एक मिनट शालू की गांड में पेलता फिर एक मिनट रत्ना की चूत में पेलने लगता।
लेकिन इस बार रत्ना की चूत में पेलने के बाद देवा ने लंड को फिर से रत्ना की कसी हुई टाइट गांड में पेल दिया। रत्ना दर्द से सिसियाने लगी।जब थोड़ी देर हुई तो शालू बोली।
शालू: दामाद जी क्या कर रहे हो।कितनी देर से अपनी माँ को ही चोद रहे हो।इधर मेरी गाण्ड और चूत में खुजली हो रही है।जल्दी पेलो बेटे।फाड़ डालो मेरी गांड और चूत को।
देवा: क्या करू काकी।दोनों रण्डियों के पास दो दो छेद है।तो दोनों में पेल रहा हूँ। मेरी माँ रत्ना मेरी सबसे खास है।इसलिए रत्ना में ज्यादा टाइम लग रहा है।
शालू :कोई बात नहीं दामाद जी। मेरे घर आना इसका बदला मैं भी लेकर रहूंगी।
रत्ना:अरे शालू तुझे जितना मन करे।चुदा ले।
शालू की गाण्ड लंड के इस घर्सण से उत्तपन्न गर्मी से पिघली जा रही थी, इधर रत्ना ने भी शालू के होठो और चूचियों पर लगातार हमला जारी रखा हुआ था।
इस दो तरफा हमले को सह पाना शालू के लिए बड़ा मुश्किल हुआ जा रहा था, देवा जगह बदल बदल कर शालू की गांड और बुर की धज्जियां उडाए जा रहा था, बीच बीच मे अब वो अपना लंड निकालकर अपनी माँ रत्ना की चुत में भी पेल देता ।
फिर देवा ने दोनों रण्डियों को बेड के निचे जमीन पर एक दूसरे के ऊपर कुतिया बनाके चोदना शुरू किया।पहले शालू की गांड मारता।फिर रत्ना की चूत और गांड मारने लगता।फिर अपना लंड शालू की गांड में पेल देता।दोनों की गांड पर कभी कभी थप्पड़ भी मारने लगता।
चारों छेदों को 1 मिनट का भी आराम नहीं था।
दोनों औरतें कुतिया बने बने कितनी बार झड़ चुकी थी।
तकरीबन 45 मिनट की घमासान धमाकेदार चुदाई के बाद देवा ने अपना लंड बाहर निकाला और दोनों औरतोँ को निचे बैठा दिया और अपना पानी दोनों रण्डियों के मुँह और चुचियों पर छोड़ दिया जिसे दोनों रंडियों ने चाट लिया, इस बीच वो दोनों भी न जाने कितनी बार अपना पानी छोड़ चुकी थी।