अपडेट –१२
ईधर सब शादी की तैयारी में लगे हुए थे । शिवांश तो कुछ ज्यादा ही फुर्ती दिखा के काम कर रहा था । वो हर सुबह रोज की काम निपटा के लकरिया काटता था ताकि शादी के भोज के लिए कोई कमी न हो ।
एक दिन नागेश्वरी पोरोसी के कीर्तन पे गई शाम को । वोहा उसने एक बुधिया मिली जो ७५(75) की उम्र थी । नागेश्वरी की उस बुढ़िया से पुरानी जान पहचान ही थी और रिश्ते में भी लगता था । नागेश्वरी उसे काकी बुलाती थी । दोनो बाकी औरतों के साथ कीर्तन गए रहे थे । लेकिन दोनो में बातों के सिलसिले से कीर्तन गाना ही भुल गए ।
" सुना है पोती का होने वाला पति शहर में मास्टर हे " बुधिया पूछ रही थी ।
" हा काकी । आप बताओ कैसे हो आपके पोते का तो दुसरा बच्चा हुए है । आप तो फिर से परदादी बन गई हो" नागेश्वरी बोली
"हा क्या करें । पोता कंडोमिया पहनना भुल गया था । इसलिए फिर से बन गई पर दादी " बुढ़िया बोहोत नॉटी थी
नागेश्वरी हसने लगी मुंह पे हाथ रख के
"मेरी छोर अपनी बता। तेरा पोता कैसा है "
" अरे मेरा पोता । एक दम बड़हिया है एक दम तंदुरुस्त हे । भैंसों का दूध पी के पहलवान बन गया हे " नागेश्वरी गर्व से जवाब देती हे।
"अरे दूर से तो पिटल लोटा भी अच्छा ही दिखता । लेकीन इसके अंदर पानी ही की नही ये तो नही दिखता है ना । और बदकिस्मती से कही छेद न निकल जाए "
" क्या मतलब है काकी आपका । में कुछ समझी नही" माहेश्वरी कुछ समझ नही पाई
" कोई दोनो से में इसी फिराक मे थी की इस बारे में तुझसे बाते करूं । लेकिन क्या करू अब उम्र हो गई हैं खटिए से उठ नही पता ना"
" में अभी भी नही समझी काकी । जरा खुल के बताइए ना" नागेश्वरी भ्रमित हो गई थी
" अरे तेरे पोते के बारे में बात कर रही हूं । दिखने मे तो घोड़े जैसा हो गया हे लेकिन अन्दर घोड़े जैसा ज्वाला ही भी के नही "
" मतलब" नागेश्वरी अब चिढ़ रही थी काकी की उलटी सीधी बातों मे
" तू भी एक नम्बर की गाढ़ी हे । पता है इस उम्र में लड़के क्या क्या गुल खिलाता है ।"
" अरे नही नही । मेरा पोता ऐसा नही है । वो तो बेहद भला है । बेहद नेक दिल का पोता हे मेरा "
" भला हे इसलिए तो बोल रही हूं । पता है तेरे पोते से कितनी चारी लड़किया लाइन मरती है । लेकिन तेरा पोता किसी को घास नही डालती । लड़कियों के नाम से ही चिढ़ जाता हे । मेरा छोटा वाला पोता सुधीर अब तक बजाने कितने कली को फूल बना चुका है । तेरे पोते का ही दोस्त है । सुना है तेरा पोता लड़की देखते ही भाग जाता है । ये भी बताते हे तेरे पोते के अंदर वो वाली बात नही है । लड़कियों को देख के उसे कुछ अनुभब ही नही होता हे ।"
" अरे नही ये आप कैसी बातें करते हे । मेरा पोता लड़कियों से दूर भागता है इसलिए की वो शुशील और संस्कारी लड़का हे उसे मैंने पाल पोच के बड़ा किया हे" नागेश्वरी गुस्सा हो गई
" लगता हे तेरे आखों पे पोते के मासूमियत ने पट्टी बंधी हे । देख नागेश्वरी लौंडा कितना भी शरीफ ज्यादा हो खाली लोटा काम नही चलता । अरे काल को अगर उसकी शादी हो गए और अगले ही दिन उसकी लुगाई भाग गई और तेरे पोता नामर्द हे बोल के धिंदोरा पिटेगी तब क्या होगा । सारी मान मर्यादा मिट्टी में मिल जायेगा । इसलिए समय रहते अपने पोते की ज़िंदगी बचा ले "
जिस तरह बुढ़िया बोल रही नागेश्वरी भी आखिर में दर गई । और ना चाहते हुए भी उसका मन विचलित हो गया ये सोच के अगर शिवा सच में नामर्द निकला तो । वो वोही दर के पसीने पसीने हो गए । और उसे एक पल भी रुका नही गया और किसी को बिना बताए घर चली आई ।