उसके बाद दिव्या अपनी क्लास की तरफ चली गई जबकि अपुन और विधी एक साथ अपने क्लास की तरफ चल पड़े।

विधी बार बार अपुन को देखती और मुस्कुरा देती थी। फिर जैसे ही उसने देखा कि दिव्या चली गई है तो उसने अपुन से कुछ कहना चाहा मगर तभी पीछे से रीना ने उसे आवाज दी जिससे उसने पलट कर उसकी तरफ देखा।

विधी ─ इस चुहिया को भी अभी ही आना था। सारा मूड खराब कर दिया, हां नहीं तो।

अपुन उसकी इस बात पर मन ही मन मुस्कुरा उठा। तभी रीना मुस्कुराते हुए अपन लोग के पास आ गई। उसे देखते ही विधी का मुंह बन गयला था।

रीना ─ हाय! कैसे हो विराट?

अपुन ─ वैसे ही जैसा नजर आ रेला है अपुन। तू अपनी बता।

अपुन की बात सुन कर जहां एक तरफ वो थोड़ा सकपका गई वहीं विधी हंस पड़ी लेकिन फिर जल्दी ही हंसना बंद कर दिया उसने।

रीना ─ सेम हेयर।

विधी के सामने रीना ज्यादा कुछ बोल नहीं सकती थी। इधर एकदम से अपुन को साधना का खयाल आ गया लौड़ा। अपुन सोचने लगा कि बेटीचोद अनुष्का से तो कोई बात नहीं बनी तो क्यों न कॉलेज से निकल लिया जाए और अमित के घर जा कर साधना के साथ मस्त मजा किया जाए।

अपुन ने विधी से कहा कि अपुन को एक जरूरी काम से बाहर जाने का है इस लिए वो क्लास जाए और अगर अपुन आने में लेट हो जाए तो अपुन का बैग तथा दिव्या को साथ ले कर घर चली जाएगी।

विधी को ये सुन के हैरानी हुई और उसने पूछना भी चाहा लेकिन अपुन तब तक कॉलेज के बाहर की तरफ निकल लिया। बोले तो अभी अपुन के पास पूरे दो घंटे का टाइम था इस लिए अब इस टाइम को बर्बाद नहीं करना चाहता था अपुन।

पार्किंग में आ कर अपुन ने साधना को मैसेज किया कि अपुन आ रेला है इस लिए जब अपुन उसके घर का दरवाजा खटखटाए तो वो उसी तरह खोलने आए जैसे उस रात आईली थी। बोले तो एकदम नंगी।

मैसेज कर के अपुन ने मोबाइल जेब में डाला और बाइक में चाभी लगा कर उसे स्टार्ट ही करने लगा था कि तभी अपुन का मोबाइल वाइब्रेट होने लगा। अपुन समझ गया कि साधना का ही कॉल होगा इस लिए जेब से मोबाइल निकाल कर कॉल पिक किया।

साधना ─ मैं मार्केट आई हुई हूं बाबू। एक्चुअली दूध फट गया था तो लेने आई हूं। तुम कब तक पहुंचोगे मेरे घर?

अपुन ─ अपुन को ज्यादा से ज्यादा आठ दस मिनट लगेंगे पहुंचने में।

साधना ─ ओह! फिर तो कोई बात ही नहीं है बाबू। तुमसे पहले ही पहुंच जाऊंगी मैं।

अपुन ─ अपुन का मैसेज ठीक से पढ़ा है कि नहीं तुमने?

साधना ─ हां पढ़ लिया है बाबू। फिक्र मत करो, मैं वैसे ही दरवाज़ा खोलूंगी जैसे मेरा बाबू चाहता है।

अपुन ─ गुड। अच्छा अब रखता है अपुन।

कॉल डिस्कनेक्ट कर के अपुन ने मोबाइल वापस जेब में डाला और बाइक स्टार्ट कर के निकल पड़ा उसके घर की तरफ। बोले तो अब मन में काफी रोमांचित करने वाले खयाल उभरने लग गएले थे लौड़ा। बाइक चलाते हुए अपुन सोचता जा रेला था कि अमित के घर पहुंच कर अपुन साधना को आज कैसे कैसे चोदेगा।

बेटीचोद, साधना को चोदने की खुशी इतनी ज्यादा हुई कि अपुन और भी तेज स्पीड में बाइक चलाने लगा लौड़ा। कच्छे के अंदर कैद अपुन का लन्ड भी खुश हो गयला था जिसके चलते उसने अपना सिर उठा लिया था।

अपुन पांच मिनट में ही अमित के घर के पास पहुंच गया बेटीचोद। बाइक को एक जगह स्टैंड पर लगा कर अपुन इधर उधर निगाह घुमाते हुए तेजी से उसके घर की तरफ बढ़ा।

घर के दरवाजे पर पहुंच कर अपुन ने दरवाजा खटखटाने के लिए हाथ बढ़ाया ही था कि तभी अंदर से खिलखिला कर हंसने की आवाज सुनाई दी जिससे अपुन का हाथ रुक गया। हंसने की आवाज लड़की की थी लेकिन वो लड़की साधना नहीं थी क्योंकि उसकी आवाज पहचानता था अपुन।

अभी अपुन समझने की कोशिश ही कर रेला था कि तभी कुछ कदमों की आवाजों के साथ साथ बोलने की भी आवाजें सुनाई दी। आवाजें हर पल के साथ दरवाजे की तरफ ही बढ़ती आ रेली थी। अपुन ये तो समझ गयला था कि साधना के साथ कोई दूसरी लड़की भी दरवाजे की तरफ आ रेली है लेकिन एक पल पहले उसने जो कहा था उसे सुन कर अपुन सन्न रह गया था लौड़ा।

लड़की ─ वैसे मानना पड़ेगा साधना क्या मस्त आडिया सोचा है तूने विराट से शादी करने का।

साधना ─ क्या करूं अंजली, ऐसा करने का दिल तो नहीं किया था लेकिन फिर खयाल आया कि प्यार और जंग में तो सब जायज होता है। वैसे भी मैं उससे इतना प्यार करती हूं कि उसे किसी कीमत पर खोना नहीं चाहती। बस इसी लिए ये रास्ता चुना।

अंजली ─ चल तेरा तो काम बन गया अब। अच्छा किया जो उसे सेक्स के लिए उकसाया और फिर उसकी वीडियो बना ली।

साधना ─ मैं जानती थी कि वो ऐसे तो मुझे या मेरे प्यार को एक्सेप्ट करेगा नहीं इस लिए सोच लिया था कि जब भी मौका मिलेगा तो उसे खुल कर सौंप दूंगी। वैसे मुझे उम्मीद नहीं थी कि ये सब इतना जल्दी और इतना परफेक्ट तरीके से हो जाएगा।

अंजली ─ अच्छा जब उसे इस सबके बारे में पता चलेगा तो तू जानती है न कि वो कैसा बिहेव करेगा? आई मीन हो सकता है कि वो तुझसे नफरत करने लगे। आखिर तू उसे ब्लैकमेल करके जो उसे शादी करने को मजबूर करेगी।

साधना ─ हां जानती हूं कि ऐसा हो सकता है लेकिन मैं उसे प्यार से समझाऊंगी कि मेरे पास इसके सिवा कोई और रास्ता नहीं था। मुझे यकीन है कि वो मेरी बात समझेगा।

अंजली ─ और अगर न समझा तो?

साधना ─ फिर तो मजबूरन उसे उस वीडियो के आधार पर ब्लैकमेल करना पड़ेगा यार जोकि मैं नहीं चाहती।

अंजली ─ चल ठीक है जैसा तुझे बेहतर लगे कर। अच्छा अब जा रही हूं मैं। तेरे बाबू सोना के आने का भी तो टाइम हो गया है और तुझे उसके लिए नंगी हो कर दरवाजा खोलना है, ही ही ही।

साधना ─ अरे! हां यार मैं तो भूल ही गई थी उसे। तू जल्दी से निकल यहां से। तेरी वजह से मुझे उससे झूठ कहना पड़ा कि मैं मार्केट दूध लेने आई हूं।

अंजली ─ अच्छा चल बाय। बाद में जो कुछ हो सब बताना मुझे।

अपुन समझ गया कि अब अंजली नाम की लड़की बाहर आने वाली है इस लिए अपुन का यूं खड़े रहना सही नहीं था। अपुन झट से पलटा और लगभग भागते हुए एक ऐसी जगह जा कर खड़ा हो गया जहां से वो दोनों अपुन को देख नहीं सकती थीं।

बेटीचोद, अभी अपुन ने जो कुछ सुना था उसे सुन के अपुन के पैरों के नीचे से जमीन ही खिसक गईली थी। बोले तो पूरी की पूरी गांड़ फट के हाथ में आ गईली थी अपुन की। साधना लौड़ी ने इतना बड़ा गेम खेला था अपुन के साथ। अपुन तो समझ रेला था कि वो सीधी सादी लौंडिया है और अपुन से प्यार करती है।

अपुन सोचने पर मजबूर हो गया लौड़ा कि इसी लिए अपुन को उसके साथ सेक्स करने में कोई मुश्किल नहीं आईली थी। बेटीचोद आती भी कैसे? उस रण्डी ने तो पहले से ही सब सोच रखा था, तभी तो अपुन के साथ इतना कुछ कर गईली थी। वो तो अच्छा हुआ कि अपुन ने किसी जन्म में भारी पुण्य कर्म किएले थे जिसके चलते आज अपुन को वक्त रहते उसका सच पता चल गया वरना उस लौड़ी ने तो अपुन को लपेट लेने का गांड़ फाड़ इंतजाम कर लिएला था।

खैर, इस वक्त अपुन की सच में बहुत ज्यादा फटी पड़ी थी। उसके पास अपुन की सेक्स वीडियो थी और इतना तो अपुन उन दोनों की बातों से समझ ही गयला था कि साधना ने वो सेक्स वीडियो अपुन की जानकारी में आए बिना किस लिए बना लिया है।

मतलब कि अब अगर अपुन उससे शादी करने से इंकार करेगा तो वो अपुन को उस सेक्स वीडियो के आधार पर ब्लैकमेल करेगी। ज़ाहिर है अपुन की उस वीडियो की वजह से इतनी ज्यादा गांड़ फट जाएगी कि अपुन उसकी बात मानने पर मजबूर हो जाएगा बेटीचोद।

अपुन ये सब सोच के भारी टेंशन में आ गयला था बेटीचोद। बोले तो उसके साथ मजा लेने से सच में अपुन की मां बहन एक हो गईली थी। अपुन ने मन ही मन खुद से कहा─ और साधना को पेल ले बेटीचोद। बहुत मजा आ रेला था न तो ले अब भुगत उसके साथ मजा करने की सजा।

अभी अपुन ये सब सोच के कुढ़ ही रेला था कि तभी अपुन का मोबाइल वाइब्रेट होने लगा। अपुन ने झट से मोबाइल निकाल कर स्क्रीन पर देखा। साधना रण्डी का ही कॉल था बेटीचोद।

लौड़ी ने जब देखा होगा कि अपुन अभी तक नहीं पहुंचा है तो उसने अपुन को कॉल कर दिया है। अपुन सोचने लगा कि अब क्या करे बेटीचोद? बोले तो अब अपुन की कंडीशन न घर के रहे और ना ही घाट के रहे जैसी हो गईली थी। पर...लौड़ा कुछ तो करना ही पड़ेगा वरना ऐसे तो सच में वो लौड़ी अपुन की गांड़ में मोटा सा डंडा डाले रहेगी। खैर अपुन ने खुद को शांत करके उसका कॉल पिक किया।

साधना ─ कहां पहुंचे बाबू? तुम तो बोले थे कि आठ दस मिनट में पहुंच जाओगे?

अपुन (मन में) ─ पहुंच तो अपुन पांच मिनट में ही गयला था लौड़ी और अच्छा ही हुआ कि पहले ही पहुंच गयला था वरना तेरे सच को कैसे जान पाता?

अपुन (रियल में) ─ बस पहुंच ही गया यार। तुम रेडी हो न?

साधना ─ हां बाबू। मैं तो कब से रेडी हूं दरवाजा खोलने के लिए। प्लीज जल्दी आओ न अपनी साधना के पास।

अपुन ने मन ही मन सोचा कि हां बेटीचोद बुला ले जल्दी और फिर मार ले अपुन की गांड़, हट लौड़ी।

अपुन ─ बस पहुंच ही गया।

कहने के साथ ही अपुन ने कॉल डिस्कनेक्ट की और फिर मोबाइल जेब में डालते हुए सोचने लगा कि कुछ तो करना ही पड़ेगा लौड़ा। मतलब कि उसके पास वीडियो के रूप में तगड़ा एटम बम था जो अपुन को कभी भी और कहीं भी बर्बाद कर सकता था। इस लिए जरूरी था कि उस एटम बम को किसी भी तरह उसके पास से मिटा दिया जाए वरना अपुन की तो समझो लंका लगनी तय ही है बेटीचोद।

यही सब सोचते हुए अपुन उसके घर की तरफ तेजी से चल पड़ा। कुछ ही देर में अपुन दरवाजे के पास पहुंच गया और फिर धड़कते दिल से दरवाजे को खटखटाया।

बेटीचोद, वो जैसे अपुन के द्वारा दरवाज़ा खटखटाने का ही वेट कर रेली थी। तभी तो अपुन ने जैसे ही दरवाज़ा खटखटाया तो अगले ही पल झट से दरवाजा खुला लेकिन ज्यादा नहीं बल्कि करीब दस इंच के लगभग। उस दस इंच खुले दरवाजे से भी अपुन को अंदर नंगी खड़ी साधना साफ साफ दिखी।

अगर अपुन को उसका सच पता न चल गया होता या ये कहें कि अपुन की गांड़ न फटी पड़ी होती तो उसे इस रूप में देख कर पक्का अपुन का लन्ड पल में ही टनटना गया होता पर इस वक्त ऐसा कुछ भी तो नहीं हुआ बेटीचोद। आँखें जरूर उसके नंगे बूब्स और हल्के रेशमी बालों से घिरी चूत पर जम गईली थीं लेकिन ये सब देख कर अपुन के लन्ड में करेंट नहीं लगा था। इसी से जाहिर है कि किस कदर अपुन की फटी पड़ी थी बेटीचोद।

साधना ─ ओह! बाबू अंदर आ कर मुझे अच्छे से देख लो बाबू। किसी ने मुझे इस तरह नंगी खड़े देख लिया तो गजब ही हो जाएगा।

अपुन उसकी बात सुन कर चुपचाप अंदर दाखिल हो गया। अपुन ने महसूस किया कि अंदर आते ही अपुन की धड़कनें धाड़ धाड़ कर के बजने लग गईली थीं लौड़ा और मन में उथल पुथल शुरू हो गईली थी।

अपुन ने सोचना शुरू कर दिया था कि अपुन के पास ज्यादा समय नहीं है। मतलब कि शाम को अमित भी अपनी मम्मी को ले कर घर आ जाएगा। उसके बाद इस घर में सबके रहते ऐसा मौका हर्गिज नहीं मिलेगा कि कुछ किया जा सके। यानि जो करना था अभी करना था वरना अपुन की गांड़ फटना पक्का था बेटीचोद।

इस वक्त अपुन का दिमाग बड़ी तेजी से चल रेला था। अपुन इतना समझ गयला था कि साधना ने अगर सेक्स वीडियो बनाया है तो उसने अपने मोबाइल से ही बनाया होगा। तो अब अपुन को उसका मोबाइल हासिल करना था और उसके अंदर से उस वीडियो को डिलीट मारना था। इतना ही नहीं वॉट्सएप से अपन लोग की सारी चैटिंग भी क्लियर करनी थी। हालांकि अपुन तो अपने मोबाइल से हर रोज चैटिंग क्लियर कर देता था लेकिन अपुन को यकीन था कि साधना ने अपने मोबाइल में अपन दोनों की चैटिंग को सम्हाल के रखा होगा। आखिर वो उसके हिसाब से सबूत जो है।

साधना ─ क्या हुआ बाबू? कहां खोए हुए हो? कुछ हुआ है क्या?

साधना की ये बात सुन कर अपुन बुरी तरह हड़बड़ा गया लौड़ा। पलक झपकते ही अपुन के मन में खयाल उभरा कि इस वक्त अगर अपुन इस तरह सोचो में गुम दिखेगा तो वो लौड़ी कहीं ताड़ ही न ले या उसे शक ही न हो जाए कि अपुन को उसका सच पता चल गयला है। यानि अपुन को उसके सामने वैसा ही बर्ताव करना चाहिए जैसे कि उसे नंगी देखने के बाद नॉर्मल हालत में अपुन करता।

अपुन ─ अरे! यार क्या बताए अपुन। बोले तो जल्दी आने के चक्कर में अपुन ने अभी थोड़ी देर पहले एक आदमी पर बाइक ठोकते ठोकते बचायला है।

साधना ─ ओह माय गॉड! ये क्या कह रहे हो बाबू?

अपुन ─ हां यार, वो तो अच्छा था कि अपुन भारी टैलेंटेड ड्राइवर है इस लिए बचा लिया उसको वरना अपुन की जगह कोई दूसरा होता तो आज उस आदमी का ऊपर की टिकट कट जाना पक्का था बेटीचोद।

अपुन ने झूठ मूठ की ये कहानी पल में बना के उसे सुना दी ताकि वो लौड़ी यही समझे कि अपुन के द्वारा इतनी बड़ी बात होने के चलते ही अपुन इस वक्त सोचो में गुम हो जा रेला है। जैसा कि अपुन को पूरा यकीन था अपुन की इस बात ने गाड़ फाड़ असर किया था उस पर। फिर अपुन ने अगले ही पल ऐसा शो किया जैसे अब अपुन ठीक है।

अगले ही पल अपुन ने झपट कर उसे पकड़ा और उसके होठों को चूमना चूसना शुरू कर दिया। अपुन ये भी नहीं चाहता था कि वो कुछ ऐसा सोचे जो इस वक्त उसे स्वाभाविक न लगे। ज़ाहिर है वो पूरी नंगी खड़ी थी अपुन के सामने तो अपुन को उसके साथ ऐसा करना जरूरी भी था।

अपुन ने उसे चूमना चूसना शुरू किया तो वो भी पूरे जोश के साथ अपुन का साथ देने लगी लौड़ी। इधर अपुन उसके होठों को मुंह में लिए एक हाथ से उसकी एक छाती को मसलना शुरू कर दिया जिससे वो मचलने लगी। बोले तो मजा तो आ रेला था अपुन को लेकिन अपुन इस मजे के चक्कर में अपनी गाड़ फाड़ देने वाले सामान को भी भूलना नहीं चाहता था इस लिए जल्दी ही उसे खुद से अलग किया।

अपुन ─ बेडरूम में चलो मेरी जान। यहां मजा नहीं आएगा।

साधना ─ हां सही कह रहे हो जान। चलो बेड रूम में चलते हैं।

उसे शक न हो इस लिए अपुन ने झट से उसे अपनी बाहों में उठा लिया और उसे बेडरूम की तरफ ले कर चल पड़ा। उसका नंगा नाजुक बदन अपुन की मजबूत बाहों में था। उसने अपुन के गले में अपनी बाहें डाल ली थी और अपुन को अपलक देखते हुए मुस्कुराए जा रेली थी। इधर अपुन मन ही मन उसे गालियां दे रेला था।

खैर थोड़ी ही देर में अपुन उसे ले कर बेडरूम में आ गया और उसे बेड पर आहिस्ता से लेटा दिया। अपुन ने बड़े ध्यान से बेडरूम में इधर उधर नज़र दौड़ाई। असल में अपुन को उसके मोबाइल की तलाश थी लेकिन इधर उधर वो कहीं न दिखा अपुन को।

साधना ─ आज मुझे बहुत सारा प्यार करो बाबू। मैं चाहती हूं कि अमित और मम्मी के आने से पहले मैं तुम्हारे प्यार से बहुत ज्यादा तृप्त हो जाऊं।

अपुन ─ अपुन भी यही सोच रेला है डियर लेकिन..।

साधना ─ लेकिन क्या बाबू?

अपुन ─ बहुत भूख लगी है यार। एक्चुअली आज कंटीन में कुछ नहीं खाया। सुबह भी अच्छे से ब्रेकफास्ट नहीं किया था तो अब अपुन को कुछ ज्यादा ही भूख फील हो रेली है।

साधना ─ ओह! बाबू, पहले क्यों नहीं बताया मुझे। बता देते तो तुम्हारे लिए तब तक खाना गर्म कर देती।

अपुन ─ यार ध्यान ही नहीं आया था अपुन को।

साधना ─ क्या सच में ज्यादा भूख लगी है मेरे बाबू को?

अपुन ─ हां यार, पर अगर तुम कहती तो चलो पहले अपन लोग एक राउंड चुदाई कर लेते हैं।

साधना (बेड से उठ कर) ─ नहीं बाबू। तुम भूखे हो और ऐसे में अगर मैं तुमसे ये करने कहूंगी तो ये अच्छी बात नहीं होगी। रुको, मैं पांच मिनट में तुम्हारे लिए खाना गर्म कर के लाती हूं।

अपुन ─ यार खामाखा अपुन की वजह से परेशान हो रेली हो तुम।

साधना ─ तुम्हारे लिए कुछ भी करना परेशानी नहीं बल्कि खुशी की बात है मेरे लिए। अच्छा अब तुम बैठो यहीं, मैं बस पांच मिनट में आती हूं।

कहने के साथ ही साधना ने फटाफट अपने नंगे बदन पर एक कुर्ता डाल लिया और फिर वो वैसे ही रूम से चली गई। इधर अपुन ये सोच के खुश हो गया कि बेटीचोद क्या ही गजब का भेजा पाया है अपुन ने। बोले तो एकदम सही टाइम पर क्या मस्त भूख लगने का बहाना बनाया था अपुन ने जिसके चलते साधना अपुन के लिए खाना गर्म करने रूम से चली गईली थी।

उसके जाने के बाद अपुन का दिमाग बिजली की तरह तेजी से दौड़ने लगा और अपुन खुद भी फटाफट साधना का मोबाइल खोजने लगा। इत्तेफाक से उसका मोबाइल खोजने में ज्यादा टाइम नहीं लगा अपुन को। बोले तो वो बेटीचोद अपुन को बेड पर ही तकिया के नीचे रखा मिल गया।

अपुन ने झट से उसकी स्क्रीन जलाई और उसे ओपेन करने का सोचा तो देखा लौड़ी ने पैटर्न लॉक लगा रखा था उसमें। अब ये नई प्रॉब्लम आ गईली थी। पैटर्न लॉक था उसमें इस लिए अपुन सोचने लगा कि उसने क्या पैटर्न डाला होगा? अपुन ने एक दो पैटर्न डाले लेकिन वो गलत निकले लौड़ा।

अपुन ने कितनी होशियारी से उसे रूम से निकाला था और अब जब उसका मोबाइल मिल गयला था तो बेटीचोद उसके पैटर्न लॉक ने प्रॉब्लम खड़ी कर दी थी। अपुन एकदम से टेंशन में आ गया लौड़ा। समझ में ही नहीं आ रेला था कि अब क्या करे?

तभी अपुन को एक खयाल आया। अपुन ने सोचा कि कहीं उसने अपुन के नाम के पहले वर्ड यानी V का पैटर्न तो नहीं डाला होगा? अपुन ने सोचा कि वो अपुन को प्यार करती है तो हो सकता है कि उसने अपुन के नाम के पहले वर्ड का ही पैटर्न बना कर मोबाइल का लॉक बनाया हो।

अपुन ने झट अपनी एक उंगली से उसमें अपने नाम का पहला वर्ड V बनाया लेकिन बेटीचोद वो पैटर्न बाकी बिंदुओं पर छू जा रेला था जिससे पैटर्न बन नहीं रेला था। अपुन ने कई बार ट्राई किया पर नाकाम रहा लौड़ा। तभी अपुन को खयाल आया कि हो सकता है उसने V को किसी दूसरे तरीके से बनाया हो, क्योंकि सीधा V बनाने से पैटर्न बन नहीं रेला था। खैर अपुन ने V को थोड़ा टेढ़ा कर के बनाया, जैसे कि सही ✔️ का सिंबल होता है।

अपुन ने जैसे ही इस तरीके से V या ये कहें कि ✔️ का सिंबल बनाया तो काम कर गया लौड़ा। बेटीचोद स्क्रीन लॉक के खुलते ही अपुन को इतनी ज्यादा खुशी हुई कि जैसे अपुन ने कारून का खजाना हासिल कर लिया हो।

मोबाइल का लॉक ओपेन हो गयला था इस लिए अपुन अब फौरन उसमें देखने लगा कि अपुन का वो सेक्स वीडियो कहां पर है। अपुन वीडियो भी खोजता जा रेला था और बार बार दरवाजे की तरफ भी देख लेता था। दिल की धड़कनें तो पहले से ही बेटीचोद धाड़ धाड़ कर के बज रेली थीं।

आखिर अपुन को वो वीडियो मिल ही गया। अपुन ने वॉल्यूम कम कर के उसे प्ले किया तो लौड़ा अपुन ये देख के हैरान रह गया कि सच में वो अपुन और साधना का सेक्स वीडियो था। यकीन नहीं हुआ कि साधना इतना खतरनाक काम कर सकती थी लौड़ी। खैर अपुन ने फौरन ही उसे डिलीट किया और फिर डिलीट फाइल से भी उसे उड़ा दिया ताकि वो दुबारा उसे रिस्टोर न कर सके। अपुन इसके बाद भी ये सोच कर चेक करने लगा कि कहीं और भी तो कोई वीडियो नहीं पड़ा है इसमें? कुछ ही पलों में अपुन ने मोबाइल की पूरी गैलरी और फोल्डर छान मारा। जब ऐसा दूसरा कोई वीडियो नहीं मिला तो अपुन संतुष्ट हो गया लौड़ा।

उसके बाद अपुन ने उसका वॉट्सएप ओपन किया तो उसमें भी पैटर्न लॉक था। अपुन ने उसमें भी ✔️ के सिंलब का पैटर्न डाला लेकिन उसमें ये काम न किया। फिर अपुन ने सोचा कि कहीं साधना ने इसमें अपने नाम के पहले वर्ड यानी S का पैटर्न तो नहीं डाला होगा। अपुन ने फौरन ही S बनाया तो वो खुल गया लौड़ा।

वॉट्सएप खुला तो सबसे पहले अपुन ने अपना नाम खोजा। जल्दी ही अपुन को वो मिल गया। उसमें जब अपुन ने क्लिक किया तो देखा उसमें अपुन की ढेर सारी चैट भरी पड़ी थी बेटीचोद। अपुन ने एक पल भी न लगाया क्लियर चैट पर क्लिक करने में। जैसे ही अपुन ने ऐसा किया पलक झपकते ही सारी चैट साफ हो गई। अब उसमें एक भी मैसेज नहीं बचा था। पर इतने पर भी अपुन का मन नहीं भरा था तो अपुन ने अपने नाम को ही डिलीट मार दिया लौड़ा। अब जा के शांति मिली थी बेटीचोद।

अपुन का काम पूरा हो चुका था लेकिन फिर भी अपुन उसके मोबाइल को ये सोच के देखने लगा कि साधना लौड़ी ने और क्या क्या सम्हाल कर रखा है इसमें। अपुन वॉट्सएप पर अलग अलग लोगों के साथ की गई उसकी चैटिंग पर नजर डाल रेला था कि तभी अपुन अजीत नाम पर रुक गया। अजीत उसकी सौतेली बहन यानी अनुष्का का हसबैंड था। अपुन ने उसे ओपन किया तो देखा उसमें भी कई सारे मैसेज पड़े थे। उन मैसेजेस से यही समझ आया कि अजीत थोड़ा रंगीन मिजाज है जो अपनी साली से डबल मीनिंग में बात करता था लौड़ा।

खैर उसके बाद अपुन एक नाम पर और रुका, यानि अंजली नाम पर। पहले तो अपुन ने उसकी डीपी पर क्लिक कर उसकी शक्ल देखी। बोले तो अंजली नाम की लड़की मस्त माल थी। होठ मस्त रसीले थे उसके। सीने में मौजूद उसके मम्मे स्पष्ट नहीं दिख रेले थे क्योंकि उसने अजीब एंगल से सेल्फी ली थी लेकिन हां बूब्स का उपरी भाग दिख रेला था जिसमें उसके बूब्स की बीच वाली दरार बस हल्की सी ही दिख रेली थी। खैर अपुन ने चैट देखना शुरू किया तो पता चला उसमें उसने और साधना ने अपुन के बारे में भी काफी कुछ बातें की थीं।

अभी अपुन वो सब पढ़ने ही लगा था कि तभी अपुन को रूम के बाहर से साधना की आवाज सुनाई दी। शायद वो रूम की तरफ ही आ रेली थी। उसने बाहर से ही मारे खुशी के अपुन से कहा था कि लो बाबू खाना गर्म कर दिया है मैंने।

साधना की आवाज सुनते ही अपुन ने झट से उसके मोबाइल की स्क्रीन पर से क्लियर ऑल पर क्लिक किया जिससे ये न पता चले कि अपुन ने उसमें क्या खोल रखा था। उसके बाद स्क्रीन लॉक कर के अपुन ने उसके मोबाइल को पहले जैसे ही तकिए के नीचे रख कर आराम से बेड पर लेट गया और दिखाने के लिए अपना मोबाइल चलाने लगा। अभी अपुन ने अपने मोबाइल का स्क्रीन लॉक ही खोला था कि तभी हाथों में थाली पकड़े साधना रूम में आ गई।

साधना ─ लो बाबू, खाना गर्म कर के ले आई हूं। चलो जल्दी से हाथ धो कर आओ और फिर खाना शुरू करो।

अपुन ─ यार तुम बेकार ही अपुन के लिए परेशान हुई।

उसके लिए फिक्र दिखाने के लिए अपुन को ऐसा बोलना जरूरी था।

साधना ─ ऐसा मत कहो जान। मुझे तुम्हारे लिए ये सब कर के बहुत अच्छा फील हो रहा है। अब चलो बातें बाद में कर लेना, पहले वॉशरूम में जा कर हाथ धो लो।

अपुन ने मोबाइल वापस जेब में डाला और मन ही मन खुश होते हुए अटैच बाथरूम में घुस गया। थोड़ी ही देर में अपुन हाथ धो कर आया और साधना द्वारा लाया हुआ खाना खाना शुरू कर दिया।

जब तक अपुन खाता रहा तब तक साधना अपुन को बड़ी ही मोहब्बत से देखती रही और इधर अपुन ये सोच के खुश होता रहा कि जिस होशियारी से उसने अपुन की गांड़ फाड़ने का इंतजाम किएला था उस इंतजाम की अपुन ने अपनी होशियारी से मां चोद दी है। बोले तो अब वो अपुन को किसी भी आधार पर ब्लैकमेल नहीं कर सकती थी। वाह! गजब स्मार्ट लौंडा है अपुन।

To be continued...


Aaj ke liye itna hi bhai log,
Read and enjoy
:declare:
Jabardast update 🔥 👍🏻
Ye sadhna tou ekdm randi waala kaam ker rahi hai ,vedio bana ker usko blackmail karke Saadi karegi ,
 

Premkumar65

Don't Miss the Opportunity
5,393
5,563
173
Update ~ 21




इधर अपुन ये सोचने लगा कि मॉम डैड के आने के बाद से अपुन को थोड़ा सम्हल कर ये सब करना होगा। इसके साथ ही अपुन ये भी सोचने लगा कि साक्षी दी ने अपुन की तरफ एक नजर देखा तो था लेकिन अपुन से कोई बात नहीं की थी। बेटीचोद अपुन की भी हिम्मत नहीं हो रेली थी कि अपुन खुद ही उनसे बात करे। खैर देखते हैं आने वाले समय में क्या होने वाला है?


अब आगे....


सीमा किचेन में रात के लिए डिनर बना रेली थी। वो सात या साढ़े सात बजे तक डिनर बना के चली जाती थी। हालांकि ऐसा तभी होता था जब मॉम नहीं होतीं थी। इधर साक्षी दी भी फ्रेश होने के बाद और चाय पीने के बाद किचेन में उसकी हेल्प के लिए चली गईली थीं।

अपुन ने नोटिस किया कि वो अपुन के सामने आने से परहेज कर रेली थीं। अपुन को थोड़ा बुरा तो लगा लेकिन अपुन कर भी क्या सकता था? तभी अपुन ने फील किया कि अपुन का मोबाइल वाइब्रेट हो रेला है।

अपुन ने मोबाइल निकाल कर स्क्रीन पर फ्लैश हो रहे अमित के नाम को देखा तो समझ गया कि वो शायद अपनी मम्मी को ले कर घर आ गया है। यहां आने के बाद अब वो अपुन से बात करने के लिए कॉल किएला है।

अपुन क्योंकि सोफे में दिव्या और विधी के बीच में बैठा था इस लिए उन दोनों ने भी एक नजर अपुन के मोबाइल स्क्रीन पर डाली और फिर वापस टीवी देखने लगीं। इधर अपुन ने सोचा बाहर जा के अमित से बात किया जाए इस लिए सोफे से उठ कर मेन गेट की तरफ बढ़ चला और साथ ही कॉल पिक कर के कान से लगाते ही बोला।

अपुन ─ घर पहुंच गया क्या बे लौड़े?

अगले ही पल उधर से अपुन के कान में जो आवाज सुनाई दी उसे सुन के अपुन गांड़ तक कांप गया बेटीचोद। अमित के मोबाइल पर दूसरी तरफ साधना थी लौड़ा। उसी की आवाज सुन के अपुन गांड़ तक कांप गयला था, खास कर उसकी बात सुन कर।

साधना ─ मेरे प्यार का क्या खूब सिला दिया है बाबू। तुमसे ये उम्मीद नहीं थी मुझे।

बेटीचोद, पलक झपकते ही अपुन के दिलो दिमाग में हड़कंप सा मच गयला था। अपुन को भी ये उम्मीद नहीं थी कि वो अपने भाई के फोन से अपुन को कॉल कर देगी।

अपुन सोचने लगा कि क्या उसने अपने भाई को सब कुछ बता दिया होगा? ऐसा संभव तो नहीं था लौड़ा लेकिन उसका अमित के मोबाइल से कॉल करना अपुन के मन में शंका पैदा कर रेला था। फिर अपुन ने सोचा कि हो सकता है कि उसने अपने भाई को कुछ भी न बताया हो। ऐसी बात वो उसे बता भी कैसे सकती थी जिसके बाद खुद उसकी भी जान पर बन आती लौड़ा?

इसका मतलब ये हो सकता है कि जब उसे पता चल गया होगा कि अपुन ने ये सब करने के बाद उसका नंबर भी ब्लॉक कर दियेला है तो उसने अपुन से बात करने के लिए अपने भाई से मोबाइल मांगा होगा और अब वो उसी के फोन से अपुन से बात कर रेली थी।

अपुन सोचने लगा कि भले ही उसने अपने भाई को कुछ न बताया हो लेकिन अपुन को तो सतर्क रहना ही होगा न। बोले तो कॉल पर ऐसा कुछ भी नहीं बोलना चाहिए जिससे प्रॉब्लम खड़ी हो जाए बेटीचोद। हो सकता है कि वो लौड़ी अपुन की बातें रिकार्ड कर ले। इस एहसास ने एक बार फिर से अपुन को गांड़ तक कंपा दिया लौड़ा। तभी उसकी आवाज फिर से अपुन के कान में उभरी।

साधना ─ कुछ बोलते क्यों नहीं बाबू? मुझे बताओ कि ऐसा क्यों किया तुमने?

अपुन समझ गया कि इस वक्त उससे कुछ भी बोलना खतरे से खाली नहीं है बेटीचोद। इस लिए अपुन ने सीधे कॉल ही डिस्कनेक्ट कर दिया लौड़ा। बात ये नहीं थी कि अपुन उससे डर गयला था बल्कि असल बात ये थी कि अपुन नहीं चाहता था कि वो इस मामले में अपुन की कोई भी बात रिकार्ड कर ले।

अपुन के मन में एक ही खयाल था कि जब वो लौड़ी अपुन को फंसाने के लिए अपुन के साथ खुद का सेक्स वीडियो बना सकती थी तो इसके अलावा भी कुछ भी कर सकती थी। बोले तो अब उस पर अपुन को कोई भरोसा नहीं था बेटीचोद।

कॉल कट करने के बाद अपुन ये सोच ही रेला था कि तभी फिर से उसका कॉल आने लगा लेकिन इस बार अपुन ने उसका कॉल पिक ही नहीं किया।

अब तक अपुन घर से बाहर आ गयला था और गार्डन में टहलते हुए यही सोच रेला था कि इतनी आसानी से इस लौड़ी से पीछा नहीं छूटेगा। मतलब साफ है कि जिसने अपुन का लाइफ पार्टनर बनने के लिए अपना सब कुछ अपुन को सौंप दिया हो और इसके साथ ही ऐसा कदम भी उठा लिया हो तो क्या वो अपुन के सिर्फ ऐसा कर देने से अपुन का पीछा छोड़ देगी?

अपुन ने जब इस बारे में अच्छे से, बोले तो गांड़ तक की गहराई से सोचा तो यही समझ आया कि वो इतनी आसानी से अपुन का पीछा नहीं छोड़ेगी। इस सच्चाई से अपुन एक बार फिर गांड़ तक कांप गया बेटीचोद।

खैर अपुन यही सब सोचते हुए गार्डन में टहलता रहा और साधना का बार बार कॉल आता रहा। अपुन ने दुबारा उसका कॉल पिक ही नहीं किया। वैसे देखा जाए तो सारी की सारी गलती उसी की थी। बोले तो अगर वो अपन दोनों के बीच इतना आसान माहौल न बना देती तो अपन दोनों के बीच ये सब होता ही नहीं।

दूसरी बात, उसको अपुन ने पहले ही बता दियेला था कि अपुन उसके प्यार को एक्सेप्ट नहीं कर सकता और ना ही उससे शादी करने का सोच सकता है। इसके बावजूद उसने खुद को इस तरह परोसा और अपुन को धोखा दे कर अपन दोनों के सेक्स का वीडियो बना लिया। तो कहने का मतलब यही है कि सारी की सारी गलती उसी की थी और अब जब अपुन ने उसका सारा खेल ही खत्म कर दिया तो उल्टा वो अपुन को ही ब्लेम कर रेली थी।

हालांकि अपुन चाहता तो उसे उसकी बातों का बेहतर जवाब दे देता लेकिन दिया इस लिए नहीं क्योंकि अपुन को शक था कि कहीं वो इस मामले में अपन लोग के बीच होने वाली बातें न रिकार्ड कर ले। जाहिर है इस मामले में हुई अपन लोग की बातें उसके लिए इस बात का सबूत बन जातीं कि हां अपुन का उससे इस तरह का संबंध रहा है। इसके बाद जब वो अपने घर वालों को वो सबूत सुनाती तो अपुन की बर्बादी होना तय था बेटीचोद।

खैर अभी के लिए तो अपुन ने इस मुसीबत से पीछा छुड़ा लिया था लेकिन हमेशा के लिए छुड़ाने के लिए कुछ न कुछ जरूर करना होगा। अपुन सोचने लगा कि ऐसा क्या किया जाए बेटीचोद?

हालांकि एक सच ये भी है कि वो अगर ढिंढोरा पीट कर भी सबको बताती तब भी अपुन का झांट बराबर भी कुछ न होता। बोले तो अपुन की फैमिली या ये कहें कि अपुन के डैड अपुन को इस मामले में कुछ भी न होने देते लेकिन ये भी सच है कि इस मामले के ओपन हो जाने से अपुन का कैरेक्टर अभी जो सबके लिए साफ सुथरा है वो गंदा हो जाता।

अमित जो अपुन का जिगरी दोस्त है वो अपुन का दुश्मन हो जाता। हालांकि वो भी अपुन का झांट बराबर भी कुछ न उखाड़ पाता लेकिन बेटीचोद अपुन को बददुआ तो देता ही, हर जगह बदनाम तो करता ही। इसके साथ साथ दोनों फैमिली के बीच जो बेहतर रिलेशन थे वो भी खराब हो जाते। बोले तो इस सबके बाद अपुन की लाइफ पर काफी असर पड़ता।

खैर ये सब तो अभी संभावनाओं की बातें थी लेकिन इस वक्त जो प्रॉब्लम आ कर खड़ी हो गईली थी उससे हमेशा के लिए छुटकारा पाना बहुत जरूरी था अपुन के लिए।

~~~~~~

रात डिनर टेबल पर अपन सब डिनर कर रेले थे। दिव्या और विधी आपस में कुछ न कुछ बोल रेली थीं। बीच बीच में अपुन भी उनसे बोल रेला था लेकिन साक्षी दी चुपचाप खाना खा रेली थीं।

अपुन ये तो समझता था कि वो अपुन से बात नहीं करना चाहती थीं लेकिन उन्हें ये भी तो समझना चाहिए था कि उनका एकदम से अपुन से बात करना बंद कर देना बाकी लोगों के मन में सवाल खड़े कर सकता है। घर के बाकी लोग ये सोचने पर मजबूर हो सकते हैं कि आखिर अपन दोनों के बीच ऐसा क्या हो गयला है जिसकी वजह से अपन दोनों एक दूसरे से बात नहीं कर रेले हैं?

अपुन ने यही सब सोच कर उनसे बात करने का मन बना लिया। बोले तो अपुन नहीं चाहता था कि किसी के मन में अपन दोनों के बारे में ऐसा कोई सवाल पैदा हो जाए बेटीचोद।

अपुन ─ क्या हुआ दी? मैं कल से देख रहा हूं कि आप हम सबके बीच एकदम चुप रहती हैं। कोई प्रॉब्लम हो गई है क्या? अगर ऐसा है तो आप हम लोगों से शेयर कीजिए न।

अपुन की ये बातें सुन कर साक्षी दी ने एकदम से चौंक कर अपुन की तरफ देखा और फिर दिव्या और विधी की तरफ भी। अब क्योंकि उन दोनों के सामने वो अपुन से उल्टा सीधा कुछ बोल नहीं सकती थीं इस लिए खुद को नॉर्मल कर के कहा।

साक्षी दी ─ नहीं भाई, ऐसी तो कोई बात नहीं है।

अपुन ─ अगर सच में ऐसी कोई बात नहीं है तो आप इस तरह हम लोगों के सामने चुप सी क्यों हैं?

साक्षी दी ने इस बार घूर कर देखा अपुन को। फिर जल्दी ही नॉर्मल हो गईं और बोली।

साक्षी दी ─ अरे! दिन भर कंपनी में लोगों से बक बक कर के थक जाती हूं न इस लिए तुम सबके बीच शांत हूं। वैसे भी जब कोई ज़रूरी बात करनी होती है तो करती ही हूं न। तू इस बारे में ज़्यादा मत सोच और आराम से खाना खा।

अपुन उनकी बात सुन कर मन ही मन मुस्कुराया। उन्होंने भले ही नॉर्मली ये सब कहा था लेकिन उनके चेहरे पर उभरी थोड़ी सख्ती इस बात का एविडेंस थी कि उन्हें अपुन का इस तरह से उनसे बात करना अच्छा नहीं लगा था। हालांकि अपुन ये सोच के भी हैरान था कि अपुन की सिर्फ उतनी सी बातों से उन्होंने ऐसा रुख अपना लिया था। बोले तो अगर वो सच में चाहती थीं कि अपुन के मन से उनके लिए ऐसी फीलिंग्स जड़ से ही मिट जाएं तो इसके लिए उन्हें कोई दूसरा रास्ता भी तो अपनाना चाहिए था? यूं एकदम से अपुन से बात करना बंद कर देना या अपुन की तरफ देखना बंद कर देने से क्या प्रॉब्लम मिट जाएगी?

खैर अपुन को अच्छा तो नहीं लग रेला था लेकिन कर भी क्या सकता था बेटीचोद? डिनर के बाद सब अपने अपने रूम की तरफ चल पड़े।

रात कुछ खास नहीं हुआ। अपुन के रूम में न विधी आई और ना ही दिव्या। हालांकि अपुन ऐसा चाहता भी नहीं था क्योंकि अपुन को साधना वाले मैटर पर सोच विचार करना था। बोले तो अपुन को जल्द से जल्द उससे हमेशा के लिए पीछा छुड़ाना था बेटीचोद।

~~~~~~

अगली सुबह काफी अच्छे तरीके से हुई। बोले तो अपुन सो रेला था और विधी अपुन के चेहरे पर झुकी अपुन के होठों पर किस कर रेली थी। उसकी गर्म सांसें अपुन के चेहरे पर पड़ रेली थीं जिससे कुछ ही देर में अपुन की आंख खुल गई।

अपुन ने जब उसे ये सब करते देखा तो पहले तो चौंक ही पड़ा लेकिन फिर खुश हो कर अपुन ने झट से उसे दोनों हाथ से पकड़ कर अपने ऊपर ही गिरा लिया। अपुन की इस हरकत से वो बुरी तरह डर गई और घबरा कर चीखने ही वाली थी कि अपुन ने झट से अपने होठ उसके गुलाबी होठों पर रख दिए जिससे उसकी चीख अपुन के मुंह में ही दब गई लौड़ा।

सुबह सुबह अपनी जुड़वा बहन के शहद जैसे मीठे होठों का स्वाद चखने से अलग ही फील आने लग गयला था। उधर वो अपुन की गिरफ्त से खुद को छुड़ाने की कोशिश में लगी थी। हालांकि उसकी कोशिश बस दिखावा जैसी ही लग रेली थी इसी लिए तो अपुन भी उसे नहीं छोड़ रेला था और उसके होठों को चूसने में लगा था बेटीचोद।

थोड़ी देर बाद जब अपन दोनों की ही सासें फूलने लग गईं तो अपुन ने उसे छोड़ दिया। अपुन के छोड़ देने पर भी वो बेसुध सी अपुन के ऊपर ही लेटी रही। उसके सीने के उभार अपुन के सीने में धंसे रहे। अपुन का लन्ड जो पहले ही पेशाब के प्रेसर से खड़ा था वो और भी ज्यादा अकड़ गयला था बेटीचोद। शुक्र था कि विधी के बदन का निचला हिस्सा अपुन के लन्ड के ऊपर नहीं था। वो बस पेट और सीने के साथ ही अपुन के ऊपर लेटी थी।

अपुन ─ क्या हुआ मेरी जान को? अब यूं ही अपुन के ऊपर लेटी रहेगी या उठेगी भी? या अगर और किस करने का मन हो तो बता।

अपुन की बात सुनते ही विधी हड़बड़ा कर अपुन के ऊपर से उठ कर नीचे फर्श पर खड़ी हो गई। उसका खिला हुआ चेहरा शर्म की वजह से हल्का सुर्ख पड़ गयला था। कुछ पलों तक वो अपुन से शर्म के मारे नजरें चुराती रही फिर जैसे उसने खुद को नॉर्मल किया और अपुन को घूरते हुए मुस्कुरा कर बोली।

विधी ─ तू न बहुत गंदा है। माना कि तेरी गर्लफ्रेंड हूं लेकिन इसका मतलब ये थोड़ी है कि तू मेरे साथ ऐसा करे। गंदा कहीं का, हां नहीं तो।

अपुन (हंस कर) ─ लो कर लो बात। खुद तो अपुन को सोते में किस किए जा रेली थी और जब अपुन ने कुछ किया तो अपुन को गंदा बोल रेली है। वाह! खुद को अच्छा और सच्चा साबित करने का क्या मस्त तरीका अपनाया है मेरी इस खूबसूरत गर्लफ्रेंड ने।

अपुन की ये बात सुन कर विधी फिर से शर्मा गई। उसके गुलाबी होठों की मुस्कान कुछ ज्यादा ही गहरी हो गई। फिर एकदम से बेड के किनारे पर बैठ कर बोली।

विधी ─ हां तो मैं क्या करती? तू सोते हुए इतना प्यारा लग रहा था तो मुझसे रहा ही नहीं गया और फिर मैं तुझे किस करने लगी। क्या तुझे मेरे किस करने से बुरा लगा?

अपुन ─ नहीं मेरी जान। अपुन को सच में बहुत अच्छा लगा। अपुन तो चाहता है कि अपुन की हर सुबह ऐसे ही हो। बोले तो हर सुबह जब अपुन की आंख खुले तो अपुन तुझे ही देखे और हां तू ऐसे ही अपुन को किस कर के उठाए।

विधी का चेहरा शर्म से वैसे ही सुर्ख था अब ये बातें सुन कर और भी हो गया। इस वक्त वो सच में बहुत प्यारी लग रेली थी। खिले हुए चेहरे पर शर्म की लाली। गुलाब की पंखुड़ियों पर गहरी मुस्कान और हल्के हल्के कांपते होठ। उफ्फ अपुन का मन मचल उठा। मन किया कि फिर से उसके होठों को मुंह में भर चूसना शुरू कर दे लेकिन फिर अपुन ने अपनी इस इच्छा को सख्ती से दबाया।

विधी ─ क्या तू सच कह रहा है भाई? मतलब क्या सच में तू यही चाहता है?

अपुन ─ हां, अगर तुझे कोई प्रॉब्लम न हो तो।

विधी ─ मुझे तो कोई प्रॉब्लम नहीं है।

अपुन ─ तो ठीक है फिर। अब से तू अपुन को हर सुबह ऐसे ही उठाएगी।

विधी का चेहरा खुशी के मारे और भी खिल उठा लौड़ा। फिर मुस्कुराते हुए बोली।

विधी ─ पक्का भाई। अब से मैं हर सुबह तुझे ऐसे ही उठाऊंगी, हां नहीं तो।

अपुन ─ अच्छा एक बात और है। मतलब कि अगर अपुन दिव्या को भी अपनी गर्लफ्रेंड बना लेगा तो तेरी तरह वो भी तो अपुन के साथ ऐसा ही करने का सोचेगी।

विधी ─ अरे! ऐसे कैसे सोचेगी वो? न, मैं उसे तेरे साथ कुछ भी नहीं करने दूंगी। मेरी जान को सिर्फ मैं ही किस करूंगी, हां नहीं तो।

अपुन समझ गया कि एक बार फिर से वो अपुन पर सिर्फ अपना ही हक जता रेली है और चाहती भी है कि हर कीमत पर ऐसा ही हो। जबकि अपुन अच्छी तरह समझता था कि अगर उसके अनुसार अपुन चला तो आगे मामला बिगड़ जाएगा लौड़ा।

अपुन ─ अच्छा तुझे एक बात बताता है अपुन।

विधी ─ कौन सी बात भाई?

अपुन ─ सुन तो। अपुन ने कहीं पढ़ा था कि सच्चा प्यार जो होता है न वो कभी भी किसी पर अपना हक नहीं जताता और ना ही प्यार करने वाला ये सोचता है कि अगर उसके प्रेमी को किसी और ने भी प्रेम कर लिया तो क्या होएगा? बोले तो सच्चा प्यार करने वाला ये सब सोचता ही नहीं है। वो तो सिर्फ प्यार करना जानता है। उसे तब भी खुशी मिलती है जब कोई और भी उसके प्रेमी को प्रेम करने लगता है।

विधी ─ ये तू कैसी बात कर रहा है भाई? कोई ऐसा कैसे हो सकता भला? और वो प्यार करने वाला ऐसे में कैसे खुश हो सकता है? तू न कुछ भी बोलता है और सोचता है कि मैं मान लूंगी? इतनी बुद्धू नहीं हूं मैं, हां नहीं तो।

अपुन उसकी इन बातों पर मन ही मन हंस पड़ा लेकिन फिर उसे समझाते हुए कहा।

अपुन ─ अभी तूने अपुन की बात को अच्छे से सुना ही नहीं है। बोले तो तुझे अपुन की इस बात की गहराई में जाना था और फिर समझना था कि अपुन की इन बातों में कितनी बड़ी बात छुपी है।

विधी ─ तू ये गोल मोल बात कर के मुझे कन्फ्यूज क्यों कर रहा है? साफ साफ बता न क्या कहना चाहता है?

अपुन ─ देख, अपुन का मतलब ये था कि जो किसी से सच्चा प्यार करता है उसकी नजर में उसका प्रेमी या प्रेमिका दुनिया में सबसे खास होते हैं। ये बात तू भी समझती है कि नहीं, बता?

विधी ─ हां ये तो तू सही कह रहा है।

अपुन ─ गुड, यानि प्यार करने वाला ये समझता है कि उसके प्रेमी से अच्छा दुनिया में कोई नहीं है। तभी तो उसके दिल में उसके लिए इतना प्रेम होता है। अब तू खुद सोच कि जिसकी नजर में उसका प्रेमी दुनिया का सबसे अच्छा इंसान हो उसे अगर कोई गलत बोले या गाली दे तो कैसा लगेगा?

विधी ─ फिर तो बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगेगा भाई।

अपुन ─ और अगर कोई उसके प्रेमी को सबसे अच्छा कहे और उसे नफरत की जगह प्यार से देखे तो कैसा लगेगा?

विधी ─ बहुत अच्छा लगेगा भाई।

अपुन ─ वेरी गुड। अब तू खुद सोच कि तू क्या कर रेली थी?

विधी एकदम से चकरा गई। जैसे उसे समझ ही न आया कि अपुन ने अभी क्या बोला उसको?

विधी ─ मैं कुछ समझी नहीं भाई? तू क्या कह रहा है ये?

अपुन ─ तुझे उस बात से प्रॉब्लम थी कि दिव्या अपुन को न प्यार करे और ना ही और कुछ करे। यानि अपुन के साथ जो भी करे सिर्फ तू ही करे। अरे! सिंपल सी बात है कि जब तेरा ब्वॉयफ्रेंड तेरी नजर में सबसे खास है तो उससे हर कोई प्यार करना चाहेगा न। अब अगर तेरे सामने कोई अपुन को ये कह देगा कि अपुन बहुत गंदा है और वो अपुन से नफरत करती है तो क्या तुझे ये अच्छा लगेगा, नहीं न? यानि तू यही चाहेगी कि जिसे तू पसंद करती है उससे कोई भी नापसंद न करे और ना ही उससे कोई नफरत करे।

विधी ─ हां मैं तो यही चाहूंगी भाई।

अपुन ─ तो अब तू खुद सोच कि जब तू यही चाहती है तो फिर लोग अपुन से क्या करेंगे? बोले तो प्यार ही करेंगे न? जैसे तू अपुन से करती है और अपुन के साथ किस करती है ठीक वैसे ही दिव्या भी तो चाहेगी। अब कुछ समझ आया तुझे?

विधी को शायद अब बात समझ आ गईली थी लेकिन फिर भी थोड़ी झिझक के साथ ही उसने हां में सिर हिलाया।

विधी ─ बात तो तू सही कह रहा भाई लेकिन पता नहीं क्यों मुझे ये अच्छा नहीं लगता कि मेरे सिवा कोई और भी तुझे मेरे जैसे पसंद करे।

अपुन ─ क्योंकि तू अपुन पर सिर्फ अपना हक समझती है। जबकि सच्चा प्रेम करने वाला कभी अपने चाहने वाले पर हक नहीं जताता। बल्कि वो यही चाहता है कि जैसे वो चाहती है उसी तरह हर कोई उसके चाहने वाले को चाहे। एक बात और, अगर सच्चाई की बात करे तो अपुन पर तेरे अलावा भी न जाने कितनों का हक है। सबसे पहले तो अपन लोग के मॉम डैड का, क्योंकि उन्होंने अपुन को पैदा किएला है, फिर दी लोग का, तेरा और अपन लोग के सभी फैमिली का। ऐसे में क्या तू ये कहेगी कि नहीं, वो सब लोग अपुन को न चाहें, सिर्फ तू अपुन पर अपना हक समझे?

विधी ─ तू सच कह रहा है भाई। मैं सच में सिर्फ अपने बारे में ही सोच रही थी। माय गॉड कितनी बुद्धू थी मैं। तुझ पर तो सच में सबका हक है। मॉम डैड, दी लोग भी तो तुझे प्यार करते हैं तो जाहिर है उनका भी तुझ पर हक होगा ही।

अपुन ─ वेरी गुड। अब जा कर तू अच्छे से समझ पाई है।

विधी ─ अरे! वो तो मैं पहले ही अच्छे से समझ जाती। इतनी बुद्धू नहीं हूं मैं। तुझे ही अच्छे से समझाना नहीं आ रहा था तो इसमें मेरी क्या गलती है, हां नहीं तो।

अपुन मन ही मन हंस पड़ा। खैर अपन लोग को फ्रेश होने के बाद और ब्रेकफास्ट करने के बाद कॉलेज भी जाने का था इस लिए अपुन ने विधी को जाने को बोला और खुद बाथरूम में घुस गया लौड़ा।

आज मॉम डैड आने वाले थे। उनके आने के बाद अपुन को थोड़ा सम्हल के रहना होगा, खास कर मॉम से क्योंकि वो घर पर ही रहती हैं और कभी भी किसी के भी रूम में आ जा सकती हैं।

ब्रेकफास्ट के लिए अपन लोग डायनिंग टेबल पर बैठेले थे। आज साक्षी दी भी अपन लोग के साथ ही बैठी थीं। अपुन को एक नज़र देखने के बाद उन्होंने अपना ब्रेकफास्ट करना शुरू कर दिया था। इधर अपुन सोच रेला था कि साक्षी दी से बात करने का जुगाड़ बनाना ही होगा। बोले तो उन्हें ये एहसास करवाना ही होगा कि अपुन से बात चीत न करने से बाकी लोग जाने कैसे कैसे सवाल खड़े करने लगेंगे। विधी और दिव्या ने तो फिलहाल अभी कुछ नहीं सोच था लेकिन मॉम जल्दी ही फील कर लेंगी कि अपन दोनों के बीच कोई प्रॉब्लम जरूर है।

कॉलेज जाने का टाइम हुआ तो अपन लोग निकल पड़े। हर रोज की तरह दिव्या अपुन के साथ बाइक में पीछे बैठ गई जबकि विधी अपनी स्कूटी से चल पड़ी।

~~~~~~

रास्ते में एक जगह प्लान के अनुसार अपुन ने अपनी बाइक की स्पीड कम कर दी ताकि विधी के साथ साथ ही चल सके और दिव्या उसके सामने अपुन से गर्लफ्रेंड बना लेने की बात बोल सके

थोड़ी देर में जब अपुन विधी के बराबर से बाइक चलाने लगा तो दिव्या ने थोड़ा ऊंची आवाज में अपुन से कहा।

दिव्या ─ भैया, विधी दी की तरह आप मुझे भी अपनी गर्लफ्रेंड बना लीजिए न।

उसकी बात सुनते ही स्कूटी चला रही विधी ने चौंक कर उसकी तरफ देखा और फिर अपुन की तरफ। इधर अपुन ने एक नजर विधी को देखने के बाद कहा।

अपुन ─ अरे! ये क्या बोल रेली है तू? पागल है क्या?

दिव्या ─ अच्छा तो अब आप मुझे पागल कहेंगे? वाह! भैया, मैं आपकी सगी बहन नहीं हूं इस लिए आप मुझे अपनी गर्लफ्रेंड नहीं बनाना चाहते और मुझे पागल कह रहे हैं।

अपुन ─ अरे! यार ऐसी कोई बात नहीं है।

दिव्या ─ ऐसी ही बात है भैया। मैं अच्छे से समझ गई हूं कि आप सिर्फ विधी दी को ही अपनी बहन मानते हैं और उन्हें दिल से प्यार करते हैं।

अपुन ─ यार तू कैसी बात कर रेली है? अपुन तुझे भी उतना ही प्यार करता है जितना विधी को।

दिव्या ─ अगर ये सच है तो फिर मुझे भी दी के जैसे अपनी गर्लफ्रेंड बनाईए, तभी मानूंगी नहीं तो नहीं।

विधी हैरानी से कभी दिव्या को देखती कभी अपुन को। अपुन जानता था कि विधी को ये उम्मीद नहीं थी कि दिव्या अचानक से इस तरह खुद को अपुन की गर्लफ्रेंड बना लेने की बात बोल देगी।

अपुन ─ अच्छा ठीक है। अगर तुझे गर्लफ्रेंड बना लेने पर ही यकीन आएगा तो ठीक है। अपुन तुझे भी अपनी गर्लफ्रेंड बना लेता है।

दिव्या ये सुन कर खुशी से उछलने लगी जिससे उसके बूब्स अपुन की पीठ पर रगड़ने लगे। अपुन के पूरे जिस्म में रोमांच की लहरें दौड़ने लगीं लौड़ा। उधर विधी स्कूटी चलाते हुए थोड़ा शॉक से देखने लगती थी अपन दोनों को। तभी दिव्या अपने बूब्स को और भी ज्यादा अपुन की पीठ पर धंसाती हुई बोली।

दिव्या ─ वॉव! भैया, क्या सच कह रहे हैं आप? मतलब क्या सच में आपने मुझे भी अपनी गर्लफ्रेंड बना किया है?

अपुन ─ हां यार। क्या अब भी तुझे अपुन पर यकीन नहीं है?

दिव्या ─ है भैया। अब मुझे यकीन हो गया है आप मुझे भी विधी दी के जैसे प्यार करते हैं।

विधी ─ चल इतना ज्यादा खुश होने की जरूरत नहीं है तुझे और हां ये बात घर में किसी को मत बताना वरना बहुत बड़ी गड़बड़ हो जाएगी, हां नहीं तो।

दिव्या ─ डोंट वरी दी। मुझे भी पता है कि ये बात किसी को पता चलने लायक नहीं है।

अपुन सोच रेला था कि अब इसके बाद पता नहीं क्या होने वाला है? बोले तो कुछ तो खास जरूर होगा ये पक्की बात है। मतलब कि कोई लड़की अगर किसी की गर्लफ्रेंड बन जाती है तो उस रिश्ते के चलते कुछ तो चेंज होता ही है।

खैर देखते हैं क्या होता है, फिलहाल तो अपुन मजे में था क्योंकि दिव्या कुछ ज्यादा ही अपुन से चिपकी हुई थी। उसके बूब्स के निप्पल तक अपुन को फील हो रेले थे। अपुन का लन्ड जाने कब का सिर उठा बैठा था बेटीचोद। तभी दिव्या ने थोड़ा ऊंची आवाज में मुझसे कहा।

दिव्या ─ अच्छा भैया, आपने और विधी दी ने तो गर्लफ्रेंड बॉयफ्रेंड बनने के बाद एक दूसरे को किस किया था तो क्या अब मैं भी आपको किस कर सकती हूं? और...और आप भी मुझे किस करेंगे न?

उसकी ये बात सुनते ही जहां अपुन की धड़कनें बढ़ गईं वहीं स्कूटी चला रही विधी ने उसको घूर कर देखा। जबकि विधी के घूरने की परवाह किए बिना दिव्या ने मुस्कुराते हुए फिर से कहा।

दिव्या ─ बताइए न भैया, अब हम भी एक दूसरे को किस करेंगे न?

अपुन ─ अच्छा ठीक है कर लेंगे लेकिन यहां नहीं बल्कि घर में और वो भी अपने सामने।

दिव्या ये सुन कर और भी ज्यादा खुशी से झूम उठी और इस बार अपने दोनों हाथों को अपुन की छाती और पेट के बीच ला कर अपुन को कस लिया। इससे उसके बूब्स और भी ज्यादा अपुन की पीठ पर जैसे पिस गए लौड़ा। अपुन के मन में खयाल उभरा कि ये लौड़ी अपुन को यहीं पर झड़ा देगी लगता है।

खैर ऐसी ही बातों के साथ अपन लोग कॉलेज पहुंच गए। दिव्या तो बहुत खुश थी लेकिन विधी का चेहरा थोड़ा मायूस था। शायद वो अभी भी अपुन को दिव्या के साथ बांटना नहीं चाहती थी लेकिन मजबूरी के चलते उसने इतना एक्सेप्ट कर लिया था।

पार्किंग में बाइक और स्कूटी खड़ी करने के बाद अपन लोग कॉलेज के अंदर की तरफ चल दिए। अपुन के अगल बगल दोनों कमसिन और नाजुक बदन की परियां चल रेली थीं और अपुन ऐसा फील कर रेला था जैसे अपुन कहीं का महाराज है बेटीचोद।

थोड़ी ही देर में जब दिव्या अपनी क्लास की तरफ चली गई तो विधी ने इधर उधर देखने के बाद अपुन से कहा।

विधी ─ तूने उसको किस करने के लिए हां क्यों किया?

अपुन ─ यार तू अभी भी उसी सोच को ले के बैठी है? खुद सोच कि दुनिया में ऐसी कौन सी लड़की है जो किसी की गर्लफ्रेंड बनने के बाद ऐसी चाहत नहीं करेगी? तू भी तो यही चाहती है न, इसके अलावा भी और न जाने क्या क्या।

विधी ─ हां ये तो तू सही कह रहा है। अच्छा ठीक है तू उसे भी किस कर लेना।

अपुन ─ देख, अब तू और वो दोनों ही एक जैसी सिचुएशन में हो इस लिए तुझे उसके साथ अच्छे से मिल जुल के रहना होगा। न तू उसे किसी बात के लिए रोकेगी और ना ही वो रोकेगी। ऐसे में होगा ये कि अपन लोग के बीच कभी भी कोई प्रॉब्लम नहीं आएगी और अपन लोग खूब एंजॉय कर सकेंगे।

विधी ─ अच्छा क्या सच में?

अपुन ─ और नहीं तो क्या?

विधी ─ फिर ठीक है। अब से मैं ऐसा ही करूंगी लेकिन तू सबसे पहले मुझे ही किस किया करेगा और....और मॉर्निंग में भी मैं ही तुझे जगाने आऊंगी। देख ये बात तो तुझे माननी ही होगी वरना मैं नाराज हो जाऊंगी तुझसे, हां नहीं तो।

अपुन ─ ठीक है। अब चल क्लास का टाइम हो रेला है।

उसके बाद अपन दोनों खुशी खुशी क्लास की तरफ चल दिए। अभी कुछ ही कदम चले थे कि सामने से रीना आती दिखी और उसके पीछे शनाया भी।

उन दोनों को देख विधी का मुंह बन गया लेकिन उसने कहा कुछ नहीं। थोड़ी ही देर में वो दोनों अपन लोग के पास आ गईं और अपन लोग को हैलो हाय करने लगीं।

अपुन लड़कियों के बीच से निकल कर आगे बढ़ गया। असल में अपुन को अमित से मिलने का था। अपुन उससे मिल के ये देखना चाहता था कि वो अपुन से कैसा बिहेव करता है? असल में अपुन ये सोच रेला था कि कहीं साधना ने उसे कुछ बता तो नहीं दिया है जिसकी वजह से अमित का बर्ताव अपुन के लिए चेंज हो गया हो।


To be continued....
Woww Vidhi aur Divya to ready hain chudne ko.
 
  • Like
Reactions: parkas
Top