Shukriya bhai, koshish jaari hai ki rahasya aur romanch aise hi barkaraar raheलगता है एक चक्रव्यूह से निकले तो और एक चक्रव्यूह बन कर तैयार हो रहा है
कुसुम की पीड़ा उसके लिए बहुत ही असहनीय है खैर देर सबेर उसे उसका भाई मिल जाएगा
रहस्यों को बराबर बनाए रख कर रिश्तों की तानेबाने की जटिलता को बखूबी से उल्लेख किया है आपने
बहुत ही बढ़िया रहा है
Dil par mat lo dost, mujhe bhi pata hai ki har koi bade review nahi likh sakta. Maine to bas aapke us comment par mazaak me taana diya tha aur kuch nahi, so chill and enjoyDekho bhai Ab Har koi sanju Bhai Ya death king ki Tarah tho Samiksha kar nahi Sakta.
Lekin iska Matlab Ye tho nahi ki hame aapki story pasand nahi hai.
Mana ki mere comment chota ho Sakta hai mager bhai Har koi ek jaisa Samiksha bhi kaha kar pata hai.
Ho Sakta hai ki hum aapki ummidon par khare na utre ho mager hum aapke mehnat ke kadardan Tho hai hi.
Ummid karta hun ki aap Hamari bhavnaon ko samjhen Hamare Chhote comment ka bura Na Mane
It's okay mitra, sath bane huye ho yahi badi baat haiBhai main aap jaisa likhne ki kala nahi janta ....
Ye 1 ishwar dwara di gyi vishesh aashirwad hai jo kuch hi sobhagyasali ko milta hai jisme aap 1 ho....
Main chahta hu ki bhut ache se review de pau.. par mere pass shabd nahi hote....
Aur jyada main isley nahi likh pata kahi kuch acha likhne k chakkar m kuch aisa na likh jaye Jisse koi hurt ho... isliye shaadar update likhne hi Kaam chala leta hu.... waise main khud lagbhag 2011 se Iss forum se juda hua 1 silent sa reader hu.... aur aapne kabhi mujhe gaur bhi nahi kiya hoga.....
Par main bas chupchaap padh k nice update likh k Kaam chala leta hu...
Sorry bro
Sach kahu to wo abhi nadaan hai, halaaki use ye to pata hai ki ye sab kya hai lekin vaibhav se jis tarah ka uska judaav hai usse wo ye hargiz nahi chaahti ki is sabke bare me jaan kar vaibhav use charitraheen ladki samjhe. Iske liye usne wo bhi kar diya jo use nahi karna chahiye tha, ye alag baat hai ki apni us galti ke liye wo har roz akele me roti hai aur vaibhav se maafi maagti hai...विभोर और अजीत से जैसा वैभव ने कहा था, उसी के अनुरूप उन दोनों ने कुसुम से माफी मांग ली है। कुसुम... वो अभी अपराधबोध के चंगुल में फंसी दिखाई दे रही है, परंतु उसकी चिंताओं में से एक चिंता बिलकुल व्यर्थ ही है। सर्वप्रथम, उसका ये सोचना की उस दिन उसकी सहेलियों संग जिस सुख का आंनद वो ले रही थी, वो अपराध था, तो ये कुसुम का भोलापन और नादानी है। इस आयु में लड़का हो या लड़की, शरीर में आ रहे बदलावों से ग्रसित होकर हस्तमैथुन आदि, कोई अपराध नहीं, कुसुम का अपनी सहेलियों के साथ लेस्बियन सेक्स करना भी गलत नहीं था। हां, ये उसकी मूर्खता अवश्य थी की तब कमरे का दरवाज़ा खुला हुआ था। तो उसका ऐसा सोचना की वो गंदी हो गई है, या कुछ और, बेबुनियाद विचार हैं जो उसके मासूम और नादान हृदय से उपजे हैं।
Is bare me saari baate tabhi pata chalengi jab vaibhav se uski mulakaat hogi aur is bare me baate hongi...परंतु, जिस चीज़ को लेकर मैं भी कुसुम को दोषी मानता हूं वो वैभव की चाय में नामर्द बनाने की दवा मिलाने वाली घटना। सर्वप्रथम, तो यही प्रश्न खड़ा होता है की क्या सबूत था कुसुम के पास कि जो दवाई उसके कमीने भाई उसे चाय में मिलाने के लिए कह रहें हैं, वो नामर्द बनाने की ही है। बिलकुल संभव था की वो ज़हर हो सकता था, तो कुसुम क्या वैभव को ज़हर ही दे देती? हालांकि, इतना जिगरा नहीं था विभोर और अजीत में परंतु फिर भी कुसुम का ये कार्य मूर्खतापूर्ण ही था। उसके कृत्य में स्वार्थ भी झलकता है, कहना अच्छा नहीं लगता परंतु कुसुम ने एक तरह से अपनी छवि बचाने के लिए उसे जान से ज़्यादा प्यार करने वाले वैभव की जान ही दांव पर लगा दी थी। यदि, वैभव नामर्द बन जाता उस दवा के प्रभाव से तो मैं दावे से कह सकता हूं की वो खुदकुशी कर लेता।
Bilkul kusum un dono ko dil se maaf kar hi nahi sakti. Well jald hi is bare me vaibhav aur kusum ke beech wartalaap hoga.कुसुम को भी अपनी गलती समझ आ गई है और साथ ही उसने विभोर – अजीत को भी माफ कर दिया है। ऊपरी तौर पर ही सही परंतु जो कुछ उन दोनों ने कुसुम के हृदय के साथ किया था, उसके पश्चात इतना ही बहुत है। जब तक विभोर – अजीत ये साबित नहीं कर देते की वो बदल चुके हैं, मुझे नहीं लगता की कुसुम उन्हें मन से माफ करेगी। अब प्रतीक्षा है तो कुसुम और वैभव की वार्ता की। कुसुम अभी इस बात से भी अनभिज्ञ है की वैभव को इस सत्य के बारे में पूर्ण ज्ञान है भी या नहीं। देखना होगा की ये जानकर की वैभव उसकी और उसकी सहेलियों के बारे में सब जानता है, कुसुम कैसे बर्ताव करेगी। आशा है की वो खुद को संभाल पाए। बहरहाल, ज़रा ये कुसुम की सहेलियों पर भी थोड़ी वैभव नामक रोशनी डालना, शुभम भाई..
Vaibhav badal to gaya hai par puri tarah nahi. Aurat ko bhogne ki lat aur usse milne wale aanand ko wo itna jaldi kaise bhula dega..एक और बात सामने आ चुकी है की वैभव ने अपने ठरकीपन की दुकान रागिनी के मायके में भी खोल रखी है... अपनी मां से रागिनी के मायके जाने की बात सुनकर जो प्रथम विचार उसके मन में उत्पन्न हुआ था उससे यही लगता है की, या तो वैभव ने वहां भी झंडे गाड़े हुए हैं या फिर ऐसा करने की उसकी मंशा है। चाहे वो किता भी परिवर्तित क्यों न हो गया हो, उसके चरित्र से ये भाग कभी अलग नहीं होने वाला, कम से कम तब तक तो बिलकुल नहीं जब तक उसे सच्चे प्रेम का एहसास नहीं हो जाता।
रागिनी के मायके के बारे में कुछ रोचक बातें भी सामने आईं। उसके पिता चल – फिर नहीं सकते, घुटने उम्र के कारण खराब हैं या किसी ने तोड़ दिए थे..? एक भाई गायब है रागिनी का और दूसरे को विवाह के दस साल बाद पुत्र प्राप्ति हुई हैं। कहीं न कहीं ये जानकारी पुनः रागिनी पर ही संदेह बढ़ा रहीं हैं। उसके भाई के गायब होने के पीछे क्या सत्य था, ये सामने आने पर ही कुछ कहा जा सकता है, परंतु जो भी हो, अभिनव का बहुत गंदा कटने वाला है यदि रागिनी षड्यंत्रकारी हुई तो। लौड़ों का शादी से पहले कटता है इसका शादी के बाद कटेगा..
Next update me pata chal jaayega ki wo dono latthdhaari kaun the aur jagan ke sath baag me baaki kaun tha...mera khayaal hai jo sach niklega use aap me se kisi ne expect nahi kiya hogaजगन पर वैभव का संदेह उचित ही था, वो साहूकारों के बगीचे में उस सफेदपोश से मिल रहा था, उनके साथ ही एक और व्यक्ति भी था, जिसकी जानकारी छुपाकर लेखक साहब ने उचित नहीं किया ... वो दोनों लट्ठ लिए खड़े युवक शर्तिया चेतन और सुनील ही होंगे, मेरे ख्याल में उन्हें ही ये कार्य सौंपा होगा वैभव ने। रोचक रहेगा देखना की वो तीसरा प्राणी कौन था, मुंशी, या शायद उसके घर का कोई सदस्य..? या कहीं अनुराधा की मां ही तो नहीं!
Vaibhav ka ragini ko le kar uske maayke jana ek khaas maksad ke tahat bhi hai jo jald hi samajh me aa jaayega. Haan sahi kaha vaibhav ki gair maujoodgi me kuch na kuch to nishchay hi hoga..dekhte hain kya hota haiखैर, अब वैभव जल्द ही रागिनी के मायके की तरफ निकलने वाला है। पूरे आसार हैं की उसके पीछे से कुछ न कुछ गडबड तो होगी ही। यदि वैभव गांव में नहीं होगा तो शायद रूपचंद्र भी अपने बिल से बाहर मिलेगा, अनुराधा पर दोबारा नज़र डालने की हिम्मत होगी नहीं उसमें, पर कुत्ते की पूंछ है अगला, तो कौन जाने वो क्या करेगा। रूपा को मिलने के लिए इशारा भी तो किया था वैभव ने जब सुबह के समय वो उसके घर पहुंचा था, शायद अनुराधा के साथ हुई घटना के कारण उसका मन बदल गया हो...
Shukriya is shandaar sameeksha ke liye Death Kiñg bhai,बहुत ही खूबसूरत अध्याय था शुभम भाई। अब लगता है की कहानी की कुछ कड़ियां जल्द ही जुड़ने लगेंगी। जगन, वो तीसरा शख्स और रागिनी का मायका, अवश्य कुछ ही समय बाद, वैभव के हाथ एक मज़बूत सुराग लग सकता है। आशा है की इस बार वो कोई मूर्खता नहीं करेगा, जैसा उसने शीला के समय किया था।
प्रतीक्षा अगली कड़ी की...
Shukriya bhaiबहुत ही सुंदर लाजवाब और अद्भुत रमणिय अपडेट है भाई मजा आ गया
Bhai kisi vajah se hi writer ne story ko stop kiya hoga aur reply na de raha hoga. Yaha kayi aisi stories hain jo kayi saalo se adhuri padi huyi hain. So intzaar karo...ya fir dusri stories padho. Writer ka jab man karega wo aayega aur story fir se shuru karega.https://xforum.live/threads/lll-love-life-luck-tragedy-of-life.33596/post-2623205
Ye bhaisa 1 sall se update nhi de rhey na hi reply
Ager aap bura na maney tho ap ess story ko complete krdo please
Koi baat nahi bhai, ham bhi aise hi hainहम नाम मे थोडा कन्फ्यूज रहते हैं भाई।