• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Romance फ़िर से

avsji

कुछ लिख लेता हूँ
Supreme
4,187
23,379
159
अपडेट सूची :

दोस्तों - इस अपडेट सूची को स्टिकी पोस्ट बना रहा हूँ!
लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि केवल पहनी पढ़ कर निकल लें। यह केवल आपकी सुविधा के लिए है। चर्चा बंद नहीं होनी चाहिए :)


अपडेट 1; अपडेट 2; अपडेट 3; अपडेट 4; अपडेट 5; अपडेट 6; अपडेट 7; अपडेट 8; अपडेट 9; अपडेट 10; अपडेट 11; अपडेट 12; अपडेट 13; अपडेट 14; अपडेट 15; अपडेट 16; अपडेट 17; अपडेट 18; अपडेट 19; अपडेट 20; अपडेट 21; अपडेट 22; अपडेट 23; अपडेट 24; अपडेट 25; अपडेट 26; अपडेट 27; अपडेट 28; अपडेट 29; अपडेट 30; ...
 
Last edited:

avsji

कुछ लिख लेता हूँ
Supreme
4,187
23,379
159
बढ़िया, कम से कम 2 जिंदगी तो संवारी इस नए जीवन को पुनः प्राप्त करके अजय ने।

अब आगे देखना है कि अपने भाई के लिए क्या और कैसे करेगा। क्योंकि यहां तो सारे लोग साथ है, और वो सात समुद्र पार।

बहुत खुशनुमा अपडेट भाई जी। पढ़ते पढ़ते पूरे समय चेहरे पर एक मुस्कान बनी रही। :applause:

हाँ भाई - दो लोगों के जीवन की राहों को जोड़ने की कोशिश तो शुरू हो ही गई है।
एक एक कर के बहुत से काम बाकी हैं अजय के लिए।
उसका किरदार नाम के हिसाब से ही है। ध्यान रहे - झूठे केस, जेल, और मुफ़लिसी भरी ज़िन्दगी भी उसकी अंदर की अच्छाई को तोड़ न पाई है।
"अजय" तो है वो :)
धन्यवाद भाई :)
 

avsji

कुछ लिख लेता हूँ
Supreme
4,187
23,379
159
इस बात से मैं भी सहमत हूं कि आपने कभी छुपे हुए राज़ वाला सस्पेंस नहीं लिखा
लेकिन आपकी कहानियों में जो भविष्य के घटनाक्रम और परिणाम की उत्सुकता बनती है वो भी सस्पेंस से कम नहीं

एक बार कोशिश करी भी थी -- "श्राप" कहानी से।
लेकिन शायद पाठकों को समझ में आ गई थी वो। ख़ैर, वो सस्पेंस के रूप में लिखा भी नहीं था।

बहुत बढ़िया... माया कमल का तो हो गया लेकिन अभी रास्ता बहुत लम्बा है....

माया कमल का तो हो गया लगता है।
हाँ - रास्ता और सफ़र दोनों ही बहुत लम्बे हैं।

कम से कम 13 साल तो हैं ही जब प्रजापति जी से दोबारा मुलाकात होगी... दिल्ली से दूर पुणे से मुंबई की सड़क पर उसी समय....

क्या सच में?
वैसे, जिस समय में अजय चला गया है, उस समय तो एक्सप्रेसवे का निर्माण भी शुरू नहीं हुआ है :)
देखते हैं...

लेकिन क्या नियति यही दोहरायेगी या अजय उनके जीवन में भी बदलाव ला पायेगा

सबके जीवन का एक ही सत्य है, और वो है मृत्यु।
बाकी सब उसके इर्द गिर्द होता है।
सारी कवायद अपने प्रियजनों के जीवन में बदलाव लाने की ही है अजय की, और इस कहानी की भी :)

साथ में बने रहें।
 

avsji

कुछ लिख लेता हूँ
Supreme
4,187
23,379
159
सुबह की किरणें एक नई उत्साह , नई उर्जा और नई चेतना लेकर आई अजय के जीवन मे । सब कुछ नया इसलिए कहा क्यों की अजय को अधिकांशतः पुरानी चीजें बदल कर नए स्वरूप मे ढालना था ।

जी संजू भाई। दूसरे दिन भी उसी काल - खण्ड में जागना -- एक निश्चितता दिखाती है।
धीरे धीरे अजय के मन से अपने वयस्क जीवन में जाने का भय कम से कम होता जाएगा।

यह सुबह इसलिए भी अजय के लिए स्फूर्ति भरा रहा क्यों की माया और कमल का जीवन संवर गया । माया का सदैव के लिए फ्यूचर हसबैंड से नाता बनने से रह गया और कमल का आजीवन बैचलर रहने का संकल्प संभव न हो पाया ।
इस अपडेट से इस बात की सम्भावना भी प्रबल हो गई कि अजय को फ्यूचर मे टाइम ट्रेवल नही करना होगा , कम से कम तेरह वर्ष तो अवश्य ही ।
तेरह वर्ष बहुत अधिक होते हैं , अपनी जिंदगी संवारने के लिए और किसी और के जीवन मे तब्दील लाने के लिए ।

माया को ले कर अजय के मन में जो अपराधबोध था, अब समाप्त हो गया।
शायद यह काम उसने सबसे निष्काम भाव से किया हो।

अब अगला विकेट प्रशांत और कणिका का लेना है, कणिका को प्रशांत की राह से हटा कर। :)

वैसे इस शुभ अवसर पर , इस वैवाहिक सम्बन्धित अवसर पर कमल का माया को बहन कहना समझ मे नही आया ।
आखिर कमल ने अपने मां-बाप को माया के बारे मे बहुत कुछ बता चुका था । अगर अशोक साहब इस रिश्ते पर पहल नही करते तो राणा साहब स्वयं इस रिश्ते की पहल करते । जब दोनो तरफ से हां जी तो अजय को किस बात की परेशानी !

हड़बड़ी भाई साहब, हड़बड़ी... और घबराहट!
शायद इज़्ज़त भी। इसको एक मज़ाकिया एपिसोड समझ लीजिए - बस!

खैर , रिश्ते की बुनियाद रखी जा चुकी है लेकिन शादी मे कुछेक चार - पांच साल बाकी है । यह काफी लंबा इंतजार है । शादी-ब्याह चट मंगनी पट ब्याह हो तब ही अच्छा लगता है , अगर जोड़े बालिग हो ।

कमल और माया दोनों बालिग़ हैं।
अगर इनकी शादी हो जाए, तो उसको बिना कमल की सहमति के झुठलाया / निरस्त नहीं किया जा सकता।

खुबसूरत अपडेट अमर भाई ।
आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग अपडेट ।

बहुत बहुत धन्यवाद संजू भाई! :)
 

Surajs13

New Member
8
13
18
SUSPENSE TO NAHI LEKIN CURIOSITY JARUR HAI KI AAGE KYA HONE WALA HAI.

KYA AJAY FIR KABHI WAPAS APNE PRESENT ME NAHI JAA PAYEGA? KYA HO HAMESA PAST ME HI RAHEGA?

AGAR WO PRESENT ME JAYEGA TO USKE PRESENT ME KYA KYA DIFFERENCE HOGI?

EK SIMPLE KAHANI KO BAHUT KHOOBI KE SATH LIKHA HAI, AADMI KO PTA HAI KI KYA HONE WALA HAI FIR BHI CURIOSITY HAI KI AAGE KYA HONE WALA

BAHUT KHOOB UPDATE BHAI
 

avsji

कुछ लिख लेता हूँ
Supreme
4,187
23,379
159
इन तीन शब्दों की अच्छे से समझ नहीं आई भैया, कृपया अर्थ बता दीजिए।

नटिन -- (नट और नटिन) नट जाति के लोग कलाबाज़ी, तमाशे, गाने-बजाने, और नाचने का काम करते हैं।
इतर -- दूसरा / अलग / भिन्न
मेहरा -- (यहाँ इसका प्रयोग सरनेम वाला नहीं है) ऐसा पुरुष जो महिलाओं समान हो... जिसको स्त्रियों का संग अतिप्रिय हो (साधारण भाषा में, जो स्त्रियों को देख कर गीला हो जाए)।

यकीनन यह व्यवहार तो अत्यंत बुरा है, माया दीदी के मन को भी भीषण क्षति हुई होगी पर फिर भी उन्होंने किसी से कोई शिकायत नहीं की।
कहानी शुरू होते ही माया दीदी प्रिय किरदार बन गई हैं।

हाँ - कर्मों को सुधारने का अवसर मिले, तो अवश्य सुधारना चाहिए।

काश ऐसा मौका सब को मिल पाता पर वो अलग बात है कि अधिकतर इसका दुरुपयोग ही होता।

इसीलिए नहीं मिलता शायद :)

बहुत ही सुंदर शुरुआत हुई है कहानी सफ़र की।🌸

बहुत बहुत धन्यवाद :)
शायद "मोहब्बत का सफ़र" से भी कहीं जुड़ जाए ये लम्बी कहानी। ;)
 

avsji

कुछ लिख लेता हूँ
Supreme
4,187
23,379
159

avsji

कुछ लिख लेता हूँ
Supreme
4,187
23,379
159
SUSPENSE TO NAHI LEKIN CURIOSITY JARUR HAI KI AAGE KYA HONE WALA HAI.

KYA AJAY FIR KABHI WAPAS APNE PRESENT ME NAHI JAA PAYEGA? KYA HO HAMESA PAST ME HI RAHEGA?

AGAR WO PRESENT ME JAYEGA TO USKE PRESENT ME KYA KYA DIFFERENCE HOGI?

EK SIMPLE KAHANI KO BAHUT KHOOBI KE SATH LIKHA HAI, AADMI KO PTA HAI KI KYA HONE WALA HAI FIR BHI CURIOSITY HAI KI AAGE KYA HONE WALA

BAHUT KHOOB UPDATE BHAI

बहुत बहुत धन्यवाद सूरज भाई।

आपके प्रश्न उचित हैं - लेकिन उनके उत्तर अभी मेरे पास नहीं हैं।
ध्यान रहे - अजय की चेतना उसके किशोर संस्करण में चली गई है। मतलब साफ़ है, उसके वयस्क संस्करण में अब उसकी चेतना शेष नहीं है।
वो क्या वयस्क अजय मर गया? क्या पता? वो भी तो यही सोच रहा था!
लेकिन अगर वो अभी जीवित है (वर्तमान), तो मर कैसे सकता है? तो शायद, उसके वयस्क संस्करण का काल खण्ड ही समाप्त हो गया हो?
सभी तो हैं यहाँ - मतलब एक अलग ही भविष्य बनने वाला है :)

सभी बातें तो मैं साफ़ नहीं कर सकता - क्योंकि ये सभी प्रश्न फिलॉसोफी के हैं।
शायद कोई ज्ञानी ही बता सके। मैं ये मानता हूँ कि अवसर मिले, तो भाग्य बदल सकता है। कुछ अन्य लोग मानते हैं कि सब कुछ भाग्य के अधीन है।
अगर वैसा है, तो "दूसरा अवसर" मिलने का कोई मतलब ही नहीं!
साथ बने रहें।
 

kamdev99008

FoX - Federation of Xossipians
9,506
36,951
219
इंतज़ार है अपडेट का avsji भाई
 
  • Like
Reactions: parkas

avsji

कुछ लिख लेता हूँ
Supreme
4,187
23,379
159
अपडेट 22


सवेरे से जो राणा साहब के यहाँ पहुँचे, अजय और उसके परिवार की वापसी शाम से पहले न हो सकी। जब रिश्तेदारी जम रही हो, तब कोई ऐसे रूखा रूखा जाने नहीं देता। राणा साहब ने भोजन का बढ़िया बंदोबस्त करवाया हुआ था। इस रविवार का दिन किसी पर्व की तरह बीता। खाना पीना कर के सभी वापस आए। रास्ते में अजय माया को कमल का नाम ले ले कर छेड़ता रहा। और समय होता, तो शायद माँ और पापा उसको यूँ करने से मना करते। लेकिन यह रिश्ता संभव हो पाया था अजय के कारण। इसलिए वो भी अजय के साथ ही इस हँसी चुहल में शामिल हो गए थे।

माया ने आज दिन भर बहुत कम बोला था, लेकिन जैसी संतुष्टि उसको आज मिली थी, वो अभूतपूर्व थी।

किसी भी पारम्परिक सोच वाली लड़की के लिए किसी की ब्याहता बनना एक सम्मान की बात होती है। यह उसको अपने जीवन में स्थापित करता है। उसको अपना संसार बसाने की अनुमति देता है। जिस स्थिति में वो कुछ सालों पहले थी, वहाँ से वो अपने लिए ऐसा भविष्य सोच भी नहीं सकती थी। लेकिन वो सोचा हुआ और न सोचा हुआ - सब कुछ - अब संभव होता प्रतीत हो रहा था। उसका होने वाला ससुराल बहुत अच्छा था। अपनी होने वाली सास, सरिता जी को वो कुछ वर्षों से जानती थी और पसंद भी करती थी। सरिता जी ने आज तक उसको एक बार भी उसके निम्न जाति के होने के तथ्य को ले कर कम नहीं आँका था। वो एक अच्छी, और वात्सल्यपूर्ण महिला थीं। उनकी ममता के तले वो अपने होने वाले पति के साथ अपना भविष्य बना सकती थी।

होने वाले पति... कैसी कमाल की बात है न! वो अपने मन में भी कमल का नाम नहीं ले पा रही थी। उसने तो आज से ही कमल को ‘इनको’, ‘उनको’, ‘वो’ कहना शुरू कर दिया था। इस बात पर भी खिंचाई हुई थी माया की।

घर आ कर अशोक जी और किरण जी अपने सम्बन्धियों और मित्रों को यह ख़ुशख़बरी देने में व्यस्त हो गए।

रात में किरण जी ने प्रशांत को फ़ोन लगाया। किरण जी हमेशा से ही चाहती थीं कि उनके बच्चों में अगर किसी का ब्याह पहले हो, तो वो उनकी बेटी माया का हो। इस सम्भावना से वो बहुत प्रसन्न थीं। प्रशांत ने जब यह खबर सुनी, तो वो बहुत खुश हुआ। माया को वो बहुत स्नेह करता था। वो बाहर से आई है, इस बात से उसको कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता था। वो बस इसी बात से खुश था कि अब उसकी एक छोटी बहन भी है। इस मामले में उसका दिल बहुत बड़ा था। उसने माया को भी बहुत सारी बधाईयाँ दी। यह सब होने के बाद अजय ने फ़ोन ले लिया,

“हेल्लो भैया,”

“हेल्लो मेरे जादूगर! भाई वाह, क्या कमाल का काम किया है तूने मेरे भाई!”

“कोई कमाल वमाल नहीं है भैया,” अजय बोला, “कमल दीदी को बहुत पसंद करता है। उसने जब मुझे ये बात बताई, तो मैंने दीदी को और पापा को यह बात बोल दी। ... और पापा तो ठहरे हमारे बाप! उन्होंने कहा कि वो कमल के पापा से बात करेंगे। आज वहाँ गए, और सब फिक्स हो गया भगवान की दया से!”

“हाँ यार, भगवान की दया तो है! ... माया बहुत अच्छी बच्ची है! उसको खुश देखता हूँ न, तो बहुत अच्छा लगता है मुझे!”

“हाँ भैया, दीदी बहुत अच्छी तो हैं।”

“बहुत अच्छा किया तूने! पुण्य मिलेगा बहुत!”

“हा हा!”

“सच में!”

“अगर ऐसी बात है, तो एक और पुण्य दे दो!”

“मतलब?”

“अब मतलब भी समझाना पड़ेगा आपको?”

प्रशांत दो पल चुप रहा, फिर बोला, “यार... कल बहुत झगड़ा हुआ उससे!”

“क्यों? इग्नोर कर दिया, इसीलिए न?”

“हाँ,”

“बोला था मैंने! वो है ही वैसी! सच कह रहा हूँ भैया, एक बार चूत ले ली का मतलब ये नहीं कि उम्र भर अपनी मरवाओ!”

“हा हा! स्साले, कैसा बोलता है अपने बड़े भाई से!”

“गलत कह रहा हूँ क्या?”

“नहीं, गलत तो नहीं है...”

“भैया, सही साथी का होना ज़िन्दगी को आसान कर देता है। ... कणिका जैसी है, वो आपका जीना दुश्वार कर देगी। सच कह रहा हूँ!”

“आई नो,” प्रशांत ने गहरी सांस ले कर कहा, “उसका एक बड़ा एक्साम्पल मिल गया है मुझे कल ही!”

“आपको पैट्रिशिया अच्छी लगती हैं न? आप उनसे बात करो न?”

“अरे यार! बेवकूफ़ी के चक्कर में मैंने उसको अपने से दूर कर दिया!”

“क्या भैया! बेवकूफ़ी सुधारी भी जा सकती है।”

“कैसे?”

“आप मुझे पैट्रिशिया का नंबर दीजिये। मैं उनसे बात करूँगा...”

“यार ये क्या बात हुई! मान न मान, मैं तेरा मेहमान!”

“मैं ऐसा ही हूँ!”

“हा हा हा! कब से?” प्रशांत ने हँसते हुए कहा, “लेकिन एक बात कहूँ अज्जू... तू वाकई चेंज हो गया है। बहुत ही बदल गया है तेरा बिहैवियर...”

“आई नो! मुझे मोक्ष की प्राप्ति हो गई है!”

“हा हा हा हा! मोक्ष... हा हा हा हा!”
“हाँ... हँस लो!”

“अच्छा, एक बात बता... इन दोनों की शादी कब हो रही है?”

“मैं तो चाहता हूँ कि जल्दी से जल्दी हो जाए!”

“हम्म... लेकिन कमल की पढ़ाई पर असर नहीं पड़ेगा?”

“क्या भैया! पता नहीं हम हिन्दुस्तानियों को पढ़ाई को ले कर कौन सा रोग लगा हुआ है। कमल को कौन सा आईएएस बनना है? पास होना है न, मैं करवा दूँगा! केवल पास नहीं, फर्स्ट डिवीज़न में, विद डिस्टिंक्शन!”

“हा हा! सही है!”

“और माया दीदी समझदार हैं। वो कमल को बहकने नहीं देंगी!” अजय ने हँसते हुए कहा, “वो उसको एनफ मोटिवेट कर के रखेंगी। नो पढ़ाई, नो सेक्स!”

“हा हा हा हा! तू भी न! ... अरे मैं वो नहीं कह रहा हूँ! लेकिन शादी के बाद ब्रेक चाहिए होता है न!”

“भैया, माँ और पापा ने बताया था कि नवम्बर में ही डेट निकलेगी।”

“हम्म्म,”

“तो या तो उसमें सगाई कर लो, या फिर शादी...”

“हम्म्म,”

“नवम्बर में कर लेंगे, तो हनीमून के लिए विंटर वेकेशंस तो हैं हीं!”

“लेकिन दोनों शादी कर तो सकते हैं? या कि नहीं? वो अभी इक्कीस का हुआ नहीं होगा!”

“नहीं हुआ है, लेकिन दोनों एडल्ट्स हैं। ऐसे में शादी हो सकती है। बाद में कमल अगर कोई ऑब्जेक्शन करता है, तब ही शादी वॉइड की जा सकती है। दोनों के लिए शादी करना पनिशेबल नहीं है।”

“वो क्यों ऑब्जेक्ट करेगा!”

“हाँ! क्यों ही करेगा।” अजय मुस्कुराया, “लेकिन आप बताइए...”

“मैं क्या बताऊँ?”

“पैट्रिशिया भाभी का नंबर! मैं उनसे बात करूँगा... और माँ से कहूँगा कि कणिका के माँ बाप से बात करें, कि वो अपनी बेटी समझाएँ कि आप के ऊपर डोरे डालना बंद कर दे। कुछ नहीं होने वाला।”

“नहीं, मैं ही उसको समझाता हूँ। तू सही कहता है... कणिका मेरे लिए सही लड़की नहीं है और न ही मैं उसके लिए सही लड़का हूँ...”



**



प्रशांत से पैट्रिशिया का नंबर ले कर अजय ने उसको फ़ोन लगाया।

ऐसे अचानक से ही, प्रशांत के भाई का फ़ोन सुन कर उसको घोर आश्चर्य हुआ। वैसे उसका और प्रशांत का ब्रेकअप नहीं हुआ था, लेकिन कणिका के आने के बाद से दोनों में दूरियाँ आ गई थीं।

“हाय, पैट्रिशिया हियर,”

“हाय भाभी,” अजय ने चहकते हुए कहा, “आई ऍम अजय, प्रशांत का छोटा भाई!”

[इस वार्तालाप को हिंदी में अनुवाद कर के ही लिखा जाएगा]

“हेलो,” पैट्रिशिया को समझ नहीं आया कि वो प्रशांत के भाई से कैसे बात करे।

“भाभी, आपको शॉकिंग लग सकता है कि ये कौन यूँ अचानक से आ गया... लेकिन मुझसे रहा नहीं गया।” उसने बताया, “और मैं आपको ‘भाभी’ इसलिए कह रहा हूँ कि मैं आपको आपके नाम से नहीं बुला सकता। ... हमारे कल्चर में भाभी का ओहदा माँ जैसा होता है। अगर माँ नहीं, तो बड़ी बहन तो होती ही है भाभी...”

“अजय, मुझे समझ नहीं आ रहा है कि मैं आपकी बात का क्या जवाब दूँ,”

“अभी आप बस सुन लीजिए... शायद प्रशांत भैया गिल्ट फ़ीलिंग्स के कारण आपसे कुछ कह न सकें, लेकिन मुझे पता है सब कुछ! इसलिए मैं आप से सब कुछ सच सच बता देना चाहता हूँ!”

“ओके...”

“भाभी, भैया आपको बहुत चाहते हैं! लेकिन हमारे मामा मामी बहुत लालची हैं। लड़का विदेश में है और यहाँ उनकी माँ के पास दौलत है, यह सोच कर उन्होंने सोचा कि क्यों न अपनी बेटी प्रशांत भैया के सर मढ़ दें! वो भी इतनी मैनीपुलेटिव है कि आते ही उसने भैया का शिकार करना शुरू कर दिया... जबरदस्ती उनके सर चढ़ती चली गई। डिसेंसी के चक्कर में वो उसको मना भी न कर सके। ... मैनीपुलेट कर के कणिका ने उनके साथ सेक्स भी कर लिया... अब मारे गिल्ट के वो उसको मना नहीं कर पा रहे हैं। गले की हड्डी बन गई है कणिका - न निगल सकते हैं, और न उगल सकते हैं!”

“आई अंडरस्टैंड अजय,” पैट्रिशिया ने कहा - अजय की बातें सुन कर वो थोड़ी आश्वस्त तो हुई थी, “लेकिन प्रशांत को थोड़ा स्ट्रांग तो होना पड़ेगा न?”

“बिलकुल होना पड़ेगा। लेकिन आप इण्डिया के फैमिलिअल टाइस (पारिवारिक संबंधों) को पूरी तरह नहीं समझ रही हैं।” अजय ने समझाया, “समाज में रिस्पेक्ट पाने के लिए लोग खुद को बेच देतें हैं यहाँ!”

“व्हाट!”

“लेकिन आप उसकी चिंता न करिए! मुझे बस इतना दीजिए कि क्या आप भैया से प्यार करती हैं या नहीं? उनसे शादी करना चाहती हैं, या नहीं?”

“ऑफ़कोर्स आई लव हिम, अजय! एंड आई वांट टू मैरी हिम!” बोलते बोलते उसकी आवाज़ रुंआंसी हो गई, “आई थॉट इट वास वैरी क्लियर बिटवीन अस... लेकिन!”

“बस, इतना बहुत है भाभी! कणिका और उसकी फॅमिली को हमारी फॅमिली देख लेगी! आप बस भैया की लाइफ में वापस आ जाईए!”

“मैं कभी गई ही नहीं थी अजय... मैं अमेरिकन ज़रूर हूँ, लेकिन मेरे वैल्यू सिस्टम खराब नहीं हैं!”

“आई नो भाभी... आप उन बातों की चिंता न करिए! अगर आपके पहले रिलेशनशिप्स थे, तो भैया और कणिका के भी थे। वो कोई दूध के धोये नहीं हैं। डोंट वरी!”

“अजय... आई डोंट नो व्हाट टू से टू यू, बट यू आर आस्सम!”

“आई नो भाभी, आई नो!” अजय मुस्कुराया, “बाय भाभी!”


**
 

avsji

कुछ लिख लेता हूँ
Supreme
4,187
23,379
159
अपडेट 23


अजय को ‘वापस’ आए हुए कोई एक महीना हो गया था।

उसको यकीन हो गया था कि अब यही उसका जीवन है। जवानी का जोश और ज़िन्दगी के थपेड़ों से मिली हुई सीख - इन दोनों के मेल से उसको अपना और दूसरों का भविष्य सुधारना है। यही उसका मिशन था।

एक बात थी जो उसने नोटिस करी - अब उसके जीवन में जो हो रहा था, वो सब कुछ ‘पिछले’ जीवन में ज़रूरी नहीं था कि हो रहा हो। मतलब हर बात की हूबहू पुनरावृत्ति नहीं हो रही थी। सामान्य तौर पर देखें, तो लोग वही थे, कम्पनियाँ वही थीं, घटनाएँ वही थीं। लेकिन हर बात में थोड़ा बहुत अंतर अवश्य था। एक छोटा सा उदाहरण देता हूँ। अजय को याद था कि जब उसने बारहवीं की पढ़ाई शुरू करी थी, तब उसको पेट में किसी इन्फेक्शन के कारण दो दिन अस्पताल में बिताने पड़े थे। उसके बाद से उसने अपनी दिनचर्या बदल दी थी। उस परिवर्तन के कारण अजय का भूतकाल बदल गया था, लिहाज़ा, उसको इस बार इन्फेक्शन नहीं हुआ। एक और परिवर्तन था - जहाँ शशि मैम को वो अपने पूर्व जीवन में भी जानता था, उसको श्रद्धा मैम की कोई याद नहीं थी। मतलब इस जीवन में आ कर भविष्य बदल तो रहा था।

जो बड़े परिवर्तन थे वो उसके अपनों के जीवन में थे।

कमल और माया का संग तो ख़ैर अब स्थापित हुआ ही हुआ समझना चाहिए। उसके बारे में विस्तार से बताया जाएगा।

उधर कणिका के घर से भयंकर वितंडावाद हुआ। उसके मम्मी पापा ने दिल्ली आकर खूब झगड़ा, गाली गलौज, और बदतमीज़ियाँ करीं। कुछ कुछ रागिनी जैसी यादें ताज़ा हो आईं। किरण जी को उन्होंने धमकाया भी उन्होंने कि वो प्रशांत पर कणिका का रेप करने का केस कर देंगे। लेकिन फिर अजय ने उनको उल्टा पट्टी पढ़ाई कि यहाँ तो घण्टा कुछ होने वाला है उस केस का। प्रशांत भैया अमेरिकन हो गए थे, इसलिए भारत के कानून उन पर लागू नहीं थे। और कणिका स्वयं शिकागो की पुलिस के पास कोई रिपोर्ट इसलिए नहीं दर्ज़ कर रही थी क्योंकि वहाँ की पुलिस यहाँ के जैसी कामचोर पुलिस नहीं है। वो पूरी तफ़्तीश करते हैं। वैसे भी अनेकों गवाह थे जो बता सकते थे कि कणिका खुद प्रशांत के गले मढ़ी थी और उसका उल्लू काट रही थी। दोनों में सेक्स हुआ था - इस बात से किसी को इंकार नहीं था, लेकिन वो दोनों की रज़ामंदी से हुआ था। जो वारदात शिकागो में हुई है, उसका न्याय या अन्याय यहाँ दिल्ली में नहीं हो सकता था।

यह जान कर कणिका के माँ बाप को मिर्च तो बहुत लगी, लेकिन वो उस मिर्च के निवारण के लिए कुछ कर नहीं सकते थे। अपना सा मुँह ले कर वापस चले गए। हाँ - कुछ सम्बन्धियों से अजय के परिवार के रिश्ते अवश्य बिगड़ गए इस घटना के बाद। प्रशांत भैया उन सम्बन्धियों के यहाँ सर्टिफाइड रेपिस्ट, ठरकी, और बदचलन इत्यादि नामों से जाने जाने लगे। उसके लिए कणिका ‘बेचारी’ और ‘अबला’ थी, जिसका शोषण हुआ था। अशोक जी और अजय पर इस बात का कोई ख़ास प्रभाव नहीं हुआ। किरण जी पर भी प्रभाव हुआ, क्योंकि वो प्रशांत की माँ थीं। ख़ैर, कड़वी दवाई अभी पी लेने का यह लाभ हुआ कि आगे ज़हर नहीं पीना पड़ेगा।

कणिका के बाहर निकलने से प्रशांत के जीवन में पैट्रिशिया के वापस आने का मार्ग प्रशस्त हो गया।


**


दिल्ली में बारिश का मौसम आ गया था और रह रह कर झमाझम बारिश होती रहती थी।

इस एक महीने में अजय के मुताबिक बहुत सी बातें हो गईं थीं। सबसे पहली बात, जो सबसे महत्वपूर्ण थी, वो यह थी कि कमल और माया एक दूसरे को जानने और समझने लगे थे। कमल की माया के लिए जो मोहब्बत थी, वो बड़ी सच्ची और कोमल तरीक़े की थी - जैसा कि अजय को पहले से ही मालूम था। किशोर राणा जी की इच्छानुसार माया रोज़ ही कमल के घर चली जाती, और उनके और सरिता जी के साथ रामायण का पाठ करती। यह पूजा पाठ एक बहाना था, जिससे माया अपने भविष्य के ‘घर’ के बारे में ठीक से जान सके, और समय आने पर उसका उचित तरीके से सञ्चालन कर सके।

ऐसा नहीं है कि माया की उपस्थिति में कमल का दिल मचलता नहीं था। खूब मचलता था, लेकिन माया उसको प्रेमपूर्वक और आदरपूर्वक स्वयं पर नियंत्रण रखने को प्रोत्साहित करती रहती थी।

फिर भी अंतरंगता के कोमल क्षण स्वयं ही उपस्थित हो जाते थे।

एक बार सरिता जी ने अनुरोध कर के माया को घर पर रोक लिया और अजय के वहाँ इत्तला कर दी कि आज ‘बहू’ वहीं रहेगी। अच्छी बात थी। जैसा कि आज से कई वर्षों पूर्व सामान्य बात थी, रात में बिजली गुल हो गई। शायद बारिश के आसार बन रहे थे, इस कारण से बिजली विभाग ने पहले से ही बिजली काट दी। बादल उमड़ घुमड़ रहे थे, इसलिए माया बँगले की दूसरी मंज़िल की छत पर आ कर ठंडी बयार का आनंद लेने लगी। कमल वहाँ पहले से ही उपस्थित था।

कमल ने अँधेरे में भी माया के आकार को पहचान लिया। उसको देख कर उसके होंठों पर मुस्कान आ गई। जब से माया उसके जीवन में आई थी, तब से एक अलग ही तरीक़े का सुकून आ गया था उसके मन में! सभी मित्रों को यह बात पता चल गई थी कि अजय की बहन और कमल की शादी तय हो गई है। कुछ लोग इस बात से उसको चिढ़ाते भी थे, और अनेकों लोग इसी बात से चिढ़ते और उससे ईर्ष्या भी करते थे। लेकिन सच्चा प्रेम करने वालों को इस बात की परवाह नहीं होती कि अन्य लोग उनके बारे में क्या सोचते हैं। कमल इस बात से संतुष्ट था और बहुत प्रसन्न भी था कि एक बहुत ही अच्छी लड़की उसकी जीवनसंगिनी बनेगी!

अँधेरे में अंतरंगता बढ़ जाती है, क्योंकि शायद शर्म और झिझक थोड़ी कम हो जाती है।

उसने अपनी दोनों बाहें फैला कर माया को मूक आमंत्रण दिया।

माया एक पल को झिझकी, लेकिन अपने प्रिय की बाहों में कौन लड़की नहीं समां जाना चाहती? शर्म और झिझक भरे चार पाँच क़दम और वो कमल के आलिंगन में समां गई। पहला आलिंगन! दोनों को एक दूसरे के शरीरों की गर्माहट और कोमलता के एहसास से आनंद आ गया। माया के परफ्यूम की महक कमल के इस एहसास को और भी बढ़ा रही थी और आनंदातिरेक में कमल ने उसको अपनी बाहों में और भी समेट लिया।

ठीक उसी समय बारिश भी शुरू हो गई। रिमझिम रिमझिम! ठंडी! कोमल ठंडी बयार के साथ!

कुछ ही बूँदें गिरी होंगी, कि मिट्टी से सोंधी सोंधी महक आने लगी।

इस महक के पीछे का विज्ञान अगर जानेंगे, तो आपको वो एहसास कत्तई ग़ैररोमांटिक लगने लगेगा। लेकिन प्रेम को समझने के लिए, विज्ञान की समझ होना आवश्यक नहीं।

माया बोली, “भीग जाएँगे... अंदर चलें?”

“नहीं,” कमल ने कहा, “आज हम आपकी नहीं सुनेंगे... आज हम अपनी करेंगे!”

कमल की आवाज़ कोई परिपक्व नहीं थी, लेकिन उसमें एक दृढ़ता थी... और एक कोमलता भी! दृढ़ता - माया के पुरुष की और कोमलता उसके प्रेमी की। उसकी बाहों में वो लरज गई।

“क्या करना चाहते हैं आप?”

“आपको किस...”



**



उसी समय, घर के ग्राउंड फ्लोर पर,


सरिता जी : “बच्चे छत पर हैं! भीग जायेंगे...”

किशोर जी : “अरे भाग्यवान, छोड़ दीजिए उनको कभी कभी! ... पहली बारिश है उनकी साथ में... थोड़ा मज़ा लेने दीजिए उनको भी! या भूल गईं हमारी जवानी की बातें!”

“हाहाहा... आप भी न!” सरिता जी अपने ‘मधुमास’ को याद कर के शर्मा गईं।

जब दोनों का विवाह हुआ था, तब सरिता जी बहुत बड़ी नहीं थीं। वैसे भी, उनके समाज में लड़कियाँ बहुत समय तक अनब्याही नहीं रहती हैं। किशोर जी उनसे दस वर्ष बड़े थे। उस मामले में थोड़ी बेमेल जोड़ी थी यह। लेकिन दोनों के बीच तीव्र आसक्ति और समयानुसार अगाध प्रेम था। विवाह के बाद उनका ‘मधुमास’ कोई चार महीने चला। किशोर जी बड़े थे, लेकिन ऐसी चुलबुली पत्नी पा कर वो भी छोटे हो गए। दोनों के अंतरंग खेल अपने कमरे की सीमा में ही नहीं होते थे, बल्कि जहाँ भी दोनों को अवसर मिलता, वो वहीं शुरू हो जाते थे। कई बार दोनों को इस व्यवहार के कारण किशोर जी के माँ बाप ने घुड़का था। लेकिन दोनों में कोई सुधार या बदलाव नहीं आया था। चार महीने में सरिता जी की कोख में कमल आ गया था और अपने नियत समय में उन्होंने उसको जन्म भी दिया।

वंश का चिराग आने से सभी लोग प्रसन्न थे। लेकिन बाद में सरिता जी घर परिवार में, और किशोर जी व्यवसाय और व्यापार में ऐसे व्यस्त हुए कि ‘वैसे’ खेलने का अवसर ही नहीं मिला। सरिता जी दो बार पुनः गर्भवती हुईं, लेकिन किन्ही अबूझ कारणों से वो पुनः माँ नहीं बन सकीं।

“मैं तो इसलिए कह रही थी कि कहीं बारिश में भीग कर तबियत न खराब हो जाए दोनों की!”

“अरे तो हो जाए ख़राब! डॉक्टर बुलवा लेंगे हम! ... चिंता मत कीजिए…”

कहते हुए किशोर जी ने सरिता जी को अपनी बाहों में समेट लिया और उनको चूमते हुए उनकी ब्लाउज़ के बटन खोलने लगे। सरिता जी बमुश्किल छत्तीस वर्ष की हुई थीं। वो अभी भी आकर्षक थीं और उनका चुलबुलापन कम नहीं हुआ था। लिहाज़ा, जब भी दोनों को अवसर मिलता, सम्भोग अवश्य करते।

**
 
Top