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आप केसी सेक्स स्टोरी पढना चाहते है. ??

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  • भाई - बहेन

  • देवर - भाभी

  • दामाद – सासु

  • ससुर – बहु


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junglecouple1984

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लंड चुत गांड चुदाई का रसिया परिवार- 11



पिछले भाग में अब तक आपने पढ़ा था कि ममता अपने भाई के कमरे में जाकर उससे मजाक करने लगी थी.

अब आगे

अभय- त..तुम्म यहां क्या कर रही हो!
ममता- नींद नहीं आ रही थी तो सोचा तुम अभी जाग रहे होगे, तो तुमसे थोड़ी देर बात कर लूं. पर तुम तो बिजी हो. शायद ख्यालों में मेरी चुदाई कर रहे थे … है ना भैया?
अभय- नहीं, ऐसी बात नहीं है.

ममता तब तक उसके पास बेड पर बैठ गई और हाथ से उसका लंड हिलाने लगी.

अब ममता बोली- फिर क्या इरादा है? चोदना चाहोगे अपनी बहन की चूत को … तोड़ना चाहोगे अपनी बहन की चूत की सील को? अभी तक इसमें उंगली के अलावा कुछ नहीं गया.

अभय- इरादे तो तुम्हारे ठीक नहीं लग रहे हैं.
ममता- जब से आपने घर की सेक्स कहानी सुनाई, तब से मेरी चूत में आग लगी हुई है … ये देखो.

ये कह कर उसने अपनी नाईटी पेट तक उठा दी.

अभय ने देखा तो देखता रह गया, ममता की चूत से पानी बह रहा था, जो उसकी जांघों तक बह कर आ गया था. अभय ने हाथ बढ़ा कर ममता की चूत का दाना चुटकी से पकड़ लिया और मसलने लगा.

ममता सिसिया उठी- आआह भैया ज़ोर से!

उसने भी झुक कर भाई का लंड एक बार फिर से मुँह में ले लिया और चूसने लगी.

अभय ने देर ना करते हुए उसकी नाईटी ऊपर उठा कर गले से बाहर निकाल दी.
अब ममता अपने भाई के सामने पूरी नंगी थी.

अभय ने हाथ बढ़ा कर ममता के अधपके टिकोरे पर रख दिया और उसके मटर जैसे निप्पल को अंगूठे ओर उंगली के बीच लेकर चुटकी से मसलने लगा.

ममता के मुँह से निकला- आह भैया धीरे मसलो … दर्द होता है.

अभय ने चूत को छोड़ कर अपना मुँह आगे करके एक निप्पल मुँह में ले लिया और चूसने लगा.

ममता जोर से सिसकने लगी- आआह भैया … ये कैसी आग लगा दी तुमने … अब सहन नहीं होता भैया … आह.

इतना बोल कर उसने भाई का सिर जोर से अपनी चूची पर दबा लिया.

अभय ने ममता की चूची पीते हुए एक हाथ नीचे ले गया और उसकी चूत की दरार पर फेरने लगा.
ममता तो मानो पगला गई थी. वो अपने भाई के हाथ को महसूस करके गर्मा उठी और उसकी चूत लगातार पानी छोड़े जा रही थी जिससे अभय का हाथ गीला होने लगा.

वो बोली- भैया ये मुझे क्या हो रहा … आह इतना मजा तो जिंदगी में मुझे कभी नहीं आया … भैया आआआह. आज तो खुशी से पागल हो जाऊंगी मेरे प्यारे भैया.

अभय ने अपनी बहन की एक चूची छोड़ दी और दूसरी चूची पीने लगा. वो पहली चूची का निप्पल मसलने लगा.

अब तो ममता की सहन शक्ति जवाब देने लगी और उसकी चूत ने भलभला कर पानी छोड़ दिया. ममता बिन जल मछली की तरह तड़फने लगी और झटके खाते हुए शांत हो गई.

अभय, जो ममता को देख देख कर गर्म हो गया था, उसने ममता के दोनों पैर के बीच में आकर अपना लंड उसकी चूत को फैला कर अपना लंड सैट कर दिया और एक तगड़ा झटका लगा दिया.
ममता की चूत ककड़ी की तरह फटती चली गई, पर लंड का सिर्फ सुपारा ही अन्दर गया.

फर्स्ट टाइम सेक्स में तो दर्द होता ही है तो ममता किसी हलाल होती बकरी की तरह चिल्लाने लगी- आआह मर गई मैं भैया …

अभय ने उसी समय उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए, जिससे बाकी की आवाज ममता के मुँह में ही दब कर रह गई.

अब ‘गूं गूं ..’ की धीमी आवाज ही उसके मुँह से आ रही थी

अभय भी थोड़ी देर ऐसे ही पड़ा रहा और अपने एक हाथ से ममता की चूची सहलाता रहा.

कुछ ही मिनटों में ममता थोड़ी शांत हुई, तो अभय ने एक और तगड़ा झटका लगा दिया ममता की चूत चीरते हुए, आधा लंड ममता की चूत में फंस गया.

ममता की आंखों से आंसू निकल पड़े, पर अभय ने रहम नहीं किया. वो जानता था अगर लंड फर्स्ट टाइम सेक्स में इसकी चूत से निकाल लिया … तो ये कभी नहीं चुदवाएगी.

अभय ने ममता के मुँह पर हाथ रख कर मुँह हटा लिया और बोला- बस मेरी बहन, हो गया जितना दर्द होना था. अब तो मजे करो.

वो अपनी बहन की चूची चूसने लगा और उतने में ही अपना लंड आगे पीछे करने लगा. इससे ममता का दर्द गायब होने लगा.

थोड़ी ही देर में ममता ने गांड उचका कर इशारा किया, अभय को इतना ही काफी था. उसने आखिरी झटका मारा तो लंड चुत की जड़ तक पहुंच गया.

ममता- ओ मां आ्आ् मार डाला रे भड़वे ने … साले मादरचोद … किस जनम का बदला ले रहा है कुत्ते … आह साले फाड़ दी मेरी बुर ओह मां देखो … अपने बेटे को तुम्हारी लाड़ली बेटी को कितनी बेरहमी से चोद रहा कुत्ता. कितना दर्द हो रहा मां … हाय मां कितना मोटा लंड है भैया का … इतना बड़ा गदहे जैसा लंड और कहां मेरी कमसिन चूत … आह मर गई रे.

ममता और भी पता नहीं क्या अनाप-शनाप बड़बड़ाए जा रही थी, पर अब वो जानबूझकर ऐसा कर रही थी … जिससे उसका ध्यान दर्द से हट जाए.

अभय ने जब उसके मुँह से गाली सुनी, तो उससे रहा नहीं गया और पूरा लंड ममता की चूत से बाहर खींच कर फिर एक शॉट में जड़ तक पेल दिया और वो दनादन अपनी छोटी बहन को चोदने लगा.

अभय- ले रंडी की जनी … अपने भाई का मूसल खा मां की लौड़ी … साली गाली देती है छिनाल … आज तो तेरी मां चोद दूंगा रंडी … और तेरी बुर की बुरंडी नहीं बनाई तो मेरा नाम अभय नहीं.
ममता- हां साले बहनचोद … फ्री की बुर मिल रही है ना … रंडी के जने चोद ले साले.

अभय- तू भी उसी रंडी के भोसड़े से निकली है चुदैल. तुझे अपने भोसड़ी से निकालने के लिए पता नहीं कितने लंड खाये होंगे मां ने, तब तू पैदा हुई कुतिया. तुझे तो अपनी पर्सनल रखैल बनाऊंगा मेरी छिनाल, बनेगी रखैल बोल साली बोल!

ममता- हां बनूंगी तेरी रखैल आआआई बनूंगी तेरी रंडी. आआआह उऊऊह ओर जोर मार उईईईई मां साले आज फाड़ दे चूत और निकाल दे आआह कचूमर, साली बहुत तंग करती है. भैया ओहहह आआआा.

वो झड़ने के करीब आ गई थी- म..मैं मैं गई भैया … गई तेरी बहन …

बस इतना बोल कर ममता अकड़ी और झड़ने लगी झड़ते हुए उसने अपने भाई को जोर से भींच लिया. ममता ने अपने नाखून अभय की पीठ पर गड़ा दिए

अभय- मैं भी आया मेरी बहन … कहां निकालूं अपना रस … कहीं तू पेट से ना हो जाए.
ममता- भर दो भैया मेरी बुर अपने पानी से … आज मैं भी बच्चेदानी में आपका पानी महसूस करना चाहती हूं … आह मेरे प्यारे भैया.

अभय ने ममता के इतना बोलते ही एक के बाद एक पिचकारी ममता की कुंवारी बुर में छोड़ना चालू कर दीं.
थोड़ी ही देर में उसका लंड सिकुड़ कर पक की आवाज के साथ बाहर आ गया.

ममता की चूत से जैसे ही लंड बाहर आया, उसकी चूत से ढेर सारे पानी के साथ खून भी निकला.
जिसे ममता देख कर घबरा गई. फिर उसकी नजर अपनी चूत पर गई, जो सूज कर पाव रोटी बन गयी थी.

फर्स्ट टाइम सेक्स के बाद थोड़ी देर ऐसे दोनों पड़े रहे. उसके ममता उठी बाथरूम जाने के लिए … लेकिन उठ ना सकी, वो लड़खड़ा कर बिस्तर पर गिर गई- ओह मां …

अभय- सम्भाल कर बहना अभी अभी चुदी हो … कहां जा रही हो?
ममता ने शर्माते हुए- वो भैया … सू सू लगी है जोर से … वहीं जा रही थी. पर बहुत तेज दर्द हो रहा है.

उसने अपनी चूत की तरफ इशारा करते हुए कहा.

अभय ने ममता को नंगी ही अपनी गोद में उठाया और सीधा बाथरूम में ले जाकर उसे कमोड पर बैठा दिया. ममता की चूत से सीटी की आवाज के साथ मूत बाहर आने लगा, जिसे अभय सुन कर मुस्कुराने लगा.

ममता एक बार फिर शर्मा गई- शर्म नहीं आती अपनी बहन को मूतते हुए देख कर हंस रहे हो … चलो जाओ यहां से मुझे नहाना भी है.
अभय- ओके नो प्रॉब्लम … अपने आप आ जाना.
ये कह कर वो जाने लगा.

ममता- रुको … लेकिन मुँह घुमा कर खड़े हो जाओ … मुझे शर्म आ रही.

मूतने के बाद ममता खड़ी हुई, पर लड़खड़ा कर गिरने को हुई. तभी अभय ने पकड़ लिया.

अभय- शर्म छोड़ो … चलो साथ नहाते हैं. वैसे भी तुम चल नहीं पा रही हो. बेडरूम तक मुझे ही उठा कर ले जाना पड़ेगा.

फिर दोनों साथ साथ नहाने लगे, पर किया किसी ने कुछ नहीं.
नहाने के बाद अभय ममता को गोद में उठाकर बेडरूम में लाया और कपड़े पहना कर कहा- आज यहीं सो जा ना ममता … वैसे भी सब लोग सो चुके हैं. सुबह जल्दी चली जाना.

ममता- वो तो ठीक है, भैया पर दर्द का क्या करूंगी … मां समझ जाएगी. वो तो खेली खाई है … उसे समझते देर नहीं लगेगी.
अभय- डर मत, पेन किलर ले ले. सुबह तक ठीक हो जाएगी … किसी को कुछ पता नहीं चलेगा.

इतना बोल कर उसने एक गोली ममता को दी और कहा- डोंट वरी कुछ नहीं होगा डर मत.

ममता का हाथ अपनी फटी हुई चूत पर लगा, तो वो हल्का सा दर्द महसूस करते हुए बोली- भैया कैसी हालत कर दी आपने … मेरी नाजुक सी चूत की फूल कर कुप्पा हो गई. पूरी फट गई, अब कौन शादी करेगा मुझसे … मेरे पति को पहली रात में ही पता चल जाएगा कि मेरी चुत चुदी हुई है. मैं क्या कहूंगी उनसे कि मैं किससे चुदवा कर आई हूँ, अपने ही सगे भाई से? अब मेरा क्या होगा भैया? गलती मेरी ही थी, मेरी बुर में बहुत आग लगी थी … ले भुगत साली.

अभय- क्या अनाप शनाप बके जा रही है. कुछ नहीं होता. तू दुनिया की पहली लड़की नहीं है, जिसने शादी से पहले चुदाई की है. 90% लड़कियां शादी पहले सुहागरात मना लेती हैं. जिनमें से 50% तो अपने ही भाई से सील तुड़वाती हैं. जानती है क्यों?
ममता- नहीं जानती … क्यों?

अभय- देख अगर तू बाहर कोई बीएफ बनाती है और उससे चुदाई करती है, तो सबसे पहले बदनामी का डर … और पकड़े जाने का खतरा. दूसरा कोई तेरी फिल्म बना कर ब्लैकमेल करता … नेट पर डाल सकता है. तीसरा वो अपने दोस्तों से तुझे चुदवाता, सो अलग. घर की चुदाई सबसे सेफ चुदाई. तू या मैं किसी बाहर वाले को ये सब बताने से रहे. मां या पिताजी को अगर पता भी चल गया, तो उतना डर नहीं है. वो खुद भी अपने भाई बहनों से चुदाई करते हैं. सो डर किस बात का है. चल अब सो जा, बहुत रात हो गई है. नहीं तो मेरा लंड खड़ा हो गया, तो इस बार तेरी बुर का भुर्ता बना दूंगा … समझी!

इतना कह कर अभय ने ममता को अपनी बांहों में भर लिया और कहा- गुड नाईट माय स्वीट डार्लिंग.
ममता ने भी मुस्कुराते हुए अपने भाई से चिपकते हुए कहा- गुड नाईट भैया.

सुबह 5:30 बजे ममता की आंख खुली. उसको जोर से पेशाब लगी थी. वो उठ कर लंगड़ाते हुए बाथरूम में गई और कमोड पर बैठ कर मूतने लगी.

ममता चुत से मूत की धार गिराते हुए सोचने लगी कि क्या मैंने भैया से चुदवा कर सही किया … वैसे भैया की बात भी सही है. बाहर डर भी लगता है और वैसे भी कोई मेरी चुदाई तो दूर की बात, आंख उठा कर देखने की भी हिम्मत नहीं कर सकता था. ऐसे में तो मैं अपनी चुत में सिर्फ उंगली से ही मजा लेती रहती. आखिर हम ठाकुर खानदान से हैं. कोई ऐरा-गैरा मुझे चोदने की हिम्मत भी नहीं कर सकता था.

दोस्तो, ये जो आपने अब तक पढ़ा है, ये सब ममता अपनी बुआ की लड़की नेहा को बता रही थी कि उसके भाई ने उसकी चुत कैसे चोद दी थी.

ममता अब सीधे सीधे नेहा से बात करने लगी थी- नेहा एक बार भाई से चुदवाने के बाद तो जब भी मेरा मन करता, मैं अभय भैया के सामने चूत खोल देती या भैया के रूम में नंगी चली जाती या जब भैया का लंड खड़ा होता, वो मुझे चोदने मेरे कमरे में आ जाते. फिर हम दोनों जम कर चुदाई कर लेते. कई बार तो दिन में ही मौका मिलते ही हम दोनों चुदाई शुरू कर देते हैं. अब तो मेरी ऐश ही ऐश है.

नेहा ममता की तरफ जलन से देखने लगी थी.
तो नेहा की नजरों को पढ़ कर ममता ने कहा- भैया का लंड भी मस्त है यार … एक बार अगर तू देख भी लेगी, तो तेरी भी चूत गीली हो जाएगी.

नेहा- तू ही चुदवा अपने भाई से … अगर मुझे चुदवाना होगा तो मैं अपने घर में अपने भाई चिराग से चुद लूंगी.
ममता हंसने लगी.

नेहा- यार ममता, एक बात तो बता कि अभय भैया ने जो ग्रुप चुदाई का बताया था … वो क्या था. क्या सही में हमारे पेरेंट्स ऐसा करते हैं?

ममता मजे लेने के मूड से- तुझे क्या लगता है. क्या हमारे पेरेंट्स ऐसा करते होंगे?
नेहा- नहीं, मैं नहीं मानती.
ममता- सही कहा तूने, भैया ने मुझे फंसाने के चक्कर में झूठ कहा था.

ममता मन में सोचने लगी कि ये सब सच है. मैं कैसे कहूँ तुझसे नेहा रानी. मैं नहीं चाहती हूँ कि तेरे मन में अपने माता पिता के लिए कोई गलत धारणा पैदा हो जाए, जब तू खुद उनका खेल देखेगी, तो सब समझ जाएगी. मुझे क्या करना है. इससे झूठ ही बोलना ठीक है.

 

junglecouple1984

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लंड चुत गांड चुदाई का रसिया परिवार- 12



मैं सोनिया कमल आपको इस चुदाई की कहानी में आपने ममता की उसके भाई अभय से चुदने की दास्तान को सुना रही थी.
अभय ने ही ममता को पूरे खानदान के चुदक्कड़ होने की बात कही थी, जिसे सुनकर ममता को विश्वास नहीं हो रहा था.

अब हम लोग फिर से अब नेहा के घर में वापस ले चलती हूँ, जहां वो अपनी छोटी बहन स्नेहा को लेस्बियन कहानी सुनाते समय ममता की चुदाई की कहानी सुना रही थी.



स्नेहा- बाप रे, ममता दी इतना गिर गई हैं कि उन्होंने अपने ही सगे भाई से चुदवा लिया. छी: कोई सोच भी नहीं सकता. दिन में भैया और रात में सैंय्या. गपागप सटासट लंड खाओ … किसी को बहन भाई पर शक भी नहीं होगा.

ये सुनकर नेहा हंसने लगी.

स्नेहा- दीदू ममता दी को शर्म नहीं आई होगी अपने भाई के सामने नंगी जाने … और उनसे अपनी चूत चुदवाने में … उनका लंड चूसने, चूत चटवाने में … कैसा लगा होगा उन्हें अपनी चूत में अपने भाई का लंड ले कर! मैं तो सोच कर कांप रही हूं … छी: कितनी बड़ी रांड है वो!
नेहा- मेरी नजर में वो पहली लड़की नहीं है, जिसने अपने भाई से चुदवाया है.

स्नेहा- क्या मतलब दीदू … और किसने की?
नेहा- हैं या थीं … मेरी सहेलियां, जो अपने भाई ही नहीं, अपने बाप से भी चुदी थीं और अभी भी चुद रही हैं.

स्नेहा- क..क्या … कौन दीदू आप किसकी बात कर रही हो. प्रिया की या रितू की?
नेहा- वो रितू की फ्रेंड है. तू नहीं जानती उसको, दिव्या नाम है उसका.

इनकी बातचीत खत्म हुई और अब मैं आपको फिर से नेहा के घर में सेक्स कहानी में ले चलती हूँ, जिधर सेक्स भरा पड़ा है.

स्नेहा का हाथ कब नहाते हुए अपनी ही चिकनी चूत पर चला गया, उसे पता ही नहीं चला सटासट अपनी चूत में उंगली करने लगी … जल्दी ही उसकी चुत ने ढेर सारी मलाई उगल दी.
अब तो उससे खड़ा भी नहीं हुआ जा रहा था. उसके पैर कांपने लगे थे.

स्नेहा फटाफट नहा कर बाहर आई और आते ही बेड पर पड़ गई. बिस्तर पर गिरते ही वो नींद की आगोश में चली गई.

शाम को चाय पर, तीनों मां बेटी और बेटा बैठे थे.

स्नेहा- मॉम, प्लीज मुंबई के पास जाने दो ना?
संगीता- नहीं, तेरे पापा ने कहा है, गर्मी की छुट्टियों में हम सब साथ में काश्मीर जाएंगे, नेहा और मनीष को भी साथ ले लेंगे.

स्नेहा- भाई, तुम बोलो ना कुछ!
चिराग- चल एक काम करते हैं. इस वीकेंड पर महाबलेश्वर चलते हैं अपने फ्रेंड्स के साथ पिकनिक मनाने. आज ही सबसे बात करते हैं. क्यों मॉम, इससे हमारी पढ़ाई का नुकसान भी नहीं होगा और थोड़ा चेंज भी हो जाएगा?

स्नेहा- एक दिन में क्या घूमेंगे?
चिराग- दो दिन पूरा हमारे पास है. शनिवार की शाम को निकलेंगे, रात तक पहुंच जाएंगे. रविवार और सोमवार मजे करेंगे, सोमवार को बसंत पंचमी की छुट्टी है. कुछ इतना काफी है ना?

स्नेहा खुशी से उछलते हुए बोली- वाओ भैया … फिर तो मजा आ जाएगा.
चिराग मुस्कुरा दिया.

स्नेहा ने मॉम को छेड़ा- क्यों मॉम डार्लिंग चलती है क्या 9 से 12 हा हा हा.
संगीता- ठीक है … रात को तुम दोनों अपने पापा से पूछ लेना, मुझे कोई एतराज नहीं है.

दिन भर कुछ खास नहीं हुआ, फिर डिनर पर चारों मिले.

चिराग- पापा, हम सब दोस्त लोग इस वीकेंड पर महाबलेश्वर घूम आएं?
मुकेश- मैं तुम्हारी मम्मी को पहले ही बता चुका हूं, गर्मी की छुट्टियों में कश्मीर सब साथ चलेंगे, नेहा भी आ जाएगी और दामाद जी को भी ले चलेंगे.

चिराग- पापा, इस वीकेंड दो दिन की छुट्टी मिल रही है … और स्नेहा का मन भी है, प्लीज जाने दो ना … थोड़ा चेंज भी हो जाएगा!
पापा- ओके ओके … तुम कितने लोग जा रहे हो?

चिराग- पापा हम 8 लोग हैं बस!
मुकेश- ठीक है, मैं एक मिनी बस बुक कर देता हूँ, जिसमें तुम सब सेफ रहोगे और वहां मेरे दोस्त का रिसॉर्ट भी है. उसी में रुकने का इंतजाम भी हो जाएगा.

चिराग- ये सही है पापा. पर ऐ भूतनी, इसके बाद एग्जाम तक कोई नाटक नहीं समझी?
स्नेहा- ओये बंदर, भूतनी किसको बोला … तू चल, तुझे तो वहीं बताती हूँ मैं.
संगीता- बस, नो फाईट … चलो पढ़ाई करो सुबह तुम दोनों को कॉलेज भी जाना है.

दूसरी सुबह सबसे पहले संगीता की नींद खुली.
वो मुकेश के नीचे दबी पड़ी थी. दोनों मादरजात नंगे थे. मुकेश का लंड अभी भी संगीता की भोसड़ी के बाहर लटका पड़ा था.

रात में घमासान चुदाई हुई थी दोनों के बीच और चुदाई के बाद हमेशा की तरह दोनों नंगे ही सो गए थे.

संगीता धीरे से अपने पति के नीचे से निकली ओर सबसे पहले नंगी ही बाथरूम गई. वहां से आकर केवल मैक्सी पहन ली. नो ब्रा नो पैंटी नो पेटीकोट.

वो नीचे किचन की तरफ बढ़ गई. चलते हुए उसकी चूचियां ऐसे हिल रही थीं, जैसे दोनों में टकराने की जंग छिड़ी हो.

सबसे पहले उसने फटाफट सबके लिए चाय बनाई. पहले चिराग को उठाया … फिर स्नेहा के रूम में गयी. उसे देखा, तो उसकी नाईटी अस्त व्यस्त हो रही थी. पैंटी पूरी दिख रही थी.

संगीता- इस लड़की को कब अकल आएगी. जवान हो गई पर कपड़े पहनने का ढंग अभी तक नहीं है. घर में जवान लड़का है. उसने ऐसी स्थिति में इस लड़की को देख लिया तो क्या असर होगा उस पर. कब सुधरेगी. उठ … कॉलेज नहीं जाना क्या.

संगीता उसके पास बेड पर बैठ गई- उठ जा बेटी … देर हो जाएगी तुझे कॉलेज जाने में!
स्नेहा- गुड मॉर्निंग मॉम, सोने दो ना … कितनी अच्छी नींद आ रही थी.

संगीता- ये क्या ढंग है सोने का … कपड़े की हालत देख जरा, कहां जा रहे हैं.

स्नेहा की नजर अपनी मां की चूचियों पर चली गयी, जो लटकी हुई थीं- ये क्या है मॉम!
उसने अपनी मां की एक चूची पकड़ी और बोली- लगता है रात में आप ऐसे ही सो गयी थीं.

चूची छूते ही स्नेहा को ऐसा लगा, जैसे वो रुई का नरम गोला छू रही हो.

संगीता शर्माते हुए- छोड़ न कुतिया … कुछ भी बोलती है. चल जल्दी तैयार होकर नीचे आ जा. मैं सबके लिए नाश्ता बनाती हूँ. और हां कपड़े ठीक से पहना कर, तेरी नाईटी कमर तक उठ गई थी. चिराग देख लेता तो तुझे ऐसी स्थिति में क्या सोचता तेरे बारे में?

स्नेहा- आज नहीं तो कल वो भी तो देखेगा किसी को पैंटी में … या नंगी. लगता है मॉम आजकल आपकी डेली चल रही है, तभी सिंगल पीस में आ गईं आप.
इतना बोल कर वो वहां से सीधे बाथरूम में भाग गई.

संगीता- तू बाहर आ कुतिया … तुझे बताती हूँ कुछ भी बोलती है. मां हूँ तेरी, कुछ भी ना बोला कर.
इतना बोल कर संगीता हंसती हुई नीचे नाश्ता बनाने चली गई.

स्नेहा नहा कर ही बाहर आई. फिर तैयार होकर नीचे गई और नाश्ते की टेबल पर उसने अपने भाई और पापा से कहा- गुड मॉर्निंग पापा … गुड मॉर्निंग भाई.

दोनों ने एक साथ कहा- गुड मॉर्निंग बेटा, भूतनी.
स्नेहा- ओये मंकी, भूतनी किसको बोला … तू कॉलेज चल तुझे वहीं बताती हूँ!

चिराग- तो चलें … वैसे भी कॉलेज के लिए लेट हो रहा है.
स्नेहा- चल जल्दी, बाय मॉम … बाय पापा.

इतना बोल कर दोनों कॉलेज निकल गए.

मुकेश- जानेमन, बच्चे तो गए क्यों एक राउंड मार लें चुदाई का?
संगीता बनावटी गुस्से में- आपको मेरी चूत के अलावा कुछ दिखता है?
मुकेश- दिखता है ना … तेरे ये आम.

ये बोल कर उसने दोनों हाथों से संगीता की दोनों चूची पकड़ कर मसल दीं.

संगीता- सीईईई आह … ऑफिस नहीं जाना क्या आपको … सुबह सुबह शुरू हो गए.

उधर चिराग- स्नेहा आज बाईक तू चला, मुझे सबको फोन करना है. नहीं तो कोई गायब ना हो जाए … टूर की प्लानिंग करनी है.

स्नेहा ने बाइक चलाई और चिराग ने सबको पीछे बैठ कर फोन किया.

फिर कॉलेज कैंटीन में सभी एक टेबल के आस पास इकट्ठे हो गए.

विराज- क्या बात है चिराग … सबको फोन क्यों किया. हम तो वैसे भी कॉलेज आ रहे थे?
चिराग- दोस्तो, इस वीकेंड पर पिकनिक का मूड बन रहा है.

पल्लवी- नहीं … मैं और भाई अभी कहीं भी नहीं जा सकते, तुम लोग घूम आओ.
ज्योति- तन्वी तू क्या बोलती है?

तन्वी- कहां की प्लानिंग की है स्नेहा?
स्नेहा- तुझे कैसे पता ये प्लानिंग मेरी है?

पल्लवी- तेरी गांड में कहीं भी घूमने जाने की ज्यादा खुजली होती है.
स्नेहा- साली तेरी चूत कम आग मूतती है क्या छिनाल! ये आईडिया चिराग का है. मेरा नहीं … समझी!

स्नेहा मन में बोली साली छिनाल तू महाबलेश्वर चल तो सही … इन सबके लंड तेरी चूत में ना घुसेड़ा, तो मेरा नाम स्नेहा नहीं.

दोस्तो, इनके बीच गाली गलौज आम बात है.

समीर- लो हो गई शुरू दोनों … नो फाईट.
ज्योति- मैं क्या कहती हूँ. चिराग का मन है तो चलते हैं ना सब. बहुत टाइम भी हो गया कहीं गए हुए … थोड़ा फ्रेश हो जाएंगे.

दोस्तो, मैं एक बात बताना तो भूल ही गया था.

ज्योति मन ही मन चिराग से प्यार करती है, पर उसकी कभी बोलने की हिम्मत नहीं हुई. ये बात स्नेहा और चिराग ने कई बार नोट की है.

विराज- पहले ये तो बताओ जाना कहां है … दूसरी बात मैं और ज्योति पढ़ाई का नुकसान नहीं करना चाहते, सो कुछ ऐसी प्लानिंग करो कि दोनों काम हो जाएं.
चिराग- देखो दोस्तों, इस वीकेंड पर दो दिन की कॉलेज में छुट्टी है. तो महाबलेश्वर चलते हैं. पिकनिक भी हो जाएगी और माइंड भी फ्रेश हो जाएगा.

ज्योति- अरे वाह ये तो मस्त प्लान है.

विराज ने घूर कर ज्योति की तरफ देखा और बोला- सॉरी हमारे पास इतना बजट नहीं है. तुम लोग जानते हो स्कॉलरशिप और बीमा पॉलिसी से हमारी पढ़ाई चलती है.

ज्योति ने सिर नीचे करके कहा- सॉरी भाई, मैं भूल गई थी. आई एम सॉरी फ्रेंड्स.
चिराग- यार पैसे किसी को नहीं देने होगें. पापा ने सब सैट कर दिया है. उनके एक फ्रेंड की ट्रेवल्स एजेंसी है, उनकी सोलह सीटर की मिनी बस आ रही है और उन्हीं के एक फ्रेंड का महाबलेश्वर में रिसॉर्ट भी फ्री में रहने को मिल रहा है. बस खाने पीने का खर्च लगेगा, तो अब बोलो क्या कहते हो सब!

फिर एक मिनट रुकने के बाद समीर ने सबकी तरफ बारी बारी से देखते हुए कहा- अब बोलो विराज?

आकाश, जो कम ही बोलता था. वो बोला- मेरे विचार से अब किसी को कोई प्रॉब्लम नहीं होना चाहिए … क्यों विराज!

कोई किसी की खुद्दारी को ठेस पहुंचाना नहीं चाहते थे. सब विराज और ज्योति के बैक ग्राऊंड के बारे में जानते थे. जो अभी एक राज था, बाद में आपको पता चलेगा.

विराज ने ज्योति की तरफ देखते हुए कहा- अगर ऐसा है, तो हमें कोई प्रॉब्लम नहीं है.
ज्योति- थैंक्यू भाई.

वो उठ कर अपने भाई के गले लगती हुई बोली- थैंक्यू वेरी मच.
फिर ज्योति ने पल्लवी की तरफ देखते हुए पूछा और आंख मार दी- क्यों पल्ली?

सब जानते थे कि पल्लवी विराज को लाईक करती थी.

चिराग- तो चलें क्लास में, थोड़ी पढ़ाई भी कर लें? फिर शनिवार, रविवार धमाल.

शनिवार को कॉलेज कैंटीन में इंटरवल में सब फिर से मिले.

चिराग- तो फ्रेंड्स सबकी पैकिंग हो गई … हम 4 बजे निकलेंगे!
सब एक साथ- यस सर.

सबसे ज्यादा ज्योति खुश थी. उसको चिराग के साथ कुछ टाईम अकेले बिताने को मिलेगा.

चिराग- मैं और स्नेहा सबको पिकअप करते हुए आएंगे. तैयार रहना सब लोग. अभी के लिए बाय … चलें स्नेहा?

उसके बाद कुछ खास नहीं हुआ.

चलती हुई बस में सब एंजॉय करते हुए स्नेहा- ज्योति, तू मेरे भाई को प्रपोज क्यों नहीं कर देती है. तू तो वैसे भी मुझे और मां को पसंद है?
ज्योति- अभी नहीं, पहले स्टडी पूरी कर लूं … फिर भाई खुद ही अंकल आंटी से बात करेंगे. उन्होंने प्रॉमिस किया है.

हंसते हुए स्नेहा ने कहा- अभी तू मेरे भाई के साथ जाकर बैठ थोड़ी पप्पी झप्पी कर … बट ओनली किस … उसका वो मत पकड़ लेना, नहीं तो वो यहीं पटक कर कहीं तुझे चोद ना दे … हा हाहा हा
ज्योति- तू पकड़ने की बात कर रही है, मैं तो पहले मुँह में लेकर चूसने की सोच रही हूं … हा हा हा हा और मुँह में ही क्यों, मैं तो इस ट्रिप में चूत में लेने का सोच आई हूँ.

स्नेहा- साली रंडी कहीं की … बड़ी आई मेरे भाई से चुदवाने.
ज्योति- तुझे यकीन नहीं है ना … तो ये देख!

ज्योति ने इतना बोल कर उसका हाथ पकड़ कर अपनी जींस की चैन खोल कर पैंटी के अन्दर डाल कर बोली- ले देख ले.

स्नेहा का हाथ सीधा उसकी बिना बाल वाली चिकनी चूत पर लगा, तो उसे ऐसा लगा जैसे अभी बाल बना कर आई है.

स्नेहा बोली- बीसी (बहनचोद) तू तो सचमुच चुदवाने का पूरा मन बना कर आई है छिनाल.
ये कह कर उसने ज्योति की चूत की क्लिट मसल दी.

ज्योति- आआह छोड़ कुतिया.

स्नेहा ने छोड़ा, तो ज्योति ने मुस्कुराते हुए कहा- तो क्या मैं झूठ बोल रही मेरी होने वाली रंडी ननद!

वहीं दूसरी तरफ तन्वी और पल्लवी.

तन्वी- आज बहुत टाइम के बाद आजादी से घूमने को मिलेगा यार पल्ली.
पल्लवी- हां यार, तू सच बोल रही है तन्वी … साली ये भी कोई जिंदगी है, घर से कॉलेज और कॉलेज से घर … बोर हो गई थी मैं तो.

तन्वी- अच्छा ये बता कुछ बात आगे बढ़ी विराज से?
पल्लवी- नहीं यार, बस एक बार मैंने उसे प्रपोज किया था … पर उसने ये कह कर टाल दिया कि अभी मैं अपनी पढ़ाई पर ध्यान दूं इस सबके लिए सारी जिंदगी पड़ी है. उसकी अपनी प्रॉब्लम है यार परिवार की. ये बात हम सभी जानते हैं. ऊपर से ज्योति की जिम्मेदारी है वो अलग. पर उसने कहा है कि तुम्हारी बात मैं ठुकराऊंगा नहीं, समय आने पर देखेंगे.

तन्वी ने हंसते हुए माहौल को ठीक करने का प्रयास किया- हां, उसकी बात सही है. पर अब तेरी चूत को ज्यादा इंतजार नहीं करना पड़ेगा. ये बॉयज लोगों का लास्ट ईयर है.

पल्लवी ने भी मुस्कुराते हुए जबाव दिया- लेकिन हमारा तो सेकंड ईयर है गंडमरी. तू भी कोई पसंद कर ले इन्हीं लौड़ों में से एक लौड़ा … जो तेरी चूत को ठंडा कर सके. कब तक मोमबत्ती डालती रहेगी अपनी भोसड़ी में.

बस दोनों खिलखिला कर हंसने लगीं.
 

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अब तक आपने इस सेक्स कहानी में दोस्तों के एक ग्रुप की मस्ती को पढ़ना शुरू किया था. इस ग्रुप में लड़के लड़कियां सब बिंदास सेक्स से भरी बातें करते हैं.

पल्लवी और तन्वी बात करती हुई सो गई थीं. इधर आकाश और समीर बात करे थे.

समीर- ये हमारा आखिरी साल है. आकाश, इसके बाद का क्या प्लान है?
आकाश- अभी कुछ सोचा नहीं यार. और यार तेरी पूजा दी का कुछ हुआ?

समीर- नहीं यार … पता नहीं कहां से साला हिजड़ा लिखा था दी की किस्मत में … उस मादरचोद का लंड ही खड़ा नहीं होता.
आकाश- तो तू ही कुछ मदद कर उनकी. तेरी और दी की तो अच्छी जमती है?

समीर- मेरे कारण तो दी अभी तक टिकी हुई हैं. वरना अब तक तो उस गांडू से तलाक ले चुकी होतीं. पर यार, ये बात किसको पता ना चले.

आकाश- नहीं यार, तू डर मत. ये बात मेरे तक ही रहेगी. पर यार पिछली बार तो तूने पूजा दी की गांड भी मार दी थी, ये कैसे हुआ था!

समीर- यार, दी की सहेली आरती का सब किया-धरा था. उसी रांड ने भड़काया था कि अपने भाई से चुदवा ले, बाहर किसी को पता भी नहीं चलेगा. तेरी बदनामी भी नहीं होगी और चूत भी ठंडी हो जाएगी. तब से दी की चुदाई शुरू हुई थी. इस बार पूजा दी आईं … तो आरती बोलने लगी कि एक बार गांड मरवा कर भी देख ले … चूत से ज्यादा मजा आता है. वो साली खुद एक दिन बिना लंड के नहीं रहती. मायके में भाई और कजिन से चुदवाती है. ससुराल में खसम के साथ साथ देवर को भी फंसा रखा है छिनाल ने. साली कहती है मुझे एक लंड से मजा नहीं आता. जब दी ने साली को मेरे लंड का साईज बताया, तो एक बार तो मुझे भी लाईन मार रही थी. कहती है कभी हमारी भी सेवा कर दिया करो … बदले में गाढ़ी गाढ़ी मलाई चटाऊंगी.

‘अरे … फिर!’
‘फिर क्या … वो तो उसी समय मेरा लंड पकड़ कर मसलने लगी थी. वो तो दी आ गई थीं, नहीं तो कुतिया को वहीं पटक कर चोद देता मैं … मादरचोदी रंडी.’

आकाश- तो उसके बाद कभी मौका नहीं मिला क्या तुझे … मुझसे मिलवा दे, साली को दबा कर पेलूंगा. कब तक मैं मुठ मारता रहूंगा यार?

वो दोनों हंसने लगे.

इसी तरह की बातें करते हुए रात 8 बजे सब महाबलेश्वर पंहुच गए.

रिसॉर्ट में रहने की अच्छी व्यवस्था थी और पीछे की तरफ एक आलीशान स्वीमिंग पूल भी था. सब लोग ये देख कर खुश हो गए.

चिराग- दोस्तो, हम दो दो के ग्रुप में बंट जाते हैं और चार रूम में एडजस्ट कर लेते हैं. इससे सबको कंपनी भी मिल जाएगी. सब अपना अपना सोच लो, कौन किसके साथ रूम शेयर करेगा या करेगी.
स्नेहा- मैं ज्योति के साथ रूम शेयर करूंगी. क्यों ज्योति चलती है क्या 9 से 12 …?

आंख मारते हुए स्नेहा ने कहा, तो पल्लवी बोली- हां मैं और तन्वी.
आकाश- मैं समीर के साथ हो जाता हूँ.

चिराग- विराज तुझे मेरे साथ कोई प्रॉब्लम तो नहीं है ना?
विराज- नो प्रॉब्लम ब्रो.
चिराग- सब अपने अपने रूम में फ्रेश होकर आधे घंटे में यहीं हॉल में डिनर के लिए मिलते हैं. मैं सबके लिए डिनर बाहर से ऑर्डर कर देता हूँ.

उसके बाद सब अपने अपने रूम में चले गए.

स्नेहा और ज्योति के रूम में.

ज्योति- तू मेरे साथ क्यों आई बीसी? मैं चिराग के साथ उसके रूम में जाने वाली थी, पर तूने तेरी बहन चुदवा ली. नहीं तो आज ही मेरी मुनिया का उद्घाटन समारोह हो जाता.
वो अपनी चूत पर हाथ लगाती हुई कह रही थी.

स्नेहा- बता तो जरा कितनी आग लगी है तेरी चूत में … छिनाल साली.
इतना बोल कर स्नेहा ने झपट्टा मारा और उसकी चूत जींस के ऊपर से ही दबोच ली.

ज्योति- छोड़, छोड़ साली … क्या कर रही है. मैं तेरी होने वाली भाभी हूँ. अपने भाई के माल पर बुरी नजर रखती है कुतिया. ये किसी और की अमानत है रंडी.
स्नेहा- भैया के माल पर नहीं, होने वाली भाभी की बुर पर बुरी नजर है. देखने तो एक बार मेरी होने वाली भाभी की बुर कैसी है … चोदने लायक है भी या, बस मूतने के ही काम आती है.
उसने हंसते हुए कहा.

ज्योति- कुछ तो शर्म कर भोसड़ा चोदी!
स्नेहा- शर्म करूंगी, तो अपने भाई के साथ तेरी चुदाई कैसे देखूंगी, तैयार तो मैं ही करूंगी तुझे जानेमन!
ज्योति- चल चल आई बड़ी मेरी चुदाई देखने वाली.

इसी प्रकार की मस्ती करती हुई दोनों फ्रेश हुईं और तैयार होकर हॉल में आ गईं, जहां पहले से सभी बैठे थे.

पल्लवी और तन्वी डिनर टेबल पर लगा रही थीं, जिसमें स्नेहा और ज्योति ने मदद की.

फिर डिनर करते हुए चिराग बोला- डिनर के बाद सब आराम करते हैं. कल सुबह घूमने निकलेंगे, वैसे तो जिसको जहां जाना हो जा सकता है. मुझे तो नींद आ रही दोस्तो. ओके गुड नाईट फ्रेंड्स.

उसके बाद एक एक करके सभी गहरी नींद में चले गए.

डिनर के बाद स्नेहा ओर ज्योति अपने रूम आ गई थीं. कमरे में आते ही स्नेहा ने पहले अपनी टी-शर्ट उतारी. उसने अन्दर एक साटन की झीनी सी ब्रा पहनी थी, जिसमें उसकी 32 नाप की चूचियां कैद थीं.
उसके बाद उसने अपनी जींस भी उतार फेंकी. अब वो छोटी सी ब्रा पैंटी में रह गई थी.

स्नेहा- कैसी लग रही हूं भाभी?
उसने अपने हाथों से ऊपर उठा कर अपनी चूची हिला कर पूछा.

ज्योति, जो बैग में से अपने कपड़े निकाल रही थी, पलट कर देखते हुए सीटी बजाकर बोली- क्या बात है जानेमन, ये बिजली किस पर गिराने का इरादा है?
उसने पीछे से आकर स्नेहा को बांहों में भर लिया और उसके गाल पर किस करते हुए मस्ती करने लगी- क्या बात है यार … तेरे आम तो दिन पर दिन बड़े होते जा रहे हैं, आज कल किससे दबवा रही है?

ये कहते हुए ज्योति ने स्नेहा की रसभरी चूचियों पर अपने हाथ रख दिए.

स्नेहा- अपनी किस्मत ऐसी कहां है यार … जो ये निगोड़ी चूचियां किसी मर्द के हाथों दब जाएं.
ज्योति- तो कहीं अपने ही भाई से तो नहीं दबवा रही छिनाल?

स्नेहा ने मुस्कुराते हुए कहा- चुप कर छिनाल … शर्म कर वो मेरा भाई है, खसम नहीं. तूने क्या मुझे समीर की पूजा दीदी समझी है, जो अपने भाई से चुदवाती है.

ज्योति- हां यार … पूजा दीदी के बारे में मैं जब भी सोचती हूँ, तो मेरी चूत से पानी बहने लगता है … वो अपने ही सगे भाई से कैसे चुदवा लेती होगी और उसे कैसा लगता होगा. अब ऐसा तो हो नहीं सकता कि समीर गया … उसका पेटीकोट उठाया, चूत में लंड डाला … चोदा और चला आया. दी अपने भाई का लंड भी चूसती होगी … और उससे अपनी चूत भी चटवाती होगी?

स्नेहा- हां यार … बोल तो तू सच रही है. पर तुझे चुदाई की इतनी नॉलेज कैसे है कि लंड चूसा जाता है और चूत चाटी जाती है?
ज्योति, स्नेहा को छोड़ कर अपने कपड़े बदलती हुई बोली- अरे यार, इतना तो आजकल के झांट झांट से बच्चों को भी पता है, जो अभी अंगूठा चूसते हैं.

फिर ज्योति ने एक छोटा सा नाईट गाऊन पहन लिया … वो भी बिना कोई ब्रा पैंटी के. जो उसके घुटनों से थोड़ा ऊपर था. इस गाउन में से उसकी सफेद दूध जैसी गोरी गोरी जांघें चमक रही थीं. वो अगर थोड़ा सा भी झुके … तो उसकी गांड का भूरा छेद दिखने लगे.
स्नेहा- साली मुझे तो बोल रही थी, पर तेरी ये चूचियां इतनी बड़ी कैसे हो गईं. कहीं तू ही तो नहीं चुपके से मेरे भाई से दबवाती फिरती है. ये देख पके आम के जैसे बढ़ते जा रहे हैं?

ज्योति- काश तेरी बात सच होती … तो मैं उससे सिर्फ अपनी चूची ही नहीं दबवाती, उसे तो अपनी गोद में लिटा कर दूध भी पिला देती … हाय कितना मजा आता. यार स्नेहा कुछ कर ना!
स्नेहा- ला मैं ही अपनी होने वाली भाभी का दूध पी लेती हूँ.

इतना बोल कर उसने ज्योति के बोबे पकड़ लिए और दबाने लगी.

ज्योति- हाय मत कर यार … चिराग की याद आने लगती है. काश वो तेरी जगह होता, तो कितना अच्छा लगता.
स्नेहा- तू कहे तो अभी बुला दूं भाई को, आज ही अपनी सुहागरात मना लेगा. साली जब वो तुझे कसके चोदेगा ना … तो तेरी सारी हड्डियां चटक जाएंगी जानेमन.

ज्योति- छोड़ यार … मेरी चूत में चीटियां रेंगने लगी हैं, फालतू गर्म मत कर … चल सोते हैं. कल घूमने जाने के लिए सुबह जल्दी उठना है.
स्नेहा मुस्कुराते हुए बोली- तेरी चूत में तो बस चींटियां ही रेंग रही हैं. मेरी चूत तो पूरी गीली हो गई. मैं बाथरूम से आती हूँ.

ज्योति भी मुस्कुराते हुए बोली- जा जा … अपनी चुत ठंडी कर ले उंगली डाल के … कमीनी.
स्नेहा- तुझे अगर मुझ दया आ रही हो, तो तू मेरी चूत चाट कर ठंडी कर दे, तुझे भी मेरी मलाई चखने को मिल जाएगी.

ज्योति- रुक साली … मैं अभी चिराग को बुलाती हूँ. वही तेरी चूत चाट कर तो क्या, तू कहेगी … तो तुझे चोद कर भी ठंडी कर देगा.
स्नेहा- साली, तू मेरे चक्कर में अपना भला तो नहीं सोच रही कुतिया?

ये कहकर स्नेहा ने ज्योति को अपने साथ बेड पर गिरा लिया और उसके ऊपर चढ़ गई. स्नेहा ज्योति के गाल पर और होंठों पर दनादन पप्पियां करने लगी.

ज्योति- छोड़ साली … मेरे साथ लेस्बियन करेगी क्या?

इसी तरह मस्ती करते हुए दोनों सो गईं.

अगली सुबह दोनों नहा कर तैयार हुईं. स्नेहा ने आज टाईट फिटिंग वाली ब्लू जींस और ढीला ढाला ब्लैक कलर का टॉप पहना था.

वहीं ज्योति ने ब्लैक जींस के साथ व्हाइट स्लीवलैस टी-शर्ट, खुले बाल … सिर पर गॉगल्स पहने थे. वो गज़ब की हॉट माल लग रही थी.
दोनों तैयार होकर डाईनिंग हॉल में आईं … तो चिराग देखता रह गया.

स्नेहा ने ज्योति के कान में धीरे से कहा- देख भैया को … कैसे देख रहे हैं. लगता है … वो तो गए काम से. तू बच के रहना, कहीं यहीं पटक कर तेरे ऊपर न चढ़ जाएं.
ज्योति ने कुछ नहीं कहा.

फिर स्नेहा अपने भाई से बोली- क्या हुआ भैया … कहां खो गए?

ज्योति ने धीरे से शर्माते हुए कहा- चुप कर कहीं भी कुछ भी बोलती है.

चिराग शर्माते हुए बोला- क..कहीं नहीं.

इधर पल्लवी भी कम नहीं थी. उसने आज ब्लैक कलर की मिनी स्कर्ट पहनी थी, जो उसकी पैंटी के नीचे तक आ रही थी. जिसमें से उसकी गोरी गोरी जांघें साफ़ चमक रही थीं उसने ऊपर पिंक कलर का स्लीवलैस टॉप पहना था, जिसकी डोरियां कंधे पर थीं और बगल से ब्रा के स्ट्रेप बाहर दिखाई दे रहे थे. वो चलती फिरती सेक्स बम सी लग रही थी.

उसने एक बार विराज की तरफ देखा, जो उसे ही मुँह फाड़े देख रहा था. जिससे पल्लवी शर्मा गई.

दूसरी तरफ तन्वी भी कम नहीं थी. उसने आज ऊपर शॉर्ट टॉप और टॉप के अन्दर बिकनी ब्रा में से उसकी टेनिस बॉल साईज की चूचियां उभर कर कुछ ज्यादा ही बड़ी लग रही थीं. गहरे गले के टॉप से उसका क्लीवेज गहराई तक नज़र आ रहा था.
उसके नीचे पेट और पेट के नीचे गहरी नाभि. फिर स्कर्ट और उसके अन्दर साटन की चड्डी पहनी थी.

कोई भी लौंडिया किसी से कम नहीं लग रही थी. इन चारों तितलियों को जो एक बार देख ले, तो अपना लंड मसले बिना ना रहे..

सब लड़के ऐसे देख रहे थे, जैसे कि पहली बार इतना गर्म माल देख रहे हों. सबसे पहले चिराग को होश आया.

चिराग- तुम लोगों में से पहले यहां कौन कौन आ चुका है?
उसने बारी बारी सबकी तरफ देखा.

आकाश- हां मैं ओर तन्वी यहां पहले भी आ चुके हैं … फैमिली ट्रिप में.
चिराग खुश होते हुए बोला- गुड … यहां घूमने लायक कई जगह हैं. कृष्णा मंदिर, कृष्णा नदी, मंकी पाईंट, मैप्रो गार्डन और मुल्सी झील है … और हां लंच भी वहीं कहीं कर लेंगे. मैं ये कहना चाहता हूं कि आज यहां जितना भी घूमना फिरना होना है … वो ..

पल्लवी बीच में बात काटते हुए बोली- कल वापिस जाना है क्या … शिट!
चिराग- ओ हैल्लो मैडम … पहले पूरी बात तो सुन लो महारानी. फिर बीच में बोलना.

सब पल्लवी की बात पर हंस पड़े.

चिराग- कल हम लोग पंचगनी जाएंगे, जो यहां से करीब 19-20 किलोमीटर यानि करीब एक घंटे का रास्ता है. पंचगनी को स्ट्रॉबेरी का शहर भी कहा जाता है. जहां वाटरफॉल, जंगल और लवर पाईंट भी हैं.

चिराग ने ये बात ज्योति की तरफ देखते हुए कही, जिससे ज्योति शर्मा गई और उसने सिर झुका लिया. शर्मीली मुस्कुराहट उसके चेहरे पर आ गई.

तन्वी ने हंसते हुए कहा- लो शुरू हो गई लैला मजनूं की लव स्टोरी.
समीर- अब क्या यहीं टाईम बर्बाद करना है … चलना नहीं है क्या! चलो जल्दी जल्दी नाश्ता फिनिश करो … हमें निकलना है.

उसके बाद सब नाश्ता करके, उसी बस में बैठ गए, जिससे वो सब आए थे. पर सभी एक एक सीट छोड़. इस बार ज्योति चिराग की बगल वाली सीट पर खिड़की के साईड बैठी थी. पल्लवी, विराज के बगल में, स्नेहा आकाश के साथ हो गई, जिससे तन्वी समीर के पास बैठ सके. नहीं तो दोनों भाई बहन आपस में बोर हो जाते.

विराज ने मुस्कुराते हुए कहा- आज अच्छी लग रही हो … आई लव यू पल्ली.
पल्लवी ने आश्चर्य से देखते हुए कहा- लव यू टू विराज. तुम जानते हो, ये सुनने के लिए मेरे कान तरस रहे थे … लव यू, लव यू टू … आज मुझे सब कुछ मिल गया कसम से विराज … तुमने ये पहले क्यों नहीं कहा?

विराज- मैं तुम्हारी आंखों में हमेशा प्यार देखता हूँ … पर मैं मजबूर हूँ पल्ली.
पल्लवी- जानती हूँ, सब कुछ जानती हूं. ज्योति से लेकर परिवार तक … पर आज मैं बता देती हूं … जब तक तुम्हारी सारी प्रॉब्लम खत्म नहीं हो जाती हैं, मैं तब तक शादी के लिए नहीं कहूंगी. पर प्यार का इजहार करना भी जरूरी होता है विराज.
विराज- शुक्रिया पल्ली, आज तुमने मेरे मन पर पड़ा बहुत बड़ा बोझ हल्का कर दिया.

इतना बोल कर विराज ने पल्लवी का चेहरा पकड़ कर उसके होंठों पर अपने होंठ रख कर एक लम्बा किस कर दिया और ‘लव यू पल्ली.’ कह दिया.

पल्लवी शर्मा कर विराज के सीने से चिपक गई- लव यू माय लव.
 

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अब तक आपने जाना था कि चलती बस में पल्लवी विराज के सीने से लग कर उससे अपना प्यार जता रही थी.

अब आगे

उधर दूसरी तरफ आकाश और स्नेहा आपस में बात कर रहे थे.

आकाश- क्या बात है स्नेहा, आज तुम बहुत सुंदर लग रही हो.
स्नेहा ने मुस्कुराते हुए कहा- शुक्रिया शुक्रिया.

आकाश- हा हा हा हा सच में … यार मैं मजाक नहीं कर रहा.
स्नेहा- रियली?
आकाश- यस.

इन दोनों की कथा गर्म होने दीजिए फिर बाद में देखते हैं कि क्या खेल होता है. अभी एक तरफ चिराग और ज्योति बैठे थे.

ज्योति- जानते हो चिराग, आज मैं तुम्हारे साथ अकेले बैठ कर बहुत खुश हूँ.
चिराग- ये बात है … तो इसी बात पर फटाफट एक पप्पी दे दे.

ज्योति- हट बेशर्म … सब लोग हैं यहां बस में … कोई देखेगा तो क्या सोचेगा?
चिराग- बस इतना प्यार करती है मुझसे? और रही बात किसी के देखने की … तो कोई हमें नहीं देख रहा. सब अपने में बिजी हैं.

ज्योति ने अचानक चिराग का चेहरा दोनों हाथ से पकड़ा और उसके होंठों से अपने होंठ चिपका दिए.

उमम्माह …

थोड़ी देर एक दूसरे के होंठ चूसते रहे. अंत में दोनों अलग हुए तो ज्योति ने शर्माते हुए चिराग की गोद में मुँह छुपा लिया.

चिराग- आई लव यू ज्योति … मजा आया!
ज्योति- बहुत … आज पहली बार कोई अच्छा काम किया तुमने … आई आल्सो लव यू जानू.

चिराग ने धीरे से अपना एक हाथ उसके छोटे छोटे मम्मों पर लगा दिया.

इससे ज्योति के दिल की धड़कन तेज हो गई. आज पहली बार उसकी चूची पर किसी मर्द ने हाथ लगाया था.

चिराग ने उसकी एक चूची को सहला दिया, जिससे उसको भी करंट लगा.

‘ज्योति?’
ज्योति- हूंउउउ.

चिराग- आज कुछ तूफानी हो जाए?
ज्योति- क्या?
चिराग- वही जो शादी के बाद होता है?

ये कह कर चिराग ने धीरे से ज्योति के निप्पल मसल दिए.

ज्योति- आआह सीईईई … सब देख रहे हैं.

ये उसका बस नाम मात्र का विरोध था. वो खुद ये सब चाहती थी.

चिराग- कोई नहीं देख रहा मेरी जान.
ज्योति- कोई आ गया तो?

वो चिराग की गोद में लेटी हुई थी. पर अचानक उसके गाल पर कुछ चुभने लगा.
उसने मुँह नीचे की तरफ किया, तो जींस के ऊपर से चिराग का खड़ा लंड उसके होंठों पर छू गया.

उसने अपने होंठ खोले और पेंट के ऊपर से ही विराज के कड़क होते लंड पर दांत गड़ा दिए.

चिराग- आआआह जान … ऐसा जुल्म मत करो … इस बेचारे पर अंडरवियर के साथ पैंट भी गीली हो जाएगी.

उसने ज्योति की जींस की जिप पकड़ कर नीचे सरका दी और हाथ अन्दर घुसा कर पैंटी के ऊपर से ही उसकी चूत मुट्ठी में भर कर मसलने लगा, पर तभी एक झटके से बस रुक गई. मगर तब तक ज्योति की पैंटी गीली हो चुकी थी. बस के रुकते ही चिराग ने जल्दी से हाथ बाहर निकाल लिया और ज्योति ने भी उठ कर चैन बंद की.

बाहर देखा तो बस मुल्सी झील पहुंच चुकी थी. सबने मिलकर पहले मस्ती मजाक करते हुए खूब एन्जॉय किया.

अबकी बार ज्योति सबके सामने खुल कर चिराग के साथ, कभी उसके गले में बांहे डाल कर सेल्फी ले रही थी … तो कभी हग करके फुल एंजॉय कर रही थी.
स्नेहा और पल्लवी सब मुँह फाड़े उन दोनों को ही देख रही थी.

फिर पल्लवी ने वो किया, जिससे समीर के साथ साथ ज्योति भी हैरान हुए बिना नहीं रह सकी. पल्लवी ने आगे बढ़ कर विराज का चेहरा पकड़ कर उसके होंठ पर अपने होंठ रख दिए और उसका मुँह चूमने लगी.

इसी प्रकार की मस्ती करते हुए एक जगह से दूसरी जगह … फिर लंच के लिए एक अच्छे से रेस्टोरेंट में आ गए. उधर बहुत ही उम्दा लंच किया … फिर अगली लोकेशन की तरफ बढ़ गए.

इसी तरह शाम 7 बजे सब वापिस रिसॉर्ट आ पंहुचे. सब थके हारे थे.

स्नेहा- क्यों री मेरी चंपाकली … आज तो तूने कमाल कर दिया. साली सबके सामने कभी यहां … कभी वहां बड़ी फुदक रही थी.
ये बोलते हुए स्नेहा ने उसकी चूची पकड़ कर दबा दी.

ज्योति हंसने लगी.

स्नेहा- और बता साली … बस में क्या क्या किया?
ज्योति- तुझे क्यों जानना है. वो मेरा है … कुछ भी कर सकता है मेरे साथ … तुझे क्या. और तू भी तो आकाश से चिपकी हुई थी उसका क्या?

स्नेहा- यार मजबूरी थी मेरी, नहीं तो आकाश क्या तन्वी के साथ बैठता. उधर तूने देखा कैसे पल्ली ने सरेआम विराज को हग करते हुए फ्रेंच किस किया, वो भी समीर के सामने ही.

ज्योति ने आश्चर्य से पूछा- क्या बात कर रही है … उसने किस किया और वो भी समीर के सामने?
स्नेहा- यस मेरी जान, तू जब भाई के साथ पेड़ के पीछे अपनी मां चुउऊऊऊ ….

ज्योति ने बात काटते हुए कहा- चुप साली रंडी … कुछ भी बोलती है. तू तो जैसे बिना मां चुदाये पैदा हुई होगी. तेरे चक्कर में पता नहीं आंटी की भोसड़ी को कितनी बार गपागप अंकल का लंड खाना पड़ा होगा … तब तू उनके भोसड़े निकली होगी.

ज्योति आज एकदम बिंदास हो गई थी. उसने फटाफट अपने सारे कपड़े उतारे और एक सिंगल पीस बिकनी पहन ली. जो उसके घुटने से थोड़ी सी ऊपर थी. उसने ऊपर से एक बाथरोब डाल लिया.

स्नेहा- ये ऐसी ड्रेस पहन कर कहां जा चली … और ये तेरी पैंटी इतनी गीली क्यों है साली!

स्नेहा उसकी उतारी हुई पैंटी को चूत वाली जगह को देखती हुई बोली.

ज्योति- तुझे इससे क्या लेना देना? ये हमारी मियां बीवी के बीच की बात है.
वो जोश जोश में बोल तो गई … पर.

स्नेहा ने ज्योति की पैंटी सूंघते हुए कहा- ओ हो मियां बीवी … क्या बात है.

उसने चिढ़ाते हुए ज्योति की चुटकी ली- कब से … खुशबू तो अच्छी आ रही. लगता है डिस्चार्ज हो गई थी तू … हम्म मामला गम्भीर है.

ज्योति- चल छोड़, मैं स्वीमिंग करने जा रही हूँ. तुझे आना हो तो आ जाना, मैं चलती हूँ.

ये बात स्नेहा को नहीं पता थी कि चिराग ने ज्योति को बुलाया है और दोनों का मिलन होने की पूरी सम्भावना है.

ज्योति चलते हुए पीछे पूल तक गई, तो वहां पहले से चिराग पूल में पैर लटकाए बैठा ज्योति का इंतजार कर रहा था.

ज्योति ने पीछे से झुक कर अपनी दोनों बांहें चिराग के गले में डाल दीं और उसके गाल से गाल रगड़ने लगी.
‘आई लव यू.’

चिराग ने भी अपने दोनों हाथ ऊपर करके ज्योति का चेहरा आगे की तरफ खींच कर एक बार फिर से उसके होंठ से अपने होंठ मिला दिए.
दोनों इसी तरह किस करते रहे.

फिर चिराग ज्योति को लेकर पूल में गिर गया. पानी में जाते ही चिराग, ज्योति से लिपट गया. उसने अपना एक हाथ नीचे ले जाकर उसकी पैंटी में डाल दिया.

ज्योति तो चिराग का हाथ लगते ही कांप उठी … और उसने एकदम से चिराग को जकड़ लिया.

चिराग कुछ सेकंड चुप रहा. फिर एक उंगली ज्योति की चूत की दरार पर ऊपर नीचे करने लगा.

ज्योति के लिए बस इतना ही काफी था. वो झटके खाते हुए अपनी लाईफ का पहला ओर्गास्म कर बैठी.

‘आआह चिईईराग य..ये क्या हो रहा म..मुझे म..मैं हवाआआ में उड़ रही हूँ.’

इतना बोलती हुई ज्योति कटे वृक्ष के जैसे चिराग की बांहों में झूल गई.
पर इन दोनों को पता नहीं चला कि स्नेहा छुप कर ये सब तमाशा देखते हुए अपनी चूत पर उंगली फेर रही थी.

फिर वो वहां से चुपचाप खिसक गई और इधर पूल में जल्दी ही होश में आने के बाद.

चिराग- जानेमन तुमने मुझे दो बार गर्म करके आज पानी गंदा करवा दिया.
ज्योति- छी: कितने गंदे हो तुम.

चिराग- अच्छा मैं गंदा … पानी खुद ने गंदा करवाया और इल्जाम मुझ पर? अब इसका मैं क्या करूं?

ज्योति खड़े लंड को देखने लगी.

चिराग अपने लंड की तरफ इशारा करते हुए बोला- इसका कुछ कर दो जान वरना ये फट जाएगा.

ज्योति लजाते हुए- पागल कहीं के … लाओ मैं इसे हाथ से ठंडा कर देती हूं.
चिराग- हाथ से करना होता तो मैं ही कर लूंगा. थोड़ा मुँह में ..
ज्योति- खुली आंखों से सपने अच्छे देख लेते हो.

इतना कह कर वो पूल से बाहर निकली और साईड में बने शॉवर रूम की तरफ चली गई.

चिराग भी पीछे पीछे आ गया और उसको गोद में उठा कर चेंजिंग रूम में ले गया.
रूम में अन्दर जाते ही भूखे भेड़िए की तरह वो उस पर टूट पड़ा. होंठ, गाल, गला और गर्दन सब जगह चूमने चाटने लगा.

ज्योति अपना आपा खोती चली गई और उसका साथ देने लगी. वो एक बार फिर से गर्म हो गई.

इस बार चिराग ने ज्योति की चड्डी नीचे खिसका दिया. वो ज्योति की क्लीन शेव गीली चूत पकड़ कर मसलने लगा.

ज्योति- आआह सीईईई ओह मां … मेरे नीचे ये कैसी आग लगी है. चिराग कुछ करो इसका … नहीं तो मैं मर जाऊंगी.
उसने हाथ बढ़ा कर चिराग का लंड पकड़ लिया और लंड मसलने लगी.

फिर तो चिराग एकदम से आगे बढ़ गया और वो अपनी एक उंगली ज्योति की चूत में घुसेड़ने लगा.

तभी किसी के आने की आहट हुई, चिराग ने तुरंत ज्योति को छोड़ दिया.

वो मन में सोचते हुए बड़बड़ाने लगा- पता नहीं किसकी बहन चुद गयी …

चिराग चल कर बाहर निकला, तो देखा स्नेहा अन्दर की तरफ आ रही थी.

चिराग- तू … तू … यहां क्या कर रही है?
स्नेहा- भैया ज्योति कहां है … और तुम यहां क्या कर रहे हो?

चिराग- व..वो शॉवर ले रही है. उसको अकेले डर लग रहा था … इसलिए मैं बाहर खड़ा हुआ था.
स्नेहा- ठीक है, तुम जाओ. मैं उसे अपने साथ ले आऊंगी.

चिराग मन ही मन खीजते हुए बुदबुदाया क्या यार … थोड़ी देर बाद आती तो आज ज्योति को चोद ही देता, पर स्नेहा की भी ना.
बस यही सब सोचते हुए चिराग अपने कमरे की तरफ चला गया.

इधर …

स्नेहा चेंजिंग रूम में ज्योति से मस्ती करने लगी- आज तो लगता है काम हो गया तेरा?
ज्योति चिढ़ते हुए बोली- घंटा काम हो गया … साली छिनाल पूरा काम खराब कर दिया. क्या जरूरत थी आने की … काम बस होने ही वाला था और तूने तेरी मां चुदवा ली.

स्नेहा थोड़ा गुस्से में बोली- ओ हैलो माइंड योर लेंग्वेज … रंडी की भोसड़ी में बड़ी आग लगी हुई है. एक बार बुझा ली थी ना पूल में … फिर यहां क्यों मां चुदाने लाई थी भाई को?
ज्योति- त…तूने देखा था?

वो मन में सोचने लगी कि साली कुतिया एक नंबर की रांड है कमीनी. इससे बच कर रहना पड़ेगा.

स्नेहा ने मुस्कुराते हुए कहा- पूरा खेल.

तब तक ज्योति ने शॉवर लेकर बाथरोब वापस पहन लिया और दोनों रूम की तरफ चल दीं.

रूम में आने के बाद ज्योति ने स्नेहा को पीछे से हग करते हुए कहा- सॉरी यार … मैं गुस्से में कुछ ज्यादा बोल गई … माफ कर दे यार प्लीज.

स्नेहा ने हंसते हुए कहा- हाय जानेमन … लगता है आग दोनों तरफ बराबर लगी है.

वो ज्योति की चूत पैंटी के ऊपर से मसलते हुए आगे बोली- एक शर्त पर माफ करूंगी.
ज्योति- सीईईई छोड़ दे रंडी … और कैसी शर्त?

स्नेहा- आज तुझे अभी अपनी चूत खोल कर दिखाना पड़ेगी?
ज्योति हंसती हुई बोली- चल चल, बड़ी आई चूत देखने वाली.

वो बिकिनी उतार कर नाईटी पहनते हुए बोली- अच्छा एक बात तो बता?
स्नेहा- कौन सी बात मेरी चुद्दो?

ज्योति- तूने अपनी लाईफ में कुल कितनी चूतें देखी होंगी?
स्नेहा- ज्यादा नहीं. तुम सबकी तो कॉलेज के टायलेट में देखी हैं, पर ठीक से देख नहीं देख पाई. पर सबसे ज्यादा अपनी नेहा दीदू की चुत बचपन से देखती आ रही हूं. साथ साथ नहाना … घर में कपड़े चेंज करते … या मॉल के ट्रायल रूम में … और लास्ट टाईम दीदू जीजू की चुदाई भी देख ली. हमारे बीच कुछ भी नहीं छुपा.

उसने मुस्कुराते हुए सब कह डाला.

ज्योति उसकी तरफ मुँह फाड़े देख रही थी- तूने अपनी दीदी की चुदाई भी देख ली?
स्नेहा- हां … और मैंने अपनी बुआ की बेटी की चूत भी कई बार देखी है.

ज्योति- साली तूने चुदाई भी देख ली? तू तो बड़ी बहन चोद निकली. जानती है स्नेहा … मैं अपने भाई बहनों को बहुत तरसती हूं, काश कि मेरी भी छोटी या बड़ी बहन होती … या छोटा भाई होता, तो उन सबको इतना ही प्यार देती.

ये सब कहते कहते उसकी आंखें नम हो गईं.

स्नेहा- तू ये नहीं बोल सकती … और तू भूल रही है कि हमारा ग्रुप भाई बहनों से कम है क्या. और मैंने तुझे हमेशा अपनी बहन से कम नहीं समझा है … इसलिए बार बार तेरी चूत देखने की कोशिश करती हूं … अपनी नेहा दीदू की तरह.

स्नेहा ने माहौल को हल्का करते हुए मुस्कुरा कर कहा- एक बार तो तेरी चूत फैला कर देख कर रहूंगी.

ज्योति ने अपनी नाईटी उठा कर कहा- ये ले देख ले … फैला कर देख, चाट कर देख … चाहे जैसे भी देख.
स्नेहा- क्या यार … ये तो पनिया गई है.

ज्योति ने हंसते हुए कहा- हां तू जब चेंजिंग रूम में आई थी, तो चिराग मेरी चूत की क्लिट मसल ही रहा था. साली तेरी दीदू चुद गई थी … जो तू आ गई थी … नहीं तो आज मेरी सुहागरात ही हो जाती जानेमन.
स्नेहा ने उसकी नाईटी नीचे करते हुए कहा- ओह सो सॉरी यार … मेरी वजह से तेरा काम खराब हो गया. अभी इसको ढक ले, किसी दिन फुर्सत से इस मुनिया का काम तमाम करूंगी.

स्नेहा ने ये कह कर चूत की तरफ देखा और पुच की आवाज निकाल दी.

ज्योति- यार जोर की भूख लगी है, चल देखते हैं कुछ इंतजाम हुआ या नहीं.

दोनों कपड़े बदल कर नीचे चली गईं, जहां पहले से सब बैठे डिनर का वेट कर रहे थे.

समीर- आओ आओ इतनी देर कहां लगा दी थी?
ज्योति- हम दोनों फ्रेश हो रही थीं. डिनर का क्या हुआ?
चिराग- आर्डर कर दिया है … बस आता ही होगा.

सभी टीवी देख रहे थे. तभी डोर बेल बजी.

आकाश- लगता है डिनर आ गया.
उसने उठते हुए कहा और उठ कर गेट खोला, तो डिलिवरी बॉय ही था … वो सबका खाना लाया था.

सबने मिलकर डिनर किया. उसके बाद सब एक साथ आइसक्रीम खाते हुए दूसरे दिन की प्लानिंग करने लगे.
 

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लंड चुत गांड चुदाई का रसिया परिवार- 15



अब तक आपने पढ़ा था कि सभी नौजवान लड़के लड़कियों में प्यार मुहब्बत चल रही थी.
डिनर के बाद अगले दिन को लेकर विचार विमर्श चलने लगा था.

अब आगे

विराज- कल का क्या प्रोग्राम है?
समीर- मेरे हिसाब से कल हम यहां से चैक आऊट कर लेते हैं, पंचगनी से सीधे अपने घर निकल चलते हैं. क्यों आकाश तुम क्या कहते हो?

आकाश- हां ये सही है. रात तक सब अपने अपने घर पहुंच जाएंगे. परसों कॉलेज भी जाना है. क्यों चिराग तुम क्या कहते हो?
चिराग ने आइसक्रीम खाते हुए कहा- जैसा आप लोग कहो, मुझे कोई ऐतराज नहीं.

सब इस बात से सहमत हो गए.

तन्वी- तो चले सोने … कल लंबा सफर है.

सब अपने अपने कमरे में सोने चले गए. इधर तन्वी और पल्लवी अपने रूम में थीं.

तन्वी- तूने तो कमाल कर दिया … आज तो तू समीर के सामने ही शुरू हो गई.
पल्लवी- यार पता नहीं क्या हो गया था आज मुझे! समीर मेरे बारे में क्या सोच रहा होगा, शिट यार.

तन्वी- मुझे पता है क्या हुआ था तुझे!
पल्लवी- क्या, क्या हुआ था मुझे?

तन्वी- तूने ये सब उस छिनाल ज्योति के कारण किया. देखा ना आज कैसे उसने पहले बस में रोमांस किया … फिर मुल्सी झील पर झाड़ियों में कैसे पेड़ के पीछे अपने बोबे दबवा रही थी. उसका किसिंग सीन देख कर तो मेरी भी चूत पनिया गई थी. साली रंडी कहीं की.

पल्लवी ने हंसते हुए कहा- तेरी चूत में भी पानी आता है? आज पता चला मुझे.
तन्वी- क्यों, तेरी ही चूत में कीड़े कुलबुलाते हैं क्या … मेरी चूत में आग नहीं लगती क्या?

पल्लवी- हा हा हा हा … मुझे नहीं पता था. अच्छा एक बात बता, तेरी चूत में ऐसा कब से होने लगा … किसी को चुदते देख लिया क्या या किसी की चूत देख ली तूने? अच्छा बता आज तक तूने किसी की रियल में चुदाई देखी है?

तन्वी- हां मैंने अपनी चाची को कई बार चुदवाते देखा है. उनके घर में खुला माहौल है. एकदम ओपन माइंड फैमिली है. मेरी कजिन सिस तो आम तौर पर ऐसे कपड़े पहनती है. शॉर्ट्स, लो कट गले का टॉप, टी-शर्ट या मिनी स्कर्ट. फिर लापरवाही से बैठना. मैंने और समीर ने उसकी पैंटी कई बार देखी है … और पैंटी भी कौन सी, थोंग पैंटी. रात में तो बिना ब्रा पैंटी के हाफ नाईटी में या सिर्फ ब्रा पैंटी पहन कर सोती है. सुबह उसकी चूत हमेशा खुली मिलती है. जब तक मैं वहां थी, कजिन को दिन में कम से कम एक दो बार तो टॉप लैस देख ही लेती थी, लापरवाही से बिना किसी आंड़ के मेरे सामने ही कपड़े बदल लेना उसकी आदत है. उसकी चूचियां तो हमेशा आधे से ज्यादा बाहर ही रहती हैं.

तन्वी आगे बोली- चाची भी हमेशा ऐसी ही लोकट गले की टी-शर्ट के साथ स्किन टाईट लेगिंग या शार्ट ड्रेसेस ही पहनती हैं. फुल मॉर्डन चाची का पूरा भूगोल नजर आता है. घर में उन दोनों में से कोई भी ब्रा नहीं पहनती है. दोनों को देख देख कर समीर तो अपना लंड मसलता ही रहता है.

पल्लवी- होता है यार … ये कोई नई बात नहीं है. सेम ऐसा मेरे मामा के घर होता है. तूने शायद कभी ध्यान दिया हो, मेरी मम्मी को भी घर में ब्रा पैंटी से एलर्जी है. उनको हॉर्ट प्राब्लम है, तो घर में हमेशा ब्लाउज पेटीकोट में या कम से कम कपड़ों में ही रहती हैं. कई बार तो उन्हें अपने हाथों से अपनी चूचियां अन्दर करना पड़ती हैं.

तन्वी- हम्म …
पल्लवी- पर चाची की चुदाई कैसे देख ली तूने?
तन्वी- दो साल पहले गर्मी की छुट्टियों में एक बार मैं और समीर चाचा, चाची के घर दिल्ली घूमने गए थे. उनके बंगले में 8 कमरे हैं. ऊपर 6 कमरे आमने सामने हैं … और 2 नीचे हैं. आगे बड़ा सा गार्डन … महंगी कारें, अच्छे खासे रईस हैं.

दोस्तो, अब समय आ गया है कि आप भी तन्वी के चाचा के परिवार का परिचय जान लें.

नीरज- चाचा 44 साल, लंड साईज 8 इंच.
शालिनी- चाची 42 साल उम्र, 38-30-40 का फिगर … चूचियां तो ऐसी, जैसे दूध के कंटेनर हों. डार्क ब्राऊन निप्पल. देख कर लगता नहीं की वो दो जवान बच्चों की मां होंगी. उनकी उम्र 35-36 से ज्यादा की नहीं लगती है.
आदित्य- चाचा का बेटा. इसकी 20 साल उम्र और 6.5 इंच का लंड.
अदिति- चाचा की बेटी. ये 18 साल की 32-26-32 का कातिल फिगर और मटर के दाने जितने पिंक निप्पल हैं.

तन्वी ने बताना शुरू किया:

एक बार रात को साढ़े ग्यारह-बारह बजे प्यास के कारण मेरी नींद खुल गई. मैं देखा तो पानी की बोतल नहीं थी. मैंने सोचा कि चलो किचन से ले आती हूँ. मैं नीचे गई तो चाचा-चाची के बेडरूम की लाईट जल रही थी. किचन में जाने के लिए उनके बेडरूम के सामने से जाना पड़ता है, जो उनके बेडरूम के बाद बगल में है.

मैं सामने से निकली, तो कुछ आवाजें आ रही थीं.

पहले तो मैंने ध्यान नहीं दिया. मैं किचन में गई … फ्रीज से पानी की बोतल निकाली और आने लगी.

उनके बेडरूम की खिड़की पूरी खुली हुई थी. अनायास ही मेरी नजर पड़ गई, तो क्या देखती हूँ कि चाचा पूरे नंगे थे और चाची उनकी गोद में पूरी नंगी बैठी थीं.

चाचा एक हाथ से चाची के निप्पल चुटकी से मसल रहे थे और दूसरे हाथ से चाची की चूत मसल रहे थे. चाची सिसिया रही थीं.

चाची- सीईईई … और कितना तड़पाओगे नीरू डार्लिंग … अब सहन नहीं होता … आह डाल भी दो अपना मूसल.

चाची के मुँह से इतना सुनते ही मेरा शरीर कांप उठा. मैं चुपके से खिड़की के साईड होकर अन्दर देखने लगी.

चाचा- शालू डार्लिंग चुदाई ही करनी हो तो किसी का भी लंड डलवा लिया कर. मुझे तो चूत और चूचियों से खेल कर चुदाई करने में मजा आता है.
चाची- अरे यार … रोमांस बाद में कर लेना … पहले एक बार चोद दो मुझे प्लीज नीरू.

चाचा- पहले लंड तो चूस … फिर देखना साली कैसे तेरी चूत का कचूमर बनाता हूँ.

फिर चाची उठीं और चाचा का लंड मुँह में भर कर चूसने लगीं.
चाची की पीठ मेरी तरफ थी. वो पूरी रांड जैसी कॉलगर्ल लग रही थीं.

चाचा ने हाथ बढ़ा कर चाची का एक निप्पल पकड़ा और मसलने लगे- साली तेरे निप्पल तो बढ़ते जा रहे … मेरी गैर हाजिरी में किसको चुसवा देती है. ओह … पूरा लौड़ा मुँह में लेकर चूस कुतिया आआह.
चाची लंड मुँह से निकालती हुई बोलीं- तुम तो कई कई दिन घर से गायब रहते हो. मैं अपने हाथ से खींच खींच कर बड़े करती हूं.

चाचा- क्या करूं डार्लिंग … बिजनेस भी जरूरी है.
चाची- और मैं कैसे रात काटती हूँ … तुम्हें क्या, तुम तो विदेश में कोई ना कोई चूत मार लेते होगे.

चाचा- चल अब आ जा, आज तेरी भोसड़ी का भोसड़ा बनाता हूँ.

ये सब देख और सुन कर मुझे पता ही नहीं चला कि कब मेरा हाथ मेरी पैंटी में चला गया और मैं चूत की क्लिट मसलने लगी.
अन्दर चाची लेट गई थीं और चाचा उनकी टांगों के बीच में आ गए.

चाचा ने चाची की चूत फैला दी और अपनी जीभ अन्दर तक डाल कर चाटने लगे.

मैंने पहली बार इतने पास से कोई भोसड़ा अन्दर से लाल रंग का देखा था.

चाची- आआह नीरू मेरे शेर … ऐसे ही चाट उईईई मां … देख तेरे दामाद को कैसे तेरी बेटी की भोसड़ी चाट रहा मां … आहहह क्या करूं मां … मैं तो गई आह ओह.

इसी तरह गंदी गंदी बातें करते हुए चाची ने अपनी कमर उठा दी और झड़ने लगीं.
झड़ते हुए उन्होंने चाचा का सिर अपनी चूत पर दबा लिया और झटके खाते हुए शांत हो गईं.

फिर जब चाचा ने अपना मुँह उठाया, तो उनका पूरा चेहरा चाची की चूत के पानी से भीगा हुआ था.

चाचा- आह नमकीन पानी … मेरी जान मजा आ गया … क्या टेस्ट है.

उसके बाद चाचा ने अपना लंड चाची की चूत पर रख कर एक धक्का मारा तो आधा लंड चाची की चूत में घुस गया.

चाची- आआहह मां मर गई … मादरचोद धीरे नहीं पेल सकता था भोसड़ी के … आह फाड़ दी मेरी चूत.
चाचा- साली चिल्ला तो ऐसे रही है जैसे पहली बार चुद रही हो.

इसी के साथ चाचा ने दूसरा धक्का मार दिया और अपना पूरा लंड चाची की चूत में जड़ तक घुसेड़ दिया.

चाची- साले तेरी मां की चूत में कुत्ता मूते. आह कबाड़ा कर दिया मेरी चूत का … कल नहीं चोदना क्या तुझे … मादरचोद फाड़ कर रख दी मेरी चूत … आह मां अपने दामाद से बचाओ मां … हरामी ने लंड चुत में जड़ तक पेल दिया.
चाचा- किसे बुला रही मेरी रंडी … अपनी मां को … आह बुला ले आज उसको भी नंगी करके चोद दूंगा.

इतना बोल कर चाचा चाची को दनादन चोदने लगे.

वो हुमच हुमच कर गाली देते हुए चुदाई कर रहे थे- ले मेरी रांड अपने खसम का लंड.

चाची- हाय तौबा कितने बड़े मादरचोद हो, मैं कम पड़ रही … जो मेरे साथ साथ मेरी मां को भी चोदोगे कमीने … आह मेरे राजा और जम कर चोदो अपनी रंडी को. आईई ओह हाय कसम से ऐसे ही चोदो मेरे सैंय्या … मेरी चूत के राजा. मैं झड़ने वाली हूँ. हाय मां और कस के पेलोओ ओओओ.

चाची छटपटाती हुई झड़ने लगीं.

चाचा- बस इतना ही दम था तेरी गांड में रंडी. चल साली डॉगी स्टाईल में आजा.

ये खेल देखते हुए कब मेरी पैंटी उतर गई, पता ही नहीं चला.

चाची डॉगी बनते हुए बोलीं- थोड़ा धीरे डालना जान.
चाचा- धीरे का काम नहीं है मेरे पास.

इतना बोलते ही गच्च से पेल दिया चाची की गीली चूत में लंड- ले मेरी रांड अपने बालम का लंड ..

चाचा दनादन चोदने लगे.

चाची- आआह और तेज चोद … मजा आ गया मेरे साजन … क्या चुदाई करता है. हाय रे मेरे चूत के रसिया चोदो.
चाचा- आआह मेरी कुतिया चल अब ऊपर आकर मुझे चोद.

बस चाचा लंड चुत से निकाल कर नीचे लेट गए.

चाची उठीं और चाचा के दोनों तरफ पैर करके अपनी चुत के छेद में उनका लंड पकड़ कर लगाने लगीं. लंड ने चुत की फांकों में मुंडी घुसाई और चाची अपनी चूत में लंड लगा कर घच्च से बैठ गईं. एक बार में पूरा लंड चाची के भोसड़े में गुम हो गया. फिर तो चाची ऊपर नीचे होने लगीं. उछलने के साथ ही उनके खरबूजे भी ऊपर नीचे उछलने लगे.

‘आआह ओह हाय आआआई ओह मां सीईईई ऊह … मर गई.’

चाची हांफती हुई चाचा पर लेट गईं.

चाचा ने पलटी मारी और चाची के ऊपर चढ़ कर दनादन चोदने लगे- ले साली तेरी मां को चोदूं रंडी.

चाचा के मुँह से इतना सुनते ही मेरी चूत से पानी छूट गया. अब तो मेरी टांगें भी कांपने लगी थीं. मैं भाग कर ऊपर आई और हांफते हुए बिस्तर पर लेट गई. मैं झड़ चुकी थी. मेरी पैंटी चुतरस से भीगी थी. मगर थकान इतनी ज्यादा थी कि कब मुझे नींद लग गई … पता ही नहीं चला.

पल्लवी ने तन्वी से उसके चाचा चाची की चुदाई की कहानी सुनकर कहा- यार तेरे चाचा चाची की चुदाई की कहानी तो बड़ी जबरदस्त थी.
तन्वी- हां यार मेरी चुत में तो अभी भी पानी आने लगा है.

पल्लवी- चल अब आगे सुना.
‘अब तू अदिति की सुन.’
‘हां सुना.’

दूसरे दिन मेरी अदिति के साथ घूमने जाने कि प्लानिंग हुई. दिल्ली के चांदनी चौक में घूमते हुए हम दोनों को भूख लग आई थी.

अदिति बोली- अब चलो कुछ खाना खाते हैं.
मैं ओके कह दिया.

हम दोनों चांदनी चौक के एक रेस्तरां में घुस गईं.
चांदनी चौक के होटल में लंच करने के बाद दोनों लाल किला के अन्दर दाखिल हुईं.

अदिति किले के अन्दर घूमते हुए बोली- यार दी … राजे महाराजे के जलवे ही अलग हुआ करते थे. साले कई कई रानियां रखते थे … एक अगर पीरियड में हो, तो दूसरी ठोकने को मिल जाती थी, क्यों दी?

तन्वी अन्दर घूमते हुए बोली- अदिति, मेरी एक बात मानेगी?
अदिति- यस माय डियर सेक्सी दी … कहो क्या बात है?

तन्वी अपना हाथ आगे बढ़ाते हुए बोली- तू मुझे दीदी बोलना छोड़ दे, मैं तुझसे ज्यादा बड़ी नहीं हूँ. बाई दि वे फ्रेंड्स!

अदिति ने कुछ सोचते हुए और सेक्सी हंसी हंसते हुए कहा- मेरी लिमिट कितनी होगी तन्नी डार्लिंग?
अदिति ने उसका हाथ थामते हुए जब ये कहा.
तो तन्वी हंसते हुए बोली- अरे यार अनलिमिटेड … बट इसके पहले मुझे तुझसे एक बात पूछनी थी.

अदिति- हां बोलो न!
तन्वी- तूने अभी तक मुझे अपनी हॉबीज नहीं बताईं, तुझे क्या क्या पसंद है … कैसा पसंद है क्या नहीं पसंद है.

अदिति ने भी खुल कर कहा- मुझे सब कुछ पसंद है. आई एम दि ओपन माइंड तन्नी, अब मैं तुमसे एक बात पूछ सकती हूँ.
तन्वी ने मुस्कुराते हुए कहा- हां जरूर, क्यों नहीं मेरी जानेमन, जानेतमन्ना, जानेजिगर, जानेबहार.

अदिति ने हंसते हुए कहा- बस बस तन्नी डार्लिंग बस, आपको क्या क्या पसंद है, ये बताओ.
तन्वी- सेम टू सेम तेरे जैसी, शायद तुझसे भी ज्यादा … तुझे नहीं पता हमारा एक ग्रुप है, जिसमें मेरे सहित 4 लड़कियां और आकाश सहित 4 लड़के हैं. हम सब गाली गलौज से लेकर सब ओपन माइंड मस्ती करते हैं. बट सब लिमिट में. एक बात और … हमारी गाली हम लड़कियों तक सीमित रहती है, वहीं लड़के अपनी गाली लड़कों तक इस्तेमाल करते हैं. मगर एक बात है कि गाली किसको भी दो चुदेगी तो हम लड़कियों की चूत ही … या हमारी मां बहनों की चूतें. कोई साला ये नहीं कहता तेरे बाप की गांड में लंड … या तेरी गांड में लंड. वैसे क्या सच में तू लेस्बो है?

अदिति- देखो तन्नी मैं लेस्बो जरूर हूँ … पर लेस्बियन एडिक्ट नहीं हूँ. टाईम पास के लिए थोड़ी मस्ती कर लेती हूँ … बस.
तन्वी- अच्छा ये बता कि तूने आज तक कितनी चूतें चाटी हैं या यूं भी कह सकती हूँ कि तुमने कितनी चूतों से अपनी चूत चटवाई है?

अदिति अपनी चूत स्कर्ट के ऊपर से मसलते हुए बोली- क्यों मुझे और गर्म कर रही हो डार्लिंग … पहले ही पूरी चूत चिपचिपा रही है. वैसे मैंने ज्यादा नहीं, बस दो की चूत चाटी है और दोनों से अपनी चूत चटवाई भी है.
तन्वी ने चूत मसलते हुए कहा- मेरे पास दो पैंटी और हैं स्टाक में … टॉयलेट में जाकर बदल ले. देख वो लड़का तुझे ही देख रहा है.

अदिति लड़के की ओर मुँह करके अपनी चूत पर उंगली आगे पीछे करने लगी और बोली- इसका पोपट करें क्या?
तन्वी हंसते हुए- रहने दे … साले को मुठ मारने की जगह भी नहीं मिलने वाली.

अदिति ताली मारते हुए- हे हे हे सही बोला तुमने, एक बात पूछूं.

तन्वी ने एक तरफ इशारा किया और बोली- चल वहां बैठ कर बात करते हैं.

दोनों एक चबूतरे पर बैठ कर गप्पें लड़ाने लगीं.
 

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पहली चुदाई नवविवाहिता मामी के साथ



दोस्तो, मैं अर्नव बाँदा, उत्तर प्रदेश का रहने वाला हूँ

सबसे पहले मैं आप सबसे अपना परिचय करा दूँ।

मेरी उम्र 25 साल, कद 5’10 और मेरा लंड लगभग 7″ इंच का है.
शुरू से ही सेक्स के प्रति मेरी रूचि कुछ ज्यादा ही रही है और इससे कहीं ज्यादा मेरी किस्मत मुझ पर मेहरबान रही है।

बात उन दिनों की है जब मैं बारहवीं की पढ़ाई के लिए अपने मामा के घर पर रह रहा था।

मामा पेशे से एक वकील थे इसलिए पूरा दिन कोर्ट कचहरी के काम में व्यस्त रहते थे और मैं घर पर अकेला ही रहता था।

दूसरे साल मामा की शादी तय हुई तो मैं भी सबके साथ लड़की देखने गया.

मुझे लड़की इतनी पसंद आयी कि थोड़ी देर के लिए मैं यह भूल ही गया कि लड़की अपने लिए नहीं मामा के लिए देखने आया हूँ।

उनका कद 5’4″ और रंग दूध सा सफ़ेद था।
उन्होंने लाइट ब्लू कलर का सूट पहना हुआ था और ऊपर से दुपट्टा डाले थी।
उनके चूचे सामान्य आकार के पर तने हुए थे जो उनकी सुंदरता पर चार चाँद लगा रहे थे।

लगभग दो महीने बाद मामा की शादी हो गयी और मामी घर आ गयी।
मेरी मामी के साथ अच्छी बनती थी।

सर्दी के दिन थे और मैं रोज की तरह टीवी देखने के लिए मामी के कमरे में ही जाता था और उनके ही डबलबेड पर आराम से लेट कर टीवी देखता था।

एक दिन मैं ऐसे ही टीवी देखते देखते सो गया।

मामी अपना काम ख़त्म करके अपने कमरे में आयीं और बिना मुझे डिस्टर्ब किये दूसरी तरफ जा कर लेट गयी।

नींद में करवट लेकर कब मैं उनकी तरफ चला गया पता ही नहीं चला.
जब मेरी नींद खुली तो पूरी रज़ाई मामी के बदन की गर्मी से धधक रही थी और उनकी जिस्म की मादक खुशबू पूरी रज़ाई से आ रही थी।

तब पहली बार मुझे यह अहसास हुआ की एक जवान औरत से ज्यादा गर्म और अच्छा नेचुरल हीटर शायद ही दुनिया में कोई दूसरा हो।

मैंने देखा कि मामी गहरी नींद में है तो मेरे मन में मामी को सोता देख वासना जाग उठी।
मैं खिसक कर मामी के और करीब आ गया और अपने पैरों से मामी के पैर छूने की कोशिश करने लगा।

मामी ने साड़ी पहनी हुई थी।
मैंने अपने पैरों से मामी की साड़ी को धीरे-धीरे ऊपर खिसकाने की कोशिश की.
पर अंदर से थोड़ा डर भी लग रहा था क्योंकि अभी तक हमारे बीच सब सामान्य ही था … मतलब हम सिर्फ अच्छे दोस्त जैसे ही थे।

जब मुझे लगा की मामी अभी भी गहरी नींद में सो रही हैं तो मेरी हिम्मत बढ़ी और मैंने अपना हाथ उनकी कमर में रख कर टटोलने लगा.
और यह सब मैं आँख बंद करके कर रहा था ताकि मामी जग भी जाये तो ऐसा लगे कि मैं नींद में हाथ पैर चला रहा हूँ।

मामी का बदन बहुत ही चिकना और मक्ख़न सा मुलायम था और उस स्पर्श से मेरी साँसें और तेज़ हो चली थी और लंड तनकर एकदम लोहे का रॉड बन गया था।
पर उस दिन मेरी इस से ज्यादा कुछ करने की हिम्मत नहीं हुई इसलिए मैं उठकर गया और दूसरे कमरे में जाकर मुठ मार कर सो गया।

अगले दिन वापस जब मैं टीवी देख रहा था तो मामी के आते ही सोने का नाटक करने लगा और आधे घंटे बाद जब मुझे लगा कि अब मामी सो गई तो मैंने फिर से अपनी हरकतें शुरु कर दी।

आज मामी ने गाउन पहना हुआ था. मैंने उनका गाउन धीरे-धीरे ऊपर की तरफ खिसका दिया.
उन्होंने आज अंदर से भी कुछ नहीं पहना था.

मैंने मन ही मन में सोचा आज तो लॉटरी लग गयी.
मैंने मामी की तरफ फिर से देखा और हिम्मत करके उनकी गोरी जाँघों पर अपना हाथ फिराने लगा और धीरे-धीरे अपना हाथ उनकी चूत पर ले गया।

उनकी चूत पर बिल्कुल हल्के हल्के बाल थे और चूत किसी गर्म भट्टी की तरह सुलग रही थी.
मैंने थोड़ी और हिम्मत की और मामी की चूत पर अपनी उंगली फिराने लगा और मामी की चूत को धीरे-धीरे सहलाये जा रहा था।

चूत से थोड़ा थोड़ा चिपचिपा सा पानी रिस रहा था जिससे मेरी Xforum और भड़क उठी और मैं जोश में आकर एक हाथ से अपना लंड और दूसरे हाथ से मामी की चूत को सहलाता रहा.
कुछ देर बाद मामी थोड़ा कसमसाई और चूत पानी से सराबोर हो गयी।

चूँकि उस वक़्त मुझे औरत की चूत के बारे में न तो इतनी जानकारी थी और न ही इतना तज़ुर्बा कि औरतों के चरम सुख में क्या और कैसे होता है.
इसलिये यह भी समझ नहीं पाया कि मामी की चूत इतनी ज्यादा पानी-पानी कैसे हो गयी.
मुझे तो बस उनकी चूत से खेलने में मज़ा आ रहा था।

मामी का पानी निकालने के बाद जब मेरा भी पानी निकल गया तो मैं भी आराम से सो गया।

इतना सब होने के बाद मुझे डर भी था कि कहीं मामी को पता तो नहीं चल गया? और पता चल गया तो मामी ने मामा से कुछ बोल दिया तो मेरी तो वाट लग जाएगी।
लेकिन मामी ने न तो मुझसे कुछ कहा और न ही मामा ने कुछ बोला तो यह तो पक्का हो गया कि मैं सुरक्षित हूँ।

पर अब मामी के बात करने का तरीका और उनका मुझसे बर्ताव कुछ बदला बदला सा लग रहा था।

जैसा कि मैंने आपको बताया था कि मामा पेशे से वकील थे तो किसी केस के सिलसिले में उन्हें दो दिन के लिए बाहर जाना था।

अब तो मैं और मामी दो दिन और तीन रातें साथ ही रहने वाले थे क्योंकि मामा बोल के गये थे कि तुम अपना बिस्तर ऊपर ही लगा लेना। मैं दो दिन के लिए काम से बाहर जा रहा हूँ। अगर कुछ सामान की जरूरत पड़े तो बाजार से ला देना।

मुझे मामा की बातें सुन कर मन में ऐसा लग रहा था जैसे मामा यह बोल रहे हैं कि 2 दिन के लिए मामी सिर्फ तुम्हारी है इसलिए अच्छे से ख्याल रखना।

दिन तो जैसे तैसे निकल ही गया.

रात को मैं और मामी खाना खा के ऊपर मामी के कमरे में आ गये और मैं अपना बिस्तर लगाने लगा.
मामी ने मुझे बिस्तर लगाते देखा तो बोला- तुम वहाँ क्यूँ सो रहे हो? बेड पर ही सो जाओ। एक तरफ तुम सो जाना और एक तरफ मैं सो जाऊँगी।

मैं तो जैसे इसी के इंतज़ार में था और बिना देरी किये तुरंत बेड पर आ गया।

मैं बोला- मामी, आप सो जाओ. मैं थोड़ी देर टीवी देखूँगा.
तो मामी बोली- कोई बात नहीं, आज साथ में टीवी देखते हैं। तुम्हें जो पसंद हो लगा लो.

मुझे तो हॉलीवुड फिल्में पसंद हैं तो मैंने एक इंग्लिश मूवी लगा दी।
उसमें रोमांटिक सीन्स की भरमार थी।

मूवी देखते देखते उन्होंने पूछा- कभी किसी के साथ कुछ किये भी हो या सिर्फ रोमांटिक फिल्मों को देख देख कर ही मन बहला लेते हो?
मामी ने Xxx बात की तो मैंने जवाब में कहा- कभी ऐसा मौका ही नहीं मिला. अगर कभी चान्स मिला तो इस मूवी से बेहतर कर सकता हूँ।

मेरे इतना कहते ही वो तपाक से बोली- उस दिन क्या कर रहे थे? मौके का फायदा?
और मुस्कुरा दीं।

मैं वो तो वो तो … कहता रह गया और ज्यादा कुछ नहीं बोल पाया।
मामी बोली- उस दिन जो अधूरा मौका छोड़ दिया था उसे पूरा करने की हिम्मत है?

अब तो मुझे ग्रीन सिग्नल मिल गया था, बस लॉन्ग ड्राइव पर जाना बाकी था।

मामी के इतना बोलते ही मैं मामी के करीब आ गया और अपने होंठ मामी के होंठों पर रख दिए और धीरे-धीरे मामी के रसीले होंठ चूमने लगा।
अब मामी पूरी तरह से खुल गयी थी और मेरा पूरा साथ दे रही थी।

उनके होंठ इतने मुलायम थे की आज भी उनका एहसास अपने होंठों पर कर सकता हूँ।

इसके बाद मैंने उनका गाउन उतार दिया।
मामी के चूचे ज्यादा बड़े नहीं पर बेहद खूबसूरत थे.

मैंने बिना देरी किये एक चूचे को अपने मुँह में भर लिया और जोर जोर से चूसने लगा तो मामी बोली- आराम से करो, अभी तो पूरी रात पड़ी है खा ही जाओगे क्या?

मैं दूसरा हाथ मामी की चूत पर ले गया तो महसूस किया कि इस बार मामी की चूत बिलकुल साफ़ सुथरी और पहले से काफी गीली थी.
मैंने चूत को बड़े प्यार से सहलाया.

मामी बोली- अपने कपड़े भी तो उतारो या सब कुछ बस तुम ही करोगे?
मैंने फटाफट अपने कपड़े उतार कर इधर उधर फेंक दिये क्योंकि मैं इतनी जल्दी में था कि मेरे लिए एक पल भी रुकना मुमकिन नहीं था।

कपड़े उतारते ही मामी ने मेरा लंड पकड़ कर आगे पीछे करना शुरू कर दिया जिससे मेरा लंड तनकर पूरे आकार में आ गया।

जब मुझसे रहा नहीं गया तो मैं अपना लंड को मामी की चूत में डालने की कोशिश करने लगा।
लंड का सुपारा इतना फूला हुआ था कि बार-बार चूत से फिसल रहा था।

मामी ने कहा- रुको … मुझे करने दो।

तब मामी ने अपनी चूत चौड़ी की और बोली- अब डालो!
बड़ी मुश्किल से लंड 2 इंच ही अंदर गया होगा तो मामी की आह निकल गयी और वे बोली- ज़रा आराम से करो, दर्द होता है।

मैं बोला- तुम तो रोज चुदवाती हो, फिर भी दर्द हो रहा है?
मामी बोली- तुम्हारा इनसे थोड़ा बड़ा है इसलिए दर्द हुआ।

मैं इतने जोश में था कि मुझसे रहा नहीं गया और मैं 2-3 मिनट में ही ढेर हो गया।

लगभग 10 मिनट बाद मेरा लंड फिर खड़ा हो गया तो मैं मामी से बोला- मुझे पीछे से यानि डॉगी पोजीशन में करना है.
तो मामी ने एक कातिल मुस्कान दी और आगे की तरफ झुक गयी और अपनी गांड मेरी तरफ कर दी.

दोस्तो … क्या नज़ारा था वो!
मामी की गांड बिलकुल गोरी और चिकनी थी। जिसकी दरार के बीच एक छोटा सा गुलाबी छेद … मन तो कर रहा था कि उसी छेद मे अपना लंड डाल दूँ!

पर सोचा इतनी प्यारी सी गांड है … इसे फिर कभी बड़ी तसल्ली से चोदूंगा.

फिर मैंने अपना लंड मामी की चूत टिकाया और धीरे धीरे पूरा लंड मामी की चूत में उतार दिया और पूरी दम से चोदने लगा.
हर झटके के साथ मामी की आह निकल रही थी जो मुझे मदहोश कर रही थी।

इस बार मैं लगभग 20 मिनट तक चोदता रहा और इस दौरान मामी 2 बार झड़ चुकी थी जो मामी ने बाद में मुझे खुद बाताया था।

उस रात हमने 3 बार चुदाई की और एक दूसरे से लिपट कर नंगे ही सो गए।

सुबह उठा तो मामी रसोई में नाश्ता बना रही थी.
मैंने जाकर मामी को पीछे से कसकर पकड़ लिया तो उन्होंने कहा- ब्रश कर लो, नाश्ता तैयार है.
और आँख मार कर बोली- अच्छे से खा पी लो … आज काफी मेहनत करनी है.

उस चुदाई के बाद मेरी तो जैसे ज़िन्दगी ही बदल गयी थी, अब तो लगभग हर दिन मैं मामी की चूत चोदता और चूत का पक्का खिलाड़ी बन गया।
 

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शादीशुदा दुधारू बहन की चुत चुदाई


ये सेक्स कहानी शत प्रतिशत सच है और मैं ही इसका मूल पात्र हूँ.

सन 2014 की बात है. उस समय मैं स्कूल में पढ़ता था और जौनपुर में भैया और मां के साथ रहता था व उनके साथ वहीं रहकर पढ़ाई करता था.

फिर भैया ने इंजीनियरिंग में एडमिशन ले लिया.
उसके बाद मैं और मेरी मां बड़ी मां के यहां पटना चले गए. मेरा पटना के ही एक स्कूल में एडमिशन हो गया था.

बड़ी मां का घर में कुल 3 ही कमरे थे. वहां मैं, मेरी मां, बड़ी मां, उनका बेटा और उनकी छोटी बेटी भी रहती थी. बड़ी मां के साथ में उनकी बड़ी बेटी दामाद भी रहते थे.

मेरी बड़ी दीदी गर्भ से थीं, बाद में उन्होंने को एक बेटी ने जन्म दिया था.

हम कुल मिलाकर उस घर में 9 सदस्य थे. मेरी कोई अपनी बहन नहीं थी … और हां मेरे बड़े पापा भी नहीं थे.

मैं अभी वहां बिल्कुल नया था. इससे पहले मैं बहुत कम उम्र में ही एक बार अपनी ताई जी के घर गया था.
मेरी बड़ी दीदी यानि जिनकी बच्ची थी, वो काफी खूबसूरत थीं और बहुत ही ज्यादा गोरी भी.

दीदी हमारे पूरे परिवार में सबसे ज्यादा गोरी थीं. छोटी दीदी भी बहुत सुंदर और आकर्षक थीं. उस समय उनकी उम्र 20 साल थी.

बड़ी दीदी की उम्र 25 साल थी. बड़ी दीदी के पति काफी सांवले थे, वो वहीं पटना में कोई जॉब करते थे.

मेरी बड़ी दीदी भी नर्स थीं. चूंकि जीजा जी और दीदी, दोनों का जॉब पटना में ही था, इसलिए वो दोनों बड़ी मम्मी के साथ ही रहते थे.
जॉब से पहले दीदी अपने ससुराल में रहती थीं.

मेरे लिए वहां का माहौल बिल्कुल ही नया था और इससे पहले मैं कभी बहनों के साथ नहीं रहा था.

मेरी छोटी दीदी मेरे से काफी फ्रेंडली थीं और बहुत अच्छी थीं. कुछ ही दिन में मैं छोटी दीदी के साथ घुल-मिल गया था.

वो मेरे से शुरूआत से ही बहुत खुली हुई थीं, कभी कभी वो अपना हाथ मेरे सीने पर रख देतीं.
मैं कुछ नहीं बोलता था क्योंकि मुझे लगता था कि वो बस फ़्रेंडली हो रही हैं.
पर मेरा लंड शांत नहीं रहता था और उनके स्पर्श से मेरे शरीर में एकदम से खून दौड़ जाता था.

कुछ ही दिनों मैं भी उनसे काफी अंतरंग हो चुका था. कभी कभी वो मेरे इतने नजदीक आ जाती थीं कि उनका कड़क और बड़ा चुचा मेरे से स्पर्श होने लगता.

हालांकि वो कभी मुझसे खुल कर कुछ नहीं बोलती थीं कि उनको मेरे लंड से चुदना है. पर मुझे लगता था कि उनकी मंशा कुछ ऐसी ही थी और सोचता रहता था कि दीदी न जाने चोदने के लिए कब बोलेंगी.

ऐसा ही चलता रहा और मैंने भी कुछ नहीं किया.

पर कसम से छोटी दीदी बहुत सुंदर थीं और उनका फिगर भी बड़े कमाल का था.
दीदी की शानदार गांड और टाइट बूब्स देख कर मेरा तो हमेशा ही मन करने लगता था उनकी चुदाई करने का, पर कुछ नहीं हो पाया.

मेरी बड़ी दीदी उतनी अच्छी दोस्त नहीं बनी थीं, पर वो छोटी दीदी से भी ज्यादा मस्त थीं.
उनके बूब्स भी काफी बड़े थे और गांड तो सच में जन्नत थी.

मेरी गारंटी है कि कोई भी बड़ी दीदी की गांड को एक बार बस देख भर ले, उसके लंड का माल वहीं गिर जाएगा.

कुछ दिनों बाद बड़ी दीदी भी मुझे बहुत पसंद आने लगी थीं; मैं उनसे बात भी करने लगा था.
धीरे धीरे बड़ी दीदी भी मुझे प्यार करने लगीं और हमारे बीच काफी मजाक होने लगा था.

बड़ी दीदी एकदम भरे हुए बदन की माल औरत थीं. वो ज्यादा मोटी भी नहीं थी, एकदम परफेक्ट शेप्ड बॉडी थी.

शायद वो मुझे पसंद करने लगी थीं, वो मजाक मस्ती के समय कभी कभी मेरा कभी हाथ पकड़ लेतीं और कभी कभी मैं भी अपना हाथ उनकी जांघ पर रखने लगता था.
वो मेरी इस हरकत से शायद काफी उत्तेजित हो जाती थीं और एक दो पल बाद ही मेरा हाथ अपनी जांघ से हटा देती थीं.

उस समय उनकी नजरों में मुझे वासना के डोरे दिखने लगते थे, मगर वो कुछ कहती नहीं थीं.

हम दोनों के बीच काफी बार ऐसी बातें हो जाती थीं, जिससे मुझे लगने लगता था कि बड़ी दीदी के मन में सेक्स को लेकर कुछ चल रहा है.
मगर मैं अपनी तरफ से कुछ भी पहल करने में डरता था.

मैंने देखा था कि जीजा जी से बड़ी दीदी ज्यादा खुश नहीं रहती थीं.

कुछ दिन बाद जब दीदी की बच्ची पैदा हुई थी, तब से मुझे उनको चोदने का और मन करने लगा था. वो अपनी बच्ची को कई बार दूध पिलाते पिलाते अपने मम्मे खोलकर ही सो जाती थीं और उनके बड़े चूचे देखकर मेरे लंड में करंट दौड़ जाता था.

ऐसे ही कुछ दिन बीत गए.
अब तो शायद वो जानबूझ कर ही मेरे सामने ही अपने दूध खुला छोड़ देती थीं.

ये सब बातें मुझे कुछ इशारे से महसूस होते थे कि बड़ी दीदी भी मेरे लंड से चुदना चाहती हैं.

एक दो बार तो ऐसा हुआ कि दीदी मेरे पास आकर मेरे कंधे से अपने बूब्स सटाने लगती थीं और मेरी जांघ पर हाथ रख देती थीं.
या उसी समय अपनी बच्ची को दूध पिलाने लगती थीं और बेबी के निप्पल खींचने से मेरी तरफ देख कर आह कर उठती थीं.

वो कराहते हुए बेबी से कहती थीं- अरे खींच मत न … पी ले बस.

ये सब देख सुन कर मैंने एक दिन पूछ लिया- क्या हुआ दी?
तो दीदी फट से बोलीं- ये गुड़िया मेरे निप्पल खींचती है न … तो दर्द सा होने लगता है. ये नहीं कि चुपचाप दूध पी ले.

उनके मुँह से ये सब इतना खुला सुनकर अब मुझसे कंट्रोल नहीं हो रहा था.

फिर जब जीजाजी नाईट डयूटी में जाते थे तो मैं दीदी के कमरे में जाने लगा था.
उस समय तक सब सो जाते थे.
तब मैं दीदी के पास जाकर उनको चैक करता था … उनके मम्मे खुले पड़े रहते थे.

चार दिन लगातार जाने के बाद मेरा मन भी हुआ कि दीदी की चूची को छूकर देखूं.

उस रात मैंने धीरे से अपना हाथ दीदी के मम्मे से लगा कर उसे सहलाया तो मुझे बड़ा मजा आया.
दीदी भी बेसुध सो रही थीं.
मैंने उनके मम्मे को दबा कर देखा और बाहर आकर मुठ मार ली.

अगले दिन मैं फिर से दीदी के कमरे में गया तो देखा कि दीदी ने आज ब्रा नहीं पहनी थी और उनका ब्लाउज पूरा खुला हुआ था.
दीदी के दोनों मम्मे खुले हुए थे.

मैं दीदी के करीब गया और उनके दोनों मम्मों को बारी बारी से दबाया.
तभी मुझे न जाने क्या हुआ कि मैं उनकी चारपाई के नीचे बैठ गया.

मैंने एक पल दीदी के थन देखे और अपने होंठ उनके एक निप्पल से लगा दिए.

उनके जिस्म में कोई हरकत नहीं हुई तो मैंने दीदी के ब्रेस्ट मिल्क को पीना शुरू कर दिया.

दीदी का ब्रेस्ट मिल्क मेरे मुँह में मजा देने लगा. मैं गर्मा गया तो मैंने दीदी के निप्पल को होंठों से दबा कर खींच दिया.

उसी समय वो जाग गईं और मुझे देखने लगीं.
मैं एकदम से काफी डर गया था.

लेकिन दीदी ने मुझे अपनी तरफ खींचा और मुझसे लिपट गईं.
मैं हक्का बक्का था. बस अपनी दीदी के नंगे चूचों से चिपका पड़ा था.

कुछ देर तक हम दोनों वैसे ही लिपटे रहे. दोनों की सांसें काफी तेज हो गयी थीं.

दीदी अब गर्म हो रही थी, मेरा आधा शरीर उनके ऊपर था और आधा नीचे पलंग पर था.

फिर मैंने धीरे धीरे उनको चूमना शुरू किया. पहले माथे से शुरू कर, गाल और आंख पर आ गया.
मैं दीदी के कान की लौ को भी पी रहा था, साथ ही मेरा लंड दीदी की जांघ के ऊपर रगड़ रहा था.

अपने लंड को मैं दीदी की जांघ से कुछ जोर से रगड़ने लगा था.
इससे दीदी की सांसें और तेज होती जा रही थीं.

फिर मैंने उनके दोनों हाथ को अपने हाथों से जोर से दबाया और गले को चूसने लगा.

अब दीदी ने भी मुझे और अपनी तरफ खींच लिया और अपने होंठों से मेरे होंठों को खींचने लगीं.

मैं अपने कंट्रोल से बाहर होता जा रहा था.
हम दोनों ने भरपूर किस किया और एक दूसरे के मुँह में जीभ डालकर एक दूसरे की लार को पिया.

दीदी एकदम कामुक हो गई थीं. शायद जीजा जी ने दीदी को काफी दिनों से चोदा ही नहीं था.

कुछ देर के बाद मैं नीचे को हो गया और ऊपर हाथ करके दीदी के मम्मों को कस कस कर ऐसे दबाने लगा मानो मैं कोई जानवर हूँ.

इस पर दीदी सीत्कार करती हुई बोलीं- आह राकेश … बहुत दर्द हो रहा है … थोड़ा धीरे धीरे दबाओ.
मैंने कहा- ओके.

उसके बाद मैं उनके निप्पल होंठों में दबा कर चूसने लगा और दीदी भी मस्ती से मेरे मुँह में अपना पूरा मम्मा दबा कर मुझे ब्रेस्ट मिल्क चुखाने लगीं.
दीदी का दूध मस्त लग रहा था.

मैंने दीदी की चूची पीते हुए ही अपना एक हाथ उनकी गांड पर रख दिया और एक चूतड़ मसलते हुए दबाने लगा.

फिर मैं उनके दूसरे दूध को चूसने लगा. कसम से दीदी के चूचे बहुत बड़े और सॉफ्ट थे.

इसके बाद मैंने उनके पूरे कपड़े खोल कर हटा दिए.
मेरी बड़ी दीदी अब सिर्फ पैंटी में रह गई थीं.

मैंने हाथ नीचे किया और दीदी की चूत को मसलने लगा; साथ ही मैं उनका एक दूध भी चूस रहा था.

दीदी ने भी अपनी टांगें खोल दी थीं और मैं उनकी चुत में उंगली चलाने लगा था.

मैंने कुछ ही देर में धीरे धीरे करके उनके शरीर का हर भाग चूस चूम लिया. जांघ पर जीभ फेरी और काटा भी. दीदी की नाभि में जीभ डालकर उसका रस पिया.

इधर दीदी भी अब मेरे लंड को मसल रही थीं.
वो मेरे कान में बोलीं- मुझे तेरा लंड मुँह में लेना है.
मैंने कहा- हां दीदी, चलो 69 में करते हैं.

दीदी ने हां कहा, तो मैं उनके ऊपर उल्टा लेट गया.
अब मैं दीदी की चुत के पास मुँह करके लेटा था और मेरा लंड दीदी के मुँह के पास था.

मैं दीदी की चूत चाटने लगा और पीने लगा. वो मेरा लंड मुँह में लेकर चूसने लगीं.
उसके बाद मैं दीदी की चुत में उंगली करने के साथ उनकी रसीली चूत में अपनी जीभ भी घुसाने लगा.

उत्तेजना से दीदी का सीना पूरा ऊपर नीचे हो रहा था.

दीदी की चूत एकदम ऐसी साफ थी, जैसे पोर्नस्टार्स के छेद एकदम चिकने होते हैं.
उनकी चुत के ऊपर कुछ बाल एक त्रिभुज के आकार में उगे थे और वो भी छोटे छोटे ट्रिम किए हुए थे.

मैंने दीदी की टांगों में अपना सर घुसाया और उनकी गांड को भी चूसा.

तभी दीदी एकदम से गनगना उठीं और बोलीं- आह राकेश अब अन्दर डाल दो … प्लीज अपना लंड चुत में पेल दी. बहुत आग लग रही है.

मेरा लंड काफी बड़ा था. लगभग सात इंच का रहा होगा. मेरा लंड इस वक्त बहुत ही कड़क था.

मैंने चुदाई की पोजीशन ले ली और अपनी दीदी की चूत के अन्दर लंड को डाल दिया.
दीदी तो लंड लेते ही मानो आपे से बाहर हो गईं, वो दर्द से तड़फ उठीं और बिस्तर की चादर को जोर से पकड़ने लगीं.

मैं समझ गया कि बेबी पैदा होने के बाद दीदी की चुत को लंड नहीं मिला है.

मैंने दीदी के दर्द की चिंता न करते हुए लंड को काफी तेजी से अन्दर बाहर करना शुरू कर दिया. मैं दीदी की चूत में लंड को जड़ तक पेलने लगा था.
उनके मुँह से आवाज़ न निकले … इसलिए मैंने अपने होंठों का ढक्कन दीदी के होंठों पर लगा दिया था.

कुछ ही पलों में दीदी की चुत ढीली हो गई और लंड सटासट अन्दर बाहर होने लगा, अब मेरी बड़ी दीदी भी लंड से चुदने के मजा लेने लगी थीं.

इसी समय मैंने अपने एक हाथ की दो उंगलियां उनकी गांड में डाल दीं.
दीदी अपनी गांड में उंगलियों का मजा लेने लगीं, मैं समझ गया कि दीदी के दोनों छेद चालू हैं.

काफी देर तक मेरे लंड से चुदने के बाद दीदी की चुत से माल गिरने लगा था.
मैं भी चरम पर आ गया था. मेरा माल भी दीदी की चुत के अन्दर ही गिर गया.

इसके कुछ देर बाद दीदी ने डॉगी स्टाइल से चुदवाया, गांड में भी लंड लिया.
उसके बाद दीदी ने मेरा लंड चूसा और काफी देर तक किस किए.

फिर मैं अपने कमरे जाकर सो गया लेकिन पूरी रात सो ही नहीं पाया.

उसके बाद हमने कई बार सेक्स किया और मैंने ब्रेस्ट मिल्क सेक्स का मजा लिया.
वो सब मैं आपको कभी बाद में बताऊंगा.

दीदी की चुदाई करते समय मुझे उनकी सबसे अच्छी बात लगी थी कि उनकी दूध से भरी चुचियां बड़ी मस्ती से दूध छोड़ती थीं और उनके शरीर से मादक महक मुझे जबरदस्त उत्तेजित कर देती थी.
 
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मामी ने मेरी चड्डी में हाथ डाला


दोस्तो, मेरा नाम अक्षय है. मैं मेरठ का रहने वाला हूँ. मेरी हाइट 6 फीट 4 इंच है. मेरा हथियार 7 इंच का है. मेरी उम्र 32 साल की है.

ये देसी गांड चुदाई कहानी जब की है, जब मैं 19 साल का था. उस समय मैं बहुत ही शर्मीला लड़का था. मैंने तब तक किसी लड़की से बात भी नहीं की थी.

ये कहानी मेरी और मेरी मामी सिमरन (नाम बदला हुआ) के बीच हुई चुदाई की कहानी है.

मेरी मामी एक घरेलू कामकाजी महिला हैं. सिमरन मामी की हाइट 5 फीट से भी कम है पर उनका शरीर बड़ा गदराया हुआ है, मतलब चुचियां और चूतड़ खूब उठे हुए हैं.

पहले मैंने कभी उनके बारे में ग़लत नहीं सोचा था. एक बार वो हमारे घर आईं. कुछ देर रुकने के बाद मामी हम लोगों से मिलकर जब जाने लगीं, तो मेरी मम्मी ने उन्हें रोका.
मगर मामी को आए हुए काफ़ी देर हो गई थी और उनका वापस जाना ज़रूरी था.

मम्मी ने ओके कह दिया और जब वो जाने लगीं, तो मेरी मम्मी ने मुझसे बोला कि मैं उन्हें उनके घर छोड़ आऊं.

मैंने अपनी बाइक निकाली और उन्हें अपनी बाइक पर बिठाकर चल दिया.

आज मामी बाइक पर मुझसे कुछ ज़्यादा ही चिपक कर बैठी थीं. मुझे लगा उन्हें ठंड लग रही होगी क्योंकि शाम का समय हो चुका था.

कुछ दूर जाने के बाद उन्होंने कहा- मुझे टॉयलेट लगी है.
मैंने साइड में बाइक रोक दी.

अंधेरा होने के कारण वो थोड़ी दूर जाकर टॉयलेट करने के लिए रुक गईं.

उन्होंने साड़ी पहनी हुई थी. अंधेरा होने की वजह से उन्हें लगा कि कोई देख नहीं पाएगा और वो पास में ही टॉयलेट करने बैठ गईं.

उनकी पीठ मेरी तरफ थी. पर जैसे ही वो साड़ी उठाकर टॉयलेट करने के लिए बैठीं कि एक गाड़ी वहां से गुज़री और उसकी लाइट मामी की गांड पर पड़ी.
उस गाड़ी की लाइट में मामी की मोटी मुलायम और दूध जैसी सफेद गांड मुझे साफ दिखाई दे गयी.

मामी की गांड देखते ही मुझे बहुत ही मस्त सा महसूस हुआ और मेरा लंड कड़क हो गया.

ये सब बात मामी को पता नहीं चली.

थोड़ी देर बाद वो टॉयलेट करके आ गईं और हम दोनों उनके घर की तरफ चल पड़े.
इस बार मामी का हाथ मुझे अपने कंधे पर कुछ हरकत करता हुआ सा महसूस हुआ पर मैं कुछ बोला नहीं.

मुझे लगा ऐसे ही नॉर्मल होगा. कुछ दूर आगे जाकर रास्ते में कच्चा रास्ता था और बीच में बालू पड़ी हुई थी, जिस पर सामान्य गति से गुजरने के कारण मेरी बाइक का संतुलन बिगड़ गया और हम लोग गिर गए.

बालू में बाइक की स्पीड कम हो गई थी और हम दोनों ही बालू में ही गिर गए थे, इस कारण हम दोनों को ही ज़्यादा चोट नहीं लगी.

मगर मामी को लगा कि उनकी हरकत के कारण बाइक गिर पड़ी है तो वो बार बार सॉरी बोल रही थीं.

मामी बोलीं- सॉरी अक्की … मैं ही ठीक से नहीं बैठ पा रही थी इसलिए हम गिर गए.
मैं बोला- इसमें आपकी कोई ग़लती नहीं है … बालू की वजह से ऐसा हुआ.

खैर … थोड़ी देर बाद हम दोनों घर पहुंच गए. वहां पर मामा जी और उनकी बेटी हमारा इंतज़ार कर रहे थे.

घर पहुंचते ही मामी ने मुझे हल्दी और बादाम का दूध दिया.
फिर मैं मामा के साथ टीवी देखने लगा. हम लोग इधर उधर की बातें कर रहे थे.

कुछ देर में ही मामी ने खाना तैयार कर दिया और आवाज लगा दी.
हम सबने खाना खा लिया.

खाने के बाद मामी ने मेरे सोने के लिए बिस्तर लगा दिया. हम सब एक ही कमरे में सो रहे थे.
बेड पर मामी और उनकी बेटी लेटी थी. उनके पास में एक चारपाई पर मैं … और दूसरी पर मामा जी थे.

मेरी चारपाई मामी के बेड के पास थी.

कुछ देर तक हम ऐसे ही बातें करते रहे. फिर मुझे नींद आ गई.

आधी रात के समय मुझे अपने लोवर में कुछ हरकत सी होती महसूस हुई. मेरी आंख खुल गयी. मैंने देखा कि एक हाथ मेरे अंडरवियर के अन्दर है और मेरे लंड से खेल रहा है.

मैंने उठने की कोशिश की, पर दूसरे हाथ ने मेरा सर दबाकर मुझे वापस लेटा दिया और अपना मुँह मेरे कान के पास लाकर कहा- ऐसे ही लेटे रहो.
वो आवाज़ मामी की थी.

मैं वापस लेट गया.

अब मामी मेरे लंड के साथ अपने हाथों से खेल रही थीं. मुझे भी ये सब मादक लग रहा था. पहली बार कोई महिला का कोमल हाथ मेरे लंड को छू रहा था.

थोड़ी देर बाद मेरे लंड ने पानी छोड़ दिया और मुझे बहुत ज़्यादा मज़ा आया.

कुछ देर बाद मैं सो गया.

सुबह जब मैं जागा, तो मामी मेरे लिए चाय लेकर आई थीं.

मामी ने मुस्काराकर धीरे से कहा कि तुम अपने मामा के साथ खेत में मत जाना.
मैंने हां में सिर हिला दिया.

मामा जी जब खेत पर जाने लगे, तो मुझसे बोले- चलो अक्षय खेतों में घूमने चलते हैं.
मैंने कहा- नहीं मामा जी … कल बाइक से गिरने के कारण शरीर दुख रहा है, इसलिए अभी थोड़ा आराम करूंगा.

ये सुनकर वो बोले- ठीक है, तुम आराम करो … और अभी घर मत निकल जाना. मैं खेत का काम खत्म करके 3 बजे तक आ जाऊंगा.

मामा जी चले गए. मामी की बेटी भी तैयार होकर स्कूल चली गयी.

उसके स्कूल जाते ही मामी मेरे रूम में आईं और मुझे किस करने लगीं.

मैंने मामी को रोक दिया- ये ग़लत है.
मामी थोड़ा इमोशनल होकर बोलीं- मैं बहुत तड़प रही हूँ … प्लीज़ मुझे शांत कर दो.

उनका रोने जैसा चेहरा देखकर मैंने हां कर दी … पर मुझे डर लग रहा था.

मैंने कहा- पर मैं इसके बारे में कुछ नहीं जानता हूँ कि ये सब कैसे होता और क्या करते हैं!
मामी बोलीं- वो सब तुम मुझ पर छोड़ दो.

मेरी मामी ने मुझे अपने सामने खड़ा कर लिया और मेरे लोवर को नीचे करके मेरा लंड अपने हाथों में ले लिया.
डर के कारण मेरा लंड मुरझाया हुआ था.

ये देख मामी ने मेरे लंड को पकड़कर उसके ऊपर अपने होंठों को रख दिया और अपनी जीभ से चाटने लगीं.

ये सब करने से मुझे बहुत अच्छा लग रहा था और धीरे धीरे मेरा लंड सख्त होने लगा था.

अब मामी मेरे लंड को अपने मुँह में लेकर लॉलीपॉप की तरह चूस रही थीं. मुझे बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था.

मगर दो मिनट में ही मेरे लंड ने पानी छोड़ दिया और मैंने अपना लंड मामी के मुँह से बाहर खींच लिया.

अब मामी मेरी गोद में बैठ गईं और मेरे होंठों को चूसने लगीं. उनके इस तरह से चूसने से एक अजीब आनन्द की अनुभूति हो रही थी.
मामी की मखमली गांड मेरे लंड के ऊपर रगड़ खा रही थी.

मेरे हाथों को मामी ने अपनी चुचियों पर रखवा लिए और दबाने के लिए बोलीं.
मैंने भी मामी की दोनों चुचियों को ज़ोर ज़ोर से दबाना शुरू कर दिया.

मामी के मुँह से मीठी सिसकारियां निकलने लगीं.

इतनी देर में मेरे लंड में भी तनाव बढ़ने लगा था जिसे मामी ने अपनी गांड पर महसूस कर लिया था.

मेरे लंड को खड़ा होते देख कर मामी मेरी गोद से उठीं और अपनी सलवार का नाड़ा खोलने लगीं.
उनकी वासना से भरी आंखों को देख कर मुझे उनका रूप बदला हुआ सा दिखाई देने लगा था.

मामी की सांसें लगातार तेज़ होती जा रही थीं. उन्होंने जल्दी से सलवार को नीचे किया और बेड पर लेट गईं.

उन्होंने मुझे अपने ऊपर खींच लिया और बोलीं- जल्दी आ जाओ और लंड चुत में पेल दो.
मैंने अपना लंड पकड़ा और उनकी चुत पर सैट करने लगा. पर बहुत प्रयास करने के बाद भी मैं अपना लंड उनकी चुत पर सैट नहीं कर पा रहा था.

जब मैं काफ़ी कोशिश के बाद भी मामी की चुत का छेद नहीं ढूंढ पाया, तो मामी न मुझे बेड पर चित लेटने को कहा.

मैं तुरंत बेड पर लेट गया.

मामी उठीं और मेरे लंड को मुँह में लेकर चूसने लगीं. मुँह से चूसने की वजह से मेरा लंड चिकना हो गया.

अब मामी मेरे ऊपर आकर बैठ गईं. उन्होंने एक हाथ से मेरा लंड पकड़ा और उसे अपनी चुत के मुँह पर रखकर उस पर बैठ गईं.

मेरे लंड का सुपारा काफ़ी मोटा है, पर मामी जैसी चुदक्कड़ को थोड़ी सी भी परेशानी नहीं हुई. देखते ही देखते मेरा पूरा 7 इंच का लंड उनकी चुत की गहराई में समा गया.

लंड चुत में लेते ही मामी बहुत तेज़ी से मेरे लंड के ऊपर उछलने लगी थीं और अजीब अजीब सी आवाजें निकाल रही थीं.

मैं भी नीचे से लंड को और अन्दर तक घुसाने की कोशिश कर रहा था, पर मुझे कुछ खास मज़ा नहीं आ रहा था.

दस मिनट के बाद मामी झड़ गईं और मेरी छाती पर सर रखकर सांसें भरने लगीं.
वो बोलीं- अक्षय क्या तुम्हें मज़ा नहीं आया?

मैं बोला- मामी सच कहूँ तो मुझे कुछ ज़्यादा मज़ा नहीं आया. मुझे कुछ फील ही नहीं हो रहा था.
वो बोलीं- कोई बात नहीं. मैं तुम्हें दूसरी स्टाइल में करवाती हूँ. उसमें तुम्हें ज़रूर मज़ा आएगा.

ये कहकर वो बेड पर घोड़ी बन गईं और मुझसे बोलीं- आओ और पीछे से लंड डालो. अब तुम्हें थोड़ा टाइट महसूस होगा.

मैं मामी के पीछे जाकर खड़ा हो गया और लंड पेलने की कोशिश करने लगा.
पर मुझसे सही पोज़िशन नहीं बन पा रही थी. शायद मेरी हाइट ज्यादा होने के कारण ऐसा हो रहा था.

ये देखकर मामी ने मुझसे हटने को कहा.
अब वो बेड के बिल्कुल किनारे पर आकर घोड़ी बन गईं और मुझे नीचे खड़ा होकर लंड पेलने की कोशिश करने को कहा.

मैंने पलंग से नीचे खड़े होकर मामी की चुत पर अपना लंड सैट किया.
पर जैसे ही मैंने धक्का दिया, लंड अपनी जगह से हट गया.
ये देखकर मुझे बहुत गुस्सा आया.

अब मैंने अपने लंड पर बहुत सारा थूक लगाया और चुत पर सैट किया.
मामी बोलीं कि पूरी ताक़त के साथ घुसाना.

मैंने भी पूरे जोश में एक धक्का दे मारा. धक्का लगते ही मामी के चीखने की आवाज़ निकली और वो बेड पर आगे को गिर पड़ीं.

मेरा लंड चुत की जगह गांड में घुस गया था. लंड अभी 2 इंच ही घुसा था पर मामी बहुत चीख रही थीं और मुझे हटने को बोल रही थीं.

पर मेरा हटने को बिल्कुल भी मन नहीं कर रहा था क्योंकि मुझे बहुत अच्छा लग रहा था.

मैंने मामी से कहा- प्लीज़ थोड़ी देर करने दो ना.

वो नहीं मानीं. उन्होंने मुझे धक्का देकर दूर कर दिया और तुरंत सीधी होकर लेट गई.

वो मुझसे कहने लगीं कि ये क्या कर रहा था … मुझे बहुत दर्द हो रहा है.

मामी की गांड फट गई थी.

कुछ देर बाद मामी बोलीं- मैंने आज तक किसी से गांड नहीं मरवाई.
पर मैंने कहा- मामी, मुझे तो वहीं पर मज़ा आ रहा था.
वो बोलीं- डालना है तो चुत में डालो … गांड नहीं मारने दूँगी.

मगर कुछ देर बाद मामी मान गईं.
मैंने लंड पर थूक लगाया और मामी की गांड में लंड ठोक दिया.
मामी दर्द से कराहने और चीखने लगीं मगर मैं लंड पेले पड़ा रहा.

मैं मामी की गांड और अपने लंड के ऊपर थूक गिराता रहा और लंड को धीरे धीरे करके मैंने पूरा लंड अन्दर पेल दिया.

कुछ देर के दर्द के बाद मामी शांत हो गईं और लंड का मजा लेने लगीं.

दस मिनट बाद मैंने अपने लंड का पानी मामी की गांड में ही छोड़ दिया और उनके ऊपर ही ढेर हो गया.

कुछ देर बाद हम दोनों उठे और एक दूसरे को देख कर मुस्कुरा दिए. बीस मिनट बाद मैंने मामी की चुत और देसी गांड चुदाई फिर से की.

अब इसके बाद मामी मुझसे जब तब चुदवाने के लिए मुझे बुलाती रहती हैं.
 
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ताई और भाभी की एक साथ चुत चुदाई- 1


मेरा नाम अमित है और हिमाचल प्रदेश से हूं. मैं 21 साल का हूं मैं 6 फीट लंबा और सांवले रंग का हूं. मेरे लंड का साइज इतना है कि किसी भी औरत को संतुष्ट कर सकता है.

मैं चंडीगढ़ में रहकर अपनी पढ़ाई कर रहा हूं … देखने में और पढ़ने में मैं बिल्कुल ओके हूं और स्पोर्ट्स में भी मेरी काफी रुचि है.

जैसा कि आप को पता है कि चंडीगढ़ में गर्मियों की छुट्टियां मई और जून में दो महीने की होती हैं.
मैं छुटियां मनाने के लिए शिमला के पास अपने गांव गया था. यहां गर्मी के मौसम में भी काफी ठंडक रहती है.

गांव में मेरे परिवार में मेरे अलावा मेरे मम्मी-पापा और मेरी दादी रहते हैं. हमारे पड़ोस में मेरे पापा के दो कजिन भाई रहते हैं, जिनका हमारे परिवार से बहुत ही प्यार भरा नाता है.

मेरे पापा शहर में जॉब करते हैं, तो वो घर पर कम ही आते हैं. मेरी मम्मी और दादी घर पर रहती हैं.

एक दिन मेरी मम्मी और दादी को पापा के पास कुछ काम से 4-5 दिनों के लिए शहर जाना पड़ा.
इसलिए उन्होंने मेरी छोटी ताई से मेरा ध्यान रखने और खाने के लिए बोल दिया.

मेरे दोनों ताया के घर एक साथ हैं लेकिन बड़े वाले ताया का परिवार शहर में रहता है.
उनका एक बेटा है … जिसकी शादी हो गई है. उनकी पत्नी का नाम कंचन है.

कंचन भाभी गांव वाले घर पर किसी काम से आयी थीं और वो भी मेरी छोटी ताई के पास रुकी थीं.

मेरे ताऊ सरकारी नौकरी करते हैं, तो आजकल उनका तबादला दूसरे गांव में हो गया था. वो भी घर पर कभी कभार ही आ पाते हैं.
उनके दो बेटे हैं, जो शहर में रहते हैं. एक जॉब करता है तो दूसरा अभी कोचिंग कर रहा है. इस तरह वो दोनों भी भी घर पर नहीं थे.

मेरी ताई का नाम अंकिता है, वो आजकल घर पर अकेली ही रह रही थीं.

अंकिता ताई की उम्र करीब 48 साल है, लेकिन वो इतनी मस्त माल हैं कि अभी भी कहीं से गुजरती हैं, तो बुड्डों के सोए हुए लौड़े भी खड़े हो जाते हैं. उनका रंग गोरा है और करीब 32-26-34 का कसा हुआ फिगर अभी भी कयामत ढहाता है. अंकिता ताई का वजन करीब 55 किलोग्राम होगा. वो एक छरहरी देह की महिला हैं.

मेरी कंचन भाभी की उम्र 28 साल है. वो शहर में ताऊ और ताई के साथ रहती हैं, लेकिन जैसा कि मैंने बताया कि वो आजकल किसी काम से गांव आई थीं और अंकिता ताई के साथ रह रही थीं.

कंचन भाबी का फिगर 34-22-32 का है और वो देखने में किसी हीरोइन से कम नहीं हैं.
भाभी का पति यानि मेरा बड़ा भाई टूरिस्ट गाइड है और वो घर पर बहुत ही कम आ पाता है.

मुझे अपनी ताई और भाभी की जवानी बेहद दिलकश लगती थी और मैं उन दोनों को एक बार नंगी देखने के लिए कुछ भी कर सकता था.
लेकिन रिश्ते और घरवालों के डर की वजह से उन दोनों को याद करके अकेले में मुठ ही मार सकता था.

उन दोनों को देखने से मुझे सेक्स करने की इच्छा काफी बलवती हो जाती थी.

मैंने अब तक अपने कॉलेज में बहुत सारी लड़कियों को चोदा है लेकिन जो मज़ा उन दोनों को याद करके मुठ मारने से मिलता था, वो मज़ा तो लौंडियों की चुदाई में भी नहीं मिला था.

वो बरसात के शुरूआती दिन थे और हम तीन प्राणी ही घर पर थे. गांव में सर्दी पड़ना शुरू हो गई थी.

उस दिन रात के करीब 8 बजे थे, तो ताई और भाभी ने खाना बनाया और मुझे भी खाने के लिए बुलाया.

हम सभी अभी खाना खा ही रहे थे कि अचानक से बहुत तेज बारिश होने लगी और तूफान आ गया.
तेज हवा चलने के कारण लाइट भी चली गई.

तूफान इतना तेज़ था और बारिश भी समय के हिसाब से कुछ ज्यादा हो रही थी.
बहुत तेज आवाज हो रही थी बिजली भी बहुत तेज आवाज से कड़क रही थी.

इससे तो मेरी गांड ही फट गई और वो दोनों तो बहुत ज्यादा डर गई थीं.
इसलिए मुझे उनके सामने हिम्मत दिखानी पड़ी. हम लोग हिम्मत करके नीचे एक कमरे तक पहुंच गए.

मैं भाभी के साथ ताई के घर में था, तो उनके किचन से नजदीक एक ही कमरा था.
उसमें सिर्फ चादर बिछी थी और घर का छोटा-मोटा सामान था.

उस कमरे तक पहुंचते पहुंचते हम लोग पूरी तरह से भीग गए थे और ठंडी हवाओं से हमें ठंड लगने लगी थी.

हम सब नीचे वाले कमरों तक जाने की कोशिश करने लगे लेकिन बहुत तेज़ बारिश और हवा की वजह से हम नीचे नहीं जा पाए.

इसी बीच एक बार बहुत तेज बिजली चमकी और ऐसा लगा कि आस-पास ही कहीं बिजली गिरी हो.
इस वजह से हम तीनों ने उसी कमरे में रुक जाना ठीक समझा.

तेज़ हवा और बारिश से मौसम ठंडा हो गया था और भीग जाने से कपड़े गीले हो गए थे, इससे हम तीनों को ठंड लगने लगी.
उस कमरे में ओढ़ने के लिए केवल एक चादर थी.

मैं बिना किसी लिहाज के सबसे पहले अपने गीले कपड़े खोल कर बिल्कुल नंगा हो गया और बिना किसी हिचिचाहट के बेड पर चादर ओढ़ कर बैठ गया.

इतनी ठंड में मुझे यही सही लगा था.
तो मैंने उन्हें भी वही सलाह दी कि उनको भी भीगे हुए कपड़ों से और भी अधिक ठंड लगेगी, गीले कपड़े हटा कर चादर में ही आ जाओ.

वो दोनों थोड़ा सोचने के बाद मान गईं. क्योंकि उस समय वही सही था.

मेरी बात मानकर पहले अंकिता ताई ने अपने कपड़े उतारने शुरू किए.

उन्होंने सूट पहन रखा था और अन्दर काली ब्रा और पैंटी पहनी थी. उनके भीगे और गोरे बदन पर काली ब्रा और वो पैंटी ऐसे जंच रही थी, जैसे कोई हॉलीवुड की हीरोइन हो.
उन्हें इस कामुक रूप में देख कर मेरी आधी ठंड तो ऐसे ही चली गई थी.

तभी भाभी ने भी कपड़े खोलने शुरू किए.

उन्होंने सफ़ेद रंग की ब्रा और पैंटी पहनी थी. उन दोनों को ब्रा और पैंटी में देख कर मुझ स्वर्ग का आनन्द आने लगा था.

कपड़े उतार देने से ठंड से उन दोनों की हालत खराब होने लगी.
वो दोनों ब्रा और पैंटी में ही मेरे पास बिस्तर पर चादर ओढ़ने आने लगीं.

मैंने उन्हें देखा और सोचा कि यदि वो दोनों गीली ब्रा और पैंटी में बिस्तर पर लेट जातीं, तो चादर के साथ साथ बिस्तर भी गीला हो जाता.

इसलिए मैंने उन्हें रोका और ब्रा और पैंटी को उतारने के लिए कहा.

वो दोनों मेरी तरफ गुस्से से देखने लगीं.
उनकी नजरों से मेरी तो गांड ही फट गई.

मैं मन ही मन सोचने लगा कि अगर ये सब उन्होंने मेरे घरवालों को बता दिया तो मैं तो गया काम से.

मगर मेरी बात भी बिल्कुल सही थी, तो उन्होंने एक मिनट सोचा और अपनी ब्रा और पैंटी उतारने का फैसला ले लिया.

ठंड से उनका भी बहुत बुरा हाल हो गया था, तो वो दोनों ज्यादा देर तक इस हालत में खड़ी नहीं रह सकती थीं.

जब उन्होंने ब्रा और पैंटी उतारी, मेरा तो मानो जीवन सफल हो गया.
दोनों की एकदम क्लीन शेव चुत और मस्त भरे हुए चूचे देख कर मेरा लंड हिनहिनाने लगा.
मुझे लगा मानो जन्नत से दो परियां आकर मेरे सामने खड़ी हो गई हों.

मैंने जैसे तैसे खुद को संभाला और उन दोनों के लिए बिस्तर में जगह बना दी.

वो दोनों जल्दी से मेरे अगल बगल में आ गईं और उसी चादर को ओढ़ कर लेट गईं.
यह चादर सिर्फ दो ही आदमियों के लिए ही थी तो हम तीनों नंगे बदन एक दूसरे से चिपक कर लेटने लगे.

अब स्थिति ये थी कि एक तरफ भाभी थीं और उनके पहले ताई लेटी थीं.
मैं एक किनारे पर लेटा था.

ताई ने मेरी तरफ अपनी गांड कर रखी थी और उन्होंने मुझसे पलट कर लेटने के लिए कह दिया था.

मतलब मेरा लंड हवा में था. मेरे लंड की तरफ किसी की चुत नहीं थी.

मैं सोच रहा था कि मुझे बीच में लेटने के लिए मौका मिल गया है लेकिन इधर तो कहानी की ही मां चुद गई थी.
ठंड भी लग रही थी और बाजू में गर्मी का सामान भी था, तो वो किसी काम का नहीं था.

सिर्फ मेरी पीठ से ताई की पीठ रगड़ खा रही थी.
मेरी ठंड कम होने की जगह बढ़ गई थी क्योंकि ताई और भाभी एक साथ लेटी थीं और मुझे चादर भी कम मिल पा रही थी.
मेरी समझ में ही नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूँ.

मेरा तो दो दो नंगी हूरों के बीच में होना न होना एक ही बात हो गया था और ठंड से मेरा बुरा हाल हो गया था.

मेरे दांत किटकिटाने लगे थे. ठंड के कारण मेरा लौड़ा भी बिल्कुल सिकुड़ गया था.

रात जैसे जैसे बढ़ने लगी, ठंड और भी ज्यादा बढ़ने लगी. हम तीनों के बहुत ही बुरे हाल हो गए थे.
शायद ताई और भाभी को भी ठंड लग रही थी.

इधर तूफान भी कम नहीं हुआ था.

औरत और मर्द बिना चुदाई के इस सर्दी से किसी भी तरह से निजात नहीं पा सकते थे.

ताई ने भाभी और मुझसे कहा- बड़ी ठंड लग रही है. ऐसे तो मर ही जाएंगे.
मैंने ताई से कहा- हां ताई, अगर ऐसा ही रहा … तो हम सब सुबह तक जम ही जाएंगे.

ताई ने कहा कि तेरे पास इस ठंड से बचने का कोई और रास्ता है, तो बता!
मैंने एक पल सोचा और बिंदास कह दिया कि तरीका बहुत ही कठिन है और गलत भी है … लेकिन अगर आपको नहीं आजमाना होगा, तो आप मना कर देना. यदि आजमाना हो तो आजमाने के बाद में कभी भी किसी से कुछ नहीं बोलना.

वो मान गईं और कहने लगीं- इस ठंड से बचने के लिए वो कुछ भी कर सकती हैं.
मैंने कहा कि इंसान की बॉडी में सबसे गर्म हिस्सा चुत और लौड़ा होता है. अभी अगर उसमें कोई भी घर्षण होगा, तो हमारी बॉडी में गर्मी का अहसास होगा.

मेरे मुँह से चुत और लौड़ा शब्द सुनने के बाद वे दोनों शॉक्ड हो गईं और ताई मुझे डांटने लगीं.

ताई- तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई ऐसा बोलने की भी … तेरे कॉलेज में यही सब सिखाते हैं?

ये सब सुनने के बाद मेरी गांड फट गई. मुझे भी बहुत बुरा और डर लगने लगा कि अब तो मैं गया.
लेकिन ठंड इतनी ज्यादा थी कि उन्हें भी कुछ देर बाद यही सही लगा.

भाभी ने कहा- ठीक है देवर जी, आप घर्षण का तरीका बताओ. लेकिन ये एक दायरे के अन्दर होना चाहिए.

जब मर्द और औरत के बीच रगड़ाई होगी, तो अब दायरा क्या होता है. मैं भी भाभी की बात से राजी हो गया कि साला कुछ तो मजा मिलेगा ही.
 

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ताई और भाभी की एक साथ चुत चुदाई- 2



स्टोरी के पिछले भाग

में अब तक आपने पढ़ा था कि सर्दी भरी उस बारिश की रात में मैं पूरी तरह से नंगा बिस्तर पर कंपकंपा रहा था. मेरे साथ ताई और भाभी भी एकदम नंगी लेटी थीं.
हम तीनों सर्दी खत्म करने के उपाए पर चर्चा कर रहे थे.

अब आगे :

मैंने कहा कि मैं आप दोनों की चुत को चाटूंगा, उससे आपको गर्मी महसूस हो जाएगी और कुछ अनुचित भी नहीं होगा.

ये कहते समय मुझे यह पता नहीं था कि उन दोनों ने कभी चुत चटवाई ही नहीं थी.

मेरी बात पर ताई एकदम से बोलीं- छी: उधर इतना गन्दा होता है … तू बीमार हो जाएगा.
मैंने भी अपना नंबर बनाने के चक्कर में कहा- आप दोनों के लिए तो जान भी दे दूंगा.
वो दोनों खुश हो गईं लेकिन बाहर से कहने लगीं- ठीक है … ठीक है.

मैंने पहले ताई को अपने नीचे किया और उनकी टांगों को चौड़ा होकर लेटने के लिए कहा.
पहले तो उन्हें शर्म आने लगी पर मैंने उन्हें अपनी तरफ खींचा और उनकी टांगों के बीच में घुस गया.

सामने ताई की सफाचट मस्त चुत थी. मैं जोर जोर से उनकी फूली हुई चुत को जीभ से चाटने लगा; साथ में उनके मम्मों को जोर जोर से दबाने लगा.

करीब 5 मिनट बाद वो पूरी तरह से गर्म हो गईं और मैं भी उनके ऊपर भूखे भेड़िए की टूट पड़ा.

थोड़ी देर में ही ताई झड़ गईं और मैंने उनका सारा माल पी लिया.

तब तक भाभी भी ये नज़ारा देखने के बाद थोड़ी गर्म होने लगी थीं.

मैं अब उनकी तरफ आया और उनकी चुत को जीभ से चोदने लगा.
वो तो थोड़ी देर में ही झड़ गईं क्योंकि वो मेरी और ताई की चुत चटाई देख कर पहले से ही चूने लगी थीं.

अब मैं बीच में लेट गया और उन दोनों की चुत में उंगली डालने लगा.
पहले मैंने ताई की चुत में दो उंगली डालीं और उन्हें उंगलियों से चोदने लगा.

थोड़ी देर में ही वो जोर जोर से चीखने लगीं और पूरा कमरे उनकी मादक आवाज़ों से गूंज गया- आह आह उम्म और तेज कर मादरचोद बहन के लौड़े … और ज़ोर से उंगली कर साले … आह मैं बड़े दिनों की प्यासी हूं.

मैंने ये सुना तो अपनी 3 उंगलियां ताई की चुत में डाल दीं. वो थोड़ी देर में दूसरी बार झड़ गईं और साइड में लेट गईं.

मैंने भाभी की चूत में एक उंगली डाली, तो वो उसी से चीखने लगीं. मुझे लगा कि शायद भाभी की चुत में मेरे नाखून से लग गई होगी. मैं धीरे धीरे से उंगली अन्दर बाहर करने लगा.

तभी मैंने जल्दी ही दो, फिर तीन उंगलियां चुत के अन्दर डालनी चाहीं, तो वो जा ही नहीं पाईं.
मैं मन ही मन सोचने लगा कि ताई की चुत में तो आसानी से तीन उंगलियां चली गईं मगर भाभी की चूत में क्यों नहीं जा पा रही हैं.
फिर मैंने सोचा कि शायद ताई की चुत का भोसड़ा तब बना होगा, जब उनकी चुत से दो-दो बच्चे हुए थे. जबकि भाभी का तो अभी कोई बच्चा ही नहीं है.

फिर मैंने दो उंगलियां भाभी की चुत में डालीं, तो दो भी नहीं जा रही थीं.

मेरे से रहा नहीं गया और मैंने भाभी से पूछा- महीने में कितनी बार चुदाई कर लेती हो?
उन्होंने कहा- महीने में तो क्या साल में भी एक चुदाई हो जाए तो वो भी मेरे लिए बहुत है. पर तेरे भाई ने तो शादी के 3 साल में मुश्किल से 10-15 बार चोदा होगा, उसमें भी आधे से ज्यादा तो शुरू में ही चोदा था. उन्हें तो बस काम की ही लगी रहती है.

मैं मन ही मन सोचने लगा कि कोई इतना मूर्ख भी कैसे हो सकता है कि ऐसी खूबसूरत बीवी को भी ना चोदे.

फिर मैं जल्दी से अपने काम में लग गया और कुछ देर एक उंगली से चोद कर ही उनका पानी निकाल दिया.

तभी ताई ने मुझसे कहा- तुमने तो हम दोनों को गर्म कर दिया है, इसलिए हमारा भी फ़र्ज़ बनता है कि तुम्हें भी हम दोनों गर्म करें. बता तू कैसे गर्म होगा.

मैंने उन्हें मेरे लंड को चूसने के लिए कहा.

जैसे ही उन्होंने मेरा लौड़ा हाथ में लिया और थोड़ी देर हिलाया, तो वो अपने असली रूप में आ गया और एक गर्म रॉड की तरह बिल्कुल सीधा लम्बा और मोटा हो गया.

ये देख कर ताई के हाथ से लौड़ा छूट गया और दोनों के मुँह से एक ही बात निकली- हाय राम इतना बड़ा!
मैं बस उनकी तरफ देखने लगा.

ताई कहने लगीं- मैंने इतना बड़ा लौड़ा कभी भी नहीं देखा.
तभी भाभी ने भी कहा- तुम्हारे भाई का तो बस नाम का ही लौड़ा है, सिर्फ 3 इंच का होगा.
इस पर ताई कहने लगीं- हां अमित … तेरे ताऊ का भी बस 4.5 इंच का ही है.

ताई ने लौड़े को मुँह में डालने की कोशिश की, लेकिन उनके मुँह में आधा लंड भी नहीं जा पा रहा था.

मैंने ताई के मुँह में ही लंड से चोदने की कोशिश की, लेकिन उन्हें सांस भी नहीं आ पा रही थी.

तभी मैंने भाभी के मुँह में लंड डाल लिया. उनसे तो सुपारा भी नहीं लिया जा रहा था.

अब तक वो दोनों फिर से गर्म हो गई थीं.

मैंने पहले भाभी को पकड़ कर अपने नीचे किया और उनकी टांगें फैला कर उनके बोलने से पहले ही लौड़े को धीरे धीरे चुत पर रगड़ने लगा.
इससे भाभी एकदम से गर्म हो गईं और लौड़े को चुत में डालने के लिए जल्दी कहने लगीं.

भाभी की चूत एक तरह से अभी नई ही थी.
तो मैंने जैसे ही पहला धक्का दिया तो भाभी की चुत में करीब 3 इंच लंड घुस गया.

लंड चुत में लेते ही भाभी बहुत जोर से चीख पड़ीं- हाय रब्बा … मैं मर गई आह मम्मी रे मुझे बचा लो!

उनकी चुत से खून बहने लगा.
मैंने भाभी की चुत से लौड़ा निकाल दिया और उन्हें थोड़ी देर वैसे ही छोड़ दिया.
वो दर्द के मारे चीखने और रोने लगीं.

उसके बाद मैंने ताई की टांगों को फैलाया और अपना खड़ा लौड़ा सीधा ही ताई की चुत में पेलते हुए पूरा डाल दिया.

इतना बड़ा लंड लेकर ताई भी ज़ोर ज़ोर से चीखने और रोने लगीं.
वो मेरी छाती पर मुक्के मारने लगीं और गालियां देने लगीं- छोड़ दे मां के लौड़े … साले चुत फाड़ दी कमीने … आह मर गई.

लेकिन अब मेरा लंड कहां मानने वाला था; मैं लगातार धक्के मारने लगा.
वो ज़ोर ज़ोर से कराहने लगीं- आह आह आह उई उई मम्मी मर गई आ ऊ ऊह!

उनकी तेज तेज आवाज आने लगी और कमरे में ‘फच फच फच ..’ की आवाज सुनाई देने लगीं.

तब तक भाभी भी तैयार हो गईं, तो मैंने उन्हें भी चोदना चालू कर दिया.

भाभी की चुदाई के साथ मैंने ताई को मेरे टट्टे चूसने के लिए कहा.

मैंने भाभी को डॉगी स्टाइल में चोदना शुरू कर दिया था.
उनकी चुत बहुत छोटी और कसी हुई थी, जिसमें मेरा विशालकाय लौड़ा घुस ही नहीं पा रहा था.

मैंने पूरी ताकत से 2-3 झटके में पूरा लौड़ा घुसा दिया.
इससे भाभी की रोने और चीखने आवाज़ इतनी तेज आने लगी कि मेरे तो कान भी फटने वाले हो गए थे.

मगर मैंने धीरे धीरे से उन्हें चोदना चालू रखा और कुछ देर बाद भाभी भी मेरा साथ देने लगीं.
उनकी मदभरी आहों को सुना तो मैंने चुदाई की स्पीड बढ़ा दी.

अब कमरे में चुदाई की फचाफच फाच गच गचागच ..’ की आवाज़ें आने लगीं.

तभी मुझे लगा कि वो झड़ने वाली हैं; मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी और ‘उम आह ..’ की आवाज के साथ भाभी झड़ गईं.

अब मैंने लंड ताई की चुत में पेला और उनको जोर जोर से चोदने लगा.

थोड़ी देर में ताई भी झड़ गईं लेकिन मेरा पानी अभी भी नहीं निकला था.
मैंने भाभी को अपना लौड़ा चूसने के लिए बोला और ताई को भाभी की चुत चाटने के लिए कहा.

भाभी मस्त से मेरे लौड़े पर जीभ फिरा रही थीं और मुझे जन्नत का अनुभव हो रहा था.

थोड़ी देर बाद ताई मेरा लंड चूसने लगीं और भाभी उनकी चुत चाटने लगीं.

तभी मैंने फिर से भाभी को अपनी तरफ खींचा उनको फिर से चोदना शुरू कर दिया.

करीब दस मिनट बाद मैं झड़ने को तैयार होने लगा, तो मैंने स्पीड तेज कर दी और एक जोर की आह के साथ भाभी की चूत को वीर्य से भर दिया.

भाभी भी इतने गर्म माल के चुत में आने से ज़ोर ज़ोर आह आह आह की आवाज निकालने लगी और कहने लगीं- अब इस माल को अन्दर ही रहने दो, मैं इससे ही प्रेगनेंट होना चाहती हूं.

लेकिन लंड का माल इतना ज्यादा था कि वो चुत से बाहर निकल कर बह रहा था.
ताई ने भाभी की चुत के नीचे जीभ लगा दी और रस चूस लिया; उन्होंने एक भी बूंद बाहर नहीं गिरने दी.

फिर मैंने अपना लौड़ा ताई को चूसने के लिए दे दिया. ताई के लंड चूसने से थोड़ी ही देर में लंड फिर से तन गया.

इस बार मैंने ताई की गांड को चोदने के लिए कहा, तो उन्होंने मना कर दिया.
उन्होंने कहा- पहले मैंने कभी भी गांड नहीं चुदवाई है.

मैं कहां मानने वाला था. मैं भाभी से उनकी गांड चटवाई और इसके बाद लंड के सुपारे को ताई की गांड के छेद पर रखकर एक धक्का दे दिया.
मेरा 3 इंच लंड गांड में घुस गया.

ताई ज़ोर ज़ोर से चीखने लगीं और आह आह आह की आवाज़ निकालने लगीं.

मैंने लौड़ा थोड़ी देर वैसे ही रखा और भाभी को उनकी चुत चाटने के लिए कहा.

थोड़ी देर में ताई कुछ शांत हुईं तो मैंने फिर से गांड चोदना शुरू कर दिया.

मैंने उन्हें 10 मिनट तक चोदा. फिर भाभी की गांड मारने लगा. धीरे धीरे मैं अपना लौड़ा भाभी की गांड में डालता गया और पूरा लंड गांड के अन्दर पेल दिया.

भाभी की हालत खराब हो गई थी लेकिन ताई ने गांड और लंड के जोड़ पर अपनी जीभ फेरते हुए थूकना शुरू कर दिया था इससे चिकनाहट हो गई थी और लंड गांड में चलने लगा था.

मैंने करीब दस मिनट तक भाभी की गांड मारी. मेरा लंड भी थोड़ी देर में ही निकलने वाला हो गया था.

ये देख कर ताई ने बोला- हर बार उसे ही माल क्यों दे रहा है. इस बार मेरी चुत में आ जा … मेरी चुत में ही झड़ जाना.

मैंने जल्दी से ताई की चुत में 5-10 झटके मारे और सारा वीर्य उनकी चुत में डाल दिया.

हम तीनों थक कर वहीं लेट गए.

हम तीनों ने उस पूरी रात में 4 बार चुदाई की.
सुबह जब मौसम साफ हुआ तो हमने अपने अपने कपड़े पहने और बाहर निकल आए.

उसी दिन ताऊ जी आ गए और फिर मेरे घर वाले भी. शाम को भाभी भी शहर चली गईं.

उसके कुछ दिन बाद ही भाभी प्रेगनेंट हो गईं और उन्होंने ताई को बताया और पूछा कि अब वो क्या करें.
ताई ने भाभी से कहा कि एक बार पति के साथ सेक्स कर ले … ताकि किसी को भी शक ना हो.

भाभी ने उसी रात भैया के साथ जबरन चुत चुदवा ली और कोख का रजिस्ट्रेशन करवा लिया.

इधर मैं और ताई को जब भी मौका मिलता था, तब चुदाई कर लेते थे.
भाभी के बच्चा होने के बाद उनकी सेक्स की भूख भी में ही मिटाता हूं.

अब हम तीनों को जब भी मौका मिलता है तब सेक्स कर लेते हैं.
 
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