दोपहर का समय था और मधु अभी अपने कमरे में थी, वह गहरी नींद से जागी थी,दवाइयां उसे सुलाये रखते हैं,उसने देखा कि खिड़की के पास एक औरत खड़ी है ,उस औरत ने मधु की ही नाइटी पहन रखी थी,मधु गुस्से से आग बबूला हो चुकी थी….
"तुम तुम फिर से आ गयी,आज तो मैं तुम्हे छोडूंगी नहीं .और ये ये नाईटी ,??? ये मेरी है तुमने इसे पहनने की हिम्मत कैसे की "
वो औरत बस मुस्कुराते हुए मधु को देखती है ,
"अरे मधु तुम क्यों अपना खून जला रही हो अगर आकाश ने सुन लिया ना तो तुम्हे फिर से दवाइया खिला देंगे "
उसकी बात सुनकर मधु बुरी तरह से चिल्लाई ...
"निकल जाओ यंहा से मैं पागल नहीं हु जो सच और भ्रम को ना पहचान पाउंगी ,तुमने मेरे आकाश को मेरे खिलाफ भड़काया है .."
लेकिन उसका उस औरत पर कोई भी असर नहीं हुआ बल्कि वो और जोरो से हंसी ....
"अच्छा तो बुलाओ अपने आकाश को हम भी तो देखे की वो किसकी साइड लेता है ,तुम्हारी या मेरी,तुम्हारा पति मेरे हुस्न का दीवाना है मधु "
यह कहकर उसने अपने जिस्म से वो नाईटी निकाल दी ,उसका गोरा जिस्म जैसे किसी संगमरमर की तरह चमकने लगा था ,दूध से मखमली जिस्म एक अलग ही छटा बिखेर रही थी ...वो पूर्ण नग्न हो चुकी थी जिसे देखकर एक बार के लिए मधु भी आश्चर्य में पड़ गई थी की क्या कोई इतना सुन्दर भी हो सकता है ,उसके लाल होठ ऐसे थे जैसे अभी अभी उसने खून का सेवन किया हो ,आंखे काली और गहरी थी ,लम्बे बाल उसके कमर को छू रहे थे ,उसके उठे हुए नितम्भ किसी भी मर्द की सबसे बड़ी कमजोरी हो सकते थे ,मधु कुछ देर के लिए ही सही लेकिन उसके सम्मोहन से नहीं बच पाई ,लेकिन अचानक ही उसे याद आया की इस औरत का सम्मोहन उसके पति पर भी छाया हुआ है ....
वो बौखला सी गई और चिल्लाई …
"आकाश ,रूपा ....यंहा आओ जल्दी "
मधु अपना पूरा जोर लगाकर चिल्लाई थी
लेकिन सामने खड़ी हुई औरत बस जोरो से हँस रही थी ..लेकिन मधु की आवाज सुनकर उसका पति आकाश वंहा दौड़ा चला आया और साथ ही उसकी नौकरानी रूपा भी
"क्या हुआ मधु तुम ऐसे क्यों चिल्ला रही हो "
आकाश के चेहरे में चिंता की लकीरे झूल गई
"वो वो देखो ना वो औरत फिर से यंहा आयी है तुम मुझे धोखा दे रहे हो ना आकाश ,तुम इससे प्यार करते हो क्योकि ये मुझसे ज्यादा खूबसूरत है ..."
मधु खिड़की की तरफ उंगली दिखने लगी जंहा वो औरत खड़ी थी ,वो औरत नग्न थी और बस मुस्कुरा रही थी
"कहा ??? ,तुमने दवाई खाई थी ???"
आकाश ने उसकी बात को ध्यान दिए बिना कहा
"तुम मेरी बात क्यों नहीं सुनते देखो वो तो खड़ी है और उसने मेरी नाईटी भी पहनी थी वो देखो पड़ी है .."
"मधु ये नाइटी तुमने रात में पहनी थी ,और वंहा कोई भी नहीं है सच सच बताओ की तुमने दवाई खाई थी की नहीं "
इस बार मधु चुप हो गई उसने रूपा की ओर देखा
"क्या तुम्हे भी वो नहीं दिख रही थी ??"
"मेडम आप टाइम पर दवाई खा लिया करो ना,वंहा कोई भी तो नहीं है "
मधु ने कुछ देर तक उस औरत को देखा वो मुस्कुरा रही थी
"मैंने कहा था ना मधु की मैं सिर्फ तुम्हारी कल्पना हु "
मधु रो पड़ी
"मैं इतनी गलत कैसे हो सकती हु ,नहीं तुम कल्पना नहीं हो सकती तुम हकीकत हो ,आकाश तुम मुझे इस औरत के लिए धोखा दे रहे हो ना ,मेरे साथ ऐसा मत करो आकाश मैं पागल हो जाउंगी "
आकाश ने मधु को अपने बांहो में भर लिया
"नहीं मधु तुम जानती हो की मैं तुमसे कितना प्यार करता हु,यंहा कोई भी नहीं है बस तुम्हारी कल्पना ही है ,हम कल डॉ मिश्रा के पास चलेंगे ओके .."
मधु आकाश से बेहद प्यार करती थी ,उसके लिए ये सोचना भी मुश्किल था की आकाश उसे धोखा दे रहा होगा लेकिन वो क्या करती ,उसने इस औरत को ना जाने कितने बार अपने बेडरूम में देखा था ,अधिकतर जब वो सुबह उठती थी या फिर दोपहर में सो कर उठती थी ,हर बार मधु चीखती चिल्लाती ,घर के नौकरो को तो जैसे इन सबकी आदत ही पड़ चुकी थी ......
मधु ऐसे ही आकाश की बांहो में थी और वो औरत मुस्कुराते हुए बाहर निकल गई ,मधु उसको जाते हुए देखते रही थी ,तभी पीछे से राजू आया जो की घर का नौकर था ..
"अरे मेमसाहब को क्या हो गया "
"कुछ नहीं इनका वही पुराना तमाशा है "रूपा ने मुँह सिकोड़ते हुए कहा
मधु की नजर राजू पर पड़ी
"राजू तुमने भी अभी किसी को इस कमरे से जाते हुए नहीं देखा "
राजू कुछ देर तक मधु को देखता रहा ,उसे मधु की ऐसी हालत देखकर बहुत ही दुःख होता था ,वो मधु को तब से जानता था जब वो कालेज में थी और एक खुशमिजाज लड़की हुआ करती थी .....
"मेमसाहब आप दवाइया समय से लिया करो ,आपकी ये हालत मुझसे देखी नहीं जाती "
राजू के आँखों में आंसू आ गए थे ,वो तुरंत ही वंहा से निकल गया ...
****************
"आकाश तुम एक बार फिर से सोच लो ,मधु का हेल्यूजीनेशन(जो नहीं है उसे देखना ) बढ़ता ही जा रहा है ,और मेरे हॉस्पिटल में वो सुरक्षित भी रहेगी मैं उसके हर सुविधा का ध्यान रखूंगा ,यंहा उसे कोई भी तकलीफ नहीं होगी "
डॉ स्वरुप मिश्रा शहर के ही नहीं बल्कि पुरे देश के जानेमाने मनोचिकित्सक थे ,साथ ही साथ वो मधु की माँ सविता के स्कुल के दोस्त भी थे ,आज आकाश के साथ साथ सविता भी वंहा मौजूद थी ,उसकी आंखे आकाश की बाते सुनकर नम थी ,वो बस सिसक रही थी ..
"नहीं डॉ मैंने मधु का साथ निभाने की कसम खाई है और मैं उस वचन को कैसे तोड़ सकता हु ,बस मुझे दुःख इस बात से होता है की मधु मुझपर ही शक करती है ,"
आकाश की आंखे नम हो गई थी ,सविता ने उसके कंधे पर हाथ रखा
"बेटा तुम जैसा जीवनसाथी तो किस्मत वालो को ही मिलता है ,मैं तुम्हारी भावनाओ को समझ सकती हु ,तुमने मधु के लिए क्या नहीं किया ,ये जानते हुए भी की उसे ये बिमारी है तुमने उससे शादी की उसे बेइंतहा प्यार दिया और बदले में तुम्हे क्या मिला ,तुमने अपने पारिवारिक सुख का ही बलिदान दे दिया ,बेटा ये सब तुम कब तक सम्हला पाओगे ,मधु को हॉस्पिटल में दाखिल करवा दो और तुम भी दूसरी शादी कर लो तुम्हारी ये हालत मुझसे देखी नहीं जाती "
सविता के अंदर का दर्द मानो फुट पड़ा था ,उसके आंसुओ ने सभी दिवार तोड़ दिए वो बहने लगे थे ..
"ये कैसी बात कर रही हो माँ जी ,मधु मेरे लिए कोई जिम्मेदारी नहीं है जिसे मैं सम्हला ना पाऊ,वो मेरा प्यार है और जब तक मैं सही सलामत हु मैं उसे अपने से दूर नहीं करूँगा ,वो जैसे भी है मेरी है, मैं ख्याल रखूँगा वो कहीं नहीं जाएगी मेरे साथ ही रहेगी ,ये मेरा अंतिम फैसला है "
इतना कहकर वो डॉ की केबिन से बहार चला गया जंहा पर मधु उसका इंतजार कर रही थी .........
"कितनी नशीब वाली है मधु की उसे आकाश जैसा पति मिला है "
आकाश के जाते ही डॉ मिश्रा बोल उठे
"हां स्वरुप कभी कभी मैं भी ये सोचती हु की अगर उस हादसे के बाद आकाश मधु के जीवन में नहीं आता तो बेचारी का क्या होता "
"सावित, अकसर ऐसे हादसे इंसान को तोड़ जाते है ,और उस समय मधु की उम्र ही क्या थी ,एक हसती खेलती लड़की की ये दशा हो जाएगी सोच भी कौन सकता था,आकाश ने ना सिर्फ मधु को सम्हला बल्कि तुम्हारा पूरा कारोबार भी सम्हाल रहा है,सच में वो हिरा ही है "
सविता ने भी डॉ की बात पर अपना सर हिलाया ..
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"विनय भइया मुझे वो लड़की फिर से दिखी ,लेकिन मेरी बात कोई भी नहीं मानता सब मुझे ही पागल समझते है ,मुझे फिर से मिश्रा अंकल के पास ले गए थे ,वो तो मुझे अपने हॉस्पिटल में भर्ती करवाना चाहते थे लेकिन आकाश ने मना कर दिया ,भैया मैं उस पागल खाने में नहीं जाने वाली "मधु का चेहरा रोने जैसा हो गया
मधु अपने बेडरूम में रखे सोफे पर बैठी थी उसके बाजु में एक २५ साला का लड़का बैठा था , बेहद ही हेंडसम दिखने वाला वो लड़का एक ब्लैक कलर की टी-शर्ट और ब्लू जींस में था ,टी-शर्ट से उसके डोले शोले भी झांक रहे थे ..
"अरे मेरे होते हुए तुझे कौन कहीं भेज सकता है मैं उन लोगो को मार नहीं डालूंगा ,और कौन कहता है की तू पागल है , मिश्रा अंकल को तो बस माँ से मिलने का बहना चाहिए इसलिए तुझे बार बार बुलाते है,आखिर बचपन का प्यार जो है "
विनय की बात को सुनकर मधु जोरो से हंसी ,ना जाने कितने समय बाद वो इतने जोरो से हंसी थी,हसते हसते उसके आँखों में आंसू आ गए और वो विनय के सीने से जा लगी ...
"आप मुझे दूर मत जाया करो आप ही तो हो जो मुझे हँसा सकते हो ,बाकियो के लिए तो मैं पागल ही हु "
विनय ने भी उसके बालो में अपना हाथ फेरा
"नहीं मेरी बहन तू पागल नही है ,मेरी बहादुर बहन, उस हादसे का सदमा तुझे हो गया था ,जिसके कारण तू पापा को देखती थी लेकिन अब तू पूरी तरह से ठीक है ,"
"लेकिन आप मुझसे दूर क्यों चले गए ??"
मधु के स्वर में नाराजगी थी
"अरे मैं तुझसे दूर कहा गया हु ,आता तो हु ना तुझसे मिलने के लिए और उस हादसे के बाद से तो मैं भी टूट ही गया ,पापा क्या चले गए हमारी तो जिंदगी ही उजाड़ गई ,और तूने उस चूतिये से शादी जो कर ली जिसे मैं बिलकुल भी पसंद नहीं करता था "
विनय की बात सुनकर मधु ने अपना मुँह फुलाया ..
"आप को आकाश क्यों पसंद नहीं है ,कालेज में भी आप उसे धमका देते थे आखिर वो अच्छा लड़का है ,मुझसे बेहद प्यार भी करता है देखो कितना ख्याल भी रखता है मेरा "
"अच्छा ये क्या ख्याल रख रहा है वो तेरा, दिन भर तो तुझे दवाई दे कर सुला देता है ,और वो लड़की, उसे भूल गई क्या ,आकाश को मैं कालेज से जानता हु , तुझसे नहीं हमारे पैसे से प्यार है उसे,और पापा के जाने के बाद तो उसे वो मौका मिल गया ना ,माँ ने भी बिना कुछ सोचे तेरी शादी उसके साथ करवा दी क्योकि तुझे स्किजोफ्रीनिया हो गया था और तू पापा को देखती थी "
विनय ने गुस्से से कहा
"भैया आप भी ना ,चलो अब गुस्सा थूक दो ,मुझे पता है की आकाश मुझसे प्यार करता है,और रही उस लड़की की बात तो हां ये बात तो सही है लेकिन मुझे तो लगता है की वो लड़की ही आकाश को फंसा रही है ,आप आकाश से बात करके देखो ना "
विनय ने अपना सर पकड़ लिया
"तुझे ना प्यार का भूत चढ़ गया है आंख में पट्टी बांध ली है तूने ,अरे लड़की तेरे बेडरूम में रहती है इसका मतलब समझती है ??"
मधु फिर से खमोश हो गई लेकिन फिर कुछ देर सोचकर बोली
"मुझे सच में यकीन नहीं होता की आकाश मुझसे धोखा करेगा ,प्लीज् कुछ करो ना भईया ,उस लड़की के बारे में पता करो ना ,क्या पता वो सच ना हो ,या बस मेरी कल्पना ही हो,अगर ऐसा हुआ तो?,जैसे मैं पापा को देखती थी ,हो सकता है ना .."
विनय सोच में पड़ गया
"हूउउ हो तो कुछ भी सकता है बहन ,चल मैं उसके बारे में पता लगाऊंगा तू फिक्र मत कर"
"भईया मुझे बहुत डर लगता है ,अगर वो सच में असली होगी तो ,तो मैं अपने को कैसे सम्हाल पाऊँगी ,और अगर वो मेरी कल्पना हुई तो ...."
मधु बोलते हुए ही काँप गई
"भईया क्या मैं सच में पागल हु .."
विनय ने मधु को जोरो से अपने बांहो में जकड़ लिया
"नहीं मेरी बहन रो नहीं, तू पागल नहीं है ,तू बस हिम्मत रख तेरा भाई सब कुछ ठीक कर देगा,वो सच हो या कल्पना मुझसे वादा कर की तू डरेगी नहीं ,जानती है ना की जब तू डरती है तो तुझे कितनी तकलीफ होती है ,मैं तुझे ऐसे तकलीफ में नहीं देख सकता ,वादा कर की तू डट कर मुकाबला करेगी डरेगी नहीं "
विनय ने अपना हाथ आगे किया और मधु ने उसका हाथ थाम लिया ,अब मधु के होठो में हलकी मुस्कान थी
"मैं वादा करती हुई भइया "
"गुड अब एक किस दे "
मधु ने विनय के गाल में एक किस लिया और विनय खड़ा हो गया
"भइया आप जा रहे हो ?? इतनी जल्दी "
"हां पता भी तो करना है ना उस लड़की के बारे में "
"ओके जल्दी आना ,यंहा कोई मेरे साथ नहीं रहता ,और आकाश तो अपने काम में ही बीजी रहते है ,आप मेरे साथ रहते हो तो मुझे हिम्मत मिलती है "
विनय भी मुस्कुरा उठा
"ओके मेरी जान तुझसे दूर तो मैं भी नहीं रह सकता ,कल ही आता हु तुझसे मिलने "
जाते जाते विनय ने मधु के सर में एक किस किया और वो वंहा से निकल गया.....
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दूसरे दिन विजय फिर आया
"भाई आज फिर मैंने सुबह उस लड़की को देखा लेकिन सबने उसे मेरी कल्पना कहकर नकार दिया ,वो लड़की मुझपर हंसती है ,मेरा मजाक उड़ाती है "
मधु का रोना विनय से देखा नहीं गया और उसने मधु को अपने सीने से लगा लिया ..
"मैंने फैसला कर लिया है मधु अब बहुत हो गया अब आकाश और उस लड़की का फाइनल टेस्ट करना ही पड़ेगा "
मधु विनय से अलग होकर उसे देखने लगी ,"
"मतलब ??"
"मतलब तुझे याद है की मेरे पास एक पिस्तौल थी जिसे मैंने पापा के डर से तुझ दे दी थी और तूने उसे अपने पास छिपा कर रखा था .."
मधु को याद आया ये बहुत पुरानी बात थी लेकिन विनय ने कभी उससे उसकी पिस्तौल नहीं मांगी थी
"आप करने क्या वाले हो भइया"
मधु किसी आशंका से भर गई थी ,
"मैं नहीं तू करेगी "
मधु के चेहरे का रंग उड़ता गया वही विनय के चेहरे में मुस्कान और भी गाढ़ी हो गई ...
********************
एक सुबह फिर मधु ने उस औरत को अपने कमरे में पाया लेकिन इस बार उसे अपने भाई विनय की बात याद आ गई ,उसने अपनी हिम्मत नहीं खोई ना ही वो चिल्लाई ,वो औरत भी मधु को देखकर मुस्कुरा रही थी ..
"नाम क्या है तुम्हारा ??"
मधु ने बड़े ही प्रेम उसे पूछा
"जो मान लो मैं तुम्हारी कल्पना मात्र हु "
"तुम मेरी कल्पना हो इसलिए मैं तुम्हे छाया कहूँगी"
मधु ने फिर प्यार से कहा,बदले में वो भी मुस्कुराई
"तो तुमने मान लिया की मैं तुम्हारी कल्पना हु .."
छाया के होठो की मुस्कान गहरा गयी वही मधु अब भी सहज ही थी
"मेरे मानने या ना मानने से क्या होता है ,दुनिया तो यही मानती है .."
"ओह तो तुम दुनिया की मानने लगी ??"
"नहीं अभी नहीं मैंने तुम्हे एक गोली मारूंगी अगर तुम जिन्दा बच गई तो समझो की तुम कल्पना हो वरना तुम खुद समझदार हो "
इस बार मधु के होठो में एक मुस्कान थी वही छाया के चेहरे में खौफ फ़ैल गया था ..
"नहीं मधु ये क्या बोल रही हो "
मधु ने अपने बिस्तर के निचे से एक पिस्तौल निकाली और सीधे छाया पर तान दिया ..तभी कमरे का दरवाजा खुला
"मधु ये तुम क्या कर रही हो "
आकाश चिल्लाया साथ ही रूपा भी थी ..
"बस सच और कल्पना का फैसला "
"तुम पागल हो गई हो इधर दो मुझे गन"
आकाश उसकी और ही बढ़ रहा था लेकिन मधु ने आकाश पर ही गन तान दी
"नहीं आकाश आज तुम बिच में नहीं आओगे अगर ये सही होगी तो ये बच जाएगी वरना तुम सब मरोगे "
मधु की ऐसी बात सुनकर सभी के चेहरे का रंग ही उड़ गया वही छाया आकर सीधे आकाश के सामने खड़ी हो गई ..
"अब चलाओ गोली "
छाया ने कहा ,वही आकाश और रूपा एक साथ चिल्ला पड़े
"नहीं मधु नहीं "
वही छाया चिल्लाई
"चलाओ मधु "
मधु के चेहरे में एक मुस्कान आ गई और धाय .........
पूरा घर गोली की आवाज से गूंज उठा था …
गोली सीधे छाया के कंधे पर लगी ,और वो बहार की ओर भागने लगी
"मधु पागल हो गई हो क्या ,ये क्या पागलपन है छोडो ये जिद "आकाश चिल्लाया
लेकिन मधु जोरो से हंसी
"वाह आकाश वाह क्या खेल खेला है तुमने ,इस औरत के लिए मुझे धोखा दे दिया ,मैं तुमसे कितना प्यार करती थी और तुम ..??"
"मधु मैं आज भी तुमसे प्यार करता हु " आकाश ने उसे शांत करने के लिए कहा,लेकिन जैसे वो कुछ भी सुनने को तैयार ही नहीं थी
"मुझे उसी दिन समझ जाना चाहिए था जब मैंने तुम्हारे कपडे में वो लम्बा बाल देखा था "
आकाश का चेहरा पीला पड़ गया था ,
" मैं तुम्हारे शारीरिक जरूरतों को पूरा नहीं कर पाती क्या इसलिए तुमने ये सब किया या फिर मेरे मेरी दौलत से तुम गुलछर्रे उड़ा रहे हो ,भइया ने तुम्हारे बारे में सही कहा था "
धाय
ये गोली सीधे आकाश के सीने में जा लगी
"मधु .."आकाश कुछ बोलना चाहता था लेकिन उससे पहले रूपा बोल पड़ी
"मेमसाहब इन्होने जो किया उसकी सजा मुझे मत दीजिये मैंने कुछ भी नहीं किया है .ये सब करने के लिए इन्होने ही कहा था ."
वो काँप रही थी ,लेकिन मधु उसकी बात सुनकर मुस्कुरा उठी
"तुझे तो सजा मिलेगी रूपा तूने भी तो इस आदमी का साथ दिया था ,मुझे पागल दिखाने में तुले थे ना तुम लोग "
धाय धाय 2 सीधे रूपा के छतियो को चीरते हुए निकल गई वो वही ढेर हो गई ..आकाश में जान अभी भी बाकि थी ..
"मधु तूम सच में पागल हो ,हां मैंने तुमसे धोखा किया लेकिन तुम्हारा भाई .."
धाय ...
एक गोली फिर से आकाश के सीने में जा लगी वो वही चित हो गया था और मधु के मन में एक गहरी शांति ने घर कर लिया
..
************
क्राइम ब्रांच के हेडक्वार्टर में जंहा मधु को पूछताज के लिए लाया था मधु इन्वेस्टीगेशन रूम में बैठी हुई थी ,उसके सामने की कुर्सी पर विनय बैठा था ,मधु के पारिवारिक रुतबे को देखकर उसे थोड़ी छूट दी गई थी ..
"देखा मैंने कहा था न की आकाश तुझे धोखा दे रहा है "
मधु के चेहरे में कोई दुःख नहीं था ,बस हलकी सी उदासी थी
"हां भइया आपने सही कहा था ,वो लड़की सीधे आकाश के सामने आ कर खड़ी हो गई और जैसे ही मैंने उसके कंधे में गोली मारा वो चीख पड़ी और वंहा से भागने लगी ,मुझे समझ आ चूका था की आकाश मुझे धोखा दे रहा है इसलिए मैंने पूरी गोली उसपर और रूपा पर उतार दिया ,आखिर वो भी तो मिली थी इस खेल में "
मधु ने एक गहरी साँस ली ,विनय ने मधु के हाथो में हाथ रख दिया
"तू फिक्र मत कर जो हुआ अच्छे के लिए हुआ ,हम बेस्ट वकील लगाएंगे और साथ ही मिश्रा अंकल कुछ न कुछ जुगाड़ तो कर ही लेंगे तुझे पागल बना के सजा से बचाने का "
मधु विनय की बात पर जोरो से हंस पड़ी ,वही तो था जो उसे सबसे ज्यादा समझता था..उसके दिल में आकाश को मारने का कोई भी दुःख कही भी नहीं था काश वो अपने भाई के बात को पहले ही मान लेती ,
"अच्छा भइया वो लड़की कौन थी "
"समझ ले जिसे उसने कहा था वो छाया थी "
मधु हलके से मुस्कुराई
"छाया लेकिन किसकी ??"
मधु सोच में पड़ गई,
"आकाश की स्कूल वाली गर्लफ्रेंड याद है "
अचानक से मधु की आंखे चमक गई,
"ओह भइया मैं आजतक क्यों समझ नहीं पाई ,उसने एक बार फोटो दिखाई थी ,मैं उसे पहचान कैसे नहीं पाई "
विनय उसकी बात सुनकर हंस दिया
"क्योकि तू प्यार में थी ..चल अब चलता हु कमिश्नर अंकल के कहने पर इंस्पेक्टर ने स्पेशल परमिशन दी थी मिलने की अब जाना होगा "
विनय की बात सुनकर मधु मन मसोज कर रह गई..
थोड़ी देर बाद इंस्पेक्टर संजय सिंह वंहा आया
"क्यों मधु मिल लिया अपने परिवार से "
"जी इंस्पेक्टर ,थैंक्स"
"अरे इसमें थैंक्स की क्या बात है,कमिशनर साहब का इस्पेसल आदेश था " वो थोड़ा सा हंसा
"आपने आने में थोड़ी देर कर दी वरना मैं आपको विनय भइया से मिलवाती "
"अरे मिल लेंगे कभी, अभी तो तुम्हे हमारे साथ ही रहना है ,अच्छा अब थोड़ा काम कर ले "
"बिलकुल लेकिन मेरे भइया से जरूर मिलना वो बहुत ही अच्छे है ,मेरा सबसे ज्यादा ख्याल वो ही रखते है "
इंस्पेक्टर मधु की प्यारी बातो को सुनकर मुस्कुराया, वही उसे इस भोली भली सी लड़की की दशा को देखकर दया भी आ रही थी ,कैसे एक इंसान इतनी मासूम सी लकड़ी को इस तरह से धोखा दे सकता है ,इंस्पेक्टर ने अपने मन में ही सोचा ,
"लगता है तुम अपने भाई से बहुत प्यार करती हो "
"जी हा बहुत ,काश मैंने उनकी बात सुनी होती तो आज ये दिन नहीं देखना पड़ता "
मधु ने एक गहरी साँस ली
"कोई बात नहीं मधु तुम्हारे परिवार ने शहर का सबसे बड़ा वकील किया है ,और डॉ मिश्रा भी तो तुम्हारे साथ है उनका सरकारी हॉस्पिटल के डॉ से भी अच्छा रिलेशन है वो तुम्हे बचा ही लेंगे ,तुम फिक्र मत करो और जो हुआ वो डिटेल में मुझे बताओ "
डॉ मिश्रा ने इंस्पेक्टर को मधु के बारे में ये बता दिया था की वो हैल्युजीनेशन की मरीज है ,और इसके पति ने इसे बहुत सारी गलत दवाइया भी खिलाई है जिससे मधु के दिमाग में गहरा असर हुआ है ,ये सब सुनने के बाद इंस्पेक्टर के मन में हमदर्दी और भी बढ़ गई थी
"जरूर सर ,मैं सब कुछ बताती हु और आप बहुत ही अच्छे हो ,जब भइया आएंगे तो मैं उन्हें भी आपके बारे में बताउंगी और आपसे मिलकर आपका धन्यवाद करने कहूँगी "
मधु की बात सुनकर इंस्पेक्टर फिर से मुस्कुरा उठा
"हां भाई बिलकुल मिलवाना अपने भाई से अब शुरू करे ?"
वो पेन कॉपी पकड़ कर बैठ गया ...
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सविता ,डॉ स्वरुप मिश्रा और इंस्पेक्टर संजय सिंह अभी क्राइम ब्रांच के हेडक्वार्टर में बैठे थे,जंहा मधु को पूछताज के लिए लाया था,उनके साथ ही मशहूर वकील अविनाश शर्मा भी थे..
"डॉ साहब आप लोग बिलकुल भी फिक्र ना करे ,मैंने केस अच्छे से स्टडी किया है और सरकारी डॉ के रिपोर्ट के आधार पर मधु को मानसिक चिकित्सालय ही भेजा जायेगा जेल नहीं ,वंहा मधु की अच्छी देखरेख का जिम्मा हमारा है "अविनाश शर्मा ने कहा
"जी डॉ साहब ,केस साफ है और साथ ही आकाश के नौकर राजू का भी बयान है हमारे पास की आकाश, मधु से धोखा कर रहा था ,और उसे कई ऐसी दवाइया भी खिला रहा था जिससे मधु हमेशा ही सोई रहे और कमजोर होती जाए और वो अपनी मनमानी कर सके,उसने सिर्फ आपके दौलत की खातिर मधु से शादी की थी ,और वो तो कभी चाहता ही नहीं था की मधु ठीक हो जाए ,उसने राजू को मुँह खोलने पर जान से मरने की धमकी दी थी साथ ही उसके परिवार को भी खत्म करने की धमकी दी थी ..वो बेचारा चाहते हुए भी मधु को कुछ नहीं बोल पाया "
सभी शांत थे तभी इंस्पेक्टर बोल उठा
"ऐसे डॉ साहब मधु तो इतनी प्यारी लगी ,इतनी प्यारी लड़की को आखिर कौन सा रोग हो गया है और कैसे .."
उसकी बात सुनकर डॉ ने एक गहरी साँस ली और बोलने लगा
"इंस्पेक्टर साहब जैसे आपको पहले ही बताया था की उसे स्किज़ोफ्रेनिआ है और वो उन लोगो को भी देखती है जो असल में नहीं है मतलब की काल्पनिक व्यक्तियों से बात करती है ,बात तब की है जब उसके बर्थडे के दिन ही उसके पापा का कार एक्सीडेंट हुआ और उस एक्सीडेंट में उसके पिता और भाई मारे गए "
इंस्पेक्टर को जैसे एक झटका लगा
"रुकिए क्या कहा अपने भाई ..??"
"जी विनय ,मधु उससे बेहद ही प्यार करती थी ,वो तब महज 25 साल का ही था ,बहुत ही हेंडसम नौजवान था ,वो भी मधु से बहुत ही प्यार करता था "
डॉ बोल रहे थे लेकिन इंस्पेक्टर ने मानो कुछ भी नहीं सुना हो ,वो दौड़ते हुए इन्वेस्टीगेशन रूम की ओर गए ,
मधु सामने रखी कुर्सी को देखकर बात कर रही थी ,
"देखो भइया कहा था न मैंने ये इंस्पेक्टर साहब है ,बहुत ही अच्छे है ,इंस्पेक्टर साहब ये मेरे भइया विनय "
इंस्पेक्टर बस बिना हिले उसे देखता ही रहा.........
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पुलिस रिपोर्ट में लिखे कुछ पॉइंट
मधु के पास से Colt Single Action Army पिस्तौल बरामद की गई ,जो 6 कार्टेज वाली पिस्तौल है ,
5 गोली चलाई गई एक दिवार पर लगी,2 आकाश के सीने में और 2 रूपा को लगी ...
नौकर राजू के बयान ये था की आकश का रूपा के साथ नाजायज सम्बन्ध थे और वो मधु की दौलत पर ऐयासी की जिंदगी जी रहा था ,मधु को आकाश के व्यवहार पर शक होने लगा था तब से आकाश मधु को हमेशा नींद की दवाइया खिलाकर रखता था...