सलोनी सांस रोके खड़ी रहती है. कोई पांच मिनट के बाद राहुल का दरवाजा खुलने की हलकी सी आवाज़ आती है. राहुल ने बहुत धीरे से दतवाजा खोला था के कोई आवाज़ न हो मगर सलोनी की सभी इन्द्रियां उस समय राहुल के कमरे में होने वाली किसी भी हलचल पर केन्द्रीत थी. राहुल कमरे से बाहर निकालकर इधर उधर ऐसे देखता है जैसे कोई चोर चोरी करने के वक़त देखता है. सलोनी के होंठो पर मुस्कान फैल जाती है. वो राहत की सांस लेती है. राहुल पक्का करने के बाद के कोई उसे देख नहीं रहा, खाने की थाली और फ्लास्क उठता है और कमरे में घुश कर दरवाज बंद कर लेता है. सलोनी लगभग हँसति हुयी निचे जाती है. वो कमरे में जाकर लेट जाती है. वो बहुत थकान महसुस कर रही थी, सुबह से इतना काम करना पड़ा था और ऊपर से राहुल के साथ झगडा. वो एक आधा घंटा सोना चाहती थी.
राहुल खाने का सामान बेड पर रखता है. थाली से आ रही आलू के पराठे की तेज़ गंध ने उसकी भूख को कई गुणा बढा दिया था. मगर थाली में एक फोल्ड किया हुआ पेपर भी था जिसके ऊपर कुछ लिखा हुआ था. राहुल पेपर उठा कर पढता है.
"मैं गयारह बजे तुम्हारे रूम की सफायी करने आउंगी. दरवाजा खुला रखना. अगर तुम नहीं चाहते तो में तुमसे बात नहीं करुँगी" राहुल पेपर वापस थाली में रखकर नाश्ते में जुट जाता है. शायद उसकी भूख इतनी तेज़ थी या फिर सलोनी के हाथ का कमाल था, पराठा इतना टेस्टी था के उसका मन खुश हो जाता है. चाय की चुस्कियाँ लेता वो अब अपनी मम्मी के लिखे खत के बारे में सोचता है. वो कमरे की सफायी करने आ रही थी लेकिन वो दरवाजा नहीं खोलेगा. उसे सजा मिलनि चाहिए थी ताके वो कभी दोबारा ऐसी बात न कह सके. राहुल जिसका मन अभी कुछ समय पहले किसी काम में नहीं लग रहा था, नाश्ते के बाद उसके मूड में जबरदस्त बदलाव आ गया था वो अपनी बुक्स उठाकर पढ़ने लगता है.
सलोनी की जब आँख खुलती है तोह क्लॉक पर गयारह बजने में अभी दस् मिनट बाकि थे. वो उठकर हाथ मुंह धोती है. अब वो कुछ फ्रेश महसूस कर रही थी. वो ऊपर राहुल के कमरे की और जाती है. उसके होंठो पर मुस्कराहट थी, उसे पक्का यकीन था. उधऱ राहुल घडी पर बार बार समय देख रहा था. एक तरफ वो अपनी मम्मी से मिलना नहीं चाहता था और दूसरी तरफ उसे बेसब्री से गयारह बजने का इंतज़ार था. मगर समय जैसे उसके लिए रुका हुआ था, घडी की सुईआं जैसे जाम हो गयी थी. जब गयारह वजने में पन्द्रह मिनट रह गए तो अपने निस्चय के खिलाफ वो खुद उठता है और अपने कमरे का लॉक खोल देता है. वो वापस कुरसी पर बैठकर पढ़ने की कोशिश करने लगता है. मगर उसका धयान पढ़ाई में बिलकुल नहीं था. वो अपने कान लागए ध्यान से सीढ़ियों से आने वाली किसी आहट का इंतजार कर रहा था. गयारह बज चुके थे मगर सलोनी कमरे में नहीं आई. राहुल बेचैनी से पहलू बदल रहा था. उसे लगा सायद वाल क्लॉक सही समय नहीं दिखा रहा था शायद उसकी बैटरी ख़तम हो गयी थी. राहुल उठकर टेबल से अपना फ़ोन उठता है, मगर समय सही था. गयारह बजकर पांच मिनट हो चुके द. राहुल थाली में से पेपर उठकर पढता है के कहीं उसे पढ़ने में तोह भूल नहीं हो गई. मगर पेपर पर गयारह बजे का समय लिखा था.
"वो आ क्यों नहीं रहि" वो बेचैन होकर खुद से दोहराता है. तभी सीढ़ियों पर सैंडल की थक्क थक्क की आवाज़ आती है. राहुल मुस्कराता हुआ भाग कर अपनी कुरसी पर बैठ जाता है और अपना धयान सामने पड़ी बुक में लगा देता है. उसका दिल जोरों से धड़क रहा था.