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Incest Aaaah Ghar ki rasili bur aur gaand

Story ko kaun si front me likhu?

  • Hindi front

    Votes: 19 43.2%
  • Hinglish front

    Votes: 25 56.8%

  • Total voters
    44
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AyamVed

Incest Lover
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Update 9

बबली शायद बाथरूम के लिए जा रही थी मैं अपने रूम के तरफ जाने लगा और सोचने लगा और डर से सकपका गया कहीं वह गेट के पास खड़ी तो नही थी क्यों कि मुझे इस बात का डर था कि मेरे मुंह से आआआह आआआह बहन जो निकल गया था तभी । मैं अपने आप को समझाने लगा नहीं बबली अभी आ ही रही थी तो कैसे सुन लेगी

तब तक मुझे बाथरूम की गेट लगने की आवाज़ आती है और मेरा ध्यान उधर गया और सोचने लगा आआआह बबली भी मूतने गयी है गेट के पास जा के उसके बुर से पेशाब का साउंड सुनने को मिलेगा भाभी की बुर से निकलती हुई पेसाब की साउंड तो आज सुन हिं लिया हुन और अभी बबली की पेसाब की धार सुन के कॉमपेयर करूंगा किसकी मस्त थी

ऐसा सोचते हैं पता नही मुझे कहाँ से एनर्जी मिल गयी तुरंत दबे पाँव गेट के पास पहुंच गया और अपना कान लगा दिया कुछ देर तक ऐसे हिं लगाया रहा लेकिन मुझे कुछ सुनाई नही दिया और डर भी लग रहा था थकान तो बहुत थी तो मैं अपने कमरे में सोने चला गया आज की बात सोचते सोचते कब सो गया पता नहीं।

बाथरूम के अंदर बबली ....

बबली अंदर जाते हुए सोचने लगी है ये राहुल भाई क्या कर रहा था अंदर उसकी मुंह से आआआह आआआह बहन क्यों बोल रहा था उसकी नज़र पेंटी पे जाती है देखती है वहां रखी हुई पेंटी निचोरी हुई मतलब ढेर सारा लाइन जैसे कोई अपनी मुठी में लेकर दबाया हो बबली को सक होने लगा कहीं राहुल तो नही उसी वक्त उसकी नज़र दीवाल पे जाती है और देखती है एक धार वाइट वाइट क्रीम की वो पास जा के देखती है कि उसे समझते देर नही लगती की ये लौड़ा से निकली हुई माल है आआआह मैं भी फिंगेरिंग करती हूं तो ऐसी हि क्रीम निकलती है और इतना सारा वीडियो में तो देखी हिं हुन लड़की को लड़का के लंड का रस को पीते हुए .... ऐसा सोचते हि बबली मदहोश होने लगी
और सोचने लगी भाई बहन को सोच के हिला रहे थे मतलब की राहुल भाई मुझे या जुली दीदी को सोच के ये माल निकाले है आआआह भाई अपनी बहन को चोदना चोदना चाहते हैं आआआह

बबली की अंतरआत्मा - ये मैं क्या सोच रही हूँ वो मेरा भाई है...

ठीक दूसरे पल उसे वो वीडियो और कहानी सब याद आ जाती है कैसे स्टोरी में अपने घर के लोग को हिं चोदने की स्टोरी लिखते हैं क्या सच मे ऐसा होता है आआआह आआआह और ललचाई निगाह से दीवाल पे पड़ी राहुल के लंड की माल को देख रही थी और अपनी जीव को अपने मुंह से बाहर निकाल रही थी

बबली एक बार फिर सोचती है - आह लेकिन ये गलत है अपने परिवार में ऐसे थोड़ी करते होंगे कोई...

दूसरी तरफ - इंटरनेट पे पढ़ी स्टोरी याद आ जाती खुद को रोक नही पाई बबली और खुद बडबडाते हुए कोई गैर का थोड़ी है अपना भाई का है और अपनी जीव दीवाल पे लगी राहुल के लौड़ा रस को चाटने लगती है जैसे हिं पहली बार जीव दे लौड़ा का रस टच हुआ बबली की बुर में हलचल होने लगी ये पहली दफा था कि ऐसा हो रहा था नही तो बबली आज तक रियल में लंड कैसा होता है किसी की भी नही देखी थी ये सब सोचते हुए सारा रस चाट के मुंह मे जमा कर ली और सोचने लगी पी जाऊ या बाहर फेंक दूँ


आआआह भाई की अमृत है ये फेकूँगी क्यों और पी गयी आआआह मस्त गजब का स्वाद है

और हाथ मे पेंटी को देखते हुए क्या अपने लंड पे रख के हिला रहा था क्या राहुल और वो पेंटी को वही रखने लगी की उसकी नज़र कपड़े के अंदर पेंटी पे नज़र गयी उस पेंटी को जैसे हिं हाथ मे ली पूरी गीली थी....

पेंटी को पलटा के देखी नंबर देख के समझ गयी ये भाभी की पेंटी है और जैसे कि पेंटी को पलटाई बबली देखती है पूरी पेंटी पे वाइट वाइट क्रीम है और सोचने लगी क्या अभी राहुल हिं इसपे अपना पानी छोड़ा है

हां वही होगा क्यों कि ये तो बिल्कुल गर्म है आआआह आआआह अपनी एक हाथ पेंटी में ले के बुर सहलाने लगी आआआह

सोचने लगी इतना रस एक बार मे निकलता है आआआह फिर लंड कितना बड़ा होगा आआआह सच मे बहुत बड़ा होगा घर मे मुझे छोड़ के सब तो हट्टे कट्टे हैं

एक दीदी पतली दी पता नहीं जीजू किस तरह प्यार करते हैं जो दीदी को फुला दिए आआआह आआआह मुझे कौन फुलायेगा आआआह और पेंटी खोल के नीचे फर्श वे बैठ के अपनी बुर देखने लगी बुर पे झांट से भरी थी और अपनी हाथ से झांट को हटाते हुए अपनी बुर के होंठ को हटाते हुए अपनी छेद देखने लगी और सोचने लगी आआआह जब राहुल का लौड़ा से इतना पानी निकाला तो लौड़ा कितना मस्त होगा सारा पानी मेरी बुर में छोड़ता तो मेरी बुर तो ओवर फ़्लो हो जाती आआआह आआआह अपनी एक फिंगर बुर में घुसाते हुए आगे पीछे करने लगी और सोचने लगी आआआह मैं जो ये सोच रही हूं अपनी बुर में इतनी रस लेने की सबसे पहले तो इतनी छोटी छेद में वो मोटा लौड़ा कैसे लुंगी आआआह और वो भाभी की पेंटी पे लगा लंड रस को जीव से चाटने लगी आआआह भाई कितना मस्त टेस्ट है आआआह....आआआह आआआह (बबली को क्या पता कि जो पेंटी पे लगी रस चाट रही है वो बस राहुल का हिं नही बल्कि उसके बड़े भैया बिमलेश और खुशी भाभी की भी रस है) और अपनी उंगली अंदर बाहर तेजी से करने लगी और रोक नही पाई बबली ..और बुर से एक तेज फुहार की तरह बुर रस निकल गयी कुछ देर तक ऐसी हिं बैठी रही और फिर उसी पेंटी से बुर पोछ के पेंटी जहां थी वही रख के पेसाब कर के अपने रूम में सो गई....
Yhi haal mera bhi tha jab Tak bhai se chudai nhi krayi thi lekin jese hi chudai hui ..mene soch liya ab ungli nhi lund se chudungi hmesha
 

ALIYA@954

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Very nice story
 
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Castle2126

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Update 23

आपने अभी तक पढ़ा..


जीजू- वो प्लस्टिक में देखो न क्या है...
जुली दी- कौन सी प्लास्टिक में


जीजू- वो वाली

जुली दी- बाप रे! ये क्या मुझे ये पहना के मैच खेलोगे


जीजू- और नहीं तो क्या

जुली- मुझे तो होगी भी नही ऐसी लग रही है

जीजू- तुम्हारे साइज का हिं है हो जाएगा तब न मेरी बीबी बोम्ब लगेगी

जुली दी- अच्छा ऐसे नहीं लगती क्या ये देखो....

इधर मैं पानी टंकी के पीछे बैठा हुआ था मेरी कान दोनों की बातों को सुनरहा था और आंख गेट की और....

आगे......

राकेश जीजू- तुम तो कयामत लगती हो लेकिन ये पहनोगी तो आग लगा दोगी

जुली दी- ऐसा क्या..
आंखे बंद कीजिए न.. तब न पहनूँगी

राकेश जीजू- हा हा हा हा ....वो क्यों आज पहली बार तुम्हें पेंटी में या नंगा देखूंगा क्या

जुली दी- अरे नहीं जी ..लेकिन इसका मतलब ये तो नही की आप देखे हो तो हमेशा आपके साथ नंगी पुंगी हिं रहू...

राकेश जीजू- अच्छा कुछ मस्ती करने वाली हो क्या

जुली दी- जी वही समझ लीजिए...हाँ ऐसे हिं चादर के अंदर रहिये...

राकेश जीजू- अरे कब तक अंदर रहु जब भी तुम ऐसे करती हो वो लाजवाब हिं होता है पता नही आज क्या करने वाली हो..

खोलू आंखे...

जुली दी- लो जी आज मुझे आप पे भरोसा नहीं है लाइट हिं ऑफ कर दी...

राकेश- धत्त तुम कैसे मेरी मन को पढ़ लेती हो मैं सोच हिं रहा था कि आज बिना बोले हटा लूंगा लेकिन तुम तो ओह..

जुली दी- ही ही ही जब आपके खड़े लौड़ा को देख के पढ़ लेती हूं कि कितनी देर गुफा में आतंक मचाओगे फिर ये कौन सी बात है...


राकेश- आआआह मुझे हिं तो बीबी मिली है ऐसी कमसिन थैंक गॉड सबको ऐसी हिं बीबी दे जो लौड़ा के साथ मन भी पढ़ ले....

जुली- अरे जी जला लीजिए लाइट अब....

राकेश जीजू- मैं लेटा हूँ तुम हिं तो पास हो स्विच के तुम हिं जलाओ न

जुली दी- सच मे अब पता चली की जब आप बहुत एक्ससाईटेड होते हो तो आपका दिमाग काम नहीं करता है....आपके बगल में हिं स्विच है आप चाहते तो जला के देख सकते थे टूवे स्विच है


राकेश - ओह्ह साला मुझे तो याद हिं नही रहा कोई नहीं देर हिं सही( स्विच ऑन)

ओह वॉव गजब! शानदार! क्या लग रही हो

जुली दी- थैंक्यू.. जी

राकेश जीजू- क्या गजब लग रही हो पीछे घूमो न..

जुली दी- लिजिये देख लीजिए

राकेश- वाह कयामत लग रही हो.. आज ये देख के लग रहा है कुछ भयानक होने वाला है..

जुली दी- अच्छा ऐसे क्या करोगे जी प्लान तो अच्छा बनाये हैं बाहर क्रिकेट मैच खेलने का बिल्कुल अपनी तरह बना दिये हैं..

राकेश- अपनी तरह बना दिया हुन तुम हिं तो अभी अभी बोल रही थी बस पंखा दिखाते हैं आज तारा दिखायेगा तुम भी तो उतना हिं उतावली हो...

जुली दी- जब पतिदेव फुल प्लानिंग कर हिं लिए हैं तो बुरवाली क्या करेगी ...

राकेश-अरे मैं तो आज ये पहना के रूम में हिं तुम्हारी क्लास लेने वाला था ये आईडिया तो अभी आया बताया न राहुल आया था वही जब बोला कि रात में छत पे कोई आता नही और वो पड़ोसी भी नहीं है...

जुली दी- आह अच्छा हिं किये देखते हैं लंडवाला जीतता है या बुरवाली

राकेश जीजू- हाँ आज तो मुझे लग रहा है मैच लास्ट ओवर तक जाने वाली है और रोमांचक भी होगी जीत उसी की होगी जो मैदान में डटे रहे...

जुली दी- आआआह आप तो मुझे बच्ची की तरह गोद मे लेते हो जी...

राकेश जीजू- अच्छा लेकिन बड़े बड़े को मात देने में माहिर हो सकती हो

जुली दी- आह आपका हथियार तो अभी हिं चुभ रहा है..

राकेश- अरे ये क्या
...
..
ये पेंटी कैसे यहां ये तो तुम्हरी है ना...

जुली दी - ओह्ह शीट! आपके के साथ मे रहते रहते मेरी भी दिमाग कम चलने लगी है ...अंधेरे में शायद फेका चला गया

राकेश जीजू- वाह मतलब बिना पेंटी के वाह क्या बात है

जुली दी- जब इतनी टाइट कपड़ा लाए हैं ..तो पेंटी के उपर से कैसे पहनती ...

राकेश- वाह अच्छा हिं तो है डार्लिंग मैच और जल्दी स्टार्ट होगा..

जुली दी- ओह जी ऐसे हिं गोद मे रखियेगा क्या

राकेश जीजू- हाँ क्रिकेट पिच तक तुमको ऐसे हिं रखेंगे चलो गेट की छिटकनी खोलो..

जुली दी- उधर ले चलिए न

राकेश जीजू- वो क्यों

जुली दी- चलिए तो सही..

राकेश जीजू- वाह गॉगल्स और भी कयामत

जुली- और ये आप पहन लीजिये..

राकेश- पहना दो आज हैट पहन के हॉट तरीके से बैटिंग होगी..

जुली दी- फिर तो अच्छा हिं होगा न


मुझे छिटकनी खुलने की आवाज़ आई...



सामने देखता हूँ दीदी अपनी दोनों हाथ जीजू के गले में फसा के पकड़ी है जीजू की एक हाथ दीदी की गाँड़ पे और दूसरी हाथ पीठ पे जुली दी एक हॉट पेंटी में थी...पैर में काली रंग की हाई हील्स सैंडल..
आआआह कितनी अच्छी लग रही है थोड़ा रोशनी तरफ आ जाते तो दीदी की गोरी गाँड़ दिख जाती है.. दीदी की फेस नहीं दिख रही थी मैं दीदी की आंखों में वो चश्मा देखना चाहता था और मैं बहुत जोश में आ गया आआआह दीदी हॉट पेंट में वो भी बिना पेंटी के आआआह..


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जुली दी- उधर चलिए गेट लॉक करने दीजिए पहले क्या पता राहुल यदि ऊपर आ हिं जाय..

राकेश- तो क्या हुआ अपनी बहन को जीजू से चुदवाते हुए देखता तो वो रुकता हिं नही भाग जाता हा हा हा हा

जुली दी- वो छोड़िए न वो तो सबको पता है जब मेरी सादी आपके साथ हुई है तो घरवाले सभी को पता है मुझे चोदते हैं लेकिन इसका मतलब ये तो नही लापरवाही की जाय...

राकेश जीजू- वाह बुरवाली तुम तो बहुत चालक भी हो अच्छी सही बात हरवक्त समझ लेती हो इस टाइम तो मेरा ध्यान बस इसी पे है बाहर और कहीं नही...

अब नीचे भी उतारिये ...

दीदी छत वाली गेट को लॉक कर देती है जीजू इधर उधर देखते हैं
मैं बिल्कुल कोने में पानी टंकी के पीछे दुबक के बैठा था पीछे पेड़ था...उसकी एक टहनी पकड़े हुए था कभी बैठ जाता तो कभी थोड़ी ऊपर खड़ा हो के देखता मेरी बजाव पानी टंकी और पेड़ दोनों कर रहे थे इधर लाइट भी कम थी..

जुली दी- क्या देख रहे हैं

राकेश - यही की फील्ड तो बड़ी है लेकिन कहाँ खेलु मैच...

जुली दी- इधर तो बिल्कुल नही सामने वाले छत पे कोई आ हिं जाय यदि ..इतनी जगह बच रही है इसमें हिं क्यों कि इधर वो छत से देखी नही जा सकती है ..

राकेश जीजू- लेकिन सामने तो पेड़ है और कितने सूखे पत्ते हैं..

जुली दीदी- तो क्या हुआ मैच जब खेलियेगा तो अच्छी लाइट भी तो होनी चाहिए सबसे ज्यादा लाइट वही आ रही है...

राकेश जीजू- वाह फिर सुखी पत्ती पे हिं लेटा के चलेगा...

जुली दी- धत्त बुद्ध है आप उस पत्ते पे आप तुरंत आउट हो जाईयेगा .....

राकेश- फिर कहाँ ..

जुली दी- जाके बेड वाली गद्दा लेते आइये..

राकेश- वाह डार्लिंग मैट बिछा के वाह...अभी लाता हूँ..

राकेश जीजू- कमरे के तरफ गए इधर जुली दीदी टहल रही थी उस तरफ वाले दीवाल के पास जैसे हिं दीदी की शरीर पे लाइट गयी आआआह दीदी , जुली दीदी बिल्कुल दीवाल से चिपक गयी थी बिल्कुल दीदी की गाँड़ में हॉट पेंट सटी हुई थोड़ा फेस दिख रहा था आंखों पे गॉगल्स थी ...


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और कुछ दिन देर वैसे रही फिर पलटी अपनी पीठ दीवाल में सटा दी आआआह दीदी की वो सेक्सी अदा आंखों में गॉगल्स एक हाथ सर् के पीछे एक हाथ जांघ वे आआआह दूध जैसी गोरी मोटे मोटे केले के खंभे जैसी जांघ बहुत हिं कातिलाना लग रही थी ....


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इधर जीजू गद्दे लेके बाहर आ गए

राकेश जीजू- जुली दी को देखते हुए कहाँ लगाउ मैडम...
यहाँ लगा दूँ...

जुली दी- नहीं वो छत से दिख रही है इधर उधर देखते हुए वहां पत्ते के ऊपर हिं पेड़ के नीचे कोने में किसी की भी नजर नही जाएगी वहाँ....

राकेश जीजू- मुस्कारते हुए वाह खुले में चुदवाना भी है और कोई देखे भी नहीं

जुली दी- मैं मानती हूँ मेरी बुर में बहुत आग है लेकिन अपनी मर्यादा तो नही न खो सकती हूं...

आआआह जुली दीदी की मुंह से ऐसी मेरी बुर में बहुत आग है सुन के मेरा लौड़ा फनफाने लगा और सोचने लगा सच मे दीदी है हिं बहुत सेक्सी...

राकेश जीजू- तो जानेमन मैच के लिए फील्ड तो तैयार है...

जुली दी- बिल्कुल प्लेयर भी तैयार है ...

राकेश जीजू- तो हो जाय टॉस

जुली दीदी-हाँ बिल्कुल..

राकेश- तुम टॉस जीती तो मेरी जान की प्यारी बुर में जायेगा

जुली- मुश्करते हुए और मेरे पति जीते तो मेरी गाँड़ में जायेगा

राकेश- वाह क्या बात है बहुत समझदार हो

जुली दी- आपके रग रग से वाकिफ हूँ...

राकेश- तो टॉस कैसे होगा..

जुली दी- वो मैं करती हूं...
आप उस तरफ देखिये...


जीजू दूसरी तरफ देख रहे थे जुली दीदी अपनी हॉट पेंटी की बटन खोली और पेड़ से एक पत्ता तोड़ ली और पेंटी की चैन को खोल ली और दोनों तरफ हटाई आआआह सामने मेरी नजर में

मेरी नज़र जुली दीदी की फुली चूत पे गयी आआआह जैसे दीदी दिखने में कमसिन उसी तरह दीदी की बुर भी कमसिन...जुली दी वो पत्ते को अपनी बुर में हल्का फसा ली और पेंट की चैन लगा ली...


जुली दी- घूम जाइये पीछे....

राकेश जीजू- हाँ ...तो फरमाया जाय मैडम...

जुली दी- जो सवाल आपसे पूछी जाय आप बता दिए तो टॉस आप जीते नहीं बताए तो मैं..

राकेश जीजू- जी मैडम..

जुली दी- आपको बतानी है की आपके दोस्त की बहन की बुर में कुछ है या ऐसे हिं खाली है...


राकेश जीजू- वाह क्या टॉस करने की जुगाड़ लगाई हो..
थोड़ा देर गोर से जुली दी कि हॉट पेंट में बुर के पास निहारते हुए जीजू बोलते हैं...
मेरा सबसे अच्छा दोस्त बिमलेश की गदराई बहन जुली की बुर में अभी कुछ नही है थोड़ी देर में मेरे दोस्त बिमलेश की गदराई बहन जुली की गाँड़ में मेरा लौड़ा जरूर फसा रहेगा...

जुली दी- वाह इतना कंफिडेंस है...

राकेश जीजू- और नही तो क्या

जुली दीदी- यदि ऐसा है तो अपनी दोस्त की गदराई बहन की बुर को देख लीजिए और टॉस का रिजल्ट सुनाईये...

राकेश जीजू जुली दी कि हॉट पेंट की बटन को धीरे धीरे खोल के चैन खोलता है और सामने देखता है बुर में थोड़ी फसी हुई एक पत्ता है जो आधी बुर में थी और आधी हॉट पेंट में दबी हुई..

राकेश जीजू- अपनी हाथ आगे बढ़ा के बुर से वो पत्ते को खींच के बाहर करता है और दीदी को दिखाते हुए अपने मुंह मे लेकर चूस कर फेंक देता है और अपनी जीव सटा के एक बार दीदी की बुर चाट लेते हैं और बोलते हैं ओह डार्लिंग मैं टॉस हार गया


जुली दी- बड़ी कंफिडेंस थी आपको अपने दोस्त की गदराई बहन पे...

राकेश जीजू- आज बड़ा दोस्त दोस्त बोल रही हो कुछ बात याद है क्या...

जुली दी- सादी सालगिरह की दिन जो बात बताई थी अपने वो याद आ गयी कैसे अंजू और मंजू के दीवाने थे दोनों दोस्त....

राकेश- तुम भी किसी की दीवानी हो क्या...

जुली दी- मैं तो नही लेकिन हमदोंनो के ठीक नीचे वाली कमरे में भैया का लौड़ा जो बुर में आगे पीछे हो रही है वही बुर के दीवाने आप जरूर है...

राकेश- वाह आज पता चला तुम बहुत चालाक हो मुझे खुशी के नाम पे उकसा के जल्दी मेरी माल गिर जाए अपनी जादू चला रही हो...

जुली दी- आप जादू समझो या कुछ मैच जीतने के लिए अपनी अपनी ताकत तो लगानी पड़ेगी...

राकेश- अच्छा फिर तो तुमको सालगिरह के दिन बिमलेश के मैसेज आने के बाद सारी बात मेरे मुंह से उगलवा ली ..

जुली दी- वो तो मुझे आती है ...

राकेश- अच्छा फिर तुमको जब सारी बात बता हिं दिया हुन हमदोंनो दोस्त के बारे में जिस तरह मेरा लौड़ा खुशी की बुर में जाने के लिए कसमसा रही है फिर उस अनुसार मेरा दोस्त का भी लौड़ा उसकी बहन की बुर में घुसने के लिए बेताब होगा न...

जुली दी- अच्छा आप क्या सोच रहे हो ऐसे बोलोगे आप तो मेरी मुनिया हार जाएगी...आप चाहे कुछ भी बोल लीजिए मेरी बुर में असर नही करने वाली है

राकेश जीजू- ऐसा क्या 2 विग्रा लिया हूँ तुम तो गयी आज

जुली दीदी- हा हा हा हा सालगिरह की रात 4 बार मिल्कशेक लिए थे..तब तो कुछ हुई नही मेरी और आज आप 2 विग्रा मे चैलेन्ज दे रहे हैं...

राकेश- मैं मानता हूं तुम्हारे अंदर बहुत गर्मी है कोई नही मैं ना सही कोई तो वो गर्मी शांत करेगा हा हा हा

जुली दी- क्या क्या बोले अभी आप कोई मतलब आप मुझे दूसरे से चुदवायेगा क्या

राकेश जीजू- अरे नहीं जी..ऐसे बोल रही हो किसी का लौड़ा पसंद है तो बोलो...

जुली दी- अभी तो फिलहाल मेरे पतिदेव के लौड़ा में देखनी है कितना दम है
और जीजू के लौड़ा को अपनी मुंह मे लेके आगे पीछे करने लगती है....


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जीजू - आआआह जान ऐसे हिं चुसो आआआह

आआआह दीदी कितनी अच्छी चूस रही हो जीजू का लौड़ा आआआह जुली दी तेजी से अपने मुंह मे लौड़ा आगे पीछे करने लगती है कभी मुंह से निकाल के अपने गाल पे लंड पे मरती है...


राकेश जीजू- आआआह बहुत जोश के साथ कर रही हो जान आआआह आआआह

जीजू जुली दी कि होठ पेंट खोल देते हैं और पेड़ की एक टहनी पकड़ा देते हैं और अपना लौड़ा पीछे से जुली दीदी की बुर के मुंह पे रखते हैं...



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आह दीदी कितनी अच्छी लग रही है आपकी गाँड़ खड़े खड़े आपको जीजू चोदेगे आआआह दीदी काश मैं जीजू के जगह रहता और अपना मोटा लौड़ा आपकी बुर में पेल देता..
मैं इतना सोच रहा था कि सामने देखता हूँ तूफानी स्पीड जीजू का चालू है...


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जुली दी- ओह्ह आआआह ओह आह पॉवरप्ले का फायदा उठा रहे हैं

जीजू- ओह्ह ये ले मेरी जान ये ले आआआह आआआह आआआह और ले आआआह पॉवरप्ले हिं है जानू...


कुछ देर ऐसे हिं चोदने के बाद...

राकेश जीजू दीदी को गद्दे पे लेटा के पीछे से अपना लौड़ा दीदी की बुर में फसा के चोदने लगे...


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जीजू बहुत हिं ताकत लगा के चोद रहे थे जुली दीदी भी पूरी तरह एन्जॉय कर रही थी मुझे तो बहुत हिं मज़्ज़ा आ रहा था दिन में दीदी से सुनी हुई बातों और अभी दीदी की खतरनाक चुदाई मेरे आंखों के सामने लाइट में चमक रही थी जीजू जुली दीदी की सिर को पकड़ के जोर जोर से दीदी की बुर पेल रहे थे

जुली दीदी- आआआह जानू बहुत मज़्ज़ा आ रहा है ऐसे हिं पेलिये आआआह और जोर से


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इसी तरह जीजू जुली दीदी को फूल स्पीड से चोद रहे थे अब पानी उंगली दीदी के मुंह मे डाल दिये..

राकेश जीजू- अभी तो डार्लिंग चुदाई स्टार्ट हुई है और अभी हिं चिल्ला रही हो


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जुली दी- आह आह......आ.....
ओ......ह.............

जीजू फूल रफ्तार से दीदी की बुर में पीछे से धक्का दे रहे थे और अपना हाथ के 4 फिंगर दीदी की मुंह मे डाल के मुंह को फैला दिए ऐसा लग रहा था दीदी को दर्द हो रही है और जीजू दनादन पेल रहे थे


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इसी तरह कुछ देर चोदने के बाद जीजू जुली दी कि दोनों हाथ को पीछे से पकड़ लिए दनादन पेलने लगे ..
जीजी अपनी हैट खोल के दीदी को पहना दिए दीदी की सिर पे हैट और आंखों में चश्मा और दोनों हाथ पीछे टान लिए और जब जीजू का लौड़ा दीदी की बुर में जाती आआआह दीदी की वो मोनिंग मेरे लौड़ा में आग लगा रही थी कभी मुंह खुल जाती कभी बंद हो जाती ...



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अब जीजू दीदी के ऊपर से उठ गए और जीजू गद्दे पर सो गए ...जुली दी राकेश जीजू के लौड़ा को एक बार मुंह मे ले के चूस ली फिर अदा के साथ अपनी गाँड़ जीजू के आंखों के सामने उठा के लौड़ा से लगा ली और जुली दीदी अपनी हाथ से जीजू के लौड़ा को अपनी बुर में फसा ली ..अब ऐसा पोजीशन था जीजू को अपनी आंखों के सामने जुली दीदी की गोरी गाँड़ और आगे पीछे हो रही थी...



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जुली दीदी पूरी एन्जॉय करते हुए अपनी गाँड़ जीजू के लौड़ा पे पटक रही थी और दीदी की जांघ जब जीजू के जांघ से टकराती थप थप की मधुर आवाज...बहुत मज़ा आ रहा था...

आआआह दीदी सच मे आप तो पोर्नस्टार्ट को भी मात दे दो आआआह दीदी सच मे आपको 10" के लौड़ा की जरूरत है आआआह आआआह क्या अदा है

आगे जुली दीदी बहुत हिं अदा के साथ जीजू के लंड को अपनी बुर में फसी हुई हिं थी और दीदी घूम गयी जैसे घड़ी में सेकंड वाली सूइ घूमती है उसी अदा के साथ जीजू के लौड़ा पे घूम गयी और अब दीदी जीजू के आंखों में देखते हुए चोद रहे थे कभी दीदी जीजू के और झुक जाती तो कभी बिल्कुल सीधी हो के लौड़ा पे उछल रही थी...


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जुली दीदी- अपनी स्पीड थोड़ा कम करते हुए तो जनाब मैच कैसी लग रही है..

राकेश जीजू- आआह बहुत हिं मस्त लेकिन ऐसी मैच जब होती है उसमें ऑडियंस की बहुत जरूरत है...यहां तो कोई है नहीं..

मैं अपने मन मे जीजू आप टेंशन न लो मैं हूँ ऑडियंस और देख रहा हूँ जुली दी कितनी अदा के साथ खेल रही है..

जुली दी- अपनी धक्का देते हुए तो आप सारा जहाँ को मैच दिखाने चाहते हैं..

राकेश जीजू- सारा जहां नहीं डार्लिंग और आस पास तो कोई है ना बस तुम्हारे घरवाले को हिं दिखा देता की देखिये आपकी बेटी और आपके जमाई की क्रिकेट कैसे खेलते हैं....

जुली दी- अच्छा जिसके बारे में बोल रहे हैं वो कहीं और क्रिकेट खेल रहे हैं मैं मम्मी और पापा को अच्छी तरह जानती हूं..

राकेश जीजू- अच्छा मुझे पता है तुम ये सब अपनी मम्मी से हिं सीखी हो देख देख के...और तुम मेरी सासु मा को आज तक पता नही चली की जिसे देख देख बेटी सीखी है उसी को अब टक्कर देने वाली हो तुम...

जुली दी- एक जोरदार धक्का मरती हुई वो तो तब होगा जब लौड़ा भी उतना हिं मजबूत हो पापा की बात हिं जुदा है...

राकेश जीजू- जुली दी कि फेस को पकड़ के फोरहैड पे किस करते हुए बोलते हैं वाकई में बहुत लकी हूँ मैं हमदोंनो में कोई भी बात नही छुपती है

जुली दीदी- इसलिए तो आप मेरे लंडवाला हीरो पति हो और दोनों को कितना मज़्ज़ा भी आती है..

राकेश- हाँ हमदोंनो में बस स्टार्टिंग के 4 मोन्थ एडजस्ट करने लगे और दोनों अपनी बातें शेयर किये उस दिन से आज तक कभी कोई दिक्कत नही..

जुली दी- दिक्कत कैसे होगी जब अपने दोस्त की बहन को चोदने का इलाज दोस्त से हिं पूछोगे तो बताएगा हिं....

राकेश- वाह जो बात मैं बताता हूँ वही मेरे पे अप्लाई वाह

जुली- हा हा मौका पे चौका वैसे आप दोस्त से सालह लेके अच्छा किये वो आपको विग्रा खाने की सालह दिए इसलिए सेवा होती आ रही है

राकेश- वो क्या उसका नाम वो नही बल्कि तुम्हारे भाई बिमलेश है ...

जुली दी- हाँ पता है आपके जैसा बात नही कर रहा होगा वो अभी खुशी भाभी की बुर में हचक हचक के चोद रहे होंगे आज दोपहर में खुशी भाभी की बुर में आआग लगा दी थी उनकी ननद

राकेश- हाँ जब उसकी ननद की बुर और गाँड़ में इतनी आग है तो घर मे जितने भी बुर लंड बची है सब मे आआग लगा दोगी..

जुली दी- धत्त आप बात मत चोदिये अभी अपनी बीबी की बुर चोदिये...

अब जीजू दीदी को पलटा दिए लेकिन दीदी के बुर में लौड़ा फसी हिं रही और दनादन लौड़ा आगे पीछे करने लगे..

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आह बहुत मस्त का दृश्य था सामने दीदी गद्दे पे लेती थी और जीजू हचक हचक के चोद रहे थे रौशनी में दीदी की चमकती हुई गाँड़ और जीजू का लौड़ा दीदी की बुर में आगे पीछे हो रहा था आआआह

अब जीजू दीदी के गाँड़ के ऊपर बैठ गया और अपना अपना दोनों हाथ अपने घुटने पे रख लिया और जीजू दीदी के तरफ देख रहे थे जुली दीदी अपनी आँखें बंद करके के जीजू के लौड़ा को अपनी अंदर ले रही थी

जुली दी- आआआह मेरे शोना आआआह बहुत अच्छा आपको पोज़ बदल बदल कर चोदना बहुत अच्छे तरह आता है आआआह ऐसे हिं पेलिये अपनी गरम बीबी को..




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आआआह जुली दी इसी तरह मेरा लौड़ा आपके बुर में जाएगी तो आपके बच्चे दानी की और चले जाएगी आआह ये मेरा लौड़ा
मैं अपनी लौड़ा को बाहर निकालते हुए सोचने लगा ये तो दीदी की बच्चेदानी तक चली जायेगी आआआह.. कितनी मस्त लग रही है आआआह दीदी की पैर कितनी सेक्सी है आआआह उसमें हाई हील सैंडल आह दीदी



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अपने लौड़ा को हाथ मे लिए बिल्कुल जुली दीदी की बुर को हिं देख रहा था आआआह


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अब जीजू जुली दी को पलटा दिए पीठ के बल लेट गयी दीदी आआआह कितनी हसीन लग रही हो दीदी आआआह
फिर जीजू दीदी के ऊपर लेट गए...

जुली दीदी- ऐसा लग रहा है कि आपकी T20 मैच के 16 ओवर हो गयी हो और आप लास्ट के 4 ओवर फुल हिटिंग के मूड में आ गए हो...

राकेश जीजू- जब तुम मेरी मन को पढ़ हिं लेती हो तो गलत कैसे होगी...अपना लौड़ा दीदी के बुर में फसा के ऊपर लेटे हुए थे...



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जुली दी- वाह ड्रिंक्स का जुगाड़ साथ हिं लाये हो ...

राकेश- और नही तो क्या मैं ये चाहता हूं दर्शक को लास्ट के ओवर देखना बहुत पसंद है ऐसे में सासु मा , ससुर , साला उसकी बीबी और राहुल बबली सब कोई देखता ये 4 ओवर कितना मज़्ज़ा आता ...

जुली दीदी- अच्छा कभी कभी आप दिमाग से भी काम कर लेते हो अब बॉलर को ये बोल के प्रेशर में ला रहे हैं ..की उसे आसानी से छक्का चौका लगा दिए जाय..

राकेश- मुझे पता है मैं कितना भी प्रेशर डाल दूँ तुम यॉर्कर मार हिं दोगी लेकिन सब कोई देखता तो कितना मज़्ज़ा आता

जुली दी- अच्छा क्या आता..

राकेश जीजू- बोलू क्या गुस्सा नही न करोगी..

जुली दी- जब तक आपकी हथियार मेरी मुनिया में है आप बोल सकते हो..

राकेश जीजू- अच्छा आआआह फिर सुनो ये लास्ट 4 ओवर की कमेंट्री...

अच्छा जुली पहले चोद लूँ फिर बाद में ऐसी बात करूंगा...

जुली दी- मैच 20 ओवर कंपलीट हो जाएगी और आप बाद में कॉमेंट्री करोगे वैसे भी मेरे अंदर से निकल गयी फिर आप बोल नहीं सकते हो

राकेश -फिर ठीक है दोनों एक साथ...दर्शक कौन कौन रहेगा..

जुली दी- वो आप डिसाइड करो..

राकेश- अपने से सीनियर , अपने सहपाठी और अपने से जूनियर तीनो हो तो ज्यादा मज़्ज़ा आएगा सब एक दूसरे से सीखेंगे ..

जुली दी- सीनियर और सहपाठी तो समझ आ गयी लेकिन ये जूनियर तो मैच खेले भी नहीं है वो कैसे..

राकेश- मैं मानता हूं नहीं खेला है इंटरनेशनल लेकिन अंडर नाइनटीन वाले भी कम नही उसे मौका मिलेगा तब तो और वो तो अपने से बड़ो को देख के हिं सीखेगा...

जुली दी- ठीक है करो लो

मैं जीजू और दीदी की ऐसी बातों से एक दूसरे दुनिया मे हिं चला गया आआआह दीदी कितनी प्लानिंग के साथ चुदाई भी करते हैं क्या घर मे सब ऐसे हिं भैया भाभी को देख हिं चुके हैं उस दिन पापा कैसे दीदी की गाँड़ देख रहे थे वह एक माँ और बहन बची है पता नहीं वो कैसे हैं बबली तो मेरी अच्छी दोस्त है लेकिन वो बात तो कभी किये नहीं जिससे पता चले ...राहुल अपनी काल्पनिक दुनिया मे घुस गया ..लेकिन सामने जुली दीदी के ऊपर जीजू लेटे हुए थे दोनो के मन मे क्या चल रहा था वो तो नहीं पता लेकिन 4 ओवर मैं भी जोश के साथ देखना चाहूंगा अपना लौड़ा बाहर निकाले हुए..

राहुल लौड़ा पिक


राकेश- तो फील्डिंग सजा दो अपने हिसाब से जुली डार्लिंग ...

जुली- मुझे पता है आपसे सिंगल भी नही बनाने वाली है ....इसलिए पापा को शार्ट लेग मम्मी को सिली पॉइंट पे लगा रही हूं...

राकेश- वाह जिस लौड़ा से बेटी को पैदा किये हैं ससुर जी उनको नजदीक से अपनी बेटी का चुदाई रसपान का रासलीला देखेंगे और मेरी सासू मा नजदीक से अपने दामाद का लौड़ा बेटी की बुर में आते जाते देखेगा...

जुली दी- आप बैटिंग से मतलब रखिये फील्डिंग मुझे सजाने दीजिए कवर के पास बिमलेश भाई लेग गली के पास खुशी भाभी...


राकेश- हा हा हा हा हा...

जुली - हस क्यों रहे हैं


राकेश- तुम्हारी फील्डिंग देख के शार्ट पे ससुर और लेग गली पे खुशी दोनों फील्डिंग कम नैन मटक्का ज्यादा करेंगे और बिमलेश को तो बस सासु माँ की गाँड़ पे नज़र रहेग फील्डिंग क्या करेगा बेचारा...

जुली- रहने दीजिए आपको बैटिंग से मतलब है भाई गाँड़ देखे या बुर बॉल जाएगा तो पकड़ेगा हिं

राकेश- और मेरे छोटे साला और साली को कहां लगाओगी..

जुली दी- सिली मिडआन पे बबली और सिली मिडऑफ पे राहुल....

राकेश- वाह गजब सबसे नजदीक तो तुम्हारे बुर से पापा का हिं लौड़ा है और उसके बाद राहुल का हिं

जुली दी- चुप रहिये आप ..ड्रिंक्स हो गयी हो तो मैच स्टार्ट करें ...

इधर मेरा हाल बुरा था जुली दी और जीजू से ऐसी बात ये तो आग पे आग लगा रहे थे...


राकेश- ये लो जुली डार्लिंग संभालो......

जुली दी- आआआह संभालने के लिए रेडी हूँ...

राकेश - कैसा लग रहा है जानू


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जुली दी- रन बनाने की स्पीड तो जरा भी नहीं है...

राकेश- अच्छा तो फिर लो और जोर से लो थप थप थप...

जुली दी- हाँ ऐसे हिं आआआह और जोर से आआआह आआआह आआआह


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राकेश- देखो शार्ट लेग से कैसे ससुर जी अपनी बेटी को देख के आहें भर रहे हैं...

जुली दी- आप बहुत गंदे हो पता नही कहाँ कहाँ से लॉजिक लाते हो पापा देख रहे हैं मुझे शर्म आ रही है

राकेश जीजू- आआआह तुम्हें जब शर्म आती है तो और मज़्ज़ा से चुदवाती हो न.... ऐसे ये बताओ आगे चल के सबसे अच्छा खिलाड़ी कौन बनेगा ..

जुली दी- कुछ देर सोचते हुए राहुल बनेगा...

राकेश जीजू- वो कैसे...

जुली दी- मैं खेल तो नहीं देखी हुन लेकिन आज जब मॉर्निंग में झाड़ू लगा रही थी तो राहुल सोया हुआ था उसका सामान कपड़े के ऊपर शेप देख के हिं लगा भयानक खिलाडी बनेगा...

राकेश- अच्छा फिर मेरे दोस्त से पहले राहुल से अपनी मशीन चेक करवा लेती की खिलाड़ी बनने वाला है कि नहीं...

जुली दी- धत्त ...आप बस यही सब सोचो स्पीड कम क्यों हो गई...

राकेश- तुम्हारे जैसे खिलाड़ी नहीं हूं न...विग्रा की पावर कम हो रही है मैं थक गया हूँ...तुम नीचे से हिं लगाओ न..

जुली दी- आआआह आधे में हिं छोड़ देते हो न साले सब अंजू और मंजू के बारे में सोच सोच के मुठ मार लिए तो कहां से चोदियेगा बीबी को पता नही भैया भी ऐसे हिं भाभी को करते हैं क्या..

राकेश जीजू- आआआह आआआह अब तो तुम ही चोद रही हो मुझे आआआह मेरे में दम नहीं ऐसे हिं धक्का लगाओ...



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जुली दी- क्या करूंगी बुर की आग कम हिं नही हो रही है ये लीजिए

राकेश- आआआह आआआह ये लो और अंदर लो..मेरा निकलने वाला है...

जुली दी- हो गई मैच फिनिश किये हुए...रश्मि बहिनचोद..

राकेश- ये ले ये ले और ले आआआह

जुली - चलो बहन की नाम लिया तो कम से कम 10 धक्के तो पड़े...

राकेश- अब मेरी निकल जायेगी...आआआह आआआह

जुली- बुर में नहीं ...मेरी मुंह मे निकालो...



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मेरी हालत खराब थी दोनों की ऐसी मस्त चुदाई और चुदाई से ज्यादा हॉट बात सुनके मुझे ऐसा लगने लगा कि एक न एक दिन जुली दी मेरे नीचे लेट सकती है आआआह ये तीसरा बार मेरा लौड़ा से पानी निकल गया...आआआह आआआह
और सामने जीजू पस्त हो गए..

जुली दी- तो जनाब एक बार फिर से आउट हो गए...

राकेश जीजू- आआआह अपनी तरफ से फूल कोशिस रहता है...लेकिन तुम हो हिं कमाल

जुली दीदी- उदास क्यों हो रहे हैं जी इतनी जबरदस्त चुदाई किये हैं बीबी की और बाद में अपसोस जता रहे हैं...

राकेश जीजू- सच मे क्या

जुली दी- और नहीं तो क्या

राकेश- कैसा लगा मैच..

जुली दी- बहुत अच्छा इतना खुल के कभी नही चोदे थे आप..

राकेश- चोदे तो बहुत बार है लेकिन बाहर में नही और मेरी सुसर जी और सासु मा वाली बात जो छेड़ा वो कैसे लगा...

जुली दी- आप भी न बस छेड़ते रहते हैं...ऐसे रश्मि के नाम पे आप मे ताकत कहाँ से आ जाती है...

राकेश- बताऊ..

जुली दी- हाँ बताओ न..

राकेश- जब मेरा दोस्त मेरी बीबी पे चढ़ेगा तब देखना वो जोश बढ़ कैसे जाता है ये मेरा दोस्त हिं बताएगा...की बहन की नाम की गर्मी कितनी होती है लंड में....

जुली दी- अच्छा लेकिन हमदोंनो जो उस दिन स्टोरी पढ़े थे उस स्टोरी को पढ़ने के बाद तो ऐसा लगा था कि लड़की अपने भाई से ज्यादा एक्ससाइटटेड पापा से रहती है...

राकेश- हा हा हा हा सही बोली और जब दोनों हो तो

जुली दी- धत्त पागल कितना गंदा बना दिये हो मुझे..

राकेश- ये बताओ न अभी मैं अपनी जान की बुर में रस छोड़ रहा था तो मना क्यों कि

जुली दी- मुसकराती जब मेरे पति अपने दोस्त से प्रॉमिस कर लिया है तो पति के खिलाफ कैसे जा सकती हूं...


इधर राहुल को ये बात सर् के ऊपर से निकल गया दीदी क्या बोली ऐसा क्या प्रॉमिस कर लिए हैं जीजू अपने दोस्त से कौन सब है दोस्त जीजू के..एक तो भैया हिं है और कौन सब है और क्या प्रॉमिस किये हैं...



राकेश- अब मेरी बारी है...जुली दीदी की गाँड़ पे हाथ फेरते हुए..

जुली दी- अब अंदर चलिए ठंड लग रही है सर्दी लग जायेगी ....

राकेश मेरी गोदी में आओ ..दीदी जीजू के बांहों में चली गयी और जीजू अपनी एक हाथ दीदी की गाँड़ में डाले हुए थे दोनों अंदर चले गए



अभी तक गेट लगी नहीं थी मुझे लग रहा था जीजू या दीदी कोई बाहर आ सकते हैं क्यों कि गद्दा अभी भी बाहर हिं था..जीजू कुछ देर में बाहर आये और गद्दे को अंदर कर लिए...और मेरी नजर गेट पे हिं था..मैं अब सोच रहा था जल्दी नीचे जाने के लिए ...

तभी देखता हूँ दीदी बाहर आती है आआआह क्या लग रही थी कमर से नीचे नंगी आह इधर उधर देखी फिर झुक के हॉट पेंट उठाई पास में परे चश्मा और हेट को भी और गाँड़ मटकाते हुए चली गयी...कुछ हिं देर में गेट लॉक हो गया मैं दबे पाव सीढ़ी तक आया और धीरे से ग्रील को खोला फिर सटा दिया मैं लगा तो सकता नहीं था और अपने रूम में आ गया...


इधर मेरे कानों में दीदी और जीजू की एक बार फिर से दोनों की बात करने की आवाज आने लगी ..लेकिन मुझे ठंड बहुत जोरो की लगी थी जब तक जगा रहा इतना तो पता चल गया था कि जीजू दीदी की गाँड़ ले रहे हैं साउंड भी बहुत कम आ रही थी ..मैं कब सो गया पता नहीं...सुबह नींद खुली.......
What a hit chapter.... Best h bhai kya hi idea leke aate ho urr..... Matlab match m jaan fook di....🔥🔥🔥
 

Castle2126

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Update 24

सुबह मेरी नींद खुली करीब 8 बज रहे थे मुझे जोर की पेसाब लगा था, मैं सीधा बाथरूम की और गया सामने बाथरूम की गेट लगी हुई थी...

मैं गेट के पास खड़ा था की एक तेज धार सर्रर्ररसर्सरसर की आवाज़ आई मुझे समझते देर नही लगी कि ये पेसाब की साउंड है लेकिन मैं अभी कोई सरारती मूड में नहीं था मुझे भी जोर की पेसाब लगी हुई थी...

लेकिन अंदर से कोई निकलने का नाम हिं नही और मेरी कानो में सरसररसररसर् की आवाज़ आ हिं रही थी...मैं मन हीं मन सोच रहा था ये अंदर कौन है जो इतनी देर से धार छोड़ रही है अभी तो घर मे बस तीन है खुशी भाभी ,जुली दी और बबली इन तीनो में से कोई होगी ...मैं सोच हिं रहा था कि गेट खुली ...

सामने जुली दी थी...
देखने से ऐसा लग रहा था कि वो अभी हिं जगी है एकदम बाल बिखरी हुई ......
दीदी की मुझ पे नजर पड़े उससे पहले मेरा मन मे एक सरारती आईडिया आया...
और मैं अपना हाथ पेंट पे लेजाकर अपना लंड को दबाये हुए था...


मैं- क्या दीदी इतनी देर लगा दी अपनी टंकी खाली करने में...

दीदी- अचानक क्या?

मैं - अरे दीदी बड़ी जोर की सुसु लगी है और आप जो अंदर गयी ऐसा लग रहा था कि कब बाहर निकलेगी...

जुली दी- बात को समझते हुए...और मुश्कराते हुए अरे रात में छत पर से नीचे कौन आ के टंकी खाली करें इसलिए ज्यादा टाइम लग गया स्टॉक जो था...

मैं- वही हाल है इधर भी है दीदी जब बर्दास्त से बाहर हो गया तो हाथ से दबाये हुए हूँ....

जुली दी- मेरी लंड पकड़े हाथ को हिं देख रही थी...और बोली जाओ जल्दी अंदर और हाथ मत हटाना नही तो यही हो जाएगी...

मैं- धत्त दीदी ये अपना मशीन है और इसपे कंट्रोल भी बहुत है ...

जुली दी- अच्छा ऐसा क्या लगता है बड़ा हो गया है वो दिन कंट्रोल कहाँ था जब भी बच्चे में तुझे अपनी गोदी में लेती अपना मशीन इस तरह चलाते की फेस तक हटाने का मौका नहीं देते ...

मैं- अपनी लंड जोर से दबाते हुए बोला मैं ओह बहुत जोर की लगी है अभी वैसे हिं कर दूँ क्या. फेस बचाने का भी मौका नहीं...

जुली दीदी- मुझे मारने के लिए दौड़ी और मैं अपना दोनों हाथ छोड़ दिया लंड से और बाथरूम में घुस गया जब गेट लॉक कर रहा था तो दीदी की नज़र का पीछा किया तो पता चला दीदी मेरी औजार हिं देख रही है...

मैं गेट बंद किया और जब मेरी नज़र मेरे लोअर में पड़ी तो अचंभित रह गया लौड़ा फूल टाइट था चड्डी नहीं पहनने के कारण इधर उधर हिल रहा था और लोअर में बिल्कुल अपना सैप बनाये हुए था...

फिर मैं अपने एक हाथ से लौड़ा को ढका तो वो ढका नही जा रहा था तभी मेरा माइंड हीट किया ओह मतलब तभी दीदी इसी को तो नहीं देख रही थी और लास्ट में कैसे देख रही थी...

अपना लौड़ा निकाल लिया लेकिन पता नहीं मेरा पेसाब गायब था फिर मैंने अपने लंड वे थोड़ा ठंडा पानी डाला क्यों कि अभी मैं मुठ मारने के मूड में नही था और पेसाब करते वक्त सोच रहा आआआह दीदी सच मे कमसिन है...और अभी की घटना के बारे में सोचने लगा और एक अलग तरह की हिं रोमांच आने लगा...
बाथरूम से फ्रेश हो के अपने कमरे में आया ...

उधर किचेन में भाभी और दीदी चाय और नास्ता की तैयारी में थे..
भाभी आटा गुथ रही थी और दीदी चाय बना रही थी.......

जुली दी- अरे भाभी जल्दी जल्दी कीजिये आफिस भी जाना है आपके ननदोई को ...

खुशी भाभी- अरे ननद जी लेट हो गयी उठने में जग तो बहुत पहले गयी थी लेकिन आपके भैया छोड़ हिं नहीं रहे थे..

जुली दी- अच्छा ऐसा क्या होगा गया जो सुबह भी नही छोड़ रहे थे..

खुशी भाभी- आपके भैया आज दूसरे शहर जाएंगे कोई काम से 1 या 2 दिन लग सकता है इसलिए अपनी कसर पूरी कर रहे थे...

जुली दी- हा हा हा हा हा एक भी दिन गैप नहीं वाह भैया ऐसे हिं लगे रहिये (भाभी की गाँड़ पीछे से दबा के ) लगता है भाभी भैया इधर ध्यान नहीं देते हैं..

खुशी भाभी- क्यों कम लग रही है जो मेरी ननद को ऐसा लग रहा है..

जुली दी- सादी को तीन साल हो गए उस हिसाब से उतना नहीं हुआ जितना होना चाहिए..

खुशी भाभी- मैं अपनी ननद जैसी थोड़ी सेक्सी हूँ जो मेरे पे हर वक्त चढ़े रहे...

जुली दी- आप तो इतनी सेक्सी हो भाभी की एक जन क्या मेरे दोनों भाई को एक साथ ले लोगी...ही ही ही ही ही

खुशी भाभी- हा हा हा मेरे में तो वो दम नहीं वो मेरी ननद हिं संभाल सकती है..

जुली दी- भाभी चाय बन गयी है..

खुशी भाभी- तो दे आओ ..

जुली दी- नहीं भाभी आप हिं जाओ न...

खुशी भाभी- मैं आटा गूथ रही हूं जाओ न जुली..

जुली दी- ओह भाभी भैया अभी तक जागे भी नहीं है और आप बता रही हो आपको छोड़ भी नहीं रहे थे तो पता नहीं किस तरह होंगे बेड पे...

खुशी भाभी - तो क्या हुआ ननद जी दिक्कत क्या है साड़ी ऊपर करना और बैठ जाना भैया की सवारी करना हा हा हा हा...

जुली दी- धत्त भाभी आप तो बस टांगे खिंचती हो.....और दोनों हाथ से ट्रै पकड़े हुए चाय लेके बाहर निकलने वाली होती है

खुशी भाभी- को एक सरारत सूझती है जल्दी से थोड़ा हाथ धो के अपनी दोनों हाथ से जुली दी कि साड़ी ऊपर कर के पेंटी खोलना चाहती है..

जुली दी- ये क्या कर रही हो भाभी आह चाय गिर जाएगी...

खुशी भाभी - बाप रे! ये क्या मैं तो ननद रानी की पेंटी खोलना चाह रही थी लेकिन मेरी ननद तो पहले से पेंटी खोल के अपने दोनों भैया की सवारी के लिए तैयार है हा हा हा हा हा....

जुली दी- शर्म से पानी हो गयी क्यों कि वो पेंटी पहनी नही थी...अब बोले तो बोले क्या..

खुशी भाभी - जुली दी कि कान में यदि बिमलेश सोया हुआ हिं हो तो समझो अंदर से वो नंगा ही होगा और मेरी ननद रानी भी बस साड़ी ऊपर कर के गपाक से बैठ जाना हा हा हा

जुली दी- वो तो रात में आपके ननदोई जी कुछ अलग तरीके से किये उसके बाद तो पेंटी पहनी हिं नहीं और आप तो...

खुशी भाभी- अरे इतना सीरियस क्यों होती हो ननद जी मैं तो बस माजक की...

जुली दी- धत्त भाभी और चाय लेके आगे बढ़ गयी...

जुली दी सीढ़ी से छत पे राकेश के कमरे में गयी राकेश लेटा हुआ था

जुली दी- अरे जी जागिये चाय लीजिए...

राकेश- का कोई भी रिएक्शन नहीं

जुली दी- धीरे से जीजू के कान के पास अरे मेरे लंडवाले पतिदेव जरा जगने की कृपा करें

राकेश- मुश्कराते हुए अपने आंख खोल देता है...

जुली- बस लेते रहियेगा समय देखिये जाना नहीं है क्या..

राकेश- मेरा मन तो कर रहा है एक बार और चोद लूँ..

जुली दी- मुस्कराते हुए आपको इसके अलावा और कुछ नहीं चलता है क्या...
चाय ठंडी हो रही है

राकेश- उठ के बैठते हुए एक कप चाय का उठाते हुए बोलता है बीबी जब इतनी रसभरी मिली है तो रस तो चाटनी परेगी नहीं

जुली दी- तो जब मन तब रस चटियेगा.. लीजिए जल्दी भैया को भी चाय देनी है..

राकेश जीजू- अच्छा मेरे प्यारे दोस्त के लिए चाय है क्या

जुली दी- हाँ और आपके प्यारे दोस्त के भाई के लिए भी

राकेश जीजू- अरे जुली थोड़ा पास आओ न...

जुली दी- नहीं अभी कोई सरारत नहीं चाय देनी है और भाभी की हेल्प करनी है नास्ता बनाने में

राकेश- अरे भाई पास तो आओ जैसे हिं जुली पास आती है ...अपनी हाथ से साड़ी उठा के उंगली जुली दी कि बुर में आगे पीछे करने लगते हैं..

जुली दी- ये क्या कर रहे हैं हो गए आप शुरू

राकेश- अरे नहीं तुमसे कुछ भी छिपाया हूँ बचपन से आज तक जो भी हुआ है सब शेयर किया हूँ ..

जुली दी- पता है मुझे

राकेश- तो मेरे दोस्त से किया हुआ वादा तो पता नहीं पूरा होगा कि नहीं लेकिन कम से कम ये तो करने दो...

जुली दी- क्या करने वाले हैं आप लग रहा है आपको फिर वही बात अंजू मंजू वाली बात याद आ गयी....

राकेश- हा हा हा तुम सच मे कमाल की हो मेरी मन को पढ़ना तुम्हें अच्छी तरह आता है पता नहीं मेरा दोस्त मेरी बीबी को चोद पायेगा की नहीं लेकिन कम से कम चूत रस तो चखाने दो...और उंगली चुत में से निकाल के ट्रै में रखी हुई चाय में डाल देता है और फिर उंगली बुर में डाल देता है

जुली दी- ओह मत मिलाइये गंदा है...आप फिर शुरू हो गए मैं मानती हूं आप दोनों दोस्त में ये वादा किये लेकिन जो आपका दोस्त है वो मेरा सगा भाई है...

राकेश- अच्छा सगा भाई है (और अपनी उंगली तेजी से जुली दी कि चुत में अंदर बाहर कर रहे थे..) इतने में अपनी दो फिंगर जुली दी कि बुर से निकालते हुए दिखता है ..


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और बोलता है सगे भाई है इसलिए मेरी जान की बुर इतनी जल्दी रस छोड़ दिया क्या पहले तो ऐसा नहीं होता था

जुली दी- जीजू के फिंगर पे लगी बुर रस को देखती हुई एक तो बहुत ज्यादा शर्मा गयी और मन मे सोचने लगी इतनी जल्दी कैसे निकल सकती है...

राकेश जीजू- अपनी फिंगर में लगी जुली की बुर रस को चाय के कप पे अपनी दोनों उंगली कप पकड़ते हुए उंगली कप के ऊपरी हिस्से में खींच लेता है सारा रस कप ने चले जाता है...

जुली दी- ऐसे मत कीजिये प्लीज मेरे से नही हो पायेगा ये दिया हुआ भैया को...

राकेश- हमदोंनो की प्यार की कसम जुली मेरे दोस्त के लिए इतना तो करोगी वैसे ये तो बिल्कुल क्रीम के जैसा लग रहा है..

जुली दी- चाय लेते हुए सीढ़ी से नीचे आ रही थी और मन मे अभी के घटना के बारे में सोच रही थी पता नहीं राकेश भी नही...
जुली की हर एक कदम...बहुत हिं भारी पर रह था फिर भी किसी तरह बिमलेश के रूम के गेट तक पहुंच गई...
जुली अपनी नज़र एक बार चाय के कप पे डालती है और एक कप में अपनी चूत रस जो चाय के ऊपरी सतह पे तैर रहा था और दूसरी कप बिल्कुल नार्मल जैसे और सोचने लगी भैया कुछ पूछ लिए तो क्या जबाब दूंगी ये सोचते हुए जुली कमरे में अंदर चली गयी...
अंदर बिमलेश भैया एक पतली चादर अपने ऊपर डाल के सो रहे थे...

जुली अपनी सरसरी निगाह से भैया को देखती है भैया पीठ के बल लेटे हुए थे अपनी नज़र कमर के पास ले गया ओह ये क्या भाभी सच बोल रही थी लगता है भैया अंडरवियर नहीं पहने हैं फिर फेस को देखने के बाद लग रहा था कि नींद में हैं भैया और सोचने लगी लगता है भैया अभी भाभी पे चढ़े थे उसके बाद सो गए क्या करूँ जगाऊँ या नहीं

फिर अपनी चाय को देखते हुए अपनी पति की प्रॉमिस भी याद आ गयी ओह पहले भैया के कमरे में हिं आ जाती वो(अपने पति) तो ऐसे हिं सरारती है मुझे बीच मछधार मे फसा दिए चाय तो बिल्कुल पानी से भी ठंडी हो गयी है और धीरे से

जुली- भैया भैया ये चाय लीजिए..

बिमलेश का कोई रिएक्शन नहीं

जुली एक कदम आगे बढ़ते हुए बिमलेश के फेस के बहुत करीब से जुली - भैया उठिए न चाय लाई हूँ

बिमलेश के कानों में एक मधुर आवाज सुन के अपनी आंख खोलता है देखता है सामने जुली को..

जुली - भैया चाय लीजिए न

बिमलेश- बहन मुंह भी कहाँ धोया हूँ

जुली दी- अच्छा कब से .. भाभी लेके आती है तो बिना मुंह धोये पीते हैं और मैं ले के आई तो...

बिमलेश- अरे नहीं बहन ऐसी बात नहीं है..अभी पीता हूँ...

जुली - ट्रै आगे बढ़ाती है अपनी चूत रस मिक्स्ड चाय आगे हिं थी जिसे बिमलेश भैया अपने हाथ मे उठा लेते हैं आआआह मुझे कंपन सी हो गयी जब भैया चाय अपने हाथ मे लिए..

बिमलेश- चाय को देखते हुए वाह बहन क्रीम मिली हुई चाय वाह एक अलग हिं एनर्जी आ जायेगी बहन

जुली दी- अपनी अंदर बहुत हिम्मत लाके बोलती है हां भैया क्रीम थी तो मैं मिला दी..

बिमलेश- चाय की एक शिप लेते हुए वाह बहन आआआह मज़्ज़ा आ गया क्या स्वाद है...

जुली- जैसे हिं भैया चाय की शिप मुंह मे लिए मुझे ऐसे लगा भैया मेरी चूत को अपनी मुंह मे ले लिए अपनी मन में.. आआआह मेरी चूत की फांके ऐसे क्यों हो रही है

बिमलेश- क्या हुआ बहन क्या सोच रही हो...

जुली- चौकते हुए भैया की बात पे ध्यान देके सच मे भैया चाय अच्छी बनी है..

बिमलेश- अच्छा की जुली क्रीम मिला दी चाय का मस्त टेस्ट आ गया...

जुली - हिम्मत करते हुए बोलती है भैया जब क्रीम हिं अच्छी थी तो चाय तो अच्छी होगी हिं न सामने बिमलेश बड़े अन्दाज़ के साथ चाय की शिप ले रहे थे..ये देख के हिं मेरी बुर मचल उठी ऐसा लगा कि कुछ बूंद टपक पड़ी..


बिमलेश - का ध्यान अचानक जुली के दोनों पैर के बीच टपके हुए रस पे जाता है...मन मे ये क्या जुली की ऐसे कैसे अपने मन मे तरह तरह के विचार उत्पन होने लगा...

जुली- अपनी आंख जैसे हिं खोली की सामने बिमलेश भैया के नज़र का पीछा किये तो वो नीचे देख रहे थे और जैसे हिं मेरी नज़र भैया के जांघ पे पारी ओ माय गॉड ये क्या भैया का ये तंबू क्यों बन रहा है..

बिमलेश - अपनी नज़र जैसे हिं उठता है तो सामने जुली को देखता है उसकी नज़र उसके कमर पे है और इसी बीच दोनों की नज़र आपस मे टकरा जाता है

जुली- भैया चाय राहुल को भी देनी है और रूम में निकल जाती है..


जुली राहुल के रूम में जाती है.. रूम से

मैं- सामने दीदी को देखकर पहले तो थोड़ा सकपकाया

जुली दी- ले छोटे चाय

मैं- चाय लेते हुए बोला सॉरी दीदू ..

जुली दी- वो किस लिए छोटे..

मैं- तबी के लिए वो टंकी खाली वाली बात और आपकी फेस पे सुसु वाली बात..


जुली दी- हंसते हुए क्या छोटे तुम भी न छोटी छोटी बातों के लिए जब रात भर सुसु नहीं करूंगी तो ज्यादा टाइम तो लगेगा हिं न टंकी खाली करने में

मैं- हाँ दीदी..

जुली दी- मुझे क्या पता था मेरा भाई बाहर खड़ा है और तुम गेट भी तो नहीं पीटे

मैं- वो तो मैं सोच रहा था अब निकल जाएंगे जो भी हैं...

जुली दी- तुमको पता था क्या मैं हिं अंदर हूँ..

मैं- हाँ दीदी आप या भाभी में से कोई एक है अंदर ये तो लग गया था मुझे...

जुली दी- हा हा हा तुम न डरपोक बहुत हो..

मैं- धत्त दीदी मैं डरपोक तो बिल्कुल नहीं हूं..

जुली दी- बहुत डरपोक हो

मैं- आपको ऐसा लगता है तो वो बचपन वाली बात कर दूं..

जुली दी- वो क्या

मैं - आप मुझे गोदी में लेना और मैं सुसु कर दूंगा आपके फेस पे..हा हा हा

जुली दी- अच्छा इतना हिम्मत हो गया मेरे छोटे को..

मैं- हा दीदु मैं कर दूंगा मुझे डर नहीं लगता

जुली दी- मजकिये लहजे में फिर मैं चाकू रखूंगी और जर से हिं काट दूंगी..

मैं- थोड़ा नाराज होते हुए क्या दीदी किसी की जिंदगी टिकी हुई है आप काट दोगी...और इस बार मैं मजकिये लहजे में बोल वैसे दीदी आप नहीं काट पाओगी..

जुली दी- क्यों चाकू रहेगी तो क्यों नहीं काट पाऊंगी..

मैं- दीदी इसलिए नहीं काट पाओगी क्यों कि अब वो बचपन वाली बात नहीं ना रही अब वो बहुत ब.....और मो....

जुली दी- मेरी और मुस्कराती हुई मेरे कान में आ के बोलती है
पता है छोटे बचपन मे हिं तुम्हारा बड़ा लग रहा था और कभी कभी ...तो और भी.....और दीदी अपनी गाँड़ मटकाती हुई चली गयी...

जुली जाते हुए देखी की भैया का गेट सटा हुआ है वो पास गयी थोड़ा धक्का दी तो उसे लगा अंदर से बंद है..

मैं - बस दीदी की मस्त गाँड़ को निहारता रहा और सोचने लगा आआआह दीदी क्या माल है फिर वही रात वाली बात याद आ गयी ..

किचेन में
जुली दीदी किचेन के अंदर जाती है

अंदर खुशी भाभी लगभग पराठा बन हिं गया था..

खुशी भाभी- वाह ननद जी इतनी जल्दी आ गए चाय देके ..

जुली दी- को अहसास हो गया कि टाइम कुछ ज्यादा हिं लग गया बहाना बनाने के लिए बोली वो आपके ननदोई जी से बात होने लगी..

खुशी- सब समझती हूँ सुबह से हिं अपने दोनों भाई के ऊपर चढ़ने के लिए पेंटी खोली हुई थी ये तो बहाना है ननदोई जी से बात करने की...

जुली दी- धत्त भाभी सही बोल रही हूं..

खुशी भाभी- अच्छा बोलो न जुली रानी दोनों भाई का एक साथ हिं ली या अलग अलग हा हा हा हा

जुली दी- भाभी आप टांग खिंचने लगे न

खुशी भाभी- हा हा हा

जुली दी- सरारती अन्दाज़ में अच्छा भाभी ये बताओ न भैया का हर वक्त ऐसे हिं तंबू बना रहता है ..

खुशी भाभी- बिल्कुल जोशीली अन्दाज़ में बोलती है हाँ ननद रानी जब बहन अपनी बिना पेंटी पहने खुली बुर लेके जाएगा तो भाई का लौड़ा तो खड़ा होगा हिं न हीही ही ही...

जुली दी- सच बोलिये ना..

खुशी भाभी- हाँ कभी टाइट हो जाता है लेकिन उससे ज्यादा मुझे लगता है देवर जी का खड़ा रहता है क्यों कि जब भी झाड़ू लगाने जाती हूँ मॉर्निंग में ऐसा लगता है पूरा टेंट हिं बन गया है और ऐसा लगता है 2 बित्ता से कम नही होगा ..

जुली दी- हाँ भाभी बचपन से हिं उसका थोड़ा बड़ा था ...वैसे जो भी बीबी होगी बहुत लकी होगी.

खुशी भाभी- अच्छा मेरी ननद रानी हिं बन जाय मेरी देवरानी ही ही ही हर वक्त खाने को मिलेगा 2 बित्ता का केला

जुली दी- कोई भी बात बोलती हूँ भाभी आप मेरे पे हिं अप्लाई कर देती हो...

खुशी भाभी- क्योंकि मेरी ननद रानी है हिं बहुत रसीली की उसे हचक हचक के 5 मर्द भी चोदे तो कुछ नही होने वाला है

जुली दी- हा हा हा अब ऐसी भी नही हूँ भाभी...

इसी तरह दोनों हसी माजक करते हुए खाना बना रहे थे..

उधर बिमलेश अपने रूम में जैसे हिं जुली निकली रूम से चादर हटा के निकला और दरबाजे लगाया और वो जगह पहुंच गया जहां जुली खड़ी थी.....वहां बैठ गया और फर्श पे 2 बूंद रस था बिमलेश फर्श पे पड़ी रस अपने एक फिंगर में लगता है उसे चिपचिपा लगा बिमलेश को समझते देर नहीं लगी कि ये क्या है...वो जल्दी से अपने नाक के पास ले जाता है उसके एक मादक स्मेल आता है अपनी


बिमलेश- आआआह आखिर जुली की अभी ये रस टपक क्यों पड़ी ..आखिर वो क्या बात हो सकता है और ये सोचते हुए फिंगर में लगी रस अपने मुंह मे ले लेता है और अपने लंड निकाल के फर्श के पारी रस पे अपना लौड़ा घिसने लगता है ..बिमलेश इमेजिन करने लगा आआआह मैं राकेश की बीबी को चोद रहा हूँ आआआह मैं अपनी हिं बहन चोद रहा हूँ...आआआह मेरा इतना जल्दी डिस्चार्ज कैसे हो गए आआआह बहन में ऐसी क्या बात है ...और फिर फ्रेश होने चला जाता है..

इसी तरह सब नास्ता कर लिए जीजू दीदी रेडी थे और बिमलेश भैया भी दूसरे शहर जाना था वो भी रेडी थे...जाने के लिए..

राकेश- साले साहब तो आज आफिस नहीं जाना है क्या..वैसे भी गाड़ी तो 1 बजे है ना..

बिमलेश- हाँ 1 बजे तो है..मैं सोच रहा था आफिस जा के 1 घंटे कुछ जरूरी काम था फिर वही से निकल जाऊ..


राकेश- हाँ बिल्कुल

बिमलेश- लेकिन अपनी गाड़ी वहां कहाँ रखूंगा ..

राकेश- मैं तो बोलता हूं कि अपने रूम के पास में से हिं उस सिटी के लिए बस है मैं फ़ोन से टिकट बुक करवा देता हूँ वही से चले जाना जी..

बिमलेश- हाँ वो तो ठीक है

राकेश- मुझे भी ठीक हिं होगा जुली भी रूम चली जायेगी और मैं कोई ऑटो या बस से आ जाऊंगा..

बिमलेश भैया- ठीक है

कुछ देर बाद तीनों जाने लगे
मैं सभी को प्रणाम किया
जब दीदी को किया तो दीदी बोलो क्या आशिर्वाद दूँ छोटे नौकरी तो लग जायेगी ही तुम्हें अच्छी बीबी मील वही आशिर्वाद देती हूं...
सब ठहाके लगा के हंस दिए...



जीजू अपनी बाइक निकली और ड्राइव सीट पे उसके बाद भैया और बाद में दीदी दोनों पैर एक ही तरफ कर के बैठ रही लेकिन उसमे हो नही रही थी फिर दोनों पैर दोनों तरफ कर के बैठ गए..

मेरे लिए वो नजराना काफी हसीन था जब दीदी अपनी एक पैर उठा के दूरी तरफ कर रही थी लेंगिन्स में जुली दी कि किसी गाँड़ आआआह जान लेवा था
तीनो निकल गए जब गेट लॉक करके अंदर आ रहे थे बबली सबसे आगे थी वो चली गयी भाभी गेट लॉक कर के मेरे पास आई और मेरे से नजदीक आ के मेरे कान के पास बोली..

खुशी भाभी- देवर जी क्या बात है बहन की गाँड़ को बहुत सरसरी निगाह से देख रहे थे कोई बात है क्या

मैं- लजाते हुए क्या भाभी आप भी ..

खुशी भाभी- मुझे तो लग रहा है कोई बात है..

मैं- मुझे तो कोई और गाँड़ पसंद है लेकिन भैया कभी खाली छोड़ते हिं नहीं

खुशी भाभी- अच्छा लग रहा है हीरो पूरी तरह जवान हो गया है कहीं सादी करनी पड़ेगी अब...

मैं- हाँ भाभी शुभ काम मे देरी क्यों..मैं भी आगे और पीछे से कबड्डी खेल करूंगा हा हा हा

जुली दी- अच्छा है...

दूसरी तरफ..


बाइक पे...
Wahh bhai har ek chapter m ek se ek new idea leke aate ho Bhai ki maja aa jata h😍 hot 🔥🔥🔥🔥
 

Castle2126

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Yrr kya ho bolu bhai.... Itna tagda update tha ki maza hi aa gya.... Matlab control karna mushkil ho gya....
UPDATE 25

आप ने पढ़ा कि बिमलेश और जुली बाइक से रवाना हो गए


अब आगे
..

बाइक पे....


राकेश अपने बाइक चलाने में थे
और उनके पीछे बिमलेश और जुली दूसरी दुनिया मे कोई हुई थी..

सुबह के घटना के बारे में जुली सोचती है कैसे भैया के नाम से मेरी चूत अपनी रस इतनी जल्दी छोड़ दी पहले तो कभी इतनी जल्दी नही निकलती थी और जब चाय पी रहे थे तो मुझे ऐसा क्यों लग रहा था मेरी प्राइवेट पार्ट को चाट रहे हैं मेरी वहां आँखें बंद हो गयी और एक बार फिर से झर गयी क्यों मैं भैया को अपनी रस पिला दी तबी से मेरी नीचे इतनी खलबली क्यों मची है...
आह किस तरह तभी बच गयी शायद भैया देख लिए थे मेरी नज़र भैया के टेंट पे थी ..आआआह ऐसा क्यों लग रहा है भैया के बॉडी से टच होने पे मुझे ऐसा फील क्यों हो रही है आआआह

दूसरी तरफ अपनी बहन की मोटी जांघ टकरा रहा था और अपने दोस्त से किया हुआ वादा पूरा होगा कि नही यदि होगा तो मैं अपनी हिं बहन को कैसे चोद के गाभिन करूंगा आआआह आज सुबह क्या सोच के बहन की चूत रस नीचे गिरी इसका मतलब वो पेंटी नहीं पहनी थी ये सोच हिं रहा था कि जुली पूरी तरह बिमलेश पे झुक जाती है बाइक जरकिंग में जाने की वजह से आआआह बिमलेश को एक असीम सुखद अहसाह होता है अपनी बहन की दोनों रसीली चूची बिमलेश के पीठ से टकराने के बाद बिमलेश का लौड़ा टाइट होने लगा जो राकेश की गाँड़ से टच हो रहा था..

राकेश को बिमलेश का लौड़ा का चुभन अपने लंड पर परते हिं वो समझ गया और जान बूझ कर कभी ब्रेक तो कभी जरकिन में ले जाता और बिमलेश अपनी दोस्त की बीबी और उससे भी करीबी संबध अपनी सगी बहन की चूची का चुभन का मज़्ज़ा ले रहा था इसी तरह तीनो आफिस चले गए......
जुली बाहर हिं रह गयी एक केबिन में बैठ गयी और इतंजार करने लगी ..

दोनों जाने लगे
राकेश- क्या दोस्त क्या हाल है बहुत लौड़ा टाइट हो रहा था कोई बात है क्या....

बिमलेश- इतनी जबरदस्त बीबी है तुम्हारी एक उसकी गर्मी और तुम्हरा जान बूझ के ब्रेक मरना और जरकिंग में ले जाने से तुम्हारी चूदासी बीबी की चूची का मेरे पीठ में रगड़ खाना लौड़ा तो खड़ा होगा हिं न

राकेश- आआआह मेरी बीबी इतनी हिं पसंद है तो चोद क्यों नहीं लेते ...

बिमलेश- अरे टेंशन क्यों लेते हो दोस्त बस चोदुगा हिं नहीं बल्कि चोद चोद करके तुम्हारी बीबी का पेट भी फुला दूंगा...

राकेश- मैन कब रोका हूँ वैसे वो मेरी बीबी के साथ साथ तुम्हरी सगी बहन है एक साथ तुमको दो मौका...

बिमलेश- हाँ दोनों धर्म निभाउंगा दोस्त...

राकेश- वैसे दोस्त मॉर्निंग की चाय कैसी लगी

बिमलेश- वाह क्या बताऊ यार एकदम गजब की कड़क चाय थी उसमें जो तुम्हारी बीबी क्रीम मिलाई थी वो चाय को और टेस्टी बना दिया था...

राकेश- सरारती अन्दाज़ के साथ जब बहन की बुर से निकली रस चाय में डाल के पिओगे तो अच्छी तो लगेगी न...

बिमलेश- क्या वो बहन की ** रस थी omg..

राकेश- बिल्कुल उसे मैं हिं जुली की बुर से निकाल के तुम्हारी चाय में मिलाया था

बिमलेश- साला कितना हरामी है ऐसा क्यों किया

राकेश- क्यों बहन की बुर रस पीने के बाद अपसोस हो रहा है क्या

बिमलेश- नहीं अपोसस कि क्या बात है ऐसे चाय बहुत मस्त थी आआआह सच मे सब दिन जुली की हाथ की हिं चाय मिलता आआआह...

करीब 30 मीनट बाद

बिमलेश अपना आफिस का काम निपटा के बाहर निकलता है साथ मे राकेश और जुली भी बाहर निकलती है...

बिमलेश और जुली निकल गयी बाइक से
मार्केट से निकल के बाइक हायबे पे चली गयी बिमलेश जान बूझ के बाइक की स्पीड बढ़ा देता है

जुली - भैया थोड़ा धीरे चलाइये न..

बिमलेश- थोड़ा और स्पीड बढ़ाते हुए..क्या बोल रही हो मैं सुन नही पा रहा हूँ

जुली- ओह बाइक की स्पीड और बढ़ जाने से डर के मारे भैया से बिल्कुल चिपक गई.......

बिमलेश- अपने मुंह से एक मादक साउंड आह निकल जाता है जुली की पूरा शरीर बिमलेश के पीठ से चिपक जाता है और और चूची की के दबने से एक गुदगुदी की तरह अहसास हो रहा था ..बाइक थोड़ा स्लो कर देता है जिससे बैलेंस भी बन जाता है और ज्यादा से ज्यादा टाइम बाइक पे बिताने का अवसर मिले..

इधर अपनी बहन से चिपके रहने के कारण बिमलेश का लौड़ा पूरा टाइट था ..

करीब 20 मिनट ऐसे चलने के बाद पहुंचने वाले हिं थे..

जुली- भैया मार्केट तरफ मोड़िये न कुछ फ्रूट्स और दूध लेनी है

बिमलेश- ओके और बाइक मार्केट तरफ मोड़ देता है

कुछ दूर चलने के बाद ...

जुली - अपनी एक हाथ बिमलेश के कंधे पे रखती है और बाइक स्लो करने को बोलती है

बिमलेश- बाइक रोक देता है...


इतने में जुली बाइक से उतरकर कंधे पे पर्स लटकी हुई गाँड़ मटका मटका के पास वाले दूध के दुकान पे जाती है

बिमलेश- आआआह जुली कितनी चाल बदल गयी है तुम्हारी आज से 2 साल पहले कैसी पतली दुबली थी और आज आआआह अपना लंड को एकबार दबा के आहें भरता है....

कुछ देर में जुली आ जाती है और बोलती है भैया कुछ फ्रूट्स भी लेने हैं और बाइक पे बैठ जाती है....

कुछ दूर चलने पे रोड साइड में ठेले लगाए फ्रूट्स वाले थे
जुली उतरती है बाइक से और उस ठेले वाले से.....ठेले वाला यही कोई 35 वर्ष का होगा..

जुली- सेब कैसे केजी दिए भैया

ठेले वाले- जी मैडम 150 रुपये है..

जुली - 130 रुपया दोगे भैया

ठेले वाले- 140 से कम नही हो पायेगा मैडम

जुली दी- ठीक है 1केजी तोल दो

जुली दी- ये केला कैसे दर्जन दिए..

ठेले वाला - 30 का दर्ज़न..

जुली दी- नहीं ये नहीं चलेगा केला भी अच्छा नहीं है...

ठेले वाला थोड़ा अपनी फेस पे मुस्कान लाते हुए- मैडम ये पसंद नहीं आया क्या

जुली- थोड़ा गुस्सा मे ठेले वाले के बोलने के लहजे को देख के बोली नहीं

ठेले वाला- थोड़ा धीमी आवाज़ में स्पेशल केला तो नीचे है.....ठेले के नीच

जुली- 200 की एक नोट देते हुए लो पैसे काटो...

ठेले वाला- नीचे झुक के केला निकलता है

जुली - ठेले वाले केला , को ठेले पे रखता है


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जुली- हाँ ये अच्छा है कैसे दर्ज़न देते हो

ठेले वाले- 70 रुपये

जुली- क्या 70 रुपये

ठेले वाले- मैडम स्पेशल का तो स्पेशल रेट लगेगा हिं न

जुली दी- ठीक है दे दो 1 दर्ज़न

ठेले वाले- मैडम बस यही 7 पीस हिं बचे हैं..

जुली दी- ठीक है यही बस दे दो

ठेले वला- बिमलेश की और देखता है और धीमी आवाज़ में बुदबदाता है लगता है भैया सर्विस ठीक से नहीं देते हैं...

जुली- ठेले वाले कि बात तो ठीक से सुनी तो नही लेकिन समझ जरूर गयी


ठेले वला- 200 का नोट लेके 30 रुपये वापस जुली की और देता है..

बिमलेश अपना बाइक थोड़ा आगे की और लेजाकर घूमता है..

जुली दी- रख लो ये 30 स्पेशल समान के लिए बोक्ससिस समझ कर...

ठेले वाला- थैंक्यू मैडम

जुली दी- धीमी आवाज़ में सर्विस में कमी नही होती ये तो खाली छेद में...***

इतने में चल देती है

ठेले वाला- शॉक्ड हो जाता है जुली की बात सुनके समझने में देर नहीं लगती उसे की जो बोली अभी इसका मतलब बुर में लौड़ा तो गाँड़ में केला और गाँड़ में लौड़ा तो बुर में केला आआआह जुली मटकती हुई चाल देखके कितनी मस्त गाँड़ है...

बाइक पे जुली बैठ जाती है

बिमलेश- क्या बहन सेव में 10 रुपये ज्यादा नहीं दे सकती थी और ये केला 70 के दर्ज़न ले लिए और ये भी शर्दी के टाइम में...

खुशी- अपनी दिमाग चलाती हुई भैया वो तो हम औरत लोग को मोल भाव करने की आदत है लेकिन उस बेचारे को देख के दया आ गयी इसलिए दे दी 10 रुपये - 20 रुपये के लिए काम करते हैं

बिमलेश- अच्छा इतना उच्च विचार कब से हो गयी...

इतने में जुली अपनी घर आ चुकी थी

गेट से अंदर आती है और सबसे नीचे बेसमेंट वाली मैन डोर पे लगी ताला को खोलती है ..पीछे बिमलेश बाइक से था बाइक अंदर कर देते हैं अंदर बिल्कुल अंधेरा था

बिमलेश- वाह यहां तो दिन में हिं रात

जुली दी- हा हा हा हा यहां तो रात हिं रात रहती है दिन होता हिं नहीं..
इतने में स्विच ओपन करती है.. लाइट जल जाती है...

बिमलेश- बहन लेट भी हो रहा है..

जुली दी- अभी थी ड़ेढ घंटे समय है ना गाड़ी तो 2 बजे है ना..

बिमलेश- हाँ थोड़ा फ्रेश हो लेता और मेरी बहन सुबह जैसी क्रीम वाली चाय पिला देती तो मज़्ज़ा हिं आ जायेगा...

ये बात सुन के तो जुली की बुर के दोनों लिप्स में मानो कंपन आ गयी हो संभलते हुए

जुली - ये क्या बात हुई भैया बहन के यहां आए और चाय भी न मिले इससे शर्म की बात और क्या हो सकती है..

बिमलेश- आह बहन मेरी कहने का मतलब ये नहीं था बस सुबह की चाय तुम्हारे हाथ की बहुत अच्छी बनी थी वैसे हिं चाय मिल जाय तो मज़्ज़ा आ जाय

जुली - बिल्कुल भैया अभी हिं दूध चढ़ा देती हूं ताकि दूध के ऊपर क्रीम बने

बिमलेश- हाँ बहन
और बिमलेश अपना कपड़ा खोल के नहाने के लिए चला जाता है

इधर जुली अपनी कपड़ा खोल के एक नाईट पहन लेती है और नीचे पेंटी उतार देती है ...और अपनी एक फिंगर अपनी बुर पे घिसती है
आआआह आज ये कमसिन मुनिया इतनी गीली क्यों है और मुसकराती हुई किचेन की और जाती है और चाय चढ़ा देती है...

बाहर निकलती है वाशरूम के गेट के पास आ के बिमलेश से पूछना चाह रही थी कि भैया कुछ नास्ता बना दूँ क्या?
जुली बोलने वाली हिं होती है कि अंदर से धीमी आवाज़ आती है

बिमलेश- आआआह आज इसको क्या हो गया है सुबह से बैठने का नाम हिं नही ले रहा है आआआह आआआह कितनी मस्त है आआआआह क्या माल है एक बार मिल जाय आआआह क्या स्वाद है आआआह आआआह..

जुली- अपनी मन मे भैया को क्या हो गया है भैया अभी भी मुठ मारते हैं क्या...
बिना पूछे अपने भैया से वो किचेन में चली जाती है

और खुद से बरबराती हुए क्या भैया अब कितना मुठ मरोगे अंजू और मंजू को सोच के तो दोनों इतना मार लिए हो अब भी ...

और सुबह वाली बात याद आ गयी कि कैसे राकेश उसकी बुर में उंगली डाल के रस चाय में डाले थे और भैया को इतना पसंद आया चाय.....आआआह अभी भी मिला दूँ
जुली की मन- नहीं नहीं वो मेरे भैया है नही..

जुली की दिमाग- ओह मिला दो जुली वैसे भी भैया 2 दिनों के लिये जा रहे है बाहर भाभी भी अपनी एनर्जी देगी नही उसके बदले बहन हिं

और ये सोच के मुस्कराने लगती है
किचेन की गेट लॉक कर देती है

चाय को धीमी लो में बनने के लिए चूल्हे पे छोड़ दी
और जुली अपनी एक उंगली अपनी बुर में डाल लेती है और आगे पीछे करने लगती है

साथ हिं सोच रही थी जुली अभी भैया तो अंजू और मंजू के बारे में सोच के तो मुठ मार नहीं सकते हैं खुशी भाभी को तो डैली चोदते हिं होंगे

क्या भैया मुझे सोच के मार रहे हैं मुठ ? आआआह क्या भैया को पता चल गया क्या की सुबह चाय में दूध की क्रीम नहीं बल्कि बहन की बुर की

क्रीम चाय में मिक्स्ड थी
राकेश तो भैया के जिगरी दोस्त है क्या वो तो नहीं बता दिए सुबह वाली बात के बारे में?

आआआह मेरी चूत क्यों इतना कसमसा रही है आआआह उंगली से कुछ हो हिं नहीं रहा है फिर जुली को कुछ याद आती है मुस्करार के एक कदम आगे बढ़ती है..





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और उस केले पे एक किस कर अपनी लिपस्टिक से की दाग ऐसे बन गयी जैसे लिप्स की प्रिंट बन गयी हो


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फिर उस केले को मुंह मे लेके 4-5 बार आगे आगे पीछे करती है जुली की थूक से केला चमकने लगता है फिर केले को मुंह से निकाल के धीरे धीरे अपनी चूत में अंदर करने लगती है...

उधर बाथरूम में
बिमलेश अपना लौड़ा का आगे पीछे तेजी से करते हुए आआआह आआआह कैसे चिपकी हुई थी आआआह और अपना पानी निकाल देता है और नहाने लागत है


इधर जुली
तेजी से केले को अपने बुर में आगे पीछे करती है..
और एक दूसरी केला लेके
केले के खुचा थोड़ा हटा देती है


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और उसे मुंह मे लेके चूसती है
साथ हिं दूसरे हाथ से लगातार आगे पीछे केला अपनी चूत में कर रही थी आआआह


जुली - लगतार अपनी चुत में केले को आगे पीछे करती है अब ऐसा लग रहा था कि किसी भी पल बुर से रस की फुहार छोड़ देगी...

जुली अपनी चूत से केले को बाहर निकाल लेती है और जो केला छिली हुई थी उसे धीरे धीरे अपने बुर में आगे पीछे करती है
कुछ देर बाद हिं जुली की बुर में मानो एक शैलाब आ गयी हो गई हो

बिमलेश नहा के बाहर निकलता है पास वाले किचेन के कमरे पे नज़र जाता है देखता है बिमलेश गेट लगी है बिमलेश थोड़ा आगे बढ़ता है गेट के पास अंदर से साउंड सुनाई पड़ता है..

जुली -आआआह केला तो बहुत मस्त है आआआह उस ठेले वाले कैसे छुपा के रखा था आआआह आआआह सुबह से मेरी चूत में इतनी गर्मी क्यों बढ़ गयी है आआआह


जुली- आआआह आआआह आआआह कितना अच्छा लग रहा है आआआह आआआह

अपनी चूत से केले को धीरे धीरे निकलती है जैसे जैसे केला निकल रहा था ऐसा लग रहा था कि केले पे ढेर सारा मलाई लगी थी
और जुली मुस्कराती हुई केले को प्लेट में रख देती है और अपनी चूत की तरफ देखती है उसपे अभी भी रस लगी हुई थी एक कप से अपनी चुत पे लगा के फिंगर से रस कप में पोछने लगती है उस कप को शेड पे रख देती है...

बिमलेश को समझते देर नहीं लगी कि जुली अपनी चूत में केला लेके अंदर बाहर कर रही है उसे लगा कि कभी भी गेट खुल सकता है इसलिए वो वहां से बेड रूम की तरफ चल देता है..

किचन में..

कप को रखती हुई..

केले पे लगी ढेर सारी रस को देखती हुई मन हिं मन मे बोलती है आज इस निगोड़ी चूत इतनी क्यों रस बहा रही है
किचेन के दरवाजे को खोलती है
और बाहर आती है
अंदर बिमलेश तैयार हो चुके थे

जैसे हिं बिमलेश की नज़र जुली पे पड़ती है मन हिं मन आह ड्रेस कब बदल ली आआआह जांघ के नीचे कितनी गोरी है ..आह केले की खंभे की तरह

बिमलेश- जुली चाय बन गयी क्या?

जुली- हाँ भैया स्पेशल चाय में तो टाइम तो लगता है ना

बिमलेश- वो बात तो है लेकिन मुझे लेट भी हो जाएगी न

जुली- अभी लाती हूँ भैया

और जुली किचेन चली जाती कैन से कप में चाय छानती है और फिर मुस्करार के कप में रखी हुई अपनी बुर की मलाई मिला देती है और बोलती है भैया आपकी फेवरेट फेलवर मिला दी ...

चाय की कप उंगली में फसा के रूम में बिमलेश के पास लाती है

जुली- हाथ आगे बढ़ाते हुए लिए भैया स्पेशल मलाई मार के चाय लाई हूँ पी के बताईए सुबह से अच्छी है की नहीं..

बिमलेश- अपना हाथ आगे बढ़ाते हुए अरे जुली कप की डंटी में तो तुम अपनी फिंगर फ़साई हुई हो कैसे कप पकरु..

जुली- अपनी दूसरी हाथ से कप के उपरी हिस्से को पकड़ती हुई डंटी में से अपनी उंगली निकाल के बोली...
अब लीजिए भैया
छेद खाली है डाल दीजिए ...

बिमलेश- कातिलाना अन्दाज़ में बोला क्या डाल दूँ

जुली - सरारती अन्दाज़ में , अपनी उंगली ...डाल दीजिए कप की डंटी में

बिमलेश- अपना मिड्ल फिंगर कप की डंटी में डालने लगता है जो कि अंदर जा नहीं रह था
बिमलेश बोलता है अरे ये
छेद तो बहुत छोटी है मेरी तो जा नहीं रही है

जुली- अरे भैया क्या नहीं जा रही है?

बिमलेश- कप की डंटी में मेरा उंगली

जुली - इसकी साइज हिं यही है
ये कोई रबर की थोड़ी बनी है जो उस शेप को बढ़ा के चले जाय..

बिमलेश- हाँ बहन सही बोली..

जुली- भैया अपनी रिंग फिंगर डाल दीजिए वो
छेद में घुस जाएगा

बिमलेश- अपना रिंग फिंगर डालने लगता है जो पूरी तरह टाइट लग रहा था

जुली- थोड़ा और पुश कीजिये , ये चली जायेगी भैया..

बिमलेश- मुझे तो लग रहा है कहीं टूट न जाये

जुली- हे हे देखे भैया मैं बोली थी न रिंग फिंगर चली जायेगी अब जल्दी से चाय की टेस्ट बोलिये न.....

बिमलेश- चाय देखते हुए वाह दिखने में हिं इतनी मस्त लग रही है तो स्वाद अच्छा होगा हिं
और एक शिप लेते हुए वाहहह बहन मज़्ज़ा आ गया क्या स्वाद है

जुली- सच मे भैया

बिमलेश- हाँ बहन रुको इस बार मलाई चख के बताता हूँ
और चाय के ऊपरी सतह पे तैर रही वाइट क्रीम को कप के मुंह पे लाते हुए शिप लेता है और अपनी आंखें बंद कर बोलता है आआआह बहन ऐसी चाय तो हर किसी के नसीब में नहीं , मैं नसीब वाला हूँ।

इधर जुली बहुत गौर से देख रही थी जैसे हिं क्रीम बिमलेश मुंह मे लेता है जुली को ऐसा लग की भैया उसकी चुत पे जीव लगा दी हो ..

थोड़ी देर बाद बिमलेश अपना मुंह खोल के दिखता है

जुली - देखती है कि भैया के मुंह मे वो क्रीम अभी भी है ..और मुश्करा देती है ये देख के हिं जुली कि बुर पनिया गयी एक बार फिर..

बिमलेश- जुली की तरफ देखते हुए अपनी मुंह बंद कर उसे घोट लेता है

जुली- थोड़ा फ्रूट्स लाती हूँ भैया टाइम कम है इसलिए नास्ता वगेरा नहीं बनाई

बिमलेश- कोई बात नहीं जुली हल्की फ्रूट्स हिं लाना

जुली- जी भैया

किचेन में प्लेट में रखी अपनी बुर रस से रखी केला चमक रही थी और एक सेब को कट कर उसी प्लेट में रखती है .. और लेके बिमलेश भैया के पास फ्रूट्स लेके जाती है...
जुली बिमलेश को फ्रूट्स की प्लेट बढ़ती है

बिमलेश- प्लेट में रखी मलाई से चमकती हुई केले को देख के खुश हो गया...और बोलता है इतना सारा सेब नहीं खा पाऊंगा

जुली दी- खा लीजिए न भैया अब तो रात में हिं खाईयेगा न

बिमलेश- एक सेब का टुकड़ा उठा के खाता है फिर बोलता है सेब नहीं चलने वाला है बहन

जुली - तो फिर केला हिं खाइए भैया

बिमलेश- अपने हाथ से केले को उठाता है फिंगर पे चिपचिपा जैसा मशसुस होता है बिमलेश को अच्छी तरह पता था ये कौन सी मलाई है...

जुली- भैया वो मलाई में केला को भी डाल दिया

बिमलेश- वाह फिर तो और मस्त होगा केले को उठाता है तो उसमें से बहुत सारी मलाई टप टप चुने लगती है
बिमलेश- जुली बहन इसमे तो बहुत मलाई लगी हुई है

जुली- हाँ भैया दूध को पूरी तरह जला दी पूरा गाढ़ा हो गया था उसी में डुबो के लाई हूँ..

जुली के आंखों में देखते हुए बिमलेश केले को मुंह मे डाल लेता है और अपने दोनों होंठ को दबा देते है और धीरे धीरे केला को बाहर खिंचता है

जुली ये देख के कचमचा गयी उसे लगा भैया अपना लौड़ा मेरी चूत में फसा के खिंच रहे हैं सामने भैय्या को देख के चूत मचलने लगी एक पे एक अटेक हो रहा था..

बिमलेश केला को पूरा मुंह से निकाल कर मुंह खोल के दिखता है

जुली अपनी बुर की रस अपने भैया के मुंह मे देख के पूरा गरमा गई...

और बिमलेश सारा मलाई को एक बार मे हिं पी जाता है और बोलता है बहन मलाई तो खटमीठी थी...

जुली- ओहो भैया लगता है सेब के बगल में थोड़ी नमक दी थी वही मिल गया होगा...

बिमलेश- जो भी बोलो बहन स्वाद लाजवाब है आआआह मज़्ज़ा आ गया अपने हाथ में केला उठाते हुए बहन एक बार उसी मलाई में फिर से भिंगो के लाओ न


अपने भैया के मुंह से ऐसी बात सुन के जुली को ऐसा लग चूत कभी भी रस छोड़ सकती है..



जुली- मुश्कराते हुए भैया के हाथों केले को लेती है और बोलती है
अभी डुबो के लाई और केले को लेके किचेन चली गयी ..

किचेन में जुली तो पेंटी पहनी नहीं थी आते हैं केला को जैसे हिं अपनी बुर में डाली अपने भाई के मुंह से निकली हुई केला और अभी की बातों से जुली बहुत गर्म हो गयी और केले के डालते हैं एक बार फिर से अपनी बुर की सैलाब से केलो को भिंगो दी फिर अपनी चूत में से केले को बाहर निकाल कर प्लेट में रखती है और एक दूसरी केला को अपनी चूत में फसा के नाईटी से दबा लेती है

जुली फ्रूट्स के प्लेट को बिमलेश के हाथों में देती है

प्लेट में अपनी बहन की बुर रस से चमकता हुआ केले को देख के लगा आआआह बहन कितनी गर्मी है जो इतनी पानी छोड़ रही है ...
फिर खेले पे हल्का सा नमक छिट देता है

जुली- भैया नमक क्यों मिला रहे हैं

बिमलेश- पिछली बार गलती से नमक मिल गयी थी लेकिन टेस्ट बहुत अच्छा लगा था इसलिए मिला दिया

जुली दी- ओह अच्छा भैया

केले खाते हुए बिमलेश की नज़र सामने खड़ी जुली के जांघो पे पारी जो बहुत उभरी हुई लग रही थी

सामने से जुली भी अपने भैया के नज़रों से बच के खड़े लंड पे नज़र डाल के देख लेती है जो पूरी तरह लग रहा था खड़ी हो गयी है जीन्स पे पूरी शेप बनाई हुई थी..

बिमलेश- अपने मन मे आआआह जुली की बुर इतना फुली हुई है आआआह लेकिन आगे के तरफ ऊची क्यों लग रही है...
ये सोच रहा था और बड़े चाव से अपनी बहन की बुर से निकली हुई केला को बहन के सामने हिं खा रहा था...

जुली- ओहो भैया पानी कहाँ दी आपको और रूम से बाहर की और निकलने लगती है

बिमलेश- पीछे से अपनी बहन की गदराई गाँड़ पे नज़र टिका देता है आगे पीछे हो रहे गाँड़ को देख रहा था

जुली जैसे हिं गेट के पास पहुंची की दोनों पैर के बीच मे केला गिरा

बिमलेश- आआआह बहन ये केला कहाँ से गिरा आआआह मतलब बहन अपनी बुर में केला पका रही थी तब न मैं सोच रहा था कि इतनी फुली हुई क्यों है आआआह बहन इतनी बड़ी और मोटी केला को इतनी आराम से रख लेती है मेरा केला तो इससे बहुत हिं बड़ा और मोटा है आआआह

उधर जुली को जैसे हिं लगा बुर से केला नीचे गिरी जल्दी से अपनी पैर मार के रूम से बाहर कर दी जिससे भैया की नज़र न पड़े और जल्दी से निकल गयी रूम से

किचेन में जा के आआआह भैया देख लिए क्या ?
ओह साला ये केला भी वही गिरनी थी क्या...

पानी एक ग्लास में भर ली लेकिन इस बार जुली को भैया के पास जाने में बहुत शर्म आ रही थी हिम्मत कर के आती है और भैया को पानी देती है इस बार चुप्पी दोनों तरफ थी..
चुप्पी को तोड़ते हुए

बहन अब निकलना चाहिए

जुली दी- हाँ समय तो हो गया है थोड़ा समय और रहता तो रास्ते के लिए कुछ नास्ता बना देती

बिमलेश- कोई बात नही बहन अभी अभी तो आये हैं इतने टाइम में हिं तो एक अच्छी मलाईदार चाय और मलाई मार के केला खिला दी यही तो मुझे शाम तक कि एनर्जी मिल गया

जुली- किचेन की और जाति है और बांकी बचे केले को लेके आती है और बिमलेश को दिखाती है और बोलती है

जुली- भैया बची केला दे देती हूं रास्ते मे भूख लगी तो खा लीजिएगा

बिमलेश- मुश्करते हुए केला तो बहुत टेस्टी है ख़ास कर इसमे जो मलाई मिलाई वो जबरदस्त थी..

जुली - लेकिन भैया इसमे अभी मलाई मिला दी तो सब केले के खुच्चे में हिं लगा रह जायेगा...और देखनी पडेगी मलाई बची है कि नही

बिमलेश- तो क्या हुआ बहन कुछ न कुछ टेस्ट आ हिं जाएगा और मैं पहले खुच्चे को हिं चाट लूंगा फिर केला खाऊंगा

जुली दी- सरारती अन्दाज़ में भैया आपके पास दिमाग की कमी नहीं..

जुली केले को किचेन लेके चली जाती है
बारी बारी सभी केले को अपनी बुर में डालती है

बिमलेश- आआआह जुली कितनी प्यार से रस लगा रही होगी केले पे आआआह चले जाऊं क्या गेट के पास ? नहीं नहीं ये गलत होगा इतना मज़्ज़ा मिल रहा है दोस्त की बीबी से ये कम है क्या
उधर जुली किचेन में बरी बारी सबी केला को अपनी चूत रस से भिंगो देती है....


जुली केले को लेके बिमलेश को दिखाती है और प्लास्टिक में रख के देने लगती है

बिमलेश - रुको रुको एक केला तोड़ कर जुली को देती हुई बोलती है इतने प्यार से मेरी बहन लाई है केले वो नहीं खाएगी.. क्या

जुली- मुश्करा देती है
और एक केला रख के बांकी केला पैक कर के दे देती है ..

बिमलेश तैयार होके निकलने वाला होता है..

बिमलेश- अपनी ख्याल रखना

जुली - आप भी अपना ख्याल रखियेगा

बिमलेश- सरारती अन्दाज़ में बोलता है मेरी बहन का मेरा दोस्त ख्याल रखता है कि नही..

जुली इतना सुनते हिं बिमलेश की बांहों में चली जाती है बिमलेश भी अपनी हाथ पीछे करके जुली की एक हाथ पीठ पे और दूसरी हाथ सर् पे रख सहलाती है


mourning-cry

जुली - भैया आपको कितनी फिक्र है अपनी बहन की वो मैं अच्छे से जानती हूं.....यदि मेरी सादी मेरे भैया के दोस्त से हुई है तो मेरे भैया को अच्छी तरह पता था अपने दोस्त के बारे में इसलिए न मेरी सादी कराए

बिमलेश- हाँ बहन तुम भी उसकी बहुत केयर करती हो मुझे दोस्त बहुत बार बोला है जैसा मेरा अच्छा दोस्त है उसी तरह मेरी बहन भी अच्छी है...

जुली- अपनी सर् उठाते हुए बिमलेश भैया के आंखों में देखती हुई बोलती है सच कहूं भैया आपके दोस्त मुझे बहुत प्यार करते हैं ...ये सब मेरे भैया के वजह से पॉसिबल हुआ है...

बिमलेश- अपनी बांहों में जोर से जुली को दबाते हुए मेरी वजह से नही बल्कि तुम हो हिं ऐसी की दिल जीत लेती हो...


hugging-cry

जुली को अपने नाइटी में अपनी चूत के ठीक ऊपर चुभन मशसुस होती है अपनी सिर नीचे करते हुए बोलती है भैया आज बहुत दिनों के बाद मैं अपनी भैया के बांहों में हुन मुझे आज भी याद है मुझे किस तरह आप अपनी गोद में लेके सुलाते थे...

इधर बिमलेश को भी अपने सीने पे अपनी बहन की दोनों चूची का का दबाब महसूस होता है और लंड फुफकार मरता है

जुली को महसूस होता है जैसे कि चूत में घुस हिं जाएगा बिल्कुल दोनों लिप्स के बीच मे ठोकर मार रहा था वो तो बस एक पतली नाईटी रुकावट डाल रहा था..

बिमलेश- अपनी दोनों हाथ से जुली की फेस को पकड़ता है और ललाट पे अपना होंठ सटा के चुम लेता है..



जुली भी अपनी दोनों हाथ बिमलेश के गले मे फस के अपनी बॉडी बिमलेश के बॉडी से रगड़ती हुई थोड़ी ऊची होके भैया के ललाट पे किस करता है


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जुली के ऊपर होते टाइम चूत बिल्कुल बिमलेश के लौड़ा भी घिस गयी थी
जुली के ऐसा करने से बिमलेश की आंखे बंद हो गयी रोमिचित हो गया
फिर दोनों अलग गए फिर कुछ देर में बिमलेश गाड़ी पकड़ने बाहर चले गए..गेट टक जुली छोड़ दी फिर गेट लॉक कर बैडरूम आती है
बेडरूम में जाते हीं जुली अपनी नाईटी को अपने बॉडी से निकाल लेती है और बिमलेश भैया जो केला खाने दी थी उसे अपनी मुंह मे केले चूसने लगती है और अपनी हाथ से कसमिन बुर सहलाने लगती है आंख बंद कर थोड़ी देर पहले अपनी भैया के लौड़ा की चुभन को अपनी चूत पे महसूस करती है और फिर केला को अपनी बुर में लेके आगे पीछे करने लगती है ...

अपनी मोबाइल उठा के उसमे एक मैसेज टाइप करती है

*********....


और भेज दी

उधर बिमलेश के मोबाईल की रिंग बजी लेकिन भीड़ के कारण उसे सुनाई नहीं दिया

1 घंटे बाद

बिमलेश गाड़ी पर बैठ के जैसे हिं अपना मोबाइल निकलता है...इनबॉक्स में जुली के नाम से एक मैसेज दिखाई पड़ता है

जैसे हिं इनबॉक्स ओपन करता है सामने स्क्रीन पे




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आआआह जुली सच मे कितना गरमाई हुई है इस मैसेज पढ़ के हिं पता चल रहा है राकेश के बदले मुझे हिं भेज दी
बिमलेश मुश्कराते हुए मन मे सोचता है.. बुर की गर्मी की असर है हा हा हा हा...


शाम में राकेश आफिस से आता है

जुली बेसब्री से इंतजार कर रही थी राकेश के आते ही राकेश के बॉडी से चिपकते हुए बोलती है..जानू विग्रा टैबलेट खा के आये हो न

राकेश- आश्चर्य से जुली को देखता है

जुली - ऐसे क्यों देख रहे हो जी नहीं खा के आये हो क्या

राकेश- लेकिन अभी क्यों खा के आऊ..

जुली - भागती हुई अपने मोबाइल चेक करती है और सर् पे हाथ लेके बोलती है हे भगवान ये मैने क्या किया

पीछे से राकेश अंदर जाता है और जुली को सोच में डूबी हुई देखता है और बोलता है क्या हुआ जुली अभी तो फूल मूड में थी और अब ऐसे
और राकेश का ध्यान उसकी हाथ से मोबाइल पे गया और अपना हाथ बढ़ा के जुली के हाथ से मोबाइल लेना चाहा
लेकिन जुली हाथ झपट ली
दोनों में मोबाइल लेने के लिए कुश्ती जैसे हो गयी

राकेश जुली को बेड पे सुला के चढ़ गया और अपने हाथ से जुली के हाथ को दबा दिया फिर भी जुली पूरी ताकत लगा दी मोबाइल नहीं छोड़ रही थी..

राकेश जुली को गुदगुदी लगा देता है और एक झटके में जुली के हाथ से मोबाइल लेके बाथरूम में भाग जाता है

बाथरूम में राकेश ,जुली की मोबाइल में मैसेज चेक करता है व्हाट्सअप ,मैसेंजर सब जगह चेक करता है कुछ नहीं मिलता है और फिर अंत मे इनबॉक्स चेक करता है उसमे bimlesh bhaiyya को एक मैसेज किया हुआ था उसे ओपन करता है


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मेसेज पढ़ के मुस्करते हुए राकेश बाहर आता है और जुली को छेड़ते हुए बोलता है मेसेज करती हो भाई को और चोदने आएगा पति हा हा हा हा ...

जुली शर्मा जाती है और बोलती है मैं इतनी गर्म हो गयी कि मुझे पता हिं नही चली कहाँ भेज दी मैसेज

ओह! भैया मेसेज पढ़ के क्या सोच रहे होंगे

राकेश- सोच क्या रहे होंगे

यही सोच रहे होंगे मेरे सबसे अच्छे मित्र की बीबी जुली बहन कितनी चुदासी है कि अपने पति के बदले अपने पति के दोस्त बिमलेश भैया को भेज दी

जुली - अब भैया जो सोचे पहले मुझे जम के चोदिये...

राकेश-मैं चोदु या मेरा दोस्त ..

जुली- मैं वो सब नहीं जानती अपनी बुर दिखाते हुए
देखिये कैसी हाल हो गयी है रो रही है लंड के बिना...
दोनों के बीच चुदाई शुरू हो जाती है..

चोदते टाइम बीच मे राकेश जुली बुर में लौड़ा आगे पीछे करते हुए पूछता है
सच बोलो न जुली बिमलेश को जान बूझ कर मेसेज की थी
जुली- पागल है क्या आप ऐसे कैसे कर सकती हूं आप मुझे चोद रहे हैं लेकिन मेरी ध्यान उसी बात पे हैं भैया का सामना अब कैसे करूंगी.. मुझे पता हिं चल रही है ये मेसेज भैया को कैसे भेज दी मैं

राकेश - मुश्करते हुए पूछता है अच्छा पहले तो इनबॉक्स में मेसेज नही करती थी आज इनबॉक्स से मेसेज क्यों...

जुली- नीचे से अपनी जोरदार धक्का लगाई और बोली इसलिए क्योंकि मेरी बुर को तभी लंड की बहुत जरूरत थी वहां इसलिए मैसेज की जल्दी से देख सको व्हाट्सएप के लिए नेट का ऑन होना भी जरूरी है...

राकेश- आआआह इतनी जोर से धक्का क्यों मरती हो ..आआआह अच्छा हुआ तबी नहीं आया नही तो जान ले लेती ये बुरवाली

जुली- हा हा हा अभी भी नही छोड़ने वाली..

और दोनों के बीच दमदार चुदाई होती है..

दूसरी और

राहुल को आज मन नहीं लग रहा था दीदी जीजू लोग चले गए ..मम्मी पापा भी आ गए थे दिन भर तो ऐसे हिं नार्मल तरीके से बीत गया थोड़ी बहुत बबली से बात हुई ..कुछ देर पढ़ाई किया बबली के साथ इसी तरह रात हो गया आज भैया भी थे नही घर मे जो कोई चुदाई देखने का जुगाड़ करता ...और जल्दी सो गया..

सुबह करीब 6 बजे नींद खुली एक दोस्त के कॉल आने की वजह से खुली उसे एक फ़ोटो चाहिए थी..मैंने ओके बोल के फ़ोन कट किया अपने मोबाइल में ढूंढने लगा पिक लेकिन मिल नहीं रहा था फिर मुझे याद आया वो भाभी के मोबाइल में पिक है अर्जेंट था तो मैं बाहर निकला भाभी के रूम की तरफ लेकिन अभी खुशी भाभी सो हिं रही थी

2-4 बार गेट नॉक करने पे भी नही खोली तो भाभी के नंबर पे कॉल किया

खुशी भाभी- बिल्कुल नींद से जगने वाली आवज़ में क्या हुआ देवर जी

मैं- भाभी गेट खोलिए न एक पिक लेनी है आपके मोबाइल में है

खुशी भाभी- ठीक है
3-4 मीनट हो गया था भाभी गेट नहीं खोली
मैं सोचने लगा आज कौन भैया साथ मे सोए हैं जो नंगी होगी और कपड़ा पहन रही होगी...

इतने में गेट खुली
अपनी आंख मलते हुए बोलती है

खुशी भाभी- इतनी सबेरे क्या जरूरत पड़ गयी

मैं- वो अर्जेंट है

भाभी मोबाईल की तरफ इशारा करते हुए बोलती है वहां है
और भाभी शायद बाथरूम की तरफ चल दी..

मैं भाभी के मोबाइल में जो पिक लिया उसे अपने नंबर पर भेज लिया जस्ट नीचे भैया के नाम की मेसेज थी

मैं सोचा जरा देखू क्या बात की है
OMG ये क्या मेरी तो आंखे चौंधिया गयी ...
मैं जल्दी जल्दी...***** लिया


आगे का अपडेट बेहद धमाकेदार होने वाली है

......अगले अपडेट में
 

Castle2126

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UPDATE 26

जैसे हिं मैं व्हाट्सएप में नीचे स्लाइड किया नीचे बिमलेश भैया की मेसेज थी....
उसको जैसे हिं खोला सामने की हुई बात पे तो बाद में नज़र गया उसमे एक फोटो देख के हिं मुझे सारा माजरा समझ आ गया..

मैं जल्दी से स्क्रीनशॉर्ट लेना शुरू कर दिया मेरा उंगली इतनी फ़ास्ट चल रही थी क्योंकि डर लग रहा था भाभी कभी भी आ सकती है. मैं जल्दी जल्दी स्क्रीनशॉर्ट लिया और अपने मोबाईल पे भेज लिया और भाभी के मोबाइल से डिलीट फ़ॉर मी कर दिया और सारी स्क्रीनशॉर्ट भी डिलीट कर दिया और जल्दी से भाभी की मोबाइल बेड पे रख के अपना मोबाइल छेड़ छाड़ करने लगा....

मोबाईल रखे कुछ हिं सेकंड हुए थे कि खुशी भाभी रूम में आई उसे देख के ऐसा लग की बहुत बेचैनी हो लेकिन जैसे हिं उसकी नज़र अपने मोबाइल बेड पे देखी शांत हो गयी..

मैं- क्या हुआ भाभी ठीक तो हो न

खुशी भाभी- हाँ ठीक हुन

मुझे माजरा समझ आ गया कि भाभी को याद आ गयी इसलिए वो हरबराती हुई आई..मैं वहां से निकलना हिं बेहतर समझा

मैं- भाभी मैं तो चला सोने साला इनको अभी हिं काम लगा था फ़ोटो का नींद भी पूरी नहीं हुई सुबह के टाइम में नींद अच्छी आती है

और अपने रूम में आ गया फिर गेट लॉक किया
सबसे पहले तो अपने मोबाइल खोल के स्लाइड करके जो पिक दोस्त को भेजनी थी उसको भेज दिया

और फिर वो मेसेज देखने लगा उसमे स्क्रीनशॉर्ट आगे पीछे हो गया ...
उसको सीरियल रूप से पढ़ने के लिए मैसेज में जो टाइम थी उससे अरेंज किया...फिर एक एक करके पढ़ने लगा..

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आआआह बहुत हिं इनट्रेस्टिंग लग रहा था ..बहुत उत्सुकता के साथ पढ़ रहा था ...



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मैं अपने मन मे वाह भैया भाभी के प्यार वाह मज़्ज़ा आ गया..


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वाह भैया मज़्ज़ा आ गया अपने नानाजी के यहां तो उस सुनसान जगह और गन्ने के खेत के बीच मे आआआह बहुत सुंदर बोले भैया हनीमून तो खुले आसमान के नीचे में हिं मज़्ज़ा आता है ..आआआह आखिर भाई किसका हूँ..

ये चैट पढ़ते पड़ते परसो रात सादी सालगिरह वाली एक एक सीन मेरे आंखों के सामने भी आने लगे ..

आगे भैया भाभी क्या बात किये जानने के लिए उत्सुक हो रहा था लेकिन मैं पूरे रस से साथ पढ़ना चाह रहा था...

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वाह भाभी क्या लाइन बोली है " कहाँ चोद के बच्चा दीजिएगा वाह मतलब अब भाभी गाभिन होना चाहती हैं

मुझे बहुत मज़्ज़ा आ रहा था मैं अपना लौड़ा बाहर निकाल के एक हाथ से सहलाते हुए बिमलेश भैया और ख़ुशी भाभी की सेक्सी चैट का मज़्ज़ा लेने लगा


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मैं अपने लंड मसलते हुए बोला मेरे हिं बेड पे चुदवा के गाभिन हो जाईये भाभी


फिर आगे की चैट को पढ़ने लगा

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वाह भैया सबसे ज्यादा भाभी को उसी के घर मे चोदते हैं...

वाह भाभी आप दिखने में हिं सुंदर नहीं हो आपकी बाते भी बहुत सेक्सी हो रही है आआआह

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वाह भैय्या आप हिं भाभी को एक्सपर्ट बनाये हैं वाह
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आह भाभी आपकी फेवरेट पोजीशन में तो पूरा लौड़ा जाएगा बुर में आआआह
आह कितना रोमाटिंक हैं भैया भाभी..

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आआआह भाभी ये चीज तो मैं मैं परसो की चुदाई में देख लिया था किस तरह झरने के बाद भी आपको बांहों में रखे हुए थे....

आआआह भाभी आपकी चुदाई देखना जितना मजेदार है उससे ज्यादा तो मुझे अभी आ रहा है आआआह..

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आआआह मेरी प्यारी भाभी मैं चढ़ जाऊ ...
आह भाभी के मुंह से लोढ़ा सुन के कितना अच्छा लग रहा है आआआह

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आह भाभी आआआह कितनी मस्त बुर है आपकी आआआह उस दिन तो आपकी बुर केक से सनी थी आआआह दूर से क्लियर दिखाई भी नही पर रहा था आआआह क्या मस्त बुर है और बुर पे कितना अच्छा रेशमी झांट है आआआह मेरी भाभी आपकी बुर में आआआह जब मेरा पूरा लौड़ा आपकी फेवरेट पोजीशन में आपके दोनों पैर अपने कंधे पे लेके अपना ये..

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लौड़ा से आपकी बुर को हुमच हुमच कर चोदूँगा आआआह भाभी आप सच मे बहुत कमसिन हो आआआह


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कितनी अच्छी हो भाभी आप आपकी ये आंखे , आपकी ये रसभरी होंठ आआआह जान लेवा और आज आपकी रस भरी बुर भी देखने का मौका करीब से फ़ोटो में हिं सही आआआह आआआह आपकी बुर भी बहुत मस्त है अपनी बुर चटवा लो न अपने दुलरवा देवर से आआआह..

आआआह जरा अपनी प्यारी भाभी की बुर को ज़ूम करके देखू ..कितना बड़ा छेदा किये हैं भैया को...


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आआआह भाभी चाट रहा हूँ आपकी झांट से लच्छेदार बुर आआआह आआआह ये मेरा लौड़ा को क्या आआआह मैं आसमान में उर रहा हूँ..आआआह आआआह ले लो अपनी बुर में मेरा रस आह आआआह

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लौड़ा से रस निकाल जाने के बाद सोचा बाद में आगे का पढूंगा 5 मीनट भी नहीं हुए कि फिर लौड़ा खड़ा होने लगा आगे क्या बात हुई जानने के लिए..

14.

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आआआह भैया लगता है भाभी को ठीक से आप चोदते नही है खुशी भाभी की बुर को मेरा लौड़ा ठंडा कर सकता है आआआह भाभी आइये न मैं बिल्कुल न्यू लुक में आपका बुर की झांट को ट्रिमिंग कर दूंगा आआआह भैया वीडियो कॉल आआआह मेरी लौड़ा बिल्कुल खाली है ले लो न अंदर भाभी आआआह

15.

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भाभी बुर में फिंगर डालने की चीज नहीं बुर में तो मोटा लंबा लौड़ा डालने की चीज है आआआह आपको चोदने में सच मे बहुत मज़्ज़ा आएगा आपकी बातों से लग रहा है अंदर से आप कितनी गर्म और रसीली हो

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वाह भैया मज़्ज़ा आ गया आप फीमेल की दर्द को अपना दर्द समझ के प्यार करते हैं सच मे महिला के लिए पीरियड के दिनों बहुत कठिनाई वाली होती है ..

आआआह मेरी मुंह मे हिं मूत दो न भाभी ..आआआह

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आआआह भाभी कितना मधुर साउंड है आआआह ( मैं वो पिक और साउंड रिकॉर्ड भी सेंड कर लिया था)

आआआह क्या भाभी अपने मायके में क्या की होगी ये तो पक्का है भाभी पेसाब की होगी तभी न ये बात बोले आआआह भैया के लौड़ा पे पेसाब किये होंगे भाभी य्या फिर भैया के मुंह मे अपनी बुर सटा के बुर की प्रेशर से धार छोड़े आआआह कितना मस्त वो पल होगा आआआह

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वाह भैया क्या बात है दोनों दोस्त एक जैसे रात में जुली दीदी को खुली छत पे चोदे जीजू हॉट पेंट पहना के आआआह
भाभी कैसा लगेगी हॉट पेंट में आआआह


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आह मज़्ज़ा आ गया
थैंक्स दोस्त आज यदि तुम कॉल नहीं करते और वो पिक नहीं मांगता और मैं उस दिन भाभी के मोबाइल में वो पिक क्लिक नहीं क्या होता तो आज ये हसींन चीजो से दूर रह जाता


और फिर मैं सो गया..
Nibhai sahab kitni meticulously planned h ouri story aur ye chat... Real feel Kara rhi h....
 

Castle2126

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UPDATE 27


आपने पढ़ा कि किस तरह सुबह सुबह खुशी भाभी के मोबाइल से बिमलेश भैया और खुशी भाभी की सेक्सी हॉट चैट पढ़ने के बाद अपना मुठ मार कर सो गया....


आगे....

सुबह के करीब 9 बज रहे थे....

राहुल की नींद खुलती है गेट के खटखटाने से...
राहुल अपनी लोअर को ठीक से पहनता है और गेट खोलने जाता है...

जैसे हिं गेट खोलता है सामने रेखा माँ खड़ी थी...

रेखा माँ- बेटा आज इतनी लेट तक सो रहे हो ...

मैं- हाँ मा रात में लेट से सोया था और सुबह दोस्त ने कॉल कर के जगा दिया इसलिए नींद नही पूरी हुई....

रेखा माँ- कोई नही बेटा जल्दी फ्रेश हो जाओ..

मैं- ओके माँ..

राहुल बाथरूम में फ्रेश होने के लिए चला जाता हूँ
कुछ देर फ्रेश होने के बाद किचेन की और जाता हूँ

सामने देखता हूँ कि खुशी भाभी आटा गुथ रही है.....पीछे से खुशी भाभी की सेक्सी गांड देख मन हिं मन आहें भरता है आआआह पूरी की पूरी सेक्सी है जब इतनी सेक्सी चैट करती है आआआह तो अंदर से तो और हिं खतरनाक होगी ऐसा लगता है भैया ठीक से सेवा नहीं देते हैं खुशी भाभी को....ये सोच के आगे बढ़ता है बिल्कुल करीब जा के

मैं- गुड मॉर्निंग


खुशी भाभी- पीछे घूमते हुए .गुड़ मॉर्निंग


मैं -मेरी प्यारी भाभी जी एक कप कड़क चाय मिलेगी...धीरे से बिल्कुल आपकी तरह..

खुशी भाभी - वाह देवर जी इतनी प्यार अपने भाभी पे और अपने मन में (वो तो मैं बहुत कड़क हूँ ही)

मैं- जब मेरी भाभी हिं इतनी प्यारी है तो क्या करूँ..

खुशी भाभी- अच्छा, अभी बनाती हूँ हाथ धो के अपने प्यारे देवर जी के लिए चाय

खुशी लगे बेसिन में हाथ धोने लगती है और राहुल पीछे से उनकी गाँड़ को देख के आह कितनी मस्त है और उनका लौड़ा कब खड़ा हो जाता है उसे पता भी नही चलता है...

खुशी चाय बना रही थी उसके पीछे राहुल चाय बनता हुआ देख रहा था और उनकी नज़रों से बच के एक बार गाँड़ भी देख लेता था

इधर गेट के पास बबली आ जाती है किचेन में कुछ काम था वो सामने देखती है भाभी हाथ मे डब्बा लिए कुछ डाल रही है और उनके ठीक पीछे भाई खड़ा है जैसे हिं बबली अपनी नज़र थोड़ा नीचे करती है कि अपने भाई के लोअर में बने तंबू पे जाति एक पल तो बस बबली देखते हिं रह जाती है ...फिर बबली किचेन में जाती है...

बबली- गुड मॉर्निंग भाई

मैं- गुड़ मॉर्निंग बहन ...

बबली की नज़र न चाहते हुए भी बार बार राहुल के लोअर में चला जा रहा था आज पहली बार ऐसा था कि बबली अपने सगे भाई की लोअर में देख रहा था उठा हुआ ऐसे हिं एक बार राहुल की नज़र बबली पे पड़ती है और वो नोटिस करता है उसे हिं देख रही है और जब राहुल अपनी नज़र नीचे करता है तो उसे पता चलता है ये साल इतना खड़ा कैसे हो गया इतने में हिं..

खुशी भाभी- लीजिए ये कड़क चाय..

मैं- धन्यवाद भाभी जी

राहुल वहां से चाय की कप लेते अपने कमरे में आ जाता है और सोचने लगता है अभी की बातों पे की कैसे बबली देख रही थी अपने मन से हटना चाह रहा था इस बात को और मन हिं मन सोच रहा था अभी तो कुछ ऐसी बात नही हुई फिर क्यों खड़ा हो गया ..

उधर किचेन में

खुशी भाभी- क्या चाहिए मेरी ननद रानी को...

बबली- फल की थैली में से एक सेब निकाली हुई बोली यही चाहिए थी भाभी...

खुशी भाभी- थोड़ा बबली के पास आती हुई धीरे से बबली के कान के पास आ के बोली...केला खाने की उम्र में ननद सेब खा रही है"

बबली बात तो समझ ली थी लेकिन अनजान बनते हुए

बबली- क्यों भाभी केला हिं क्यों सेब नहीं खा सकती क्या

भाभी- अरे ननद रानी केला में सारे पौष्टिक मिल जायेगा एक साथ....सेब में वो पौष्टिक तत्व नहीं ( अपनी एक हाथ से बबली की गाँड़ पे हाथ रखती हुई बोली)

बबली- अच्छा ऐसा क्या फिर आप तो खाती होंगी फिर

खुशी भाभी- हाँ मैं तो खूब खाती हूँ बस दो दिन से नहीं खा रही हूँ

बबली फल की टोकरी से एक केला लेते हुए खुशी भाभी की और बढ़ाती है और बोलती है

बबली- ये लो भाभी केला रहते हुए भी नहीं दो दिनों से नहीं खाये आप

खुशी जोर से हँसती है (बबली की नादानी पे या फिर चालाकी पे)

बबली- क्यों हँस रहे हैं भाभी

खुशी- अरे मैं केला खाऊँगी कैसे जब तुम्हारे भैया घर पे हैं हिं नहीं

बबली- अपनी सर् पे हाथ लेते हुए बोलती है है भगवान!
( अपनी मन मे ये भाभी भी न कहाँ की बात कहां ले चली गयी)

खुशी भाभी- क्यों ननद रानी अब समझ मे आई मेरी बात

बबली- मैं क्यों खाऊ केला आपको तो लाइसेंस मिल गयी है केला खाने की आप खाओ

खुशी भाभी- क्यों ननद रानी भी कहीं सेट कर के केला खा हिं सकती है ना केला खाने लायक तो पूरी तरह से हो गयी है

बबली- न भाभी ये पढ़ने की ऐज है केला खाने की नही

खुशी भाभी- मतलब डायरेक्ट सादी में हिं उससे पहले कोई एक्सप्रेइंस नहीं ..

बबली- हां सादी में हिं

खुशी- ननद रानी केला की टेस्ट चखी नहीं ना हो एक बार चख लोगी न हर वक्त खाने का मन करेगा..

बबली- आप हिं खाओ भाभी ...
अपनी मुंह बनाते हुए मोटा मोटा केला

और भाग जाती है..


कुछ देर में सभी नास्ता के टेबल पे आ जाते हैं

राहुल के ठीक सामने बबली बैठी थी
मेरे बगल में पापा और पापा के सामने भाभी अपनी थाली लगा ली थी लेकिन अभी खिला रही थी

बबली और राहुल दोनों में कोई एक दूसरे से नज़र नहीं मिला रहे थे...


नास्ता में आलू पराठा बनी थी साथ मे धनियां की चटनी

राहुल- वाह भाभी क्या मस्त की चटनी बनाई है आआआह मज़्ज़ा आ गया बहुत हिं कड़क है..

शंकर- सच मे बहुत कड़क है लग रही है बहुत तीखी मिर्च निचोड़ की मिलाई हो बहू

खुशी भाभी- हाँ पापा ठंड है ना थोड़ी तो कड़क होनी चाहिए न...ताकि ठंड कुछ कम लगे

शंकर- हाँ बहु सही बोली..


शंकर बबली और राहुल की और देखते हुए बोलता है अभी कोई एग्जाम भी है क्या?

बबली- हाँ पापा अगले महीने के 11 तारीख से स्टार्ट है जो एक मोन्थ तक चलेगी उसी बीच कभी भी हो सकती है..

राहुल- हाँ आज तो एडमिट कार्ड भी आने वाली है..

बबली- राहुल की नज़र से नज़र मिलाती है और पूछती है कितने बजे आएगी..

राहुल - 12 बजे

शंकर- ठीक है तैयारी करो अच्छे से

बबली और राहुल दोनों एक साथ- हाँ पाप

इसी तरह नास्ता हो गयी..

नास्ता करने के बाद राहुल अपने कमरे में जाता है थोड़ा देर इधर उधर करता है उसका मन एक बार फिर वही चैट पढ़ने के मन करने लगता है बड़े हिं गौर से पढ़ रहा था और एक एक बात कॉपी होते जा रहा था माइंड में और अपनी खुशी भाभी की रसीली बात से एक बार फिर लौड़ा खड़ा हो जाता है...

राहुल अपने लौड़ा को हाथ मे पुचकारते हुए बोलता है तुम टेंशन नहीं लो दोस्त मुझे उम्मीद है तुझे कोई खास दोस्त मिलने वाली है राहुल उस चैट को मोबाइल के लॉकर में रखने लगता है और जब लास्ट वाली पिक भाभी की बुर की आई उसे मोबाइल के स्क्रीन पर से हिं चुम लिया..


दोपहर के 12 बज चुके थे बबली अपनी मोबाइल में इधर उधर छेड़ रही थी कि अचानक उसे याद आती है एडमिट कार्ड के बारे में वो साइट पे आ चुकी थी
जल्दी से अपनी एप्पलीकेशन नंबर निकलती है डायरी में से और अपनी एडमिट कार्ड चेक करती है...

स्क्रीन पे एडमिट कार्ड आ चुकी थी
देखते हिं बोलती है Omg इतनी दूर सेन्टर फिर एग्जाम की डेट देखती है 31 दिसंबर को थी भागते हुए राहुल के रूम जाती है

राहुल लेटे हुए एक बुक पढ़ रहा था

बबली- भाई आपकी एप्लीकेशन नंबर क्या है

राहुल- इतनी परेशान क्यों हो?

बबली- अरे भाई दो तो सही

राहुल- अपनी मोबाइल निकलता है उसमें से देख के बोलता है

बबली- नोट करती है और डी ओ बी डालती है और सर्च बटन पे क्लिक करती है कुछ देर ऐसे हिं चलती है फिर एक पेज ओपेन होती है

बबली अपनी एक हाथ अपने सीने पे रख के दूसरे हाथ से स्लाइड करती है और कुछ देर बाद अपनी आंखें बंद करके दिल के पास अपनी हाथ थपथपाती हुई थैंक गॉड बोलती है..

राहुल- अरे हुआ भी क्या जो ऐसे कर रही हो

बबली- भाई पूछ मत एक पल तो ऐसे लगी मुझे की मैं एग्जाम हिं नही दे पाऊंगी

राहुल - वो क्यों

बबली- तुम्हें पता भी है एग्जाम सेन्टर कहाँ दिया है

राहुल- वो तो पता नही लेकिन जहां भरा था वो सेन्टर को हटा दिया गया है

बबली - खुद हिं देख लो

और अपनी मोबाइल की स्क्रीन राहुल को दिखाती है

राहुल मोबाइल की स्क्रीन देखते हुए

क्या इतनी दूर सेन्टर दी है ओह
6 जनवरी को एग्जाम है

राहुल- तुम्हारी कहाँ है छोटी

बबली- अब समझे कि मैं इतनी परेशान क्यों थी

राहुल- हाँ समझ गया जिस तरह थैंक गॉड बोली मतलब तुम्हरी भी उसी जगह है

बबली- सही पकड़े

राहुल- लेकिन है कब सही पकड़े की नानी

बबली- 31 दिसम्बर को भाई

राहुल - हँसते हुए फिर चली जाना अकेली और क्या मैं तो 3 जनवरी की टिकट बना लूँगा

बबली- अच्छा फिर मेरे साथ क्या मेरी अब्बा जाएगी एग्जाम दिलाने

राहुल- हा हा हा हा चली जाना अब्बा के साथ

बबली- अच्छा ,पापा के सामने तो हवा टाइट हो जाती है मेरे सामने कितना मुंह चला रहा है..

राहुल- तुम तो ऐसे बोल रही हो जैसे कि..

बबली- वो छोड़ न भी ये बताओ न अब तो एग्जाम की डेट भी आ गयी जितनी तैयारी होनी चाहिए वो नही हुई है

राहुल- जा के पढ़ो और क्या..

बबली- वही तो नही हो पाती है

राहुल- क्यों

बबली- वो मैं तुम्हें कैसे बताऊ

राहुल- हँसते हुए क्यों कोई आ गया है क्या लाइफ में

बबली- नहीं लेकिन पढ़ नहीं पाती हूँ

राहुल- आखिर क्यों बताओगी तब तो

बबली- अब क्या बताऊ अपनी मोबाइल दिखाते हुए ये मन को दूसरी दुनिया मे लेके चली जाती है

राहुल- अच्छा ऐसा क्या करती हो जो..तुम बता क्यों नहीं रही हो पाता होनी चाहिए हमदोंनो एक अच्छे दोस्त है

बबली- हाँ बिल्कुल



बबली राहुल के बेड पे लेट जाती है और अपनी एक हाथ राहुल के गले मे डाल देती है और प्यार से बोलती है..

बबली राहुल की आंखों में देखते हुए बोलती है भाई मुझे फर्स्ट अटेम्प में पिटी क्लियर करनी है इसमें मेरे प्यारे भाई यदि सहयोग दे तब हो सकती है...क्योंकि एग्जाम में बस 1 मोन्थ बचे हैं

राहुल अपनी हाथ से बबली की गालों को प्यार से खींचते हुए बोलता है

जब इतनी प्यारी बहन हो तो उसकी मदद तो पूरी जिंदगी भर करने के लिये तैयार है उसका भाई...

बबली- वही तो चाहिए मुझे भाई से

राहुल- बिल्कुल मदद करूंगा

इसी तरह दोनों बातें करता है कुछ देर...

रात में डिनर टेबल पे

सबसे पहले राहुल उसके बगल में शंकर उसके बगल में रेखा , राहुल के सामने खुशी और खुशी के बगल में बबली खाने के टेबल पे बैठे थे

शंकर - वाह मज़्ज़ा आ गया क्या मटन बनाई है वाह किसने बनाई है बहु

खुशी- मुश्कराते हुए मम्मी बनाई है , पापा

राहुल- सच मे बहुत हिं अच्छी बनाई है माँ की बनाई हुई हाथ की खाना तो लाजवाब होगी हिं पापा

शंकर अपनी मन में बेटा तुम्हारी मम्मी बेड पे भी लाजवाब है और अपनी बाएं हाथ रेखा के सारी के अंदर पेटीकोट और पेंटी के अंदर से बुर पे लेके जाती है
जैसे हिं रेखा को महसूस हुई वो अपनी हाथ नीचे लेजाकर रोकना चाही लेकिन शंकर ने आंखों के इशारा से मना लिया
रेखा को
शंकर अपनी फिंगर से रेखा के दोनों फांको को सहला दिए और अपनी चुटकी से रेखा की बुर को मिस दिया जोर से

अचानक ऐसे होने से रेखा को एक दर्द सी हुई और उसकी दर्द उसकी फेस पे झलक गयी..बबली की नज़र माँ पे पड़ी

बबली- माँ क्या हुआ आपको

शंकर- बबली की आवाज़ सून के जल्दी से अपनी हाथ रेखा के साड़ी से निकाल लेता है

रेखा- नहीं बेटी कुछ नही बस पैर में थोड़ी दर्द थी वही थोड़ी इधर उधर की तो दर्द करने लगी

खुशी- मम्मी आपको मैं बोल रही थी न मैं हिं बना लेती हूं

रेखा- अरे बहु इतनी भी दर्द नहीं है वो तो बस थोड़ी सी

बीच मे रेखा सबसे बच के एक बार अपनी आंख दिखती है शंकर को , शंकर समझ गया वो गलती किया इसलिये

बात को बदलते हुए शंकर बोलता है

बबली और राहुल से

वो एडमिट कार्ड आने वाली थी आज आई क्या

बबली फाटक से बोली हाँ पापा - आ गयी लेकिन सेन्टर हिं बहुत दूर है

शंकर- अच्छा कहाँ है ? और कब है?

बबली- **** 31 दिसम्बर को

शंकर - इतनी दूर और राहुल का कहाँ है

राहुल- उसी शहर में 6 जनवरी को

शंकर- अच्छा

बबली- लेकिन पापा भाई बोल रहे हैं मैं तो 3 जनवरी की टिकट बना के निकल जाऊंगा

राहुल- अपनी आंख बबली को दिखाते हुए पापा से बोलता है नहीं पापा मैं तो बस ऐसे हिं

शंकर- जब जाने आने में हिं तीन दिन लग जाएंगे उससे बेहतर होगा वही रुक के दोनों एग्जाम देके वापस आना

राहुल- हाँ पापा , टिकट देखता हूँ

बबली राहुल की और देखती हुई बोलती है भाई रात में आप तो लेट से सोते हो न

राहुल- हाँ लेकिन वो क्यों

बबली- मैं ज्यादा देर तक नहीं पढ़ पाती हूँ रात में इसलिए भाई के साथ में हिं रात में सेट बनाउंगी

राहुल- नहीं जरूरत नहीं है

बबली- पापा इनसे बोलिये न ये तो लगातार पिटी की एग्जाम और अब मेंस भी निकाल रहे हैं मेरी हेल्प भी हो जाएगी और मैं चाहती हूँ पहली बार मे हिं पिटी क्लियर करू

शंकर- राहुल की और देखते हुए बोलता है
बेटा बबली के पढ़ाई के प्रति लगन देख के मन खुश हो जाता है जो ये चाहती है उसमें इसकी मदद करना

राहुल- बबली की और देखते हुए ..
ठीक है लेकिन एक शर्त पे जब भी मैं सेट बनूंगा बीच मे न कुछ बोलोगी न पूछोगी...

बबली- हा हा हा हा लोल हो भाई आप एक तो मुझे सेट बनाने में कब टाइम निकल जाती है और क्वेश्चन बची हिं रह जाती है तो उतना टाइम कहाँ जो बीच मे आपको डिस्टर्ब करू

राहुल- फिर तब ठीक है

इस तरह खाना फिनिश कर के अपने अपने कमरे में चले जाते हैं..

राहुल अपने बेड पे लेट जाता है कुछ देर में बबली भी एक बुक हाथ मे लिए आती है

बबली बेड पे बैठ जाती है

राहुल- पापा के सामने मेरी टांग खिंचने में बहुत मज़्ज़ा आती है न तुम्हें

बबली- नहीं भाई ऐसी बात नहीं है मैं तो बस ऐसे हिं बोल दी हंसी के लिए जबकि मुझे अच्छी तरह पता थी कि आप साथ हिं चलोगे

राहुल- तुम भी न , ऐसे दिन में अधूरी हिं रह गयी थी

बबली- वो क्या भाई

राहुल- यही की तुम्हें मोबाइल दूसरी दुनिया मे कैसे लेके चली जाती है

बबली- मुश्करती हुई अब कैसे बताउ आप मेरे भाई हो..

राहुल- अच्छा अभी भाई हुन और हर टाइम बोलते रहती हो एक भाई के साथ अच्छी वाली दोस्त हो

बबली- वो तो हो हिं

राहुल- फिर छुपा क्यों रही हो

बबली- भाई इतना समझ लो अभी अपनी रूम में रहती तो मेरे मोबाइल में खुल जाती

राहुल - हा हा हा हा हा

बबली- क्या हुआ हस क्यों रहे हो

राहुल- तुम्हारी बातों पे और तुम जो मेरे कमरे में आई अब तो मेरा भी सत्यनाश

बबली- सत्यनाश क्या मैं समझी नहीं

राहुल- हँसते हुए अब तो जब तक साथ रहोगी मेरी मोबाइल भी दूसरे दुनिया में लेके जाती है ना

बबली- अच्छा मतलब भाई भी दूसरे दुनिया मे हा हा हा

राहुल- मैं क्यों न जाऊ मेरे में क्या कमी है जो

बबली- कुछ कमी नहीं है और धीरे से अपना राहुल के कान में बोलती है- गर्ल फ्रेंड नहीं रहने का असर है ये

राहुल- हा हा हा हा

बबली- ऐसे जुली दीदी सही बोल रही थी भाई

राहुल - वो क्या छोटी

बबली- यही की यदि नौकरी लग गयी तो अच्छी यानी पसंद की बीबी मिलेगी हीहीहीही

राहुल- अपना हाथ बबली के गले मे लगा के धीरे से उसकी कान में बोलता है इसलिए मेरी बहन भी गवर्मेंट जॉब लेना चाहती है ताकि उसे भी मस्त का स्मार्ट पति मिले

बबली- बस मुश्करा देती है और बोलती है आप जो समझो

ऐसे भाई आज सेट बना रहे हो न

राहुल - आज नहीं छोटी कल से सेट बनाऊंगा

बबली- फिर तो मैं चली अपने रूम मोबाइल की दूसरे दुनिया की बहुत एपिसोड बांकी है
ये बोल के चली जाती है

राहुल उठ के अपना दरवाजा बंद करता है
और वापस रजाई में आ जाता है और सोचता है क्या ये एपिसोड मतलब कुछ जरूर पोर्न साइट खोलती है
लेकिन एपिसोड उसमे मतलब कहीं बबली भी तो सेक्स स्टोरी तो नहीं पड़ती है

राहुल यही सोचता है कुछ देर फिर उसे खुशी भाभी की याद आ जाता है और खुद से हिं बोलता है आआआह आज भी भैया नहीं है मतलब दोनों में सेक्स चैट चल रही होगी या फिर वीडियो कॉल पे हो रही होगी आआआह इतना मज़्ज़ा आया पढ़ने में किसी तरह मिल जाय
लेकिन मिलेगा कैसे वो तो कल संयोग अच्छी थी मेरी जो मिल गयी
और अपने मोबाइल में इन्सेस्ट सेक्स स्टोरी पढ़ने लगा और बीच बीच मे अपनी खुशी भाभी की बुर अपने लॉकर से निकाल के अपना खड़ा लौड़ा मोबाइल की स्क्रीन पे खुशी भाभी की बुर के ऊपर ठोकर मारने लगता है


दूसरी तरह खुशी और बिमलेश की चैट स्टार्ट हो जाती है....

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खुशी को अपने पति की सगी बहन को चोदने के बात जानकर खुद ब खुद मुस्करा रही थी कि उसे अपने घर की वो बात याद आ गयी कि उसके पापा किस तरह ****** कर रहे थे और छुप के देख रही थी खुशी..
Wahh yrr inn dono ki jodi bhi gajab h...
 

Castle2126

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Update 28


सुबह के 9 बज रहे थे....

राहुल के दरबाजे की खट खट के साउंड से नींद खुलती है ...

रात में राहुल बहुत देर रात तक मोबाईल पे सेक्स स्टोरी पढ़ता रहा..लेट से सोने के कारण राहुल अभी तक सो ही रहा था..

बबली- भाई खोलो भी दरवाजा..

राहुल- अंदर से अभी आया ...

और गेट खोलता है राहुल

बबली- क्या भाई इतनी लेट तक सोते हो

राहुल- बबली को देखते हुए अरे (मुश्करते हुए) अपनी मोबाइल दिखाते हुए बोलता है कुछ ज्यादा टाइम तक हिं दूसरे दुनिया मे रहा इसलिए ...

बबली- फिर भी इतना लेट

राहुल- हँसते हुए 5 बजे सुबह में तो सोया

बबली- क्या ?? इतनी देर

राहुल- हा हा हा हा उसका भी मज़्ज़ा अलग हिं है ..ऐसे क्या बोलने आई थी

बबली- भाई टिकट तो बुक कर लो पता नहीं खाली भी है कि नही

राहुल- हाँ देखता हूँ पहले मुझे फ्रेश तो होने दे

बबली- ठीक है फ्रेश हो के आओ मेरे कमरे में तब तक मैं पढ़ती हूँ

राहुल - ओके

इतने राहुल फ्रेश होने के लिए चला जाता है
फ्रेश होने के बाद राहुल किचेन की और रुख करता है

देखता है खुशी भाभी नास्ता बना रही है

राहुल- गुड मॉर्निंग भाभी जी

खुशी- गुड मॉर्निंग देवर जी, तो जग गए मेरे देवर जी

राहुल- हाँ

खुशी- मुश्करते हुए लगता है आज कल कुछ ज्यादा हिं पढ़ाई पे ध्यान दे दिए हैं

राहुल- बिल्कुल भाभी

खुशी- तो किचेन आने का मतलब देवर जी को कड़क चाय चाहिए

राहुल- थोड़ा आगे बढ़ते हुए खुशी भाभी को पीछे सट के भाभी की कंधों में अपनी हाथ रखते हुए बोलता है
और क्या चहिए मुझे मैं बहुत खुशनसीब हूँ जो मुझे इतनी प्यारी भाभी मिली है जो मन की बात समझ जाती है

खुशी- अच्छा ऐसा क्या इतना पसंद है मेरे देवर को अपनी भाभी..

राहुल- कोई सक है क्या

खुशी - नही कोई सक नहीं है मुझे अच्छी तरह पता है कि मेरी दुलारा देवर अपनी भाभी को कितना प्यार करता है

राहुल- फिर भाभी आपको पता हिं होगा आपकी दुलरुवा को क्या पसंद है और कैसी पसंद है

खुशी- बस मुस्करा देती है और बोलती है
की अब लग रहा है देवर जी की राते नहीं कटती है

राहुल- लेकिन करू तो क्या करूँ भाभी

खुशी- बहुत लड़की है सादी करने के लिए करोगे देवर जी

राहुल- क्या भाभी आप भी पहले कोई जगह सैटल हो जाऊ तब तो तब ताकि आपको अपने देवर पे प्राउड हो और बिल्कुल अपनी तरह देवरानी ढूंढ लाओ

खुशी- अच्छा मैं अपनी तरह क्यों मेरे में ऐसा क्या खाश है जो

राहुल- भाभी आप खाश की बात कर रही हो बल्कि ये बोलो क्या खाश नहीं है नीचे से ऊपर तक आप कयामत लग रही हो

खुशी- बिल्कुल ऐसी ढूंढ लाऊंगी जो मेरे देवर को दिन रात खुश रखे

राहुल- हा हा हा भाभी दिन रात नही हरवक्त जब मूड हो जाय

खुशी- हा हा हा हा हा


राहुल- भाभी जितनी अच्छी आप हो मुझे नहीं लग रहा है भैया उस तरह आपका ख्याल रखते हैं

खुशी- वो कैसे देवर जी

राहुल- बस भाभी अन्दाज़ लगाया

खुशी- मैं तो खुश हूं

राहुल- थोड़ा सीरियस होते हुए नहीं भाभी आप उतना खुश नहीं हो जितना होना चाहिए (राहुल अपनी हाथों से खुशी भाभी की चेहरा अपनी और करते हुए आंखों में आंखे डाल के कहता है ) -

भाभी- आपको मैं तीन सालों से जनता हूँ आपकी ये आंखे देख के सब पता कर लेता हूँ आप मेरे से कुछ छुपा नहीं सकती हो

इतना राहुल के कहते हीं खुशी राहुल के बांहों में चल गई और प्यार से बोलती है- ऐसा देवर सब को दें जो अपनी भाभी का ख्याल रखता हो..

राहुल खुशी भाभी की चेहरे को अपनी हाथ से थोड़ा ऊपर करते हुए इस समय दोनों की नज़र आमने सामने थी , राहुल अपना होंठ थोड़ा आगे बढ़ाते हुए खुशी भाभी के फोरहैड पे किस करता था खुशी अपनी आंखें बंद कर के कुछ फील करती है

राहुल फोरहैड पे किस करते हुए बोलता है ऐसी भाभी भी सबको दे भगवान जो अपने देवर का इतना ख्याल रखती हो....

खुशी भी थोड़ा ऊपर होते हुए राहुल के फोरहैड पे किस करती है


राहुल अपनी दोनों हाथ की पकड़ जोड़ से खुशी भाभी को दबाते हुए यही तो चाहिए मुझे भाभीजी

जो इतना ख्याल रखती हो बाहर से तो पूरी संस्कारी और बंद कमरे में हा हा हा हा हा

खुशी- हे हे राहुल बोलिए बोलिये बंद कमरे में क्या...

राहुल- जब समझ हिं गए हैं

खुशी- समझ गयी अब देवर जी बड़े हो गए हैं

राहुल- बहुत बड़ा हो गया हूँ और मेरा सब कुछ बड़ा हो गया है

खुशी- क्या?

राहुल- ओह! सॉरी सॉरी ..

खुशी- मुश्करा देती है

राहुल- भाभी एक बात पुछु बहुत दिनों से चाह रहा हूँ लेकिन थोड़ी शर्म और थोड़ी डर भी लगता है

खुशी- अपनी एक हाथ राहुल के पीठ पे रखते हुए पूछिये देवर जी कैसी शर्म और कैसा डर वो भी अपनी भाभी से

राहुल- पक्का पूछ लूं भाभी

खुशी- हां जी

राहुल- आप मेरी तरफ मत देखिये ऐसे नहीं बोल पाऊंगा जी

खुशी- इतना शर्माता है देवर जी लेकिन बातें तो बड़ी बड़ी करता है जान बूझ कर और पता नहीं क्या क्या बड़ा हो गया है

राहुल- धत्त भाभी और धीरे से भाभी के कान के पास बोलता है भाभी-

खुशी- बहुत मधुर स्वर से बोलती है बोलिये न देवर जी..

राहुल- भाभी जब भैया नहीं रहते हैं तब आप भी मोबाईल पे वो सब देखती और पढ़ती हैं...

खुशी भाभी- ही ही ही ही इसी बात से डर रहे थे देवर जी

राहुल- थोड़ा उदास होते हुए मुझे पता था आप नहीं बताओगी

खुशी- अपनी एक हाथ राहुल के गाल पे सहलाते हुए बोलती है, अरे देवर जी रूठो मत
तो मेरे देवर को जननी है कि जब भाभी अकेली रहती है तो क्या करती है

राहुल- हा हा हा हा आप हो हिं इतनी लाजवाब की क्या बोलू

खुशी- थोड़ा धीरे आवाज़ में राहुल के बिल्कुल कान के पास अकेली में हिं नही आपके भैया रहते हैं तब भी देखती और पढ़ती हूँ

राहुल- क्या ? वाह! मज़्ज़ा आ गया भाभी आआआह! इसलिए न बोलता हूँ भाभी बिल्कुल आपकी जैसी हिं खोज के लाना अपने लिए देवरानी मज़्ज़ा आ गया

खुशी- ऐसे देवर जी समझी नहीं ये देखने से क्या मतलब है

राहुल- हा हा भाभी जानती तो आप सब हो बस ऐसे हिं पूछ रही हो न

खुशी- जानती तो हूँ लेकिन ये भी तो जानू की देवर क्या जनता है

राहुल- जो ये सब देखते हैं पढ़ते हैं उनकी लेवल काफी ऊपर की होती है

खुशी- हा हा हा हा हा

राहुल- मतलब मेरी प्यारी भाभी की लेवल भी काफी ऊपर है( अपने मन मे मुझे अच्छी तरह पता है भाभी आपकी लेवल क्या है भाभी जी)

खुशी- हा हा समझते ही हो और ज़्यादा अपने भैया से पूछ लीजिएगा

राहुल- धत्त भाभी ये सब बात कहीं भैया से पूछा जाता है , देवर तो भाभी से हिं ऐसी ज्ञान ले सकता है ना

खुशी- अच्छा ऐसी बात है लेकिन मुझे ऐसा लग रहा है देवर पहले से हिं सीखा पढ़ा हुआ है

राहुल- अपना मोबाईल दिखाते हुए भाभी ये बहुत कुछ सिखला दिया है

खुशी- हँसते हुए कुछ ज्यादा न सीख लीजिएगा देवर जी की पहली रात में हिं देवरानी की हालत खराब

राहुल- बिल्कुल आपके जैसी रहेगी तो उसका नही मेरा हालात खराब हो जाय

खुशी अपनी प्रशंसा सून के मंद मंद मुस्करा रही थी

राहुल- ऐसे दो दिन से आप अकेली हो आज आ रहे हैं भैया पूरी तरह सर्विसिंग कर देंगे

खुशी- सरमाते हुए , धत्त देवर जी

राहुल- भाभी एक बात और पुछू ?

खुशी- आज तो देवर जी कुछ अलग हिं मूड में है रात में कुछ हुआ था क्या?

राहुल- जब उस तरह की दिखाई और पढ़ाई होगी तो कुछ तो होगा हिं न

खुशी- हा हा हा हा ऐसे क्या पूछ रहे थे देवर जी?

राहुल- धत्त ये भी पूछने में शर्म आ रही है

खुशी- फिर से शर्म और बाते बड़ी बड़ी

राहुल- कुछ ऐसा हिं समझ लीजिए..
बोलू भाभी

खुशी- हाँ

राहुल- आपकी मैक्सिमम कितना दिन तक सर्विसिंग नहीं हुई है? हा हा हा हा

खुशी- क्या? और एक चपत लगाती है राहुल को

राहुल- बताइये न भाभी

खुशी- 32 दिन

राहुल- वॉव क्या डाटा है एक मोन्थ भी बोल सकते थे लेकिन एडजेक्ट बोले वाह मज़्ज़ा आ गया मतलब 32×24=768 घंटे तक

खुशी- क्या omg अच्छा कैलकुलेशन है

राहुल- जब भाभी आप इतना कन्फर्म हो के दिन का याद रख सकते हैं मैं तो बस कैलकुलेशन किया ऐसे ये हुआ कब था

खुशी- पीछले बार जो मायके में मेरी तबियत खराब हुई थी

राहुल- उसमे तो मैं भी गया था लेकिन 14-15 दिन में तो आप ठीक हो गयी थी और उसके बाद तो भैया गए थे न

खुशी- मुश्करती हुई हाँ लेकिन वो नही हुआ था..

राहुल- मतलब भैया खाली हाथ लौट आये हा हा हा हा

खुशी- खाली हाथ क्यों और भी सुविधा है देवर जी

राहुल- हा हा हा हा

खुशी-चाय की कप देते हुए बोलती है लीजिए देवर जी चाय ..


राहुल अपनी भाभी की हाथों से चाय की कप लेते हुए मजाकिया अंदाज में बोलता है भाभी से

भाभी ये गर्म चाय में उंगली डाल दूँ तो वो उतनी गर्म नहीं होगी जितनी आप हो भाभी

खुशी- थोड़ी लजाते हुए बोलती है इतनी भी नहीं हूँ

राहुल-क्या इतनी भी नहीं हूं भाभी

खुशी- सेक्सी अदा से बोलती है " इतनी भी गर्म नहीं हूँ देवर जी जितनी आप समझ रहे हो"

राहुल- भाभी आपको इस बात का पता नहीं है क्यों कि अपनी लोहा की गर्मी का पता तो तब चलती है....हा हा हा हा

खुशी- बोलिये देवर जी कब चलती है

राहुल- चाय की चुस्की लेते हुए बिल्कुल खुशी भाभी के कान के पास बोलता है- जब अपने से ज्यादा गर्म लोहा से स्पर्स होती है...

खुशी भाभी- ही ही ही समझ रही हूँ मेरी देवरानी की हालत खराब होने वाली है

राहुल- वो तो बाद कि बात है मुझे तो लग रहा है कि आज भैया की आप बोटी बोटी नोच लीजिएगा हा हा हा हा...

इतना बोल के राहुल किचेन से निकल जाता है और चाय की शिप लेते हुए बबली की रूम में जाता है...

बबली राहुल को देखते हुए बोलती है

बबली- तो आ गए महानुभाव फ्रेश हो के

राहुल- मुश्कराते हुए बस जी बोलता है

बबली- तो फिर टिकट बनाने की कृपा की जाय

राहुल अपने पॉकेट से मोबाईल निकलता है

बबली- चाय तो पी लो पहले भाई

राहुल बबली की बेड पे बैठ जाता है बबली बलंकेट के अंदर लेटी हुई थी और सामने किताब खुली हुई थी...


राहुल- ओह बबली भाभी की बनाई हुई चाय में वो मज़्ज़ा नहीं है

बबली- अच्छा फिर किसकी बनाई हुई चाय मेरे भाई को सबसे अच्छी लगती है

राहुल- गेस करो?

बबली- भाभी की अच्छी लगती नहीं है तो फिर माँ के हाथों की लगती होगी...


राहुल- गलत

बबली- फिर

राहुल- अपनी एक हाथ बबली की शिर में रखते हुए बोलता है मेरी छोटकी की हाथों का

बबली- क्या सच मे भाई

राहुल- हाँ बबली सच्ची

बबली- ये तो मेरे भाई का प्यार है अपनी बहन पे

राहुल- जब बहन इतनी प्यारी हो तो भाई का तो फ़र्ज़ बनाता है ना उसे प्यार दे छोटकी

बबली- मेरे भाई तो लाखों में एक है

राहुल- और मेरी बहना करोड़ो में एक


राहुल अपनी मोबाइल में irctc खोलता है और 28 के डेट में सर्च करता है

राहुल- बबली स्लीपर क्लास और थर्ड टियर में तो बहुत वेटिंग है

बबली- और ट्रैन होगी न उसमे देखो न

राहुल- सारी ट्रैन का वही हाल है

बबली- फिर

राहुल- सेकंड टायर में है खाली ,लेकिन बबली टिकट बहुत मंगही है..

बबली- कितनी मंगही है

राहुल- मुस्कराता हुआ बोलता है मैं तो कभी एग्जाम देने स्लीपर से या फिर जेनरल से गया और अपनी स्क्रीन देखते हुए और यहाँ तो...

बबली- लेकिन इस बार तो आपकी प्यारी बहन जा रही है वो भी पहली बार एग्जाम देने...

राहुल- धीरे से बबली की कानो में ये बात पिता श्री से कहो न छोटकी वही पे करेंगे मैं नहीं

इस बातों पे दोनों जोर से ठहाका लगते हैं

बबली- तुम हिं जाओ न भाई

राहुल- हा हा हा हा मैं नहीं जाने वाला कहाँ जेनरल बॉगी में यात्रा करने वाला न बाबा मैं नहीं तुम हिं जाओ छोटकी

बबली- ओके अभी आती हूँ पापा को बोल के लेकिन बताया कहाँ

राहुल- बस टिकट की हिं खर्चे नहीं वहां 7 दिन रहने भी होंगे फिर खाना पीना बहुत ख़र्चा है मैडम

बबली- बताओगे भी तब न

राहुल- हँसता हुआ तुम एक एग्जाम में पापा की एकाउंट खाली कर दोगे

बबली- है मिस्टर मैं हिं नहीं तुम भी एग्जाम देने जा रहे हो और अपनी एक आँख मारते हुए बबली बोलती है राहुल से की पापा इतना जो एकाउंट गरम किये हैं कब काम आएगी

राहुल- फिर तो तू पहले जाओ और 30-35 K मेरे एकाउंट में ट्रांसफर करवा लाओ

बबली- बस अभी आई पापा से मिल के

बबली पापा के रूम में जाती है पापा आफिस के लिए रेडी हो रहे थे..

बबली- गुड मॉर्निंग पापा

शंकर- गुड मॉर्निंग बेटा

बबली- पापा टिकट बनवानी है पैसा चाहिए था

शंकर- कितनी चाहिए बेटा..

बबली- मोबाइल की स्क्रीन दिखाती है

शंकर- देख के मुश्कराता है

बबली- पापा क्यों मुश्करा रहे हैं

शंकर - नहीं बस ऐसे हिं

बबली- आपको मेरी कसम पापा बोलिये न प्लीज् क्यों मुश्करा दिए

शंकर- ओह कसम क्यों दे दी बेटी अब तो बोलना हिं पड़ेगा न

बबली- बोलिये न

शंकर- बेटा जितनी तुम टिकट की दाम दिखा रही हो उसमे तो राहुल 5 एग्जाम दे के आ जाय

बबली- हा हा हा लेकिन इस बार आपकी बिटिया दे रही है ना वैसे पापा सीट खाली नहीं है इसलिए..

शंकर- कोई नहीं बेटा मैं राहुल के एकाउंट में भेज दे रहा हूँ और जब जाओगी तब ले लेना

बबली- अपने पापा के बांहों में जाती हुई बोलती है थैंक्यू पापा..

शंकर- बस बेटा इसी तरह मन लगा के पढ़ो और अपने साथ साथ मेरी भी नाम रौशन करो

बबली- जी पापा

शंकर- बेटा आफिस के लिए लेट हो रहा हूँ..

बबली- ओक पापा आप अभी हिं भेज दीजिए कहीं ऐसा हो न ये भी सीट फुल हो जाय

शंकर- हाँ भेज देता हूँ

......

बबली अपनी रूम आती है राहुल वही बैठा था बबली राहुल को देखते हुए बोलती है..

बबली- अपनी चुटकी बजाते हुए देखे बच्चू कैसे मीनट में काम हो गया

राहुल- हा हा हा इसलिए तो तुम्हें भेजा ,ऐसे कितना बोली भेजने

बबली- अभी पता नहीं कितनी भेजेंगे लेकिन जाते टाइम और दे देंगे

राहुल - ओके

..इस तरह दोनों में कुछ देर बात होती है

दूसरी तरफ

बिमलेश शुबह 5 बजे हिं बस से निकल गए थे जो अभी अभी पहुंचे थे राकेश जो शहर में रहता था..

बिमलेश अपनी मोबाईल निकाल के टाइम देखता है तो 11:30 हो रहा था साथ मे खुशी की 2 मिस्ड कॉल भी था

बिमलेश खुशी की नंबर डायल करता है

स्टैंड से थोड़ा एकांत में हो जाता है
कुछ रिंग के बाद हिं फ़ोन पे आवाज़ आती है...

खुशी- हेलो

बिमलेश- हाँ

खुशी- क्या जी कहाँ कहाँ रहते हैं फ़ोन का तो कोई रेस्पांस हिं नहीं

बिमलेश- अरे सो गया था बस में जी

खुशी- हँसते हुए अच्छा किये जो सो लिए वैसे रात में तो जगनी हिं पड़ेगी न

बिमलेश- हर वक्त तुम यही सोचती रहती हो क्या

खुशी- वो सब छोड़िये घर कब तक आईयेगा

बिमलेश- अभी बस से उतरा हूँ सोच रहा हूँ जुली से मिल लू पास हिं रहती है

खुशी- वाह वाह क्या बात है बीबी को कौन पूछता है जब बहन हिं बीबी बनने के लिए तैयार है

बिमलेश- अभी बाहर हूँ तुम तो न जाने बस यूं हिं कुछ से कुछ

खुशी- एक बात बताईये न

बिमलेश - वो क्या?

खुशी- बस ननद रानी से मिलने जा रहे हैं या ननद रानी को चोदने क्यों कि अभी तो ननदोई जी भी नहीं होंगे

बिलमेश- धत्त पागल हो गयी हो तुम क्या , आ रहा हूँ तब तुम्हारी खबर लेता हूँ

खुशी- आइये जनाब आपकी स्वागत आज कुछ ज्यादा हिं अच्छी से करूंगी जरा तैयार हो के आईएगा..और बहन की मलाई भी पीते आईएगा ही ही ही ही

बिमलेश- रखता हूँ बाद में करता हूँ..

अपने मन मे कुछ सोच के मुस्करता है और कुछ 10 मिनट पैदल चलने के बाद ...

गेट पे बेल बजाता है

अंदर से एक मधुर आवाज सुनाई परता है

जुली- कौन हैं?


बिमलेश- मैं हूँ जुली

ओह भैया आये हैं और इतने में हिं सरारत उसके मन मे आ जाती है

अंदर से बोलती है अभी आई भैया

और अपनी कमर में हाथ डालती है और पेंटी खोल के बेडरूम में जा के पिल्लों के पास रख देती है...और जल्दी से गेट खोलने चली जाती है..

गेट के खुलते हिं बिमलेश अपनी प्यारी छरहरे बदन वाली खूबसूरत बहन को देख के हिं अंदर हिं अंदर मोहित हो जाता है..

जुली- भैया कब चले थे

जुली की आवाज़ सून के बिमलेश का ध्यान टूटा..

बिमलेश- वो वो 5 बजे चला था

जुली- अच्छा ..

जुली मैन डोर लगाती है और भैया के पीछे पीछे आ जाती है..

बिमलेश अपना बैग वही रखते हुए बाथरूम में टॉयलेट करने के बाद निकलता है..

भैया आप बैठिए मैं चाय लाती हूँ बना के..

बिमलेश बेड पे बैठ जाता है...कुछ देर इधर उधर की बातें सोच रहा था कि उसकी नज़र पिल्लों के बगल में रखी पेंटी पे गया..

उसका मन मे हुआ कि यहां क्यों है , हो सकता है रात से हिं हो ना चाहते हुए भी
अपना हाथ आगे बढ़ा के पेंटी को हाथ मे लिया ओह ये तो गर्म लग रहा है रात में खुली रहती तो ये ठण्डा रहता लेकिन ये तो गर्म है
अपने मन मे क्या मेरे आने के बाद खोली है ओह ये जुली को भी मज़्ज़ा आने लगा है क्या अपनी नज़र गेट पे हिं बनाये हुए था कि कहीं जुली आ न जाय चाय लेके ..

बिमलेश पेंटी को पलटा के अंदर देखता है ठीक बुर वाली जगह पे उजला धब्बा बना था बिमलेश खुद को रोक नही पाया ये सोच के आआआह जुली कुछ देर पहले इसे अपनी चूत से सटा के रखी थी और पेंटी को अपने नाक के पास लेके सूंघने लगा उसे भीनी भीनी खुशबू आने लगा कब बिमलेश की आंखे बंद हो गयी पता हिं नहीं चला

इतने में जुली चाय लेके किचेन से आ रही थी जैसे हिं गेट के पास आई अपने भाई नाक पे लगा के सूंघ रहे अपनी पेंटी पे नज़र परते हिं पूरी बॉडी सिहर गयी गेट से थोड़ा हट गई जुली अपनी एक हाथ अपनी सलवार के ऊपर से हिं अपनी चूत के उपर रगड़ती है आह भैया ...जुली का दिल नही मानता है और एक बार फिर अपनी थोड़ा फेस आगे करते हुए देखती है कि भैया पेंटी को सूंघने के साथ साथ अपनी जीव से चाट भी रहे हैं ये देख के जुली को ऐसा फील हुआ जैसे भैया पेंटी नही मेरी बुर को अपनी जीव से चाट रहे हैं ..

जुली अपने पे कंट्रोल करती है और कैसे जाय अंदर...

जुली फिर किचेन चली जाती है और वहां से बोलती है

जुली- भैया पानी भी पिजियेगा क्या

बिमलेश को जुली की आवाज़ सून के सकपका जाता है और जल्दी से अपनी नाक से पेंटी को हटाते हुए
बोलता है नहीं ...और पेंटी को अपने चड्डी के अंदर रख लेता है

जुली अंदर आती है

जुली- लीजिए भैय्या चाय

बिमलेश- चाय की कप पकड़ता है ..

खड़ी क्यों हो बहन बैठ जाओ

चाय की एक शिप लेते हुए
बहन आज चाय में वो टेस्ट नहीं है

जुली- लेकिन क्यों भैया मैं तो वैसे हिं बनाई

बिमलेश- हाँ , मुझे लग रहा है आज मलाई जो नहीं मिलाई इसलिए वैसा टेस्ट नहीं है

जुली अपने सगे भाई के मुंह से अपनी बुर की मलाई की बात कहते हुए अंदर हिं अंदर शर्मा रही थी अपने मे हिम्मत लाते हुए बोलती है

जुली- भैया हर वक्त मलाई तो नहीं ना रहती है.

बिमलेश- अच्छा ..

जुली-भैया अब आपको मलाई मार के हिं पिलाऊंगी चाय
पता है भैया आपको एक बात

बिमलेश- वो क्या बहन

जुली- की जितनी हिं धीमी लो पे जलती है उतना हिं गाढ़ा और टेस्टी मलाई की टेस्ट होती है

बिमलेश- हाँ बहन मुझे तो वैसा हिं मलाई पसंद है एकदम गाढ़ा वो बहुत टेस्टी होता है...और तुम्हारे हाथों से बनी चाय में जो वो गाढ़ा मलाई मिलाती हो आआआह उसका स्वाद हिं निराला होता है

जुली - चाय पी लिए भैया इतनी जल्दी

बिमलेश- बिना मलाई की चाय पीने में कितनी देर

जुली- हा हा हा भैया आप भी न..

आती हूँ किचेन से घीमी आंच में पकने दे दूंगी ताकि गाढ़ा मलाई बने
कुछ देर के बाद ऐसे हिं किचेन से घूम फिर के आ गयी

वैसे भैय्या जो काम से गए थे वो हो गया न

बिमलेश- हाँ बहन वो काम हो गया..
राकेश कितने बजे निकला आफिस

जुली- वही 9:30 के करीब

बिमलेश- जब मैं आया तो मन हुआ डायरेक्ट आफिस हिं चले जाऊ लेकिन सीट पे बैठ के आया थोड़ा सोचा आराम हिं कर लूं

जुली - अच्छा किये भैया यहां आ गए

लेट जाइये न

बिमलेश- मैं भी सोच रहा हूँ..

और बिमलेश लेट जाता है
तुमको कुछ काम है क्या

जुली - नहीं भैया लंच बना हिं ली हुन मैं तो लेटी हिं थी कि आप आये

बिमलेश- ओहो तो लेट जाओ न तुम भी

बिमलेश थोड़ा खिसक जाता है और जुली भी लेट जाती है ..

बिमलेश- अपने ऊपर तुम भी बलंकेट ले लो

जुली- उधर से थोड़ा खीचिए न

बिमलेश ये लो ...

जुली- आज रुक हिं जाइये न भैया

बिमलेश- आज यदि मैं घर नहीं पहुंचा तो खुशी मेरी जान ले लेगी हा हा

जुली- हा हा हा भाभी 2 दिन भी नहीं रह पाती है

बिमलेश- वो तो तुम्हारी भाभी है तुम जानती होगी न अच्छे से

जुली- मेरी भाभी से पहले आपकी बीबी है आप न जानोगे भैया वो कैसी है और क्या चाहिए उसे हा हा हा

बिमलेश- अच्छा ऐसा क्या वो नहीं रह पाती है

जुली- और आप रह लेते हो भैया

बिमलेश- हँसते हुए हा हा हा अब आदत जो हो गयी है

जुली- हे हे हे मतलब भाभी के साथ भैया भी उसी तरह फिर ये 2 रात कैसे रहे..

बिमलेश- खुशी थी ना

जुली- वो कहाँ थी जो

बिमलेश- चैट में वीडियो कॉल

जुली- हा हा हा वीडियो कॉल पे हिं वाह क्या बात है

बिमलेश- कुछ सुनाओ जुली बहन

जुली-क्या सुनाऊ भैय्या

बिमलेश- कुछ भी सुनाओ

जुली- ओके भैया मैं आपसे पहली पूछती हूँ देखती हूँ आप सही सही बता पाते हो कि नहीं

बिमलेश- ठीक है पूछो

जुली- सरारती अन्दाज़ में पूछती है

वो कौन सी चीज है जो लंबा सा है और जिसे लड़की अपने मुँह में लेकर आगे - पीछे करती है तो थोड़ी देर बाद सफ़ेद - सफ़ेद निकलता है।

बताओ भैया वो कौन सी चीज है

बिमलेश- अपनी बहन के मुंह से ऐसी बात सुनते हिं समझ गया लंड होगा लेकिन बोले कैसे

कुछ देर ऐसे सोचने का नाटक करते हुए मुझे ध्यान नहीं आ रहा है बहन

जुली- हार मान लिए पहले हिं भैया

बिमलेश- हाँ बहन

जुली- धत्त भैय्या बहुत हिं इजी था टूथ ब्रश

बिमलेश- हा हा हा

जुली- और पूछती हूँ बताइए

"लड़का करते करते थक जाता है और लड़की कहती है और करो बड़ा मजा आ रहा है"

बिमलेश- अपने मन मे ओह जुली तो डबल मीनिंग हिं पूछ रही है कैसे बोलू किसे चुदाई सोचने का नाटक करते ...

जुली- क्या भैय्या कितना देर सोचते रहियेगा आपको भाभी भी तो बोलती होगी न ऐसा फिर भी आप नहीं बता पा रहे हैं

बिमलेश- अब ऐसी पहेली का आंसर अपने बहन को किसे दूँ

जुली- मतलब आप वही सोच लिए ...ही ही इसका आंसर होगा शॉपिंग

बिमलेश- तुम भी न..ऐसे मज़्ज़ा आ रहा है और पूछो( बलंकेट के अंदर अपनी बहन की बातों का असर सीधे लंड पे कर रहा था उसके ऊपर अपनी बहन की पेंटी का असर )

जुली- कुछ सोचते हुए हाँ ये वाला बताइए तो

बिमलेश - पूछो

जुली- अक्सर कुछ लड़किया शादी के बाद अपने अपने पति का चाटती रहती है? बताओ भैय्या

बिमलेश- सच मे बता दूँ

जुली- हाँ

बिमलेश- दिमाग चाटती है

जुली- वाह क्या बात है , वैसे आपके दिमाग मे पहले क्या आया

बिमलेश- वो तो तुम भी जानती हो सादी सुदा तो तुम भी हो न

जुली- हे है

बिमलेश- वैसे इसका आंसर तुम देती तो तुम्हारे दिमाग मे पहले क्या आता है

जुली- बोल दूँ भाई

बिमलेश- हाँ बहन

जुली- बिमलेश के कान के पास बोलती है धीरे से लोढ़ा

बिमलेश- वाह देसी स्टाइल में आगे पूछो और

जुली- पुरूष की उस चीज का नाम बताओ जिस पर स्त्रियाँ अक्सर बैठती हैं? सोचो सोचो भैया कौन सी चीज है

बिमलेश- हा हा हा खुशी से पूछ लो

जुली- क्या भैया सब मे गंदी हिं सोचते हो

बिमलेश- तो क्या सोचू बहन जब सवाल हिं ऐसी है

जुली- क्या भैया बाइक पे भी तो बैठती है ना

बिमलेश- हा हा कितना आसान था लेकिन दिमाग मे पहले वही आता है

जुली- ही ही ही आप हो हिं ऐसे ( अपनी एक हाथ से बलंकेट के अंदर सलवार में डाल के अपनी बुर सहलाने लगती है और मज़्ज़ा बहुत आ रहा था जुली को अपनी भाई से ऐसी पहले पूछने में)

बिमलेश- क्या सोच रही हो बहन

जुली- अपने मन मे बना रही हूँ पहेली

बिमलेश- ओक बनाओ

जुली- बताइये भैया..
उस अंडाकार चीज़ का नाम बताईये जो चारो तरफ से बालो से घिरा होता है और उसका नाम C से शुरु होता है और T से ख़तम होता है और उसके अंदर सफ़ेद पानी भरा होता है

बिमलेश- अपनी बहन की मुंह से ऐसी बात सुन के मचल सा गया जुली की नज़र में नज़र डालते हुए बोला बता दूं बहन

जुली- मुश्करती हुई हाँ भैया

बिमलेश- अपना मुंह बिल्कुल जुली के कान के पास लेजाकर धीरे से बोलता है CHUT

जुली- धत्त गंदे भैया मुझे पता था आप यही बोलोगे

बिमलेश- यही तो होगा

जुली- मुश्कराते हुए COCONUT होगा भैया हा हा हा हा

बिमलेश- धत्त साला फिर गलत हो गया

जुली- अबकी बार बताइये भैया
वो क्या है जो अंदर जाते वक्त गुलाबी और कठोर होता है लेकिन बाहर आने पर मुलायम और चिपचिपा हो जाता है

बिमलेश- हा हा हा बबलगम

जुली- ही ही ही मुझे लगा फिर इस बार वही बोलोगे लेकिन आपके दिमाग मे पहले तो वही आई होगी

बिमलेश- हा हा सब तो तुम समझती हिं हो

जुली- ओके ये लास्ट है बात दीजिए
ऐसा क्या चीज़ है जिसे औरत या लड़किया मसल मसल के थूक लगा के घिस्ती है तब अंदर घुसता है

बिमलेश- इसका आंसर तो खुशी हिं देगी

जुली- को एक सरारत सूझती है अपने फ़ोन निकाल के खुशी भाभी को कॉल करती है लाउड स्पीकर ऑन कर देती है

खुशी- हेलो

जुली- प्रणाम भाभी

खुशी- खुश रहिये ,उस दिन जाने के बाद आज भाभी की याद आई

जुली- नहीं भाभी वो तो बस यूं हिं

खुशी- आपके भैया वहाँ पहुंचे

जुली- भैया को चुप रहने का इशारा करते हैं हाँ भाभी आये थे कोई दोस्त से मिलने बाहर गए हैं

खुशी- ओहो तब बताइये कुछ

जुली- भाभी एक दोस्त मेरे से एक पहले पूछी है आपको पता है

खुशी- पूछियेगा तब तो

जुली- ऐसा क्या चीज़ है जिसे औरत या लड़किया मसल मसल के थूक लगा के घिस्ती है तब अंदर घुसता है

खुशी- आपके भैया का लंड

जुली- आपसे यही उम्मीद थी

खुशी- जब ननद ऐसी क्वेश्चन पूछेगी तो आंसर क्या दूँ आपके भैया तो यही डाले थे हा हा हा

जुली- भाभी वो भैया का ल... नहीं बल्कि सूइ में धागा भी डाला जाता है ऐसे

खुशी- हा हा हा लेकिन मैं तो सूइ में धागा बहुत कम बार डाली हुन और वो ज्यादा तो क्या बोलू...

बिमलेश अपनी कान में उंगली डाल लेता है ताकि मैं नहीं सुन रहा हूँ (लेकिन वो बहुत धीरे से उंगली डाले रहता है)

जुली- भैया को आज यही रोक लेती हूं रात में मटन की पार्टी चलेगी

खुशी- अच्छा मटन खाने के बाद तो मेरी ननद रानी अपनी पिछवाड़ा खुलवाती है क्या भैया को रोक के रखोगी अपनी छेदा खुलवाने

बिमलेश का लौड़ा ये बात सुन के पूरा टाइट हो गया अपनी बीबी के मुंह से सुन के वो भी बहन की गाँड़ में लौड़ा डालने वाली बात वो भी बहन के सामने

जुली भाभी की मुंह से ऐसी बात सुन के शर्मा गयी लाउड स्पीकर मोबाइल की ऑफ कर देती है

जुली- क्या भाभी आपको 2 दिन भी बर्दाश्त नहीं होती है

खुशी- बिल्कुल नहीं ननद रानी डैली खाती है लोढ़ा उनको क्या पता ...

जुली- अच्छा अच्छा नहीं रोकूंगी हीहीहीही आगे पीछे सब ठोकवा लीजिएगा हा हा हा..

रखती हूँ भाभी भैया आ गए लगता है

फोन कट हो जाता है..

जुली- मुश्कराती हुई बोली भैया आपको आज भाभी छोड़ने वाली नहीं है

बिमलेश- मैं बोला था न पहले ही

जुली- आपको भाभी की गर्मी का पता चल जाता है

बिमलेश- हाँ उनका सेवा जो करता हूँ

जुली- अपनी बुर रगड़ती हुई मन में सोचती है आआआह इसकी भी सेवा कीजिये न भैया ..
बोलती है
भैया आपको मेरी कसम है इस तरह खबर लीजिएगा भाभी को की उठ न पाए आज मुझे भाभी चिढाई है

थोड़ा आगे सरकते हुए बिमलेश बिल्कुल जुली से सट जाता है और जुली भी थोड़ा खिसक जाती है ऐसा लग रहा था दोनों एक दूसरे की बांहों में हैं
बिमलेश अपना हाथ आगे बढ़ा के जुली को बांहों को टाइट से पकड़ता है और बोलता है

मेरी बहन को चिढाई है ना बहन की सिर की कसम आज की रात उसे इस तरह खबर लूंगा की दोपहर के 12 बजे से पहले उठ न पाय...

जुली को अपनी बांहों में लेने से बिमलेश का खड़ा लौड़ा सीधे जुली की बुर पे ठोकर मार रहा था जुली को समझते देर नही लगी कि ये क्या है अपने भाई के लौड़ा का ठोकर अपनी चुत पे लगने से बुर पूरी तरह पनिया गयी अपनी बुर की दबाब लौड़ा के देती हुई बोलती है

जुली- हाँ भैया 12 बजे से पहले बिल्कुल नहीं

बिमलेश- हाँ बहन

जुली- भैया किचेन में धीमी आज पे मलाई तैयार हो गयी होगी

बिमलेश- लाओ बहना मलाई धीमी आज की मलाई तो बहुत मज़्ज़ा आएगी

जुली बलंकेट में से निकलती है और किचेन में जा के एक कप हाथ मे लेती है और अपनी बुर के पास लगा देती है बुर तो रस से भरी हुई हिं थी उसे ये एहसास होते हैं हिं अपनी रस आज भैया को बिना किसी चीज में मिलाएं खिलाऊंगी ये सोचते हैं अपनी बुर को 2 बार सहलाती है कि फोहारा की तरह बुर से रस कप में जमा कर लेती है अपनी सलवार ठीक करती हुई कप लेके आ जाती है

भैया लीजिए मलाई बिल्कुल धीमी आज में सेकी हूँ तब जाके इतनी गाढ़ा मलाई बानी है

बिमलेश बलंकेट के अंदर हिं अपने लंड पे पेंटी चढ़ा देता है और बाहर निकलता है

जुली की नज़र बिल्कुम पेंट पे हिं टिकी थी जो बिल्कुल तंबू बना हुआ था..

बिमलेश- लाओ बहना इतना देर से मलाई बनने का इंतजार कर रहा था मैं..

जुली- लीजिए भैया पी लीजिए अपनी बहन के हाथों बनाई हुई मलाई

बिमलेश- कप के अंदर देखता है जो आधी कप भरा हुआ था मन हिं मन कल्पना करने लगा कि जुली कितनी गरमाई हुई माल है आआआह और कप अपने मुंह मे लगते हुए आधा मलाई अपने मुंह मे भर लेता है और मुंह खोल के जुली को दिखता है

इशारा से पूछता है बहन गाढा मलाई है ना
जुली बोलती है- हाँ बहुत

अपने भैया के मुंह मे अपनी बुर रस को देखती हुई एक बार बुर फिर गरमा गयी..

बिमलेश जैसे हिं मलाई को पीता है कि लंड एक पे एक पिचकारी पेंट के अंदर जुली कि पेंटी पे छोड़ने लगता है , बिमलेश की आंखे बंद हो जाती है और मुंह से आआआह बहन कितनी मस्त मलाई है आआआह बहन आआआह जुली बहन बहुत मस्त मलाई है साथ मे कप से मलाई भी पीता है

जुली अपने भैया को ऐसे देख समझते देर नही लगी कि भैया का लौड़ा रस छोड़ रहा है आआआह भैया कैसा लग रहा है अपनी बहन के नाम की मुठ निकाल कर आआआह अपनी हिं बहन की पेंटी में

जुली किचेन की और चल जाती है अपनी बुर एक बार फिर से रगड़ती हुई

बिमलेश का पूरा लंड से पानी निकालने के बाद खुद को रिलैक्स फील करता है और गेट तरफ हिं देखते हुए धीरे से अंदर हाथ डाल के पेंटी निकाल देता है पेंटी पूरी लंड रस से भींग गया था उसे वही पिल्लों के पास रख देता है ...

कुछ देर आराम करने के बाद बिमलेश बोलता है
बहन जा रहा हूँ कुछ जरूरी काम भी है

जुली- मस्का मरते हुए लेकिन भैया अपने यहां तो रात से पहले कोई जुगाड़ नहीं

बिमलेश- हा हा हा वो बात तो है लेकिन ये सच मे एक काम था

जुली- आपको बेस्ट ऑफ लक भैया कल दोपहर तक सुलाते हुए रखने के लिए

बिमलेश- जब मेरी प्यारी बहन आशीर्वाद दे दी है तो काम पूरा तो होगा हिं ऐसे मुझे लगता है आज राकेश भी बचने वाला नहीं है..

जुली- सही पकड़े भैया कहीं गेट के पास हिं न आपके दोस्त की पेंट न उतर जाय


बिमलेश - हा हा हा हा मेरा दोस्त बहुत लकी है हा हा हा

जुली- मन मे हिं भैया आप भी बहुत लकी हो

जुली- आते रहियेगा भैय्या


विमेलश-हाँ बहन बिल्कुल

और घर के लिए निकल जाते हैं बिमलेश

बिमलेश के जाते हैं गेट लॉक करती है और अपनी पूरी कपड़ा खोल के नंगी हो जाती है बेड रूम में बलंकेट हटा के इधर उधर ढूंढती है फिर पिल्लों के पास नज़र आती है उसके वो काली पेंटी जैसे हिं पेंटी हाथ मे लेती है पूरी तरह से चिपचिप और जैसे हिं खोलती है पूरा गाढ़ा सपेद माल से भरा हुआ


जुली अपने मे बुदबदाती है आह बहिया अपनी मलाई तो आपको इतना बार खिलाई आआआह आज आपकी मलाई चखने को मिलेगी आआआह भैया आपका इतना ज्यादा मलाई निकलती है एक हाथ से पेंटी को मुंह के पास रखते हुए थोड़ा रस जुली चाट लेती है आआह भैया क्या टेस्ट है आआआह और एक हाथ से अपनी बुर सहलाती हुई बोलती है आआआह भैया ये सारी रस आप जब मेरी बुर में डाल के गाभिन कर के अपना सपना पूरा करोगे आआआह भैया उस दिन का इंतजार रहेगा...
Idhar devar bhabhi air udhar bhai behan achha taka bhida hua h bhai......
 
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