SANJU ( V. R. )
Divine
एक और स्टोरी को ' द एंड ' तक पहुंचाने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद शुभम भाई ।
और इस बात के लिए भी आपको आभार कि मेरी दो इच्छाओं मे कम से कम एक को आपने संज्ञान मे लिया और रूपा का कन्यादान सरोज के हाथों करवाया ।
मेरे लिए यह लम्हा इस क्लाइमेक्स का सबसे बेहतरीन और संवेदनशील लम्हा था ।
अनुराधा की रूह जहां भी होगी यह देखकर बहुत खुश होगी ।
सुहागरात के मौके पर रागिनी ने एक ऐसा बम फोड़ा जिसकी कल्पना कोई नही कर सकता था । वो वैभव को अपना दिल दे बैठी थी और वो भी तबसे जब उनका हसबैंड जिंदा था और तब भी जब वो विधवा हो चुकी थी । शायद इसीलिए कहा गया है औरतों को समझना बहुत बहुत ही कठिन है ।
शायद उनके कोई पुण्य कर्म रहे होंगे जिसकी वजह से उनके अरमान पुरे हो गए । अनहोनी भी होनी मे बदल गई ।
दादा ठाकुर के परिवार मे आखिरकार सबकुछ ठीक हुआ । बहुत कुछ देखा इस फैमिली ने । अपनो की मौत , महिलाओं का वैधव्य रूप , षड्यंत्र और अपनो की ही साजिश , वैभव का चारित्रिक पतन , मुंशी और उनके लड़के की वजह से सबसे अधिक क्षति ; क्या कुछ नही देखा इन्होने !
यह देखकर भी बहुत बहुत बढ़िया लगा कि साहूकार भी एक भयावह और भयंकर हत्याकांड के बाद आखिरकार जीवन के मुख्यधारा मे आ गए । वैसे साहूकारों ने एक तरह से ठाकुरों से भी अधिक जलजले का सामना किया था ।
बहुत खुबसूरती के साथ आपने इस कहानी का समापन किया । प्रभू आपको इसी तरह अच्छी अच्छी कहानियाँ लिखने की प्रेरणा दे ।
एक बार फिर से एक खुबसूरत और बेहतरीन कहानी के लिए आपको साधुवाद ।
और इस बात के लिए भी आपको आभार कि मेरी दो इच्छाओं मे कम से कम एक को आपने संज्ञान मे लिया और रूपा का कन्यादान सरोज के हाथों करवाया ।
मेरे लिए यह लम्हा इस क्लाइमेक्स का सबसे बेहतरीन और संवेदनशील लम्हा था ।
अनुराधा की रूह जहां भी होगी यह देखकर बहुत खुश होगी ।
सुहागरात के मौके पर रागिनी ने एक ऐसा बम फोड़ा जिसकी कल्पना कोई नही कर सकता था । वो वैभव को अपना दिल दे बैठी थी और वो भी तबसे जब उनका हसबैंड जिंदा था और तब भी जब वो विधवा हो चुकी थी । शायद इसीलिए कहा गया है औरतों को समझना बहुत बहुत ही कठिन है ।
शायद उनके कोई पुण्य कर्म रहे होंगे जिसकी वजह से उनके अरमान पुरे हो गए । अनहोनी भी होनी मे बदल गई ।
दादा ठाकुर के परिवार मे आखिरकार सबकुछ ठीक हुआ । बहुत कुछ देखा इस फैमिली ने । अपनो की मौत , महिलाओं का वैधव्य रूप , षड्यंत्र और अपनो की ही साजिश , वैभव का चारित्रिक पतन , मुंशी और उनके लड़के की वजह से सबसे अधिक क्षति ; क्या कुछ नही देखा इन्होने !
यह देखकर भी बहुत बहुत बढ़िया लगा कि साहूकार भी एक भयावह और भयंकर हत्याकांड के बाद आखिरकार जीवन के मुख्यधारा मे आ गए । वैसे साहूकारों ने एक तरह से ठाकुरों से भी अधिक जलजले का सामना किया था ।
बहुत खुबसूरती के साथ आपने इस कहानी का समापन किया । प्रभू आपको इसी तरह अच्छी अच्छी कहानियाँ लिखने की प्रेरणा दे ।
एक बार फिर से एक खुबसूरत और बेहतरीन कहानी के लिए आपको साधुवाद ।