देवकी: “और देवा बेटा रत्ना बहन के क्या हाल है…और तुम्हारी तबियत कैसी है…3 महिने पहले सुना था चोट लग गयी थी तुम्हे काफी…”
देवा:“हाँ अब ठीक हूँ…और माँ को भी बहुत खुश रखता हूँ मैं…”
देवा मुस्कराते हुए बोला।
पप्पू देवा की बात सुनकर मुस्कुराया पर देवकी शायद नहीं समझ पायी।
कौशल्या: “माँ आज पप्पू जी और देवा का मनपसंद खाना बनाते है… और आप लोग कुछ दिन अब यहीं रुकोगे…”
देवा:“नहीं भाभी यह मुमकिन नहीं हम यहाँ ममता को लेने ही आये है, ताकि वो शादी की तैयारी में साथ दे सके हमे कल ही निकलना है…”
कौशल्या देवा को देख कर शैतानी मुसकान देती है…
वह समझ जाती है की देवा ममता को घर क्यों ले जा रहा है।
शादी की तैयारीया तो बहाना है…
देवकी: “अरे ऐसे कैसे 2 दिन तो रुक जाओ बेटा…दामाद जी आप ही समझाए… इतने महीनो में आये है ससुराल”
पप्पु:“देवा सही कह रहा है माँ तैयारी करनी है बहुत…और हम तो लड़की वाले है”
देवकी: “अच्छा ठीक है फिर।”
कुछ देर सब ऐसे ही बाते करते रहते है और रामु भी घर आ जाता है।
रामु: “देवा भाई इतने दिनों में आये हो…।”
और रामु देवा के गले लग जाता है।
देवकी: “तुम्हारी भाभी आने वाली है बेटा…”
देवकी ने रामु से कहा…
रामु: अच्छा भाई…मुबारका मुबारक…”
देवा:“धन्यवाद…आप सबको एक हफ्ते पहले तक आ जाना है गाँव…में 3 हफ्ते बाद की शादी है।”
रामु:“हाँ हाँ जरुर आएंगे…दुल्हन कौन है भाई…”
पप्पु: “मेरी बहन है साले जी…”
रामु की नजर अब पप्पू पर पड़ती है।
“अरे जीजा जी कैसे है आप…।”
और रामु पप्पू भी गले लगाते है।
रामु:“और मेरी बहना नहीं आयी।”
पप्पु,:“मन तो था उसका पर अब शादी का घर है न…”
रामु: अच्छा…तो नीलम से शादी हो रही है देवा तुम्हारी…हम तो मतलब लड़के वालो की तरफ से भी हुये और लड़की वाला की तरफ से भी फिर तो ”
और सभी लोग हँसने लगते है, फिर रात को खाना खाकर सभी लोग बिस्तर पर चले जाते है।