“हाँ हम ठीक हैं, राहुल भी ठीक है, पूरी मस्ती कर रहा है, बहुत शरारती बन गया है आजकल, ऐसी ऐसी शरारतें करता है कि क्या बतायुं आपको, आप सुनाइए आप कैसे हैं? आपकी तबीअत तो ठीक है ना”
दूसरी तरफ से : ……………………………………………………
“और काम काज कैसा चल रहा है?” सलोनी राहुल की और घूर रही थी | जिसने फिर से अपना चेहरा मोड़कर ऊपर की और कर लिया था और अपनी आँखों पर फिर से बांह रख ली थी |
दूसरी तरफ से : ……………………………………………………
“मैं क्या करूंगी वही कर रही थी जो पूरा दिन करती हूँ, बस आपको याद कर रही थी”
दूसरी तरफ से : ……………………………………………………
“नींद किसे आती है जान, यहाँ तो पूरी पूरी रात करवटें बदलते बदलते निकल जाती है, ना दिन को चैन, ना रात को, बस किसी तरह दिन काट रहे हैं आपकी राह देखते”
दूसरी तरफ से : ……………………………………………………
“इतनी याद आती है तो फिर छोड़ कर क्यों गए थे.... यह भी नही सोचा मैं किसके सहारे दिन काटूँगी.... इतनी लम्बी लम्बी रातें बिना आपके कैसे काटूं”
दूसरी तरफ से : ……………………………………………………
“राहुल? वो अपने कमरे में सोया हुआ है उसकी आप चिंता मत कीजिये , जो भी बात करनी है, खुल कर कीजिये”, सलोनी थोडा ऊँचे स्वर में बोलती है |
दूसरी तरफ से : ……………………………………………………
“उफफ्फ्फ्फ़.... मेरी कौन सी हालत आपसे कम बुरी है, आपको कैसे बताऊं, सारा दिन गीली रहती है बेचारी, हर पल आपके लंड के लिए तरसती है”, सलोनी का स्वर कामुक होता जा रहा था |