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Shukriya bhaiBahut hi achha update tha achha laga padhke ... Ab bas jldi jldi update aata rahe bahut intazaar kiya h iska....
Shukriya bhaiBahut hi achha update tha achha laga padhke ... Ab bas jldi jldi update aata rahe bahut intazaar kiya h iska....
Shukriya bhaiअति सुंदर
आपकी लेखनी कमाल हैं।
अपडेट की प्रतीक्षा मे
Shukriya bhai, sath bane raheBade din baad is kahani ke updates padhe mujhe laga tha ke ye naav bhi dup gai hai. Haha
Khair writer ko wapis aur story ke dubara shuru hone pe bahut khusi hai. Hope ab updates kahni ke khatm hone par hi ruke.
Shukriya bhaiNice update.
Mujhe yaad hi nahi raha tha ki is story ke kis kis naam ke readers the. Halaaki jinke yaad the unko MSG kar diya tha jaise aapko kiya. Baaki dhire dhire purane readers aa hi jaayenge aur shayad kuch naye bhi aayeकहानी शुरू करने के बाद अपने रीडर्स को टैग कर देना चाहिए था शुभम भाई ! कैसे पता चलेगा कि कहानी दुबारा स्टार्ट हो गई है !
Ab story ko first and third dono person ke through shuru kiya hai. Hope ki isse pahle ki apeksha thoda better lage. Current situation me vaibhav ka behaviour hairaan kar dene wala hai aur uska ye badla hua behaviour story me kya rang laayega ye to aage hi pata chalegaइन दो अपडेट्स में हमने वैभव का एक नया अवतार देखा और हम रीडर्स ही नहीं बल्कि साहुकार भी यह देखकर अचरज से भरे हुए थे । एक मुलाकात में ही सब कुछ वाह वाह कर दिया । कुछ ज्यादा ही शराफत दिखा दी वैभव ने । इतनी शराफत कहीं बदहजमी न कर दे !
और वो आगे चलकर होना ही होना है । साहुकारों के हरम में एक से बढ़कर एक खुबसुरती है ..... कमसिन से लेकर मैच्योर तक और वैभव की नजरें उन पर न जाए , हो ही नहीं सकता ।
Shukriya bhaiya jiदेखते हैं वैभव की माया आगे चलकर क्या गुल खिलाती है !
आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग एंड ब्रिलिएंट अपडेट शुभम भाई
Bhai abhi aap bahut peechhe ho. Hope ki jald hi current update tak pahuch jaaoge aur apne review se mujhe avgat karaaoge. Well shukriya in sameekshaao aur pratikriya ke liyeशानदार अपडेट ।
ये कहानी तो सुलझने की बजाय उलझती ही जा रही है कोई सिरा हाथ मे ही नही आ रहा है दादा ठाकुर वैभव को चारा बनाकर साजिश करने वालो तक पहुंचना चाहते हैं लेकिन वो भी शातिर है वह अपना काम भी कर लेता है और पकड़ में भी नही आता दादा ठाकुर वैभव को सारी बाते बताते हैं और नए सिरे से जिंदगी शुरू करने के लिए बोलते हैं लेकिन वैभव तो अपनी करता है घर आने के बाद कुसुम से पता चलता है कि भाभी इस से मिलना चाहती है देखते हैं आज भाभी कोन सी बात बोलती है उनकी बाते एक दर्दमय और रहस्यमयी होती हैं