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Incest ❦वो पल बेहद खूबसूरत होता है❦

Yogibaba00007

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saande ka tel leke aande ka maalish karne waali thee... lekin yeh toh sarpat nikal liya.... beemari ke bahane hii aaj loota mein se paani jaroor nikal leti nageshwari... wasie un dono ke beech ke drishya ka badhiya se varnan kar rahe ho... do peedhi ka antar hone se yeh rishta aur bhi jyada kinkiy feel hota hain....

saand ko lal kapra dikha rahi thee khaat pe let ke... kaheen bhonk deta toh baap maiyo karti rahti... lekin yeh saand toh uspe bhi na bharka... ab bina besharm hue toh yeh dene se raha... dekhte hain yeh bhola bhala shiva tharkee kab banta hain.... aur bhai yeh college padhne sahar kab jayega.... shaadi bhi khatm ho gayee...

:laughing: :laughing: :laughing: :laughing: :laughing: :laughing: :applause::applause::applause::applause::applause::applause::laughing::thankyou::thankyou::thankyou::thankyou::thankyou:
 
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Yogibaba00007

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बहुत ही शानदार और जानदार अपडेट है भाई मजा आ गया
अगले अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
Shukriya dost
 
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Naik

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अपडेट–२१






शोभा की मेहंदी के रस्म निभाने का दिन भी गया । सुबह से लोग घर के चौखड़ पे इधर से उधर भाग दौर कर रहे थे । रस्म निभाने का सभी सामान पहले से तैयार थी । शादी के संगीत गा रहे थे सारे औरते ढलक के साथ । कुछ छोटी और कुछ शोभा की शहेली नाच रहे थे । मेहंदी के दिन खास कर औरतों की ही हे । मर्द लोग बाहर ही थे । लेकीन शिवांश किसी न किसी बहाने घर के अंदर ही मंडरा रहे थे । तो सभी औरते मिल कर उसे चिढ़ाने लगे की तू यह औरतों के बीच क्या कर रहा हे तुझे भी मेहंदी लगवानी है क्या । बेचारा शिवांश मुंह छुपा औरतों के बीच से भाग निकला । और खेत की तरफ निकला ।


पूरा दिन खेत में ही निकला मजदूरों के साथ हाथ बताते हुऐ । शाम को जब घर आया तो उसे चमेली ने डांटा की ऐसे कोई दिन भर घर से बिना खाएं पिए बाहर रहता है क्या । और उसके लिए बसा के रखा खाना गर्म कर के खिलाया ।




दूसरे दिन शादी थी । सुबह शोभा की हल्दी की रसम निभाया जा रहा था । और उसके लिए एक चीज़ की जरूरत पर गई थी । डूबा घास की । शिवांश की एक मामी ने डूबा घास लाने भेजा उसे ।



शिवांश दुर्बा घास की खोज में घर के पीछे लगे बाग मे गया जहा आम , कट्ठल , लिच्छी , जमीन और अन्य फल की पेड़ लगे हुऐ थे । शिवांश बाग से डूबा घास ढूंढ के दुर्बा घास तोड़ रहा था ।


नागेश्वरि भी दूरबा घास लाने बाग में गई थी । उसे पता नही थी की शिवांश पहले से ही वहा पे घास लाने गया था । बाग में अपने पोते को देख उसके पास जा के बोली " तू पहले से ही आ गया था "


"हां । अब आए हो तो आप भी दो चार तोड़ लो "


" नही तू तोड़ मूझसे झुका नही जा रहा हे । काम करते करते लगता हे कमर में लचक आ गई "


शिवांश को सैतानी सुंजी और उसने अपनी दादी की पेड़ो के नीचे देखते हुए डरा हुए सकल बनाने लगा । नागेश्वरि भी अपने पोते को देखने लगी इससे पहले की वो कुछ सोच पाते शिवांश ने जोर से चिल्ला के दो कदम पीछे आया । " दादी सांप "


नागेश्वरि की जान निकल के गले तक आ गई थी । वो डरते हुए " आऊ " कर के चिल्लाते हुए पोते की तरफ भागी ।


शिवांश खुद को रोक नहीं पाया और हां हां हां हां कर के हसने लगा । नागेश्वरि को तब एहसास हुए उसका नालायक पोता इसके साथ मझक कर रहा था ।



नागेश्वरि नागिन की तरफ गुस्से में फरफराने लगी और सारी उठा के पोते के पीछे भागी " तूझे तो आज में जान से मार दूंगी रुक तू "


शिवांश को इतना हांसी आ रहा था वो भाग ही नेगी पाया और दादी उसको पकड़ के उसके पीठ पे मारने लगी । दादी पोता मस्ती में खोए हुए थे उधर सब इंतजार में थी की दुर्वा घास पोहोचेगा ।




शिवांश हस्ते हंसते शांत हो गए अपनी दादी की मार खा के और नागेश्वरो भी मारना छोड़ दी । नागेश्वरी की मन चंचल हो उठी और उसने आस पास नजर फिरते हुए शिवांश को एक बड़े आम के पेड़ के नीचे ले जा के बोली " चल एक जल्दी से चुम्मा दो "


शिवांश बोला । " दादी इस वक्त यहां पे । नही दादी रात को दूंगा "

" देता है या नही " माहेश्वरी सख्ती दिखा के बोली

" दादी आप डराओ मत । में आपसे नही डरता । "


माहेश्वरी बिना कुछ बोले अपने पोते को बाहों में भर के शर उठा के शिवांश के होंठों पे होंठ लगा दी । शिवांश भी अपनी दादी की होंठ में होंठ मिला देते हैं । दोनो धीरे धीरे एक दूसरे की होंठों से रस पान करने का लुफ्त उठाने लगे । शिवांश भी दो दिन में अपनी दादी के साथ चुम्बन करना सीख गया था ।



दोनो मधुर चुम्बन में लुफ्त थे । नागेश्वरि अपने पोते को बाहों में ले के उसके पीठ पे हाथ से पकड़ रखे थे और शिवांश अपनी दादी के चेहरे को दोनो हथेली पे ले के छापर चोपोर चुम्मा ले रहा था । एक दूसरे की लाली मां भी जीव से स्वाद लेते हुए पी रहे थे । बेहद दी मधुर दृश्य था ।




दोनो की सांस तेज़ चलने लगे । एक दूसरे की नसीली आखों में देखने हुए दोनो ने होंठ अलग कर लिए ।


नागेश्वरि पोते के गहरी आखों में देखते हुए बोली । "शादी में कोनसा सारी पहनू बता "

" वोही जो पिछली बार लाया था हरा वाला । उसपे आप बेहद खूबसूरत लगेगी " शिवांश हांस के बोला

" और ब्लाउज "

" ब्लाउज भी हरा वाला ही पहनना सारी के रंग से मिला के "


" और उसके अंदर ब्रा कौनसी रंग की पहनूं " धीरे से बोल के सैतनी मुसकान दे के पोते के जवाब का इंतजार करने लगी


शिवांश शर्म से नजरे झुका लिया और बोला । " क्या दादी । आप बोहोत बेशरम हो गई हो । कुछ भी पहन लेना "

" कुछ भी क्यू । बोल ना कौनसी रंग का पहनु "

" हारा वाला ही पहनना " शिवांश शर्म के बोला

" मेरे पास हरा रंग का नही हे "

शिवांश कुछ सोच के प्यार से बोला । " मुझे क्या पता हे आपके पास कौनसी कलर का ब्रा है "

" ये भी सही हे । तूझे पता कैसे होगा जब की तूने कभी देखा ही नहीं मेरी ब्रा । अच्छा मेरे पास लाल , सफेद , और काली रंग की है अ
ब बोलो कौनसी पहनूं "

" ऊम । लाल रंग की पहनना । और अच्छे से सजना में आपकी फोटो निकलूंगा । " और अपनी दादी की होंठ टपक से चूम के भाग निकला ।



नागेश्वरि बस मुस्कुराती रह गई । दोनो कैसी प्रेमी की तरह व्येबहर कर रहे थे । शिवांश तो बेचारा सीधा साधा सा रबर कि तरह था जैसे खींच के बंध दो वो ऐसे ही रहेगा । दादी की माया में बेचारा बिना जाने ही दिल दे बैठा था दादी को । और नागेश्वरी अपनी मनसूबा में इतनी बेहेक गई की अपने पोते साथ यौन हरकत करने में भी बुरा नही लग रही थी बल्कि वो सारी मर्यादा भुल बे पोते को जी भर के प्यार करना चाहती थी ।
Bahot behtareen shaandaar update bhai
 
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