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आप केसी सेक्स स्टोरी पढना चाहते है. ??

  • माँ - बेटा

  • भाई - बहेन

  • देवर - भाभी

  • दामाद – सासु

  • ससुर – बहु


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junglecouple1984

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लंड चुत गांड चुदाई का रसिया परिवार- 1


मैं सोनिया वर्मा. ये मेरी पहली सेक्स कहानी है, जो मेरी सहेली संगीता ने मुझे बताई थी.

ये एक पारिवारिक चुदाई की कहानी है, इसमें बहुत सारे किरदार हैं. सेक्स कहानी में परिवार के रिश्तेदारों की चुदाई भी शामिल है.

जिन लोगों को रिश्तों में सेक्स पसंद नहीं हो, वो लोग प्लीज़ इस चुदाई की गन्दी स्टोरी से दूर ही रहें.
क्योंकि इसमें किरदारों की मां-बहन की चूत भोसड़े खुल कर सामने आएंगे और उनकी गंदी चुदाई भी देखने को मिलेगी.
इस सेक्स कहानी में कुछ राज भी छुपे हैं, जो वक्त आने पर ही खुलेंगे.

पहले सबका परिचय:

चिराग: ये कहानी का हीरो है. इसकी उम्र 20 साल है, जिम की हुई मस्त बॉडी है और ये कॉलेज में फाईनल ईयर का स्टूडेंट है.

मुकेश चिराग के पापा हैं. उनकी उम्र 48 साल है. ये एक सफल बिजनेस मैन हैं और कई फैक्ट्रीज के मालिक हैं. ये संगीता के पति हैं.

संगीता चिराग की मम्मी का नाम है. संगीता की उम्र 45 साल है. उनका 38-28-38 का फिगर है और ये एक नम्बर की चुदक्कड़ महिला है.

नेहा चिराग की दीदी है. इसकी उम्र 25 साल है और ये शादीशुदा है. नेहा का 36- 28-36 का मस्त सेक्सी फिगर है. ये मुंबई में रहती है और चुदाई में अपनी मां से दो नहीं चार कदम आगे है.

मनीष नेहा का पति है. इसकी उम्र 29 साल है. ये एक रेडीमेट गारमेंट्स फैक्ट्री का मालिक है.

स्नेहा चिराग की छोटी बहन है. उसकी उम्र 19 साल है. इसका 32-26-34 का कसा हुआ फिगर है और कॉलेज में सेकंड ईयर की स्टूडेंट है.
इसका चिराग के कॉलेज में साथ आना जाना होता है.

दोस्तो, इस सेक्स कहानी में और भी बहुत से किरदार आएंगे, जिनका परिचय उनके आगमन पर ही होगा.

रात्रि के 11 बजे मुकेश और संगीता कमरे में बिलकुल नंगे बैठे एक दूसरे से खिलवाड़ कर रहे थे और चुदाई की तेज तेज कामुक सिसकारियों की आवाजें आ रही थीं.

मुकेश संगीता की मोटी सी गांड पर हाथ फेरते हुए बोला- क्या बात है डार्लिंग, तेरी गांड तो तेरी उम्र के साथ बढ़ती जा रही है.
संगीता- ये सब आपका किया-धरा है. देखना एक दिन मार मार कर मेरी गांड को भी तुम पिलपिली कर दोगे. इसे भी मेरी भोसड़ी की तरह फला दोगे और साथ में बड़ी भी कर दोगे.

मुकेश- जानेमन, आज मेरा मूड तेरा ये तबला बजाने का ही कर रहा है.
संगीता मुकेश के लंड को प्यार से सहलाते हुए बोली- नहीं, आज जो करना है, आगे करो. पिछली बार तुमने मेरी गांड मारी थी … तो मैं चार दिन तक लंगड़ा कर चली थी … भूल गए क्या!

मुकेश संगीता की गांड पर थप्पड़ मारते हुए बोला- मजा भी तो कितना आया था.
संगीता- देखो जी, आज मेरी चूत में आग लगी है. पहले उसको बुझा दो, मेरी गांड फिर कभी मार लेना.

मुकेश- डार्लिंग तेरी चूत, अब चूत नहीं रही … फट के ढीला भोसड़ा हो गई है उसमें मुझे मजा नहीं आता.
संगीता- आज रहने दो ना … बच्चे अब बड़े हो गए हैं. कभी पूछ लिया, तो उनको मैं क्या जवाब दूंगी!

मुकेश- ठीक है साली मादरचोद, पहले लंड तो चूस … फिर देख कैसे मैं तेरी मां चोदता हूँ.
संगीता- आप क्या चोदोगे, वो तो पहले से ही मेरे बाबूजी से चुदी चुदाई है. तभी तो मैं पैदा हुई हूँ, तुम बस मुझे चोदो.

मुकेश संगीता की पपीते जैसी चूंचियों को निचोड़ कर बोला- और तेरी बहन, साली उसको तो बुला ले, उसी को चोद दूंगा.
संगीता उठ कर बोली- मेरी मां को चोदोगे, मेरी बहन को भी चोदोगे … पर अभी जो आपके सामने चूत खुली हुई है उसको चोदने में आपकी दीदी का फटीचर भोसड़ा चुद रहा है!

वो भुनभुनाते हुए मुकेश के पैरों के बीच में आई और एक झटके में उसका लंड मुँह में भर कर चूसने लगी.

मुकेश- आआह धीरे कर कुतिया … किसी दिन मेरा लंड उखाड़ कर मानेगी तू … आआईईई … साली काट मत.
मगर संगीता तो मस्त मगन होकर लंड चूस रही थी.

मुकेश- सच यार … तुम क्या लंड चूसती हो … आआह बस ऐसे ही चूस … मेरे दिल की रानी … आह मजा आ गया.

संगीता ने अपने मुँह से मुकेश का लंड निकाल कर एक बार उसकी तरफ देखा और इस बार तो मुकेश का अंडकोष मुँह में भरके चूसने लगी और लंड हाथ में लेकर मुठ मारने लगी.

मुकेश की इस दोहरे मजे से सिसकारी रुकने का नाम नहीं ले रही थी- आआह डार्लिंग … मेरी जानेमन, तू सच में चुदैल नंबर वन है … आआह साली रंडी मेरी रखैल … मेरी कुतिया … आह अब बस भी कर मेरी चुदक्कड़ छिनाल.

संगीता अपनी जगह से उठी और अपनी एक चूची पकड़ कर मुकेश की गोद में बैठ कर उसे अपना दूध पिलाते हुए उसके सर को सहलाने लगी.

मुकेश एक मिनट तक संगीता का दूध पीने के बाद बोला- इसमें तो कुछ निकलता ही नहीं है, इससे अच्छा तो तेरा भोसड़ा है … जिसमें से गर्म गर्म मलाई तो भरी हुई है.

उसने संगीता को 69 की पोजीशन में लिटा दिया और उसके बड़े से भोसड़े पर अपना मुँह लगा कर एक बार फिर से दोनों एक दूसरे के चूत और लंड चाटने चूसने लगे.

मुकेश संगीता का रसीला भोसड़ा फैला कर अन्दर तक जीभ डाल कर चाटता हुआ बोला- आह … क्या मस्त टेस्ट है तेरी मलाई का!

संगीता मुकेश का लंड चूसना छोड़ कर सिसकने की मशीन बन गई और बकने लगी- आह सीईईई मेरी मां आआह और कितना अन्दर घुसोगे … आईई ओह ओ मां मैं गई … ओह आआ आआह हाय तौबा क्या चूत का चटोरा मिला है मुझे … मां देखो तो अपने इस चूत चाटू दामाद को … हाय मैं गई.

ये कहते हुए संगीता मुकेश के मुँह में झटके खाते हुए झड़ गई.

मुकेश भी कम नहीं था, उसने संगीता की चूत की मलाई का एक कतरा भी व्यर्थ नहीं जाने दिया, कुछ माल बह कर संगीता की गांड तक गया था … उसको भी मुकेश ने अपनी लंबी जीभ निकाल कर चाट लिया तब ही उसने अपना मुँह हटाया.

मुकेश ने संगीता के ऊपर आकर संगीता के जलते हुए गर्म भोसड़े पर अपना फनफनाता लंड रख दिया और एक ही धक्के में आधा लंड चुत में उतार दिया.

फिर एकदम से धक्कों की तेज बारिश के साथ वो संगीता को चोदने लगा- ले साली … अब बताता हूँ चुदाई क्या होती है.
संगीता- आआह और जोर से चोदो आआह … हां और तेज मेरे राजा … आआह मेरे चोदू भगत … मेरी चूत के पुजारी … चोदो मुझे … आईईईई हां बस ऐसे ही.

मुकेश- साली रंडी ले कमीनी … अपने इस लायसेंसी यार का मूसल ले … मादरचोद कुतिया … आज तो तेरी चूत का कचूमर नहीं निकाला, तो तेरा भरतार (खसम) नहीं.
वो दनादन दनादन संगीता को लगातार चोदे जा रहा था.

फुल स्पीड में उसका लंड धकाधक धक्के के साथ किसी पिस्टन के जैसे संगीता के भोसड़े में अन्दर बाहर हो रहा था और उसकी गोटियां संगीता के गोल मटोल चूतड़ों से टकरा कर पट पट की ध्वनि पैदा कर रही थीं.

पर अब मुकेश भी झड़ने के करीब आ गया था.

संगीता- ओह मां … बचा ले अपने चोदू दामाद से मुझे … देख तेरी बेटी को तेरा ये दामाद कैसे रंडियों की तरह चोद रहा है. हाय तौबा … बचा लो मां … मुझे बचा लो … आईईईई ओओओह हाययययय मैं मर गई रे!

बस इसी के साथ संगीता के भोसड़े का गर्म गर्म झरना फूट पड़ा.

मुकेश- भोसड़ा चोदी साली, मां को बुला रही है … भूल गई क्या उसने भी मेरे ससुर से इसी तरह चुदवाया था … वो अपनी विशालकाय गांड उठा उठा कर चुदी थी, तभी तू रंडी पैदा हुई थी साली.

ये बोलते हुए मुकेश ने संगीता का पूरा भोसड़ा अपने पानी से भर दिया.

दोनों थोड़ी देर तक ऐसे ही पड़े रिलेक्स होते रहे. उनके चेहरे बता रहे थे कि दोनों आज भी संतुष्ट हुए हैं.

फिर पहले संगीता उठ कर बाथरूम में गई, वो अपने आपको साफ करके आई. उसके बाद मुकेश भी फ्रेश हुआ और दोनों एक दूसरे की बांहों में नंगे ही सो गए.

सुबह संगीता की नींद खुली, तो उसने अपने आप को मुकेश के नीचे पाया.

वो कसमसाते हुए उठी तो देखा मुकेश लंड अभी भी खड़ा है. उसने झुक कर लंड मुँह में ले लिया और एक बार चूस कर बाथरूम चली गयी.

वहां से वो नित्य क्रियाओं से फ्री होकर नंगी ही बाहर आकर. उसने बाहर आकर सिर्फ एक नाईट गाउन पहना, फिर किचन में जाकर सबके लिए चाय बनाने लगी.

वो पहले चिराग को उठाने गई.

संगीता उसके रूम में गई तो अन्दर जाते ही उसकी आंखें फैल गईं. स्नेहा और चिराग इस दुनिया से बेखबर एक दूसरे से लिपटे सोये पड़े थे.

स्नेहा की नाईटी अस्त व्यस्त होकर उसकी कमर तक चढ़ी हुई थी, जिसमें से उसकी साटन की झीनी सी पैंटी में गोल मटोल गोरी गांड फंसी हुई थी. उसकी केले जैसी चिकनी गोरी टांगें चमक रही थीं.

संगीता मन में सोचने लगी कि इस लड़की को कब अक्ल आएगी. ये अपने कमरे में सोने के बजाए यहां इस जवान भाई से लिपट कर बेखबर सोई पड़ी है, वो भी ऐसी हालत में.
अगर चिराग देख लेगा तो अनर्थ हो जाएगा.

संगीता अपनी इसी सोच से बाहर आते हुए आवाज लगाने लगी- स्नेहा, स्नेहा उठ इतनी बड़ी हो गई … शर्म नहीं आती तुझे भाई के साथ सोते हुए. चल उठ देर हो रही … कॉलेज नहीं जाना क्या?

स्नेहा एक मॉर्डन जमाने की वो लड़की है, जिसे इस सबसे कोई परहेज नहीं था.
वो दोनों भाई बहन कम … और दोस्त ज्यादा थे. आपस में अपनी हर बात शेयर करते थे.

और सबसे बड़ी बात ये कि इनके बीच कोई पर्दा नहीं था. एक दूसरे के चूत लंड भी नहीं छुपाते थे.
पर इन्होंने अभी तक कभी अपनी सीमा पार नहीं की थी.

“गुड मॉर्निंग मॉम.” अपनी मां की गोद में सिर रखते हुए स्नेहा बोली.
संगीता- बेटी तू अब बड़ी हो गई है, अपने कपड़ों का ध्यान रखा कर. तू देख जरा … ये क्या हालत कर रखी है!

उसने स्नेहा की नाईटी की तरफ इशारा करके कहा- अगर चिराग तुझे इस तरह देख लेता … तो तुझे अच्छा लगता?
स्नेहा- कम ऑन मॉम … कुछ नहीं होता. ये मेरा सोहना भाई है … ये कभी कुछ गलत कर ही नहीं सकता. और आप मुझे कह रही हो, अगर आपको चिराग इस प्रकार देख ले तो!

उसने संगीता की हिलती हुई पिलपिली चूची पकड़ कर कहा, तो संगीता बनावटी गुस्से में थोड़ा शरमाते हुए- क्या करती है छोड़ मुझे … दिन ब दिन बेशर्म होती जा रही है और तू अपने रूम में क्यों नहीं सोती?

स्नेहा मुस्कुरा कर मजे लेते हुए अपनी मॉम की एक चूची हल्के से दबा कर बोली- कल रात आप दोनों की यहां तक आवाजें आ रही थीं.
संगीता मन में बोली ‘हे भगवान … ये कैसे हो गया.’ फिर संभल कर बोली- चल झूठी … हम ऐसा वैसा कुछ नहीं कर रहे थे … वो तो वो तो …

स्नेहा एकदम से हंसते हुए बोली- क्या ऐसा वैसा मॉम?
संगीता उसकी बात समझ कर बोली- मार खाएगी तू किसी दिन, चल उठ देर हो रही अब.

ये बोल कर वो बाहर जाने लगी.

स्नेहा उछल कर बिस्तर से बाहर आई और एक झटके में अपने सिर से नाईटी निकाल कर संगीता के ऊपर फैंक दी. फिर केवल ब्रा-पैंटी में दौड़ते हुए अपने रूम में भाग गई.

संगीता- किसी दिन हमारी नाक कटवायेगी ये लड़की … जब देखो बचपना करती फिरती है. फिर जैसे ही उसकी नजर अपने लाड़ले एकलौते बेटे चिराग पर पड़ी, तो उसके मन से एक आवाज उठी कि कितना मासूम है मेरा बेटा.

वो उसके पास जकर प्यार से उसके सिर पर हाथ फेरते हुए बोली- चिराग बेटा उठ … कॉलेज जाने में देर हो जाएगी.

चिराग- गुड मॉर्निंग स्वीट मॉम, थोड़ी देर और सोने दो ना … कितने बज गए हैं?
संगीता- साढ़े सात बज रहे हैं, चल उठ वरना लेट हो जाएगा.

चिराग उठ कर मॉम के हाथ से चाय लेकर पीते हुए बोला- वो भूतनी उठी या नहीं?
संगीता- बेटा वो अब बड़ी हो गई है. उसको यहां मत सोने दिया कर.

चिराग- मॉम अभी बच्ची है वो, ये पूरा घर उसका है. जहां मर्जी सो जाए … इसमें छोटी बड़ी की क्या बात है!
संगीता- बिगाड़ उसको … मुझे क्या.

वो भुनभुनाते हुए निकल गई- मैं नाश्ता बना रही हूं, जल्दी तैयार होकर नीचे आ जाना.

संगीता नीचे जाने लगी, तभी उसको अहसास हुआ कि उसकी चूंचियां बिना ब्रा के सचमुच कुछ ज्यादा ही हिल रही हैं.

संगीता को अपने बेटे चिराग के सामने अपनी चूचियां हिलती हुई महसूस हुईं तो वो सोचने लगी कि उसका बेटा न जाने क्या सोच रहा होगा.

 

junglecouple1984

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लंड चुत गांड चुदाई का रसिया परिवार- 2



अब तक आपने पढ़ा था कि संगीता अपने बेटे चिराग और बेटी स्नेहा को एक साथ बिस्तर पर अस्त-व्यस्त हाल में देख कर चौंक गई थी.

उसने कुछ सोचते हुए अपनी बेटी को जगाया और उसके बाद अपने बेटे चिराग को जगाने लगी.
उसे जगाने के बाद संगीता को अहसास हुआ कि उसकी चूचियां बिना ब्रा के कुछ ज्यादा ही हिल रही थीं. वो जल्दी से अपने बेटे के कमरे से चाय रख कर बाहर निकल आई.

अब आगे

चिराग चाय पीकर सीधे बाथरूम में गया और नहा धोकर जल्दी से तैयार हो गया.
फिर वो स्नेहा के रूम में गया.

स्नेहा नहाने के एक छोटा सा टॉवल लपेट कर बाहर आई और बदन पौंछने के बाद टॉवेल एक तरफ फैंक कर नंगी अल्मारी तक गई.
उसमें से उसने एक न्यू ब्रा पैंटी का सैट निकाल कर देखा. फिर पैंटी पहनी और बाल संवार कर फटाफट जींस पहन ली.

इसके बाद उसने हल्का सा मेकअप किया और जैसे ही ब्रा उठाई.

चिराग- स्नेहा … स्नेहा … क्या कर रही है. चल लेट हो रहा है.
वो बोलते हुए कमरे के अन्दर दाखिल हो गया और जाकर सोफे पर बैठ गया.

स्नेहा ने जैसे ही चिराग की आवाज सुनी तो ब्रा उठा कर अपने स्तन पर ले ली और ब्रा ठीक से पहनते हुए बोली- तुझे इतना भी नहीं पता कि किसी लड़की के रूम में बिना नॉक किए नहीं जाना चाहिए?

चिराग- ओये भूतनी … ये हमारे बीच कब से होने लगा और तेरे पास ऐसी कौन सी चीज बची है, जो मैंने नहीं देखी. तू जल्दी कर देर हो रही है यार.

दोस्तो … इनके बीच ये नॉर्मल बात है, ये एक दूसरे को पूरा नंगा (न्यूड) देख चुके हैं.

स्नेहा एक स्लीवलेस टॉप पहन कर बोली- तू कभी नहीं सुधरेगा, मैंने पहले ही आज सुबह मॉम का पकाऊ भाषण सुना है … मैं तेरे रूम सोई हुई थी.

फिर दोनों नीचे आकर एक साथ बोले- गुड मॉर्निंग पापा.

मुकेश अखबार पढ़ते हुए- गुड मॉर्निंग बेटा … उठ गए तुम लोग.
चिराग- मॉम, जल्दी करो देर हो रही है.

संगीता किचन से हाथ में ट्रे उठाए बाहर आई और बोली- अब देर हो रही है … जब उठा रही थी, तो कह रहा था कि थोड़ी देर और सोने दो.
स्नेहा- प्लीज मॉम भाषण फिर कभी … अभी के लिए बस कॉफी दे दो.

मुकेश- नहीं, पहले ठीक से नाश्ता करो, फिर कॉलेज जाना … और पढ़ाई कैसी चल रही है तुम दोनों की?
चिराग एक आमलेट उठा कर जल्दी जल्दी खाते हुए- पापा एकदम बढ़िया चल रही है … और मेरी ही नहीं इस भूतनी को भी पढ़ाना पड़ता है मुझे.

स्नेहा- ओये बंदर … तू मुझे भूतनी मत बोला कर … समझा!
चिराग- ओके बाबा … सॉरी नो फाईट प्लीज.

दोनों नाश्ता करके बाहर आ गए. चिराग ने अपनी बाईक निकाली और स्नेहा को बैठा कर कॉलेज के लिए निकल गया.

मुकेश- संगीता डार्लिंग, मैं क्या कहता हूं, बच्चे तो गए. अब एक राउंड पीछे का मार लें?

वो संगीता को पकड़ कर अपनी गोद में बैठाते हुए उसके बिना ब्रा वाले चूचे दबाने लगा.

संगीता- हटो जी, आप भी ना कहीं भी शुरू हो जाते हो.
मुकेश- तो फिर बेडरूम में चलते हैं ना?

संगीता- मुकेश की गोद से उछल कर खड़ी हुई और कहने लगी- ऑफिस नहीं जाना क्या?
उसने मुकेश का लंड पकड़ कर निचोड़ दिया.

इधर चिराग और स्नेहा ने कॉलेज पहुंच कर अपनी बाईक पार्क की और सीधे कैंटीन में आ पहुंचे, जहां उनके अच्छे वाले बेस्ट फ्रेंड उन्हीं का इंतजार कर रहे थे.

दोस्तो, फिर समय आ गया कुछ और किरदारों के परिचय का.

विराज 21 साल का सीधा साधा नौजवान है. ये फाईनल ईयर का स्टूडेंट है और हॉस्टल में रहता है.
ज्योति 19 साल की 34-26-36 के फिगर वाली मस्त लौंडिया है. ये विराज की छोटी बहन है और चिराग की लवर है.

समीर 21 साल का नौजवान, इसी शहर में रहता है. इसके पापा भी एक बिजनेस मैन हैं.
पल्लवी 19 साल की 32-26-32 के टाईट फिगर वाली माल है और समीर की छोटी बहन है.

आकाश 21 साल का थोड़ा गुस्सैल स्वभाव का लड़का है और इसी शहर में रहता है. इसके पापा भी बिजनेस करते हैं.
तन्वी 19 साल की और 34-28-34 का भरा हुआ बदन है, ये आकाश की छोटी बहन है.

ये सब आठ फ्रेंड हैं. आठ जिस्म एक जान. सभी दोस्त एक ही क्लास में पढ़ते हैं और उन चारों की बहनें भी एक ही क्लास में हैं.

अब एक बार फिर से सेक्स कहानी पर आते हैं.

चिराग- हाय कमीनो, क्या हाल है?
सब एक साथ बोले हैलो चिराग.

ज्योति- आज लेट हो गए आने में?
चिराग- इसके चक्कर में रोज देर होती है.
ज्योति- हम लड़कियों को टाइम लगता है.

स्नेहा- नाश्ता हो गया या बाकी है?
पल्लवी- बस हमने भी अभी अभी शुरू किया है.

फिर सबने नाश्ता किया और अपनी अपनी क्लास में चले गए.

उसके बाद पूरा दिन कुछ खास नहीं हुआ.

कॉलेज खत्म होते ही सबने विदा ली और अपने अपने घर की तरफ रवाना हो गए.

स्नेहा चिराग की बाइक पर क्रास लेग बैठी थी. वो भाई को पीछे से बांहों में जकड़े कुछ सोच रही थी.

चिराग- ऐ नौटंकी, क्या हुआ तू आज इतनी चुप चुप क्यों है?
स्नेहा- कुछ खास नहीं माइंड फ्रेश करने के बारे में सोच रही थी. अगले महीने एग्जाम शुरू हो रहे हैं.

चिराग ने बाइक एक आइसक्रीम पार्लर पर रोकी और बोला- बोल क्या बात है?
स्नेहा- भाई पहले आइसक्रीम लाओ, फिर खाते खाते बात करते हैं.
चिराग- ठीक है.

वो दो स्नेहा की फेवरेट आइसक्रीम लाया और एक उसको दे कर बोला- अब बोल?
स्नेहा- भाई इस वीकेंड कहीं घूमने चलते हैं ना … अपने सब यार दोस्त मिल कर?

चिराग- हुंउ … तेरी ये बात तो सही है.
स्नेहा- घर से कॉलेज … और कॉलेज से घर … ऊपर से पढ़ाई का लोड. मैं बहुत बोर फील करने लगी हूँ.

चिराग उसे समझाते हुए बोला- देख स्नेहा, इस समय हमें कोई भी जाने नहीं देगा … ना मॉम और ना पापा.
स्नेहा- भाई तू कुछ कर ना यार, तेरी बात कोई नहीं टालेगा प्लीज.
चिराग कुछ सोचते हुए- ठीक है, मैं आज ही मॉम से बात करता हूँ, अब चलें?

फिर दोनों घर आ गए.

संगीता- आ गए तुम दोनों?
स्नेहा अपनी मॉम को पीछे से हग करते हुए- आपको क्या लगता है?

संगीता- चलो जल्दी हाथ मुँह धोकर कपड़े बदल लो, मैं तब तक खाना लगाती हूँ.

दोनों अपने अपने रूम जाकर फटाफट फ्रेश हुए और नीचे खाने की टेबल आ गए.

चिराग खाना खाते हुए- मॉम, स्नेहा कुछ कहना चाहती है.
संगीता- क्या हुआ तुझे?

स्नेहा- मॉम मैं दो चार दिन कहीं घूमने जाना चाहती हूं.
संगीता- नहीं अभी, एग्जाम सिर पर है, उसके बाद तुझे जहां भी जाना हो चली जाना.

स्नेहा- अच्छा एक काम करती हूं, एक हफ्ते के लिए मुंबई नेहा दीदू के पास घूम कर आ जाती हूँ, इससे मेरा दिमाग फ्रेश हो जाएगा और पढ़ाई में मन भी लगेगा.
संगीता- ठीक है, रात को तेरे पापा आ जाएं … उनसे पूछ कर बताती हूँ.

फिर खाना खाने के बाद स्नेहा और चिराग अपने अपने कमरे में चले गए.

स्नेहा कमरे में आते ही अपने बिस्तर पर लेट गई और पता नहीं कब वो नींद की आगोश में चली गई.
फिर शाम को पांच बजे के लगभग उसकी नींद खुली, तो वो अपनी बड़ी दीदी के ख्यालों में उठ कर बाथरूम में गयी और एक एक कर सारे कपड़े उतार दिए.

उसने पहले अपने दोनों अंडरआर्म देखे, उसके बाद अपनी चूत के आस पास हाथ लगाया तो उसको सुनहरे रोंयें जैसे लगे.
उसने ऊपर से हेयर रिमूवर क्रीम उठा कर अपनी चूत के आस पास लगाई. उसके साथ ही अपनी कांख पर भी लगा कर कमोड पर बैठ गई.

फिर स्नेहा ने अपनी उंगली ओर अंगूठे की मदद से अपनी चूत सहलाते हुए सोचा तो उसको मुंबई की याद आ गई जब वो पिछली बार अपनी दीदू के पास अकेली गई थी.

वो क्या सोचने लगी थी.

सुबह जब नेहा मुंबई पहुंची, तो उसने देखा कि उसकी दीदू और जीजू उसको लेने स्टेशन आए हैं.

स्नेहा नेहा को देख के आश्चर्य चकित रह गई. नेहा ने आज हाफ जींस और स्लीवलेस कंधे पर डोरी वाला टॉप पहना था, जिसमें से उसकी 34 की जगह 36 की बड़ी बड़ी चूचियां झांक रही थीं.
नेहा का क्लीवेज तो फुल देखने मिल रहा था.
आते जाते लोग नेहा को एक बार जरूर पलट कर देखते थे.

स्नेहा खुशी से उछल कर- हाय दीदू.

वो दौड़ कर अपनी बहन के गले लग गई- कैसी हो आप.
नेहा- देख ले एकदम भली चंगी तेरे सामने खड़ी हूँ.

स्नेहा- हैलो जीजू और आप कैसे हो?
मनीष- हैलो स्नेहा, पर ये क्या साली जी, अपनी दीदी को हग किया और हमसे बस हैलो.

स्नेहा भी कम नहीं थी. उसने हंसते हुए मनीष को जोर से हग किया और बोली- अब खुश … बट जीजू आप लोगों से मिल कर इतना अच्छा लग रहा ना कि क्या कहूं.

मनीष अपनी साली के गले लगे लगे बोला- अब घर भी चलना है … या यहीं से मिल कर वापस जाने का इरादा है.
स्नेहा शरमाते हुए मनीष से अलग हुई और बोली- चलो दीदू.

फिर तीनों कार में बैठ गए. मनीष हमेशा की तरह ड्रायविंग सीट पर बैठ गया.
उसके बगल में आज स्नेहा बैठी और नेहा पिछली सीट पर.

स्नेहा चहकते हुए- जीजू, दीदू को ऐसा क्या खिला रहे हो कि हमारी दीदू मोटी हो गईं!
मनीष हंसते हुए- ज्यादा कुछ नहीं … बस गन्ने का जूस ही ज्यादा पीती है.

नेहा पीछे से स्नेहा को मारते हुए बोली- क्या आप भी … इसकी बातों में आ जाते हो. ये तो है ही मस्तीखोर.
फिर नेहा स्नेहा की तरफ देख कर बोली- मैं मोटी नहीं हूँ … बस थोड़ा शरीर भर गया है.

इसी प्रकार की बातें करते हुए वो सब घर पहुंच गए.

अब एक नजर मनीष के घर और परिवार पर भी मार लेते हैं.

ललित, मनीष का बड़ा भाई है. ये 31 साल का है और खुद का बिजनेस करते हुए अलग रहता है.
विनीता ललित की पत्नी है. ये 29 साल की और 36-28-38 के फिगर वाली माल है. ये सुपर सेक्सी वेस्टर्न आउट फिट पहनना पसंद करती है.
इसके दो बच्चे हैं.

मनीष का घर एक अच्छा खासा बंगला है, जिसमें नीचे एक बेडरूम था. जिसमें मनीष के मम्मी-पापा यहां आने पर रुकते थे. हालांकि वो अब इस दुनिया में नहीं हैं.

ऊपर तीन बेडरूम और एक स्टोर रूम है, जिसमें घर का पुराना टूटा फूटा फर्नीचर और भी अटाला भरा पड़ा है. घर के आगे छोटा, लेकिन खूबसूरत गॉर्डन है. दो दो लग्जरी कारें हैं.

एक सबसे बड़ी बात दोनों बहनें, बहन कम सहेलियां ज्यादा हैं. इनके बीच कोई पर्दा नहीं है.
दोनों बचपन में साथ नहाती भी थीं और हमेशा एक दूसरे के सामने कपड़े बदलना इनके लिए आम बात थी.
सुहागरात में क्या और कितनी बार चुदाई हुई … ये सब एक दूसरे से शेयर कर चुकी थीं.

नेहा- तुम लोग बैठो, मैं चाय लेकर आती हूँ.

इतना कह कर नेहा किचन में गई और उसने एक नौकरानी के हाथ से पानी भेजा.
थोड़ी देर में वो खुद एक ट्रे लेकर आई.
सबने चाय पी.

नेहा स्नेहा से बोली- चल स्नेहा तुझे तेरा कमरा दिखा दूं. नहा धो ले … फिर साथ में सब नाश्ता करते हैं.

स्नेहा को उसके रूम में छोड़ा, जो नेहा के बगल में ही था. खुद नेहा अपने रूम आ गई, जहां आते ही उसने अपने पूरे कपड़े उतारे और एक छोटा सा टॉवेल लपेट कर बाथरूम में घुस गई.
दस मिनट बाद वो नहा कर बाहर आई और उसने टीशर्ट और पजामा पहन लिया.
अब वो नीचे चली गई.

इधर स्नेहा ने अपना बैग बेड के पास टेबल पर रखा और सीधे बाथरूम में घुस गई.
अपनी जींस उतार कर मूतने बैठ गई.

मूतते हुए वो सोचने लगी कि दीदू की चूचियां तो एक साल में 34 से 36 हो गई हैं. लगता है जीजू दबा दबा कर खूब चूस रहे हैं. नहीं तो एक साल में इतना इजाफा नामुमकिन है.

वो खुद ही मुस्कुराते हुए बाहर आई और अपने कपड़े निकाल कर एक बार फिर बाथरूम का रुख कर लिया.
इस बार वो नहा कर ही बाहर निकली.

बाहर आकर तैयार हुई. वो टॉप और एक शॉर्ट्स पहन कर नीचे आ गई, जहां पहले से उसके जीजू मनीष अखबार पढ़ रहे थे.

मनीष- नेहा, लो आ गई तुम्हारी लाड़ली बहन. अब तो नाश्ता दे दो यार … मुझे देर हो रही ऑफिस जाने में.
नेहा किचन से चिल्लाते हुए बोली- बस बन गया.

वो एक नौकरानी के साथ बाहर आई और बोली- एक दिन लेट हो जाओगे तो कोई आपको काम से निकाल नहीं देगा.

फिर सबने नाश्ता किया और मनीष उठते हुए बोला- अच्छा भाई, मैं तो चला अपने काम पर. अगर लेट हुआ तो मेरा मालिक मुझे नौकरी से निकाल देगा, बाय साली जी.

नेहा अपनी जगह से उठी और मनीष के साथ बाहर आकर उसका गिरहबान पकड़ कर अपनी और खींच कर अपने होंठ उसके होंठों पर रख कर चूम लिया.

तभी मनीष ने उसकी दोनों चूचियां मसल दीं.

फिर नेहा ने उसे बाय बोल कर धक्का देते हुए कहा- अब निकलो यहां से.
मनीष अपनी कार में बैठ कर अपने ऑफिस चला गया.
 

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पिछले भाग

में अब तक आपने पढ़ा था कि मनीष ने अपनी बीवी की चूचियां दबा कर उसे बाय बोला और ऑफिस निकल गया.

अब आगे

मनीष के ऑफिस निकलते ही घर के अन्दर नेहा और स्नेहा दोनों बहनें सोफे पर आ गईं.

नेहा- अब बता मॉम, पापा और वो अपना भाई चिराग कैसे हैं?
स्नेहा- दीदू सब मजे में हैं.

नेहा- और तुम लोगों की पढ़ाई कैसी चल रही है?
स्नेहा- दीदू पढ़ाई को हम दोनों ने नम्बर वन पर रखी है, बाकी मौज उड़ा रहे हैं.

फिर स्नेहा मुस्कुराते हुए नेहा की बढ़ती चूचियों की तरफ़ इशारा करके बोली- लगता है आज कर जीजू अच्छी खासी मेहनत कर रहे हैं.

नेहा हंसते हुए- तू ये बात कैसे कह सकती है!

स्नेहा- देखो न 34 से 36 ऐसे ही नहीं हो गए मेरी प्यारी दीदू.
नेहा शरमाते हुए- चल तू थोड़ी देर आराम कर ले … बाद में बात करते हैं.

स्नेहा भी थकावट के कारण ज्यादा नहीं बोली और अपने रूम में आराम करने के इरादे से आ गई.

नेहा स्नेहा के जाते ही मन में सोचने लगी कि इसकी नजर भी ना … बाज की नजर है.

स्नेहा सोचते हुए कब सो गई और जब नींद खुली, तो नेहा उसको जगा रही थी.

नेहा- उठ यार कितना सोयेगी, लंच नहीं करना क्या.
स्नेहा- ओह मेरी प्यारी दीदू कितनी अच्छी नींद लगी थी, कितने बज गए?

नेहा- एक बज गए … चल जल्दी हाथ मुँह धो ले, साथ में लंच करते हैं. आज मेड भी नहीं है.
स्नेहा- दीदू, एक बार और नहाने का मन है. आप खाना लगाओ, मैं बस एक शॉवर लेकर आती हूँ.

इतना बोल कर स्नेहा बाथरूम में चली गई और नेहा नीचे किचन में.

स्नेहा नहा कर नीचे गई और दोनों बहनों ने खाना खाया और इधर उधर की बात करते हुए कब शाम हो गई, पता ही नहीं चला.

उसके बाद मनीष ऑफिस से घर आया और आते ही उसने हुक्म सुना दिया- चलो दोनों बहन जल्दी तैयार हो जाओ … सब घूमने चलते हैं और हां, डिनर भी बाहर ही कर लेंगे.
नेहा- वाओ ये हुई ना बात.

फिर उसने स्नेहा की तरफ देखते हुए कहा- चल जल्दी, इनका मूड बदले, उसके पहले तैयार हो जाते हैं.

स्नेहा भी अपने रूम में आकर फटाफट हल्के मेकअप के साथ ओपन शोल्डर वाला टाईट शॉर्ट टॉप विद आउट स्ट्रेप वाली ब्रा, जिसमें उसकी चूचियां और कहर ढा रही थीं.
उसने नीचे एक छोटा सा जींस का शॉर्ट्स पहना, खुले बाल. तैयार होकर एक बार खुद को आईने में देख कर खुद ही शरमा गई.
फिर नीचे आई, तो उसके जीजू पहले से तैयार बैठे थे.

मनीष सीटी बजाते हुए- क्या बात है साली जी … मुझे नहीं पता था हमारी आधी घरवाली इतनी ब्यूटीफुल है.
स्नेहा- क्या जीजू अपनी साली पर ही लाईन मार रहे हो … और दीदू कहां है?

मनीष- वो अभी तक तैयार ही हो रही है. जाओ देखो … और उसे बोलो कि जल्दी करे देर हो रही है.
स्नेहा- ओके जीजू.

इतना बोल कर स्नेहा अपनी दीदू के रूम में वापस ऊपर गई.

रूम के बाहर से ही- दीदू दीदू कितना टाईम लगेगा?
नेहा- अन्दर आजा, अच्छा हुआ तू आ गई मेरी ब्रा का हुक लगा दे यार, लगता है दूसरी लेना पड़ेगी, ये भी छोटी हो गई.

स्नेह जैसे ही अन्दर गई, नेहा सिर्फ जींस पहन कर ब्रा का हुक लगा रही थी.

वो अपनी दीदू की ब्रा का हुक लगाते हुए बोली- लाओ मैं बंद करती हूं, अब बाबूलाल को जीजू इतना प्यार करेंगे, तो साईज दिन ब दिन तो बढ़ेगा ही.

नेहा ने जल्दी से एक ढीला ढाला टॉप पहना और बोली- चल जल्दी तेरे जीजू वेट कर रहे होंगे.
स्नेहा- आज तो आप पटाखा लग रही हो.

हंसी मजाक करते हुए दोनों बहनें नीचे आ गईं, जिसे देख कर मनीष बोला- कौन ज्यादा ब्यूटीफुल लग रही है, कह नहीं सकता. एक से बढ़ कर एक. काश साली जी तुम पहले मिली होती, तो मैं तुमसे हो शादी कर लेता.
नेहा मुँह बनाते हुए- हुंह, अब देर नहीं हो रही?

तीनों कार में बैठ कर मुम्बई दर्शन के लिए चल पड़े.
गेट वे ऑफ इंडिया, मरीन ड्राइव, जूहू बीच चौपाटी होते हुए एक मॉल में आ पहुंचे, जहां मनीष के एक मित्र भावेश भाई का शोरूम था.

भावेश- आओ आओ मनीष, आज बहुत दिन के बाद मेरी याद आई? नमस्ते भाभी … कैसी हो?

नेहा- नमस्ते भावेश भाई नमस्ते. मैं ठीक हूँ, आप कैसे हो और भाभी कैसी हैं?
भावेश- सब मजा मा … ये कौन है?
उसने स्नेहा की तरफ देख कर कहा.

मनीष- ये हमारी प्यारी सी साली जी हैं. आज ही आई हैं, तो घुमाने लाया था … तो सोचा थोड़ी शॉपिंग भी करवा दूं.
भावेश ने एक सेल्स गर्ल को इशारे से पास बुलाया और धीरे से कुछ कहा.

उसके बाद उसने नेहा की तरफ देखते हुए कहा- भाभी, आप इसके साथ जाओ जो चाहिए सब मिलेगा.

फिर वो मनीष से बात करने लगा.

भावेश- चल यार मनीष, हम ऑफिस में बैठते हैं, कुछ ठंडा गर्म पिएंगे.

इधर सेल्स गर्ल- मेम आप मेरे साथ आइये.

इतना कह कर वो दोनों को एक केबिन में ले गई, जहां एक दीवान लगा था. उस पर बैठाते हुए बोली- अब बोलिए मेम क्या दिखाऊं?
नेहा- मुस्कुराते हुए, क्या क्या दिखा सकती हो?

नेहा ये बात उस लड़की की बेल जैसी बड़ी बड़ी लटकी हुई चूचियां की तरफ देखते हुए बोली थी.

सेल्स गर्ल गहरी मुस्कान के साथ अपनी शर्ट के बटन खोलते हुए बोली- मेम, सब कुछ दिखा सकती हूँ.
नेहा मुस्कुराते हुए- ये फिर कभी देखूंगी, शी इज माय टीन सिस्टर.

नेहा ने स्नेहा की तरफ इशारा करते हुए कहा- इनके लिए बढ़िया से बढ़िया ड्रेसेस दिखाओ … जिसमें जींस, स्कर्ट, टॉप, लेगिंग और शॉर्ट्स ब्रांडेड लेटेस्ट डिजाइन में और मेरे लिए भी.

सेल्स गर्ल- हैलो मेम.
उसने ये बात स्नेहा की तरफ देख कर कही और उठ कर बाहर निकल गई.

स्नेहा- क्या दीदू उसको खोलने देना था ना?
नेहा- मुझे पता है इसकी चूचियां पिलपिली होकर लटक चुकी हैं, पता नहीं कितनों ने इसके चूसे ओर दबाये होंगे.

ये दोनों बात कर ही रही थीं कि सेल्स गर्ल अन्दर आ गई. उसके पीछे पीछे दो लड़कियां, जिनके हाथों में ढेर सारे हेंगर थे, जिन्होंने स्पोर्ट ब्रा और शॉर्ट स्कर्ट पहना था.

सेल्स गर्ल- ये लीजिए मेम.
उसने सभी ड्रेसेस वहां रख दीं.

दोनों ने अपनी अपनी पसंद से कई सारी ड्रेस सिलेक्ट की और फिर लड़की की ओर देख कर बोलीं- लायेंज़री में नया कुछ मिल सकता है?
सेल्स गर्ल- कहा ना मेम, सब कुछ.

नेहा- बट लेटेस्ट डिजाइन में.
‘ओके मेम.’

इतना बोल कर वो एक बार फिर बाहर चली गई, थोड़ी देर बाद उसके साथ इस बार तीन लड़कियां अन्दर आईं. एक के हाथ में ट्रे थी, जिसमें दो कोल्डड्रिंक की बॉटल, बाकी दोनों ने लायेंज़री के बहुत से हेंगर लिए हुए थीं.

एक तरफ इशारा करते हुए लड़कियों से कहा- यहां रख दो और बाहर जाओ.
नेहा- कुछ नाईट वियर भी ले आओ.

नेहा ने उनके बाहर जाते ही स्नेहा को देखा. दोनों ने एक दूसरे के लिए ब्रा पैंटी सिलेक्ट की, जिसमें थोंग पैंटी, पुश अप ब्रा और कुछ रेग्युलर ब्रा पैंटी भी, जो बस पीरियड के समय में ही काम आती हैं.

उसके बाद नाईट वियर लेने के बाद.
नेहा- ये सब भावेश भाई के ऑफिस में किसी के हाथ भिजवा दो प्लीज.

वो दोनों उठ कर भावेश के ऑफिस में गईं.

फिर उसके बाद डिनर के लिए एक रेस्तरां में गए. डिनर करके आईसक्रीम खाते हुए घर की तरफ चल पड़े.

रात 11 बजे सब अपने अपने बेडरूम में थक कर जल्दी सो गए.

स्नेहा सुबह उठ के सीधा बाथरूम चली गई और नित्य कर्म से फ्री होकर, एक छोटा सा टॉवल लपेट कर बाहर आई.
उसने जल्दी जल्दी ब्रा के साथ एक टी-शर्ट और नीचे पजामा पहन लिया बिना चड्डी के … और नीचे डाईनिंग टेबल पर आ गई.

स्नेहा- गुड मॉर्निंग जीजू.
मनीष- गुड मॉर्निंग स्नेहा. कल मजा आया मुम्बई दर्शन करके?
स्नेहा- जीजू, कल बहुत मजा आया. दीदू कहां हो आप?

फिर उसने आवाज लगाते हुए नेहा से पूछा.
नेहा- आ रही हूं यार.

नेहा किचन से चाय लेकर आते हुए- बोल क्यों चिल्ला रही है?

स्नेहा की नजर जैसे ही नेहा पर पड़ी, उसे देखती रह गई. उसने आज भी ब्रा नहीं पहनी थी. उसके हिलते दूध देख कर उसकी चूत कुलबुलाने लगी.

नेहा- ऐसे क्या देख रही है?
स्नेहा नेहा की चूची की तरफ देखते हुए- इस गरीब के पेट का भी कुछ ख्याल कर लो या नाश्ते के लिए आपसे शादी करना पड़ेगी मुझे … जीजू की तरह?
नेहा ने हंसते हुए- नौटंकी, थोड़ी देर रुक जा.
स्नेहा- ओके दीदू.

फिर सब साथ में नाश्ता करने लगे.

वो अपने जीजू से बोली- आज भी कहीं जाना है क्या?
मनीष- नहीं साली साहिबा, आज इम्पोर्टेन्ट मीटिंग है मेरी, शायद लेट भी हो सकता हूँ. फिर भी तुम्हें अगर कहीं जाना हो, तो अपनी दीदी के साथ चली जाना.

स्नेहा- नहीं जीजू आप परेशान न हो, हम हमारा देख लेंगे.
नेहा ने मुँह बनाते हुए- क्या मनीष आप भी ना … स्नेहा हमारे यहां रोज रोज नहीं आती.

मनीष- अरे डार्लिंग, ये विदेशी लोग हैं. अगर ये ऑर्डर मिल गया, तो डॉलर में पैसा आएगा … और अमेरिका, लंदन तक हमारा बिजनेस फैलेगा.
नेहा- ठीक है, पर जल्दी आने की कोशिश करना.

मनीष नेहा को किस करते हुए- थैंक्यू डार्लिंग, बाय बाय साली जी.
स्नेहा- बाय जीजू एण्ड, बेस्ट ऑफ लक

उसके बाद मनीष निकल गया.

नेहा- तू बैठ, मैं हमारे लिए नाश्ता लगाती हूँ.

नेहा पलट कर जाने लगी, तो स्नेहा को पता चला कि नेहा ने आज चड्डी भी नहीं पहनी थी. क्योंकि उसके चूतड़ उसकी नाईटी में थिरकते से लगे.

स्नेहा मन में सोचने लगी- हम्म … तो ये बात है, दीदू थकान का नाटक करके रात भर गपागप लंड पेलवाती रही अपनी भोसड़ी में, अभी बताती हूँ.

नेहा नाश्ता टेबल पर लगाने के बाद- आज कहां चलें घूमने?
स्नेहा- दीदू मैं क्या कहती हूँ, घर में रह कर नाश्ता करते हुए. कोई मूवी देखते हैं ना.

नेहा- ओके जानेमन, जैसा तू कहे. पर कौन सी मूवी देखे?
स्नेहा- दीदू वो सब छोड़ो और पहले ये बताओ कि कल रात कितने राउंड फायरिंग हुई?

नेहा- एक राउंड भी फायरिंग नहीं हुई.
स्नेहा- मुझसे झूठ मत बोलो, ये क्या है?
उसने नेहा की चूची मींजते हुए कहा.

नेहा समझ कर मुस्कुराते हुए- क्यों तुझे नहीं पता ये क्या हैं, तेरे पास भी तो हैं. ये तेरी दीदू के हापुस आम हैं. जो तूने पहले भी मजे ले लेकर चूसे थे.
स्नेहा चिढ़ते हुए- मैं ये नहीं कह रही.
नेहा- कमाल है यार, मेरी चूची मसल रही है और कहती है कि मैं ये नहीं कह रही.

स्नेहा समझ गई कि ये नाटक कर रही है- ब्रा किसको गिफ्ट में दे दी … और ब्रा ही नहीं पैंटी भी अपने किसी यार के पास छोड़ कर आई हो क्या?
उसने जोर से नेहा का निप्पल चुटकी में मसल दिया.

नेहा- सीईईई, देख छोटी मुझे नंगी होकर सोने की आदत है. इसलिए सुबह मैंने बस नाईट गाउन पहन लिया. और वैसे भी रात को ब्रा पैंटी पहन कर सोने से बॉडी में रेड मार्क्स पड़ जाते हैं.
स्नेहा चटखारा लेकर- तो क्या जीजू भी ऐसे ही नंगे सोते हैं?

नेहा- यस … और तूने भी तो पैंटी नहीं पहनी.
स्नेहा- वो जल्दी-जल्दी में भूल गई, वो छोड़ो. आप विनीता दीदी वाली बात बताओ ना?

नेहा- जाने दे ना यार, फालतू में सुबह सुबह गर्म कर रही, कल रात से आग लगी हुई है … तू और भड़काने पर तुली है.
स्नेहा अपनी जगह से उठ कर नेहा के पास आते हुए- मैं हूँ ना आपकी चूत चाट कर ठंडी कर दूंगी, पहले की तरह.

नेहा झूठे बरतन उठाते हुए- साली, तुझे और कोई काम नहीं है. आज साली मेड को नहीं आना है.

स्नेहा भी उठ कर सोफे पर चली गई और मन में कुछ सोचने लगी.

नेहा किचन से निकलते हुए- बता कौन सी मूवी देखनी है?
वो आकर स्नेहा के बगल में बैठ गई.

स्नेहा हंसते हुए- लगा दो कोई चूत से लंड के मिलन समारोह की.
‘हम्म ..’

स्नेहा- विनीता दी वाली स्टोरी सुनाओ ना दीदू?
नेहा- फिर कभी, क्योंकि वो कहानी एक घंटे या एक दिन में खत्म होने वाली नहीं है. शॉर्ट में बस इतना सुन ले विनीता भाभी की चूत एक लंड से ठंडी होने वाली चूत नहीं है. उसकी चूत अपने पति और भाई सहित पता नहीं कितनों के लंड निगल चुकी है.

स्नेहा- बाप रे, भाई का भी लंड ले लिया, ये तो बहुत बड़ी वाली रांड है साली?
नेहा- हां, ये एक लंबी कहानी है, जिसे सुनाने में ही चार पांच दिन लग जाएंगे.

स्नेहा- ओके दीदू, छोड़ो उस रंडी की बात … आप एक काम करोगी मेरा?
नेहा स्नेहा की चूत पजामे के ऊपर से मसलते हुए- कौन सा काम?

स्नेहा- पहले कसम खाओ गुस्सा नहीं करोगी?
नेहा कुछ सोचते हुए- चल ठीक है.

स्नेहा- वो … वो … मैंने अआज तक … किसी की रियल च..चु..चुदाई नहीं द..देखी त..तो!
नेहा- तो तू क्या चाहती है?

स्नेहा सिर नीचे करकर- वो..वो
(मन में कैसे कहूँ दीदू)

नेहा- कहीं तू ये तो नहीं कहना चाहती कि मैं तुझे अपनी चुदाई का लाईव टेलीकास्ट दिखाऊं?
स्नेहा- हं.. हां.
बस वो इतना बोली, वो भी डरते डरते.

जिस पर नेहा गुस्से में- तू पागल तो नहीं हो गई.
स्नेहा मुँह लटका कर- सॉरी दीदू.

नेहा- हाहाहा … हाहाहाहा … अपना चौखटा तो देख साली, पूरे बारह बजे हैं. क्या अपने बीच कुछ छुपा है कभी.
 

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पिछले भाग

में अब तक आपने पढ़ा था कि छोटी बहन स्नेहा ने अपनी बड़ी बहन नेहा से उसकी चुदाई को लाइव देखने की इच्छा जाहिर की, जिस पर नेहा ने पहले तो उससे गुस्सा होने का ड्रामा किया, पर बाद में वो हंसने लगी.

अब आगे

नेहा- मैंने तेरी पिक्की (चूत) या तूने मेरी चिकनी चूत कभी नहीं देखी … या हमने एक दूसरे के मम्मे नहीं देखे. हम दोनों के बीच एक दूसरे के सामने कपड़े बदलना तो आम बात थी. वो भी पूरी नंगी होकर और हमने कई बार लेस्बियन भी किया था. पर तू आज इस तरह की बात करते हुए क्यों शर्मा रही है, पर एक बात है मेरी गुड़िया.
स्नेहा- क्या दीदू?

नेहा- मैं उनको क्या कहूंगी?
स्नेहा- दीदू मैं क्या कह रही … इस बात का जीजू को पता नहीं चलना चाहिए. ऐसा कोई जुगाड़ लगाओ दीदू, जिससे जीजू को पता ना चले और काम भी हो जाए.

नेहा- पर कैसे किया जाए?
स्नेहा- एक रास्ता मेरे दिमाग में है, आप कहो तो बताऊं?

नेहा- क्या?
स्नेहा- आप अपने कमरे की खिड़की थोड़ी सी खुली छोड़ देना … बस.

नेहा- ठीक है, पर बदले में मुझे क्या मिलेगा?
स्नेहा- अंआंआं जब मेरी शादी हो जाएगी … तो मैं अपने पति से आपकी चूत की चटनी बनवा दूंगी. हाहाहा … पर दीदू एक बात समझ नहीं आ रही है?

नेहा- कौन सी बात?
स्नेहा अपनी बहन नेहा के मम्मों को अपने हाथों से सहलाते हुए बोली- आप हमेशा इतना डीप क्लीवेज शो क्यों करती हो?

नेहा- यार स्नेहा, आज कल तेरे जीजू मुझ पर ज्यादा ध्यान नहीं देते … इसलिए ये सब करती हूं.
स्नेहा- हूंऊ … तभी मैं कहूँ कि क्या बात है.

उसने नेहा के निप्पल पकड़ कर कसके मसल दिए.
नेहा- आईईई कुतिया … मर गई.

इसी झटके में नेहा ने भी स्नेहा के कच्चे टिकोरे जोर से मसल दिए.
स्नेहा कराहते हुए हंस दी.

नेहा बोली- और हां … रात को मैं जैसे ही मिस कॉल दूं, तो तू जल्दी से खिड़की पर आ जाना … खिड़की खुली रहेगी पर्दे की ओट में खड़ी होकर मजे कर लेना.

फिर पूरा दिन कुछ खास नहीं हुआ, शाम को दोनों ने मिल कर रात का खाना पकाया.

मनीष नौ बजे तक वापिस आ गया … फिर सबने साथ बैठ कर डिनर किया.

स्नेहा- मुझे तो नींद आ रही है, गुड नाईट जीजू … मैं चलती हूँ.
मनीष- गुड नाईट, माय स्वीट सिस्टर इन लॉ.

ऊपर आने के बाद स्नेहा ने जल्दी जल्दी अपने कपड़े बदले. उसने सिर्फ एक ट्रांसपेरेंट नाईट गाउन डाला, वो भी बिना ब्रा पैंटी के.

उधर नेहा ने किचन का पूरा काम निपटाया और वो अपने बेडरूम में चली गई.
कमरे के अन्दर जाते ही उसने अपनी ड्रेस उतारी और नंगी ही बाथरूम में घुस गई. एक शॉवर लिया … फिर बदन पौंछते हुए नंगी ही बेडरूम में आ गई और अपनी चुचियां मसलने लगी.

मनीष उसे देख रहा था और मन में ही सोच रहा था कि हे भगवान इस छिनाल की चुत में फिर से आग लगी है.
मगर वो सामने से बोला- क्या है ये हां … पास वाले रूम में स्नेहा है, कुछ तो सोच रंडी.

तब तक स्नेहा खिड़की पर आ चुकी थी और अन्दर का नजारा देख और सुन रही थी.

नेहा- कल भी मैं बिना चुदवाये ही सो गई थी.
मनीष- आज रहने देते हैं, कल देखेगे आज मीटिंग में मैं बहुत थक गया हूँ.

नेहा- नहीं, मेरी चुत में आज आग लगी है. ये देखो … कुछ करो ना प्लीज.
उसने अपनी एक उंगली अपनी चिकनी गीली चुत के अन्दर घुसा कर बाहर निकाली, जो खुद के पानी से तर हो रही थी. उसने मनीष को भीगी उंगली दिखाई और अपने मुँह डाल कर चूस ली.

मनीष- एक बात बता साली, क्या तेरी अम्मा भी इतनी चुदैल थी … जितनी कि तू है? कुछ तो सोच रंडी … पास वाले रूम तेरी वो छुटकी बहना अपनी मां चुदा रही है … उसका क्या?
नेहा- हो सकता है मेरी मां मुझसे बड़ी चुदासी हो … तभी तो मैं उनके भोसड़े से इतनी बड़ी रंडी निकली … हा हा हा.

मनीष- हे भगवान, ये क्या अनाप शनाप बक रही हो तुम. वो तेरी मां है साली कुतिया … कुछ तो सोच कर बोला कर कमीनी.

नेहा- देखो मनीष, मैं शादी से पहले बहुत तड़पी थी चुदाई के लिए … लंड के लिए … इसीलिए मैं सुहागरात तक कुंवारी बनी रही थी. ये बात हम दोनों जानते हैं. मुझे पहली बार चुदाई में कितना दर्द हुआ था और मेरी कमसिन सी चुत फाड़ कर तुमने ही उसकी भोसड़ी बनाई थी. भूल गए क्या मेरे राजा.

मनीष समझ गया कि इसकी फुद्दी में खुजली बढ़ रही है … इसलिए अनाप शनाप बके जा रही है.
उधर स्नेहा ने ये देखा, तो देखती रह गई. अन्दर से जोर जोर से आवाजें आ रही थी. वो वहीं खड़ी होकर सुनने लगी.
स्नेहा ने जब उनकी बातें सुनी, तो उसने अपने मुँह पर हाथ रख लिया और सोचने लगी कि दीदू को हुआ क्या है आज … ये मॉम डैड के लिए इतनी गंदी गंदी बातें क्यों कर रही हैं.
उसे आज पता चला कि उसकी दीदू कितनी बड़ी रंडी है.

और उधर अन्दर:

मनीष- तो नहीं मानेगी साली … आज अपनी अम्मा ही चुदवाएगी तू … आज मेरा लंड लेगी ही. चल आज, बताता हूँ चुदाई क्या और कैसे होती मेरी कुतिया. एक काम कर चल साली, पहले मुझे नंगा कर और मेरा लंड चूस कर खड़ा कर. फिर देखना कैसे तेरा ये खसम आज तेरी चुत का तेरी मॉम के जैसा भोसड़ा ना बनाता है. न बनाया तो कहना, बहुत आग लगी है ना तेरी इस चुत में … साली रंडी!

नेहा ने फटाफट मनीष को नंगा किया और वहीं नीचे बैठकर मनीष के लंड की पहले 2-3 बार मुठ मारी, फिर मुँह खोल कर गप से लंड अन्दर ले लिया. इसी लिए स्नेहा को नेहा की पीठ नजर आ रही थी.

मनीष ने नेहा का सिर पकड़ लिया और उसका मुँह चोदने लगा- ले साली मादरचोद … ले अपने खसम का लंड … बहुत आग लगी थी ना तेरी चूत में कुतिया … ले.

मनीष ने नेहा पर जरा भी रहम नहीं किया और उसके गले तक अपना लंड घुसा घुसा कर मुँह चोदने लगा.

फिर एक झटके से उसके मुँह से लंड अपना निकाला तो खों खों खों और नेहा ने अपना चेहरा खांसते हुए ऊपर किया.
मनीष ने उसकी तरफ देखा, तो उसका पूरा चेहरा लाल पड़ गया था और आंखों में आंसू भर गए थे.

मनीष ने नेहा को उठाया और बिस्तर पर पटक कर एक ही झटके में आधा लंड उसकी रस बहाती चुत में पेल दिया.

‘ले साली छिनाल चोदी … ले मां की लौड़ी … ले.

बस वो नेहा की चुत को घपा घप घपा घप चोदने लगा.
नेहा भी तेज़ तेज़ चिल्लाने लगी- हां और जोर से मेरे साजन क्या चुदाई करता है रे तू … आह मेरे कुत्ते आह मेरे राजा … क्या मस्त लंड है तेरा … मेरे भड़वे उईईई.

वो ये जानते हुए आवाज निकाल रही थी कि बाहर स्नेहा ये सब देख सुन रही है.

इधर स्नेहा बाहर खड़ी खड़ी इस तरह की जंगली चुदाई देख कर गर्मा गई थी.
कब उसका एक हाथ अपनी नाईटी उठा कर छोटी सी हल्के रोंये वाली चिकनी चूत पर चला गया, उसे पता ही नहीं चला.

स्नेहा अपनी छोटी सी कुंवारी बुर का छोटा सा लहसुन के जैसा दाना मसलने लगी और दूसरे हाथ से अपने जोबन के गुलाबी मटर के दाने जैसे निप्पल को मसलने लगी.

नेहा के मुँह से गाली सुन कर मनीष को और जोश आ गया. उसने नेहा की गीली भोसड़ी से सुपारे तक लंड बाहर खींचा … फिर एक झटके से उसकी गीली भोसड़ी में अपना लंड जड़ तक घुसा दिया और दनादन दनादन चोदने लगा.

नेहा अब झड़ने के करीब थी, तो उसने भी नीचे से अपने चूतड़ उठा उठा कर उसके धक्कों का जवाब देना शुरू कर दिया.
‘आआह मेरे राजा मैं मै आ रही.’ ये कहते हुए नेहा झड़ने लगी.

पर मनीष नहीं रुका. वो दनादन चुत पेलता रहा.
अभी नेहा की भोसड़ी से फच फच फच की आवाज पूरे कमरे गूंज रही थी.

इधर बाहर इतनी खतरनाक चुदाई से स्नेहा भी नहीं टिक पाई. वो भी भलभला गई और उसकी नाजुक चूत चू पड़ी.

कमरे के अन्दर नेहा एक फिर मनीष के धक्कों से गर्म होकर मनीष के ऊपर आ गई और उसका लंड पकड़ कर अपनी गीली चूत के मुँह पर लगा कर एक झटके में बैठ गई.
एक ‘फच्च ..’ की आवाज के साथ एक बार फिर मनीष का लंड नेहा की चूत में जड़ तक पेवस्त हो गया.

तभी अचानक नेहा को कुछ याद आया. वो लंड पर बैठे बैठे खिड़की की तरफ घूम गई और जैसे ही दोनों की नजरें आपस में मिलीं, स्नेहा मुस्कुरा उठी.

नेहा जोर जोर से मनीष के लंड पर उछल रही थी. उसी अंदाज में उसकी चूचियां भी उछल रही थीं.
अंत में दूसरी बार फिर से नेहा झड़ कर मनीष पर ढेर हो गई.

एक बार फिर से मनीष ने भी पलटी खाई और वो नेहा के ऊपर आ गया. पहले उसने नेहा की दोनों चूचियां चूस चूस कर लाल कर डालीं.

पर इस बार नेहा कुछ ढीली नजर आई. अब मनीष भकाभक अपना लंड नेहा की फुद्दी में अन्दर बाहर करने लगा.

फिर जब मनीष झड़ने को हुआ, तो उसने अपना लंड नेहा की चूत से निकाला और उसके मुँह के पास कर दिया.
नेहा ने झट से मुँह खोला और गप से मुँह में लंड ले लिया. बस 2-3 शॉट मारकर मनीष के लंड ने पिचकारी छोड़नी शुरू कर दी.
नेहा के गले में उसने इतना माल छोड़ा कि उसके मुँह के दोनों कोरों से वीर्य बाहर आने लगा.

कुछ ही पल में दोनों लस्त होकर ऐसे ही नंगे पड़ गए.

उसके बाद स्नेहा भी अपने कमरे में आ गई. कमरे में आते ही उसने अपनी नाईटी उतार फेंकी.
वो सटासट अपनी चूत में एक हाथ से उंगली करने लगी और दूसरे हाथ से अपनी निप्पल नौंच डाले.

जब उसकी मुनिया ने पानी छोड़ा, तब उसके मुँह से आआ… आ… आआह की लंबी सिसकारी निकली और वो नंगी पड़ी रही. पता नहीं कब में वो गहरी नींद के आगोश में चली गई.

सुबह जब स्नेहा की नींद खुली, तो देखा तो नेहा हाथ में चाय का कप लिए उसे उठा रही थी.

नेहा उसे देख कर मुस्कुरा रही थी.

स्नेहा- गुड मॉर्निंग दीदू.
नेहा- वेरी गुड मॉर्निंग प्यारी बहना. कहो रात कैसी कटी?
स्नेहा- शरमाते हुए, एकदम मस्त.

नेहा ने उसकी चूत का दाना मसलते हुए चुटकी ली- हां, वो तो मुझे भी दिख रहा है.

स्नेहा का अब जाकर ध्यान गया कि रात को चूत में उंगली करने के बाद वो नंगी ही सो गई थी.
उसने झट से अपने ऊपर चादर खींची और अपने नंगे बदन को ढक लिया.
वो शरमाते हुए चाय पीने लगी. नेहा ने भी उसे छेड़ा नहीं.

नेहा- चल जल्दी फ्रेश होकर आ जा, तब तक मैं नाश्ता बनाती हूँ.

स्नेहा मुस्कुराते हुए उठी और नंगी ही बाथरूम में चली गई.
वहां से नहा कर ही बाहर आई और कपड़े पहन कर नीचे चली गई.

डाईनिंग टेबल पर सबने मिलकर नाश्ता किया. मनीष नाश्ता करके ऑफिस निकल गया.
घर पर दोनों बहनें अकेली चाय का कप ले कर सोफे पर आ गईं.

नेहा- हां तो अब बता कैसा लगा हमारा प्रोग्राम … मजा आया?
स्नेहा- बहुत मस्त दीदू … क्या हॉट चुदाई थी यार … मैं तो सोच भी नहीं सकती थी कि आप इतनी बड़ी चुदक्कड़ निकलोगी. और बाप रे … जीजू भी क्या मस्त चोदते हैं. जीजू का इतना बड़ा लंड आपकी छोटी सी चूत में कहां गुम हो गया … पता ही नहीं चला.

नेहा- मुझे पता है. तुझे कितना मजा आया. सुबह तुझे नंगी देख कर ही समझ गई थी कि तूने रात को अपनी चूत में उंगली की होगी और नंगी ही सो गई थी तू … है न!

स्नेहा शरमाते हुए अपनी दीदू की गोद में सिर रख कर सोफे पर ही लेट गई.

स्नेहा- दीदू एक बात पूछूँ?
नेहा- हां बोल क्या पूछना है तुझे?

स्नेहा- ये भोसड़ी और भोसड़ा क्या है? चूत बुर तो जानती हूँ पर.
नेहा ने हंसते हुए कहा- देख जैसे अभी तेरी जो चूत है … वो बुर या चूत है वर्जिन कुंवारी सील पैक … और मेरे जैसी चुदी चुदाई चूत को भोसड़ी कहते हैं. फिर जिस भोसड़ी से बच्चा पैदा हो जाए, तो वो भोसड़ी, भोसड़ा बन जाती है, जैसे मम्मी का, चाची का, मामी का, बुआ का या मासी का.

स्नेहा- दीदू एक बात और?
नेहा चाय की चुस्की लेते हुए- हां हां वो भी बोल दे?

स्नेहा- आपने कितनी चूतें, भोसड़ी या भोसड़ा देखे हैं … सच सच बोलना!
नेहा- हांआं ये तो याद तो नहीं … पर कई चूतें भी देखी हैं … और कई भोसड़ी और भोसड़े भी देखे हैं. साथ में कइयों के भोसड़े चाटे-चूसे भी हैं.

स्नेहा- किस-किसकी चूतें और किस-किसके भोसड़े देखे और चाटे हैं?
नेहा ने बात को टालते हुए कहा- छोड़ ना यार!

स्नेहा- बताओ ना दीदू, कब और कहां देखा ये सब?
नेहा- तू नहीं मानेगी. देख सबसे पहले मेरी तेरी चूत.
स्नेहा- अपनी दोनों की तो मैंने भी देखी है. कोई नयी बात बताओ?
 

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लंड चुत गांड चुदाई का रसिया परिवार- 5


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छोटी बहन को चुदाई का नजारा दिखाया
में अब तक आपने पढ़ लिया था कि नेहा ने अपनी छोटी बहन स्नेहा के इसरार पर उसे परिवार के बाकी सदस्यों की चुदाई की कहानी बताने का निश्चय कर लिया था.

अब आगे

नेहा- मैंने अपने मामा की लड़की ममता की चूत और उसी की भोसड़ी भी देखी है. उसकी चुदाई होते हुए भी देखी है. ममता की एक सहेली सपना की चूत भी देखी है.

स्नेहा- और भोसड़े किसके किसके देखे हैं?
नेहा- मॉम का भोसड़ा तो हमेशा देखती रहती थी. मंजू मामी का भोसड़ा और उनकी चुदाई का लाईव टेलीकास्ट भी देखा है. संध्या चाची का भोसड़ा और उनकी चुदाई का टेलीकास्ट भी कई बार देखा है. अपनी बुआ की चूत, भोसड़ी और भोसड़ा चुदाई सब देखा है. मासी को नंगी तो कई बार देखा, पर मासी की चुदाई नहीं देखी. ये जितनी भी हैं ना, इन सबको मैं पूरी की पूरी नंगी देख चुकी हूँ और इन सबकी चुदाई का लाईव टेली कास्ट भी देखा था.

स्नेहा- बाप रे … आप तो कमाल हो. पर आपने मॉम का भोसड़ा कैसे देख लिया दीदू?
नेहा- क्यों तुझे भी देखना है क्या?

स्नेहा- मैंने उन्हें नंगी तो कई बार देखा है, पर कभी ये सोच कर नहीं कि मॉम की चूत या भोसड़ा कैसा होगा. आप डिटेल में बताओ ना.
नेहा- जाने दे यार स्नेहा, बात खुलेगी तो दूर तक जाएगी.

स्नेहा- ओके … तो संध्या चाची की कुछ सुना दो, मॉम की कहानी फिर कभी सुना देना.

नेहा नाईट पेंट के ऊपर से स्नेहा की बुर सहलाते हुए बोली- चल ठीक है, मैं तुझे संध्या चाची और राजू चाचू की चुदाई सुनाती हूँ.
स्नेहा- सीईईई … ये हुई ना कुछ बात, वैसे मुझे संध्या की चूचियां शुरू से ही पसंद हैं. हमेशा लापरवाही से रहने की वजह से मैंने कई बार उनके खुले चूचे देखे हैं.

दोस्तो, अब समय है, चिराग के चाचा के परिवार का परिचय देने का.

राजवीर उर्फ़ राजू. ये चिराग का चाचा है और 40 साल का है. ये मुकेश की बुआ का लड़का है और गुजरात में एक फैक्ट्री का मालिक है.

संध्या चाची 37 साल की एक भरे पूरे 36-28-38 के फिगर वाली कामुक औरत हैं. एकदम मस्त आयटम की तरह हमेशा ग्लैमर की दुनिया में रहने वाली.

पीहू, चिराग के चाचा की बेटी है.

बिट्टू, ये चाचा का बेटा है और अभी एक साल का ही है.

पायल, राजवीर और मुकेश की बहन है ये 36 साल की 38-28-40 के फिगर वाली माल औरत है.

नेहा- तुझे याद है छोटी, ये दोनों एक बार करीब 5 साल पहले हमारे यहां आए थे.

स्नेहा- हां पता है मुझे … जब चाची को बिट्टू नहीं था. पीहू भी करीब छह महीने की रही होगी.
नेहा- हां ये तभी की बात है.

स्नेहा- दीदू आपको पता है, ये जब भी पीहू को दूध पिलाती थीं तो मेरा भी मन करता था कि एक बार चाची मुझे भी अपना दूध पिला दें, पर शायद चाची मेरी नजरों को पहचानती थीं. ये उसी समय की बात है दीदू?
नेहा- हां!

अतीतावलोकन यानि अब कहानी फ्लैशबैक में!

संध्या- अरे स्नेहा, तुम आज स्कूल नहीं गई?
स्नेहा- जी चाची, मॉम को अचानक पापा के साथ कहीं जाना पड़ा. तो मैं घर पर ही रुक गई.

संध्या- तो घर में कौन कौन है?
स्नेहा- आप मैं और बाबू (पीहू).

संध्या- और तुम्हारे चाचू, वो कहां हैं?
स्नेहा- पापा के एक दोस्त रतन अंकल आए थे, वो अपने साथ चाचू को ले गए.

संध्या- ओके … चल हम दोनों मिल कर बाबू के साथ खेलते हैं. जब तक संगीता भाभी नहीं आ जातीं, तू यहीं खेल.
स्नेहा- चाची आप पहले नहा लो, तब तक मैं बाबू के साथ खेलती हूँ, फिर साथ बैठ कर नाश्ता करेंगे.
संध्या- अरे वाह, तुम तो बड़ी हो गई.

ये कहते हुए चाची ने मुझे पकड़ कर मेरे गाल पर किस्सी कर दी और नहाने चली गईं.
पर थोड़ी देर बाद पीहू जोर जोर से रोने लगी. मैंने बहुत कोशिश की पर वो चुप होने का नाम ही नहीं ले रही थी.

संध्या बिना नहाये ही बाहर आ गई- अरे बाबू इतना रो क्यों रही?
स्नेहा- पता नहीं चाची.

संध्या- मुझे पता है, इसको भूख लगी है.
इतना कह कर चाची ने बाबू को अपनी गोद में लिया और वहीं सोफे पर बैठ गईं.

स्नेहा- चाची मैं बाबू के लिए दूध लाऊं?
संध्या- नहीं बेटा, ये अभी मेरा दूध पियेगी.

इतना कह कर चाची ने अपने गाउन के बटन खोले और अपनी एक चूची कशिश के मुँह से लगा दी.

मैं बड़े गौर से ये सब देख रही थी. चाची ने ब्रा भी नहीं पहनी थी … ये बात मेरी समझ नहीं आई.

संध्या- ऐसे क्या देख रही है, तुझे भी पीना है क्या?
स्नेहा- न नहीं चाची … मैं तो बाबू को दूध पीते देख रही थी.

संध्या- ले आजा पी ले … नहीं तो तू मेरे दूध पर नजर लगा देगी.

इतना कहते हुए उन्होंने मेरा सिर पकड़ लिया और दूसरे हाथ से अपनी दूसरी चूची मेरे मुँह के सामने कर दी.

स्नेहा ने घबराते हुए कहा- नहीं नहीं चाची … मुझे नहीं पीना.
संध्या ने मुस्कुराते हुए कहा- झूठ मत बोल … मुझे पता है तेरा भी मन कर रहा है.

स्नेहा मन में बुदबुदाई कि चाची को कैसे पता चला. फिर वो बोली- अरे नहीं चाची.

मैं अभी बस इतना ही बोल पाई थी.

संध्या- ले अपना मुँह खोल.

ये कहते हुए उन्होंने अपना एक निप्पल मेरे होंठों से लगा दिया. मन तो मेरा भी कर रहा था, पर शर्म के कारण मैं मना कर रही थी.
मैंने भी मुँह खोल कर उनका निप्पल मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दिया.

चाची ने मेरा सिर पकड़ कर अपनी जांघ पर लिटा लिया.

अब हालत ये थी कि एक तरफ पीहू उनका दूध पी रही थी और दूसरी तरफ से मैं चूची चूस रही थी. उसे दिन पहली बार मुझे पता चला कि औरत का दूध इतना मीठा होता है.

संध्या- सीईईई आआह!

स्नेहा निप्पल मुँह से बाहर निकाल कर बोली- क्या हुआ चाची दर्द हुआ क्या?
संध्या- नहीं रे, तू पी … मुझे बहुत अच्छा लगता है. तेरे चाचू को तो मैं हमेशा पिलाती हूँ.

अब वर्तमान में:

इस पर नेहा ने टोका- हां, चाची हैं ही ऐसी … किसी की कोई शर्मोहया ही नहीं है. तुझे नहीं पता, मैं भी कई बार उनका दूध पी चुकी हूँ.

स्नेहा- वो सब छोड़ो दीदू, आप ये बताओ आपने चाची की चुदाई कैसे देख ली?
नेहा- चाची का भोसड़ा ही था ना उस समय!

नेहा- हां, वो तो चाचू के साथ शादी से पहले ही चुदवा चुकी थीं.
स्नेहा- जिस दिन चाचू और चाची अपने घर आए, तब सुबह का टाईम था. तू और चिराग स्कूल में थे … और मैं कॉलेज गई हुई थी. जब दोपहर को मैं घर पहुंची, तो चाची और मॉम हॉल में ही मिल गईं.

फ्लैशबैक:

नेहा खुश होते हुए- नमस्ते चाची, आप लोग कैसी हो?
संध्या- नमस्ते बेटा, सब ठीक है … तुम्हारी पढ़ाई कैसी चल रही है?

नेहा ने उनके पास बैठते हुए कहा- पढ़ाई एकदम बढ़िया चल रही चाची, वो छोटा बाबू कहां है?
संध्या- वो अभी सो रही है. बहुत परेशान करती है.

नेहा- और चाचू कहीं दिखाई नहीं दे रहे?
संध्या- बाप बेटी दोनों आराम से सो रहे हैं.

नेहा- बाबू का नाम क्या है?
संध्या- पीहू नाम रखा है.

संगीता- नेहा, तू चेंज करके आ जा, तब तक मैं खाना लगाती हूँ … और संध्या, तू राज को भी उठा दे. सब साथ ही खाना खाते हैं.

नेहा ने स्नेहा को बताया कि चाची और मेरा रूम अगल बगल में ही था. हम दोनों ऊपर गए. मैं बाथरूम में जाकर फ्रेश हुई और अपने रूम में आकर कपड़े बदले, फिर नीचे चल पड़ी. पर जैसे ही मैं चाचू के रूम के सामने से गुजरने लगी, तो अन्दर से कुछ आवाजें आ रही थीं.

स्नेहा- कैसी आवाज दीदू?
नेहा- शायद चाचू का मन चाची को चोदने का था, पर चाची मना कर रही थीं.

स्नेहा- फिर!
नेहा- फिर मैं उनके रूम के पास खड़ी हुई, तो देखा कि चाची चाचा से बात कर रही थीं.

संध्या- मेरे राजा, शाम तक रुक जाओ … आज रात को मैं तुम्हें इतना खुश कर दूंगी कि तुम ये रात कभी नहीं भूल पाओगे.
राजवीर(राजू)- पर अभी एक बार मेरा लंड चूस ले … बस बाकी तेरी जो मन में चुदवाना हो … वो रात को चुदवा लेना.

स्नेहा- हम्म.

नेहा- मैं समझ गई अन्दर का खेल क्या होना है. मैंने उसी समय एक प्लान बना लिया था.
स्नेहा- कैसा प्लान दीदू … उनकी चुदाई देखने का?

नेहा- हां, तू तो जानती है, जैसे तेरे मेरे और चिराग के रूम के बीच ऊपर एक वेंटिलेशन है, ठीक वैसा ही सभी गेस्ट रूम के बीच में भी वेंटिलेशन है.
स्नेहा- ओह … तो आपने वहां से देखी थी उनकी चुदाई, पर दीदू मुझे भी तो बता सकती थीं आप!

नेहा- नहीं, तू उस समय छोटी थी इसलिए मुझे ये सही नहीं लगा. उसके बाद मैं सीढ़ियों तक आई और पलट कर चाची को आवाज दी कि चाची जल्दी चलो … ताकि उनको किसी प्रकार का कोई शक ना हो.

फिर हम सबने साथ मिल कर लंच किया और सब अपने अपने कमरे में जाने वाले थे कि तभी पीहू उठ गई. मैं दौड़ते हुए गई और बाबू को लेकर नीचे चाची के पास आ गई. ऐसे ही बात करते शाम हो गई.

फिर शाम को मैं और मॉम किचन में डिनर की तैयारी कर रहे थे कि चाची वहां बाबू को लिए हुए आईं.

संध्या- क्या पक रहा मां बेटी के बीच?
मैंने बाबू को चाची की गोद से लेते हुए- अले मेला छोना बाबू, चाची आप इसे मुझे दीजिए और मॉम को खाना बनाने में हेल्प कीजिये … लाइये.

संध्या चाची ने हंसते हुए कहा- हां हां ले जा इसको, थोड़ी देर कहीं घुमा ला. तब तक मैं अपनी भाभी को पकाती हूँ.

मैं जाने लगी तो मॉम बोलीं- नेहा इसकी बॉटल ले ले साथ में.

पीहू को लेकर मैं बाहर गॉर्डन में आ गई और उधर किचन में दोनों काम में लग गईं.

संध्या- क्या बात है भाभी आपका पिछवाड़ा तो कुछ ज्यादा ही बाहर आ गया?
संगीता- क्या करूं … तेरे जेठ जी मानते ही नहीं, रोज पीछे लग जाते हैं कि आज तो तेरी गांड मार कर रहूँगा.

दोस्तो, यहां मैं आपको बता दूँ कि इनके बीच इस तरह की चुहलबाजी चलती रहती थी.

संध्या- तो मेरे ये कौन से कम है, उनको भी बस चोदने का बहाना मिलना चाहिए.
संगीता- संध्या एक काम करते हैं … इस विषय में कल सुबह बात करते हैं. कल क्या है कि बच्चे पढ़ने चले जाएंगे और यहां हम दोनों ठीक से बात करेंगे.

फिर दोनों ने इधर उधर की बातें करते हुए खाना तैयार किया. बाद में सबने मिलकर खाना खाया.

मैंने अन्दर आकर कहा- मॉम आज मैं बहुत थक गई हूँ. किचन आप साफ कर लो ना. मैं आज जल्दी सोना चाहती हूँ. कल सुबह जल्दी उठ कर पढ़ भी लूंगी और कॉलेज भी चली जाऊंगी.
संध्या चाची मेरी बात सुनकर मन ही मन खुश होते हुए बोलीं- हां नेहा तू जा बेटी, मैं और भाभी सब देख लेंगी, गुड नाईट बेटा.

मैं मन में बुदबुदाई कि मुझे पता है आप क्या देखने की सोच रही हो थैंक्यू चाची.

मैंने संध्या चाची को पीछे से हग करते हुए उनके गाल चूम कर कहा- गुड नाईट एण्ड टेक केयर चाची.

ये बोल कर मैं मुस्कुराती हुई अपने रूम में आ गई.

स्नेहा- फिर दीदू चुदाई की बात बताओ न.
नेहा- रुक तो जा मेरी छुटकी … वही तो बता आ रही हूँ. मैंने रूम में आते ही फटाफट अपने कपड़े उतार फेंके, केवल ब्रा पैंटी पहने बाथरूम में गई और जल्दी वापस आ कर नाईट गाउन पहन कर चाची के बगल वाले रूम में आ गई. मैंने एक नजर वेंटिलेशन पर डाली और वहां पड़ी एक टेबल उसके नीचे लगा कर ऊपर चढ़ कर देखा, तो मैं वहां तक पहुंच ही नहीं पाई थी. अब क्या करूं … ये सोचते हुए मैंने टेबल अपनी जगह वापस रख दी और रूम के नाईट बल्ब को फोड़ दिया.

स्नेहा- फिर!
‘फिर मैंने चिराग को बुला कर सीढ़ी मंगवाई.’

चिराग- क्या हुआ दी, इतनी रात को सीढ़ी का क्या काम पड़ गया?
मैं- कुछ नहीं, वो नाईट बल्ब फ्यूज हो गया था तो सोचा देख लूं.
चिराग- ओके दी, अभी लाया.

ये कह कर वो चला गया और थोड़ी देर में सीढ़ी लेकर ले आया और कहने लगा कि लाओ मैं खुद ही चेंज कर देता हूँ दी.
नेहा- नहीं भाई तू रहने दे, मैं बाद में देख लूंगी. गुड नाईट

चिराग- गुड नाईट दी उम्महा.

नेहा- फिर वी शेप वाली उस सीढ़ी को लेकर मैं उस रूम में गई और जब उस सीढ़ी के ऊपर चढ़ कर देखा, तो मैं आसानी से उस पार का नजारा देख सकती थी. मैंने सीढ़ी से नीचे उतर कर रूम लॉक किया और अपने कमरे में आ गई. इस बार गाउन के साथ ब्रा पैंटी भी उतार दी और अपने आपको एक बार आईने में देखा. मन ही मन खुश होते हुए मैं ठंडे पानी का शॉवर लेने का सोच कर बाथरूम में चली गयी.

थोड़ी देर बाद मैं अपना शरीर पौंछते हुए नंगी ही बाहर आ गई.

मैंने बिना ब्रा पैंटी के एक फ्रॉक पहन ली, जो मेरे घुटने से ऊपर तक की थी. इसके बाद मैंने अपने रूम की सभी लाईट ऑफ कर दीं. कमरे को बाहर से लॉक कर दिया और चाची के बगल रूम में आकर उसे भी अन्दर से लॉक कर लिया. मैं किसी भी तरह का खतरा नहीं उठाना चाहती थी. अब मैं वहां बिछे पलंग पर लेट कर चाचा चाची की चुदाई शुरू होने का इंतजार करने लगी.

फ्रेंड्स, इस सेक्स कहानी की लेखिका सोनिया आपको एक बार नेहा को उसके रूप को बताने चाह रही हूँ. इस नग्न सुंदरी नेहा का एक एक अंग देखने काबिल है. इसके 34 इंच के मस्त चूचे और उन पर पिंक कलर के एकदम कड़क निप्पल. उसके नीचे सपाट चिकना पेट और पेट पर ही छोटी, किंतु गहरी नाभि … और उसके ठीक नीचे सेक्सी, सुंदर, प्यारी सी बिना बालों वाली चिकनी चूत, जिसमें से बाहर को निकला हुआ दाना चुत की छटा को चार चांद लगा रही थी.
 

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सेक्सी चाची की चूची का दूध
में अब तक आपने पढ़ा था कि नेहा अपनी बहन स्नेहा को चाचा चाची के बीच चुदाई को बता रही थी कि किस तरह से उसने चाची की चुदाई को देखा.

अब आगे चाची चाचा की चुदाई कहानी:

मैंने सीढ़ी लगा कर एक रोशनदान से चाचा चाची की चुदाई देखने का पूरा इंतजाम कर लिया था. मैं अपने बिस्तर पर लेट कर उन दोनों की चुदाई शुरू होने का इन्तजार कर रही थी.

थोड़ी ही देर में बगल वाले कमरे में हलचल हुई तो मैं सीढ़ी पर चढ़ कर टॉप पर बैठ गई और अन्दर की तरफ देखा, जहां से मैं पूरा कमरा देख सकती थी. जबकि मुझे कोई नहीं देख सकता था बल्कि मेरे इस तरह से सीढ़ी पर बैठने का कोई सोच भी नहीं सकता था.

राजू चाचा बेड पर लेटे लेटे अपना लंड मसल रहे थे.
वो बोले- इतनी देर कहां लगा दी मेरी छमिया?

संध्या चाची अपनी बच्ची को झूले में लिटाते हुए बोलीं- भाभी के साथ किचन समेट रही थी.
राजू- आज नेहा ने भाभी की हेल्प नहीं की क्या?

संध्या चाची- उसको नींद आ रही थी इसलिए वो आज जल्दी सो गई.
राजू चाचा- चल अब देर मत कर … देख तुझे इस रूप में देख कर मेरा लंड कैसे पागल हो रहा है.

संध्या चाची- एक रात मैं तुम्हें चोदने को नहीं मिली तो इतनी बेचैनी हो गई … च्च्चच.

संध्या चाची ने मुस्कुराते हुए अपना कुर्ता निकाला और एक तरफ रखते हुए बोलीं- थोड़ा सब्र करो, मैं कहीं भागी जा रही हूं क्या?

ये कह कर वो अपनी लेगिंग निकालने लगीं.

राजू चाचा ने अपना लंड बॉक्सर के ऊपर से मसलते हुए कहा- जल्दी आओ यार … क्यों टाईम वेस्ट कर रही हो.
संध्या चाची- कितने बेसब्रे हो रहे तुम, जरा रुको तो … मैं बाथरूम से शॉवर लेकर आती हूँ मेरे मुन्ने, फिर अपनी अम्मा का जितना दूध पीना हो पी लेना.

राजू चाचा- अरे जानेमन जिसकी तेरे जैसी गर्म बीवी हो … उससे सब्र कहां.

संध्या चाची अपनी लेगिंग रखते हुए हुए बोलीं- मुझे एक बात समझ नहीं आती कि जब तुम टूर पर अकेले जाते हो, तो कैसे मैनेज करते होगे? कहीं ऐसा तो नहीं कि टूर में अपनी सेक्रेटरी को ही पेल देते होओ?
राजू चाचा- तुम्हें ऐसा क्यों लगता है?

संध्या चाची ने मुस्कुराते हुए कहा- देखो एक तो उसके कपड़े मुझे पता है, वो स्कर्ट के नीचे पैंटी नहीं पहनती. दूसरा तुम मुझे बिना चोदे एक दिन नहीं रहते.
राजू चाचा- तू सच में एक नंबर की रांड है साली.

अब चाची के शरीर पर ऊपर सिर्फ एक साटन की लेसी ब्रा और नीचे थोंग पैंटी थी, जो पहनने या ना पहनने के बराबर थी. वो अपनी गांड हिलाते हुए बाथरूम में घुस गईं.

स्नेहा- फिर क्या हुआ दीदू!
नेहा- मैं इधर अपने मन ही मन सोचने लगी कि यार चाची तो एकदम मस्त पटाखा माल हैं. क्या बॉडी है इनकी, अगर मैं लड़का होती … तो अब तक तो चाची को पटा कर या जबरन पटक कर चोद चुकी होती. ये सोचते हुए मैं अन्दर कमरे में देखने सुनने लगी.

संध्या चाची बाथरूम का दरवाजा खोल कर जब बाहर आईं, तो एकदम नंगी थीं. वो अपनी गांड मटका कर चलती हुई आईं और बेड पर बैठ गईं. वो चाचा का लंड पकड़ कर हिलाने लगीं.

राजू चाचा ने संध्या चाची की चूंची पकड़ते हुए कहा- कसम से डार्लिंग … मुझे आज भी यकीन नहीं होता कि मुझे बीवी के रूप में तू मिली है.

संध्या चाची ने राजू चाचा का लंड पकड़ कर हिलाते हुए जीभ निकाली और आईसक्रीम की तरह लंड चाटने लगीं.

राजू चाचा- आआह सच यार लंड चूसने में तेरा जवाब नहीं … आआ आआआ.

संध्या चाची ने अब मुँह खोल कर लंड का टोपा अन्दर लिया और धीरे धीरे चूसने लगीं.

राजू चाचा- संध्या एक बात नोट की तुमने?
संध्या चाची अपने मुँह से लंड बाहर निकाल कर कहने लगीं- कौन सी बात डार्लिंग?

राजू चाचा ने चाची का दूध दुहते हुए कहा- तुमने भाभी की गांड देखी, कितनी बड़ी हो गई, मुझे तो लगता है, मुकेश भैय्या अब भाभी की गांड भी मारने लगे हैं.
संध्या चाची- हां वो तो मैंने सुबह जब देखी थी, मैं तभी समझ गई थी. क्यों आपका भी मन कर रहा क्या भाभी की गांड मारने का?

राजू चाचा- तुम गांड की बात कर रही हो, मैं तो सोच रहा तेरे बगल में भाभी को पटक कर नंगी करके चोद ही दूं साली को.

ये सुनकर मैं सोचने लगी कि ओह चाचू तो मेरी मॉम को चोदने की सोच रहे हैं.

संध्या चाची ने राजू चाचा के ऊपर लेट कर अपनी एक चूची उनके मुँह में दे दी और बोलीं- तो कर ले मेरे बच्चे … अपनी पायल दीदी का मिठू मिठू दूध पी ले.

राजू चाचा- साली तेरी अम्मा की भोसड़ी में कुत्ते का लंड … मादरचोद छिनाल मना किया था ना … दीदी की याद मत दिलाया कर.

ये कह कर चाचा ने संध्या चाची का निप्पल दांतों से काट लिया.

संध्या- आआआ भड़वे … मैं झूठ बोल रही हूं क्या … पिछली बार ऐसे ही पिलाया था ना पायल दीदी ने अपना दूध? और साले तू भी तो कैसे उस हरामिन का दूध पी रहा था, जैसे मैंने तो तुझे कभी पिलाया ही नहीं था … बहनचोद साला.

राजू चाचा ने संध्या चाची के सिर को अपने लंड पर दबाते हुए कहा- तो तू कौन सी कम थी रंडी … मैं जब दीदी की चूची चूस रहा था तो तू भी उनकी चूत कैसे फैला फैला कर चाट रही थी. और फिर जीजाजी से तूने चूत के बाद गांड भी मरवाई थी, वो भूल गई कुतिया.

संध्या चाची ने राजू चाचा का लंड मुँह से बाहर निकाल कर कहा- सच यार, ऐसी ग्रुप चुदाई महीने में एक बार जरूर होनी चाहिये … कितना मजा आता है.
राजू चाचा- तू सच बोल रही है, ऐसी पार्टी तो महीने में एक बार होनी ही चाहिए, पर तूने मेरा काम किया कि नहीं?

संध्या- कौन सा काम, राहुल वाला? हाय क्या लंड है मेरे भाई का … और उसका स्टेमिना भी कितना दमदार है.

राजू चाचा ने संध्या चाची की भोसड़ी में दो उंगली घुसा दीं और बोले- हां, मैं तेरे भाई राहुल की ही बात कर रहा हूँ. साला मादरचोद मेरी बीवी को मेरे सामने चोदता है … और खुद की बीवी की बारी आई … तो अब उसकी मां चुद रही थी. क्या कहा भैन के लौड़े ने! डिम्पल राजी हुई कि नहीं, वरना किसी दिन उस रंडी को मैं पटक कर चोद दूंगा.

मैं उन दोनों की बातें सुनकर सोचने लगी छुटकी कि बाप रे, ये चाची तो महाचुदक्कड़ निकली. इस रांड ने तो राहुल मामाजी से भी चुदवा लिया.
स्नेहा- हां दीदू, ये चाची तो पक्की रंडी निकली. पर आप आगे की चुदाई की कहानी सुनाओ न.

नेहा- संध्या चाची राजू चाचा का लंड हिलाते हुए बोलीं कि क्यों मेरी मां ने बिना चुदवाये ही मुझे पैदा कर दिया था क्या?

मैंने चाची के मुँह जब ये सुना तो मैं तो सीढ़ी पर से गिरते गिरते बची. मैं मन में सोच रही थी कि ओ तेरी की तो ये बात है. अब मुझे पक्का यकीन हो गया ये दोनों मेरी मॉम को चोद कर ही रहेंगे.

राजू चाचा- अच्छा तूने कभी संगीता भाभी की चूत देखी है?

संध्या चाची ने चाचा का लंड पकड़ कर हिलाते हुए कहा- हां मैंने उनकी चूत कई बार देखी है, चूत ही क्या … मैंने तो उनको पूरी नंगी देखा है.

इस पर राजू चाचा ने चौंकते हुए कहा- क्या कब, कहां, कैसे?

संध्या चाची अपनी जीभ की नोक से लंड के छेद को कुरेद कर बोलीं- हम पक्की वाली सहेलियां जो हैं, हर बात एक दूसरे से शेयर करते हैं. पर मेरी कभी उनसे हिम्मत नहीं हुई चुदाई पार्टी की बात करने की.

अब राजू चाचा ने संध्या चाची को अपने ऊपर खींच कर कहा- आज तू मुझे चोद. बहुत दिन से तूने मेरी चुदाई नहीं की.

संध्या चाची ने जैसे ही ये सुना, तो वो कूद कर राजू चाचा के लंड पर झपट पड़ीं और उनका लंड मुँह में भर के चूसने लगीं. थोड़ी देर चूस कर चाची ने चाचा का लंड गीला किया और अपनी भोसड़ी दो उंगली की मदद से चौड़ी करके लंड पर बैठने लगीं.

चाची ने राजू चाचा का लंड पकड़ कर भोसड़ी के मुँह पर लगाया और धचक कर बैठ गईं. राजू चाचा का पूरा लंड संध्या चाची की भोसड़ी में जड़ तक समा गया. चाची ऊपर नीचे होकर उछलने लगीं.

राजू चाचा ने संध्या चाची की दोनों चूंचियां थामते हुए कहा- ये जरा फिर से बता मेरी रखैल … क्या सच में तूने भाभी की चूत देखी है?

संध्या चाची गांड उछालते हुए रुक गईं और बोलीं- इसमें झूठ बोलने की क्या बात है. हमारे बीच ये सब कॉमन है.

राजू चाचा ने चाची का एक निप्पल पकड़ कर निचोड़ दिया और बोले- वो तो ठीक है, पर ये तो बता तूने भाभी की चूत देखी कैसे?

संध्या चाची- एक बार में किसी काम से उनके बेडरूम में गई थी. मैंने उन्हें आवाज लगाई कि भाभी, भाभी कहां हो आप?

संगीता भाभी यानि मॉम बोलीं- क्या हुआ संध्या, मैं नहा रही हूं, कुछ काम है क्या?

संध्या चाची- हां भाभी … पर आप नहा लो … मैं बाद में आती हूं.

मॉम- मैं बस नहा चुकी हूं, रुक … आती हूँ.

भाभी की आवाज सुनकर चाची वहीं बेड पर बैठ गईं, और उनकी नजर मॉम के रखे कपड़ों पर गई, जिसमें सलवार कमीज और ब्रा पैंटी देख कर चाची समझ गईं कि मॉम या तो नंगी आएंगी या टॉवेल लपेट कर. क्योंकि उनके पहनने वाले कपड़े या तो वो अन्दर ले जाना भूल गई हैं या रख गई हैं. पर दोनों ही सूरतों में आएंगी तो वैसी ही … जैसा चाची सोच रही थीं.

स्नेहा- फिर क्या हुआ दीदू!
नेहा- हां फिर चाची ने चाचा को बताया की एक पल बाद बाथरूम का गेट खुला और मॉम एक छोटा सा टॉवेल लपेटे हुए बाहर निकल आईं.

संध्या चाची चाचा से बोली कि मैं तो भाभी को अधनंगी देख कर हैरान रह गई.

राजू चाचा- क्यों ऐसी कौन सी वो मिस वर्ल्ड थीं?
संध्या चाची- तुम नहीं समझोगे, इतने भरे बदन वाली चिकनी औरत मैंने पहले कभी नहीं देखी थी. वो केले के तने जैसी भरी भरी चिकनी जांघें, बड़ी बड़ी गोल मटोल गांड और जब बदन पौंछते हुए नीचे झुकीं, तो पीछे से गांड के गुलाबी छेद के साथ मोटे मोटे होंठों वाली चिकनी बिना बालों वाली चूत देख कर मैं अपनी चूत मसले बिना ना रह सकी.

इस पर राजू चाचा ने अपना लंड मसलते हुए कहा कि संध्या डार्लिंग मेरा कुछ चक्कर चलाओ ना … जिससे मैं भाभी को पेल सकूं. तू एक बात भूल गई क्या?

संध्या चाची, राजू चाचा के लंड को जीभ निकाल कर चाटते हुए बोलीं- कौन सी बात जानू?
राजू चाचा- जब मैंने गांव में तेरी चाची को गलती से नंगी नहाते देख लिया था, तो तब मैं दिन भर मुठ मारता रहा … फिर भी मेरा लंड बैठने का नाम नहीं ले रहा था.

संध्या चाची- हां जानती हूँ, फिर मुझे अपनी अपनी सहेली की मां को तुमसे चुदवाना पड़ा था क्योंकि चाची और सहेली की मां दोनों मोटी हैं और वैसी ही यहां संगीता भाभी भी भरे बदन वाली हैं.
राजू चाचा- चल फिर मैं आज तुझे भाभी समझ कर चोदता हूँ … और तू मुझसे देवर समझ कर चुदवा ले.

संध्या चाची- यू मीन देवर भाभी रोल प्ले?

स्नेहा अपनी दीदी के मुँह से ये सुनकर बुदबुदाई कि साले दोनों मिल कर मेरी मॉम को पेलना चाहते थे.

नेहा- हां छुटकी … साले दोनों ही पक्के चुदक्कड़ निकले.
‘फिर क्या हुआ दीदू?’

नेहा- फिर राजू चाचा ने संध्या चाची को पकड़ कर सीधे लिटाकर 69 की पोजीशन बना ली. वो चाची के ऊपर चढ़ गए और चाची कि चूत फैला कर चाटने लगे. इधर संध्या चाची भी कम नहीं पड़ी थीं. उन्होंने राजू चाचा का लंड मुँह में अन्दर तक भर कर चूसना शुरू कर दिया. दोनों थोड़ी ही देर में एक दूसरे के मुँह में झड़ गए.

फिर संध्या चाची उठ कर कर राजू चाचा की बगल में अधलेटी होकर उनके बैठे हुए लंड को सहलाने लगीं.

संध्या- राजू डार्लिंग, एक बात बताओ आपको चुदाई के लिए मैच्योर औरत ही क्यों पसंद आती है, जबकि उनकी चूतें तो चुद चुद के ढीली हो जाती हैं और जवान लड़कियों की एकदम टाईट रहती हैं?
राजू चाचा ने चाची की गीली चूत को सहलाते हुए कहा- एक तो मुझे उनकी बड़ी गांड अच्छी लगती है, दूसरे उनको चुदवा चुदवा कर अच्छा खासा एक्सपीरिएंस हो जाता है कि कब कैसे क्या और क्यों करना है … उन्हें वो सब पता होता है. फिर उनके पास चुदाई का लाइसेंस भी होता है, इसलिए उनके नखरे कम होते हैं.

ऐसे ही बात करते हुए दोनों फिर से गर्म हो गए थे और उनके बीच देवर भाभी रोल प्ले शुरू हो गया.

राजू चाचा- संगीता मेरी प्यारी भाभी, आज अपने इस देवर से एक बार चुदवा कर तो देखो … मैं आपको खुश कर दूंगा.
संध्या चाची- अच्छा देवर जी, अब आप इतने बड़े हो गए कि अपनी भाभी को चोद सको. आओ जरा देखूं तो सही मेरे देवर के लौड़े में कितना दम है.

फिर संध्या चाची को लिटा कर चाचा ऊपर चढ़ गए और एक चूची मुँह में भर कर चूसने लगे.

संध्या चाची, मॉम के रोल में कराहने लगीं- आआह देवर जी धीरे पियो … आईई आआह हां अब आया मजा … बस बस ऐसे ही चूस मेरे देवर राजा अपनी भाभी का दूध चूस लो.
राजू चाचा ने अपना मुँह हटा कर कहा- चल मेरी छिनाल भाभी … अब अपने इस देवर का मूसल तो एक बार चूस कर देख … फिर आएगा चुदाई में मजा.

दोनों इसी तरह उल्टी सीधी बातें करते हुए एक दूसरे को गर्म करते रहे.

राजू चाचा ने संध्या चाची को सीधा किया और उनके ऊपर चढ़ कर अपना लंड चूत पर लगा दिया. पहला झटका मारते ही आधा लंड संध्या चाची की चूत में उतार दिया और धकापेल चोदने लगे.

संध्या- उईईई मजा आ गया देवर जी … बस इसी तरह अपनी भाभी की सेवा करते रहा करो … तुम्हें जल्दी ही मेरे भोसड़े से मेवा मिलेगा.
राजू चाचा- ले तेरी मां को चोदूं साली मेरी रंडी भाभी … कब से तरस रहा था तेरी गर्म चूत मारने के लिए, साली मेरी रांड … ले अपने देवर का मूसल ले.

नेहा ने स्नेहा को बताया कि चाचा की ये सब बात सुन कर मेरी तो हालत खराब हो गई थी. मैंने अपनी नाईटी उतार फैंकी और अपनी क्लिट पकड़ कर नौचने लगी.

स्नेहा भी गर्म होकर नेहा की चुत सहलाते हुए कहने लगी- दीदू, आगे चुदाई की कहानी सुनाती रहो मेरी चुत में भी आग लग गई है.

नेहा आगे सुनाने लगी.

संध्या चाची- आह मेरे देवर जी … और जोर से चोद भड़वे … क्या तेरी गांड में दम नहीं है कुत्ते की औलाद, कुछ तो मेरी देवरानी का ख्याल कर … नहीं तो वो अपने जेठ से चुदवाने आ जाएगी.
राजू चाचा- साली बहन लौड़ी … अब ले अपने देवर का पूरा लंड.

इतना कहते ही चाचा ने पूरी ताकत से झटका दिया कि उनका मूसल लंड चूत की जड़ तक घुस गया और संध्या चाची की चूत में समा गया.

संध्या चाची- अरे साले तेरी मां को गदहा चोदे रंडी की औलाद … ये तेरा ही लंड है या किसी गदहे का.. मेरी बच्चे दानी पर टक्कर मार रहा कमीने.

मगर राजू चाचा ने रहम नहीं किया. वो फुल स्पीड से संध्या चाची को चोदे जा रहे थे.

‘ले साली मेरी मां को गदहे से चुदवाएगी कुतिया … तेरी तो मां के साथ साथ तेरे खानदान की सभी चूतों को फाड़ कर भोसड़ा बना दूंगा … और चौराहे पर आते जाते लोगों से चुदवाऊंगा … मेरी रखैल भाभी.’
संध्या चाची- हां बस ऐसे ही पेलते रहो मेरे राजा … चोदो और जोर से चोदो अपनी भाभी की चूत फाड़ दो … आआआआह रे और जोर से चोद सूअर की जने … नहीं तो तेरी बहन को किसी हाथी के लंड से चुदवा दूंगी हरामी रंडी के मूत … भड़वे रांड के पिल्ले … मार मेरी चूत … आंह हां मैं मैं गईईई ईई.

बस तभी चाची झड़ने लगीं.

राजू चाचा भी थोड़ी देर में संध्या चाची की चूत में झड़ गए और दोनों निढाल पड़ गए.

नेहा- छुटकी मैंने अपने मन में सोचा कि साली चाची आज तू मेरी मॉम बन कर चुदी है ना … एक दिन देखना तुझे मेरे भाई से ना चुदवाया … तो मैं भी मुकेश ठाकुर की औलाद नहीं.

इसके बाद मैं सीढ़ी से उतर कर अपने रूम में नंगी ही आ गई और सटासट दो उंगली डाल कर अपनी चूत ठंडी की और नंगी ही सो गई.

स्नेहा- बाप रे दीदू, हमारे चाचा चाची तो एक नम्बर के कमीने निकले.

नेहा ने अपनी बहन को अपने करीब खींच लिया और उसके मम्मे दबाते हुए कहने लगी- वो जितने मादरचोद थे उतनी ही बड़ी रंडी आज हम दोनों बन कर मजा लेती हैं.

स्नेहा भी समझ गई और इसके बाद दोनों ने नंगी होकर एक दूसरे के साथ लेस्बियन सेक्स करना शुरू कर दिया और ठंडी हो गईं.
 

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पिछली कहानी में आपने पढ़ लिया था कि नेहा अपनी छोटी बहन स्नेहा के साथ अपने चाचा चाची की चुदाई का लाइव टेलीकास्ट सुना रही थी.
उसके बाद वो दोनों एक दूसरे के साथ लेस्बियन सेक्स का मजा लेने लगी थीं.

तो पढ़ें:

स्नेहा- दीदू अब आगे किसकी चुदाई देखी है … उसकी बात बताओ?
नेहा- मैंने मामा की लड़की ममता की चूत और उसी की भोसड़ी भी देखी है.

स्नेहा- और भोसड़े किसके देखे हैं?
नेहा- मम्मी का भोसड़ा तो पचासों बार देखा है … मामी का भोसड़ा भी कई बार देखने में आया है.

स्नेहा- बाप रे … दीदू आप तो कमाल हो पर आपने मॉम का भोसड़ा कैसे देख लिया दीदू?
नेहा- यार रात को कई बार छत पर कभी अपने घर के गार्डन में चली जाती थी.

स्नेहा- तो!
नेहा- तो एक बार मैं नीचे गई तो मॉम के कमरे से आवाजें आ रही थीं … पर मैं रुकी नहीं … मैं समझ गई थी कि वहां क्या चल रहा है.

स्नेहा- क्या चल रहा था दीदू?
नेहा- चल बदमाश, अपनी मॉम अन्दर डैड से चुद रही थीं और क्या.

स्नेहा- आपने देखी मॉम की चुदाई?
नेहा- हम्म्म् … देखी तो है.

स्नेहा- सुनाओ न दीदू.
नेहा- ओके … मैं गार्डन में कुछ देर घूमती रही, उसके बाद में सोने जाने लगी. तभी मॉम की तेज तेज आवाजें आने लगीं, तो मैंने सोचा एक बार देखते हैं. मैं कमरे के पास गई … तो कमरे की खिड़की तो पूरी खुली हुई थी, बस पर्दा लगा था. वो भी हवा से हिल रहा था. मैंने अन्दर झांका तो अन्दर दूधिया प्रकाश फैला हुआ था. मॉम पूरी नंगी हो कर सीधी लेटी थीं, उनका भरा हुआ शरीर, मोटी-मोटी चूचियां और बड़े बड़े चूतड़ बड़े मस्त दिख रहे थे. डैड, मॉम की जांघों में मुँह लगा कर उनकी सुलगती हुई चूत चाट रहे थे. मॉम जोर जोर से चिल्ला रही थीं.

स्नेहा- फिर क्या हुआ दीदू?
नेहा- बड़ा मजा आ रहा तुझे मॉम-डैड की चुदाई का सुन कर.

स्नेहा अपनी चुत मसलती हुई बोली- सुनाओ न दीदू.
नेहा- मॉम अपने हाथों से डैड के सिर को अपनी चूत पर कस कर दबा रही थीं. थोड़ी देर में ही मॉम का शरीर ऊपर हवा में उठा और नीचे गिर गया. मॉम सिसकारते हुए झटके खाने लगीं और ढीली पड़ गईं.

स्नेहा ने शरारत से आंख दबाते हुए पूछा- दीदू क्या हुआ था मॉम को?
नेहा ने मुस्कुराते हुए बताया- अरे कमीनी मॉम ने अपना पानी छोड़ दिया था.

स्नेहा ने फिर शरारत से मुस्कुराते हुए पूछा- मॉम ने डैड के मुँह मूत दिया क्या?
नेहा- वो मूत नहीं था छुटकी … उनके गर्म भोसड़े की ताजी ताजी मलाई थी, जो डैड पूरी कि पूरी चाट गए थे. तू बीच बीच में बड़बड़ मत कर, आगे तुझे सुनना है या नहीं!
स्नेहा- सॉरी सॉरी अब बीच में नहीं बोलूंगी.

नेहा- उसके बाद डैड ने मॉम की चूत पर अपना आठ इंच का लंड रखा और एक ही शॉट में चुत की जड़ तक घुसा दिया … क्योंकि डैड भी बहुत ज्यादा गर्म थे. थोड़ी देर तक डैड ऐसे ही मॉम को चोदते रहे. फिर मॉम डैड के ऊपर आ गईं. मॉम ने डैड का लोहे की रॉड की तरह सख्त गीला लंड पकड़ कर अपनी चूत से लगाया और धच से लंड पर बैठ गईं. डैड का पूरा लंड गप से मॉम की चूत में घुस गया और मॉम लौड़े पर उठक बैठक करने लगीं.

स्नेहा- फिर?
नेहा- फिर क्या दस मिनट बाद मॉम की ‘आआ आआह … आआआह ..’ की कराह निकली और मॉम एक बार फिर से झड़ गईं. मॉम के झड़ जाने के बाद डैड फिर से एक बार मॉम पर चढ़ गए और मॉम को चोदने लगे. वो भी जल्दी ही झड़ भी गए.

झड़ने के बाद थोड़ी देर तक दोनों ऐसे ही पड़े रहे. उसके बाद पहले मॉम बाथरूम गईं और फ्रेश होकर आ गईं. उसके बाद डैड फ्रेश हो कर आए. बस इसके बाद वो दोनों सो गए.

स्नेहा- बाप रे मेरी तो पूरी पेंटी गीली हो गई, ये देखो दीदू.
नेहा- हा हा हा हा बस … एक मॉम के फटे भोसड़े की कहानी में तेरा ये हाल है.

स्नेहा- मतलब!
नेहा- अभी तो एक से बढ़कर एक चिकनी सेक्सी चूतें, भोसड़ी … और अभी तो चाची, मामी की झांटों से भरे भोसड़े चुदना बाकी है … मेरी चिकनी चमेली.

ये कहते हुए नेहा ने स्नेहा की चूत को उसके पजामे के ऊपर से मुठ्ठी में भर कर मसल दिया.

स्नेहा- उई मां … क्या करती हो दीदू?

नेहा का पूरा हाथ स्नेहा की चूत के पानी से गीला हो गया, जिसे नेहा ने जुबान निकाल कर चाट लिया और एक चटखारा लिया- आआआह टेस्टी माल है.
स्नेहा- उई मां … दीदू.

नेहा- तुझे आगे और सुनना है या चूत की गर्मी निकालने के लिए ब्रेक चाहिए?
स्नेहा- दीदू, थोड़ी देर बाद बात करते हैं.

इतना बोल कर स्नेहा बाथरूम में भाग गई, उधर जाकर वो अपनी चूत में उंगली करने लगी.

इधर नेहा की हालत भी कम खराब नहीं थी, उसकी भी लेगिंग में उसकी चूत वाले हिस्से पर बड़ा सा धब्बा बना हुआ था.

वो भी बाथरूम में भागी और फटाफट अपनी लैगी नीचे करके अपनी दो उंगलियां अपनी भोसड़ी में सटासट अन्दर बाहर करके चुत का पानी निकाला, तब जा कर नेहा को चैन मिला. वो बाहर निकल कर आई तो देखा कि सोफे पर स्नेहा पहले से ही बैठी थी.

दोनों की नजरें मिलीं … तो एक दूसरे को देख कर मुस्कुरा दीं.

स्नेहा- कैसा रहा दीदू मजा आया?
नेहा- साली तेरे चक्कर में मुझे भी आज उंगली का सहारा लेना पड़ा.

स्नेहा- चलो छोड़ो अब किसकी बारी है?
नेहा- यार बाकी फिर कभी.

स्नेहा- दीदू इतना अच्छा मौका फिर कभी नहीं मिलेगा … अभी हम अकेले भी हैं.
नेहा- चल ठीक है. अब बता तू भोसड़ी की कहानी सुनेगी या भोसड़े की सुनेगी?

स्नेहा- भोसड़े की तो सुन ली, अब पहले ममता की भोसड़ी की सुना दो. दीदू आपने ममता की सिर्फ भोसड़ी ही देखी है … या उसकी चुदाई होते भी देखी है?
नेहा- तुझे पता है, ममता एक नंबर की पक्की छिनाल है, साली एक बार तो उस कुतिया ने तो मुझे पकड़ लिया और मेरे दूध दबाने लगी थी … निप्पल चूमने चाटने लगी थी.

स्नेहा- अच्छा … ये कब की बात है दी?
नेहा- यार एक बार मैं और मॉम, मामा के घर गए थे. ये तब की बात है.

स्नेहा- यही सेक्स कहानी सुनाओ न दीदू.
नेहा- ओके सुन. जब हम मामा के यहां पहुंचे, तो सबसे मिल कर बड़ी खुशी हुई.

अब दोस्तों यहां पहले थोड़ा मामा के घर का परिचय ले लीजिए.

गजेंद्र सिंह एक 45 साल का मजबूत कद-काठी वाला पुरुष है जो नेहा स्नेहा और चिराग का मामा है.

मंजू सिंह 43 साल की 38 इंच की बड़ी बड़ी चुंचियों वाली मादरचोद औरत है. उसके 42 इंच के चूतड़ों को देख कर ऐसा लगता है, जैसे 2 तरबूज काट कर गांड के छेद के दोनों तरफ चिपका दिए गए हों. ये नेहा की मामी है.

अभय 22 साल का मामा का लड़का है.

ममता 20 साल की 34 इंच की मस्त चूचों और 36 इंच के ही मस्त चूतड़ों वाली पटाखा लड़की है. ये नेहा की ममेरी बहन है.

अब आते हैं सेक्स कहानी पर.

ये सेक्स कहानी नेहा अपनी जुबानी स्नेहा को सुना रही है.

मैं और मम्मी 5-6 घंटे का ट्रेन का लंबा सफर करके जब मामा शहर पहुंचे, तो स्टेशन पर मामा खुद हमें लेने आए थे.

मामा को देख मैंने आवाज लगा दी. मामा पास आ गए तो मैंने उन्हें नमस्ते की और झुक कर उनके पैर छुए. उसके बाद मम्मी उनके गले से मिलीं.

ऐसे ही मिलने के बाद हम उनकी कार से घर आ गए. मामी ने हमारा स्वागत किया, फिर हमने चाय पी.

मैं- मामी, ममता कहीं दिखाई नहीं दे रही है?
मामी- वो अभी तक सो रही है.

मैं- ठीक है मामी.
मामी- चलो तुम लोग नहा-धो लो, तब तक मैं सबके लिए नाश्ता बनाती हूँ.

मुझे शुरू से ही ममता के साथ रूम शेयर करने की आदत थी. मैं उसके कमरे में गई, तो ममता बेसुध सोई पड़ी थी.
उसकी नाईटी जांघों तक चढ़ी थी. उसने आज चड्डी भी नहीं पहनी थी, तो मुझे उसकी बिना बालों वाली चिकनी चूत के दर्शन सुबह सुबह ही हो गए.

मुझे एक शरारत सूझी और मैंने उसकी एक चुची पकड़ कर जोर से दबा दी. वो साली बस थोड़ा सा कुनमुनाई और बोली- सोने दो ना.
तो मुझे लगा कि वो शायद कोई सपना देख रही है.

मैंने उसे छोड़ा और उसके कमरे के बाथरूम में घुस कर फटाफट अपनी सलवार नीचे की और वहीं कमोड पर बैठ कर सर्रर्रर्र करके मूतने लगी.
मूतने के बाद मैंने राहत की सांस ली और उठ कर अपनी सलवार बांधकर बाहर आ गई.

एक बार फिर मुझे शरारत सूझी और इस बार मैंने ममता की चूत की एक किस्सी कर ली. फिर अपनी जीभ बाहर निकाल कर उसकी चूत के दाने पर फिराई.
पर मुझे आज उसकी चूत से एक अजीब तरह की गंध और टेस्ट आया. मैं पहले भी उसकी चूत चाट चुकी थी, पर आज का टेस्ट मुझे अच्छा लगा.
मैंने उसकी चूत के दाने को अपनी उंगलियों की चुटकी से थोड़ा जोर से मसल दी. इससे वो हड़बड़ा कर उठ बैठी.
मुझे देखते ही ममता ने खुशी से मुझे कंधे से पकड़ कर अपने ऊपर गिरा लिया और पलटी खाकर मेरे ऊपर आ गई.

ममता ने अपने होंठ मेरे होंठों पर रख कर एक लंबी किस कर डाली. जब हम दोनों की सांस फूलने लगीं तब कुतिया ने मुझे छोड़ा.

मैं- और बता … कैसी है मेरी जान?
ममता- मैं तो एकदम मस्त हूँ. तू बता, तू कैसी है … सब कैसे हैं, फूफाजी, स्नेहा और चिराग?
मैं- सब, सब बढ़िया हैं.

आज हम दोनों पूरे 4 साल बाद मिल रहे थे.

मैं- पर मुझे तू बदली बदली लग रही है.

मैंने उसे शक भरी नजरों से देखते हुए कहा.

ममता- ये बात तू कैसे कह सकती है?
मैं- चल छोड़ … जल्दी से फ्रेश हो जा, मुझे नहाना है.

इतना सुनते ही वो भाग कर बाथरूम में चली गयी. फटाफट मूत के बाहर आई, तब तक मैंने अपने कपड़े बैग से निकाल लिए थे.

उसके आने के बाद मैं बाथरूम में गई. एक ठंडे पानी का शॉवर लिया और टॉवेल लपेट कर बाहर आ गई. फिर वो भी बाथरूम में घुसी और जल्दी से नहा कर आ गई. उसके बाद हम दोनों नीचे आ गए, नाश्ता करने के बाद वापस दोनों अपने कमरे में आ गईं. थोड़ी गपशप की इधर उधर की बातें की.

फिर ममता ने कहा- चल खेत की तरफ घूमने चलते हैं.
मैंने भी हां कह दी.

हम दोनों पैदल ही चल दिए इस वक्त खेत में गेहूं की कटाई चल रही थी.
मामा जी सब मजदूरों से काम करवा रहे थे.

हमें देख कर उन्होंने एक मजदूर को बोल कर एक खटिया मंगाई और हमको बैठने का कह कर अपने काम में लग गए.
इसी तरह दोपहर हो गई.

फिर मामा जी ने पास आकर कहा- चलो … घर चलते हैं. हमें घर चल कर खाना, खाना चाहिए.

हम लोग मामा जी की जीप से घर आ गए. खाना खाकर मैं और ममता अपने कमरे आ गईं. मैं सफर की थकान के कारण बिस्तर पर पड़ते ही सो गई.
 

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पिछले भाग
दो सगी बहनों की आपस में गन्दी गन्दी बातें
में आपने पढ़ा कि स्नेहा अपनी बड़ी बहन नेहा, जो शादीशुदा है, के घर आयी हुई थी.
दोनों बहनें फुरसत में आपस में सेक्सी बातें कर रही थी. पहले नेहा ने अपनी छोटी बहन को अपने चाचा चाची की चुदाई का आँखों देखा वर्णन किया.
उसके बाद वो स्नेहा को अपनी ममेरी बहन की सेक्सी बातें बताने लगी.

अब आगे

मैं सफर की थकान के कारण सो गई थी. शाम को मम्मी के जगाने से आंख खुली और घड़ी में देखा, तो 5 बज रहे थे.

फिर मैंने ममता को भी उठाया और मुँह हाथ धोकर हम दोनों नीचे पहुंच गए.
मम्मी और मामी मिल गईं तो हम सभी ने साथ मिल कर चाय पी. थोड़ी देर टीवी देखी, फिर इधर उधर की बातें की.

मुझे सुबह से अभय भैया एक बार भी दिखाई नहीं दिए थे, तो मैंने मामी से पूछा- मामी जी अभय भैया कहां हैं, कहीं नजर नहीं आए सुबह से?
मामी- हां, वो शहर गया है खेती के काम से … कल तक आ जाएगा.

फिर ममता मुझे लेकर छत पर आ गई.

ममता- और बता … कोई बीएफ बनाया या अभी तक अपना हाथ ही चला रही है?
मैं- नहीं यार … मैं इन चक्करों में नहीं पड़ती. कभी ज्यादा आग लगती है चूत में, तो अपनी उंगली डाल कर शांत कर लेती हूँ. पर मुझे लगता कि तूने बीएफ बना लिया है.
ममता- नहीं यार, मैंने भी अभी तक कोई बीएफ नहीं बनाया.

मैं मन में सोचने लगी कि साली झूठ बोल रही है कुतिया, मैंने सुबह ही इसकी चूत देखी थी … चूत का भोसड़ा बना हुआ है और रंडी मुझसे झूठ बोल रही. चूत देख कर तो लगता है कि जिस भी लंड से चुदवाती है वो कोई मूसल जैसा लंबा चौड़ा मोटा लंड ही होगा.

ममता- क्या सोचने लगी मेरी जान?
मैं- कुछ नहीं यार बस यूं ही, तो फिर ये इतने पपीते बड़े कैसे हो गए … बिना किसी के दबाये और मसले.

मैंने उसकी चूची पकड़ी और दबा दी.
वो शर्माती हुई बोली- छोड़ यार … क्या कर रही है. ऐसा कुछ नहीं है.

इतने में मामी ने आवाज लगा दी- ममता, नेहा चलो खाना लग गया जल्दी आओ.

फिर हम दोनों नीचे आ गए, डिनर किया.
थोड़ी देर सबने मिल कर टीवी देखा, फिर अपने अपने रूम में सोने चले गए गए.

मैंने भी अन्दर आते ही जल्दी से दरवाजा अन्दर से लॉक कर दिया और ममता को बांहों में भर कर उसके होंठ चूसने लगी.

ममता- बहुत आग लगी है तुझे!
नेहा- हां यार, तू तो जानती है मुझे, तेरे साथ ही थोड़े बहुत मजे कर लेती हूँ, वरना घर में तो बस उंगली से काम चलाना पड़ता है.

ममता- तू चाहे तो घर में मजे ले सकती है.
नेहा ने पूछा- वो कैसे?

ममता ने कहा- वो सब बाद में … पहले तुझे ठंडी कर दूं.

इतना कह कर नेहा ने ममता के कपड़े उतारने शुरू कर दिए ममता भी नेहा को नंगी करने लगी दोनों बहनें मादरजात नंगी हो गईं.

नेहा ममता की 34 इंच साईज की बड़ी बड़ी चूचियां दबाने लगी. ममता अपना हाथ पीछे ले जाकर नेहा की मोटी गांड पर घुमाने लगी और धीरे से एक उंगली उसकी गांड के भूरे टाईट छेद में घुसाने लगी.

तभी नेहा की नजर ममता की चूत पर जा पड़ी. ममता की चूत नेहा से बड़ी थी और उसके होंठ भी खुले थे.

नेहा- क्या करती रहती है तू, तेरी चूत का भोसड़ा बना हुआ है?
ममता- जब मेरी इस चूत में लंबा चौड़ा लंड जाएगा तो इसका भोसड़ा तो बनेगा ही.

नेहा- इसका मतलब तू चुदवा चुकी है?
ममता- हां, वो सब बाद में पहले जो कर रहे हैं वो कर … तेरी 4 साल की प्यास बुझा लेने दे. बाकी सब मैं बाद में बताऊंगी.

ये कह कर ममता नेहा के होंठों को चूसने लगी और उसकी चूचियां जोरों से दबाने लगी.
इससे नेहा की हालत अब खराब होने लगी तो वो भी ममता की चूत सहलाने लगी … और ममता भी नेहा के कड़क कूल्हे मसलने लगी.

ममता सिसकारी लेती हुई बोली- हाय क्या कड़क मस्त गांड है तेरी!

दोनों बहनों की चूत गीली हो गई.

तभी ममता अपनी एक उंगली नेहा की चूत पर घुमाने लगी, जिससे नेहा सिहर उठी.
ममता ने अपनी उंगली नेहा की टाईट गांड में घुसाने की कोशिश की, पर अन्दर नहीं गई तो ममता ने जोर लगा दिया. इससे थोड़ी उंगली छेद के अन्दर चली गई.

वो उतनी ही जगह में उंगली चलाने लगी. नेहा अपनी गांड में उंगली महसूस करके सिहर गई और उसने अपनी जांघें भींच लीं.

उसने भी एक्साईटमेंट में अपनी एक साथ 3 उंगलियां ममता की चूत में घुसा दी.

ममता- तू चारों उंगलियां भी ठांस देगी साली तब भी छेद में जगह बचेगी.

नेहा के होंठ चूसती हुई ममता अपना एक हाथ नेहा की गांड में चलाती हुई दूसरे हाथ से उसकी चूत सहलाने लगी.

अब नेहा के मुँह से लगातार सिसकारियां निकल रही थीं- आआह उउउहह आऊच.
उसकी लगातार कामुक आवाजें आ रही थीं.

नेहा मस्ती से हवा में उड़ने लगी थी. उससे खड़ा नहीं हुआ जा रहा था.
ममता उसे लेकर बिस्तर पर आ गई और उसकी दोनों टांगें फैला कर उसकी चूत ऊपर से चाटने लगी.

फिर ममता ने नेहा की चूत के अन्दर अपनी जीभ घुसा दी और अन्दर बाहर करने लगी.
नेहा को अचानक झटका लगा. ममता ने अपनी एक उंगली नेहा की टाईट गांड में झटके से पेल दी और आगे पीछे करने लगी.

नेहा को दोनों छेदों से मजे मिल रहे थे. कुछ ही देर में उसका शरीर अकड़ने लगा. उसने ममता के सिर को अपने दोनों हाथों से अपनी चूत पर दबाया और भलभला कर झड़ने लगी.

ममता ने नेहा की हालत समझी और वो और अन्दर तक जीभ घुसेड़ कर चुत चाटने ओर चूसने लगी.

थोड़ी देर बाद नार्मल हो कर नेहा बोली- चल आ जा अब मेरी बारी!
ममता- रहने दे यार … मेरी चूत को लंड की आदत पड़ गई है. उंगली से मेरा कुछ मजा नहीं आता. वो तो तेरे लिए मैंने ये किया वरना अब तो उंगली करना बंद ही कर लिया है.

नेहा- तू सच में चुदवा चुकी है क्या?
ममता- हां यार, मैं सच कह रही हूं.

नेहा- कौन है वो … मुझे भी तो बता ममता?
ममता- नहीं यार … मैं तुम्हें उसका नाम नहीं बता सकती.

नेहा- बस 4 साल में ही अपनी दोस्ती को भुला दिया! ठीक है, मत बता.

ये कह कर नेहा ने नाराजगी से दूसरी तरफ मुँह फेर लिया.

ममता- अरे यार तू तो गुस्सा हो गई. चल नाराज मत हो, मैं तुझे उसका नाम बता दूंगी, पर तुझे मेरी कसम खानी होगी कि ये बात तू किसी को नहीं बताएगी.
नेहा- वैसे भी मैंने आज तक तुम्हारी कोई बात किसी को नहीं बताई. फिर भी अगर मेरे कसम खाने से तुम्हें यकीन आता है, तो मैं कसम खाती हूँ.
इतना बोल कर नेहा ने ममता के सिर पर हाथ रख दिया.

ममता- अभय भैया.

ये तो ममता ने जैसे बम फोड़ा हो.
नेहा- क्या. अ्आआ …

वो इतनी जोर से चीखी, जैसे उसने भूत देख लिया हो.
उसे यकीन ही नहीं आ रहा था कि एक बहन अपने ही भाई से चुदवा सकती है. जब ममता खुद बता रही थी, तो शक की कोई गुंजाइश ही नहीं रही.

नेहा शॉक में थी.
वो थरथराते स्वर में कहने लगी- पर ये सब शुरू कैसे हुआ … और तूने अपने ही सगे भाई का लंड कैसे अपनी चूत में ले लिया. तुम दोनों को शर्म नहीं आई! ये तुम कैसे कर सकती हो ममता?

ममता- यार अब क्या कहूँ तुझे. सिचुएशन ही कुछ ऐसी बनी कि ये सब हो गया.
नेहा- तू पूरी बात सुना.

ममता- ये बात तब की है, जब मैं तेरे यहां से आई थी. तू तो जानती है, जब अपन दोनों ताजी ताजी जवान हुई थीं … तेरी मेरी दोनों की ही चूतों में आग लगी थी. ऊपर से हमने लेस्बियन चुदाई भी की थी. तेरे यहां से आने के बाद की बात है. नेहा, तू तो जानती है मेरा और भाई का एक ही कॉमन बाथरूम है. जिसका एक दरवाजा भाई के बेडरूम में खुलता है और दूसरा मेरे.

नेहा- हां तो? क्या अभय भैया ने तुझे नंगी देख लिया था … जो उसने तुम्हें वहीं पटक चोद दिया?
ये कहती हुई नेहा मुस्कुरा दी.

ममता- यार, एक रात मुझे जोर की पेशाब आई थी, तो मैं बाथरूम में गई. उधर देखा तो भाई के रूम तरफ वाला दरवाजा खुला था. मैंने पेशाब की और न जाने क्या सोच कर भाई के तरफ का दरवाजा खोल के अन्दर चली गई. भैया पूरे नंगे लेपटॉप पर ब्ल्यू फिल्म देख रहे थे और अपने मूसल जैसे काले लंड की मुठ मार रहे थे.

नेहा- फिर?

ममता- मैं तो ये सीन देख कर एकदम गर्म हो गई. मेरी चूत में पानी रिसने लगा, मेरी चूत में चींटियां रेंगने लगीं. थोड़ी ही देर में भैया के लंड से पिचकारी छूट गई, तब उसके बाद उनकी नजर मुझ पर पड़ी. वो एकदम शर्म से अपने बिस्तर पर लेट गए और अपने लंड पर चादर डाल ली.

मैं ये सब देख कर भाग कर अपने कमरे में आ गई.

इसके बाद दो दिन तक भैया शर्म के मारे मुझे नजर नहीं आए. इधर मैं भी सोचने पर मजबूर हो गई कि मैंने गलत किया.

फिर एक रात मैं बाथरूम के रास्ते उनकी तरफ वाला दरवाजा खटखटाया तो उन्होंने उठ कर बाथरूम का दरवाजा खोला और चुपचाप अपने बिस्तर पर जाकर बैठ गए.
मैं भी उनके पीछे पीछे जाकर उनके साथ ही बैठ गई. वो मुंडी नीचे किए बैठे रहे, बोले कुछ नहीं.

फिर मैंने ही पहल की और कहा- इट्स ओके भैया … इस उम्र में ये सब कॉमन है. मैं भी कभी कभी करती हूं, डरने या शर्माने की जरूरत नहीं है. सेक्स की जरूरत होती ही है, इधर देखो.

फिर उन्होंने धीरे से अपना सिर उठाया और मेरी तरफ देखा.
मैंने कहा कि ये बात मैं किसी को नहीं कहूंगी … गुड नाईट.

इतना बोल कर मैं उठ कर जाने लगी. तब उन्होंने मेरा हाथ पकड़ा और खड़े होकर कहने लगे.

अभय- सॉरी एंड थेंक्यू.
ममता- कम ऑन … होता है इस उम्र में, पर सॉरी क्यों!

अभय- वो तूने मुझे उस हालत में देख लिया ना इसलिए.
ममता ने मुस्कुराती हुई बोली- छोड़ो, मैं एक बात करने आई थी.

अभय- हां बोल … क्या बात है!
ममता- भैया कल आप शहर जा रहे हो ना?

अभय- हां, तुझे कुछ मंगवाना है क्या?
ममता- क्या आप मुझे अपने साथ शहर ले चल सकते हो?

अभय- हां जरूर, पर तू क्या करेगी शहर चल कर?
ममता- वो मुझे कुछ कपड़े खरीदने हैं.
अभय- तो ठीक है कल सुबह जल्दी तैयार रहना. जल्दी निकलेंगे तो जल्दी वापस भी आ जाएंगे.
ममता- ठीक है, तो अब मैं चलती हूँ.

ममता अपने कमरे में आकर मन में सोचने लगी कि भाई का लंड अब मैं अपनी चूत में लेकर रहूँगी, चाहे कुछ भी हो जाए … इतना मस्त लंड तो मेरी चूत की शोभा बढ़ाएगा. मैं अपने हिस्से के लंड का माल ऐसे ही वेस्ट नहीं करने दूंगी. कल से ही भाई को रिझाने का काम शुरू कर दूंगी.

ममता ने शहर जाने का ऐसे ही नहीं प्रोग्राम बनाया था.

दूसरे दिन सुबह:

ममता सुबह जल्दी तैयार होकर आई- गुड मॉर्निंग भैया मैं तैयार हूँ … चलें?

आज ममता ने बिना ब्रा के एक टाईट सलवार सूट पहना था. जिससे से उसका फिगर खुलकर सामने आ रहा था और साथ में उसके निप्पल भी विजिबल हो रहे थे.

अभय ने अपनी मादक बहन को नजर भरके देखा, तो वो देखता ही रह गया.
उसकी सगी बहन क्या माल लग रही है. आज अभय पहली बार अपनी छोटी बहन को गौर से देख रहा था. उसके उठे हुए पके आम की तरह चूचे, भरी भरी जांघें, उठी हुई गांड … कुल मिलाकर हॉट एंड सेक्सी आइटम की तरह ममता अपने भाई अभय का लंड खड़ा करने पर उतारू थी.
अभी सोचने लगा था कि क्या वो कभी इसको चोद पाएगा.

ममता- चलें भैया, आप क्या सोचने लगे?
अभय- अं … हं … हां … तुम चलो, कार में बैठो. मैं अभी आया. मां हम लोग जा रहे हैं.

इतना बोल कर वो भी बाहर गाड़ी में आ गया और गाड़ी स्टार्ट करके आगे बढ़ा दी.
 
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अब तक आपने पढ़ा था कि नेहा की ममेरी बहन ममता अपने भाई अभय से चुदने की घटना बता रही है. वो भाई को पटाने के चक्कर में उसके साथ शहर जा रही थी.

अब आगे

रास्ते में …

ममता- क्या बात है आप भैया चुप चुप क्यों हो? अभी भी उसी बात को सोच रहे हो क्या … भूल जाओ न उस बात को. अब हम फ्रेंड्स हैं.

ये कह कर ममता ने अपना हाथ आगे बढ़ा दिया.

अभय- ओके … पर क्या तुम जानती हो एक भाई बहन कभी दोस्त नहीं होते?
ममता- अगर हम बन जाएं तो?

अभय- ठीक है. चल अब बोल शहर में क्या खरीदने जा रही है?
ममता- कुछ सीक्रेट.

अभय- मतलब?
ममता- उंहूं भैया … समझा करो मुझे कुछ अंडरगारमेंट्स लेने हैं.

अभय- किसके लिए, अपने लिए?
ममता- हां … और मां के लिए भी.

इतना सुनते ही अभय का लंड उसकी पैंट में खड़ा हो गया और तम्बू बन गया, जिसे ममता ने देख लिया और मुस्कुराने लगी.

अभय- क्या हुआ मुस्कुरा क्यों रही हो बहना?
अब वो भी थोड़ा खुलने लगा था.

ममता- कुछ नहीं यार, बस ऐसे ही कुछ देख कर मन मुस्कुरा उठा.

अभय ने भी समझ लिया कि ममता ने उसका लंड खड़े होते देख लिया है.

उसके बाद दोनों शहर आ पहुंचे, जहां अभय को फसलों के लिए कुछ कीटनाशक दवाइयां लेनी थीं, उसने वो लीं.
फिर वो दोनों एक मॉल में आ गए. जहां ममता ने अपने लिए कुछ सलवार सूट लिए और अभय ने भी अपने लिए जींस टी-शर्ट खरीद लिए.

अब ममता बोली- भैया मुझे अंडरगारमेंट्स लेना है.
अभय बोला- हां चलो.

वो दोनों लेडीज सेक्शन में चले गए. जहां एक सेल्स गर्ल मिली.

सेल्सगर्ल- मैं आई हेल्प यू मेम?
नेहा- यस कुछ लेटेस्ट डिजाइन के ब्रा पैंटी सेट्स दिखाओ.

सेल्सगर्ल- साईज?

उसने नेहा की चूचियों की तरफ ध्यान से देखा.

नेहा- पहले 32 नम्बर के और बाद में 38 साइज़ के भी.

नेहा ने इतना बोल कर तिरछी नजर से अभय की तरफ देखा, जो अपना लंड पैंट एडजस्ट करते हुए दिखा.

सेल्स गर्ल ने कुछ सैट 32″ के ममता को दिखाए. ममता ने अभय की तरफ देखा, जैसे पूछ रही हो कि कौन सा सैट लूं.

अभय ने 3 सैट की तरफ इशारा किया, जिनमें से रेड, ब्लैक और बादामी रंग के थे और उन तीनों ब्रा-पैंटी में आधे में नेट लगा हुआ था. ममता ने अभय के बताये हुए तीनों सैट पैक करवा लिए.

अभय सोचने लगा कि ममता इसे पहनेगी, तो कैसी लगेगी.
काश ये ब्रा पैंटी में एक बार देखने को मिल जाए, तो मजा आ जाए.

ये सोच कर उसका लंड पैंट में खड़ा तो पहले से ही था … अब तो दर्द करने लगा.

सेल्सगर्ल ने एक तरफ इशारा करके ममता से कहा- ट्रायल रूम उधर है. आप ट्राई कर सकती हैं.

ममता- नो थेंक्स, अब कुछ सैट 38″ के और दिखा दीजिए … बट सिम्पल.

अभय ने धीरे से पूछा- ये किसके लिए?
ममता भी धीरे से बोली- भूल गए क्या … मां के लिए भी लेना है.
अभय- ओह हां, मैं तो भूल गया.

तो अभय को आज ही पता चला कि उसकी मां की चूचियों का साईज 38″ है और बहन का 32″ है.

ममता ने धीमी आवाज में अभय से कहा- कौन सा सैट लूं … समझ में नहीं आ रहा. भैया मां के लिए भी आप ही पसंद कर लो ना!

अभय ने 2 सैट पसंद किए एक ब्लैक और एक रेड. फिर उसने धीरे से कहा- ये दोनों कैसे रहेंगे?

ममता ने मुस्कुराती हुई सेल्सगर्ल से कहा- ये सभी पैक कर दो और बिल बता दो प्लीज.

फिर अभय ने बिल पे किया. इसके बाद दोनों अच्छे से रेस्टोरेंट में गए, वहां अच्छा सा लंच करके वापस घर की तरफ चल पड़े.

रास्ते में ममता बोली- क्या सोच रहे हो भैया?
अभय- क..कुछ नहीं बस ऐसे ही.

ममता- बोल भी दो यार … अब तो हम फ्रेंड बन गए हैं … और हां इसको थोड़ा आराम दे दो.
उसके लंड की तरफ इशारा करके ममता ने कहा- बेचारे का दम घुटने लगा होगा.
ये कह कर ममता बेशर्मी से हंस दी. ममता ने सोच लिया था कि उसे ही पहल करना पड़ेगी.

अभय ममता की बात सुनकर हड़बड़ा गया.

फिर अभय ने एक जगह गाड़ी रोक दी ओर ममता की तरफ अपनी छोटी उंगली दिखा कर कहा- मैं अभी आया.

वो जल्दी से गाड़ी से उतर कर झाड़ियों के पीछे मूतने चला गया. मूतने के बाद उसने राहत की सांस ली और वापस आकर अपनी जगह बैठ गया.

ममता- भैया मुझे भी जाना है … मैं भी होकर आती हूँ.

इतना बोल कर वो भी उसी झाड़ी के पीछे चली गई और वहां से एक बार पलट कर देखा कि भैया देख रहे हैं कि नहीं.
उसे देख कर उसको ताज्जुब हुआ कि उसका भाई उसको ही देख रहा था.

उसने सोचा कि चलो आज अपने भैया को थोड़ा जन्नत के दर्शन करवा दूं. पता नहीं भैया ने अभी तक किसी की चूत रियल में देखी भी है कि नहीं. इसलिये उसने जानबूझ कर अपनी कुर्ती कमर तक ऊपर चढ़ा ली और सलवार नीचे की ओर अपनी पूरी गांड दिखाती हुई बैठ कर मूतने लगी.

सर्रररर की आवाज के साथ मूतने के बाद ऐसे ही झुकी खड़ी रही, जिससे पीछे से ममता की पूरी चूत और गांड का गुलाबी छेद अभय को दिखने लगा.

अभय की तो ऊपर की सांस ऊपर ही रह गई. ममता की बिना बालों वाली चिकनी चूत देख कर उसका लंड फनफनाने लगा था.

आज तक उसने अपने यहां काम करने वाली मजदूर औरतों की हर तरह की चूतें चोदी थीं … पर ज्यादातर सभी ढीले और फटे भोसड़े थे. कुंवारी और बिना चुदी चूत आज वो पहली बार देख रहा था, वो भी अपनी ही सगी छोटी बहन की.

उसका लंड जो अभी थोड़ी देर पहले मूतने से बैठा था … अब अपनी ही बहन की चूत देख कर एक बार फिर से खड़ा हो गया.
वो सोचने लगा कि कुछ भी हो जाए … इसको तो एक बार जरूर चोदना चाहिए.

एक मिनट बाद ममता मुस्कुराती हुई कार में वापस आकर बैठ गई.

अभय अपनी बहन की चूत में इतना खो गया था कि कब ममता उसके बगल में आकर बैठ गई, अभय को पता ही नहीं चला.

ममता- क्या सोचने लगे भैया … घर नहीं चलना क्या … देर हो रही है.
अभय बेचारा इतना शर्मा गया था कि उसने नीची नजरें करके गाड़ी को आगे बढ़ा दी.

ममता- कैसी लगी?
ममता ने मजे लेने के मूड से कहा.

अभय ने घबराते हुए कहा- क..क्या!
ममता- मेरी ओर मां की ब्रा पैंटी.

अभय ने भी मन में सोचा कि अब इससे खुल कर बात कर ही लेना चाहिए.
अभय बोला- वो तो जब पहनोगी, तब पता चलेगा.

ममता- तो अपनी ही छोटी बहन को ब्रा पैंटी में देखने की इच्छा है आपको?
अभय मुस्कुराते हुए बोला- तुम्हीं ने तो पूछा.

ममता भी अब पूरी तरह खुल गई- भैया आपसे एक बात पूछूं … आप मास्टरबेट रोज करते हो?
अभय- नहीं कभी कभी जब …
उसके मुँह से अचानक निकल गया.

ममता- क्या जब?
अभय- जाने दो ना यार, कुछ बातें परदे में रहें … तो ही अच्छा है.

ममता- इसका मतलब आपने अभी भी दिल से मुझे अपना दोस्त नहीं माना?
ममता ने मुँह बना कर कहा, तो अभय बोला- कुछ बातें ऐसी होती हैं कि चाहते हुए भी अपनी बहन से नहीं कर सकता हूँ.

ममता- हूँउंउं … इसका मतलब आप अपनी बहन को ब्रा-पैंटी में देखना चाहते हो पर … कह नहीं सकते हो.
अभय- वो क्या है न … मैं अक्सर अपने खेत की मजदूरी करने वाली औरतों के साथ वो सब करता रहता हूँ … और जिस दिन कोई नहीं मिलती, तो अपने हाथों से काम चलाना पड़ता है.

ममता- इसका मतलब आप बहुत सी औरतों के साथ कर चुके हो?
अभय- सही पकड़ी हो.
वो भाभीजी इस्टाइल में मुस्कुराते हुए बोला.

ममता- अभी कहां पकड़ा है, पकड़ना तो बाकी है. वैसे भैया आप तो बड़े छुपे रुस्तम निकले. मैं तो आपको सीधा समझती थी. पर आप तो पक्के वो निकले. खैर … जाने दो, यही उम्र तो ऐश करने की है. आपने तो बहुतों की देख रखी और सिर्फ देखी ही नहीं … ठोकी भी है.

अभय ने ममता के मुँह से इतनी खुली बात सुनी, तो वो भी खुल गया- ममता मैं तुझसे एक बात पूछूँ?
ममता- हां बोलो.

अभय- तूने कितनी बार किया है?
ममता- क्या भैया, मुझे क्या ऐसी वैसी समझा है आपने!

अभय- इसका मतलब तू अभी तक कुंवारी है? ये सुन कर खुशी हुई.
ममता- हां पर एक बात है …

अभय बीच में बात काट कर बोला- उंगली करती है … है ना!
ममता- वो तो करती ही हूँ पर …

अभय- पर क्या बहना?
ममता- मैंने लेस्बियन कई बार किया है.

अभय- क्या … पर किसके साथ? कहीं म..म..मां के साथ तो नहीं!
उसके मुँह से बस इतना ही निकला.

ममता- छी: कैसी बात करते हो भैया. ये सब अगर मां को गलती से भी पता चल गया ना … तो वो जमीन में जिंदा गाड़ देगी.
अभय आश्चर्य से- तो किसके साथ?

ममता- नेहा के साथ.
अभय- अपनी, संगीता बुआ की बेटी नेहा की बात कर रही ना तू?

ममता- हां अब सही पकड़े हो तुम.
अभय ने उसका डायलॉग उसी को चिपका दिया- अभी कहां पकड़ा है. पकड़ूंगा तो अब.

ये कह कर उसने ममता की कठोर चूची पकड़ी और जोर से मींज दी- मुझे नहीं पता था कि तुम दोनों इतनी बड़ी हो गई हो.
ममता- आह क्या करते हो भैया … दर्द होता है यार … इतनी जोर से कोई अपनी छोटी बहन की चूची दबाता है क्या?

अभय ने हंसते हुए कहा- मतलब धीरे से दबाऊंगा … तो चलेगा?
ममता- मुझे नहीं पता.

ये कह कर वो शर्माने का नाटक करने लगी. जबकि वो खुद चाहती थी कि अब तो जो भी होना है, बस हो जाए.

अभय ने ममता का हाथ पकड़ कर अपने खड़े लंड पर पैंट के ऊपर से रख दिया.
ममता ने तुरंत अपना हाथ खींच लिया.

अभय ने फिर से उसका हाथ पकड़ कर रख दिया, पर इस बार पर इस बार ममता ने हाथ नहीं हटाया और धीरे धीरे उसका लंड सहलाने और भींचने लगी.

अभय- कैसा लगा?
ममता- मुझे नहीं पता.

ममता ने शर्माती हुई बोली, पर हाथ फिर भी नहीं हटाया.

अभय- ममता मुझे तुम्हारी चूत देखनी है.
ममता- भैया, मुझे शर्म आती है.
अभय- प्लीज मेरी बहन, बस एक बार … वादा करता हूँ, कुछ करूंगा नहीं.

अभय ने गाड़ी जंगल की तरफ एक कच्चे रास्ते पर मोड़ दी.

ममता- ये कहां जा रहे हम. रास्ता तो उधर है.

वो समझ तो सब रही थी, पर अनजान बनने का नाटक करती रही. वो भी कामुक बातों और लंड सहलाने से खुद भी गर्म हो गई थी.

अभय ने एक बड़े से पेड़ के पीछे गाड़ी रोक कर ममता को पकड़ लिया और उसके होंठों को चूमने लगा. अपना एक हाथ धीरे से उसके उठे कड़क बोबे पर रख दिया. इतनी कड़क चूची आज तक उसने पहली बार दबायी थी.

थोड़ी देर दोनों एक दूसरे को तब तक इसी प्रकार चूमते चाटते रहे, जब तक दोनों की सांसें नहीं फूल गईं.

अभय अपना एक हाथ सरका कर ममता की सलवार के ऊपर से ठीक चूत पर रख दिया. ममता अपने भाई के हाथ को अपनी चुत पर महसूस करके एक बार को तो गनगना गई … मगर उसने हाथ का मजा लेना शुरू कर दिया.

अभय भी अब पीछे हटना नहीं चाहता था. इसलिये उसने ममता की सलवार का नाड़ा पकड़ कर खींच दिया.
अपना हाथ सलवार के अन्दर पैंटी में घुसा कर ममता की चूत मुठ्ठी में भर कर मसलने लगा.

अब तो ममता मदहोश होने लगी और उसने अपने भाई का लंड जोर से भींच लिया- आआआह भैया … अब सहन नहीं होता. आआईईई आआह ऊऊऊह भैया.

अभय ने कार की सीट की पुश्त के बटन को पुश किया, जिससे पुश्त पीछे होती चली गई और ममता अधलेटी सी हो गई.

फिर उसने ममता की सलवार पैंटी सहित निकाल दी, जिससे ममता की बिना बालों वाली चूत खुल कर सामने आ गई.

ममता ने शर्माती हुई अपनी दोनों जांघें भींच लीं. पर तब तक अभय की उंगली ममता की चूत की दरार तक पहुंच गयी थी.

उसने अपनी बहन की चूत का दाना पकड़ कर मसलना शुरू कर दिया, जिससे उसने अपनी जांघें फट से खोल दीं.
अब तो ममता की चूत भी गीली होने लगी.

इधर अभय का लंड पैंट में अकड़ चुका था और दर्द करने लगा.
अभय ने अपनी पैंट खोल कर नीचे सरका दी और लंड बाहर निकाल लिया. ममता ने आज पहली किसी का रियल में लंड देखा था, वो भी अपने ही सगे भाई का.

अभय ने देर ना करते हुए फटाक से अपने होंठ उसकी गीली चूत पर रख दिए और जीभ निकाल कर बाहर से ही बहन की चुत चाटने लगा जिससे ममता हवा में उड़ने लगी.

ममता ने भी अभय का सिर पकड़ा और वो अपनी चूत पर जोर जोर से दबाने लगी.

अचानक ममता का शरीर अकड़ने लगा.
अभय समझ गया कि ममता का काम होने वाला है, इसलिए उसने ममता की चूत के होंठ खोले और अपनी जीभ अन्दर सरका दी.
उसी पल ममता का शरीर झटके खाने लगा और उसकी चूत ने ढेर सारी मलाई अपने ही भाई के मुँह में छोड़ दी.

आज पहली बार उसकी बुर से इतना पानी छूटा था, जितना पहले कभी नहीं छूटा था.

अभय- उउममम … आह तेरी मलाई का टेस्ट तो बड़ा अच्छा है … मेरी बहना की बुर बड़ी मजेदार है. ममता … तुझे कैसा लगा … मेरी बहना मजा आया … अपने भैया से बुर चटवा के?

ममता ने शर्माती हुई अपने हाथों से चेहरा छुपा लिया … और धीरे से बोली- मुझे नहीं मालूम.
अभय- कुछ तो बोल और उसका हाथ पकड़ कर उसके चेहरे से हटा दिया.

ममता- छोड़ो भैया, मुझे शर्म आ रही है.
अभय- इतना शर्माओगी तो मेरे इस खड़े लंड का क्या होगा.

ये कह कर उसने ममता का सिर लंड पर दबा दिया- चल अब तेरी बारी … लंड चूस कर ठंडा कर दे चल जल्दी से अपने भैया का लंड ले ले.
ममता- भैया … मुझसे नहीं होगा प्लीज.

अभय- ये क्या, अब मेरा क्या होगा. ऐसे तो मेरा लंड फट जाएगा, प्लीज यार कुछ तो रहम करो … कुछ तो तरस खाओ मेरे खड़े लंड पर? ममता मेरी बहना ले ले मुँह में लंड ले ले प्लीज … देख अपने भैया का लंड एक बार देख तो.
अभय ने कामातुर होकर गिड़गिड़ाते हुए ममता से कहा.

ममता- उस दिन की तरह हाथ से कर लो ना भैया … आप तो एक्सपर्ट हो हाथ से करने में.
वो भी मुस्कुरा कर मजे लेती हुई बोली.

अभय- ठीक है ममता, अब हाथ से कभी नहीं करूंगा … और जाऊंगा उन्हीं गंदी मजदूर औरतों के पास, जिनकी चुत ढीले ढाले फटे भोसड़े जैसे हैं.
ममता- ज्यादा नाटक करने की जरूरत नहीं है. इधर लाओ पर मैं हाथ से करूंगी … मुँह से नहीं.
 

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पिछले अंक

में आपने पढ़ा था कि अभय अपनी बहन ममता से अपना लंड चूसने के लिए कह रहा था.

अब आगे

अभय- प्लीज यार ममता … एक बार मेरा लंड चूस कर देख तो सही. अगर स्वाद पसंद ना आए तो हाथ से कर देना … पर एक बार ट्राई जरूर कर.

ममता ने सकुचाती हुई अपनी जीभ निकाल कर पहले लंड के सुपारे पर हल्के से फिराई, फिर धीरे धीरे लंड के चारों तरफ जीभ घुमाने लगी.
लंड का स्वाद उसे गंदा नहीं लगा था.

फिर ममता ने अपना मुँह खोल कर भाई के लंड का सुपारा अन्दर ले लिया और मस्ती से लंड चूसने लगी.
उसे लंड का टेस्ट अच्छा लगा.

वैसे भी वो नेहा की चूत चाट चुकी थी, तो लंड चूसने में उसको ज्यादा परेशानी नहीं हुई.

इधर अभय तो सोच कर पागल हुआ जा रहा था कि उसकी सगी बहन उसका लंड चूस रही है.

फिर तो अभय ने ममता का सिर पकड़ा और धीरे धीरे उसके मुँह में लंड के धक्का लगाने लगा.
इससे ममता को परेशानी होने लगी. उसके मुँह से गूं गूं की आवाज निकलने लगी … पर तब भी उसने लंड चूसना नहीं छोड़ा.

अभय का लंड ममता के मुँह की गर्मी पाकर फूलने लगा था, इस वजह से अभय के धक्के तेज होने लगे. अभय के मुँह से ‘आआआह उऊह ..’ की आवाज भी निकल रही थी.

अंत में अभय ने अपना लंड ममता के गले तक उतार दिया और झड़ने लगा.
अपने लंड की आखिरी बूंद तक उसने अपनी बहन ममता के गले में निचोड़ दी.

ममता जितना वीर्य पी सकती थी, उतना पी गई … बाकी उसके होंठों के दोनों कोरों से बाहर आ गया.
जैसे ही ममता के मुँह से लंड बाहर आया, ममता खांसने लगी- आकथू थू …

ममता ने थूक कर अपना मुँह ठीक करने का प्रयास किया.
उसकी आंखों से आंसू निकलने लगे थे.

थोड़ी देर में वो नॉर्मल हुई तो अभी को देखने लगी.
ममता खांसती हुई बोली- क्या भैया, आपने तो मेरी जान ही निकाल दी, कोई अपनी बहन के साथ इस तरह भी करता है क्या? बहन हूँ मैं तुम्हारी, कोई रंडी नहीं. आपने तो मेरी जान ही ले ली … हालत खराब कर दी.
अभय- सॉरी सॉरी … ममता वो जोश में कुछ ज्यादा हो गया.

उसने पानी की बॉटल ममता को दी- लो पहले पानी पियो.

ममता ने झपट कर अभय के हाथ से बोतल ले ली और गटगट करके पहले पानी पिया, फिर मुँह धोकर अपना हुलिया ठीक किया.

अभय ने भी मुँह धोया और घड़ी में टाइम देखा, तो 4:15 बज रहे थे. मतलब करीब एक घंटे तक दोनों भाई बहन एक दूसरे की चूत और लंड चाटते और चूसते रहे थे.

ममता- भैया अब हमें चलना चाहिए, हमको बहुत देर हो गई … मां चिंता करेगी.
अभय- हां चलो.

उसने गाड़ी स्टार्ट की और घर की तरफ दौड़ा दी.

रास्ते में अभय बोला- कैसा लगा ममता? मजा आया?
शर्माती हुई ममता ने खिड़की की तरफ मुँह फेर लिया … वो बोली कुछ नहीं.

अभय- बोलो ना ममता कैसा लगा?
ममता- मुझे नहीं पता.
उसने बस इतना ही कहा.

अभय- सच कहूं ममता आज रियल में पहली बार मैंने किसी कुंवारी लड़की की बुर देखी और चाटी. वैसे मैंने चूतें तो बहुत मारी हैं … पर चाटी आज पहली बार है. लंड भी पहली बार ही भी चुसवाया है. वरना तो साड़ी उठाई सूखी भोसड़ी, भोसड़े में लंड डाला, चोदा, पानी निकाला और मामला टांय टांय फिस्स. मेरी किस्मत तो देखो, मुझे अपनी सगी बहन की बुर मिली. मुझे तो बहुत मजा आया. वैसे तुझे कैसा लगा, बता न!

ममता- ठीक ठाक. वैसे मैंने भी आज पहली बार किसी का मुँह में लिया था.
अभय- क्या मुँह में लिया? जरा खुल कर बोलो ना … अच्छा लगता है सुनने में.
ममता- मुझे नहीं पता!

अभय- अभी तो मेरा लंड कितना स्वाद ले लेकर चूस और चाट रही थीं और अब शर्मा रही है. ठीक से नाम लेकर बोल.
ममता- लंड … यही सुनना चाहते हो ना. वैसे भैया आप ये सब करते कहां थे, खुले खेत में … या उन औरतों के घर पर?

अभय- खेत में भी और जो आराम करने के लिए जो कमरा बना है ना … उसमें.
ममता- वहां पर तो बापू होते हैं, फिर कैसे..

अभय ममता की बात बीच में काट कर बोला- पिताजी भी कम नहीं हैं.
ममता- क्या मतलब, कम नहीं हैं बापू?

अभय- यार वो भी गांव की औरतों के साथ, दबा कर रंगरेलियां मनाते फिरते हैं. उनसे गांव की शायद ही कोई औरत बची हो. गांव की सभी औरतें उनके 8.5 इंच के लंड की दीवानी हैं. जो एक बार बापू के लौड़े से चुद जाए, फिर तो उसको घर के लंड लुल्ली नजर आती हैं. बापू के एक इशारे पर पूरे गांव की औरतें उनके नीचे पिसने, नंगी दौड़ी चली आती हैं.

ममता- बाप रे इतने बड़े चोदू हैं हमारे पिताजी, पर उनके पास तो ऑल रेडी एक चूत तो है. क्या मां अब बूढ़ी हो गई हैं या मां अब चुदवाती नहीं हैं?
अभय- नहीं रे … मां भी एक नम्बर की चुदक्कड़ हैं. तुम किसी से कहना नहीं. मां अपने भाई यानि हमारे मामा से दिल खोल कर चुदवाती हैं और बापू भी अपनी बहन हमारी संगीता बुआ की ले चुके हैं.

ममता- क्या कह रहे हो आप मतलब मौसी, मौसा, मामा, मामी बुआ, फूफा और मां पिताजी सब मिल कर चुदाई करते हैं.
अभय- हां.

ममता मुँह फाड़े अभय को देख रही थी- मैं नहीं मानती … आप सफेद झूठ बोल रहे हो, ये इम्पॉसिबल है. आप मां के लिए कुछ भी बके जा रहे हो. शर्म आना चाहिए आपको.
अभय- तुझे यकीन नहीं आता ना … मगर यही सच है. मैंने अपनी आंखों से अपने घर में खेत के कमरे में मां को मामा जी से पूरी नंगी होकर कई बार चुदवाते देखा है.

ममता- क्या तुम सच बोल रहे हो? हमारे पेरेंट्स तो बड़े वाले चुदक्कड़ निकले.
अभय- अरे इसका मतलब तुझे अपने घर में होने वाली चुदाई पार्टी के बारे में कुछ भी नहीं पता है?

ममता- कैसी पार्टी?
अभय- चुदाई पार्टी, जब भी हमारे यहां कोई फंक्शन या पार्टी होती है. तो हम सबके सोने के बाद अपने हॉल में सभी पेरेंट्स चुदाई की नंगी पार्टी फुल नाईट चलती हैं. हमारे पेरेंट्स कपल स्वैपिंग करते हैं.

ममता- क्या मतलब … आपको कैसे पता भैया … क्या आपने कभी देखी है, वो चुदाई पार्टी? और ये कपल स्वैपिंग क्या होती है?
अभय- तुझे कपल स्वैपिंग का नहीं पता?
ममता- पता होता, तो तुमसे क्यों पूछती?

अभय- इसमें एक दूसरे से बीवी बदल कर चुदाई करते हैं. दारू शराब गाली गलौज सब खुला चलता है.
ममता- ओ तेरी की … हमारे पेरेंट्स तो बहुत बड़े वाले निकले.

इतना बोल कर ममता ने अपने भाई के पैंट की चैन खोली और अन्दर हाथ डाल कर उसका लंड पकड़ कर बाहर निकाल लिया.
वो झुक कर मुँह में लंड लेकर चूसने लगी.

अभय तो ममता को देखता रह गया, जो थोड़ी देर पहले तक लंड को लंड बोलने में शर्मा रही थी, वही अब उसका लंड खुद निकाल कर बेशर्मों की तरह चूस रही है.

ममता लंड मुँह से निकाल कर बोली- ऐसे क्या देख रहे हो? क्या किसी ने इस तरह तुम्हारा लंड नहीं चूसा? वैसे मेरी रगों में भी वही खून दौड़ रहा है.
इतना बोल कर फिर से लंड चूसने लगी.

अभय का तो हाल बुरा होने लगा. ममता के मुँह की गर्मी पाकर उसका लंड फूलने लगा था, जिसे ममता लॉलीपाप की तरह चपर चपर चूसे जा रही थी.

कुछ ही मिनट में अभय ने अपने लंड की ढेर सारी गाढ़ी गाढ़ी मलाई अपनी बहन के मुँह में छोड़ दी, जिसे ममता पूरी की पूरी चाट गई. उसने एक बूंद भी बाहर नहीं जाने दी.

थोड़ी देर में दोनों घर पहुंच गए.

दोनों ने पहले अपना अपना हुलिया ठीक किया. फिर ममता ने कार से उतर कर बेल बजाई.
उसकी मां ने दरवाजा खोला.

तब तक अभय भी हाथों में बैग लिये आ गया. दोनों अन्दर गए और सोफे पर ढेर हो गए.

फिर अभय उठ कर अपने कमरे में चला गया, तो ममता ने अपनी मां के लिए लायी हुई ब्रा पैंटी का पैकेट देती हुई बोली.

ममता- लो मां ट्राई कर लो, साईज में कुछ फर्क हुआ … तो भैया से कह कर बदलवा दूंगी.
मंजू- पागल हो गई है क्या तू, ये मेरे अन्दर के कपड़े हैं. उसको पता भी नहीं चलना चाहिए कि मैं अभी तक इस तरह की ब्रा पैंटी पहनती हूँ. वो क्या सोचेगा मेरे बारे में.

ममता- ये सैट भैया की पसंद का है.
मंजू- हे भगवान … कैसे कैसे दिन दिखा रहे हो, ये लड़की पागल हो गई है.

ममता मन में सोचने लगी कि देखो तो सही कितनी सती सावित्री बन रही साली. लंड मिल जाए तो अपने सगे बेटे का ना छोड़े, उछल उछल के अपनी फटी भोसड़ी में ले ले. वैसे मैंने आज तक अपनी मां की भोसड़ी नहीं देखी. बोबे तो कई बार देखे हैं. पर एक बात तो है. आज भी गाड़ी की हेड लाईट की तरह तने हुए खड़े हैं. इनकी भोसड़ी भी मस्त ही होगी, पता नहीं इनकी भोसड़ी कितने लंड निगल चुकी होगी. अब तो कुछ ना कुछ जुगाड़ लगा कर मां की भोसड़ी देखना पड़ेगी … चाहे जैसे भी.

मंजू- क्या सोचने लगी, क्या सच में अभय ने ही पसंद की थी?
ममता- यस माय डियर मम्मी.

इतना बोल कर ममता ने अपनी मां का हाथ पकड़ कर घुमा कर पीछे से बांहों में भर लिया और उनके गाल पर एक पप्पी दे दी- भैया इज द बेस्ट.
मंजू- चल हट बेशर्म … कुछ भी बोलती है.

उसके बाद ममता अपने कमरे में जाने लगी और मंजू अपने कमरे आकर पैकेट खोल कर देखा. फिर जल्दी से साड़ी, ब्लाउज और ब्रा निकाल दी.

अब मंजू सिर्फ एक साटन के पेटीकोट खड़ी थी. मंजू के बड़े बड़े खरबूजे उछल कर बाहर आ गए. वो ममता की लाई हुई ब्रा पहन कर देखने लगी, कप का साईज थोड़ा छोटा था. दरअसल मंजू का कप साईज 38-dd था, पर अभय ने गलती से 38-d का सैट पसंद किया था.

मंजू कमरे में लगे बड़े से आईने सामने जाकर देखा, तो खुद ही शर्मा गई. फिर उसने अपना पेटीकोट भी उतार दिया. अब मंजू नीचे से पूरी नंगी हो गई थी. ऊपर भी बस एक साटन की ब्रा थी. उसे याद आया कि पैंटी तो पलंग पर है. वो नंगी ही पलट कर पलंग तक आई. उसको नहीं पता था कि ममता खिड़की के पीछे से छुप कर अपनी मां को कपड़े बदलते देख रही है.

फिर मंजू ने पलंग से पैंटी उठाई और झुक कर पहनने लगी, जिससे उसकी मंजू की गांड का भूरे रंग का छेद दिखाई देने लगा.

ममता ने खुश होकर मन में कहा कि वाह्ह मेरी मां तो क्या मस्त माल है यार … यदि मैं लड़का होती तो यहीं पटक कर चोद देती दारी को … साली का भोसड़ा तो … आह क्या मोटे मोटे होंठ है इस छिनाल के भोसड़े के … आह कितना चिकना भोसड़ा है साली का. आज भी भारी पड़ती होगी बापू पर … और गांड तो ओहो … लगता है कुतिया ने सबसे मरवा मरवा के इतनी बड़ी कर ली. रंडी ने अपने भोपे (चूंचे) सबको पिला पिला कर दूध का टेंकर बना रखे हैं. सब कुछ ऊपर वाले ने दिल खोल कर दिया है.

उधर मंजू ने पैंटी भी ट्राई की, एक बार बार फिर से आईने के सामने ब्रा पैंटी में जाकर खड़ी हो गई. गांड तो पैंटी में समा नहीं रही थी. खुद को देख कर एक बार मंजू फिर से शर्मा गई.

बाहर से ममता ने अपने होंठ गोल करके सीटी बजाई, तो मंजू पलट कर खिड़की की ओर देखा.
ममता एक आंख दबा कर उंगली और अंगूठे से गोल बना कर कह दिया- क्या बात है मां, आज तो बापू गए काम से.

वो मुस्कुराती हुई देखने लगी- उनके सामने इस रूप में मत चली जाना … नहीं तो …
मंजू ने झट से साड़ी उठा कर अपना नंगा शरीर छुपाती हुई बोली- नहीं तो से तेरा क्या मतलब?

ममता गेट खोल कर अन्दर आ गई और बात पलट कर बोली- कैसी लगी मां, अपने बेटे की पसंद?

मंजू ने शर्माते हुए कहा- तू यहां क्या कर रही है … और तू कब आई यहां?
ममता- कुछ नहीं मां, मैं इधर से जा रही थी. आपको इस हालत में देख कर रुक गई.

मंजू कपड़े पहनती हुई बोली- इस हालत से तेरा क्या मतलब?
ममता- वो मां जब आप उधर से आ रही थीं तब.

मंजू- तूने मुझे पूरी नंगी देख लिया?
ममता मुस्कुराते हुए बोली- तो क्या हुआ मां आपके पास भी तो वही सब है, जो मेरे पास है. फर्क बस इतना है कि आपके पास सब बड़ा बड़ा है.

मंजू ने मन में कहा कि लगता है कुतिया ने मुझे पूरी नंगी देख लिया है.
फिर शर्मा कर बोली- थोड़ी टाईट है.
ममता- एक मिनट मां.

वो पुरानी वाली ब्रा को उलट पलट कर देखने लगी और उसके मुँह से ‘ओह ..’ निकल गया.

मंजू- क्या हुआ? क्या देख रही है?
ममता- कुछ नहीं मां आपका कप साईज 38-dd है और मैं गलती से 38-d ले आई हूँ. पर मां आप यही पहना करो, इससे आपका सीना उठा हुआ लगता है, जवान लड़कियों की तरह.

मंजू ने तब तक पेटीकोट पहन कर ऊपर से मैक्सी पहन ली थी.

मंजू- चल हट बदमाश कुछ भी बोलती है.

रात को सब अपने अपने कमरे में चले गए.

ममता ने अपने कमरे में आकर अन्दर से गेट लॉक किया और फटाफट अपने कपड़े उतार कर बाथरूम में नंगी घुस गई. उधर से वो नहा कर नंगी ही बाहर निकल आई.

अब ममता ने एक ट्रांसपेरेंट नाईटी पहन ली, जो उसके घुटनों तक ही आ रही थी, वो भी बिना ब्रा पैंटी के. उसका सांचे में ढला शरीर साफ झलक रहा था.

वो सोच रही थी आज भैया से अपनी चूत चुदवा लूं … तो भैया का मुठ मारना भी बंद हो जाएगा और बाहर की गंदी औरतों से भी बच जाएंगे. मेरी चूत को भी घर में ही एक लंड मिल जाएगा. किसी को पता भी नहीं चलेगा. घर की बात घर में ही रहेगी. हां ये ठीक रहेगा.

ये सोच कर ममता उठी बाथरूम के रास्ते अभय के कमरे में चली गयी. अभय कमरे में आंख बंद करके अपने लंड को अंडरवियर से बाहर निकाल कर सहला रहा था.

ममता धीरे धीरे चल कर भाई के पास जाकर खड़ी हो गई और गौर से लंड को देखने लगी.
फिर धीरे से बोली- किसकी चूत के सपने में लंड मसला जा रहा भैया?
अभय ने इतना सुनते ही हड़बड़ा कर आंख खोल दी- त..तुम यहां क्या कर रही हो?
 
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