अपडेट 22
सवेरे से जो राणा साहब के यहाँ पहुँचे, अजय और उसके परिवार की वापसी शाम से पहले न हो सकी। जब रिश्तेदारी जम रही हो, तब कोई ऐसे रूखा रूखा जाने नहीं देता। राणा साहब ने भोजन का बढ़िया बंदोबस्त करवाया हुआ था। इस रविवार का दिन किसी पर्व की तरह बीता। खाना पीना कर के सभी वापस आए। रास्ते में अजय माया को कमल का नाम ले ले कर छेड़ता रहा। और समय होता, तो शायद माँ और पापा उसको यूँ करने से मना करते। लेकिन यह रिश्ता संभव हो पाया था अजय के कारण। इसलिए वो भी अजय के साथ ही इस हँसी चुहल में शामिल हो गए थे।
माया ने आज दिन भर बहुत कम बोला था, लेकिन जैसी संतुष्टि उसको आज मिली थी, वो अभूतपूर्व थी।
किसी भी पारम्परिक सोच वाली लड़की के लिए किसी की ब्याहता बनना एक सम्मान की बात होती है। यह उसको अपने जीवन में स्थापित करता है। उसको अपना संसार बसाने की अनुमति देता है। जिस स्थिति में वो कुछ सालों पहले थी, वहाँ से वो अपने लिए ऐसा भविष्य सोच भी नहीं सकती थी। लेकिन वो सोचा हुआ और न सोचा हुआ - सब कुछ - अब संभव होता प्रतीत हो रहा था। उसका होने वाला ससुराल बहुत अच्छा था। अपनी होने वाली सास, सरिता जी को वो कुछ वर्षों से जानती थी और पसंद भी करती थी। सरिता जी ने आज तक उसको एक बार भी उसके निम्न जाति के होने के तथ्य को ले कर कम नहीं आँका था। वो एक अच्छी, और वात्सल्यपूर्ण महिला थीं। उनकी ममता के तले वो अपने होने वाले पति के साथ अपना भविष्य बना सकती थी।
होने वाले पति... कैसी कमाल की बात है न! वो अपने मन में भी कमल का नाम नहीं ले पा रही थी। उसने तो आज से ही कमल को ‘इनको’, ‘उनको’, ‘वो’ कहना शुरू कर दिया था। इस बात पर भी खिंचाई हुई थी माया की।
घर आ कर अशोक जी और किरण जी अपने सम्बन्धियों और मित्रों को यह ख़ुशख़बरी देने में व्यस्त हो गए।
रात में किरण जी ने प्रशांत को फ़ोन लगाया। किरण जी हमेशा से ही चाहती थीं कि उनके बच्चों में अगर किसी का ब्याह पहले हो, तो वो उनकी बेटी माया का हो। इस सम्भावना से वो बहुत प्रसन्न थीं। प्रशांत ने जब यह खबर सुनी, तो वो बहुत खुश हुआ। माया को वो बहुत स्नेह करता था। वो बाहर से आई है, इस बात से उसको कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता था। वो बस इसी बात से खुश था कि अब उसकी एक छोटी बहन भी है। इस मामले में उसका दिल बहुत बड़ा था। उसने माया को भी बहुत सारी बधाईयाँ दी। यह सब होने के बाद अजय ने फ़ोन ले लिया,
“हेल्लो भैया,”
“हेल्लो मेरे जादूगर! भाई वाह, क्या कमाल का काम किया है तूने मेरे भाई!”
“कोई कमाल वमाल नहीं है भैया,” अजय बोला, “कमल दीदी को बहुत पसंद करता है। उसने जब मुझे ये बात बताई, तो मैंने दीदी को और पापा को यह बात बोल दी। ... और पापा तो ठहरे हमारे बाप! उन्होंने कहा कि वो कमल के पापा से बात करेंगे। आज वहाँ गए, और सब फिक्स हो गया भगवान की दया से!”
“हाँ यार, भगवान की दया तो है! ... माया बहुत अच्छी बच्ची है! उसको खुश देखता हूँ न, तो बहुत अच्छा लगता है मुझे!”
“हाँ भैया, दीदी बहुत अच्छी तो हैं।”
“बहुत अच्छा किया तूने! पुण्य मिलेगा बहुत!”
“हा हा!”
“सच में!”
“अगर ऐसी बात है, तो एक और पुण्य दे दो!”
“मतलब?”
“अब मतलब भी समझाना पड़ेगा आपको?”
प्रशांत दो पल चुप रहा, फिर बोला, “यार... कल बहुत झगड़ा हुआ उससे!”
“क्यों? इग्नोर कर दिया, इसीलिए न?”
“हाँ,”
“बोला था मैंने! वो है ही वैसी! सच कह रहा हूँ भैया, एक बार चूत ले ली का मतलब ये नहीं कि उम्र भर अपनी मरवाओ!”
“हा हा! स्साले, कैसा बोलता है अपने बड़े भाई से!”
“गलत कह रहा हूँ क्या?”
“नहीं, गलत तो नहीं है...”
“भैया, सही साथी का होना ज़िन्दगी को आसान कर देता है। ... कणिका जैसी है, वो आपका जीना दुश्वार कर देगी। सच कह रहा हूँ!”
“आई नो,” प्रशांत ने गहरी सांस ले कर कहा, “उसका एक बड़ा एक्साम्पल मिल गया है मुझे कल ही!”
“आपको पैट्रिशिया अच्छी लगती हैं न? आप उनसे बात करो न?”
“अरे यार! बेवकूफ़ी के चक्कर में मैंने उसको अपने से दूर कर दिया!”
“क्या भैया! बेवकूफ़ी सुधारी भी जा सकती है।”
“कैसे?”
“आप मुझे पैट्रिशिया का नंबर दीजिये। मैं उनसे बात करूँगा...”
“यार ये क्या बात हुई! मान न मान, मैं तेरा मेहमान!”
“मैं ऐसा ही हूँ!”
“हा हा हा! कब से?” प्रशांत ने हँसते हुए कहा, “लेकिन एक बात कहूँ अज्जू... तू वाकई चेंज हो गया है। बहुत ही बदल गया है तेरा बिहैवियर...”
“आई नो! मुझे मोक्ष की प्राप्ति हो गई है!”
“हा हा हा हा! मोक्ष... हा हा हा हा!”
“हाँ... हँस लो!”
“अच्छा, एक बात बता... इन दोनों की शादी कब हो रही है?”
“मैं तो चाहता हूँ कि जल्दी से जल्दी हो जाए!”
“हम्म... लेकिन कमल की पढ़ाई पर असर नहीं पड़ेगा?”
“क्या भैया! पता नहीं हम हिन्दुस्तानियों को पढ़ाई को ले कर कौन सा रोग लगा हुआ है। कमल को कौन सा आईएएस बनना है? पास होना है न, मैं करवा दूँगा! केवल पास नहीं, फर्स्ट डिवीज़न में, विद डिस्टिंक्शन!”
“हा हा! सही है!”
“और माया दीदी समझदार हैं। वो कमल को बहकने नहीं देंगी!” अजय ने हँसते हुए कहा, “वो उसको एनफ मोटिवेट कर के रखेंगी। नो पढ़ाई, नो सेक्स!”
“हा हा हा हा! तू भी न! ... अरे मैं वो नहीं कह रहा हूँ! लेकिन शादी के बाद ब्रेक चाहिए होता है न!”
“भैया, माँ और पापा ने बताया था कि नवम्बर में ही डेट निकलेगी।”
“हम्म्म,”
“तो या तो उसमें सगाई कर लो, या फिर शादी...”
“हम्म्म,”
“नवम्बर में कर लेंगे, तो हनीमून के लिए विंटर वेकेशंस तो हैं हीं!”
“लेकिन दोनों शादी कर तो सकते हैं? या कि नहीं? वो अभी इक्कीस का हुआ नहीं होगा!”
“नहीं हुआ है, लेकिन दोनों एडल्ट्स हैं। ऐसे में शादी हो सकती है। बाद में कमल अगर कोई ऑब्जेक्शन करता है, तब ही शादी वॉइड की जा सकती है। दोनों के लिए शादी करना पनिशेबल नहीं है।”
“वो क्यों ऑब्जेक्ट करेगा!”
“हाँ! क्यों ही करेगा।” अजय मुस्कुराया, “लेकिन आप बताइए...”
“मैं क्या बताऊँ?”
“पैट्रिशिया भाभी का नंबर! मैं उनसे बात करूँगा... और माँ से कहूँगा कि कणिका के माँ बाप से बात करें, कि वो अपनी बेटी समझाएँ कि आप के ऊपर डोरे डालना बंद कर दे। कुछ नहीं होने वाला।”
“नहीं, मैं ही उसको समझाता हूँ। तू सही कहता है... कणिका मेरे लिए सही लड़की नहीं है और न ही मैं उसके लिए सही लड़का हूँ...”
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प्रशांत से पैट्रिशिया का नंबर ले कर अजय ने उसको फ़ोन लगाया।
ऐसे अचानक से ही, प्रशांत के भाई का फ़ोन सुन कर उसको घोर आश्चर्य हुआ। वैसे उसका और प्रशांत का ब्रेकअप नहीं हुआ था, लेकिन कणिका के आने के बाद से दोनों में दूरियाँ आ गई थीं।
“हाय, पैट्रिशिया हियर,”
“हाय भाभी,” अजय ने चहकते हुए कहा, “आई ऍम अजय, प्रशांत का छोटा भाई!”
[इस वार्तालाप को हिंदी में अनुवाद कर के ही लिखा जाएगा]
“हेलो,” पैट्रिशिया को समझ नहीं आया कि वो प्रशांत के भाई से कैसे बात करे।
“भाभी, आपको शॉकिंग लग सकता है कि ये कौन यूँ अचानक से आ गया... लेकिन मुझसे रहा नहीं गया।” उसने बताया, “और मैं आपको ‘भाभी’ इसलिए कह रहा हूँ कि मैं आपको आपके नाम से नहीं बुला सकता। ... हमारे कल्चर में भाभी का ओहदा माँ जैसा होता है। अगर माँ नहीं, तो बड़ी बहन तो होती ही है भाभी...”
“अजय, मुझे समझ नहीं आ रहा है कि मैं आपकी बात का क्या जवाब दूँ,”
“अभी आप बस सुन लीजिए... शायद प्रशांत भैया गिल्ट फ़ीलिंग्स के कारण आपसे कुछ कह न सकें, लेकिन मुझे पता है सब कुछ! इसलिए मैं आप से सब कुछ सच सच बता देना चाहता हूँ!”
“ओके...”
“भाभी, भैया आपको बहुत चाहते हैं! लेकिन हमारे मामा मामी बहुत लालची हैं। लड़का विदेश में है और यहाँ उनकी माँ के पास दौलत है, यह सोच कर उन्होंने सोचा कि क्यों न अपनी बेटी प्रशांत भैया के सर मढ़ दें! वो भी इतनी मैनीपुलेटिव है कि आते ही उसने भैया का शिकार करना शुरू कर दिया... जबरदस्ती उनके सर चढ़ती चली गई। डिसेंसी के चक्कर में वो उसको मना भी न कर सके। ... मैनीपुलेट कर के कणिका ने उनके साथ सेक्स भी कर लिया... अब मारे गिल्ट के वो उसको मना नहीं कर पा रहे हैं। गले की हड्डी बन गई है कणिका - न निगल सकते हैं, और न उगल सकते हैं!”
“आई अंडरस्टैंड अजय,” पैट्रिशिया ने कहा - अजय की बातें सुन कर वो थोड़ी आश्वस्त तो हुई थी, “लेकिन प्रशांत को थोड़ा स्ट्रांग तो होना पड़ेगा न?”
“बिलकुल होना पड़ेगा। लेकिन आप इण्डिया के फैमिलिअल टाइस (पारिवारिक संबंधों) को पूरी तरह नहीं समझ रही हैं।” अजय ने समझाया, “समाज में रिस्पेक्ट पाने के लिए लोग खुद को बेच देतें हैं यहाँ!”
“व्हाट!”
“लेकिन आप उसकी चिंता न करिए! मुझे बस इतना दीजिए कि क्या आप भैया से प्यार करती हैं या नहीं? उनसे शादी करना चाहती हैं, या नहीं?”
“ऑफ़कोर्स आई लव हिम, अजय! एंड आई वांट टू मैरी हिम!” बोलते बोलते उसकी आवाज़ रुंआंसी हो गई, “आई थॉट इट वास वैरी क्लियर बिटवीन अस... लेकिन!”
“बस, इतना बहुत है भाभी! कणिका और उसकी फॅमिली को हमारी फॅमिली देख लेगी! आप बस भैया की लाइफ में वापस आ जाईए!”
“मैं कभी गई ही नहीं थी अजय... मैं अमेरिकन ज़रूर हूँ, लेकिन मेरे वैल्यू सिस्टम खराब नहीं हैं!”
“आई नो भाभी... आप उन बातों की चिंता न करिए! अगर आपके पहले रिलेशनशिप्स थे, तो भैया और कणिका के भी थे। वो कोई दूध के धोये नहीं हैं। डोंट वरी!”
“अजय... आई डोंट नो व्हाट टू से टू यू, बट यू आर आस्सम!”
“आई नो भाभी, आई नो!” अजय मुस्कुराया, “बाय भाभी!”
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