कुसुम के लिए जो पहले कहा उस पर मैं अब भी कायम हूं । उसने जो कुछ भी वैभव के लिए किया , उसके लिए अभी तक तो मैं उसे क्षमा नहीं कर सकता । जिस व्यक्ति ने भाई का फर्ज निभाया उसे ही नपुंसक बनाने चली थी । वो भी उन लोगों के लिए जिन्होंने उसे कभी सगा समझा ही नहीं ।
उसकी दोष उतनी बड़ी नहीं थी । उसने अपने सहेलियों के साथ लेस्बियन सेक्स किया था और वो अभी भी मेरी नजर में उतनी बुरी चीज नहीं है ।
मैं यही कह सकता हूं कि चूंकि यह कहानी प्राचीन काल की है इसलिए उसने ऐसा किया होगा । शिक्षा और ज्ञान की कमी ने उसे भ्रमित कर दिया ।
Agree
Dekhiye vaibhav se milne par ya uske dwara is bare me charcha hone par wo kya safaayi deti hai..
पहली बार भाभी श्री पर कुछ नया रहस्योद्घाटन किया गया । मतलब उनके मायके वालों के उपर ।
बड़े भाई को दस साल बाद संतान सुख प्राप्त हुआ पर छोटा भाई सालों से घर से लापता भी है ।
छोटा भाई क्यों लापता हुआ और बड़े भाई को दस साल बाद क्यों संतान सुख प्राप्त हुआ.... जरूर इसकी भी कोई वजह होगी । शायद इस पर अपडेट्स भी जल्द ही आने वाला है ।
Bhabhi ke maayke jane wala matter bhi ek khaas maksad ke tahat hai
बहुत ही खूबसूरत अपडेट शुभम भाई ।
आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग एंड ब्रिलिएंट ।
Shukriya is Khubsurat sameeksha ke liye
हम हर किसी को एक ही पैमाने से नहीं आंक सकते । कोई अच्छा होता है तो कोई उससे अच्छा तो कोई सबसे अच्छा । महत्वपूर्ण होता है उस शख्स का अच्छा होना ।
उसी तरह किसी कहानी पर अपनी प्रतिक्रिया देना उस व्यक्ति की क्षमता पर निर्भर करता है । कोई चंद लफ्जों में वो बयां कर जाता है जो दो पेज के रिव्यू देने वाले रीडर्स भी नहीं दे पाते ।
राइटर्स संवेदनशील इंसान होते हैं । उन्हें प्रेम के दो मीठे बोल भी शहद से मीठे लगते हैं ।
क्या हुआ जो विस्तृत ढंग से प्रतिक्रिया नहीं दिया ! कम से कम कुछ तो लिखा न ! इससे बढ़कर किसी लेखक के लिए क्या हो सकता है !
सभी लोग अपनी भावनाओं को शब्दों के द्वारा नहीं बयां कर सकते । मुख से कहना और बात है , लिखकर कहना और ।
आप के लिए खुशी की बात है कि सभी आप की स्टोरी को पसंद कर रहे हैं और वो अपने सोच अनुसार प्रतिक्रिया दे रहे हैं । रीडर्स की भावना ही हमारे लिए सर्वोपरि है । उनके दिए गए चंद लफ्जों का रिव्यू नहीं ।
Absolutely right, and I agree too
Ye sab kahne ka matlab sirf ye nahi hai ki main sabko ek hi sanche me taul raha hu ya sabse ek jaisi hi ummid karta hu. Main khud jaanta hu ki aisa possible hi nahi hai sabke liye. Mere jo samajhdaar readers hain wo mere kahe ko dil par nahi lenge aur na hi ye sochenge ki main ye sab sirf unhe kah raha hu. Ye to unke liye hai jinka zameer soya hua hai aur jo comment tak nahi karte...