"क्या बात है आज तोह बहुत पढाई हो रही है, सुबह से लगता है के कुरसी से उठे ही नहीं हो" अचानक सलोनी मुस्कराती बेटे से कह उठती है. झगडे के बाद वो पहली दफ़ा बेटे से बात कर रही थी.
राहुल को अपनी सलोनी के बोल सुनाइ देते हैं तो वो अपनी तन्द्रा से बाहर आता है. वो नजाने कब्ब से अपनी मम्मी को घूरे जा रहा था. राहुल चाय का कप लेकर अपना मुंह घुमा लेता है. शर्म से उसके गाल लाल हो गए थे. एक तरफ वो अपनी मम्मी के हुस्न को दाद दे रहा था और दूसरी तरफ यूँ उसे घूरने के लिए खुद को कोस भी रहा था. वो मुंह दूसरी तरफ घुमाकर चाय पिने लगता है ताकि सलोनी की हृदय भेदी नज़रों से बच सके. सलोनी ने उससे बात करने की शुरुवात की थी और वो चाह रहा था के वो जलद से जलद उससे माफ़ी मांग ले ताकी उसे इस ड्रामे से छुटकारा मिल सके. अपनी मम्मी के ऐसे चमचमते रूप को देखने के बाद खुद को उसे बाँहों में भरने से रोकना बेहद्द मुश्किल था. उसके हाथ उसके होंठ तडफ रहे थे. वो उसके अंग अंग को छुना चाहता था, सहलाना चाहता था, चुमना चाहता था. उसे घंटो प्यार करना चाहता था. बस वो एक बार माफ़ी मांग ले. अगर वो एक बार सिर्फ सॉरी भी बोल देगी तोह राहुल तुरंत झगडे का अंत कर देगा. राहुल बेसब्री से सलोनी के माफ़ी मांगने का इंतज़ार कर रहा था ताकी वो उसे जी भर कर दुलार सके, प्यार कर सके और उसे बता सके के वो उसके बिना कितना तड़फा है.
सलोनी राहुल की कुरसी अपनी तरफ घुमाति है. रोटरिंग चेयर होने के कारन राहुल का रुख टेबल से घूम कर अपनी मम्मी की तरफ हो जाता है. वो उसकी और कडवी नज़र से देखने की कोशिश करता है मगर सलोनी मुस्कराती हुयी उसके घुटनो के पास निचे बैठ जाती है.