ममता एक चीख के साथ अपनी गाण्ड ऊपर तक उठा लेती है। उसकी चूत से एक तेज धार बाहर निकलती है, जिसे देवा और रत्ना दोनों मिलकर चाटने लगते हैं-“गलप्प्प-गलप्प्प…” ममता का जिस्म झड़ने से और फिर इन दोनों के चाटने से बुरी तरह काँपने लगता है।
देवा का पानी नहीं निकला था और रत्ना तैयार थी। वो जल्दी से देवा को अपने ऊपर खींच लेती है-“आहह डाल दे अपना मूसल अपनी माँ की चूत में…”
देवा बिना देरी किए अपना मूसल लण्ड रत्ना की चूत में डालने लगता है। दोनों माँ-बेटे एक दूसरे को बाहों में कसे हुए थे और देवा की गाण्ड ऊपर से और रत्ना की गाण्ड नीचे से हिल रही थी। देवा जब भी रत्ना को चोदता था उसे सबसे ज्यादा आनंद महसूस होता था। उसे हमेशा ये लगता कि जिस चूत से वो निकला था, उसी चूत को वो चोद रहा है-“आह्ह… रत्ना मेरी जान आहह… मुझे तेरी ये चूत बहुत मज़ा देती है। आहह… अब मैं तुझे मेरी शादी के बाद भी रोज चोदूंगा…”
रत्ना:“हाँ, मैं भी बिना खाने के रह सकती हूँ, पर तुम्हारे लौड़े के बिना एक पल भी नहीं। मेरी चूत को तुम्हारे लौड़े के पानी की बहुत ज़रूरत है। आहह… आह… जानू, मुझे रात दिन चोदो। हाँ, मैं ज़िन्दगी भर तुझसे चुदना चाहती हूँ…
देवा हांफता हुआ-“अह्म्मह… हाँ रत्ना मेरी जान… मैं चोदूंगा आज से तुझे, हाँ दिन रात मेरी जान… ऊऊओहह… तेरी चूत कभी भी तरसेगी नहीं मेरे लण्ड के लिये आहह…”
दोनों माँ-बेटे 30 मिनट तक एक दूसरे से चिपके अपने जिस्म की प्यास मिटाते हैं।
ममता ये देखकर हैरान थी कि उसकी मम्मी देवा से कितना प्यार करती है। आज तक तो सिर्फ़ वो ये समझती थी कि वो ही देवा से सच्ची मोहब्बत करती है। पर इन दोनों की लगातार चुदाई और मोहब्बत भरी बातों से उसकी चूत की आग भड़कने लगती है, और वो दुबारा देवा के नीचे आना चाहती है।
पर देवा तो रत्ना के होंठ उसकी चूची और चूत का दीवाना था। एक बार जब वो रत्ना के ऊपर चढ़ जाता तो उसे बस रत्ना दिखाई देती और कोई नहीं। ऐसे ही जबरदस्त चुदाई की वजह से रत्ना और देवा दोनों एक साथ झड़ने लगते हैं, और एक दूसरे को चूमते चले जाते हैं।