• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Adultery ☆ प्यार का सबूत ☆ (Completed)

What should be Vaibhav's role in this story..???

  • His role should be the same as before...

    Votes: 19 9.9%
  • Must be of a responsible and humble nature...

    Votes: 22 11.5%
  • One should be as strong as Dada Thakur...

    Votes: 75 39.3%
  • One who gives importance to love over lust...

    Votes: 44 23.0%
  • A person who has fear in everyone's heart...

    Votes: 31 16.2%

  • Total voters
    191

TheBlackBlood

αlѵíժα
Supreme
78,748
115,340
354
अभी वैभव की जान को बचाने के लिए शेरा को तो भेज दिया.....................................लेकिन मुझे लगता है यहाँ शेरा की गैरमौजूदगी में भी तो कुछ दुर्घटना घाट सकती है.................................
वैभव के मन को अनुराधा का प्यार बदल्न में लगा हुआ है........................ लेकिन तन की आग के आगे वो हार जाता है

देखते हैं वक़्त अभी और क्या दिखाता है
Dekhiye kya hota hai.... situation ab pahle se kafi badal gayi hai. Aane wale kuch updates me kahani me bahut kuch hone ki sambhavna hai....
Anuradha ka pyar vaibhav ko badal paayega ki nahi ye to wakt hi batayega....
 

TheBlackBlood

αlѵíժα
Supreme
78,748
115,340
354
Maanana padega ye Dada Thakur ne bhigo bhigo ke badaam khaye honge:D jo har baat ko aram se soch samaz ke dekhte he ,analyze karke perfect action lete he :bow:
Badaam khane ka kya faayda bhai, unko to abhi tak ye nahi pata chal saka ki unka asal dushman hai kaun??? :D
Rahi baat Vaibhav ki to aisa he ke jis chij ki aadat pad gayi he wo chhode na chhutegi :sigh2:
Fir chahe jitna saadhu bano ya jo bhi karo
Kore kaagaj ki tarah thi zindagi, shuru se usme hawas ka rang bhara gaya jo asaani se na jayega.... ;)
 

Ajju Landwalia

Well-Known Member
3,250
12,722
159
First of all, thank you so much Bhai, and welcome back.

Sabhi update ek se badhkar ek he........ jaha Shera ne bahut hi achchi tarah apna kaam kiya aur kamyabi hasil ki, aur dusri taraf Rupa ne bhi apne pyar ko bachane ke liye itna bada kadam uthaya.............

Sahukaro par vishwas na kar Vaibhav ne apne durdarshita ka parichay diya tha........aur wo sahi bhi sabit hua..........

Dada Thakur, ek behad suljhe huye insan he.....kisi bhi kaam me jaldbaji nahi dikate.......har kaam wo soch samajhkar karte he..........

Dusri taraf Vaibhav apne aap se bhi lad raha he Anuradha ke liye..........shayad Vaibhav apne aap ko badalne ki koshish bhi kare.........

Maja aa gaya Bhai.......

Keep posting
 

TheBlackBlood

αlѵíժα
Supreme
78,748
115,340
354
प्रिय TheBlackBlood भाई साहब - जून के महीने तक मैंने आपकी कहानी के पंद्रह अपडेट पढ़ लिए थे, लेकिन न जाने कैसे साथ छूट गया। ऐसा होना एक आश्चर्यजनक बात है क्योंकि आपकी कहानी मेरी बेहद पसंदीदा कहानियों में से एक है (और मेरे सिग्नेचर में भी displayed है)! 👍

खैर! पिछले कुछ दिनों में अवसर मिला, तो लग कर पढ़ लिया अभी तक का सारा कुछ! कहानी की टेबल बना कर आपने बड़ी सहूलियत दे दी है - नहीं तो दो अध्यायों के बीच में इतने ढेर सारे कमैंट्स हैं, कि पृष्ठ दर पृष्ठ पलटते चले जाओ, और अगला अपडेट ही नहीं दिखाई देता! हा हा हा! 😂
Hota hai bro, kabhi time ki kami to kabhi kisi majburi ke chalte....waise ye kahani abhi private area me thi, abhi do ya teen din pahle hi yaha se me laayi gayi hai. SS me waapas laane ka reason ye nahi hai ki kahani ke update continue rahenge balki kuch aur hi hai. Update continue karne ka abhi time hi nahi hai. Asal me ye kahani aisi hai hi nahi ki ise jaldbaazi me jo man me aaye likha jaye, balki aisi hai ki ise soch samajh ke hi likha jana munasib hai kyoki yaha par aap jaise mere favourite readers hain jo kahani ka operation karne ke liye baithe hain. Is liye main aisa kuch bhi nahi likhna chaahta jo bematlab ho aur jo aap logo ki ummido par khara na utre.... :D
एक बात अभी भी ज्यों की त्यों है - जो मैंने पंद्रह उपडेट पढ़ने के बाद लिखी थी - उसके बाद चालीस से अधिक और अपडेट हो जाने के बाद भी षड्यंत्रकारियों का कोई पता नहीं! अभी भी वैसी ही स्थिति है। हाँ - बस घर के व्यक्तियों पर से संदेह थोड़ा कम हो गया। कुसुम की विवशता पढ़ कर अफ़सोस हुआ। लेकिन फिलहाल तो उसके दोनों भाइयों विभोर और अजीत ने उससे क्षमा मांग ली है। दोनों ने वैभव से भी क्षमा मांग ली है, लेकिन क्या वाकई दोनों अपने किये पर इतने शर्मिंदा हैं कि दोबारा यही सब नहीं करेंगे, कहना कठिन है। वो कहते हैं न - अपराध में मार्ग पर चल निकलने के बाद उससे मुक्त होना बड़ा कठिन है। अंगुलिमान से साधू बनना एक असाधारण घटना है, तो प्रायः नहीं होती है। इसीलिए मैंने ऊपर लिखा है कि घर के व्यक्तियों पर से संदेह थोड़ा कम हो गया!
Bilkul sahi kaha ki situation jaisi ki taisi hai abhi bhi. Halaaki ab situation me kuch changes aa gaya hai. Kahani me saajishkarta ka abhi tak pata nahi lag saka iski vajah samajh hi gaye honge. Sirf shak ke adhaar par kuch bhi nahi kiya ja sakta tha. Ya to koi thos pramaad ho ya fir kuch aisa ho ki dushman ka koi clue mile joki abhi tak mila hi nahi tha. Zaahir hai dushman behad shaatir hai....
Kusum ka maamla nihsandeh afsosjanak raha. Rahi baat uske bhaiyo ka kayakalp hone ki to iska pata aane wale samay me hi chalega...
एक दो बातें कहानी की बड़ी अखरती हैं। पहली बात है कहानी में महिला पात्रों की महत्ता। एक स्थान पर ठकुराईन ने भी मेरे मन की बात कही है - इस कहानी में महिलाओं का काम रोने धोने, सेक्स करने, मजबूरी दिखाने जैसे कामों तक ही सीमित है। कम से कम अभी तक तो ऐसा ही है। वो व्यंजन के माफ़िक पुरुष पात्रों के सामने परोसी जाती हैं, अपना उपभोग करवाने के लिए। मैं इस प्रकार के परिप्रेक्ष्य से इत्तेफ़ाक़ नहीं रखता - लेकिन वो मेरी व्यक्तिगत समस्या है। आपको जैसा ठीक लगे, वैसे ही लिखें।

दूसरी बात जो अखरती है, वो यह कि कहानी के अति संपन्न परिवारों में भी महिलाएँ और पुरुष ‘बाहर’ जाते हैं ‘दिशा-मैदान’ के लिए! मेरी पृष्ठभूमि भी गाँव से ही है, और ऐसे गाँव से है, जिसके निकट कोई शहर नहीं बल्कि एक क़स्बा है। और हम लोग ऐसे संपन्न भी नहीं थे। लेकिन फिर भी, गाँव के घर (जो पक्का भी नहीं था) से थोड़ी ही दूर पर दो शौचालयों का निर्माण सन 1990 में करवा लिया गया था। अब कहानी पढ़ कर ऐसा तो नहीं लगता कि बहुत पुराने समय की कहानी है। अति-विशाल हवेलियाँ, गाड़ी, मोटरसाइकिल इत्यादि साधनों से संपन्न, बन्दूक पिस्तौल जैसी सुविधाएँ - और फिर भी तालिबानी रहन सहन! ग़रीब परिवारों में ऐसा हो, तो समझ भी सकते हैं! लेकिन अमीर परिवार! भाई, सच में अखरता तो है। आपको मेरी इन बातों पर बुरा लगा हो तो अग्रिम क्षमा! आपको जैसा ठीक लगे, वैसे ही लिखें।
Sahi kaha, shuru se hi is samaaj me mardo ka hi bol Bala raha hai aur mard ne kabhi ye pasand nahi kiya ki ek aurat jaat us par hukum chalaye ya fir wo khud mard ki tarah har activity me hissa le....
Bhai bura lagne wali baat hai hi nahi, aapne wahi kaha jo aapne mahsoos kiya aur main khud bhi aapki baat se sahmat hu. Khair, kahani me Dada thakur ki haweli me shauchalay ki byawastha hai aur sahukaaro ke gharo me bhi lekin ye log fir bhi baahar hi shauch kriya ke liye jana zyada sahaj samajhte hain. Ye kahani to khair purane samay wali hai jabki hamare idhar gaav me aaj bhi zyadatar log lota le kar baahar hi shauch ke liye jate hain. Main khud bhi jab gaav jata hu to dosto ke sath baahar hi jata hu shauch ke liye, halaaki ghar me bahut pahle hi iski byawastha kar di gayi thi. Baahar shauch ke liye jane me ek alag hi feel hota hai :D
अब आते हैं कहानी के मुख्या पात्र - वैभव पर। शुरू से ले कर अंत तक वैभव के चरित्र का केवल एक ही पहलू सुधरा है - और वो भी थोड़ा सा। और वो है, गुस्सा। अभी भी उसको उतना ही गुस्सा आता है, लेकिन उसको गुस्से पर थोड़ा नियंत्रण करना आ गया है। उसके चरित्र का कोई और पहलू अभी तक नहीं बदला है। घर की प्रत्येक स्त्री पर बुरी दृष्टि डाल चुका है ये व्यक्ति! मतलब, वैभव उतना ही लम्पट है, जितना पहले हुआ करता था। और इस बात को उसने इस नवीनतम अध्याय में आत्मसंवाद करते हुए स्वीकारी है। बिना खुद को बदले, बदल जाने का भ्रम पालना एक तरह की आत्म-प्रवंचना है।
Jisne shuru se hi hawas ka daaman thaam kar aurto ka maza liya ho uska badalna itna asaan nahi hai. Anuradha is kahani ki aham kirdaar hai aur vaibhav ke andar uske prati kucu aise ehsaas jaagrit huye hain jo iske pahle kabhi kisi ke liye nahi huye the. Ab dekhna yahi hai ki aane wale samay me ye ehsaas usme kaun sa pariwartan laate hain.... :roll:
और इस बात से हम चलते हैं अनुराधा और रूपा की तरफ़ - जो इस कहानी की नायिकाएँ हैं (वैभव की भाभी क्या हैं, मुझे अभी तक समझ में नहीं आया)। यह बात, कि ये दोनों लड़कियाँ वैभव की तरफ आकर्षित हैं, और उससे किसी न किसी प्रकार प्रेम करती हैं, पाठकों से छुपी हुई नहीं है। तो कहानी में प्रेम-त्रिकोण तो बना ही हुआ है। लेकिन जहाँ रूपा के लिए वैभव और ठाकुर परिवार की सहायता करना साध्य है, वहीं अनुराधा के लिए वो सब संभव नहीं है। अनुराधा उसको एक ही तरह से सम्हाल सकती है - प्रेम दे कर। प्रेम से जीवन में ठहराव आता है। वैभव के अंतर्द्वंद्व से संभव हो गया है कि वो अब गंभीर हो कर अपने जीवन के बारे में सोचेगा। बहुत संभव है कि वो अनुराधा के साथ हो ले। एक बात का डर रहगा लेकिन - और वो यह कि कहीं रूपा स्वयं को स्वीकारे न जाने से बदले की भावना न पालने लगे! ठाकुर और साहूकार परिवार के बीच अगर शांति चाहिए, तो रूपा और वैभव का मेल एक वाज़िब हल है। अनुराधा और वैभव के विवाह से उस दिशा में कोई सुधार नहीं होगा।
Aapne bahut aage ka soch kar dono naayikaao ka vishleshan kiya hai joki maujuda situation me aapke nazariye se sahi bhi hai lekin aisa tabhi hoga jab situation isi tarah bani rahe. Main aisa is liye kah raha hu kyoki kahani me aage bahut kuch aisa hone wala hai jaha par sambhav hai aapki raay badal jaye....
Vaibhav ki bhabhi filhaal to uski bhabhi hi hai....use aap kis tarah se jodna chaah rahe hain inke beech :hinthint2:
अंत में, TheBlackBlood मित्र, आपका लेखन बहुत बढ़िया है, और इसीलिए आपकी कहानी मेरे सिग्नेचर में सम्मिलित है। बड़ा मनोरंजन होता है। :)

जो बातें मैंने लिखी हैं, वो किसी बहस के लिए नहीं, बल्कि केवल अपने विचार रखने के लिए लिखी हैं। आप जैसा लिख रहे हैं, बहुत ही अच्छा है! बहुत ही अच्छा है!
ऐसे ही लिखते रहें। और हम सभी पाठकों का ऐसे ही मनोरंजन करते रहें! धन्यवाद! 🙏
Mera khayaal ye hai ki is tarah ki sameeksha har reader ko karni chahiye kyoki aisi hi baato se lekhak ko in baato ka waastvik bodh hota hai ki usme kya kamiya hain aur use kahani me kin cheezo par dhyaan dena chahiye. Yaha to zyadatar log nice update likh kar nikal lete hain. Main ye hargiz nahi chaahta ki log bematlab lekhak ki tareef kare...balki main ye chaahta hu ki har reader lekhak ko uski kamiyo se rubaru karaaye taaki wo apni kamiyo ko door kar ke unke saamne behtar kathanak pesh kare....khair koi baat nahi, aapki ye sameeksha mere liye bahut maayne rakhti hai. Meri is kahani me kuch time chune hi bhai bandhu hain jo behtar sameeksha karte huye mujhe meri kamiyo se rubaru karaaye hain aur yakeen maaniye mujhe sirf unhi ki sameeksha ka shiddat se intzaar rahta hai.... Sabse pahle mere bade bhai sahab SANJU ( V. R. ) Bhaiya aur kamdev99008 bhaiya, ye dono shuru se mere sath hain....wakt ke sath is list me Death Kiñg bhai bhi add ho gaye. Death King bhai badi bariki se kahani ki sameeksha karte hain....waise shuruaat me ek maharathi aur the 404 aka firefox bhai lekin aaj kal unki activity behad hi kam hai...i really miss him. Well shukriya bro... :hug:
 

TheBlackBlood

αlѵíժα
Supreme
78,748
115,340
354
First of all, thank you so much Bhai, and welcome back.

Sabhi update ek se badhkar ek he........ jaha Shera ne bahut hi achchi tarah apna kaam kiya aur kamyabi hasil ki, aur dusri taraf Rupa ne bhi apne pyar ko bachane ke liye itna bada kadam uthaya.............

Sahukaro par vishwas na kar Vaibhav ne apne durdarshita ka parichay diya tha........aur wo sahi bhi sabit hua..........

Dada Thakur, ek behad suljhe huye insan he.....kisi bhi kaam me jaldbaji nahi dikate.......har kaam wo soch samajhkar karte he..........

Dusri taraf Vaibhav apne aap se bhi lad raha he Anuradha ke liye..........shayad Vaibhav apne aap ko badalne ki koshish bhi kare.........

Maja aa gaya Bhai.......

Keep posting
Thanks Ajju bhai...
 
Top