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आप केसी सेक्स स्टोरी पढना चाहते है. ??

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junglecouple1984

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मदमस्त चाची की कसी हुई चुत का मजा


मेरा नाम गौरव है. मैं उत्तराखंड के देहरादून शहर में रहता हूं.

मैं 23 साल का हूँ, मेरी हाइट 6 फिट है और रंग गोरा है. दिखने में भी हैंडसम हूँ. यह मेरी सारी फ्रेंड्स बोलती हैं.

यह मेरी पहली सच्ची गरम सेक्स कहानी है, जो मैं आप सबको आज बताने जा रहा हूँ.

यह कहानी तब की है, जब मैं अपनी 12वीं क्लास का एग्जाम देने की बाद फ्री हो गया था.
छुट्टियां हो गई थीं तो मैं अपने चाचा के यहां आ गया था और मस्ती से छुट्टियां काट रहा था.

उस समय चाचा की शादी को 2 साल ही हुए थे. मेरी चाची दिखने में बहुत ही ज्यादा सुंदर हैं.

चाचा की एक बस एजेंसी है और वो अपनी बस के काम से कभी कभी रात को घर नहीं आते थे.
मतलब हफ्ते में 2 दिन तो पक्का नहीं आ पाते थे.
इसी वजह से मैं चाची के साथ उनके रूम में ही सोता था.

मैं उस समय चाची के बारे में कुछ ऐसा नहीं सोचता था.
लेकिन एक दिन कुछ ऐसा हुआ कि मेरी नज़र चाची के प्रति एकदम से बदल गयी.

वैसे तो मैं चाची से बहुत खुल कर बात करता था इसलिए उन्हें मेरी गर्लफ्रेंड के बारे में भी पता था.

एक दिन चाची के फ़ोन में ऐसे ही उसके अन्दर की गैलरी चैक कर रहा था तो मैंने उसमें चाचा और चाची की सेक्स करते वक्त की फोटोज देखीं जो चाची ने खुद ली थीं.
वो देख कर मेरा लंड खड़ा हो गया, मेरे अन्दर की वासना जग गयी.

चाची का रंग एकदम गोरा है.
अभी तक मुझे उनके शरीर के फिगर साइज का तो अंदाज़ नहीं था लेकिन उनके बूब्स न तो ज्यादा बड़े थे और ना छोटे. उनकी गांड भी एकदम मस्त थी.

मैं चाची के पास गया, वो उस समय रसोई में खाना बना रही थीं.

मैंने उनसे कहा- चाची मैंने आपके फ़ोन में अभी बहुत मस्त फोटोज देखी हैं.
वो एकदम से हैरान हो गयी और बोलीं कि तूने मेरा फ़ोन क्यों चैक किया?

मैंने कुछ नहीं कहा और बस चाची की तरफ देखता रहा.

उसके बाद वो थोड़ा सा हंस दीं और बोलीं- कैसी लगीं फोटोज?

उनका बदला हुआ सुर देख कर मैं एकदम से हड़बड़ा गया कि चाची ये क्या बोल रही हैं.
मैंने तो सोचा था कि चाची के मजे लूंगा मगर ये तो मेरे ही मजे लेने लगी हैं.

एक दो पल के बाद मैं हंस कर बोला- चाची आप तो बहुत सेक्सी हो और फोटोज भी बहुत सेक्सी लेती हो.
यह सुन कर वो कुछ नहीं बोलीं और खाना बनाने लगीं.

फिर रात को सोने की बारी आई और मैं उन्हीं के कमरे में सोने वाला था क्योंकि आज भी चाचा घर में नहीं थे.

मैं चाची के आने से पहले बिस्तर पर लेट कर मोबाइल चला रहा था.
कुछ देर बाद चाची भी कपड़े बदल कर आ गईं और मुझसे बातें करने लगीं.

हम दोनों हंसी मजाक करने लगे थे लेकिन मेरे दिमाग में बार बार चाची की वो सेक्सी फोटोज ही आ रही थीं.

मैं चाची के साथ लेट तो गया था लेकिन मुझे नींद नहीं आ रही थी.

रात के 12 बज चुके थे और चाची सो रही थीं.
तभी मैंने चाची की कमर में हाथ डाल दिया.
यह हम दोनों के लिए आम बात थी क्योंकि हम जब भी साथ सोते थे, तो कोई न कोई एक दूसरे के कमर में हाथ डाल ही देते थे.

हम दोनों एकदम कपल की तरह सोते थे.

मैं धीरे धीरे अपना हाथ चाची के मम्मों की तरफ बढ़ाने लगा. मैं ये सब उनकी नींद का फायदा उठाते हुए कर रहा था.

मैंने उनके मम्मों को धीरे धीरे दबाना शुरू कर दिया.
मुझे बहुत अच्छा लग रहा था. मेरा लंड खड़ा होकर 6 इंच का हो गया था और चाची की गांड में लगना शुरू हो गया था.

तभी अचानक चाची थोड़ा सा हिलीं और मेरा हाथ पता नहीं कैसे चाची के टॉप के अन्दर चला गया.
मेरे लिए तो ये अब गलती से हुआ लगता था लेकिन वो सब चाची ने किया था.

अब मैं मम्मों को ब्रा के ऊपर से दबाने लगा.
मुझे लगा था कि चाची अभी तक नींद में ही हैं लेकिन वो इस सबका मज़ा ले रही थीं.

मैं बहुत हिम्मत करके ब्रा के अन्दर हाथ डालने की कोशिश करने लगा और सफल भी हो गया.

जब मैंने चाची की चूची के निप्पल को टच किया, तो पता चला कि चाची उठी हुई हैं, उनके निप्पल सख्त हो चुके थे.

अब मैंने चाची को अपने तरफ किया और बोला- आप तो बहुत तेज़ हो, चुपके चुपके मज़े ले रही हो.
चाची बोलीं- अब बात न करो … जो काम शुरू किया है, पहले उसको खत्म करो.

ये बोलते हुए उन्होंने अपना टॉप और ब्रा दोनों निकाल दिए और अपने बूब्स मुझे थमा दिए.

मैंने चाची के दोनों मम्मों को अपने हाथों में भर लिया और एक एक करके चूसने लगा.

चाची एकदम से मस्त हो गईं और मुझे अपने मम्मों के ऊपर दबाने लगीं.
उनके कंठ से मस्त सिसकारियां निकलने लगीं- आंह अअअह … आराम से दबाओ.

चाची ने अपना हाथ मेरी चड्डी में डाल कर मेरा लंड बाहर निकाला और हाथ से आगे पीछे करने लगीं.

चाची- कितना बड़ा है तेरा, इतना बड़ा तो मैंने कभी देखा ही नहीं.
मैं बोला- आज देख भी लो और अपनी सारी ख्वाहिश भी पूरी कर लो. मैं आपको पूरी मस्त कर दूंगा.

चाची- हां मुझे भी बड़ी चुल्ल है. अब जल्दी से चोद दो … मुझसे अब रहा नहीं जाता.
मुझे भी उस समय सेक्स में ज्यादा कुछ करना नहीं आता था, बस चोदना ही आता था. मतलब चूत चाटना, लंड चुसवाना आदि ये सब नहीं आता था.

मैं देर न करते हुए, चाची के ऊपर चढ़ गया और लंड को चूत में सैट कर दिया.

चाची गांड उठाती हुई बोलीं- जल्दी से डाल दो.

मैंने एक जोर से झटका मारा, मेरा पूरा लंड अन्दर घुस गया और चाची की चीख निकल गयी.

चाची- आंह मर गई … साले आराम से पेल ना, एकदम से पूरा अन्दर डाल दिया.
मैंने कहा- एकदम से पेलने लायक ही माल हो आप … आह कितनी टाईट चुत है आपकी.

चाची मीठे दर्द से कराह रही थीं मगर लंड को अन्दर से बाहर निकालने की कोशिश नहीं कर रही थीं.

मुझे भी अपने लंड पर चाची की कसी हुई चुत की जकड़न को रगड़ने में बहुत मजा आ रहा था.

मेरे मोटे लंड को चाची अपने दांत दबा कर अन्दर लेती जा रही थीं और कराह भी रही थीं- आह … धीरे धीरे अन्दर पेल साले … तेरा हथियार बहुत मोटा है. मेरी चुत फट सी रही है.

मैं भी उनकी इन आवाजों से गर्म होता जा रहा था और उनकी एक चूची को अपने मुँह में दबा कर लंड चुत के अन्दर ठेलता जा रहा था.

कुछ ही पलों में मैंने एक तेज शॉट मारा और अपना पूरा लंड चुत की गहराई में पेल दिया.
मुझे ऐसा लगा कि जिससे मेरा लंड छिल गया हो … जबकि दूसरी तरफ चाची की चीख निकल गई.

उन्होंने मेरे सीने को धकेलते हुए मेरे सीने पर अपने नाख़ून गड़ा दिए थे.
मुझे एक साथ दो दर्द हुए थे. एक तो लंड जैसे किसी संकरी जगह में फंस सा गया था, जिससे मेरी नसें एकदम से निचुड़ सी गई थीं और दूसरे चाची ने अपने नाखूनों से मुझे नौच लिया था.

मेरी भी आह निकल गई और मैं चाची के ऊपर ही गिर गया.
एक दो पल बाद मुझे सांस आई तो मैंने अपनी भुजाओं से बल से अपना भार चाची के ऊपर से हटा लिया.

मैं अब एक भरपूर मर्द की तरह चाची की चुत में अपना समूचा लंड पेले हुए उनको देख रहा था.
चाची की आंखें बंद थीं और आंख से आंसू टपक रहे थे.

मैंने उनकी एक चूची को फिर से अपने मुँह में भर लिया और निप्पल को मींजते हुए चूसने लगा.

कुछ ही समय में चाची की आंखें खुल गईं और वो मीठे दर्द के अहसास से मेरी तरफ बड़े प्यार से देखने लगीं.
उनका हाथ मेरे सर पर जम गया और वो मुझे अपना दूध पिलाने लगीं.

कुछ देर बाद मैंने धीरे धीरे झटके देने शुरू कर दिए.

अब चाची भाभी मज़ा लेने लगीं और मस्त आवाज़ निकलने लगीं- अअअह आह … गौरव मज़ा आ रहा है. कितना बड़ा है तेरा लंड … अन्दर बड़ी रगड़ दे रहा है … अह अअअह!

अब मैंने भी पूरा लंड बाहर सुपारे तक खींच कर वापस अन्दर पेलना शुरू कर दिया था.
चाची की मादक आवाजें मेरी उत्तेजना को बढ़ाए जा रही थीं.

कुछ ही समय में चाची की टांगें हवा में उठने लगीं और उन्होंने मेरी कमर पर अपनी दोनों टांगें लपेट लीं.

इधर मैं अपने दोनों हाथों की मुट्ठियां बिस्तर पर जमाए हुए चाची की चुत में लंड पेल रहा था और एक तरह से मैं डिप्स मार रहा था.

मेरी दोनों टांगें बिस्तर पर नीचे तक फैली हुई थीं और मैं अपना मुँह चाची के दोनों मम्मों को बारी बारी से चूसता हुआ चाची की चुत चोद रहा था.

चाची जल्द ही अकड़ने लगीं और उनकी गांड मेरे लंड पर उठने लगी.
वो यकायक एकदम से चीखीं और निढाल हो गईं … वो झड़ गई थीं.

अब उन्होंने अपने एक हाथ से मेरे सीने को आगे पीछे होने से रोका.
मैं समझ गया कि चाची का काम तमाम हो गया है.

मगर इस वक्त मुझे बड़ा मजा आ रहा था और मैं अभी नहीं झड़ा था.
तब भी मैं कुछ पल रुक गया और चाची की तरफ देखने लगा.

चाची ने चुदी हुई रंडी की तरह मुस्कान सी और बोलीं- साला राक्षस है पूरा!
मैंने कहा- अभी मैं झड़ा नहीं हूँ.

चाची- हां मालूम है … थोड़ा रुक जा साले … तेरी चाची पूरा मजा देगी.
मैंने उन्हें चूम लिया और फिर से निप्पल अपने मुँह में ले लिया.

एक दो पल बाद चाची ने फिर से मेरे सर को सहलाया और कान में कहा- चल शुरू हो जा!
मैंने फिर से अपनी बुलेट ट्रेन दौड़ा दी.

करीब 15 मीन तक हमारी चुदाई चली, उसके बाद मैं झड़ने वाला था तो मैंने चाची से पूछा कि किधर निकलूं?
उन्होंने कहा- अन्दर ही निकाल दे.

बस कुछ तेज झटकों के बाद मैं चाची की चुत में ही झड़ गया.
उस समय तक चाची भी फिर से झड़ चुकी थीं.

चुदाई के बाद हम दोनों नंगे ही चिपके थे.

चाची मुझे चूमती हुई बोलीं- इतने दिन से पता होता कि तेरा इतना बड़ा है, तो अभी तक रोज़ तुझसे ही चुद कर मजा ले लेती.
मैं बोला- जब जागे तब सवेरा … आज से ही हम अपना कार्यक्रम शुरू कर लेते हैं.

चाची हंस दीं और मुझे एक किस कर दिया.

उसके बाद हमने उस रात को 3 बार सेक्स किया.

फिर जब तक मेरा एडमिशन एक कॉलेज में नहीं हुआ था, तब तक हम दोनों हर रोज़ ही सेक्स करने लगे थे.

चाची ने मुझे सब सिखाया. चूत चूसना सिखाया और उन्होंने मेरा लंड भी चूसा.

अब उनके 2 बच्चे हो गए हैं तो हमने सेक्स करना बंद कर दिया.


 

junglecouple1984

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चाची ने बनाया चुत चुदवाने का प्लान



दोस्तो, यह मेरे जीवन की पहली चुदाई की कहानी है.

चाचा की जब शादी हुई, तब से मैं चाची के काफी नजदीक रहा, मतलब बिल्कुल एक बेस्ट फ्रेंड की तरह.

मेरे दिमाग में चाची के लिए कभी कोई गलत सोच नहीं थी और ना ही मैंने कभी ऐसा सोचा था.

मगर जब से मेरी नजरें चाची जी को लेकर बदलीं, तब से सीन ही बदल गया था.
अब उनमें मुझे एक मस्त माल नजर आने लगा था.

आगे बढ़ने से पहले मैं आपको अपने और चाची जी के बारे में बता देता हूँ.

मेरी चाची का तो पूछो मत, जब भी पास से गुजरती हैं, आय हाय … दिल पर बर्छियां सी लगने लगती हैं.
चाची जी का नाम रेणू है.
चाची की लंबाई 5 फुट 5 इंच, उम्र 29 साल और फिगर 36-32-38 का एकदम गदरया हुआ माल है.

मेरा नाम आनन्द है, मैं कोटा का रहने वाला हूँ.
मेरी हाईट पांच फुट ग्यारह इंच की है और उम्र 23 साल की है. मेरे लंड महाशय की लम्बाई मोटाई इतनी है कि ये किसी सूखे कुंए से भी पानी निकाल दे.

चाची और मेरे बीच सब कुछ ठीक चल रहा था. मुझे चाची बहुत अच्छी लगती थीं.
मैं चाची के साथ कई बार घूमने, शादी पार्टियों में जाया करता था.

चाची सज-संवर कर जब मेरे साथ जाती थीं तो मैं उन्हें बड़ी कौतूहल भरी नजरों से देखता था कि कोई महिला इतनी सुंदर कैसे लग सकती है.

चाचा को अपने काम की वजह से बहुत कम समय मिल पाता था तो मुझे ही चाची के साथ जाना पड़ता था.

इसी तरह एक दिन हम बाइक से एक शादी समारोह में गए थे.
शादी से लौटते वक्त हम काफी लेट हो गए थे.

जहां हम लोग गए हुए थे, वो रास्ता काफी सुनसान और जंगल का रास्ता था लेकिन रास्ते में गाड़ियां मिलती रहती थीं, तो कुछ खास डर नहीं लगता था.

हम जब शादी से फ़्री होकर निकले, तो उस रास्ते में पता नहीं चाची ने या तो जानबूझ कर या डर की वजह से खुद को मेरे पीछे चिपका लिया था.

इस वक्त तक मेरे दिमाग में चाची के लिए कुछ भी नहीं था लेकिन जब चाची मेरे पीछे चिपक कर बैठ गईं तो उनके गदराए मम्मे मेरी पीठ पर चुभने लगे.

जैसे जैसे बाईक जंगल में सुनसान इलाके के करीब जाने लगी, वैसे वैसे चाची मुझको पीछे से जकड़ने लगीं.

इसके बाद चाची ने अपने हाथों को आगे बढ़ाया और मेरी कमर से होते हुए आगे बांध लिए.
उस वक्त भी मेरे मुँह से चूं तक नहीं निकली.

हालांकि चाची के जकड़ लिए जाने मुझे दिक्कत होने लगी थी.

मैं बाईक कैसे चलाऊं, कुछ समझ ही नहीं आ रहा था. उनके दोनों हाथ मेरे सीने पर थे.

बस उसी दिन से मेरे दिमाग और मेरे लंड ने चाची की चुत के बारे में सोचना चालू कर दिया था.

जब तक जंगल का सुनसान एरिया खत्म नहीं हो गया, तब तक चाची मुझे कस कर पकड़े रही थीं.

चाची के मोटे-मोटे बोबों ने मेरी पीठ को अच्छे से रगड़ दिया था.
मेरे आगे चाची के हाथ मेरे सीने पर चल रहे थे.

मेरा लंड पैंट के अन्दर इतना टाईट हो गया था कि उसमें बहुत तेज दर्द होने लगा था.

पीछे से चाची का दबाव और आगे बाइक की उठी हुई पैट्रोल टंकी थी.
बेचारा लंड जाए तो कहां जाए.

इसी तरह हम दोनों घर पहुंचे.

घर पहुंचते ही मैंने अपने बिस्तर तकिया लिया और छत पर चला गया.

चूंकि गर्मी का समय था और मैं छत पर ही सोया करता था.

छत पर जाते ही मैंने चाची के मोटे-मोटे बोबों को याद करते हुए मुठ मारी और सो गया.

अगले कुछ दिनों तक मैं चाची से मिला ही नहीं … क्योंकि मुझे लगने लगा था कि चाची के मन में कुछ खिचड़ी पक रही है.

दो दिन बाद चाची का मैसेज आया- कहां हो, आज कल घर क्यों नहीं आते?
चाची और मैं अलग-अलग मकान में रहते हैं.
तो मैंने बात को बदलते हुए कह दिया- कुछ नहीं चाची, थोड़ा काम में व्यस्त हूँ.

चाची को मेरी बात पर विश्वास नहीं हुआ क्योंकि उनको तो पता था कि मैं उनके घर क्यों नहीं गया.

अब चाची ने मुझे फोन किया और अपने घर आने का कहा.

जब मैं वहां गया, उस वक्त घर पर कोई नहीं था.
चाची ने मेरा हाथ पकड़ा और मुझे अपनी तरफ खींच लिया.

जब तक मैं कुछ समझ पाता, चाची मुझे किस करने लगीं.
मैंने चाची को एक दो बार मना किया कि ये सब गलत है, लेकिन मैं इसके आगे कुछ नहीं बोल पाया.

कुछ देर बाद मैं भी उनका साथ देने लगा.
मुझे कुछ पता ही नहीं चला कि कब हम दोनों एक दूसरे को बेताहाशा चूमने लगे.

मेरे हाथ चाची के जिस्म पर दौड़ने लगे.
मैं उनके मम्मों को उनके कपड़ों के ऊपर से ही दबाने और मसलने लगा.

फिर धीरे-धीरे मेरा एक हाथ चाची के पेटीकोट को उठाने में लग गया.

मैंने चाची की पैंटी के ऊपर से ही उनकी चुत को रगड़ना चालू कर दिया.

चाची को चूमने के साथ-साथ मैं अपने एक हाथ से उनके बोबों को दबा रहा था और मेरा दूसरा हाथ चाची की चुत को रगड़ने में लग गया था.

तभी मैंने चाची की पैंटी एक तरफ सरका कर चुत में उंगली डाल दी और चुत को उंगली से गर्म करने लगा.

चाची की मादक सीत्कारें मेरे जोश को बढ़ाने लगी थीं.

अब चाची का हाथ भी मेरे लंड के इर्द-गिर्द चलने लगा था.

मैंने अपना लंड निकाल दिया और चाची के हाथ में थमा दिया.
चाची मेरे लंड को मसलने लगीं और आगे-पीछे आगे-पीछे करने लगीं.

तभी बेल बजी तो हम दोनों ने जल्दी से खुद को ठीक किया और चाची दरवाजा खोलने चली गईं.

चाची के बच्चे स्कूल से आ गए तो मुझे गुस्सा सा गया.
साला खड़े लंड पर धोखा हो गया था.
अच्छा खासा मौका हाथ से गंवाना पड़ गया था.

उस दिन के बाद से चाची और मेरी फ़ोन पर बातें होने लगीं, सेक्सी वीडियो क्लिप्स एक दूसरे को सेंड होने लगे.

फिर एक दिन मैंने चाची से कहा- मुझे आपको चोदना है.
उन्होंने कहा- मुझे खुद बड़ी चुदास लग रही हैं … चल जल्दी ही कुछ सोचती हूँ.

तीन दिन बाद चाची का फोन आया- आज तुम्हें मेरे घर सोना है, तुम्हारे चाचा किसी काम से बाहर गए हैं.
मेरी तो मानो लॉटरी खुल गई.

मैंने कहा- चाची, आज तो जश्न की रात है.
चाची ने कहा- हां, अभी मेरे साथ बगल वाली आंटी बैठी हैं … मैं तुझसे बाद में बात करती हूँ.

मैं समझ गया कि चाची की मजबूरी है, जिस कारण से चाची बात नहीं कर रही हैं.
मैंने फोन काट दिया और लंड सहलाने लगा.

मुझसे रहा नहीं जा रहा था.
मैं किसी तरह रात होने का इन्तजार करने लगा.

शाम को आठ बजे में चाची के घर आ गया.
घर के हॉल में बैठ कर मैं टीवी देखने लगा.

मुझे रात को चाय पीने की आदत है तो चाची ने मेरे लिए चाय बनाई.

फिर 10:30 बजे तक मैंने टीवी देखी, तब तक बच्चे सो गए.

मैं चाची के पास आ गया और चाची को गोद में उठा कर दूसरे कमरे में ले गया.
हम एक दूसरे को किस करने लगे.
किस करते करते मैंने चाची की साड़ी उतार दी और ब्लाउज के ऊपर से बोबों को दबाने लगा.

एक हाथ से मैंने पेटीकोट का नाड़ा खोलना चाहा लेकिन नहीं खुला तो मैंने झटके से तोड़ दिया.

किस करने के साथ साथ मैं चाची के कूल्हों को अपने दोनों हाथों से दबाने लगा.

फिर धीरे से एक हाथ चाची की पैंटी में डाल दिया और चुत को मसलने लगा.
चाची की आह आंह निकलने लगी.

मैंने अपनी बीच वाली दो उंगलियां चुत में डाल दीं ओर आगे-पीछे करने लगा.

चाची अब सीत्कारने लगी थीं और उनके मुँह से ‘ऊ आ अह्ह उन्ह्ह स्स्स उन्ह्ह …’ की आवाज आने लगी.

अब तक मैंने चाची का ब्लाउज और ब्रा भी उतार दी थी.

मैं अब अपने आपे से बाहर था और उनके बोबों को जोर जोर से दबा रहा था.

मेरी उंगलियां चाची की चुत में चलती जा रही थीं.

मेरा शरीर चाची के बदन से बिल्कुल चिपक गया था क्योंकि अब चाची ने भी मेरे सारे कपड़े उतार दिए थे.

चाची का ओर मेरा शरीर आग की तरह तपने लगा था.
मेरा लंड बिल्कुल एक लोहे की रॉड की तरह कड़क हो गया था और वो अब अपनी गुफा तलाशने लगा था.

मेरे लिए परीक्षा की घड़ी यही थी क्योंकि मेरा ये पहली बार था.
ये बात चाची को नहीं पता थी तो मुझे समझ नहीं आ रहा था कि कैसे अन्दर डालूं और कैसे चुदाई करूँ.

मैंने चाची से पूछा- मुझे आपको चोदना है, क्या आप तैयार हो?
उन्होंने हामी भर दी.

मैं देर ना करते हुए लंड को चुत पर अपने हाथ से रगड़ने लगा.
चुत का चिपाचिपा रस लंड के टोपे पर लग गया.

मैंने धीरे से लंड को आगे की ओर दबाया लेकिन लंड चुत के अन्दर नहीं गया.
पता नहीं ऐसा क्यों हुआ था.
या तो मैं ज्यादा उत्तेजित हो गया था या मुझसे हो नहीं पाया.

मैंने चाची की टांगों को फैलाकर दोबारा कोशिश की, तो इस बार लंड चुत को फैलाते हुए अन्दर चला गया.
चुत की गर्मी मुझे लंड पर महसूस होने लगी.

मैं थोड़ा रुका तो चाची ने नीचे से गांड हिलाना चालू कर दिया.

अब मैं भी उनके साथ ही कमर चलाने लगा और चुत की गहराई में लंड को उतारने लगा.

कुछ झटके लगे और लंड महोदय ने उल्टी कर दी.
चाची को थोड़ा गुस्सा आ गया क्योंकि मैं जल्दी खाली हो गया था.

मैंने चाची को बताया कि ये मेरा पहली बार था. इसलिए जल्दी हो गया.

अब चाची हंसने लगीं.
मैंने पूछा- हंस क्यों रही हो?

तो उन्होंने हैरानी जताते हुए कहा- क्या सच में ये तुम्हारा पहली बार है?
मैंने चाची को कसम दिलाते हुए बताया- हां चाची, आज से पहले मैंने कुछ नहीं किया.

अब चाची भी कहने लगीं- हां मुझे तुम्हारे चोदने के तरीके से लग तो रहा था कि तुमने शायद ही कभी कुछ किया होगा.
हम कुछ देर लेटे रहे.

उसके बाद मैं मूतने गया तो चाची भी मेरे साथ आ गईं.
वहां वो मेरी ओर मुँह करके बैठ कर मूतने लगीं.

चाची की चुत से छर्र छर्र की आवाज के साथ मूत की धार आने लगी.

चाची की पेशाब रूकने के बाद मैंने देखा कि चाची की चुत से लंड ने जो उल्टी की थी, वो भी बाहर आ रही थी.

चाची ने अपनी चुत को पानी से अच्छे से साफ़ किया और चुत को चमका लिया.

अब हम दोबारा बिस्तर में आ गए ओर एक दूसरे के शरीर से खेलने लगे.
मोटे-मोटे बोबों से भरी छाती मुझे उन्हें दबाने और चूसने के लिए बुला रही थी.

हम एक दूसरे को किस करने लगे, चाची के प्यारे गदरये बदन को में दबाने ओर मसलने लगा था.

इस बार मैंने देर ना करते हुए चाची की चुत में अपना लंड पेल दिया और धीरे-धीरे चोदने लगा.
मुझे लंड अन्दर बाहर करने में थोडी दिक्कत हो रही थी तो मैंने एक तकिया चाची की गांड के नीचे लगा दिया.

अब लंड ओर चुत का मिलन अच्छे से हो रहा था.

चाची की चुत गपागप लंड को लिए जा रही थी.
मुझे इस बार चुदाई में कोई दिक्क़त नहीं हो रही थी.

मैं बीच-बीच में रुक कर चाची के बदन से खेलने लगता, किस करने लगता ताकि सेक्स टाईम ज्यादा हो सके.

धीरे-धीरे चाची भी चुत चुदाई का मजा लेने लगीं.

हम दोनों चुदाई का अपनी-अपनी इच्छा से मजे ले रहे थे.
कभी वो मेरे ऊपर आ जातीं … तो कभी मैं उनके ऊपर. लंड और चुत का मिलन काफी अच्छा हो रहा था.

मुझे तो इतना मजा आ रहा था कि मैं चाची की टांगें उठा उठा कर उन्हें चोदने लगा.

कमरे में फच-फच की आवाजों के साथ चाची की ‘ऊ आ अह्ह आआ आई उन्ह्ह उन्ह्ह …’ आवजें भी गूंजने लगी थीं.

मैं काफी रफ्तार से चाची की चुदाई लम्बे-लम्बे झटकों के साथ कर रहा था, तभी चाची की प्यारी चुत का दबाव मेरे लंड पर कसने लगा.

चाची अपने होंठों को दांतों से दबाती हुई एक लम्बी ‘उन्ह्ह्ह …. मर गई …’ की आवाज के साथ झड़ गईं.

जैसे ही चाची की चुत ने पानी छोड़ा, लंड की रफ्तार और तेज हो गयी. साथ ही फच-फच की आवाजें भी तेज हो गईं.

चाची मुझसे पूछने लगीं- अब कितना समय लोगे?
मैंने जवाब दिया- ये तो लंड ही जाने!

लंड गपागप धड़ाधड़ चुत को पेले जा रहा था.

कुछ दस पन्द्रह तेज झटकों के साथ मैं चाची की चुत में झड़ गया.

चाची का चेहरा लाल हो चुका था और उनकी आंखों में हल्का पानी भी था.
मेरे रस का अहसास पाते ही चाची के होंठों पर मुस्कुराहट छा गई.

चाची ने मुझे एक लम्बा किस किया और हम दोनों चिपक गए.

कुछ देर इसी तरह चूमाचाटी में ही हम दोनों को कब नींद आ गयी, कुछ पता ही नहीं चला.

सुबह जब मैं उठा तो देखा हम दोनों आदमजात नंगे पड़े हुए थे.
चाची बेसुध टांगें फैलाए पड़ी थीं.

वैसे तो चाची को कपड़ों में देखकर ही मेरा लंड सुबह सुबह खड़ा हो जाता था, आज तो वो मेरे बाजू में नंगी पड़ी थीं.

उनकी नंगी चुत चूची देख कर लंड एकदम लोहा हो गया.

मैंने बिना चाची को उठाए और चाची को बिना आभास कराए अपने लंड को चुत में सैट कर दिया और पूरी ताकत से पेल दिया.
मेरा प्रयास सफल रहा और पूरा का पूरा लंड चुत की गहराई में उतर गया.

Xxx चाची के मुँह से दर्द के कारण ‘आह्ह मार डाला … आंह मर गई.’ निकल गया.

मैंने उन्हें चूमा, तो उन्होंने मुझे भी चूमते हुए कहा- पागल … कम से कम मुझे उठा तो देते.
मैंने कुछ नहीं कहा, बस ताबड़तोड़ चुत चुदाई चालू कर दी.

दस पन्द्रह मिनट की चुदाई के साथ में चाची की चुत में झड़ गया.

चुदाई के बाद हम दोनों ने एक दूसरे को साफ़ किया और कपड़े पहन लिए.

चाची ने दोनों के लिए चाय बनाई. मैं चाय पीकर वहां से निकल गया.

इस तरह चाची ने मेरे लंड से चुत चुदवाने का प्लान पूरा कर लिया था.


 
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junglecouple1984

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सास के सामने ससुरजी का मोटा लन्ड लिया



दोस्तो, मैं पायल एक गाँव की सीधी साधी लड़की थी. मेरा शरीर बहुत भरा हुआ था 36-30-38.

मेरे घर वालों ने मेरी शादी 18 साल की उम्र में ही करवा दी थी.
ससुराल में मेरे पति नमन जिनकी उम्र 23 साल लन्ड 8”, सास शांति उम्र 40 साल भरे पूरे बदन वाली औरत और मेरे ससुर जी हिम्मत सिंह उम्र 51 साल लन्ड-9″ रहते हैं.

मेरे ससुर जी गाँव के बहुत मशहूर पहलवान और जमींदार हैं, मेरे पति शहर में सरकारी नौकरी करते हैं.

जब मेरी शादी हुई तो मेरे पति ने एक महीने की छुट्टी ली थी और जब तक वो यहाँ मेरे पास गाँव में रहे मुझे रोज चोदते रहे.
फिर जब उनकी छुट्टी खत्म हुई तो वो मुझे यहाँ गाँव ही अपने माता पिता के पास उनकी सेवा करने के लिए छोड़ कर चले गए. वे बस रविवार को ही गाँव आते और मुझे चोदते थे.

क्योंकि मुझे अभी जवानी आयी ही थी तो मुझे चुदाई का मन तो बहुत होता!
पर मैं कुछ कर नहीं पाती अपनी उंगलियों से अपने आप को शांत कर रह जाती बस!

मेरे ससुर हिम्मत सिंह रोज कसरत करते थे.

एक बार मेरी नज़र उन पर पड़ी जब वो कसरत कर रहे थे.
उन्होंने बस एक धोती पहन रखी थी, बनियान भी नहीं पहनी थी उन्होंने!
और वो कसरत कर रहे थे, उनका कड़ा बदन और उस पर उनका पसीना उनके बदन को ओर आकर्षक बना रहा था.

उस दिन से मेरी नज़र मेरे ससुर जी पर डगमगा गयी.

रात में अब मैं ससुरजी के बारे में सोच अपनी चूत गीली करने लगी थी.

एक रात मुझे नींद नहीं आ रही थी तो छत पर टहलने के लिए निकल गयी.

मेरा कमरा नीचे था और ऊपर मेरे सास ससुर का कमरा था.

जब मैं अपने सास ससुर के कमरे के पास से गुजरी तो उनके कमरे से कुछ आवाज आई.

खिड़की से अंदर को झांक कर देखा तो पाया कि ससुर जी सासु जी की चुदाई कर रहे थे.

दोनों पूरे नंगे थे, मैं ससुर जी का लन्ड तो सही से देख नहीं पा रही थी.
पर जैसे सासु जी जोर जोर से आवाजें निकाल रही थी, उससे समझ में आ रहा था कि ससुर जी का कितना बड़ा और मोटा होगा.

मैं वहीं खिड़की पर खड़ी अपनी चूत में उंगलियाँ डालने लगी.
सासु जी की चूत ने बहुत जल्दी ही अपना पानी छोड़ दिया और वो ससुर जी को अपने ऊपर से हटाने लगी.

पर ससुर जी का अभी हुआ नहीं था, उनको अभी और चुदाई करनी थी- क्यों री शांति, क्या हुआ तुझे?
सासु जी- अजी वो मेरा पानी निकल गया है।

ससुर जी- तेरा तो रोज का यही रंडी रोना है, तेरा हो गया पर मेरा क्या?
सासु जी- रोज की तरह चूस कर आपको शांत कर दूँगी मैं! थोड़ी देर से अभी मेरी सांस भर आयी है आपकी चुदाई से!

ससुर जी- हट मादरचोद कहीं की! साली छिनाल लगता है अब मुझे बाहर ही अपनी प्यास बुझानी पड़ेगी, तुझसे तो कुछ नहीं होगा।
सासु जी आँखों में आँसू भरे हुई- आप ऐसा क्यों बोल रहे है जी?

ससुर जी- छिनाल कहीं की … अगर तुझसे नहीं हो रहा है तो बोल दे मैं बाहर अपना इंतजार कर लूंगा।

यह बोल ससुर जी ने सासु जी के बाल पकड़ अपना लन्ड उनके मुँह में दे दिया और उनके मुँह को चोदने लगे.
सासु जी उनसे छूटने की कोशिश करने लगी.
पर ससुर जी का पहलवानी बदन सासु जी को छोड़ ही नहीं रहा था.

15 मिनट तक मुँह को चोदने के बाद ससुर जी सासु जी के मुँह में ही झड़ गए.
फिर उन्होंने सासु जी को छोड़ा.

सासु जी का मुंह रोने जैसा हो रहा था और उनके मुँह से ससुर जी का गाढ़ा माल टपक रहा था.

यह देख मेरी भी उत्तेजना बढ़ रही थी और मेरी चूत ने भी अपना पानी छोड़ दिया.

ससुर जी का मुरझाया हुआ लन्ड मेरी आँखों के सामने था. उनका लन्ड मुरझाया हुआ होने के बाद भी मेरे पति के लन्ड से मोटा लग रहा था.

फिर मैंने अपने कपड़े सही किये और अपने कमरे में चली आयी.

आकर मैं ससुर जी के लन्ड के बारे में सोचती रही.
ससुर जी के बारे में सोचते हुए मुझे कब नींद आ गयी पता ही नहीं चला.

सुबह मैं उठ कर ससुर जी को पटाने के प्लान बनाने लगी.

मैंने अपनी रात वाली चड्डी बाथरूम में ही छोड़ दी क्योंकि मुझे पता था कि मेरे नहाने के बाद ससुर जी भी नहाने आयेंगे.

ससुर जी बाथरूम से निकलने के बाद मैं वापस बाथरूम में गयी और मैंने वही पाया जो मैंने सोचा था.
मेरी चड्डी पर ससुर जी ने अपने लन्ड का माल गिराया था.

ससुर जी रोज शाम को हमारे नौकर से अपने बदन की मालिश करवाते थे.
पर मैंने आज नौकर को किसी काम से बाहर भेज दिया था.

जब ससुर जी कसरत करके लौटे और नौकर को नहीं पाया तो गुस्सा होने लगे.

तो मैं ससुर जी पास गई और बोली- क्या हुआ ससुर जी, आप इतना गुस्सा क्यों हो रहे हो?
ससुर जी- बहू, जब तुम्हें पता है कि रोज कसरत करने के बाद मैं नौकर से अपनी मालिश करवाता हूँ तो तुमने उसे बाहर क्यों भेजा?

मैं- माफ कीजियेगा ससुर जी, पर आप चाहें तो मैं आपकी मालिश कर दूँ?
पहले तो ससुर जी ने थोड़ा सोचा फिर बाद में हाँ कर दी.

मैं मालिश करती हुई- ससुर जी, क्या मैं आपसे कुछ पूछ सकती हूँ?
ससुर जी- हाँ बहू, पूछो क्या पूछना है तुम्हें!

मैं- ससुर जी आप इतने हट्टे-कट्टे हो, आपका बदन भी बहुत जोशीला है तो सासु जी आपको खुश कर लेती हैं या नहीं?
ससुर जी- तुम्हारा कहने का क्या मतलब है बहू?
मैं- क्या सासु जी आपको संतुष्ट कर पाती हैं? क्योंकि आपके जैसे मजबूत बदन वाले को तो मेरी उम्र की औरत भी बहुत मुश्किल से संतुष्ट कर पायेगी?

यह बोल मैं ससुर जी के लन्ड पर हाथ फेरने लगी.

ससुर जी मुस्कुराते हुए- ये तो तूने सही बोला बहू, वो तेरी बूढ़ी सास कहाँ मेरे को शांत कर पायेगी। पर तू बता बहू … लल्ला तुझे खुश रखता है या नहीं?
मैं- अब मैं क्या बताऊँ ससुर जी, वो सिर्फ रविवार को ही आते हैं. उसमें भी एक बार ही कर पाते है, अब उनमें आपके जैसा जोश कहाँ ससुर जी।

ससुर जी का लन्ड खड़ा होने लगा था- बहू, अगर तुझे कुछ भी चाहिए तो मुझसे बोलना मैं तुझे दूँगा।
मैं- अब एक जवान औरत को क्या चाहिए होता है, आपको तो पता ही होगा।

यह बोल मैंने ससुर जी का लन्ड धोती के ऊपर से ही पकड़ लिया.

ससुर जी- तेरी सास कहाँ है दिख नहीं रही है?
मैं- वो पड़ोसी के यहाँ पर गयी है।

यह सुन ससुर जी ने अपने मजबूत हाथों से मुझे पकड़ा और मुझे अपने पास ले आये और मुझे चूमने लगे.
मैं भी उनका साथ दे रही थी.

उसके बाद उन्होंने मेरे दूध को ब्लाउज़ के ऊपर से ही दबाना शुरू कर दिया.

फिर उन्होंने मेरे ब्लाउज़ और ब्रा को खोला और मेरा दूध पीने लगे.

ससुर जी- बहू, तेरे दूध तो बहुत रसीले हैं, मन कर रहा है बस इन्हें पीता ही रहूँ।
मैं- अब तो मैं आपकी ही हूँ ससुर जी, जब आपको पीना हो या जाइयेगा।

फिर ससुर जी ने मेरा पेटीकोट भी खोल दिया और मेरी चड्डी उतार मेरी चूत को चाटने लगे.

मैं मदहोश हो चुकी थी- ससुर जी, अब और मत तड़पाइये, आपका लन्ड अंदर डाल दीजिये ना!

ससुर जी ने अपनी धोती ओर चड्डी खोली और मेरी आँखों के सामने उनका विशालकाय और मोटा लन्ड आ गया.

मैंने ससुर जी का लन्ड देख बिना देरी के उसे अपने मुँह में ले लिया.
ससुर जी का लंड इतना मोटा था कि मेरे मुँह में भी नहीं समा रहा था.

फिर ससुर जी ने मेरी चूत पर तेल लगाया और थोड़ा तेल अपने लन्ड पर लगाया और मेरी चूत के ऊपर रख उसे रगड़ने लगे.

मैं- ससुर जी, तड़पाइये मत मुझे … अब अंदर डाल भी दीजिये।
ससुर जी- जैसा तुम चाहो बहू!

ससुर जी के लन्ड का सुपारा जैसे ही मेरी चूत में गया, मेरी चीख निकल गयी.
तो ससुर जी ने मेरी ब्रा मेरे मुँह में डाल दी और धीरे धीरे अपना लन्ड मेरी चूत में डाल दिया.

पहले पहले तो मेरी दर्द के मारे हालत खराब हुई पर जब दर्द कम हुआ तो मैं भी चुदाई का पूरा मजा लेने लगी.

ससुर जी और मेरी चुदाई 25 मिनट तक चली. हम दोनों का बदन पसीने में भीग चुका था.

इतने में सासु जी पड़ोसी के यहाँ से आ गयी.
पर मैंने घर का दरवाजा पहले ही बंद कर रखा था तो वो अंदर नहीं आ पाई और बाहर से ही आवाज देने लगी.

पर हम चुदाई में इतने मगन थे कि उनकी आवाज हमें सुनाई ही नहीं दी.
फिर 5 मिनट बाद हम दोनों झड़ने लगे और ससुर जी ने अपना माल मेरी चूत में ही गिरा दिया.

जब हम शांत हुए तब मुझे सासु जी की आवाज सुनाई दी और मैंने जल्दी से अपने कपड़े पहने ओर दरवाजा खोलने भागी.

दरवाजा खोलने के बाद सासु जी ने मुझे देखा और बोली- इतना टाइम कहा लगा दिया बहू, मैं कब से दरवाजा खटखटा रही हूँ, ओर ये तुझे क्या हुआ है मेरे बाल और लिपस्टिक क्यों बिगड़ी हुई है?

इतने में ही ससुर जी अपने धोती पहनते हुए आये और बोले- बहू पर क्यों चिल्ला रही है छिनाल कहीं की … बहू मेरे पास थी मेरी मालिश कर रही थी।

सासु जी को ये सब कुछ ठीक नहीं लगा पर ससुर जी के डर के मारे वो कुछ ज्यादा बोल नहीं पायी और अपने कमरे में चली गयी।

रात में:

सासु जी- अजी आप इस समय कहाँ जा रहे हो?
ससुर जी- रंडी साली, तुझे कितनी बार समझाया है जब मैं कहीं जाऊं तो टोका मत कर, समझ नहीं आता क्या तुझे?

यह बोल ससुर जी कमरे से चले गए और मेरे कमरे में आ गए.
मैं ससुर जी को देख बहुत खुश हो गयी.

मैं- ससुर जी, सासु जी अभी घर में ही हैं।
ससुर जी- बहू तू उसकी चिंता मत कर! उसे मैं सम्भाल लूंगा. अभी तो बस तू मुझे प्यार कर!

उस रात 3 बार ससुर ने बहू को पेला.
चुदाई के बाद ससुर जी वहीं मेरे ही कमरे में ही सो गये.

जब सुबह हुई तो ससुर जी ने मुझे जोरदार चुम्मा दिया और फिर अपने कपड़े पहन जाने लगे.

मैं बिस्तर पर नंगी ही पड़ी थी.

जैसे ही ससुर जी ने कमरे का दरवाजा खोला तो बाहर सासु जी खड़ी थी.
वो मुझे इस हालत में देख समझ चुकी थी कि रात भर क्या हुआ होगा.
उनकी आंखों से आँसू आने लगे और मुँह नीचे करके रसोई में चली गयी.

ससुर जी भी अपने रूम में चले गये.

दिन में जब ससुर जी बाहर गये तो सासु जी मेरे पास आई और बोली- बहू, जो भी घर में हो रहा है, बहुत गलत हो रहा है. वो तेरे ससुर हैं, पिता समान हैं वो तेरे!

क्योंकि मुझे पता था कि सासु जी ससुर जी से बहुत डरती थी और उनको कुछ भी बोल सकती थी इस लिए वो मुझे समझा रही थी तो मैंने भी उन्हें जवाब दे दिया.
मैं- सासु जी, आप नाराज़ क्यों हो रही हो. अब आप तो ससुर जी को खुश नहीं रख पा रही हो तो किसी को तो उनकी खुशी का ध्यान रखना होगा।

यह बोल मैं वहाँ से चली गयी.

रात में हम जब खाना खाने बैठे तो खाने की मेज पर ससुर जी ने सासु जी उनकी जगह से उठा कर मुझे उनके पास बिठा लिया.
फिर सासु जी को कहा- अब से बहू ही इस जगह ओर बैठेगी.

खाना खाने के बाद ससुर जी अपने कमरे में ना जाकर सीधे ही मेरे कमरे में चले गए.

सासु जी इससे बहुत गुस्सा होने लगी पर वो कुछ नहीं सकती थी.

मैं भी ससुर जी के पास चली गयी पर मैंने रूम का दरवाजा नहीं लगाया और उसे खुला ही छोड़ दिया.
ससुर जी और मेरी चुदाई की आवाज बाहर तब आ रही थी और सासु जी उसे सुनकर तड़पने लग गयी थी.

वो मेरे रूम के पास आई और रूम का दरवाजा बंद करने लगी.
सासु जी ने हमें चुदाई करते हुए देख लिया पर कुछ बोल नहीं पायी.

उसके बाद तो रोज ही ऐसा होने लगा था, मुझे जो चुदाई का सुख पति नहीं दे पा रहा था वो मुझे मेरे ससुर जी ने दे दिया था.

यह रही मेरी कहानी जिसमें ससुर ने बहू को पेला!

पर अब मैं आपको अगली कहानी में बताऊंगी कि आगे क्या हुआ था, कैसे मेरी सास ने मुझसे बदला लिया.
चलिये बता ही देती हूँ.

मेरी चुदाई से परेशान सासु जी ने अपने बेटे यानि मेरे पति से अपनी चुदाई करवाई और जैसे मैंने सासु जी को अपनी चुदाई दिखाई, उन्होंने भी मुझे अपनी दिखाई.
 

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सौतेली मां और बेटे की वासना का खेल- 1


दोस्तो, मेरा नाम विशाल है और मैं भोपाल का रहने वाला हूँ. मैं दिखने में थोड़ा सांवला हूँ और मेरी हाइट 5 फुट 9 इंच है. शरीर कसा हुआ है. मेरी उम्र 26 साल की है.

मेरी पढ़ाई हो चुकी है और मैं एक प्राइवेट कंपनी में काम करने लगा हूँ.

मेरे परिवार में मेरे मम्मी पापा, दो बहनें और हम दो भाई हैं.
मेरी दोनों बहनों की शादी हो चुकी है और मैं अभी कुंवारा हूँ. अपने छोटे भाई के साथ कॉलेज में पढ़ता हूँ. मेरे पापा सरकारी कर्मचारी हैं. मेरी माँ की मृत्यु के बाद मेरे पिता ने दूसरी शादी कर ली थी. अब जो मेरी माँ है, वो मेरी सौतेली माँ है.

मेरी मां का नाम रज्जी है, उनकी उम्र 44 साल है. वो दिखने में एक नार्मल शादीशुदा आम औरत की तरह हैं. गदराया हुआ शरीर है. मम्मे सामन्य हैं. रंग गोरा है.

मैं कॉलेज के टाइम Xforum पर चुदाई की कहानियां पढ़ता था, उसमें मां बेटे की चुदाई की कहानियां मुझे ज्यादा पसंद आती थीं.
मैं वो सब, कुछ ज्यादा पढ़ने लगा था.

इससे पहले मैंने अपनी मां को सेक्स की नजर से कभी नहीं देखा था.
लेकिन मां बेटे की चुदाई की कहानियों को पढ़ने के बाद मैं मां के साथ सेक्स करने की सोचने लगा और अपनी सौतेली मां को एक मस्त चोदने लायक माल की नजर से देखने लगा.

अपनी पढ़ाई खत्म करके मैं घर में ही रहने लगा था और जॉब करने लगा था.

जॉब लग जाने के बाद मैं अपनी मां को चोदने के बारे में कुछ ज्यादा ही सोचने लगा था.

एक दिन काम से आकर मैं फ्रेश होकर हॉल में बैठा था.
तभी मां ने चाय लाकर दी.

मां ने मुझसे कहा- चाय पीकर मेरे साथ बाजार चल … कुछ सामान लेना है.
मैंने कहा- ठीक है.

मैं हॉल में बैठा था, मां सामने के रूम में अपने कपड़े बदलने चली गईं. उन्होंने पर्दा लगाकर कमरे की लाइट ऑन कर ली.

मां घर में ज्यादातर मैक्सी ही पहने रहती थीं.

मां ने पर्दा लगाया लेकिन वो पूरी तरह लगा नहीं था. मैं सामने बैठ कर उनको देख रहा था. ये बात उनको पता नहीं थी.

मां ने मैक्सी उतारी और अलमारी में से पहनने के लिए कपड़े देखने लगीं.

मैंने मां को पहली बार ब्रा पैंटी में देखा था.
मेरी मां ने सफेद रंग की ब्रा और पीले रंग की पैंटी पहनी हुई थी.

मां का पेट थोड़ा बाहर आया हुआ था. मैं मां के इस सेक्सी रूप को को देखे जा रहा था.

चूंकि मेरी मां के बूब्स नार्मल साइज के थे और लटके हुए थे. उनके शरीर पर फैट था.

मेरी मां का जो अंग मुझे सबसे ज्यादा उत्तेजित कर रहा था, वो मां की बगलें थीं.
उनकी बगलों में हल्के हल्के काले बाल थे. वो मैंने मां को मैक्सी निकालते समय देखे थे.

मां ने एक चॉकलेटी ड्रेस निकाली और पहनने लगीं.
अचानक वो घूम गईं और उन्होंने देखा कि मैं उन्हें पर्दे में से देख रहा हूँ.

उन्होंने कुछ रियेक्ट नहीं किया और पर्दा अच्छे से फैला दिया.
पर्दा सरकाते टाइम उन्होंने हाथ ऊपर करके पर्दा बंद किया था … इस कारण मुझे उनकी एक बगल फिर से दिखाई दे गई थी.

मैं बेहद उत्तेजित हो गया था. मेरा लंड जींस में खड़ा हो गया था.

कुछ देर बाद मां कपड़े पहन कर बाहर आ गईं और मुझे देख कर बोलीं- हो गया तेरा?
मैंने कहा- हां.

मां उस ड्रेस में बढ़िया माल लग रही थीं. उनका भरा हुआ बदन और उनकी गांड एकदम चौड़ी थी.

मैं उन्हें बाइक पर बिठाकर बाजार ले गया.

कुछ देर बाद मैं मां को घर वापिस ले आया.

उस समय घर पर भाई और पापा सब आ चुके थे.

मां फिर से अपने काम में लग गईं और में अपने कमरे में चला गया.

अब मैं मां को पटाने के बारे में सोचने लगा.

दूसरे दिन मौसी का कॉल आया कि उनकी बेटी की अगले हफ्ते शादी है, सभी को आना है.

पापा कुछ नहीं बोले.

फिर पापा ने सबसे पूछा कि शादी में कौन कौन चल रहा है.
चूंकि मेरा अभी नया नया काम लगा था, तो मैंने कह दिया कि मुझे छुट्टी नहीं मिलेगी.

पापा ने मां से पूछा कि तुम चलोगी?
मां ने कहा कि मुझे ट्रेवलिंग से प्रॉब्लम होती है. मैं विशाल के साथ रुक जाती हूँ.

बात फाइनल हो गई कि मैं और मां घर रुकेंगे और बाकी सब लोग मौसी के घर शादी में जाएंगे.

फिर उन सभी के जाने का दिन आ गया.

दोस्तो, यही वो हफ्ता था, जिसने मेरी जिंदगी बदल दी थी.

अब एक हफ्ते के लिए मेरे पापा और मेरे दोनों भाई मौसी के यहां शादी अटेंड करने जाने वाले थे.

उनकी गाड़ी सुबह की थी. मैं और मां उन सभी को स्टेशन छोड़कर घर पर वापस आ गए.

हमारी रोज की तरह दिनचर्या चली. फिर रात को खाना खाने के बाद मां ने मेरा और खुद का बिस्तर हॉल में ही लगा लिया.

हम दोनों रात को सो गए.

उन दिनों बारिश का मौसम था. रात को करीब डेढ़ बजे बारिश चालू हुई.
हॉल में मेरे बिस्तर पर पानी गिरने लगा.

बिस्तर पूरा भीग गया था तो मेरी आंख खुल गई. मैंने बिस्तर साइड में किया और इस आहट से मेरी मां भी उठ गईं.

मां ने बोला कि अभी उस पर मत सो. तुम मेरे पास लेट जाओ.
मैंने कहा- ठीक है.

मैं रात में बिना कपड़े के ही सोता हूँ, सिर्फ हाफ पैंट पहने रहता हूँ.

मैं मां के पास लेट गया. मां मेरी तरफ पीठ करके लेट गईं. मैं मां के साथ के उनकी चादर में ही घुस गया और उनसे सट कर सोने लगा.

मुझे नींद नहीं आ रही थी. हॉल में लाइट बंद थी.

मां ने मैक्सी पहनी हुई थी. मां बिस्तर छोटा होने की वजह से मेरे साथ चिपकी हुई थीं.

मैं मां की गांड को अपने लौड़े पर सैट करके सोने लगा.
थोड़ी देर के बाद मेरी आंख लग गई.

फिर कुछ देर बाद मेरी आंख खुली और मैंने देखा कि मेरा बुल्ला टाइट हो गया था.
मैं लंड से बुल्ला कहता हूँ. आप भ्रमित न हों.

मेरा लंड नाईट पैंट में से उभरा हुआ था और मां की गांड पर सैट था.

मैंने थोड़ा साइड में सरक कर देखा, तो मां सोई हुई थीं और मुझे गर्मी लग रही थी क्योंकि थोड़ी बारिश के कारण लाइट चली गई थी.
मैंने मोबाइल में टाइम देखा तो 2:30 बजे हुए थे और मां गहरी नींद में सो रही थीं.

मैं चादर में ही मोबाइल खोलकर आवाज म्यूट करके पोर्न देखने लगा.
उसके कारण मेरा बुल्ला और बड़ा हो गया.

मैं मोबाइल रख कर पहले जैसे मां से सटकर सोने लगा.

मैंने लंड मां की गांड के बीच में सैट किया और डरते डरते मां के पेट पर हाथ रख दिया.

हाथ रखते ही मुझे मां का पेट नर्म लगा और मैं उसे भींच कर सोने लगा.
पर स्टेप मदर सेक्स के विचारों के कारण मुझे नींद नहीं आ रही थी.

फिर मैंने अपना मुँह मां की पीठ के पीछे की तरफ से उनकी मैक्सी के खुले हिस्से पर रखा और एक गहरी सांस ली.
जिसके कारण मुझे मां के पसीने की महक आई.
इससे मैं और भी उत्तेजित हो गया और मेरा बुल्ला अब और ज्यादा फड़ फड़ करने लगा.

मैंने लंड बाहर निकाला और मां की गांड पर सैट कर दिया.

इस बार मैं बिना डरे झटके मारने लगा.

मेरा एक हाथ मां के पेट पर था और मेरे झटके अचानक से इतने तेज हो गए कि मेरे मुँह से सिसकारियां और गर्म सांसें मां की पीठ पर लगने लगीं.

मेरे झटकों से मेरी मां हिलने तक लगी थीं.
इसी वजह से अचानक से मां की आंख खुली और वो एकदम से मुझसे अलग हो गईं.

फिर उठ कर खड़ी हो गईं.

मैंने जल्दी से मोबाइल का फ़्लैश ऑन किया, तो मां मुझे घूर रही थीं,

मुझे जागा हुआ देख कर मां कहने लगीं- ये तू क्या कर रहा था. पागल हो गया है क्या … मैं तेरी मां हूँ और तू मुझसे ही ये सब कर रहा है. कितना नीच है तू!
मैं- सॉरी मां, गलती से हो गई.

मैं उठ कर खड़ा हो गया और मां से बोला- मुझे माफ कर दो मां, मुझसे गलती हो गई.
मां के सामने मैं हाथ जोड़ने लगा.

फिर किसी तरह मैंने मां को मना लिया.

वो लेट गईं और थोड़ी देर में गहरी नींद में सो गईं.
मैं दीवार के पास एक कोने में बैठ कर सो गया.

करीब 4:30 बजे मां ने मुझे आवाज दी.
इससे मेरी आंख खुल गई.

उन्होंने मुझसे मोबाईल का फ़्लैश चालू करके मांगा.
मैंने उन्हें दे दिया.

अभी भी लाइट नहीं आई थी, इसलिए अंधेरा था.

मां उठ कर जाने लगीं.

मैंने कहा- आप कहां जा रही हो मां?
मां- टॉयलेट.

मैं फिर से सो गया.

थोड़ी देर बाद मां ने मुझे आवाज दी- विशाल.

मेरी आंख खुल गई और मैंने उनकी तरफ देखा.

मां मुझसे बोलीं- ये ले अपना मोबाइल.

मैंने मोबाइल ले लिया और टाइम देखा, उसमें 5 बज रहे थे.

मां ने मुझसे पूछा.

मां- तू रात में क्या कर रहा था?
मैं- कुछ नहीं मां, मुझसे गलती हो गई.

मां- तू एकदम नीच हो गया है.
वो बिस्तर पर बैठ गईं और मुझसे बोलीं- इधर आ मेरे पास.

मैं उनके पास गया तो मुझे मेरी मां फ़्लैश लाइट की रोशनी में साफ़ दिख रही थीं. उनके पूरे बाल खुले थे.

मैं पास जाकर उन्हें देखने लगा, मगर कुछ नहीं बोला.

मां- मैं एक बात बोलूं, तुम किसी से कहना मत!
मैं- बोलो मां.
मां- कुछ नहीं, सो जा.
मैं- बोलो ना मां.

वो कुछ नहीं बोलीं, वो बस मेरा हाथ अपने हाथ में लेकर उंगलियों में उंगलियां फंसा कर मेरा हाथ मसलने लगीं.

मां थोड़ी तेजी से सांस लेने लगी थीं.
मैं बस फ़्लैश लाइट में उनको देखता रहा.

मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि ये क्या हो रहा है.

थोड़ी देर बाद मैं समझ गया कि मां को क्या कहना था.

मैंने मोबाईल का फ़्लैश चालू रख कर उसे दीवार से टिका दिया ताकि रूम में थोड़ा उजाला हो जाए.

मां मेरा हाथ छोड़कर लेट गईं और उन्होंने अपने दोनों पैर थोड़े से खोल दिए.
वो मेरी तरफ देखने लगीं और जोर जोर से सांसें लेने लगीं.

मैं समझ गया कि मां क्या चाहती हैं. मैं ये सोचते ही गर्म होने लगा और कुछ ही पल बाद मेरा बुल्ला फिर से टाइट हो गया.

मैं मां को देखते हुए बोला कि करूं!
मां ने जोरों से सांस लेते हुए हां का इशारा कर दिया.

मैं मां के दोनों पैरों के बीच में जाकर बैठ गया और मां की मैक्सी और पेटीकोट ऊपर कर दिया.

मां अपने दोनों हाथ ऊपर करके पड़ी रहीं.
उन्होंने कुछ विरोध नहीं किया.
वो मेरी आंखों में देख रही थीं.

मैं उनकी पैंटी निकालने लगा तो वो थोड़ी सी कमर उठा कर मुझे सहयोग करने लगीं.

ये सब फ़्लैश लाइट में हो रहा था.

मैंने कुछ ही पलों में अपनी मां की पैंटी निकाल दी और उनके सिरहाने रख दी.

अब मैं उनकी टांगों के बीच में आ गया और अपनी नाइट पैंट निकाल कर उनके दोनों पैरों के बीच में बैठ गया.

मैं मां से बात कर रहा था लेकिन मां मुझे जवाब नहीं दे रही थीं.

हालांकि वो मेरा कहना मानती जा रही थीं.

दोस्तो ये उस वक्त इतना जल्दी जल्दी हुआ कि मैं आपको बता नहीं सकता.

मैं- पैर खोल दो मां.
मां ने अपने दोनों पैर चौड़ा दिए.

मैं अपना बुल्ला हाथ में लेकर मां की चूत का छेद खोजने लगा लेकिन मुझे चुत का छेद नहीं मिल रहा था.
मैंने एक दो बार चुत में लौड़ा डालने की कोशिश की, लेकिन लंड अन्दर नहीं गया.
मेरा बुल्ला एक नार्मल इंसान जितना ही है.

मैंने मां से कहा- फ़्लैश दिखाओ मां, मुझे छेद नहीं दिख रहा है.

लेकिन मां ने फ़्लैश की रोशनी नहीं डाली. इसकी जगह उन्होंने मेरा बुल्ला अपने हाथ में लिया और उसे अपनी चूत के छेद पर रख कर रगड़ने लगीं.
तो मैं समझ गया कि सही छेद यही है.

मैं थोड़ा सा मां पर झुका और एक झटका लगा दिया.
मेरा बुल्ले का सुपारा मां की चूत में घुस गया.

दोस्तो मेरी मां ने अपनी सहमति से मेरे साथ चुदवाना स्वीकार कर लिया था.
 

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सौतेली मां और बेटे की वासना का खेल- 2



अब तक आपने पढ़ा था कि मेरी मां ने मुझसे चुदवाना स्वीकार कर लिया था और मैंने उनकी चुत में लंड पेल दिया था.

अब आगे सेक्स विद माय स्टेप मॉम:

जैसे ही मेरा लौड़ा चुत में घुसा, मैंने उसी पल एक बार पूरी ताकत से एक और शॉट मार दिया.
इससे मेरा आधा बुल्ला मां की चूत में घुसता चला गया.

आधा लंड चुत में घुसा, तो मां ने थोड़ी से जोर से सिसकारी भरी- आआह … मर गई.

मैं खुशी के मारे हंस पड़ा और लंड चुत की रगड़ को महसूस करने लगा.

मां अब भी ‘हम्म … आआह …’ करके आवाज निकाल रही थीं. मैं दमादम लंड अन्दर बाहर करने लगा था.

फिर मां ने अपना हाथ हटा दिया और मेरे कंधे पर हाथ रख लिया.
मैंने उसी पल एक और तेज शॉट दे मारा.

अब मेरा पूरा लंड मां की चूत में चला गया.
मां आह आह करके सिसक पड़ीं.

मैंने मां से कहा- पूरा गया?
लेकिन मां ने कुछ नहीं कहा.

मैंने मां को धक्के देते हुए चुत चोदने लगा.
इस समय मुझे मां का मुलायम नर्म पेट अपने पेट पर टच होते हुए महसूस हो रहा था.

मैंने उनकी मैक्सी पेट से ऊपर उठा दी. अब मां का और मेरा पेट आपस में टच होने लगा.
मुझे मां की चूत के बाल भी महसूस हो रहे थे. इससे मैं और उत्तेजित हो गया और मां को झटके मारकर चोदने लगा.

दस मिनट में ही मेरी मां की चूत से पानी निकलने लगा. जिसकी वजह से हॉल में हमारी चुदाई की ‘पच पच …’ की आवाज आने लगी थी.

मैं चोदना रोक कर मां के ऊपर लेट गया और उनको किस करने की कोशिश करने लगा.

लेकिन मां ने अपना मुँह फिरा लिया.
मैं उनके गालों को चूसने और चाटने लगा.

मां ने अपने दोनों हाथ मेरी पीठ पर रख कर मुझे जकड़ लिया.
उन्होंने अपने दोनों पैरों को अड़ा कर मेरे चुदाई के काम में रोक लगा दी.

मगर मैं अपनी ताकत से उनके पैरों के बंधन को तोड़ कर उन्हें फिर से चोदने लगा.

मां अपनी कामुक सिसकारियों से भरी गर्म सांसें मेरे चेहरे पर छोड़ने लगीं.
मैं उनके मम्मों को अपने हाथों से मरोड़ता हुआ धकापेल में लगा रहा.

वो लगातार सिसकारियां लिए जा रही थीं- हम्म्म अह उम्म हहह सीईई!

मैं लंड पेलते हुए उनसे बात कर रहा था लेकिन वो मुझे जवाब नहीं दे रही थीं.

उनके गालों को काटते हुए मैं ये महसूस कर रहा था कि मां की चुत से निकली चिकनाहट से मेरा लंड काफी भीग चुका था.
लगातार शॉट मारते रहने से फच फच की आवाज तेज आने लगी थी.

मैंने उनके गालों को चूसना बंद कर दिया और मां से बोलने लगा- उमंह मांम्म्म्म किस दो ना.

उन्होंने अपनी गांड उठाते हुए अपना मुँह सामने कर दिया. इस समय उनकी आंखें बंद थीं.

मैंने मां से कहा- किस करूं!
मां कुछ नहीं बोलीं.

मेरे सामने उनके लरजते हुए होंठ थे.
मैंने उनके होंठों की एक पप्पी ली और निचला होंठ दबा कर चूसने लगा.
मां ने जरा भी विरोध नहीं किया.

मैं अपनी कमर को तेजी से आगे पीछे करते हुए लगातार अपनी मां की चुत को चोदे जा रहा था.
मेरा पूरा बुल्ला उनकी चुत में गहराई तक जाता और मैं लंड को सुपारे तक बाहर निकाल लेता.
अगले ही पल मेरा पूरा लंड फिर से चुत से जा भिड़ता.

मां की चूत और झांटों में मलाई लग गई थी और उसी के साथ मेरे लंड की झांटों में भी चुत का रस लगने से चिकनाई हो गई थी.

मैं पसीने में लथपथ हो गया था, इस कारण उनके पेट पर मेरा पसीना लग गया था. पेट की रगड़ से जोर से आवाज आने लगी थी.

मां की मदभरी आवाजें बड़ी ही मस्त लग रही थीं.

मैं मां के चेहरे को देख रहा था. मां के माथे पर फ़्लैश लाइट पड़ रही थी तो मैं उनका चेहरा देख रहा था.
उनके बाल खुले हुए थे, सिर पर कहीं कहीं सफेद बाल थे. चेहरे पर अलग ही आकर्षण था और खुलता गेहुंआ रंग था.

मैंने उनकी नाक पर अपनी नाक लगाई और मैंने नीचे से झटके मारने के लगा.
उनकी मैक्सी में से हल्की हल्की हवा आ रही थी जिसमें से उनके जिस्म पर आए हुए पसीने की महक आ रही थी.

मेरी मां चुदते हुए सिसकारियां भर रही थीं. क्यों न भरतीं, उनकी मस्त चुदाई जो हो रही थी … वो भी अपने सगे बेटे के मजबूत लंड से.

मेरी मां अपने बेटे के बड़े वाले लौड़े से चुदाई का मजा गांड उठा कर लेने लगी थीं.

अब मैंने फिर से एक बार उनके होंठों में होंठ लगाकर किस करने की कोशिश की लेकिन उन्होंने इसमें मेरा साथ नहीं दिया.

मैंने उनका मुँह अपने एक हाथ में पकड़ा और कहा- रज्जी मुँह खोल दे.

इस बार मैंने उनके मुँह में अपना मुँह डालते हुए किस करना शुरू कर दिया था.
कुछ समय बाद उन्होंने साथ देना शुरू कर दिया.

अब वो भी मेरी जीभ को अपने मुँह में खींच कर चूसने लगी थीं और साथ देने लगी थीं.

मैं तेजी से किस करने लगा.

बाहर जोरों से बारिश हो रही थी और अन्दर में मेरी मां को चोद रहा था.
हम दोनों पूरे पसीने से भीग गए थे.

मैं अपनी मां को काफी देर से चोद रहा था और लगातार झटके मारे जा रहा था.
मेरी मां मुझसे पहले झड़ चुकी थीं मगर मैं उन्हें चोदता रहा था.

अब वो फिर से झड़ने वाली हो गई थीं तो उन्होंने हमारी चूमाचाटी को तोड़कर आवाज लेना शुरू कर दिया.

‘आआह … विशाल अअहह … अअअ विशाल … मैं गईईई …’
मां ने अपने पैर खोलते हुए हवा में उठा दिए.

उनकी चुत से पानी निकला तो उसने मेरे पूरे लंड को भिगो दिया.

चुदाई में चिप चिप की आवाज आने लगी.
मैं लगातार झटके मारे जा रहा था.

मैं इस वक्त पूरा नंगा था तो मां ने अपने दोनों हाथ मेरी गांड पर रखे और मुझे जकड़ने लगीं.

मेरे चूतड़ लगातार चल रहे थे, जिस वजह से मां के हाथों में चूड़ियां होने की वजह से उनकी खनखनाने की आवाज आने लगी.

वो तेजी से मदभरी सिसकारियां ले रही थीं.

कुछ देर बाद मैं भी झड़ने को आने लगा. मेरी मां मुझसे चुदवाती हुई बोल रही थीं- आआह विशाल अन्दर मत निकलना … आआह अन्दर मत विशु … ऊऊऊ अन्दर मत … आआह उईई …

मगर मैं उत्तेजना में था तो मां की चूत में ही झड़ गया.
झड़ कर मैं कुछ देर मां के ऊपर ही लेटा रहा.

वो लम्बी लम्बी सांसें लेती हुई मेरी पीठ और कमर पर हाथ फिराने लगीं. हम दोनों काफी थक गए थे, हमारी इसी अवस्था में आंख लग गई.

सुबह मेरी मां ने मुझे आवाज दी- विशाल विशाल … उठ, मुझे उठना है.

मैंने आंखें खोल दीं और हड़बड़ा कर जाग गया और अपनी मां के ऊपर से उठ गया.

अब मैंने देखा कि मां की मैक्सी ऊपर उठी थी और मैं पूरा नंगा उनके ऊपर चढ़ा था.

मां ने मेरे लंड को एक नजर देखा और मैंने मां की चूत देखी.
मां की चूत पर काफी काले बाल थे, जिसकी वजह से मुझे उनकी चूत नहीं दिख रही थी.

मां उठ कर अपनी मैक्सी को ठीक करने लगीं और मैं अपनी अंडरपैंट ढूंढने लगा.

मेरी मां- क्या खोज रहा है?
मैं- मां मेरी अंडरपैंट?

मां- तूने ही निकाली थी अपनी और मेरी भी … मेरी किधर रख दी!
मैं- हां मां निकाली तो मैंने ही थीं. आपकी पैंटी तो आपके सिरहाने पर रखी है.

मां ने अपनी पैंटी उठाई और पहन लगीं.

वो उठीं, तो मैंने देखा कि मेरी अंडरपैंट मां के नीचे ही थी.

मेरी मां अपनी पैंटी पहनती हुई बोलीं- ये ले तेरी अंडरपैंट.
मैं- ये तो गीली हो गई.

मेरी मां- शायद रात को पानी के वजह से गीली हो गई. ला मुझे दे … उसे मत पहन, मैं दूसरी दे देती हूं.
मैं- हां.

मां दूसरे रूम में चली गईं और कुछ देर बाद दूसरी अंडरपैंट ले आईं.

मेरी मां- ये ले, पहन ले.

उन्होंने अंडरपैंट मेरी तरफ उछाल दी और कहा- अब तू मेरा नाम लिया कर!
मैं- क्यों मां?

मां- वो सब हम बाद में बात करेंगे. अभी मैं बाथरूम जा रही हूँ.
मैंने अंडरपैंट पहनते हुए कहा- ठीक है.

मां चली गईं. वो कुछ देर में नहा धोकर बाहर आ गईं.

मां- जा नहा ले, बाथरूम में गर्म पानी रखा है.
मां रसोई घर में चली गईं. हमारा रसोई घर और बाथरूम बगल बगल में ही था. मैं ब्रश करते हुए मां से बात करने लगा.

मैं मां को देखते हुए बोला- मां, आप कुछ बात करने वाली थीं.

मां ने आज ब्लैक मैक्सी पहनी थी. ये स्लीव लैस थी.

बाहर अभी भी बारिश चल रही थी.

मां- तू पहले नहा ले और अब तू मुझे मां मत बोल, मेरा नाम लिया कर!
मैं- क्यों मां ग़ुस्सा हो क्या?
मां- गुस्सा नहीं, तुम पहले नहा लो. मैं तेरे लिए नाश्ता और चाय बना देती हूं.

मैं बाथरूम में नहाने घुस गया.

मैंने बाथरूम में जाकर देखा कि मां के रात के कपड़े वहां पड़े हुए थे. उनकी गीली पैंट ब्रा के साथ नाइटी भी पड़ी थी.

मैं नहाकर बाहर आ गया और कपड़े पहन कर हॉल में आ गया.

मां- आ गया … बैठ मैं नाश्ता लगाती हूँ.
मेरी मां दोनों के लिए चाय नाश्ता ले आईं.

हम दोनों नीचे फर्श पर बैठ कर चाय नाश्ता करने लगे.

मां- ये लो कचौड़ी खाओ.
मैं- मां आप कुछ बात करने वाली थीं.

मां- हां लेकिन मगर पहले आप मुझे मां बोलना बंद करो.
मैं- क्यों … और ये आप मुझे तुम की जगह आप आप क्यों कह रही हैं?

मेरी मां- सुनो, रात को हमने मां बेटे के रिश्ते की पवित्रता को तोड़ दी है. जो हमारे बीच हुआ, वो एक पति और पत्नी के बीच होता है. इसलिए आप मुझे मां मत बुलाओ.
मैं- लेकिन मां मुझे माफ कर दो, मुझसे गलती हो गई.

मां- देखो फिर मां … और ध्यान से सुनो … रात को जो कुछ भी हुआ, वो हम दोनों की मर्जी से हुआ. आपने कोई जबरदस्ती नहीं की. मुझे भी वो सब अच्छा लगा, जो हम दोनों ने रात को किया.
मैं- क्यों … आप नाराज नहीं हो?

मेरी मां- नहीं.
उन्होंने अपनी नजरें नीचे रखते हुए कहा.

मैं- ऊओ यार … मैं तुमको काफी दिनों से अपनी गर्लफ्रेंड बनाना चाहता था. कल रात को कुछ दस्तूर ऐसे ही हो गए … मगर मैं अब जरूरी दस्तूर पूरे कर देता हूँ.

मैंने अपनी मां को गर्लफ्रेंड बनाने किए प्रपोज कर दिया- क्या तुम मुझसे शादी करोगी रज्जी?

मां- चुप बैठो आप … मुझे ये सब नहीं करना, जो हमारे बीच हुआ, वो ऐसे ही हो गया. आप इस बारे में किसी को कुछ मत बताना. ये हमारे बीच का राज रहेगा … समझे!

मैं- हां जान ठीक है, मैं किसी को नहीं बताऊंगा … और ये जो रात को हमने किया था … ये हमारे बीच चलता रहेगा जान.
मेरी मां हंस दीं और बोलीं- हां मेरी जान, लेकिन जब घर में कोई नहीं रहेगा तो हम दोनों पति पत्नी बनकर रहेंगे. घर में सब रहे, तो आपको मुझे मां कहना होगा और मैं आपको नाम से पुकारूंगी. बस ये ध्यान रखना होगा. अगर आपको ये सब मंजूर हो, तो मैं आपके साथ रिलेशन में रहूँगी, नहीं तो हम मां बेटे बनकर रहेंगे और हमारा शारीरक रिश्ता भी आगे नहीं होगा. आपको मंजूर है तो बोलो. एक बात और … आप मुझसे कभी भी जबरदस्ती नहीं करोगे.

ये बोलकर मां रसोई में चली गईं.

मैं थोड़ी देर बाद उनके पास आया तो देखा, वो मुझे नजरअंदाज करके रसोई में काम करती रहीं.

मैं- रज्जी मेरी तरफ देखो न!
रज्जी- हां बोलो?

मैंने उनका हाथ अपने हाथों में लेकर उंगलियों में उंगली फंसाते हुए कहा- मुझे सब मंजूर है शोना … आई लव यू जान!
रज्जी मुस्कुराती हुई बोलीं- पक्का न!
मैं- तेरी कसम जान एकदम पक्का.

रज्जी- आई लव यू टू जान … लेकिन किसी को हमारे प्यार के बारे में पता नहीं चलना चाहिए. वरना दुनिया हमारा प्यार परवान नहीं चढ़ने देगी.
मैं- तुम चिंता मत करो जान, हम ये रिश्ता अच्छे से निभाएंगे.
 

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सौतेली मां और बेटे की वासना का खेल- 3




अब तक आपने पढ़ा था कि मैं अपनी मां को भरोसा दिला रहा था कि हम दोनों अपने सेक्स रिश्ते उजागर नहीं होने देंगे.

अब आगे स्टेप मॉम सन सेक्स स्टोरी:

अब हम दोनों एक दूसरे का हाथ पकड़ कर उंगलियों में उंगलियां फंसाए हुए एक-दूसरे की आंखों में आंखें डालकर देखने लगे.
मैं उनको किस करने के लिए आगे बढ़ गया. मेरी मां रज्जी की हाइट कम होने की वजह से वो अपने मुँह को ऊपर उठाने लगीं.

वो अपनी एड़ियों के बल उचकीं और खड़े होकर उन्होंने मुझे अपने होंठ सौंप दिए.
मैं मेरी मां रज्जी के होंठों में होंठ डालकर किस करने लगा.

थोड़ी देर में मेरी मां रज्जी ने अपने होंठ हटा लिए और हमारा किस रुक गया.

मैं- क्या हुआ जान?
मेरी मां रज्जी बोलीं- आपकी हाइट ज्यादा है. मुझे उचककर आपको किस करना पड़ रहा है.

मैं हंसने लगा और अपनी मां का हाथ पकड़कर उन्हें कमरे में ले गया.

जहां मां ने कपड़े बदल लिए.
बाहर अभी भी बारिश चल रही थी.

हम जिस रूम में थे, वहाँ एक छोटा बेड था … जिस पर सिर्फ एक आदमी सो सकता था.

मैं उस पर बैठ गया और मां से कहा- लाइट ऑन कर लो.

मां ने लाइट ऑन की और मेरे पास आकर खड़ी हो गईं.
मैंने देखा कि उनके चेहरे पर शर्म की लाली छाई थी.

मैं- आ जाओ मेरी गोदी में बैठ जाओ.
वो अपनी गांड एक तरफ डाल कर मेरी गोदी में बैठने लगीं.

मैं- ऐसे नहीं डियर रज्जी … अपनी दोनों टांगें दोनों तरफ डालकर बैठो.
मेरी मां रज्जी थोड़ा शर्माती हुई बोलीं- ऐसे कैसे बैठ सकती हूं … मैंने मैक्सी पहनी हुई है.

मैं- मैक्सी ऊपर कर लो और मेरी बांहों में आ जाओ जान.
मेरी मां रज्जी अपनी मैक्सी ऊपर करने लगीं और वो घुटनों से ऊपर तक मैक्सी करके बैठने लगीं.

मुझे उनकी गोरी टांगें और उसकी गोरी गांड दिखने लगी.
यह देखते ही मेरे मुँह से निकल गया- बाप रे रज्जी … तू तो माल है यार, कितनी हॉट है तू.

मेरी मां रज्जी हंस दीं और अपनी दोनों टांगें डालकर मेरी गोदी में बैठ गईं.

अब वो बोलीं- क्या बोले आप?
बस मां ने मेरे गले में हाथ डालकर मुझे अपने मम्मों से चिपका लिया.
मैं उनकी गोरी गांड पर हाथ फिराने लगा.

यूं ही हाथ फिराते हुए मैं अपने हाथ मां की पैंटी के अन्दर ले गया उनकी गांड के छेद को टटोलते हुए उनकी गांड को उंगली से सहला दिया.

उसी वक्त मेरी मां रज्जी मेरे मुँह में अपना मुँह डालकर मुझे किस करने लगीं.

हम दोनों एक दूसरे को किस करने लगे. मैं नीचे से मां की गदरायी हुई गांड को दबाते और मसलते हुए अपनी मां को किस करने लगा.

कुछ पल बाद मैं मां से अलग हो गया और अपनी टी-शर्ट निकालने लगा.
मां मेरी छाती पर हाथ घुमाने लगीं तो मैंने उनसे मैक्सी निकालने को कहा.

मैं- मैक्सी निकाल दे रज्जी.
मेरी मां रज्जी- आप रात जैसे ही कर लो ना!

मैं- नहीं आज मैं तुझे नंगी करके चोदना चाहता हूँ.
मेरी मां रज्जी मेरी गोदी से उठकर खड़ी हो गईं और अपनी मैक्सी निकाल कर वो मेरे सामने खड़ी हो गईं.

उनका बदन अन्दर से गोरा और गदराया हुआ था.
मां ने काली ब्रा पहनी थी और उनके बूब्स लटके हुए थे. शरीर पर एक्स्ट्रा फैट्स था, उनका पेट लटका हुआ था.

मैंने उनसे कहा- अब पेटीकोट भी उतार दो.

वो पेटीकोट का नाड़ा खोलने लगीं और मैं अपनी मां का परिपक्व बदन देखे जा रहा था.

मेरी मां आज मेरे सामने नंगी हो रही थीं. ये देख कर मेरा बुल्ला टाइट हो रहा था.

मैं भी खड़ा हो गया और मेरी नाईटपैंट उतार दी.
मैं मां के सामने सिर्फ फ्रेंची में था.

मां ने मेरा फूला हुआ लौड़ा देखते हुए अपना पेटीकोट उतार दिया.
मेरा बुल्ला मेरी फ्रेंची से गुर्राता हुआ दिखाई दे रहा था.

मेरी मां रज्जी मेरा खड़ा लंड देखने लगीं.

मैं बेड पर बैठ गया और वो मेरे पास आने लगीं.

तो मैं बोला- जरा रुको मेरी जान … मुझे तुम्हें अच्छे से देखना है.

मां रुक गईं, मैं उन्हें नजर भर कर वासना से देखने लगा.
मेरी मां के गदराए पेट बार स्ट्रेच मार्क थे और पेट लटका हुआ था.

मैंने उन्हें पीछे घूमने को कहा तो वो घूम गईं. मैं मां की गोरी गांड देखने लगा.
उस पर भी स्ट्रेच मार्क थे. मैं वो देखने लगा और गांड को छूने लगा.

मैंने उनसे कहा- अब मेरे ऊपर आ जाओ.

वो अपनी दोनों टांगें मेरे दोनों तरफ डालती हुई मेरे बुल्ले पर अपनी चूत सैट करके बैठ गईं और मुझे बांहों में कस लिया.

वो मेरा नाम लेने लगीं- आंह विशुऊऊऊ … आप कितने गर्म हो.

मेरी मां रज्जी मुझे किस करने लगीं.
मैं भी उन्हें किस करने लगा.

हम दोनों एक दूसरे के बदन को झंझोड़ने लगे.

मैं उनका पूरे बदन अपने आगोश में लेने लगा. मैं और मेरी मां काम के नशे में डूबने लगे.

मैंने उनकी ब्रा खोल दी … वो मुझे चूमे जा रही थीं.

‘आआह विशुऊऊऊ …’ वो सीत्कार कर रही थीं और मैं ‘ओ राआजे मेरी जान आआह मेरी शोनाआआ …’ कह रहा था.

फिर मैंने मां को थोड़ा अलग किया और उनके मम्मों को दबाने लगा. उनके मम्मे हाथों में लेकर भींचने लगा.

मेरी मां के दूध लटके हुए थे और काफी नर्म थे. क्यों न होते … क्योंकि मेरी मां अब जवान नहीं थीं.
मैं उनके दोनों मम्मे बारी बारी से अपने मुँह में लेकर चूसने लगा और उन पर दांत गड़ा कर काटने लगा.

वो आंख बंद करके मादक सिसकारियां लेने लगीं.

थोड़ी देर दूध चूसने के बाद हम दोनों ने वापस हगिंग और किसिंग की और एक दूसरे को मसलने लगे.

मुझे और रज्जी को ये भी याद नहीं था कि बाहर क्या चल रहा है.
हम दोनों बस एक दूसरे के आगोश में समाए हुए प्यार कर रहे थे.

मेरी मां रज्जी ने मेरी पूरी पीठ पर अपने नाखूनों से खरोंच कर निशान बना दिए थे.

हमारे बीच ये खेल करीब आधा घंटे से चल रहा था. हम दोनों उत्तेजित हो चुके थे और अब हम दोनों से ही रहा नहीं जा रहा था.

मैंने मां की आंखों में देख कर कहा- जान, मुझे अन्दर करना है.
मेरी मां रज्जी- हां जान, अब मुझसे भी रहा नहीं जा रहा है.

मैं- तो उठो और बेड पर लेट जाओ.
मेरी मां रज्जी- जानू, हम इस बेड पर नहीं कर पाएंगे, इधर जगह कम है.

ये कह कह मां ने एक दरी और तकिया नीचे बिछा दिया.

वो किसी पहलवान की तरह अपनी कमर पर हाथ रखती हुई बोलीं- आ जा अब नीचे हो जाए!
मैं- बैठे बैठे करने में तुम्हें प्रॉब्लम तो नहीं होगी ना!

मेरी मां रज्जी- नहीं, आप मेरे ऊपर चढ़ कर करो.

वो नीचे लेट गईं और अपनी टांगें खोलकर मुझसे अपनी चुत चुदाई का इशारा देने लगीं.

मैंने खड़े होकर अपनी फ्रेंची निकाल दी और लंड हिला दिया.

मेरी मां रज्जी, मेरे खड़े लौड़े को बाहर निकलता देख कर एक मादक सिसकारी लेती हुई बोलीं- आह कितना सॉलिड लंड है आपका.

मैं नीचे बैठ गया और मां के चिकने पैरों को पकड़ कर फैला दिए.
मेरी मां की पैंटी थोड़ी भीगी हुई थी, उनकी चूत ने पानी छोड़ दिया था शायद.

मैं दोनों हाथों से अपनी मां रज्जी की पैंटी निकालने लगा.
वो अपनी कमर उठाकर मुझे साथ देने लगीं.
मैंने उनकी पैंटी निकाल कर ऊपर बेड पर रख दी.

आज मैं अपनी मां रज्जी की चूत को पहली बार देख रहा था.

उन्होंने अपने पैर पूरी तरह से खोलकर मेरी गांड पर रखे हुए थे.

मैं देख रहा था कि मां की चूत पर काफी घनी झांटें थीं पर टांगें खोलने की वजह से उनकी चूत की दरार खुली हुई थी.

उनकी चूत काफी गदरायी हुई और खुली हुई थी.
चॉकलेटी कलर की उनकी चूत की एकदम फैली हुई थी और फांकें दूर दूर थीं.
उनकी चूत का छेद आसानी ने नजर आ रहा था.

मेरी मां की चुत ने चार चार बच्चों को पैदा किया था और मेरे पापा अभी भी उनसे खुल कर चुदाई के मजे लेते थे.
ये बात उन्होंने खुद मुझे बताई थी.

मैंने मां की दोनों टांगों को थोड़ा और खोल दिया, जिसके कारण उनकी चूत पूरी तरह खुल गई थी.

मैं अपनी मां रज्जी से बोला- रज्जी, अपने हाथों से अपनी टांगें पकड़ कर ऊपर ले लो.

उन्होंने अपनी दोनों टांगें पेट पर खींच लीं.

मैंने मेरा बुल्ला अपने हाथ में पकड़ा और मां की चुत में लंड का सुपारा फेर दिया ताकि मां की चूत से निकलने वाली चिकनाई मेरे लौड़े के सुपारे पर लग जाए और चुदाई में मजा आ जाए.

मां की चुत की चिकनाई से मेरा बुल्ला भीग गया.

मैंने अपनी मां रज्जी से कहा- डालूं जान?
मेरी मां रज्जी- आंह विशु, आराम से डालना.

मैंने अपना बुल्ला मां की चूत पर रख कर धीरे से दबा दिया और मेरा बुल्ला आराम से उसकी चूत में घुस गया.
मेरे लंड की झांटें और मेरी मां की झांटों में लड़ाई होने लगी.

लंड अन्दर लेते ही मां ने अपनी टांगें चौड़ा दीं और मेरे नाम की सिसकारियां लेने लगीं- आंह विशुऊऊऊ अह आह!

मैं मां के ऊपर पूरा लेट गया और पूछा- क्या दर्द हो रहा है जान?
मेरी मां रज्जी- नहीं हम्म्म्म …

मैं- मजा आया!
मेरी मां रज्जी कुछ नहीं बोलीं और उन्होंने आंख बंद करके मेरी पीठ पर हाथ रख दिया.

मैं उनकी बांहों में समा गया और अपनी गांड आगे पीछे करते हुए मां की चुत में लंड के झटके देने लगा.

हम दोनों की चुदाई चालू हो गई.

चूंकि इस वक्त पूरे घर में मैं और मां ही थे और हम दोनों हॉल के बाजू वाले रूम में नीच बिस्तर बिछा कर चुदाई कर रहे थे.

हमारी तेज आवाजों से मस्ती गूंजने लगी थी जिसका डर हम दोनों को ही नहीं था.

मैं अपनी मां के ऊपर चढ़ कर उनकी चुत चुदाई कर रहा था.
मां ने मुझे अपनी बांहों में लिया हुआ था.

चुदाई के साथ साथ मैं और मां होंठों पर चूम चूस रहे थे.

मुझे उनके शरीर का मादक स्पर्श मिल रहा था जिससे मैं और अधिक उत्तेजित होकर अपनी मां की चुदाई करते टाइम ये भूल गया था कि आज मैं अपनी मां की चुदाई कर रहा हूँ.
मुझे लग रहा था कि मैं किसी रांड की चुदाई कर रहा हूँ.

हम एक दूसरे को किस करते जा रहे थे. मैं उनके दोनों हाथों की उंगलियों में अपनी उंगलियां फंसा कर उनके दोनों हाथों को ऊपर ले गया. तभी मुझे मां की बगलों से एक तेज पसीने की महक आई.

मैंने मां को किस करना छोड़ दिया और देखा कि मेरी मां के बगलों में घने बाल थे. जिस वजह से मां की बगलों में से कामुक महक आ रही थी.
मैं उनकी बगल चाटने और सूंघने लगा.

इससे मैं काफी उत्तेजित हो गया और जोर जोर से झटके मारने लगा.

मेरी मां रज्जी मेरा नाम लेते हुए मीठी सिसकारियां लेने लगीं- आंह विशूऊ आआह चोद दे … हम्मम ईईईई … जोर से पेल दे.

मैं मां को धकापेल चोदता रहा.
मां की चुत से पानी निकलने की वजह से मेरी और मां की चुत का इलाका पूरा भीग गया था.
इस कारण से चुदाई में छप छप की आवाज आने लगी थी.

हम दोनों मिशनरी पोजीशन में चुदाई का मजा लिए जा रहे थे.

करीब आधा घंटे के बाद मां फिर से झड़ गईं और मैं अभी भी अपनी मां को चोदे जा रहा था.

मेरा बुल्ला मां की चूत की गहराई में पूरा जाता और पूरा बाहर निकल कर फिर से अन्दर घुस जाता.

मैं इस वक्त अपनी मां की बहुत बढ़िया चुदाई कर रहा था. उनकी उम्र हो जाने के बावजूद भी मां के अन्दर चुदाई की आग थी.

कुछ देर बाद मैं झड़ने को आ गया और मैंने मां से कहा- रज्जी, मैं अन्दर झड़ रहा हूँ.

मेरी मां रज्जी मुझे मना करती रहीं लेकिन मैंने लंड का पूरा पानी उनकी चुत में छोड़ दिया.

हम दोनों एक दूसरे के ऊपर कुछ समय लेटे रहे.
 
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पड़ोसन चाची की पुत्रवधू को चोदकर मां बनाया


दोस्तो, मेरा नाम राजीव है. मैं गुजरात से एक छोटे से शहर में रहता हूँ.
मेरे परिवार में पापा मम्मी और एक मुझसे छोटी बहन है, जो अभी 10 वीं में पढ़ती है.

मैं अभी कॉलेज में एमए की पढ़ाई कर रहा हूँ. पापा की सरकारी जॉब है, इसलिए उनका ट्रांसफर होता रहता है.

मैं अपने जीवन की पहली खुद की सेक्स कहानी लिख रहा हूँ.
आशा करता हूँ, आपको यह स्टोरी बहुत पसंद आएगी.

बात उस समय की है जब मैं 12 वीं पास करके कॉलेज में दाखिल हुआ था.
उस समय तक मेरी कोई गर्लफ्रेंड नहीं थी.

दोस्तों से बात करके ही मुझे पता चलता था कि चूत को कैसे चोदा जाता है.

मेरे दोस्तों ने अपनी अपनी गर्लफ्रेंड के साथ सेक्स किया था पर मैंने अब तक नहीं किया था तो मुझे भी इसी सुख लेने की तमन्ना थी.
मैं हर वक्त किसी ऐसी लड़की की तलाश में रहता था कि मेरे लौड़े पर झूला झूल ले.

मेरी यह तलाश भी तब खत्म हुई, जब मेरे पापा का ट्रांसफर हमारे शहर से दूर एक दूसरे शहर में हुआ.
मुझे भी अपना कॉलेज बदलना पड़ा.

हमारी फैमिली उस नए शहर में शिफ्ट हो गई.

जहां हम रहते थे, वहां हमारे सामने एक दूसरी फैमिली रहती थी.
उसमें 5 लोग थे.
मेरे मम्मी पापा की उम्र के एक चाचा चाची, उनका बेटा और उनकी मस्त दिखने वाली पत्नी यानि मेरी भाभी … और चाचा चाची की जवान लड़की थी.
वह अपने मामा के यहां रहा करती थी पर शनिवार रविवार अपने घर आती थी.

हम सभी को वहां शिफ्ट हुए एक महीना हो गया था.
अब तक हमारी आस-पास में सबसे पहचान हो गयी थी.

सामने वाले चाचा चाची से भी अच्छी पहचान हो गयी थी.
अक्सर रात के खाने के बाद सामने वाली चाची और उनकी पुत्रवधू हमारे यहां बैठकर गपशप करने आया करती थीं.

ऐसे ही समय चलता गया और हमारी फैमिली और उनकी फैमिली में अच्छी खासी प्रगाढ़ता हो गई.

अब कभी कभार वे दोनों सास बहू हमारे घर पर दोपहर के समय भी आ जातीं और मेरी मम्मी भी उनके घर चली जाया करतीं.

चाची जब हमारे घर आतीं, तब मैं उनकी पुत्रवधू यानि भाभी जी को देखता रहता.
उनको देख कर मुझे कुछ अजीब सा महसूस होता.

कुछ दिन ऐसे ही चलता रहा.

फिर एक दिन मुझसे रहा नहीं गया तो मैंने भाभी जी से सहमते हुए धीमे से पूछ ही लिया कि आप ऐसी क्यों उदास सी लगती हो?
उन्होंने शर्म के मारे कुछ नहीं बोला और चली गईं.

वैसे में भाभी के बारे में बता दूँ कि उनका नाम काजल था.
उनका शरीर 34-32-38 का रहा होगा.

वे दिखने में बिल्कुल एक मक्खन सा चिकना और भरा हुआ माल दिखती थीं.
जब वे चलती थीं तो उनके दूध और गांड को हिलता देख कर मैं अपने मन में सोचता कि काश एक बार भाभी को चोदने का मौका मिल जाए तो मैं उनका पूरा रस निचोड़ कर चोदूंगा.

वो कहते हैं ना कि भगवान के पास देर है … अंधेर नहीं.
मुझे मौका मिल ही गया.

एक बार सामने वाले चाचा की फैमिली में उनके भाई के लड़के की शादी थी, तो उन लोगों को अपने गांव जाना था.

दिन में चाची जी मुझसे कहने आईं- बेटा, हम अपने गांव जा रहे हैं. उधर हमारे परिवार में शादी है. तुम मुझे गाड़ी से बस स्टेंड तक छोड़ दोगे?
मैंने कहा- ठीक है चाची, आप सामान निकालो, मैं गाड़ी लेकर आता हूँ और आपको छोड़ने चलता हूँ.

चाची सामान लेने चली गईं.

मैं चाची को छोड़ने के लिए गया तो उनके साथ चाचा और उनकी बेटी ही थी.
भाभी को साथ में न देख कर मेरे मन में लड्डू फूटने लगे.

मैंने चाची से पूछा- चाची, आपके साथ काजल भाभी क्यों नहीं आईं?
तो उन्होंने बताया- काजल और मेरा बेटा 4 दिन बाद जाएंगे. मेरे बेटे को ऑफिस में कुछ जरूरी काम था, तो उसे ज्यादा दिन की छुट्टी नहीं मिली.

मैंने ओके कहा और चाची को बस अड्डे पर छोड़ कर वापस घर आ गया.

घर आकर मैं सोचने लगा कि काजल भाभी को कैसे पटाऊं.
मेरा भी उनको चोदने का बहुत मन करता था, पर क्या करता.

भाभी की चूत तो मिल नहीं रही थी तो उनकी कल्पना करके अपने हाथ से ही काम चला लेता.

दूसरे दिन शनिवार था.
मैं कॉलेज नहीं गया.
मैंने सोचा कि आज भाभी का कुछ सैट किया जाए.

मैं अपने रूम में टीवी देख रहा था.
तब सुबह के दस बजे थे.

मेरे घर में मेरी मम्मी के पास भाभी आईं और कहने लगीं- मुझे अकेले अपने घर में डर लग रहा है. ये भी ऑफिस के काम की वजह से आज जल्दी चले गए इसलिए मैं आपके यहां आ गयी हूँ.
मेरी मम्मी ने भाभी को बिठाया और वे दोनों बातें करने लगीं.

थोड़ी के बाद उनकी बातें सुन कर मैं कमरे से बाहर आ गया और उनके पास बैठ कर बातें सुनने लगा.
उनके पास जब मैं गया, तब भाभी मुझे कुछ अलग नजरों से देख रही थीं जैसे वे जन्मों जन्म से चुदाई की प्यासी हों.

मैंने मम्मी से कहा- मम्मी, मेरे लिए चाय बना दो.
वे मेरे लिए चाय बनाने के लिए किचन में गईं.

तब मैंने घबराते घबराते भाभी से पूछ लिया- क्यों उदास लग रही हो?
उन्होंने कहा- किसी को बताओगे तो नहीं … तो कहूँ!
मैंने प्रॉमिस किया कि किसी को नहीं बताऊंगा, आप बेहिचक बताइए.

उन्होंने कहा- आप मेरे घर आ जाना. मैं आपको उधर सब बताती हूँ.
ऐसा बोल कर भाभी चली गईं.

जब मेरी मम्मी चाय बना कर लाईं, तब वे पूछने लगीं- काजल कहां चली गयी?
मैंने कहा कि मुझे लगा कि वह किसी काम से आई होंगी तो अपने घर चली गईं … वे कह तो रही थीं कि बाद में आएंगी.
मम्मी कुछ नहीं बोलीं.

मैंने फटाफट चाय पी और घर से निकल गया.
मुहल्ले में मैंने इधर उधर देखा और दबे पांव काजल भाभी के घर में पहुंच गया.

जैसे ही मैं उनके यहां पहुंचा तो मुझे लगा कि वे भी मेरा इंतज़ार कर रही थीं.

उन्होंने मुझे नाश्ता आदि के लिए पूछा, तो मैंने मना कर दिया कि मुझे भूख नहीं है.

फिर काजल ने दरवाजा बंद करके मेरे पास आकर बैठ गईं और उनसे कुछ इधर उधर की बातें होने लगीं.

मैंने भाभी से पूछा- अब तो बताओ कि आप क्यों उदास सी रहती हो?
तो भाभी ने कहा- मेरे पति मुझे वह सुख नहीं दे पाते हैं, जो एक मर्द दे सकता है.

पड़ोसन भाभी की सेक्स नीड सुन कर मैं मन में एकदम खुश होने लगा था.

तभी भाभी ने मुझसे पूछा- तुम्हारी कोई जीएफ है?
मैंने कहा- नहीं भाभी मेरी आज तक कोई लड़की जीएफ बनी ही नहीं.

उन्होंने कहा- इतने अच्छे स्मार्ट दिखते हो तो भी आज तक जीएफ नहीं बनाई?

मैं चुप रहा और कुछ झिझकते हुए मैंने भाभी से पूछ लिया- क्या आप मेरी जीएफ बनेंगी?
भाभी ने हल्के से मुस्कान दी और वे चुप ही रहीं.

उनके चेहरे के हाव-भाव से मुझे हरी झंडी मिल गयी.
मैंने भाभी की जांघ पर हाथ रखते हुए कहा- जो सुख आपके पति आपको नहीं दे पा रहे हैं, वह सुख मैं आपको दूंगा.

भाभी ने कनखियों से मुझे देखा और मेरे हाथ पर अपना हाथ रख कर दबा दिया.

मैंने धीरे से भाभी के गाल पर किस कर दिया.

भाभी ने अपने होंठ मेरे होंठों की तरफ कर दिए और साथ देने लगीं.

मैंने भी अपने होंठ भाभी के अधरों से जोड़ दिए और हम दोनों का लंबा चुंबन शुरू हो गया.
जीभ से जीभ लड़ने लगी.

धीरे धीरे किस इतनी ज्यादा हॉट हो गई कि वे मचलने लगीं.
मैंने उनके मम्मों पर हाथ फेरा और एक दूध को हॉर्न के जैसे दबा दिया.

भाभी के मुँह से मीठी आह निकल गई.

आज से मैंने पहले कभी ऐसा नहीं किया था.
मुझे लग रहा था जैसे मैं सातवें आसमान में हूँ.
मेरा लंड खड़ा हो गया था और सलामी दे रहा था.

कुछ देर भाभी मुझसे कहने लगीं- चलो कमरे में चलते हैं.

वे मुझे अपने कमरे में ले गईं और मेरे सीने से लग कर मुझे चूमने लगीं.

मैंने भी भाभी को अपनी बांहों में भर लिया और हम दोनों ही एक दूसरे को पागलों की तरह किस करने लगे.

हम दोनों चूमाचाटी में इतने ज्यादा मदहोश हो चुके थे कि कब एक दूसरे के कपड़े निकल गए कुछ होश ही न रहा.

काजल भाभी के बूब्स काफी ज्यादा टाइट लग रहे थे.
जब मैं उनके मम्मों को दबाता था, तब भाभी के मुँह से कामुक आवाजें मेरे लौड़े में करंट सा भर रही थीं.
‘अह्ह्ह हह हहह …’

कुछ ही देर में भाभी पूरी गर्म हो चुकी थीं.
जल्दी ही हम दोनों 69 पोजीशन में आ गए.

उनकी चूत पर एक भी बाल नहीं था.
ऐसी चिकनी चूत लग रही थी जैसे अभी मेरे लिए ही भाभी झांटों को साफ किया हो.

उनकी चूत एकदम लाल और कसी हुई थी.
देख कर साफ लग रहा था कि भाभी के पति ने उनकी चूत पर बैटिंग की ही न हो और भाभी की चूत जन्म से ही प्यासी हो.

मैंने जरा सी भी देर नहीं की और भाभी की चूत पर मुँह रख दिया.

वे कसमसाने लगीं तो अगले ही पल मैंने उनकी चूत में अपनी जीभ डाल दी और चूत को खुरदुरी जीभ से चाटने लगा.

मेरी इस हरकत से भाभी की मुट्ठियां भिंच गईं और उनके मुँह से एक तेज ‘अहह ओफ्फ मर गई उई मांआआ.’ आवाज निकल गई.
उनकी कामुक आवाजों से पूरा रूम गूंज उठा.
मैं अपनी ही धुन में उनकी चूत में लगा रहा.

कुछ मिनट तक चूत चाटने की वजह से वे अकड़ गईं और उनकी चूत से कुछ चिपचिपा प्रवाह निकलने लगा.
वे अब अपनी टाँगों को फैला कर मुझसे चूत चाटने को कहने लगी थीं. उन्हें मजा आने लगा था.

मैंने फर्श पर पड़ी उनकी साड़ी उठाई और साड़ी से उनकी चूत साफ करके फिर से चाटने लगा.
मुझे भी मजा आ रहा था.

थोड़ी देर के बाद भाभी कहने लगीं- राजीव, अब मुझे और मत तड़पाओ. प्लीज अब मुझे चोद डालो.
मैंने उनको सीधा लेटा दिया और उनकी चूत में लंड डालने की कोशिश करने लगा.

भाभी की चूत किसी कुंवारी लड़की की तरह सीलपैक लग रही थी, लौड़ा चूत के अन्दर जा ही नहीं पा रहा था.

उन्होंने कहा- राजीव, मुझे चुदवाए हुए बहुत टाइम हो गया और अब तक मेरे पति ने तो समझो पूरा अन्दर तक पेल ही नहीं पाया है. इसलिए ये काफी टाइट है. तुम कुछ चिकनाई लगा लो.

यह सुनकर मैंने सामने उनकी ड्रेसिंग टेबल पर देखा और सरसों का तेल उठा लाया.
पहले मैंने भाभी की गोरी चूत पर तेल लगाया उसके बाद अपने लौड़े को तेल से एकदम चिकना कर लिया.

तेल लगाने के बाद मैंने लौड़े को चूत के मुहाने पर रखा और फांकों में सुपारे को सैट करके एक जोर का धक्का दे मारा.

मेरा आधा लंड भाभी की चूत को चीरता हुआ अन्दर चला गया.
उनकी तेज चीख निकल गयी ‘उई मम्मी मर गई आहह … फट गई मेरी … आह निकाल बाहर कमीने.’

मुझे उनके मुँह से निकले कमीने शब्द पर कुछ और जोश आ गया और मैंने दुबारा एक और शॉट मार दिया.

इस दूसरे झटके में मेरा पूरा लंड उनकी बुर में अन्दर तक घुसता चला गया.
वे बिन पानी मछली की तरह छटपटाने लगीं.

थोड़ी देर तक यूं ही बेदर्दी से चोदने के बाद उनका दर्द खत्म हो गया और अब भाभी भी मेरा पूरा साथ देने लगीं.

वे मादक आवाज में कहने लगीं- आह राजीव मेरी जान … चोदो मुझे आह और जोर से चोदो मुझे … आज परम सुख दिया है तूने मेरे राजा.

हम दोनों ने कुछ देर बाद अपनी पोजीशन बदल ली.
इस बार मैंने भाभी को घोड़ी बना दिया.

मैं पीछे से आया और एक ही झटके में अपने कड़क लंड को भाभी की बच्चेदानी तक पहुंचा दिया.

भाभी आह धीरे कहती हुई जरा आगे को हो गईं.
मैंने उनकी कमर को पकड़ कर एक और शॉट मारा और तबीयत से धकापेल शुरू कर दी.

कुछ देर की मस्त चुदाई के बाद मेरा वीर्य निकलने वाला था तो मैंने पूछा- भाभी माल कहां निकालूँ?
उन्होंने अन्दर ही छोड़ने को कहा.

उसी समय वे भी दूसरी बार झड़ गईं.

मैंने भी तेज तेज चार पांच धक्के लगाए और भाभी की चूत को रस से भर दिया.
भाभी लंबी लंबी सांसें लेती हुई कहने लगीं- राजीव, आज से यह काजल तुम्हारी है.

उस दिन मैंने काजल भाभी को 3 बार चोदा.

फिर जब तक वे शादी में नहीं गईं, तब तक पूरा पूरा दिन उनकी चुदाई करता रहा.

इस तरह से मैंने भाभी की कोख भी भर दी और अब वे मेरे बच्चे की मां बनने वाली हैं.
 

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पार्क में मिली भाभी चूत चुदवाकर माँ बनी


मेरा नाम रवि है और मैं पेशे से एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर हूँ. इंजीनियर में सिर्फ दिन में हूँ, रात में मैं एक जिगोलो का काम करता हूँ.

मेरी हाइट 5 फ़ीट 11 इंच है और शरीर एकदम कसरती है. चेहरे पर रणवीर सिंह जैसी दाढ़ी और स्टैमिना राहुल द्रविड़ जैसा.

ऑफिस की और आस-पास की काफ़ी लड़कियों को मैं चोद चुका हूँ.
उन्हें चोदने में आनन्द तो बहुत आता है लेकिन तब भी मेरा मानना है कि किसी अनुभवी के साथ सेक्स करने का मज़ा ही अलग है.

मैं आज आपको एक भाभी को चोदने की कहानी सुना रहा हूँ और यहीं से मेरा जिगोलो बनने का सफर शुरू हुआ था.

यह बात 3 साल पहले की है.
मैं नोएडा में जॉब करता था.

मैं नोएडा में एक पीजी में रहता था, पीजी में खाना बनाने का झंझट नहीं होता, इसलिए मैंने फ़्लैट नहीं लिया था.

मेरे पीजी के पीछे ही समुदायिक पार्क था. उस पार्क में सब उम्र के लोग आते थे.
बुजुर्ग आदमी, औरतें, छोटे लड़के-लड़कियां, पति-पत्नि, प्रेमी, घरेलू महिलाएं और कुछ ऐसी भी महिलाएं आती थीं, जिन्हें अपना शरीर और फिगर सही रखना होता था.
ऑफिस के बाद मेरा रोज़ाना का रूटीन पार्क में जाकर कसरत करने का था.

मैं क्रिकेट में काफी आगे तक खेल चुका हूँ, तो मुझे लगातार कठिन कसरत करने में बिल्कुल दिक्कत नहीं होती थी और मैं उस पार्क के 25 चक्कर आराम से लगा लेता था.

उस दिन पार्क में मेरा पहला दिन था तो मैंने ज़्यादा इधर-उधर ध्यान नहीं दिया, जल्दी जल्दी अपनी कसरत निपटाई और अंडे खाने चला गया.

लगभग एक हफ्ता ऐसे ही निकल गया.
अब मैं वहां के वातावरण के हिसाब से भी ढल गया था इसलिए अब कट स्लीव की टी-शर्ट पहनकर जाने लग गया था.
मैं जब भी पार्क जाता तो कुछ औरतें, जवान लड़कियां मेरी ओर देखती रहती थीं.

मुझे पता था कि मैं आकर्षक लगता हूँ. लेकिन ऐसे जाते से ही तो किसी को चोदने के लिए नहीं पूछ सकता.
दूसरा यह कि मुझे उसी जगह रहना था और सब वहीं रहते थे तो कुछ लफड़ा भी हो सकता था.
इसलिए मैंने उन पर ज़्यादा ध्यान नहीं दिया.

एक दिन जब मैं पार्क में जाने लगा तो एक शादीशुदा महिला मेरे साथ ही पार्क में घुसी.

मैंने उसे देखा तो मैं देखता ही रह गया.
वह बला की खूबसूरत. मोटी सी गांड, उभरे हुए बूब्स, पतली कमर आह … लगता था कि भगवान ने उसे बड़ी फुर्सत से बनाया है.

मैं उसके फिगर को घूरे जा रहा था.
अभी तक मैंने उसके चहेरे की तरफ़ नहीं देखा था.

तभी एकदम से गले को सही करने की आवाज़ आयी.
मैं एकदम से वापस होश में आया- माफ़ कीजिए मैडम, मैंने आपको देखा नहीं.

महिला- कोई बात नहीं, लेकिन अब तो देख लिया ना … तो अब तो अन्दर जाने दो!
यह कहकर वह मुस्कुरायी.

मैं भी मुस्कुराया और पहले उसे जाने का प्रस्ताव दिया.
वह अन्दर गयी और धन्यवाद बोला.

मैं रोज़ की तरह अपनी कसरत कर रहा था लेकिन आज बार-बार मेरी नज़रें उधर जा रही थीं जिधर वह अपनी कसरत कर रही थी.

कसम से उसका फिगर देख कर मैं बावला हुआ जा रहा था.
बस मेरा मन कर रहा था कि इसे अभी पटक कर चोद दूँ.

तब मैंने ठान ली थी कि आज कम से कम इसका नाम और इंस्टाग्राम आईडी जरूर पूछ कर जाऊंगा.

मैंने देखा कि उसकी कसरत हो गयी थी और वह पार्क के गेट की तरफ जा रही है.
तो मैंने अपनी कसरत आधी छोड़ी और उसके पीछे चल दिया.

जैसे ही गेट के बाहर निकली, मैंने उससे बातचीत शुरू की.
मैं एक खुले मिजाज का युवक हूँ, तो किसी से बात करने में मुझे झिझक नहीं होती.

मैं- हैलो.
महिला- हाय.

मैं- उस भिड़ंत के लिए सॉरी, आप शायद उस घटना पर ज्यादा ध्यान नहीं देंगी!
महिला- अरे कोई बात नहीं, हो जाता है कभी-कभी.

मैंने पहली बार उसका चेहरा देखा. क्या प्यारी आंखें थीं उसकी आह. मुलायम होंठ, रंग गोरा.
सच में वह बहुत सुंदर थी.

उसकी उम्र लगभग 30-32 की होगी. माथे पर सिंदूर बता रहा था कि शादीशुदा माल है.
सफ़ेद रंग का टॉप, लाल रंग की लेग्गिंग और हाथ में पानी की बोतल.

मैंने अपना हाथ बढ़ा कर कहा- मेरा नाम रवि है और आपका?
महिला- मेरा नाम शोभा है.

हम दोनों ने सभ्य लोगों की तरह हाथ मिलाए.

मैं- आप अंडे खाती हैं?
शोभा- जी हां, क्यों?

मैं- तो बाक़ी बातें अंडे खाते-खाते करें! इतनी कसरत की है तो प्रोटीन लेना भी जरूरी है.

यह कहकर मैं हल्का सा मुस्कुराया और शोभा भी मान गयी.

हम दोनों साथ में अंडे खाने गए और रास्ते में हमारी काफ़ी बातें हुईं.
उसकी शादी को अभी डेढ़ साल ही हुआ था.

उसका पति किसी दूसरी कंपनी में काम करता था.

वह मेरे पीजी से दो गली छोड़ कर ही रहती थी.
वह मेरे बगल वाली कंपनी में ही काम करती थी.

फिर आखिरकार हम दोनों इंस्टा पर भी जुड़ गए.

मैं बातों में थोड़ा तेज़ हूँ और शायद इसी वज़ह से शोभा इतनी सी देर में मुझसे सहज हो गयी थी.
शायद इसी का उपहार उसकी इंस्टाग्राम आईडी मुझे मिल गई थी.

घर आकर मैं नहाया और खाना खाकर उसको मैसेज किया- हैलो, तुम्हारे साथ समय बिताकर अच्छा लगा.
शोभा- हाय, मुझे भी!

मैं- तुम बहुत फिट लगती हो.
शोभा- धन्यवाद … और तुम भी.

मैं- धन्यवाद.
शोभा- तुम स्पोर्ट्स पर्सन हो?

मैं- हां, तुम्हें कैसे पता?
शोभा- तुम्हारा शरीर सब बता देता है … और शायद मैंने तुम्हें कहीं देखा भी है.

मैं जब खेलता था तो मेरे मैच DD-Sports पर आते थे.
शायद शोभा ने मुझे वहीं देखा होगा.

मैं- जी, मैं क्रिकेट खेलता हूँ.
शोभा- तुम वही रवि हो ना, जो राजस्थान की तरफ़ से खेलते थे और एक बार उत्तर प्रदेश को बुरी तरह हराया भी था.

मैं- जी, मैं वही रवि हूँ. लेकिन तुमको इतना सटीक कैसे याद है?
शोभा- मैंने वह पूरा मैच देखा था, इसलिए.

मैं- तुम्हारा ऑफिस का टाइमिंग क्या है?
शोभा- सुबह 9 से शाम 6 तक … और तुम्हारा?

मैं- यही जो तुम्हारा है, कल साथ आएं?
शोभा- हां क्यों नहीं.

मैं- सो जाओ नहीं तो तुम्हारा पति शक करेगा कि इतनी रात में किससे बात कर रही है.
शोभा- अरे यार, ये अभी तक आये ही नहीं. उनको शायद देर हो जाएगी. चलो मैं तो सोती हूँ … अपन कल मिलते हैं.

अब मेरी शोभा से अच्छी पटने लग गयी थी. हम दोनों अच्छे दोस्त हो गए थे. हम रोज़ घर साथ आते, कसरत साथ करते, अंडे खाने साथ जाते और कभी-कभी तो सोया चाप भी साथ ही खाने जाते.

मुझे थोड़ा पता चल गया था कि शोभा मुझे पसंद करने लग गयी है और मुझे भी वह पसंद थी.

शायद उससे उसका पति इतना समय नहीं देता होगा, जितना मैं देता था.
लेकिन मुझे डर था कि कहीं मेरी वजह से इनकी शादी-शुदा ज़िंदगी में कोई लफड़ा ना हो जाए.

इसी बीच मैं 1-2 बार शोभा के घर भी गया था, वहां हमने चाय पी थी बस … इससे ज़्यादा कुछ नहीं हुआ.

फिर आया वह दिन, जिसका मुझे इंतज़ार था और शायद शोभा को भी.

शोभा का पति 2 महीने के लिए कंपनी के काम से विदेश गया था.

मैंने शोभा से पूछ कर मूवी के 2 टिकट्स ले लिए थे.
वह शनिवार का दिन था.

मैंने सोचा कि पहले मूवी देखेंगे फिर बाहर खाना खाएंगे और कुछ शॉपिंग करके वापस शाम का खाना खाकर आ जाएंगे.

मूवी का टाइम 9:30 AM का था, मैंने दो कॉर्नर सीट्स बुक की थीं.
मुझे कॉर्नर पर बैठ कर मूवी देखना अच्छा लगता है इसलिए.

मूवी थी ‘बधाई हो’

मैंने अपने दोस्त की बाइक ली और 9:15 हॉल के बाहर पहुंच गए.

शोभा क्या लग रही थी.
उसने पीला प्रिंटेड कुर्ता, लाल लेगिंग्स, होंठ हल्के-हल्के से लाल, आंखों में हल्का सा काजल.
मेरी तो उस पर से नज़र ही नहीं हट रही थी.

वह एकदम काइरा आडवाणी लग रही थी.
शोभा ने दो बार मुझे आवाज़ दी लेकिन मैं उसमें इतना खो गया था कि मैंने सुनी ही नहीं.

शोभा- कहां खो गए सर?
मैं- तेरे चेहरे से नज़र नहीं हटती नज़ारे हम क्या देखें.
शोभा मुस्कुरा दी.

वहां खड़े लोग हम दोनों को पति-पत्नी समझ रहे थे और ऐसे देख रहे थे कि मानो कह रहे हो जोड़ी हो तो ऐसी.

मेरे मन में पता नहीं क्या आया, मैंने शोभा के कंधे पर हाथ रखा और उसके माथे पर किस कर दी.
शोभा थोड़ी चौंकी लेकिन उसके चेहरे पर शर्मीली मुस्कान थी.

उसने अपनी हाथ की उंगलियां मेरे हाथ की उंगलियों में डालकर कसकर पकड़ा और अपना चेहरा मेरे कंधे से लगा लिया.

हम मूवी हॉल में घुसे और ताज्जुब की बात थी कि मूवी हिट थी, फिर भी हॉल ख़ाली था.
ये शायद हमारे लिए एक नए कल की शुरुआत का इशारा था.

हम पीछे वाली कार्नर सीट पर बैठ गए.

हाल के अंधेरे में परदे की रोशनी से शोभा का चेहरा चमक रहा था.
मैं उसकी तरफ हल्का सा झुका, थोड़ा वह भी झुकी.
उस वक्त हम दोनों में पहली किस हुई.

मैं आंख बंद करके उसके नर्म-नर्म होंठों को चूसे जा रहा था.
वह भी मेरा भरपूर साथ दे रही थी.

कुछ मिनट की किस के बाद मेरा हाथ उसके बूब्स पर चला गया.

दोस्तो क्या बूब्स थे उसके … आह उसके बूब्स काफी नर्म थे.
उसका 34-32-36 का फिगर मानो मुझे उसे चोदने का न्योता दे रहा था.

मैंने उसके होंठ चूसने जारी रखे और अब तो मैं चूसने के साथ-साथ उसके बूब्स भी दबा रहा था.

शोभा काफी गर्म हो चुकी थी.
मेरा भी लंड मेरी जीन्स में तम्बू बना चुका था.

शोभा का एक हाथ मेरे गले पर था और दूसरे से वह मेरा लंड सहला रही थी.

फिर मैंने शोभा की गर्दन पर किस करनी शुरू कर दी.
इससे शोभा और गर्म हो गयी और अपने दूसरे हाथ से वह मेरी जीन्स की चैन खोलने में लग गयी.

शोभा ने मेरा लंड जीन्स से बाहर निकाल लिया था और अब वह मेरा लंड चूस रही थी.

मुझे अच्छा तो लग रहा था लेकिन इससे मुझे मज़ा नहीं आ रहा था.

मैंने शोभा को थोड़ा रुकने को कहा और बेल्ट खोल कर जीन्स घुटनों तक कर दी.

शोभा ने फिर से मेरा लंड चूसना शुरू कर दिया.

आह क्या बताऊं यार … बहुत मज़ा आ रहा था.

मैं अपने दोनों हाथों से शोभा को अपने लंड की तरफ़ धकेल रहा था.

मेरा लंड उसके गले तक उतर गया और उसको सांस लेने में दिक्कत होने लगी.
इससे वह छटपटाने लगी.

मैंने उसको थोड़ा ढीला छोड़ा, उसने मुँह से लंड निकाला और मुझे देखने लगी.
तब मैंने उसे उठा कर अपनी गोद में बैठा लिया.

अब मैं दोनों हाथ से उसके बूब्स दबा रहा था और उनको ऊपर से चूस और काट भी रहा था.

मैंने शोभा का टॉप ऊपर किया और पीछे से उसकी ब्रा का हुक भी खोल दिया.

ब्रा को थोड़ी ऊपर करके अब मैं उसके नंगे बूब्स पर टूट पड़ा.
जानवरों की तरह मैं उसके बूब्स चूसे जा रहा था, दबाये जा रहा था.

इससे शोभा इतनी गर्म हो गयी कि उसके मुँह से सिसकारियां निकलने लग गईं.
शोभा ‘आह … आह … ’ कर रही थी और दोनों हाथों से मेरे बाल खींच रही थी.

इस सब में हम दोनों को बहुत मज़ा आ रहा था और हम दोनों काफ़ी गर्म हो गए थे.

अब सिर्फ़ इतने से हमारा मन नहीं भरने वाला था.
मैंने शोभा के कान में घर चलने को कहा और वह झट से तैयार हो गयी.

हम घर के लिए निकले.
उस दिन 15 मिनट का रास्ता मुझे 15 घंटे का लगने लगा था.

बाइक पर वह मुझसे पूरी चिपक कर बैठ गयी लेकिन हमने कोई हरकत नहीं की.
क्योंकि हमें प्यार करना था, हवस नहीं मिटानी थी.

घर पहुंचते ही मैंने शोभा से कहा- देखो शोभा, ये सब हमारे बीच इसलिए हो रहा है क्योंकि तुम्हारा पति तुम्हें समय नहीं दे रहा है … और शायद हम एक दूसरे को पसंद भी करते हैं. लेकिन कहीं ये ना हो कि इससे तुम्हारी शादी टूट जाए और तुम मुझसे शादी करने को कहो. अगर ऐसा है तो हम ये सब नहीं करते हैं.

शोभा ने मेरी बात का पूरा समर्थन किया और हां में सर हिला दिया.

बस फिर क्या था, मैं और शोभा इस तरह एक दूसरे पर टूट पड़े, जैसे एक दूसरे को खा ही जाएंगे.

कभी मैं उसके होंठ चूसता, कभी वह मेरे. कभी मैं उसकी गर्दन चाटता, कभी वह मेरी. कभी मैं उसके बूब्स निप्पल चूसता कभी वह मेरे …
और इस सबमें हमने कब एक दूसरे को नंगा कर दिया, पता ही नहीं चला.

मैंने शोभा को गोद में उठाया और दीवार के सहारे लगा कर उसके होंठ चूसने शुरू कर दिए.
कभी उसके होंठ, कभी गर्दन, कभी कंधे, चूस-चूस कर उसके होंठों को खा ही लिया.

उसे भी अपने होंठों में जलन होने लगी.

फिर मैंने उसे उठा कर मख़मल के पलंग पर पटक दिया और उसके पैर अपने कंधे पर रखकर उसकी चूत चूसनी शुरू कर दी.

मेरी पकड़ इतनी टाइट थी कि शोभा हिल भी नहीं पा रही थी.
मैंने उसकी चूत में जैसे ही जीभ डाली, उसके शरीर में बिजली सी दौड़ गयी और उसने अपने हाथ से मेरे बाल पकड़ लिए.

मैंने उसकी चूत में जीभ डाली और उसे बेहरमी से चाटना शुरू कर दिया.

‘ओह्ह फ़क … ओह्ह बड़ा मस्त चूस रहे हो रवि … ओह यस कम ऑन बेबी मेरा रस झाड़ दो.’
शोभा अपने आपे से बाहर हो चुकी थी और अपने हाथों से मुझे अपनी चूत पर दबा रही थी.

मुझे पता लग गया था कि इसकी चूत टाइट है तो इसे मेरा लंड लेने में काफी दर्द होगा.
इसलिए मैंने उसकी चूत में उंगली करना शुरू कर दिया.

पहले एक उंगली, फिर दो और फिर तीन.
इससे शोभा की चूत थोड़ी खुल गयी थी.

इसी बीच उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया था और मैं उसका नमकीन पानी पी गया.

अब मैंने अपना लंड शोभा की चूत पर रगड़ना शुरू कर दिया.

शोभा से भी रहा नहीं जा रहा था.

वह बार-बार बोल रही थी- प्लीज रवि, अब मुझे चोद दो, मुझसे रहा नहीं जा रहा है.

एक पल की भी देर किए बिना मैंने उसकी चूत में एक झटके में अपना आधा लंड उतार दिया.

इससे शोभा को काफ़ी दर्द हुआ और वह मुझे गालियां देने लगी- आह मर गई … भैन के लौड़े मादरचोद … हरामी धीरे पेल कुत्ते … आह साले तूने मेरी चूत फाड़ दी.

उसकी इस भाषा से मुझे और जोश आ गया और मैंने एक और ज़ोरदार धक्का दे दिया.
इससे मेरा पूरा लंड उसकी चूत में उतर गया.

थोड़ी देर बूब्स चूसने और होंठ चूसने के बाद शोभा कुछ शांत हुई और अब मैंने मचक कर उसकी चुदाई शुरू कर दी थी.

मेरे हर धक्के से शोभा को मज़ा आ रहा था.
वह ‘फ़क मी हार्डर बेबी … मेक मी कम आह्ह … ओह्ह … यसस्स …’ बोले जा रही थी.

फिर मैंने शोभा को उठा कर सोफ़े पर बैठा दिया, उसकी दोनों टांगें सोफे कर हत्थे पर रख दीं ताकि उसकी चूत साफ़ दिखे.

मैंने फिर से अपना लंड उसकी चूत में डालकर चुदाई शुरू की.

सोफ़े की चुदाई का अलग ही मज़ा है दोस्तो, कभी किसी की लेकर देखना.

दस मिनट सोफ़े पर चुदाई करते-करते मेरे पैर दर्द करने लगे थे.

अब मैंने शोभा को पलंग पर लेटाया और चूत में लंड डालकर उसके ऊपर लेट कर झटके मारने शुरू कर दिए.

शोभा मुझे अपने ऊपर झेल नहीं पा रही थी.
कहां उसका पतला सा पति और मैं बलिष्ठ सा जानवर.

उसकी सांसें रुकने लगीं लेकिन मैंने बिना परवाह किए उसे चोदना जारी रखा.

करीब बीस मिनट की चुदाई के बाद मेरा होने वाला था और इसी बीच शोभा दो बार झड़ चुकी थी.

मैंने अपने झटकों की रफ़्तार बढ़ाई और आह … आह.. यस … बेबी कहता हुआ उसकी चूत में ही झड़ गया.

उसकी चुदाई का काफ़ी अच्छा अनुभव रहा था. सच में ऐसा लगा, जैसे मैंने किसी परी को चोदा हो.

मैं झड़ कर उसके ऊपर ही पड़ा रहा.
शोभा ने मेरे ललाट पर किस की और मैंने भी की.

थोड़ी देर बाद मैं उसके ऊपर से उठा, तब उसे थोड़ी सांस आयी.
अब हम दोनों ने देखा कि मैंने बिना कंडोम ही उसकी चुदाई कर दी.

यह देख हम दोनों थोड़ा टेंशन में आ गए.
मैंने शोभा को समझाया कि कुछ नहीं होगा.
उसके बाद हमने लंच किया और उस दिन शाम तक मैंने शोभा की 4 बार चुदाई की.

कुछ बीस दिन बाद मुझे पता चला कि शोभा की माहवारी रुक गई है.
अभी तक उसका पति वापस नहीं आया था।
इसका मतलब यही था कि वह मेरे बच्चे की माँ बनने वाली थी.

उसने कहा कि मैंने अपने पति के जाने से पहले उनसे भी एक-दो बार चुदवा लिया था. ये भी हो सकता है कि ये उनका ही बेबी हो.
यह कह कर वह मुस्कुराने लगी.

मैंने उससे उसके मुस्कुराने का सबब पूछा, तो उसने बताया कि यह पक्का है कि मैं तुमसे ही गर्भवती हुई हूँ क्योंकि मैंने पति के साथ सेक्स करने के बाद आईपिल खाई थी.

फिर यंग भाभी फक के नौ महीने बाद शोभा को एक लड़का हुआ, जिसका नाम मेरे बताने पर शोभा ने दिवेश रखा.

तीन साल तक मैंने शोभा को बहुत बार चोदा, माँ बनने से पहले भी और माँ बनने के बाद भी.

शोभा ने उसके ऑफिस की उसकी दो असंतुष्ट सहेलियों को भी मुझसे चुदवाया.
मैंने उनको पूरी पूरी रात चोदा था.

 
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सगी भाभी ने दूध पिलाकर चुत चुदवायी- 1


मेरा नाम रोहित है, उम्र 25 साल. मुझे जिम का बहुत शौक है, इसलिए मेरा शरीर काफी मजबूत है.
काफी मेहनत से मैंने अपने सिक्स पैक बनाए हैं.

मेरी लंबाई 5 फ़ीट 7 इंच है और मैं दिखने में भी काफी आकर्षक हूँ. इसलिए मेरी सोसायटी की भाभियों और लड़कियों में मेरी चर्चा बनी रहती है.

मैं असल में पुणे के एक गांव का रहने वाला हूँ. मेरे परिवार में मैं, भाई-भाभी और मां-पिताजी हैं.
मेरे भाई की शादी 2 साल पहले हुई थी और वो पुणे में ही एक सॉफ्टवेयर कंपनी में काम करते हैं.

भाभी हाउसवाइफ हैं … वो घर में ही रहती हैं.
उन्हें एक बच्चा है जो अभी 9 महीने का हुआ है. भाभी दुधारू हैं और वो अपने बच्चे को दूध पिलाती हैं.

मैं भी डेढ़ साल पहले सरकारी नौकरी में लग गया था इसलिए हमने पुणे में फ्लैट लेने की सोची.

काफी देखने के बाद हम सभी ने एक फ्लैट ले लिया.
मैं, भाई-भाभी और भाई का 9 महीने का बेटा वेदांत पुणे के अपने फ्लैट में रहने चले आए.

यहां शिफ्ट होने के बाद मेरी भाभी की कई सहेलियां बन गई थी जो फ्लैट पर आती जाती रहती थीं.
उनमें से एक बंगालन भाभी थीं, जिनकी हमेशा मुझ पर नजर गड़ी रहती थी.

मेरी दिनचर्या कुछ ऐसी थी. सुबह 4 बजे उठना, फिर सबसे पहले घर पर ही योग करना और दौड़ लगाने निकल जाना.
सुबह की सैर के बाद घर पर 5:30 बजे तक आ जाता हूँ.
फिर बाकी के सारे काम कने के बाद नहाना.

नहाते समय मेरी आदत है, मैं नंगा होकर नहाता हूँ. मतलब चड्डी भी उतार कर कायदे से लंड को मल मल कर साफ़ करके नहाता हूँ.
चूंकि इस नए फ्लैट में मेरा अलग से अपना बाथरूम है तो कोई दिक्कत नहीं रहती.

रात को सोते समय भी कभी कभी मैं नंगा ही सो जाता था.

उधर भाभी सुबह 6:30 बजे उठती हैं और भाई तो आराम से 9 बजे तक उठते हैं. सॉफ्टवेयर इंजीनियर जो ठहरे, तो उन्हें काम भी बहुत ज्यादा रहता है.

आठ बजे तक भाभी मुझे नाश्ता करा देती हैं और मैं 9 बजे काम पर चला जाता हूँ.
भाई अपने ऑफिस 11 बजे तक निकल जाते हैं.

दिन भर भाभी घर पर ही अकेली अपने बच्चे के साथ रहती हैं.

मैं लंच साथ में नहीं ले जाता हूँ इसलिए दोपहर एक बजे खाना खाने सीधे घर पर आ जाता हूँ.
लंच करके मैं 2 बजे वापस अपने ऑफिस चला जाता हूँ. फिर 6 बजे अपने घर वापस आता हूँ.

घर आने के बाद मैं फिर दो घंटे के लिए खेलने चला जाता हूँ और लौटने के बाद एक बार फिर से नंगा होकर नहाता हूँ.
फिर रात का खाना खाकर 9:30 बजे तक सो जाता हूँ. ये मेरा रोज का टाईम टेबल है.

एक बार कंपनी के काम के कारण भैया को पूरे एक महीने के लिए अमेरिका जाना था इसलिए उन्होंने मुझे भाभी का ख्याल रखने को कहा और वो निकल गए.

पहले 5-6 दिन तो ऐसे ही गुजर गए.
एक दिन मैं काम से लौटकर खेलने चला गया.

उस दिन बहुत थक गया था आते ही मैंने नहा लिया और ऐसे ही बिना कपड़ों के बेड पर लेट गया.
मैं पूरा नंगा था और ज्यादा थक जाने के कारण कब मेरी नींद लग गयी, पता ही नहीं चला.

जब खाने का समय हुआ तो मेरे ना आने के कारण भाभी मुझे आवाज लगाती हुई मेरे कमरे में आ गईं.
उन्होंने कमरे में घुसने से पहले शायद नॉक किया होगा लेकिन मेरे गहरी नींद में सो जाने के कारण मुझे पता नहीं चला.

भाभी कमरे में अन्दर आ गईं और उन्होंने मुझे हिलाकर जगाया.
मैं जग तो गया लेकिन आधी नींद में था.

भाभी ने कहा- चलो खाना खाने का टाईम हो गया है.
मैं उठ कर ऐसे ही नंगा चल दिया.

ये देखकर भाभी अपनी हंसी रोक ही नहीं पाईं और जोर जोर हंसने लगीं.

मुझे कुछ समझ नहीं आया कि भाभी क्यों हंस रही हैं. हालांकि अब तक मैं नींद से पूरी तरह बाहर आ गया था.

तब भी मुझे अपने नंगे होने का अहसास नहीं था.
मैंने भाभी से पूछा- क्या हुआ … आप हंस क्यों रही हो?

भाभी ने अपनी हंसी को रोकने की कोशिश करती हुई इशारे से अपनी उंगली मेरे लंड की तरफ की.

जैसे ही मैंने नीचे देखा, मुझे सारा मामला समझ आ गया और मैं अपने हाथों से अपना नंगा लंड ढांपने की कोशिश करने लगा.
ये देख कर हॉट भाभी को और जोर से हंसी आ गयी.

मुझे भी बहुत लज्जा महसूस हुई.

इसके बाद भाभी बोलीं- शर्माओ मत … मैंने तुम्हें ऐसा पहली बार नहीं देखा है, कई बार देखा है. अब चलो खाना खाने, चाहे तो ऐसे ही चलो.

उनकी बात सुनकर मेरी कुछ समझ में नहीं आया कि भाभी ने पहले मुझे कब नंगा देख लिया था.
मैं तो अपने कमरे में कुंडी लगा कर सोता हूँ; आज ही कुंडी नहीं लगा पाई थी.

खैर … मैं वापस कमरे में आया और कपड़े पहनकर खाना खाने आ गया.

भाभी ने मुझे खाना परोसा, पर मैं शर्म के मारे भाभी की तरफ देख ही नहीं पा रहा था.
ऐसे ही मैंने जल्दी जल्दी खाना खा लिया और वापस अपने कमरे में सोने जाने लगा.

तभी भाभी ने मुझे रोक लिया और कहने लगीं- इतना क्यों शर्मा रहे हो?
मैं- भाभी मुझे माफ कर दो, थकने के कारण मैं कब सो गया … मुझे पता ही नहीं चला और आपको मुझे ऐसे जगाना पड़ा!

भाभी- कोई बात नहीं रोहित … इतना मत शर्मिंदा हो … वैसे भी मैंने तुम्हें कई बार ऐसे देखा है.
मैं- पहले कब देख लिया भाभी … मैं तो आज ही …

भाभी मेरी बात को काटती हुई बोलीं- नहीं रोहित आज ही नहीं, तुम रोज ऐसे ही बिना कपड़ों के सो जाते हो. मैं सही बोल रही हूँ ना?

मैं शर्म के मारे में बस चुप ही रहा और सोच रहा था कि भाभी को ये सब कैसे पता चला.

भाभी- क्या सोच रहे हो?
मैं- नहीं भाभी में ऐसे नहीं सोता.

भाभी- पक्का ना!
मैं- हां भाभी.

भाभी- अच्छा ये देखो … मेरे मोबाइल में क्या है!
मैं- हां भाभी देखता हूँ लेकिन आपने मुझे माफ तो किया ना!
भाभी- हां रोहित, माफ किया. अब पहले ये देखो … और वैसे भी बिना कपड़ों के नींद अच्छी आती है.

उनके मुँह से मैं ये सब सुनकर एकदम से सहम सा गया था.

भाभी- अच्छा जाने दो, पहले इसे देखो … फिर तुम भी समझ जाओगे.

फिर जैसे ही मैंने मोबाइल में देखा, मैं तो देखता ही रह गया.
मुझे लगा मानो आज मेरी शामत सी आ गयी हो.

भाभी- अब समझे, तुम रोज नंगे ही सोते हो, अब तो भाभी से झूठ मत बोलो.

मैं- भाभी पर आपने मेरा नंगे सोते हुए की वीडियो क्यों बना ली?
भाभी- ताकि तुम सच बोल सको.
मैं- भाभी मुझे माफ कर दो, मैं फिर कभी ऐसा नहीं करूंगा.

भाभी- ठीक है शर्माओ मत.
मैं- भाभी एक बात बताओ, आपने वीडियो कैसी निकाली, मैं तो दरवाजा बन्द करके सोता हूँ!

भाभी- तुम्हारे दरवाजे का लॉक खराब है, वो अन्दर से बन्द तो होता है, लेकिन बाहर से धक्का देने पर खुल जाता है.
मैं शर्माकर बोला- भाभी, ये आपने ठीक नहीं किया.
भाभी- क्यों … आप तो मेरे देवर हो, मुझसे क्या शर्माना. भाभी को देवर को सताने का हक होता है मिस्टर.

उसके बाद हम दोनों ने काफी देर तक बातें की. अब मैं अपनी भाभी से बहुत खुल गया था.

मैं- भाभी तो एक बात बताओ … अगर मैं रोज बिना कपड़ों के आपके सामने आऊं तो?
भाभी- तो क्या … मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं है, हां बस उस समय आना जब मैं अकेली होऊं. जब मैं किसी और मेरे साथ होऊं और उस समय तुम मेरे सामने नंगे आए … तो नहीं चलेगा.

मैं- ठीक है, क्या आप मेरे सामने बिना कपड़े आओगी!
भाभी- बदमाश कहीं का … मैं तुम्हारी भाभी हूँ, कोई भाभी से ऐसे बात करता है क्या?

मैं- क्यों भाभी देवर का रिश्ता होता ही ऐसा है. अभी आपने ही तो कहा था.
भाभी- अच्छा जी … मेरी जूती मेरे ही सर … हा हा हा …

मैं- ओके भाभी अब मैं सोने जा रहा हूँ.
भाभी- ठीक है जाओ.

मैं- पहले मेरा वीडियो तो डिलीट कर दो.
भाभी- पहले बोलो कि मेरे सब काम करोगे!

मैं- हां भाभी, वादा है मैं आपके सब काम करूंगा.
भाभी- ओके … लो ये तुम्हारा वीडियो डिलीट कर दिया.

मैं- थैंक्स भाभी, अब मैं सोने जा रहा हूँ.
भाभी- ठीक है … और अब बिना कपड़े के सोओगे … तो भी कोई प्रॉब्लम नहीं है. बिंदास नंग-धड़ंग सो जाओ.

मैं- भाभी, क्या मैं आज आपके कमरे में सो जाऊं!
भाभी- ठीक है … आ जाओ. रात में जब वेदांत जाग जाए तो उसे भी सम्भाल लेना.

मैंने हां कह दी और मैं भाभी के कमरे में ही लेट गया.
भाभी अपने काम में लग गईं.

फिर जब भाभी कमरे में आईं तो मैं बेड पर पसर कर लेटा था. मैं अभी जाग रहा था और वेदांत के साथ खेल रहा था.

भाभी ने कमरे में आते ही पूछा- क्यों रोहित … आज बिना कपड़ों के नहीं सोओगे क्या?
मैं हंस कर बोला- क्या भाभी … आप भी सता रही हो.

भाभी- अरे मैं सच में पूछ रही हूँ यार.
मैं- पक्का भाभी … मेरे नंगे सोने से आपको कोई दिक्कत तो नहीं होगी ना!

भाभी- नहीं रे … तू बिंदास नंगा सो जा … मुझे कोई दिक्कत नहीं होगी.
मैं- ओके भाभी.

फिर मैं अपने सार कपड़े निकालकर सो गया. करीब रात के एक बजे होंगे, मेरी नींद खुल गयी.

मैंने देखा भाभी बेड पर करवटें बदल रही थीं, उन्हें शायद कोई दिक्कत थी.

मैंने पूछा- क्या हुआ भाभी … आप अब तक सोयी नहीं!
भाभी- कुछ नहीं … तुम सो जाओ.

मैं- आपको कोई दिक्कत है भाभी … मुझे बताओ, ताकि मैं आपकी कुछ मदद कर सकूं.
भाभी- अच्छा … सुनो मुझे थोड़ी दिक्कत है और तुम मेरी मदद कर सकते हो.

मैं- हां भाभी बोलो. क्या करना है.
भाभी- बात ऐसी है कि अब वेदांत बाहर का खाना भी खाने लगा है इसलिए वो अब कम दूध पीता है. इसलिए मेरा दूध भरता जा रहा है, इससे मुझे मेरी छाती में दर्द हो रहा है. उसे बाहर निकालना पड़ेगा … तभी मैं सो पाऊंगी.

मैं- तो भाभी … मैं क्या कर सकता हूँ?
भाभी- तुम मेरा दूध पी लो.

मैं- भाभी आप ये क्या बोल रही हो, आप मेरी भाभी हो! मैं आपका दूध कैसे पी सकता हूँ?
भाभी- तुम मेरे देवर हो … इसी लिए तो मैं तुम्हें दूध पिलाने की सोच रही हूँ. तुम प्लीज मेरे दोनों निप्पल चूस कर दूध पी लो … मुझे बहुत दर्द हो रहा है और मैं अपने हाथों से दूध दबा दबा कर थक गयी हूँ.

मैं- सॉरी भाभी … मैं ये नहीं कर सकता. मुझे माफ कर दो.
भाभी- रोहित ऐसा मत करो, प्लीज पी लो ना!

मैं- भाभी ये पाप है, मैं ऐसा नहीं कर सकता हूँ.
भाभी- अरे इसमें कोई पाप नहीं है.

मैं बिना कुछ बोले अपने रूम में चला गया.
भाभी- रोहित सुनो तो … रोहित.
 
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सगी भाभी ने दूध पिलाकर चुत चुदवायी- 2


अब तक आपने पढ़ा था कि मैं भाभी के कमरे में नंगा सोया हुआ था और भाभी मुझसे अपने दूध चूसकर खाली करने को कह रही थीं. मैंने उन्हें मना कर दिया और अपने कमरे में चला गया.

अब आगे


मैं अपने कमरे में जाकर सो गया. ऐसे ही सुबह हो गयी और मैं नाश्ता करके अपने ऑफिस निकल गया.
दोपहर एक बजे में फिर से खाना खाने घर चला आया और आकर देखा तो बंगालन भाभी मेरे घर पर आ गयी थीं. वो मेरी भाभी से कुछ बातें कर रही थीं.

मैं- भाभी मुझे भूख लगी है … प्लीज मुझे खाना दे दो.
बंगालन भाभी- कितने स्वार्थी हो तुम रोहित!

मैं- क्या हुआ भाभी … मैंने क्या किया!
बंगालन भाभी- तुम्हें जरा भी शर्म नहीं आती … जब भूख लगी तो भाभी याद आ गयी और जब तेरी भाभी दिक्कत में है, तो तू उसकी मदद करने के बजाए उसे छोड़कर चला गया. ऐसा क्या गलत कह दिया था तेरी भाभी ने … यही ना कि उनका दूध पी ले!

मैं- भाभी, पर ये पाप है.
बंगालन भाभी- कैसा पाप, हमारे यहां जब बच्चा होने के बाद दूध जल्दी नहीं निकलता है … तब देवर को बुलाकर भाभी के दूध चूसने को बोला जाता है, ये कोई पाप नहीं है.

उनकी बात सुनकर मैं सोचने लगा कि क्या बंगालन भाभी सही कह रही हैं. मुझे न जाने क्यों ऐसा लग रहा था कि अपनी सगी भाभी के साथ ऐसा करना एक पाप होगा. मैं अपने भाई के साथ दगा करूंगा.

मुझे सोचते देख कर बंगालन भाभी मेरे करीब आ गईं और मेरे गाल पर चूमती हुई बोलीं- क्या सोच रहे हो मेरे भोले देवर जी!

बंगालन भाभी ने जैसे ही मेरे गाल पर चुम्मी ली, मैं एकदम से हड़बड़ा गया.

फिर बंगालन भाभी से दूर होकर मैंने कहा- भाभी, आप ये क्या कर रही हैं?
बंगालन भाभी ने इठला कर कहा- अभी तो सिर्फ चुम्मी ली है रोहित … यदि मेरा बस चले … तो मैं तुझे कच्चा ही खा जाऊं.

मैं बंगालन भाभी की इस अदा को देख कर एकदम से गर्मा गया.
मेरा मन तो हुआ कि उन्हें पकड़ कर अभी के अभी चोद दूं … पर वो मुझे मेरे लिए एक आसान शिकार लगीं … तो मैं चुप रह गया.

अब बंगालन भाभी ने फिर से कहा- रोहित तुम अपनी भाभी को दर्द से निजात दिलाओगे, तो ये एक पुण्य का काम होगा. मैं सच कह रही हूँ, ये कोई पाप नहीं होगा … बल्कि तुम्हारा धर्म होगा.

मैंने कहा- क्या ये सच है भाभी!
बंगालन भाभी- हां बिल्कुल सच है. मेरी बात को गम्भीरता से लो और अपनी भाभी की सेवा करो.

मैंने बंगालन भाभी से पूरी संजीदगी से कहा- सॉरी भाभी, आज से मैं अपनी भाभी को नाराज नहीं करूंगा.
बंगालन भाभी- तो अब ये पक्का रहा न कि तू अपनी भाभी का दूध पियेगा!

मैं- हां भाभी मैं अपनी भाभी की पूरी सेवा करूंगा.
मेरे ऐसा बोलते ही मेरी भाभी सामने आ गईं और बोलीं- लो … तो अभी पी लो … मुझे बहुत दर्द हो रहा है.

मैं- हां भाभी … पर आपको कोई दिक्कत तो नहीं है ना!
भाभी- नहीं … अब जल्दी से पी लो.
मैं- अच्छा ठीक है.

फिर मैंने बंगालन भाभी की तरफ देखा, तो वो मुस्कुराकर चली गईं … पर जाते जाते मेरी भाभी को आंख मार कर गईं.
मेरी भाभी ने भी उन्हें मुस्कुरा कर देखा और आंख दबा कर उनका शुक्रिया अदा किया.

मैंने उन दोनों की इस कारगुजारी को अनदेखा करते हुए अपनी भाभी से कहा- भाभी मुझे माफ कर दो, अब मैं आपको शिकायत का कोई मौका नहीं दूंगा.
भाभी- ठीक है … वो सब छोड़ … पहले दूध तो पी.

ऐसा बोलकर उन्होंने अपना टॉप निकाला और ऊपर से पूरी नंगी हो गईं, यहां तक कि भाभी ने अपनी ब्रा भी निकाल दी.
भाभी के भरे हुए मम्मे देख कर मेरा तो लंड एकदम से खड़ा हो गया.
मेरा खड़ा लंड भाभी ने भी देख लिया.

भाभी नशीली आंखों से मुझे देखती हुई बोलीं- आ जा रोहित … पी ले मेरा दूध.

ऐसा बोलकर वो बेड पर बैठ गईं और मेरा सर अपनी जांघ पर रख कर अपना एक चुचा मेरे मुँह में दे दिया.
जैसे ही मैंने भाभी की चूची को चूसा … उसमें से दूध की धार निकलकर मेरे मुँह में आने लगी.

ओह माय गॉड … भाभी का दूध बहुत मीठा था. मैं अपने आपको रोक नहीं पा रहा था और मैंने जोर जोर से भाभी के निप्पल को अपने होंठों में दबा कर चूसना चालू कर दिया.

ये देख कर भाभी को बड़ा आराम पड़ गया और वो अपने उस चुचे को दबाती हुई मुझे दूध पिलाने लगे.

कोई दो मिनट बाद मैंने भाभी का मम्मा अपने हाथ से पकड़ा और दबा दबा आकर दूध चूसने लगा.

भाभी मेरे सर पर हाथ फेरती हुई बोलीं- क्यों देवर जी … अब क्या हुआ … अब तो मेरे मम्मे को छोड़ नहीं रहे हो.
मैं- भाभी अगर मुझे पहले पता होता कि आपका दूध इतना मीठा है … तो रोज ही आपका दूध पी लेता.

भाभी- हां रोज पी लेना मेरा दूध … मैं कहां भागी जा रही हूँ.
मैं- हां भाभी मुझे आपका दूध अब रोज पीना है.

मैंने दूसरे हाथ से भाभी का दूसरा चूचा दबाना चालू कर दिया. उसमें से दूध की धार निकल कर कपड़ों पर गिरने लगी.

भाभी- अरे ये क्या कर रहे हो देवर जी! दूध से मेरी लैगी खराब हो रही है.
मैंने दूध मसलते हुए कहा- भाभी अब आप कुछ नहीं बोलोगी, मुझे मेरे मन की कर लेने दो.
भाभी- ठीक है, जल्दी से दोनों का दूध पी लो.

मैं मस्ती से अपनी भाभी की चूचियों का दूध पीने लगा. साथ ही मस्ती से उनकी दोनों चूचियों को मसल भी रहा था.

भाभी की चूचियों का दूध पीते पीते अब अब मेरा लंड इतना तन गया था कि मानो कोई बड़ा लोहे का औजार हो.

भाभी ने मेरे लंड को देखा और बोलीं- देवर जी आपका तो लंड बड़ा हो गया है … अब इसका क्या करोगे!
मैं- भाभी सब आपके दूध चूसने का नतीजा है. आपके दूध में बहुत ताकत है. अब आपको ही इसे शान्त करना होगा.

भाभी- ठीक है … पर किसी को बताना मत!
मैं- ठीक है भाभी … अब आपका एक का दूध निकलना बंद हो गया है.

भाभी- ओके अब दूसरा भी खाली कर दो.
मैं- ठीक है … अब तो मैं रोज यही खाना खाऊंगा.
भाभी हंस कर बोलीं- ठीक है … दूध पी कर ही भूख मिटा लेना.

करीब 15 मिनट में मैं भाभी के दोनों मम्मों का सारा दूध पी गया.

मैं- भाभी, इतना दूध तो मैंने अपनी मां का भी नहीं पिया होगा. सच में आपका दूध बहुत मीठा है. मैं रोज पियूंगा.
भाभी ने मेरे सर पर हाथ फेरते हुए कहा- हां पी लेना … आज तुमने मेरा दूध पीकर मुझे काफी राहत दिला दी है.

मैं- भाभी, मुझे आपके साथ सेक्स भी करना है.
भाभी- क्या, अपनी भाभी को चोदोगे?

मैं- हां भाभी मुझे आप बहुत अच्छी लगती हो, मुझे आपसे प्यार है.
भाभी- अच्छा देवर जी … अब ये पाप नहीं है क्या!

मैं- नहीं भाभी, बस अब मैं आपको चोदना चाहता हूँ.
भाभी- ठीक है … पर जब मैं कहूँ तब तुम्हें मेरा दूध पीना होगा.

मैं- वो तो मैं पी ही लूंगा, पर मुझे अभी आपकी चुत का पानी पीना है.
भाभी- वो सब अभी नहीं, रात को कर लेना, अब तुम ऑफिस जाओ.
मैं- ओके भाभी … आज रात को आप रेडी रहना मैं आपको चोदूंगा.

इतना कहकर मैं चला गया.

शाम को मैं ऑफिस से 5 बजे ही घर को गया.

मैं- भाभी, कहां हो!
भाभी- क्या हुआ रोहित … आज बहुत जल्दी आ गए!

मैं- क्या करूं भाभी … आपका दूध पीने का जी किया … तो आ गया.
भाभी- अरे वाह मेरा प्यारा देवर, भाभी का कितना ख्याल रखता है.

मैं- भाभी पर अभी मेरी एक शर्त है.
भाभी बोलीं- क्या?

मैं- आप पहले पूरी नंगी हो जाओ फिर मुझे दूध पिलाओ.
भाभी मुस्कुरा कर बोलीं- ठीक है.

उसी पल भाभी ने अपने सारे कपड़े उतार दिए और मादरजात नंगी हो गईं.

मैं भाभी की सफाचट चुत देखकर पागल हो गया. मेरा लंड खड़ा होकर चुत को सलामी देने लगा.

मैंने भी फिर अपने सारे कपड़े उतार फेंके और भाभी को किस करने लगा.

भाभी भी मेरा पूरा साथ दे रही थीं.

करीब दस मिनट किस करने के बाद भाभी के स्तनों से अपने आप दूध बहने लगा और मैं भाभी का एक निप्पल अपने होंठों में लेकर दूध पीने लगा.

कुछ ही मिनट में मैंने भाभी के दोनों मम्मों का सारा दूध पी लिया. फिर जैसे ही दूध पीकर अलग हुआ, तो मेरा लंड टनटनाने लगा.

भाभी- सच में मेरे दूध से तेरा लंड बहुत सख्त हो जाता है.
ये कह कर भाभी हंसने लगीं.

मैं भाभी के सामने खड़ा होकर लंड हिलाने लगा.
भाभी की चुत लंड देख कर पूरी गीली हो चुकी थी. भाभी ने मेरे लंड की तरफ देखा और चित लेट गईं.

मैंने भाभी की चुत पर मुँह लगा दिया और चुत चाटकर एकदम साफ कर दी.

अब भाभी गर्म आहें भरने लगी थीं- ओह्ह्ह रोहित … ऊओह्ह अब मत तड़पाओ … आह जल्दी से मुझे चोद दे … ओह्ह्ह यस … चोद रोहित चोद अपनी भाभी को चोद दे … ओह्ह्ह मैं बड़े दिनों बाद चुद रही हूँ.

मैंने भी भाभी के मुँह से ये सुनकर अपना लंड भाभी की चुत पर रख दिया और जोर का झटका दे मारा.

भाभी- उयी मां … चुद गयी आज तो … धीरे रोहित … मैं मर गई. तेरा लंड तेरे भैया से काफी मोटा और लम्बा है.

पर मैं अब भाभी की किसी भी बात को कहां सुन रहा था. मैंने जोर जोर से धक्के देने चालू कर दिए थे.
भाभी को लंड से मजा आने लगा था. वो भी अपनी गांड उठाने लगी थीं.

कुछ मिनट बाद मैं भाभी की चुत में ही झड़ गया. अब तक भाभी भी झड़ गयी थीं.

चुदाई के बाद हम दोनों लम्बी लम्बी सांसें भर रहे थे.
भाभी मुस्करा रही थीं.

मैंने पूछा- क्या हुआ भाभी, मुस्कुरा क्यों रही हो?
भाभी बोलीं- आज बहुत दिनों के बाद मेरी चुत भर गयी रोहित … आई लव यू.

मैं- आई लव यू टू भाभी … अब तो मैं रोज ही आपको चोदूंगा.
भाभी- हां मेरे देवर और मैं तुम्हें अपना सारा दूध भी पिलाऊंगी.

उसके बाद मैं और भाभी दोनों ही चुदाई के पार्टनर बन गए थे.
जब भी हम दोनों का मन होता, हम दोनों खुल कर चुदाई का मजा ले लेते थे.

 
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