Real erotic romantic padhna he to inki mohe rang de padho. Dill khush ho jaega. Ek ek ward sidha dill me utarte chale jaega
कोमल जी का मै तब से फैन हूं जब उनकी कहानी " फागुन के दिन चार " पढ़ा था। उसके बाद " जोरू का गुलाम " कहानी जिसे तब तक शायद एक सौ के आसपास अपडेट आ चुके थे।
लेकिन फोरम के बंद होने के बाद पता नही ऐसा किस्मत ने कौन सा खेल दिखाया कि चाहकर भी उनके थ्रीड पर न आ सका।
कोमल जी को कुछ भी साबित नही करना है कि वो क्या है और इरोटिका लिखने मे क्या हस्ती रखती है । वो लिजेंड है। वो अद्भुत है।
शायद नये राइटर्स को मोटिवेट करने के चक्कर मे उनके थ्रीड पर समय नही दे सका।
ए पी भाई की कहानी के चौथे पार्ट से ही जुड़ा। जबकि तीन पार्ट पढ़ा ही नही है।
कभी न कभी तो जरूर कोमल जी के साथ उनके थ्रीड पर मौजूद रहूंगा। बस वक्त की बात है।