अपडेट 32
रत्ना को खेतो की तरफ आता देख देवा बढा खुश था।
आज पहली बार वो अपनी माँ के साथ खुले आसमान के नीचे चुदाई जो करने वाला था।
रत्ना देवा को देख कर मुस्करायी।
रत्ना “क्या बात है बेटे क्यों इतना खुश हो"।
देवा, “आप तो जानती ही है माँ की आपका बेटा क्यों खुश है।”
रत्ना “नहीं मैं नही जानती तुम ही बता दो…।”
देवा “अरे, आज मै और आप साथ में……।”
रत्ना “हम्म…साथ में क्या…”
देवा “आप और मै साथ में खुले आसमान के नीचे…।।यहाँ खेतो में…।।”
रत्ना “हम्म…खेतो में क्या करेंगे…।”
देवा “खाना खाएंगे…रोज की तरह इसीलिए खुश है तुम्हारा बेटा…”
रत्ना हँस पडी… “बस खाना…।”
देवा “क्यू माँ कुछ और भी करना था क्या उससे पहले?”
रत्ना “मुझे तो लगा था की हम पहले कुछ मेहनत करेंगे फिर खाना खाएंगे…।”
रत्ना ने इशारा करते हुए कहा…
देवा “क्या मेहनत करे माँ…”
रत्ना… “यह तो तुम समझ ही सकते हो बेटा…।”
देवा “नहीं समझा माँ बता भी दो…”
रत्ना “अपना हल चला कर मेहनत करने की बात कर रही हु…”
देवा “पर खेतो में तो अभी फसल बोई है अभी क्या फायदा हल चलाने का माँ।।”
रत्ना (शर्माते हुए,,) “मैं खेतो की बात ही कब कर रही हूँ…”
देवा रत्ना की बात समझ जाता है… “तो कहा और कौन सा हल चलाने की बात कर रही हो…”
रत्ना “तुम जानते हो अच्छे से…”
देवा “तब भी मै तुम्हारे मुँह से सुनना चाहता हूँ…”
रत्ना (गर्दन नीचे कर के) “अपने लंड को मेरी चूत और गांड में हल की तरह…”
देवा “और कहाँ लोगी मेरा लंड माँ तुम?”
रत्ना “यहाँ खुले में…”
देवा “और कैसे लोगी?”
रत्ना, “पूरी नंगी होके…।”
देवा “कोई देख लेगा तो…”
रत्ना “देखने दो मुझे तो बस अपने बेटे का लंड चाहिए अपने तीनो छेदों में…।”
देवा “तो किसने रोका है छिनाल चल शुरू हो जाते है फिर…।”
रत्ना देवा को देखते हुए मुस्कुरायी और उसके सामने ही अपने हाथो में अपने चुचे ले कर उन्हें कपडे के ऊपर से ही मसलने लगी।