ABHISHEK TRIPATHI
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Superb updateअपडेट–२४
शोभा के ससुराल जाने के बाद चमेली बेहद शिंटित रहती थी । जब 15 दिन बाद सब मिलके शोभा के ससुराल जा के दोनो परिवार मिल के आए और अपनी बेटी खुश देख के चमेली फिर माहोल में आने लगी । शिवांश भी कशिश करता शोभा की कमी न हो । इसलिए कभी कभी अपनी अम्मा के साथ खाना बनाने में या कोई छोटी मोटी काम में हाथ बताती था ।
और एक नागेश्वरि पोते के परीक्षण लेने में लगे हुए थे । जिसमे दोनो दादी पोता अपने आपके मर्यादा लांघते जा रहे और किसी को पता भी नही चल रहा था दोनो दादी पोते के बीच प्यार के आड़ में कौनसा खेल चल रहा हे । चमेली अपने बेटे के प्रगति विवरण जानने के लिए अपनी सांस से पूछती तो नागेश्वरी बात घूमा के सब सही होने का झांसा देती थी । चमेली अपनी सांस की अंध विश्वास पात्र थी । इसलिए जो बोले मान जाति थी ।
नागेश्वरि को पूरा विश्वास हो चुकी थी की शिवांश को यौन का विपरीत लिंग का आकर्षण होता है । बस अब उसे पता करना था की शिवांश के लोटे में पानी ही के नही ।
नागेश्वरी ने एक अलग ही योजना बनाया । उसने एक दिन एक बॉटल में कुछ करवा पानी जैसा भर के लाई और साथ में एक तेल की बोतल । सभी खा पी के सो चुके थे । शिवांश ने अपनी दादी के हात मै वो सब चीज़ें देख के बोला " दादी ये क्या हैं बॉटल में ।"
"तूझे कहा था ना । हमारी एक खानदानी बीमारी हे । ये उसकी ही दावा हे "
" अच्छा दादी आज तक आपने मुझे बीमारी का नाम नही बताई । जरा बताओ तो कौनसी बिमारी हे हमें"
नागेश्वरि पोते के पास बैठ के बोली । " ध्यान से सुन । हमारे खानदान में मर्दों का बच्चा ना होने का बीमारी हे । तेरे दादाजी को भी ये बीमारी थी उनको एक हकीम ने ये दबा दी हे तब जा के तेरे बापू हुए है। फिर ये बीमारी तेरे बापू को भी लगी तब ये दबाई फिर लाई गई और तबसे थोड़ा संभल के रखा हे । अब तुझे इसमें एक बॉटल का पानी पीना पड़ेगा और एक लगाना पड़ेगा । चल पी "
शिवांश ने एक बॉटल से पानी पिया और करवाया से मुंह भींच के बुरा सा मुंह बना के बोला । " कितने दिन तक पीने होगा ये "
" बस एक बार ही पीना हे । बस ये मालिश तीन–चार दिन तक करना हे " नागेश्वरि शरारत भरी मुसकान देने लगी
शिवांश तेल की बॉटल हाथ में ले के पूछा " कहा मालिश करना है दादी । "
" वोह पे । तेरी पूपू पे । " नागेश्वरी मुस्कुराने लगी
लेकिन शिवांश की आंखे आचार्य से बाहर निकल गए । उसे जेसे सदमा लगा हो और कुछ अनसुना सुन लिया हो ।
नागेश्वरि तेल की बॉटल ले के बोली " ला में मालिश कर देता हूं"
शिवांश झट से पीछे हो के बोला ।" नही नही दादी में कर लूंगा बाद में "
नागेश्वरि बोली । " अरे इसका रस्म है । ये मालिश घर की औरतों से करवानी होती है । तेरी अम्मा तो मुझे करने को बोली हे अब मुझे ही करना होगा । आ इधर "
शिवांश बिस्तर से उठ के दूर हो गया उसका गला सुख रहा था । क्यो की हैरान और सोक में था की उसकी दादी उसके लन्ड का मालिश करेंगी । उसके लिए ये असंभव था और ना ना में गर्दन हिला रह था
" इधर आ । कहा भाग रहा हे । बीमारी ठीक करना ज़रूरी है । दर मत आजा । "
लेकिन शिवांश दादी के पास नही गया तो नागेश्वरि बिस्तर से उतर गई उसे पकड़ के पास लाने की और शिवांश फुर्ती से दरवाजा खोल और अपने कमरे की तरफ भागा और अपने कमरे के खुद को बंद कर लिया । नागेश्वरि कुछ पल भूत की तरह खड़ी रही । उसे बोहोत गुस्सा आ रहा था एलिन बाद पोते की ऐसे हरकत देख के खुद ही हंसने लगी ।