दारू पीने के बाद मुरारी अपने स्वार्थ की बात कहता है शायद अपनी बेटी की शादी वैभव से करना मुरारी अपनी जवान हो रही बेटी की शादी के लिए फिक्रमंद है और चाहता है कि वैभव उसकी बेटी से शादी कर ले । एक गरीब किसान , बेचारा कितना कमाता होगा ! जो भी कमाता होगा उससे तो बड़ी मुश्किल से घर का खर्चा ही चल पाता होगा । ऐसे में वो बेटी की शादी कैसे कर सकेगा !
लेकिन वैभव एक बड़े परिवार से है । उन दोनों की माली हैसियत में काफी अंतर है । भले ही कुछेक महीनों से उसकी अपनी फैमिली के साथ नहीं पट रही है पर बाद में कभी न कभी पुरे परिवार एक हो ही जायेंगे ।
मुरारी दारू के नशे में नहीं होता तो वो शायद यह बात वैभव से कभी भी कह नहीं पाता ।
अब देखना है कि इस पर वैभव का क्या रियेक्सन होता है ।
रात में मुरारी के घर से लौटते वक्त रास्ते में उसको किसी का धक्का देना और सुबह कई लोगों का उसके झोपड़ी पे आना कहानी में सस्पेंस को जोड़ रहा है ।