बाबा की पहाड़ी
लेखक - नोटबुक
समझ नहीं आ रहा क्या लिखूं , समझ नहीं आ रहा की कैसे अपनी भावनाएं शब्दों के माध्यम से पाठकों के मध्य रखू।
सच बताऊं तो मुझे प्रेम कहानियां बिल्कुल भी पसंद नहीं है उसकी वजह सिर्फ इतनी की लेखक अपनी पूरी कोशिश करता है पाठक को भावुक करने कि , बस इसी डर की वजह से कि कहीं में भावुक ना हो जाऊं और किसी को कोई परेशानी में ना डाल दू बस इसी वजह से में प्रेम कहानी नहीं पढ़ता....मेरे एक मित्र ने मुझे आपकी कहानी पढ़ने की सलाह दी और मुझे उसने ये बोला की आपकी कहानी थ्रीलर हॉरर है...लेकिन शायद मेरा मित्र चाहता था कि इतनी बेहतरीन कृति पढ़े बिना में कैसे रह जाऊं और बस उसी वजह से में आपके सामने हूं।।
कहानी की शुरुवात में कुछ गलतियां थी वो भी थोड़ी थोड़ी स्पेलिंग मिस्टेक्स की वजह से लेकिन जैसे जैसे कहानी आगे बढ़ती गई वह सारी गलतियां अक्षुण्ण हो गई...कहानी का फ्लो जबरदस्त तरीके से आगे बढ़ता है...कहानी कही भी पाठक को उबाऊ या बोर नहीं लगती....लेकिन प्रेम कहानी प्रडिक्टेबेल होती है....ये मुझे तभी समझ आ गया जब उदयमान उस झोपडी के बाहर पहुंच गया की आगे कहानी क्या होने वाली है...लेकिन आपकी लेखन शैली ही कुछ इस तरह की है की अगर एक बार पढ़ना शुरू करो तो आखिर तक जाए बिना कोई रह ही नहीं सकता....
आपका बहुत बहुत शुक्रिया जो आपने इतनी बेहतरीन कहानी हम पाठकों को दी है..
में इस कहानी को 5 में से 4.5 अंक देता हूं....
.5 अंक इसलिए काटे क्योंकि कहानी का अंत सुखद भी हो सकता था।