जहान उस कमरे में कुछ लम्हे पहले सिसकियां, आहो कराहों की चीखो पुकार मची हुयी थी वहीँ अब बिलकुल शान्ति थी. दोनों माँ बेटा कुछ पलों बाद गहरी नींद के आग़ोश में समां चुके थे.
राहुल की जब्ब नींद टूटी तोह सुबह हो चुकी थी. कमरे में खिड़की से हलकी हलकी रौशनी अंदर आ रही थी. सूर्य अभी नहीं चढा था. राहुल कुछ समय यूँ ही ऑंखे बंद किये सुबह की ताज़ग़ी को महसूस करता है, उसे अपने दाहिने बाजु के साथ कंधे को कोमल स्पर्श महसूस हो रहा था, वो धीरे से करवट लेता है और कोहनी के बल उचक कर अपनी मम्मी को देखता है.
सलोनी अभी भी नींद में थी. उसका चेहरा एकदम शांत था. उसकी सांस नियन्त्रित और बहुत धीमि थी. उसकी सांस के साथ साथ उसका सिना धीरे धीरे उठ रहा था, निचे गिर रहा था. राहुल उसके सीने को यूँ चादर के ऊपर से भली भाँति ऊपर निचे होते देख सकता था. भले ही सलोनी ने चादर ओढ़ रखी थी मगर अंदर वो पुरी तरह से नंगी थी. उसके मोठे मुम्मो ने चादर को ऊँचा उठाया हुआ था.
राहुल धीरे से सलोनी के चेहरे पर बिखरे बालों को हटा देता है. सलोनी धीरे से नींद में कुनमुनाती है और फिर से शांत हो जाती है. राहुल मुसकरा उठता है. नींद की ख़ुमारी में दुनिया से बेख़बर सलोनी का चेहरा कितना भव्य दिख रहा था. बिना किसी मेकअप के वो कितनी हसीं दीखती थी. उसके चेहरे के सौंदर्य में ऐसा आकर्षण था जो राहुल को बेबस कर देता था. जैसे लोहा चुम्बक के आकर्षण में बढ़ा उसकी और खींचता चला जाता है वैसे ही राहुल अपनी मम्मी के आकर्षण में बढ़ा दिन दुनिया सभी भूल जाता था. वो उसके होंठो को गौर से देखता है.
राहुल धीरे से सलोनी का माथा चूम लेता है. राहुल चेहरा उठकर देखता है, सलोनी की निद्रा में कोई बाधा नहीं पढ़ी थी, उसके होंठ धीरे से बहुत ही कोमलता से उसकी आँखों को चूम लेते है. फिर वो अपने लरजते होंठ आँखों के बिच उसकी नाक पर रखता है और उसे जगह जगह चूमता निचे की और आता है. वो नाक की नोंक पर खास करके जहान उसने बालि पहनी हुयी थी वहां बार बार चूमता है. फिर वो अपना चेहरा उठा कर देखता है.