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Incest हाए मम्मी मेरी लुल्ली (Completed With gifs)

Nevil singh

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सलोनी बिना कोई ज्वाब दिए घूम जाती है | "इधर भी देखो ना.... अच्छी तरह से ठीक कर दो नही तो मुझे बैठने उठने में बहुत असूबिधा होगी" स्लोनी फिर से नखरा करते हुए बोलती है |

राहुल की नज़र जब सलोनी के नितंबो पर जाती है ओह 'उफफफफफफफ्फ़' उसका लौड़ा और भी ज़ोर से झटके मारने लग जाता है | सलोनी की कच्छी बहुत टाइट थी | इतनी टाइट कि उसके दोनो नितंबो पर चमड़ी की तरह चिपकी हुई थी |

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उसके दोनो नितंब उनकी गोलाई, मोटाई सब कुछ सामने से नज़र आ रहा था |
कच्छी पर कोई बल कोई सिलवट नही थी मगर राहुल इस मौके को हाथ से कैसे जाने देता |
वो सलोनी के दोनो नितंबो पर अपने हाथ रख उन्हे बड़े प्यार से सहलाता है |
वो कच्छी को ठीक करने के बहाने सलोनी के नितंबो को मसलता है उसकी गांड की गहराई में अपना हाथ घुसाता है |

"देखना एकदम सही हो जाए.... अच्छे से करना बेटा......" सलोनी मादक स्वर में धीमे से बोलती है |

राहुल को भी कोई जल्दबाजी नही थी | वो भी कच्छी की सिलवटे निकालने के बहाने उसके नितंबो को अपने अंगूठे और उंलगी में भर मसलता |
कई बार सलोनी 'सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सीईई' की आवाज़ के साथ तीखी सिसकी लेती |
आख़िरकार राहुल अपनी मम्मी की गांड को सहलाते उसकी मादक खुशबू लेते रुक गया |
उसे डर था कहीं इतना ज़्यादा समय लगाने पर सलोनी उसे फिर से छेड़ने ना लगे |

"हुं अब ठीक है" सलोनी अपने बेटे के सामने घूमती है |
वो फिर से आईने के सामने जाकर अपना शिंगार पूरा करने लग जाती है |

आईने में से राहुल को देखती जो अपना लौड़ा मसल रहा था वो मुस्करा रही थी |

"अब मैं कपड़े कोन से पहनू? साड़ी जा फिर चूड़ीदार?" सलोनी मेकअप के बाद सीट से उठती राहुल से पूछती है |

"जो आपको अच्छा लगे पहन लीजिए" राहुल को समझ नही आया वो क्या कहे |

"तो तुम्हारी कोई पसंद नही है? अपनी मम्मी की इतनी सी भी हेल्प नही कर सकते?" सलोनी झूठ मूठ की नाराज़गी जाहिर करती है |
jadui update.
 

Nevil singh

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"अब म्‍म्मी मैं क्या कहूँ......आप साड़ी पहन लीजिए"

"हुं साड़ी ठीक है... मगर बेटा सब्ज़ी मंडी जाना है बहुत भीड़ और गर्मी होगी, साड़ी में कैसे जाऊँगी?" सलोनी राहुल की पेंट में बने टेंट को देखते पूछती है |

"तो फिर चूड़ीदार पहन लीजिए.......अगर आपको गर्मी का डर है तो.......आप कुर्ता डाल लीजिए"

"हाँ ....... बिल्कुल ठीक कहा तुमने कुर्ता डाल लेती हूँ.... गर्मी में आराम रहेगा और अंदर हवा भी लगती रहेगी ..... अब तुमने इतनी टाइट ब्रा और कच्छी पहना दी है और कुछ डालूंगी तो गर्मी से मर ही जायूंगी" सलोनी कुर्ता और उसके साथ एक जीन्स निकालती है | उन्हे बेड पर फेंक वो अपनी बाहें सामने को फैला देती है | राहुल कुछ समझ नही पाता |

"अरे बुद्धू अब क्या हर बार बोलकर समझना पड़ेगा ........ पहनायो" सलोनी तीखे स्वर में बोलती है तो राहुल फटाफट उसका कुर्ता उठाकर उसे पहनाने लगता है |

आख़िरकार राहुल की इतनी मेहनत के बाद सलोनी अब कपड़े पहन ही चुकी थी | वो एक बार फिर से खुद को आईने में देखती है अपने बाल संवारती है और मेकअप ठीक करती है | फिर वो अपना पर्स उठाती है और टेबल से कार की कीज़ लेती है |

"हुं...... कैसी लग रही हूँ" सलोनी राहुल के सामने जाकर खड़ी हो जाती है |

"बहुत खूबसूरत ...... मम्मी आप सच में बहुत सुंदर हो" | राहुल मन्त्रमुग्ध सा बोलता है |

"खूबसूरत..... सुंदर ......... यह क्या तारीफ हुई भला.......... जैसे कोई बाप अपनी बेटी को बोलता है.... अरे थोड़ा सा खुलकर बता ना ....... कैसे लग रही हूँ?" सलोनी का स्वर इतना उत्तेजित और मादक था कि राहुल का लौड़ा पेंट फाड़ने पर तूल गया |
tadfti update.
 

Nevil singh

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"जबरदस्त........आप बहुत......बहुत...........बहुत......अच्छी दिख रही हो....मुझे नही मालूम मम्मी" राहुल वहाँ से हटने की कोशिश करता है | मगर सलोनी उसके कंधो पर हाथ रखके उसे वहीं रोक लेती है |

"अरे बेवकूफ़ अगर तुझसे तेरी गर्लफ्रेंड पूछेगी तो ऐसा बोलेगा क्या ..... क्या बोलेगा तू! बहुत सुंदर हो! बहुत खूबसूरत हो! बहुत अच्छी दिखती हो! ....... वो यकीन ही नही करेगी और शायद उसे इन शब्दो की समझ ही नही लगेगी"

"मुझे नही मालूम क्या बोलना है .... मेरी कौनसी कोई गर्लफ्रेंड है?" राहुल खीझता हुआ बोलता है |

"इसीलिए तो तुझे बता रही हूँ......... अगर तुझसे तेरी गर्लफ्रेंड पूछेगी तो नही बोलेगा कि वो बहुत सेक्सी दिखती है ........ ऐसा कुछ नही बोलेगा?" राहुल हूँ में सर हिलाता है | "हुं ........ आजकल लड़कियों से औरतें सब तारीफ में यही सुनना चाहती हैं .... अब बोल क्या बोलेगा" सलोनी उसके कंधो को अपने हाथो में दबाकर बोलती है |

"मम्मी आप बहुत सेक्सी दिखती हो" राहुल धीमे से कहकर सर झुका लेता है | सलोनी ज़ोरों से हँसने लग जाती है | वो उसके कंधो से हाथ हटाकर अपना मुँह ढक लेती है | उसका पूरा बदन कांप रहा था | वो बेड पर बैठ जाती है | वो कई बार हँसी रोकती है मगर फिर से हँसने लगती है | राहुल को समझ नही आ रहा था वो क्या करे, आख़िर उसकी मम्मी उससे चाहती क्या थी | वो कुछ शर्मिंदा सा खड़ा था |

आख़िरकार सलोनी की हँसी बंद होती है और वो फिर से राहुल के सामने खड़ी हो जाती है | उसके झुके सर को अपने हाथ से उपर उठाती है | राहुल अपनी मम्मी की और देख रहा था | अभी भी सलोनी के चेहरे पर हँसी थी | उसका चेहरा हँसी से कुछ लाल हो गया था और आँखो में कुछ पानी आ गया था | एक तरफ़ तो राहुल कुछ खीझा हुआ था वहीं अपनी मम्मी के हंसते चेहरे को देख वो अंदर से मुस्करा उठा | कितनी सुंदर है वो, किसी परी की तरह वो सोच रहा था और हँसते हुए तो एकदम किसी मलिका के जैसे लगती थी |
bahkti update.
 

Nevil singh

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“अरे भोले बुद्धू ..... वो तो मैने तुझे बताया था.....तुझे अपने पास से कुछ बोलना है......कैसे हो तुम राहुल मेरी थोड़ी सी तारीफ भी नही कर सकते ......... कल को लड़कियाँ कैसे पटाओगे ........... चलो अब बोलो जल्दी से, देखो कितनी देर हो गयी है ........... जल्दी करो" सलोनी राहुल को उकसाती है | राहुल सोच में पड़ जाता है | वो सोचने लगता है मगर उस समय उसके दिमाग़ में कुछ भी नही आ रहा था | वो याद करने की कोशिश करता है कि उसके फ्रेंड्स लड़कियों के बारे में कैसे बोलते हैं मगर फिर भी वो कोई ऐसा लफ्ज़ सोच नही पा रहा था |

"ओफफफफफफफह ..... राहुल इतना टाइम........जल्दी करो ना........” सलोनी उसकी मुश्किलों को और बढ़ा रही थी | राहुल की नज़र अचानक अपनी मम्मी के मुम्मो पर जाती है और नाज़ाने क्यों अचानक उसे अपनी मौसी पायल का ध्यान आ जाता है | उसके मुम्मे भी सलोनी की ही तरह मोटे मोटे थे | 'साली वो भी पूरी पटाखा है' राहुल अपनी मौसी को याद करता है | 'पटाखा ... पटाखा' अचानक राहुल का चेहरा खिल उठता है |

"मम्मी आप तो पूरी पटाखा लग रही हो" राहुल जोश में बोल जाता है | उसे लगा शायद उसने अपनी मम्मी की शर्त पूरी कर दी है | सलोनी एक पल के लिए आँखे गोल करती है फिर उसके होंठ काँपते हैं | राहुल घबरा जाता है | लगता था वो फिर से हँसने वाली है | मगर इस बार सलोनी हँसती नही |

"हुं ..... यह हुई ना बात......पटाखा ....... बात पूरी बनी नही ........... मगर चलेगा ......... तूने कुछ बोला तो सही वरना मुझे तो लगने लगा था कि आज रात तक तेरे कुछ बोलने का इंतज़ार करना पड़ेगा ............ वैसे भी तेरी पेंट का तंबू देखकर लगता तो ऐसा ही है कि मैं सचमुच में पटाखा लग रही हूँ" सलोनी राहुल की पेंट का उभार गौर से देखते हुए बोलती है | फिर वो अपनी आँखे राहुल की आँखो में डाल देती है |

"चलें मम्मी ........... देर ..... देर हो रही है" राहुल थूक गटकता है |
A1 update.
 

Nevil singh

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सलोनी आगे बढ़ती है | अब उसके और राहुल के बीच एक फीट से भी कम का फासला था | वो अपनी बाहें राहुल के गले में डाल देती है मगर उन्हे मोड़ती नही है बल्कि उसके गले में बाहें डाल वो उन्हे पीछे को फैला अपने हाथ बाँध लेती है |

"मर्ज़ी है तुम्हारी ............. "सलोनी इठलाते हुए नखरा दिखाते हुए मादक स्वर में बोलती है |

"क्या मतलब ..... मम्मी ...." राहुल फिर से थूक गटकता है |

"मैने सोचा शायद तुम्हारा दिल ..... कुछ और करने का है तो ....... " सलोनी आवाज़ में मादकता भरते हुए चूदने को तत्पर किसी उत्तेजित नारी की तरह सिसकते स्वर में बोलती है | राहुल की धड़कने बढ़ जाती हैं | उसे अचानक से आस की किरण दिखाई देती है | उसे लगता है जैसे उसका काम बन जाएगा | उसका लौड़ा खुशी में ज़ोरदार झटका ख़ाता है |

"नही ......... सच में देर हो रही है ................... उफ़फ्फ़ देख तो कितना टाइम हो गया है......चल जल्दी से" सलोनी चाभी और पारस लेकर दरवाजे की और बढ़ती है. राहुल के सारे सपने फिर से चकनाचूर हो गये थे | दोपहर से दो बार ऐसा हो चुका था कि उसे आस बँधी हो और वो टूट गयी हो |

"साली........." राहुल अपने मन में अपनी भड़ास निकालता दरवाजे की और बढ़ता है |
damdaar update.
 

Nevil singh

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राहुल कार में साइड सीट पर बैठा बाहर की और घूर रहा था जबकि सलोनी कार चला रही थी | सलोनी के होंठो पर हल्की सी मुस्कान बनी हुई थी और वो ड्राइव करती बार बार राहुल की और देख रही थी |

"नाराज़ हो?" सलोनी के पूछने पर राहुल कोई ज्वाब नही देता |

"इतनी नाराज़गी कि बात भी नही करोगे अपनी मम्मी से?" जब राहुल कोई ज्वाब नही देता तो सलोनी उसे फिर से बुलाती है मगर राहुल पहले की तरह बाहर देखता रहता है और अपनी मम्मी को कोई ज्वाब नही देता | सलोनी के होंठो की मुस्कराहट और भी बढ़ जाती है |

"अच्छा बताओ तुम्हे क्या चाहिए? किस चीज़ से तुम्हारी नाराज़गी दूर होगी?" सलोनी बेटे को मनाने का प्रयास करती बोलती है |

"मुझे कुछ नही चाहिए और ना ही मैं नाराज़ हूँ ... आपको जो चाहिए था वो आपको मिल गया, आप खुश हैं ना बस........... आप मेरी चिंता मत कीजिए" राहुल गुस्से से तीखे स्वर में ज्वाब देता है |

"ओह तो यह बात है........तो तुम सोचते हो कि मुझे जो चाहिए था वो मुझे मिल गया इसीलिए मैं खुश हूँ और जो तुम्हे चाहिए था वो तुम्हे नही मिला और शायद इसीलिए तुम नाराज़ हो? है ना?" सलोनी एक हाथ से आराम से ड्राइव करती राहुल की जाँघ को सहला रही थी |

"नही आप ग़लत सोचती हैं, मैने आपसे कहा ना मुझे आपसे कुछ नही चाहिए और ना ही मैं आपसे नाराज़ हूँ" इस बार राहुल का स्वर और भी तीखा था |

"मैं अच्छी तरह से जानती हूँ तुम क्यों नाराज़ हो, मगर तुमने कौनसा कहा था कि तुम मेरी लेना चाहते हो? तुमने कहा एक बार भी? नही कहा.... मैने सोचा जितना मज़ा मुझे आया होगा तुम्हारे चाटने से उतना ही तुम्हे भी आया होगा इसीलिए मैने सोचा कि बाकी का मज़ा अब रात को कर लेंगे.... अगर मुझे मालूम होता कि तुम इस तरह नाराज़ हो जाओगे तो मैं तुम्हे देती ना!......पहले भी तो दी है ना.........तुमने मारी है ना मेरी......." सलोनी का हाथ राहुल की जाँघ पर उसके लौड़े की तरफ धीरे धीरे बढ़ता जा रहा था |
jakash update.
 

Nevil singh

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"अच्छा अब मान भी जाओ ......." सलोनी के स्वर में मादकता भरती जा रही थी | "घर चल कर खूब मज़े से दूँगी........टाँगे उठाकर........उउउंम्म चाहो तो अपनी टाँगे तुम्हारे कंधे पर रखकर दूँगी........." सलोनी बात नही कर रही थी बल्कि बड़े ही मादक और कामुक स्वर में फुसफुसा रही थी और उसके हाथ की उंगलियाँ बार बार लंड से टकरा रही थी | राहुल चाहे अपनी मम्मी से बहुत नाराज़ था मगर उसकी अशलील भड़कायु बातों और हरकतों के कारण अपने तेज़ी से सखत हो रहे लौड़े को नही रोक सकता था | उसकी पेंट में टेंट बनाना शुरू हो चुका था |
"और अगर चाहो तो........तो मुझे घोड़ी बना लेना....... आज रात अपनी मम्मी को घोड़ी बना कर फिर मेरी ...... मेरी.......... हाइईए ..... पीछे से ......... पीछे से......." सलोनी राहुल के लंड को पेंट के उपर से मुठ्ठी में भर कर उसे मसलते हुए बोलती है |

अपने होंठो पर जीभ फेरते हुए जितनी कामुक आवाज़ में वो बोल रही थी उससे कहीं ज़्यादा कामुक उसके चेहरे के भाव थे | राहुल के दिल की धड़कने बढ़ चुकी थी | उसकी साँसे उखड़ी हुई थी | पेंट में उसका लौड़ा पूरा तन कर झटके खा रहा था |
"पीछे से......पीछे से क्या मम्मी?" राहुल बिल्कुल धीमे से स्वर में बोलता है | वो भूल भी चुका था कि वो अपनी मम्मी से नाराज़ भी था |
"पीछे से....पीछे से......वो तू अपना मेरी मेरी उसमे......डाल कर.....और फिर......हाए अंदर-बाहर.....अंदर-बाहर.....ज़ोर से.......कस्स कस्स कर.....हाए मैं नही बोल सकती मुझे शरम आती है" सलोनी सचमुच ऐसे शरमाती है जैसे उसे बहुत शरम आ रही हो | उसका हाथ अभी भी राहुल के लंड को मसल रहा था |
"बताओ ना मम्मी......प्लीज़ मम्मी बताओ ना......" राहुल फुसफुसा कर बोलता है | उसके कान अपनी माँ के मुँह से वो अल्फ़ाज़ सुनने को तरस रहे थे |
"वो......वो....तू अपना अपना वो.....मेरी....मेरी इसमें डाल कर......हुमच हुमच कर.....हाए जब कस कस कर............अंदर बाहर.....अंदर बाहर........" अचानक सलोनी राहुल के लंड से हाथ हटा लेती है | वो सब्ज़ी मंड़ी के पास पहुँच गये थे |
beautiful update.
 

Nevil singh

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सड़क पर रश बढ़ता जा रहा था | "तुम अच्छे से सीधे होकर बैठो.... हम लोग अब मंडी में हैं" सलोनी राहुल को सीधे होकर बैठने के लिए कहती है और खुद भी सीधी होकर सामने देखती ध्यान से गाड़ी चलाने लगती है |

"माद्रचोद ......अपनी साली किस्मत ही खराब है" राहुल अपनी किस्मत को कोसता है | कार मंडी के सामने पहुँच चुकी थी और सलोनी उसे बिल्कुल कम स्पीड पर चलाती किसी सेफ पार्किंग को तलाश रही थी | कार पार्क करने के पशचात सलोनी अपना पर्स बाहर निकालती है और अपना दुपट्टा कार में ही छोड़ देती है | राहुल भी अपनी मम्मी के पीछे निकल पड़ता है | वो जैसे ही सलोनी के पीछे जाने लगता है, सलोनी उसे रोक देती है और उसे कार की कीस देती कहती है,

"इस तरह जाओगे मंडी में, हालत देखी है अपनी" राहुल अपनी मम्मी की बात समझ नही पाता और उसे स्वालिया नज़रों से देखता है | "अपनी पेंट में बने तंबू को तो देखो ....... लोग हँसेंगे तुम पर" राहुल मायूस सा होकर अपनी मम्मी के हाथ से चाभी ले लेता है और कार की तरफ मुड़ जाता है | वो खुद जानता था इस हालत में वो मंडी नही जा सकता |

"अब यह चेहरा मत लटकाओ .... जब यह शैतान बैठ जायेगा तो आ जाना" सलोनी की बात से राहुल को थोड़ी हिम्मत बंधती है | असल में सलोनी के दुपट्टा ना पहनने से वो थोड़ा सा परेशान हो उठा था | हालांकि सलोनी ने दुपट्टा नही पहना था और उसका कुर्ता भी थोड़ा ढीला सा था मगर सलोनी के मुम्मे इतने मोटे और तने हुए थे कि कुर्ते में से उनका रूप छलक रहा था | उसकी गोरी रंगत शाम की हल्की धूप में चमक रही थी और उपर से उसने बाल भी खुले रख छोड़े थे |

राहुल का परेशान होना बिल्कुल वाजिब था | जिसकी भी नज़र सलोनी पर पडती वो पहले उसके चेहरे और फिर उसके सिने को घूर कर देखता | सलोनी अपनी और घूरती निगाहों से बाखूवी वाकिफ़ थी, उसे इन निगाहों की कॉलेज के दिनों से आदत थी | वो एक एक दुकान पर जाकर सब्जियाँ खरीदने लगी | दुकान वाले सलोनी के रूप पर मोहित उसकी कामुक काया को अपनी आँखो से नंगी करके चोद रहे थे | जब भी वो झुकती उसकी गांड पर उसका कुर्ता उँचा हो जाता और टाइट जीन्स से छलक कर बाहर आने को बेताब उसके गोल मटोल नितंब देख लोगो की साँस रुक जाती | ऊपर से उसके दमकते चेहरे पर उसकी नाक की बाली उसकी देह की कामुकता को कई गुना बढ़ा रही थी | सलोनी के पास आठ दस बैग भर चुके थे, तभी उसे राहुल अपनी और आता दिखाई दिया | वो अपनी मम्मी पर पड़नी वाली नज़रों को देख रहा था | सलोनी अपने पर्स से पैसे निकाल रही थी और दुकान वाला उसे घूर रहा था | जब राहुल सलोनी के पास आ गया तो पहले तो दुकान वाले ने उसकी और कोई ध्यान नही दिया मगर जब सलोनी ने राहुल को "आ गये बेटा" कहकर बोला तो दुकान वाले ने उसकी और देखा | राहुल के गुस्से से जलती लाल आँखे देख कर दुकान वाले ने तुरन्त अपनी नज़रें फेर ली और फिर दोबारा सलोनी को घूर कर नही देखा | वो राहुल की आँखो से बरसते अंगारों से बाखूबी अंदाज़ा लगा सकता था कि वो छोकरा उसे क्यों घूर रहा था |
jordaar update.
 

Nevil singh

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"राहुल तू जा, यह बैग गाड़ी में रख और मैं आती हूँ.... बस एक बैंगन रह गये हैं ... इधर नही मिले... किसी दूसरी दुकान पर देखती हूँ" सलोनी राहुल के हाथों में बैग थमाती बोलती है |

"नही मम्मी, आप बैंगन खरीद लीजिए, हम इकट्ठे चलते हैं" राहुल अपनी मम्मी को उन भूखे भेड़ियों के बीच छोड़ कर नही जाना चाहता था |

"अरे तो क्या इतना भार उठाए मेरे साथ घूमता रहेगा ... तू जा इसे गाड़ी में रख .... मैं अभी आती हूँ"

"रहने दीजिए मम्मी, छोड़िए बैंगन लेने को.... मुझे वैसे भी बैंगन की सब्ज़ी पसंद नही है" राहुल अपनी मम्मी को वहाँ हरगिज़ भी अकेला नही छोड़ना चाहता था |

"मगर मुझे बहुत पसंद है ...... और अब कोई स्वाल ज्वाब नही ........ अभी समान गाड़ी की डिक्की में रखो मैं आती हूँ" सलोनी राहुल को हुक्म देती है | राहुल के पास अब अपनी मम्मी की बात मानने के सिवा कोई और चारा नही था | वो तेज़ तेज़ कदमो से गाड़ी की और बढ़ता है जो कुछ दूरी पर खड़ी थी | राहुल गाड़ी की और जाता पीछे मुड़ मुड़ कर सलोनी की और देख रहा था | सलोनी कुछ देर एक जगह खड़ी दुकानों का जायजा लेती है और फिर उसे एक कोने में एक दुकान दिखाई देती है जो और दुकानों से थोड़ा सा हटकर थी | सलोनी उस दुकान की और बढ़ जाती है |

राहुल जब पीछे मुड़कर अपनी मम्मी को एक तरफ़ बढ़ते हुए देखता है तो वो चलना छोड़ भागना शुरू कर देता है | सब्जियों के बैग बहुत पतली प्लास्टिक के बने हुए थे जो उसके भागने और ज़्यादा वजन के कारण कभी भी फट सकते थे और सब्जियाँ बिखर सकती थी मगर इस बार राहुल की किस्मत ने उसे धोखा नही दिया और वो गाड़ी तक बिना कुछ गिराए पहुँच गया | राहुल कार की डिक्की खोल कर उसमें तेज़ी से सब्जियाँ डालने लगता है |

उधर सलोनी उस दुकान पर जाती है जो थोड़ा सा हट कर थी और उस पर कोई और ग्राहक भी नही था | दुकानदार कोई 40-45 साल का हट्टा कट्टा मर्द था | सलोनी को अपनी दुकान की और बढ़ता देख वो उठ कर खड़ा हो जाता है और सलोनी को आवाज़ देने लगता है |

"आइए बहनजी .... आइए.... बिल्कुल ताज़ी सब्जियाँ हैं.... देखिए पूरी मंडी में से आपको ऐसी सब्जियाँ नही मिलेंगी" | सलोनी जैसे जैसे सब्ज़ी वाले के पास पहुँच रही थी उसकी आँखो की चमक उतनी ही बढ़ती जा रही थी | जैसे जैसे सलोनी की मादक काया और उसके कामुक उभार और कटाव सब्ज़ीवाले की आँखो के पास आ रहे थे उसके चेहर की मुस्कान, आँखो की लाली बढ़ती जा रही थी |
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Nevil singh

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"आइए बहनजी आइए.... क्या लेंगी केला, मूली, बैंगन.......या फिर लौकी" सलोनी के दुकान पर पहुँचते ही सब्ज़ी वाला उससे पूछता है | सलोनी सब्ज़ीवाले की आवाज़ में चिपकी कामुकता, उसकी नज़रों और उसके दोबारा इस्तेमाल की कुछ खास सब्ज़ियों के नाम से जान गयी थी कि यह कोई बहुत बिगड़ा हुआ बदतमीज़ था | कोई भी सब्ज़ीवाला ऐसे सीधे सीधे छेड़खानी करने की हिमाकत नही कर सकता था, लगता था वो कुछ ज़्यादा ही होशियार था या खुद को होशयार समझता था |

"भैया मुझे बैंगन लेने हैं ......... क्या भाव है" सलोनी उसे नज़र अंदाज़ करते हुए बोलती है | उसे दूर से राहुल अपनी और भागा भागा आता दिखाई देता है और उसके होंठो पर मुस्कान आ जाती है | सब्ज़ीवाला उसकी मुस्कान का ग़लत मतलब लगता है | उसे लगता है कि बड़े घर की वो इतनी सुंदर, सेक्सी औरत उसको लाइन दे रही है | वो बहुत खुश हो जाता है | उसकी लुंगी में उसके लिंग में तनाव आने लगता है |

"अरे बहन जी अब आपसे क्या पैसा लेना है ...... आपकी दुकान है ..... जो चाहिए ले जाइए ........ हर चीज़ का मोल भाव कोई पैसे से थोड़े ही किया जाता है"

"क्या मतलब?" सलोनी थोड़े तीखे अंदाज़ में पूछती है |

"अरे मेरा मतलब था कि अभी मैने आपको बहनजी बोला है और अपने मुझे भाई कहकर बुलाया था ना तो कोई भाई बहन से पैसा लेता अच्छा नही लगता है ना......." वो बहुत बड़ा चलाक था और जल्दी घबराने वाला भी नही था | सलोनी समझ गयी कि यह आदमी कुछ ज़्यादा ही कमीना है | तब तक राहुल भी वहाँ पहुँच चुका था | उसकी साँस फूली हुई थी | माथे पे पसीने की बूंदे चमक रही थी | सलोनी का ध्यान दुकान वाले की तरफ़ था | राहुल दुकान वाले को घूरता है जो उसकी और देखता भी नही | वो सीधा सीधा सलोनी के सीने की और देखकर अपने होंठो पर जीभ फेर रहा था और हंस रहा था | राहुल की नसें फड़कने लगती है |

"ठीक है, ठीक है.... ज़्यादा बातें मत बनायो.... एक किलो बैंगन तोल दो" सलोनी रूखेपन से दुकानवाले को बोलती है |

"अभी लीजिए बहनजी, जितना आपने कहा उतना ही ही डाल देता हूँ.... "

सलोनी दुकान वाले की तरफ़ कोई ध्यान नही देती और राहुल की और मुडती है |
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