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Romance फ़िर से

avsji

कुछ लिख लेता हूँ
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अपडेट सूची :

दोस्तों - इस अपडेट सूची को स्टिकी पोस्ट बना रहा हूँ!
लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि केवल पहनी पढ़ कर निकल लें। यह केवल आपकी सुविधा के लिए है। चर्चा बंद नहीं होनी चाहिए :)


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Suraj13796

💫THE_BRAHMIN_BULL💫
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सबसे पहले इस बेहतरीन कहानी को शुरू करने के लिए धन्यवाद।

अभी कहानी शुरुआत में है तो कहने के लिए बहुत कुछ नहीं है but definitely I am very eager to know how will Ajay use this chance and shape his life perfectly again।

मुझे मौका मिलता तो मैं bit coin खरीदता और भी बहुत कुछ, लेकिन बस एक चीज करने को मिलता यही करता।

खैर नियति का लिखा कोई नहीं बदल सकता, देखते है अजय बाबू इस को गलत सिद्ध कर पाते है या नहीं

प्रतीक्षा अगले अपडेट की
 

Rihanna

Don't get too close dear, you may burn yourself up
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धन्यवाद रेहाना जी! :)
आपने सही कहा -- मेरी विषय वस्तु घर - गृहस्थी ही है। इतने वर्षों से गृहस्थ हूँ, तो उस अनुभव का लाभ लेखनी के रूप में उठा रहा हूँ।
पता नहीं आप कहानी पढ़ रही हैं या नहीं, लेकिन चार और चार (आने वाले ) "और" अपडेट्स हैं आपके पास पढ़ने को।
साथ बनी रहें। :)
Ha ha... Likhte jaiye... 😁
Mujhe to jab jab time milta h tab baith k padh leti hu... Filhal to update 1 hi padha h... Meri progress aapko reviews k through pata lagti jayegi 😁
Kyuki main almost har review k baad apne comments zaroor rakhti hu...
 

Varun42

Member
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Bhai aapki kahani korean drama again my life ki yaad dila rahi hai. Mujhe is tarah ki stories bohat pasand hai. Keep it up.
 

avsji

कुछ लिख लेता हूँ
Supreme
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जैसा मौका अजय को प्राप्त हुआ है और इस मौके का जिस तरह अजय सदुपयोग कर रहा है वैसा ही शायद हर इंसान करता , अगर उसे भी यह करने का अवसर प्राप्त होता ।
शुरुआत अपनी प्रारम्भिक शिक्षा से ही होती , जैसा कि अजय ने किया । वगैर मजबूत नींव के इमारत बुलंद नही होता ।

सौ प्रतिशत सही बात कही है आपने संजू भाई!
ज्ञान की प्राप्ति करना, सुशिक्षित होना - यह एक कर्तव्य है सभी के लिए। चाहे किसी भी क्षेत्र में जाना चाहें, उसके विषय में जानना अत्यंत आवश्यक है।
धन एक अलग विषय है, लेकिन विद्या एक अलग ही प्रकार का धन है।

यह सब पढ़कर मुझे अपने बचपन के दिन याद आ गए जब मैने अपने शिक्षा पर ज्यादा ध्यान नही दिया था । वैसे पढ़ाई मे तेज तो बहुत था पर कुछ लापरवाही और कुछ सही मार्गदर्शन की कमी से मै रास्ते से भटक गया । गलत आदत अगर कोई था तो उपन्यास पढ़ना और सिनेमा देखना ।

हम सभी ने किसी न किसी मद में समय व्यर्थ किया ही है संजू भाई।
लेकिन उचित यह है कि गलतियों से सीख ले कर आगे बढ़ना।

मेरा मानना है कि मैट्रिक और हायर सेकेंडरी एजुकेशन मे फर्स्ट डिविजन बहुत मायने रखता है जब आप को एक अच्छी नौकरी प्राप्त करनी होती है । नो डाऊट , आप के ग्रेजुएशन की पर्सेंटेज भी अवश्य हेल्दी होनी चाहिए । लेकिन यह एक बार तो आप को अच्छी कंपनी मे जाॅब दिला तो सकता है पर स्थापित सिर्फ आप का टैलेंट , हुनर और हार्ड वर्क ही करा सकता है ।

सही है!

रूचि गुप्ता एक टैलेंटेड और तेज शिक्षित लड़की है । उसका फ्यूचर खराब न हो इसलिए अजय को अपने पढ़ाई पर थोड़ा कम ध्यान देना चाहिए , तर्कहीन सोच है । मैट्रिक और हायर सेकेंडरी मे सिर्फ एक स्टूडेंट ही फर्स्ट डिविजन से पास नही होता । बहुत सारे स्टूडेंट्स फर्स्ट डिविजन से पास होते हैं । हां उनके प्राप्त अंकों मे थोड़े-बहुत का अंतर अवश्य होता है । इसलिए मुझे नही लगता अजय को अपने पढ़ाई मे किसी भी तरह की कमी करनी चाहिए ।

ध्यान रहे - अजय अभी अपनी 'भविष्य' की चेतना से सोच रहा है।
उसके सम्मुख किशोरवय लड़के लड़की हैं - वो उनके लिए बड़े भाई समान है। देखें, तो माया "दीदी" के लिए भी।
ऐसे में वो किसी बड़े के समान ही सोच रहा है। समय के हिसाब से सोच बदल सकती है।
आपकी बात पूरी तरह सही है कि पढ़ाई में किसी भी तरह की कमी नहीं करनी चाहिए अजय को।

अजय को एक और उपलब्धि हासिल हुई और वह है फाॅरेन मे जाकर अपने हायर एजुकेशन डिग्री प्राप्त करने की । यह वाकई मे बहुत बड़ी उपलब्धि है ।

जी भाई। लेकिन अभी समय है उस बारे में।
बात केवल शुरू ही हुई है -- उसकी दो शिक्षिकाओं, शशि और सिंघल मैडम ने उसको रिकमेंड करने की पेशकश की है, "अगर" वो टॉप में रहता है।
अजय के चेतना में यह नई बात है। भूतपूर्व अजय के जीवन में यह अवसर नहीं आया था।
शायद, "भविष्य" बदलने लगा है! सोचिए थोड़ा :)

यहां पर मै कुछ अपनी बात कह रहा हूं । अपने जीवन मे मैने बहुत ही ज्यादा स्ट्रगल किया है । गरीबी का सामना किया है । अपने तीनों बच्चों को सरकारी स्कूल मे ही पढ़ा सका ।
ट्यूशन पढ़ाने का तो मै सोच भी नही सकता । पैसों की तंगी की वजह से उन सभी को ट्यूशन भी मैने ही दिया । जब बच्चे काॅलेज मे गए तब कभी-कभार ऐसी हालात होती थी कि काॅलेज के फीस भी देने के पैसे नही होते थे । कुछ कमा कर और कुछ जमीन बेचकर अपने बच्चों की उच्च शिक्षा पुरी करवाई । जमीन बेचकर ही अपनी बड़ी लड़की की शादी करी । यह जानकर आप ताज्जुब करेंगे कि यह जमीन मेरे अपने एकलौते बड़े भाई ने खरीदी थी । उनके बच्चों ने हाई फाई प्राइवेट स्कूल और कॉलेज मे पढ़कर डिग्री हासिल करी । एक एक बच्चे के ऊपर पच्चीस तीस लाख रुपए तक खर्च किए उन्होने ।
लेकिन कहते हैं आप की सच्चाई , आप की इमानदारी और आप की मेहनत कभी न कभी तो अपना प्रभाव दिखाती ही है । कभी न कभी तो भाग्य परिवर्तित होता ही है ।
आज मेरे लड़के की तनख्वाह मेरे भाई साहब के दोनो लड़कों के तनख्वाह मिलाकर जो होता है उससे भी अधिक है । मेरी बड़ी लड़की अमेरिका मे अपने हसबैंड के साथ सेटल है और वहां जाॅब करती है ।
मै खुद काम करता हूं और अच्छे खासे पैसा कमाता हूं । जीवन के पांचवे दशक के बाद मेरे मुफ़लिसी का सफर समाप्त हुआ । आज मेरे और मेरे संतान पर मां लक्ष्मी की दया दृष्टि है ।
मेरे कहने का मतलब यह कोई जरूरी नही कि हम अपने देश मे , सरकारी स्कूल या कॉलेज मे , साधारण यूनिवर्सिटी मे पढ़कर कामयाब नही हो सकते । अगर बच्चा हार्ड वर्क करे , पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित करे , अनुशासन मे रहे , अपनी घर की हालात को समझे , पैसे का महत्व समझे , सकारात्मक सोच रखे तो वह अवश्य ही सफल हो सकता है ।

मैने स्वयं सफलता का स्वाद अपने जीवन के पांचवे दशक मे चखा । आपने अमेरिकन प्रेसिडेंट अब्राहम लिंकन के बारे मे अवश्य सुना होगा । उन्होने जीवन भर अपने जीवन के हर एग्जाम मे मात खाई , कभी जीत का स्वाद न चखा । लेकिन जब किस्मत मेहरबान हुई तो वह सीधे अमेरिका का प्रेसिडेंट बन गए , और वह भी उनके जीवन के छठे दशक के उम्र मे ।
ऐसे व्यक्ति को आप क्या कहेंगे - सफल या असफल इंसान !

क्या बात है संजू भाई! ऐसी अंतरंग बात हमारे साथ शेयर करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद!
सफलता का पैमाना केवल धन ही नहीं होता - स्वास्थ्य, पारस्परिक मृदु - सम्बन्ध, बच्चों के हासिल मुकाम, अपने पसंद के कार्य - कोई भी बात सफलता का पैमाना हो सकती हैं।
सबके अपने अपने यथार्थ होते हैं।

इसीलिए आप के इस थ्रीड पर कहा था - आप के हाथ मे सिर्फ आप का कर्म करना है । भाग्य आप के हाथ मे नही होता । आप के कर्म के साथ भाग्य कब जुटता है , यह सिर्फ ऊपर वाला ही जानता है ।

जी भाई! :)
इस कहानी में ईश्वर का हाथ तो है।

अब बात करते हैं माया की । मुझे याद है प्रजापति साहब से अजय ने कुछ चीजों के बारे मे डिस्कश किया था जिनमे प्रमुख था कि वह अपने पिताजी के लिए कुछ अच्छा काम कर सके , अपने ताई के लिए कुछ बढ़िया काम कर सके , भाई और माया के लिए कुछ हित कर सके , अपने हुनर का इस्तेमाल करने का सही मंच प्राप्त हो सके और उसकी पत्नी से जीवन मे कभी मुलाकात तक न हो सके ।
बदले मे अजय को अपनी अच्छाई बरकरार रखनी होगी । परहित सेवा धर्म नही भाई जैसी भावना रखनी होगी । ईमानदारी और सहिष्णुता पर चलना होगा । कुल मिलाकर एक नेक इंसान बनकर रहना होगा ।

सौ प्रतिशत!

एजुकेशन के बाद माया पर ध्यान केंद्रित करना अजय के इस कार्यक्रम का ही एक पार्ट लगता है । शायद कई लोग की प्रारब्ध बदलने वाली है ! शायद कई वैवाहिक जोड़े चेंज होने वाले हैं !

सच है -- अजय के साथ साथ कई लोगों के भाग्य बदलने वाले हैं।

खुबसूरत अपडेट अमर भाई ।
आउटस्टैंडिंग एंड जगमग जगमग अपडेट ।

बहुत बहुत धन्यवाद संजू भाई :)
आपके कमेंट बहुत दिलचस्प, और उत्साहवर्धक होते हैं।
बड़े लम्बे समय बाद गाँव आया हूँ -- अंजलि और बच्चे भी हैं साथ में।
सोचा कि मोहब्बत के सफ़र के अमर की ही तरह यहाँ कुछ काम करवाया जाए। तो करवाना शुरू किया था जाते हुए साल की शुरुवात में।
अब जा कर सब समाप्त हुआ है।
 

avsji

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avsji

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Nice update A unique concept wow love this story
Agle update ka intezar rahega bhai

धन्यवाद भाई।
आज ही मिलेगा अगला अपडेट।
 

avsji

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" फिर से " वाह कमाल कर दिया बड़े भाई शब्दों का चयन शॉर्ट एंड स्वीट ❤

एक गीत की लाइन याद आ गयी-

" चलो इक बार फिर से अजनबी हो जाये हम दोनों "

सभी लोग चाहते हैं कि उनकी ज़िंदगियाँ किसी न किसी तरीके से "री-सेट" हो जाएँ।
सभी के मन में कुछ न कुछ होता है, जो छूट जाता है या नहीं हो पाता है।
इस कहानी में उससे इतर बातों को जीने और करने का मौका ढूंढने का प्रयास है अजय का।
धन्यवाद भाई! :)
 

avsji

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बहुत सुंदर
ज्यादा लिखूंगा नहीं
ज्यादा पढ़ूंगा

:) वो भी ठीक है।

अजय के पुनर्जीवन में कम से कम दो लोगों के जीवन को सकारात्मक परिवर्तन देने का अवसर मिला है
कमल और माया दीदी

हाँ - ऐसा लगता तो है कि शुरू इन्ही दोनों से होगा।

रूचि का एक अलग मसला है
क्योंकि जीवन में सम जो भी प्राप्त करते हैं वो किसी और के खो देने से ही मिलता है। जितना ज्यादा पाने की लालसा होगी उतने ही ज्यादा लोगों से छिनेगा
तो कटु सत्य यही है कि आप अन्तरात्मा (सुचिता और नैतिकता) के साथ महत्वाकांक्षी नहीं हो सकते। दोनों ने से एक को चुनना होगा अब अजय क्या करेगा ये avsji भाई जानें

किसी की लक़ीर को मिटा कर अपनी लकीर लम्बी करना, शायद अजय जैसे भाग्य के सताए व्यक्ति से न हो सके।
ख़ास कर तब, जब भाग्य ने ही उसको फ़िर से अपनी लक़ीर खींचने का मौका दिया है।
लेकिन, देखते हैं - क्या होता है!
कुछ कुछ तो पता है मुझे भी कि क्या लिखना है, लेकिन पूरी तरह से नहीं। :)
 

avsji

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